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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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मेरे सभी प्यारे दुलारे मुठ्ठल मित्रों पाठकों एवं उंगलीबाजो
देर सवेर ही सही आप सभी को गैंगबैंग रूप से नए साल की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
दारू वाली गैंग के लिए
शिला बुआ की तरफ से स्पेशल ट्रीट

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आप सभी खुशहाल रहें और स्वस्थ रहें और हिलाते रहे


एक महत्वपूर्ण सूचना

इस कहानी का नया सीजन मेरे रनिंग कहानी के खत्म होने के बाद भी शुरू होगा , अब उसमें दिन लगे महीने या वर्षों ।
कृपया मेरी व्यस्तता और मजबूरी को समझे , निगेटिव कमेंट करके या मुझे निकम्मा ठहरा कर अपनी ऊर्जा व्यय ना करें
मै बहुत ही हेहर प्रकृति का प्राणी हु , आपके नकारात्मक शब्दों मुझे खीझा सकते है मगर मेरी चेतना को भ्रमित नहीं कर सकते । उसमे मैं माहिर हुं
आप सभी का प्रेम सराहनीय है और मेरे मन में उसकी बहुत इज्जत है , मगर मै अपने सिद्धांत पर चलने वाला इंसान हु ।

फिर अगर किसी को ऑफिशल डिकियलरेशन की आशा है कि मै ये कहानी बंद करने वाला हु तो ऐसा नहीं है
ये कहानी शुरू होगी मगर मेरी अपनी शर्तों और जब मुझे समय रहेगा इसके लिए।
नया साल अभी शुरू हुआ है इंजॉय करिए
अपडेट जब आयेगा इस कहानी से जुड़े हर उस व्यक्ति को मै व्यक्तिगत रूप से DM करके बुलाऊंगा ये मेरा वादा है ।



मेरे शब्दों और मुझ पर भरोसा कीजिए
मेरी दूसरी कहानी का भी मजा लीजिए
धन्यवाद 🙏
 
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insotter

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UPDATE 216


अमन के घर

10 बजने को हो रहे थे और हाल मे बैठकी चल रही थी , कल सोनल के मायके से आने वाले मेहमानो की खातिरदारी की बाते चल रही थी ।
ममता आज अलग मूड मे थी बार बार मुरारी के सामने अपनी ननद संगीता का नाम लेके अपने पति को छेड़ रही थी और मुरारी कभी उसे आंखे दिखाता तो कभी झेप कर हस ही पड़ता

वही मदन और संगीता के अपने ही इशारेबाजियां हो रही थी ,सन्गिता के अपनी आंखो से मदन को अपने इरादे जता रही थी जिससे मदन का खूटा पजामे खड़ा हो गया था ।
पेपर की आड़ वो कभी कभी अपने लाड़ खुजा भी देता और कभी कभी छिप कर अपनी बहन पर फलाइंग पप्पियां भी उछाल देता
मगर ममता की तेज नजरो से उनकी इश्क़बाजी छुपते नही छिप रही थी ।

ममता ने मुरारी को इशारे से दोनो कबूतरों की ओर तकाया और मुरारी मुस्कुरा पड़ा ।

इधर इनकी बातें हो रही थी
वही किचन मे आज सोनल भी दुलारी का हाथ बटा रही थी । चूल्हा छूने के लिए उसको अपनी सास ममता की ओर से सख्त मनाही थी तो सब्जी काट रही थी और दुलारी से उसकी बातें हो रही थी

इतने मे अमन तेजी से जीने से नीचे आता है और बाहर निकल जाता है ।
उसकी तेजी से सबको हैरत हुई कि क्या बात थी । सन्गिता और ममता ताज्जुब से उठ खड़ी हुई कि क्या बात हो गयी

कुछ ही मिंट मे अमन तेजी से हाल मे प्रवेश किया , अब उसके हाथ मे एक पैकेट था
ममता - क्या हुआ कहा गया था तेजी मे

अमन हसता हुआ एक नजर अपने पापा को देखा और बोला - मम्मी वो ये parcel आया था वो लेने गया

पारसल आने का सुन कर मुरारी के चेहरे की चमक बढ़ गयी और दिल मे जज्बात उमड़घुमड़ करने लगे ।
अमन बिना कुछ बोले सरपट उपर चला गया ।

हाल मे बैठे सबने इस बात को कैजुअली लिया मगर किचन मे दुलारी ने सोनल को छेड़ने लगी - उंहु देखो तो देवरानी जी के लिए गिफ्ट आया है

सोनल - उसमे उनके काम की चीज भी हो सकती है ना भाभी
दुलारी उसके कंधे से अपना कन्धा लड़ाती हुई मुस्कुरा कर - अरे मेरे देवर की सबसे काम की चीज तो तुम हो हिहिही

सोनल दुलारी के दोहरे मजाक पर हस पड़ी - हिहिही मै कैसे ?
दुलारी- अरे तुम ठहरी घर की सीधी गाय और मेरा देवर है जमीन मे गढा खुन्टा तो उसके काम की चीज तुम ही हुई ना ।

सोनल हस कर - फिर मुझसे पहले उस खूँटे मे कौन बन्धा हुआथा , आप ? हिहिहिही

दुलारी से सोनल की मसती पर हौले से उसकी चिकनी कमर पर चिमटी काटी- चुप कर तुझे चारा दी तो हाथ पकड़ ली उम्म्ंम

सोनल हसती हुई - घर की नयी गाय हूँ भाभी हिहिही अभी खाना सिख रही हु आपकी तरह मुझे खेतो मे चरना कहा आता है

दुलारी - तु तो बड़ी चंथ है रे हिहिहीही बातो बातो मे ही मुझे चित कर गयी

सोनल हसती हुई - कभी मेरी बहन निशा से नही मिली आप , कल आयेगी तो मिलाउन्गी हिहिहिही

दुलारी हस कर - अच्छा वो बछिया हिहिहिही
सोनल दुलारी की बात समझ नही पाई और अचरज से उसे देखा

दुलारि हसती हुई - सुना है इस बार हनीमून के सफर मे गईया अपनी पूंछ मे एक बछिया भी लेके जायेगी

सोनल अब दुलारी का तन्ज समझ गयी और लाज से हस दी - सोचा तो मैने था किसी खेतहर भैस को साथ लू मगर हो नही पाया ।

दुलारी हस्ती हुई - धत्त कमिनी तु बहुत दुष्ट है मुझे भैस बुला रही है
सोनल - आपके थन भैसो से ही मिलते है भाभी हिहिही
दुलारी खीझकर - और तेरे दूल्हे का लन्ड गदहे से

सोनल चौकी मगर दुलारी ने झटसे अपनी गलती सुधारती हुई बात को मजाक मे ले गयी मगर सोनल समझ गयी कि दुलारी ने कही ना कही और कभी ना कभी उसके सईया के खूँटे के चक्कर जरुर लगाये है ।

इधर इनकी बाते हसी ठिठौलि चल रही थी तो वही मुरारी को बेचैनी सी उठ रही थी कि क्या करे वो कि पारसल देखने कोमिल जाये


वही उपर दुलारी के कमरे मे अलग ही माहौल बनता दिख रहा था
अमन पारसल लेने निचे गया तो था मगर उसकी तेजी कारण पारसल नही बलकि रिन्की थी जो दुलारी के कमरे मे दरवाजे के पीछे बिना कैफरी के सिर्फ टीशर्ट और पैंटी छिप कर खड़ी थी ।

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अमन झटपट से कमरे मे भागता हुआ आया और कमरे मे चारो ओर नजर घुमाते हुए वो बेड की ओर बढ़ा मगर उसे रिन्की नजर नही आई जबतक कि रिन्की की शरारत भरी खिलखिलाहट उसके कानो मे नही गुंजि ।

अमन खड़े खड़े घूम कर पीछे देखा तो रिन्की दरवाजा बन्द करती हुई उसकी ओर देख रही थी ।
टीशर्ट के निचे से झांकती उसकी पैंटी उसके नरम मुलायम चुतड़ पर चिपके हुए थे और उसकी सुन्दर चिकनी बिना रोए वाली जान्घे कमरे की रोशनि मे झलक रही थी ।

अमन ने उसके खिले चेहरे को देखा और पीछे बिस्तर पर पैर लटका कर लेट गया ।
रिन्की मटकती इठलाती हुई उसके करीब आई और उसके जांघो को टटोलती हुई अपनी गाड़ उसके ओर फेकती हुई सीधा अमन के लन्ड पर बैठ गयी ।

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लोवर के उपर से रिन्की अमन के लन्ड पर अपनी गाड़ मथने लगी और अमन उसके नरम मुलायम चुतड का स्पर्श पाकर भीतर से सिहर उठा - उह्ह्ह्ह गुड़िया उम्म्ंम्म्ं कितनी मुलायम अह्ह्ह उम्म्ंम्ं

रिन्की भी अपने गाड़ के दरारो मे पैंटी के उपर से अमन का मोटा फड़कता मुसल पाकर मचल उठी थी उसकी बुर बजबजाना शुरु हो गयी थी और मुह से मादक मीठी कुनमुनाहट भरी सिसकियाँ उठने लगी थी ।
अमन उसके नरम मुलायम छोटे छोटे चुतडो को हाथो मे भरने की कोसिस करने लगा और हर स्पर्श के हाथ उस्का लन्ड झटके खाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया मेरा बच्चा आह्ह उम्म्ंम बहुत नरम है तेरी गाड बाबू उम्म्ंम्ं अह्ह्ह क्या मस्त ओह्ह्ह्ह सीईई कहा से सिखती है तु उम्म्ंम ओफ्फ्फ्फ

रिन्की अपनी गाड़ मथती हुई सिस्किया लेती रही - उम्म्ंम्ं भैयाह्ह्ह आपका मोटा सा लन्ड देख कर ना जाने मुझे क्या हो जाता है अह्ह्ह जी करता है इसपे रगड़ रगड़ कर उम्म्ंम्ं अह्ह्ह अपनी बुर का सारा पानी बहा दुह्ह्ह आह्ह्ह्ह भाइयाअह्ह्ह उम्म

अमन - उफ्फ्फ सच मेरी गुड़िया को इतना पसंद मेरा मोटा लन्ड उम्म्ंम , देखू तो कितना पानी निकाला तुने उम्म्ं

रिन्की उठ खड़ी हुई और अपनी टीशर्ट उठा गाड़ बाहर की ओर फेकती हुई बड़ी अदा से अपने छोटे छोटे चुतड़ को फैला कर अमन के आगे बडा दिखाने की लालसा मे अपनी पैटी को बड़ी कामुकता से अपनी गाड़ से हौले हौले सरकाने लगी

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जल्द ही अमन की आंखो के आगे उसकी नरम मुलायम गोरी गोरी गाड़ की दरारे साफ साफ नजर आने लगी , उसके गुदाज मोटे मोटे पाव जैसे नरम फूले गुलाबी चुतड़ खिले खिले से नजर आ रहे थे ।

अमन का लन्ड लोवर मे ही बगावत पर आ गया और हाथ बढा कर उसने रिन्की के चिकने चुतड़ सहलाने लगा , अमन का स्पर्श पाकर रिन्की भीतर से गनगना गयी और उसकी टाँगे कापने लगी ,
अमन उसके गाड़ के दरारों को उंगलियो से खोलते हुए बुर के नीचले हिस्से तक गया
उसे अपनी उंगलियो के सिरो पर हल्की लसलसाहट सी मह्सूस हुई और लपक कर उसने रिन्की की कमसिन नाजुक फाकेदार फूली हुई गुलाबी बुर को उंगलियो से घेर लिया
दोनो उन्ग्लिया आगे पीछे कर रिन्की की चुत पर रगड़ते ही रिन्की आंखे उलटती हुई अपनी जान्घो को कस कर अमन की हरकट को रोकना चाहा मगर अमन की मोटी उंगलिया उसके चुत के फाको मे घुस चुकी थी और सीधा बुर के दाने पर रेंगने लगी ।

रिन्की की टागे और मुह दोनो खुल गये और उसकी धड़कन तेज गयी , पैर मे कपकपी सी होने लगी और बुर के आस पास गर्मी सी उठने लगी - अह्ह्ज भैयाह्ह्ह डालो ना

रिन्की के मुह से ये शब्द सुनते ही अमन का लन्ड फनफना उठा और दुसरे हाथ से उसने अपना लोवर खिंच कर लन्ड बाहर निकाल कर हिलाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया आजा देख तेरे भैया का मोटा लन्ड उह्ह्ह आ नाअह्ह उम्म्ंम्ं आजा बच्चा उम्म्ंम्ं आजा

रिन्की ने नजर घुमा कर अमन का मोटा फनफनाता मुसल देखा और उसकी जिस्म मे कामोत्तेजना तेजी से हावि होने लगी उसने अपनी टांग उठाई और अमन का मोटा मुसल पकड़ कर उसकी चमडी उपर निचे करती हुई उस्का गर्म तपता नुकीला लाल सुपाड़ा अपनी गुलाबी रसाती बुर के फाको पर लगाया -अह्ह्ह भैयाहह्ह कितना गर्म्म्ंं उम्म्ंम म्म्म्माआह्ह सीई ओह्ह्ह फक्क्क्क उह्ह्ह्ह

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रिन्की अमन का मोटा सुपाडा अपने रस छोड़ते बुर के फाको पर घिस रही थि और अमन की हालत खराब होती जा रही थी , वो रिन्की के बढ़ती उम्र के कामाग्नी मे जलना शुरु हो गया था । पल पल उस्का लन्ड वीकराल रूप लेता जा रहा था , अब तो उसके लन्ड के सतह पर नसे सूतरियो सी उभरनी शुरु हो गयी थी

सुपाड़े का मुह बड़ा सा होने लगा था और रिन्की की गर्म रस की धार उसके सुपाड़े की खुजली बढाने लगी थी ऐसे मे रिन्की ने उसे राहत देते हुए एक हाथ अपनी बुर के फाके फैला कर सुपाड़े को अपनी बुर की सकरी सुराख पर टिकाया और कमर घुमाती लन्ड अपनी बुर मे अद्जेस्ट करती हुई कचकचा कर बैठने लगी

जबरजस्त दर्द भरी ऐठन उसके कुल्हे और पेड़ू मे उठने लगी थी ,चुत की लसलसाई फाके अपनी क्षमता से अधिक खिचाव होने से लाल होनी शुरु हो गयी थी ,
दर्द के भाव रिन्की के लाल चेहरे और डबड्बाआई आंखे बयां कर रही थी , मगर भीतर भैया के मोटे लन्ड पर कुदने की चसक ने रिन्की का अभी तक हौसला मजबूत कर रखा था

अमन को भनक तक नही होने दिया उसने ऐसे अपनी कापती सांसो पर काबू कर रखा था उसने और देखते ही देखते अमन का मोटा मुसल उसकी सुराख को फैलाता हुआ उसकी चुत की दिवारे चीरता आधा घुस चुका था

भलभला कर उसकी बुर भितर तक रस से भरि हुई थी और अमन के लन्ड घुसते ही सारी मलाई लन्ड के चारो ओर फैलने लगी , उस गर्म रस ने सबसे ज्यादा रिन्की की चुत के फाको को राहत दी और फिर हौले हौले चुतड़ उठाने का दौर शुरु हुआ

रिन्की ने मुह पर हाथ रख रुआस आंखो से दर्द छिपाती हुई चुतड़ उठाये और जोर से कचकचा कर पटक दिया , इस बार अमन की चमडी खिंची और उसने रिन्की के कुल्हे थाम लिए , अमन ने मानो उसकी दर्द को छू लिया और रिन्की के मुह से दर्द भी सिसकी निकली - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ज न्हीईई उम्म्ंम
अमन ने फौरन हाथ अलग किये और उठने की कोसिस करता हुआ - क्या हुआ गुड़िया रो रही है तु , निकाल दू दर्द हो रहा है

रिन्की ने आँसू पोछे और ना मे सर झटकती हुई अपने चेहरे भींच कर दर्द सहती चुतड हौले हौले उछलने लगी - अह्ह्ह भैयहह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं

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अमन के लन्ड पर रिन्की के रसदार कसे हुए फाके अपना असर दिखाने लगे , रिन्की अपने कुल्हे उठा उठा कर गिराने लगी , ह्च्च ह्च्च अमन का सुपाडा हर बार उसकी बुर मे चोट करता हुआ कुछ सेमी आगे बढ रहा था और रिन्की की कमर अब गर्म होनी शुरु हो गयी थी ।

अमन - ओह्ह्ह गुड़िया क्या मस्त कसी चुत है तेरी अह्ह्ह उम्म्ंम ओह्ह्ह फक्क्क येस्स बेटा ऐसे ही उह्ह्ह और पटक उह्ह्ह और आह्ह उम्म्ंम लेले रगड़ ले अपनी बुर अपने भैया के मोटे लन्ड पर ओह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह

अमन की बातें रिन्की को दुगना जोश भर चुकी थी और वो एडिया उठा कर उपर बिस्तर का सहारा ले चुकी थि और उकुडू होकर अब हच्क हचक कर पुरा का पुरा अमन का लन्ड अपनी बुर के भरने लगी , अमन का नुकीला सुपाडा उसकी बच्चेदानी मे चोट करने लगा , हर दर्द हर गं सह कर ना जाने कैसे रिन्की अमन का मोटा लन्ड घुसाये बैठी सिसकिया ले रही थी

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अमन लन्ड पर रिन्की की थाप पाकर और जोशिला हुआ जा रहा था और रिन्की की बुर फिर से टपकने लगी और उसकी चाल हल्की होने लगी
और धीरे धीरे थमने भी लगी
अमन उठ गया , अभी भी रिन्की उसकी गोद मे थी उसने अपने हाथ आगे कर रिन्की के नन्हे चुजे मसलने लगा टीशर्ट के उपर से - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ह उम्म्ंम रगड़ डालो ओह्ह्ह ना जाने कबसे मेरा दिल था आप इन्हे मसलो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

अमन - आह्ह गुड़िया तेरे चुचे बहुत कोरे है आह्ह कितने कदक और नुकीले उह्ह्ह कभी मिजवाई नही क्या अह्ह्ह कोई दोस्त नही तेरा

अमन के हर सवाल को ना मे जवाब देती रही रिन्की और उतना ही अमन का लन्ड उसकी बुर मे कसता गया

उसने झटके से उठ कर रिन्की को अपने लन्ड पर उठाये हवा मे टांग लिया और घुमा कर बिस्तर पर झुका दिया
अमन अब रिन्की को घोड़ी बना कर कस कस कर लन्ड उसके बुर देने लगा
अमन के तेज करारे झटको से रिन्की को बुर के परखच्चे उड़ने लगे उसकी सिस्किया अब दर्द भरि चिखो मे बदलने लगी मगर नही बदला तो उसका जुनून अमन के लन्ड को निचोड लेने का ।
सुबकती सिस्कती बड़बड़ाती वो अमन के तेज लन्ड के झटको की चोट अपनी बुर मे लेती रही - उउउउउऊअह्ह्ज्ज येस्स्स्स भैयाअझ्झ उम्म्ंम्म्ं फ्क्क्क फक्क्क फक्क्क मीईई उह्ह्ह उह्ज्झ्ह अह्ह्ह सीईई

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अमन उसकी तेज आवाज और रुआअस भरि चिखो से और भी जोश मे आकर उसके मुह पर हाथ रखकर कस कस के पेलने लगा - अह्ह्ह लेह्ह्ह बहिनचोद अह्ह्ह साली कुतिया कितना रो रही है अह्ह्ह बहिनचोद पुरा लन्ड खा गयी मेरा और बिलख रही है मादरचोद अह्ह्ह लेह्ह्ह्ह और लेह्ह्ह आज फ़ाड दन्गा बहुत गर्मी है ना तेरी बुर मे उम्म्ंम बहुत खुजलाती है ना तेरी बुर उम्म्ं बोल

रिन्की हाफ्ती हुई आहे भरती हुई -अह्ह्ह हा भैगा तुम्हारे इस मोटे हथियार को याद कर कर ही तो कुलबुलाती है अह्ह्ह और चोदो अह्ह्ह फाड़ दो हा ऐसे उह्ह्ह्ह येस्स्स येस्स्स आह्ह्ह्ह फक्क्क्क्क उम्मममं मुम्मीईईई उहुहू अह्ह्ह भैयाअह्ह्ह्ह ओह्ह्ह माय उह्ह्ह्ह

अमन हचर हचर पेलते पेलते हुए उसको जोर का झटका देके बिस्तर पर फेका

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रिन्की बिस्तर पर गिर गयि कुछ सेकेण्ड का आराम हुआ होगा कि अमन ने फिर से उसकी टांग खिंच कर अपना लन्ड उसको बुर मे ल्गाते हुए उसके उपर चढ़ गया

रिन्की - ओह्ह्ह भैयाह्ह्ह तुम जब चिपकते हो तोह्ह्ह अह्ह्ह मम्मीई

अमन उसके उपर चढ़ा हुआ उसकी बुर मे अपना लम्बा लन्ड घुसेड़ कर चोदता हुआ - तो क्याह्ह गुड़िया बोल ना

रिन्की - आह्ह भैयाह्ह उह्ह्ह बहुत गरम गरम लगता है अह्ह्ह लग्ता है कि अह्ह्ह अह्ह्ह उफ्फ्फ देखो फिर से अह्ह्ह आ रहा है उह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ मम्मीईई उउउउउऊऊ उम्म्ंम्म्ं येस्स्स येस्स्स अह्ह्ह्ह उह्ह्ह फ्क्क्क मीईई हार्ड भैयाअह्ह्ह ओह्ह्ह

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अमन एक बार फिर रिन्की के तेज कामुक सिस्कियो से जोश से भर गया और रिन्की का मुह बान्ध कर फिर से हुमुच हुमुच कर पेलने लगा - उह्ह्ह साली लेह्ह्ह अह्ह्ह और झड़ अह्ह्ह झड जा मेरे लन्ड पर ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है रे अह्ह्ह्ह बहिनचोद उफ्फ्फ साली मादरचोद उह्ह्ह्ह लेह

रिन्की बुरी तरह झड रही और उसकी फड़फ्ड़ाती बजब्जाती चुत अब अमन के लन्ड पर अपना छल्ला कस चुकी थी और अमन के सुपाड़े पर अधिक दबाव आने लगा उसपे से अमन का जोश उसके आड़ो से चढ कर सुपाड़े मे भरने लगा था

लन्ड की गर्मी से रिकी की बुर जल रही थी उस्का पानी सूख चुका था , अमन आखिर जोर तक अपने लन्ड को रिन्की की बुर मे कोन्चता रहा और जब लगा कि वो रुक नही पायेगा

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उसने लन्ड बाहर निकाल कर रिन्की की गाड़ पर पिचकारी गिराने लगा - ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह सिउईई उह्ह्ह्ह गुड़िया अह्ह्ह्ह लेह्ह्ह आ रहा है मेरा ओह्ह्ह फ्क्क्क्क फक्क्क आह्ह

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रिन्की के नाजुक चुतड अमन के गर्म छ्लछ्लाते बीज से लाल होने लगे - ओह्ह भैयाह्ह अह्ह्ह कितना गर्म हैया हहह नहला दो मुझे उह्ह्ह मुझे भिगो दो भर मेरी गाड़ अह्ह्ह भैयाह

अमन अखिर बूंद तक उसकी गाड़ के दरारो मे निचोड़ दिया उसके बगल मे लेट गया
रिन्की भी कुछ पल तक अपनी गाड़ को हवा मे उठाए सुस्ताती रही और उसके गाड़ पर गिरी मलाई गाढी होती चली गयी ।


राहुल के घर

दिन चढता जा रहा था । शालिनी किचन मे खाना बनाने मे बिजी थी और वही राहुल के कमरे मे खुसरफुसरबाजी चल रही थी ।
राहुल बहुत ही कड़े लहजे मे अरुण से नाराजगी जता रहा था कि क्यू उसने रात वाली बात उससे छिपाई । मगर अरुण किसी तरह लालच देकर राहुल को तैयार किया , कम से कम अरुण ने तो ऐसा ही मह्सूस किया था ।

अरुण ने राहुल को बताया कि कैसे उसने बड़ी चालाकी से शालिनी को शंका मे ला खड़ा किया है कि उसके बेटे की नियत उस पर खराब हुई और अब उसे इस बात का यकिन भी दिलाना है ।
राहुल के लिए ये खेल मजेदार होने वाला था अरुण के सामने अपनी मा के साथ नौटंकी करने का ।
वैसे वो थोडा नाराज अपनी मा से भी था कि शालिनी ने भी उससे कुछ जाहिर नही किया ।

उनकी योजना शुरु हुई और दोनो कमरे से बाहर निकल कर दबे पाव किचन की ओर बढ़े सामने देखा शालिनी दुपहर के खाने की तैयारियो मे व्यस्त है और साडी मे उसकी उठी हुई गाड़ देख कर दोनो का लन्ड तनमना गया ।
अरुन ने राहुल को इशारे से शालिनी के कमरे जाने को कहा - तु चल मै मामी को लिवा कर आता हु , ठिक है

राहुल सहमती दिखा कर अपनी मा के कमरे की ओर बढ़ गया

इधर अरुण भी मौका देख कर लपक कर किचन मे घुस कर शालिनी को पीछे से हग कर लिया

"हाय दैयाआ अरुण तुहहह धत्त छोड ना क्या कर रहा है " शालिनी अरुण की जकड़ से छुटने के लिए कसमसाई ।

अपनी मामी के मुलायम बदन का स्पर्श पाकर अरुण का लन्ड एकदम से फड़फडा कर निचे शालिनी की साडी के उपर से उसके गाड़ मे धंसने लगा - अह्ह्ह मामी तुम्हे तो छोडने का दिल ही नही चाहता अह्ह्ह मेरी सेक्सी चुदक्कड़ मामी ।

शालिनी अरुण के शब्दो से लजाई और हस्ती हुई - धत्त गन्दा , हर वक़्त थोड़ी ना ये सब अच्छा लगता है । दुर हट राहुल आ जायेगा ।

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अरुण ने लपक कर उसकी गुदाज पाव सी चुचियो को दोनो हाथ मे भर लिये - अह्ह्ह अरून उम्म्ंम बेटा मत कर ना उमम्मम्ं राअहुल्ल आ जायेगा अह्ह्ह रुक जाआह्ह

अरुण अपना नुकीला तम्बू उसकी गाड़ मे कोचता हुआ उसके दुधारू थन जैसे मोटे मोटे नरम चुचो को मिजता हुआ - उसकी चिंता ना करो मामी , वो तो आपके नाम की मूठ लगा रहा होगा

शालिनी चौकी और उसकी ओर घूमी - क्या ?
अरुन ने अपनी बतिसी दिखाते हुए उसकी कमर को सहलाता उसके बुलंद टाइट चुतड़ को मसलने लगा - हम्म्म मेरी जान, वो तो आज तुम्हारी कच्छीयों से खेल रहा है अभी अभी देखा मैने

शालिनी की सासे तेज होने लगी
अरुण उसके रसिले दूध मसलता हुआ - देखना चाहोगी कैसे सून्घता है वो आपकी पैंती
अरुण का लन्ड अब साडी के उपर से सीधा उसकी बुर को चुब रहा था और उसकी आंखे बस अरुण को निहार रही थी ।

अरुण के चुचो को मसलता हुआ - बोलो ना देखोगी अपने बेटे को मूठ मारते हुए हम्म

शालिनी ने हा मे सर हिलाया और फिर लाज से हस दी
अरुण भी जोश से भर आया और शालिनी का हाथ पकड़ कर किचन से निकलने लगा
शालिनी ने लपक कर चूल्हा बन्द कर दिया फिर अरुण के साथ हो ली ।

धीरे धीरे दोनो शालिनी के कमरे की ओर बढ़ने लगे और हल्की हल्की उनके कानो मे राहुल की भुनभुनाहट भरी सिसकिया आने लगी
शालिनी ने सतर्क नजरो से अरुन को देखा तो अरुण ने उसे आगे बढ़ने को कहा
दरवाजे के पास से दोनो ने एक साथ कमरे मे झाका और पीछे हो गये

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राहुल उनके एकदम करीब ही था , वो दराज के पास खड़े होकर शालिनी की कच्छीया निकाल कर एक को अपने लन्ड पर रख कर अपना लन्ड जोरो से हिला रहा था - अह्ह्ह मेरी सेक्सी मम्मी अह्ह्ह मेरी चुद्क्क्ड मम्मीई अह्ह्ह लेलो ना मेरा लन्ड ओह्ह्ह एस्स उह्ह्ह मम्मी तुम्हारी गाड़ बहुत सेक्सी है अह्ह्ह तुम्हारी पैंती इत्नी मुलायम है तो बुर कितनी नरम होगी अह्ह्ह मम्मी ओह्ह्ह्ह आजाओ ना उह्ह्ह

शालिनी आंखे फाडे अरुण को देख रही थी और अरुण उसके साम्ने लोवर के उपर से अपना मुसल भींच कर भीतर देखने का इशारा किया ।
शालिनी ने हौले से फिर से झाका , सामने उस्का बेटा उसकी पैंती अपने कडक लन्ड पर लपेट कर उसी मे मुठ्ठि मार रहा था
जिसे देख कर शालिनी को यह लगा कि शायद इतने दिन से राहुल ने उसे चोदा नही इसीलिए ऐसी हरकते कर रहा है

इधर राहुल को अहसास हो गया था कि उसकी मा आ चुकी है तो वो योजनानुसार अपना लन्ड हिलाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया और जोर जोर से चिन्घाड़ने लगा

अरुण - यही मौका है मामी रंगे हाथ पकड़ लो उसे
शालिनी - प्कका ना मै जाऊ
अरुण - हा मामी अभी के अभी

शालिनी ने मन बनाया और अरुण के सामने ही अपने बेटे के आगे जाने के लिए जैसे ही दरवाजे से कमरे दाखिल हुई
राहुल ने कमरे मे घुसती परछाई ने अपनी मा की छवि देखी और अपने भरे सुपाड़े पर जो कुछ समय से रोक लगाये था वो हटा दिया

शालिनी राहुल को आवाज देती हुई कमरे मे दाखिल हुई और राहुल ने सुपाड़े का मुह दरवाजे की ओर घुमा दिया

20220402-102505
एक तेज बड़ी मोटी गाढ़ी पिचकारी की लम्बी धार सीधे शालिनी के मुह और सीने पर गिरी - अह्ह्ह म्म्मीई ओह्ह्ह आप यहाआ आह्ह कैसे ओह्ह्ह्व

राहुल तेजी से लन्ड हिलाता हुआ बाकी का रस फर्श पर छोड रहा था और शालिनी को उम्मीद नही थी एक बार फिर उसे वीर्य से नहाना पड़ेगा

राहुल की हरकत से शालिनी खिझी और तेज आवाज मे - राहुल ये क्या हरकत है
शालिनी की आवाज पर अरुण लपक कर कमरे मे आया - क्या हुआ मामी

शालिनी बुरा सा मूह बनाती हुई - देखो इस कमीने ने क्या किया मेरे उपर , अरे तुझे शर्म नही आई हे भगवान क्या कर रहा था तु

राहुल ने एक नजर अरुण को देखा और इशारेबाजी मे दोनो ने एक दुसरे को गुडलक किया
राहुल - मम्मी वो मै वो ? सॉरी

शालिनी अपने होठो के पास के वीर्य को उंगलियो से हटाने लगी - उम्म्ंम्ं छीईईई और ये फर्श सब गन्दा कर दिया , नालायक कही का अभी भी नंगा खड़ा है चल कपडे पहन बेशर्म
शालिनी - मै तेरे पापा को लेकर आती हूँ
राहुल लपक कर अपनी मा के हाथ पकड़ गिडगिडाने लगा - नही मा पापा को नही , प्लीज आप जो सजा दो मुझे मन्जूर है प्लीज पापा को नही


अरुण भौचक्का रह गया कि क्या अलग ड्रामा होने लगा ,जो औरत अभी अपने बेटे के लन्ड के लिए उतावली थी अभी अलग ही ड्रामे पेल रही है उसपे से जन्गीलाल का आना उसके लिए चिंता की बात दिख रही थी
राहुल के बार बार आग्रह करने पर
शालिनी - अरून बेटा तू बाहर जा मुझे इस्से कुछ बात करनी पडेगी

अब अरुण की फटी क्योकि ये सब जो शालिनी करने जा रही थी वो उस्की योजना के अनुरुप नही होता दिख रहा था।

अगले पल शालिनी ने अरुण को कमरे के बाहर किया और दरवाजा भिड़का दिया ।

शालिनी दरवाजे लग कर खड़ी हो गयी और मुस्कुराने लगी ,राहुल भी मुस्कुराता हुआ उसकी ओर बढा

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शालिनी नाटक करती हुई लपक कर राहुल का मुरझाता लन्ड थाम ली और बाहर अरुण को सुनाती हुई तेज आवाज मे बोली - मै एक नही सुनूंगी तेरी , बहुत बिगड़ गया है तु आज तुझे सजा मिलेगी

राहुल उसके करीब आकर उसके मुलायम चुचे सहलाता हुआ - आह्ह प्लीज मम्मी नही सॉरी ना

शालिनी उसके लन्ड को भिचने लगी - नही तु सच मे बहुत बिगड़ गया , क्या कर रहा था मेरी कच्छी के साथ बोल

राहुल - सॉरी ना मम्मीई अह्ह्ह सुउउउऊ प्लीज ना
बाहर अरुण कमरे से आ रही आवाजो से माहौल का अन्दाजा लगा रहा था उसकी बुरी तरह से फटी हुई थी

जैसे शालिनी राहुल को पीत रही हो मगर राहुल की सिस्कियो का कारण तो कुछ और ही था निचे घुटनो के बल बैठ कर शालिनी उस्का लन्ड मुह मे भर चुकी थी

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राहुल - आह्ह क्या कर मम्मी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो अह्ह्ह सीईई उम्म्ंम्ं

शालिनी - तो क्या अपनी मा से ये सब करेगा बोल ,फिर करेगा ये सब उम्म्ं

राहुल मुस्कुरा कर शालिनी के आगे हा मे सर हिलाता हुआ - नही मा कभी नही प्लीज सॉरी ना
शालिनी इठलाती हुई मदमस्त नजरो से उसे निहारती बाहर खड़े अरुण को सुनाती हुई - रुक तू ऐसे नही सुधरेगा

राहुल भी शालिनी का साथ देते हुए झुठ मूठ की चिखमचिल्ली करने लगा
इधर अरुण की हालत खराब होने लगी कि राहुल तो आज बुरा फसा , लेकिन उसे ये समझ नही आ रहा था कि अचानक से शालिनी मामी का मूड खराब कैसे हो गया ।

धीरे धीरे दोनो की अवाजे दरवाजे से दुर होती मह्सूस होने लगी और अरुण कुछ पल बाद हल्की आवाजे आने लगी , उसे लगा कि कही शालिनी राहुल को पीटते हुए ले जा रही है

शालिनी - उम्म्ंम और करेगा बदमाशी उम्म्ं आह्ह बोल ना बोल
राहुल सिस्कते हुए हस कर - उम्म्ं नही तो कह रहा हु मम्मी फिर क्यू मार रही हो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

शालिनी - ऐसे ही मारुन्गी बहुत बिगड़ गया है तु , मम्मी की कच्छी से गन्दे गंदे काम करता है , फिर करेगा बोल उह्ह्ज बोल , नही तो पापा को कहूँगी
राहुल - नही मा नही करूंगा अह्ह्ह उह्ज्ज और उह्ह्ह्ज येस्स्स्स मम्मीई फ्क्क्क मीई

अरुण को हल्की फुल्की अवाजे आ रही थी तो वो सुनने के लिए दरवाजे के और करीब गया जैसे ही उसके कन्धे ने दरवाजे पर स्पर्श किया दरवजा हल्का सा हिला और अरुण चौका - मतल्व दरवाजा खुला ही है देखू तो



"ओह्ह बहिनचोद क्या ड्रामा है ये मा बेटे का " , अरुण दरवाजे को हौले से खोलता हुआ कमरे मे झाक कर बिस्तर पर देखता है
जहा शालिनी अपनी साडी उठा कर राहुल को निचे लिटाये हुए उसके लन्ड पर उछल रही थी ।

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अपनी गाड़ पटक पटक कर शालिनी अपने बेटे का लन्ड चुत मे ले रही थी और दोनो मा बेटे अरुण को सुनाने के लिए नाटक किये जा रहे थे ।

अरुण का चेहरा अगले ही पल कमरे का नजारा देख कर खिल गया और लन्ड एकदम से तनमना गया ।
कुछ सोच कर अपना मुसल मसलते हुए वो भी चुपके से कमरे मे दाखिल हुआ ।



जारी रहेगी
Adbhut update bhai ☺️ Mazza aa gaya ab Shalini ke sath hoda 3some 😁
 

Deepaksoni

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UPDATE 216


अमन के घर

10 बजने को हो रहे थे और हाल मे बैठकी चल रही थी , कल सोनल के मायके से आने वाले मेहमानो की खातिरदारी की बाते चल रही थी ।
ममता आज अलग मूड मे थी बार बार मुरारी के सामने अपनी ननद संगीता का नाम लेके अपने पति को छेड़ रही थी और मुरारी कभी उसे आंखे दिखाता तो कभी झेप कर हस ही पड़ता

वही मदन और संगीता के अपने ही इशारेबाजियां हो रही थी ,सन्गिता के अपनी आंखो से मदन को अपने इरादे जता रही थी जिससे मदन का खूटा पजामे खड़ा हो गया था ।
पेपर की आड़ वो कभी कभी अपने लाड़ खुजा भी देता और कभी कभी छिप कर अपनी बहन पर फलाइंग पप्पियां भी उछाल देता
मगर ममता की तेज नजरो से उनकी इश्क़बाजी छुपते नही छिप रही थी ।

ममता ने मुरारी को इशारे से दोनो कबूतरों की ओर तकाया और मुरारी मुस्कुरा पड़ा ।

इधर इनकी बातें हो रही थी
वही किचन मे आज सोनल भी दुलारी का हाथ बटा रही थी । चूल्हा छूने के लिए उसको अपनी सास ममता की ओर से सख्त मनाही थी तो सब्जी काट रही थी और दुलारी से उसकी बातें हो रही थी

इतने मे अमन तेजी से जीने से नीचे आता है और बाहर निकल जाता है ।
उसकी तेजी से सबको हैरत हुई कि क्या बात थी । सन्गिता और ममता ताज्जुब से उठ खड़ी हुई कि क्या बात हो गयी

कुछ ही मिंट मे अमन तेजी से हाल मे प्रवेश किया , अब उसके हाथ मे एक पैकेट था
ममता - क्या हुआ कहा गया था तेजी मे

अमन हसता हुआ एक नजर अपने पापा को देखा और बोला - मम्मी वो ये parcel आया था वो लेने गया

पारसल आने का सुन कर मुरारी के चेहरे की चमक बढ़ गयी और दिल मे जज्बात उमड़घुमड़ करने लगे ।
अमन बिना कुछ बोले सरपट उपर चला गया ।

हाल मे बैठे सबने इस बात को कैजुअली लिया मगर किचन मे दुलारी ने सोनल को छेड़ने लगी - उंहु देखो तो देवरानी जी के लिए गिफ्ट आया है

सोनल - उसमे उनके काम की चीज भी हो सकती है ना भाभी
दुलारी उसके कंधे से अपना कन्धा लड़ाती हुई मुस्कुरा कर - अरे मेरे देवर की सबसे काम की चीज तो तुम हो हिहिही

सोनल दुलारी के दोहरे मजाक पर हस पड़ी - हिहिही मै कैसे ?
दुलारी- अरे तुम ठहरी घर की सीधी गाय और मेरा देवर है जमीन मे गढा खुन्टा तो उसके काम की चीज तुम ही हुई ना ।

