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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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सभी भाइयो और मेरे पाठको को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई
💥💐💥
उम्मीद करता हूँ ये दीवालि आपके जिवन खुशियो से भरपूर और मस्त रही हो

एक अनुरोध है सभी से ये कहानी का अगला भाग नये साल यानी 2025 से ही शुरु हो पाना संभव है
तो मेरी दुसरी कहानी अम्मी vs मेरी फैंटेसी दुनिया को तब तक पढे

जब ये कहानी शुरु होगी
सभी को सूचित किया जायेगा

एक बार फिर सभी का धन्यवाद
 

Sanju@

Well-Known Member
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UPDATE 216


अमन के घर

10 बजने को हो रहे थे और हाल मे बैठकी चल रही थी , कल सोनल के मायके से आने वाले मेहमानो की खातिरदारी की बाते चल रही थी ।
ममता आज अलग मूड मे थी बार बार मुरारी के सामने अपनी ननद संगीता का नाम लेके अपने पति को छेड़ रही थी और मुरारी कभी उसे आंखे दिखाता तो कभी झेप कर हस ही पड़ता

वही मदन और संगीता के अपने ही इशारेबाजियां हो रही थी ,सन्गिता के अपनी आंखो से मदन को अपने इरादे जता रही थी जिससे मदन का खूटा पजामे खड़ा हो गया था ।
पेपर की आड़ वो कभी कभी अपने लाड़ खुजा भी देता और कभी कभी छिप कर अपनी बहन पर फलाइंग पप्पियां भी उछाल देता
मगर ममता की तेज नजरो से उनकी इश्क़बाजी छुपते नही छिप रही थी ।

ममता ने मुरारी को इशारे से दोनो कबूतरों की ओर तकाया और मुरारी मुस्कुरा पड़ा ।

इधर इनकी बातें हो रही थी
वही किचन मे आज सोनल भी दुलारी का हाथ बटा रही थी । चूल्हा छूने के लिए उसको अपनी सास ममता की ओर से सख्त मनाही थी तो सब्जी काट रही थी और दुलारी से उसकी बातें हो रही थी

इतने मे अमन तेजी से जीने से नीचे आता है और बाहर निकल जाता है ।
उसकी तेजी से सबको हैरत हुई कि क्या बात थी । सन्गिता और ममता ताज्जुब से उठ खड़ी हुई कि क्या बात हो गयी

कुछ ही मिंट मे अमन तेजी से हाल मे प्रवेश किया , अब उसके हाथ मे एक पैकेट था
ममता - क्या हुआ कहा गया था तेजी मे

अमन हसता हुआ एक नजर अपने पापा को देखा और बोला - मम्मी वो ये parcel आया था वो लेने गया

पारसल आने का सुन कर मुरारी के चेहरे की चमक बढ़ गयी और दिल मे जज्बात उमड़घुमड़ करने लगे ।
अमन बिना कुछ बोले सरपट उपर चला गया ।

हाल मे बैठे सबने इस बात को कैजुअली लिया मगर किचन मे दुलारी ने सोनल को छेड़ने लगी - उंहु देखो तो देवरानी जी के लिए गिफ्ट आया है

सोनल - उसमे उनके काम की चीज भी हो सकती है ना भाभी
दुलारी उसके कंधे से अपना कन्धा लड़ाती हुई मुस्कुरा कर - अरे मेरे देवर की सबसे काम की चीज तो तुम हो हिहिही

सोनल दुलारी के दोहरे मजाक पर हस पड़ी - हिहिही मै कैसे ?
दुलारी- अरे तुम ठहरी घर की सीधी गाय और मेरा देवर है जमीन मे गढा खुन्टा तो उसके काम की चीज तुम ही हुई ना ।

सोनल हस कर - फिर मुझसे पहले उस खूँटे मे कौन बन्धा हुआथा , आप ? हिहिहिही

दुलारी से सोनल की मसती पर हौले से उसकी चिकनी कमर पर चिमटी काटी- चुप कर तुझे चारा दी तो हाथ पकड़ ली उम्म्ंम

सोनल हसती हुई - घर की नयी गाय हूँ भाभी हिहिही अभी खाना सिख रही हु आपकी तरह मुझे खेतो मे चरना कहा आता है

दुलारी - तु तो बड़ी चंथ है रे हिहिहीही बातो बातो मे ही मुझे चित कर गयी

सोनल हसती हुई - कभी मेरी बहन निशा से नही मिली आप , कल आयेगी तो मिलाउन्गी हिहिहिही

दुलारी हस कर - अच्छा वो बछिया हिहिहिही
सोनल दुलारी की बात समझ नही पाई और अचरज से उसे देखा

दुलारि हसती हुई - सुना है इस बार हनीमून के सफर मे गईया अपनी पूंछ मे एक बछिया भी लेके जायेगी

सोनल अब दुलारी का तन्ज समझ गयी और लाज से हस दी - सोचा तो मैने था किसी खेतहर भैस को साथ लू मगर हो नही पाया ।

