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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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मेरे सभी प्यारे दुलारे मुठ्ठल मित्रों पाठकों एवं उंगलीबाजो
देर सवेर ही सही आप सभी को गैंगबैंग रूप से नए साल की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
दारू वाली गैंग के लिए
शिला बुआ की तरफ से स्पेशल ट्रीट

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आप सभी खुशहाल रहें और स्वस्थ रहें और हिलाते रहे


एक महत्वपूर्ण सूचना

इस कहानी का नया सीजन मेरे रनिंग कहानी के खत्म होने के बाद भी शुरू होगा , अब उसमें दिन लगे महीने या वर्षों ।
कृपया मेरी व्यस्तता और मजबूरी को समझे , निगेटिव कमेंट करके या मुझे निकम्मा ठहरा कर अपनी ऊर्जा व्यय ना करें
मै बहुत ही हेहर प्रकृति का प्राणी हु , आपके नकारात्मक शब्दों मुझे खीझा सकते है मगर मेरी चेतना को भ्रमित नहीं कर सकते । उसमे मैं माहिर हुं
आप सभी का प्रेम सराहनीय है और मेरे मन में उसकी बहुत इज्जत है , मगर मै अपने सिद्धांत पर चलने वाला इंसान हु ।

फिर अगर किसी को ऑफिशल डिकियलरेशन की आशा है कि मै ये कहानी बंद करने वाला हु तो ऐसा नहीं है
ये कहानी शुरू होगी मगर मेरी अपनी शर्तों और जब मुझे समय रहेगा इसके लिए।
नया साल अभी शुरू हुआ है इंजॉय करिए
अपडेट जब आयेगा इस कहानी से जुड़े हर उस व्यक्ति को मै व्यक्तिगत रूप से DM करके बुलाऊंगा ये मेरा वादा है ।



मेरे शब्दों और मुझ पर भरोसा कीजिए
मेरी दूसरी कहानी का भी मजा लीजिए
धन्यवाद 🙏
 
Last edited:

Sanju@

Well-Known Member
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UPDATE 213

अमन के घर

शाम ढल चुकी थी और रात के खाने की तैयारी हो रही थी , रिन्की ने आज अमन का मूड बना दिया था तो मौका पाकर पहले दुलारी और फिर सोनल दोनो को चोद कर अमन कमरे मे सो गया था ।

इधर मुरारी बाजार से आया तो उसने ममता से अमन के बारे मे पुछा ।
ममता - पता नही आज तो उसने शकल नही दिखाई मुझे भाई , ना जाने कहा खोया है ।

रिन्की - और कहा खोये रहेंगे हिहिही भाभी के अलावा हिहिही
ममता उसे डांट लगाती हुई - चुप कर तु , जा बुला कर ला उसे ।
अमन के पास जाने का सुनते ही रिन्की सरपट सीढियों से दौड़ पड़ी ।

मुरारी- अरे भाई मै फोन लगाता हु ना उसे
ममता हस कर - रहने दिजीये वो गयी हीहिहिही

मुरारी- अह संगीता जरा पानी देना
मगर किचन से कोई जवाब नही आया
मुरारी- संगीता कहा गयी ?
ममता इसपे मुस्कुराने लगी ।
मुरारी भौहे टाइट कर - क्या हुआ तुम हस क्यू रही हो ? बताओ कहा है वो ?

ममता - अरे जब मजनू यहा नही है तो लैला क्यू रुकेगी भला हिहिहिही
मुरारी- मतलब ?
ममता हस्ती हुई - अरे देवर जी और मेरी ननद रानी दोनो बाजार गये है समान लेने मैने भेजा है ।

मुरारी- कैसा समान ?
ममता - अरे भाई परसो बहू के मायके से लोग आयेंगे ना , तो कुछ समान लेने भेज दिया बाकी का कुछ कल आ जायेगा ।

मुरारी- ओह्ह
अगले ही पल हड़बडा कर - फिर किचन मे कौन बरतन बजा रहा है ?
ममता हस्ती हुई - अरे क्या हो गया है आपको वहा बहू और दुलारी है ।

मुरारी- बहू किचन मे अभी से ?
ममता - मै मना ही कर रही थी मगर उसे उपर कमरे मे बोरियत हो रही थी तो चली आई दुलारी के साथ हाथ बताने और बात करने ।

मुरारी- ओह्ह ऐसा ।
ममता - वैसे आप बाजार क्यू गये थे ।
मुरारी इसपे मुस्कुराने लगा - वो बस ऐसे ही टहलने का मूड हुआ और पान खाने का तो ।

ममता लपक कर जेब टटोलने लगी और वो चौकोर डिबिया हाथ मे आते ही उसका पारा एकदम से टाइट , चेहरा गुस्से से लाल क्योकि उसका शक सही लगा उसे ।

कुर्ते की जेब मे हाथ डाले हुए ही उसने गुस्से से मुरारी को घूरा- मुझे पता था कि आप यही लेने गये थे , आप नही छोड़ेंगे ना

मुरारी हस कर - अरे अमन की मा तुम हाहाहा जो समझ रही हो वो नही है हिहिही
ममता - ये सिगरेट का पैकेट नही है, मुझे बेवकुफ समझते है निकालू बाहर

मुरारी ने आस पास खाली जगह देखा और एक नजर किचन की ओर देखा और हा मे सर हिला कर - ह्म्म्ं देख लो
ममता ने धिरे से जेब से वो चौकोर पैकेट निकाला और उसे देखते ही उसके चेहरे पर गुस्से की लाली शर्म और लाज के मारे गुलाबी हो गयी ।
दोनो हाथो मे छिपाती हुई वो उस कन्डोम के पैकेट को निहारती हुई मुस्कुराते गालों के साथ मुरारी को देखा - आप पागल हो गये है क्या ? हमे इसकी क्या जरुरत है ?
मुरारी ने लपक कर उसके हाथ से वो पैकेट लिया और जेब मे डालता हुआ - ये हमारे लिये नही , अमन के लिए है ।

ममता आंखे बड़ी कर - क्या ? मगर क्यू , उनकी भी तो शादी हुई है ना ।

मुरारी- अरे भाई अभी दोनो जवान जोशिले है , कही बच्चा कर लिये तो , जवानी का मजा कहा ले पायेंगे ।

ममता लाज के मारे मे हसने लगी - धत्त क्या आप भी , आपको क्या लगता है अमन ने अभी तक किया नही होगा ?

मुरारी ने बड़े गुरुर और शान से ना मे सर हिलाया - अरे आज जाकर मैने उसे परमिशन दी है , वो आज करने वाला है ।

ममता मुरारी के बेवकुफी पर हसी आ रही थी मगर वो अपनी भावनाये छिपा कर - तभी मै सोचू ये बाप बेटे छिप छिप कर अकेले क्या बातें करते है ? तो आप अमन को सुहागरात की टिप्स देते फिरते हो उम्म्ं ।

मुरारी हस कर - क्या तुम भी ।
ममता - वैसे आपने क्या क्या बताया उसे , कैसे करना है क्या करना है हिहिहिही

मुरारी- अरे उसे सब पता है , मैने बस बताया कि कब करना है ।

ममता आंखे नचा कर - ओह्ह वैसे आपको अपना पता है कि कब कब आपको भी करना चाहिए उम्म्ं

मुरारी कुछ सोचता इससे पहले ममता खिलखिला कर उठने लगी ।
फिर मुरारी समझ कि ममता ने उसके मजे ले लिये । उसने भी सोचा आज की रात वो उसे कुछ यादगार पल जरुर देगा ।

वही उपर अमन के कमरे मे अलग ही कांड हो रहा था
अमन सोकर उठ चुका था और बाथरूम मे नहा बेफिकर होकर नहा रहा था इस बार से अंजान की बाजर बाथरूम के खुले दरवाजे से रिन्की उसे पूरी नंगी निहार रही है

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उसका मोटा मुसल सो कर उठने की वजह से बौराया अकड़ा हुआ तना था , जिसे देख कर रिन्की की बुर कुलबुलाने लगी ।
उसने अपनी कैफ्री उतार कर सिर्फ पैंटी और टीशर्ट मे आ गयी ।
दरवाजे की कड़ी वो पहले ही लगा चुकी थी , अमन के गोरे मोटे टोपे वाले लन्ड को देख कर उसकी बुर कुलबुला रही थी ।
जिसे देख कर वो अपनी नन्हे मुन्ने चुजे मसलने लगी
इधर अमन नहा कर तौलिये से अपना बदन पोछने लगा , अभी तक उसकी नजर दरवाजे के पास खड़ी रिन्की पर नही गयी थी ।

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रिन्की ने मस्ती मे लपक कर अमन के कन्धे से तौलिया खिंच लिया और खिलखिलाकर हसने लगी ।

अमन चौका और अगले ही पल उसने कमरे मे खिलखिलाती हुई रिन्की को देखा , जिसने निचे सिर्फ पैंटी पहन रखी थी ।
अमन उसकी ओर लपकने को हुआ तभी उसे याद आया कि अभी भी वो पुरा भीगा है , कमरे मे गन्दगी हुई तो सोनल सवाल जवाब करेगी ।
वही उसका मुसल भरपुर फुल चुका था , रिन्की उसको नंगे निहार कर हस रही थी - क्यू आओ आओ लेलो हिहिहिही

अमन हसता हुआ - अच्छा तो तुझे दुपहर का बदला लेना था

रिन्की हस्ती हुई उस्के खडे देख कर अपने होठ चबाते हुए खिखी कर लगी ।
अमन - चल हो गया तेरा , अब ला तौलिया नही तो मै सच मे आ जाऊंगा

रिन्की - तो आजाओ हीही
अमन देखा कि अब तक उसके जिस्म से काफी पानी निचुड चुका था और वो बाथरूम के बाहर पायदान पर पैर रगड़ता हुआ रिन्की की ओर लपका और उसको पीछे से दबोच लिया , इस दौरान छिना झपटी मे उसका कडक मोटा तनमनाया लन्ड रिन्की के चुतड़ मे घिसता चुभोता रहा

उसकी कलाई रिन्की के मुलायम उभरे नरम मौसमी जैसे चुचे पर रगड़ते घिसते रहे । रिन्की कभी सिस्कती तो कभी हस्ती

तभी अमन ने उसके घुमा कर पकड लिया और लेकर बिस्तर पर बैठ गया ।
रिन्की पर उल्टी होकर उसके गोद मे लटकी हुई थी और अमन उसके चिकने चुतड सहलाते हुए उसके गाड़ पर थपेड मार रहा था - फिर करेगी शैतानी बोल उम्म्ं

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रिन्की का पुरा जिस्म अमन के पन्जे की थ्पेड से थरथरा उठा , मगर उसके मन मे कामुक सी खुमारी उठने लगी , निप्प्ल तन गये और वो हसने लगी ।
उसकी खिलखिलाहट सुन कर अमन के उसके चुतड़ पर उंगलियाँ सहलाते हुए एक बार फिर थ्पेड चट्ट से बजाया ।

रिन्की - आह्ह भाइयाअझ उह्ह्ह्ह म्ममीईई लग रहा है ऊहु ।
अमन अभी भी उसके चेहरे पर हसी देख रहा था - बोल फिर करेगी शैतानी उम्म्ं ऐसे परेशान करेगी।

रिन्की खिलखिलाती हुई ना मे सर हिलाती हुई - नही करुँगी भैया हिहिही प्कका नही

अमन ने उसको छोड़ा और उसको खड़ा किया अभी वो हस रही थी - चल 20 बार कान पकड कर उठक बैठक कर

रिन्की - क्या ? पर क्यूँ?
अमन - वो मै नही जानता , आर्मी मे ऐसे ही फिजिकल पनिशमेन्ट दी जाती है ।

रिन्की भुनकने लगी तो अमन ने भौहे चढा कर उसे आंखे दिखाई तो रिन्की मुह बनाते हुए उसकी ओर पीठ कर ली ।

अब वो उसके सामने खडी थी , पैंटी ने उसकी गाड़ बहुत ही नरम और खिली खिली दिख रही थी जिसे देख कर अमन अपना लन्ड सहलाता हुआ थुक गटकता है ।

अमन - चल शुरु कर

रिन्की मुह बनाते हुए अपने कान पक्ड कर अमन के सामने उठक बैठक करने लगी , अमन का लन्ड अब और भी बौराने लगा ।

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सामने रिन्की की गाड़ उठक बैठक करने से बार बार उसके आगे फैल जाती जिस्से उसका लन्ड और झटके खाने लगता

निचे बैठते समय उसके नरम चुतड़ पैंटी के दायरे से बाहर आकर फैल जाते और फिर उपर उठते हुए पैंटी उसके चुतड के दरारो मे फस जाती जिसे देख कर अमन की हालत खराब होने लगी ।

देखते ही देखते रिन्की ने 20 बार उठक बैठक कर लिये - हो गया भैया और भी करू?

"ऐसे ऐसे करू " , रिन्की ने अपनी चुतड को बड़ी अदा के बाहर की ओर फेकती हुई उसको झटकते हुए उछाला जिसे देख कर अमन को हसी आई - धत्त चल जा अब यहा से ,

तभी उसका मोबाईल बजने लगा ।

मुरारी उसे फोन लगा रहा था ।
मोबाइल बजते ही रिन्की को ध्यान आया कि वो यहा क्यू है - अरे वो मामी ने आपको बुलाया है भैया , आजाओ जल्दी

अमन लपक कर उसके नंगे चुतड पर एक थ्पेड़ लगाता हुआ - अच्छा तो ये कब बताने वाली थी तु उम्म


रिन्की अपने चुतड़ सहलाती दर्द से सिस्कती हस्ती हुई - आह्ह भैया अब क्यू मारा , वो मै भूल गयी थी ना

अमन - रुक अभी बताता हु तुझे फिर कभी कुछ नही भुलेगी तु

इससे पहले अमन उसे पकडता अपनी कैफरि उठाई और बिना पहने ही दरवाजा खोलकर हस्ती हुई निकल गयी
अमन हस कर - अरे पागल कपडे पहन लेती , कोई देख लेगा
"हिहिही ये पूरी पागल है , लेकिन साली ने लन्ड खड़ा कर दिया उफ्फ्फ ",अमन अपना लन्ड ऐडज्स्ट करता हुआ बड़बडाया । फिर कपडे पहन कर निचे चला गया ।


राहुल के घर


राहुल और अरुण नदी की ओर घूम कर वापिस आ चुके थे
दुकान मे कोई नजर नही आ रहा था और गलियारे की ओर बढ़ने पर दोनो के कान खड़े हो गये ।
हाल मे शालिनी और जन्गी की बहस हो रही थी । रंगी के सम्झाने के बाद भी जन्गी की खुन्नस खतम नही हुई थी
वो शालिनी को बाज़ार के लिए फटकार रहा था और शालिनी भी उसको भरपूर जवाब दे रही थी
शालिनी - आपकी खातिर मैने क्या क्या नही किया , मै तो सीधी साधारण ही थी । आपकी फरमाईस पर ही मैने ये सूट तो कभी डिजाईनर कपडे पहने , मै तो कभी बजार खरीदने नही गयी ना ।

जन्गी को शालिनी की बात का झटका लगा मगर शालिनी रुकी नही - कभी ये चमकीली नाइटी तो कभी फैशन वाली ड्रेस कौन लाकर दिया मुझे और तो और बिस्तर पर मुझसे जबरज्स्ती क्या क्या बुलवाया मुझसे

शालिनी बोलते बोल्ते सिस्कने लगी , वही जन्गी बुत बनकर खड़ा रहा शालिनी की बातों से उसे झकझोर दिया ।
हालकि उसने सोचा था कि उसकी इच्छा उसकी मनमर्जियां जो कुछ भी वो शालिनी पर लाद रहा था उसके अनुसार वो चारदिवारी मे छिप कर ही रहेगी ।
मगर औरत की तिरीया चरित्र को और उसके जजबातों को समझने जन्गी से चूक हो गयि ।
उसे अपनी गलती का पछतावा था मगर वो माफी किस मुह से मागता , सामने शालिनी सुबगती हुई राशन के समान अलग कर रही थी ।

वही गलियारे मे राहुल और अरून चुप्पी साधे हाल मे जन्गी और शालिनी की बाते सुनते हुए धिरे से बाहर सरक लिये ।


अरुण - भाई क्या बवाल हो रहा है ये सब
राहुल - पता नही भाई , शायद मम्मी आज दीदी का सूट पहन कर गयि थी इसीलिए पापा भड़के थे । लेकीन

अरुण - लेकिन क्या ?
राहुल - यार पापा तो कभी ऐसे नही रोकते टोकते मगर आज क्या हुआ जो ऐसे झगड पड़े । जरुर कोई दूसरी बात भी होगी ।
अरुन - भाई अब आगे क्या करे , मतलब मामी पर ट्राई करू या नही

राहुल - साले मरवायेगा क्या , देख नही रहा घर का माहौल
अरुन का चेहरा उतर गया ये सोच कर कि साला थोड़ी देर के लिए उसकी किस्मत हर बार के जैसे मेहरबान होती है और फिर गायब ।
अरुण ने मामी को पाने का सपना ये अच्छा ख्वाब समझ कर भुलने की कोसिस मे लगा रहा मगर दिल कहा सुनने वाला था ।
कभी कल नये सवेरे मे नयी आश के साथ मौका तलाशने की तलब होती तो कभी फिर से छुट्टियों मे चमनपुरा आकर पेलने की योजना बनाता फिरता । कभी रुबिना के मोटी गाड़ याद कर कल उसे ही पेलने की योजना करने लगता ।

खैर ऐसे ही समय उलझनो मे कट रहा था बिल्कुल अनुज के जैसे
अनुज का भी हाल कम खराब नही था , ख्यालो मे उसने राज और बुआ के कई चुदाई के किस्से गढ़ डाले । लन्ड की कसावट कम नही हो रही थी इतने मे रज्जो हाल मे आई ।

रज्जो - क्या हुआ लल्ला क्या सोच रहा है ।
अनुज रज्जो मौसी को देखा जो नाइटी मे उसके करीब आ कर बैठ गयी थी । उनके रसिले चुचो के उभार देख कर अनुज ने पैर फैला कर जोर की अंगडाई लेता हुआ मुस्कुरा कर रज्जो के उपर झोल गया ।
रज्जो - अरे अरे क्या कर रहा है हिहिहिही
अनुज उसके नरम नरम चुचो पर लदता हुआ - आह्ह मौसी कितना नरम है
रज्जो धिरे से फुसफुसाकर- क्यू तेरी बुआ की गाड़ नरम नही थी क्या ?
अनुज चौक कर रज्जो को मुस्कुराते देखा और उसके पसीने छुटने लगे
रज्जो मुस्कुरा कर - अरे डरता क्यू है , अगर तु उसके कपडे उतार के घुसा भी देता ना वो मना नही करती । एक नम्बर की छिनार है तेरी बुआ

अनुज लाज से मुस्कुरा कर - क्या मौसी तुम भी , ऐसा थोडी होता है वो तो बस मै नीद मे था और वो टच हो गया ।

रज्जो - हम्म बताया तेरी बुआ ने कैसे नीद मे तेरा खुन्टा चल रहा था हिहिहिही

अनुज - क्या बुआ ने बताया
रज्जो - अरे वो छिनार तो तेरी अम्मा को भी बता देती वो तो मैने रोका उसे

मा का जिक्र आते ही अनुज की सासे फुलने लगी उस्का कलेजा कापने लगा - फिर तो उनसे अब दुर रहूंगा मै, कही मम्मी को बता दिया तो बड़ी मार पड़ेगी

रज्जो हस्ती हुई - धत्त रे डरता क्यू है , वो कुछ नही कहेगी अब मौका मिले पीछे से घुसा देना हिहिहिही

अनुज - प्कका वो मम्मी से नही कहेगी कुछ
रज्जो - अरे मै हु ना कुछ हुआ तो
अनुज रज्जो को हग करता हुआ - वॉव मौसी कितनी प्यारी हो आप हिहिहिही लेकिन कब ट्राई करू अब

रज्जो - जब कभी मौका लगे हिह्हिही
तब तक हाल मे रंगी दाखिल हुआ और मौसी भतिजे की वार्ता एकदम से रुक गई ।
कुछ देर बाद सबका खाना पिना हुआ और सब अपने तय कमरे मे सोने के लिए निकल गये ।
निशा और अनुज के उपर जाते ही रंगी तीन गदराइ औरतो के साथ अपने कमरे मे चला गया ।

राज अपनी योजनानुसार आज रेस्ट का बहाना मारकर उपर निशा को सरप्राइज देने के लिए पहुच गया , मगर उसके अंदेशे के हिसाब से अनुज निशा के कमरे मे अपना काम शुरु कर चुका था ।
दरवाजा बन्द था अंदर से और अनुज की कामुक सिसकिया आ रही थी जिस्से साफ पता चल रहा था कि निशा ने उस्का लन्ड चुबलाना शुरु भी कर दिया था ।

अगले ही पल राज ने दरवाजे पर दस्तक दी और भीतर कमरे मे हड़बड़ हो गयी ।
अनुज झट से अपने कपडे पहन कर दरवाजे की ओट मे हो गया और निशा भी मुह साफ करती हुई दरवाजा खोला - अरे राज तु

राज कमरे मे दाखिल होता हुआ - आह्ह दीदी आज बड़ा मूड है कुछ करते है ना

निशा इशारे से कमरे मे अनुज के होने का बताती है तो राज उसको आंख मारकर बताता है कि उसे पता है और उसका इरादा क्या है ।
निशा की सासे चढने लगती है ।
राज - आह्ह दीदी आओ ना चुसो ना मेरा , कितना दिन हो गया आपके होठो से चुसवाये ऊहह देखो ना कैसे टाइट हो रहा है ऊहह

निशा - ऊहह राज कितना तप रहा है रे तेरा लन्ड उम्म्ंम उफ्फ्फ कितना मोटा हो रहा हौ

राज - आह्ह दीदी आप छुती हो तोह्ह उम्म्ंम लेलोना मुह उह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह सीई उम्म्ंम

वही कमरे का दरवाजा अभी भी खुला था और अनुज उसके पीछे छिपा हुआ था , जिसकी ये सोच कर फट रही थी ये लोग दरवाजा खोल कर खुलेआम लगे हुए है
उस्से बढ़ कर उसके लिये ये सरप्राइज था कि उसका राज भैया तो पहले से ही निशा को भी चोदता आ रहा है ।
अनुज का मुसल एकदम से फनफना गया

निशा मुह से लन्ड निकाल कर उसको सहलाती हुई - दरवाजा बन्द कर दू भाई , कोई आ जायेगा

राज - अरे अनुज बन्द कर देगा ना , भाई दरवाजा लगा दे ना

अनुज की फट के चार हो गयी कि राज को कैसे पता कि वो वहा है । अनुज चोरो के जैसे मुह लटकाये दरवाजे की ओट से बाहर आया और सामने का नजारा देख कर उसकी आंखे फैल गयी ।

सामने निशा निचे घुटने बल खडी होकर राज का मुसल चुस रही थी और राज उसके सर को सहलाता हुआ आन्खे उलट रहा था ।

अनुज ने दरवाजा लगाता हुआ - भैया मै भी आऊ
राज ने बड़े ही कैजुअल तरिके से लन्ड की चुसवाई का मजा लेते हुए सिस्कते हुए - आह्ह हा भाई आजा ना ऊहह

अनुज मुस्कुरा कर खिल उठा और झट से लोवर से मुसल निकाल कर निशा के आगे परोस दिया - दिदी दीदी मेरा भी अह्ह्ह उफ्फ्फ उम्म्ं

राज - क्यू भाई आजकल मुझसे छिपा कर करने लगा है तु उम्म्ं

अनुज सिस्कता हुआ निशा को लन्ड चुबलाता देख कर - अह्ह्ह भैया लेकिन आपसे छिपता कब ही है ओह्ह ना जाने कब आप निशा दीदी के बारे मे जान गये

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राज हसता हुआ - पगले मेरे कहने पर ही तो निशा दीदी ने तुझे और राहुल को हा कहा था हिहिही

अनुज ने हैरत से निशा की ओर देखा जो दोनो भाइयो का कड़ा लन्ड लेके सहला रही थी और मुस्कुरा रही थी
अनुज का लन्ड उस्की कातिल मुस्कुराह्ट से उसकी हथेली मे झटके खाने लगा



वही निचे कमरे मे गजब का रोमांच मचा हुआ था

शिला उसके उपर रज्जो और फिर सबसे उसपे रागिनी
सब एकदुसरे के उपर गाड़ खोल कर चढ़ी हुई थी ।
रंगी भी पुरा नंगा होकर रागिनी के चुतड़ फैलाकर उसके चुत के फाके चुबला रहे था

20240725-191901
रागिनी मादक सिस्किया ले रही थी- आह्ह मेरे राजाहा उह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम्ं

रज्जो - ऊहह जमाई राजा ऊहह क्या मस्त जीभ चला रहे हो अजज ऊहह माह्ह्ह सीईई उफ्फ्फ

रन्गी रागिनी के चुत से सरक कर रज्जो की मोटी मखमाली गाड़ फैलाकर उसके सुराख कुरेदने लगा

वही निचे दबी हुई शिला दोनो बहनो की सिस्किया सुन्कर अपनी चुत मसल रही थी

तभी रन्गी ने निचे झुक कर उसकी बुर मे भी अपनी थूथ रगड़ दी ।

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शिला मचल कर रह गयी और रन्गी ने एक सुर ने निचे से उपर तक सभी चुत और गाड़ के फाको मे जीभ लगा कर चाटता हुआ उपर से निचे होने लगा

तीनो गदाराई औरतें की मादक सिस्किया एक साथ उठने लगी और देखते ही देखते रन्गी ने निचे से शिला की गाड़ मे
लन्ड घुसेड़ दिया

दो गरदाई औरतो के भार के तले दबी हुई शिला की हालत और खराब होने लगी
रंगी के दोनो हाथ रागिनी और रज्जो की बुर सहला रहे थे और लन्ड शिला की कसी गाड़ मे घुसा हुआ था

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रन्गी - अह्ह्ह दीदी क्या मस्त गाड़ है उम्म्ंम जीजी (रज्जो) आपकी बुर कितनी गर्म हो गयी है अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

शिला - आह्ह भैयाह्ह्ह उफ्फ्फ बहुत टाइट जा रहा है ऐसे उह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं
रज्जो - ओह्ह जमाई बाबू उम्म्ंम्ं कबसे तो रस छोड़ रही है मेरी बुर दालो ना उह्ह्ह्ह ओह्ह्ह

रागिनी - हा मेरे घुसाओ ना , आप तो अपनी छिनार बहनिया मे ही अटके हो अह्ह्ह्ज सीई हम बहनो का भी ख्याल करो उह्ह्ह चोदो ना ऊहह

रंगी दोहरे जोश मे आ गया और थोडा खडा होकर सिधा रज्जो की गाड़ मे लन्ड घुसेड़ दिया - अह्ह्ह बहिनचोद उह्ह्ह कितना टाइट है जीजी उह्ह्ह उफ्फ्फ क्या मस्त गाड़ है तुम्हारि उह्ह्ह ये लोह्ह ऊहह

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रज्जो - ऊहहह आह्ह मेरे राजाह्ह ऐसे ही फाडो ऊहह और तेज उम्म्ं ऐसे हीईई

रन्गी रागिनी की जांघो को पक्ड कर सपोर्ट लेके हचर हचर रज्जो की गाड़ फ़ाड रहा था और उसकी उंगलिया रागिनी चुत फैला कर उसके दाने रगड़ रही थी जिस्से रागिनी की चुत बजबजा रही थी - अह्ह्ह सोनल के पापा उह्ह्ह हहह आ रहा है उह्ह्ह घुसाओ ना उम्म्ंम सीई चाहिय्र मुझे आह्ह

रन्गी उसके नंगे चुतड़ को नोचता थपेड मारता - क्या लेगी मेरी रान्ड बोल ना उह्ह्ह आह्ह

रज्जो की अलग सिसकी निकल रही थी और शिला जिस्से अब और दबाव भार सहा नही जा रहा था उसने अपनी गाड़ उचका कर बाकी को आगे बिस्तर पर धकेल दिया

रज्जो के उपर रागिनी पसर के आगे बढ़ गयी सब खिलखिलाने लगे और रन्गी ने भी आगे बढ़ सीधा रागिनी की गाड मे थुक लगा कर अपना मोटा लन्ड घुसेड़ दिया - उह्ह्ह मेरी जान लेह्ह्ह घुसा दिया ऊहह

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रान्गिनी की आंखे उलटने लगी रन्गी का मोटा लन्ड उसको गाड के निचे से अपनी बुर मे घिस्ता मह्सुस हो रहा था और उसकी बुर झड रही थी -आह्ह मेरे राजा ऐसे ही उह्ह्ह पागल कर दोगे आप तो उह्ह्ह माह्ह सीई अह्ह्ह पेलो मुझे अह्ह्ह अह ननद के सैयाह्ह उह्ह्ह

रन्गी हचर हचर रागिनी की कसी गाड़ मे चोद रहा था और शिला पीछे से उस्से लिपट निकल कर उसके गाड के निचे से आड़ो को छू सहला रही थी ।
शिला के गुदाज नरम जिस्म का स्पर्श पाकर रंगी के लण्ड का कडकपन और बढ़ गया जिससे रागिनी की चिखे और तेज होने लगी
रंगी ने छेद बदल कर रज्जो की चुत मे लन्ड लगा दिया और चोदने लगा
दोनो बहने मादक सिस्किया ले रही थी और शिला का स्पर्श रन्गी का पागल कर चुका था
वो चरम पर आ गया था

रंगी अब चिन्घाडने लगा - अह्ह्ह्ह जीजी आयेगा आओ सब ऊहहह जल्दी ऊहहह
रंगी ने रज्जो की बुर से लन्ड निकाला और हिलाने लगा

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तीनो औरते नंगी रंगी के कदमो मे जीभ निकाले मुह खोले बैठ गयी और रन्गी की पिचकारि छुट्टी बारि बारी से तिनो पर गयि ।

तिनो ने बड़े चाव से उसके लन्ड को साफ किया और देर3 तक चुबलाती रही
वही उपर के कमरे मे भी चीजे बदल चुकी थी

निशा के मुह मे राज का लन्ड गले मे फसा हुआ था और दूसरी ओर अनुज की जान्घे उठाए सटासट पूरे जोश मे उसकी चुत मे लन्ड डाले जा रहा था - अह्ह्ह दीदी कितनी सेक्सी हो तुम ऊहहह कितनी मस्त बुर है तुम्हारि है ना भैयाअह्ह्ह

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राज अपना लन्ड निशा के गले मे चोक करता है - आह्ह हा भाई ऊहहह साली का मुह भी मस्त ऊहह लेह्ह ना और लेह्ह्ह ऊहहह रगड़ रगड़ कितना मोटा कर दिया है तुने इस्का दूध उफ्फ्च देख कैसे हिल रहा है

अनुज निशा की हिलती चुचिया देख कर और कसकस कर चोदने लगा - आह्ह हा भैया अब देखो और हिल रहा है हिहिही कितना नरम और मोटा है अह्ह्ह दीदी निचोड लोगि क्या हहहहह

निशा - आह्ह साले आराम से चोद ना य्ह्ह बहन हु तेरी कोई रंडी नही अह्ह्ह बहिनचोद भाग थोड़ी ना रही

राज और अनुज निशा की बाते सुन हसने लगे और राज निशा के कंधे थपथपा कर उसको उठने का इशारा किया
अनुज भी पीछे बिस्तर का टेक लेकर फैल गया
निशा बिल्ल्लियो की तरह घुटने घसीटती हुई उसके करीब आई और उस्का मोटा तनमनाया मुसाल जो उसकी बुर की रसो से सना था उसको मुह मे भर ली जिसे देख कर अनुज को और भी जोश आने लगा
वही राज पीछे से उसकी चुत के मुहाने पर लन्ड टिका कर हच्च से भीतर उतार दिया -अह्ह्ह बहिनचोद आराम से ऊहहह उम्म्ं कितना मोटा है रे तेरा

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अनुज हस कर - मेरा या भैया का
निशा - तुम दोनो का आह्ह ऊहहह फ्क्क मीईई येस्श्ह आह्ह राज्ज्ज उम्म्ंम और घुसा आह्ह सीई

अनुज निशा के बाल सवार कर उसकी नरम नरम लटकी चूचिया सहला रहा था और निशा आगे झुक कर उसका लन्ड चुस रही थी ।राज के तेज करारे झटकों से बार बार उसकी मोटी गुदाज चुचियो के बीच अनुज के आड और लाड़ दोनो घुस जाते और अनुज को नशा सा छाने लगता