सोनल हस कर - फिर मुझसे पहले उस खूँटे मे कौन बन्धा हुआथा , आप ? हिहिहिही

दुलारी से सोनल की मसती पर हौले से उसकी चिकनी कमर पर चिमटी काटी- चुप कर तुझे चारा दी तो हाथ पकड़ ली उम्म्ंम

सोनल हसती हुई - घर की नयी गाय हूँ भाभी हिहिही अभी खाना सिख रही हु आपकी तरह मुझे खेतो मे चरना कहा आता है

दुलारी - तु तो बड़ी चंथ है रे हिहिहीही बातो बातो मे ही मुझे चित कर गयी

सोनल हसती हुई - कभी मेरी बहन निशा से नही मिली आप , कल आयेगी तो मिलाउन्गी हिहिहिही

दुलारी हस कर - अच्छा वो बछिया हिहिहिही
सोनल दुलारी की बात समझ नही पाई और अचरज से उसे देखा

दुलारि हसती हुई - सुना है इस बार हनीमून के सफर मे गईया अपनी पूंछ मे एक बछिया भी लेके जायेगी

सोनल अब दुलारी का तन्ज समझ गयी और लाज से हस दी - सोचा तो मैने था किसी खेतहर भैस को साथ लू मगर हो नही पाया ।

दुलारी हस्ती हुई - धत्त कमिनी तु बहुत दुष्ट है मुझे भैस बुला रही है
सोनल - आपके थन भैसो से ही मिलते है भाभी हिहिही
दुलारी खीझकर - और तेरे दूल्हे का लन्ड गदहे से

सोनल चौकी मगर दुलारी ने झटसे अपनी गलती सुधारती हुई बात को मजाक मे ले गयी मगर सोनल समझ गयी कि दुलारी ने कही ना कही और कभी ना कभी उसके सईया के खूँटे के चक्कर जरुर लगाये है ।

इधर इनकी बाते हसी ठिठौलि चल रही थी तो वही मुरारी को बेचैनी सी उठ रही थी कि क्या करे वो कि पारसल देखने कोमिल जाये


वही उपर दुलारी के कमरे मे अलग ही माहौल बनता दिख रहा था
अमन पारसल लेने निचे गया तो था मगर उसकी तेजी कारण पारसल नही बलकि रिन्की थी जो दुलारी के कमरे मे दरवाजे के पीछे बिना कैफरी के सिर्फ टीशर्ट और पैंटी छिप कर खड़ी थी ।

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अमन झटपट से कमरे मे भागता हुआ आया और कमरे मे चारो ओर नजर घुमाते हुए वो बेड की ओर बढ़ा मगर उसे रिन्की नजर नही आई जबतक कि रिन्की की शरारत भरी खिलखिलाहट उसके कानो मे नही गुंजि ।

अमन खड़े खड़े घूम कर पीछे देखा तो रिन्की दरवाजा बन्द करती हुई उसकी ओर देख रही थी ।
टीशर्ट के निचे से झांकती उसकी पैंटी उसके नरम मुलायम चुतड़ पर चिपके हुए थे और उसकी सुन्दर चिकनी बिना रोए वाली जान्घे कमरे की रोशनि मे झलक रही थी ।

अमन ने उसके खिले चेहरे को देखा और पीछे बिस्तर पर पैर लटका कर लेट गया ।
रिन्की मटकती इठलाती हुई उसके करीब आई और उसके जांघो को टटोलती हुई अपनी गाड़ उसके ओर फेकती हुई सीधा अमन के लन्ड पर बैठ गयी ।

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लोवर के उपर से रिन्की अमन के लन्ड पर अपनी गाड़ मथने लगी और अमन उसके नरम मुलायम चुतड का स्पर्श पाकर भीतर से सिहर उठा - उह्ह्ह्ह गुड़िया उम्म्ंम्म्ं कितनी मुलायम अह्ह्ह उम्म्ंम्ं

रिन्की भी अपने गाड़ के दरारो मे पैंटी के उपर से अमन का मोटा फड़कता मुसल पाकर मचल उठी थी उसकी बुर बजबजाना शुरु हो गयी थी और मुह से मादक मीठी कुनमुनाहट भरी सिसकियाँ उठने लगी थी ।
अमन उसके नरम मुलायम छोटे छोटे चुतडो को हाथो मे भरने की कोसिस करने लगा और हर स्पर्श के हाथ उस्का लन्ड झटके खाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया मेरा बच्चा आह्ह उम्म्ंम बहुत नरम है तेरी गाड बाबू उम्म्ंम्ं अह्ह्ह क्या मस्त ओह्ह्ह्ह सीईई कहा से सिखती है तु उम्म्ंम ओफ्फ्फ्फ

रिन्की अपनी गाड़ मथती हुई सिस्किया लेती रही - उम्म्ंम्ं भैयाह्ह्ह आपका मोटा सा लन्ड देख कर ना जाने मुझे क्या हो जाता है अह्ह्ह जी करता है इसपे रगड़ रगड़ कर उम्म्ंम्ं अह्ह्ह अपनी बुर का सारा पानी बहा दुह्ह्ह आह्ह्ह्ह भाइयाअह्ह्ह उम्म

अमन - उफ्फ्फ सच मेरी गुड़िया को इतना पसंद मेरा मोटा लन्ड उम्म्ंम , देखू तो कितना पानी निकाला तुने उम्म्ं

रिन्की उठ खड़ी हुई और अपनी टीशर्ट उठा गाड़ बाहर की ओर फेकती हुई बड़ी अदा से अपने छोटे छोटे चुतड़ को फैला कर अमन के आगे बडा दिखाने की लालसा मे अपनी पैटी को बड़ी कामुकता से अपनी गाड़ से हौले हौले सरकाने लगी

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जल्द ही अमन की आंखो के आगे उसकी नरम मुलायम गोरी गोरी गाड़ की दरारे साफ साफ नजर आने लगी , उसके गुदाज मोटे मोटे पाव जैसे नरम फूले गुलाबी चुतड़ खिले खिले से नजर आ रहे थे ।

अमन का लन्ड लोवर मे ही बगावत पर आ गया और हाथ बढा कर उसने रिन्की के चिकने चुतड़ सहलाने लगा , अमन का स्पर्श पाकर रिन्की भीतर से गनगना गयी और उसकी टाँगे कापने लगी ,
अमन उसके गाड़ के दरारों को उंगलियो से खोलते हुए बुर के नीचले हिस्से तक गया
उसे अपनी उंगलियो के सिरो पर हल्की लसलसाहट सी मह्सूस हुई और लपक कर उसने रिन्की की कमसिन नाजुक फाकेदार फूली हुई गुलाबी बुर को उंगलियो से घेर लिया
दोनो उन्ग्लिया आगे पीछे कर रिन्की की चुत पर रगड़ते ही रिन्की आंखे उलटती हुई अपनी जान्घो को कस कर अमन की हरकट को रोकना चाहा मगर अमन की मोटी उंगलिया उसके चुत के फाको मे घुस चुकी थी और सीधा बुर के दाने पर रेंगने लगी ।

रिन्की की टागे और मुह दोनो खुल गये और उसकी धड़कन तेज गयी , पैर मे कपकपी सी होने लगी और बुर के आस पास गर्मी सी उठने लगी - अह्ह्ज भैयाह्ह्ह डालो ना

रिन्की के मुह से ये शब्द सुनते ही अमन का लन्ड फनफना उठा और दुसरे हाथ से उसने अपना लोवर खिंच कर लन्ड बाहर निकाल कर हिलाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया आजा देख तेरे भैया का मोटा लन्ड उह्ह्ह आ नाअह्ह उम्म्ंम्ं आजा बच्चा उम्म्ंम्ं आजा

रिन्की ने नजर घुमा कर अमन का मोटा फनफनाता मुसल देखा और उसकी जिस्म मे कामोत्तेजना तेजी से हावि होने लगी उसने अपनी टांग उठाई और अमन का मोटा मुसल पकड़ कर उसकी चमडी उपर निचे करती हुई उस्का गर्म तपता नुकीला लाल सुपाड़ा अपनी गुलाबी रसाती बुर के फाको पर लगाया -अह्ह्ह भैयाहह्ह कितना गर्म्म्ंं उम्म्ंम म्म्म्माआह्ह सीई ओह्ह्ह फक्क्क्क उह्ह्ह्ह

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रिन्की अमन का मोटा सुपाडा अपने रस छोड़ते बुर के फाको पर घिस रही थि और अमन की हालत खराब होती जा रही थी , वो रिन्की के बढ़ती उम्र के कामाग्नी मे जलना शुरु हो गया था । पल पल उस्का लन्ड वीकराल रूप लेता जा रहा था , अब तो उसके लन्ड के सतह पर नसे सूतरियो सी उभरनी शुरु हो गयी थी

सुपाड़े का मुह बड़ा सा होने लगा था और रिन्की की गर्म रस की धार उसके सुपाड़े की खुजली बढाने लगी थी ऐसे मे रिन्की ने उसे राहत देते हुए एक हाथ अपनी बुर के फाके फैला कर सुपाड़े को अपनी बुर की सकरी सुराख पर टिकाया और कमर घुमाती लन्ड अपनी बुर मे अद्जेस्ट करती हुई कचकचा कर बैठने लगी

जबरजस्त दर्द भरी ऐठन उसके कुल्हे और पेड़ू मे उठने लगी थी ,चुत की लसलसाई फाके अपनी क्षमता से अधिक खिचाव होने से लाल होनी शुरु हो गयी थी ,
दर्द के भाव रिन्की के लाल चेहरे और डबड्बाआई आंखे बयां कर रही थी , मगर भीतर भैया के मोटे लन्ड पर कुदने की चसक ने रिन्की का अभी तक हौसला मजबूत कर रखा था

अमन को भनक तक नही होने दिया उसने ऐसे अपनी कापती सांसो पर काबू कर रखा था उसने और देखते ही देखते अमन का मोटा मुसल उसकी सुराख को फैलाता हुआ उसकी चुत की दिवारे चीरता आधा घुस चुका था

भलभला कर उसकी बुर भितर तक रस से भरि हुई थी और अमन के लन्ड घुसते ही सारी मलाई लन्ड के चारो ओर फैलने लगी , उस गर्म रस ने सबसे ज्यादा रिन्की की चुत के फाको को राहत दी और फिर हौले हौले चुतड़ उठाने का दौर शुरु हुआ

रिन्की ने मुह पर हाथ रख रुआस आंखो से दर्द छिपाती हुई चुतड़ उठाये और जोर से कचकचा कर पटक दिया , इस बार अमन की चमडी खिंची और उसने रिन्की के कुल्हे थाम लिए , अमन ने मानो उसकी दर्द को छू लिया और रिन्की के मुह से दर्द भी सिसकी निकली - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ज न्हीईई उम्म्ंम
अमन ने फौरन हाथ अलग किये और उठने की कोसिस करता हुआ - क्या हुआ गुड़िया रो रही है तु , निकाल दू दर्द हो रहा है

रिन्की ने आँसू पोछे और ना मे सर झटकती हुई अपने चेहरे भींच कर दर्द सहती चुतड हौले हौले उछलने लगी - अह्ह्ह भैयहह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं

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अमन के लन्ड पर रिन्की के रसदार कसे हुए फाके अपना असर दिखाने लगे , रिन्की अपने कुल्हे उठा उठा कर गिराने लगी , ह्च्च ह्च्च अमन का सुपाडा हर बार उसकी बुर मे चोट करता हुआ कुछ सेमी आगे बढ रहा था और रिन्की की कमर अब गर्म होनी शुरु हो गयी थी ।

अमन - ओह्ह्ह गुड़िया क्या मस्त कसी चुत है तेरी अह्ह्ह उम्म्ंम ओह्ह्ह फक्क्क येस्स बेटा ऐसे ही उह्ह्ह और पटक उह्ह्ह और आह्ह उम्म्ंम लेले रगड़ ले अपनी बुर अपने भैया के मोटे लन्ड पर ओह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह

अमन की बातें रिन्की को दुगना जोश भर चुकी थी और वो एडिया उठा कर उपर बिस्तर का सहारा ले चुकी थि और उकुडू होकर अब हच्क हचक कर पुरा का पुरा अमन का लन्ड अपनी बुर के भरने लगी , अमन का नुकीला सुपाडा उसकी बच्चेदानी मे चोट करने लगा , हर दर्द हर गं सह कर ना जाने कैसे रिन्की अमन का मोटा लन्ड घुसाये बैठी सिसकिया ले रही थी

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अमन लन्ड पर रिन्की की थाप पाकर और जोशिला हुआ जा रहा था और रिन्की की बुर फिर से टपकने लगी और उसकी चाल हल्की होने लगी
और धीरे धीरे थमने भी लगी
अमन उठ गया , अभी भी रिन्की उसकी गोद मे थी उसने अपने हाथ आगे कर रिन्की के नन्हे चुजे मसलने लगा टीशर्ट के उपर से - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ह उम्म्ंम रगड़ डालो ओह्ह्ह ना जाने कबसे मेरा दिल था आप इन्हे मसलो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

अमन - आह्ह गुड़िया तेरे चुचे बहुत कोरे है आह्ह कितने कदक और नुकीले उह्ह्ह कभी मिजवाई नही क्या अह्ह्ह कोई दोस्त नही तेरा

अमन के हर सवाल को ना मे जवाब देती रही रिन्की और उतना ही अमन का लन्ड उसकी बुर मे कसता गया

उसने झटके से उठ कर रिन्की को अपने लन्ड पर उठाये हवा मे टांग लिया और घुमा कर बिस्तर पर झुका दिया
अमन अब रिन्की को घोड़ी बना कर कस कस कर लन्ड उसके बुर देने लगा
अमन के तेज करारे झटको से रिन्की को बुर के परखच्चे उड़ने लगे उसकी सिस्किया अब दर्द भरि चिखो मे बदलने लगी मगर नही बदला तो उसका जुनून अमन के लन्ड को निचोड लेने का ।
सुबकती सिस्कती बड़बड़ाती वो अमन के तेज लन्ड के झटको की चोट अपनी बुर मे लेती रही - उउउउउऊअह्ह्ज्ज येस्स्स्स भैयाअझ्झ उम्म्ंम्म्ं फ्क्क्क फक्क्क फक्क्क मीईई उह्ह्ह उह्ज्झ्ह अह्ह्ह सीईई

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अमन उसकी तेज आवाज और रुआअस भरि चिखो से और भी जोश मे आकर उसके मुह पर हाथ रखकर कस कस के पेलने लगा - अह्ह्ह लेह्ह्ह बहिनचोद अह्ह्ह साली कुतिया कितना रो रही है अह्ह्ह बहिनचोद पुरा लन्ड खा गयी मेरा और बिलख रही है मादरचोद अह्ह्ह लेह्ह्ह्ह और लेह्ह्ह आज फ़ाड दन्गा बहुत गर्मी है ना तेरी बुर मे उम्म्ंम बहुत खुजलाती है ना तेरी बुर उम्म्ं बोल

रिन्की हाफ्ती हुई आहे भरती हुई -अह्ह्ह हा भैगा तुम्हारे इस मोटे हथियार को याद कर कर ही तो कुलबुलाती है अह्ह्ह और चोदो अह्ह्ह फाड़ दो हा ऐसे उह्ह्ह्ह येस्स्स येस्स्स आह्ह्ह्ह फक्क्क्क्क उम्मममं मुम्मीईईई उहुहू अह्ह्ह भैयाअह्ह्ह्ह ओह्ह्ह माय उह्ह्ह्ह

अमन हचर हचर पेलते पेलते हुए उसको जोर का झटका देके बिस्तर पर फेका

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रिन्की बिस्तर पर गिर गयि कुछ सेकेण्ड का आराम हुआ होगा कि अमन ने फिर से उसकी टांग खिंच कर अपना लन्ड उसको बुर मे ल्गाते हुए उसके उपर चढ़ गया

रिन्की - ओह्ह्ह भैयाह्ह्ह तुम जब चिपकते हो तोह्ह्ह अह्ह्ह मम्मीई

अमन उसके उपर चढ़ा हुआ उसकी बुर मे अपना लम्बा लन्ड घुसेड़ कर चोदता हुआ - तो क्याह्ह गुड़िया बोल ना

रिन्की - आह्ह भैयाह्ह उह्ह्ह बहुत गरम गरम लगता है अह्ह्ह लग्ता है कि अह्ह्ह अह्ह्ह उफ्फ्फ देखो फिर से अह्ह्ह आ रहा है उह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ मम्मीईई उउउउउऊऊ उम्म्ंम्म्ं येस्स्स येस्स्स अह्ह्ह्ह उह्ह्ह फ्क्क्क मीईई हार्ड भैयाअह्ह्ह ओह्ह्ह

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अमन एक बार फिर रिन्की के तेज कामुक सिस्कियो से जोश से भर गया और रिन्की का मुह बान्ध कर फिर से हुमुच हुमुच कर पेलने लगा - उह्ह्ह साली लेह्ह्ह अह्ह्ह और झड़ अह्ह्ह झड जा मेरे लन्ड पर ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है रे अह्ह्ह्ह बहिनचोद उफ्फ्फ साली मादरचोद उह्ह्ह्ह लेह

रिन्की बुरी तरह झड रही और उसकी फड़फ्ड़ाती बजब्जाती चुत अब अमन के लन्ड पर अपना छल्ला कस चुकी थी और अमन के सुपाड़े पर अधिक दबाव आने लगा उसपे से अमन का जोश उसके आड़ो से चढ कर सुपाड़े मे भरने लगा था

लन्ड की गर्मी से रिकी की बुर जल रही थी उस्का पानी सूख चुका था , अमन आखिर जोर तक अपने लन्ड को रिन्की की बुर मे कोन्चता रहा और जब लगा कि वो रुक नही पायेगा

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उसने लन्ड बाहर निकाल कर रिन्की की गाड़ पर पिचकारी गिराने लगा - ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह सिउईई उह्ह्ह्ह गुड़िया अह्ह्ह्ह लेह्ह्ह आ रहा है मेरा ओह्ह्ह फ्क्क्क्क फक्क्क आह्ह

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रिन्की के नाजुक चुतड अमन के गर्म छ्लछ्लाते बीज से लाल होने लगे - ओह्ह भैयाह्ह अह्ह्ह कितना गर्म हैया हहह नहला दो मुझे उह्ह्ह मुझे भिगो दो भर मेरी गाड़ अह्ह्ह भैयाह

अमन अखिर बूंद तक उसकी गाड़ के दरारो मे निचोड़ दिया उसके बगल मे लेट गया
रिन्की भी कुछ पल तक अपनी गाड़ को हवा मे उठाए सुस्ताती रही और उसके गाड़ पर गिरी मलाई गाढी होती चली गयी ।


राहुल के घर

दिन चढता जा रहा था । शालिनी किचन मे खाना बनाने मे बिजी थी और वही राहुल के कमरे मे खुसरफुसरबाजी चल रही थी ।
राहुल बहुत ही कड़े लहजे मे अरुण से नाराजगी जता रहा था कि क्यू उसने रात वाली बात उससे छिपाई । मगर अरुण किसी तरह लालच देकर राहुल को तैयार किया , कम से कम अरुण ने तो ऐसा ही मह्सूस किया था ।

अरुण ने राहुल को बताया कि कैसे उसने बड़ी चालाकी से शालिनी को शंका मे ला खड़ा किया है कि उसके बेटे की नियत उस पर खराब हुई और अब उसे इस बात का यकिन भी दिलाना है ।
राहुल के लिए ये खेल मजेदार होने वाला था अरुण के सामने अपनी मा के साथ नौटंकी करने का ।
वैसे वो थोडा नाराज अपनी मा से भी था कि शालिनी ने भी उससे कुछ जाहिर नही किया ।

उनकी योजना शुरु हुई और दोनो कमरे से बाहर निकल कर दबे पाव किचन की ओर बढ़े सामने देखा शालिनी दुपहर के खाने की तैयारियो मे व्यस्त है और साडी मे उसकी उठी हुई गाड़ देख कर दोनो का लन्ड तनमना गया ।
अरुन ने राहुल को इशारे से शालिनी के कमरे जाने को कहा - तु चल मै मामी को लिवा कर आता हु , ठिक है

राहुल सहमती दिखा कर अपनी मा के कमरे की ओर बढ़ गया

इधर अरुण भी मौका देख कर लपक कर किचन मे घुस कर शालिनी को पीछे से हग कर लिया

"हाय दैयाआ अरुण तुहहह धत्त छोड ना क्या कर रहा है " शालिनी अरुण की जकड़ से छुटने के लिए कसमसाई ।

अपनी मामी के मुलायम बदन का स्पर्श पाकर अरुण का लन्ड एकदम से फड़फडा कर निचे शालिनी की साडी के उपर से उसके गाड़ मे धंसने लगा - अह्ह्ह मामी तुम्हे तो छोडने का दिल ही नही चाहता अह्ह्ह मेरी सेक्सी चुदक्कड़ मामी ।

शालिनी अरुण के शब्दो से लजाई और हस्ती हुई - धत्त गन्दा , हर वक़्त थोड़ी ना ये सब अच्छा लगता है । दुर हट राहुल आ जायेगा ।

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अरुण ने लपक कर उसकी गुदाज पाव सी चुचियो को दोनो हाथ मे भर लिये - अह्ह्ह अरून उम्म्ंम बेटा मत कर ना उमम्मम्ं राअहुल्ल आ जायेगा अह्ह्ह रुक जाआह्ह

अरुण अपना नुकीला तम्बू उसकी गाड़ मे कोचता हुआ उसके दुधारू थन जैसे मोटे मोटे नरम चुचो को मिजता हुआ - उसकी चिंता ना करो मामी , वो तो आपके नाम की मूठ लगा रहा होगा

शालिनी चौकी और उसकी ओर घूमी - क्या ?
अरुन ने अपनी बतिसी दिखाते हुए उसकी कमर को सहलाता उसके बुलंद टाइट चुतड़ को मसलने लगा - हम्म्म मेरी जान, वो तो आज तुम्हारी कच्छीयों से खेल रहा है अभी अभी देखा मैने

शालिनी की सासे तेज होने लगी
अरुण उसके रसिले दूध मसलता हुआ - देखना चाहोगी कैसे सून्घता है वो आपकी पैंती
अरुण का लन्ड अब साडी के उपर से सीधा उसकी बुर को चुब रहा था और उसकी आंखे बस अरुण को निहार रही थी ।

अरुण के चुचो को मसलता हुआ - बोलो ना देखोगी अपने बेटे को मूठ मारते हुए हम्म

शालिनी ने हा मे सर हिलाया और फिर लाज से हस दी
अरुण भी जोश से भर आया और शालिनी का हाथ पकड़ कर किचन से निकलने लगा
शालिनी ने लपक कर चूल्हा बन्द कर दिया फिर अरुण के साथ हो ली ।

धीरे धीरे दोनो शालिनी के कमरे की ओर बढ़ने लगे और हल्की हल्की उनके कानो मे राहुल की भुनभुनाहट भरी सिसकिया आने लगी
शालिनी ने सतर्क नजरो से अरुन को देखा तो अरुण ने उसे आगे बढ़ने को कहा
दरवाजे के पास से दोनो ने एक साथ कमरे मे झाका और पीछे हो गये

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राहुल उनके एकदम करीब ही था , वो दराज के पास खड़े होकर शालिनी की कच्छीया निकाल कर एक को अपने लन्ड पर रख कर अपना लन्ड जोरो से हिला रहा था - अह्ह्ह मेरी सेक्सी मम्मी अह्ह्ह मेरी चुद्क्क्ड मम्मीई अह्ह्ह लेलो ना मेरा लन्ड ओह्ह्ह एस्स उह्ह्ह मम्मी तुम्हारी गाड़ बहुत सेक्सी है अह्ह्ह तुम्हारी पैंती इत्नी मुलायम है तो बुर कितनी नरम होगी अह्ह्ह मम्मी ओह्ह्ह्ह आजाओ ना उह्ह्ह

शालिनी आंखे फाडे अरुण को देख रही थी और अरुण उसके साम्ने लोवर के उपर से अपना मुसल भींच कर भीतर देखने का इशारा किया ।
शालिनी ने हौले से फिर से झाका , सामने उस्का बेटा उसकी पैंती अपने कडक लन्ड पर लपेट कर उसी मे मुठ्ठि मार रहा था
जिसे देख कर शालिनी को यह लगा कि शायद इतने दिन से राहुल ने उसे चोदा नही इसीलिए ऐसी हरकते कर रहा है

इधर राहुल को अहसास हो गया था कि उसकी मा आ चुकी है तो वो योजनानुसार अपना लन्ड हिलाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया और जोर जोर से चिन्घाड़ने लगा

अरुण - यही मौका है मामी रंगे हाथ पकड़ लो उसे
शालिनी - प्कका ना मै जाऊ
अरुण - हा मामी अभी के अभी

शालिनी ने मन बनाया और अरुण के सामने ही अपने बेटे के आगे जाने के लिए जैसे ही दरवाजे से कमरे दाखिल हुई
राहुल ने कमरे मे घुसती परछाई ने अपनी मा की छवि देखी और अपने भरे सुपाड़े पर जो कुछ समय से रोक लगाये था वो हटा दिया

शालिनी राहुल को आवाज देती हुई कमरे मे दाखिल हुई और राहुल ने सुपाड़े का मुह दरवाजे की ओर घुमा दिया

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एक तेज बड़ी मोटी गाढ़ी पिचकारी की लम्बी धार सीधे शालिनी के मुह और सीने पर गिरी - अह्ह्ह म्म्मीई ओह्ह्ह आप यहाआ आह्ह कैसे ओह्ह्ह्व

राहुल तेजी से लन्ड हिलाता हुआ बाकी का रस फर्श पर छोड रहा था और शालिनी को उम्मीद नही थी एक बार फिर उसे वीर्य से नहाना पड़ेगा

राहुल की हरकत से शालिनी खिझी और तेज आवाज मे - राहुल ये क्या हरकत है
शालिनी की आवाज पर अरुण लपक कर कमरे मे आया - क्या हुआ मामी

शालिनी बुरा सा मूह बनाती हुई - देखो इस कमीने ने क्या किया मेरे उपर , अरे तुझे शर्म नही आई हे भगवान क्या कर रहा था तु

राहुल ने एक नजर अरुण को देखा और इशारेबाजी मे दोनो ने एक दुसरे को गुडलक किया
राहुल - मम्मी वो मै वो ? सॉरी

शालिनी अपने होठो के पास के वीर्य को उंगलियो से हटाने लगी - उम्म्ंम्ं छीईईई और ये फर्श सब गन्दा कर दिया , नालायक कही का अभी भी नंगा खड़ा है चल कपडे पहन बेशर्म
शालिनी - मै तेरे पापा को लेकर आती हूँ
राहुल लपक कर अपनी मा के हाथ पकड़ गिडगिडाने लगा - नही मा पापा को नही , प्लीज आप जो सजा दो मुझे मन्जूर है प्लीज पापा को नही


अरुण भौचक्का रह गया कि क्या अलग ड्रामा होने लगा ,जो औरत अभी अपने बेटे के लन्ड के लिए उतावली थी अभी अलग ही ड्रामे पेल रही है उसपे से जन्गीलाल का आना उसके लिए चिंता की बात दिख रही थी
राहुल के बार बार आग्रह करने पर
शालिनी - अरून बेटा तू बाहर जा मुझे इस्से कुछ बात करनी पडेगी

अब अरुण की फटी क्योकि ये सब जो शालिनी करने जा रही थी वो उस्की योजना के अनुरुप नही होता दिख रहा था।

अगले पल शालिनी ने अरुण को कमरे के बाहर किया और दरवाजा भिड़का दिया ।

शालिनी दरवाजे लग कर खड़ी हो गयी और मुस्कुराने लगी ,राहुल भी मुस्कुराता हुआ उसकी ओर बढा

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शालिनी नाटक करती हुई लपक कर राहुल का मुरझाता लन्ड थाम ली और बाहर अरुण को सुनाती हुई तेज आवाज मे बोली - मै एक नही सुनूंगी तेरी , बहुत बिगड़ गया है तु आज तुझे सजा मिलेगी

राहुल उसके करीब आकर उसके मुलायम चुचे सहलाता हुआ - आह्ह प्लीज मम्मी नही सॉरी ना

शालिनी उसके लन्ड को भिचने लगी - नही तु सच मे बहुत बिगड़ गया , क्या कर रहा था मेरी कच्छी के साथ बोल

राहुल - सॉरी ना मम्मीई अह्ह्ह सुउउउऊ प्लीज ना
बाहर अरुण कमरे से आ रही आवाजो से माहौल का अन्दाजा लगा रहा था उसकी बुरी तरह से फटी हुई थी

जैसे शालिनी राहुल को पीत रही हो मगर राहुल की सिस्कियो का कारण तो कुछ और ही था निचे घुटनो के बल बैठ कर शालिनी उस्का लन्ड मुह मे भर चुकी थी

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राहुल - आह्ह क्या कर मम्मी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो अह्ह्ह सीईई उम्म्ंम्ं

शालिनी - तो क्या अपनी मा से ये सब करेगा बोल ,फिर करेगा ये सब उम्म्ं

राहुल मुस्कुरा कर शालिनी के आगे हा मे सर हिलाता हुआ - नही मा कभी नही प्लीज सॉरी ना
शालिनी इठलाती हुई मदमस्त नजरो से उसे निहारती बाहर खड़े अरुण को सुनाती हुई - रुक तू ऐसे नही सुधरेगा

राहुल भी शालिनी का साथ देते हुए झुठ मूठ की चिखमचिल्ली करने लगा
इधर अरुण की हालत खराब होने लगी कि राहुल तो आज बुरा फसा , लेकिन उसे ये समझ नही आ रहा था कि अचानक से शालिनी मामी का मूड खराब कैसे हो गया ।

धीरे धीरे दोनो की अवाजे दरवाजे से दुर होती मह्सूस होने लगी और अरुण कुछ पल बाद हल्की आवाजे आने लगी , उसे लगा कि कही शालिनी राहुल को पीटते हुए ले जा रही है

शालिनी - उम्म्ंम और करेगा बदमाशी उम्म्ं आह्ह बोल ना बोल
राहुल सिस्कते हुए हस कर - उम्म्ं नही तो कह रहा हु मम्मी फिर क्यू मार रही हो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

शालिनी - ऐसे ही मारुन्गी बहुत बिगड़ गया है तु , मम्मी की कच्छी से गन्दे गंदे काम करता है , फिर करेगा बोल उह्ह्ज बोल , नही तो पापा को कहूँगी
राहुल - नही मा नही करूंगा अह्ह्ह उह्ज्ज और उह्ह्ह्ज येस्स्स्स मम्मीई फ्क्क्क मीई

अरुण को हल्की फुल्की अवाजे आ रही थी तो वो सुनने के लिए दरवाजे के और करीब गया जैसे ही उसके कन्धे ने दरवाजे पर स्पर्श किया दरवजा हल्का सा हिला और अरुण चौका - मतल्व दरवाजा खुला ही है देखू तो



"ओह्ह बहिनचोद क्या ड्रामा है ये मा बेटे का " , अरुण दरवाजे को हौले से खोलता हुआ कमरे मे झाक कर बिस्तर पर देखता है
जहा शालिनी अपनी साडी उठा कर राहुल को निचे लिटाये हुए उसके लन्ड पर उछल रही थी ।

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अपनी गाड़ पटक पटक कर शालिनी अपने बेटे का लन्ड चुत मे ले रही थी और दोनो मा बेटे अरुण को सुनाने के लिए नाटक किये जा रहे थे ।

अरुण का चेहरा अगले ही पल कमरे का नजारा देख कर खिल गया और लन्ड एकदम से तनमना गया ।
कुछ सोच कर अपना मुसल मसलते हुए वो भी चुपके से कमरे मे दाखिल हुआ ।



जारी रहेगी
Jabardast update diya bhai maja aa gya
But bhai ji ab to aap regular update de diya karo yrrr sirf aap ki story padne k liye hi hm sab ate h bhai ji

Jha aman k ghar me rinki ne aaj aman ke kadad land ka swad chaka wahi sukh aman ko bhi prapt hua

Or yha rahul or salini ne mil kar arun ki gand fad di apni chudai dikha kr
 

Motaland2468

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UPDATE 216


अमन के घर

10 बजने को हो रहे थे और हाल मे बैठकी चल रही थी , कल सोनल के मायके से आने वाले मेहमानो की खातिरदारी की बाते चल रही थी ।
ममता आज अलग मूड मे थी बार बार मुरारी के सामने अपनी ननद संगीता का नाम लेके अपने पति को छेड़ रही थी और मुरारी कभी उसे आंखे दिखाता तो कभी झेप कर हस ही पड़ता

वही मदन और संगीता के अपने ही इशारेबाजियां हो रही थी ,सन्गिता के अपनी आंखो से मदन को अपने इरादे जता रही थी जिससे मदन का खूटा पजामे खड़ा हो गया था ।
पेपर की आड़ वो कभी कभी अपने लाड़ खुजा भी देता और कभी कभी छिप कर अपनी बहन पर फलाइंग पप्पियां भी उछाल देता
मगर ममता की तेज नजरो से उनकी इश्क़बाजी छुपते नही छिप रही थी ।

ममता ने मुरारी को इशारे से दोनो कबूतरों की ओर तकाया और मुरारी मुस्कुरा पड़ा ।

इधर इनकी बातें हो रही थी
वही किचन मे आज सोनल भी दुलारी का हाथ बटा रही थी । चूल्हा छूने के लिए उसको अपनी सास ममता की ओर से सख्त मनाही थी तो सब्जी काट रही थी और दुलारी से उसकी बातें हो रही थी

इतने मे अमन तेजी से जीने से नीचे आता है और बाहर निकल जाता है ।
उसकी तेजी से सबको हैरत हुई कि क्या बात थी । सन्गिता और ममता ताज्जुब से उठ खड़ी हुई कि क्या बात हो गयी

कुछ ही मिंट मे अमन तेजी से हाल मे प्रवेश किया , अब उसके हाथ मे एक पैकेट था
ममता - क्या हुआ कहा गया था तेजी मे

अमन हसता हुआ एक नजर अपने पापा को देखा और बोला - मम्मी वो ये parcel आया था वो लेने गया

पारसल आने का सुन कर मुरारी के चेहरे की चमक बढ़ गयी और दिल मे जज्बात उमड़घुमड़ करने लगे ।
अमन बिना कुछ बोले सरपट उपर चला गया ।

हाल मे बैठे सबने इस बात को कैजुअली लिया मगर किचन मे दुलारी ने सोनल को छेड़ने लगी - उंहु देखो तो देवरानी जी के लिए गिफ्ट आया है

सोनल - उसमे उनके काम की चीज भी हो सकती है ना भाभी
दुलारी उसके कंधे से अपना कन्धा लड़ाती हुई मुस्कुरा कर - अरे मेरे देवर की सबसे काम की चीज तो तुम हो हिहिही

सोनल दुलारी के दोहरे मजाक पर हस पड़ी - हिहिही मै कैसे ?
दुलारी- अरे तुम ठहरी घर की सीधी गाय और मेरा देवर है जमीन मे गढा खुन्टा तो उसके काम की चीज तुम ही हुई ना ।

सोनल हस कर - फिर मुझसे पहले उस खूँटे मे कौन बन्धा हुआथा , आप ? हिहिहिही

दुलारी से सोनल की मसती पर हौले से उसकी चिकनी कमर पर चिमटी काटी- चुप कर तुझे चारा दी तो हाथ पकड़ ली उम्म्ंम

सोनल हसती हुई - घर की नयी गाय हूँ भाभी हिहिही अभी खाना सिख रही हु आपकी तरह मुझे खेतो मे चरना कहा आता है

दुलारी - तु तो बड़ी चंथ है रे हिहिहीही बातो बातो मे ही मुझे चित कर गयी

सोनल हसती हुई - कभी मेरी बहन निशा से नही मिली आप , कल आयेगी तो मिलाउन्गी हिहिहिही

दुलारी हस कर - अच्छा वो बछिया हिहिहिही
सोनल दुलारी की बात समझ नही पाई और अचरज से उसे देखा

दुलारि हसती हुई - सुना है इस बार हनीमून के सफर मे गईया अपनी पूंछ मे एक बछिया भी लेके जायेगी

सोनल अब दुलारी का तन्ज समझ गयी और लाज से हस दी - सोचा तो मैने था किसी खेतहर भैस को साथ लू मगर हो नही पाया ।

दुलारी हस्ती हुई - धत्त कमिनी तु बहुत दुष्ट है मुझे भैस बुला रही है
सोनल - आपके थन भैसो से ही मिलते है भाभी हिहिही
दुलारी खीझकर - और तेरे दूल्हे का लन्ड गदहे से

सोनल चौकी मगर दुलारी ने झटसे अपनी गलती सुधारती हुई बात को मजाक मे ले गयी मगर सोनल समझ गयी कि दुलारी ने कही ना कही और कभी ना कभी उसके सईया के खूँटे के चक्कर जरुर लगाये है ।

इधर इनकी बाते हसी ठिठौलि चल रही थी तो वही मुरारी को बेचैनी सी उठ रही थी कि क्या करे वो कि पारसल देखने कोमिल जाये


वही उपर दुलारी के कमरे मे अलग ही माहौल बनता दिख रहा था
अमन पारसल लेने निचे गया तो था मगर उसकी तेजी कारण पारसल नही बलकि रिन्की थी जो दुलारी के कमरे मे दरवाजे के पीछे बिना कैफरी के सिर्फ टीशर्ट और पैंटी छिप कर खड़ी थी ।

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अमन झटपट से कमरे मे भागता हुआ आया और कमरे मे चारो ओर नजर घुमाते हुए वो बेड की ओर बढ़ा मगर उसे रिन्की नजर नही आई जबतक कि रिन्की की शरारत भरी खिलखिलाहट उसके कानो मे नही गुंजि ।

अमन खड़े खड़े घूम कर पीछे देखा तो रिन्की दरवाजा बन्द करती हुई उसकी ओर देख रही थी ।
टीशर्ट के निचे से झांकती उसकी पैंटी उसके नरम मुलायम चुतड़ पर चिपके हुए थे और उसकी सुन्दर चिकनी बिना रोए वाली जान्घे कमरे की रोशनि मे झलक रही थी ।

अमन ने उसके खिले चेहरे को देखा और पीछे बिस्तर पर पैर लटका कर लेट गया ।
रिन्की मटकती इठलाती हुई उसके करीब आई और उसके जांघो को टटोलती हुई अपनी गाड़ उसके ओर फेकती हुई सीधा अमन के लन्ड पर बैठ गयी ।

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लोवर के उपर से रिन्की अमन के लन्ड पर अपनी गाड़ मथने लगी और अमन उसके नरम मुलायम चुतड का स्पर्श पाकर भीतर से सिहर उठा - उह्ह्ह्ह गुड़िया उम्म्ंम्म्ं कितनी मुलायम अह्ह्ह उम्म्ंम्ं

रिन्की भी अपने गाड़ के दरारो मे पैंटी के उपर से अमन का मोटा फड़कता मुसल पाकर मचल उठी थी उसकी बुर बजबजाना शुरु हो गयी थी और मुह से मादक मीठी कुनमुनाहट भरी सिसकियाँ उठने लगी थी ।
अमन उसके नरम मुलायम छोटे छोटे चुतडो को हाथो मे भरने की कोसिस करने लगा और हर स्पर्श के हाथ उस्का लन्ड झटके खाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया मेरा बच्चा आह्ह उम्म्ंम बहुत नरम है तेरी गाड बाबू उम्म्ंम्ं अह्ह्ह क्या मस्त ओह्ह्ह्ह सीईई कहा से सिखती है तु उम्म्ंम ओफ्फ्फ्फ

