UPDATE 216
अमन के घर
10 बजने को हो रहे थे और हाल मे बैठकी चल रही थी , कल सोनल के मायके से आने वाले मेहमानो की खातिरदारी की बाते चल रही थी ।
ममता आज अलग मूड मे थी बार बार मुरारी के सामने अपनी ननद संगीता का नाम लेके अपने पति को छेड़ रही थी और मुरारी कभी उसे आंखे दिखाता तो कभी झेप कर हस ही पड़ता
वही मदन और संगीता के अपने ही इशारेबाजियां हो रही थी ,सन्गिता के अपनी आंखो से मदन को अपने इरादे जता रही थी जिससे मदन का खूटा पजामे खड़ा हो गया था ।
पेपर की आड़ वो कभी कभी अपने लाड़ खुजा भी देता और कभी कभी छिप कर अपनी बहन पर फलाइंग पप्पियां भी उछाल देता
मगर ममता की तेज नजरो से उनकी इश्क़बाजी छुपते नही छिप रही थी ।
ममता ने मुरारी को इशारे से दोनो कबूतरों की ओर तकाया और मुरारी मुस्कुरा पड़ा ।
इधर इनकी बातें हो रही थी
वही किचन मे आज सोनल भी दुलारी का हाथ बटा रही थी । चूल्हा छूने के लिए उसको अपनी सास ममता की ओर से सख्त मनाही थी तो सब्जी काट रही थी और दुलारी से उसकी बातें हो रही थी
इतने मे अमन तेजी से जीने से नीचे आता है और बाहर निकल जाता है ।
उसकी तेजी से सबको हैरत हुई कि क्या बात थी । सन्गिता और ममता ताज्जुब से उठ खड़ी हुई कि क्या बात हो गयी
कुछ ही मिंट मे अमन तेजी से हाल मे प्रवेश किया , अब उसके हाथ मे एक पैकेट था
ममता - क्या हुआ कहा गया था तेजी मे
अमन हसता हुआ एक नजर अपने पापा को देखा और बोला - मम्मी वो ये parcel आया था वो लेने गया
पारसल आने का सुन कर मुरारी के चेहरे की चमक बढ़ गयी और दिल मे जज्बात उमड़घुमड़ करने लगे ।
अमन बिना कुछ बोले सरपट उपर चला गया ।
हाल मे बैठे सबने इस बात को कैजुअली लिया मगर किचन मे दुलारी ने सोनल को छेड़ने लगी - उंहु देखो तो देवरानी जी के लिए गिफ्ट आया है
सोनल - उसमे उनके काम की चीज भी हो सकती है ना भाभी
दुलारी उसके कंधे से अपना कन्धा लड़ाती हुई मुस्कुरा कर - अरे मेरे देवर की सबसे काम की चीज तो तुम हो हिहिही
सोनल दुलारी के दोहरे मजाक पर हस पड़ी - हिहिही मै कैसे ?
दुलारी- अरे तुम ठहरी घर की सीधी गाय और मेरा देवर है जमीन मे गढा खुन्टा तो उसके काम की चीज तुम ही हुई ना ।
सोनल हस कर - फिर मुझसे पहले उस खूँटे मे कौन बन्धा हुआथा , आप ? हिहिहिही
दुलारी से सोनल की मसती पर हौले से उसकी चिकनी कमर पर चिमटी काटी- चुप कर तुझे चारा दी तो हाथ पकड़ ली उम्म्ंम
सोनल हसती हुई - घर की नयी गाय हूँ भाभी हिहिही अभी खाना सिख रही हु आपकी तरह मुझे खेतो मे चरना कहा आता है
दुलारी - तु तो बड़ी चंथ है रे हिहिहीही बातो बातो मे ही मुझे चित कर गयी
सोनल हसती हुई - कभी मेरी बहन निशा से नही मिली आप , कल आयेगी तो मिलाउन्गी हिहिहिही
दुलारी हस कर - अच्छा वो बछिया हिहिहिही
सोनल दुलारी की बात समझ नही पाई और अचरज से उसे देखा
दुलारि हसती हुई - सुना है इस बार हनीमून के सफर मे गईया अपनी पूंछ मे एक बछिया भी लेके जायेगी
सोनल अब दुलारी का तन्ज समझ गयी और लाज से हस दी - सोचा तो मैने था किसी खेतहर भैस को साथ लू मगर हो नही पाया ।
दुलारी हस्ती हुई - धत्त कमिनी तु बहुत दुष्ट है मुझे भैस बुला रही है