दुलारी हस्ती हुई - धत्त कमिनी तु बहुत दुष्ट है मुझे भैस बुला रही है
सोनल - आपके थन भैसो से ही मिलते है भाभी हिहिही
दुलारी खीझकर - और तेरे दूल्हे का लन्ड गदहे से

सोनल चौकी मगर दुलारी ने झटसे अपनी गलती सुधारती हुई बात को मजाक मे ले गयी मगर सोनल समझ गयी कि दुलारी ने कही ना कही और कभी ना कभी उसके सईया के खूँटे के चक्कर जरुर लगाये है ।

इधर इनकी बाते हसी ठिठौलि चल रही थी तो वही मुरारी को बेचैनी सी उठ रही थी कि क्या करे वो कि पारसल देखने कोमिल जाये


वही उपर दुलारी के कमरे मे अलग ही माहौल बनता दिख रहा था
अमन पारसल लेने निचे गया तो था मगर उसकी तेजी कारण पारसल नही बलकि रिन्की थी जो दुलारी के कमरे मे दरवाजे के पीछे बिना कैफरी के सिर्फ टीशर्ट और पैंटी छिप कर खड़ी थी ।

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अमन झटपट से कमरे मे भागता हुआ आया और कमरे मे चारो ओर नजर घुमाते हुए वो बेड की ओर बढ़ा मगर उसे रिन्की नजर नही आई जबतक कि रिन्की की शरारत भरी खिलखिलाहट उसके कानो मे नही गुंजि ।

अमन खड़े खड़े घूम कर पीछे देखा तो रिन्की दरवाजा बन्द करती हुई उसकी ओर देख रही थी ।
टीशर्ट के निचे से झांकती उसकी पैंटी उसके नरम मुलायम चुतड़ पर चिपके हुए थे और उसकी सुन्दर चिकनी बिना रोए वाली जान्घे कमरे की रोशनि मे झलक रही थी ।

अमन ने उसके खिले चेहरे को देखा और पीछे बिस्तर पर पैर लटका कर लेट गया ।
रिन्की मटकती इठलाती हुई उसके करीब आई और उसके जांघो को टटोलती हुई अपनी गाड़ उसके ओर फेकती हुई सीधा अमन के लन्ड पर बैठ गयी ।

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लोवर के उपर से रिन्की अमन के लन्ड पर अपनी गाड़ मथने लगी और अमन उसके नरम मुलायम चुतड का स्पर्श पाकर भीतर से सिहर उठा - उह्ह्ह्ह गुड़िया उम्म्ंम्म्ं कितनी मुलायम अह्ह्ह उम्म्ंम्ं

रिन्की भी अपने गाड़ के दरारो मे पैंटी के उपर से अमन का मोटा फड़कता मुसल पाकर मचल उठी थी उसकी बुर बजबजाना शुरु हो गयी थी और मुह से मादक मीठी कुनमुनाहट भरी सिसकियाँ उठने लगी थी ।
अमन उसके नरम मुलायम छोटे छोटे चुतडो को हाथो मे भरने की कोसिस करने लगा और हर स्पर्श के हाथ उस्का लन्ड झटके खाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया मेरा बच्चा आह्ह उम्म्ंम बहुत नरम है तेरी गाड बाबू उम्म्ंम्ं अह्ह्ह क्या मस्त ओह्ह्ह्ह सीईई कहा से सिखती है तु उम्म्ंम ओफ्फ्फ्फ

रिन्की अपनी गाड़ मथती हुई सिस्किया लेती रही - उम्म्ंम्ं भैयाह्ह्ह आपका मोटा सा लन्ड देख कर ना जाने मुझे क्या हो जाता है अह्ह्ह जी करता है इसपे रगड़ रगड़ कर उम्म्ंम्ं अह्ह्ह अपनी बुर का सारा पानी बहा दुह्ह्ह आह्ह्ह्ह भाइयाअह्ह्ह उम्म

अमन - उफ्फ्फ सच मेरी गुड़िया को इतना पसंद मेरा मोटा लन्ड उम्म्ंम , देखू तो कितना पानी निकाला तुने उम्म्ं

रिन्की उठ खड़ी हुई और अपनी टीशर्ट उठा गाड़ बाहर की ओर फेकती हुई बड़ी अदा से अपने छोटे छोटे चुतड़ को फैला कर अमन के आगे बडा दिखाने की लालसा मे अपनी पैटी को बड़ी कामुकता से अपनी गाड़ से हौले हौले सरकाने लगी

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जल्द ही अमन की आंखो के आगे उसकी नरम मुलायम गोरी गोरी गाड़ की दरारे साफ साफ नजर आने लगी , उसके गुदाज मोटे मोटे पाव जैसे नरम फूले गुलाबी चुतड़ खिले खिले से नजर आ रहे थे ।