रिन्की अपनी गाड़ मथती हुई सिस्किया लेती रही - उम्म्ंम्ं भैयाह्ह्ह आपका मोटा सा लन्ड देख कर ना जाने मुझे क्या हो जाता है अह्ह्ह जी करता है इसपे रगड़ रगड़ कर उम्म्ंम्ं अह्ह्ह अपनी बुर का सारा पानी बहा दुह्ह्ह आह्ह्ह्ह भाइयाअह्ह्ह उम्म

अमन - उफ्फ्फ सच मेरी गुड़िया को इतना पसंद मेरा मोटा लन्ड उम्म्ंम , देखू तो कितना पानी निकाला तुने उम्म्ं

रिन्की उठ खड़ी हुई और अपनी टीशर्ट उठा गाड़ बाहर की ओर फेकती हुई बड़ी अदा से अपने छोटे छोटे चुतड़ को फैला कर अमन के आगे बडा दिखाने की लालसा मे अपनी पैटी को बड़ी कामुकता से अपनी गाड़ से हौले हौले सरकाने लगी

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जल्द ही अमन की आंखो के आगे उसकी नरम मुलायम गोरी गोरी गाड़ की दरारे साफ साफ नजर आने लगी , उसके गुदाज मोटे मोटे पाव जैसे नरम फूले गुलाबी चुतड़ खिले खिले से नजर आ रहे थे ।

अमन का लन्ड लोवर मे ही बगावत पर आ गया और हाथ बढा कर उसने रिन्की के चिकने चुतड़ सहलाने लगा , अमन का स्पर्श पाकर रिन्की भीतर से गनगना गयी और उसकी टाँगे कापने लगी ,
अमन उसके गाड़ के दरारों को उंगलियो से खोलते हुए बुर के नीचले हिस्से तक गया
उसे अपनी उंगलियो के सिरो पर हल्की लसलसाहट सी मह्सूस हुई और लपक कर उसने रिन्की की कमसिन नाजुक फाकेदार फूली हुई गुलाबी बुर को उंगलियो से घेर लिया
दोनो उन्ग्लिया आगे पीछे कर रिन्की की चुत पर रगड़ते ही रिन्की आंखे उलटती हुई अपनी जान्घो को कस कर अमन की हरकट को रोकना चाहा मगर अमन की मोटी उंगलिया उसके चुत के फाको मे घुस चुकी थी और सीधा बुर के दाने पर रेंगने लगी ।

रिन्की की टागे और मुह दोनो खुल गये और उसकी धड़कन तेज गयी , पैर मे कपकपी सी होने लगी और बुर के आस पास गर्मी सी उठने लगी - अह्ह्ज भैयाह्ह्ह डालो ना

रिन्की के मुह से ये शब्द सुनते ही अमन का लन्ड फनफना उठा और दुसरे हाथ से उसने अपना लोवर खिंच कर लन्ड बाहर निकाल कर हिलाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया आजा देख तेरे भैया का मोटा लन्ड उह्ह्ह आ नाअह्ह उम्म्ंम्ं आजा बच्चा उम्म्ंम्ं आजा

रिन्की ने नजर घुमा कर अमन का मोटा फनफनाता मुसल देखा और उसकी जिस्म मे कामोत्तेजना तेजी से हावि होने लगी उसने अपनी टांग उठाई और अमन का मोटा मुसल पकड़ कर उसकी चमडी उपर निचे करती हुई उस्का गर्म तपता नुकीला लाल सुपाड़ा अपनी गुलाबी रसाती बुर के फाको पर लगाया -अह्ह्ह भैयाहह्ह कितना गर्म्म्ंं उम्म्ंम म्म्म्माआह्ह सीई ओह्ह्ह फक्क्क्क उह्ह्ह्ह

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रिन्की अमन का मोटा सुपाडा अपने रस छोड़ते बुर के फाको पर घिस रही थि और अमन की हालत खराब होती जा रही थी , वो रिन्की के बढ़ती उम्र के कामाग्नी मे जलना शुरु हो गया था । पल पल उस्का लन्ड वीकराल रूप लेता जा रहा था , अब तो उसके लन्ड के सतह पर नसे सूतरियो सी उभरनी शुरु हो गयी थी

सुपाड़े का मुह बड़ा सा होने लगा था और रिन्की की गर्म रस की धार उसके सुपाड़े की खुजली बढाने लगी थी ऐसे मे रिन्की ने उसे राहत देते हुए एक हाथ अपनी बुर के फाके फैला कर सुपाड़े को अपनी बुर की सकरी सुराख पर टिकाया और कमर घुमाती लन्ड अपनी बुर मे अद्जेस्ट करती हुई कचकचा कर बैठने लगी

जबरजस्त दर्द भरी ऐठन उसके कुल्हे और पेड़ू मे उठने लगी थी ,चुत की लसलसाई फाके अपनी क्षमता से अधिक खिचाव होने से लाल होनी शुरु हो गयी थी ,
दर्द के भाव रिन्की के लाल चेहरे और डबड्बाआई आंखे बयां कर रही थी , मगर भीतर भैया के मोटे लन्ड पर कुदने की चसक ने रिन्की का अभी तक हौसला मजबूत कर रखा था

अमन को भनक तक नही होने दिया उसने ऐसे अपनी कापती सांसो पर काबू कर रखा था उसने और देखते ही देखते अमन का मोटा मुसल उसकी सुराख को फैलाता हुआ उसकी चुत की दिवारे चीरता आधा घुस चुका था

भलभला कर उसकी बुर भितर तक रस से भरि हुई थी और अमन के लन्ड घुसते ही सारी मलाई लन्ड के चारो ओर फैलने लगी , उस गर्म रस ने सबसे ज्यादा रिन्की की चुत के फाको को राहत दी और फिर हौले हौले चुतड़ उठाने का दौर शुरु हुआ

रिन्की ने मुह पर हाथ रख रुआस आंखो से दर्द छिपाती हुई चुतड़ उठाये और जोर से कचकचा कर पटक दिया , इस बार अमन की चमडी खिंची और उसने रिन्की के कुल्हे थाम लिए , अमन ने मानो उसकी दर्द को छू लिया और रिन्की के मुह से दर्द भी सिसकी निकली - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ज न्हीईई उम्म्ंम
अमन ने फौरन हाथ अलग किये और उठने की कोसिस करता हुआ - क्या हुआ गुड़िया रो रही है तु , निकाल दू दर्द हो रहा है

रिन्की ने आँसू पोछे और ना मे सर झटकती हुई अपने चेहरे भींच कर दर्द सहती चुतड हौले हौले उछलने लगी - अह्ह्ह भैयहह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं

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अमन के लन्ड पर रिन्की के रसदार कसे हुए फाके अपना असर दिखाने लगे , रिन्की अपने कुल्हे उठा उठा कर गिराने लगी , ह्च्च ह्च्च अमन का सुपाडा हर बार उसकी बुर मे चोट करता हुआ कुछ सेमी आगे बढ रहा था और रिन्की की कमर अब गर्म होनी शुरु हो गयी थी ।

अमन - ओह्ह्ह गुड़िया क्या मस्त कसी चुत है तेरी अह्ह्ह उम्म्ंम ओह्ह्ह फक्क्क येस्स बेटा ऐसे ही उह्ह्ह और पटक उह्ह्ह और आह्ह उम्म्ंम लेले रगड़ ले अपनी बुर अपने भैया के मोटे लन्ड पर ओह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह

अमन की बातें रिन्की को दुगना जोश भर चुकी थी और वो एडिया उठा कर उपर बिस्तर का सहारा ले चुकी थि और उकुडू होकर अब हच्क हचक कर पुरा का पुरा अमन का लन्ड अपनी बुर के भरने लगी , अमन का नुकीला सुपाडा उसकी बच्चेदानी मे चोट करने लगा , हर दर्द हर गं सह कर ना जाने कैसे रिन्की अमन का मोटा लन्ड घुसाये बैठी सिसकिया ले रही थी

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अमन लन्ड पर रिन्की की थाप पाकर और जोशिला हुआ जा रहा था और रिन्की की बुर फिर से टपकने लगी और उसकी चाल हल्की होने लगी
और धीरे धीरे थमने भी लगी
अमन उठ गया , अभी भी रिन्की उसकी गोद मे थी उसने अपने हाथ आगे कर रिन्की के नन्हे चुजे मसलने लगा टीशर्ट के उपर से - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ह उम्म्ंम रगड़ डालो ओह्ह्ह ना जाने कबसे मेरा दिल था आप इन्हे मसलो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

अमन - आह्ह गुड़िया तेरे चुचे बहुत कोरे है आह्ह कितने कदक और नुकीले उह्ह्ह कभी मिजवाई नही क्या अह्ह्ह कोई दोस्त नही तेरा

अमन के हर सवाल को ना मे जवाब देती रही रिन्की और उतना ही अमन का लन्ड उसकी बुर मे कसता गया

उसने झटके से उठ कर रिन्की को अपने लन्ड पर उठाये हवा मे टांग लिया और घुमा कर बिस्तर पर झुका दिया
अमन अब रिन्की को घोड़ी बना कर कस कस कर लन्ड उसके बुर देने लगा
अमन के तेज करारे झटको से रिन्की को बुर के परखच्चे उड़ने लगे उसकी सिस्किया अब दर्द भरि चिखो मे बदलने लगी मगर नही बदला तो उसका जुनून अमन के लन्ड को निचोड लेने का ।
सुबकती सिस्कती बड़बड़ाती वो अमन के तेज लन्ड के झटको की चोट अपनी बुर मे लेती रही - उउउउउऊअह्ह्ज्ज येस्स्स्स भैयाअझ्झ उम्म्ंम्म्ं फ्क्क्क फक्क्क फक्क्क मीईई उह्ह्ह उह्ज्झ्ह अह्ह्ह सीईई

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अमन उसकी तेज आवाज और रुआअस भरि चिखो से और भी जोश मे आकर उसके मुह पर हाथ रखकर कस कस के पेलने लगा - अह्ह्ह लेह्ह्ह बहिनचोद अह्ह्ह साली कुतिया कितना रो रही है अह्ह्ह बहिनचोद पुरा लन्ड खा गयी मेरा और बिलख रही है मादरचोद अह्ह्ह लेह्ह्ह्ह और लेह्ह्ह आज फ़ाड दन्गा बहुत गर्मी है ना तेरी बुर मे उम्म्ंम बहुत खुजलाती है ना तेरी बुर उम्म्ं बोल

रिन्की हाफ्ती हुई आहे भरती हुई -अह्ह्ह हा भैगा तुम्हारे इस मोटे हथियार को याद कर कर ही तो कुलबुलाती है अह्ह्ह और चोदो अह्ह्ह फाड़ दो हा ऐसे उह्ह्ह्ह येस्स्स येस्स्स आह्ह्ह्ह फक्क्क्क्क उम्मममं मुम्मीईईई उहुहू अह्ह्ह भैयाअह्ह्ह्ह ओह्ह्ह माय उह्ह्ह्ह

अमन हचर हचर पेलते पेलते हुए उसको जोर का झटका देके बिस्तर पर फेका

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रिन्की बिस्तर पर गिर गयि कुछ सेकेण्ड का आराम हुआ होगा कि अमन ने फिर से उसकी टांग खिंच कर अपना लन्ड उसको बुर मे ल्गाते हुए उसके उपर चढ़ गया

रिन्की - ओह्ह्ह भैयाह्ह्ह तुम जब चिपकते हो तोह्ह्ह अह्ह्ह मम्मीई

अमन उसके उपर चढ़ा हुआ उसकी बुर मे अपना लम्बा लन्ड घुसेड़ कर चोदता हुआ - तो क्याह्ह गुड़िया बोल ना

रिन्की - आह्ह भैयाह्ह उह्ह्ह बहुत गरम गरम लगता है अह्ह्ह लग्ता है कि अह्ह्ह अह्ह्ह उफ्फ्फ देखो फिर से अह्ह्ह आ रहा है उह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ मम्मीईई उउउउउऊऊ उम्म्ंम्म्ं येस्स्स येस्स्स अह्ह्ह्ह उह्ह्ह फ्क्क्क मीईई हार्ड भैयाअह्ह्ह ओह्ह्ह

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अमन एक बार फिर रिन्की के तेज कामुक सिस्कियो से जोश से भर गया और रिन्की का मुह बान्ध कर फिर से हुमुच हुमुच कर पेलने लगा - उह्ह्ह साली लेह्ह्ह अह्ह्ह और झड़ अह्ह्ह झड जा मेरे लन्ड पर ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है रे अह्ह्ह्ह बहिनचोद उफ्फ्फ साली मादरचोद उह्ह्ह्ह लेह

रिन्की बुरी तरह झड रही और उसकी फड़फ्ड़ाती बजब्जाती चुत अब अमन के लन्ड पर अपना छल्ला कस चुकी थी और अमन के सुपाड़े पर अधिक दबाव आने लगा उसपे से अमन का जोश उसके आड़ो से चढ कर सुपाड़े मे भरने लगा था

लन्ड की गर्मी से रिकी की बुर जल रही थी उस्का पानी सूख चुका था , अमन आखिर जोर तक अपने लन्ड को रिन्की की बुर मे कोन्चता रहा और जब लगा कि वो रुक नही पायेगा

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उसने लन्ड बाहर निकाल कर रिन्की की गाड़ पर पिचकारी गिराने लगा - ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह सिउईई उह्ह्ह्ह गुड़िया अह्ह्ह्ह लेह्ह्ह आ रहा है मेरा ओह्ह्ह फ्क्क्क्क फक्क्क आह्ह

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रिन्की के नाजुक चुतड अमन के गर्म छ्लछ्लाते बीज से लाल होने लगे - ओह्ह भैयाह्ह अह्ह्ह कितना गर्म हैया हहह नहला दो मुझे उह्ह्ह मुझे भिगो दो भर मेरी गाड़ अह्ह्ह भैयाह

अमन अखिर बूंद तक उसकी गाड़ के दरारो मे निचोड़ दिया उसके बगल मे लेट गया
रिन्की भी कुछ पल तक अपनी गाड़ को हवा मे उठाए सुस्ताती रही और उसके गाड़ पर गिरी मलाई गाढी होती चली गयी ।


राहुल के घर

दिन चढता जा रहा था । शालिनी किचन मे खाना बनाने मे बिजी थी और वही राहुल के कमरे मे खुसरफुसरबाजी चल रही थी ।
राहुल बहुत ही कड़े लहजे मे अरुण से नाराजगी जता रहा था कि क्यू उसने रात वाली बात उससे छिपाई । मगर अरुण किसी तरह लालच देकर राहुल को तैयार किया , कम से कम अरुण ने तो ऐसा ही मह्सूस किया था ।

अरुण ने राहुल को बताया कि कैसे उसने बड़ी चालाकी से शालिनी को शंका मे ला खड़ा किया है कि उसके बेटे की नियत उस पर खराब हुई और अब उसे इस बात का यकिन भी दिलाना है ।
राहुल के लिए ये खेल मजेदार होने वाला था अरुण के सामने अपनी मा के साथ नौटंकी करने का ।
वैसे वो थोडा नाराज अपनी मा से भी था कि शालिनी ने भी उससे कुछ जाहिर नही किया ।

उनकी योजना शुरु हुई और दोनो कमरे से बाहर निकल कर दबे पाव किचन की ओर बढ़े सामने देखा शालिनी दुपहर के खाने की तैयारियो मे व्यस्त है और साडी मे उसकी उठी हुई गाड़ देख कर दोनो का लन्ड तनमना गया ।
अरुन ने राहुल को इशारे से शालिनी के कमरे जाने को कहा - तु चल मै मामी को लिवा कर आता हु , ठिक है

राहुल सहमती दिखा कर अपनी मा के कमरे की ओर बढ़ गया

इधर अरुण भी मौका देख कर लपक कर किचन मे घुस कर शालिनी को पीछे से हग कर लिया

"हाय दैयाआ अरुण तुहहह धत्त छोड ना क्या कर रहा है " शालिनी अरुण की जकड़ से छुटने के लिए कसमसाई ।

अपनी मामी के मुलायम बदन का स्पर्श पाकर अरुण का लन्ड एकदम से फड़फडा कर निचे शालिनी की साडी के उपर से उसके गाड़ मे धंसने लगा - अह्ह्ह मामी तुम्हे तो छोडने का दिल ही नही चाहता अह्ह्ह मेरी सेक्सी चुदक्कड़ मामी ।

शालिनी अरुण के शब्दो से लजाई और हस्ती हुई - धत्त गन्दा , हर वक़्त थोड़ी ना ये सब अच्छा लगता है । दुर हट राहुल आ जायेगा ।

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अरुण ने लपक कर उसकी गुदाज पाव सी चुचियो को दोनो हाथ मे भर लिये - अह्ह्ह अरून उम्म्ंम बेटा मत कर ना उमम्मम्ं राअहुल्ल आ जायेगा अह्ह्ह रुक जाआह्ह

अरुण अपना नुकीला तम्बू उसकी गाड़ मे कोचता हुआ उसके दुधारू थन जैसे मोटे मोटे नरम चुचो को मिजता हुआ - उसकी चिंता ना करो मामी , वो तो आपके नाम की मूठ लगा रहा होगा

शालिनी चौकी और उसकी ओर घूमी - क्या ?
अरुन ने अपनी बतिसी दिखाते हुए उसकी कमर को सहलाता उसके बुलंद टाइट चुतड़ को मसलने लगा - हम्म्म मेरी जान, वो तो आज तुम्हारी कच्छीयों से खेल रहा है अभी अभी देखा मैने

शालिनी की सासे तेज होने लगी
अरुण उसके रसिले दूध मसलता हुआ - देखना चाहोगी कैसे सून्घता है वो आपकी पैंती
अरुण का लन्ड अब साडी के उपर से सीधा उसकी बुर को चुब रहा था और उसकी आंखे बस अरुण को निहार रही थी ।

अरुण के चुचो को मसलता हुआ - बोलो ना देखोगी अपने बेटे को मूठ मारते हुए हम्म

शालिनी ने हा मे सर हिलाया और फिर लाज से हस दी
अरुण भी जोश से भर आया और शालिनी का हाथ पकड़ कर किचन से निकलने लगा
शालिनी ने लपक कर चूल्हा बन्द कर दिया फिर अरुण के साथ हो ली ।

धीरे धीरे दोनो शालिनी के कमरे की ओर बढ़ने लगे और हल्की हल्की उनके कानो मे राहुल की भुनभुनाहट भरी सिसकिया आने लगी
शालिनी ने सतर्क नजरो से अरुन को देखा तो अरुण ने उसे आगे बढ़ने को कहा
दरवाजे के पास से दोनो ने एक साथ कमरे मे झाका और पीछे हो गये

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राहुल उनके एकदम करीब ही था , वो दराज के पास खड़े होकर शालिनी की कच्छीया निकाल कर एक को अपने लन्ड पर रख कर अपना लन्ड जोरो से हिला रहा था - अह्ह्ह मेरी सेक्सी मम्मी अह्ह्ह मेरी चुद्क्क्ड मम्मीई अह्ह्ह लेलो ना मेरा लन्ड ओह्ह्ह एस्स उह्ह्ह मम्मी तुम्हारी गाड़ बहुत सेक्सी है अह्ह्ह तुम्हारी पैंती इत्नी मुलायम है तो बुर कितनी नरम होगी अह्ह्ह मम्मी ओह्ह्ह्ह आजाओ ना उह्ह्ह

शालिनी आंखे फाडे अरुण को देख रही थी और अरुण उसके साम्ने लोवर के उपर से अपना मुसल भींच कर भीतर देखने का इशारा किया ।
शालिनी ने हौले से फिर से झाका , सामने उस्का बेटा उसकी पैंती अपने कडक लन्ड पर लपेट कर उसी मे मुठ्ठि मार रहा था
जिसे देख कर शालिनी को यह लगा कि शायद इतने दिन से राहुल ने उसे चोदा नही इसीलिए ऐसी हरकते कर रहा है

इधर राहुल को अहसास हो गया था कि उसकी मा आ चुकी है तो वो योजनानुसार अपना लन्ड हिलाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया और जोर जोर से चिन्घाड़ने लगा

अरुण - यही मौका है मामी रंगे हाथ पकड़ लो उसे
शालिनी - प्कका ना मै जाऊ
अरुण - हा मामी अभी के अभी

शालिनी ने मन बनाया और अरुण के सामने ही अपने बेटे के आगे जाने के लिए जैसे ही दरवाजे से कमरे दाखिल हुई
राहुल ने कमरे मे घुसती परछाई ने अपनी मा की छवि देखी और अपने भरे सुपाड़े पर जो कुछ समय से रोक लगाये था वो हटा दिया

शालिनी राहुल को आवाज देती हुई कमरे मे दाखिल हुई और राहुल ने सुपाड़े का मुह दरवाजे की ओर घुमा दिया

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एक तेज बड़ी मोटी गाढ़ी पिचकारी की लम्बी धार सीधे शालिनी के मुह और सीने पर गिरी - अह्ह्ह म्म्मीई ओह्ह्ह आप यहाआ आह्ह कैसे ओह्ह्ह्व

राहुल तेजी से लन्ड हिलाता हुआ बाकी का रस फर्श पर छोड रहा था और शालिनी को उम्मीद नही थी एक बार फिर उसे वीर्य से नहाना पड़ेगा

राहुल की हरकत से शालिनी खिझी और तेज आवाज मे - राहुल ये क्या हरकत है
शालिनी की आवाज पर अरुण लपक कर कमरे मे आया - क्या हुआ मामी

शालिनी बुरा सा मूह बनाती हुई - देखो इस कमीने ने क्या किया मेरे उपर , अरे तुझे शर्म नही आई हे भगवान क्या कर रहा था तु

राहुल ने एक नजर अरुण को देखा और इशारेबाजी मे दोनो ने एक दुसरे को गुडलक किया
राहुल - मम्मी वो मै वो ? सॉरी

शालिनी अपने होठो के पास के वीर्य को उंगलियो से हटाने लगी - उम्म्ंम्ं छीईईई और ये फर्श सब गन्दा कर दिया , नालायक कही का अभी भी नंगा खड़ा है चल कपडे पहन बेशर्म
शालिनी - मै तेरे पापा को लेकर आती हूँ
राहुल लपक कर अपनी मा के हाथ पकड़ गिडगिडाने लगा - नही मा पापा को नही , प्लीज आप जो सजा दो मुझे मन्जूर है प्लीज पापा को नही


अरुण भौचक्का रह गया कि क्या अलग ड्रामा होने लगा ,जो औरत अभी अपने बेटे के लन्ड के लिए उतावली थी अभी अलग ही ड्रामे पेल रही है उसपे से जन्गीलाल का आना उसके लिए चिंता की बात दिख रही थी
राहुल के बार बार आग्रह करने पर
शालिनी - अरून बेटा तू बाहर जा मुझे इस्से कुछ बात करनी पडेगी

अब अरुण की फटी क्योकि ये सब जो शालिनी करने जा रही थी वो उस्की योजना के अनुरुप नही होता दिख रहा था।

अगले पल शालिनी ने अरुण को कमरे के बाहर किया और दरवाजा भिड़का दिया ।

शालिनी दरवाजे लग कर खड़ी हो गयी और मुस्कुराने लगी ,राहुल भी मुस्कुराता हुआ उसकी ओर बढा

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शालिनी नाटक करती हुई लपक कर राहुल का मुरझाता लन्ड थाम ली और बाहर अरुण को सुनाती हुई तेज आवाज मे बोली - मै एक नही सुनूंगी तेरी , बहुत बिगड़ गया है तु आज तुझे सजा मिलेगी

राहुल उसके करीब आकर उसके मुलायम चुचे सहलाता हुआ - आह्ह प्लीज मम्मी नही सॉरी ना

शालिनी उसके लन्ड को भिचने लगी - नही तु सच मे बहुत बिगड़ गया , क्या कर रहा था मेरी कच्छी के साथ बोल

राहुल - सॉरी ना मम्मीई अह्ह्ह सुउउउऊ प्लीज ना
बाहर अरुण कमरे से आ रही आवाजो से माहौल का अन्दाजा लगा रहा था उसकी बुरी तरह से फटी हुई थी

जैसे शालिनी राहुल को पीत रही हो मगर राहुल की सिस्कियो का कारण तो कुछ और ही था निचे घुटनो के बल बैठ कर शालिनी उस्का लन्ड मुह मे भर चुकी थी

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राहुल - आह्ह क्या कर मम्मी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो अह्ह्ह सीईई उम्म्ंम्ं

शालिनी - तो क्या अपनी मा से ये सब करेगा बोल ,फिर करेगा ये सब उम्म्ं

राहुल मुस्कुरा कर शालिनी के आगे हा मे सर हिलाता हुआ - नही मा कभी नही प्लीज सॉरी ना
शालिनी इठलाती हुई मदमस्त नजरो से उसे निहारती बाहर खड़े अरुण को सुनाती हुई - रुक तू ऐसे नही सुधरेगा

राहुल भी शालिनी का साथ देते हुए झुठ मूठ की चिखमचिल्ली करने लगा
इधर अरुण की हालत खराब होने लगी कि राहुल तो आज बुरा फसा , लेकिन उसे ये समझ नही आ रहा था कि अचानक से शालिनी मामी का मूड खराब कैसे हो गया ।

धीरे धीरे दोनो की अवाजे दरवाजे से दुर होती मह्सूस होने लगी और अरुण कुछ पल बाद हल्की आवाजे आने लगी , उसे लगा कि कही शालिनी राहुल को पीटते हुए ले जा रही है

शालिनी - उम्म्ंम और करेगा बदमाशी उम्म्ं आह्ह बोल ना बोल
राहुल सिस्कते हुए हस कर - उम्म्ं नही तो कह रहा हु मम्मी फिर क्यू मार रही हो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

शालिनी - ऐसे ही मारुन्गी बहुत बिगड़ गया है तु , मम्मी की कच्छी से गन्दे गंदे काम करता है , फिर करेगा बोल उह्ह्ज बोल , नही तो पापा को कहूँगी
राहुल - नही मा नही करूंगा अह्ह्ह उह्ज्ज और उह्ह्ह्ज येस्स्स्स मम्मीई फ्क्क्क मीई

अरुण को हल्की फुल्की अवाजे आ रही थी तो वो सुनने के लिए दरवाजे के और करीब गया जैसे ही उसके कन्धे ने दरवाजे पर स्पर्श किया दरवजा हल्का सा हिला और अरुण चौका - मतल्व दरवाजा खुला ही है देखू तो



"ओह्ह बहिनचोद क्या ड्रामा है ये मा बेटे का " , अरुण दरवाजे को हौले से खोलता हुआ कमरे मे झाक कर बिस्तर पर देखता है
जहा शालिनी अपनी साडी उठा कर राहुल को निचे लिटाये हुए उसके लन्ड पर उछल रही थी ।

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अपनी गाड़ पटक पटक कर शालिनी अपने बेटे का लन्ड चुत मे ले रही थी और दोनो मा बेटे अरुण को सुनाने के लिए नाटक किये जा रहे थे ।

अरुण का चेहरा अगले ही पल कमरे का नजारा देख कर खिल गया और लन्ड एकदम से तनमना गया ।
कुछ सोच कर अपना मुसल मसलते हुए वो भी चुपके से कमरे मे दाखिल हुआ ।



जारी रहेगी
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UPDATE 216


अमन के घर

10 बजने को हो रहे थे और हाल मे बैठकी चल रही थी , कल सोनल के मायके से आने वाले मेहमानो की खातिरदारी की बाते चल रही थी ।
ममता आज अलग मूड मे थी बार बार मुरारी के सामने अपनी ननद संगीता का नाम लेके अपने पति को छेड़ रही थी और मुरारी कभी उसे आंखे दिखाता तो कभी झेप कर हस ही पड़ता

वही मदन और संगीता के अपने ही इशारेबाजियां हो रही थी ,सन्गिता के अपनी आंखो से मदन को अपने इरादे जता रही थी जिससे मदन का खूटा पजामे खड़ा हो गया था ।
पेपर की आड़ वो कभी कभी अपने लाड़ खुजा भी देता और कभी कभी छिप कर अपनी बहन पर फलाइंग पप्पियां भी उछाल देता
मगर ममता की तेज नजरो से उनकी इश्क़बाजी छुपते नही छिप रही थी ।

ममता ने मुरारी को इशारे से दोनो कबूतरों की ओर तकाया और मुरारी मुस्कुरा पड़ा ।

इधर इनकी बातें हो रही थी
वही किचन मे आज सोनल भी दुलारी का हाथ बटा रही थी । चूल्हा छूने के लिए उसको अपनी सास ममता की ओर से सख्त मनाही थी तो सब्जी काट रही थी और दुलारी से उसकी बातें हो रही थी

इतने मे अमन तेजी से जीने से नीचे आता है और बाहर निकल जाता है ।
उसकी तेजी से सबको हैरत हुई कि क्या बात थी । सन्गिता और ममता ताज्जुब से उठ खड़ी हुई कि क्या बात हो गयी

कुछ ही मिंट मे अमन तेजी से हाल मे प्रवेश किया , अब उसके हाथ मे एक पैकेट था
ममता - क्या हुआ कहा गया था तेजी मे

अमन हसता हुआ एक नजर अपने पापा को देखा और बोला - मम्मी वो ये parcel आया था वो लेने गया

पारसल आने का सुन कर मुरारी के चेहरे की चमक बढ़ गयी और दिल मे जज्बात उमड़घुमड़ करने लगे ।
अमन बिना कुछ बोले सरपट उपर चला गया ।

हाल मे बैठे सबने इस बात को कैजुअली लिया मगर किचन मे दुलारी ने सोनल को छेड़ने लगी - उंहु देखो तो देवरानी जी के लिए गिफ्ट आया है

सोनल - उसमे उनके काम की चीज भी हो सकती है ना भाभी
दुलारी उसके कंधे से अपना कन्धा लड़ाती हुई मुस्कुरा कर - अरे मेरे देवर की सबसे काम की चीज तो तुम हो हिहिही

सोनल दुलारी के दोहरे मजाक पर हस पड़ी - हिहिही मै कैसे ?
दुलारी- अरे तुम ठहरी घर की सीधी गाय और मेरा देवर है जमीन मे गढा खुन्टा तो उसके काम की चीज तुम ही हुई ना ।

सोनल हस कर - फिर मुझसे पहले उस खूँटे मे कौन बन्धा हुआथा , आप ? हिहिहिही

दुलारी से सोनल की मसती पर हौले से उसकी चिकनी कमर पर चिमटी काटी- चुप कर तुझे चारा दी तो हाथ पकड़ ली उम्म्ंम

सोनल हसती हुई - घर की नयी गाय हूँ भाभी हिहिही अभी खाना सिख रही हु आपकी तरह मुझे खेतो मे चरना कहा आता है

दुलारी - तु तो बड़ी चंथ है रे हिहिहीही बातो बातो मे ही मुझे चित कर गयी

सोनल हसती हुई - कभी मेरी बहन निशा से नही मिली आप , कल आयेगी तो मिलाउन्गी हिहिहिही

दुलारी हस कर - अच्छा वो बछिया हिहिहिही
सोनल दुलारी की बात समझ नही पाई और अचरज से उसे देखा

दुलारि हसती हुई - सुना है इस बार हनीमून के सफर मे गईया अपनी पूंछ मे एक बछिया भी लेके जायेगी

सोनल अब दुलारी का तन्ज समझ गयी और लाज से हस दी - सोचा तो मैने था किसी खेतहर भैस को साथ लू मगर हो नही पाया ।

दुलारी हस्ती हुई - धत्त कमिनी तु बहुत दुष्ट है मुझे भैस बुला रही है
सोनल - आपके थन भैसो से ही मिलते है भाभी हिहिही
दुलारी खीझकर - और तेरे दूल्हे का लन्ड गदहे से

सोनल चौकी मगर दुलारी ने झटसे अपनी गलती सुधारती हुई बात को मजाक मे ले गयी मगर सोनल समझ गयी कि दुलारी ने कही ना कही और कभी ना कभी उसके सईया के खूँटे के चक्कर जरुर लगाये है ।

इधर इनकी बाते हसी ठिठौलि चल रही थी तो वही मुरारी को बेचैनी सी उठ रही थी कि क्या करे वो कि पारसल देखने कोमिल जाये


वही उपर दुलारी के कमरे मे अलग ही माहौल बनता दिख रहा था
अमन पारसल लेने निचे गया तो था मगर उसकी तेजी कारण पारसल नही बलकि रिन्की थी जो दुलारी के कमरे मे दरवाजे के पीछे बिना कैफरी के सिर्फ टीशर्ट और पैंटी छिप कर खड़ी थी ।

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अमन झटपट से कमरे मे भागता हुआ आया और कमरे मे चारो ओर नजर घुमाते हुए वो बेड की ओर बढ़ा मगर उसे रिन्की नजर नही आई जबतक कि रिन्की की शरारत भरी खिलखिलाहट उसके कानो मे नही गुंजि ।

अमन खड़े खड़े घूम कर पीछे देखा तो रिन्की दरवाजा बन्द करती हुई उसकी ओर देख रही थी ।
टीशर्ट के निचे से झांकती उसकी पैंटी उसके नरम मुलायम चुतड़ पर चिपके हुए थे और उसकी सुन्दर चिकनी बिना रोए वाली जान्घे कमरे की रोशनि मे झलक रही थी ।

अमन ने उसके खिले चेहरे को देखा और पीछे बिस्तर पर पैर लटका कर लेट गया ।
रिन्की मटकती इठलाती हुई उसके करीब आई और उसके जांघो को टटोलती हुई अपनी गाड़ उसके ओर फेकती हुई सीधा अमन के लन्ड पर बैठ गयी ।

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लोवर के उपर से रिन्की अमन के लन्ड पर अपनी गाड़ मथने लगी और अमन उसके नरम मुलायम चुतड का स्पर्श पाकर भीतर से सिहर उठा - उह्ह्ह्ह गुड़िया उम्म्ंम्म्ं कितनी मुलायम अह्ह्ह उम्म्ंम्ं

रिन्की भी अपने गाड़ के दरारो मे पैंटी के उपर से अमन का मोटा फड़कता मुसल पाकर मचल उठी थी उसकी बुर बजबजाना शुरु हो गयी थी और मुह से मादक मीठी कुनमुनाहट भरी सिसकियाँ उठने लगी थी ।
अमन उसके नरम मुलायम छोटे छोटे चुतडो को हाथो मे भरने की कोसिस करने लगा और हर स्पर्श के हाथ उस्का लन्ड झटके खाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया मेरा बच्चा आह्ह उम्म्ंम बहुत नरम है तेरी गाड बाबू उम्म्ंम्ं अह्ह्ह क्या मस्त ओह्ह्ह्ह सीईई कहा से सिखती है तु उम्म्ंम ओफ्फ्फ्फ

रिन्की अपनी गाड़ मथती हुई सिस्किया लेती रही - उम्म्ंम्ं भैयाह्ह्ह आपका मोटा सा लन्ड देख कर ना जाने मुझे क्या हो जाता है अह्ह्ह जी करता है इसपे रगड़ रगड़ कर उम्म्ंम्ं अह्ह्ह अपनी बुर का सारा पानी बहा दुह्ह्ह आह्ह्ह्ह भाइयाअह्ह्ह उम्म

अमन - उफ्फ्फ सच मेरी गुड़िया को इतना पसंद मेरा मोटा लन्ड उम्म्ंम , देखू तो कितना पानी निकाला तुने उम्म्ं

रिन्की उठ खड़ी हुई और अपनी टीशर्ट उठा गाड़ बाहर की ओर फेकती हुई बड़ी अदा से अपने छोटे छोटे चुतड़ को फैला कर अमन के आगे बडा दिखाने की लालसा मे अपनी पैटी को बड़ी कामुकता से अपनी गाड़ से हौले हौले सरकाने लगी

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जल्द ही अमन की आंखो के आगे उसकी नरम मुलायम गोरी गोरी गाड़ की दरारे साफ साफ नजर आने लगी , उसके गुदाज मोटे मोटे पाव जैसे नरम फूले गुलाबी चुतड़ खिले खिले से नजर आ रहे थे ।

अमन का लन्ड लोवर मे ही बगावत पर आ गया और हाथ बढा कर उसने रिन्की के चिकने चुतड़ सहलाने लगा , अमन का स्पर्श पाकर रिन्की भीतर से गनगना गयी और उसकी टाँगे कापने लगी ,
अमन उसके गाड़ के दरारों को उंगलियो से खोलते हुए बुर के नीचले हिस्से तक गया
उसे अपनी उंगलियो के सिरो पर हल्की लसलसाहट सी मह्सूस हुई और लपक कर उसने रिन्की की कमसिन नाजुक फाकेदार फूली हुई गुलाबी बुर को उंगलियो से घेर लिया
दोनो उन्ग्लिया आगे पीछे कर रिन्की की चुत पर रगड़ते ही रिन्की आंखे उलटती हुई अपनी जान्घो को कस कर अमन की हरकट को रोकना चाहा मगर अमन की मोटी उंगलिया उसके चुत के फाको मे घुस चुकी थी और सीधा बुर के दाने पर रेंगने लगी ।

रिन्की की टागे और मुह दोनो खुल गये और उसकी धड़कन तेज गयी , पैर मे कपकपी सी होने लगी और बुर के आस पास गर्मी सी उठने लगी - अह्ह्ज भैयाह्ह्ह डालो ना

रिन्की के मुह से ये शब्द सुनते ही अमन का लन्ड फनफना उठा और दुसरे हाथ से उसने अपना लोवर खिंच कर लन्ड बाहर निकाल कर हिलाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया आजा देख तेरे भैया का मोटा लन्ड उह्ह्ह आ नाअह्ह उम्म्ंम्ं आजा बच्चा उम्म्ंम्ं आजा

रिन्की ने नजर घुमा कर अमन का मोटा फनफनाता मुसल देखा और उसकी जिस्म मे कामोत्तेजना तेजी से हावि होने लगी उसने अपनी टांग उठाई और अमन का मोटा मुसल पकड़ कर उसकी चमडी उपर निचे करती हुई उस्का गर्म तपता नुकीला लाल सुपाड़ा अपनी गुलाबी रसाती बुर के फाको पर लगाया -अह्ह्ह भैयाहह्ह कितना गर्म्म्ंं उम्म्ंम म्म्म्माआह्ह सीई ओह्ह्ह फक्क्क्क उह्ह्ह्ह

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रिन्की अमन का मोटा सुपाडा अपने रस छोड़ते बुर के फाको पर घिस रही थि और अमन की हालत खराब होती जा रही थी , वो रिन्की के बढ़ती उम्र के कामाग्नी मे जलना शुरु हो गया था । पल पल उस्का लन्ड वीकराल रूप लेता जा रहा था , अब तो उसके लन्ड के सतह पर नसे सूतरियो सी उभरनी शुरु हो गयी थी

सुपाड़े का मुह बड़ा सा होने लगा था और रिन्की की गर्म रस की धार उसके सुपाड़े की खुजली बढाने लगी थी ऐसे मे रिन्की ने उसे राहत देते हुए एक हाथ अपनी बुर के फाके फैला कर सुपाड़े को अपनी बुर की सकरी सुराख पर टिकाया और कमर घुमाती लन्ड अपनी बुर मे अद्जेस्ट करती हुई कचकचा कर बैठने लगी

जबरजस्त दर्द भरी ऐठन उसके कुल्हे और पेड़ू मे उठने लगी थी ,चुत की लसलसाई फाके अपनी क्षमता से अधिक खिचाव होने से लाल होनी शुरु हो गयी थी ,
दर्द के भाव रिन्की के लाल चेहरे और डबड्बाआई आंखे बयां कर रही थी , मगर भीतर भैया के मोटे लन्ड पर कुदने की चसक ने रिन्की का अभी तक हौसला मजबूत कर रखा था

अमन को भनक तक नही होने दिया उसने ऐसे अपनी कापती सांसो पर काबू कर रखा था उसने और देखते ही देखते अमन का मोटा मुसल उसकी सुराख को फैलाता हुआ उसकी चुत की दिवारे चीरता आधा घुस चुका था