सोनल - आपके थन भैसो से ही मिलते है भाभी हिहिही
दुलारी खीझकर - और तेरे दूल्हे का लन्ड गदहे से
सोनल चौकी मगर दुलारी ने झटसे अपनी गलती सुधारती हुई बात को मजाक मे ले गयी मगर सोनल समझ गयी कि दुलारी ने कही ना कही और कभी ना कभी उसके सईया के खूँटे के चक्कर जरुर लगाये है ।
इधर इनकी बाते हसी ठिठौलि चल रही थी तो वही मुरारी को बेचैनी सी उठ रही थी कि क्या करे वो कि पारसल देखने कोमिल जाये
वही उपर दुलारी के कमरे मे अलग ही माहौल बनता दिख रहा था
अमन पारसल लेने निचे गया तो था मगर उसकी तेजी कारण पारसल नही बलकि रिन्की थी जो दुलारी के कमरे मे दरवाजे के पीछे बिना कैफरी के सिर्फ टीशर्ट और पैंटी छिप कर खड़ी थी ।
अमन झटपट से कमरे मे भागता हुआ आया और कमरे मे चारो ओर नजर घुमाते हुए वो बेड की ओर बढ़ा मगर उसे रिन्की नजर नही आई जबतक कि रिन्की की शरारत भरी खिलखिलाहट उसके कानो मे नही गुंजि ।
अमन खड़े खड़े घूम कर पीछे देखा तो रिन्की दरवाजा बन्द करती हुई उसकी ओर देख रही थी ।
टीशर्ट के निचे से झांकती उसकी पैंटी उसके नरम मुलायम चुतड़ पर चिपके हुए थे और उसकी सुन्दर चिकनी बिना रोए वाली जान्घे कमरे की रोशनि मे झलक रही थी ।
अमन ने उसके खिले चेहरे को देखा और पीछे बिस्तर पर पैर लटका कर लेट गया ।
रिन्की मटकती इठलाती हुई उसके करीब आई और उसके जांघो को टटोलती हुई अपनी गाड़ उसके ओर फेकती हुई सीधा अमन के लन्ड पर बैठ गयी ।
लोवर के उपर से रिन्की अमन के लन्ड पर अपनी गाड़ मथने लगी और अमन उसके नरम मुलायम चुतड का स्पर्श पाकर भीतर से सिहर उठा - उह्ह्ह्ह गुड़िया उम्म्ंम्म्ं कितनी मुलायम अह्ह्ह उम्म्ंम्ं
रिन्की भी अपने गाड़ के दरारो मे पैंटी के उपर से अमन का मोटा फड़कता मुसल पाकर मचल उठी थी उसकी बुर बजबजाना शुरु हो गयी थी और मुह से मादक मीठी कुनमुनाहट भरी सिसकियाँ उठने लगी थी ।
अमन उसके नरम मुलायम छोटे छोटे चुतडो को हाथो मे भरने की कोसिस करने लगा और हर स्पर्श के हाथ उस्का लन्ड झटके खाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया मेरा बच्चा आह्ह उम्म्ंम बहुत नरम है तेरी गाड बाबू उम्म्ंम्ं अह्ह्ह क्या मस्त ओह्ह्ह्ह सीईई कहा से सिखती है तु उम्म्ंम ओफ्फ्फ्फ
रिन्की अपनी गाड़ मथती हुई सिस्किया लेती रही - उम्म्ंम्ं भैयाह्ह्ह आपका मोटा सा लन्ड देख कर ना जाने मुझे क्या हो जाता है अह्ह्ह जी करता है इसपे रगड़ रगड़ कर उम्म्ंम्ं अह्ह्ह अपनी बुर का सारा पानी बहा दुह्ह्ह आह्ह्ह्ह भाइयाअह्ह्ह उम्म
अमन - उफ्फ्फ सच मेरी गुड़िया को इतना पसंद मेरा मोटा लन्ड उम्म्ंम , देखू तो कितना पानी निकाला तुने उम्म्ं
रिन्की उठ खड़ी हुई और अपनी टीशर्ट उठा गाड़ बाहर की ओर फेकती हुई बड़ी अदा से अपने छोटे छोटे चुतड़ को फैला कर अमन के आगे बडा दिखाने की लालसा मे अपनी पैटी को बड़ी कामुकता से अपनी गाड़ से हौले हौले सरकाने लगी
जल्द ही अमन की आंखो के आगे उसकी नरम मुलायम गोरी गोरी गाड़ की दरारे साफ साफ नजर आने लगी , उसके गुदाज मोटे मोटे पाव जैसे नरम फूले गुलाबी चुतड़ खिले खिले से नजर आ रहे थे ।