राज उसके चुतड़ मसलता हुआ - ऊहह दीदी उम्म्ंम कितनी मुलायम गाड़ है ऊहहह सीई ऊहहह

अनुज अब तक निचे सरक चुका था और निशा की चुचिया पकड़ कर निचे से लन्ड उसी मे पेलने लगा - अह भैया नरम तो दीदी की चुचिया है अह्ह्ह कितना मजा आ रहा है ऊहहह माह्ह सीई उफ्फ्फ दीदी कमाल हो तुम तो उफ्फ्फ

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निशा की सिसकिया और भी मादक होने लगी ।
राज निशा की गाड़ की सुराख मसल्ता हुआ - आह्ह दीदी तुम्हारी गाड़ का छेड़ कितना सेक्सी है उम्म्ंम मन कर रहा है घुसा दू उम्म्ंम साली को चोद चोद कर लाल कर दू ऊहहह

अनुज - घुसा दो भैया कल रात मैने घुसाया था बहुत टाइट था ऊहहह दिदीईई आह्ह उम्म्ं

राज - क्या तुने गाड़ भी मार ली
निशा अनुज आपस मे मुस्कुराने लगे

अनुज - आओ ना दीदी मेरे उपर

निशा आगे बढ गयी और राज लन्ड उसकी बजबजाई चुत से बाहर निकल गया और देखते ही देखते निशा ने अनुज के उपर आकर उस्का लन्ड अपनी बुर मे भर लिया


अनुज नीचे से सट सट कमर उठा कर उसकी बुर मे घुसाने लगा - आह्ह दीदी कितना खुल्ला कर दिया आपकी बुर को भैया ने उम्म्ं ऊहह मजा आ रहा है उम्म्ं,आओ ना भैया तुम भी ऊहहह

राज मुस्कुराया और अनुज का इशारा समझ गया

उसने पास रखी तेल की शिसी उठाई और निशा के गाड़ के दरारो मे ड्रॉप कराने लगा
जल्द ही तेल उसके सुराख से रिस कर उस्की चुत और अनुज के लन्ड पर जाने लगा

निशा गरदन फेर पर अपनी दरारो मे राज का लन्ड धंसता मह्सूस कर रही थी , उसकी सासे तेज रही थी ये उस्का पहला अनुभव था जब दो दो मुसल एक साथ उसकी बुर और गाड़ मे घुस रहे थे ।
राज ने पुरा सुपाडा चिकना कर उसको निशा के गाड़ मे मुहाने पर जोर दिया और प्कक की आवाज के साथ सुपाडा आधा अन्दर
सुपाड़े की मोटाई ने निशा के जिस्म को दर्द से अक्ड़ा दिया
अनुज भी कमर थामे रुका हुआ था निचे से
अगले ही पल राज ने जोर देते हुए सुपाड़े को थेला और लन्ड आधा अन्दर
निशा की आंखे बाहर को आने लगी , निचे से अनुज ने एक बार फिर कमर उछालने शुरु कर दिये

निशा के जिस्म की अकड़न और बढ़ गयी , जब राज ने अपनी कमर चलानी शुरु कर दी ।
कसा कड़ा मोटा लन्ड उसकी गाड़ के कसे छेद को भेदता हुआ हुआ जगह बनाने लगा - आअह्ह्ह दीदीइह्ह उम्म्ंम कितनाअह टाइट है उम्म्ंम्ं

अनुज -हा भैया मुझे भी फील हो रहा है अह्ह्ह
निशा - ऊहहह बहिनचोद आज फ़ाड दोगे क्या मेरी उम्म्ंम्ं मम्मीईई अह्ह्ह्ह सीईई ओह गॉड उम्म्ंम्ं फक्क्क

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राज झटके तेज करता ह्य - आह्ह दीदी कितनी रसिली गाड है आपकी उम्म्ंम्ं मन कर रहा है ऐसे ऐसे ऐसेह्ह्ह ऊहहह चोद चोद कर भर दू इसको ऊहहह

निशा राज के हचक लन्ड की चोट गाड़ की तलहटी तक मह्सूस कर रही थी वही निचे से अनुज का लन्ड उसकी चुत को अलग भेदे जा रहा है , इस दोहरे प्रहार से निशा की कमर से जांघ का हिस्सा बुरी तरह दर्द ने अक्ड़ा हुआ था ।
चुत बजबजा रही थी , राज के थ्पेडो से चुतड लाल हुए जा रहे थे - अह्ह्ह बहिनचोद कमिने तेरी मा चोदू साले अह्ह्ह्ह मार क्यू रहा है अह्ह्ह सीई ऐसेही पेल ना ऊहहह सीई

राज और अनुज खिलखिलाने लगे फिर राज ने उस्के कुल्हे जकड कर हुमुच हुमुच कर लण्ड उसकी गाड़ देने लगा ।
निशा के साथ साथ अनुज पर भी इस्का असर साफ साफ होने लगा
दोनो भाई जोश मे उपर निचे से एक लय मे कुल्हे झटकने लगे


निशा की चिखे तेज हो गयी, दोनो भाई भी पूरे जोश मे निशा की चिख को और तेज करते हुए करारे झटके लगाने लगे
दोनो के सुपाड़े पूरे फुल चुके थे और कभी भी फव्वारा फूट सकता था ।
राज झट से उठा और निशा भी उठ गयी
जीभ बाहर निकाले आग उगलगे दोनो सुपाडो के झड़ने की राह मे

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वही राज और अनुज अपना अपना मुसल हिला कर उसके मुह पर झाडने लगे ।

फिर थक कर चिपक कर सो गये
मगर नीचे कमरे मे अगले राउंड की तैयारियां चल रही थी ।

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रंगी बिस्तर पर टांग लटका कर लेटा हुआ था और उसके मोटे हुए लन्ड को रागिनी रज्जो और शिला मिल कर चुस चाट रही थी , एक दुसरे से लार साझा कर रही थी ।

इस आनन्द मे रंगी का मुसल और कड़क हुआ जा रहा था

जारी रहेगी
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है मुरारी सोच रहा है कि बेटे ने अभी तक सोनल के साथ कुछ नही किया लेकिन उसको पता नहीं है कि ये नई पीढ़ी है इनमे इतना सब्र कहा है अमन ने तो सोनल के साथ कई बार सुहागरात मना ली साथ ही दुलारी की भी चूदाई कर ली अब तो रिंकी की जवानी का रस चखने की फिराक में हैं रिंकी भी अमन से चुदने के लिए तैयार है
अनुज शीला और राज के बारे मे सोच रहा था तभी रज्जो मोसी ने उसकी शंका दूर कर शिला को चोदने को बोल दिया
राज और अनुज निशा की दमदार चूदाई कर रहे हैं अब राज अनुज का डर दूर कर रहा है उसे अपने जैसा बना रहा है
 
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अमन के घर

शाम ढल चुकी थी और रात के खाने की तैयारी हो रही थी , रिन्की ने आज अमन का मूड बना दिया था तो मौका पाकर पहले दुलारी और फिर सोनल दोनो को चोद कर अमन कमरे मे सो गया था ।

इधर मुरारी बाजार से आया तो उसने ममता से अमन के बारे मे पुछा ।
ममता - पता नही आज तो उसने शकल नही दिखाई मुझे भाई , ना जाने कहा खोया है ।

रिन्की - और कहा खोये रहेंगे हिहिही भाभी के अलावा हिहिही
ममता उसे डांट लगाती हुई - चुप कर तु , जा बुला कर ला उसे ।
अमन के पास जाने का सुनते ही रिन्की सरपट सीढियों से दौड़ पड़ी ।

मुरारी- अरे भाई मै फोन लगाता हु ना उसे
ममता हस कर - रहने दिजीये वो गयी हीहिहिही

मुरारी- अह संगीता जरा पानी देना
मगर किचन से कोई जवाब नही आया
मुरारी- संगीता कहा गयी ?
ममता इसपे मुस्कुराने लगी ।
मुरारी भौहे टाइट कर - क्या हुआ तुम हस क्यू रही हो ? बताओ कहा है वो ?

ममता - अरे जब मजनू यहा नही है तो लैला क्यू रुकेगी भला हिहिहिही
मुरारी- मतलब ?
ममता हस्ती हुई - अरे देवर जी और मेरी ननद रानी दोनो बाजार गये है समान लेने मैने भेजा है ।

मुरारी- कैसा समान ?
ममता - अरे भाई परसो बहू के मायके से लोग आयेंगे ना , तो कुछ समान लेने भेज दिया बाकी का कुछ कल आ जायेगा ।

मुरारी- ओह्ह
अगले ही पल हड़बडा कर - फिर किचन मे कौन बरतन बजा रहा है ?
ममता हस्ती हुई - अरे क्या हो गया है आपको वहा बहू और दुलारी है ।

मुरारी- बहू किचन मे अभी से ?
ममता - मै मना ही कर रही थी मगर उसे उपर कमरे मे बोरियत हो रही थी तो चली आई दुलारी के साथ हाथ बताने और बात करने ।

मुरारी- ओह्ह ऐसा ।
ममता - वैसे आप बाजार क्यू गये थे ।
मुरारी इसपे मुस्कुराने लगा - वो बस ऐसे ही टहलने का मूड हुआ और पान खाने का तो ।

ममता लपक कर जेब टटोलने लगी और वो चौकोर डिबिया हाथ मे आते ही उसका पारा एकदम से टाइट , चेहरा गुस्से से लाल क्योकि उसका शक सही लगा उसे ।

कुर्ते की जेब मे हाथ डाले हुए ही उसने गुस्से से मुरारी को घूरा- मुझे पता था कि आप यही लेने गये थे , आप नही छोड़ेंगे ना

मुरारी हस कर - अरे अमन की मा तुम हाहाहा जो समझ रही हो वो नही है हिहिही
ममता - ये सिगरेट का पैकेट नही है, मुझे बेवकुफ समझते है निकालू बाहर

मुरारी ने आस पास खाली जगह देखा और एक नजर किचन की ओर देखा और हा मे सर हिला कर - ह्म्म्ं देख लो
ममता ने धिरे से जेब से वो चौकोर पैकेट निकाला और उसे देखते ही उसके चेहरे पर गुस्से की लाली शर्म और लाज के मारे गुलाबी हो गयी ।
दोनो हाथो मे छिपाती हुई वो उस कन्डोम के पैकेट को निहारती हुई मुस्कुराते गालों के साथ मुरारी को देखा - आप पागल हो गये है क्या ? हमे इसकी क्या जरुरत है ?
मुरारी ने लपक कर उसके हाथ से वो पैकेट लिया और जेब मे डालता हुआ - ये हमारे लिये नही , अमन के लिए है ।

ममता आंखे बड़ी कर - क्या ? मगर क्यू , उनकी भी तो शादी हुई है ना ।

मुरारी- अरे भाई अभी दोनो जवान जोशिले है , कही बच्चा कर लिये तो , जवानी का मजा कहा ले पायेंगे ।

ममता लाज के मारे मे हसने लगी - धत्त क्या आप भी , आपको क्या लगता है अमन ने अभी तक किया नही होगा ?

मुरारी ने बड़े गुरुर और शान से ना मे सर हिलाया - अरे आज जाकर मैने उसे परमिशन दी है , वो आज करने वाला है ।

ममता मुरारी के बेवकुफी पर हसी आ रही थी मगर वो अपनी भावनाये छिपा कर - तभी मै सोचू ये बाप बेटे छिप छिप कर अकेले क्या बातें करते है ? तो आप अमन को सुहागरात की टिप्स देते फिरते हो उम्म्ं ।

मुरारी हस कर - क्या तुम भी ।
ममता - वैसे आपने क्या क्या बताया उसे , कैसे करना है क्या करना है हिहिहिही

मुरारी- अरे उसे सब पता है , मैने बस बताया कि कब करना है ।

ममता आंखे नचा कर - ओह्ह वैसे आपको अपना पता है कि कब कब आपको भी करना चाहिए उम्म्ं

मुरारी कुछ सोचता इससे पहले ममता खिलखिला कर उठने लगी ।
फिर मुरारी समझ कि ममता ने उसके मजे ले लिये । उसने भी सोचा आज की रात वो उसे कुछ यादगार पल जरुर देगा ।

वही उपर अमन के कमरे मे अलग ही कांड हो रहा था
अमन सोकर उठ चुका था और बाथरूम मे नहा बेफिकर होकर नहा रहा था इस बार से अंजान की बाजर बाथरूम के खुले दरवाजे से रिन्की उसे पूरी नंगी निहार रही है

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उसका मोटा मुसल सो कर उठने की वजह से बौराया अकड़ा हुआ तना था , जिसे देख कर रिन्की की बुर कुलबुलाने लगी ।
उसने अपनी कैफ्री उतार कर सिर्फ पैंटी और टीशर्ट मे आ गयी ।
दरवाजे की कड़ी वो पहले ही लगा चुकी थी , अमन के गोरे मोटे टोपे वाले लन्ड को देख कर उसकी बुर कुलबुला रही थी ।
जिसे देख कर वो अपनी नन्हे मुन्ने चुजे मसलने लगी
इधर अमन नहा कर तौलिये से अपना बदन पोछने लगा , अभी तक उसकी नजर दरवाजे के पास खड़ी रिन्की पर नही गयी थी ।

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रिन्की ने मस्ती मे लपक कर अमन के कन्धे से तौलिया खिंच लिया और खिलखिलाकर हसने लगी ।

अमन चौका और अगले ही पल उसने कमरे मे खिलखिलाती हुई रिन्की को देखा , जिसने निचे सिर्फ पैंटी पहन रखी थी ।
अमन उसकी ओर लपकने को हुआ तभी उसे याद आया कि अभी भी वो पुरा भीगा है , कमरे मे गन्दगी हुई तो सोनल सवाल जवाब करेगी ।
वही उसका मुसल भरपुर फुल चुका था , रिन्की उसको नंगे निहार कर हस रही थी - क्यू आओ आओ लेलो हिहिहिही

अमन हसता हुआ - अच्छा तो तुझे दुपहर का बदला लेना था

रिन्की हस्ती हुई उस्के खडे देख कर अपने होठ चबाते हुए खिखी कर लगी ।
अमन - चल हो गया तेरा , अब ला तौलिया नही तो मै सच मे आ जाऊंगा

रिन्की - तो आजाओ हीही
अमन देखा कि अब तक उसके जिस्म से काफी पानी निचुड चुका था और वो बाथरूम के बाहर पायदान पर पैर रगड़ता हुआ रिन्की की ओर लपका और उसको पीछे से दबोच लिया , इस दौरान छिना झपटी मे उसका कडक मोटा तनमनाया लन्ड रिन्की के चुतड़ मे घिसता चुभोता रहा

उसकी कलाई रिन्की के मुलायम उभरे नरम मौसमी जैसे चुचे पर रगड़ते घिसते रहे । रिन्की कभी सिस्कती तो कभी हस्ती

तभी अमन ने उसके घुमा कर पकड लिया और लेकर बिस्तर पर बैठ गया ।
रिन्की पर उल्टी होकर उसके गोद मे लटकी हुई थी और अमन उसके चिकने चुतड सहलाते हुए उसके गाड़ पर थपेड मार रहा था - फिर करेगी शैतानी बोल उम्म्ं

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रिन्की का पुरा जिस्म अमन के पन्जे की थ्पेड से थरथरा उठा , मगर उसके मन मे कामुक सी खुमारी उठने लगी , निप्प्ल तन गये और वो हसने लगी ।
उसकी खिलखिलाहट सुन कर अमन के उसके चुतड़ पर उंगलियाँ सहलाते हुए एक बार फिर थ्पेड चट्ट से बजाया ।

रिन्की - आह्ह भाइयाअझ उह्ह्ह्ह म्ममीईई लग रहा है ऊहु ।
अमन अभी भी उसके चेहरे पर हसी देख रहा था - बोल फिर करेगी शैतानी उम्म्ं ऐसे परेशान करेगी।

रिन्की खिलखिलाती हुई ना मे सर हिलाती हुई - नही करुँगी भैया हिहिही प्कका नही

अमन ने उसको छोड़ा और उसको खड़ा किया अभी वो हस रही थी - चल 20 बार कान पकड कर उठक बैठक कर

रिन्की - क्या ? पर क्यूँ?
अमन - वो मै नही जानता , आर्मी मे ऐसे ही फिजिकल पनिशमेन्ट दी जाती है ।

रिन्की भुनकने लगी तो अमन ने भौहे चढा कर उसे आंखे दिखाई तो रिन्की मुह बनाते हुए उसकी ओर पीठ कर ली ।

अब वो उसके सामने खडी थी , पैंटी ने उसकी गाड़ बहुत ही नरम और खिली खिली दिख रही थी जिसे देख कर अमन अपना लन्ड सहलाता हुआ थुक गटकता है ।

अमन - चल शुरु कर

रिन्की मुह बनाते हुए अपने कान पक्ड कर अमन के सामने उठक बैठक करने लगी , अमन का लन्ड अब और भी बौराने लगा ।

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सामने रिन्की की गाड़ उठक बैठक करने से बार बार उसके आगे फैल जाती जिस्से उसका लन्ड और झटके खाने लगता

निचे बैठते समय उसके नरम चुतड़ पैंटी के दायरे से बाहर आकर फैल जाते और फिर उपर उठते हुए पैंटी उसके चुतड के दरारो मे फस जाती जिसे देख कर अमन की हालत खराब होने लगी ।

देखते ही देखते रिन्की ने 20 बार उठक बैठक कर लिये - हो गया भैया और भी करू?

"ऐसे ऐसे करू " , रिन्की ने अपनी चुतड को बड़ी अदा के बाहर की ओर फेकती हुई उसको झटकते हुए उछाला जिसे देख कर अमन को हसी आई - धत्त चल जा अब यहा से ,

तभी उसका मोबाईल बजने लगा ।

मुरारी उसे फोन लगा रहा था ।
मोबाइल बजते ही रिन्की को ध्यान आया कि वो यहा क्यू है - अरे वो मामी ने आपको बुलाया है भैया , आजाओ जल्दी

अमन लपक कर उसके नंगे चुतड पर एक थ्पेड़ लगाता हुआ - अच्छा तो ये कब बताने वाली थी तु उम्म


रिन्की अपने चुतड़ सहलाती दर्द से सिस्कती हस्ती हुई - आह्ह भैया अब क्यू मारा , वो मै भूल गयी थी ना

अमन - रुक अभी बताता हु तुझे फिर कभी कुछ नही भुलेगी तु

इससे पहले अमन उसे पकडता अपनी कैफरि उठाई और बिना पहने ही दरवाजा खोलकर हस्ती हुई निकल गयी
अमन हस कर - अरे पागल कपडे पहन लेती , कोई देख लेगा
"हिहिही ये पूरी पागल है , लेकिन साली ने लन्ड खड़ा कर दिया उफ्फ्फ ",अमन अपना लन्ड ऐडज्स्ट करता हुआ बड़बडाया । फिर कपडे पहन कर निचे चला गया ।


राहुल के घर


राहुल और अरुण नदी की ओर घूम कर वापिस आ चुके थे
दुकान मे कोई नजर नही आ रहा था और गलियारे की ओर बढ़ने पर दोनो के कान खड़े हो गये ।
हाल मे शालिनी और जन्गी की बहस हो रही थी । रंगी के सम्झाने के बाद भी जन्गी की खुन्नस खतम नही हुई थी
वो शालिनी को बाज़ार के लिए फटकार रहा था और शालिनी भी उसको भरपूर जवाब दे रही थी
शालिनी - आपकी खातिर मैने क्या क्या नही किया , मै तो सीधी साधारण ही थी । आपकी फरमाईस पर ही मैने ये सूट तो कभी डिजाईनर कपडे पहने , मै तो कभी बजार खरीदने नही गयी ना ।

जन्गी को शालिनी की बात का झटका लगा मगर शालिनी रुकी नही - कभी ये चमकीली नाइटी तो कभी फैशन वाली ड्रेस कौन लाकर दिया मुझे और तो और बिस्तर पर मुझसे जबरज्स्ती क्या क्या बुलवाया मुझसे

शालिनी बोलते बोल्ते सिस्कने लगी , वही जन्गी बुत बनकर खड़ा रहा शालिनी की बातों से उसे झकझोर दिया ।
हालकि उसने सोचा था कि उसकी इच्छा उसकी मनमर्जियां जो कुछ भी वो शालिनी पर लाद रहा था उसके अनुसार वो चारदिवारी मे छिप कर ही रहेगी ।
मगर औरत की तिरीया चरित्र को और उसके जजबातों को समझने जन्गी से चूक हो गयि ।
उसे अपनी गलती का पछतावा था मगर वो माफी किस मुह से मागता , सामने शालिनी सुबगती हुई राशन के समान अलग कर रही थी ।

वही गलियारे मे राहुल और अरून चुप्पी साधे हाल मे जन्गी और शालिनी की बाते सुनते हुए धिरे से बाहर सरक लिये ।


अरुण - भाई क्या बवाल हो रहा है ये सब
राहुल - पता नही भाई , शायद मम्मी आज दीदी का सूट पहन कर गयि थी इसीलिए पापा भड़के थे । लेकीन

अरुण - लेकिन क्या ?
राहुल - यार पापा तो कभी ऐसे नही रोकते टोकते मगर आज क्या हुआ जो ऐसे झगड पड़े । जरुर कोई दूसरी बात भी होगी ।
अरुन - भाई अब आगे क्या करे , मतलब मामी पर ट्राई करू या नही

राहुल - साले मरवायेगा क्या , देख नही रहा घर का माहौल
अरुन का चेहरा उतर गया ये सोच कर कि साला थोड़ी देर के लिए उसकी किस्मत हर बार के जैसे मेहरबान होती है और फिर गायब ।
अरुण ने मामी को पाने का सपना ये अच्छा ख्वाब समझ कर भुलने की कोसिस मे लगा रहा मगर दिल कहा सुनने वाला था ।
कभी कल नये सवेरे मे नयी आश के साथ मौका तलाशने की तलब होती तो कभी फिर से छुट्टियों मे चमनपुरा आकर पेलने की योजना बनाता फिरता । कभी रुबिना के मोटी गाड़ याद कर कल उसे ही पेलने की योजना करने लगता ।

खैर ऐसे ही समय उलझनो मे कट रहा था बिल्कुल अनुज के जैसे
अनुज का भी हाल कम खराब नही था , ख्यालो मे उसने राज और बुआ के कई चुदाई के किस्से गढ़ डाले । लन्ड की कसावट कम नही हो रही थी इतने मे रज्जो हाल मे आई ।

रज्जो - क्या हुआ लल्ला क्या सोच रहा है ।
अनुज रज्जो मौसी को देखा जो नाइटी मे उसके करीब आ कर बैठ गयी थी । उनके रसिले चुचो के उभार देख कर अनुज ने पैर फैला कर जोर की अंगडाई लेता हुआ मुस्कुरा कर रज्जो के उपर झोल गया ।
रज्जो - अरे अरे क्या कर रहा है हिहिहिही
अनुज उसके नरम नरम चुचो पर लदता हुआ - आह्ह मौसी कितना नरम है
रज्जो धिरे से फुसफुसाकर- क्यू तेरी बुआ की गाड़ नरम नही थी क्या ?
अनुज चौक कर रज्जो को मुस्कुराते देखा और उसके पसीने छुटने लगे
रज्जो मुस्कुरा कर - अरे डरता क्यू है , अगर तु उसके कपडे उतार के घुसा भी देता ना वो मना नही करती । एक नम्बर की छिनार है तेरी बुआ

अनुज लाज से मुस्कुरा कर - क्या मौसी तुम भी , ऐसा थोडी होता है वो तो बस मै नीद मे था और वो टच हो गया ।

रज्जो - हम्म बताया तेरी बुआ ने कैसे नीद मे तेरा खुन्टा चल रहा था हिहिहिही

अनुज - क्या बुआ ने बताया
रज्जो - अरे वो छिनार तो तेरी अम्मा को भी बता देती वो तो मैने रोका उसे

मा का जिक्र आते ही अनुज की सासे फुलने लगी उस्का कलेजा कापने लगा - फिर तो उनसे अब दुर रहूंगा मै, कही मम्मी को बता दिया तो बड़ी मार पड़ेगी

रज्जो हस्ती हुई - धत्त रे डरता क्यू है , वो कुछ नही कहेगी अब मौका मिले पीछे से घुसा देना हिहिहिही

अनुज - प्कका वो मम्मी से नही कहेगी कुछ
रज्जो - अरे मै हु ना कुछ हुआ तो
अनुज रज्जो को हग करता हुआ - वॉव मौसी कितनी प्यारी हो आप हिहिहिही लेकिन कब ट्राई करू अब

रज्जो - जब कभी मौका लगे हिह्हिही
तब तक हाल मे रंगी दाखिल हुआ और मौसी भतिजे की वार्ता एकदम से रुक गई ।
कुछ देर बाद सबका खाना पिना हुआ और सब अपने तय कमरे मे सोने के लिए निकल गये ।
निशा और अनुज के उपर जाते ही रंगी तीन गदराइ औरतो के साथ अपने कमरे मे चला गया ।

राज अपनी योजनानुसार आज रेस्ट का बहाना मारकर उपर निशा को सरप्राइज देने के लिए पहुच गया , मगर उसके अंदेशे के हिसाब से अनुज निशा के कमरे मे अपना काम शुरु कर चुका था ।
दरवाजा बन्द था अंदर से और अनुज की कामुक सिसकिया आ रही थी जिस्से साफ पता चल रहा था कि निशा ने उस्का लन्ड चुबलाना शुरु भी कर दिया था ।

अगले ही पल राज ने दरवाजे पर दस्तक दी और भीतर कमरे मे हड़बड़ हो गयी ।
अनुज झट से अपने कपडे पहन कर दरवाजे की ओट मे हो गया और निशा भी मुह साफ करती हुई दरवाजा खोला - अरे राज तु

राज कमरे मे दाखिल होता हुआ - आह्ह दीदी आज बड़ा मूड है कुछ करते है ना

निशा इशारे से कमरे मे अनुज के होने का बताती है तो राज उसको आंख मारकर बताता है कि उसे पता है और उसका इरादा क्या है ।
निशा की सासे चढने लगती है ।
राज - आह्ह दीदी आओ ना चुसो ना मेरा , कितना दिन हो गया आपके होठो से चुसवाये ऊहह देखो ना कैसे टाइट हो रहा है ऊहह

निशा - ऊहह राज कितना तप रहा है रे तेरा लन्ड उम्म्ंम उफ्फ्फ कितना मोटा हो रहा हौ

राज - आह्ह दीदी आप छुती हो तोह्ह उम्म्ंम लेलोना मुह उह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह सीई उम्म्ंम

वही कमरे का दरवाजा अभी भी खुला था और अनुज उसके पीछे छिपा हुआ था , जिसकी ये सोच कर फट रही थी ये लोग दरवाजा खोल कर खुलेआम लगे हुए है
उस्से बढ़ कर उसके लिये ये सरप्राइज था कि उसका राज भैया तो पहले से ही निशा को भी चोदता आ रहा है ।
अनुज का मुसल एकदम से फनफना गया

निशा मुह से लन्ड निकाल कर उसको सहलाती हुई - दरवाजा बन्द कर दू भाई , कोई आ जायेगा

राज - अरे अनुज बन्द कर देगा ना , भाई दरवाजा लगा दे ना

अनुज की फट के चार हो गयी कि राज को कैसे पता कि वो वहा है । अनुज चोरो के जैसे मुह लटकाये दरवाजे की ओट से बाहर आया और सामने का नजारा देख कर उसकी आंखे फैल गयी ।

सामने निशा निचे घुटने बल खडी होकर राज का मुसल चुस रही थी और राज उसके सर को सहलाता हुआ आन्खे उलट रहा था ।

अनुज ने दरवाजा लगाता हुआ - भैया मै भी आऊ
राज ने बड़े ही कैजुअल तरिके से लन्ड की चुसवाई का मजा लेते हुए सिस्कते हुए - आह्ह हा भाई आजा ना ऊहह

अनुज मुस्कुरा कर खिल उठा और झट से लोवर से मुसल निकाल कर निशा के आगे परोस दिया - दिदी दीदी मेरा भी अह्ह्ह उफ्फ्फ उम्म्ं

राज - क्यू भाई आजकल मुझसे छिपा कर करने लगा है तु उम्म्ं

अनुज सिस्कता हुआ निशा को लन्ड चुबलाता देख कर - अह्ह्ह भैया लेकिन आपसे छिपता कब ही है ओह्ह ना जाने कब आप निशा दीदी के बारे मे जान गये

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राज हसता हुआ - पगले मेरे कहने पर ही तो निशा दीदी ने तुझे और राहुल को हा कहा था हिहिही

अनुज ने हैरत से निशा की ओर देखा जो दोनो भाइयो का कड़ा लन्ड लेके सहला रही थी और मुस्कुरा रही थी
अनुज का लन्ड उस्की कातिल मुस्कुराह्ट से उसकी हथेली मे झटके खाने लगा



वही निचे कमरे मे गजब का रोमांच मचा हुआ था

शिला उसके उपर रज्जो और फिर सबसे उसपे रागिनी
सब एकदुसरे के उपर गाड़ खोल कर चढ़ी हुई थी ।
रंगी भी पुरा नंगा होकर रागिनी के चुतड़ फैलाकर उसके चुत के फाके चुबला रहे था

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रागिनी मादक सिस्किया ले रही थी- आह्ह मेरे राजाहा उह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम्ं

रज्जो - ऊहह जमाई राजा ऊहह क्या मस्त जीभ चला रहे हो अजज ऊहह माह्ह्ह सीईई उफ्फ्फ

रन्गी रागिनी के चुत से सरक कर रज्जो की मोटी मखमाली गाड़ फैलाकर उसके सुराख कुरेदने लगा

वही निचे दबी हुई शिला दोनो बहनो की सिस्किया सुन्कर अपनी चुत मसल रही थी

तभी रन्गी ने निचे झुक कर उसकी बुर मे भी अपनी थूथ रगड़ दी ।

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शिला मचल कर रह गयी और रन्गी ने एक सुर ने निचे से उपर तक सभी चुत और गाड़ के फाको मे जीभ लगा कर चाटता हुआ उपर से निचे होने लगा

तीनो गदाराई औरतें की मादक सिस्किया एक साथ उठने लगी और देखते ही देखते रन्गी ने निचे से शिला की गाड़ मे
लन्ड घुसेड़ दिया

दो गरदाई औरतो के भार के तले दबी हुई शिला की हालत और खराब होने लगी
रंगी के दोनो हाथ रागिनी और रज्जो की बुर सहला रहे थे और लन्ड शिला की कसी गाड़ मे घुसा हुआ था

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रन्गी - अह्ह्ह दीदी क्या मस्त गाड़ है उम्म्ंम जीजी (रज्जो) आपकी बुर कितनी गर्म हो गयी है अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

शिला - आह्ह भैयाह्ह्ह उफ्फ्फ बहुत टाइट जा रहा है ऐसे उह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं
रज्जो - ओह्ह जमाई बाबू उम्म्ंम्ं कबसे तो रस छोड़ रही है मेरी बुर दालो ना उह्ह्ह्ह ओह्ह्ह

रागिनी - हा मेरे घुसाओ ना , आप तो अपनी छिनार बहनिया मे ही अटके हो अह्ह्ह्ज सीई हम बहनो का भी ख्याल करो उह्ह्ह चोदो ना ऊहह

रंगी दोहरे जोश मे आ गया और थोडा खडा होकर सिधा रज्जो की गाड़ मे लन्ड घुसेड़ दिया - अह्ह्ह बहिनचोद उह्ह्ह कितना टाइट है जीजी उह्ह्ह उफ्फ्फ क्या मस्त गाड़ है तुम्हारि उह्ह्ह ये लोह्ह ऊहह

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रज्जो - ऊहहह आह्ह मेरे राजाह्ह ऐसे ही फाडो ऊहह और तेज उम्म्ं ऐसे हीईई

रन्गी रागिनी की जांघो को पक्ड कर सपोर्ट लेके हचर हचर रज्जो की गाड़ फ़ाड रहा था और उसकी उंगलिया रागिनी चुत फैला कर उसके दाने रगड़ रही थी जिस्से रागिनी की चुत बजबजा रही थी - अह्ह्ह सोनल के पापा उह्ह्ह हहह आ रहा है उह्ह्ह घुसाओ ना उम्म्ंम सीई चाहिय्र मुझे आह्ह