अमन का लन्ड लोवर मे ही बगावत पर आ गया और हाथ बढा कर उसने रिन्की के चिकने चुतड़ सहलाने लगा , अमन का स्पर्श पाकर रिन्की भीतर से गनगना गयी और उसकी टाँगे कापने लगी ,
अमन उसके गाड़ के दरारों को उंगलियो से खोलते हुए बुर के नीचले हिस्से तक गया
उसे अपनी उंगलियो के सिरो पर हल्की लसलसाहट सी मह्सूस हुई और लपक कर उसने रिन्की की कमसिन नाजुक फाकेदार फूली हुई गुलाबी बुर को उंगलियो से घेर लिया
दोनो उन्ग्लिया आगे पीछे कर रिन्की की चुत पर रगड़ते ही रिन्की आंखे उलटती हुई अपनी जान्घो को कस कर अमन की हरकट को रोकना चाहा मगर अमन की मोटी उंगलिया उसके चुत के फाको मे घुस चुकी थी और सीधा बुर के दाने पर रेंगने लगी ।

रिन्की की टागे और मुह दोनो खुल गये और उसकी धड़कन तेज गयी , पैर मे कपकपी सी होने लगी और बुर के आस पास गर्मी सी उठने लगी - अह्ह्ज भैयाह्ह्ह डालो ना

रिन्की के मुह से ये शब्द सुनते ही अमन का लन्ड फनफना उठा और दुसरे हाथ से उसने अपना लोवर खिंच कर लन्ड बाहर निकाल कर हिलाने लगा - अह्ह्ह गुड़िया आजा देख तेरे भैया का मोटा लन्ड उह्ह्ह आ नाअह्ह उम्म्ंम्ं आजा बच्चा उम्म्ंम्ं आजा

रिन्की ने नजर घुमा कर अमन का मोटा फनफनाता मुसल देखा और उसकी जिस्म मे कामोत्तेजना तेजी से हावि होने लगी उसने अपनी टांग उठाई और अमन का मोटा मुसल पकड़ कर उसकी चमडी उपर निचे करती हुई उस्का गर्म तपता नुकीला लाल सुपाड़ा अपनी गुलाबी रसाती बुर के फाको पर लगाया -अह्ह्ह भैयाहह्ह कितना गर्म्म्ंं उम्म्ंम म्म्म्माआह्ह सीई ओह्ह्ह फक्क्क्क उह्ह्ह्ह

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रिन्की अमन का मोटा सुपाडा अपने रस छोड़ते बुर के फाको पर घिस रही थि और अमन की हालत खराब होती जा रही थी , वो रिन्की के बढ़ती उम्र के कामाग्नी मे जलना शुरु हो गया था । पल पल उस्का लन्ड वीकराल रूप लेता जा रहा था , अब तो उसके लन्ड के सतह पर नसे सूतरियो सी उभरनी शुरु हो गयी थी

सुपाड़े का मुह बड़ा सा होने लगा था और रिन्की की गर्म रस की धार उसके सुपाड़े की खुजली बढाने लगी थी ऐसे मे रिन्की ने उसे राहत देते हुए एक हाथ अपनी बुर के फाके फैला कर सुपाड़े को अपनी बुर की सकरी सुराख पर टिकाया और कमर घुमाती लन्ड अपनी बुर मे अद्जेस्ट करती हुई कचकचा कर बैठने लगी

जबरजस्त दर्द भरी ऐठन उसके कुल्हे और पेड़ू मे उठने लगी थी ,चुत की लसलसाई फाके अपनी क्षमता से अधिक खिचाव होने से लाल होनी शुरु हो गयी थी ,
दर्द के भाव रिन्की के लाल चेहरे और डबड्बाआई आंखे बयां कर रही थी , मगर भीतर भैया के मोटे लन्ड पर कुदने की चसक ने रिन्की का अभी तक हौसला मजबूत कर रखा था

अमन को भनक तक नही होने दिया उसने ऐसे अपनी कापती सांसो पर काबू कर रखा था उसने और देखते ही देखते अमन का मोटा मुसल उसकी सुराख को फैलाता हुआ उसकी चुत की दिवारे चीरता आधा घुस चुका था

भलभला कर उसकी बुर भितर तक रस से भरि हुई थी और अमन के लन्ड घुसते ही सारी मलाई लन्ड के चारो ओर फैलने लगी , उस गर्म रस ने सबसे ज्यादा रिन्की की चुत के फाको को राहत दी और फिर हौले हौले चुतड़ उठाने का दौर शुरु हुआ

रिन्की ने मुह पर हाथ रख रुआस आंखो से दर्द छिपाती हुई चुतड़ उठाये और जोर से कचकचा कर पटक दिया , इस बार अमन की चमडी खिंची और उसने रिन्की के कुल्हे थाम लिए , अमन ने मानो उसकी दर्द को छू लिया और रिन्की के मुह से दर्द भी सिसकी निकली - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ज न्हीईई उम्म्ंम
अमन ने फौरन हाथ अलग किये और उठने की कोसिस करता हुआ - क्या हुआ गुड़िया रो रही है तु , निकाल दू दर्द हो रहा है