अमन का लन्ड लोवर मे ही बगावत पर आ गया और हाथ बढा कर उसने रिन्की के चिकने चुतड़ सहलाने लगा , अमन का स्पर्श पाकर रिन्की भीतर से गनगना गयी और उसकी टाँगे कापने लगी ,
अमन उसके गाड़ के दरारों को उंगलियो से खोलते हुए बुर के नीचले हिस्से तक गया
उसे अपनी उंगलियो के सिरो पर हल्की लसलसाहट सी मह्सूस हुई और लपक कर उसने रिन्की की कमसिन नाजुक फाकेदार फूली हुई गुलाबी बुर को उंगलियो से घेर लिया
दोनो उन्ग्लिया आगे पीछे कर रिन्की की चुत पर रगड़ते ही रिन्की आंखे उलटती हुई अपनी जान्घो को कस कर अमन की हरकट को रोकना चाहा मगर अमन की मोटी उंगलिया उसके चुत के फाको मे घुस चुकी थी और सीधा बुर के दाने पर रेंगने लगी ।
रिन्की की टागे और मुह दोनो खुल गये और उसकी धड़कन तेज गयी , पैर मे कपकपी सी होने लगी और बुर के आस पास गर्मी सी उठने लगी - अह्ह्ज भैयाह्ह्ह डालो ना
रिन्की के मुह से ये शब्द सुनते ही अमन का लन्ड फनफना उठा और दुसरे हाथ से उसने अपना लोवर खिंच कर लन्ड बाहर निकाल कर हिलाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया आजा देख तेरे भैया का मोटा लन्ड उह्ह्ह आ नाअह्ह उम्म्ंम्ं आजा बच्चा उम्म्ंम्ं आजा
रिन्की ने नजर घुमा कर अमन का मोटा फनफनाता मुसल देखा और उसकी जिस्म मे कामोत्तेजना तेजी से हावि होने लगी उसने अपनी टांग उठाई और अमन का मोटा मुसल पकड़ कर उसकी चमडी उपर निचे करती हुई उस्का गर्म तपता नुकीला लाल सुपाड़ा अपनी गुलाबी रसाती बुर के फाको पर लगाया -अह्ह्ह भैयाहह्ह कितना गर्म्म्ंं उम्म्ंम म्म्म्माआह्ह सीई ओह्ह्ह फक्क्क्क उह्ह्ह्ह
रिन्की अमन का मोटा सुपाडा अपने रस छोड़ते बुर के फाको पर घिस रही थि और अमन की हालत खराब होती जा रही थी , वो रिन्की के बढ़ती उम्र के कामाग्नी मे जलना शुरु हो गया था । पल पल उस्का लन्ड वीकराल रूप लेता जा रहा था , अब तो उसके लन्ड के सतह पर नसे सूतरियो सी उभरनी शुरु हो गयी थी
सुपाड़े का मुह बड़ा सा होने लगा था और रिन्की की गर्म रस की धार उसके सुपाड़े की खुजली बढाने लगी थी ऐसे मे रिन्की ने उसे राहत देते हुए एक हाथ अपनी बुर के फाके फैला कर सुपाड़े को अपनी बुर की सकरी सुराख पर टिकाया और कमर घुमाती लन्ड अपनी बुर मे अद्जेस्ट करती हुई कचकचा कर बैठने लगी
जबरजस्त दर्द भरी ऐठन उसके कुल्हे और पेड़ू मे उठने लगी थी ,चुत की लसलसाई फाके अपनी क्षमता से अधिक खिचाव होने से लाल होनी शुरु हो गयी थी ,
दर्द के भाव रिन्की के लाल चेहरे और डबड्बाआई आंखे बयां कर रही थी , मगर भीतर भैया के मोटे लन्ड पर कुदने की चसक ने रिन्की का अभी तक हौसला मजबूत कर रखा था
अमन को भनक तक नही होने दिया उसने ऐसे अपनी कापती सांसो पर काबू कर रखा था उसने और देखते ही देखते अमन का मोटा मुसल उसकी सुराख को फैलाता हुआ उसकी चुत की दिवारे चीरता आधा घुस चुका था
भलभला कर उसकी बुर भितर तक रस से भरि हुई थी और अमन के लन्ड घुसते ही सारी मलाई लन्ड के चारो ओर फैलने लगी , उस गर्म रस ने सबसे ज्यादा रिन्की की चुत के फाको को राहत दी और फिर हौले हौले चुतड़ उठाने का दौर शुरु हुआ