रन्गी उसके नंगे चुतड़ को नोचता थपेड मारता - क्या लेगी मेरी रान्ड बोल ना उह्ह्ह आह्ह

रज्जो की अलग सिसकी निकल रही थी और शिला जिस्से अब और दबाव भार सहा नही जा रहा था उसने अपनी गाड़ उचका कर बाकी को आगे बिस्तर पर धकेल दिया

रज्जो के उपर रागिनी पसर के आगे बढ़ गयी सब खिलखिलाने लगे और रन्गी ने भी आगे बढ़ सीधा रागिनी की गाड मे थुक लगा कर अपना मोटा लन्ड घुसेड़ दिया - उह्ह्ह मेरी जान लेह्ह्ह घुसा दिया ऊहह

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रान्गिनी की आंखे उलटने लगी रन्गी का मोटा लन्ड उसको गाड के निचे से अपनी बुर मे घिस्ता मह्सुस हो रहा था और उसकी बुर झड रही थी -आह्ह मेरे राजा ऐसे ही उह्ह्ह पागल कर दोगे आप तो उह्ह्ह माह्ह सीई अह्ह्ह पेलो मुझे अह्ह्ह अह ननद के सैयाह्ह उह्ह्ह

रन्गी हचर हचर रागिनी की कसी गाड़ मे चोद रहा था और शिला पीछे से उस्से लिपट निकल कर उसके गाड के निचे से आड़ो को छू सहला रही थी ।
शिला के गुदाज नरम जिस्म का स्पर्श पाकर रंगी के लण्ड का कडकपन और बढ़ गया जिससे रागिनी की चिखे और तेज होने लगी
रंगी ने छेद बदल कर रज्जो की चुत मे लन्ड लगा दिया और चोदने लगा
दोनो बहने मादक सिस्किया ले रही थी और शिला का स्पर्श रन्गी का पागल कर चुका था
वो चरम पर आ गया था

रंगी अब चिन्घाडने लगा - अह्ह्ह्ह जीजी आयेगा आओ सब ऊहहह जल्दी ऊहहह
रंगी ने रज्जो की बुर से लन्ड निकाला और हिलाने लगा

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तीनो औरते नंगी रंगी के कदमो मे जीभ निकाले मुह खोले बैठ गयी और रन्गी की पिचकारि छुट्टी बारि बारी से तिनो पर गयि ।

तिनो ने बड़े चाव से उसके लन्ड को साफ किया और देर3 तक चुबलाती रही
वही उपर के कमरे मे भी चीजे बदल चुकी थी

निशा के मुह मे राज का लन्ड गले मे फसा हुआ था और दूसरी ओर अनुज की जान्घे उठाए सटासट पूरे जोश मे उसकी चुत मे लन्ड डाले जा रहा था - अह्ह्ह दीदी कितनी सेक्सी हो तुम ऊहहह कितनी मस्त बुर है तुम्हारि है ना भैयाअह्ह्ह

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राज अपना लन्ड निशा के गले मे चोक करता है - आह्ह हा भाई ऊहहह साली का मुह भी मस्त ऊहह लेह्ह ना और लेह्ह्ह ऊहहह रगड़ रगड़ कितना मोटा कर दिया है तुने इस्का दूध उफ्फ्च देख कैसे हिल रहा है

अनुज निशा की हिलती चुचिया देख कर और कसकस कर चोदने लगा - आह्ह हा भैया अब देखो और हिल रहा है हिहिही कितना नरम और मोटा है अह्ह्ह दीदी निचोड लोगि क्या हहहहह

निशा - आह्ह साले आराम से चोद ना य्ह्ह बहन हु तेरी कोई रंडी नही अह्ह्ह बहिनचोद भाग थोड़ी ना रही

राज और अनुज निशा की बाते सुन हसने लगे और राज निशा के कंधे थपथपा कर उसको उठने का इशारा किया
अनुज भी पीछे बिस्तर का टेक लेकर फैल गया
निशा बिल्ल्लियो की तरह घुटने घसीटती हुई उसके करीब आई और उस्का मोटा तनमनाया मुसाल जो उसकी बुर की रसो से सना था उसको मुह मे भर ली जिसे देख कर अनुज को और भी जोश आने लगा
वही राज पीछे से उसकी चुत के मुहाने पर लन्ड टिका कर हच्च से भीतर उतार दिया -अह्ह्ह बहिनचोद आराम से ऊहहह उम्म्ं कितना मोटा है रे तेरा

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अनुज हस कर - मेरा या भैया का
निशा - तुम दोनो का आह्ह ऊहहह फ्क्क मीईई येस्श्ह आह्ह राज्ज्ज उम्म्ंम और घुसा आह्ह सीई

अनुज निशा के बाल सवार कर उसकी नरम नरम लटकी चूचिया सहला रहा था और निशा आगे झुक कर उसका लन्ड चुस रही थी ।राज के तेज करारे झटकों से बार बार उसकी मोटी गुदाज चुचियो के बीच अनुज के आड और लाड़ दोनो घुस जाते और अनुज को नशा सा छाने लगता

राज उसके चुतड़ मसलता हुआ - ऊहह दीदी उम्म्ंम कितनी मुलायम गाड़ है ऊहहह सीई ऊहहह

अनुज अब तक निचे सरक चुका था और निशा की चुचिया पकड़ कर निचे से लन्ड उसी मे पेलने लगा - अह भैया नरम तो दीदी की चुचिया है अह्ह्ह कितना मजा आ रहा है ऊहहह माह्ह सीई उफ्फ्फ दीदी कमाल हो तुम तो उफ्फ्फ

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निशा की सिसकिया और भी मादक होने लगी ।
राज निशा की गाड़ की सुराख मसल्ता हुआ - आह्ह दीदी तुम्हारी गाड़ का छेड़ कितना सेक्सी है उम्म्ंम मन कर रहा है घुसा दू उम्म्ंम साली को चोद चोद कर लाल कर दू ऊहहह

अनुज - घुसा दो भैया कल रात मैने घुसाया था बहुत टाइट था ऊहहह दिदीईई आह्ह उम्म्ं

राज - क्या तुने गाड़ भी मार ली
निशा अनुज आपस मे मुस्कुराने लगे

अनुज - आओ ना दीदी मेरे उपर

निशा आगे बढ गयी और राज लन्ड उसकी बजबजाई चुत से बाहर निकल गया और देखते ही देखते निशा ने अनुज के उपर आकर उस्का लन्ड अपनी बुर मे भर लिया


अनुज नीचे से सट सट कमर उठा कर उसकी बुर मे घुसाने लगा - आह्ह दीदी कितना खुल्ला कर दिया आपकी बुर को भैया ने उम्म्ं ऊहह मजा आ रहा है उम्म्ं,आओ ना भैया तुम भी ऊहहह

राज मुस्कुराया और अनुज का इशारा समझ गया

उसने पास रखी तेल की शिसी उठाई और निशा के गाड़ के दरारो मे ड्रॉप कराने लगा
जल्द ही तेल उसके सुराख से रिस कर उस्की चुत और अनुज के लन्ड पर जाने लगा

निशा गरदन फेर पर अपनी दरारो मे राज का लन्ड धंसता मह्सूस कर रही थी , उसकी सासे तेज रही थी ये उस्का पहला अनुभव था जब दो दो मुसल एक साथ उसकी बुर और गाड़ मे घुस रहे थे ।
राज ने पुरा सुपाडा चिकना कर उसको निशा के गाड़ मे मुहाने पर जोर दिया और प्कक की आवाज के साथ सुपाडा आधा अन्दर
सुपाड़े की मोटाई ने निशा के जिस्म को दर्द से अक्ड़ा दिया
अनुज भी कमर थामे रुका हुआ था निचे से
अगले ही पल राज ने जोर देते हुए सुपाड़े को थेला और लन्ड आधा अन्दर
निशा की आंखे बाहर को आने लगी , निचे से अनुज ने एक बार फिर कमर उछालने शुरु कर दिये

निशा के जिस्म की अकड़न और बढ़ गयी , जब राज ने अपनी कमर चलानी शुरु कर दी ।
कसा कड़ा मोटा लन्ड उसकी गाड़ के कसे छेद को भेदता हुआ हुआ जगह बनाने लगा - आअह्ह्ह दीदीइह्ह उम्म्ंम कितनाअह टाइट है उम्म्ंम्ं

अनुज -हा भैया मुझे भी फील हो रहा है अह्ह्ह
निशा - ऊहहह बहिनचोद आज फ़ाड दोगे क्या मेरी उम्म्ंम्ं मम्मीईई अह्ह्ह्ह सीईई ओह गॉड उम्म्ंम्ं फक्क्क

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राज झटके तेज करता ह्य - आह्ह दीदी कितनी रसिली गाड है आपकी उम्म्ंम्ं मन कर रहा है ऐसे ऐसे ऐसेह्ह्ह ऊहहह चोद चोद कर भर दू इसको ऊहहह

निशा राज के हचक लन्ड की चोट गाड़ की तलहटी तक मह्सूस कर रही थी वही निचे से अनुज का लन्ड उसकी चुत को अलग भेदे जा रहा है , इस दोहरे प्रहार से निशा की कमर से जांघ का हिस्सा बुरी तरह दर्द ने अक्ड़ा हुआ था ।
चुत बजबजा रही थी , राज के थ्पेडो से चुतड लाल हुए जा रहे थे - अह्ह्ह बहिनचोद कमिने तेरी मा चोदू साले अह्ह्ह्ह मार क्यू रहा है अह्ह्ह सीई ऐसेही पेल ना ऊहहह सीई

राज और अनुज खिलखिलाने लगे फिर राज ने उस्के कुल्हे जकड कर हुमुच हुमुच कर लण्ड उसकी गाड़ देने लगा ।
निशा के साथ साथ अनुज पर भी इस्का असर साफ साफ होने लगा
दोनो भाई जोश मे उपर निचे से एक लय मे कुल्हे झटकने लगे


निशा की चिखे तेज हो गयी, दोनो भाई भी पूरे जोश मे निशा की चिख को और तेज करते हुए करारे झटके लगाने लगे
दोनो के सुपाड़े पूरे फुल चुके थे और कभी भी फव्वारा फूट सकता था ।
राज झट से उठा और निशा भी उठ गयी
जीभ बाहर निकाले आग उगलगे दोनो सुपाडो के झड़ने की राह मे

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वही राज और अनुज अपना अपना मुसल हिला कर उसके मुह पर झाडने लगे ।

फिर थक कर चिपक कर सो गये
मगर नीचे कमरे मे अगले राउंड की तैयारियां चल रही थी ।

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रंगी बिस्तर पर टांग लटका कर लेटा हुआ था और उसके मोटे हुए लन्ड को रागिनी रज्जो और शिला मिल कर चुस चाट रही थी , एक दुसरे से लार साझा कर रही थी ।

इस आनन्द मे रंगी का मुसल और कड़क हुआ जा रहा था

जारी रहेगी
Hot erotic mind-blowing super amazing update
 

Rony 1

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UPDATE 213

अमन के घर

शाम ढल चुकी थी और रात के खाने की तैयारी हो रही थी , रिन्की ने आज अमन का मूड बना दिया था तो मौका पाकर पहले दुलारी और फिर सोनल दोनो को चोद कर अमन कमरे मे सो गया था ।

इधर मुरारी बाजार से आया तो उसने ममता से अमन के बारे मे पुछा ।
ममता - पता नही आज तो उसने शकल नही दिखाई मुझे भाई , ना जाने कहा खोया है ।

रिन्की - और कहा खोये रहेंगे हिहिही भाभी के अलावा हिहिही
ममता उसे डांट लगाती हुई - चुप कर तु , जा बुला कर ला उसे ।
अमन के पास जाने का सुनते ही रिन्की सरपट सीढियों से दौड़ पड़ी ।

मुरारी- अरे भाई मै फोन लगाता हु ना उसे
ममता हस कर - रहने दिजीये वो गयी हीहिहिही

मुरारी- अह संगीता जरा पानी देना
मगर किचन से कोई जवाब नही आया
मुरारी- संगीता कहा गयी ?
ममता इसपे मुस्कुराने लगी ।
मुरारी भौहे टाइट कर - क्या हुआ तुम हस क्यू रही हो ? बताओ कहा है वो ?

ममता - अरे जब मजनू यहा नही है तो लैला क्यू रुकेगी भला हिहिहिही
मुरारी- मतलब ?
ममता हस्ती हुई - अरे देवर जी और मेरी ननद रानी दोनो बाजार गये है समान लेने मैने भेजा है ।

मुरारी- कैसा समान ?
ममता - अरे भाई परसो बहू के मायके से लोग आयेंगे ना , तो कुछ समान लेने भेज दिया बाकी का कुछ कल आ जायेगा ।

मुरारी- ओह्ह
अगले ही पल हड़बडा कर - फिर किचन मे कौन बरतन बजा रहा है ?
ममता हस्ती हुई - अरे क्या हो गया है आपको वहा बहू और दुलारी है ।

मुरारी- बहू किचन मे अभी से ?
ममता - मै मना ही कर रही थी मगर उसे उपर कमरे मे बोरियत हो रही थी तो चली आई दुलारी के साथ हाथ बताने और बात करने ।

मुरारी- ओह्ह ऐसा ।
ममता - वैसे आप बाजार क्यू गये थे ।
मुरारी इसपे मुस्कुराने लगा - वो बस ऐसे ही टहलने का मूड हुआ और पान खाने का तो ।

ममता लपक कर जेब टटोलने लगी और वो चौकोर डिबिया हाथ मे आते ही उसका पारा एकदम से टाइट , चेहरा गुस्से से लाल क्योकि उसका शक सही लगा उसे ।

कुर्ते की जेब मे हाथ डाले हुए ही उसने गुस्से से मुरारी को घूरा- मुझे पता था कि आप यही लेने गये थे , आप नही छोड़ेंगे ना

मुरारी हस कर - अरे अमन की मा तुम हाहाहा जो समझ रही हो वो नही है हिहिही
ममता - ये सिगरेट का पैकेट नही है, मुझे बेवकुफ समझते है निकालू बाहर

मुरारी ने आस पास खाली जगह देखा और एक नजर किचन की ओर देखा और हा मे सर हिला कर - ह्म्म्ं देख लो
ममता ने धिरे से जेब से वो चौकोर पैकेट निकाला और उसे देखते ही उसके चेहरे पर गुस्से की लाली शर्म और लाज के मारे गुलाबी हो गयी ।
दोनो हाथो मे छिपाती हुई वो उस कन्डोम के पैकेट को निहारती हुई मुस्कुराते गालों के साथ मुरारी को देखा - आप पागल हो गये है क्या ? हमे इसकी क्या जरुरत है ?
मुरारी ने लपक कर उसके हाथ से वो पैकेट लिया और जेब मे डालता हुआ - ये हमारे लिये नही , अमन के लिए है ।

ममता आंखे बड़ी कर - क्या ? मगर क्यू , उनकी भी तो शादी हुई है ना ।

मुरारी- अरे भाई अभी दोनो जवान जोशिले है , कही बच्चा कर लिये तो , जवानी का मजा कहा ले पायेंगे ।

ममता लाज के मारे मे हसने लगी - धत्त क्या आप भी , आपको क्या लगता है अमन ने अभी तक किया नही होगा ?

मुरारी ने बड़े गुरुर और शान से ना मे सर हिलाया - अरे आज जाकर मैने उसे परमिशन दी है , वो आज करने वाला है ।

ममता मुरारी के बेवकुफी पर हसी आ रही थी मगर वो अपनी भावनाये छिपा कर - तभी मै सोचू ये बाप बेटे छिप छिप कर अकेले क्या बातें करते है ? तो आप अमन को सुहागरात की टिप्स देते फिरते हो उम्म्ं ।

मुरारी हस कर - क्या तुम भी ।
ममता - वैसे आपने क्या क्या बताया उसे , कैसे करना है क्या करना है हिहिहिही

मुरारी- अरे उसे सब पता है , मैने बस बताया कि कब करना है ।

ममता आंखे नचा कर - ओह्ह वैसे आपको अपना पता है कि कब कब आपको भी करना चाहिए उम्म्ं

मुरारी कुछ सोचता इससे पहले ममता खिलखिला कर उठने लगी ।
फिर मुरारी समझ कि ममता ने उसके मजे ले लिये । उसने भी सोचा आज की रात वो उसे कुछ यादगार पल जरुर देगा ।

वही उपर अमन के कमरे मे अलग ही कांड हो रहा था
अमन सोकर उठ चुका था और बाथरूम मे नहा बेफिकर होकर नहा रहा था इस बार से अंजान की बाजर बाथरूम के खुले दरवाजे से रिन्की उसे पूरी नंगी निहार रही है

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उसका मोटा मुसल सो कर उठने की वजह से बौराया अकड़ा हुआ तना था , जिसे देख कर रिन्की की बुर कुलबुलाने लगी ।
उसने अपनी कैफ्री उतार कर सिर्फ पैंटी और टीशर्ट मे आ गयी ।
दरवाजे की कड़ी वो पहले ही लगा चुकी थी , अमन के गोरे मोटे टोपे वाले लन्ड को देख कर उसकी बुर कुलबुला रही थी ।
जिसे देख कर वो अपनी नन्हे मुन्ने चुजे मसलने लगी
इधर अमन नहा कर तौलिये से अपना बदन पोछने लगा , अभी तक उसकी नजर दरवाजे के पास खड़ी रिन्की पर नही गयी थी ।

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रिन्की ने मस्ती मे लपक कर अमन के कन्धे से तौलिया खिंच लिया और खिलखिलाकर हसने लगी ।

अमन चौका और अगले ही पल उसने कमरे मे खिलखिलाती हुई रिन्की को देखा , जिसने निचे सिर्फ पैंटी पहन रखी थी ।
अमन उसकी ओर लपकने को हुआ तभी उसे याद आया कि अभी भी वो पुरा भीगा है , कमरे मे गन्दगी हुई तो सोनल सवाल जवाब करेगी ।
वही उसका मुसल भरपुर फुल चुका था , रिन्की उसको नंगे निहार कर हस रही थी - क्यू आओ आओ लेलो हिहिहिही

अमन हसता हुआ - अच्छा तो तुझे दुपहर का बदला लेना था

रिन्की हस्ती हुई उस्के खडे देख कर अपने होठ चबाते हुए खिखी कर लगी ।
अमन - चल हो गया तेरा , अब ला तौलिया नही तो मै सच मे आ जाऊंगा

रिन्की - तो आजाओ हीही
अमन देखा कि अब तक उसके जिस्म से काफी पानी निचुड चुका था और वो बाथरूम के बाहर पायदान पर पैर रगड़ता हुआ रिन्की की ओर लपका और उसको पीछे से दबोच लिया , इस दौरान छिना झपटी मे उसका कडक मोटा तनमनाया लन्ड रिन्की के चुतड़ मे घिसता चुभोता रहा

उसकी कलाई रिन्की के मुलायम उभरे नरम मौसमी जैसे चुचे पर रगड़ते घिसते रहे । रिन्की कभी सिस्कती तो कभी हस्ती

तभी अमन ने उसके घुमा कर पकड लिया और लेकर बिस्तर पर बैठ गया ।
रिन्की पर उल्टी होकर उसके गोद मे लटकी हुई थी और अमन उसके चिकने चुतड सहलाते हुए उसके गाड़ पर थपेड मार रहा था - फिर करेगी शैतानी बोल उम्म्ं

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रिन्की का पुरा जिस्म अमन के पन्जे की थ्पेड से थरथरा उठा , मगर उसके मन मे कामुक सी खुमारी उठने लगी , निप्प्ल तन गये और वो हसने लगी ।
उसकी खिलखिलाहट सुन कर अमन के उसके चुतड़ पर उंगलियाँ सहलाते हुए एक बार फिर थ्पेड चट्ट से बजाया ।

रिन्की - आह्ह भाइयाअझ उह्ह्ह्ह म्ममीईई लग रहा है ऊहु ।
अमन अभी भी उसके चेहरे पर हसी देख रहा था - बोल फिर करेगी शैतानी उम्म्ं ऐसे परेशान करेगी।

रिन्की खिलखिलाती हुई ना मे सर हिलाती हुई - नही करुँगी भैया हिहिही प्कका नही

अमन ने उसको छोड़ा और उसको खड़ा किया अभी वो हस रही थी - चल 20 बार कान पकड कर उठक बैठक कर

रिन्की - क्या ? पर क्यूँ?
अमन - वो मै नही जानता , आर्मी मे ऐसे ही फिजिकल पनिशमेन्ट दी जाती है ।

रिन्की भुनकने लगी तो अमन ने भौहे चढा कर उसे आंखे दिखाई तो रिन्की मुह बनाते हुए उसकी ओर पीठ कर ली ।

अब वो उसके सामने खडी थी , पैंटी ने उसकी गाड़ बहुत ही नरम और खिली खिली दिख रही थी जिसे देख कर अमन अपना लन्ड सहलाता हुआ थुक गटकता है ।

अमन - चल शुरु कर

रिन्की मुह बनाते हुए अपने कान पक्ड कर अमन के सामने उठक बैठक करने लगी , अमन का लन्ड अब और भी बौराने लगा ।

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सामने रिन्की की गाड़ उठक बैठक करने से बार बार उसके आगे फैल जाती जिस्से उसका लन्ड और झटके खाने लगता

निचे बैठते समय उसके नरम चुतड़ पैंटी के दायरे से बाहर आकर फैल जाते और फिर उपर उठते हुए पैंटी उसके चुतड के दरारो मे फस जाती जिसे देख कर अमन की हालत खराब होने लगी ।

देखते ही देखते रिन्की ने 20 बार उठक बैठक कर लिये - हो गया भैया और भी करू?

"ऐसे ऐसे करू " , रिन्की ने अपनी चुतड को बड़ी अदा के बाहर की ओर फेकती हुई उसको झटकते हुए उछाला जिसे देख कर अमन को हसी आई - धत्त चल जा अब यहा से ,

तभी उसका मोबाईल बजने लगा ।

मुरारी उसे फोन लगा रहा था ।
मोबाइल बजते ही रिन्की को ध्यान आया कि वो यहा क्यू है - अरे वो मामी ने आपको बुलाया है भैया , आजाओ जल्दी

अमन लपक कर उसके नंगे चुतड पर एक थ्पेड़ लगाता हुआ - अच्छा तो ये कब बताने वाली थी तु उम्म


रिन्की अपने चुतड़ सहलाती दर्द से सिस्कती हस्ती हुई - आह्ह भैया अब क्यू मारा , वो मै भूल गयी थी ना

अमन - रुक अभी बताता हु तुझे फिर कभी कुछ नही भुलेगी तु

इससे पहले अमन उसे पकडता अपनी कैफरि उठाई और बिना पहने ही दरवाजा खोलकर हस्ती हुई निकल गयी
अमन हस कर - अरे पागल कपडे पहन लेती , कोई देख लेगा
"हिहिही ये पूरी पागल है , लेकिन साली ने लन्ड खड़ा कर दिया उफ्फ्फ ",अमन अपना लन्ड ऐडज्स्ट करता हुआ बड़बडाया । फिर कपडे पहन कर निचे चला गया ।


राहुल के घर


राहुल और अरुण नदी की ओर घूम कर वापिस आ चुके थे
दुकान मे कोई नजर नही आ रहा था और गलियारे की ओर बढ़ने पर दोनो के कान खड़े हो गये ।
हाल मे शालिनी और जन्गी की बहस हो रही थी । रंगी के सम्झाने के बाद भी जन्गी की खुन्नस खतम नही हुई थी
वो शालिनी को बाज़ार के लिए फटकार रहा था और शालिनी भी उसको भरपूर जवाब दे रही थी
शालिनी - आपकी खातिर मैने क्या क्या नही किया , मै तो सीधी साधारण ही थी । आपकी फरमाईस पर ही मैने ये सूट तो कभी डिजाईनर कपडे पहने , मै तो कभी बजार खरीदने नही गयी ना ।

जन्गी को शालिनी की बात का झटका लगा मगर शालिनी रुकी नही - कभी ये चमकीली नाइटी तो कभी फैशन वाली ड्रेस कौन लाकर दिया मुझे और तो और बिस्तर पर मुझसे जबरज्स्ती क्या क्या बुलवाया मुझसे

शालिनी बोलते बोल्ते सिस्कने लगी , वही जन्गी बुत बनकर खड़ा रहा शालिनी की बातों से उसे झकझोर दिया ।
हालकि उसने सोचा था कि उसकी इच्छा उसकी मनमर्जियां जो कुछ भी वो शालिनी पर लाद रहा था उसके अनुसार वो चारदिवारी मे छिप कर ही रहेगी ।
मगर औरत की तिरीया चरित्र को और उसके जजबातों को समझने जन्गी से चूक हो गयि ।
उसे अपनी गलती का पछतावा था मगर वो माफी किस मुह से मागता , सामने शालिनी सुबगती हुई राशन के समान अलग कर रही थी ।

वही गलियारे मे राहुल और अरून चुप्पी साधे हाल मे जन्गी और शालिनी की बाते सुनते हुए धिरे से बाहर सरक लिये ।


अरुण - भाई क्या बवाल हो रहा है ये सब
राहुल - पता नही भाई , शायद मम्मी आज दीदी का सूट पहन कर गयि थी इसीलिए पापा भड़के थे । लेकीन

अरुण - लेकिन क्या ?
राहुल - यार पापा तो कभी ऐसे नही रोकते टोकते मगर आज क्या हुआ जो ऐसे झगड पड़े । जरुर कोई दूसरी बात भी होगी ।
अरुन - भाई अब आगे क्या करे , मतलब मामी पर ट्राई करू या नही

राहुल - साले मरवायेगा क्या , देख नही रहा घर का माहौल
अरुन का चेहरा उतर गया ये सोच कर कि साला थोड़ी देर के लिए उसकी किस्मत हर बार के जैसे मेहरबान होती है और फिर गायब ।
अरुण ने मामी को पाने का सपना ये अच्छा ख्वाब समझ कर भुलने की कोसिस मे लगा रहा मगर दिल कहा सुनने वाला था ।
कभी कल नये सवेरे मे नयी आश के साथ मौका तलाशने की तलब होती तो कभी फिर से छुट्टियों मे चमनपुरा आकर पेलने की योजना बनाता फिरता । कभी रुबिना के मोटी गाड़ याद कर कल उसे ही पेलने की योजना करने लगता ।

खैर ऐसे ही समय उलझनो मे कट रहा था बिल्कुल अनुज के जैसे
अनुज का भी हाल कम खराब नही था , ख्यालो मे उसने राज और बुआ के कई चुदाई के किस्से गढ़ डाले । लन्ड की कसावट कम नही हो रही थी इतने मे रज्जो हाल मे आई ।

रज्जो - क्या हुआ लल्ला क्या सोच रहा है ।
अनुज रज्जो मौसी को देखा जो नाइटी मे उसके करीब आ कर बैठ गयी थी । उनके रसिले चुचो के उभार देख कर अनुज ने पैर फैला कर जोर की अंगडाई लेता हुआ मुस्कुरा कर रज्जो के उपर झोल गया ।
रज्जो - अरे अरे क्या कर रहा है हिहिहिही
अनुज उसके नरम नरम चुचो पर लदता हुआ - आह्ह मौसी कितना नरम है
रज्जो धिरे से फुसफुसाकर- क्यू तेरी बुआ की गाड़ नरम नही थी क्या ?
अनुज चौक कर रज्जो को मुस्कुराते देखा और उसके पसीने छुटने लगे
रज्जो मुस्कुरा कर - अरे डरता क्यू है , अगर तु उसके कपडे उतार के घुसा भी देता ना वो मना नही करती । एक नम्बर की छिनार है तेरी बुआ

अनुज लाज से मुस्कुरा कर - क्या मौसी तुम भी , ऐसा थोडी होता है वो तो बस मै नीद मे था और वो टच हो गया ।

रज्जो - हम्म बताया तेरी बुआ ने कैसे नीद मे तेरा खुन्टा चल रहा था हिहिहिही

अनुज - क्या बुआ ने बताया
रज्जो - अरे वो छिनार तो तेरी अम्मा को भी बता देती वो तो मैने रोका उसे

मा का जिक्र आते ही अनुज की सासे फुलने लगी उस्का कलेजा कापने लगा - फिर तो उनसे अब दुर रहूंगा मै, कही मम्मी को बता दिया तो बड़ी मार पड़ेगी

रज्जो हस्ती हुई - धत्त रे डरता क्यू है , वो कुछ नही कहेगी अब मौका मिले पीछे से घुसा देना हिहिहिही

अनुज - प्कका वो मम्मी से नही कहेगी कुछ
रज्जो - अरे मै हु ना कुछ हुआ तो
अनुज रज्जो को हग करता हुआ - वॉव मौसी कितनी प्यारी हो आप हिहिहिही लेकिन कब ट्राई करू अब

रज्जो - जब कभी मौका लगे हिह्हिही
तब तक हाल मे रंगी दाखिल हुआ और मौसी भतिजे की वार्ता एकदम से रुक गई ।
कुछ देर बाद सबका खाना पिना हुआ और सब अपने तय कमरे मे सोने के लिए निकल गये ।
निशा और अनुज के उपर जाते ही रंगी तीन गदराइ औरतो के साथ अपने कमरे मे चला गया ।

राज अपनी योजनानुसार आज रेस्ट का बहाना मारकर उपर निशा को सरप्राइज देने के लिए पहुच गया , मगर उसके अंदेशे के हिसाब से अनुज निशा के कमरे मे अपना काम शुरु कर चुका था ।
दरवाजा बन्द था अंदर से और अनुज की कामुक सिसकिया आ रही थी जिस्से साफ पता चल रहा था कि निशा ने उस्का लन्ड चुबलाना शुरु भी कर दिया था ।

अगले ही पल राज ने दरवाजे पर दस्तक दी और भीतर कमरे मे हड़बड़ हो गयी ।
अनुज झट से अपने कपडे पहन कर दरवाजे की ओट मे हो गया और निशा भी मुह साफ करती हुई दरवाजा खोला - अरे राज तु

राज कमरे मे दाखिल होता हुआ - आह्ह दीदी आज बड़ा मूड है कुछ करते है ना

निशा इशारे से कमरे मे अनुज के होने का बताती है तो राज उसको आंख मारकर बताता है कि उसे पता है और उसका इरादा क्या है ।
निशा की सासे चढने लगती है ।
राज - आह्ह दीदी आओ ना चुसो ना मेरा , कितना दिन हो गया आपके होठो से चुसवाये ऊहह देखो ना कैसे टाइट हो रहा है ऊहह

निशा - ऊहह राज कितना तप रहा है रे तेरा लन्ड उम्म्ंम उफ्फ्फ कितना मोटा हो रहा हौ

राज - आह्ह दीदी आप छुती हो तोह्ह उम्म्ंम लेलोना मुह उह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह सीई उम्म्ंम

वही कमरे का दरवाजा अभी भी खुला था और अनुज उसके पीछे छिपा हुआ था , जिसकी ये सोच कर फट रही थी ये लोग दरवाजा खोल कर खुलेआम लगे हुए है
उस्से बढ़ कर उसके लिये ये सरप्राइज था कि उसका राज भैया तो पहले से ही निशा को भी चोदता आ रहा है ।
अनुज का मुसल एकदम से फनफना गया

निशा मुह से लन्ड निकाल कर उसको सहलाती हुई - दरवाजा बन्द कर दू भाई , कोई आ जायेगा

राज - अरे अनुज बन्द कर देगा ना , भाई दरवाजा लगा दे ना

अनुज की फट के चार हो गयी कि राज को कैसे पता कि वो वहा है । अनुज चोरो के जैसे मुह लटकाये दरवाजे की ओट से बाहर आया और सामने का नजारा देख कर उसकी आंखे फैल गयी ।

सामने निशा निचे घुटने बल खडी होकर राज का मुसल चुस रही थी और राज उसके सर को सहलाता हुआ आन्खे उलट रहा था ।

अनुज ने दरवाजा लगाता हुआ - भैया मै भी आऊ
राज ने बड़े ही कैजुअल तरिके से लन्ड की चुसवाई का मजा लेते हुए सिस्कते हुए - आह्ह हा भाई आजा ना ऊहह

अनुज मुस्कुरा कर खिल उठा और झट से लोवर से मुसल निकाल कर निशा के आगे परोस दिया - दिदी दीदी मेरा भी अह्ह्ह उफ्फ्फ उम्म्ं