रिन्की ने आँसू पोछे और ना मे सर झटकती हुई अपने चेहरे भींच कर दर्द सहती चुतड हौले हौले उछलने लगी - अह्ह्ह भैयहह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं

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अमन के लन्ड पर रिन्की के रसदार कसे हुए फाके अपना असर दिखाने लगे , रिन्की अपने कुल्हे उठा उठा कर गिराने लगी , ह्च्च ह्च्च अमन का सुपाडा हर बार उसकी बुर मे चोट करता हुआ कुछ सेमी आगे बढ रहा था और रिन्की की कमर अब गर्म होनी शुरु हो गयी थी ।

अमन - ओह्ह्ह गुड़िया क्या मस्त कसी चुत है तेरी अह्ह्ह उम्म्ंम ओह्ह्ह फक्क्क येस्स बेटा ऐसे ही उह्ह्ह और पटक उह्ह्ह और आह्ह उम्म्ंम लेले रगड़ ले अपनी बुर अपने भैया के मोटे लन्ड पर ओह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह

अमन की बातें रिन्की को दुगना जोश भर चुकी थी और वो एडिया उठा कर उपर बिस्तर का सहारा ले चुकी थि और उकुडू होकर अब हच्क हचक कर पुरा का पुरा अमन का लन्ड अपनी बुर के भरने लगी , अमन का नुकीला सुपाडा उसकी बच्चेदानी मे चोट करने लगा , हर दर्द हर गं सह कर ना जाने कैसे रिन्की अमन का मोटा लन्ड घुसाये बैठी सिसकिया ले रही थी

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अमन लन्ड पर रिन्की की थाप पाकर और जोशिला हुआ जा रहा था और रिन्की की बुर फिर से टपकने लगी और उसकी चाल हल्की होने लगी
और धीरे धीरे थमने भी लगी
अमन उठ गया , अभी भी रिन्की उसकी गोद मे थी उसने अपने हाथ आगे कर रिन्की के नन्हे चुजे मसलने लगा टीशर्ट के उपर से - अह्ह्ह भैयाह्ह्ह्ह उम्म्ंम रगड़ डालो ओह्ह्ह ना जाने कबसे मेरा दिल था आप इन्हे मसलो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

अमन - आह्ह गुड़िया तेरे चुचे बहुत कोरे है आह्ह कितने कदक और नुकीले उह्ह्ह कभी मिजवाई नही क्या अह्ह्ह कोई दोस्त नही तेरा

अमन के हर सवाल को ना मे जवाब देती रही रिन्की और उतना ही अमन का लन्ड उसकी बुर मे कसता गया

उसने झटके से उठ कर रिन्की को अपने लन्ड पर उठाये हवा मे टांग लिया और घुमा कर बिस्तर पर झुका दिया
अमन अब रिन्की को घोड़ी बना कर कस कस कर लन्ड उसके बुर देने लगा
अमन के तेज करारे झटको से रिन्की को बुर के परखच्चे उड़ने लगे उसकी सिस्किया अब दर्द भरि चिखो मे बदलने लगी मगर नही बदला तो उसका जुनून अमन के लन्ड को निचोड लेने का ।
सुबकती सिस्कती बड़बड़ाती वो अमन के तेज लन्ड के झटको की चोट अपनी बुर मे लेती रही - उउउउउऊअह्ह्ज्ज येस्स्स्स भैयाअझ्झ उम्म्ंम्म्ं फ्क्क्क फक्क्क फक्क्क मीईई उह्ह्ह उह्ज्झ्ह अह्ह्ह सीईई

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अमन उसकी तेज आवाज और रुआअस भरि चिखो से और भी जोश मे आकर उसके मुह पर हाथ रखकर कस कस के पेलने लगा - अह्ह्ह लेह्ह्ह बहिनचोद अह्ह्ह साली कुतिया कितना रो रही है अह्ह्ह बहिनचोद पुरा लन्ड खा गयी मेरा और बिलख रही है मादरचोद अह्ह्ह लेह्ह्ह्ह और लेह्ह्ह आज फ़ाड दन्गा बहुत गर्मी है ना तेरी बुर मे उम्म्ंम बहुत खुजलाती है ना तेरी बुर उम्म्ं बोल

रिन्की हाफ्ती हुई आहे भरती हुई -अह्ह्ह हा भैगा तुम्हारे इस मोटे हथियार को याद कर कर ही तो कुलबुलाती है अह्ह्ह और चोदो अह्ह्ह फाड़ दो हा ऐसे उह्ह्ह्ह येस्स्स येस्स्स आह्ह्ह्ह फक्क्क्क्क उम्मममं मुम्मीईईई उहुहू अह्ह्ह भैयाअह्ह्ह्ह ओह्ह्ह माय उह्ह्ह्ह

अमन हचर हचर पेलते पेलते हुए उसको जोर का झटका देके बिस्तर पर फेका

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रिन्की बिस्तर पर गिर गयि कुछ सेकेण्ड का आराम हुआ होगा कि अमन ने फिर से उसकी टांग खिंच कर अपना लन्ड उसको बुर मे ल्गाते हुए उसके उपर चढ़ गया