रिन्की ने मुह पर हाथ रख रुआस आंखो से दर्द छिपाती हुई चुतड़ उठाये और जोर से कचकचा कर पटक दिया , इस बार अमन की चमडी खिंची और उसने रिन्की के कुल्हे थाम लिए , अमन ने मानो उसकी दर्द को छू लिया और रिन्की के मुह से दर्द भी सिसकी निकली - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ज न्हीईई उम्म्ंम
अमन ने फौरन हाथ अलग किये और उठने की कोसिस करता हुआ - क्या हुआ गुड़िया रो रही है तु , निकाल दू दर्द हो रहा है
रिन्की ने आँसू पोछे और ना मे सर झटकती हुई अपने चेहरे भींच कर दर्द सहती चुतड हौले हौले उछलने लगी - अह्ह्ह भैयहह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं
अमन के लन्ड पर रिन्की के रसदार कसे हुए फाके अपना असर दिखाने लगे , रिन्की अपने कुल्हे उठा उठा कर गिराने लगी , ह्च्च ह्च्च अमन का सुपाडा हर बार उसकी बुर मे चोट करता हुआ कुछ सेमी आगे बढ रहा था और रिन्की की कमर अब गर्म होनी शुरु हो गयी थी ।
अमन - ओह्ह्ह गुड़िया क्या मस्त कसी चुत है तेरी अह्ह्ह उम्म्ंम ओह्ह्ह फक्क्क येस्स बेटा ऐसे ही उह्ह्ह और पटक उह्ह्ह और आह्ह उम्म्ंम लेले रगड़ ले अपनी बुर अपने भैया के मोटे लन्ड पर ओह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह
अमन की बातें रिन्की को दुगना जोश भर चुकी थी और वो एडिया उठा कर उपर बिस्तर का सहारा ले चुकी थि और उकुडू होकर अब हच्क हचक कर पुरा का पुरा अमन का लन्ड अपनी बुर के भरने लगी , अमन का नुकीला सुपाडा उसकी बच्चेदानी मे चोट करने लगा , हर दर्द हर गं सह कर ना जाने कैसे रिन्की अमन का मोटा लन्ड घुसाये बैठी सिसकिया ले रही थी
अमन लन्ड पर रिन्की की थाप पाकर और जोशिला हुआ जा रहा था और रिन्की की बुर फिर से टपकने लगी और उसकी चाल हल्की होने लगी
और धीरे धीरे थमने भी लगी
अमन उठ गया , अभी भी रिन्की उसकी गोद मे थी उसने अपने हाथ आगे कर रिन्की के नन्हे चुजे मसलने लगा टीशर्ट के उपर से - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ह उम्म्ंम रगड़ डालो ओह्ह्ह ना जाने कबसे मेरा दिल था आप इन्हे मसलो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह
अमन - आह्ह गुड़िया तेरे चुचे बहुत कोरे है आह्ह कितने कदक और नुकीले उह्ह्ह कभी मिजवाई नही क्या अह्ह्ह कोई दोस्त नही तेरा
अमन के हर सवाल को ना मे जवाब देती रही रिन्की और उतना ही अमन का लन्ड उसकी बुर मे कसता गया
उसने झटके से उठ कर रिन्की को अपने लन्ड पर उठाये हवा मे टांग लिया और घुमा कर बिस्तर पर झुका दिया
अमन अब रिन्की को घोड़ी बना कर कस कस कर लन्ड उसके बुर देने लगा
अमन के तेज करारे झटको से रिन्की को बुर के परखच्चे उड़ने लगे उसकी सिस्किया अब दर्द भरि चिखो मे बदलने लगी मगर नही बदला तो उसका जुनून अमन के लन्ड को निचोड लेने का ।
सुबकती सिस्कती बड़बड़ाती वो अमन के तेज लन्ड के झटको की चोट अपनी बुर मे लेती रही - उउउउउऊअह्ह्ज्ज येस्स्स्स भैयाअझ्झ उम्म्ंम्म्ं फ्क्क्क फक्क्क फक्क्क मीईई उह्ह्ह उह्ज्झ्ह अह्ह्ह सीईई