राज - क्यू भाई आजकल मुझसे छिपा कर करने लगा है तु उम्म्ं

अनुज सिस्कता हुआ निशा को लन्ड चुबलाता देख कर - अह्ह्ह भैया लेकिन आपसे छिपता कब ही है ओह्ह ना जाने कब आप निशा दीदी के बारे मे जान गये

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राज हसता हुआ - पगले मेरे कहने पर ही तो निशा दीदी ने तुझे और राहुल को हा कहा था हिहिही

अनुज ने हैरत से निशा की ओर देखा जो दोनो भाइयो का कड़ा लन्ड लेके सहला रही थी और मुस्कुरा रही थी
अनुज का लन्ड उस्की कातिल मुस्कुराह्ट से उसकी हथेली मे झटके खाने लगा



वही निचे कमरे मे गजब का रोमांच मचा हुआ था

शिला उसके उपर रज्जो और फिर सबसे उसपे रागिनी
सब एकदुसरे के उपर गाड़ खोल कर चढ़ी हुई थी ।
रंगी भी पुरा नंगा होकर रागिनी के चुतड़ फैलाकर उसके चुत के फाके चुबला रहे था

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रागिनी मादक सिस्किया ले रही थी- आह्ह मेरे राजाहा उह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम्ं

रज्जो - ऊहह जमाई राजा ऊहह क्या मस्त जीभ चला रहे हो अजज ऊहह माह्ह्ह सीईई उफ्फ्फ

रन्गी रागिनी के चुत से सरक कर रज्जो की मोटी मखमाली गाड़ फैलाकर उसके सुराख कुरेदने लगा

वही निचे दबी हुई शिला दोनो बहनो की सिस्किया सुन्कर अपनी चुत मसल रही थी

तभी रन्गी ने निचे झुक कर उसकी बुर मे भी अपनी थूथ रगड़ दी ।

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शिला मचल कर रह गयी और रन्गी ने एक सुर ने निचे से उपर तक सभी चुत और गाड़ के फाको मे जीभ लगा कर चाटता हुआ उपर से निचे होने लगा

तीनो गदाराई औरतें की मादक सिस्किया एक साथ उठने लगी और देखते ही देखते रन्गी ने निचे से शिला की गाड़ मे
लन्ड घुसेड़ दिया

दो गरदाई औरतो के भार के तले दबी हुई शिला की हालत और खराब होने लगी
रंगी के दोनो हाथ रागिनी और रज्जो की बुर सहला रहे थे और लन्ड शिला की कसी गाड़ मे घुसा हुआ था

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रन्गी - अह्ह्ह दीदी क्या मस्त गाड़ है उम्म्ंम जीजी (रज्जो) आपकी बुर कितनी गर्म हो गयी है अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

शिला - आह्ह भैयाह्ह्ह उफ्फ्फ बहुत टाइट जा रहा है ऐसे उह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं
रज्जो - ओह्ह जमाई बाबू उम्म्ंम्ं कबसे तो रस छोड़ रही है मेरी बुर दालो ना उह्ह्ह्ह ओह्ह्ह

रागिनी - हा मेरे घुसाओ ना , आप तो अपनी छिनार बहनिया मे ही अटके हो अह्ह्ह्ज सीई हम बहनो का भी ख्याल करो उह्ह्ह चोदो ना ऊहह

रंगी दोहरे जोश मे आ गया और थोडा खडा होकर सिधा रज्जो की गाड़ मे लन्ड घुसेड़ दिया - अह्ह्ह बहिनचोद उह्ह्ह कितना टाइट है जीजी उह्ह्ह उफ्फ्फ क्या मस्त गाड़ है तुम्हारि उह्ह्ह ये लोह्ह ऊहह

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रज्जो - ऊहहह आह्ह मेरे राजाह्ह ऐसे ही फाडो ऊहह और तेज उम्म्ं ऐसे हीईई

रन्गी रागिनी की जांघो को पक्ड कर सपोर्ट लेके हचर हचर रज्जो की गाड़ फ़ाड रहा था और उसकी उंगलिया रागिनी चुत फैला कर उसके दाने रगड़ रही थी जिस्से रागिनी की चुत बजबजा रही थी - अह्ह्ह सोनल के पापा उह्ह्ह हहह आ रहा है उह्ह्ह घुसाओ ना उम्म्ंम सीई चाहिय्र मुझे आह्ह

रन्गी उसके नंगे चुतड़ को नोचता थपेड मारता - क्या लेगी मेरी रान्ड बोल ना उह्ह्ह आह्ह

रज्जो की अलग सिसकी निकल रही थी और शिला जिस्से अब और दबाव भार सहा नही जा रहा था उसने अपनी गाड़ उचका कर बाकी को आगे बिस्तर पर धकेल दिया

रज्जो के उपर रागिनी पसर के आगे बढ़ गयी सब खिलखिलाने लगे और रन्गी ने भी आगे बढ़ सीधा रागिनी की गाड मे थुक लगा कर अपना मोटा लन्ड घुसेड़ दिया - उह्ह्ह मेरी जान लेह्ह्ह घुसा दिया ऊहह

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रान्गिनी की आंखे उलटने लगी रन्गी का मोटा लन्ड उसको गाड के निचे से अपनी बुर मे घिस्ता मह्सुस हो रहा था और उसकी बुर झड रही थी -आह्ह मेरे राजा ऐसे ही उह्ह्ह पागल कर दोगे आप तो उह्ह्ह माह्ह सीई अह्ह्ह पेलो मुझे अह्ह्ह अह ननद के सैयाह्ह उह्ह्ह

रन्गी हचर हचर रागिनी की कसी गाड़ मे चोद रहा था और शिला पीछे से उस्से लिपट निकल कर उसके गाड के निचे से आड़ो को छू सहला रही थी ।
शिला के गुदाज नरम जिस्म का स्पर्श पाकर रंगी के लण्ड का कडकपन और बढ़ गया जिससे रागिनी की चिखे और तेज होने लगी
रंगी ने छेद बदल कर रज्जो की चुत मे लन्ड लगा दिया और चोदने लगा
दोनो बहने मादक सिस्किया ले रही थी और शिला का स्पर्श रन्गी का पागल कर चुका था
वो चरम पर आ गया था

रंगी अब चिन्घाडने लगा - अह्ह्ह्ह जीजी आयेगा आओ सब ऊहहह जल्दी ऊहहह
रंगी ने रज्जो की बुर से लन्ड निकाला और हिलाने लगा

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तीनो औरते नंगी रंगी के कदमो मे जीभ निकाले मुह खोले बैठ गयी और रन्गी की पिचकारि छुट्टी बारि बारी से तिनो पर गयि ।

तिनो ने बड़े चाव से उसके लन्ड को साफ किया और देर3 तक चुबलाती रही
वही उपर के कमरे मे भी चीजे बदल चुकी थी

निशा के मुह मे राज का लन्ड गले मे फसा हुआ था और दूसरी ओर अनुज की जान्घे उठाए सटासट पूरे जोश मे उसकी चुत मे लन्ड डाले जा रहा था - अह्ह्ह दीदी कितनी सेक्सी हो तुम ऊहहह कितनी मस्त बुर है तुम्हारि है ना भैयाअह्ह्ह

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राज अपना लन्ड निशा के गले मे चोक करता है - आह्ह हा भाई ऊहहह साली का मुह भी मस्त ऊहह लेह्ह ना और लेह्ह्ह ऊहहह रगड़ रगड़ कितना मोटा कर दिया है तुने इस्का दूध उफ्फ्च देख कैसे हिल रहा है

अनुज निशा की हिलती चुचिया देख कर और कसकस कर चोदने लगा - आह्ह हा भैया अब देखो और हिल रहा है हिहिही कितना नरम और मोटा है अह्ह्ह दीदी निचोड लोगि क्या हहहहह

निशा - आह्ह साले आराम से चोद ना य्ह्ह बहन हु तेरी कोई रंडी नही अह्ह्ह बहिनचोद भाग थोड़ी ना रही

राज और अनुज निशा की बाते सुन हसने लगे और राज निशा के कंधे थपथपा कर उसको उठने का इशारा किया
अनुज भी पीछे बिस्तर का टेक लेकर फैल गया
निशा बिल्ल्लियो की तरह घुटने घसीटती हुई उसके करीब आई और उस्का मोटा तनमनाया मुसाल जो उसकी बुर की रसो से सना था उसको मुह मे भर ली जिसे देख कर अनुज को और भी जोश आने लगा
वही राज पीछे से उसकी चुत के मुहाने पर लन्ड टिका कर हच्च से भीतर उतार दिया -अह्ह्ह बहिनचोद आराम से ऊहहह उम्म्ं कितना मोटा है रे तेरा

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अनुज हस कर - मेरा या भैया का
निशा - तुम दोनो का आह्ह ऊहहह फ्क्क मीईई येस्श्ह आह्ह राज्ज्ज उम्म्ंम और घुसा आह्ह सीई

अनुज निशा के बाल सवार कर उसकी नरम नरम लटकी चूचिया सहला रहा था और निशा आगे झुक कर उसका लन्ड चुस रही थी ।राज के तेज करारे झटकों से बार बार उसकी मोटी गुदाज चुचियो के बीच अनुज के आड और लाड़ दोनो घुस जाते और अनुज को नशा सा छाने लगता

राज उसके चुतड़ मसलता हुआ - ऊहह दीदी उम्म्ंम कितनी मुलायम गाड़ है ऊहहह सीई ऊहहह

अनुज अब तक निचे सरक चुका था और निशा की चुचिया पकड़ कर निचे से लन्ड उसी मे पेलने लगा - अह भैया नरम तो दीदी की चुचिया है अह्ह्ह कितना मजा आ रहा है ऊहहह माह्ह सीई उफ्फ्फ दीदी कमाल हो तुम तो उफ्फ्फ

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निशा की सिसकिया और भी मादक होने लगी ।
राज निशा की गाड़ की सुराख मसल्ता हुआ - आह्ह दीदी तुम्हारी गाड़ का छेड़ कितना सेक्सी है उम्म्ंम मन कर रहा है घुसा दू उम्म्ंम साली को चोद चोद कर लाल कर दू ऊहहह

अनुज - घुसा दो भैया कल रात मैने घुसाया था बहुत टाइट था ऊहहह दिदीईई आह्ह उम्म्ं

राज - क्या तुने गाड़ भी मार ली
निशा अनुज आपस मे मुस्कुराने लगे

अनुज - आओ ना दीदी मेरे उपर

निशा आगे बढ गयी और राज लन्ड उसकी बजबजाई चुत से बाहर निकल गया और देखते ही देखते निशा ने अनुज के उपर आकर उस्का लन्ड अपनी बुर मे भर लिया


अनुज नीचे से सट सट कमर उठा कर उसकी बुर मे घुसाने लगा - आह्ह दीदी कितना खुल्ला कर दिया आपकी बुर को भैया ने उम्म्ं ऊहह मजा आ रहा है उम्म्ं,आओ ना भैया तुम भी ऊहहह

राज मुस्कुराया और अनुज का इशारा समझ गया

उसने पास रखी तेल की शिसी उठाई और निशा के गाड़ के दरारो मे ड्रॉप कराने लगा
जल्द ही तेल उसके सुराख से रिस कर उस्की चुत और अनुज के लन्ड पर जाने लगा

निशा गरदन फेर पर अपनी दरारो मे राज का लन्ड धंसता मह्सूस कर रही थी , उसकी सासे तेज रही थी ये उस्का पहला अनुभव था जब दो दो मुसल एक साथ उसकी बुर और गाड़ मे घुस रहे थे ।
राज ने पुरा सुपाडा चिकना कर उसको निशा के गाड़ मे मुहाने पर जोर दिया और प्कक की आवाज के साथ सुपाडा आधा अन्दर
सुपाड़े की मोटाई ने निशा के जिस्म को दर्द से अक्ड़ा दिया
अनुज भी कमर थामे रुका हुआ था निचे से
अगले ही पल राज ने जोर देते हुए सुपाड़े को थेला और लन्ड आधा अन्दर
निशा की आंखे बाहर को आने लगी , निचे से अनुज ने एक बार फिर कमर उछालने शुरु कर दिये

निशा के जिस्म की अकड़न और बढ़ गयी , जब राज ने अपनी कमर चलानी शुरु कर दी ।
कसा कड़ा मोटा लन्ड उसकी गाड़ के कसे छेद को भेदता हुआ हुआ जगह बनाने लगा - आअह्ह्ह दीदीइह्ह उम्म्ंम कितनाअह टाइट है उम्म्ंम्ं

अनुज -हा भैया मुझे भी फील हो रहा है अह्ह्ह
निशा - ऊहहह बहिनचोद आज फ़ाड दोगे क्या मेरी उम्म्ंम्ं मम्मीईई अह्ह्ह्ह सीईई ओह गॉड उम्म्ंम्ं फक्क्क

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राज झटके तेज करता ह्य - आह्ह दीदी कितनी रसिली गाड है आपकी उम्म्ंम्ं मन कर रहा है ऐसे ऐसे ऐसेह्ह्ह ऊहहह चोद चोद कर भर दू इसको ऊहहह

निशा राज के हचक लन्ड की चोट गाड़ की तलहटी तक मह्सूस कर रही थी वही निचे से अनुज का लन्ड उसकी चुत को अलग भेदे जा रहा है , इस दोहरे प्रहार से निशा की कमर से जांघ का हिस्सा बुरी तरह दर्द ने अक्ड़ा हुआ था ।
चुत बजबजा रही थी , राज के थ्पेडो से चुतड लाल हुए जा रहे थे - अह्ह्ह बहिनचोद कमिने तेरी मा चोदू साले अह्ह्ह्ह मार क्यू रहा है अह्ह्ह सीई ऐसेही पेल ना ऊहहह सीई

राज और अनुज खिलखिलाने लगे फिर राज ने उस्के कुल्हे जकड कर हुमुच हुमुच कर लण्ड उसकी गाड़ देने लगा ।
निशा के साथ साथ अनुज पर भी इस्का असर साफ साफ होने लगा
दोनो भाई जोश मे उपर निचे से एक लय मे कुल्हे झटकने लगे


निशा की चिखे तेज हो गयी, दोनो भाई भी पूरे जोश मे निशा की चिख को और तेज करते हुए करारे झटके लगाने लगे
दोनो के सुपाड़े पूरे फुल चुके थे और कभी भी फव्वारा फूट सकता था ।
राज झट से उठा और निशा भी उठ गयी
जीभ बाहर निकाले आग उगलगे दोनो सुपाडो के झड़ने की राह मे

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वही राज और अनुज अपना अपना मुसल हिला कर उसके मुह पर झाडने लगे ।

फिर थक कर चिपक कर सो गये
मगर नीचे कमरे मे अगले राउंड की तैयारियां चल रही थी ।

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रंगी बिस्तर पर टांग लटका कर लेटा हुआ था और उसके मोटे हुए लन्ड को रागिनी रज्जो और शिला मिल कर चुस चाट रही थी , एक दुसरे से लार साझा कर रही थी ।

इस आनन्द मे रंगी का मुसल और कड़क हुआ जा रहा था

जारी रहेगी


Update toh mast hai par anuj ko ragini k Naam se daraya mat karon bacche ko Ulta ragini k samne uska Naam lo aur ab jab ragini k Naam se anuj ko darao toh anuj bhi jawab de ab bacche ko bada karo kab tak chota Munna rahga abto uska Munna APNI maa chodega
 

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UPDATE 213

अमन के घर

शाम ढल चुकी थी और रात के खाने की तैयारी हो रही थी , रिन्की ने आज अमन का मूड बना दिया था तो मौका पाकर पहले दुलारी और फिर सोनल दोनो को चोद कर अमन कमरे मे सो गया था ।

इधर मुरारी बाजार से आया तो उसने ममता से अमन के बारे मे पुछा ।
ममता - पता नही आज तो उसने शकल नही दिखाई मुझे भाई , ना जाने कहा खोया है ।

रिन्की - और कहा खोये रहेंगे हिहिही भाभी के अलावा हिहिही
ममता उसे डांट लगाती हुई - चुप कर तु , जा बुला कर ला उसे ।
अमन के पास जाने का सुनते ही रिन्की सरपट सीढियों से दौड़ पड़ी ।

मुरारी- अरे भाई मै फोन लगाता हु ना उसे
ममता हस कर - रहने दिजीये वो गयी हीहिहिही

मुरारी- अह संगीता जरा पानी देना
मगर किचन से कोई जवाब नही आया
मुरारी- संगीता कहा गयी ?
ममता इसपे मुस्कुराने लगी ।
मुरारी भौहे टाइट कर - क्या हुआ तुम हस क्यू रही हो ? बताओ कहा है वो ?

ममता - अरे जब मजनू यहा नही है तो लैला क्यू रुकेगी भला हिहिहिही
मुरारी- मतलब ?
ममता हस्ती हुई - अरे देवर जी और मेरी ननद रानी दोनो बाजार गये है समान लेने मैने भेजा है ।

मुरारी- कैसा समान ?
ममता - अरे भाई परसो बहू के मायके से लोग आयेंगे ना , तो कुछ समान लेने भेज दिया बाकी का कुछ कल आ जायेगा ।

मुरारी- ओह्ह
अगले ही पल हड़बडा कर - फिर किचन मे कौन बरतन बजा रहा है ?
ममता हस्ती हुई - अरे क्या हो गया है आपको वहा बहू और दुलारी है ।

मुरारी- बहू किचन मे अभी से ?
ममता - मै मना ही कर रही थी मगर उसे उपर कमरे मे बोरियत हो रही थी तो चली आई दुलारी के साथ हाथ बताने और बात करने ।

मुरारी- ओह्ह ऐसा ।
ममता - वैसे आप बाजार क्यू गये थे ।
मुरारी इसपे मुस्कुराने लगा - वो बस ऐसे ही टहलने का मूड हुआ और पान खाने का तो ।

ममता लपक कर जेब टटोलने लगी और वो चौकोर डिबिया हाथ मे आते ही उसका पारा एकदम से टाइट , चेहरा गुस्से से लाल क्योकि उसका शक सही लगा उसे ।

कुर्ते की जेब मे हाथ डाले हुए ही उसने गुस्से से मुरारी को घूरा- मुझे पता था कि आप यही लेने गये थे , आप नही छोड़ेंगे ना

मुरारी हस कर - अरे अमन की मा तुम हाहाहा जो समझ रही हो वो नही है हिहिही
ममता - ये सिगरेट का पैकेट नही है, मुझे बेवकुफ समझते है निकालू बाहर

मुरारी ने आस पास खाली जगह देखा और एक नजर किचन की ओर देखा और हा मे सर हिला कर - ह्म्म्ं देख लो
ममता ने धिरे से जेब से वो चौकोर पैकेट निकाला और उसे देखते ही उसके चेहरे पर गुस्से की लाली शर्म और लाज के मारे गुलाबी हो गयी ।
दोनो हाथो मे छिपाती हुई वो उस कन्डोम के पैकेट को निहारती हुई मुस्कुराते गालों के साथ मुरारी को देखा - आप पागल हो गये है क्या ? हमे इसकी क्या जरुरत है ?
मुरारी ने लपक कर उसके हाथ से वो पैकेट लिया और जेब मे डालता हुआ - ये हमारे लिये नही , अमन के लिए है ।

ममता आंखे बड़ी कर - क्या ? मगर क्यू , उनकी भी तो शादी हुई है ना ।

मुरारी- अरे भाई अभी दोनो जवान जोशिले है , कही बच्चा कर लिये तो , जवानी का मजा कहा ले पायेंगे ।

ममता लाज के मारे मे हसने लगी - धत्त क्या आप भी , आपको क्या लगता है अमन ने अभी तक किया नही होगा ?

मुरारी ने बड़े गुरुर और शान से ना मे सर हिलाया - अरे आज जाकर मैने उसे परमिशन दी है , वो आज करने वाला है ।

ममता मुरारी के बेवकुफी पर हसी आ रही थी मगर वो अपनी भावनाये छिपा कर - तभी मै सोचू ये बाप बेटे छिप छिप कर अकेले क्या बातें करते है ? तो आप अमन को सुहागरात की टिप्स देते फिरते हो उम्म्ं ।

मुरारी हस कर - क्या तुम भी ।
ममता - वैसे आपने क्या क्या बताया उसे , कैसे करना है क्या करना है हिहिहिही

मुरारी- अरे उसे सब पता है , मैने बस बताया कि कब करना है ।

ममता आंखे नचा कर - ओह्ह वैसे आपको अपना पता है कि कब कब आपको भी करना चाहिए उम्म्ं

मुरारी कुछ सोचता इससे पहले ममता खिलखिला कर उठने लगी ।
फिर मुरारी समझ कि ममता ने उसके मजे ले लिये । उसने भी सोचा आज की रात वो उसे कुछ यादगार पल जरुर देगा ।

वही उपर अमन के कमरे मे अलग ही कांड हो रहा था
अमन सोकर उठ चुका था और बाथरूम मे नहा बेफिकर होकर नहा रहा था इस बार से अंजान की बाजर बाथरूम के खुले दरवाजे से रिन्की उसे पूरी नंगी निहार रही है

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उसका मोटा मुसल सो कर उठने की वजह से बौराया अकड़ा हुआ तना था , जिसे देख कर रिन्की की बुर कुलबुलाने लगी ।
उसने अपनी कैफ्री उतार कर सिर्फ पैंटी और टीशर्ट मे आ गयी ।
दरवाजे की कड़ी वो पहले ही लगा चुकी थी , अमन के गोरे मोटे टोपे वाले लन्ड को देख कर उसकी बुर कुलबुला रही थी ।
जिसे देख कर वो अपनी नन्हे मुन्ने चुजे मसलने लगी
इधर अमन नहा कर तौलिये से अपना बदन पोछने लगा , अभी तक उसकी नजर दरवाजे के पास खड़ी रिन्की पर नही गयी थी ।

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रिन्की ने मस्ती मे लपक कर अमन के कन्धे से तौलिया खिंच लिया और खिलखिलाकर हसने लगी ।

अमन चौका और अगले ही पल उसने कमरे मे खिलखिलाती हुई रिन्की को देखा , जिसने निचे सिर्फ पैंटी पहन रखी थी ।
अमन उसकी ओर लपकने को हुआ तभी उसे याद आया कि अभी भी वो पुरा भीगा है , कमरे मे गन्दगी हुई तो सोनल सवाल जवाब करेगी ।
वही उसका मुसल भरपुर फुल चुका था , रिन्की उसको नंगे निहार कर हस रही थी - क्यू आओ आओ लेलो हिहिहिही

अमन हसता हुआ - अच्छा तो तुझे दुपहर का बदला लेना था

रिन्की हस्ती हुई उस्के खडे देख कर अपने होठ चबाते हुए खिखी कर लगी ।
अमन - चल हो गया तेरा , अब ला तौलिया नही तो मै सच मे आ जाऊंगा

रिन्की - तो आजाओ हीही
अमन देखा कि अब तक उसके जिस्म से काफी पानी निचुड चुका था और वो बाथरूम के बाहर पायदान पर पैर रगड़ता हुआ रिन्की की ओर लपका और उसको पीछे से दबोच लिया , इस दौरान छिना झपटी मे उसका कडक मोटा तनमनाया लन्ड रिन्की के चुतड़ मे घिसता चुभोता रहा

उसकी कलाई रिन्की के मुलायम उभरे नरम मौसमी जैसे चुचे पर रगड़ते घिसते रहे । रिन्की कभी सिस्कती तो कभी हस्ती

तभी अमन ने उसके घुमा कर पकड लिया और लेकर बिस्तर पर बैठ गया ।
रिन्की पर उल्टी होकर उसके गोद मे लटकी हुई थी और अमन उसके चिकने चुतड सहलाते हुए उसके गाड़ पर थपेड मार रहा था - फिर करेगी शैतानी बोल उम्म्ं

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रिन्की का पुरा जिस्म अमन के पन्जे की थ्पेड से थरथरा उठा , मगर उसके मन मे कामुक सी खुमारी उठने लगी , निप्प्ल तन गये और वो हसने लगी ।
उसकी खिलखिलाहट सुन कर अमन के उसके चुतड़ पर उंगलियाँ सहलाते हुए एक बार फिर थ्पेड चट्ट से बजाया ।

रिन्की - आह्ह भाइयाअझ उह्ह्ह्ह म्ममीईई लग रहा है ऊहु ।
अमन अभी भी उसके चेहरे पर हसी देख रहा था - बोल फिर करेगी शैतानी उम्म्ं ऐसे परेशान करेगी।

रिन्की खिलखिलाती हुई ना मे सर हिलाती हुई - नही करुँगी भैया हिहिही प्कका नही

अमन ने उसको छोड़ा और उसको खड़ा किया अभी वो हस रही थी - चल 20 बार कान पकड कर उठक बैठक कर

रिन्की - क्या ? पर क्यूँ?
अमन - वो मै नही जानता , आर्मी मे ऐसे ही फिजिकल पनिशमेन्ट दी जाती है ।

रिन्की भुनकने लगी तो अमन ने भौहे चढा कर उसे आंखे दिखाई तो रिन्की मुह बनाते हुए उसकी ओर पीठ कर ली ।

अब वो उसके सामने खडी थी , पैंटी ने उसकी गाड़ बहुत ही नरम और खिली खिली दिख रही थी जिसे देख कर अमन अपना लन्ड सहलाता हुआ थुक गटकता है ।

अमन - चल शुरु कर

रिन्की मुह बनाते हुए अपने कान पक्ड कर अमन के सामने उठक बैठक करने लगी , अमन का लन्ड अब और भी बौराने लगा ।

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सामने रिन्की की गाड़ उठक बैठक करने से बार बार उसके आगे फैल जाती जिस्से उसका लन्ड और झटके खाने लगता

निचे बैठते समय उसके नरम चुतड़ पैंटी के दायरे से बाहर आकर फैल जाते और फिर उपर उठते हुए पैंटी उसके चुतड के दरारो मे फस जाती जिसे देख कर अमन की हालत खराब होने लगी ।

देखते ही देखते रिन्की ने 20 बार उठक बैठक कर लिये - हो गया भैया और भी करू?

"ऐसे ऐसे करू " , रिन्की ने अपनी चुतड को बड़ी अदा के बाहर की ओर फेकती हुई उसको झटकते हुए उछाला जिसे देख कर अमन को हसी आई - धत्त चल जा अब यहा से ,

तभी उसका मोबाईल बजने लगा ।

मुरारी उसे फोन लगा रहा था ।
मोबाइल बजते ही रिन्की को ध्यान आया कि वो यहा क्यू है - अरे वो मामी ने आपको बुलाया है भैया , आजाओ जल्दी

अमन लपक कर उसके नंगे चुतड पर एक थ्पेड़ लगाता हुआ - अच्छा तो ये कब बताने वाली थी तु उम्म


रिन्की अपने चुतड़ सहलाती दर्द से सिस्कती हस्ती हुई - आह्ह भैया अब क्यू मारा , वो मै भूल गयी थी ना

अमन - रुक अभी बताता हु तुझे फिर कभी कुछ नही भुलेगी तु

इससे पहले अमन उसे पकडता अपनी कैफरि उठाई और बिना पहने ही दरवाजा खोलकर हस्ती हुई निकल गयी
अमन हस कर - अरे पागल कपडे पहन लेती , कोई देख लेगा
"हिहिही ये पूरी पागल है , लेकिन साली ने लन्ड खड़ा कर दिया उफ्फ्फ ",अमन अपना लन्ड ऐडज्स्ट करता हुआ बड़बडाया । फिर कपडे पहन कर निचे चला गया ।


राहुल के घर


राहुल और अरुण नदी की ओर घूम कर वापिस आ चुके थे
दुकान मे कोई नजर नही आ रहा था और गलियारे की ओर बढ़ने पर दोनो के कान खड़े हो गये ।
हाल मे शालिनी और जन्गी की बहस हो रही थी । रंगी के सम्झाने के बाद भी जन्गी की खुन्नस खतम नही हुई थी
वो शालिनी को बाज़ार के लिए फटकार रहा था और शालिनी भी उसको भरपूर जवाब दे रही थी
शालिनी - आपकी खातिर मैने क्या क्या नही किया , मै तो सीधी साधारण ही थी । आपकी फरमाईस पर ही मैने ये सूट तो कभी डिजाईनर कपडे पहने , मै तो कभी बजार खरीदने नही गयी ना ।

जन्गी को शालिनी की बात का झटका लगा मगर शालिनी रुकी नही - कभी ये चमकीली नाइटी तो कभी फैशन वाली ड्रेस कौन लाकर दिया मुझे और तो और बिस्तर पर मुझसे जबरज्स्ती क्या क्या बुलवाया मुझसे

शालिनी बोलते बोल्ते सिस्कने लगी , वही जन्गी बुत बनकर खड़ा रहा शालिनी की बातों से उसे झकझोर दिया ।
हालकि उसने सोचा था कि उसकी इच्छा उसकी मनमर्जियां जो कुछ भी वो शालिनी पर लाद रहा था उसके अनुसार वो चारदिवारी मे छिप कर ही रहेगी ।
मगर औरत की तिरीया चरित्र को और उसके जजबातों को समझने जन्गी से चूक हो गयि ।
उसे अपनी गलती का पछतावा था मगर वो माफी किस मुह से मागता , सामने शालिनी सुबगती हुई राशन के समान अलग कर रही थी ।

वही गलियारे मे राहुल और अरून चुप्पी साधे हाल मे जन्गी और शालिनी की बाते सुनते हुए धिरे से बाहर सरक लिये ।


अरुण - भाई क्या बवाल हो रहा है ये सब
राहुल - पता नही भाई , शायद मम्मी आज दीदी का सूट पहन कर गयि थी इसीलिए पापा भड़के थे । लेकीन

अरुण - लेकिन क्या ?
राहुल - यार पापा तो कभी ऐसे नही रोकते टोकते मगर आज क्या हुआ जो ऐसे झगड पड़े । जरुर कोई दूसरी बात भी होगी ।
अरुन - भाई अब आगे क्या करे , मतलब मामी पर ट्राई करू या नही

राहुल - साले मरवायेगा क्या , देख नही रहा घर का माहौल
अरुन का चेहरा उतर गया ये सोच कर कि साला थोड़ी देर के लिए उसकी किस्मत हर बार के जैसे मेहरबान होती है और फिर गायब ।
अरुण ने मामी को पाने का सपना ये अच्छा ख्वाब समझ कर भुलने की कोसिस मे लगा रहा मगर दिल कहा सुनने वाला था ।
कभी कल नये सवेरे मे नयी आश के साथ मौका तलाशने की तलब होती तो कभी फिर से छुट्टियों मे चमनपुरा आकर पेलने की योजना बनाता फिरता । कभी रुबिना के मोटी गाड़ याद कर कल उसे ही पेलने की योजना करने लगता ।

खैर ऐसे ही समय उलझनो मे कट रहा था बिल्कुल अनुज के जैसे
अनुज का भी हाल कम खराब नही था , ख्यालो मे उसने राज और बुआ के कई चुदाई के किस्से गढ़ डाले । लन्ड की कसावट कम नही हो रही थी इतने मे रज्जो हाल मे आई ।

रज्जो - क्या हुआ लल्ला क्या सोच रहा है ।
अनुज रज्जो मौसी को देखा जो नाइटी मे उसके करीब आ कर बैठ गयी थी । उनके रसिले चुचो के उभार देख कर अनुज ने पैर फैला कर जोर की अंगडाई लेता हुआ मुस्कुरा कर रज्जो के उपर झोल गया ।
रज्जो - अरे अरे क्या कर रहा है हिहिहिही
अनुज उसके नरम नरम चुचो पर लदता हुआ - आह्ह मौसी कितना नरम है
रज्जो धिरे से फुसफुसाकर- क्यू तेरी बुआ की गाड़ नरम नही थी क्या ?
अनुज चौक कर रज्जो को मुस्कुराते देखा और उसके पसीने छुटने लगे
रज्जो मुस्कुरा कर - अरे डरता क्यू है , अगर तु उसके कपडे उतार के घुसा भी देता ना वो मना नही करती । एक नम्बर की छिनार है तेरी बुआ

अनुज लाज से मुस्कुरा कर - क्या मौसी तुम भी , ऐसा थोडी होता है वो तो बस मै नीद मे था और वो टच हो गया ।

रज्जो - हम्म बताया तेरी बुआ ने कैसे नीद मे तेरा खुन्टा चल रहा था हिहिहिही

अनुज - क्या बुआ ने बताया
रज्जो - अरे वो छिनार तो तेरी अम्मा को भी बता देती वो तो मैने रोका उसे