रिन्की - ओह्ह्ह भैयाह्ह्ह तुम जब चिपकते हो तोह्ह्ह अह्ह्ह मम्मीई

अमन उसके उपर चढ़ा हुआ उसकी बुर मे अपना लम्बा लन्ड घुसेड़ कर चोदता हुआ - तो क्याह्ह गुड़िया बोल ना

रिन्की - आह्ह भैयाह्ह उह्ह्ह बहुत गरम गरम लगता है अह्ह्ह लग्ता है कि अह्ह्ह अह्ह्ह उफ्फ्फ देखो फिर से अह्ह्ह आ रहा है उह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ मम्मीईई उउउउउऊऊ उम्म्ंम्म्ं येस्स्स येस्स्स अह्ह्ह्ह उह्ह्ह फ्क्क्क मीईई हार्ड भैयाअह्ह्ह ओह्ह्ह

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अमन एक बार फिर रिन्की के तेज कामुक सिस्कियो से जोश से भर गया और रिन्की का मुह बान्ध कर फिर से हुमुच हुमुच कर पेलने लगा - उह्ह्ह साली लेह्ह्ह अह्ह्ह और झड़ अह्ह्ह झड जा मेरे लन्ड पर ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है रे अह्ह्ह्ह बहिनचोद उफ्फ्फ साली मादरचोद उह्ह्ह्ह लेह

रिन्की बुरी तरह झड रही और उसकी फड़फ्ड़ाती बजब्जाती चुत अब अमन के लन्ड पर अपना छल्ला कस चुकी थी और अमन के सुपाड़े पर अधिक दबाव आने लगा उसपे से अमन का जोश उसके आड़ो से चढ कर सुपाड़े मे भरने लगा था

लन्ड की गर्मी से रिकी की बुर जल रही थी उस्का पानी सूख चुका था , अमन आखिर जोर तक अपने लन्ड को रिन्की की बुर मे कोन्चता रहा और जब लगा कि वो रुक नही पायेगा

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उसने लन्ड बाहर निकाल कर रिन्की की गाड़ पर पिचकारी गिराने लगा - ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह सिउईई उह्ह्ह्ह गुड़िया अह्ह्ह्ह लेह्ह्ह आ रहा है मेरा ओह्ह्ह फ्क्क्क्क फक्क्क आह्ह

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रिन्की के नाजुक चुतड अमन के गर्म छ्लछ्लाते बीज से लाल होने लगे - ओह्ह भैयाह्ह अह्ह्ह कितना गर्म हैया हहह नहला दो मुझे उह्ह्ह मुझे भिगो दो भर मेरी गाड़ अह्ह्ह भैयाह

अमन अखिर बूंद तक उसकी गाड़ के दरारो मे निचोड़ दिया उसके बगल मे लेट गया
रिन्की भी कुछ पल तक अपनी गाड़ को हवा मे उठाए सुस्ताती रही और उसके गाड़ पर गिरी मलाई गाढी होती चली गयी ।


राहुल के घर

दिन चढता जा रहा था । शालिनी किचन मे खाना बनाने मे बिजी थी और वही राहुल के कमरे मे खुसरफुसरबाजी चल रही थी ।
राहुल बहुत ही कड़े लहजे मे अरुण से नाराजगी जता रहा था कि क्यू उसने रात वाली बात उससे छिपाई । मगर अरुण किसी तरह लालच देकर राहुल को तैयार किया , कम से कम अरुण ने तो ऐसा ही मह्सूस किया था ।

अरुण ने राहुल को बताया कि कैसे उसने बड़ी चालाकी से शालिनी को शंका मे ला खड़ा किया है कि उसके बेटे की नियत उस पर खराब हुई और अब उसे इस बात का यकिन भी दिलाना है ।
राहुल के लिए ये खेल मजेदार होने वाला था अरुण के सामने अपनी मा के साथ नौटंकी करने का ।
वैसे वो थोडा नाराज अपनी मा से भी था कि शालिनी ने भी उससे कुछ जाहिर नही किया ।

उनकी योजना शुरु हुई और दोनो कमरे से बाहर निकल कर दबे पाव किचन की ओर बढ़े सामने देखा शालिनी दुपहर के खाने की तैयारियो मे व्यस्त है और साडी मे उसकी उठी हुई गाड़ देख कर दोनो का लन्ड तनमना गया ।
अरुन ने राहुल को इशारे से शालिनी के कमरे जाने को कहा - तु चल मै मामी को लिवा कर आता हु , ठिक है

राहुल सहमती दिखा कर अपनी मा के कमरे की ओर बढ़ गया

इधर अरुण भी मौका देख कर लपक कर किचन मे घुस कर शालिनी को पीछे से हग कर लिया

"हाय दैयाआ अरुण तुहहह धत्त छोड ना क्या कर रहा है " शालिनी अरुण की जकड़ से छुटने के लिए कसमसाई ।