अमन उसकी तेज आवाज और रुआअस भरि चिखो से और भी जोश मे आकर उसके मुह पर हाथ रखकर कस कस के पेलने लगा - अह्ह्ह लेह्ह्ह बहिनचोद अह्ह्ह साली कुतिया कितना रो रही है अह्ह्ह बहिनचोद पुरा लन्ड खा गयी मेरा और बिलख रही है मादरचोद अह्ह्ह लेह्ह्ह्ह और लेह्ह्ह आज फ़ाड दन्गा बहुत गर्मी है ना तेरी बुर मे उम्म्ंम बहुत खुजलाती है ना तेरी बुर उम्म्ं बोल
रिन्की हाफ्ती हुई आहे भरती हुई -अह्ह्ह हा भैगा तुम्हारे इस मोटे हथियार को याद कर कर ही तो कुलबुलाती है अह्ह्ह और चोदो अह्ह्ह फाड़ दो हा ऐसे उह्ह्ह्ह येस्स्स येस्स्स आह्ह्ह्ह फक्क्क्क्क उम्मममं मुम्मीईईई उहुहू अह्ह्ह भैयाअह्ह्ह्ह ओह्ह्ह माय उह्ह्ह्ह
अमन हचर हचर पेलते पेलते हुए उसको जोर का झटका देके बिस्तर पर फेका
रिन्की बिस्तर पर गिर गयि कुछ सेकेण्ड का आराम हुआ होगा कि अमन ने फिर से उसकी टांग खिंच कर अपना लन्ड उसको बुर मे ल्गाते हुए उसके उपर चढ़ गया
रिन्की - ओह्ह्ह भैयाह्ह्ह तुम जब चिपकते हो तोह्ह्ह अह्ह्ह मम्मीई
अमन उसके उपर चढ़ा हुआ उसकी बुर मे अपना लम्बा लन्ड घुसेड़ कर चोदता हुआ - तो क्याह्ह गुड़िया बोल ना
रिन्की - आह्ह भैयाह्ह उह्ह्ह बहुत गरम गरम लगता है अह्ह्ह लग्ता है कि अह्ह्ह अह्ह्ह उफ्फ्फ देखो फिर से अह्ह्ह आ रहा है उह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ मम्मीईई उउउउउऊऊ उम्म्ंम्म्ं येस्स्स येस्स्स अह्ह्ह्ह उह्ह्ह फ्क्क्क मीईई हार्ड भैयाअह्ह्ह ओह्ह्ह
अमन एक बार फिर रिन्की के तेज कामुक सिस्कियो से जोश से भर गया और रिन्की का मुह बान्ध कर फिर से हुमुच हुमुच कर पेलने लगा - उह्ह्ह साली लेह्ह्ह अह्ह्ह और झड़ अह्ह्ह झड जा मेरे लन्ड पर ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है रे अह्ह्ह्ह बहिनचोद उफ्फ्फ साली मादरचोद उह्ह्ह्ह लेह
रिन्की बुरी तरह झड रही और उसकी फड़फ्ड़ाती बजब्जाती चुत अब अमन के लन्ड पर अपना छल्ला कस चुकी थी और अमन के सुपाड़े पर अधिक दबाव आने लगा उसपे से अमन का जोश उसके आड़ो से चढ कर सुपाड़े मे भरने लगा था
लन्ड की गर्मी से रिकी की बुर जल रही थी उस्का पानी सूख चुका था , अमन आखिर जोर तक अपने लन्ड को रिन्की की बुर मे कोन्चता रहा और जब लगा कि वो रुक नही पायेगा
उसने लन्ड बाहर निकाल कर रिन्की की गाड़ पर पिचकारी गिराने लगा - ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह सिउईई उह्ह्ह्ह गुड़िया अह्ह्ह्ह लेह्ह्ह आ रहा है मेरा ओह्ह्ह फ्क्क्क्क फक्क्क आह्ह
रिन्की के नाजुक चुतड अमन के गर्म छ्लछ्लाते बीज से लाल होने लगे - ओह्ह भैयाह्ह अह्ह्ह कितना गर्म हैया हहह नहला दो मुझे उह्ह्ह मुझे भिगो दो भर मेरी गाड़ अह्ह्ह भैयाह
अमन अखिर बूंद तक उसकी गाड़ के दरारो मे निचोड़ दिया उसके बगल मे लेट गया
रिन्की भी कुछ पल तक अपनी गाड़ को हवा मे उठाए सुस्ताती रही और उसके गाड़ पर गिरी मलाई गाढी होती चली गयी ।
राहुल के घर
दिन चढता जा रहा था । शालिनी किचन मे खाना बनाने मे बिजी थी और वही राहुल के कमरे मे खुसरफुसरबाजी चल रही थी ।
राहुल बहुत ही कड़े लहजे मे अरुण से नाराजगी जता रहा था कि क्यू उसने रात वाली बात उससे छिपाई । मगर अरुण किसी तरह लालच देकर राहुल को तैयार किया , कम से कम अरुण ने तो ऐसा ही मह्सूस किया था ।