मा का जिक्र आते ही अनुज की सासे फुलने लगी उस्का कलेजा कापने लगा - फिर तो उनसे अब दुर रहूंगा मै, कही मम्मी को बता दिया तो बड़ी मार पड़ेगी

रज्जो हस्ती हुई - धत्त रे डरता क्यू है , वो कुछ नही कहेगी अब मौका मिले पीछे से घुसा देना हिहिहिही

अनुज - प्कका वो मम्मी से नही कहेगी कुछ
रज्जो - अरे मै हु ना कुछ हुआ तो
अनुज रज्जो को हग करता हुआ - वॉव मौसी कितनी प्यारी हो आप हिहिहिही लेकिन कब ट्राई करू अब

रज्जो - जब कभी मौका लगे हिह्हिही
तब तक हाल मे रंगी दाखिल हुआ और मौसी भतिजे की वार्ता एकदम से रुक गई ।
कुछ देर बाद सबका खाना पिना हुआ और सब अपने तय कमरे मे सोने के लिए निकल गये ।
निशा और अनुज के उपर जाते ही रंगी तीन गदराइ औरतो के साथ अपने कमरे मे चला गया ।

राज अपनी योजनानुसार आज रेस्ट का बहाना मारकर उपर निशा को सरप्राइज देने के लिए पहुच गया , मगर उसके अंदेशे के हिसाब से अनुज निशा के कमरे मे अपना काम शुरु कर चुका था ।
दरवाजा बन्द था अंदर से और अनुज की कामुक सिसकिया आ रही थी जिस्से साफ पता चल रहा था कि निशा ने उस्का लन्ड चुबलाना शुरु भी कर दिया था ।

अगले ही पल राज ने दरवाजे पर दस्तक दी और भीतर कमरे मे हड़बड़ हो गयी ।
अनुज झट से अपने कपडे पहन कर दरवाजे की ओट मे हो गया और निशा भी मुह साफ करती हुई दरवाजा खोला - अरे राज तु

राज कमरे मे दाखिल होता हुआ - आह्ह दीदी आज बड़ा मूड है कुछ करते है ना

निशा इशारे से कमरे मे अनुज के होने का बताती है तो राज उसको आंख मारकर बताता है कि उसे पता है और उसका इरादा क्या है ।
निशा की सासे चढने लगती है ।
राज - आह्ह दीदी आओ ना चुसो ना मेरा , कितना दिन हो गया आपके होठो से चुसवाये ऊहह देखो ना कैसे टाइट हो रहा है ऊहह

निशा - ऊहह राज कितना तप रहा है रे तेरा लन्ड उम्म्ंम उफ्फ्फ कितना मोटा हो रहा हौ

राज - आह्ह दीदी आप छुती हो तोह्ह उम्म्ंम लेलोना मुह उह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह सीई उम्म्ंम

वही कमरे का दरवाजा अभी भी खुला था और अनुज उसके पीछे छिपा हुआ था , जिसकी ये सोच कर फट रही थी ये लोग दरवाजा खोल कर खुलेआम लगे हुए है
उस्से बढ़ कर उसके लिये ये सरप्राइज था कि उसका राज भैया तो पहले से ही निशा को भी चोदता आ रहा है ।
अनुज का मुसल एकदम से फनफना गया

निशा मुह से लन्ड निकाल कर उसको सहलाती हुई - दरवाजा बन्द कर दू भाई , कोई आ जायेगा

राज - अरे अनुज बन्द कर देगा ना , भाई दरवाजा लगा दे ना

अनुज की फट के चार हो गयी कि राज को कैसे पता कि वो वहा है । अनुज चोरो के जैसे मुह लटकाये दरवाजे की ओट से बाहर आया और सामने का नजारा देख कर उसकी आंखे फैल गयी ।

सामने निशा निचे घुटने बल खडी होकर राज का मुसल चुस रही थी और राज उसके सर को सहलाता हुआ आन्खे उलट रहा था ।

अनुज ने दरवाजा लगाता हुआ - भैया मै भी आऊ
राज ने बड़े ही कैजुअल तरिके से लन्ड की चुसवाई का मजा लेते हुए सिस्कते हुए - आह्ह हा भाई आजा ना ऊहह

अनुज मुस्कुरा कर खिल उठा और झट से लोवर से मुसल निकाल कर निशा के आगे परोस दिया - दिदी दीदी मेरा भी अह्ह्ह उफ्फ्फ उम्म्ं

राज - क्यू भाई आजकल मुझसे छिपा कर करने लगा है तु उम्म्ं

अनुज सिस्कता हुआ निशा को लन्ड चुबलाता देख कर - अह्ह्ह भैया लेकिन आपसे छिपता कब ही है ओह्ह ना जाने कब आप निशा दीदी के बारे मे जान गये

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राज हसता हुआ - पगले मेरे कहने पर ही तो निशा दीदी ने तुझे और राहुल को हा कहा था हिहिही

अनुज ने हैरत से निशा की ओर देखा जो दोनो भाइयो का कड़ा लन्ड लेके सहला रही थी और मुस्कुरा रही थी
अनुज का लन्ड उस्की कातिल मुस्कुराह्ट से उसकी हथेली मे झटके खाने लगा



वही निचे कमरे मे गजब का रोमांच मचा हुआ था

शिला उसके उपर रज्जो और फिर सबसे उसपे रागिनी
सब एकदुसरे के उपर गाड़ खोल कर चढ़ी हुई थी ।
रंगी भी पुरा नंगा होकर रागिनी के चुतड़ फैलाकर उसके चुत के फाके चुबला रहे था

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रागिनी मादक सिस्किया ले रही थी- आह्ह मेरे राजाहा उह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम्ं

रज्जो - ऊहह जमाई राजा ऊहह क्या मस्त जीभ चला रहे हो अजज ऊहह माह्ह्ह सीईई उफ्फ्फ

रन्गी रागिनी के चुत से सरक कर रज्जो की मोटी मखमाली गाड़ फैलाकर उसके सुराख कुरेदने लगा

वही निचे दबी हुई शिला दोनो बहनो की सिस्किया सुन्कर अपनी चुत मसल रही थी

तभी रन्गी ने निचे झुक कर उसकी बुर मे भी अपनी थूथ रगड़ दी ।

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शिला मचल कर रह गयी और रन्गी ने एक सुर ने निचे से उपर तक सभी चुत और गाड़ के फाको मे जीभ लगा कर चाटता हुआ उपर से निचे होने लगा

तीनो गदाराई औरतें की मादक सिस्किया एक साथ उठने लगी और देखते ही देखते रन्गी ने निचे से शिला की गाड़ मे
लन्ड घुसेड़ दिया

दो गरदाई औरतो के भार के तले दबी हुई शिला की हालत और खराब होने लगी
रंगी के दोनो हाथ रागिनी और रज्जो की बुर सहला रहे थे और लन्ड शिला की कसी गाड़ मे घुसा हुआ था

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रन्गी - अह्ह्ह दीदी क्या मस्त गाड़ है उम्म्ंम जीजी (रज्जो) आपकी बुर कितनी गर्म हो गयी है अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

शिला - आह्ह भैयाह्ह्ह उफ्फ्फ बहुत टाइट जा रहा है ऐसे उह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं
रज्जो - ओह्ह जमाई बाबू उम्म्ंम्ं कबसे तो रस छोड़ रही है मेरी बुर दालो ना उह्ह्ह्ह ओह्ह्ह

रागिनी - हा मेरे घुसाओ ना , आप तो अपनी छिनार बहनिया मे ही अटके हो अह्ह्ह्ज सीई हम बहनो का भी ख्याल करो उह्ह्ह चोदो ना ऊहह

रंगी दोहरे जोश मे आ गया और थोडा खडा होकर सिधा रज्जो की गाड़ मे लन्ड घुसेड़ दिया - अह्ह्ह बहिनचोद उह्ह्ह कितना टाइट है जीजी उह्ह्ह उफ्फ्फ क्या मस्त गाड़ है तुम्हारि उह्ह्ह ये लोह्ह ऊहह

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रज्जो - ऊहहह आह्ह मेरे राजाह्ह ऐसे ही फाडो ऊहह और तेज उम्म्ं ऐसे हीईई

रन्गी रागिनी की जांघो को पक्ड कर सपोर्ट लेके हचर हचर रज्जो की गाड़ फ़ाड रहा था और उसकी उंगलिया रागिनी चुत फैला कर उसके दाने रगड़ रही थी जिस्से रागिनी की चुत बजबजा रही थी - अह्ह्ह सोनल के पापा उह्ह्ह हहह आ रहा है उह्ह्ह घुसाओ ना उम्म्ंम सीई चाहिय्र मुझे आह्ह

रन्गी उसके नंगे चुतड़ को नोचता थपेड मारता - क्या लेगी मेरी रान्ड बोल ना उह्ह्ह आह्ह

रज्जो की अलग सिसकी निकल रही थी और शिला जिस्से अब और दबाव भार सहा नही जा रहा था उसने अपनी गाड़ उचका कर बाकी को आगे बिस्तर पर धकेल दिया

रज्जो के उपर रागिनी पसर के आगे बढ़ गयी सब खिलखिलाने लगे और रन्गी ने भी आगे बढ़ सीधा रागिनी की गाड मे थुक लगा कर अपना मोटा लन्ड घुसेड़ दिया - उह्ह्ह मेरी जान लेह्ह्ह घुसा दिया ऊहह

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रान्गिनी की आंखे उलटने लगी रन्गी का मोटा लन्ड उसको गाड के निचे से अपनी बुर मे घिस्ता मह्सुस हो रहा था और उसकी बुर झड रही थी -आह्ह मेरे राजा ऐसे ही उह्ह्ह पागल कर दोगे आप तो उह्ह्ह माह्ह सीई अह्ह्ह पेलो मुझे अह्ह्ह अह ननद के सैयाह्ह उह्ह्ह

रन्गी हचर हचर रागिनी की कसी गाड़ मे चोद रहा था और शिला पीछे से उस्से लिपट निकल कर उसके गाड के निचे से आड़ो को छू सहला रही थी ।
शिला के गुदाज नरम जिस्म का स्पर्श पाकर रंगी के लण्ड का कडकपन और बढ़ गया जिससे रागिनी की चिखे और तेज होने लगी
रंगी ने छेद बदल कर रज्जो की चुत मे लन्ड लगा दिया और चोदने लगा
दोनो बहने मादक सिस्किया ले रही थी और शिला का स्पर्श रन्गी का पागल कर चुका था
वो चरम पर आ गया था

रंगी अब चिन्घाडने लगा - अह्ह्ह्ह जीजी आयेगा आओ सब ऊहहह जल्दी ऊहहह
रंगी ने रज्जो की बुर से लन्ड निकाला और हिलाने लगा

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तीनो औरते नंगी रंगी के कदमो मे जीभ निकाले मुह खोले बैठ गयी और रन्गी की पिचकारि छुट्टी बारि बारी से तिनो पर गयि ।

तिनो ने बड़े चाव से उसके लन्ड को साफ किया और देर3 तक चुबलाती रही
वही उपर के कमरे मे भी चीजे बदल चुकी थी

निशा के मुह मे राज का लन्ड गले मे फसा हुआ था और दूसरी ओर अनुज की जान्घे उठाए सटासट पूरे जोश मे उसकी चुत मे लन्ड डाले जा रहा था - अह्ह्ह दीदी कितनी सेक्सी हो तुम ऊहहह कितनी मस्त बुर है तुम्हारि है ना भैयाअह्ह्ह

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राज अपना लन्ड निशा के गले मे चोक करता है - आह्ह हा भाई ऊहहह साली का मुह भी मस्त ऊहह लेह्ह ना और लेह्ह्ह ऊहहह रगड़ रगड़ कितना मोटा कर दिया है तुने इस्का दूध उफ्फ्च देख कैसे हिल रहा है

अनुज निशा की हिलती चुचिया देख कर और कसकस कर चोदने लगा - आह्ह हा भैया अब देखो और हिल रहा है हिहिही कितना नरम और मोटा है अह्ह्ह दीदी निचोड लोगि क्या हहहहह

निशा - आह्ह साले आराम से चोद ना य्ह्ह बहन हु तेरी कोई रंडी नही अह्ह्ह बहिनचोद भाग थोड़ी ना रही

राज और अनुज निशा की बाते सुन हसने लगे और राज निशा के कंधे थपथपा कर उसको उठने का इशारा किया
अनुज भी पीछे बिस्तर का टेक लेकर फैल गया
निशा बिल्ल्लियो की तरह घुटने घसीटती हुई उसके करीब आई और उस्का मोटा तनमनाया मुसाल जो उसकी बुर की रसो से सना था उसको मुह मे भर ली जिसे देख कर अनुज को और भी जोश आने लगा
वही राज पीछे से उसकी चुत के मुहाने पर लन्ड टिका कर हच्च से भीतर उतार दिया -अह्ह्ह बहिनचोद आराम से ऊहहह उम्म्ं कितना मोटा है रे तेरा

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अनुज हस कर - मेरा या भैया का
निशा - तुम दोनो का आह्ह ऊहहह फ्क्क मीईई येस्श्ह आह्ह राज्ज्ज उम्म्ंम और घुसा आह्ह सीई

अनुज निशा के बाल सवार कर उसकी नरम नरम लटकी चूचिया सहला रहा था और निशा आगे झुक कर उसका लन्ड चुस रही थी ।राज के तेज करारे झटकों से बार बार उसकी मोटी गुदाज चुचियो के बीच अनुज के आड और लाड़ दोनो घुस जाते और अनुज को नशा सा छाने लगता

राज उसके चुतड़ मसलता हुआ - ऊहह दीदी उम्म्ंम कितनी मुलायम गाड़ है ऊहहह सीई ऊहहह

अनुज अब तक निचे सरक चुका था और निशा की चुचिया पकड़ कर निचे से लन्ड उसी मे पेलने लगा - अह भैया नरम तो दीदी की चुचिया है अह्ह्ह कितना मजा आ रहा है ऊहहह माह्ह सीई उफ्फ्फ दीदी कमाल हो तुम तो उफ्फ्फ

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निशा की सिसकिया और भी मादक होने लगी ।
राज निशा की गाड़ की सुराख मसल्ता हुआ - आह्ह दीदी तुम्हारी गाड़ का छेड़ कितना सेक्सी है उम्म्ंम मन कर रहा है घुसा दू उम्म्ंम साली को चोद चोद कर लाल कर दू ऊहहह

अनुज - घुसा दो भैया कल रात मैने घुसाया था बहुत टाइट था ऊहहह दिदीईई आह्ह उम्म्ं

राज - क्या तुने गाड़ भी मार ली
निशा अनुज आपस मे मुस्कुराने लगे

अनुज - आओ ना दीदी मेरे उपर

निशा आगे बढ गयी और राज लन्ड उसकी बजबजाई चुत से बाहर निकल गया और देखते ही देखते निशा ने अनुज के उपर आकर उस्का लन्ड अपनी बुर मे भर लिया


अनुज नीचे से सट सट कमर उठा कर उसकी बुर मे घुसाने लगा - आह्ह दीदी कितना खुल्ला कर दिया आपकी बुर को भैया ने उम्म्ं ऊहह मजा आ रहा है उम्म्ं,आओ ना भैया तुम भी ऊहहह

राज मुस्कुराया और अनुज का इशारा समझ गया

उसने पास रखी तेल की शिसी उठाई और निशा के गाड़ के दरारो मे ड्रॉप कराने लगा
जल्द ही तेल उसके सुराख से रिस कर उस्की चुत और अनुज के लन्ड पर जाने लगा

निशा गरदन फेर पर अपनी दरारो मे राज का लन्ड धंसता मह्सूस कर रही थी , उसकी सासे तेज रही थी ये उस्का पहला अनुभव था जब दो दो मुसल एक साथ उसकी बुर और गाड़ मे घुस रहे थे ।
राज ने पुरा सुपाडा चिकना कर उसको निशा के गाड़ मे मुहाने पर जोर दिया और प्कक की आवाज के साथ सुपाडा आधा अन्दर
सुपाड़े की मोटाई ने निशा के जिस्म को दर्द से अक्ड़ा दिया
अनुज भी कमर थामे रुका हुआ था निचे से
अगले ही पल राज ने जोर देते हुए सुपाड़े को थेला और लन्ड आधा अन्दर
निशा की आंखे बाहर को आने लगी , निचे से अनुज ने एक बार फिर कमर उछालने शुरु कर दिये

निशा के जिस्म की अकड़न और बढ़ गयी , जब राज ने अपनी कमर चलानी शुरु कर दी ।
कसा कड़ा मोटा लन्ड उसकी गाड़ के कसे छेद को भेदता हुआ हुआ जगह बनाने लगा - आअह्ह्ह दीदीइह्ह उम्म्ंम कितनाअह टाइट है उम्म्ंम्ं

अनुज -हा भैया मुझे भी फील हो रहा है अह्ह्ह
निशा - ऊहहह बहिनचोद आज फ़ाड दोगे क्या मेरी उम्म्ंम्ं मम्मीईई अह्ह्ह्ह सीईई ओह गॉड उम्म्ंम्ं फक्क्क

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राज झटके तेज करता ह्य - आह्ह दीदी कितनी रसिली गाड है आपकी उम्म्ंम्ं मन कर रहा है ऐसे ऐसे ऐसेह्ह्ह ऊहहह चोद चोद कर भर दू इसको ऊहहह

निशा राज के हचक लन्ड की चोट गाड़ की तलहटी तक मह्सूस कर रही थी वही निचे से अनुज का लन्ड उसकी चुत को अलग भेदे जा रहा है , इस दोहरे प्रहार से निशा की कमर से जांघ का हिस्सा बुरी तरह दर्द ने अक्ड़ा हुआ था ।
चुत बजबजा रही थी , राज के थ्पेडो से चुतड लाल हुए जा रहे थे - अह्ह्ह बहिनचोद कमिने तेरी मा चोदू साले अह्ह्ह्ह मार क्यू रहा है अह्ह्ह सीई ऐसेही पेल ना ऊहहह सीई

राज और अनुज खिलखिलाने लगे फिर राज ने उस्के कुल्हे जकड कर हुमुच हुमुच कर लण्ड उसकी गाड़ देने लगा ।
निशा के साथ साथ अनुज पर भी इस्का असर साफ साफ होने लगा
दोनो भाई जोश मे उपर निचे से एक लय मे कुल्हे झटकने लगे


निशा की चिखे तेज हो गयी, दोनो भाई भी पूरे जोश मे निशा की चिख को और तेज करते हुए करारे झटके लगाने लगे
दोनो के सुपाड़े पूरे फुल चुके थे और कभी भी फव्वारा फूट सकता था ।
राज झट से उठा और निशा भी उठ गयी
जीभ बाहर निकाले आग उगलगे दोनो सुपाडो के झड़ने की राह मे

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वही राज और अनुज अपना अपना मुसल हिला कर उसके मुह पर झाडने लगे ।

फिर थक कर चिपक कर सो गये
मगर नीचे कमरे मे अगले राउंड की तैयारियां चल रही थी ।

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रंगी बिस्तर पर टांग लटका कर लेटा हुआ था और उसके मोटे हुए लन्ड को रागिनी रज्जो और शिला मिल कर चुस चाट रही थी , एक दुसरे से लार साझा कर रही थी ।

इस आनन्द मे रंगी का मुसल और कड़क हुआ जा रहा था

जारी रहेगी
Kadak update bava 👌👌👌
 
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UPDATE 213

अमन के घर

शाम ढल चुकी थी और रात के खाने की तैयारी हो रही थी , रिन्की ने आज अमन का मूड बना दिया था तो मौका पाकर पहले दुलारी और फिर सोनल दोनो को चोद कर अमन कमरे मे सो गया था ।

इधर मुरारी बाजार से आया तो उसने ममता से अमन के बारे मे पुछा ।
ममता - पता नही आज तो उसने शकल नही दिखाई मुझे भाई , ना जाने कहा खोया है ।

रिन्की - और कहा खोये रहेंगे हिहिही भाभी के अलावा हिहिही
ममता उसे डांट लगाती हुई - चुप कर तु , जा बुला कर ला उसे ।
अमन के पास जाने का सुनते ही रिन्की सरपट सीढियों से दौड़ पड़ी ।

मुरारी- अरे भाई मै फोन लगाता हु ना उसे
ममता हस कर - रहने दिजीये वो गयी हीहिहिही

मुरारी- अह संगीता जरा पानी देना
मगर किचन से कोई जवाब नही आया
मुरारी- संगीता कहा गयी ?
ममता इसपे मुस्कुराने लगी ।
मुरारी भौहे टाइट कर - क्या हुआ तुम हस क्यू रही हो ? बताओ कहा है वो ?

ममता - अरे जब मजनू यहा नही है तो लैला क्यू रुकेगी भला हिहिहिही
मुरारी- मतलब ?
ममता हस्ती हुई - अरे देवर जी और मेरी ननद रानी दोनो बाजार गये है समान लेने मैने भेजा है ।

मुरारी- कैसा समान ?
ममता - अरे भाई परसो बहू के मायके से लोग आयेंगे ना , तो कुछ समान लेने भेज दिया बाकी का कुछ कल आ जायेगा ।

मुरारी- ओह्ह
अगले ही पल हड़बडा कर - फिर किचन मे कौन बरतन बजा रहा है ?
ममता हस्ती हुई - अरे क्या हो गया है आपको वहा बहू और दुलारी है ।

मुरारी- बहू किचन मे अभी से ?
ममता - मै मना ही कर रही थी मगर उसे उपर कमरे मे बोरियत हो रही थी तो चली आई दुलारी के साथ हाथ बताने और बात करने ।

मुरारी- ओह्ह ऐसा ।
ममता - वैसे आप बाजार क्यू गये थे ।
मुरारी इसपे मुस्कुराने लगा - वो बस ऐसे ही टहलने का मूड हुआ और पान खाने का तो ।

ममता लपक कर जेब टटोलने लगी और वो चौकोर डिबिया हाथ मे आते ही उसका पारा एकदम से टाइट , चेहरा गुस्से से लाल क्योकि उसका शक सही लगा उसे ।

कुर्ते की जेब मे हाथ डाले हुए ही उसने गुस्से से मुरारी को घूरा- मुझे पता था कि आप यही लेने गये थे , आप नही छोड़ेंगे ना

मुरारी हस कर - अरे अमन की मा तुम हाहाहा जो समझ रही हो वो नही है हिहिही
ममता - ये सिगरेट का पैकेट नही है, मुझे बेवकुफ समझते है निकालू बाहर

मुरारी ने आस पास खाली जगह देखा और एक नजर किचन की ओर देखा और हा मे सर हिला कर - ह्म्म्ं देख लो
ममता ने धिरे से जेब से वो चौकोर पैकेट निकाला और उसे देखते ही उसके चेहरे पर गुस्से की लाली शर्म और लाज के मारे गुलाबी हो गयी ।
दोनो हाथो मे छिपाती हुई वो उस कन्डोम के पैकेट को निहारती हुई मुस्कुराते गालों के साथ मुरारी को देखा - आप पागल हो गये है क्या ? हमे इसकी क्या जरुरत है ?
मुरारी ने लपक कर उसके हाथ से वो पैकेट लिया और जेब मे डालता हुआ - ये हमारे लिये नही , अमन के लिए है ।

ममता आंखे बड़ी कर - क्या ? मगर क्यू , उनकी भी तो शादी हुई है ना ।

मुरारी- अरे भाई अभी दोनो जवान जोशिले है , कही बच्चा कर लिये तो , जवानी का मजा कहा ले पायेंगे ।

ममता लाज के मारे मे हसने लगी - धत्त क्या आप भी , आपको क्या लगता है अमन ने अभी तक किया नही होगा ?

मुरारी ने बड़े गुरुर और शान से ना मे सर हिलाया - अरे आज जाकर मैने उसे परमिशन दी है , वो आज करने वाला है ।

ममता मुरारी के बेवकुफी पर हसी आ रही थी मगर वो अपनी भावनाये छिपा कर - तभी मै सोचू ये बाप बेटे छिप छिप कर अकेले क्या बातें करते है ? तो आप अमन को सुहागरात की टिप्स देते फिरते हो उम्म्ं ।

मुरारी हस कर - क्या तुम भी ।
ममता - वैसे आपने क्या क्या बताया उसे , कैसे करना है क्या करना है हिहिहिही

मुरारी- अरे उसे सब पता है , मैने बस बताया कि कब करना है ।

ममता आंखे नचा कर - ओह्ह वैसे आपको अपना पता है कि कब कब आपको भी करना चाहिए उम्म्ं

मुरारी कुछ सोचता इससे पहले ममता खिलखिला कर उठने लगी ।
फिर मुरारी समझ कि ममता ने उसके मजे ले लिये । उसने भी सोचा आज की रात वो उसे कुछ यादगार पल जरुर देगा ।

वही उपर अमन के कमरे मे अलग ही कांड हो रहा था
अमन सोकर उठ चुका था और बाथरूम मे नहा बेफिकर होकर नहा रहा था इस बार से अंजान की बाजर बाथरूम के खुले दरवाजे से रिन्की उसे पूरी नंगी निहार रही है

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उसका मोटा मुसल सो कर उठने की वजह से बौराया अकड़ा हुआ तना था , जिसे देख कर रिन्की की बुर कुलबुलाने लगी ।
उसने अपनी कैफ्री उतार कर सिर्फ पैंटी और टीशर्ट मे आ गयी ।
दरवाजे की कड़ी वो पहले ही लगा चुकी थी , अमन के गोरे मोटे टोपे वाले लन्ड को देख कर उसकी बुर कुलबुला रही थी ।
जिसे देख कर वो अपनी नन्हे मुन्ने चुजे मसलने लगी
इधर अमन नहा कर तौलिये से अपना बदन पोछने लगा , अभी तक उसकी नजर दरवाजे के पास खड़ी रिन्की पर नही गयी थी ।

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रिन्की ने मस्ती मे लपक कर अमन के कन्धे से तौलिया खिंच लिया और खिलखिलाकर हसने लगी ।

अमन चौका और अगले ही पल उसने कमरे मे खिलखिलाती हुई रिन्की को देखा , जिसने निचे सिर्फ पैंटी पहन रखी थी ।
अमन उसकी ओर लपकने को हुआ तभी उसे याद आया कि अभी भी वो पुरा भीगा है , कमरे मे गन्दगी हुई तो सोनल सवाल जवाब करेगी ।
वही उसका मुसल भरपुर फुल चुका था , रिन्की उसको नंगे निहार कर हस रही थी - क्यू आओ आओ लेलो हिहिहिही

अमन हसता हुआ - अच्छा तो तुझे दुपहर का बदला लेना था

रिन्की हस्ती हुई उस्के खडे देख कर अपने होठ चबाते हुए खिखी कर लगी ।
अमन - चल हो गया तेरा , अब ला तौलिया नही तो मै सच मे आ जाऊंगा

रिन्की - तो आजाओ हीही
अमन देखा कि अब तक उसके जिस्म से काफी पानी निचुड चुका था और वो बाथरूम के बाहर पायदान पर पैर रगड़ता हुआ रिन्की की ओर लपका और उसको पीछे से दबोच लिया , इस दौरान छिना झपटी मे उसका कडक मोटा तनमनाया लन्ड रिन्की के चुतड़ मे घिसता चुभोता रहा

उसकी कलाई रिन्की के मुलायम उभरे नरम मौसमी जैसे चुचे पर रगड़ते घिसते रहे । रिन्की कभी सिस्कती तो कभी हस्ती

तभी अमन ने उसके घुमा कर पकड लिया और लेकर बिस्तर पर बैठ गया ।
रिन्की पर उल्टी होकर उसके गोद मे लटकी हुई थी और अमन उसके चिकने चुतड सहलाते हुए उसके गाड़ पर थपेड मार रहा था - फिर करेगी शैतानी बोल उम्म्ं

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रिन्की का पुरा जिस्म अमन के पन्जे की थ्पेड से थरथरा उठा , मगर उसके मन मे कामुक सी खुमारी उठने लगी , निप्प्ल तन गये और वो हसने लगी ।
उसकी खिलखिलाहट सुन कर अमन के उसके चुतड़ पर उंगलियाँ सहलाते हुए एक बार फिर थ्पेड चट्ट से बजाया ।

रिन्की - आह्ह भाइयाअझ उह्ह्ह्ह म्ममीईई लग रहा है ऊहु ।
अमन अभी भी उसके चेहरे पर हसी देख रहा था - बोल फिर करेगी शैतानी उम्म्ं ऐसे परेशान करेगी।

रिन्की खिलखिलाती हुई ना मे सर हिलाती हुई - नही करुँगी भैया हिहिही प्कका नही

अमन ने उसको छोड़ा और उसको खड़ा किया अभी वो हस रही थी - चल 20 बार कान पकड कर उठक बैठक कर

रिन्की - क्या ? पर क्यूँ?
अमन - वो मै नही जानता , आर्मी मे ऐसे ही फिजिकल पनिशमेन्ट दी जाती है ।

रिन्की भुनकने लगी तो अमन ने भौहे चढा कर उसे आंखे दिखाई तो रिन्की मुह बनाते हुए उसकी ओर पीठ कर ली ।

अब वो उसके सामने खडी थी , पैंटी ने उसकी गाड़ बहुत ही नरम और खिली खिली दिख रही थी जिसे देख कर अमन अपना लन्ड सहलाता हुआ थुक गटकता है ।

अमन - चल शुरु कर

रिन्की मुह बनाते हुए अपने कान पक्ड कर अमन के सामने उठक बैठक करने लगी , अमन का लन्ड अब और भी बौराने लगा ।

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सामने रिन्की की गाड़ उठक बैठक करने से बार बार उसके आगे फैल जाती जिस्से उसका लन्ड और झटके खाने लगता

निचे बैठते समय उसके नरम चुतड़ पैंटी के दायरे से बाहर आकर फैल जाते और फिर उपर उठते हुए पैंटी उसके चुतड के दरारो मे फस जाती जिसे देख कर अमन की हालत खराब होने लगी ।

देखते ही देखते रिन्की ने 20 बार उठक बैठक कर लिये - हो गया भैया और भी करू?