अपनी मामी के मुलायम बदन का स्पर्श पाकर अरुण का लन्ड एकदम से फड़फडा कर निचे शालिनी की साडी के उपर से उसके गाड़ मे धंसने लगा - अह्ह्ह मामी तुम्हे तो छोडने का दिल ही नही चाहता अह्ह्ह मेरी सेक्सी चुदक्कड़ मामी ।

शालिनी अरुण के शब्दो से लजाई और हस्ती हुई - धत्त गन्दा , हर वक़्त थोड़ी ना ये सब अच्छा लगता है । दुर हट राहुल आ जायेगा ।

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अरुण ने लपक कर उसकी गुदाज पाव सी चुचियो को दोनो हाथ मे भर लिये - अह्ह्ह अरून उम्म्ंम बेटा मत कर ना उमम्मम्ं राअहुल्ल आ जायेगा अह्ह्ह रुक जाआह्ह

अरुण अपना नुकीला तम्बू उसकी गाड़ मे कोचता हुआ उसके दुधारू थन जैसे मोटे मोटे नरम चुचो को मिजता हुआ - उसकी चिंता ना करो मामी , वो तो आपके नाम की मूठ लगा रहा होगा

शालिनी चौकी और उसकी ओर घूमी - क्या ?
अरुन ने अपनी बतिसी दिखाते हुए उसकी कमर को सहलाता उसके बुलंद टाइट चुतड़ को मसलने लगा - हम्म्म मेरी जान, वो तो आज तुम्हारी कच्छीयों से खेल रहा है अभी अभी देखा मैने

शालिनी की सासे तेज होने लगी
अरुण उसके रसिले दूध मसलता हुआ - देखना चाहोगी कैसे सून्घता है वो आपकी पैंती
अरुण का लन्ड अब साडी के उपर से सीधा उसकी बुर को चुब रहा था और उसकी आंखे बस अरुण को निहार रही थी ।

अरुण के चुचो को मसलता हुआ - बोलो ना देखोगी अपने बेटे को मूठ मारते हुए हम्म

शालिनी ने हा मे सर हिलाया और फिर लाज से हस दी
अरुण भी जोश से भर आया और शालिनी का हाथ पकड़ कर किचन से निकलने लगा
शालिनी ने लपक कर चूल्हा बन्द कर दिया फिर अरुण के साथ हो ली ।

धीरे धीरे दोनो शालिनी के कमरे की ओर बढ़ने लगे और हल्की हल्की उनके कानो मे राहुल की भुनभुनाहट भरी सिसकिया आने लगी
शालिनी ने सतर्क नजरो से अरुन को देखा तो अरुण ने उसे आगे बढ़ने को कहा
दरवाजे के पास से दोनो ने एक साथ कमरे मे झाका और पीछे हो गये

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राहुल उनके एकदम करीब ही था , वो दराज के पास खड़े होकर शालिनी की कच्छीया निकाल कर एक को अपने लन्ड पर रख कर अपना लन्ड जोरो से हिला रहा था - अह्ह्ह मेरी सेक्सी मम्मी अह्ह्ह मेरी चुद्क्क्ड मम्मीई अह्ह्ह लेलो ना मेरा लन्ड ओह्ह्ह एस्स उह्ह्ह मम्मी तुम्हारी गाड़ बहुत सेक्सी है अह्ह्ह तुम्हारी पैंती इत्नी मुलायम है तो बुर कितनी नरम होगी अह्ह्ह मम्मी ओह्ह्ह्ह आजाओ ना उह्ह्ह

शालिनी आंखे फाडे अरुण को देख रही थी और अरुण उसके साम्ने लोवर के उपर से अपना मुसल भींच कर भीतर देखने का इशारा किया ।
शालिनी ने हौले से फिर से झाका , सामने उस्का बेटा उसकी पैंती अपने कडक लन्ड पर लपेट कर उसी मे मुठ्ठि मार रहा था
जिसे देख कर शालिनी को यह लगा कि शायद इतने दिन से राहुल ने उसे चोदा नही इसीलिए ऐसी हरकते कर रहा है

इधर राहुल को अहसास हो गया था कि उसकी मा आ चुकी है तो वो योजनानुसार अपना लन्ड हिलाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया और जोर जोर से चिन्घाड़ने लगा

अरुण - यही मौका है मामी रंगे हाथ पकड़ लो उसे
शालिनी - प्कका ना मै जाऊ
अरुण - हा मामी अभी के अभी

शालिनी ने मन बनाया और अरुण के सामने ही अपने बेटे के आगे जाने के लिए जैसे ही दरवाजे से कमरे दाखिल हुई
राहुल ने कमरे मे घुसती परछाई ने अपनी मा की छवि देखी और अपने भरे सुपाड़े पर जो कुछ समय से रोक लगाये था वो हटा दिया

शालिनी राहुल को आवाज देती हुई कमरे मे दाखिल हुई और राहुल ने सुपाड़े का मुह दरवाजे की ओर घुमा दिया