भलभला कर उसकी बुर भितर तक रस से भरि हुई थी और अमन के लन्ड घुसते ही सारी मलाई लन्ड के चारो ओर फैलने लगी , उस गर्म रस ने सबसे ज्यादा रिन्की की चुत के फाको को राहत दी और फिर हौले हौले चुतड़ उठाने का दौर शुरु हुआ

रिन्की ने मुह पर हाथ रख रुआस आंखो से दर्द छिपाती हुई चुतड़ उठाये और जोर से कचकचा कर पटक दिया , इस बार अमन की चमडी खिंची और उसने रिन्की के कुल्हे थाम लिए , अमन ने मानो उसकी दर्द को छू लिया और रिन्की के मुह से दर्द भी सिसकी निकली - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ज न्हीईई उम्म्ंम
अमन ने फौरन हाथ अलग किये और उठने की कोसिस करता हुआ - क्या हुआ गुड़िया रो रही है तु , निकाल दू दर्द हो रहा है

रिन्की ने आँसू पोछे और ना मे सर झटकती हुई अपने चेहरे भींच कर दर्द सहती चुतड हौले हौले उछलने लगी - अह्ह्ह भैयहह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं

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अमन के लन्ड पर रिन्की के रसदार कसे हुए फाके अपना असर दिखाने लगे , रिन्की अपने कुल्हे उठा उठा कर गिराने लगी , ह्च्च ह्च्च अमन का सुपाडा हर बार उसकी बुर मे चोट करता हुआ कुछ सेमी आगे बढ रहा था और रिन्की की कमर अब गर्म होनी शुरु हो गयी थी ।

अमन - ओह्ह्ह गुड़िया क्या मस्त कसी चुत है तेरी अह्ह्ह उम्म्ंम ओह्ह्ह फक्क्क येस्स बेटा ऐसे ही उह्ह्ह और पटक उह्ह्ह और आह्ह उम्म्ंम लेले रगड़ ले अपनी बुर अपने भैया के मोटे लन्ड पर ओह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह

अमन की बातें रिन्की को दुगना जोश भर चुकी थी और वो एडिया उठा कर उपर बिस्तर का सहारा ले चुकी थि और उकुडू होकर अब हच्क हचक कर पुरा का पुरा अमन का लन्ड अपनी बुर के भरने लगी , अमन का नुकीला सुपाडा उसकी बच्चेदानी मे चोट करने लगा , हर दर्द हर गं सह कर ना जाने कैसे रिन्की अमन का मोटा लन्ड घुसाये बैठी सिसकिया ले रही थी

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अमन लन्ड पर रिन्की की थाप पाकर और जोशिला हुआ जा रहा था और रिन्की की बुर फिर से टपकने लगी और उसकी चाल हल्की होने लगी
और धीरे धीरे थमने भी लगी
अमन उठ गया , अभी भी रिन्की उसकी गोद मे थी उसने अपने हाथ आगे कर रिन्की के नन्हे चुजे मसलने लगा टीशर्ट के उपर से - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ह उम्म्ंम रगड़ डालो ओह्ह्ह ना जाने कबसे मेरा दिल था आप इन्हे मसलो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

अमन - आह्ह गुड़िया तेरे चुचे बहुत कोरे है आह्ह कितने कदक और नुकीले उह्ह्ह कभी मिजवाई नही क्या अह्ह्ह कोई दोस्त नही तेरा

अमन के हर सवाल को ना मे जवाब देती रही रिन्की और उतना ही अमन का लन्ड उसकी बुर मे कसता गया

उसने झटके से उठ कर रिन्की को अपने लन्ड पर उठाये हवा मे टांग लिया और घुमा कर बिस्तर पर झुका दिया
अमन अब रिन्की को घोड़ी बना कर कस कस कर लन्ड उसके बुर देने लगा
अमन के तेज करारे झटको से रिन्की को बुर के परखच्चे उड़ने लगे उसकी सिस्किया अब दर्द भरि चिखो मे बदलने लगी मगर नही बदला तो उसका जुनून अमन के लन्ड को निचोड लेने का ।
सुबकती सिस्कती बड़बड़ाती वो अमन के तेज लन्ड के झटको की चोट अपनी बुर मे लेती रही - उउउउउऊअह्ह्ज्ज येस्स्स्स भैयाअझ्झ उम्म्ंम्म्ं फ्क्क्क फक्क्क फक्क्क मीईई उह्ह्ह उह्ज्झ्ह अह्ह्ह सीईई

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अमन उसकी तेज आवाज और रुआअस भरि चिखो से और भी जोश मे आकर उसके मुह पर हाथ रखकर कस कस के पेलने लगा - अह्ह्ह लेह्ह्ह बहिनचोद अह्ह्ह साली कुतिया कितना रो रही है अह्ह्ह बहिनचोद पुरा लन्ड खा गयी मेरा और बिलख रही है मादरचोद अह्ह्ह लेह्ह्ह्ह और लेह्ह्ह आज फ़ाड दन्गा बहुत गर्मी है ना तेरी बुर मे उम्म्ंम बहुत खुजलाती है ना तेरी बुर उम्म्ं बोल

रिन्की हाफ्ती हुई आहे भरती हुई -अह्ह्ह हा भैगा तुम्हारे इस मोटे हथियार को याद कर कर ही तो कुलबुलाती है अह्ह्ह और चोदो अह्ह्ह फाड़ दो हा ऐसे उह्ह्ह्ह येस्स्स येस्स्स आह्ह्ह्ह फक्क्क्क्क उम्मममं मुम्मीईईई उहुहू अह्ह्ह भैयाअह्ह्ह्ह ओह्ह्ह माय उह्ह्ह्ह

अमन हचर हचर पेलते पेलते हुए उसको जोर का झटका देके बिस्तर पर फेका

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रिन्की बिस्तर पर गिर गयि कुछ सेकेण्ड का आराम हुआ होगा कि अमन ने फिर से उसकी टांग खिंच कर अपना लन्ड उसको बुर मे ल्गाते हुए उसके उपर चढ़ गया

रिन्की - ओह्ह्ह भैयाह्ह्ह तुम जब चिपकते हो तोह्ह्ह अह्ह्ह मम्मीई

अमन उसके उपर चढ़ा हुआ उसकी बुर मे अपना लम्बा लन्ड घुसेड़ कर चोदता हुआ - तो क्याह्ह गुड़िया बोल ना

रिन्की - आह्ह भैयाह्ह उह्ह्ह बहुत गरम गरम लगता है अह्ह्ह लग्ता है कि अह्ह्ह अह्ह्ह उफ्फ्फ देखो फिर से अह्ह्ह आ रहा है उह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ मम्मीईई उउउउउऊऊ उम्म्ंम्म्ं येस्स्स येस्स्स अह्ह्ह्ह उह्ह्ह फ्क्क्क मीईई हार्ड भैयाअह्ह्ह ओह्ह्ह

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अमन एक बार फिर रिन्की के तेज कामुक सिस्कियो से जोश से भर गया और रिन्की का मुह बान्ध कर फिर से हुमुच हुमुच कर पेलने लगा - उह्ह्ह साली लेह्ह्ह अह्ह्ह और झड़ अह्ह्ह झड जा मेरे लन्ड पर ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है रे अह्ह्ह्ह बहिनचोद उफ्फ्फ साली मादरचोद उह्ह्ह्ह लेह

रिन्की बुरी तरह झड रही और उसकी फड़फ्ड़ाती बजब्जाती चुत अब अमन के लन्ड पर अपना छल्ला कस चुकी थी और अमन के सुपाड़े पर अधिक दबाव आने लगा उसपे से अमन का जोश उसके आड़ो से चढ कर सुपाड़े मे भरने लगा था

लन्ड की गर्मी से रिकी की बुर जल रही थी उस्का पानी सूख चुका था , अमन आखिर जोर तक अपने लन्ड को रिन्की की बुर मे कोन्चता रहा और जब लगा कि वो रुक नही पायेगा

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उसने लन्ड बाहर निकाल कर रिन्की की गाड़ पर पिचकारी गिराने लगा - ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह सिउईई उह्ह्ह्ह गुड़िया अह्ह्ह्ह लेह्ह्ह आ रहा है मेरा ओह्ह्ह फ्क्क्क्क फक्क्क आह्ह

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रिन्की के नाजुक चुतड अमन के गर्म छ्लछ्लाते बीज से लाल होने लगे - ओह्ह भैयाह्ह अह्ह्ह कितना गर्म हैया हहह नहला दो मुझे उह्ह्ह मुझे भिगो दो भर मेरी गाड़ अह्ह्ह भैयाह

अमन अखिर बूंद तक उसकी गाड़ के दरारो मे निचोड़ दिया उसके बगल मे लेट गया
रिन्की भी कुछ पल तक अपनी गाड़ को हवा मे उठाए सुस्ताती रही और उसके गाड़ पर गिरी मलाई गाढी होती चली गयी ।


राहुल के घर

दिन चढता जा रहा था । शालिनी किचन मे खाना बनाने मे बिजी थी और वही राहुल के कमरे मे खुसरफुसरबाजी चल रही थी ।
राहुल बहुत ही कड़े लहजे मे अरुण से नाराजगी जता रहा था कि क्यू उसने रात वाली बात उससे छिपाई । मगर अरुण किसी तरह लालच देकर राहुल को तैयार किया , कम से कम अरुण ने तो ऐसा ही मह्सूस किया था ।

अरुण ने राहुल को बताया कि कैसे उसने बड़ी चालाकी से शालिनी को शंका मे ला खड़ा किया है कि उसके बेटे की नियत उस पर खराब हुई और अब उसे इस बात का यकिन भी दिलाना है ।
राहुल के लिए ये खेल मजेदार होने वाला था अरुण के सामने अपनी मा के साथ नौटंकी करने का ।
वैसे वो थोडा नाराज अपनी मा से भी था कि शालिनी ने भी उससे कुछ जाहिर नही किया ।

उनकी योजना शुरु हुई और दोनो कमरे से बाहर निकल कर दबे पाव किचन की ओर बढ़े सामने देखा शालिनी दुपहर के खाने की तैयारियो मे व्यस्त है और साडी मे उसकी उठी हुई गाड़ देख कर दोनो का लन्ड तनमना गया ।
अरुन ने राहुल को इशारे से शालिनी के कमरे जाने को कहा - तु चल मै मामी को लिवा कर आता हु , ठिक है

राहुल सहमती दिखा कर अपनी मा के कमरे की ओर बढ़ गया

इधर अरुण भी मौका देख कर लपक कर किचन मे घुस कर शालिनी को पीछे से हग कर लिया

"हाय दैयाआ अरुण तुहहह धत्त छोड ना क्या कर रहा है " शालिनी अरुण की जकड़ से छुटने के लिए कसमसाई ।

अपनी मामी के मुलायम बदन का स्पर्श पाकर अरुण का लन्ड एकदम से फड़फडा कर निचे शालिनी की साडी के उपर से उसके गाड़ मे धंसने लगा - अह्ह्ह मामी तुम्हे तो छोडने का दिल ही नही चाहता अह्ह्ह मेरी सेक्सी चुदक्कड़ मामी ।

शालिनी अरुण के शब्दो से लजाई और हस्ती हुई - धत्त गन्दा , हर वक़्त थोड़ी ना ये सब अच्छा लगता है । दुर हट राहुल आ जायेगा ।

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अरुण ने लपक कर उसकी गुदाज पाव सी चुचियो को दोनो हाथ मे भर लिये - अह्ह्ह अरून उम्म्ंम बेटा मत कर ना उमम्मम्ं राअहुल्ल आ जायेगा अह्ह्ह रुक जाआह्ह

अरुण अपना नुकीला तम्बू उसकी गाड़ मे कोचता हुआ उसके दुधारू थन जैसे मोटे मोटे नरम चुचो को मिजता हुआ - उसकी चिंता ना करो मामी , वो तो आपके नाम की मूठ लगा रहा होगा

शालिनी चौकी और उसकी ओर घूमी - क्या ?
अरुन ने अपनी बतिसी दिखाते हुए उसकी कमर को सहलाता उसके बुलंद टाइट चुतड़ को मसलने लगा - हम्म्म मेरी जान, वो तो आज तुम्हारी कच्छीयों से खेल रहा है अभी अभी देखा मैने

शालिनी की सासे तेज होने लगी
अरुण उसके रसिले दूध मसलता हुआ - देखना चाहोगी कैसे सून्घता है वो आपकी पैंती
अरुण का लन्ड अब साडी के उपर से सीधा उसकी बुर को चुब रहा था और उसकी आंखे बस अरुण को निहार रही थी ।

अरुण के चुचो को मसलता हुआ - बोलो ना देखोगी अपने बेटे को मूठ मारते हुए हम्म

शालिनी ने हा मे सर हिलाया और फिर लाज से हस दी
अरुण भी जोश से भर आया और शालिनी का हाथ पकड़ कर किचन से निकलने लगा
शालिनी ने लपक कर चूल्हा बन्द कर दिया फिर अरुण के साथ हो ली ।

धीरे धीरे दोनो शालिनी के कमरे की ओर बढ़ने लगे और हल्की हल्की उनके कानो मे राहुल की भुनभुनाहट भरी सिसकिया आने लगी
शालिनी ने सतर्क नजरो से अरुन को देखा तो अरुण ने उसे आगे बढ़ने को कहा
दरवाजे के पास से दोनो ने एक साथ कमरे मे झाका और पीछे हो गये

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राहुल उनके एकदम करीब ही था , वो दराज के पास खड़े होकर शालिनी की कच्छीया निकाल कर एक को अपने लन्ड पर रख कर अपना लन्ड जोरो से हिला रहा था - अह्ह्ह मेरी सेक्सी मम्मी अह्ह्ह मेरी चुद्क्क्ड मम्मीई अह्ह्ह लेलो ना मेरा लन्ड ओह्ह्ह एस्स उह्ह्ह मम्मी तुम्हारी गाड़ बहुत सेक्सी है अह्ह्ह तुम्हारी पैंती इत्नी मुलायम है तो बुर कितनी नरम होगी अह्ह्ह मम्मी ओह्ह्ह्ह आजाओ ना उह्ह्ह

शालिनी आंखे फाडे अरुण को देख रही थी और अरुण उसके साम्ने लोवर के उपर से अपना मुसल भींच कर भीतर देखने का इशारा किया ।
शालिनी ने हौले से फिर से झाका , सामने उस्का बेटा उसकी पैंती अपने कडक लन्ड पर लपेट कर उसी मे मुठ्ठि मार रहा था
जिसे देख कर शालिनी को यह लगा कि शायद इतने दिन से राहुल ने उसे चोदा नही इसीलिए ऐसी हरकते कर रहा है

इधर राहुल को अहसास हो गया था कि उसकी मा आ चुकी है तो वो योजनानुसार अपना लन्ड हिलाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया और जोर जोर से चिन्घाड़ने लगा

अरुण - यही मौका है मामी रंगे हाथ पकड़ लो उसे
शालिनी - प्कका ना मै जाऊ
अरुण - हा मामी अभी के अभी

शालिनी ने मन बनाया और अरुण के सामने ही अपने बेटे के आगे जाने के लिए जैसे ही दरवाजे से कमरे दाखिल हुई
राहुल ने कमरे मे घुसती परछाई ने अपनी मा की छवि देखी और अपने भरे सुपाड़े पर जो कुछ समय से रोक लगाये था वो हटा दिया

शालिनी राहुल को आवाज देती हुई कमरे मे दाखिल हुई और राहुल ने सुपाड़े का मुह दरवाजे की ओर घुमा दिया

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एक तेज बड़ी मोटी गाढ़ी पिचकारी की लम्बी धार सीधे शालिनी के मुह और सीने पर गिरी - अह्ह्ह म्म्मीई ओह्ह्ह आप यहाआ आह्ह कैसे ओह्ह्ह्व

राहुल तेजी से लन्ड हिलाता हुआ बाकी का रस फर्श पर छोड रहा था और शालिनी को उम्मीद नही थी एक बार फिर उसे वीर्य से नहाना पड़ेगा

राहुल की हरकत से शालिनी खिझी और तेज आवाज मे - राहुल ये क्या हरकत है
शालिनी की आवाज पर अरुण लपक कर कमरे मे आया - क्या हुआ मामी

शालिनी बुरा सा मूह बनाती हुई - देखो इस कमीने ने क्या किया मेरे उपर , अरे तुझे शर्म नही आई हे भगवान क्या कर रहा था तु

राहुल ने एक नजर अरुण को देखा और इशारेबाजी मे दोनो ने एक दुसरे को गुडलक किया
राहुल - मम्मी वो मै वो ? सॉरी

शालिनी अपने होठो के पास के वीर्य को उंगलियो से हटाने लगी - उम्म्ंम्ं छीईईई और ये फर्श सब गन्दा कर दिया , नालायक कही का अभी भी नंगा खड़ा है चल कपडे पहन बेशर्म
शालिनी - मै तेरे पापा को लेकर आती हूँ
राहुल लपक कर अपनी मा के हाथ पकड़ गिडगिडाने लगा - नही मा पापा को नही , प्लीज आप जो सजा दो मुझे मन्जूर है प्लीज पापा को नही


अरुण भौचक्का रह गया कि क्या अलग ड्रामा होने लगा ,जो औरत अभी अपने बेटे के लन्ड के लिए उतावली थी अभी अलग ही ड्रामे पेल रही है उसपे से जन्गीलाल का आना उसके लिए चिंता की बात दिख रही थी
राहुल के बार बार आग्रह करने पर
शालिनी - अरून बेटा तू बाहर जा मुझे इस्से कुछ बात करनी पडेगी

अब अरुण की फटी क्योकि ये सब जो शालिनी करने जा रही थी वो उस्की योजना के अनुरुप नही होता दिख रहा था।

अगले पल शालिनी ने अरुण को कमरे के बाहर किया और दरवाजा भिड़का दिया ।

शालिनी दरवाजे लग कर खड़ी हो गयी और मुस्कुराने लगी ,राहुल भी मुस्कुराता हुआ उसकी ओर बढा

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शालिनी नाटक करती हुई लपक कर राहुल का मुरझाता लन्ड थाम ली और बाहर अरुण को सुनाती हुई तेज आवाज मे बोली - मै एक नही सुनूंगी तेरी , बहुत बिगड़ गया है तु आज तुझे सजा मिलेगी

राहुल उसके करीब आकर उसके मुलायम चुचे सहलाता हुआ - आह्ह प्लीज मम्मी नही सॉरी ना

शालिनी उसके लन्ड को भिचने लगी - नही तु सच मे बहुत बिगड़ गया , क्या कर रहा था मेरी कच्छी के साथ बोल

राहुल - सॉरी ना मम्मीई अह्ह्ह सुउउउऊ प्लीज ना
बाहर अरुण कमरे से आ रही आवाजो से माहौल का अन्दाजा लगा रहा था उसकी बुरी तरह से फटी हुई थी

जैसे शालिनी राहुल को पीत रही हो मगर राहुल की सिस्कियो का कारण तो कुछ और ही था निचे घुटनो के बल बैठ कर शालिनी उस्का लन्ड मुह मे भर चुकी थी

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राहुल - आह्ह क्या कर मम्मी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो अह्ह्ह सीईई उम्म्ंम्ं

शालिनी - तो क्या अपनी मा से ये सब करेगा बोल ,फिर करेगा ये सब उम्म्ं

राहुल मुस्कुरा कर शालिनी के आगे हा मे सर हिलाता हुआ - नही मा कभी नही प्लीज सॉरी ना
शालिनी इठलाती हुई मदमस्त नजरो से उसे निहारती बाहर खड़े अरुण को सुनाती हुई - रुक तू ऐसे नही सुधरेगा

राहुल भी शालिनी का साथ देते हुए झुठ मूठ की चिखमचिल्ली करने लगा
इधर अरुण की हालत खराब होने लगी कि राहुल तो आज बुरा फसा , लेकिन उसे ये समझ नही आ रहा था कि अचानक से शालिनी मामी का मूड खराब कैसे हो गया ।

धीरे धीरे दोनो की अवाजे दरवाजे से दुर होती मह्सूस होने लगी और अरुण कुछ पल बाद हल्की आवाजे आने लगी , उसे लगा कि कही शालिनी राहुल को पीटते हुए ले जा रही है

शालिनी - उम्म्ंम और करेगा बदमाशी उम्म्ं आह्ह बोल ना बोल
राहुल सिस्कते हुए हस कर - उम्म्ं नही तो कह रहा हु मम्मी फिर क्यू मार रही हो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

शालिनी - ऐसे ही मारुन्गी बहुत बिगड़ गया है तु , मम्मी की कच्छी से गन्दे गंदे काम करता है , फिर करेगा बोल उह्ह्ज बोल , नही तो पापा को कहूँगी
राहुल - नही मा नही करूंगा अह्ह्ह उह्ज्ज और उह्ह्ह्ज येस्स्स्स मम्मीई फ्क्क्क मीई

अरुण को हल्की फुल्की अवाजे आ रही थी तो वो सुनने के लिए दरवाजे के और करीब गया जैसे ही उसके कन्धे ने दरवाजे पर स्पर्श किया दरवजा हल्का सा हिला और अरुण चौका - मतल्व दरवाजा खुला ही है देखू तो



"ओह्ह बहिनचोद क्या ड्रामा है ये मा बेटे का " , अरुण दरवाजे को हौले से खोलता हुआ कमरे मे झाक कर बिस्तर पर देखता है
जहा शालिनी अपनी साडी उठा कर राहुल को निचे लिटाये हुए उसके लन्ड पर उछल रही थी ।

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अपनी गाड़ पटक पटक कर शालिनी अपने बेटे का लन्ड चुत मे ले रही थी और दोनो मा बेटे अरुण को सुनाने के लिए नाटक किये जा रहे थे ।

अरुण का चेहरा अगले ही पल कमरे का नजारा देख कर खिल गया और लन्ड एकदम से तनमना गया ।
कुछ सोच कर अपना मुसल मसलते हुए वो भी चुपके से कमरे मे दाखिल हुआ ।



जारी रहेगी
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UPDATE 213

अमन के घर

शाम ढल चुकी थी और रात के खाने की तैयारी हो रही थी , रिन्की ने आज अमन का मूड बना दिया था तो मौका पाकर पहले दुलारी और फिर सोनल दोनो को चोद कर अमन कमरे मे सो गया था ।

इधर मुरारी बाजार से आया तो उसने ममता से अमन के बारे मे पुछा ।
ममता - पता नही आज तो उसने शकल नही दिखाई मुझे भाई , ना जाने कहा खोया है ।

रिन्की - और कहा खोये रहेंगे हिहिही भाभी के अलावा हिहिही
ममता उसे डांट लगाती हुई - चुप कर तु , जा बुला कर ला उसे ।
अमन के पास जाने का सुनते ही रिन्की सरपट सीढियों से दौड़ पड़ी ।

मुरारी- अरे भाई मै फोन लगाता हु ना उसे
ममता हस कर - रहने दिजीये वो गयी हीहिहिही

मुरारी- अह संगीता जरा पानी देना
मगर किचन से कोई जवाब नही आया
मुरारी- संगीता कहा गयी ?
ममता इसपे मुस्कुराने लगी ।
मुरारी भौहे टाइट कर - क्या हुआ तुम हस क्यू रही हो ? बताओ कहा है वो ?

ममता - अरे जब मजनू यहा नही है तो लैला क्यू रुकेगी भला हिहिहिही
मुरारी- मतलब ?
ममता हस्ती हुई - अरे देवर जी और मेरी ननद रानी दोनो बाजार गये है समान लेने मैने भेजा है ।

मुरारी- कैसा समान ?
ममता - अरे भाई परसो बहू के मायके से लोग आयेंगे ना , तो कुछ समान लेने भेज दिया बाकी का कुछ कल आ जायेगा ।

मुरारी- ओह्ह
अगले ही पल हड़बडा कर - फिर किचन मे कौन बरतन बजा रहा है ?
ममता हस्ती हुई - अरे क्या हो गया है आपको वहा बहू और दुलारी है ।

मुरारी- बहू किचन मे अभी से ?
ममता - मै मना ही कर रही थी मगर उसे उपर कमरे मे बोरियत हो रही थी तो चली आई दुलारी के साथ हाथ बताने और बात करने ।

मुरारी- ओह्ह ऐसा ।
ममता - वैसे आप बाजार क्यू गये थे ।
मुरारी इसपे मुस्कुराने लगा - वो बस ऐसे ही टहलने का मूड हुआ और पान खाने का तो ।

ममता लपक कर जेब टटोलने लगी और वो चौकोर डिबिया हाथ मे आते ही उसका पारा एकदम से टाइट , चेहरा गुस्से से लाल क्योकि उसका शक सही लगा उसे ।

कुर्ते की जेब मे हाथ डाले हुए ही उसने गुस्से से मुरारी को घूरा- मुझे पता था कि आप यही लेने गये थे , आप नही छोड़ेंगे ना

मुरारी हस कर - अरे अमन की मा तुम हाहाहा जो समझ रही हो वो नही है हिहिही
ममता - ये सिगरेट का पैकेट नही है, मुझे बेवकुफ समझते है निकालू बाहर

मुरारी ने आस पास खाली जगह देखा और एक नजर किचन की ओर देखा और हा मे सर हिला कर - ह्म्म्ं देख लो
ममता ने धिरे से जेब से वो चौकोर पैकेट निकाला और उसे देखते ही उसके चेहरे पर गुस्से की लाली शर्म और लाज के मारे गुलाबी हो गयी ।
दोनो हाथो मे छिपाती हुई वो उस कन्डोम के पैकेट को निहारती हुई मुस्कुराते गालों के साथ मुरारी को देखा - आप पागल हो गये है क्या ? हमे इसकी क्या जरुरत है ?
मुरारी ने लपक कर उसके हाथ से वो पैकेट लिया और जेब मे डालता हुआ - ये हमारे लिये नही , अमन के लिए है ।

ममता आंखे बड़ी कर - क्या ? मगर क्यू , उनकी भी तो शादी हुई है ना ।

मुरारी- अरे भाई अभी दोनो जवान जोशिले है , कही बच्चा कर लिये तो , जवानी का मजा कहा ले पायेंगे ।

ममता लाज के मारे मे हसने लगी - धत्त क्या आप भी , आपको क्या लगता है अमन ने अभी तक किया नही होगा ?

मुरारी ने बड़े गुरुर और शान से ना मे सर हिलाया - अरे आज जाकर मैने उसे परमिशन दी है , वो आज करने वाला है ।

ममता मुरारी के बेवकुफी पर हसी आ रही थी मगर वो अपनी भावनाये छिपा कर - तभी मै सोचू ये बाप बेटे छिप छिप कर अकेले क्या बातें करते है ? तो आप अमन को सुहागरात की टिप्स देते फिरते हो उम्म्ं ।

मुरारी हस कर - क्या तुम भी ।
ममता - वैसे आपने क्या क्या बताया उसे , कैसे करना है क्या करना है हिहिहिही

मुरारी- अरे उसे सब पता है , मैने बस बताया कि कब करना है ।

ममता आंखे नचा कर - ओह्ह वैसे आपको अपना पता है कि कब कब आपको भी करना चाहिए उम्म्ं

मुरारी कुछ सोचता इससे पहले ममता खिलखिला कर उठने लगी ।
फिर मुरारी समझ कि ममता ने उसके मजे ले लिये । उसने भी सोचा आज की रात वो उसे कुछ यादगार पल जरुर देगा ।

वही उपर अमन के कमरे मे अलग ही कांड हो रहा था
अमन सोकर उठ चुका था और बाथरूम मे नहा बेफिकर होकर नहा रहा था इस बार से अंजान की बाजर बाथरूम के खुले दरवाजे से रिन्की उसे पूरी नंगी निहार रही है

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उसका मोटा मुसल सो कर उठने की वजह से बौराया अकड़ा हुआ तना था , जिसे देख कर रिन्की की बुर कुलबुलाने लगी ।
उसने अपनी कैफ्री उतार कर सिर्फ पैंटी और टीशर्ट मे आ गयी ।
दरवाजे की कड़ी वो पहले ही लगा चुकी थी , अमन के गोरे मोटे टोपे वाले लन्ड को देख कर उसकी बुर कुलबुला रही थी ।
जिसे देख कर वो अपनी नन्हे मुन्ने चुजे मसलने लगी
इधर अमन नहा कर तौलिये से अपना बदन पोछने लगा , अभी तक उसकी नजर दरवाजे के पास खड़ी रिन्की पर नही गयी थी ।

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रिन्की ने मस्ती मे लपक कर अमन के कन्धे से तौलिया खिंच लिया और खिलखिलाकर हसने लगी ।

अमन चौका और अगले ही पल उसने कमरे मे खिलखिलाती हुई रिन्की को देखा , जिसने निचे सिर्फ पैंटी पहन रखी थी ।
अमन उसकी ओर लपकने को हुआ तभी उसे याद आया कि अभी भी वो पुरा भीगा है , कमरे मे गन्दगी हुई तो सोनल सवाल जवाब करेगी ।
वही उसका मुसल भरपुर फुल चुका था , रिन्की उसको नंगे निहार कर हस रही थी - क्यू आओ आओ लेलो हिहिहिही

अमन हसता हुआ - अच्छा तो तुझे दुपहर का बदला लेना था

रिन्की हस्ती हुई उस्के खडे देख कर अपने होठ चबाते हुए खिखी कर लगी ।
अमन - चल हो गया तेरा , अब ला तौलिया नही तो मै सच मे आ जाऊंगा

रिन्की - तो आजाओ हीही
अमन देखा कि अब तक उसके जिस्म से काफी पानी निचुड चुका था और वो बाथरूम के बाहर पायदान पर पैर रगड़ता हुआ रिन्की की ओर लपका और उसको पीछे से दबोच लिया , इस दौरान छिना झपटी मे उसका कडक मोटा तनमनाया लन्ड रिन्की के चुतड़ मे घिसता चुभोता रहा

उसकी कलाई रिन्की के मुलायम उभरे नरम मौसमी जैसे चुचे पर रगड़ते घिसते रहे । रिन्की कभी सिस्कती तो कभी हस्ती

तभी अमन ने उसके घुमा कर पकड लिया और लेकर बिस्तर पर बैठ गया ।
रिन्की पर उल्टी होकर उसके गोद मे लटकी हुई थी और अमन उसके चिकने चुतड सहलाते हुए उसके गाड़ पर थपेड मार रहा था - फिर करेगी शैतानी बोल उम्म्ं

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रिन्की का पुरा जिस्म अमन के पन्जे की थ्पेड से थरथरा उठा , मगर उसके मन मे कामुक सी खुमारी उठने लगी , निप्प्ल तन गये और वो हसने लगी ।
उसकी खिलखिलाहट सुन कर अमन के उसके चुतड़ पर उंगलियाँ सहलाते हुए एक बार फिर थ्पेड चट्ट से बजाया ।

रिन्की - आह्ह भाइयाअझ उह्ह्ह्ह म्ममीईई लग रहा है ऊहु ।
अमन अभी भी उसके चेहरे पर हसी देख रहा था - बोल फिर करेगी शैतानी उम्म्ं ऐसे परेशान करेगी।

रिन्की खिलखिलाती हुई ना मे सर हिलाती हुई - नही करुँगी भैया हिहिही प्कका नही

अमन ने उसको छोड़ा और उसको खड़ा किया अभी वो हस रही थी - चल 20 बार कान पकड कर उठक बैठक कर

रिन्की - क्या ? पर क्यूँ?
अमन - वो मै नही जानता , आर्मी मे ऐसे ही फिजिकल पनिशमेन्ट दी जाती है ।

रिन्की भुनकने लगी तो अमन ने भौहे चढा कर उसे आंखे दिखाई तो रिन्की मुह बनाते हुए उसकी ओर पीठ कर ली ।

अब वो उसके सामने खडी थी , पैंटी ने उसकी गाड़ बहुत ही नरम और खिली खिली दिख रही थी जिसे देख कर अमन अपना लन्ड सहलाता हुआ थुक गटकता है ।

अमन - चल शुरु कर

रिन्की मुह बनाते हुए अपने कान पक्ड कर अमन के सामने उठक बैठक करने लगी , अमन का लन्ड अब और भी बौराने लगा ।

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सामने रिन्की की गाड़ उठक बैठक करने से बार बार उसके आगे फैल जाती जिस्से उसका लन्ड और झटके खाने लगता

निचे बैठते समय उसके नरम चुतड़ पैंटी के दायरे से बाहर आकर फैल जाते और फिर उपर उठते हुए पैंटी उसके चुतड के दरारो मे फस जाती जिसे देख कर अमन की हालत खराब होने लगी ।

देखते ही देखते रिन्की ने 20 बार उठक बैठक कर लिये - हो गया भैया और भी करू?

"ऐसे ऐसे करू " , रिन्की ने अपनी चुतड को बड़ी अदा के बाहर की ओर फेकती हुई उसको झटकते हुए उछाला जिसे देख कर अमन को हसी आई - धत्त चल जा अब यहा से ,

तभी उसका मोबाईल बजने लगा ।

मुरारी उसे फोन लगा रहा था ।
मोबाइल बजते ही रिन्की को ध्यान आया कि वो यहा क्यू है - अरे वो मामी ने आपको बुलाया है भैया , आजाओ जल्दी

अमन लपक कर उसके नंगे चुतड पर एक थ्पेड़ लगाता हुआ - अच्छा तो ये कब बताने वाली थी तु उम्म


रिन्की अपने चुतड़ सहलाती दर्द से सिस्कती हस्ती हुई - आह्ह भैया अब क्यू मारा , वो मै भूल गयी थी ना

अमन - रुक अभी बताता हु तुझे फिर कभी कुछ नही भुलेगी तु

इससे पहले अमन उसे पकडता अपनी कैफरि उठाई और बिना पहने ही दरवाजा खोलकर हस्ती हुई निकल गयी
अमन हस कर - अरे पागल कपडे पहन लेती , कोई देख लेगा
"हिहिही ये पूरी पागल है , लेकिन साली ने लन्ड खड़ा कर दिया उफ्फ्फ ",अमन अपना लन्ड ऐडज्स्ट करता हुआ बड़बडाया । फिर कपडे पहन कर निचे चला गया ।


राहुल के घर


राहुल और अरुण नदी की ओर घूम कर वापिस आ चुके थे
दुकान मे कोई नजर नही आ रहा था और गलियारे की ओर बढ़ने पर दोनो के कान खड़े हो गये ।
हाल मे शालिनी और जन्गी की बहस हो रही थी । रंगी के सम्झाने के बाद भी जन्गी की खुन्नस खतम नही हुई थी
वो शालिनी को बाज़ार के लिए फटकार रहा था और शालिनी भी उसको भरपूर जवाब दे रही थी
शालिनी - आपकी खातिर मैने क्या क्या नही किया , मै तो सीधी साधारण ही थी । आपकी फरमाईस पर ही मैने ये सूट तो कभी डिजाईनर कपडे पहने , मै तो कभी बजार खरीदने नही गयी ना ।

जन्गी को शालिनी की बात का झटका लगा मगर शालिनी रुकी नही - कभी ये चमकीली नाइटी तो कभी फैशन वाली ड्रेस कौन लाकर दिया मुझे और तो और बिस्तर पर मुझसे जबरज्स्ती क्या क्या बुलवाया मुझसे

शालिनी बोलते बोल्ते सिस्कने लगी , वही जन्गी बुत बनकर खड़ा रहा शालिनी की बातों से उसे झकझोर दिया ।
हालकि उसने सोचा था कि उसकी इच्छा उसकी मनमर्जियां जो कुछ भी वो शालिनी पर लाद रहा था उसके अनुसार वो चारदिवारी मे छिप कर ही रहेगी ।
मगर औरत की तिरीया चरित्र को और उसके जजबातों को समझने जन्गी से चूक हो गयि ।
उसे अपनी गलती का पछतावा था मगर वो माफी किस मुह से मागता , सामने शालिनी सुबगती हुई राशन के समान अलग कर रही थी ।

वही गलियारे मे राहुल और अरून चुप्पी साधे हाल मे जन्गी और शालिनी की बाते सुनते हुए धिरे से बाहर सरक लिये ।


अरुण - भाई क्या बवाल हो रहा है ये सब
राहुल - पता नही भाई , शायद मम्मी आज दीदी का सूट पहन कर गयि थी इसीलिए पापा भड़के थे । लेकीन

अरुण - लेकिन क्या ?
राहुल - यार पापा तो कभी ऐसे नही रोकते टोकते मगर आज क्या हुआ जो ऐसे झगड पड़े । जरुर कोई दूसरी बात भी होगी ।
अरुन - भाई अब आगे क्या करे , मतलब मामी पर ट्राई करू या नही

राहुल - साले मरवायेगा क्या , देख नही रहा घर का माहौल
अरुन का चेहरा उतर गया ये सोच कर कि साला थोड़ी देर के लिए उसकी किस्मत हर बार के जैसे मेहरबान होती है और फिर गायब ।
अरुण ने मामी को पाने का सपना ये अच्छा ख्वाब समझ कर भुलने की कोसिस मे लगा रहा मगर दिल कहा सुनने वाला था ।
कभी कल नये सवेरे मे नयी आश के साथ मौका तलाशने की तलब होती तो कभी फिर से छुट्टियों मे चमनपुरा आकर पेलने की योजना बनाता फिरता । कभी रुबिना के मोटी गाड़ याद कर कल उसे ही पेलने की योजना करने लगता ।

खैर ऐसे ही समय उलझनो मे कट रहा था बिल्कुल अनुज के जैसे
अनुज का भी हाल कम खराब नही था , ख्यालो मे उसने राज और बुआ के कई चुदाई के किस्से गढ़ डाले । लन्ड की कसावट कम नही हो रही थी इतने मे रज्जो हाल मे आई ।

रज्जो - क्या हुआ लल्ला क्या सोच रहा है ।
अनुज रज्जो मौसी को देखा जो नाइटी मे उसके करीब आ कर बैठ गयी थी । उनके रसिले चुचो के उभार देख कर अनुज ने पैर फैला कर जोर की अंगडाई लेता हुआ मुस्कुरा कर रज्जो के उपर झोल गया ।
रज्जो - अरे अरे क्या कर रहा है हिहिहिही
अनुज उसके नरम नरम चुचो पर लदता हुआ - आह्ह मौसी कितना नरम है
रज्जो धिरे से फुसफुसाकर- क्यू तेरी बुआ की गाड़ नरम नही थी क्या ?
अनुज चौक कर रज्जो को मुस्कुराते देखा और उसके पसीने छुटने लगे
रज्जो मुस्कुरा कर - अरे डरता क्यू है , अगर तु उसके कपडे उतार के घुसा भी देता ना वो मना नही करती । एक नम्बर की छिनार है तेरी बुआ

अनुज लाज से मुस्कुरा कर - क्या मौसी तुम भी , ऐसा थोडी होता है वो तो बस मै नीद मे था और वो टच हो गया ।

रज्जो - हम्म बताया तेरी बुआ ने कैसे नीद मे तेरा खुन्टा चल रहा था हिहिहिही

अनुज - क्या बुआ ने बताया
रज्जो - अरे वो छिनार तो तेरी अम्मा को भी बता देती वो तो मैने रोका उसे

मा का जिक्र आते ही अनुज की सासे फुलने लगी उस्का कलेजा कापने लगा - फिर तो उनसे अब दुर रहूंगा मै, कही मम्मी को बता दिया तो बड़ी मार पड़ेगी

रज्जो हस्ती हुई - धत्त रे डरता क्यू है , वो कुछ नही कहेगी अब मौका मिले पीछे से घुसा देना हिहिहिही

अनुज - प्कका वो मम्मी से नही कहेगी कुछ
रज्जो - अरे मै हु ना कुछ हुआ तो
अनुज रज्जो को हग करता हुआ - वॉव मौसी कितनी प्यारी हो आप हिहिहिही लेकिन कब ट्राई करू अब