"ऐसे ऐसे करू " , रिन्की ने अपनी चुतड को बड़ी अदा के बाहर की ओर फेकती हुई उसको झटकते हुए उछाला जिसे देख कर अमन को हसी आई - धत्त चल जा अब यहा से ,

तभी उसका मोबाईल बजने लगा ।

मुरारी उसे फोन लगा रहा था ।
मोबाइल बजते ही रिन्की को ध्यान आया कि वो यहा क्यू है - अरे वो मामी ने आपको बुलाया है भैया , आजाओ जल्दी

अमन लपक कर उसके नंगे चुतड पर एक थ्पेड़ लगाता हुआ - अच्छा तो ये कब बताने वाली थी तु उम्म


रिन्की अपने चुतड़ सहलाती दर्द से सिस्कती हस्ती हुई - आह्ह भैया अब क्यू मारा , वो मै भूल गयी थी ना

अमन - रुक अभी बताता हु तुझे फिर कभी कुछ नही भुलेगी तु

इससे पहले अमन उसे पकडता अपनी कैफरि उठाई और बिना पहने ही दरवाजा खोलकर हस्ती हुई निकल गयी
अमन हस कर - अरे पागल कपडे पहन लेती , कोई देख लेगा
"हिहिही ये पूरी पागल है , लेकिन साली ने लन्ड खड़ा कर दिया उफ्फ्फ ",अमन अपना लन्ड ऐडज्स्ट करता हुआ बड़बडाया । फिर कपडे पहन कर निचे चला गया ।


राहुल के घर


राहुल और अरुण नदी की ओर घूम कर वापिस आ चुके थे
दुकान मे कोई नजर नही आ रहा था और गलियारे की ओर बढ़ने पर दोनो के कान खड़े हो गये ।
हाल मे शालिनी और जन्गी की बहस हो रही थी । रंगी के सम्झाने के बाद भी जन्गी की खुन्नस खतम नही हुई थी
वो शालिनी को बाज़ार के लिए फटकार रहा था और शालिनी भी उसको भरपूर जवाब दे रही थी
शालिनी - आपकी खातिर मैने क्या क्या नही किया , मै तो सीधी साधारण ही थी । आपकी फरमाईस पर ही मैने ये सूट तो कभी डिजाईनर कपडे पहने , मै तो कभी बजार खरीदने नही गयी ना ।

जन्गी को शालिनी की बात का झटका लगा मगर शालिनी रुकी नही - कभी ये चमकीली नाइटी तो कभी फैशन वाली ड्रेस कौन लाकर दिया मुझे और तो और बिस्तर पर मुझसे जबरज्स्ती क्या क्या बुलवाया मुझसे

शालिनी बोलते बोल्ते सिस्कने लगी , वही जन्गी बुत बनकर खड़ा रहा शालिनी की बातों से उसे झकझोर दिया ।
हालकि उसने सोचा था कि उसकी इच्छा उसकी मनमर्जियां जो कुछ भी वो शालिनी पर लाद रहा था उसके अनुसार वो चारदिवारी मे छिप कर ही रहेगी ।
मगर औरत की तिरीया चरित्र को और उसके जजबातों को समझने जन्गी से चूक हो गयि ।
उसे अपनी गलती का पछतावा था मगर वो माफी किस मुह से मागता , सामने शालिनी सुबगती हुई राशन के समान अलग कर रही थी ।

वही गलियारे मे राहुल और अरून चुप्पी साधे हाल मे जन्गी और शालिनी की बाते सुनते हुए धिरे से बाहर सरक लिये ।


अरुण - भाई क्या बवाल हो रहा है ये सब
राहुल - पता नही भाई , शायद मम्मी आज दीदी का सूट पहन कर गयि थी इसीलिए पापा भड़के थे । लेकीन

अरुण - लेकिन क्या ?
राहुल - यार पापा तो कभी ऐसे नही रोकते टोकते मगर आज क्या हुआ जो ऐसे झगड पड़े । जरुर कोई दूसरी बात भी होगी ।
अरुन - भाई अब आगे क्या करे , मतलब मामी पर ट्राई करू या नही

राहुल - साले मरवायेगा क्या , देख नही रहा घर का माहौल
अरुन का चेहरा उतर गया ये सोच कर कि साला थोड़ी देर के लिए उसकी किस्मत हर बार के जैसे मेहरबान होती है और फिर गायब ।
अरुण ने मामी को पाने का सपना ये अच्छा ख्वाब समझ कर भुलने की कोसिस मे लगा रहा मगर दिल कहा सुनने वाला था ।
कभी कल नये सवेरे मे नयी आश के साथ मौका तलाशने की तलब होती तो कभी फिर से छुट्टियों मे चमनपुरा आकर पेलने की योजना बनाता फिरता । कभी रुबिना के मोटी गाड़ याद कर कल उसे ही पेलने की योजना करने लगता ।

खैर ऐसे ही समय उलझनो मे कट रहा था बिल्कुल अनुज के जैसे
अनुज का भी हाल कम खराब नही था , ख्यालो मे उसने राज और बुआ के कई चुदाई के किस्से गढ़ डाले । लन्ड की कसावट कम नही हो रही थी इतने मे रज्जो हाल मे आई ।

रज्जो - क्या हुआ लल्ला क्या सोच रहा है ।
अनुज रज्जो मौसी को देखा जो नाइटी मे उसके करीब आ कर बैठ गयी थी । उनके रसिले चुचो के उभार देख कर अनुज ने पैर फैला कर जोर की अंगडाई लेता हुआ मुस्कुरा कर रज्जो के उपर झोल गया ।
रज्जो - अरे अरे क्या कर रहा है हिहिहिही
अनुज उसके नरम नरम चुचो पर लदता हुआ - आह्ह मौसी कितना नरम है
रज्जो धिरे से फुसफुसाकर- क्यू तेरी बुआ की गाड़ नरम नही थी क्या ?
अनुज चौक कर रज्जो को मुस्कुराते देखा और उसके पसीने छुटने लगे
रज्जो मुस्कुरा कर - अरे डरता क्यू है , अगर तु उसके कपडे उतार के घुसा भी देता ना वो मना नही करती । एक नम्बर की छिनार है तेरी बुआ

अनुज लाज से मुस्कुरा कर - क्या मौसी तुम भी , ऐसा थोडी होता है वो तो बस मै नीद मे था और वो टच हो गया ।

रज्जो - हम्म बताया तेरी बुआ ने कैसे नीद मे तेरा खुन्टा चल रहा था हिहिहिही

अनुज - क्या बुआ ने बताया
रज्जो - अरे वो छिनार तो तेरी अम्मा को भी बता देती वो तो मैने रोका उसे

मा का जिक्र आते ही अनुज की सासे फुलने लगी उस्का कलेजा कापने लगा - फिर तो उनसे अब दुर रहूंगा मै, कही मम्मी को बता दिया तो बड़ी मार पड़ेगी

रज्जो हस्ती हुई - धत्त रे डरता क्यू है , वो कुछ नही कहेगी अब मौका मिले पीछे से घुसा देना हिहिहिही

अनुज - प्कका वो मम्मी से नही कहेगी कुछ
रज्जो - अरे मै हु ना कुछ हुआ तो
अनुज रज्जो को हग करता हुआ - वॉव मौसी कितनी प्यारी हो आप हिहिहिही लेकिन कब ट्राई करू अब

रज्जो - जब कभी मौका लगे हिह्हिही
तब तक हाल मे रंगी दाखिल हुआ और मौसी भतिजे की वार्ता एकदम से रुक गई ।
कुछ देर बाद सबका खाना पिना हुआ और सब अपने तय कमरे मे सोने के लिए निकल गये ।
निशा और अनुज के उपर जाते ही रंगी तीन गदराइ औरतो के साथ अपने कमरे मे चला गया ।

राज अपनी योजनानुसार आज रेस्ट का बहाना मारकर उपर निशा को सरप्राइज देने के लिए पहुच गया , मगर उसके अंदेशे के हिसाब से अनुज निशा के कमरे मे अपना काम शुरु कर चुका था ।
दरवाजा बन्द था अंदर से और अनुज की कामुक सिसकिया आ रही थी जिस्से साफ पता चल रहा था कि निशा ने उस्का लन्ड चुबलाना शुरु भी कर दिया था ।

अगले ही पल राज ने दरवाजे पर दस्तक दी और भीतर कमरे मे हड़बड़ हो गयी ।
अनुज झट से अपने कपडे पहन कर दरवाजे की ओट मे हो गया और निशा भी मुह साफ करती हुई दरवाजा खोला - अरे राज तु

राज कमरे मे दाखिल होता हुआ - आह्ह दीदी आज बड़ा मूड है कुछ करते है ना

निशा इशारे से कमरे मे अनुज के होने का बताती है तो राज उसको आंख मारकर बताता है कि उसे पता है और उसका इरादा क्या है ।
निशा की सासे चढने लगती है ।
राज - आह्ह दीदी आओ ना चुसो ना मेरा , कितना दिन हो गया आपके होठो से चुसवाये ऊहह देखो ना कैसे टाइट हो रहा है ऊहह

निशा - ऊहह राज कितना तप रहा है रे तेरा लन्ड उम्म्ंम उफ्फ्फ कितना मोटा हो रहा हौ

राज - आह्ह दीदी आप छुती हो तोह्ह उम्म्ंम लेलोना मुह उह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह सीई उम्म्ंम

वही कमरे का दरवाजा अभी भी खुला था और अनुज उसके पीछे छिपा हुआ था , जिसकी ये सोच कर फट रही थी ये लोग दरवाजा खोल कर खुलेआम लगे हुए है
उस्से बढ़ कर उसके लिये ये सरप्राइज था कि उसका राज भैया तो पहले से ही निशा को भी चोदता आ रहा है ।
अनुज का मुसल एकदम से फनफना गया

निशा मुह से लन्ड निकाल कर उसको सहलाती हुई - दरवाजा बन्द कर दू भाई , कोई आ जायेगा

राज - अरे अनुज बन्द कर देगा ना , भाई दरवाजा लगा दे ना

अनुज की फट के चार हो गयी कि राज को कैसे पता कि वो वहा है । अनुज चोरो के जैसे मुह लटकाये दरवाजे की ओट से बाहर आया और सामने का नजारा देख कर उसकी आंखे फैल गयी ।

सामने निशा निचे घुटने बल खडी होकर राज का मुसल चुस रही थी और राज उसके सर को सहलाता हुआ आन्खे उलट रहा था ।

अनुज ने दरवाजा लगाता हुआ - भैया मै भी आऊ
राज ने बड़े ही कैजुअल तरिके से लन्ड की चुसवाई का मजा लेते हुए सिस्कते हुए - आह्ह हा भाई आजा ना ऊहह

अनुज मुस्कुरा कर खिल उठा और झट से लोवर से मुसल निकाल कर निशा के आगे परोस दिया - दिदी दीदी मेरा भी अह्ह्ह उफ्फ्फ उम्म्ं

राज - क्यू भाई आजकल मुझसे छिपा कर करने लगा है तु उम्म्ं

अनुज सिस्कता हुआ निशा को लन्ड चुबलाता देख कर - अह्ह्ह भैया लेकिन आपसे छिपता कब ही है ओह्ह ना जाने कब आप निशा दीदी के बारे मे जान गये

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राज हसता हुआ - पगले मेरे कहने पर ही तो निशा दीदी ने तुझे और राहुल को हा कहा था हिहिही

अनुज ने हैरत से निशा की ओर देखा जो दोनो भाइयो का कड़ा लन्ड लेके सहला रही थी और मुस्कुरा रही थी
अनुज का लन्ड उस्की कातिल मुस्कुराह्ट से उसकी हथेली मे झटके खाने लगा



वही निचे कमरे मे गजब का रोमांच मचा हुआ था

शिला उसके उपर रज्जो और फिर सबसे उसपे रागिनी
सब एकदुसरे के उपर गाड़ खोल कर चढ़ी हुई थी ।
रंगी भी पुरा नंगा होकर रागिनी के चुतड़ फैलाकर उसके चुत के फाके चुबला रहे था

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रागिनी मादक सिस्किया ले रही थी- आह्ह मेरे राजाहा उह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम्ं

रज्जो - ऊहह जमाई राजा ऊहह क्या मस्त जीभ चला रहे हो अजज ऊहह माह्ह्ह सीईई उफ्फ्फ

रन्गी रागिनी के चुत से सरक कर रज्जो की मोटी मखमाली गाड़ फैलाकर उसके सुराख कुरेदने लगा

वही निचे दबी हुई शिला दोनो बहनो की सिस्किया सुन्कर अपनी चुत मसल रही थी

तभी रन्गी ने निचे झुक कर उसकी बुर मे भी अपनी थूथ रगड़ दी ।

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शिला मचल कर रह गयी और रन्गी ने एक सुर ने निचे से उपर तक सभी चुत और गाड़ के फाको मे जीभ लगा कर चाटता हुआ उपर से निचे होने लगा

तीनो गदाराई औरतें की मादक सिस्किया एक साथ उठने लगी और देखते ही देखते रन्गी ने निचे से शिला की गाड़ मे
लन्ड घुसेड़ दिया

दो गरदाई औरतो के भार के तले दबी हुई शिला की हालत और खराब होने लगी
रंगी के दोनो हाथ रागिनी और रज्जो की बुर सहला रहे थे और लन्ड शिला की कसी गाड़ मे घुसा हुआ था

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रन्गी - अह्ह्ह दीदी क्या मस्त गाड़ है उम्म्ंम जीजी (रज्जो) आपकी बुर कितनी गर्म हो गयी है अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

शिला - आह्ह भैयाह्ह्ह उफ्फ्फ बहुत टाइट जा रहा है ऐसे उह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं
रज्जो - ओह्ह जमाई बाबू उम्म्ंम्ं कबसे तो रस छोड़ रही है मेरी बुर दालो ना उह्ह्ह्ह ओह्ह्ह

रागिनी - हा मेरे घुसाओ ना , आप तो अपनी छिनार बहनिया मे ही अटके हो अह्ह्ह्ज सीई हम बहनो का भी ख्याल करो उह्ह्ह चोदो ना ऊहह

रंगी दोहरे जोश मे आ गया और थोडा खडा होकर सिधा रज्जो की गाड़ मे लन्ड घुसेड़ दिया - अह्ह्ह बहिनचोद उह्ह्ह कितना टाइट है जीजी उह्ह्ह उफ्फ्फ क्या मस्त गाड़ है तुम्हारि उह्ह्ह ये लोह्ह ऊहह

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रज्जो - ऊहहह आह्ह मेरे राजाह्ह ऐसे ही फाडो ऊहह और तेज उम्म्ं ऐसे हीईई

रन्गी रागिनी की जांघो को पक्ड कर सपोर्ट लेके हचर हचर रज्जो की गाड़ फ़ाड रहा था और उसकी उंगलिया रागिनी चुत फैला कर उसके दाने रगड़ रही थी जिस्से रागिनी की चुत बजबजा रही थी - अह्ह्ह सोनल के पापा उह्ह्ह हहह आ रहा है उह्ह्ह घुसाओ ना उम्म्ंम सीई चाहिय्र मुझे आह्ह

रन्गी उसके नंगे चुतड़ को नोचता थपेड मारता - क्या लेगी मेरी रान्ड बोल ना उह्ह्ह आह्ह

रज्जो की अलग सिसकी निकल रही थी और शिला जिस्से अब और दबाव भार सहा नही जा रहा था उसने अपनी गाड़ उचका कर बाकी को आगे बिस्तर पर धकेल दिया

रज्जो के उपर रागिनी पसर के आगे बढ़ गयी सब खिलखिलाने लगे और रन्गी ने भी आगे बढ़ सीधा रागिनी की गाड मे थुक लगा कर अपना मोटा लन्ड घुसेड़ दिया - उह्ह्ह मेरी जान लेह्ह्ह घुसा दिया ऊहह

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रान्गिनी की आंखे उलटने लगी रन्गी का मोटा लन्ड उसको गाड के निचे से अपनी बुर मे घिस्ता मह्सुस हो रहा था और उसकी बुर झड रही थी -आह्ह मेरे राजा ऐसे ही उह्ह्ह पागल कर दोगे आप तो उह्ह्ह माह्ह सीई अह्ह्ह पेलो मुझे अह्ह्ह अह ननद के सैयाह्ह उह्ह्ह

रन्गी हचर हचर रागिनी की कसी गाड़ मे चोद रहा था और शिला पीछे से उस्से लिपट निकल कर उसके गाड के निचे से आड़ो को छू सहला रही थी ।
शिला के गुदाज नरम जिस्म का स्पर्श पाकर रंगी के लण्ड का कडकपन और बढ़ गया जिससे रागिनी की चिखे और तेज होने लगी
रंगी ने छेद बदल कर रज्जो की चुत मे लन्ड लगा दिया और चोदने लगा
दोनो बहने मादक सिस्किया ले रही थी और शिला का स्पर्श रन्गी का पागल कर चुका था
वो चरम पर आ गया था

रंगी अब चिन्घाडने लगा - अह्ह्ह्ह जीजी आयेगा आओ सब ऊहहह जल्दी ऊहहह
रंगी ने रज्जो की बुर से लन्ड निकाला और हिलाने लगा

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तीनो औरते नंगी रंगी के कदमो मे जीभ निकाले मुह खोले बैठ गयी और रन्गी की पिचकारि छुट्टी बारि बारी से तिनो पर गयि ।

तिनो ने बड़े चाव से उसके लन्ड को साफ किया और देर3 तक चुबलाती रही
वही उपर के कमरे मे भी चीजे बदल चुकी थी

निशा के मुह मे राज का लन्ड गले मे फसा हुआ था और दूसरी ओर अनुज की जान्घे उठाए सटासट पूरे जोश मे उसकी चुत मे लन्ड डाले जा रहा था - अह्ह्ह दीदी कितनी सेक्सी हो तुम ऊहहह कितनी मस्त बुर है तुम्हारि है ना भैयाअह्ह्ह

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राज अपना लन्ड निशा के गले मे चोक करता है - आह्ह हा भाई ऊहहह साली का मुह भी मस्त ऊहह लेह्ह ना और लेह्ह्ह ऊहहह रगड़ रगड़ कितना मोटा कर दिया है तुने इस्का दूध उफ्फ्च देख कैसे हिल रहा है

अनुज निशा की हिलती चुचिया देख कर और कसकस कर चोदने लगा - आह्ह हा भैया अब देखो और हिल रहा है हिहिही कितना नरम और मोटा है अह्ह्ह दीदी निचोड लोगि क्या हहहहह

निशा - आह्ह साले आराम से चोद ना य्ह्ह बहन हु तेरी कोई रंडी नही अह्ह्ह बहिनचोद भाग थोड़ी ना रही

राज और अनुज निशा की बाते सुन हसने लगे और राज निशा के कंधे थपथपा कर उसको उठने का इशारा किया
अनुज भी पीछे बिस्तर का टेक लेकर फैल गया
निशा बिल्ल्लियो की तरह घुटने घसीटती हुई उसके करीब आई और उस्का मोटा तनमनाया मुसाल जो उसकी बुर की रसो से सना था उसको मुह मे भर ली जिसे देख कर अनुज को और भी जोश आने लगा
वही राज पीछे से उसकी चुत के मुहाने पर लन्ड टिका कर हच्च से भीतर उतार दिया -अह्ह्ह बहिनचोद आराम से ऊहहह उम्म्ं कितना मोटा है रे तेरा

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अनुज हस कर - मेरा या भैया का
निशा - तुम दोनो का आह्ह ऊहहह फ्क्क मीईई येस्श्ह आह्ह राज्ज्ज उम्म्ंम और घुसा आह्ह सीई

अनुज निशा के बाल सवार कर उसकी नरम नरम लटकी चूचिया सहला रहा था और निशा आगे झुक कर उसका लन्ड चुस रही थी ।राज के तेज करारे झटकों से बार बार उसकी मोटी गुदाज चुचियो के बीच अनुज के आड और लाड़ दोनो घुस जाते और अनुज को नशा सा छाने लगता

राज उसके चुतड़ मसलता हुआ - ऊहह दीदी उम्म्ंम कितनी मुलायम गाड़ है ऊहहह सीई ऊहहह

अनुज अब तक निचे सरक चुका था और निशा की चुचिया पकड़ कर निचे से लन्ड उसी मे पेलने लगा - अह भैया नरम तो दीदी की चुचिया है अह्ह्ह कितना मजा आ रहा है ऊहहह माह्ह सीई उफ्फ्फ दीदी कमाल हो तुम तो उफ्फ्फ

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निशा की सिसकिया और भी मादक होने लगी ।
राज निशा की गाड़ की सुराख मसल्ता हुआ - आह्ह दीदी तुम्हारी गाड़ का छेड़ कितना सेक्सी है उम्म्ंम मन कर रहा है घुसा दू उम्म्ंम साली को चोद चोद कर लाल कर दू ऊहहह

अनुज - घुसा दो भैया कल रात मैने घुसाया था बहुत टाइट था ऊहहह दिदीईई आह्ह उम्म्ं

राज - क्या तुने गाड़ भी मार ली
निशा अनुज आपस मे मुस्कुराने लगे

अनुज - आओ ना दीदी मेरे उपर

निशा आगे बढ गयी और राज लन्ड उसकी बजबजाई चुत से बाहर निकल गया और देखते ही देखते निशा ने अनुज के उपर आकर उस्का लन्ड अपनी बुर मे भर लिया


अनुज नीचे से सट सट कमर उठा कर उसकी बुर मे घुसाने लगा - आह्ह दीदी कितना खुल्ला कर दिया आपकी बुर को भैया ने उम्म्ं ऊहह मजा आ रहा है उम्म्ं,आओ ना भैया तुम भी ऊहहह

राज मुस्कुराया और अनुज का इशारा समझ गया

उसने पास रखी तेल की शिसी उठाई और निशा के गाड़ के दरारो मे ड्रॉप कराने लगा
जल्द ही तेल उसके सुराख से रिस कर उस्की चुत और अनुज के लन्ड पर जाने लगा

निशा गरदन फेर पर अपनी दरारो मे राज का लन्ड धंसता मह्सूस कर रही थी , उसकी सासे तेज रही थी ये उस्का पहला अनुभव था जब दो दो मुसल एक साथ उसकी बुर और गाड़ मे घुस रहे थे ।
राज ने पुरा सुपाडा चिकना कर उसको निशा के गाड़ मे मुहाने पर जोर दिया और प्कक की आवाज के साथ सुपाडा आधा अन्दर
सुपाड़े की मोटाई ने निशा के जिस्म को दर्द से अक्ड़ा दिया
अनुज भी कमर थामे रुका हुआ था निचे से
अगले ही पल राज ने जोर देते हुए सुपाड़े को थेला और लन्ड आधा अन्दर
निशा की आंखे बाहर को आने लगी , निचे से अनुज ने एक बार फिर कमर उछालने शुरु कर दिये

निशा के जिस्म की अकड़न और बढ़ गयी , जब राज ने अपनी कमर चलानी शुरु कर दी ।
कसा कड़ा मोटा लन्ड उसकी गाड़ के कसे छेद को भेदता हुआ हुआ जगह बनाने लगा - आअह्ह्ह दीदीइह्ह उम्म्ंम कितनाअह टाइट है उम्म्ंम्ं

अनुज -हा भैया मुझे भी फील हो रहा है अह्ह्ह
निशा - ऊहहह बहिनचोद आज फ़ाड दोगे क्या मेरी उम्म्ंम्ं मम्मीईई अह्ह्ह्ह सीईई ओह गॉड उम्म्ंम्ं फक्क्क

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राज झटके तेज करता ह्य - आह्ह दीदी कितनी रसिली गाड है आपकी उम्म्ंम्ं मन कर रहा है ऐसे ऐसे ऐसेह्ह्ह ऊहहह चोद चोद कर भर दू इसको ऊहहह

निशा राज के हचक लन्ड की चोट गाड़ की तलहटी तक मह्सूस कर रही थी वही निचे से अनुज का लन्ड उसकी चुत को अलग भेदे जा रहा है , इस दोहरे प्रहार से निशा की कमर से जांघ का हिस्सा बुरी तरह दर्द ने अक्ड़ा हुआ था ।
चुत बजबजा रही थी , राज के थ्पेडो से चुतड लाल हुए जा रहे थे - अह्ह्ह बहिनचोद कमिने तेरी मा चोदू साले अह्ह्ह्ह मार क्यू रहा है अह्ह्ह सीई ऐसेही पेल ना ऊहहह सीई

राज और अनुज खिलखिलाने लगे फिर राज ने उस्के कुल्हे जकड कर हुमुच हुमुच कर लण्ड उसकी गाड़ देने लगा ।
निशा के साथ साथ अनुज पर भी इस्का असर साफ साफ होने लगा
दोनो भाई जोश मे उपर निचे से एक लय मे कुल्हे झटकने लगे


निशा की चिखे तेज हो गयी, दोनो भाई भी पूरे जोश मे निशा की चिख को और तेज करते हुए करारे झटके लगाने लगे
दोनो के सुपाड़े पूरे फुल चुके थे और कभी भी फव्वारा फूट सकता था ।
राज झट से उठा और निशा भी उठ गयी
जीभ बाहर निकाले आग उगलगे दोनो सुपाडो के झड़ने की राह मे

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वही राज और अनुज अपना अपना मुसल हिला कर उसके मुह पर झाडने लगे ।

फिर थक कर चिपक कर सो गये
मगर नीचे कमरे मे अगले राउंड की तैयारियां चल रही थी ।

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रंगी बिस्तर पर टांग लटका कर लेटा हुआ था और उसके मोटे हुए लन्ड को रागिनी रज्जो और शिला मिल कर चुस चाट रही थी , एक दुसरे से लार साझा कर रही थी ।

इस आनन्द मे रंगी का मुसल और कड़क हुआ जा रहा था

जारी रहेगी
Super Update Bhai ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ Awesome ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ Foursome And Threesome ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ ❤️ 🥰 🥰 😍
 

TharkiPo

I'M BACK
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UPDATE 213

अमन के घर

शाम ढल चुकी थी और रात के खाने की तैयारी हो रही थी , रिन्की ने आज अमन का मूड बना दिया था तो मौका पाकर पहले दुलारी और फिर सोनल दोनो को चोद कर अमन कमरे मे सो गया था ।

इधर मुरारी बाजार से आया तो उसने ममता से अमन के बारे मे पुछा ।
ममता - पता नही आज तो उसने शकल नही दिखाई मुझे भाई , ना जाने कहा खोया है ।

रिन्की - और कहा खोये रहेंगे हिहिही भाभी के अलावा हिहिही
ममता उसे डांट लगाती हुई - चुप कर तु , जा बुला कर ला उसे ।
अमन के पास जाने का सुनते ही रिन्की सरपट सीढियों से दौड़ पड़ी ।

मुरारी- अरे भाई मै फोन लगाता हु ना उसे
ममता हस कर - रहने दिजीये वो गयी हीहिहिही

मुरारी- अह संगीता जरा पानी देना
मगर किचन से कोई जवाब नही आया
मुरारी- संगीता कहा गयी ?
ममता इसपे मुस्कुराने लगी ।
मुरारी भौहे टाइट कर - क्या हुआ तुम हस क्यू रही हो ? बताओ कहा है वो ?

ममता - अरे जब मजनू यहा नही है तो लैला क्यू रुकेगी भला हिहिहिही
मुरारी- मतलब ?
ममता हस्ती हुई - अरे देवर जी और मेरी ननद रानी दोनो बाजार गये है समान लेने मैने भेजा है ।

मुरारी- कैसा समान ?
ममता - अरे भाई परसो बहू के मायके से लोग आयेंगे ना , तो कुछ समान लेने भेज दिया बाकी का कुछ कल आ जायेगा ।

मुरारी- ओह्ह
अगले ही पल हड़बडा कर - फिर किचन मे कौन बरतन बजा रहा है ?
ममता हस्ती हुई - अरे क्या हो गया है आपको वहा बहू और दुलारी है ।

मुरारी- बहू किचन मे अभी से ?
ममता - मै मना ही कर रही थी मगर उसे उपर कमरे मे बोरियत हो रही थी तो चली आई दुलारी के साथ हाथ बताने और बात करने ।

मुरारी- ओह्ह ऐसा ।
ममता - वैसे आप बाजार क्यू गये थे ।
मुरारी इसपे मुस्कुराने लगा - वो बस ऐसे ही टहलने का मूड हुआ और पान खाने का तो ।

ममता लपक कर जेब टटोलने लगी और वो चौकोर डिबिया हाथ मे आते ही उसका पारा एकदम से टाइट , चेहरा गुस्से से लाल क्योकि उसका शक सही लगा उसे ।

कुर्ते की जेब मे हाथ डाले हुए ही उसने गुस्से से मुरारी को घूरा- मुझे पता था कि आप यही लेने गये थे , आप नही छोड़ेंगे ना

मुरारी हस कर - अरे अमन की मा तुम हाहाहा जो समझ रही हो वो नही है हिहिही
ममता - ये सिगरेट का पैकेट नही है, मुझे बेवकुफ समझते है निकालू बाहर

मुरारी ने आस पास खाली जगह देखा और एक नजर किचन की ओर देखा और हा मे सर हिला कर - ह्म्म्ं देख लो
ममता ने धिरे से जेब से वो चौकोर पैकेट निकाला और उसे देखते ही उसके चेहरे पर गुस्से की लाली शर्म और लाज के मारे गुलाबी हो गयी ।
दोनो हाथो मे छिपाती हुई वो उस कन्डोम के पैकेट को निहारती हुई मुस्कुराते गालों के साथ मुरारी को देखा - आप पागल हो गये है क्या ? हमे इसकी क्या जरुरत है ?
मुरारी ने लपक कर उसके हाथ से वो पैकेट लिया और जेब मे डालता हुआ - ये हमारे लिये नही , अमन के लिए है ।

ममता आंखे बड़ी कर - क्या ? मगर क्यू , उनकी भी तो शादी हुई है ना ।

मुरारी- अरे भाई अभी दोनो जवान जोशिले है , कही बच्चा कर लिये तो , जवानी का मजा कहा ले पायेंगे ।

ममता लाज के मारे मे हसने लगी - धत्त क्या आप भी , आपको क्या लगता है अमन ने अभी तक किया नही होगा ?

मुरारी ने बड़े गुरुर और शान से ना मे सर हिलाया - अरे आज जाकर मैने उसे परमिशन दी है , वो आज करने वाला है ।

ममता मुरारी के बेवकुफी पर हसी आ रही थी मगर वो अपनी भावनाये छिपा कर - तभी मै सोचू ये बाप बेटे छिप छिप कर अकेले क्या बातें करते है ? तो आप अमन को सुहागरात की टिप्स देते फिरते हो उम्म्ं ।

मुरारी हस कर - क्या तुम भी ।
ममता - वैसे आपने क्या क्या बताया उसे , कैसे करना है क्या करना है हिहिहिही

मुरारी- अरे उसे सब पता है , मैने बस बताया कि कब करना है ।

ममता आंखे नचा कर - ओह्ह वैसे आपको अपना पता है कि कब कब आपको भी करना चाहिए उम्म्ं

मुरारी कुछ सोचता इससे पहले ममता खिलखिला कर उठने लगी ।
फिर मुरारी समझ कि ममता ने उसके मजे ले लिये । उसने भी सोचा आज की रात वो उसे कुछ यादगार पल जरुर देगा ।

वही उपर अमन के कमरे मे अलग ही कांड हो रहा था
अमन सोकर उठ चुका था और बाथरूम मे नहा बेफिकर होकर नहा रहा था इस बार से अंजान की बाजर बाथरूम के खुले दरवाजे से रिन्की उसे पूरी नंगी निहार रही है

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उसका मोटा मुसल सो कर उठने की वजह से बौराया अकड़ा हुआ तना था , जिसे देख कर रिन्की की बुर कुलबुलाने लगी ।
उसने अपनी कैफ्री उतार कर सिर्फ पैंटी और टीशर्ट मे आ गयी ।
दरवाजे की कड़ी वो पहले ही लगा चुकी थी , अमन के गोरे मोटे टोपे वाले लन्ड को देख कर उसकी बुर कुलबुला रही थी ।
जिसे देख कर वो अपनी नन्हे मुन्ने चुजे मसलने लगी
इधर अमन नहा कर तौलिये से अपना बदन पोछने लगा , अभी तक उसकी नजर दरवाजे के पास खड़ी रिन्की पर नही गयी थी ।

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रिन्की ने मस्ती मे लपक कर अमन के कन्धे से तौलिया खिंच लिया और खिलखिलाकर हसने लगी ।

अमन चौका और अगले ही पल उसने कमरे मे खिलखिलाती हुई रिन्की को देखा , जिसने निचे सिर्फ पैंटी पहन रखी थी ।
अमन उसकी ओर लपकने को हुआ तभी उसे याद आया कि अभी भी वो पुरा भीगा है , कमरे मे गन्दगी हुई तो सोनल सवाल जवाब करेगी ।
वही उसका मुसल भरपुर फुल चुका था , रिन्की उसको नंगे निहार कर हस रही थी - क्यू आओ आओ लेलो हिहिहिही

अमन हसता हुआ - अच्छा तो तुझे दुपहर का बदला लेना था

रिन्की हस्ती हुई उस्के खडे देख कर अपने होठ चबाते हुए खिखी कर लगी ।
अमन - चल हो गया तेरा , अब ला तौलिया नही तो मै सच मे आ जाऊंगा

रिन्की - तो आजाओ हीही
अमन देखा कि अब तक उसके जिस्म से काफी पानी निचुड चुका था और वो बाथरूम के बाहर पायदान पर पैर रगड़ता हुआ रिन्की की ओर लपका और उसको पीछे से दबोच लिया , इस दौरान छिना झपटी मे उसका कडक मोटा तनमनाया लन्ड रिन्की के चुतड़ मे घिसता चुभोता रहा

उसकी कलाई रिन्की के मुलायम उभरे नरम मौसमी जैसे चुचे पर रगड़ते घिसते रहे । रिन्की कभी सिस्कती तो कभी हस्ती

तभी अमन ने उसके घुमा कर पकड लिया और लेकर बिस्तर पर बैठ गया ।
रिन्की पर उल्टी होकर उसके गोद मे लटकी हुई थी और अमन उसके चिकने चुतड सहलाते हुए उसके गाड़ पर थपेड मार रहा था - फिर करेगी शैतानी बोल उम्म्ं

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रिन्की का पुरा जिस्म अमन के पन्जे की थ्पेड से थरथरा उठा , मगर उसके मन मे कामुक सी खुमारी उठने लगी , निप्प्ल तन गये और वो हसने लगी ।
उसकी खिलखिलाहट सुन कर अमन के उसके चुतड़ पर उंगलियाँ सहलाते हुए एक बार फिर थ्पेड चट्ट से बजाया ।

रिन्की - आह्ह भाइयाअझ उह्ह्ह्ह म्ममीईई लग रहा है ऊहु ।
अमन अभी भी उसके चेहरे पर हसी देख रहा था - बोल फिर करेगी शैतानी उम्म्ं ऐसे परेशान करेगी।

रिन्की खिलखिलाती हुई ना मे सर हिलाती हुई - नही करुँगी भैया हिहिही प्कका नही

अमन ने उसको छोड़ा और उसको खड़ा किया अभी वो हस रही थी - चल 20 बार कान पकड कर उठक बैठक कर

रिन्की - क्या ? पर क्यूँ?
अमन - वो मै नही जानता , आर्मी मे ऐसे ही फिजिकल पनिशमेन्ट दी जाती है ।

रिन्की भुनकने लगी तो अमन ने भौहे चढा कर उसे आंखे दिखाई तो रिन्की मुह बनाते हुए उसकी ओर पीठ कर ली ।

अब वो उसके सामने खडी थी , पैंटी ने उसकी गाड़ बहुत ही नरम और खिली खिली दिख रही थी जिसे देख कर अमन अपना लन्ड सहलाता हुआ थुक गटकता है ।

अमन - चल शुरु कर

रिन्की मुह बनाते हुए अपने कान पक्ड कर अमन के सामने उठक बैठक करने लगी , अमन का लन्ड अब और भी बौराने लगा ।

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सामने रिन्की की गाड़ उठक बैठक करने से बार बार उसके आगे फैल जाती जिस्से उसका लन्ड और झटके खाने लगता

निचे बैठते समय उसके नरम चुतड़ पैंटी के दायरे से बाहर आकर फैल जाते और फिर उपर उठते हुए पैंटी उसके चुतड के दरारो मे फस जाती जिसे देख कर अमन की हालत खराब होने लगी ।

देखते ही देखते रिन्की ने 20 बार उठक बैठक कर लिये - हो गया भैया और भी करू?