अरुण ने राहुल को बताया कि कैसे उसने बड़ी चालाकी से शालिनी को शंका मे ला खड़ा किया है कि उसके बेटे की नियत उस पर खराब हुई और अब उसे इस बात का यकिन भी दिलाना है ।
राहुल के लिए ये खेल मजेदार होने वाला था अरुण के सामने अपनी मा के साथ नौटंकी करने का ।
वैसे वो थोडा नाराज अपनी मा से भी था कि शालिनी ने भी उससे कुछ जाहिर नही किया ।
उनकी योजना शुरु हुई और दोनो कमरे से बाहर निकल कर दबे पाव किचन की ओर बढ़े सामने देखा शालिनी दुपहर के खाने की तैयारियो मे व्यस्त है और साडी मे उसकी उठी हुई गाड़ देख कर दोनो का लन्ड तनमना गया ।
अरुन ने राहुल को इशारे से शालिनी के कमरे जाने को कहा - तु चल मै मामी को लिवा कर आता हु , ठिक है
राहुल सहमती दिखा कर अपनी मा के कमरे की ओर बढ़ गया
इधर अरुण भी मौका देख कर लपक कर किचन मे घुस कर शालिनी को पीछे से हग कर लिया
"हाय दैयाआ अरुण तुहहह धत्त छोड ना क्या कर रहा है " शालिनी अरुण की जकड़ से छुटने के लिए कसमसाई ।
अपनी मामी के मुलायम बदन का स्पर्श पाकर अरुण का लन्ड एकदम से फड़फडा कर निचे शालिनी की साडी के उपर से उसके गाड़ मे धंसने लगा - अह्ह्ह मामी तुम्हे तो छोडने का दिल ही नही चाहता अह्ह्ह मेरी सेक्सी चुदक्कड़ मामी ।
शालिनी अरुण के शब्दो से लजाई और हस्ती हुई - धत्त गन्दा , हर वक़्त थोड़ी ना ये सब अच्छा लगता है । दुर हट राहुल आ जायेगा ।
अरुण ने लपक कर उसकी गुदाज पाव सी चुचियो को दोनो हाथ मे भर लिये - अह्ह्ह अरून उम्म्ंम बेटा मत कर ना उमम्मम्ं राअहुल्ल आ जायेगा अह्ह्ह रुक जाआह्ह
अरुण अपना नुकीला तम्बू उसकी गाड़ मे कोचता हुआ उसके दुधारू थन जैसे मोटे मोटे नरम चुचो को मिजता हुआ - उसकी चिंता ना करो मामी , वो तो आपके नाम की मूठ लगा रहा होगा
शालिनी चौकी और उसकी ओर घूमी - क्या ?
अरुन ने अपनी बतिसी दिखाते हुए उसकी कमर को सहलाता उसके बुलंद टाइट चुतड़ को मसलने लगा - हम्म्म मेरी जान, वो तो आज तुम्हारी कच्छीयों से खेल रहा है अभी अभी देखा मैने
शालिनी की सासे तेज होने लगी
अरुण उसके रसिले दूध मसलता हुआ - देखना चाहोगी कैसे सून्घता है वो आपकी पैंती
अरुण का लन्ड अब साडी के उपर से सीधा उसकी बुर को चुब रहा था और उसकी आंखे बस अरुण को निहार रही थी ।
अरुण के चुचो को मसलता हुआ - बोलो ना देखोगी अपने बेटे को मूठ मारते हुए हम्म
शालिनी ने हा मे सर हिलाया और फिर लाज से हस दी
अरुण भी जोश से भर आया और शालिनी का हाथ पकड़ कर किचन से निकलने लगा
शालिनी ने लपक कर चूल्हा बन्द कर दिया फिर अरुण के साथ हो ली ।
धीरे धीरे दोनो शालिनी के कमरे की ओर बढ़ने लगे और हल्की हल्की उनके कानो मे राहुल की भुनभुनाहट भरी सिसकिया आने लगी
शालिनी ने सतर्क नजरो से अरुन को देखा तो अरुण ने उसे आगे बढ़ने को कहा
दरवाजे के पास से दोनो ने एक साथ कमरे मे झाका और पीछे हो गये
राहुल उनके एकदम करीब ही था , वो दराज के पास खड़े होकर शालिनी की कच्छीया निकाल कर एक को अपने लन्ड पर रख कर अपना लन्ड जोरो से हिला रहा था - अह्ह्ह मेरी सेक्सी मम्मी अह्ह्ह मेरी चुद्क्क्ड मम्मीई अह्ह्ह लेलो ना मेरा लन्ड ओह्ह्ह एस्स उह्ह्ह मम्मी तुम्हारी गाड़ बहुत सेक्सी है अह्ह्ह तुम्हारी पैंती इत्नी मुलायम है तो बुर कितनी नरम होगी अह्ह्ह मम्मी ओह्ह्ह्ह आजाओ ना उह्ह्ह