रज्जो - जब कभी मौका लगे हिह्हिही
तब तक हाल मे रंगी दाखिल हुआ और मौसी भतिजे की वार्ता एकदम से रुक गई ।
कुछ देर बाद सबका खाना पिना हुआ और सब अपने तय कमरे मे सोने के लिए निकल गये ।
निशा और अनुज के उपर जाते ही रंगी तीन गदराइ औरतो के साथ अपने कमरे मे चला गया ।

राज अपनी योजनानुसार आज रेस्ट का बहाना मारकर उपर निशा को सरप्राइज देने के लिए पहुच गया , मगर उसके अंदेशे के हिसाब से अनुज निशा के कमरे मे अपना काम शुरु कर चुका था ।
दरवाजा बन्द था अंदर से और अनुज की कामुक सिसकिया आ रही थी जिस्से साफ पता चल रहा था कि निशा ने उस्का लन्ड चुबलाना शुरु भी कर दिया था ।

अगले ही पल राज ने दरवाजे पर दस्तक दी और भीतर कमरे मे हड़बड़ हो गयी ।
अनुज झट से अपने कपडे पहन कर दरवाजे की ओट मे हो गया और निशा भी मुह साफ करती हुई दरवाजा खोला - अरे राज तु

राज कमरे मे दाखिल होता हुआ - आह्ह दीदी आज बड़ा मूड है कुछ करते है ना

निशा इशारे से कमरे मे अनुज के होने का बताती है तो राज उसको आंख मारकर बताता है कि उसे पता है और उसका इरादा क्या है ।
निशा की सासे चढने लगती है ।
राज - आह्ह दीदी आओ ना चुसो ना मेरा , कितना दिन हो गया आपके होठो से चुसवाये ऊहह देखो ना कैसे टाइट हो रहा है ऊहह

निशा - ऊहह राज कितना तप रहा है रे तेरा लन्ड उम्म्ंम उफ्फ्फ कितना मोटा हो रहा हौ

राज - आह्ह दीदी आप छुती हो तोह्ह उम्म्ंम लेलोना मुह उह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह सीई उम्म्ंम

वही कमरे का दरवाजा अभी भी खुला था और अनुज उसके पीछे छिपा हुआ था , जिसकी ये सोच कर फट रही थी ये लोग दरवाजा खोल कर खुलेआम लगे हुए है
उस्से बढ़ कर उसके लिये ये सरप्राइज था कि उसका राज भैया तो पहले से ही निशा को भी चोदता आ रहा है ।
अनुज का मुसल एकदम से फनफना गया

निशा मुह से लन्ड निकाल कर उसको सहलाती हुई - दरवाजा बन्द कर दू भाई , कोई आ जायेगा

राज - अरे अनुज बन्द कर देगा ना , भाई दरवाजा लगा दे ना

अनुज की फट के चार हो गयी कि राज को कैसे पता कि वो वहा है । अनुज चोरो के जैसे मुह लटकाये दरवाजे की ओट से बाहर आया और सामने का नजारा देख कर उसकी आंखे फैल गयी ।

सामने निशा निचे घुटने बल खडी होकर राज का मुसल चुस रही थी और राज उसके सर को सहलाता हुआ आन्खे उलट रहा था ।

अनुज ने दरवाजा लगाता हुआ - भैया मै भी आऊ
राज ने बड़े ही कैजुअल तरिके से लन्ड की चुसवाई का मजा लेते हुए सिस्कते हुए - आह्ह हा भाई आजा ना ऊहह

अनुज मुस्कुरा कर खिल उठा और झट से लोवर से मुसल निकाल कर निशा के आगे परोस दिया - दिदी दीदी मेरा भी अह्ह्ह उफ्फ्फ उम्म्ं

राज - क्यू भाई आजकल मुझसे छिपा कर करने लगा है तु उम्म्ं

अनुज सिस्कता हुआ निशा को लन्ड चुबलाता देख कर - अह्ह्ह भैया लेकिन आपसे छिपता कब ही है ओह्ह ना जाने कब आप निशा दीदी के बारे मे जान गये

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राज हसता हुआ - पगले मेरे कहने पर ही तो निशा दीदी ने तुझे और राहुल को हा कहा था हिहिही

अनुज ने हैरत से निशा की ओर देखा जो दोनो भाइयो का कड़ा लन्ड लेके सहला रही थी और मुस्कुरा रही थी
अनुज का लन्ड उस्की कातिल मुस्कुराह्ट से उसकी हथेली मे झटके खाने लगा



वही निचे कमरे मे गजब का रोमांच मचा हुआ था

शिला उसके उपर रज्जो और फिर सबसे उसपे रागिनी
सब एकदुसरे के उपर गाड़ खोल कर चढ़ी हुई थी ।
रंगी भी पुरा नंगा होकर रागिनी के चुतड़ फैलाकर उसके चुत के फाके चुबला रहे था

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रागिनी मादक सिस्किया ले रही थी- आह्ह मेरे राजाहा उह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम्ं

रज्जो - ऊहह जमाई राजा ऊहह क्या मस्त जीभ चला रहे हो अजज ऊहह माह्ह्ह सीईई उफ्फ्फ

रन्गी रागिनी के चुत से सरक कर रज्जो की मोटी मखमाली गाड़ फैलाकर उसके सुराख कुरेदने लगा

वही निचे दबी हुई शिला दोनो बहनो की सिस्किया सुन्कर अपनी चुत मसल रही थी

तभी रन्गी ने निचे झुक कर उसकी बुर मे भी अपनी थूथ रगड़ दी ।

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शिला मचल कर रह गयी और रन्गी ने एक सुर ने निचे से उपर तक सभी चुत और गाड़ के फाको मे जीभ लगा कर चाटता हुआ उपर से निचे होने लगा

तीनो गदाराई औरतें की मादक सिस्किया एक साथ उठने लगी और देखते ही देखते रन्गी ने निचे से शिला की गाड़ मे
लन्ड घुसेड़ दिया

दो गरदाई औरतो के भार के तले दबी हुई शिला की हालत और खराब होने लगी
रंगी के दोनो हाथ रागिनी और रज्जो की बुर सहला रहे थे और लन्ड शिला की कसी गाड़ मे घुसा हुआ था

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रन्गी - अह्ह्ह दीदी क्या मस्त गाड़ है उम्म्ंम जीजी (रज्जो) आपकी बुर कितनी गर्म हो गयी है अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

शिला - आह्ह भैयाह्ह्ह उफ्फ्फ बहुत टाइट जा रहा है ऐसे उह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं
रज्जो - ओह्ह जमाई बाबू उम्म्ंम्ं कबसे तो रस छोड़ रही है मेरी बुर दालो ना उह्ह्ह्ह ओह्ह्ह

रागिनी - हा मेरे घुसाओ ना , आप तो अपनी छिनार बहनिया मे ही अटके हो अह्ह्ह्ज सीई हम बहनो का भी ख्याल करो उह्ह्ह चोदो ना ऊहह

रंगी दोहरे जोश मे आ गया और थोडा खडा होकर सिधा रज्जो की गाड़ मे लन्ड घुसेड़ दिया - अह्ह्ह बहिनचोद उह्ह्ह कितना टाइट है जीजी उह्ह्ह उफ्फ्फ क्या मस्त गाड़ है तुम्हारि उह्ह्ह ये लोह्ह ऊहह

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रज्जो - ऊहहह आह्ह मेरे राजाह्ह ऐसे ही फाडो ऊहह और तेज उम्म्ं ऐसे हीईई

रन्गी रागिनी की जांघो को पक्ड कर सपोर्ट लेके हचर हचर रज्जो की गाड़ फ़ाड रहा था और उसकी उंगलिया रागिनी चुत फैला कर उसके दाने रगड़ रही थी जिस्से रागिनी की चुत बजबजा रही थी - अह्ह्ह सोनल के पापा उह्ह्ह हहह आ रहा है उह्ह्ह घुसाओ ना उम्म्ंम सीई चाहिय्र मुझे आह्ह

रन्गी उसके नंगे चुतड़ को नोचता थपेड मारता - क्या लेगी मेरी रान्ड बोल ना उह्ह्ह आह्ह

रज्जो की अलग सिसकी निकल रही थी और शिला जिस्से अब और दबाव भार सहा नही जा रहा था उसने अपनी गाड़ उचका कर बाकी को आगे बिस्तर पर धकेल दिया

रज्जो के उपर रागिनी पसर के आगे बढ़ गयी सब खिलखिलाने लगे और रन्गी ने भी आगे बढ़ सीधा रागिनी की गाड मे थुक लगा कर अपना मोटा लन्ड घुसेड़ दिया - उह्ह्ह मेरी जान लेह्ह्ह घुसा दिया ऊहह

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रान्गिनी की आंखे उलटने लगी रन्गी का मोटा लन्ड उसको गाड के निचे से अपनी बुर मे घिस्ता मह्सुस हो रहा था और उसकी बुर झड रही थी -आह्ह मेरे राजा ऐसे ही उह्ह्ह पागल कर दोगे आप तो उह्ह्ह माह्ह सीई अह्ह्ह पेलो मुझे अह्ह्ह अह ननद के सैयाह्ह उह्ह्ह

रन्गी हचर हचर रागिनी की कसी गाड़ मे चोद रहा था और शिला पीछे से उस्से लिपट निकल कर उसके गाड के निचे से आड़ो को छू सहला रही थी ।
शिला के गुदाज नरम जिस्म का स्पर्श पाकर रंगी के लण्ड का कडकपन और बढ़ गया जिससे रागिनी की चिखे और तेज होने लगी
रंगी ने छेद बदल कर रज्जो की चुत मे लन्ड लगा दिया और चोदने लगा
दोनो बहने मादक सिस्किया ले रही थी और शिला का स्पर्श रन्गी का पागल कर चुका था
वो चरम पर आ गया था

रंगी अब चिन्घाडने लगा - अह्ह्ह्ह जीजी आयेगा आओ सब ऊहहह जल्दी ऊहहह
रंगी ने रज्जो की बुर से लन्ड निकाला और हिलाने लगा

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तीनो औरते नंगी रंगी के कदमो मे जीभ निकाले मुह खोले बैठ गयी और रन्गी की पिचकारि छुट्टी बारि बारी से तिनो पर गयि ।

तिनो ने बड़े चाव से उसके लन्ड को साफ किया और देर3 तक चुबलाती रही
वही उपर के कमरे मे भी चीजे बदल चुकी थी

निशा के मुह मे राज का लन्ड गले मे फसा हुआ था और दूसरी ओर अनुज की जान्घे उठाए सटासट पूरे जोश मे उसकी चुत मे लन्ड डाले जा रहा था - अह्ह्ह दीदी कितनी सेक्सी हो तुम ऊहहह कितनी मस्त बुर है तुम्हारि है ना भैयाअह्ह्ह

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राज अपना लन्ड निशा के गले मे चोक करता है - आह्ह हा भाई ऊहहह साली का मुह भी मस्त ऊहह लेह्ह ना और लेह्ह्ह ऊहहह रगड़ रगड़ कितना मोटा कर दिया है तुने इस्का दूध उफ्फ्च देख कैसे हिल रहा है

अनुज निशा की हिलती चुचिया देख कर और कसकस कर चोदने लगा - आह्ह हा भैया अब देखो और हिल रहा है हिहिही कितना नरम और मोटा है अह्ह्ह दीदी निचोड लोगि क्या हहहहह

निशा - आह्ह साले आराम से चोद ना य्ह्ह बहन हु तेरी कोई रंडी नही अह्ह्ह बहिनचोद भाग थोड़ी ना रही

राज और अनुज निशा की बाते सुन हसने लगे और राज निशा के कंधे थपथपा कर उसको उठने का इशारा किया
अनुज भी पीछे बिस्तर का टेक लेकर फैल गया
निशा बिल्ल्लियो की तरह घुटने घसीटती हुई उसके करीब आई और उस्का मोटा तनमनाया मुसाल जो उसकी बुर की रसो से सना था उसको मुह मे भर ली जिसे देख कर अनुज को और भी जोश आने लगा
वही राज पीछे से उसकी चुत के मुहाने पर लन्ड टिका कर हच्च से भीतर उतार दिया -अह्ह्ह बहिनचोद आराम से ऊहहह उम्म्ं कितना मोटा है रे तेरा

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अनुज हस कर - मेरा या भैया का
निशा - तुम दोनो का आह्ह ऊहहह फ्क्क मीईई येस्श्ह आह्ह राज्ज्ज उम्म्ंम और घुसा आह्ह सीई

अनुज निशा के बाल सवार कर उसकी नरम नरम लटकी चूचिया सहला रहा था और निशा आगे झुक कर उसका लन्ड चुस रही थी ।राज के तेज करारे झटकों से बार बार उसकी मोटी गुदाज चुचियो के बीच अनुज के आड और लाड़ दोनो घुस जाते और अनुज को नशा सा छाने लगता

राज उसके चुतड़ मसलता हुआ - ऊहह दीदी उम्म्ंम कितनी मुलायम गाड़ है ऊहहह सीई ऊहहह

अनुज अब तक निचे सरक चुका था और निशा की चुचिया पकड़ कर निचे से लन्ड उसी मे पेलने लगा - अह भैया नरम तो दीदी की चुचिया है अह्ह्ह कितना मजा आ रहा है ऊहहह माह्ह सीई उफ्फ्फ दीदी कमाल हो तुम तो उफ्फ्फ

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निशा की सिसकिया और भी मादक होने लगी ।
राज निशा की गाड़ की सुराख मसल्ता हुआ - आह्ह दीदी तुम्हारी गाड़ का छेड़ कितना सेक्सी है उम्म्ंम मन कर रहा है घुसा दू उम्म्ंम साली को चोद चोद कर लाल कर दू ऊहहह

अनुज - घुसा दो भैया कल रात मैने घुसाया था बहुत टाइट था ऊहहह दिदीईई आह्ह उम्म्ं

राज - क्या तुने गाड़ भी मार ली
निशा अनुज आपस मे मुस्कुराने लगे

अनुज - आओ ना दीदी मेरे उपर

निशा आगे बढ गयी और राज लन्ड उसकी बजबजाई चुत से बाहर निकल गया और देखते ही देखते निशा ने अनुज के उपर आकर उस्का लन्ड अपनी बुर मे भर लिया


अनुज नीचे से सट सट कमर उठा कर उसकी बुर मे घुसाने लगा - आह्ह दीदी कितना खुल्ला कर दिया आपकी बुर को भैया ने उम्म्ं ऊहह मजा आ रहा है उम्म्ं,आओ ना भैया तुम भी ऊहहह

राज मुस्कुराया और अनुज का इशारा समझ गया

उसने पास रखी तेल की शिसी उठाई और निशा के गाड़ के दरारो मे ड्रॉप कराने लगा
जल्द ही तेल उसके सुराख से रिस कर उस्की चुत और अनुज के लन्ड पर जाने लगा

निशा गरदन फेर पर अपनी दरारो मे राज का लन्ड धंसता मह्सूस कर रही थी , उसकी सासे तेज रही थी ये उस्का पहला अनुभव था जब दो दो मुसल एक साथ उसकी बुर और गाड़ मे घुस रहे थे ।
राज ने पुरा सुपाडा चिकना कर उसको निशा के गाड़ मे मुहाने पर जोर दिया और प्कक की आवाज के साथ सुपाडा आधा अन्दर
सुपाड़े की मोटाई ने निशा के जिस्म को दर्द से अक्ड़ा दिया
अनुज भी कमर थामे रुका हुआ था निचे से
अगले ही पल राज ने जोर देते हुए सुपाड़े को थेला और लन्ड आधा अन्दर
निशा की आंखे बाहर को आने लगी , निचे से अनुज ने एक बार फिर कमर उछालने शुरु कर दिये

निशा के जिस्म की अकड़न और बढ़ गयी , जब राज ने अपनी कमर चलानी शुरु कर दी ।
कसा कड़ा मोटा लन्ड उसकी गाड़ के कसे छेद को भेदता हुआ हुआ जगह बनाने लगा - आअह्ह्ह दीदीइह्ह उम्म्ंम कितनाअह टाइट है उम्म्ंम्ं

अनुज -हा भैया मुझे भी फील हो रहा है अह्ह्ह
निशा - ऊहहह बहिनचोद आज फ़ाड दोगे क्या मेरी उम्म्ंम्ं मम्मीईई अह्ह्ह्ह सीईई ओह गॉड उम्म्ंम्ं फक्क्क

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राज झटके तेज करता ह्य - आह्ह दीदी कितनी रसिली गाड है आपकी उम्म्ंम्ं मन कर रहा है ऐसे ऐसे ऐसेह्ह्ह ऊहहह चोद चोद कर भर दू इसको ऊहहह

निशा राज के हचक लन्ड की चोट गाड़ की तलहटी तक मह्सूस कर रही थी वही निचे से अनुज का लन्ड उसकी चुत को अलग भेदे जा रहा है , इस दोहरे प्रहार से निशा की कमर से जांघ का हिस्सा बुरी तरह दर्द ने अक्ड़ा हुआ था ।
चुत बजबजा रही थी , राज के थ्पेडो से चुतड लाल हुए जा रहे थे - अह्ह्ह बहिनचोद कमिने तेरी मा चोदू साले अह्ह्ह्ह मार क्यू रहा है अह्ह्ह सीई ऐसेही पेल ना ऊहहह सीई

राज और अनुज खिलखिलाने लगे फिर राज ने उस्के कुल्हे जकड कर हुमुच हुमुच कर लण्ड उसकी गाड़ देने लगा ।
निशा के साथ साथ अनुज पर भी इस्का असर साफ साफ होने लगा
दोनो भाई जोश मे उपर निचे से एक लय मे कुल्हे झटकने लगे


निशा की चिखे तेज हो गयी, दोनो भाई भी पूरे जोश मे निशा की चिख को और तेज करते हुए करारे झटके लगाने लगे
दोनो के सुपाड़े पूरे फुल चुके थे और कभी भी फव्वारा फूट सकता था ।
राज झट से उठा और निशा भी उठ गयी
जीभ बाहर निकाले आग उगलगे दोनो सुपाडो के झड़ने की राह मे

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वही राज और अनुज अपना अपना मुसल हिला कर उसके मुह पर झाडने लगे ।

फिर थक कर चिपक कर सो गये
मगर नीचे कमरे मे अगले राउंड की तैयारियां चल रही थी ।

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रंगी बिस्तर पर टांग लटका कर लेटा हुआ था और उसके मोटे हुए लन्ड को रागिनी रज्जो और शिला मिल कर चुस चाट रही थी , एक दुसरे से लार साझा कर रही थी ।

इस आनन्द मे रंगी का मुसल और कड़क हुआ जा रहा था

जारी रहेगी
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ajaydas241

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UPDATE 214

राहुल के घर

शाम का मैटर आज कुछ ज्यादा ही सिरियस लग रहा था , राहुल और अरून की हालत खस्ता थी ।
शालिनी भी 2 घन्टे तक कमरे बन्द कर रोते हुए सो गयी ।
फिर कही 9 बजे तक उसे बच्चो की भूख का ख्याल आया तो नहा कर कपडे बदल कर एक नाइटी डाल कर वो किचन मे आई ।

इधर जन्गी का मुह अलग उतरा हुआ था , उसे समझ आ रहा था कि कमलनाथ के साथ उसकी बीवी की चुदाई उसे अभी तक भीतर से जलाये हुए है और रह रह कर उसकी गुस्से की आग को भड़का देती है ।
बच्चो के साथ अब उसके पेट मे भी चुहे कूद रहे थे , पानी की बोतल खोल कर उसे मुह से लगाया मगर छटाक भर पानी भी उसके गले तक नही पहुचा ।

दुकान मे बैठे बैठे ही पहले उसने राहुल को आवाज देने की सोची मगर फिर ये सोच कर खुद उठ गया कि पहले से ही इस घर मे बहुत शोर शराबा हो चुका था ।
खुद उठ कर वो पानी लेने किचन तक आया ।
सामने देखा तो शालिनी फटाफट सब्जी चला रही थी और सामने रोटी के लिए तवा भी चढा दिया था ।

दोनो की नजरे टकराई मगर शालिनी के आंखो से आ रही गुस्से की आंच जन्गी ने नजरे झुका कर बर्दाश्त की और चुपचाप फ्रिज से पानी की एक बोतल लेकर बाहर निकल रहा था कि- दुकान बन्द करके खाना खाने आ जाईये ।

शालिनी की बातों ने गुस्सा साफ झलक रहा था मगर जंगी के लिए ये अच्छी बात थी कि उसने खाने के लिए पूछा तो सही ।

जन्गी - हम्म्म ठिक है
जन्गी फटाफट दुकान मे गया और बन्द करते हुए उसके जहन मे चहलकदमी मची हुई थी कि आज जब शालिनी कमरे मे सोने आयेगी वो उसे किसी तरह मना कर चोद देगा और उसके भीतर कमलनाथ के लिए जो दबी बात है उसको साझा करेगा ताकी दुबारा ऐसे हालत ना हो घर मे ।

मगर उसके अरमान मे शालिनी ने पूरी की पूरी बालटी उडेल दी जब खाने के बाद घर के सारे काम निपटा कर रात के करीब 11 बजे शालिनी ने राहुल के कमरे का दरवाजा खटखटाया ।

अरुण और राहुल जो कि अरुण के मोबाइल स्टोर ब्लू फिल्म देख कर अपने लन्ड सहला रहे थे , दोनो सतर्क हुए और राहुल ने उठ कर दरवाजा खोला ।

शालिनी ने गुस्सैल मिजाज मे राहुल से - तु जा तेरे पापा के पास सो जा

राहुल मुह बना कर - क्या हुआ मम्मी?
शालिनी ने उसको घूर कर देखा और तेज आवाज मे - तु जा रहा है या नही ।

शालिनी के तमतमाये चेहरे से अरुण के पसीने अलग छूटने लगे , राहुल डरे हुए चूहे कि तरह मन मे चुचूवाता हुआ कमरे से बाहर निकल गया और शालिनी उसको गैलरी से अपने पापा के कमरे जाते हुए देखा और फिर दरवाजा बन्द कर दी ।

इधर जन्गी ने जैसे ही कमरे के दरवाजे पर राहुल को आता देखा - क्या हुआ , तेरी मा कहा है ?

राहुल खीझ कर - क्या मा कहा है , वो गुस्से मे मेरे कमरे मे सोने गयी है । क्या जरुरत थी आपको मम्मी से ऐसे बात करनी की ।

जंगी - अरे बेटा मेरी मती मारी गयी थी क्या बताऊ , छेह्ह और वो जान कर अरुण के पास सोई है ताकी मै ... .

जन्गी - उसके पास नही जाऊ
राहुल - और आपको अचानक से क्या हो गया , आपको तभी रोकना था मम्मी जब बाजार जा रही थी ।
जन्गी - अरे बेटा वो अरुण था साथ मे इसीलिए मै चुप था

राहुल - लेकिन क्या फायदा शाम को सारा कलेश देखा और सुना भी उसने

जन्गी - अह छोड़ ना बेटा मेरा माथा दर्द होने लगा है , चल सो जाते है ।
कमरे की बत्ती बूझ गयि मगर नींद दोनो बाप बेटों की आंखो से अभी दूर थी ।

जंगी अभी उलझन मे अटका हुआ कभी खुद को कोसता तो कभी शालिनी से आगे कैसे बात हो उस बारे मे विचार करता ।
वही राहुल के जहन मे अलग ही सर दर्द मचा हुआ था कि कही अरुण जोश मे उसकी मम्मी के साथ कोई बेवकूफी ना कर दे ।

मगर उसके कमरे मे अरुण को शालिनी शाबासी ने नवाज रही थी - अह्ह्ह सुउईई उम्म्ंम्म्ं ऐसे ही उफ्फ्फ्च अरुण हा बेटा उम्म्ंम ऐसे ही चाट अह्ह्ह सीईई

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कमरे मे शालिनी नाइटी पेट तक उठाये जान्घे फ़ोल्ड कर लेटी हुई थी और उसके नरम नरम पाव सी फूली हुई बुर की कसी लकीरों को अरुण निचे से उपर जीभ फिरा कर उसकी टपकती बजब्जाती मलाई चाट रहा था ।
शालिनी कभी उसके सर पकड़ कर उसकी थूथन अपनी बुर के दाने पर रगड़ती तो कभी खुद अपनी गाड़ उठा कर उसकी नाक को बुर मे डुबो देती ।

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अरुण उसकी रसाती बुर को अपनी लार से मिला कर खुब चुस चाट रहा था उसका मुसल जबरजस्त तरीके से फौलादी हुआ जा रहा था - ऊहह बेटा उम्म्ंम अह्ह्ह चाट और चुस अपनी मामी की बुर उम्म्ंम्ं कितना मस्त चुस्ता है रे तु उम्म्ंम्ं सीईई अह्ह्ह उफ्फ्फ कहा से सिखा है तुने जीभ चलाना उम्म्ंम

अरुण उसके जोशिले शब्द से और भी कामोत्तेजित हो जीभ घुसा कर भीतर नचाने लगाता
जल्द ही शालिनी के कमर ने झटके खाना बन्द कर दिया और अरुण ने भी अपना मुह हटा कर हाफने लगा ।

शालिनी ने उसे देखा और मुस्कुराई - बदमाश कही का , तु बस दिखता सीधा है उम्म्ंम

अरुण हस कर - मामी सीधा तो मेरा ये भी नही है हिहिही

अरुण ने लोवर के उपर से अपना खड़ा कडक तना हुआ मुसल मिजा और शालिनी मुस्कुराते हुए बिस्तर पर बैठ गयी पैर लटका कर उसके लोवर की डोरी खिंच कर उसे निचे किया और अंडरवियर के उपर से उसका मुसतन्ड मुसल को हाथो से सहलाने लगी - अह्ह्ह मामीईई उफ्फ्फ आपका टच मुझे पागल कर देता है उह्ह्ह लगता है कि अभी निकल जायेगा ।

शालिनी ने गुस्से ने आंखे महिन कर उसे घुरा - क्या बोला , अगर ये जल्दी निकला तो तुझे भी धक्के मार कर कमरे से निकाल दूँगी समझा

अरुण मुस्कुरा कर अपनी मामी के गाल छू कर - आह्ह मामी ऐसे देखोगी तो सच मे निकल जायेगा
शालिनी अगले ही पल मुस्कुरा दी और उसका अंडरवियर खिंच कर उसका मोटा कड़क एकदम से तनमनाया गर्म लन्ड हाथ मे लिया - उह्ह्ह कितना तप रहा है रे उम्म्ंम्ं

अरुण - अह्ह्ह मामी चुस कर ठण्डा कर दो नह्ह्ह उम्म्ंम्ं सीईई

शालिनी उसके लन्ड को आड़ो सहित हाथो मे सहला रही थी और वो उसके हथेली मे फड़क रहा था - उम्म्ंम्ं पहले किसी ने चुसा है इसे

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शालिनी ने हौले से मुह खोल कर उसका सुपाडा चुबलाया और फिर अपने नरम मुलायम होठो पर रगड़ने लगी ।

अरुण हवा मे उठने लगा और उसका लन्ड पुरा फुल कर फौलादी होने लगा, नसे उभरने लगी , शालिनी की जीभ उस्जे होठ जैसे जैसे उसके सुपाड़े को चाट चुबलाते अरुण की सासे अटकने उखड़ने लगती -अह्ह्ह सीई आह्हुह्ह्ह उन्म्मम्म मामी उफ्फ्फ सच कहू मामी चुसवाया तो बहुत है मगर उह्ह्ह

शालिनी उसके सुपाड़े की नीचली गांठ को अंगूठे से रगड़ती हुई आधा मुसल मुह मे डाल कर उसे सुरकती हुई लन्ड बाहर निकाल कर हिलाने लगी - मगर क्या बोल ना

अरुण - अह्ह्ह मामी क्या बोलू उम्म्ंम आपकी स्टाइल सबसे हट कर है अह्ह्ह उह्ह्ह

शालिनी - सबसे ? कितनो को चुसवाया है

अरुण मुस्कुरा कर सिसकिता हुआ - अह्ह्ह मामी वो मेरे यहा एक नौकरानी है , अह्ह्ह साली का मर्द बाहर रहता है उह्ह्ह उम्म्ंम बहुत गर्म माल है उह्ह्ह आपके जैसी उफ्फ्फ आह्ह्ह मामीईई ओह्ह्ह ऐसे ही आह्ह और लोह्ह्ह ऊहह मजा आ रहा है आह्ह्ह

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शालिनी उस्का लन्ड गले तक लेने घोंटने लगी और अनुज उसका सर पक्ड कर आगे ठेलने लगा - अह्ह्ह मामीईई उह्ह्ह ऐसे उह्ह्ह खा जाओ ऊहह बहुत खुजली हो रही उम्म्ंम अह्ह्ह्ह उम्म्ंम निकाल दो सारा रस उम्म्ंम

शालिनी ने आँखे उठा कर फिर से अरुण को घुरा और उठ गयी -

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अरुण उसके नाइटी निकाल कर उसके चुचियो पर टुट पड़ा एक चुसता तो एक मसलता - अह्ह्ह बेटा अराम्म से उह्ह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह उफ्फ्फ बड़ा जोशील है रे तु य्ह्ह्ह्ह सीई कभी चोदा है किसी को या बस सबसे चुसवाया है

अरुण मुस्कुरा कर अपनी मामी के रसिले होठ चुबलाता हुआ - आह्ह मामी जिन जिन को पेला है , आज भी याद रखती है मुझे , अपना स्टाइल ही अलग है

शालिनी मतवाली आंखो से उसकी आंखो मे निहारती हुई उसका खुन्टा पक्ड कर भींचने लगी - अह्ह्ह जरा मुझे भी दिखा ना तेरा जलवा उह्ह्ह

अगले ही पल अरुण ने शालिनी को घोड़ी बना कर बिस्तर पर सेट किया और अपना मुसल उसके चुत के दरवाजे पर लगाते हुए हचाक से एक ही जोर मे पुरा का पुरा मुसल उस्के बुर की जड़ मे उतार दिया - अह्ह्ह मैयाअह्ह्ह मर गयीईई रेह्ह्ह उह्ह्ह साले हरामी ऊहह रन्डी की औलाद अह्ह्ह फाड़ देगा क्या आह्ह

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अरुण मुस्कुरा कर उसके नंगे चुतड पर थ्पेड़ता हुआ बिना रुके सटासट पेलने लगा - उफ्फ्फ मामी आपकी बुर एकदम रसिली है एक ही बार मे चली गयी उह्ह्ह कितनी गर्मी है अह्ह्ह

शालिनी भी धिरे धिरे मस्ती मे रमने लगी - आह्ह एकदम भाले जैसे लगा ऊहह कितना टाइट है तेरा ह्ह जैसे लाठी ले रही उह्ह्ह अह्ह्ह और चोद उन्म्ंम्ं

अरुण भी जोस मे शालिनी की दोनो चुतड़ पिटता हचक ह्चक कर उसकी बुर मे लन्ड डाल रहा था -आह्ह मामी जबसे आपको मुतते देखा है आह्ह इस गाड़ के लिए पागल सा हो गया हु मै उह्ह्ह कितनी सेक्सी है अह्ह्ह

शालिनी - कमिने तो उस रोज तु था तो मुझे बाथरूम मे देखा था उम्म्ंम सच है ना
अरुण खिलखिलाता हुआ आगे झुक कर शालिनी की लटकी हुई चुची को मसलता हुआ ह्चर ह्चर उसकी बुर मे लन्ड पेल रहा है- अह्ह्ग हा मामीईई सच मे आपकी गाड़ ने मुझे पागल कर दिया था और आज बजार मे आपने जो कहर मचाया उफ्फ्फ

शालिनी को खुद पर नाज हुआ - उफ्फ्फ कितना जोर की चोद रहा है अह्ह्ह उफ्फ्फ माअह्ह्ह उघ्ह्ह उतर जा उतर जा मेरे घुटने छील जायेन्गे अह्ह्ह

अरुन उसके उपर से उठ गया और शालिनी सीधा लेट गयि ।
अरुण उसकी एक टांग उठा अपने कन्धे पर रखा और अपना लन्ड एक बार फिर उसकी बुर मे उतार दिया ।
भर पुर जोश मे वो शालिनी को चोदने लगा ।
शालिनी - उफ्फ्फ अह्ह्ह ऐस एही उफ्फ्फ क्या मस्त चोदता है रे तुह्ह्ह उम्म्ं तेरे जैसे कसे लन्ड की दिवानी हो गयी है अह्ह्ह ऐसे ही मेरे राजहा उह्ह्ह उफ्फ्फ ऐसे लन्ड के लिए कुछ भी कर जाऊ उफ्फ्फ्च् और पेल ऊहह

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अरुण शालीनी की जोशिली बाते सुन कर उसकी झुका और उसकी गरदन पक्ड कर और हचर हचर पेलने लगा , शालिनी की चुत मे उस्का लन्ड अब बच्चेदानी तक मह्सूस होने लगा ।

शालिनी की आंखे उलटने लगी और चिखे दुगनी - अह्ह्ह उफ्फ्फ ऐसेही औह्ह सच मे तु अलग है रे हहह माह्ह्ह फ़ाड और फाड़ ऐसे हो उफ्फ्फ माह्ह रुकना मत अह्ह्ह्ह

अरुन - आह्ह मामी फाड़ तो तूम्हारी बिच बजार मे ही देता मगर लोगो का सोच कर नही कुछ किया

शालिनी - आह्ह सच तुझे इतनी जोश दिला रही थी मुझे
अरुण उसकी बुर मे लन्ड उतारता हुआ - आह्ह सिर्फ मुझे उह्ह्ह वहा तो सबकी नजर आपकी इस रसिली गाड़ पर अटकी थी उह्ह्ह

शालिनी - अह्ह्ह सच मे और उह्ह्ह उम्म्ं और बता ना
अरुण आगे झुक कर उसके निप्प्ल मुह मे भरता हुआ - अह्ह्ह मामी उह्ह्ह आपकी ये दुधारू चुचियॉ आह्ह ऐसे छलक रही थी मानो उछल कर बाहर आ जायेगी उफ्फ्फ

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शालिनी - अह्ह्ह लेकिन क्या फाय्दा इन सब का , देखा नही शाम को तेरे मामा कैसे भड़क गये उह्ह्ह उम्म्ंम

अरुण कसमसाता हुआ अपना लंड तेजी से उसकी बुर मे पेलता हुआ - आह्ह लेकिन आपने राहुल की ओर नही ध्यान दिया

शालिनी - राहुल ! क्या हुआ उसे ?
अरुण - आह्ह मामी , पूरे बाजार भर वो आपके चुतड निहार रहा था , उसकी जीभ खुब ल्सा रही थी

शालीनी भीतर से राहुल के नाम से और भी जोशिली हो रही थी - अह्ह्ह क्या कह रहा है तु उह्ह्ह मै उसकी मा हु वो मुझे ऐसे क्यू अह्ह्ह उफ्फ्फ्फ मह्ह्ह

अरुण - क्या मामी अब झुठ मत बोलो , आपने भी कभी न कभी उसे नोटिस किया ही होगा , जब वो आपके इन नरम नरम रसिली चुचियो को निहारता होगा

शालिनी - अह्ह्ह कैसी बात कर रहा तु उम्म्ंम उफ्फ्फ्फ अह्ह्ह
अरुण मुस्कुरा कर - उफ्फ़ मामी देखो ना कैसे आपकी बुर कस रही है राहुल के नाम से और ये निप्प्ल अह्ह्ह सीईई कितने कड़क हो रहे है अम्म्म्ंम्ं सीई कितने मुलायम है उम्म्ंम

शालिनी - ओह्ह्ह बेटा अह्ह्ह क्या जादू कर रहा है रे तु अह्ह्ह मह्ह कितना कड़क उह्ह्ह सीईई

अरुण - आह्ह मामी वो मेरा नही राहुल का जादू है उह्ह्ह मैने देखा है उसे आपकी गाड़ देख कर अपना मुसल मसलते हुए

शालिनी - क्या सच मे उफ्फ्फ ये लड़का बहुत बिगड़ गया है अह्ह्ह्ह सीईई
अरुण - आप ही इतनी सेक्सी उह्ह्ह्ह मै भी तो बिगड़ गया ना उम्म्ंम्ं

शालिनी - अह्ह्ह उफ्फ्फ तो तु क्या चाहता है मै आह्ह आह्ह उफ्फ्फ रुकना न्ही नही अह्ह्ह अह्ह्ह

अरुण - हा मामी लेके देखो ना उसका लन्ड मजाअयेगा आपको उह्ह्ह लोगि ना उम्म्ं बोलो बोलो ना

अरुण हचर हचर पूरे जोश मे तेजी से उसकी चुत मे लन्ड पेले जा रहा था और शालिनी अपनी गर्दन झटकते हुए झड रही थी - अह्ह्ह मै क्या बोलू अह्ह्ह उफ्फ़फ्फ उम्म्ंम्म्ं सीई उफ्फ्फ्फ मेरा हो रहा है अह्ह्ह ओह्ह्ह्ग उम्म्ंम अरुण अह्ह्ह कितना मजा आ रहा हौ आह्ह उफ्फ्फ

अरुण - आह्ह मामी मेरा भी आयेगाह्ह्ह उउह्ह्ह मामी मेरी सेक्सी चुदक्कड़ मामी उह्ह्ह अफ्फ्फ

अरुण अपना लन्द बाहर निकाल कर तेजी से मुठियाने लगा और शालिनी उसके आगे अपना चेहरा कर देती है

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अरुण चिखते सिस्क्ते हुए अपना जोर लगाकर शालिनी के मुह पर जीभ कर झडने लगता है - ओह्ह्ह मामीईई लोह्ह मेरी सेक्सी मामीईई अह्ह्ह आह्ह लो पी जाओ उह्ह्ह्ह उम्म्ंम

शालिनी उस्का लन्ड मुह मे लेके चुसने चाटने लगी और फिर दोनो बिस्तर पर आगये ।

शालिनी - हम्म्म ये अच्छा था मेरी चुदक्कड़ मामी उम्म्ं

अरुण हल्का सा लजाया - हिहिही वो तो जोश जोश मे , सॉरी मेरी प्यारी मामी

शालिनी उसकी ओर करवत लेके उसका लन्ड सहलाती हुई - लेकिन मुझे तो अच्छा लगा मेरे चोदूराजा उम्म्ंम



शालिनी के स्पर्श से एक बार फिर उस्का लन्ड हल्का हल्का कसने लगा - आह्ह मामी सच मे आप बहुत सेक्सी हो

शालिनी - हा तभी तो मेरा बेटा भी मुझ पर फीदा है हिहिहिही वैसे तुने कब देखा उसे

अरुण - कई बार हमेशा उसकी नजर आप पर ही होती है और ये देखो

ये बोल कर अरुण उठा और झट से आलमारी से उसने शालिनी के पैंटी उसके दिखाई - ये देखो , ना जाने कितनी बार वो इसमे हिलाया होगा । अभी भी दागा है ।

शालिनी - अरे ये तो महिनो पहले गायब हुई थी , ये चोर था उम्म्ंम

अरुण- अब बोलो अब भी कोई शक है उम्म्ं
शालिनी - ये तो बड़ा बदमाश निकला उम्म्ंम, कल इसकी खबर लेती हूँ और भी कुछ छिपा रखा है क्या ?

अरूण- नही लेकिन आपने जरुर छिपा रखा है ?