"ऐसे ऐसे करू " , रिन्की ने अपनी चुतड को बड़ी अदा के बाहर की ओर फेकती हुई उसको झटकते हुए उछाला जिसे देख कर अमन को हसी आई - धत्त चल जा अब यहा से ,

तभी उसका मोबाईल बजने लगा ।

मुरारी उसे फोन लगा रहा था ।
मोबाइल बजते ही रिन्की को ध्यान आया कि वो यहा क्यू है - अरे वो मामी ने आपको बुलाया है भैया , आजाओ जल्दी

अमन लपक कर उसके नंगे चुतड पर एक थ्पेड़ लगाता हुआ - अच्छा तो ये कब बताने वाली थी तु उम्म


रिन्की अपने चुतड़ सहलाती दर्द से सिस्कती हस्ती हुई - आह्ह भैया अब क्यू मारा , वो मै भूल गयी थी ना

अमन - रुक अभी बताता हु तुझे फिर कभी कुछ नही भुलेगी तु

इससे पहले अमन उसे पकडता अपनी कैफरि उठाई और बिना पहने ही दरवाजा खोलकर हस्ती हुई निकल गयी
अमन हस कर - अरे पागल कपडे पहन लेती , कोई देख लेगा
"हिहिही ये पूरी पागल है , लेकिन साली ने लन्ड खड़ा कर दिया उफ्फ्फ ",अमन अपना लन्ड ऐडज्स्ट करता हुआ बड़बडाया । फिर कपडे पहन कर निचे चला गया ।


राहुल के घर


राहुल और अरुण नदी की ओर घूम कर वापिस आ चुके थे
दुकान मे कोई नजर नही आ रहा था और गलियारे की ओर बढ़ने पर दोनो के कान खड़े हो गये ।
हाल मे शालिनी और जन्गी की बहस हो रही थी । रंगी के सम्झाने के बाद भी जन्गी की खुन्नस खतम नही हुई थी
वो शालिनी को बाज़ार के लिए फटकार रहा था और शालिनी भी उसको भरपूर जवाब दे रही थी
शालिनी - आपकी खातिर मैने क्या क्या नही किया , मै तो सीधी साधारण ही थी । आपकी फरमाईस पर ही मैने ये सूट तो कभी डिजाईनर कपडे पहने , मै तो कभी बजार खरीदने नही गयी ना ।

जन्गी को शालिनी की बात का झटका लगा मगर शालिनी रुकी नही - कभी ये चमकीली नाइटी तो कभी फैशन वाली ड्रेस कौन लाकर दिया मुझे और तो और बिस्तर पर मुझसे जबरज्स्ती क्या क्या बुलवाया मुझसे

शालिनी बोलते बोल्ते सिस्कने लगी , वही जन्गी बुत बनकर खड़ा रहा शालिनी की बातों से उसे झकझोर दिया ।
हालकि उसने सोचा था कि उसकी इच्छा उसकी मनमर्जियां जो कुछ भी वो शालिनी पर लाद रहा था उसके अनुसार वो चारदिवारी मे छिप कर ही रहेगी ।
मगर औरत की तिरीया चरित्र को और उसके जजबातों को समझने जन्गी से चूक हो गयि ।
उसे अपनी गलती का पछतावा था मगर वो माफी किस मुह से मागता , सामने शालिनी सुबगती हुई राशन के समान अलग कर रही थी ।

वही गलियारे मे राहुल और अरून चुप्पी साधे हाल मे जन्गी और शालिनी की बाते सुनते हुए धिरे से बाहर सरक लिये ।


अरुण - भाई क्या बवाल हो रहा है ये सब
राहुल - पता नही भाई , शायद मम्मी आज दीदी का सूट पहन कर गयि थी इसीलिए पापा भड़के थे । लेकीन

अरुण - लेकिन क्या ?
राहुल - यार पापा तो कभी ऐसे नही रोकते टोकते मगर आज क्या हुआ जो ऐसे झगड पड़े । जरुर कोई दूसरी बात भी होगी ।
अरुन - भाई अब आगे क्या करे , मतलब मामी पर ट्राई करू या नही

राहुल - साले मरवायेगा क्या , देख नही रहा घर का माहौल
अरुन का चेहरा उतर गया ये सोच कर कि साला थोड़ी देर के लिए उसकी किस्मत हर बार के जैसे मेहरबान होती है और फिर गायब ।
अरुण ने मामी को पाने का सपना ये अच्छा ख्वाब समझ कर भुलने की कोसिस मे लगा रहा मगर दिल कहा सुनने वाला था ।
कभी कल नये सवेरे मे नयी आश के साथ मौका तलाशने की तलब होती तो कभी फिर से छुट्टियों मे चमनपुरा आकर पेलने की योजना बनाता फिरता । कभी रुबिना के मोटी गाड़ याद कर कल उसे ही पेलने की योजना करने लगता ।

खैर ऐसे ही समय उलझनो मे कट रहा था बिल्कुल अनुज के जैसे
अनुज का भी हाल कम खराब नही था , ख्यालो मे उसने राज और बुआ के कई चुदाई के किस्से गढ़ डाले । लन्ड की कसावट कम नही हो रही थी इतने मे रज्जो हाल मे आई ।

रज्जो - क्या हुआ लल्ला क्या सोच रहा है ।
अनुज रज्जो मौसी को देखा जो नाइटी मे उसके करीब आ कर बैठ गयी थी । उनके रसिले चुचो के उभार देख कर अनुज ने पैर फैला कर जोर की अंगडाई लेता हुआ मुस्कुरा कर रज्जो के उपर झोल गया ।
रज्जो - अरे अरे क्या कर रहा है हिहिहिही
अनुज उसके नरम नरम चुचो पर लदता हुआ - आह्ह मौसी कितना नरम है
रज्जो धिरे से फुसफुसाकर- क्यू तेरी बुआ की गाड़ नरम नही थी क्या ?
अनुज चौक कर रज्जो को मुस्कुराते देखा और उसके पसीने छुटने लगे
रज्जो मुस्कुरा कर - अरे डरता क्यू है , अगर तु उसके कपडे उतार के घुसा भी देता ना वो मना नही करती । एक नम्बर की छिनार है तेरी बुआ

अनुज लाज से मुस्कुरा कर - क्या मौसी तुम भी , ऐसा थोडी होता है वो तो बस मै नीद मे था और वो टच हो गया ।

रज्जो - हम्म बताया तेरी बुआ ने कैसे नीद मे तेरा खुन्टा चल रहा था हिहिहिही

अनुज - क्या बुआ ने बताया
रज्जो - अरे वो छिनार तो तेरी अम्मा को भी बता देती वो तो मैने रोका उसे

मा का जिक्र आते ही अनुज की सासे फुलने लगी उस्का कलेजा कापने लगा - फिर तो उनसे अब दुर रहूंगा मै, कही मम्मी को बता दिया तो बड़ी मार पड़ेगी

रज्जो हस्ती हुई - धत्त रे डरता क्यू है , वो कुछ नही कहेगी अब मौका मिले पीछे से घुसा देना हिहिहिही

अनुज - प्कका वो मम्मी से नही कहेगी कुछ
रज्जो - अरे मै हु ना कुछ हुआ तो
अनुज रज्जो को हग करता हुआ - वॉव मौसी कितनी प्यारी हो आप हिहिहिही लेकिन कब ट्राई करू अब

रज्जो - जब कभी मौका लगे हिह्हिही
तब तक हाल मे रंगी दाखिल हुआ और मौसी भतिजे की वार्ता एकदम से रुक गई ।
कुछ देर बाद सबका खाना पिना हुआ और सब अपने तय कमरे मे सोने के लिए निकल गये ।
निशा और अनुज के उपर जाते ही रंगी तीन गदराइ औरतो के साथ अपने कमरे मे चला गया ।

राज अपनी योजनानुसार आज रेस्ट का बहाना मारकर उपर निशा को सरप्राइज देने के लिए पहुच गया , मगर उसके अंदेशे के हिसाब से अनुज निशा के कमरे मे अपना काम शुरु कर चुका था ।
दरवाजा बन्द था अंदर से और अनुज की कामुक सिसकिया आ रही थी जिस्से साफ पता चल रहा था कि निशा ने उस्का लन्ड चुबलाना शुरु भी कर दिया था ।

अगले ही पल राज ने दरवाजे पर दस्तक दी और भीतर कमरे मे हड़बड़ हो गयी ।
अनुज झट से अपने कपडे पहन कर दरवाजे की ओट मे हो गया और निशा भी मुह साफ करती हुई दरवाजा खोला - अरे राज तु

राज कमरे मे दाखिल होता हुआ - आह्ह दीदी आज बड़ा मूड है कुछ करते है ना

निशा इशारे से कमरे मे अनुज के होने का बताती है तो राज उसको आंख मारकर बताता है कि उसे पता है और उसका इरादा क्या है ।
निशा की सासे चढने लगती है ।
राज - आह्ह दीदी आओ ना चुसो ना मेरा , कितना दिन हो गया आपके होठो से चुसवाये ऊहह देखो ना कैसे टाइट हो रहा है ऊहह

निशा - ऊहह राज कितना तप रहा है रे तेरा लन्ड उम्म्ंम उफ्फ्फ कितना मोटा हो रहा हौ

राज - आह्ह दीदी आप छुती हो तोह्ह उम्म्ंम लेलोना मुह उह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह सीई उम्म्ंम

वही कमरे का दरवाजा अभी भी खुला था और अनुज उसके पीछे छिपा हुआ था , जिसकी ये सोच कर फट रही थी ये लोग दरवाजा खोल कर खुलेआम लगे हुए है
उस्से बढ़ कर उसके लिये ये सरप्राइज था कि उसका राज भैया तो पहले से ही निशा को भी चोदता आ रहा है ।
अनुज का मुसल एकदम से फनफना गया

निशा मुह से लन्ड निकाल कर उसको सहलाती हुई - दरवाजा बन्द कर दू भाई , कोई आ जायेगा

राज - अरे अनुज बन्द कर देगा ना , भाई दरवाजा लगा दे ना

अनुज की फट के चार हो गयी कि राज को कैसे पता कि वो वहा है । अनुज चोरो के जैसे मुह लटकाये दरवाजे की ओट से बाहर आया और सामने का नजारा देख कर उसकी आंखे फैल गयी ।

सामने निशा निचे घुटने बल खडी होकर राज का मुसल चुस रही थी और राज उसके सर को सहलाता हुआ आन्खे उलट रहा था ।

अनुज ने दरवाजा लगाता हुआ - भैया मै भी आऊ
राज ने बड़े ही कैजुअल तरिके से लन्ड की चुसवाई का मजा लेते हुए सिस्कते हुए - आह्ह हा भाई आजा ना ऊहह

अनुज मुस्कुरा कर खिल उठा और झट से लोवर से मुसल निकाल कर निशा के आगे परोस दिया - दिदी दीदी मेरा भी अह्ह्ह उफ्फ्फ उम्म्ं

राज - क्यू भाई आजकल मुझसे छिपा कर करने लगा है तु उम्म्ं

अनुज सिस्कता हुआ निशा को लन्ड चुबलाता देख कर - अह्ह्ह भैया लेकिन आपसे छिपता कब ही है ओह्ह ना जाने कब आप निशा दीदी के बारे मे जान गये

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राज हसता हुआ - पगले मेरे कहने पर ही तो निशा दीदी ने तुझे और राहुल को हा कहा था हिहिही

अनुज ने हैरत से निशा की ओर देखा जो दोनो भाइयो का कड़ा लन्ड लेके सहला रही थी और मुस्कुरा रही थी
अनुज का लन्ड उस्की कातिल मुस्कुराह्ट से उसकी हथेली मे झटके खाने लगा



वही निचे कमरे मे गजब का रोमांच मचा हुआ था

शिला उसके उपर रज्जो और फिर सबसे उसपे रागिनी
सब एकदुसरे के उपर गाड़ खोल कर चढ़ी हुई थी ।
रंगी भी पुरा नंगा होकर रागिनी के चुतड़ फैलाकर उसके चुत के फाके चुबला रहे था

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रागिनी मादक सिस्किया ले रही थी- आह्ह मेरे राजाहा उह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम्ं

रज्जो - ऊहह जमाई राजा ऊहह क्या मस्त जीभ चला रहे हो अजज ऊहह माह्ह्ह सीईई उफ्फ्फ

रन्गी रागिनी के चुत से सरक कर रज्जो की मोटी मखमाली गाड़ फैलाकर उसके सुराख कुरेदने लगा

वही निचे दबी हुई शिला दोनो बहनो की सिस्किया सुन्कर अपनी चुत मसल रही थी

तभी रन्गी ने निचे झुक कर उसकी बुर मे भी अपनी थूथ रगड़ दी ।

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शिला मचल कर रह गयी और रन्गी ने एक सुर ने निचे से उपर तक सभी चुत और गाड़ के फाको मे जीभ लगा कर चाटता हुआ उपर से निचे होने लगा

तीनो गदाराई औरतें की मादक सिस्किया एक साथ उठने लगी और देखते ही देखते रन्गी ने निचे से शिला की गाड़ मे
लन्ड घुसेड़ दिया

दो गरदाई औरतो के भार के तले दबी हुई शिला की हालत और खराब होने लगी
रंगी के दोनो हाथ रागिनी और रज्जो की बुर सहला रहे थे और लन्ड शिला की कसी गाड़ मे घुसा हुआ था

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रन्गी - अह्ह्ह दीदी क्या मस्त गाड़ है उम्म्ंम जीजी (रज्जो) आपकी बुर कितनी गर्म हो गयी है अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

शिला - आह्ह भैयाह्ह्ह उफ्फ्फ बहुत टाइट जा रहा है ऐसे उह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं
रज्जो - ओह्ह जमाई बाबू उम्म्ंम्ं कबसे तो रस छोड़ रही है मेरी बुर दालो ना उह्ह्ह्ह ओह्ह्ह

रागिनी - हा मेरे घुसाओ ना , आप तो अपनी छिनार बहनिया मे ही अटके हो अह्ह्ह्ज सीई हम बहनो का भी ख्याल करो उह्ह्ह चोदो ना ऊहह

रंगी दोहरे जोश मे आ गया और थोडा खडा होकर सिधा रज्जो की गाड़ मे लन्ड घुसेड़ दिया - अह्ह्ह बहिनचोद उह्ह्ह कितना टाइट है जीजी उह्ह्ह उफ्फ्फ क्या मस्त गाड़ है तुम्हारि उह्ह्ह ये लोह्ह ऊहह

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रज्जो - ऊहहह आह्ह मेरे राजाह्ह ऐसे ही फाडो ऊहह और तेज उम्म्ं ऐसे हीईई

रन्गी रागिनी की जांघो को पक्ड कर सपोर्ट लेके हचर हचर रज्जो की गाड़ फ़ाड रहा था और उसकी उंगलिया रागिनी चुत फैला कर उसके दाने रगड़ रही थी जिस्से रागिनी की चुत बजबजा रही थी - अह्ह्ह सोनल के पापा उह्ह्ह हहह आ रहा है उह्ह्ह घुसाओ ना उम्म्ंम सीई चाहिय्र मुझे आह्ह

रन्गी उसके नंगे चुतड़ को नोचता थपेड मारता - क्या लेगी मेरी रान्ड बोल ना उह्ह्ह आह्ह

रज्जो की अलग सिसकी निकल रही थी और शिला जिस्से अब और दबाव भार सहा नही जा रहा था उसने अपनी गाड़ उचका कर बाकी को आगे बिस्तर पर धकेल दिया

रज्जो के उपर रागिनी पसर के आगे बढ़ गयी सब खिलखिलाने लगे और रन्गी ने भी आगे बढ़ सीधा रागिनी की गाड मे थुक लगा कर अपना मोटा लन्ड घुसेड़ दिया - उह्ह्ह मेरी जान लेह्ह्ह घुसा दिया ऊहह

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रान्गिनी की आंखे उलटने लगी रन्गी का मोटा लन्ड उसको गाड के निचे से अपनी बुर मे घिस्ता मह्सुस हो रहा था और उसकी बुर झड रही थी -आह्ह मेरे राजा ऐसे ही उह्ह्ह पागल कर दोगे आप तो उह्ह्ह माह्ह सीई अह्ह्ह पेलो मुझे अह्ह्ह अह ननद के सैयाह्ह उह्ह्ह

रन्गी हचर हचर रागिनी की कसी गाड़ मे चोद रहा था और शिला पीछे से उस्से लिपट निकल कर उसके गाड के निचे से आड़ो को छू सहला रही थी ।
शिला के गुदाज नरम जिस्म का स्पर्श पाकर रंगी के लण्ड का कडकपन और बढ़ गया जिससे रागिनी की चिखे और तेज होने लगी
रंगी ने छेद बदल कर रज्जो की चुत मे लन्ड लगा दिया और चोदने लगा
दोनो बहने मादक सिस्किया ले रही थी और शिला का स्पर्श रन्गी का पागल कर चुका था
वो चरम पर आ गया था

रंगी अब चिन्घाडने लगा - अह्ह्ह्ह जीजी आयेगा आओ सब ऊहहह जल्दी ऊहहह
रंगी ने रज्जो की बुर से लन्ड निकाला और हिलाने लगा

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तीनो औरते नंगी रंगी के कदमो मे जीभ निकाले मुह खोले बैठ गयी और रन्गी की पिचकारि छुट्टी बारि बारी से तिनो पर गयि ।

तिनो ने बड़े चाव से उसके लन्ड को साफ किया और देर3 तक चुबलाती रही
वही उपर के कमरे मे भी चीजे बदल चुकी थी

निशा के मुह मे राज का लन्ड गले मे फसा हुआ था और दूसरी ओर अनुज की जान्घे उठाए सटासट पूरे जोश मे उसकी चुत मे लन्ड डाले जा रहा था - अह्ह्ह दीदी कितनी सेक्सी हो तुम ऊहहह कितनी मस्त बुर है तुम्हारि है ना भैयाअह्ह्ह

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राज अपना लन्ड निशा के गले मे चोक करता है - आह्ह हा भाई ऊहहह साली का मुह भी मस्त ऊहह लेह्ह ना और लेह्ह्ह ऊहहह रगड़ रगड़ कितना मोटा कर दिया है तुने इस्का दूध उफ्फ्च देख कैसे हिल रहा है

अनुज निशा की हिलती चुचिया देख कर और कसकस कर चोदने लगा - आह्ह हा भैया अब देखो और हिल रहा है हिहिही कितना नरम और मोटा है अह्ह्ह दीदी निचोड लोगि क्या हहहहह

निशा - आह्ह साले आराम से चोद ना य्ह्ह बहन हु तेरी कोई रंडी नही अह्ह्ह बहिनचोद भाग थोड़ी ना रही

राज और अनुज निशा की बाते सुन हसने लगे और राज निशा के कंधे थपथपा कर उसको उठने का इशारा किया
अनुज भी पीछे बिस्तर का टेक लेकर फैल गया
निशा बिल्ल्लियो की तरह घुटने घसीटती हुई उसके करीब आई और उस्का मोटा तनमनाया मुसाल जो उसकी बुर की रसो से सना था उसको मुह मे भर ली जिसे देख कर अनुज को और भी जोश आने लगा
वही राज पीछे से उसकी चुत के मुहाने पर लन्ड टिका कर हच्च से भीतर उतार दिया -अह्ह्ह बहिनचोद आराम से ऊहहह उम्म्ं कितना मोटा है रे तेरा

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अनुज हस कर - मेरा या भैया का
निशा - तुम दोनो का आह्ह ऊहहह फ्क्क मीईई येस्श्ह आह्ह राज्ज्ज उम्म्ंम और घुसा आह्ह सीई

अनुज निशा के बाल सवार कर उसकी नरम नरम लटकी चूचिया सहला रहा था और निशा आगे झुक कर उसका लन्ड चुस रही थी ।राज के तेज करारे झटकों से बार बार उसकी मोटी गुदाज चुचियो के बीच अनुज के आड और लाड़ दोनो घुस जाते और अनुज को नशा सा छाने लगता

राज उसके चुतड़ मसलता हुआ - ऊहह दीदी उम्म्ंम कितनी मुलायम गाड़ है ऊहहह सीई ऊहहह

अनुज अब तक निचे सरक चुका था और निशा की चुचिया पकड़ कर निचे से लन्ड उसी मे पेलने लगा - अह भैया नरम तो दीदी की चुचिया है अह्ह्ह कितना मजा आ रहा है ऊहहह माह्ह सीई उफ्फ्फ दीदी कमाल हो तुम तो उफ्फ्फ

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निशा की सिसकिया और भी मादक होने लगी ।
राज निशा की गाड़ की सुराख मसल्ता हुआ - आह्ह दीदी तुम्हारी गाड़ का छेड़ कितना सेक्सी है उम्म्ंम मन कर रहा है घुसा दू उम्म्ंम साली को चोद चोद कर लाल कर दू ऊहहह

अनुज - घुसा दो भैया कल रात मैने घुसाया था बहुत टाइट था ऊहहह दिदीईई आह्ह उम्म्ं

राज - क्या तुने गाड़ भी मार ली
निशा अनुज आपस मे मुस्कुराने लगे

अनुज - आओ ना दीदी मेरे उपर

निशा आगे बढ गयी और राज लन्ड उसकी बजबजाई चुत से बाहर निकल गया और देखते ही देखते निशा ने अनुज के उपर आकर उस्का लन्ड अपनी बुर मे भर लिया


अनुज नीचे से सट सट कमर उठा कर उसकी बुर मे घुसाने लगा - आह्ह दीदी कितना खुल्ला कर दिया आपकी बुर को भैया ने उम्म्ं ऊहह मजा आ रहा है उम्म्ं,आओ ना भैया तुम भी ऊहहह

राज मुस्कुराया और अनुज का इशारा समझ गया

उसने पास रखी तेल की शिसी उठाई और निशा के गाड़ के दरारो मे ड्रॉप कराने लगा
जल्द ही तेल उसके सुराख से रिस कर उस्की चुत और अनुज के लन्ड पर जाने लगा

निशा गरदन फेर पर अपनी दरारो मे राज का लन्ड धंसता मह्सूस कर रही थी , उसकी सासे तेज रही थी ये उस्का पहला अनुभव था जब दो दो मुसल एक साथ उसकी बुर और गाड़ मे घुस रहे थे ।
राज ने पुरा सुपाडा चिकना कर उसको निशा के गाड़ मे मुहाने पर जोर दिया और प्कक की आवाज के साथ सुपाडा आधा अन्दर
सुपाड़े की मोटाई ने निशा के जिस्म को दर्द से अक्ड़ा दिया
अनुज भी कमर थामे रुका हुआ था निचे से
अगले ही पल राज ने जोर देते हुए सुपाड़े को थेला और लन्ड आधा अन्दर
निशा की आंखे बाहर को आने लगी , निचे से अनुज ने एक बार फिर कमर उछालने शुरु कर दिये

निशा के जिस्म की अकड़न और बढ़ गयी , जब राज ने अपनी कमर चलानी शुरु कर दी ।
कसा कड़ा मोटा लन्ड उसकी गाड़ के कसे छेद को भेदता हुआ हुआ जगह बनाने लगा - आअह्ह्ह दीदीइह्ह उम्म्ंम कितनाअह टाइट है उम्म्ंम्ं

अनुज -हा भैया मुझे भी फील हो रहा है अह्ह्ह
निशा - ऊहहह बहिनचोद आज फ़ाड दोगे क्या मेरी उम्म्ंम्ं मम्मीईई अह्ह्ह्ह सीईई ओह गॉड उम्म्ंम्ं फक्क्क

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राज झटके तेज करता ह्य - आह्ह दीदी कितनी रसिली गाड है आपकी उम्म्ंम्ं मन कर रहा है ऐसे ऐसे ऐसेह्ह्ह ऊहहह चोद चोद कर भर दू इसको ऊहहह

निशा राज के हचक लन्ड की चोट गाड़ की तलहटी तक मह्सूस कर रही थी वही निचे से अनुज का लन्ड उसकी चुत को अलग भेदे जा रहा है , इस दोहरे प्रहार से निशा की कमर से जांघ का हिस्सा बुरी तरह दर्द ने अक्ड़ा हुआ था ।
चुत बजबजा रही थी , राज के थ्पेडो से चुतड लाल हुए जा रहे थे - अह्ह्ह बहिनचोद कमिने तेरी मा चोदू साले अह्ह्ह्ह मार क्यू रहा है अह्ह्ह सीई ऐसेही पेल ना ऊहहह सीई

राज और अनुज खिलखिलाने लगे फिर राज ने उस्के कुल्हे जकड कर हुमुच हुमुच कर लण्ड उसकी गाड़ देने लगा ।
निशा के साथ साथ अनुज पर भी इस्का असर साफ साफ होने लगा
दोनो भाई जोश मे उपर निचे से एक लय मे कुल्हे झटकने लगे


निशा की चिखे तेज हो गयी, दोनो भाई भी पूरे जोश मे निशा की चिख को और तेज करते हुए करारे झटके लगाने लगे
दोनो के सुपाड़े पूरे फुल चुके थे और कभी भी फव्वारा फूट सकता था ।
राज झट से उठा और निशा भी उठ गयी
जीभ बाहर निकाले आग उगलगे दोनो सुपाडो के झड़ने की राह मे

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वही राज और अनुज अपना अपना मुसल हिला कर उसके मुह पर झाडने लगे ।

फिर थक कर चिपक कर सो गये
मगर नीचे कमरे मे अगले राउंड की तैयारियां चल रही थी ।

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रंगी बिस्तर पर टांग लटका कर लेटा हुआ था और उसके मोटे हुए लन्ड को रागिनी रज्जो और शिला मिल कर चुस चाट रही थी , एक दुसरे से लार साझा कर रही थी ।

इस आनन्द मे रंगी का मुसल और कड़क हुआ जा रहा था

जारी रहेगी
Mazedaar update Mitra, ek bhai dukhi hai to ek ke chappar kya gand faad maze hain, wohin Nisha bhi dono or se baj rahi hai, aage ka intezar
 

Deepaksoni

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UPDATE 213

अमन के घर

शाम ढल चुकी थी और रात के खाने की तैयारी हो रही थी , रिन्की ने आज अमन का मूड बना दिया था तो मौका पाकर पहले दुलारी और फिर सोनल दोनो को चोद कर अमन कमरे मे सो गया था ।

इधर मुरारी बाजार से आया तो उसने ममता से अमन के बारे मे पुछा ।
ममता - पता नही आज तो उसने शकल नही दिखाई मुझे भाई , ना जाने कहा खोया है ।

रिन्की - और कहा खोये रहेंगे हिहिही भाभी के अलावा हिहिही
ममता उसे डांट लगाती हुई - चुप कर तु , जा बुला कर ला उसे ।
अमन के पास जाने का सुनते ही रिन्की सरपट सीढियों से दौड़ पड़ी ।

मुरारी- अरे भाई मै फोन लगाता हु ना उसे
ममता हस कर - रहने दिजीये वो गयी हीहिहिही

मुरारी- अह संगीता जरा पानी देना
मगर किचन से कोई जवाब नही आया
मुरारी- संगीता कहा गयी ?
ममता इसपे मुस्कुराने लगी ।
मुरारी भौहे टाइट कर - क्या हुआ तुम हस क्यू रही हो ? बताओ कहा है वो ?

ममता - अरे जब मजनू यहा नही है तो लैला क्यू रुकेगी भला हिहिहिही
मुरारी- मतलब ?
ममता हस्ती हुई - अरे देवर जी और मेरी ननद रानी दोनो बाजार गये है समान लेने मैने भेजा है ।

मुरारी- कैसा समान ?
ममता - अरे भाई परसो बहू के मायके से लोग आयेंगे ना , तो कुछ समान लेने भेज दिया बाकी का कुछ कल आ जायेगा ।

मुरारी- ओह्ह
अगले ही पल हड़बडा कर - फिर किचन मे कौन बरतन बजा रहा है ?
ममता हस्ती हुई - अरे क्या हो गया है आपको वहा बहू और दुलारी है ।

मुरारी- बहू किचन मे अभी से ?
ममता - मै मना ही कर रही थी मगर उसे उपर कमरे मे बोरियत हो रही थी तो चली आई दुलारी के साथ हाथ बताने और बात करने ।

मुरारी- ओह्ह ऐसा ।
ममता - वैसे आप बाजार क्यू गये थे ।
मुरारी इसपे मुस्कुराने लगा - वो बस ऐसे ही टहलने का मूड हुआ और पान खाने का तो ।

ममता लपक कर जेब टटोलने लगी और वो चौकोर डिबिया हाथ मे आते ही उसका पारा एकदम से टाइट , चेहरा गुस्से से लाल क्योकि उसका शक सही लगा उसे ।

कुर्ते की जेब मे हाथ डाले हुए ही उसने गुस्से से मुरारी को घूरा- मुझे पता था कि आप यही लेने गये थे , आप नही छोड़ेंगे ना

मुरारी हस कर - अरे अमन की मा तुम हाहाहा जो समझ रही हो वो नही है हिहिही
ममता - ये सिगरेट का पैकेट नही है, मुझे बेवकुफ समझते है निकालू बाहर

मुरारी ने आस पास खाली जगह देखा और एक नजर किचन की ओर देखा और हा मे सर हिला कर - ह्म्म्ं देख लो
ममता ने धिरे से जेब से वो चौकोर पैकेट निकाला और उसे देखते ही उसके चेहरे पर गुस्से की लाली शर्म और लाज के मारे गुलाबी हो गयी ।
दोनो हाथो मे छिपाती हुई वो उस कन्डोम के पैकेट को निहारती हुई मुस्कुराते गालों के साथ मुरारी को देखा - आप पागल हो गये है क्या ? हमे इसकी क्या जरुरत है ?
मुरारी ने लपक कर उसके हाथ से वो पैकेट लिया और जेब मे डालता हुआ - ये हमारे लिये नही , अमन के लिए है ।

ममता आंखे बड़ी कर - क्या ? मगर क्यू , उनकी भी तो शादी हुई है ना ।

मुरारी- अरे भाई अभी दोनो जवान जोशिले है , कही बच्चा कर लिये तो , जवानी का मजा कहा ले पायेंगे ।

ममता लाज के मारे मे हसने लगी - धत्त क्या आप भी , आपको क्या लगता है अमन ने अभी तक किया नही होगा ?