शालिनी आंखे फाडे अरुण को देख रही थी और अरुण उसके साम्ने लोवर के उपर से अपना मुसल भींच कर भीतर देखने का इशारा किया ।
शालिनी ने हौले से फिर से झाका , सामने उस्का बेटा उसकी पैंती अपने कडक लन्ड पर लपेट कर उसी मे मुठ्ठि मार रहा था
जिसे देख कर शालिनी को यह लगा कि शायद इतने दिन से राहुल ने उसे चोदा नही इसीलिए ऐसी हरकते कर रहा है
इधर राहुल को अहसास हो गया था कि उसकी मा आ चुकी है तो वो योजनानुसार अपना लन्ड हिलाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया और जोर जोर से चिन्घाड़ने लगा
अरुण - यही मौका है मामी रंगे हाथ पकड़ लो उसे
शालिनी - प्कका ना मै जाऊ
अरुण - हा मामी अभी के अभी
शालिनी ने मन बनाया और अरुण के सामने ही अपने बेटे के आगे जाने के लिए जैसे ही दरवाजे से कमरे दाखिल हुई
राहुल ने कमरे मे घुसती परछाई ने अपनी मा की छवि देखी और अपने भरे सुपाड़े पर जो कुछ समय से रोक लगाये था वो हटा दिया
शालिनी राहुल को आवाज देती हुई कमरे मे दाखिल हुई और राहुल ने सुपाड़े का मुह दरवाजे की ओर घुमा दिया
एक तेज बड़ी मोटी गाढ़ी पिचकारी की लम्बी धार सीधे शालिनी के मुह और सीने पर गिरी - अह्ह्ह म्म्मीई ओह्ह्ह आप यहाआ आह्ह कैसे ओह्ह्ह्व
राहुल तेजी से लन्ड हिलाता हुआ बाकी का रस फर्श पर छोड रहा था और शालिनी को उम्मीद नही थी एक बार फिर उसे वीर्य से नहाना पड़ेगा
राहुल की हरकत से शालिनी खिझी और तेज आवाज मे - राहुल ये क्या हरकत है
शालिनी की आवाज पर अरुण लपक कर कमरे मे आया - क्या हुआ मामी
शालिनी बुरा सा मूह बनाती हुई - देखो इस कमीने ने क्या किया मेरे उपर , अरे तुझे शर्म नही आई हे भगवान क्या कर रहा था तु
राहुल ने एक नजर अरुण को देखा और इशारेबाजी मे दोनो ने एक दुसरे को गुडलक किया
राहुल - मम्मी वो मै वो ? सॉरी
शालिनी अपने होठो के पास के वीर्य को उंगलियो से हटाने लगी - उम्म्ंम्ं छीईईई और ये फर्श सब गन्दा कर दिया , नालायक कही का अभी भी नंगा खड़ा है चल कपडे पहन बेशर्म
शालिनी - मै तेरे पापा को लेकर आती हूँ
राहुल लपक कर अपनी मा के हाथ पकड़ गिडगिडाने लगा - नही मा पापा को नही , प्लीज आप जो सजा दो मुझे मन्जूर है प्लीज पापा को नही
अरुण भौचक्का रह गया कि क्या अलग ड्रामा होने लगा ,जो औरत अभी अपने बेटे के लन्ड के लिए उतावली थी अभी अलग ही ड्रामे पेल रही है उसपे से जन्गीलाल का आना उसके लिए चिंता की बात दिख रही थी
राहुल के बार बार आग्रह करने पर
शालिनी - अरून बेटा तू बाहर जा मुझे इस्से कुछ बात करनी पडेगी
अब अरुण की फटी क्योकि ये सब जो शालिनी करने जा रही थी वो उस्की योजना के अनुरुप नही होता दिख रहा था।
अगले पल शालिनी ने अरुण को कमरे के बाहर किया और दरवाजा भिड़का दिया ।
शालिनी दरवाजे लग कर खड़ी हो गयी और मुस्कुराने लगी ,राहुल भी मुस्कुराता हुआ उसकी ओर बढा
शालिनी नाटक करती हुई लपक कर राहुल का मुरझाता लन्ड थाम ली और बाहर अरुण को सुनाती हुई तेज आवाज मे बोली - मै एक नही सुनूंगी तेरी , बहुत बिगड़ गया है तु आज तुझे सजा मिलेगी