शालिनी - मैने ? क्या ?
अरुण उसके करीब गया और उसके ननगे चुतड़ सहलाता हुआ - ये पीछे वाला छेद , अपनी दरारो मे हिहिहिही

शालिनी - धत्त बदमाश कही का हिहिहिही


अमन के घर

"उफ्फ्फ अह्ह्ह मेरे राजाह्ह्ह उफ्फ्फ कितना मोटा उह्ह्ह लग्ग्ग रहा है ऊहह आज फाड़ डालोगे क्या जी उह्ह्ह्ह ", ममता कस कस मुरारी के लन्ड पर उछल रही थी और dotted condom का असर आज उसकी चुत को भीतर से छील रहा था ।

मुरारी- क्यू जान ये नया तरीका पसंद नही आया उम्म्ंम अह्ह्ह मेरी जान ऐसे ही उफ्फ्फ कितनी जोश मे हो आज तुम अह्ह्ह सीईई

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ममता उसके कसे मोटे लण्ड पर हुमचती हुई - आह्ह मेरे राजा आह्ह तो मै पागल हो जाउंगी उह्ह्ह सीई जी कर रहा है आह्ह ऐसे हुमुच हुमुच कर फ़ाड दू इस छिल्ली हो अह्ह्ह सीईई

मुरारी- उफ्फ्फ मेरी जान अह्ह्ह्ह और और नही रुका जायेगा अह्ह्ह उम्म्ंम्ं

ममता - अह्ह्ह रुको ऐसे नही
मुरारी ने देखा ममता ने टाँगे उठाई और उसके सुपाड़े की टिप से कोंडोम को पकड़ कर उंगलियो मे लपेटती हुई बाहर खिंचने लगी ।

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जिससे उसके लन्ड की चमडी भी खिंचने लगी - आह्ह जान आराम से खिंच रहा है अह्ह्ह सीईईई ओह्ह

ममता ने कंडोम निकाल कर उसका मोटा लन्ड पकड कर अपनी बुर मे डाल दिया- अह्ह्ह मेरे राजहा उफ्फ्फ ये मजा उस छिल्ल्ली मे नही आता उह्ह्ह अह्ह्ह अब चोदीये ना उह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह और और उम्मममं


मुरारी - अह्ह्ह मेरी जान कितनी गर्म है तु आह्ह क्या कारण है अह्ह्ह
ममता - आह्ह मेरे सईया मेरे बालम उह्ह्ह आपकी नयी नयी तरकिबे मुझे जोश भर देती है और मन करता है ऐसे ही कस कस के अपना सारा रस निचोड लू उह्ह्ह्ह उफ्फ्फ हा ऐस्र ही प्लीज रुकना नही अमन के पापाअह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह आ रहा है अह्ह्ह अह्ह्ह माअह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ्फ

ममता भलभल कर उस्के लन्ड पर झड़ रही थी और मठ रही थी ।
फिर उसने अपनी बुर से मुरारी का लाल हुआ तपता लन्ड बाहर निकाल और चुत के मुहाने पर सुपाड़े को घिसने लगी

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भीतर की आंच से उबला हुआ मुरारी का लन्ड बाहर की मुलायम फाको का स्पर्श सह ना सका और भलभला कर झडने लगा - अह्ह्ह ममता मेरी जान ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह कितनी कामुक है तु ओह्ह्ह आह्ह्ह

ममता मुस्कुराती हुई उसकी पिचकारी अपनी बुर के होथो से पीती रही और उसका मुसल रगड़ती सहलाती रही ।

कुछ देर बाद
ममता मुरारी की बाहो मे थी - आपको लगता है वो आज करेंगे
मुरारी- मुझे पुरा यकिन है अमन की मा !
ममता मुस्कुरा कर - अच्छा अमन को भी यही वाला दिया क्या ?
मुरारी हस कर - नही उसको सादा वाला दिया , कही बहू को दिक्कत ना हो ।

ममता मुस्कुराती हुई - ह्म्म्ं देखो तो बहू के चुत की फिकर है मेरी नही
मुरारी- आह्ह मेरी जान तुम्हारी बुर तो अब भोस्डा हो गयी है इसकी क्या फिकर , और जी करता है इसमे पेलता रहू

ममता शर्मा कर - धत्त गन्दे छीईई कितना गन्दा बोलते हो आप
मुरारी- क्या गन्द बोला मैने
ममता शर्माती मुस्कुराती - वो भोस... छीई कैसा अजीब लगता है सुनने मे
मुरारी- आह्ह जान अच्छा तुम बताओ तुम्हे क्या पसंद है सुनना क्या बुलाऊ उसे कह कर

ममता - हिहिही सच मे बोल दू
मुरारी- हा बोल दो , जो कहोगी वही बुलाउन्गा उसे
ममता खिलखिलाती हुई - प्कका ना , पलट तो नही जाओगे
मुरारी ना मे सर हिलाया
ममता - खाओ मेरी कसम
मुरारी थोड़ा झेपा मगर हामी भर दी ।
ममता - आप ना इसे सन्गित कह कर बुलाओ मुझे अच्छा लगेगा

मुरारी एक पल को हसा और फिर ममता का मजाक समझ कर मुह बनाता हुआ - सच मे ? मतलब तु क्या बोल रही है पता है ?

ममता - मै नही जानती आपने कसम ली है तो बुलाना पडेगा ही हिहिहिही

मुरारी- अच्छा ठिक है खुश ना तु
ममता - हिहिहिही हा हा
अभी मुरारी ममता की शरारत के बारे मे सोच रहा था कि ममता उसकी छाती पर उंगलिया घुमाती हुई - ए जी सुनिये ना

मुरारी- क्या मेरी जान कहो
ममता - सीईई थोड़ा संगीता को प्यार करो ना ऊहह मन हो रहा है
मुरारी थोडा झेपा मगर ममता की शरारत समझ गया - तु ना बड़ी हरामन है हाहाहा
फिर अगले ही पल वो ममता की जांघो के बीच चुत के पास था

उसकी मादक गन्ध के मदमस्त होकर एक बार प्यार से उसे चमा है - आह्ह ममता कितना मुलायम चुत के होठ है तेरे

ममता हसती हुई - धत्त सही नाम लो ना , मेरी चुत के या संगीता के होठ
मुरारी समझ रहा था जानबूझ कर ममता उसे उसकी बहन को लेके छेड़ रही है - हम्म्म्म संगीता के होठ

ममता भीतर से कामुक हुए जा रही थी जिसका असर उसकी आंखो मे झलक रहा था - रसिले है ना संगीता के होठ
मुरारी भी ममता की कामुक जन्जाल मे फस कर कामोत्तेजक हुआ जा रहा था और उसे इसमे मजा भी आ रहा था - आह्ह हा मेरी जान बहुत ज्यादा रसिली है ।

ममता अपने कुल्हे उचका कर - चूसना चाहोगे संगीता के होठ उम्म्ंम्ं
मुरारी थुक गटक हा मे सर हिलाया ।
ममता - आह्ह तो चुसो ना मेरे राजाह्ह्ह
मुरारी की सिस्क भरी कामुक आग्रह को थुकरा ना सका और जीभ निकाल कर उसके बुर के रसिले होठ चाट लिये ।

ममता - सीईईई अह्ह्ह मेरे राजा उफ्फ्फ मेरे बालम अह्ह्ह और चाटो ना संगिता के होठ चुस लो ना मुह मे भर कर आह्ह ऐसे ही उफ्फ्फ मेरे राजहा अह्ह्ह सीईई उह्ह्ह

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मुरारी भी भरपुर जोश मे था और वो ममता की चुत को चुस चाट रहा था और उसका लन्ड खुब कडक खुब फैलादी हुआ जा रहा था - ओह्ह्ह मेरे राजा घुसाओ ना वो आह्ह लन्ड डालो ना
मुरारी- आह्ह हा मेरी जान उफ्फ्फ बहुत गर्म है अह्ह्ह

मुरारि ने थुक लगा कर उसकी चुत पर फिर से सेट किया और हचाक से लन्ड आधा उसकी बुर मे उतार दिया - ओह्ह मेरे राजा अह्ह्ह पेलो संगीता को अह्ह्ह

एक पल को मुरारी ठहर गया और संसय भरी नजरो से मुस्कुराती हुई ममता को देखा - क्या हुआ चोदीये ना मेरी संगीता को अह्ह्ह सीईई मेरे राजा रुको ना प्लीज अह्ह्ह

मुरारी मुस्कुरा कर -लेह्ह्ह मेरी जान घुसा दियाह्ह्ह्ह उह्ह्ह कितनी कसी है तेरी बुर अह्ह्ह सीई कितनी टाइट लगती है अह्ह्ह मेरी जान ऊहह

ममता - आह्ह मेरे ऐसे ही उम्म्ंम और कस के आह्ह अह्ह्ह उफ्फ़ ऐसे ही उम्म्म्ं और तेज चोदो मेरी संगीता को आह्ह सीईई उफ्फ्फ इह्ह मेरे राजा उह्ह्ह चोदो ना

मुरारी उसको चोदते चोदते हसने लगता जब ममता बिच बिच मे उसकी बहन संगीता का नाम लेती और ममता हस्ती हुई मगर कामुक अदा से - आह्ह मेरे राजा उह्ह्ह क्या हुआ पसंद नही आया नाम उन्म्म्ं बोलो अह्ह्ह बोलो ना उम्म्ं


मुरारी उसकी ओर झुक कर उसे पेलता हुआ मुस्कुरा कर - तुझे पसन्द है ना उम्म्ंम

ममता कामुक मे डूबती हुई हा मे सर हिलाई - पर ?
मुरारी बडे आहिस्ता आहिस्ता उसकी गीली बहती बुर मे लन्ड घिसता हुआ - क्या पर ?
ममता मुह बना कर - उह्ह्ह आप भी नाम लो ना उसका प्यार से उम्म्ंम प्लीज


मुरारी लन्ड एकदम से ममता की गर्म बुर मे फड़कने लगा - अह्ह्ह मेरी जान क्यू नही अभी देख मै कैसे तेरी संगीता को चोदता हु लेह्ह्ह देख आह्ह उम्म्ंम

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ममता - अह्ह्ह मेरे राजहा ऐसे ही उफ्फ्फ्फ आह्ह हा और तेज्ज उफ्फ्फ अह्ह्ह
मुरारी- लेह्ह्ह मेरी जान और लेह्ह अपनी संगीता मे मेरा मोटा लन्ड उफ्फ्फ

ममता - क्या वो सिर्फ मेरी ही संगीता है आपकी नही उम्म्ंम बोलो
मुरारी झेप कर हसता हुआ और दुगने जोश मे उसे पेलता हुआ - अह्ह्ह मेरी जान क्यू नही देख पेल रहा हु ना अपनी संगीता को अह्ह्ह लेह्ह देख कैसे सटासट जा रहा है उफ्फ्फ उम्म्ंम्ं उफ्फ़ मेरी जान अह्ह्ह

ममता - हा मेरे राजा ऐसे ही और हचक के चोदो अपनी संगीता को आह्ह आह्ह रुकना नही ऊहह ऐसे ही

मुरारी पूरे जोश मे ममता की बुर के घपा घपा पेले जा रहा था - आह्ह मेरी संगीता लेह्ह्ह आज फ़ाड दून्गा तुझे अह्ह्ह सीईई अह्ह्ह मेरी जान उह्ह्ह्ह

ममता -हा मेरी जान और चोदो उह्ह्ह फाडो ऊहह आह्ह्ह पेलो और कस के आह्ह आह्ह हा ऐसे ही ऐसे ही चोदो मेरे राजा अपनी संगीता को अह्ह्ह बहुत चुद्क्क्ड है हमेशा लन्ड खोजती है आज चोद चोद के इसकी खुजली मिटा दो

ममता के दोहरे कामुक संवाद से मुरारी चरम पर पहुच रहा था उस्के जहन मे चल रहा था कि वो सच मे अपनी बहन चोद रहा है - अह्ह्ह संगीता अह्ह्ह्ह लेह्ह्ह और लेह्ह्ह ऊहह आज फाड़ दूँगा तेरी चुत उह्ह्ह मुझसे पहले क्यू नही चुदवाया अह्ह्ह मेरी रानी अह्ह्ह मेरी बहना अह्ह्ह आह्ह उफ्फ्फ्फ आयेगा

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ममता - हा मेरे राजा भर दो भर अपनी बहना की बुर ऊहह भर दो अपनी संगीता की चुत अह्ह्ह आह्ह उफ्फ़ कितना गर्म है आह्ह मेरे राजह्ह्ह सीईई अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ उह्ह्ह्ह्ह

मुरारी ममता की बुर के लन्ड घुसाये भीतर तक संगीता के नाम पर झडता रहा और ममता उसको अपने जिस्म से कसे हुए उस्का लन्ड निचोडती रही ।

कुछ देर मे मुरारी ने अपना होश सम्भाला और मुस्कुराता हुआ शर्मिंदा नजरो से मुस्कुराती हुई ममता को देखा - धत्त तु बड़ी दुष्ट है
ममता - अरे मैने क्या किया , पता नही मुझे चोदते हुए कब अपने ख्यालो मे अपनी बहना को चोदने लगे हिहिहिही
मुरारी हसता हुआ उसके उपर से हट कर - हट जा पगलैट कही की

ममता खिलखिला रही और मुरारी अपने जगह पर आकर लेट गया ।
ममता फिर से उसके करीब आई - ए जी सुनिये ना
मुरारी मुस्कुरा कर - अब सो जा ना अमन की मा
ममता उसके गाल छू कर अपनी ओर करती हुई - ए जी सुनिये तो पहले
मुरारी को लाज आ रही थी तो वो ममता की ओर पीठ कर करवट हो गया । इसपे ममता मुस्कराती हुई उसको नंगी ही पीछे से हग करती हुई - ए मेरे बहिनचोद सईया सुनिये ना ।

मुरारि को उसकी बातो से लाज भरि हसी आ रही थी - हम्म्म बोलो
ममता - कैसा लगा आज बहिनचोद बनके हिहिहिही

मुरारी उसकी ओर घूम कर - भाइ सो जा ना चुपचाप , क्यू परेशान कर रही है ।
ममता उसको छेड़ती हुई - अच्छा कल क्या नया करने का सोचा है ।

कल की बात करते ही मुरारी के जहन मे अमन का ख्याल आया और वो ब्रा पैंटी जो उसने ओर्डर दी वो भी ।
मुरारी मुस्कुरा कर उसको अपनी बाहों ने भरता हुआ - कल का तरीका आज से बहुत ज्यादा सेक्सी होगा , कर लोगि ना

ममता जिज्ञासा से चहक कर - सच मे , बोलो ना मै सब करूंगी हिहिही मेरे बालन बहिनचोद

मुरारी हसता हुआ - वो तो कल तक सरप्राइज रहेगा

फिर दोनो मिया बीवी हस्ते खिल्खिलाते एकदुसरे से चिपक कर सो गये ।


जारी रहेगी
Superb Update :booby2: :booby2: :booby2: :booby2: :bj2: :bj2: :bj2:
 

ajaydas241

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UPDATE 215

अमन के घर

सुबह के 8 बज रहे थे और अमन सोकर उठा उसका मोटा खुन्टा एकदम बौराया तनमाया हुआ अंडरवियर के भीतर से ही सलामी दे रहा था
उबासी लेते हुए उसने आस पास देखा तो सोनल नही दिखी और फिर वो बाथरूम की ओर बढ़ गया ।

ठकठक!!

"जानू दरवाजा तो खोलो "
"आह्ह बेबी प्लीज आप दुसरे बाथरूम मे चले जाओ प्लीज प्लीज "
" अरे क्या हुआ , खोलो ना मुझे जोरो की पेसाब लगी है यार बेबी आह्ह "
सोनल बाथरूम से - नही बाबू अभी नही प्लीज, मै फ्रेश हो रही हु आज आह्ह प्लीज दुसरे बाथरूम मे चले जाओ ना प्लीज ।

अमन - ओह्ह ठिक है बाबू , मै भाभी वाले कमरे मे जाता हु ।
अमन ने एक पैंट डाला और लन्ड सेट कर कमरे से निकल गया और गैलरी होकर दुलारि के कमरे के दरवाजे पर हाथ रखा ही था कि वो खुद से खुल गया और आधे खुले दरवाजे पर अमन ने सामने देखा तो सामने रिन्की हाथ मे दुलारी का मोबाइल लेके देख रही थी और दुसरा उसका आगे जांघो पर था

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रिन्की को अभी तक दरवाजा खुलने की भनक नही मिली थी और अमन की नजर जैसे ही मोबाईल स्क्रीन पर चल रही पोर्न वीडियो पर गयी उसका लन्ड एकदम से सरसरा कर उफनाने लगा
लन्ड की कसावट के साथ पैंट मे हरकत करने लगी ।
अमन अपना सुपाडा भींच कर दबे पाव कमरे मे दाखिल हुआ तो पाया कि रिन्की तो सुबह सुबह ही पोर्न देख कर अपनी चुत मसल रही थी ।

अमन से रहा नही गया पहले से उस्का लन्ड अक्ड़ा हुआ था उसपे से रिन्की की हरकत ने उस्का मूड और कडक कर दिया ।

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लन्ड की नसे पहले से पेसाब के जोर से फूली हुई थी उसपे से रिन्की को अपनी बुर मसलता देख अमन से बर्दाश्त ना हुआ और अपना लन्ड बाहर निकाल कर वो सहलाने लगा ।
तभी उसकी नजर कमरे के खुले दरवाजे पर गयी और वो झट से अपना लन्ड पैंट मे डाल कर धीरे से बिल्ली सी आहट लिये कमरेका दरवाजा लगा कर चटखनी लगा दी और दबे पाव रिन्की के पास - ये क्या कर रही है तु सुबह सुबह

रिन्की एकदम से चौक गयी इतना कि उसके हाथ मोबाईल छुट कर गिरते गिरते बचा - इह्ह्ह्ह मम्मीई ,

फिर अगले ही पला उसकी नजर अमन पर गयी तो एक गहरि आह भरती हुई मुस्कुराती हुई - अह्ह्ह भैया आप हो ,मै तो डर गयी कि कौन है ।

अमन अचरज से - ये क्या कर रही है तु , अभी कल शाम को तुझे पनिश किया अकल ठिकाने नही आई तेरी और अब ये सब ?

रिन्की थोड़ी लजाती हुई - सॉरी भैया वो भाभी के मोबाइल मे था तो मैने देख रही थी , प्लीज उनको मत बताना ।

अमन आन्खे चढा कर - निचे कुछ डाल रही थी ना तु, सच सच बोल

रिन्की झट से अपनी फ्रॉक उठा कर टाँगे खोल दी और उसकी गुलाबी पैंटी पर चुत वाले हिस्से का दाग साफ साफ झलकने लगा
अमन ने भी हिम्म्त कर हाथ आगे बढा कर सिधा उसकी बुर को पैंटी के गिले वाले हिस्से से छुते हुए - फिर ये क्या है ,ये गीला क्यू है बोला

अमन के स्पर्श से रिन्की की चुत और रसाने लगी उसके जिस्म मे सरसरी सी दौड़ गयि , गरदन अकड़ गये , आंखे बन्द ही गयि और मुह से महिन कामुक सिसकीया उठने लगी - सीईईई अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ह नहीईई उह्ह्ह्ह

अमन रिन्की के चेहरे के मादक भाव पढ कर अपनी उंगलियाँ उसकी बुर पर घुमाते हुए - उम्म्ंम बोल ये कैसे गीली हुई , बहुत शरारती हो गयी है तु । तेरी शिकायत करनी पड़ेगी बुआ से ।

रिन्की आंखे उलटती हुई -- अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं ओह्ह्ह्ह

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रिन्की के हाथ टटोलते हुए अमन के पैंट का खुन्टा सहलाने लगे और अमन का जोश चार गुना हो गया - अह्ह्ह देखो तो बेशर्म को क्या कर रही है

रिन्की - उम्म्ंम भैयाह्ह्ह्ह कितना मोटा है आपका निकालो नह्ह्ह सीईई अह्ह्ह

अमन उसकी बातें सुन कर भितर से हिल गया और उसका लन्ड एक दम से फ़ाड कर बाहर आने को बेताब होने लगा , वो उसकी बुर सहलाते हुए उसके लिप्स चुसने लगा ।


अमन तेजी से अपना पैंट खोल्कर कर उफनाता कडक मोटा मुसल बाहल निकाल
अमन का मोटा लाल सुपाडे वाला लन्द देख कर रिन्की उसपे झपट सी पड़ी - अह्ह्ह भैयाअह्ह्ज सुउउउऊ उम्म्ंम कितना मोटा और बडा है अह्ह्ह उफ्फ्फ्फ उम्म्ंम्ं उमाअह उमाह्ह्ह

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रिन्की उसके तने और सुपाड़े को चुम्मिया दिये जा रही थी और सहला रही थी - उफ्फ्फ भैया कितना प्यारा है ये आह्ह और बहुत गर्म हैया उम्मममं
अगले ही पल वो सुपाड़े को घोट गयी - अह्ह्ह सीईईई उफफ़फ़फ रिन्कीईई अह्ह्ह गुड़ियाअह्ह्ह उम्म्ंम्ं ऐसे ही बच्चा अह्ह्ह तुझे तो ये भी आता है रे अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं

रिन्की लगातार मुह मे लन्ड लेके चुबला रही थी और अमन उसका सर सहला रहा था - अह्ह्ह गुड़िया अह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्चू उम्म्ंम्ं और क्या आता है तुझे उम्म्ंम बोल न


रिन्की निचे फर्श पर बैठ गयि और बड़ा सा मुह खोल कर गले तक मुसल को ले जाने लगी - अह्ह्ह गुड़िया सच मे बड़ी हो गयि है तु अह्ह्ज कहा से सिख रही है अह्ह्ह

रिन्की मुह मे लन्ड को भरे हुए उसके आड़ो को मिजने लगी जिससे अमन के पेड़ू मे पेसाब की थैली मे जोर आया और पेसाब का प्रेसर एक बार फिर जोर पक्डने लगा - अह्ह्ह गुड़िया आराम से अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ

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रिन्की अमन का टोपा अपने नुकीली जिभ पर घिसने लगी , जिससे सुपाड़े की गांठ उसकी लन्ड के नसो की पक्ड को कमजोर करने लगी - अह्ह्ह गुड़िया नहीईई अह्ह्ह आ जायेगा उह्ह्ह्ह्ह रुक जाह्ह्ह उफ्फ़फ्फ

रिन्की प्यासी थी और भितर से जल रही , वो अमन के रस से नहाने को आतुर थी - अह्ह्ह भैयह्ह्ह निकालो ना ऊहह मुझे पिना हैया हज्ज

अमन - आह्ह नही गुड़िया वो वोहहहह नहीई रुक ना ऐसे मत कर

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रिन्की अब अमन का लन्ड पक्ड कर अपने नरम मुलायम होठो पर रगड़ने लगी जिस्से अमन की हालात पूरी तरह से खराब हो गयी , उसका अपने मुसल पर सारा नियन्त्रण खो सा गया और चिन्घाड़ते हुए उसने अपने सुपाड़े का फब्बारा खोल दिया और अगले ही पल छरछरा कर तेज गर्म जलती मूत की धार रिन्की के होठो पर टकराई - उह्ंम्ंंम भैयाअह्ह्ह्ह येह्ह्ह क्यह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह

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अमन अब चाह कर भी अपने मूत की धार नही रोक सकता था और रिन्की के लिए ये अनोखा अनुभ्व था वो अमन के मूत से नहा रही थी और खिलखिला रही थी

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अमन अपने सुपाडा साध कर उसके मुह पर किये हुए सारी धार रिन्की पर छोद रहा था और रिन्की कभी मुह खोल कर उसका पेसाब गटक तो कभी अपने नरम मुलायम मौसमीयो पर लेती - अह्ह्ह भाईयज्ज्जज उफ्फ्फ्फ्फ हिहिही मजा आ गया अह्ह्ह हिहिही उफ्फ़ग्फ्ग उम्म्ंम्म्ं

अमन भी अपनी टंकी खाली कर खुश था कि इस हरकत के लिए रिन्की जरा भी नाराज नही हुई - सॉरी बच्चा वो मुझे पेसाब लगी थी और मै रोक नही पाया

रिन्की खिलखिलाती हुई उसका लन्ड सहलाती हुई - कोई बात नही भैया मुझे आपके पानी से नहा कर मजा आया हिहिहिही लेकिन गर्म था बहुत

तभी गलियारे मे आहत होने लगी और दुलारी की आवाज सुनाई दी जो रिन्की को ही बुला रही थी ।

अमन - अब क्या होगा , भाभी आ रही है
रिन्की - आप दरवाजे के पीछे छिप जाओ मै दरवाजा खोलती हु

अमन चौक कर -क्या ऐसे ही भिगे हुए
रिन्की - रिलैक्स भैया चिल
रिन्की ने जैसा कहा अमन से वैसा किया और दरवाजे के पीछे होकर और रिन्की ने वैसे ही दरवाजा खोला ।

दुलारी- अरे तु ऐसे ,नहा रही थी क्या ?
रिन्की - हा भाभी , आपके चक्कर मे फिर से कपडे डाल कर आई हु , बोलो क्या बात है ?

दुलारी- अच्छा तु नहा कर आ निचे नाशता बनाना है । आज फिर बाजार जाने की तैयारियाँ हो रही है । कल दुलहन के ससुराल वाले आयेंगे ना

ये बदबू कैसी आ रही है", दुलारी ने अपनी नाक बन्द करते हुए बोली ।
रिन्की - पता नही भाभी ,आप चलो मै नहा कर आती हु बाय बाय

दुलारी- अरे सुन तो उफ्फ्फ ये लडकी भी ना ,
दुलारी अपना माथा पीटती हुई घूम गयी और उसकी नजर सोनल के कमरे पर गयी - हम्म्म जरा देवर जी के हाल चाल लेलू ।

अमन के कान मे दुलारी के शब्द जैसे ही पड़े वो और रिन्की इशारो मे फुसफुसाने लगे

अमन - सॉरी बच्चा अगर सोनल ने बता दिया कि मै यहा आया हु तो चोरी पकड़ी जायेगी हमारी
रिन्की उखड़ कर - तो फिर कब
अमन - आऊंगा ना गुड़िया अभी देखता हु
ये बोलकर अमन धीरे से कमरे से निकल कर जिने की सीढियो पर उपर की तरह दो सीढ़ी चढ कर उतरता हुआ तेजी से निचे आया ताकि दुलारी नोटिस करे उसे ।

दुलारी ने तुरंत पलट कर अमन को जीने से निचे आते देखा - ओहो मेरे देवर बाबू कहा सुबह सुबह उपर से

अमन - वो भाभी बस सोचा टहल लू , आप इधर ?
दुलारी- मै सोच रही थी कि मेरी देवरानी की हालत पुछ लू , सारी रात साढ़ को चढा कर सोती है बेचारी

अमन धीरे से साडी के उपर से दुलारी की गाड़ दबोच कर - अच्छा तो आप ही आजाया करो दर्द बाटने

" धत्त छोड़ो ना ", दुलारी ने झटके से अमन का हाथ अपने कुल्हे से हटाया और हस्ती हुइ कमरे मे दाखिल हुई ।
जहा सोनल नहा कर तैयार हो रही थी ।


राहुल के घर

देर सुबह की अंगड़ाई के साथ अरुण के दिन की शुरुवात हुई थी और वो उबासी लेता हुआ हाल मे आया ।
हाल मे चाय की चुस्की के जंगी नासता कर रहा था और शालिनी बालो मे तौलिया लगाये एक नाइटी मे किचन ने काम कर रही थी ।
शालिनी ने अरुण को देखा और मुस्कुरा दी और अरुण ने भी एक बदले मे एक फ्लाइंग किस्स चुपके से देकर मुस्कुराया ।
शालिनी इतराते हुए हाल मे आई और सर से तौलिया निकाल कर अपने गीले बालों को झटका और उन्हे सुखाने लगी ।

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अब उसकी चुचियों को घाटियाँ उसकी नाईटी से आधी बाहर आती नजर आने लगी ।
जंगी बीते रात शालिनी के व्यव्हार से अलग ही खुन्नस मे था और उसने शालिनी एक शब्द बात नही की और शालिनी ने भी रुचि नही दिखाई ।
चाय का प्याला खतम कर जंगी उठ कर दुकान की ओर बढ गया और मौका देख कर अरुण शालिनी की ओर बढ़ना चाह रहा था कि शालिनी ने उसे टोका - नही नही , राहुल आता होगा अभी ।

और उसके कहने की देरी थी राहुल हाल मे आ गया था । शालिनी - तुम दोनो बारि बारी नहा लो फिर नासता कर लेना

राहुल - हा पहले मै जाता हूँ
अरुण ने कोई जल्दबाजी नही दिखाई और बस राहुल को कमरे से बाथरूम मे जाने की राह निहारता और जैसे ही राहुल बाथरूम मे घुसा अरुण लपक कर किचन मे शालीनी को पीछे से दबोच लिया - उम्म्ंम्ं क्या कर रहा है छोड ना , वो आ जायेगा भाइ

अरुण पीछे से लोवर मे तना हुआ मुसल शालिनी की गाड़ पर चुभोता हुआ उसके भिगे बालों के पास कान के करीब चूमता हुआ - अह्ह्ह मामी आप बहुत खुबसूरत हो उम्म्ंम आपके जिस्म की खुस्बू उम्म्ंम्म्ं और ये नरमी अह्ह्ह्ह

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शालिनी खिलखिलाती हुई - धत्त बदमाश दुर हट गुदगुदी हो रही है मुझे

मगर अरुण उसको और कस कर बाहों मे भर लिया और उसके हाथ उपर से शालिनी के नाइटी मे घुसने लगे । शालिनी की कसमसाहट और कुनमुनाना और तेज होने लगा - अह्ह्ह बेटा उम्म्ंम रहने दे ना
अरुण शालिनी के नाइटी मे हाथ घुसा कर ब्रा के उपर से उसकी कसी हुई चूचिया मिजता हुआ - उफ्फ्फ मामी अह्ह्ह कितनी सेक्सी हो आप अह्ह्ज आपके दूध बहुत कसे हुए है अह्ह्ह और बहुत नरम है उह्ह्ह्ह

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शालिनी - अह्ह्ह बेटा हाथ बाहर निकाल उम्मममं
अरुण हाथ बाहर निकाल कर शालिनी के जिस्म पर खुद को घिसने लगा - उम्म्ंम मामी आपको देख कर ही मेरा खडा हो जाता है अह्ह्ह देखो ना कैसे फूल रहा है अह्ह्ह मामी उम्म्ं कुछ करो ना

शालिनी ने हाथ पीछे कर अरुण का कड़क फड़फडाता मुसल पकड़ा और उसका रोम रोम सिहर उठा , उसके जिस्म मे कपकपी बढने लगी एक बार फिर उसका जी अरून के कड़क लन्ड के लिए ललचा गया ।
लेकिन जहन मे राहुल का ख्याल भी आ रहा था कि कही वो आ ना जाये
लगातार किचन के बाहर नजर बनाये हुए उसके अरुण का लोवर निचे कर उसके अंडरवियर के उपर से ही उसका कड़क मोटा लन्ड सहलाने लगी - अह्ह्ह मामीईई उह्ह्ह आपका टच मुझेहहह उम्म्ंम अह्ह्ह

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अरुन की सासे भारी होने लगी और उसका लन्ड अंडरवियर मे और ज्यादा फुलने लगा , शालिनी उसके आड़ो को छू सहला रही थी - अह्ह्ह बेटा ना जाने क्या जादू कर रखा है तुने तेरा कसा हुआ ये मोटा खुन्टा देख कर मेरा मन डोल जाता है अह्ह्ज

अरुण उसके कंधे से नाइटी सरका कर ब्रा के उपर से उसकी मुलायम चुचिया मिजता हुआ - आह्ह मामी इतना पसंद है तो चुस लो ना आह्ह देखो कैसे फड़क रहा है

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शालिनी सरक कर घुटनो पर आकार अंडरवियर के उपर से अरुण के मोटे लन्ड को चूमने लगी और अरुण मामी की कामुक हरकतो से और पागल हुआ जा रहा था ।
उसकी कामुक्ता बढती जा रही थी लन्ड की नसे खुब फड़फ्ड़ा रही थी और सुपाडा पुरा फूल कर लाल हुआ जा रहा था ।
शालिनी ने अंडरवियर खिंच कर निचे किया और अरुण का मोटा तनमनाया मुसल उछल कर शालिनी के समाने आया


" बेटा बाहर देखना " , ये बोल कर शालिनी ने अगले ही पल अरुण का मोटा मुसल थाम कर उसके सूपाडे को चुबलाने लगी - आह्ह मामीईई ओफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ उम्म्ंम क्या मसत चूस्ती हो आप उम्म्ंम्ं अह्ह्ह्ह सीईई ओह्ह्ह

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शालिनी लन्ड को मसल मसल कर मुह मे लेकर गिला कर रही थी और अरुण का लन्ड उसके हाथो मे खुब फड़क रहा था ।
अरुण का मुसल सा लन्ड शालिनी की चुसाई से एकदम रॉड के जैसे टाइट हो गया था नसे फुल कर तन गयी थी और बिना किसी सहारे अब उसका लन्ड सर उठाए नाग की तरफ फनफनाया हुआ था ।

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शालिनी ने उसके आड़ो को टटोलती हुई अपनी जीभ की टिप को उसके सुपाड़े की गांठ पर फ्लिक करती हुई नीचे तने को चाटने लगी ।
जिससे अरुण की हालत और खराब होने लगी - ओह्ह्ह मामीईई ओह्ह्ह सीईई उम्म्ंम्ं फ्क्क्क्क उम्म्ंम्ं ऐसे हीईई आह्ह आराम से ऊहह दर्द करेगा वोह्ह उम्म्ंम्ं उफ्फ्फ

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शालिनी जीभ नचाती हुई अब अरुण के आड़ो तक आ पहुची थी और उसके कडक कसे हुए आड़ को मुह मे भर कर चुबलाने लगी ।
शालिनी का ये नया और अनोखा रूप देख कर अरुण हवा मे उड़ने लगा - इह्ह्ह मामी कमाल हो तुम उह्ह्ह आज तक्क्क अह्ह्ह सीई आज तक किसी ने ऐसे मेरा लण्ड नही चूसा था ।

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मामी - आज तक ऐसा कदक लन्ड भी नही मिला मुझे उम्म्ंम्म्ं सीईईई कितना टाइट है रेझ्ह्ह उम्म्ंम्म्ं
शालिनी उसके आड़ो को मिजते हुए उसके लन्ड को मुह मेभर ली
और अरुण की सासे उफनाने लगी , लगातार आड़ो पर हो रही हरकत से उस्का जोश और बढ़ने लगा - उह्ह्ह मामीईई तुम तो पोर्नस्टार से कम नही हो उम्म्ंम आह्ह खा जाओ मेरा मुसल उन्म्म्ं ओह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम्ं अह्ह्ह्ह
शालिनी लगातार उस्का सुपाडा सुरुकते हुए लन्ड चुस रही थी

अरुण की हालत और खराब हो रही थी उसके भीतर जोश उमड रहा था और आग सी दहकने लगी थी , वो शालिनी का सर पक्ड कर उसके मुह मे लण्ड पेलने लगा ।शालिनी उसका लन्ड गले तक लेने लगी - अह्ह्ह मेरी सेक्सी चुदक्कड़ रानी उम्म्ंम लेह्ह अह्झ उह्ह्ह्ह मेरी जान उह्ह्ह और लेह्ह्ह

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अरुण पूरे जोश मे शालिनी के मुह मे लन्ड ठुसे जा रहा था और शालिनी की सासे अब फुलनी शुरु हो गयी थी , आंखे बड़ी होनी लगी और वो लन्ड छोड़ना चाह रही थी मगर अरुण जबरन

मुह मे ठूसता हुआ तेजी से लन्ड भी हिला रहा था - अह्ह्ह मामीईई उह्ह्ह्ह रुको नाअह्ह्ह आयेगगा उह्ह्ह माय सेक्सी उह्ह्ह माय बेबी इह्ह्ह येस्स्स येस्स आ रहा है अह्ह्ह रहा है मामी अह्ह्ह उह्ह्ह्ह लेलो लेलोह्ह्ह उम्म्ंम्ममम्ं अह्ह्ह्ह्ह्ह्ज

अरुण भरपूर चिन्घाडता हुआ तेज पिचकारी शालिनी के मुह मे ही छोड ने लगा , इतनी बड़ी मोटी धार जैसे अरुण उस्के मुह मे मूत रहा हो ऐसे वीर्य की तेज धार उसके गिर रही थी

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और उसका गला चोक करने लगा तो वो झटके से पीछे हटी मगर अरुण अपने लन्ड से वीर्य की गाढी धार अपनी मामी पर फेकता रहा , शालिनी की ब्रा छाती पर उसकी पिचकारी छुटती रही शालिनी पूरा उसके रस नहा चुकी थी ।

अरुण आखिर बूँद तक शालिनी के मुह पर झडता रहा और शालिनी का चेहरा उसके रस से पुरा सना चुका था
शालिनी अपने छाती चेहरे पर उंगलिया लगा कर उसके रस को चुबला कर उसके बड़ी मदहोश नजरो से निहार रही थी और अरून मुस्कुरा रहा था

शालिनी - अह्ह्ह इत्ना सारा रस उम्म्ंम रात मे क्यू छिपा कर रखा था रे उम्म्ंम कितना नमकीन है उम्म्ंम्म्ं

अरून- आह्ह मामी तुमने रात को ऐसे चुसा होता तो रात मे भी तुम्हे नहला दिया होता हिहिही
शालिनी उठ कर बेसिन मे अपने मुह धूलने लगी और अरुण अपने कपडे पहनने लगा इस बात से बेखबर की इनकी सारी करतुत किचन के बाहर दिवाल से लग कर खडा राहुल सब सुन रहा था ।
उसका मुसल एकदम तना खड़ा टाइट था ये देख कर कि उसकी मा सच मे रन्डी है इधर पापा से झगड कर अपने भतिजे से चुदने चली गयि ।

राहुल झट से वहा से निकल कर अपने कमरे मे चला गया और इधर शालिनी अरुण के राहुल को रंगे हाथ पक्डने की योजना बनाने लगी ।


राज के घर

नाश्ते का समय हो गया था और रात देर तक अपने भैया के साथ निशा की चुदाई कर अनुज भी आज देर से उठा ।
फ्रेश होकर निचे हाल मे उतरा और देखा तो सब नाश्ता कर रहे है ।

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रज्जो मौसी वही सोफे के पास खड़ी थी उसकी बड़ी सी गाड़ साडी मे खुब उभरी हुई थी उसपे से कसी हुई साडी मे कमर और कामुक नजर आ रही थी ।
अनुज का लन्ड फौरन झटके खाने लगा और वो मन मे बड़बडाया - उफ्फ्फ मौसी ती पीछे से और भी गदराई हुई है ।
अनुज सीधा रज्जो के पास आकर उसके उपर झोलने लगा , रज्जो ने मुस्कुरा कर उसको पकड़ा ।

राज - लो नवाब साहब आ गये हिहिहिही
रज्जो उसको डांटती हुई अनुज के बाल सहलाती हुई - तु चुप कर , मेरा बेटा कितना काम करता और कुछ कह्ता भी नही ।आजा लल्ला नाश्ता कर लें ।

अनुज अपनी मौसी से चिपक कर - हा मौसी आपको ही मेरी मम्मी होना चाहिए था , उनको देखो अपने बेटे का जरा भी ख्याल नही होता ।

रागिनी किचन मे खड़ी खड़ी हसने लगती है ।
राज - चल चल नाटक मत कर नाश्ता कर और दुकान खोल।

अनुज भुनभुनाते - क्या न्हीई मौसी प्लीज आज दुकान नही उहुहहु

रज्जो प्यार से उसका गाल सहलाती हुई -हा लल्ला मत जाना आज तु हमारे साथ बाजार चलना ठिक है ।

अनुज खुश हुआ और नासता करने लगा , अनुज की बातो पर घर मे सब हस रहे थे वही रन्गी नासता करके दुकान के लिए निकल गया ।
रज्जो भी काम मे उलझ गयी ।

मौका देख कर राज अनुज से - तु तो मौसी का बड़ा दुलारा होता जा रहा है रे उम्म्ं मेरी तो कोई सुन ही नही रहा

अनुज ने मुह बनाया - जैसे आप बुआ के दुलारे हो वैसे मै मौसी का हुउह
राज अचरज से हस कर - अरे तुझे क्या हुआ , ऐसे क्यू भडक रहा है ।

अनुज मुह बनाता हुआ - हुह छोडो जाने दो , आप तो मुझे अपना नही समझते ।
राज -अरे बोलेगा क्या बात है ?
अनुज आस पास देख कर धीरे से आंखे दिखाता हुआ - बुआ वाली बात आपने मुझसे क्यू छिपाई ।

अनुज ने भले ही साफ साफ लफजो मे ना कहा हो कुछ मगर राज उसके चेहरे के भाव पढ कर ही समझ गया कि अनुज को जरुर शिला बुआ के साथ चुदाई की भनक लग गयी है और वो थोडा मुस्कुराता हुआ सीधा बैठ गया ।
अनुज - अब हस क्यू रहे हो बोलो
राज - तुझे कैसे पता इस बारे मे ?
अनुज - कल शाम को बुआ ने बताया
राज चौक कर - तो क्या तु बुआ को कल शाम को ही
अनुज - नही उस्का मौका नही मिला वो हुआ यू कि

फिर अनुज ने शाम की सारी कहानी राज को सुनाई - ऐसे हुआ था ।
राज उसके गाल खिंच कर हसत हुआ - साले बहुत तेज हो गया है तु हिहिहिही

अनुज - हा और आप बहुत छिपाते हो मुझ्से कह रहे थे पढ़ाई पर ध्यान दे बुआ को बाद मे हुउह

राज - अरे भाई नाराज ना हो , अगर तुझे कूछ करना है अभी जा । बुआ कमरे मे तैयार हो रही है ।

राज - मै मा और मौसी सबको बिजी रखता हु जा जा

राज की बात सुनते ही अनुज की लार टपकने लगी और उसका लन्ड ठुमकने लगा ।
वो धीरे से उठा और किचन ने मा मौसी को बिजी देख कर चुपचाप गेस्ट रूम मे घुस गया ।

कमरे का दरवाजा खोला तो सामने देखा उफ्फ्च क्या नाजारा था - सामने शिला बुआ सिर्फ ब्रा और लेगी मे थी ।
आगे की ओर झुक कर खडे खड़े बिस्तर पर ही अपनी कुरती प्रेस कर रही थी ।

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झुकने की वजह से शिला की मोटी मोटी खरबजे सी भारी भरकम चुचिया ब्रा मे लटकी हुई बाहर आने को बेताब थी ।
बुआ का ये रूप देख कर अनुज का लन्ड एक पल मे ही फौलादी हो गया ।

अपना मुसल मसल्ते हुए वो कमरे मे दाखिल होकर दरवाजा भिड़काता हुआ - कही जा रहे हो क्या बुआ ?