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एक तेज बड़ी मोटी गाढ़ी पिचकारी की लम्बी धार सीधे शालिनी के मुह और सीने पर गिरी - अह्ह्ह म्म्मीई ओह्ह्ह आप यहाआ आह्ह कैसे ओह्ह्ह्व

राहुल तेजी से लन्ड हिलाता हुआ बाकी का रस फर्श पर छोड रहा था और शालिनी को उम्मीद नही थी एक बार फिर उसे वीर्य से नहाना पड़ेगा

राहुल की हरकत से शालिनी खिझी और तेज आवाज मे - राहुल ये क्या हरकत है
शालिनी की आवाज पर अरुण लपक कर कमरे मे आया - क्या हुआ मामी

शालिनी बुरा सा मूह बनाती हुई - देखो इस कमीने ने क्या किया मेरे उपर , अरे तुझे शर्म नही आई हे भगवान क्या कर रहा था तु

राहुल ने एक नजर अरुण को देखा और इशारेबाजी मे दोनो ने एक दुसरे को गुडलक किया
राहुल - मम्मी वो मै वो ? सॉरी

शालिनी अपने होठो के पास के वीर्य को उंगलियो से हटाने लगी - उम्म्ंम्ं छीईईई और ये फर्श सब गन्दा कर दिया , नालायक कही का अभी भी नंगा खड़ा है चल कपडे पहन बेशर्म
शालिनी - मै तेरे पापा को लेकर आती हूँ
राहुल लपक कर अपनी मा के हाथ पकड़ गिडगिडाने लगा - नही मा पापा को नही , प्लीज आप जो सजा दो मुझे मन्जूर है प्लीज पापा को नही


अरुण भौचक्का रह गया कि क्या अलग ड्रामा होने लगा ,जो औरत अभी अपने बेटे के लन्ड के लिए उतावली थी अभी अलग ही ड्रामे पेल रही है उसपे से जन्गीलाल का आना उसके लिए चिंता की बात दिख रही थी
राहुल के बार बार आग्रह करने पर
शालिनी - अरून बेटा तू बाहर जा मुझे इस्से कुछ बात करनी पडेगी

अब अरुण की फटी क्योकि ये सब जो शालिनी करने जा रही थी वो उस्की योजना के अनुरुप नही होता दिख रहा था।

अगले पल शालिनी ने अरुण को कमरे के बाहर किया और दरवाजा भिड़का दिया ।

शालिनी दरवाजे लग कर खड़ी हो गयी और मुस्कुराने लगी ,राहुल भी मुस्कुराता हुआ उसकी ओर बढा

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शालिनी नाटक करती हुई लपक कर राहुल का मुरझाता लन्ड थाम ली और बाहर अरुण को सुनाती हुई तेज आवाज मे बोली - मै एक नही सुनूंगी तेरी , बहुत बिगड़ गया है तु आज तुझे सजा मिलेगी

राहुल उसके करीब आकर उसके मुलायम चुचे सहलाता हुआ - आह्ह प्लीज मम्मी नही सॉरी ना

शालिनी उसके लन्ड को भिचने लगी - नही तु सच मे बहुत बिगड़ गया , क्या कर रहा था मेरी कच्छी के साथ बोल

राहुल - सॉरी ना मम्मीई अह्ह्ह सुउउउऊ प्लीज ना
बाहर अरुण कमरे से आ रही आवाजो से माहौल का अन्दाजा लगा रहा था उसकी बुरी तरह से फटी हुई थी

जैसे शालिनी राहुल को पीत रही हो मगर राहुल की सिस्कियो का कारण तो कुछ और ही था निचे घुटनो के बल बैठ कर शालिनी उस्का लन्ड मुह मे भर चुकी थी

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राहुल - आह्ह क्या कर मम्मी मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो अह्ह्ह सीईई उम्म्ंम्ं

शालिनी - तो क्या अपनी मा से ये सब करेगा बोल ,फिर करेगा ये सब उम्म्ं

राहुल मुस्कुरा कर शालिनी के आगे हा मे सर हिलाता हुआ - नही मा कभी नही प्लीज सॉरी ना
शालिनी इठलाती हुई मदमस्त नजरो से उसे निहारती बाहर खड़े अरुण को सुनाती हुई - रुक तू ऐसे नही सुधरेगा

राहुल भी शालिनी का साथ देते हुए झुठ मूठ की चिखमचिल्ली करने लगा
इधर अरुण की हालत खराब होने लगी कि राहुल तो आज बुरा फसा , लेकिन उसे ये समझ नही आ रहा था कि अचानक से शालिनी मामी का मूड खराब कैसे हो गया ।

धीरे धीरे दोनो की अवाजे दरवाजे से दुर होती मह्सूस होने लगी और अरुण कुछ पल बाद हल्की आवाजे आने लगी , उसे लगा कि कही शालिनी राहुल को पीटते हुए ले जा रही है