राहुल उसके करीब आकर उसके मुलायम चुचे सहलाता हुआ - आह्ह प्लीज मम्मी नही सॉरी ना
शालिनी उसके लन्ड को भिचने लगी - नही तु सच मे बहुत बिगड़ गया , क्या कर रहा था मेरी कच्छी के साथ बोल
राहुल - सॉरी ना मम्मीई अह्ह्ह सुउउउऊ प्लीज ना
बाहर अरुण कमरे से आ रही आवाजो से माहौल का अन्दाजा लगा रहा था उसकी बुरी तरह से फटी हुई थी
जैसे शालिनी राहुल को पीत रही हो मगर राहुल की सिस्कियो का कारण तो कुछ और ही था निचे घुटनो के बल बैठ कर शालिनी उस्का लन्ड मुह मे भर चुकी थी
राहुल - आह्ह क्या कर मम्मी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो अह्ह्ह सीईई उम्म्ंम्ं
शालिनी - तो क्या अपनी मा से ये सब करेगा बोल ,फिर करेगा ये सब उम्म्ं
राहुल मुस्कुरा कर शालिनी के आगे हा मे सर हिलाता हुआ - नही मा कभी नही प्लीज सॉरी ना
शालिनी इठलाती हुई मदमस्त नजरो से उसे निहारती बाहर खड़े अरुण को सुनाती हुई - रुक तू ऐसे नही सुधरेगा
राहुल भी शालिनी का साथ देते हुए झुठ मूठ की चिखमचिल्ली करने लगा
इधर अरुण की हालत खराब होने लगी कि राहुल तो आज बुरा फसा , लेकिन उसे ये समझ नही आ रहा था कि अचानक से शालिनी मामी का मूड खराब कैसे हो गया ।
धीरे धीरे दोनो की अवाजे दरवाजे से दुर होती मह्सूस होने लगी और अरुण कुछ पल बाद हल्की आवाजे आने लगी , उसे लगा कि कही शालिनी राहुल को पीटते हुए ले जा रही है
शालिनी - उम्म्ंम और करेगा बदमाशी उम्म्ं आह्ह बोल ना बोल
राहुल सिस्कते हुए हस कर - उम्म्ं नही तो कह रहा हु मम्मी फिर क्यू मार रही हो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह
शालिनी - ऐसे ही मारुन्गी बहुत बिगड़ गया है तु , मम्मी की कच्छी से गन्दे गंदे काम करता है , फिर करेगा बोल उह्ह्ज बोल , नही तो पापा को कहूँगी
राहुल - नही मा नही करूंगा अह्ह्ह उह्ज्ज और उह्ह्ह्ज येस्स्स्स मम्मीई फ्क्क्क मीई
अरुण को हल्की फुल्की अवाजे आ रही थी तो वो सुनने के लिए दरवाजे के और करीब गया जैसे ही उसके कन्धे ने दरवाजे पर स्पर्श किया दरवजा हल्का सा हिला और अरुण चौका - मतल्व दरवाजा खुला ही है देखू तो
"ओह्ह बहिनचोद क्या ड्रामा है ये मा बेटे का " , अरुण दरवाजे को हौले से खोलता हुआ कमरे मे झाक कर बिस्तर पर देखता है
जहा शालिनी अपनी साडी उठा कर राहुल को निचे लिटाये हुए उसके लन्ड पर उछल रही थी ।
अपनी गाड़ पटक पटक कर शालिनी अपने बेटे का लन्ड चुत मे ले रही थी और दोनो मा बेटे अरुण को सुनाने के लिए नाटक किये जा रहे थे ।
अरुण का चेहरा अगले ही पल कमरे का नजारा देख कर खिल गया और लन्ड एकदम से तनमना गया ।
कुछ सोच कर अपना मुसल मसलते हुए वो भी चुपके से कमरे मे दाखिल हुआ ।
जारी रहेगी
Jabardast update diya bhai maja aa gya
But bhai ji ab to aap regular update de diya karo yrrr sirf aap ki story padne k liye hi hm sab ate h bhai ji
Jha aman k ghar me rinki ne aaj aman ke kadad land ka swad chaka wahi sukh aman ko bhi prapt hua
Or yha rahul or salini ne mil kar arun ki gand fad di apni chudai dikha kr