शिला एक पल को चौकी - हाय दैयाआ उह्ह्ह तु है क्या ? मै समझी कौन आया ।

शिला - नही बेटा वो काटन की कुर्ती है ना तो बिना प्रेस किये नही पहनती मै

अनुज अपना सुपाडा मिजता हुआ शिला के पास खडा हुआ उसकी नजर अपनी बुआ के मोटे चुतड पर जमी थी

"आह्ह क्या मस्त मोटी गाड़ है बुआ की मन कर रहा है अभी घुसा कर हचक कर पेल दू " , अनुज मन मे बड़बडाया ।

वही शिला अनुज बगल मे खड़े होने का इरादा भाप चुकी थी और उसकी नजर अनुज के लोवर मे तने हुए मोटे खुन्ट पर भी जमी थी जो बडा सा तम्बू बनाये हुए थी
शिला की नजरे उसकी हरकतों पर जमी हुई थी जैसे ही अनुज के हाथ उसकी मोटे कूल्हो को दबोचने के लिए बढ़े मुस्करा - नहीईई अनुज बोला ना नहीईई

अनुज हसता हुआ अपना पुरा पन्जा खोल कर शिला की मोटी चर्बीदार चुतड को चप्प से जकड लेता है और उसको हिलाता हुआ - अह्ह्ह बुआ आपकी गाड़ बहुत मुलायम है

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शिला का जिस्म अनुज के पंजे की छाप से पुरा थरथरा जाता है - अह्ह्ह कमीने क्या कर रहा है उफ्फ्फ्फ लगा मुझे हट छोड़, छोड ना

शिला लगातार उसका हाथ हटाने की कोशिश करती मगर अनुज बेशरमी से शिला की गाड़ पर पन्जा जमाये हुए लेगी के उपर से ही अपनी उंगलिया उसके गाड़ के दरारो मे फ्साता जा रहा था - हिहिही न्हीई क्यू छोड़ू इसे देख कर तो जी करता है खा जाऊ कितनी रसिली लगती है आपकी ये गाड़

अनुज के उंगलियो की पकड़ अब उसके गाड़ के दरखतो तक जाने लगी और शिला बुर मे हरकत शुरु हो गयी - अह्ह्ह बेटा मान जा कोई आ जायेगा उह्ह्ह छोड ना

अनुज - उम्म्ं बुआ प्लीज करने दो ना , भैया को तो नही रोकती हो मुझे क्यू सीईई कितनी मुलायम गाड़ है आपकी उम्म्ंम्ं

जिस तरह से अनुज उसके चुतड़ के नरम नरम फूले हुए हिस्से मसल रहा था शिला भीतर उत्तेजित हुई जा रही थी

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वो दोनो हाथो से उसके मुलायम चुतड को आपस मे फ़्लैप कराये जा रहा था जिस्से शिला की बुर पर भी असर होने लगा था ,
अनुज - उफ्फ्फ बुआ कितना सेक्सी गाड़ है आपका उफ्फ्फ और बहुत बडा है उम्म्ंम मन कर रहा इसमे घुसा दुऊउउऊअह्ह्ह सीईई

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अगले ही पल अनुज ने लोवर के निचे से ही अपने सुपाड़े को शिला के गाड़ की नरम दरारो मे घुसेड़ने लगा
अनुज के सुपाड़े की रगड़ शिला अपने गाड़ के दरखतो मे पाकर सिस्क पड़ी- अह्ह्ह लल्ला मान जा कोई आ जायेगा अह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं उफ्फ्फ रहने दे बेटा

अनुज - ओह्ह्ह बुआ करने दो ना बहुत मुलायम मुलायम सा है अह्ह्ह रुको खोल कर घुसाता हु

शिला चौकी - क्याआ?? नही नही बेटा दरवाजाअह्ह खुह्ह आह्ह उफ्फ्फ कितना टाइट है रे अह्ह्ह्ह सीईई दरवाजा खुला है अनुज कोईईई आअहह जायेगा बेटा उम्म्ंमममं

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अनुज ने अपना लन्ड बाहर निकाल कर शिला के गाड़ की दरारो मे चुभो दिया था जिस्से शिला की चुत कूलबुलाने लगी थी ।


अनुज शिला की गाड़ मे अपने सुपाड़े की नोख चुभोता हुआ - अह्ह्ह बुआ कोई नही आयेगा उम्म्ंम रुको ना ऐसे ओह्ह्ह फ्क्क उम्म्ंम कितनी मस्त हो बुआ आप उह्ह्ह कितना मजा आता होगा फूफा को उह्ह्ह मन कर रहा है खोल कर घुसा दू आपकी गाड़ मेहहह

शिला - उह्ह्ह न्हीई न्हीई बेटा ऐसे ही कर ले कोई आ जयेगा जल्दी कर अह्ह्ह मेरे लाल कितना टाइट है मेरी बुर मे चोट कर रहा है अह्ह्ह मा उम्मममं रगड़ बेटा अह्ह्ह ऐसे उह्ह्ह

अनुज शिला की गाड़ के दरारो से ठिक निचे उसकी कसी टाइट जांघो मे लेगी के उपर से लन्ड पेलने लगा - ओह्ह बुआ कितना गर्म है आह्ह अह्ह्ह भीग भी गया है उम्म्ंम

शिला - ऊहह बेटा झड रही है तेरी बुआ अह्ह्ह निकाल दिया तुने रग्द रगड़ कर आह्ह उह्ह्ह
अनुज - आह्ह बुआ बहुत गर्म है अह्ह्ह सीईई मेरा लन्ड जल रहा है अह्ह्ह ओह्ह्ह फ्क्क्क्क उम्म्ं बुआआ मेरी सेक्सी बुआ मोटी मोटी गाड़ वाली बुआ अह्ह्ह

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शिला अनुज को और जोश दिलाती हुई अपनी गाड़ उसकी ओर फेकने लगी - है ना बेटा आह्ह मेरी गाड़ सेक्सी उम्म्ंम बोल ना है ना मोटी मोटी उम्म्ं बोल मजा आ रहा है

अनुज शिला की बातें सुन्कर और जोश मे कस कस कर उसकी जांघो मे अपना लन्ड पेलने लगा - हा बुआ बहुत मजा आ रहा है अह्ह्ह उह्ह्ह ओह्ह्ह बुआआआ अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह

शिला - क्या हुआ लल्ला बोल ना उम्म्ंम्ं बोल बेटा

अनुज - आह्ह बुआ मेरा आने वाला है ओह्ह्ह बुआ लेलो ना अह्ह्ह सीई ओह्ह्ह शिट शिट शिट अह्ह्ह बुआअह्ह्ह निकल रहा अह्ह्ह सीईई

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अनुज तेजी से अपना लन्ड का फब्बारा शिला की गाड़ पर छोड़ने लगा

शिला - अह्ह्ह बेटा ऊहह कितना गर्म हैया अह्ह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह

कुछ पल मे अनुज अपना लण्ड झाड़ कर खडा हुआ और शिला के गाल चूम लिया
शिला उसको धकेलती हुई - हट कमीना कही का , कर ली ना मनमानी तुने , अब फिर मुझे कपड़ा बदलना पडेगा

अनुज उसके चुचे सामने से सहलाता हुआ - बदल ना बुआ अपने भतिजे के लिए इतना नही करोगी
शिला लाज भरि मुस्कुराहट से - हट यहा से , अब बाहर जा

अनुज मुस्कुराता हुआ अपना लन्ड सेट कर बाहर चला गया और शिला अपने कपडे बदलने लगी ।



जारी रहेगी
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अमन के घर

10 बजने को हो रहे थे और हाल मे बैठकी चल रही थी , कल सोनल के मायके से आने वाले मेहमानो की खातिरदारी की बाते चल रही थी ।
ममता आज अलग मूड मे थी बार बार मुरारी के सामने अपनी ननद संगीता का नाम लेके अपने पति को छेड़ रही थी और मुरारी कभी उसे आंखे दिखाता तो कभी झेप कर हस ही पड़ता

वही मदन और संगीता के अपने ही इशारेबाजियां हो रही थी ,सन्गिता के अपनी आंखो से मदन को अपने इरादे जता रही थी जिससे मदन का खूटा पजामे खड़ा हो गया था ।
पेपर की आड़ वो कभी कभी अपने लाड़ खुजा भी देता और कभी कभी छिप कर अपनी बहन पर फलाइंग पप्पियां भी उछाल देता
मगर ममता की तेज नजरो से उनकी इश्क़बाजी छुपते नही छिप रही थी ।

ममता ने मुरारी को इशारे से दोनो कबूतरों की ओर तकाया और मुरारी मुस्कुरा पड़ा ।

इधर इनकी बातें हो रही थी
वही किचन मे आज सोनल भी दुलारी का हाथ बटा रही थी । चूल्हा छूने के लिए उसको अपनी सास ममता की ओर से सख्त मनाही थी तो सब्जी काट रही थी और दुलारी से उसकी बातें हो रही थी

इतने मे अमन तेजी से जीने से नीचे आता है और बाहर निकल जाता है ।
उसकी तेजी से सबको हैरत हुई कि क्या बात थी । सन्गिता और ममता ताज्जुब से उठ खड़ी हुई कि क्या बात हो गयी

कुछ ही मिंट मे अमन तेजी से हाल मे प्रवेश किया , अब उसके हाथ मे एक पैकेट था
ममता - क्या हुआ कहा गया था तेजी मे

अमन हसता हुआ एक नजर अपने पापा को देखा और बोला - मम्मी वो ये parcel आया था वो लेने गया

पारसल आने का सुन कर मुरारी के चेहरे की चमक बढ़ गयी और दिल मे जज्बात उमड़घुमड़ करने लगे ।
अमन बिना कुछ बोले सरपट उपर चला गया ।

हाल मे बैठे सबने इस बात को कैजुअली लिया मगर किचन मे दुलारी ने सोनल को छेड़ने लगी - उंहु देखो तो देवरानी जी के लिए गिफ्ट आया है

सोनल - उसमे उनके काम की चीज भी हो सकती है ना भाभी
दुलारी उसके कंधे से अपना कन्धा लड़ाती हुई मुस्कुरा कर - अरे मेरे देवर की सबसे काम की चीज तो तुम हो हिहिही

सोनल दुलारी के दोहरे मजाक पर हस पड़ी - हिहिही मै कैसे ?
दुलारी- अरे तुम ठहरी घर की सीधी गाय और मेरा देवर है जमीन मे गढा खुन्टा तो उसके काम की चीज तुम ही हुई ना ।

सोनल हस कर - फिर मुझसे पहले उस खूँटे मे कौन बन्धा हुआथा , आप ? हिहिहिही

दुलारी से सोनल की मसती पर हौले से उसकी चिकनी कमर पर चिमटी काटी- चुप कर तुझे चारा दी तो हाथ पकड़ ली उम्म्ंम

सोनल हसती हुई - घर की नयी गाय हूँ भाभी हिहिही अभी खाना सिख रही हु आपकी तरह मुझे खेतो मे चरना कहा आता है

दुलारी - तु तो बड़ी चंथ है रे हिहिहीही बातो बातो मे ही मुझे चित कर गयी

सोनल हसती हुई - कभी मेरी बहन निशा से नही मिली आप , कल आयेगी तो मिलाउन्गी हिहिहिही

दुलारी हस कर - अच्छा वो बछिया हिहिहिही
सोनल दुलारी की बात समझ नही पाई और अचरज से उसे देखा

दुलारि हसती हुई - सुना है इस बार हनीमून के सफर मे गईया अपनी पूंछ मे एक बछिया भी लेके जायेगी

सोनल अब दुलारी का तन्ज समझ गयी और लाज से हस दी - सोचा तो मैने था किसी खेतहर भैस को साथ लू मगर हो नही पाया ।

दुलारी हस्ती हुई - धत्त कमिनी तु बहुत दुष्ट है मुझे भैस बुला रही है
सोनल - आपके थन भैसो से ही मिलते है भाभी हिहिही
दुलारी खीझकर - और तेरे दूल्हे का लन्ड गदहे से

सोनल चौकी मगर दुलारी ने झटसे अपनी गलती सुधारती हुई बात को मजाक मे ले गयी मगर सोनल समझ गयी कि दुलारी ने कही ना कही और कभी ना कभी उसके सईया के खूँटे के चक्कर जरुर लगाये है ।

इधर इनकी बाते हसी ठिठौलि चल रही थी तो वही मुरारी को बेचैनी सी उठ रही थी कि क्या करे वो कि पारसल देखने कोमिल जाये


वही उपर दुलारी के कमरे मे अलग ही माहौल बनता दिख रहा था
अमन पारसल लेने निचे गया तो था मगर उसकी तेजी कारण पारसल नही बलकि रिन्की थी जो दुलारी के कमरे मे दरवाजे के पीछे बिना कैफरी के सिर्फ टीशर्ट और पैंटी छिप कर खड़ी थी ।

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अमन झटपट से कमरे मे भागता हुआ आया और कमरे मे चारो ओर नजर घुमाते हुए वो बेड की ओर बढ़ा मगर उसे रिन्की नजर नही आई जबतक कि रिन्की की शरारत भरी खिलखिलाहट उसके कानो मे नही गुंजि ।

अमन खड़े खड़े घूम कर पीछे देखा तो रिन्की दरवाजा बन्द करती हुई उसकी ओर देख रही थी ।
टीशर्ट के निचे से झांकती उसकी पैंटी उसके नरम मुलायम चुतड़ पर चिपके हुए थे और उसकी सुन्दर चिकनी बिना रोए वाली जान्घे कमरे की रोशनि मे झलक रही थी ।

अमन ने उसके खिले चेहरे को देखा और पीछे बिस्तर पर पैर लटका कर लेट गया ।
रिन्की मटकती इठलाती हुई उसके करीब आई और उसके जांघो को टटोलती हुई अपनी गाड़ उसके ओर फेकती हुई सीधा अमन के लन्ड पर बैठ गयी ।

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लोवर के उपर से रिन्की अमन के लन्ड पर अपनी गाड़ मथने लगी और अमन उसके नरम मुलायम चुतड का स्पर्श पाकर भीतर से सिहर उठा - उह्ह्ह्ह गुड़िया उम्म्ंम्म्ं कितनी मुलायम अह्ह्ह उम्म्ंम्ं

रिन्की भी अपने गाड़ के दरारो मे पैंटी के उपर से अमन का मोटा फड़कता मुसल पाकर मचल उठी थी उसकी बुर बजबजाना शुरु हो गयी थी और मुह से मादक मीठी कुनमुनाहट भरी सिसकियाँ उठने लगी थी ।
अमन उसके नरम मुलायम छोटे छोटे चुतडो को हाथो मे भरने की कोसिस करने लगा और हर स्पर्श के हाथ उस्का लन्ड झटके खाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया मेरा बच्चा आह्ह उम्म्ंम बहुत नरम है तेरी गाड बाबू उम्म्ंम्ं अह्ह्ह क्या मस्त ओह्ह्ह्ह सीईई कहा से सिखती है तु उम्म्ंम ओफ्फ्फ्फ

रिन्की अपनी गाड़ मथती हुई सिस्किया लेती रही - उम्म्ंम्ं भैयाह्ह्ह आपका मोटा सा लन्ड देख कर ना जाने मुझे क्या हो जाता है अह्ह्ह जी करता है इसपे रगड़ रगड़ कर उम्म्ंम्ं अह्ह्ह अपनी बुर का सारा पानी बहा दुह्ह्ह आह्ह्ह्ह भाइयाअह्ह्ह उम्म

अमन - उफ्फ्फ सच मेरी गुड़िया को इतना पसंद मेरा मोटा लन्ड उम्म्ंम , देखू तो कितना पानी निकाला तुने उम्म्ं

रिन्की उठ खड़ी हुई और अपनी टीशर्ट उठा गाड़ बाहर की ओर फेकती हुई बड़ी अदा से अपने छोटे छोटे चुतड़ को फैला कर अमन के आगे बडा दिखाने की लालसा मे अपनी पैटी को बड़ी कामुकता से अपनी गाड़ से हौले हौले सरकाने लगी

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जल्द ही अमन की आंखो के आगे उसकी नरम मुलायम गोरी गोरी गाड़ की दरारे साफ साफ नजर आने लगी , उसके गुदाज मोटे मोटे पाव जैसे नरम फूले गुलाबी चुतड़ खिले खिले से नजर आ रहे थे ।

अमन का लन्ड लोवर मे ही बगावत पर आ गया और हाथ बढा कर उसने रिन्की के चिकने चुतड़ सहलाने लगा , अमन का स्पर्श पाकर रिन्की भीतर से गनगना गयी और उसकी टाँगे कापने लगी ,
अमन उसके गाड़ के दरारों को उंगलियो से खोलते हुए बुर के नीचले हिस्से तक गया
उसे अपनी उंगलियो के सिरो पर हल्की लसलसाहट सी मह्सूस हुई और लपक कर उसने रिन्की की कमसिन नाजुक फाकेदार फूली हुई गुलाबी बुर को उंगलियो से घेर लिया
दोनो उन्ग्लिया आगे पीछे कर रिन्की की चुत पर रगड़ते ही रिन्की आंखे उलटती हुई अपनी जान्घो को कस कर अमन की हरकट को रोकना चाहा मगर अमन की मोटी उंगलिया उसके चुत के फाको मे घुस चुकी थी और सीधा बुर के दाने पर रेंगने लगी ।

रिन्की की टागे और मुह दोनो खुल गये और उसकी धड़कन तेज गयी , पैर मे कपकपी सी होने लगी और बुर के आस पास गर्मी सी उठने लगी - अह्ह्ज भैयाह्ह्ह डालो ना

रिन्की के मुह से ये शब्द सुनते ही अमन का लन्ड फनफना उठा और दुसरे हाथ से उसने अपना लोवर खिंच कर लन्ड बाहर निकाल कर हिलाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया आजा देख तेरे भैया का मोटा लन्ड उह्ह्ह आ नाअह्ह उम्म्ंम्ं आजा बच्चा उम्म्ंम्ं आजा

रिन्की ने नजर घुमा कर अमन का मोटा फनफनाता मुसल देखा और उसकी जिस्म मे कामोत्तेजना तेजी से हावि होने लगी उसने अपनी टांग उठाई और अमन का मोटा मुसल पकड़ कर उसकी चमडी उपर निचे करती हुई उस्का गर्म तपता नुकीला लाल सुपाड़ा अपनी गुलाबी रसाती बुर के फाको पर लगाया -अह्ह्ह भैयाहह्ह कितना गर्म्म्ंं उम्म्ंम म्म्म्माआह्ह सीई ओह्ह्ह फक्क्क्क उह्ह्ह्ह

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रिन्की अमन का मोटा सुपाडा अपने रस छोड़ते बुर के फाको पर घिस रही थि और अमन की हालत खराब होती जा रही थी , वो रिन्की के बढ़ती उम्र के कामाग्नी मे जलना शुरु हो गया था । पल पल उस्का लन्ड वीकराल रूप लेता जा रहा था , अब तो उसके लन्ड के सतह पर नसे सूतरियो सी उभरनी शुरु हो गयी थी

सुपाड़े का मुह बड़ा सा होने लगा था और रिन्की की गर्म रस की धार उसके सुपाड़े की खुजली बढाने लगी थी ऐसे मे रिन्की ने उसे राहत देते हुए एक हाथ अपनी बुर के फाके फैला कर सुपाड़े को अपनी बुर की सकरी सुराख पर टिकाया और कमर घुमाती लन्ड अपनी बुर मे अद्जेस्ट करती हुई कचकचा कर बैठने लगी

जबरजस्त दर्द भरी ऐठन उसके कुल्हे और पेड़ू मे उठने लगी थी ,चुत की लसलसाई फाके अपनी क्षमता से अधिक खिचाव होने से लाल होनी शुरु हो गयी थी ,
दर्द के भाव रिन्की के लाल चेहरे और डबड्बाआई आंखे बयां कर रही थी , मगर भीतर भैया के मोटे लन्ड पर कुदने की चसक ने रिन्की का अभी तक हौसला मजबूत कर रखा था

अमन को भनक तक नही होने दिया उसने ऐसे अपनी कापती सांसो पर काबू कर रखा था उसने और देखते ही देखते अमन का मोटा मुसल उसकी सुराख को फैलाता हुआ उसकी चुत की दिवारे चीरता आधा घुस चुका था

भलभला कर उसकी बुर भितर तक रस से भरि हुई थी और अमन के लन्ड घुसते ही सारी मलाई लन्ड के चारो ओर फैलने लगी , उस गर्म रस ने सबसे ज्यादा रिन्की की चुत के फाको को राहत दी और फिर हौले हौले चुतड़ उठाने का दौर शुरु हुआ

रिन्की ने मुह पर हाथ रख रुआस आंखो से दर्द छिपाती हुई चुतड़ उठाये और जोर से कचकचा कर पटक दिया , इस बार अमन की चमडी खिंची और उसने रिन्की के कुल्हे थाम लिए , अमन ने मानो उसकी दर्द को छू लिया और रिन्की के मुह से दर्द भी सिसकी निकली - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ज न्हीईई उम्म्ंम
अमन ने फौरन हाथ अलग किये और उठने की कोसिस करता हुआ - क्या हुआ गुड़िया रो रही है तु , निकाल दू दर्द हो रहा है

रिन्की ने आँसू पोछे और ना मे सर झटकती हुई अपने चेहरे भींच कर दर्द सहती चुतड हौले हौले उछलने लगी - अह्ह्ह भैयहह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं

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अमन के लन्ड पर रिन्की के रसदार कसे हुए फाके अपना असर दिखाने लगे , रिन्की अपने कुल्हे उठा उठा कर गिराने लगी , ह्च्च ह्च्च अमन का सुपाडा हर बार उसकी बुर मे चोट करता हुआ कुछ सेमी आगे बढ रहा था और रिन्की की कमर अब गर्म होनी शुरु हो गयी थी ।

अमन - ओह्ह्ह गुड़िया क्या मस्त कसी चुत है तेरी अह्ह्ह उम्म्ंम ओह्ह्ह फक्क्क येस्स बेटा ऐसे ही उह्ह्ह और पटक उह्ह्ह और आह्ह उम्म्ंम लेले रगड़ ले अपनी बुर अपने भैया के मोटे लन्ड पर ओह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह

अमन की बातें रिन्की को दुगना जोश भर चुकी थी और वो एडिया उठा कर उपर बिस्तर का सहारा ले चुकी थि और उकुडू होकर अब हच्क हचक कर पुरा का पुरा अमन का लन्ड अपनी बुर के भरने लगी , अमन का नुकीला सुपाडा उसकी बच्चेदानी मे चोट करने लगा , हर दर्द हर गं सह कर ना जाने कैसे रिन्की अमन का मोटा लन्ड घुसाये बैठी सिसकिया ले रही थी

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अमन लन्ड पर रिन्की की थाप पाकर और जोशिला हुआ जा रहा था और रिन्की की बुर फिर से टपकने लगी और उसकी चाल हल्की होने लगी
और धीरे धीरे थमने भी लगी
अमन उठ गया , अभी भी रिन्की उसकी गोद मे थी उसने अपने हाथ आगे कर रिन्की के नन्हे चुजे मसलने लगा टीशर्ट के उपर से - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ह उम्म्ंम रगड़ डालो ओह्ह्ह ना जाने कबसे मेरा दिल था आप इन्हे मसलो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

अमन - आह्ह गुड़िया तेरे चुचे बहुत कोरे है आह्ह कितने कदक और नुकीले उह्ह्ह कभी मिजवाई नही क्या अह्ह्ह कोई दोस्त नही तेरा

अमन के हर सवाल को ना मे जवाब देती रही रिन्की और उतना ही अमन का लन्ड उसकी बुर मे कसता गया

उसने झटके से उठ कर रिन्की को अपने लन्ड पर उठाये हवा मे टांग लिया और घुमा कर बिस्तर पर झुका दिया
अमन अब रिन्की को घोड़ी बना कर कस कस कर लन्ड उसके बुर देने लगा
अमन के तेज करारे झटको से रिन्की को बुर के परखच्चे उड़ने लगे उसकी सिस्किया अब दर्द भरि चिखो मे बदलने लगी मगर नही बदला तो उसका जुनून अमन के लन्ड को निचोड लेने का ।
सुबकती सिस्कती बड़बड़ाती वो अमन के तेज लन्ड के झटको की चोट अपनी बुर मे लेती रही - उउउउउऊअह्ह्ज्ज येस्स्स्स भैयाअझ्झ उम्म्ंम्म्ं फ्क्क्क फक्क्क फक्क्क मीईई उह्ह्ह उह्ज्झ्ह अह्ह्ह सीईई

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अमन उसकी तेज आवाज और रुआअस भरि चिखो से और भी जोश मे आकर उसके मुह पर हाथ रखकर कस कस के पेलने लगा - अह्ह्ह लेह्ह्ह बहिनचोद अह्ह्ह साली कुतिया कितना रो रही है अह्ह्ह बहिनचोद पुरा लन्ड खा गयी मेरा और बिलख रही है मादरचोद अह्ह्ह लेह्ह्ह्ह और लेह्ह्ह आज फ़ाड दन्गा बहुत गर्मी है ना तेरी बुर मे उम्म्ंम बहुत खुजलाती है ना तेरी बुर उम्म्ं बोल

रिन्की हाफ्ती हुई आहे भरती हुई -अह्ह्ह हा भैगा तुम्हारे इस मोटे हथियार को याद कर कर ही तो कुलबुलाती है अह्ह्ह और चोदो अह्ह्ह फाड़ दो हा ऐसे उह्ह्ह्ह येस्स्स येस्स्स आह्ह्ह्ह फक्क्क्क्क उम्मममं मुम्मीईईई उहुहू अह्ह्ह भैयाअह्ह्ह्ह ओह्ह्ह माय उह्ह्ह्ह

अमन हचर हचर पेलते पेलते हुए उसको जोर का झटका देके बिस्तर पर फेका

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रिन्की बिस्तर पर गिर गयि कुछ सेकेण्ड का आराम हुआ होगा कि अमन ने फिर से उसकी टांग खिंच कर अपना लन्ड उसको बुर मे ल्गाते हुए उसके उपर चढ़ गया

रिन्की - ओह्ह्ह भैयाह्ह्ह तुम जब चिपकते हो तोह्ह्ह अह्ह्ह मम्मीई

अमन उसके उपर चढ़ा हुआ उसकी बुर मे अपना लम्बा लन्ड घुसेड़ कर चोदता हुआ - तो क्याह्ह गुड़िया बोल ना

रिन्की - आह्ह भैयाह्ह उह्ह्ह बहुत गरम गरम लगता है अह्ह्ह लग्ता है कि अह्ह्ह अह्ह्ह उफ्फ्फ देखो फिर से अह्ह्ह आ रहा है उह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ मम्मीईई उउउउउऊऊ उम्म्ंम्म्ं येस्स्स येस्स्स अह्ह्ह्ह उह्ह्ह फ्क्क्क मीईई हार्ड भैयाअह्ह्ह ओह्ह्ह

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अमन एक बार फिर रिन्की के तेज कामुक सिस्कियो से जोश से भर गया और रिन्की का मुह बान्ध कर फिर से हुमुच हुमुच कर पेलने लगा - उह्ह्ह साली लेह्ह्ह अह्ह्ह और झड़ अह्ह्ह झड जा मेरे लन्ड पर ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है रे अह्ह्ह्ह बहिनचोद उफ्फ्फ साली मादरचोद उह्ह्ह्ह लेह

रिन्की बुरी तरह झड रही और उसकी फड़फ्ड़ाती बजब्जाती चुत अब अमन के लन्ड पर अपना छल्ला कस चुकी थी और अमन के सुपाड़े पर अधिक दबाव आने लगा उसपे से अमन का जोश उसके आड़ो से चढ कर सुपाड़े मे भरने लगा था

लन्ड की गर्मी से रिकी की बुर जल रही थी उस्का पानी सूख चुका था , अमन आखिर जोर तक अपने लन्ड को रिन्की की बुर मे कोन्चता रहा और जब लगा कि वो रुक नही पायेगा

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उसने लन्ड बाहर निकाल कर रिन्की की गाड़ पर पिचकारी गिराने लगा - ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह सिउईई उह्ह्ह्ह गुड़िया अह्ह्ह्ह लेह्ह्ह आ रहा है मेरा ओह्ह्ह फ्क्क्क्क फक्क्क आह्ह

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रिन्की के नाजुक चुतड अमन के गर्म छ्लछ्लाते बीज से लाल होने लगे - ओह्ह भैयाह्ह अह्ह्ह कितना गर्म हैया हहह नहला दो मुझे उह्ह्ह मुझे भिगो दो भर मेरी गाड़ अह्ह्ह भैयाह

अमन अखिर बूंद तक उसकी गाड़ के दरारो मे निचोड़ दिया उसके बगल मे लेट गया
रिन्की भी कुछ पल तक अपनी गाड़ को हवा मे उठाए सुस्ताती रही और उसके गाड़ पर गिरी मलाई गाढी होती चली गयी ।


राहुल के घर

दिन चढता जा रहा था । शालिनी किचन मे खाना बनाने मे बिजी थी और वही राहुल के कमरे मे खुसरफुसरबाजी चल रही थी ।
राहुल बहुत ही कड़े लहजे मे अरुण से नाराजगी जता रहा था कि क्यू उसने रात वाली बात उससे छिपाई । मगर अरुण किसी तरह लालच देकर राहुल को तैयार किया , कम से कम अरुण ने तो ऐसा ही मह्सूस किया था ।

अरुण ने राहुल को बताया कि कैसे उसने बड़ी चालाकी से शालिनी को शंका मे ला खड़ा किया है कि उसके बेटे की नियत उस पर खराब हुई और अब उसे इस बात का यकिन भी दिलाना है ।
राहुल के लिए ये खेल मजेदार होने वाला था अरुण के सामने अपनी मा के साथ नौटंकी करने का ।
वैसे वो थोडा नाराज अपनी मा से भी था कि शालिनी ने भी उससे कुछ जाहिर नही किया ।

उनकी योजना शुरु हुई और दोनो कमरे से बाहर निकल कर दबे पाव किचन की ओर बढ़े सामने देखा शालिनी दुपहर के खाने की तैयारियो मे व्यस्त है और साडी मे उसकी उठी हुई गाड़ देख कर दोनो का लन्ड तनमना गया ।
अरुन ने राहुल को इशारे से शालिनी के कमरे जाने को कहा - तु चल मै मामी को लिवा कर आता हु , ठिक है

राहुल सहमती दिखा कर अपनी मा के कमरे की ओर बढ़ गया

इधर अरुण भी मौका देख कर लपक कर किचन मे घुस कर शालिनी को पीछे से हग कर लिया

"हाय दैयाआ अरुण तुहहह धत्त छोड ना क्या कर रहा है " शालिनी अरुण की जकड़ से छुटने के लिए कसमसाई ।

अपनी मामी के मुलायम बदन का स्पर्श पाकर अरुण का लन्ड एकदम से फड़फडा कर निचे शालिनी की साडी के उपर से उसके गाड़ मे धंसने लगा - अह्ह्ह मामी तुम्हे तो छोडने का दिल ही नही चाहता अह्ह्ह मेरी सेक्सी चुदक्कड़ मामी ।

शालिनी अरुण के शब्दो से लजाई और हस्ती हुई - धत्त गन्दा , हर वक़्त थोड़ी ना ये सब अच्छा लगता है । दुर हट राहुल आ जायेगा ।

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अरुण ने लपक कर उसकी गुदाज पाव सी चुचियो को दोनो हाथ मे भर लिये - अह्ह्ह अरून उम्म्ंम बेटा मत कर ना उमम्मम्ं राअहुल्ल आ जायेगा अह्ह्ह रुक जाआह्ह

अरुण अपना नुकीला तम्बू उसकी गाड़ मे कोचता हुआ उसके दुधारू थन जैसे मोटे मोटे नरम चुचो को मिजता हुआ - उसकी चिंता ना करो मामी , वो तो आपके नाम की मूठ लगा रहा होगा

शालिनी चौकी और उसकी ओर घूमी - क्या ?
अरुन ने अपनी बतिसी दिखाते हुए उसकी कमर को सहलाता उसके बुलंद टाइट चुतड़ को मसलने लगा - हम्म्म मेरी जान, वो तो आज तुम्हारी कच्छीयों से खेल रहा है अभी अभी देखा मैने

शालिनी की सासे तेज होने लगी
अरुण उसके रसिले दूध मसलता हुआ - देखना चाहोगी कैसे सून्घता है वो आपकी पैंती
अरुण का लन्ड अब साडी के उपर से सीधा उसकी बुर को चुब रहा था और उसकी आंखे बस अरुण को निहार रही थी ।

अरुण के चुचो को मसलता हुआ - बोलो ना देखोगी अपने बेटे को मूठ मारते हुए हम्म

शालिनी ने हा मे सर हिलाया और फिर लाज से हस दी
अरुण भी जोश से भर आया और शालिनी का हाथ पकड़ कर किचन से निकलने लगा
शालिनी ने लपक कर चूल्हा बन्द कर दिया फिर अरुण के साथ हो ली ।

धीरे धीरे दोनो शालिनी के कमरे की ओर बढ़ने लगे और हल्की हल्की उनके कानो मे राहुल की भुनभुनाहट भरी सिसकिया आने लगी
शालिनी ने सतर्क नजरो से अरुन को देखा तो अरुण ने उसे आगे बढ़ने को कहा
दरवाजे के पास से दोनो ने एक साथ कमरे मे झाका और पीछे हो गये

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राहुल उनके एकदम करीब ही था , वो दराज के पास खड़े होकर शालिनी की कच्छीया निकाल कर एक को अपने लन्ड पर रख कर अपना लन्ड जोरो से हिला रहा था - अह्ह्ह मेरी सेक्सी मम्मी अह्ह्ह मेरी चुद्क्क्ड मम्मीई अह्ह्ह लेलो ना मेरा लन्ड ओह्ह्ह एस्स उह्ह्ह मम्मी तुम्हारी गाड़ बहुत सेक्सी है अह्ह्ह तुम्हारी पैंती इत्नी मुलायम है तो बुर कितनी नरम होगी अह्ह्ह मम्मी ओह्ह्ह्ह आजाओ ना उह्ह्ह

शालिनी आंखे फाडे अरुण को देख रही थी और अरुण उसके साम्ने लोवर के उपर से अपना मुसल भींच कर भीतर देखने का इशारा किया ।
शालिनी ने हौले से फिर से झाका , सामने उस्का बेटा उसकी पैंती अपने कडक लन्ड पर लपेट कर उसी मे मुठ्ठि मार रहा था
जिसे देख कर शालिनी को यह लगा कि शायद इतने दिन से राहुल ने उसे चोदा नही इसीलिए ऐसी हरकते कर रहा है

इधर राहुल को अहसास हो गया था कि उसकी मा आ चुकी है तो वो योजनानुसार अपना लन्ड हिलाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया और जोर जोर से चिन्घाड़ने लगा

अरुण - यही मौका है मामी रंगे हाथ पकड़ लो उसे
शालिनी - प्कका ना मै जाऊ
अरुण - हा मामी अभी के अभी

शालिनी ने मन बनाया और अरुण के सामने ही अपने बेटे के आगे जाने के लिए जैसे ही दरवाजे से कमरे दाखिल हुई
राहुल ने कमरे मे घुसती परछाई ने अपनी मा की छवि देखी और अपने भरे सुपाड़े पर जो कुछ समय से रोक लगाये था वो हटा दिया

शालिनी राहुल को आवाज देती हुई कमरे मे दाखिल हुई और राहुल ने सुपाड़े का मुह दरवाजे की ओर घुमा दिया

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एक तेज बड़ी मोटी गाढ़ी पिचकारी की लम्बी धार सीधे शालिनी के मुह और सीने पर गिरी - अह्ह्ह म्म्मीई ओह्ह्ह आप यहाआ आह्ह कैसे ओह्ह्ह्व

राहुल तेजी से लन्ड हिलाता हुआ बाकी का रस फर्श पर छोड रहा था और शालिनी को उम्मीद नही थी एक बार फिर उसे वीर्य से नहाना पड़ेगा

राहुल की हरकत से शालिनी खिझी और तेज आवाज मे - राहुल ये क्या हरकत है
शालिनी की आवाज पर अरुण लपक कर कमरे मे आया - क्या हुआ मामी

शालिनी बुरा सा मूह बनाती हुई - देखो इस कमीने ने क्या किया मेरे उपर , अरे तुझे शर्म नही आई हे भगवान क्या कर रहा था तु

राहुल ने एक नजर अरुण को देखा और इशारेबाजी मे दोनो ने एक दुसरे को गुडलक किया
राहुल - मम्मी वो मै वो ? सॉरी

शालिनी अपने होठो के पास के वीर्य को उंगलियो से हटाने लगी - उम्म्ंम्ं छीईईई और ये फर्श सब गन्दा कर दिया , नालायक कही का अभी भी नंगा खड़ा है चल कपडे पहन बेशर्म
शालिनी - मै तेरे पापा को लेकर आती हूँ
राहुल लपक कर अपनी मा के हाथ पकड़ गिडगिडाने लगा - नही मा पापा को नही , प्लीज आप जो सजा दो मुझे मन्जूर है प्लीज पापा को नही