मुरारी ने बड़े गुरुर और शान से ना मे सर हिलाया - अरे आज जाकर मैने उसे परमिशन दी है , वो आज करने वाला है ।

ममता मुरारी के बेवकुफी पर हसी आ रही थी मगर वो अपनी भावनाये छिपा कर - तभी मै सोचू ये बाप बेटे छिप छिप कर अकेले क्या बातें करते है ? तो आप अमन को सुहागरात की टिप्स देते फिरते हो उम्म्ं ।

मुरारी हस कर - क्या तुम भी ।
ममता - वैसे आपने क्या क्या बताया उसे , कैसे करना है क्या करना है हिहिहिही

मुरारी- अरे उसे सब पता है , मैने बस बताया कि कब करना है ।

ममता आंखे नचा कर - ओह्ह वैसे आपको अपना पता है कि कब कब आपको भी करना चाहिए उम्म्ं

मुरारी कुछ सोचता इससे पहले ममता खिलखिला कर उठने लगी ।
फिर मुरारी समझ कि ममता ने उसके मजे ले लिये । उसने भी सोचा आज की रात वो उसे कुछ यादगार पल जरुर देगा ।

वही उपर अमन के कमरे मे अलग ही कांड हो रहा था
अमन सोकर उठ चुका था और बाथरूम मे नहा बेफिकर होकर नहा रहा था इस बार से अंजान की बाजर बाथरूम के खुले दरवाजे से रिन्की उसे पूरी नंगी निहार रही है

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उसका मोटा मुसल सो कर उठने की वजह से बौराया अकड़ा हुआ तना था , जिसे देख कर रिन्की की बुर कुलबुलाने लगी ।
उसने अपनी कैफ्री उतार कर सिर्फ पैंटी और टीशर्ट मे आ गयी ।
दरवाजे की कड़ी वो पहले ही लगा चुकी थी , अमन के गोरे मोटे टोपे वाले लन्ड को देख कर उसकी बुर कुलबुला रही थी ।
जिसे देख कर वो अपनी नन्हे मुन्ने चुजे मसलने लगी
इधर अमन नहा कर तौलिये से अपना बदन पोछने लगा , अभी तक उसकी नजर दरवाजे के पास खड़ी रिन्की पर नही गयी थी ।

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रिन्की ने मस्ती मे लपक कर अमन के कन्धे से तौलिया खिंच लिया और खिलखिलाकर हसने लगी ।

अमन चौका और अगले ही पल उसने कमरे मे खिलखिलाती हुई रिन्की को देखा , जिसने निचे सिर्फ पैंटी पहन रखी थी ।
अमन उसकी ओर लपकने को हुआ तभी उसे याद आया कि अभी भी वो पुरा भीगा है , कमरे मे गन्दगी हुई तो सोनल सवाल जवाब करेगी ।
वही उसका मुसल भरपुर फुल चुका था , रिन्की उसको नंगे निहार कर हस रही थी - क्यू आओ आओ लेलो हिहिहिही

अमन हसता हुआ - अच्छा तो तुझे दुपहर का बदला लेना था

रिन्की हस्ती हुई उस्के खडे देख कर अपने होठ चबाते हुए खिखी कर लगी ।
अमन - चल हो गया तेरा , अब ला तौलिया नही तो मै सच मे आ जाऊंगा

रिन्की - तो आजाओ हीही
अमन देखा कि अब तक उसके जिस्म से काफी पानी निचुड चुका था और वो बाथरूम के बाहर पायदान पर पैर रगड़ता हुआ रिन्की की ओर लपका और उसको पीछे से दबोच लिया , इस दौरान छिना झपटी मे उसका कडक मोटा तनमनाया लन्ड रिन्की के चुतड़ मे घिसता चुभोता रहा

उसकी कलाई रिन्की के मुलायम उभरे नरम मौसमी जैसे चुचे पर रगड़ते घिसते रहे । रिन्की कभी सिस्कती तो कभी हस्ती

तभी अमन ने उसके घुमा कर पकड लिया और लेकर बिस्तर पर बैठ गया ।
रिन्की पर उल्टी होकर उसके गोद मे लटकी हुई थी और अमन उसके चिकने चुतड सहलाते हुए उसके गाड़ पर थपेड मार रहा था - फिर करेगी शैतानी बोल उम्म्ं

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रिन्की का पुरा जिस्म अमन के पन्जे की थ्पेड से थरथरा उठा , मगर उसके मन मे कामुक सी खुमारी उठने लगी , निप्प्ल तन गये और वो हसने लगी ।
उसकी खिलखिलाहट सुन कर अमन के उसके चुतड़ पर उंगलियाँ सहलाते हुए एक बार फिर थ्पेड चट्ट से बजाया ।

रिन्की - आह्ह भाइयाअझ उह्ह्ह्ह म्ममीईई लग रहा है ऊहु ।
अमन अभी भी उसके चेहरे पर हसी देख रहा था - बोल फिर करेगी शैतानी उम्म्ं ऐसे परेशान करेगी।

रिन्की खिलखिलाती हुई ना मे सर हिलाती हुई - नही करुँगी भैया हिहिही प्कका नही

अमन ने उसको छोड़ा और उसको खड़ा किया अभी वो हस रही थी - चल 20 बार कान पकड कर उठक बैठक कर

रिन्की - क्या ? पर क्यूँ?
अमन - वो मै नही जानता , आर्मी मे ऐसे ही फिजिकल पनिशमेन्ट दी जाती है ।

रिन्की भुनकने लगी तो अमन ने भौहे चढा कर उसे आंखे दिखाई तो रिन्की मुह बनाते हुए उसकी ओर पीठ कर ली ।

अब वो उसके सामने खडी थी , पैंटी ने उसकी गाड़ बहुत ही नरम और खिली खिली दिख रही थी जिसे देख कर अमन अपना लन्ड सहलाता हुआ थुक गटकता है ।

अमन - चल शुरु कर

रिन्की मुह बनाते हुए अपने कान पक्ड कर अमन के सामने उठक बैठक करने लगी , अमन का लन्ड अब और भी बौराने लगा ।

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सामने रिन्की की गाड़ उठक बैठक करने से बार बार उसके आगे फैल जाती जिस्से उसका लन्ड और झटके खाने लगता

निचे बैठते समय उसके नरम चुतड़ पैंटी के दायरे से बाहर आकर फैल जाते और फिर उपर उठते हुए पैंटी उसके चुतड के दरारो मे फस जाती जिसे देख कर अमन की हालत खराब होने लगी ।

देखते ही देखते रिन्की ने 20 बार उठक बैठक कर लिये - हो गया भैया और भी करू?

"ऐसे ऐसे करू " , रिन्की ने अपनी चुतड को बड़ी अदा के बाहर की ओर फेकती हुई उसको झटकते हुए उछाला जिसे देख कर अमन को हसी आई - धत्त चल जा अब यहा से ,

तभी उसका मोबाईल बजने लगा ।

मुरारी उसे फोन लगा रहा था ।
मोबाइल बजते ही रिन्की को ध्यान आया कि वो यहा क्यू है - अरे वो मामी ने आपको बुलाया है भैया , आजाओ जल्दी

अमन लपक कर उसके नंगे चुतड पर एक थ्पेड़ लगाता हुआ - अच्छा तो ये कब बताने वाली थी तु उम्म


रिन्की अपने चुतड़ सहलाती दर्द से सिस्कती हस्ती हुई - आह्ह भैया अब क्यू मारा , वो मै भूल गयी थी ना

अमन - रुक अभी बताता हु तुझे फिर कभी कुछ नही भुलेगी तु

इससे पहले अमन उसे पकडता अपनी कैफरि उठाई और बिना पहने ही दरवाजा खोलकर हस्ती हुई निकल गयी
अमन हस कर - अरे पागल कपडे पहन लेती , कोई देख लेगा
"हिहिही ये पूरी पागल है , लेकिन साली ने लन्ड खड़ा कर दिया उफ्फ्फ ",अमन अपना लन्ड ऐडज्स्ट करता हुआ बड़बडाया । फिर कपडे पहन कर निचे चला गया ।


राहुल के घर


राहुल और अरुण नदी की ओर घूम कर वापिस आ चुके थे
दुकान मे कोई नजर नही आ रहा था और गलियारे की ओर बढ़ने पर दोनो के कान खड़े हो गये ।
हाल मे शालिनी और जन्गी की बहस हो रही थी । रंगी के सम्झाने के बाद भी जन्गी की खुन्नस खतम नही हुई थी
वो शालिनी को बाज़ार के लिए फटकार रहा था और शालिनी भी उसको भरपूर जवाब दे रही थी
शालिनी - आपकी खातिर मैने क्या क्या नही किया , मै तो सीधी साधारण ही थी । आपकी फरमाईस पर ही मैने ये सूट तो कभी डिजाईनर कपडे पहने , मै तो कभी बजार खरीदने नही गयी ना ।

जन्गी को शालिनी की बात का झटका लगा मगर शालिनी रुकी नही - कभी ये चमकीली नाइटी तो कभी फैशन वाली ड्रेस कौन लाकर दिया मुझे और तो और बिस्तर पर मुझसे जबरज्स्ती क्या क्या बुलवाया मुझसे

शालिनी बोलते बोल्ते सिस्कने लगी , वही जन्गी बुत बनकर खड़ा रहा शालिनी की बातों से उसे झकझोर दिया ।
हालकि उसने सोचा था कि उसकी इच्छा उसकी मनमर्जियां जो कुछ भी वो शालिनी पर लाद रहा था उसके अनुसार वो चारदिवारी मे छिप कर ही रहेगी ।
मगर औरत की तिरीया चरित्र को और उसके जजबातों को समझने जन्गी से चूक हो गयि ।
उसे अपनी गलती का पछतावा था मगर वो माफी किस मुह से मागता , सामने शालिनी सुबगती हुई राशन के समान अलग कर रही थी ।

वही गलियारे मे राहुल और अरून चुप्पी साधे हाल मे जन्गी और शालिनी की बाते सुनते हुए धिरे से बाहर सरक लिये ।


अरुण - भाई क्या बवाल हो रहा है ये सब
राहुल - पता नही भाई , शायद मम्मी आज दीदी का सूट पहन कर गयि थी इसीलिए पापा भड़के थे । लेकीन

अरुण - लेकिन क्या ?
राहुल - यार पापा तो कभी ऐसे नही रोकते टोकते मगर आज क्या हुआ जो ऐसे झगड पड़े । जरुर कोई दूसरी बात भी होगी ।
अरुन - भाई अब आगे क्या करे , मतलब मामी पर ट्राई करू या नही

राहुल - साले मरवायेगा क्या , देख नही रहा घर का माहौल
अरुन का चेहरा उतर गया ये सोच कर कि साला थोड़ी देर के लिए उसकी किस्मत हर बार के जैसे मेहरबान होती है और फिर गायब ।
अरुण ने मामी को पाने का सपना ये अच्छा ख्वाब समझ कर भुलने की कोसिस मे लगा रहा मगर दिल कहा सुनने वाला था ।
कभी कल नये सवेरे मे नयी आश के साथ मौका तलाशने की तलब होती तो कभी फिर से छुट्टियों मे चमनपुरा आकर पेलने की योजना बनाता फिरता । कभी रुबिना के मोटी गाड़ याद कर कल उसे ही पेलने की योजना करने लगता ।

खैर ऐसे ही समय उलझनो मे कट रहा था बिल्कुल अनुज के जैसे
अनुज का भी हाल कम खराब नही था , ख्यालो मे उसने राज और बुआ के कई चुदाई के किस्से गढ़ डाले । लन्ड की कसावट कम नही हो रही थी इतने मे रज्जो हाल मे आई ।

रज्जो - क्या हुआ लल्ला क्या सोच रहा है ।
अनुज रज्जो मौसी को देखा जो नाइटी मे उसके करीब आ कर बैठ गयी थी । उनके रसिले चुचो के उभार देख कर अनुज ने पैर फैला कर जोर की अंगडाई लेता हुआ मुस्कुरा कर रज्जो के उपर झोल गया ।
रज्जो - अरे अरे क्या कर रहा है हिहिहिही
अनुज उसके नरम नरम चुचो पर लदता हुआ - आह्ह मौसी कितना नरम है
रज्जो धिरे से फुसफुसाकर- क्यू तेरी बुआ की गाड़ नरम नही थी क्या ?
अनुज चौक कर रज्जो को मुस्कुराते देखा और उसके पसीने छुटने लगे
रज्जो मुस्कुरा कर - अरे डरता क्यू है , अगर तु उसके कपडे उतार के घुसा भी देता ना वो मना नही करती । एक नम्बर की छिनार है तेरी बुआ

अनुज लाज से मुस्कुरा कर - क्या मौसी तुम भी , ऐसा थोडी होता है वो तो बस मै नीद मे था और वो टच हो गया ।

रज्जो - हम्म बताया तेरी बुआ ने कैसे नीद मे तेरा खुन्टा चल रहा था हिहिहिही

अनुज - क्या बुआ ने बताया
रज्जो - अरे वो छिनार तो तेरी अम्मा को भी बता देती वो तो मैने रोका उसे

मा का जिक्र आते ही अनुज की सासे फुलने लगी उस्का कलेजा कापने लगा - फिर तो उनसे अब दुर रहूंगा मै, कही मम्मी को बता दिया तो बड़ी मार पड़ेगी

रज्जो हस्ती हुई - धत्त रे डरता क्यू है , वो कुछ नही कहेगी अब मौका मिले पीछे से घुसा देना हिहिहिही

अनुज - प्कका वो मम्मी से नही कहेगी कुछ
रज्जो - अरे मै हु ना कुछ हुआ तो
अनुज रज्जो को हग करता हुआ - वॉव मौसी कितनी प्यारी हो आप हिहिहिही लेकिन कब ट्राई करू अब

रज्जो - जब कभी मौका लगे हिह्हिही
तब तक हाल मे रंगी दाखिल हुआ और मौसी भतिजे की वार्ता एकदम से रुक गई ।
कुछ देर बाद सबका खाना पिना हुआ और सब अपने तय कमरे मे सोने के लिए निकल गये ।
निशा और अनुज के उपर जाते ही रंगी तीन गदराइ औरतो के साथ अपने कमरे मे चला गया ।

राज अपनी योजनानुसार आज रेस्ट का बहाना मारकर उपर निशा को सरप्राइज देने के लिए पहुच गया , मगर उसके अंदेशे के हिसाब से अनुज निशा के कमरे मे अपना काम शुरु कर चुका था ।
दरवाजा बन्द था अंदर से और अनुज की कामुक सिसकिया आ रही थी जिस्से साफ पता चल रहा था कि निशा ने उस्का लन्ड चुबलाना शुरु भी कर दिया था ।

अगले ही पल राज ने दरवाजे पर दस्तक दी और भीतर कमरे मे हड़बड़ हो गयी ।
अनुज झट से अपने कपडे पहन कर दरवाजे की ओट मे हो गया और निशा भी मुह साफ करती हुई दरवाजा खोला - अरे राज तु

राज कमरे मे दाखिल होता हुआ - आह्ह दीदी आज बड़ा मूड है कुछ करते है ना

निशा इशारे से कमरे मे अनुज के होने का बताती है तो राज उसको आंख मारकर बताता है कि उसे पता है और उसका इरादा क्या है ।
निशा की सासे चढने लगती है ।
राज - आह्ह दीदी आओ ना चुसो ना मेरा , कितना दिन हो गया आपके होठो से चुसवाये ऊहह देखो ना कैसे टाइट हो रहा है ऊहह

निशा - ऊहह राज कितना तप रहा है रे तेरा लन्ड उम्म्ंम उफ्फ्फ कितना मोटा हो रहा हौ

राज - आह्ह दीदी आप छुती हो तोह्ह उम्म्ंम लेलोना मुह उह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह सीई उम्म्ंम

वही कमरे का दरवाजा अभी भी खुला था और अनुज उसके पीछे छिपा हुआ था , जिसकी ये सोच कर फट रही थी ये लोग दरवाजा खोल कर खुलेआम लगे हुए है
उस्से बढ़ कर उसके लिये ये सरप्राइज था कि उसका राज भैया तो पहले से ही निशा को भी चोदता आ रहा है ।
अनुज का मुसल एकदम से फनफना गया

निशा मुह से लन्ड निकाल कर उसको सहलाती हुई - दरवाजा बन्द कर दू भाई , कोई आ जायेगा

राज - अरे अनुज बन्द कर देगा ना , भाई दरवाजा लगा दे ना

अनुज की फट के चार हो गयी कि राज को कैसे पता कि वो वहा है । अनुज चोरो के जैसे मुह लटकाये दरवाजे की ओट से बाहर आया और सामने का नजारा देख कर उसकी आंखे फैल गयी ।

सामने निशा निचे घुटने बल खडी होकर राज का मुसल चुस रही थी और राज उसके सर को सहलाता हुआ आन्खे उलट रहा था ।

अनुज ने दरवाजा लगाता हुआ - भैया मै भी आऊ
राज ने बड़े ही कैजुअल तरिके से लन्ड की चुसवाई का मजा लेते हुए सिस्कते हुए - आह्ह हा भाई आजा ना ऊहह

अनुज मुस्कुरा कर खिल उठा और झट से लोवर से मुसल निकाल कर निशा के आगे परोस दिया - दिदी दीदी मेरा भी अह्ह्ह उफ्फ्फ उम्म्ं

राज - क्यू भाई आजकल मुझसे छिपा कर करने लगा है तु उम्म्ं

अनुज सिस्कता हुआ निशा को लन्ड चुबलाता देख कर - अह्ह्ह भैया लेकिन आपसे छिपता कब ही है ओह्ह ना जाने कब आप निशा दीदी के बारे मे जान गये

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राज हसता हुआ - पगले मेरे कहने पर ही तो निशा दीदी ने तुझे और राहुल को हा कहा था हिहिही

अनुज ने हैरत से निशा की ओर देखा जो दोनो भाइयो का कड़ा लन्ड लेके सहला रही थी और मुस्कुरा रही थी
अनुज का लन्ड उस्की कातिल मुस्कुराह्ट से उसकी हथेली मे झटके खाने लगा



वही निचे कमरे मे गजब का रोमांच मचा हुआ था

शिला उसके उपर रज्जो और फिर सबसे उसपे रागिनी
सब एकदुसरे के उपर गाड़ खोल कर चढ़ी हुई थी ।
रंगी भी पुरा नंगा होकर रागिनी के चुतड़ फैलाकर उसके चुत के फाके चुबला रहे था

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रागिनी मादक सिस्किया ले रही थी- आह्ह मेरे राजाहा उह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम्ं

रज्जो - ऊहह जमाई राजा ऊहह क्या मस्त जीभ चला रहे हो अजज ऊहह माह्ह्ह सीईई उफ्फ्फ

रन्गी रागिनी के चुत से सरक कर रज्जो की मोटी मखमाली गाड़ फैलाकर उसके सुराख कुरेदने लगा

वही निचे दबी हुई शिला दोनो बहनो की सिस्किया सुन्कर अपनी चुत मसल रही थी

तभी रन्गी ने निचे झुक कर उसकी बुर मे भी अपनी थूथ रगड़ दी ।

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शिला मचल कर रह गयी और रन्गी ने एक सुर ने निचे से उपर तक सभी चुत और गाड़ के फाको मे जीभ लगा कर चाटता हुआ उपर से निचे होने लगा

तीनो गदाराई औरतें की मादक सिस्किया एक साथ उठने लगी और देखते ही देखते रन्गी ने निचे से शिला की गाड़ मे
लन्ड घुसेड़ दिया

दो गरदाई औरतो के भार के तले दबी हुई शिला की हालत और खराब होने लगी
रंगी के दोनो हाथ रागिनी और रज्जो की बुर सहला रहे थे और लन्ड शिला की कसी गाड़ मे घुसा हुआ था

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रन्गी - अह्ह्ह दीदी क्या मस्त गाड़ है उम्म्ंम जीजी (रज्जो) आपकी बुर कितनी गर्म हो गयी है अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

शिला - आह्ह भैयाह्ह्ह उफ्फ्फ बहुत टाइट जा रहा है ऐसे उह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं
रज्जो - ओह्ह जमाई बाबू उम्म्ंम्ं कबसे तो रस छोड़ रही है मेरी बुर दालो ना उह्ह्ह्ह ओह्ह्ह

रागिनी - हा मेरे घुसाओ ना , आप तो अपनी छिनार बहनिया मे ही अटके हो अह्ह्ह्ज सीई हम बहनो का भी ख्याल करो उह्ह्ह चोदो ना ऊहह

रंगी दोहरे जोश मे आ गया और थोडा खडा होकर सिधा रज्जो की गाड़ मे लन्ड घुसेड़ दिया - अह्ह्ह बहिनचोद उह्ह्ह कितना टाइट है जीजी उह्ह्ह उफ्फ्फ क्या मस्त गाड़ है तुम्हारि उह्ह्ह ये लोह्ह ऊहह

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रज्जो - ऊहहह आह्ह मेरे राजाह्ह ऐसे ही फाडो ऊहह और तेज उम्म्ं ऐसे हीईई

रन्गी रागिनी की जांघो को पक्ड कर सपोर्ट लेके हचर हचर रज्जो की गाड़ फ़ाड रहा था और उसकी उंगलिया रागिनी चुत फैला कर उसके दाने रगड़ रही थी जिस्से रागिनी की चुत बजबजा रही थी - अह्ह्ह सोनल के पापा उह्ह्ह हहह आ रहा है उह्ह्ह घुसाओ ना उम्म्ंम सीई चाहिय्र मुझे आह्ह

रन्गी उसके नंगे चुतड़ को नोचता थपेड मारता - क्या लेगी मेरी रान्ड बोल ना उह्ह्ह आह्ह

रज्जो की अलग सिसकी निकल रही थी और शिला जिस्से अब और दबाव भार सहा नही जा रहा था उसने अपनी गाड़ उचका कर बाकी को आगे बिस्तर पर धकेल दिया

रज्जो के उपर रागिनी पसर के आगे बढ़ गयी सब खिलखिलाने लगे और रन्गी ने भी आगे बढ़ सीधा रागिनी की गाड मे थुक लगा कर अपना मोटा लन्ड घुसेड़ दिया - उह्ह्ह मेरी जान लेह्ह्ह घुसा दिया ऊहह

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रान्गिनी की आंखे उलटने लगी रन्गी का मोटा लन्ड उसको गाड के निचे से अपनी बुर मे घिस्ता मह्सुस हो रहा था और उसकी बुर झड रही थी -आह्ह मेरे राजा ऐसे ही उह्ह्ह पागल कर दोगे आप तो उह्ह्ह माह्ह सीई अह्ह्ह पेलो मुझे अह्ह्ह अह ननद के सैयाह्ह उह्ह्ह

रन्गी हचर हचर रागिनी की कसी गाड़ मे चोद रहा था और शिला पीछे से उस्से लिपट निकल कर उसके गाड के निचे से आड़ो को छू सहला रही थी ।
शिला के गुदाज नरम जिस्म का स्पर्श पाकर रंगी के लण्ड का कडकपन और बढ़ गया जिससे रागिनी की चिखे और तेज होने लगी
रंगी ने छेद बदल कर रज्जो की चुत मे लन्ड लगा दिया और चोदने लगा
दोनो बहने मादक सिस्किया ले रही थी और शिला का स्पर्श रन्गी का पागल कर चुका था
वो चरम पर आ गया था

रंगी अब चिन्घाडने लगा - अह्ह्ह्ह जीजी आयेगा आओ सब ऊहहह जल्दी ऊहहह
रंगी ने रज्जो की बुर से लन्ड निकाला और हिलाने लगा

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तीनो औरते नंगी रंगी के कदमो मे जीभ निकाले मुह खोले बैठ गयी और रन्गी की पिचकारि छुट्टी बारि बारी से तिनो पर गयि ।

तिनो ने बड़े चाव से उसके लन्ड को साफ किया और देर3 तक चुबलाती रही
वही उपर के कमरे मे भी चीजे बदल चुकी थी

निशा के मुह मे राज का लन्ड गले मे फसा हुआ था और दूसरी ओर अनुज की जान्घे उठाए सटासट पूरे जोश मे उसकी चुत मे लन्ड डाले जा रहा था - अह्ह्ह दीदी कितनी सेक्सी हो तुम ऊहहह कितनी मस्त बुर है तुम्हारि है ना भैयाअह्ह्ह

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राज अपना लन्ड निशा के गले मे चोक करता है - आह्ह हा भाई ऊहहह साली का मुह भी मस्त ऊहह लेह्ह ना और लेह्ह्ह ऊहहह रगड़ रगड़ कितना मोटा कर दिया है तुने इस्का दूध उफ्फ्च देख कैसे हिल रहा है

अनुज निशा की हिलती चुचिया देख कर और कसकस कर चोदने लगा - आह्ह हा भैया अब देखो और हिल रहा है हिहिही कितना नरम और मोटा है अह्ह्ह दीदी निचोड लोगि क्या हहहहह

निशा - आह्ह साले आराम से चोद ना य्ह्ह बहन हु तेरी कोई रंडी नही अह्ह्ह बहिनचोद भाग थोड़ी ना रही

राज और अनुज निशा की बाते सुन हसने लगे और राज निशा के कंधे थपथपा कर उसको उठने का इशारा किया
अनुज भी पीछे बिस्तर का टेक लेकर फैल गया
निशा बिल्ल्लियो की तरह घुटने घसीटती हुई उसके करीब आई और उस्का मोटा तनमनाया मुसाल जो उसकी बुर की रसो से सना था उसको मुह मे भर ली जिसे देख कर अनुज को और भी जोश आने लगा
वही राज पीछे से उसकी चुत के मुहाने पर लन्ड टिका कर हच्च से भीतर उतार दिया -अह्ह्ह बहिनचोद आराम से ऊहहह उम्म्ं कितना मोटा है रे तेरा

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अनुज हस कर - मेरा या भैया का
निशा - तुम दोनो का आह्ह ऊहहह फ्क्क मीईई येस्श्ह आह्ह राज्ज्ज उम्म्ंम और घुसा आह्ह सीई

अनुज निशा के बाल सवार कर उसकी नरम नरम लटकी चूचिया सहला रहा था और निशा आगे झुक कर उसका लन्ड चुस रही थी ।राज के तेज करारे झटकों से बार बार उसकी मोटी गुदाज चुचियो के बीच अनुज के आड और लाड़ दोनो घुस जाते और अनुज को नशा सा छाने लगता

राज उसके चुतड़ मसलता हुआ - ऊहह दीदी उम्म्ंम कितनी मुलायम गाड़ है ऊहहह सीई ऊहहह

अनुज अब तक निचे सरक चुका था और निशा की चुचिया पकड़ कर निचे से लन्ड उसी मे पेलने लगा - अह भैया नरम तो दीदी की चुचिया है अह्ह्ह कितना मजा आ रहा है ऊहहह माह्ह सीई उफ्फ्फ दीदी कमाल हो तुम तो उफ्फ्फ

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निशा की सिसकिया और भी मादक होने लगी ।
राज निशा की गाड़ की सुराख मसल्ता हुआ - आह्ह दीदी तुम्हारी गाड़ का छेड़ कितना सेक्सी है उम्म्ंम मन कर रहा है घुसा दू उम्म्ंम साली को चोद चोद कर लाल कर दू ऊहहह

अनुज - घुसा दो भैया कल रात मैने घुसाया था बहुत टाइट था ऊहहह दिदीईई आह्ह उम्म्ं

राज - क्या तुने गाड़ भी मार ली
निशा अनुज आपस मे मुस्कुराने लगे

अनुज - आओ ना दीदी मेरे उपर

निशा आगे बढ गयी और राज लन्ड उसकी बजबजाई चुत से बाहर निकल गया और देखते ही देखते निशा ने अनुज के उपर आकर उस्का लन्ड अपनी बुर मे भर लिया


अनुज नीचे से सट सट कमर उठा कर उसकी बुर मे घुसाने लगा - आह्ह दीदी कितना खुल्ला कर दिया आपकी बुर को भैया ने उम्म्ं ऊहह मजा आ रहा है उम्म्ं,आओ ना भैया तुम भी ऊहहह

राज मुस्कुराया और अनुज का इशारा समझ गया

उसने पास रखी तेल की शिसी उठाई और निशा के गाड़ के दरारो मे ड्रॉप कराने लगा
जल्द ही तेल उसके सुराख से रिस कर उस्की चुत और अनुज के लन्ड पर जाने लगा

निशा गरदन फेर पर अपनी दरारो मे राज का लन्ड धंसता मह्सूस कर रही थी , उसकी सासे तेज रही थी ये उस्का पहला अनुभव था जब दो दो मुसल एक साथ उसकी बुर और गाड़ मे घुस रहे थे ।
राज ने पुरा सुपाडा चिकना कर उसको निशा के गाड़ मे मुहाने पर जोर दिया और प्कक की आवाज के साथ सुपाडा आधा अन्दर
सुपाड़े की मोटाई ने निशा के जिस्म को दर्द से अक्ड़ा दिया
अनुज भी कमर थामे रुका हुआ था निचे से
अगले ही पल राज ने जोर देते हुए सुपाड़े को थेला और लन्ड आधा अन्दर
निशा की आंखे बाहर को आने लगी , निचे से अनुज ने एक बार फिर कमर उछालने शुरु कर दिये

निशा के जिस्म की अकड़न और बढ़ गयी , जब राज ने अपनी कमर चलानी शुरु कर दी ।
कसा कड़ा मोटा लन्ड उसकी गाड़ के कसे छेद को भेदता हुआ हुआ जगह बनाने लगा - आअह्ह्ह दीदीइह्ह उम्म्ंम कितनाअह टाइट है उम्म्ंम्ं

अनुज -हा भैया मुझे भी फील हो रहा है अह्ह्ह
निशा - ऊहहह बहिनचोद आज फ़ाड दोगे क्या मेरी उम्म्ंम्ं मम्मीईई अह्ह्ह्ह सीईई ओह गॉड उम्म्ंम्ं फक्क्क

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राज झटके तेज करता ह्य - आह्ह दीदी कितनी रसिली गाड है आपकी उम्म्ंम्ं मन कर रहा है ऐसे ऐसे ऐसेह्ह्ह ऊहहह चोद चोद कर भर दू इसको ऊहहह

निशा राज के हचक लन्ड की चोट गाड़ की तलहटी तक मह्सूस कर रही थी वही निचे से अनुज का लन्ड उसकी चुत को अलग भेदे जा रहा है , इस दोहरे प्रहार से निशा की कमर से जांघ का हिस्सा बुरी तरह दर्द ने अक्ड़ा हुआ था ।
चुत बजबजा रही थी , राज के थ्पेडो से चुतड लाल हुए जा रहे थे - अह्ह्ह बहिनचोद कमिने तेरी मा चोदू साले अह्ह्ह्ह मार क्यू रहा है अह्ह्ह सीई ऐसेही पेल ना ऊहहह सीई

राज और अनुज खिलखिलाने लगे फिर राज ने उस्के कुल्हे जकड कर हुमुच हुमुच कर लण्ड उसकी गाड़ देने लगा ।
निशा के साथ साथ अनुज पर भी इस्का असर साफ साफ होने लगा
दोनो भाई जोश मे उपर निचे से एक लय मे कुल्हे झटकने लगे


निशा की चिखे तेज हो गयी, दोनो भाई भी पूरे जोश मे निशा की चिख को और तेज करते हुए करारे झटके लगाने लगे
दोनो के सुपाड़े पूरे फुल चुके थे और कभी भी फव्वारा फूट सकता था ।
राज झट से उठा और निशा भी उठ गयी
जीभ बाहर निकाले आग उगलगे दोनो सुपाडो के झड़ने की राह मे

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वही राज और अनुज अपना अपना मुसल हिला कर उसके मुह पर झाडने लगे ।

फिर थक कर चिपक कर सो गये
मगर नीचे कमरे मे अगले राउंड की तैयारियां चल रही थी ।

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रंगी बिस्तर पर टांग लटका कर लेटा हुआ था और उसके मोटे हुए लन्ड को रागिनी रज्जो और शिला मिल कर चुस चाट रही थी , एक दुसरे से लार साझा कर रही थी ।

इस आनन्द मे रंगी का मुसल और कड़क हुआ जा रहा था

जारी रहेगी
Super update bhai ji gajab ka kamuk sean likha aap ne

Bechara aman rinki k ese adao se mast hua ja rha h lagta h ab rinki ki chut me jald hi aman gotte khayega


Jha jangi apni wife salini ko uske kadak or kamuk liwaj k liye dath rha tha wahi arun bechara paresan h apni mami ki chut me ghusne k liye but rahul usko mna kr deta h Dekhte h ki aage kya hota salini ki chut bajegi ya sabbo ki maa ki pahad jaise gand ka baja rahul or arun bajenge

To yha raj k ghar me bhi tufan aya hua h ek taraf ten ten chut or gand aaj rangi ko thokne ko mili to upr k kamre me bhi raj or anuj ne mil kar nisha ka baja bja hi dala
Bhai ji Agla update jaldi dena intjar nhi hota h aap ke update pade bina
 
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