अरुण भौचक्का रह गया कि क्या अलग ड्रामा होने लगा ,जो औरत अभी अपने बेटे के लन्ड के लिए उतावली थी अभी अलग ही ड्रामे पेल रही है उसपे से जन्गीलाल का आना उसके लिए चिंता की बात दिख रही थी
राहुल के बार बार आग्रह करने पर
शालिनी - अरून बेटा तू बाहर जा मुझे इस्से कुछ बात करनी पडेगी

अब अरुण की फटी क्योकि ये सब जो शालिनी करने जा रही थी वो उस्की योजना के अनुरुप नही होता दिख रहा था।

अगले पल शालिनी ने अरुण को कमरे के बाहर किया और दरवाजा भिड़का दिया ।

शालिनी दरवाजे लग कर खड़ी हो गयी और मुस्कुराने लगी ,राहुल भी मुस्कुराता हुआ उसकी ओर बढा

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शालिनी नाटक करती हुई लपक कर राहुल का मुरझाता लन्ड थाम ली और बाहर अरुण को सुनाती हुई तेज आवाज मे बोली - मै एक नही सुनूंगी तेरी , बहुत बिगड़ गया है तु आज तुझे सजा मिलेगी

राहुल उसके करीब आकर उसके मुलायम चुचे सहलाता हुआ - आह्ह प्लीज मम्मी नही सॉरी ना

शालिनी उसके लन्ड को भिचने लगी - नही तु सच मे बहुत बिगड़ गया , क्या कर रहा था मेरी कच्छी के साथ बोल

राहुल - सॉरी ना मम्मीई अह्ह्ह सुउउउऊ प्लीज ना
बाहर अरुण कमरे से आ रही आवाजो से माहौल का अन्दाजा लगा रहा था उसकी बुरी तरह से फटी हुई थी

जैसे शालिनी राहुल को पीत रही हो मगर राहुल की सिस्कियो का कारण तो कुछ और ही था निचे घुटनो के बल बैठ कर शालिनी उस्का लन्ड मुह मे भर चुकी थी

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राहुल - आह्ह क्या कर मम्मी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो अह्ह्ह सीईई उम्म्ंम्ं

शालिनी - तो क्या अपनी मा से ये सब करेगा बोल ,फिर करेगा ये सब उम्म्ं

राहुल मुस्कुरा कर शालिनी के आगे हा मे सर हिलाता हुआ - नही मा कभी नही प्लीज सॉरी ना
शालिनी इठलाती हुई मदमस्त नजरो से उसे निहारती बाहर खड़े अरुण को सुनाती हुई - रुक तू ऐसे नही सुधरेगा

राहुल भी शालिनी का साथ देते हुए झुठ मूठ की चिखमचिल्ली करने लगा
इधर अरुण की हालत खराब होने लगी कि राहुल तो आज बुरा फसा , लेकिन उसे ये समझ नही आ रहा था कि अचानक से शालिनी मामी का मूड खराब कैसे हो गया ।

धीरे धीरे दोनो की अवाजे दरवाजे से दुर होती मह्सूस होने लगी और अरुण कुछ पल बाद हल्की आवाजे आने लगी , उसे लगा कि कही शालिनी राहुल को पीटते हुए ले जा रही है

शालिनी - उम्म्ंम और करेगा बदमाशी उम्म्ं आह्ह बोल ना बोल
राहुल सिस्कते हुए हस कर - उम्म्ं नही तो कह रहा हु मम्मी फिर क्यू मार रही हो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

शालिनी - ऐसे ही मारुन्गी बहुत बिगड़ गया है तु , मम्मी की कच्छी से गन्दे गंदे काम करता है , फिर करेगा बोल उह्ह्ज बोल , नही तो पापा को कहूँगी
राहुल - नही मा नही करूंगा अह्ह्ह उह्ज्ज और उह्ह्ह्ज येस्स्स्स मम्मीई फ्क्क्क मीई

अरुण को हल्की फुल्की अवाजे आ रही थी तो वो सुनने के लिए दरवाजे के और करीब गया जैसे ही उसके कन्धे ने दरवाजे पर स्पर्श किया दरवजा हल्का सा हिला और अरुण चौका - मतल्व दरवाजा खुला ही है देखू तो



"ओह्ह बहिनचोद क्या ड्रामा है ये मा बेटे का " , अरुण दरवाजे को हौले से खोलता हुआ कमरे मे झाक कर बिस्तर पर देखता है
जहा शालिनी अपनी साडी उठा कर राहुल को निचे लिटाये हुए उसके लन्ड पर उछल रही थी ।

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अपनी गाड़ पटक पटक कर शालिनी अपने बेटे का लन्ड चुत मे ले रही थी और दोनो मा बेटे अरुण को सुनाने के लिए नाटक किये जा रहे थे ।

अरुण का चेहरा अगले ही पल कमरे का नजारा देख कर खिल गया और लन्ड एकदम से तनमना गया ।
कुछ सोच कर अपना मुसल मसलते हुए वो भी चुपके से कमरे मे दाखिल हुआ ।



जारी रहेगी
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A. K. Indian

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UPDATE 216


अमन के घर

10 बजने को हो रहे थे और हाल मे बैठकी चल रही थी , कल सोनल के मायके से आने वाले मेहमानो की खातिरदारी की बाते चल रही थी ।
ममता आज अलग मूड मे थी बार बार मुरारी के सामने अपनी ननद संगीता का नाम लेके अपने पति को छेड़ रही थी और मुरारी कभी उसे आंखे दिखाता तो कभी झेप कर हस ही पड़ता

वही मदन और संगीता के अपने ही इशारेबाजियां हो रही थी ,सन्गिता के अपनी आंखो से मदन को अपने इरादे जता रही थी जिससे मदन का खूटा पजामे खड़ा हो गया था ।
पेपर की आड़ वो कभी कभी अपने लाड़ खुजा भी देता और कभी कभी छिप कर अपनी बहन पर फलाइंग पप्पियां भी उछाल देता
मगर ममता की तेज नजरो से उनकी इश्क़बाजी छुपते नही छिप रही थी ।

ममता ने मुरारी को इशारे से दोनो कबूतरों की ओर तकाया और मुरारी मुस्कुरा पड़ा ।

इधर इनकी बातें हो रही थी
वही किचन मे आज सोनल भी दुलारी का हाथ बटा रही थी । चूल्हा छूने के लिए उसको अपनी सास ममता की ओर से सख्त मनाही थी तो सब्जी काट रही थी और दुलारी से उसकी बातें हो रही थी

इतने मे अमन तेजी से जीने से नीचे आता है और बाहर निकल जाता है ।
उसकी तेजी से सबको हैरत हुई कि क्या बात थी । सन्गिता और ममता ताज्जुब से उठ खड़ी हुई कि क्या बात हो गयी

कुछ ही मिंट मे अमन तेजी से हाल मे प्रवेश किया , अब उसके हाथ मे एक पैकेट था
ममता - क्या हुआ कहा गया था तेजी मे

अमन हसता हुआ एक नजर अपने पापा को देखा और बोला - मम्मी वो ये parcel आया था वो लेने गया

पारसल आने का सुन कर मुरारी के चेहरे की चमक बढ़ गयी और दिल मे जज्बात उमड़घुमड़ करने लगे ।
अमन बिना कुछ बोले सरपट उपर चला गया ।

हाल मे बैठे सबने इस बात को कैजुअली लिया मगर किचन मे दुलारी ने सोनल को छेड़ने लगी - उंहु देखो तो देवरानी जी के लिए गिफ्ट आया है

सोनल - उसमे उनके काम की चीज भी हो सकती है ना भाभी
दुलारी उसके कंधे से अपना कन्धा लड़ाती हुई मुस्कुरा कर - अरे मेरे देवर की सबसे काम की चीज तो तुम हो हिहिही

सोनल दुलारी के दोहरे मजाक पर हस पड़ी - हिहिही मै कैसे ?
दुलारी- अरे तुम ठहरी घर की सीधी गाय और मेरा देवर है जमीन मे गढा खुन्टा तो उसके काम की चीज तुम ही हुई ना ।

सोनल हस कर - फिर मुझसे पहले उस खूँटे मे कौन बन्धा हुआथा , आप ? हिहिहिही

दुलारी से सोनल की मसती पर हौले से उसकी चिकनी कमर पर चिमटी काटी- चुप कर तुझे चारा दी तो हाथ पकड़ ली उम्म्ंम

सोनल हसती हुई - घर की नयी गाय हूँ भाभी हिहिही अभी खाना सिख रही हु आपकी तरह मुझे खेतो मे चरना कहा आता है

दुलारी - तु तो बड़ी चंथ है रे हिहिहीही बातो बातो मे ही मुझे चित कर गयी

सोनल हसती हुई - कभी मेरी बहन निशा से नही मिली आप , कल आयेगी तो मिलाउन्गी हिहिहिही

दुलारी हस कर - अच्छा वो बछिया हिहिहिही
सोनल दुलारी की बात समझ नही पाई और अचरज से उसे देखा

दुलारि हसती हुई - सुना है इस बार हनीमून के सफर मे गईया अपनी पूंछ मे एक बछिया भी लेके जायेगी

सोनल अब दुलारी का तन्ज समझ गयी और लाज से हस दी - सोचा तो मैने था किसी खेतहर भैस को साथ लू मगर हो नही पाया ।

दुलारी हस्ती हुई - धत्त कमिनी तु बहुत दुष्ट है मुझे भैस बुला रही है
सोनल - आपके थन भैसो से ही मिलते है भाभी हिहिही
दुलारी खीझकर - और तेरे दूल्हे का लन्ड गदहे से

सोनल चौकी मगर दुलारी ने झटसे अपनी गलती सुधारती हुई बात को मजाक मे ले गयी मगर सोनल समझ गयी कि दुलारी ने कही ना कही और कभी ना कभी उसके सईया के खूँटे के चक्कर जरुर लगाये है ।

इधर इनकी बाते हसी ठिठौलि चल रही थी तो वही मुरारी को बेचैनी सी उठ रही थी कि क्या करे वो कि पारसल देखने कोमिल जाये


वही उपर दुलारी के कमरे मे अलग ही माहौल बनता दिख रहा था
अमन पारसल लेने निचे गया तो था मगर उसकी तेजी कारण पारसल नही बलकि रिन्की थी जो दुलारी के कमरे मे दरवाजे के पीछे बिना कैफरी के सिर्फ टीशर्ट और पैंटी छिप कर खड़ी थी ।

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अमन झटपट से कमरे मे भागता हुआ आया और कमरे मे चारो ओर नजर घुमाते हुए वो बेड की ओर बढ़ा मगर उसे रिन्की नजर नही आई जबतक कि रिन्की की शरारत भरी खिलखिलाहट उसके कानो मे नही गुंजि ।

अमन खड़े खड़े घूम कर पीछे देखा तो रिन्की दरवाजा बन्द करती हुई उसकी ओर देख रही थी ।
टीशर्ट के निचे से झांकती उसकी पैंटी उसके नरम मुलायम चुतड़ पर चिपके हुए थे और उसकी सुन्दर चिकनी बिना रोए वाली जान्घे कमरे की रोशनि मे झलक रही थी ।

अमन ने उसके खिले चेहरे को देखा और पीछे बिस्तर पर पैर लटका कर लेट गया ।
रिन्की मटकती इठलाती हुई उसके करीब आई और उसके जांघो को टटोलती हुई अपनी गाड़ उसके ओर फेकती हुई सीधा अमन के लन्ड पर बैठ गयी ।

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लोवर के उपर से रिन्की अमन के लन्ड पर अपनी गाड़ मथने लगी और अमन उसके नरम मुलायम चुतड का स्पर्श पाकर भीतर से सिहर उठा - उह्ह्ह्ह गुड़िया उम्म्ंम्म्ं कितनी मुलायम अह्ह्ह उम्म्ंम्ं

रिन्की भी अपने गाड़ के दरारो मे पैंटी के उपर से अमन का मोटा फड़कता मुसल पाकर मचल उठी थी उसकी बुर बजबजाना शुरु हो गयी थी और मुह से मादक मीठी कुनमुनाहट भरी सिसकियाँ उठने लगी थी ।
अमन उसके नरम मुलायम छोटे छोटे चुतडो को हाथो मे भरने की कोसिस करने लगा और हर स्पर्श के हाथ उस्का लन्ड झटके खाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया मेरा बच्चा आह्ह उम्म्ंम बहुत नरम है तेरी गाड बाबू उम्म्ंम्ं अह्ह्ह क्या मस्त ओह्ह्ह्ह सीईई कहा से सिखती है तु उम्म्ंम ओफ्फ्फ्फ

रिन्की अपनी गाड़ मथती हुई सिस्किया लेती रही - उम्म्ंम्ं भैयाह्ह्ह आपका मोटा सा लन्ड देख कर ना जाने मुझे क्या हो जाता है अह्ह्ह जी करता है इसपे रगड़ रगड़ कर उम्म्ंम्ं अह्ह्ह अपनी बुर का सारा पानी बहा दुह्ह्ह आह्ह्ह्ह भाइयाअह्ह्ह उम्म

अमन - उफ्फ्फ सच मेरी गुड़िया को इतना पसंद मेरा मोटा लन्ड उम्म्ंम , देखू तो कितना पानी निकाला तुने उम्म्ं

रिन्की उठ खड़ी हुई और अपनी टीशर्ट उठा गाड़ बाहर की ओर फेकती हुई बड़ी अदा से अपने छोटे छोटे चुतड़ को फैला कर अमन के आगे बडा दिखाने की लालसा मे अपनी पैटी को बड़ी कामुकता से अपनी गाड़ से हौले हौले सरकाने लगी

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जल्द ही अमन की आंखो के आगे उसकी नरम मुलायम गोरी गोरी गाड़ की दरारे साफ साफ नजर आने लगी , उसके गुदाज मोटे मोटे पाव जैसे नरम फूले गुलाबी चुतड़ खिले खिले से नजर आ रहे थे ।

अमन का लन्ड लोवर मे ही बगावत पर आ गया और हाथ बढा कर उसने रिन्की के चिकने चुतड़ सहलाने लगा , अमन का स्पर्श पाकर रिन्की भीतर से गनगना गयी और उसकी टाँगे कापने लगी ,
अमन उसके गाड़ के दरारों को उंगलियो से खोलते हुए बुर के नीचले हिस्से तक गया
उसे अपनी उंगलियो के सिरो पर हल्की लसलसाहट सी मह्सूस हुई और लपक कर उसने रिन्की की कमसिन नाजुक फाकेदार फूली हुई गुलाबी बुर को उंगलियो से घेर लिया
दोनो उन्ग्लिया आगे पीछे कर रिन्की की चुत पर रगड़ते ही रिन्की आंखे उलटती हुई अपनी जान्घो को कस कर अमन की हरकट को रोकना चाहा मगर अमन की मोटी उंगलिया उसके चुत के फाको मे घुस चुकी थी और सीधा बुर के दाने पर रेंगने लगी ।

रिन्की की टागे और मुह दोनो खुल गये और उसकी धड़कन तेज गयी , पैर मे कपकपी सी होने लगी और बुर के आस पास गर्मी सी उठने लगी - अह्ह्ज भैयाह्ह्ह डालो ना

रिन्की के मुह से ये शब्द सुनते ही अमन का लन्ड फनफना उठा और दुसरे हाथ से उसने अपना लोवर खिंच कर लन्ड बाहर निकाल कर हिलाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया आजा देख तेरे भैया का मोटा लन्ड उह्ह्ह आ नाअह्ह उम्म्ंम्ं आजा बच्चा उम्म्ंम्ं आजा

रिन्की ने नजर घुमा कर अमन का मोटा फनफनाता मुसल देखा और उसकी जिस्म मे कामोत्तेजना तेजी से हावि होने लगी उसने अपनी टांग उठाई और अमन का मोटा मुसल पकड़ कर उसकी चमडी उपर निचे करती हुई उस्का गर्म तपता नुकीला लाल सुपाड़ा अपनी गुलाबी रसाती बुर के फाको पर लगाया -अह्ह्ह भैयाहह्ह कितना गर्म्म्ंं उम्म्ंम म्म्म्माआह्ह सीई ओह्ह्ह फक्क्क्क उह्ह्ह्ह

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रिन्की अमन का मोटा सुपाडा अपने रस छोड़ते बुर के फाको पर घिस रही थि और अमन की हालत खराब होती जा रही थी , वो रिन्की के बढ़ती उम्र के कामाग्नी मे जलना शुरु हो गया था । पल पल उस्का लन्ड वीकराल रूप लेता जा रहा था , अब तो उसके लन्ड के सतह पर नसे सूतरियो सी उभरनी शुरु हो गयी थी

सुपाड़े का मुह बड़ा सा होने लगा था और रिन्की की गर्म रस की धार उसके सुपाड़े की खुजली बढाने लगी थी ऐसे मे रिन्की ने उसे राहत देते हुए एक हाथ अपनी बुर के फाके फैला कर सुपाड़े को अपनी बुर की सकरी सुराख पर टिकाया और कमर घुमाती लन्ड अपनी बुर मे अद्जेस्ट करती हुई कचकचा कर बैठने लगी

जबरजस्त दर्द भरी ऐठन उसके कुल्हे और पेड़ू मे उठने लगी थी ,चुत की लसलसाई फाके अपनी क्षमता से अधिक खिचाव होने से लाल होनी शुरु हो गयी थी ,
दर्द के भाव रिन्की के लाल चेहरे और डबड्बाआई आंखे बयां कर रही थी , मगर भीतर भैया के मोटे लन्ड पर कुदने की चसक ने रिन्की का अभी तक हौसला मजबूत कर रखा था

अमन को भनक तक नही होने दिया उसने ऐसे अपनी कापती सांसो पर काबू कर रखा था उसने और देखते ही देखते अमन का मोटा मुसल उसकी सुराख को फैलाता हुआ उसकी चुत की दिवारे चीरता आधा घुस चुका था

भलभला कर उसकी बुर भितर तक रस से भरि हुई थी और अमन के लन्ड घुसते ही सारी मलाई लन्ड के चारो ओर फैलने लगी , उस गर्म रस ने सबसे ज्यादा रिन्की की चुत के फाको को राहत दी और फिर हौले हौले चुतड़ उठाने का दौर शुरु हुआ

रिन्की ने मुह पर हाथ रख रुआस आंखो से दर्द छिपाती हुई चुतड़ उठाये और जोर से कचकचा कर पटक दिया , इस बार अमन की चमडी खिंची और उसने रिन्की के कुल्हे थाम लिए , अमन ने मानो उसकी दर्द को छू लिया और रिन्की के मुह से दर्द भी सिसकी निकली - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ज न्हीईई उम्म्ंम
अमन ने फौरन हाथ अलग किये और उठने की कोसिस करता हुआ - क्या हुआ गुड़िया रो रही है तु , निकाल दू दर्द हो रहा है

रिन्की ने आँसू पोछे और ना मे सर झटकती हुई अपने चेहरे भींच कर दर्द सहती चुतड हौले हौले उछलने लगी - अह्ह्ह भैयहह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं

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अमन के लन्ड पर रिन्की के रसदार कसे हुए फाके अपना असर दिखाने लगे , रिन्की अपने कुल्हे उठा उठा कर गिराने लगी , ह्च्च ह्च्च अमन का सुपाडा हर बार उसकी बुर मे चोट करता हुआ कुछ सेमी आगे बढ रहा था और रिन्की की कमर अब गर्म होनी शुरु हो गयी थी ।

अमन - ओह्ह्ह गुड़िया क्या मस्त कसी चुत है तेरी अह्ह्ह उम्म्ंम ओह्ह्ह फक्क्क येस्स बेटा ऐसे ही उह्ह्ह और पटक उह्ह्ह और आह्ह उम्म्ंम लेले रगड़ ले अपनी बुर अपने भैया के मोटे लन्ड पर ओह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह

अमन की बातें रिन्की को दुगना जोश भर चुकी थी और वो एडिया उठा कर उपर बिस्तर का सहारा ले चुकी थि और उकुडू होकर अब हच्क हचक कर पुरा का पुरा अमन का लन्ड अपनी बुर के भरने लगी , अमन का नुकीला सुपाडा उसकी बच्चेदानी मे चोट करने लगा , हर दर्द हर गं सह कर ना जाने कैसे रिन्की अमन का मोटा लन्ड घुसाये बैठी सिसकिया ले रही थी

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अमन लन्ड पर रिन्की की थाप पाकर और जोशिला हुआ जा रहा था और रिन्की की बुर फिर से टपकने लगी और उसकी चाल हल्की होने लगी
और धीरे धीरे थमने भी लगी
अमन उठ गया , अभी भी रिन्की उसकी गोद मे थी उसने अपने हाथ आगे कर रिन्की के नन्हे चुजे मसलने लगा टीशर्ट के उपर से - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ह उम्म्ंम रगड़ डालो ओह्ह्ह ना जाने कबसे मेरा दिल था आप इन्हे मसलो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

अमन - आह्ह गुड़िया तेरे चुचे बहुत कोरे है आह्ह कितने कदक और नुकीले उह्ह्ह कभी मिजवाई नही क्या अह्ह्ह कोई दोस्त नही तेरा

अमन के हर सवाल को ना मे जवाब देती रही रिन्की और उतना ही अमन का लन्ड उसकी बुर मे कसता गया

उसने झटके से उठ कर रिन्की को अपने लन्ड पर उठाये हवा मे टांग लिया और घुमा कर बिस्तर पर झुका दिया
अमन अब रिन्की को घोड़ी बना कर कस कस कर लन्ड उसके बुर देने लगा
अमन के तेज करारे झटको से रिन्की को बुर के परखच्चे उड़ने लगे उसकी सिस्किया अब दर्द भरि चिखो मे बदलने लगी मगर नही बदला तो उसका जुनून अमन के लन्ड को निचोड लेने का ।
सुबकती सिस्कती बड़बड़ाती वो अमन के तेज लन्ड के झटको की चोट अपनी बुर मे लेती रही - उउउउउऊअह्ह्ज्ज येस्स्स्स भैयाअझ्झ उम्म्ंम्म्ं फ्क्क्क फक्क्क फक्क्क मीईई उह्ह्ह उह्ज्झ्ह अह्ह्ह सीईई

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अमन उसकी तेज आवाज और रुआअस भरि चिखो से और भी जोश मे आकर उसके मुह पर हाथ रखकर कस कस के पेलने लगा - अह्ह्ह लेह्ह्ह बहिनचोद अह्ह्ह साली कुतिया कितना रो रही है अह्ह्ह बहिनचोद पुरा लन्ड खा गयी मेरा और बिलख रही है मादरचोद अह्ह्ह लेह्ह्ह्ह और लेह्ह्ह आज फ़ाड दन्गा बहुत गर्मी है ना तेरी बुर मे उम्म्ंम बहुत खुजलाती है ना तेरी बुर उम्म्ं बोल

रिन्की हाफ्ती हुई आहे भरती हुई -अह्ह्ह हा भैगा तुम्हारे इस मोटे हथियार को याद कर कर ही तो कुलबुलाती है अह्ह्ह और चोदो अह्ह्ह फाड़ दो हा ऐसे उह्ह्ह्ह येस्स्स येस्स्स आह्ह्ह्ह फक्क्क्क्क उम्मममं मुम्मीईईई उहुहू अह्ह्ह भैयाअह्ह्ह्ह ओह्ह्ह माय उह्ह्ह्ह

अमन हचर हचर पेलते पेलते हुए उसको जोर का झटका देके बिस्तर पर फेका

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रिन्की बिस्तर पर गिर गयि कुछ सेकेण्ड का आराम हुआ होगा कि अमन ने फिर से उसकी टांग खिंच कर अपना लन्ड उसको बुर मे ल्गाते हुए उसके उपर चढ़ गया

रिन्की - ओह्ह्ह भैयाह्ह्ह तुम जब चिपकते हो तोह्ह्ह अह्ह्ह मम्मीई

अमन उसके उपर चढ़ा हुआ उसकी बुर मे अपना लम्बा लन्ड घुसेड़ कर चोदता हुआ - तो क्याह्ह गुड़िया बोल ना

रिन्की - आह्ह भैयाह्ह उह्ह्ह बहुत गरम गरम लगता है अह्ह्ह लग्ता है कि अह्ह्ह अह्ह्ह उफ्फ्फ देखो फिर से अह्ह्ह आ रहा है उह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ मम्मीईई उउउउउऊऊ उम्म्ंम्म्ं येस्स्स येस्स्स अह्ह्ह्ह उह्ह्ह फ्क्क्क मीईई हार्ड भैयाअह्ह्ह ओह्ह्ह

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अमन एक बार फिर रिन्की के तेज कामुक सिस्कियो से जोश से भर गया और रिन्की का मुह बान्ध कर फिर से हुमुच हुमुच कर पेलने लगा - उह्ह्ह साली लेह्ह्ह अह्ह्ह और झड़ अह्ह्ह झड जा मेरे लन्ड पर ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है रे अह्ह्ह्ह बहिनचोद उफ्फ्फ साली मादरचोद उह्ह्ह्ह लेह

रिन्की बुरी तरह झड रही और उसकी फड़फ्ड़ाती बजब्जाती चुत अब अमन के लन्ड पर अपना छल्ला कस चुकी थी और अमन के सुपाड़े पर अधिक दबाव आने लगा उसपे से अमन का जोश उसके आड़ो से चढ कर सुपाड़े मे भरने लगा था

लन्ड की गर्मी से रिकी की बुर जल रही थी उस्का पानी सूख चुका था , अमन आखिर जोर तक अपने लन्ड को रिन्की की बुर मे कोन्चता रहा और जब लगा कि वो रुक नही पायेगा

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उसने लन्ड बाहर निकाल कर रिन्की की गाड़ पर पिचकारी गिराने लगा - ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह सिउईई उह्ह्ह्ह गुड़िया अह्ह्ह्ह लेह्ह्ह आ रहा है मेरा ओह्ह्ह फ्क्क्क्क फक्क्क आह्ह

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रिन्की के नाजुक चुतड अमन के गर्म छ्लछ्लाते बीज से लाल होने लगे - ओह्ह भैयाह्ह अह्ह्ह कितना गर्म हैया हहह नहला दो मुझे उह्ह्ह मुझे भिगो दो भर मेरी गाड़ अह्ह्ह भैयाह

अमन अखिर बूंद तक उसकी गाड़ के दरारो मे निचोड़ दिया उसके बगल मे लेट गया
रिन्की भी कुछ पल तक अपनी गाड़ को हवा मे उठाए सुस्ताती रही और उसके गाड़ पर गिरी मलाई गाढी होती चली गयी ।


राहुल के घर

दिन चढता जा रहा था । शालिनी किचन मे खाना बनाने मे बिजी थी और वही राहुल के कमरे मे खुसरफुसरबाजी चल रही थी ।
राहुल बहुत ही कड़े लहजे मे अरुण से नाराजगी जता रहा था कि क्यू उसने रात वाली बात उससे छिपाई । मगर अरुण किसी तरह लालच देकर राहुल को तैयार किया , कम से कम अरुण ने तो ऐसा ही मह्सूस किया था ।

अरुण ने राहुल को बताया कि कैसे उसने बड़ी चालाकी से शालिनी को शंका मे ला खड़ा किया है कि उसके बेटे की नियत उस पर खराब हुई और अब उसे इस बात का यकिन भी दिलाना है ।
राहुल के लिए ये खेल मजेदार होने वाला था अरुण के सामने अपनी मा के साथ नौटंकी करने का ।
वैसे वो थोडा नाराज अपनी मा से भी था कि शालिनी ने भी उससे कुछ जाहिर नही किया ।

उनकी योजना शुरु हुई और दोनो कमरे से बाहर निकल कर दबे पाव किचन की ओर बढ़े सामने देखा शालिनी दुपहर के खाने की तैयारियो मे व्यस्त है और साडी मे उसकी उठी हुई गाड़ देख कर दोनो का लन्ड तनमना गया ।
अरुन ने राहुल को इशारे से शालिनी के कमरे जाने को कहा - तु चल मै मामी को लिवा कर आता हु , ठिक है

राहुल सहमती दिखा कर अपनी मा के कमरे की ओर बढ़ गया

इधर अरुण भी मौका देख कर लपक कर किचन मे घुस कर शालिनी को पीछे से हग कर लिया

"हाय दैयाआ अरुण तुहहह धत्त छोड ना क्या कर रहा है " शालिनी अरुण की जकड़ से छुटने के लिए कसमसाई ।

अपनी मामी के मुलायम बदन का स्पर्श पाकर अरुण का लन्ड एकदम से फड़फडा कर निचे शालिनी की साडी के उपर से उसके गाड़ मे धंसने लगा - अह्ह्ह मामी तुम्हे तो छोडने का दिल ही नही चाहता अह्ह्ह मेरी सेक्सी चुदक्कड़ मामी ।

शालिनी अरुण के शब्दो से लजाई और हस्ती हुई - धत्त गन्दा , हर वक़्त थोड़ी ना ये सब अच्छा लगता है । दुर हट राहुल आ जायेगा ।

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अरुण ने लपक कर उसकी गुदाज पाव सी चुचियो को दोनो हाथ मे भर लिये - अह्ह्ह अरून उम्म्ंम बेटा मत कर ना उमम्मम्ं राअहुल्ल आ जायेगा अह्ह्ह रुक जाआह्ह

अरुण अपना नुकीला तम्बू उसकी गाड़ मे कोचता हुआ उसके दुधारू थन जैसे मोटे मोटे नरम चुचो को मिजता हुआ - उसकी चिंता ना करो मामी , वो तो आपके नाम की मूठ लगा रहा होगा

शालिनी चौकी और उसकी ओर घूमी - क्या ?
अरुन ने अपनी बतिसी दिखाते हुए उसकी कमर को सहलाता उसके बुलंद टाइट चुतड़ को मसलने लगा - हम्म्म मेरी जान, वो तो आज तुम्हारी कच्छीयों से खेल रहा है अभी अभी देखा मैने

शालिनी की सासे तेज होने लगी
अरुण उसके रसिले दूध मसलता हुआ - देखना चाहोगी कैसे सून्घता है वो आपकी पैंती
अरुण का लन्ड अब साडी के उपर से सीधा उसकी बुर को चुब रहा था और उसकी आंखे बस अरुण को निहार रही थी ।

अरुण के चुचो को मसलता हुआ - बोलो ना देखोगी अपने बेटे को मूठ मारते हुए हम्म

शालिनी ने हा मे सर हिलाया और फिर लाज से हस दी
अरुण भी जोश से भर आया और शालिनी का हाथ पकड़ कर किचन से निकलने लगा
शालिनी ने लपक कर चूल्हा बन्द कर दिया फिर अरुण के साथ हो ली ।

धीरे धीरे दोनो शालिनी के कमरे की ओर बढ़ने लगे और हल्की हल्की उनके कानो मे राहुल की भुनभुनाहट भरी सिसकिया आने लगी
शालिनी ने सतर्क नजरो से अरुन को देखा तो अरुण ने उसे आगे बढ़ने को कहा
दरवाजे के पास से दोनो ने एक साथ कमरे मे झाका और पीछे हो गये

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राहुल उनके एकदम करीब ही था , वो दराज के पास खड़े होकर शालिनी की कच्छीया निकाल कर एक को अपने लन्ड पर रख कर अपना लन्ड जोरो से हिला रहा था - अह्ह्ह मेरी सेक्सी मम्मी अह्ह्ह मेरी चुद्क्क्ड मम्मीई अह्ह्ह लेलो ना मेरा लन्ड ओह्ह्ह एस्स उह्ह्ह मम्मी तुम्हारी गाड़ बहुत सेक्सी है अह्ह्ह तुम्हारी पैंती इत्नी मुलायम है तो बुर कितनी नरम होगी अह्ह्ह मम्मी ओह्ह्ह्ह आजाओ ना उह्ह्ह

शालिनी आंखे फाडे अरुण को देख रही थी और अरुण उसके साम्ने लोवर के उपर से अपना मुसल भींच कर भीतर देखने का इशारा किया ।
शालिनी ने हौले से फिर से झाका , सामने उस्का बेटा उसकी पैंती अपने कडक लन्ड पर लपेट कर उसी मे मुठ्ठि मार रहा था
जिसे देख कर शालिनी को यह लगा कि शायद इतने दिन से राहुल ने उसे चोदा नही इसीलिए ऐसी हरकते कर रहा है

इधर राहुल को अहसास हो गया था कि उसकी मा आ चुकी है तो वो योजनानुसार अपना लन्ड हिलाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया और जोर जोर से चिन्घाड़ने लगा

अरुण - यही मौका है मामी रंगे हाथ पकड़ लो उसे
शालिनी - प्कका ना मै जाऊ
अरुण - हा मामी अभी के अभी

शालिनी ने मन बनाया और अरुण के सामने ही अपने बेटे के आगे जाने के लिए जैसे ही दरवाजे से कमरे दाखिल हुई
राहुल ने कमरे मे घुसती परछाई ने अपनी मा की छवि देखी और अपने भरे सुपाड़े पर जो कुछ समय से रोक लगाये था वो हटा दिया

शालिनी राहुल को आवाज देती हुई कमरे मे दाखिल हुई और राहुल ने सुपाड़े का मुह दरवाजे की ओर घुमा दिया

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एक तेज बड़ी मोटी गाढ़ी पिचकारी की लम्बी धार सीधे शालिनी के मुह और सीने पर गिरी - अह्ह्ह म्म्मीई ओह्ह्ह आप यहाआ आह्ह कैसे ओह्ह्ह्व

राहुल तेजी से लन्ड हिलाता हुआ बाकी का रस फर्श पर छोड रहा था और शालिनी को उम्मीद नही थी एक बार फिर उसे वीर्य से नहाना पड़ेगा

राहुल की हरकत से शालिनी खिझी और तेज आवाज मे - राहुल ये क्या हरकत है
शालिनी की आवाज पर अरुण लपक कर कमरे मे आया - क्या हुआ मामी

शालिनी बुरा सा मूह बनाती हुई - देखो इस कमीने ने क्या किया मेरे उपर , अरे तुझे शर्म नही आई हे भगवान क्या कर रहा था तु

राहुल ने एक नजर अरुण को देखा और इशारेबाजी मे दोनो ने एक दुसरे को गुडलक किया
राहुल - मम्मी वो मै वो ? सॉरी

शालिनी अपने होठो के पास के वीर्य को उंगलियो से हटाने लगी - उम्म्ंम्ं छीईईई और ये फर्श सब गन्दा कर दिया , नालायक कही का अभी भी नंगा खड़ा है चल कपडे पहन बेशर्म
शालिनी - मै तेरे पापा को लेकर आती हूँ
राहुल लपक कर अपनी मा के हाथ पकड़ गिडगिडाने लगा - नही मा पापा को नही , प्लीज आप जो सजा दो मुझे मन्जूर है प्लीज पापा को नही


अरुण भौचक्का रह गया कि क्या अलग ड्रामा होने लगा ,जो औरत अभी अपने बेटे के लन्ड के लिए उतावली थी अभी अलग ही ड्रामे पेल रही है उसपे से जन्गीलाल का आना उसके लिए चिंता की बात दिख रही थी
राहुल के बार बार आग्रह करने पर
शालिनी - अरून बेटा तू बाहर जा मुझे इस्से कुछ बात करनी पडेगी

अब अरुण की फटी क्योकि ये सब जो शालिनी करने जा रही थी वो उस्की योजना के अनुरुप नही होता दिख रहा था।

अगले पल शालिनी ने अरुण को कमरे के बाहर किया और दरवाजा भिड़का दिया ।

शालिनी दरवाजे लग कर खड़ी हो गयी और मुस्कुराने लगी ,राहुल भी मुस्कुराता हुआ उसकी ओर बढा

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शालिनी नाटक करती हुई लपक कर राहुल का मुरझाता लन्ड थाम ली और बाहर अरुण को सुनाती हुई तेज आवाज मे बोली - मै एक नही सुनूंगी तेरी , बहुत बिगड़ गया है तु आज तुझे सजा मिलेगी

राहुल उसके करीब आकर उसके मुलायम चुचे सहलाता हुआ - आह्ह प्लीज मम्मी नही सॉरी ना

शालिनी उसके लन्ड को भिचने लगी - नही तु सच मे बहुत बिगड़ गया , क्या कर रहा था मेरी कच्छी के साथ बोल

राहुल - सॉरी ना मम्मीई अह्ह्ह सुउउउऊ प्लीज ना
बाहर अरुण कमरे से आ रही आवाजो से माहौल का अन्दाजा लगा रहा था उसकी बुरी तरह से फटी हुई थी

जैसे शालिनी राहुल को पीत रही हो मगर राहुल की सिस्कियो का कारण तो कुछ और ही था निचे घुटनो के बल बैठ कर शालिनी उस्का लन्ड मुह मे भर चुकी थी

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राहुल - आह्ह क्या कर मम्मी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो अह्ह्ह सीईई उम्म्ंम्ं

शालिनी - तो क्या अपनी मा से ये सब करेगा बोल ,फिर करेगा ये सब उम्म्ं

राहुल मुस्कुरा कर शालिनी के आगे हा मे सर हिलाता हुआ - नही मा कभी नही प्लीज सॉरी ना
शालिनी इठलाती हुई मदमस्त नजरो से उसे निहारती बाहर खड़े अरुण को सुनाती हुई - रुक तू ऐसे नही सुधरेगा

राहुल भी शालिनी का साथ देते हुए झुठ मूठ की चिखमचिल्ली करने लगा
इधर अरुण की हालत खराब होने लगी कि राहुल तो आज बुरा फसा , लेकिन उसे ये समझ नही आ रहा था कि अचानक से शालिनी मामी का मूड खराब कैसे हो गया ।

धीरे धीरे दोनो की अवाजे दरवाजे से दुर होती मह्सूस होने लगी और अरुण कुछ पल बाद हल्की आवाजे आने लगी , उसे लगा कि कही शालिनी राहुल को पीटते हुए ले जा रही है

शालिनी - उम्म्ंम और करेगा बदमाशी उम्म्ं आह्ह बोल ना बोल
राहुल सिस्कते हुए हस कर - उम्म्ं नही तो कह रहा हु मम्मी फिर क्यू मार रही हो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

शालिनी - ऐसे ही मारुन्गी बहुत बिगड़ गया है तु , मम्मी की कच्छी से गन्दे गंदे काम करता है , फिर करेगा बोल उह्ह्ज बोल , नही तो पापा को कहूँगी
राहुल - नही मा नही करूंगा अह्ह्ह उह्ज्ज और उह्ह्ह्ज येस्स्स्स मम्मीई फ्क्क्क मीई

अरुण को हल्की फुल्की अवाजे आ रही थी तो वो सुनने के लिए दरवाजे के और करीब गया जैसे ही उसके कन्धे ने दरवाजे पर स्पर्श किया दरवजा हल्का सा हिला और अरुण चौका - मतल्व दरवाजा खुला ही है देखू तो



"ओह्ह बहिनचोद क्या ड्रामा है ये मा बेटे का " , अरुण दरवाजे को हौले से खोलता हुआ कमरे मे झाक कर बिस्तर पर देखता है
जहा शालिनी अपनी साडी उठा कर राहुल को निचे लिटाये हुए उसके लन्ड पर उछल रही थी ।

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अपनी गाड़ पटक पटक कर शालिनी अपने बेटे का लन्ड चुत मे ले रही थी और दोनो मा बेटे अरुण को सुनाने के लिए नाटक किये जा रहे थे ।

अरुण का चेहरा अगले ही पल कमरे का नजारा देख कर खिल गया और लन्ड एकदम से तनमना गया ।
कुछ सोच कर अपना मुसल मसलते हुए वो भी चुपके से कमरे मे दाखिल हुआ ।



जारी रहेगी
अब शालनी की गांड़ भी चुदेगी... डबल चूदाई.....
 
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