शालिनी - उम्म्ंम और करेगा बदमाशी उम्म्ं आह्ह बोल ना बोल
राहुल सिस्कते हुए हस कर - उम्म्ं नही तो कह रहा हु मम्मी फिर क्यू मार रही हो अह्ह्ह उह्ह्ह्ह

शालिनी - ऐसे ही मारुन्गी बहुत बिगड़ गया है तु , मम्मी की कच्छी से गन्दे गंदे काम करता है , फिर करेगा बोल उह्ह्ज बोल , नही तो पापा को कहूँगी
राहुल - नही मा नही करूंगा अह्ह्ह उह्ज्ज और उह्ह्ह्ज येस्स्स्स मम्मीई फ्क्क्क मीई

अरुण को हल्की फुल्की अवाजे आ रही थी तो वो सुनने के लिए दरवाजे के और करीब गया जैसे ही उसके कन्धे ने दरवाजे पर स्पर्श किया दरवजा हल्का सा हिला और अरुण चौका - मतल्व दरवाजा खुला ही है देखू तो



"ओह्ह बहिनचोद क्या ड्रामा है ये मा बेटे का " , अरुण दरवाजे को हौले से खोलता हुआ कमरे मे झाक कर बिस्तर पर देखता है
जहा शालिनी अपनी साडी उठा कर राहुल को निचे लिटाये हुए उसके लन्ड पर उछल रही थी ।

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अपनी गाड़ पटक पटक कर शालिनी अपने बेटे का लन्ड चुत मे ले रही थी और दोनो मा बेटे अरुण को सुनाने के लिए नाटक किये जा रहे थे ।

अरुण का चेहरा अगले ही पल कमरे का नजारा देख कर खिल गया और लन्ड एकदम से तनमना गया ।
कुछ सोच कर अपना मुसल मसलते हुए वो भी चुपके से कमरे मे दाखिल हुआ ।



जारी रहेगी
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है रिंकी अमन के मोटे लन्ड से चूद गई है आज रिंकी की वासना की आग शांत हो गई है सोनल बातो में दुलारी पर भरी है सोनल को शक हो गया है कि दुलारी ने अमन का लन्ड लिया है
अरुण ने अपने प्लान के हिसाब से शालिनी ने राहुल को उसकी पैंटी के साथ मूठ मारते हुए पकड़ लिया है और अपना गेम खेलते हुए राहुल से चूद गई है वही अरुण बेचारा टेंशन में आ गया है कि आज तो राहुल गया काम से लेकिन जब अंदर देखता है तो उसे कुछ और ही दिखाई देता है
 

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UPDATE 217

राहुल के घर

बन्द कमरे मे शालिनी बड़े जोश मे अपने बेटे के लन्ड पर उछल रही थी और ये चोरी चोरी वाली चुदाई ने उसके मन को और भी ज्यादा नादानिया करने को पागल कर दिया था

देखते ही देखते शालिनी अपने जिस्म से सारे कपडे उतार चुकी थी और अपने सगे जवान बेटे का कसा हुआ मोटा लन्ड हुमुच हुमच कर बुर मे ले रही थी

राहुल बस अपनी मा की कामुकता और लन्ड़ के लिए उसकी दिवानगी को देख कर भौचका था - अह्ह्ह माअह्ह्ह क्या हो गया है आज तुम्हे ओह्ह्ह्ह उम्मममं

शालिनी - अह्ह्ह मेरे लाल उह्ह्ह तेरा सुपाडा मेरी चुत मे खुब खुजली पैदा कर रहा है अह्ह्ह आज इसको निचोड कर भर लूंगी अह्ह्ह्ह

वही पीछे खड़ा अरुण अपना लन्ड हिला रहा था उसकी नजर शालीनी के हिलती उछलती नाचती मोटी गाड़ के दरारो मे झाकती सुराख पर थी । उन्के बदले हुए सुर साफ बयां कर चुके थे कि ये इनका पहली बार नही था

अरुण भाप चुका था कि उसकी मामी ने उसे ही मामा बना दिया आज और ये सोच कर ही उसका जोश चार गुना हो गया
लन्ड के टोपे को थूक से चटक करता चमकाता हुआ वो अप्ना लन्ड हिलाता हुआ आगे बढ़ा ।
उसका सारा फोकस अब शालिनी के गाड़ के गुलाबी सुराख पर था , जिस तरह से वो सास ले रहा था
ढेर सारा लार अपने टोपे मे लिभ्डाता हुआ वो दोनो के करीब आ गया
शालिनी और राहुल दोनो एकदुसरे मे रमे हुए थे , राहुल शालिनी की नंगी चुचियो मे मुह दिये हुए था और शालीनी उसके तने हुए खूँटे पर अपनी गाड़ घिस घिस कर उसे चुत की गहरायो मे ले जा रही थी , उसकी बुर बुरी तरह से रस छोड़ रही थी शालिनी मस्त हो चुकी थी राहुल के लन्ड की गर्मी से और अरुन ने सही मौका देख कर शालिनी की धीमी पड़ती गति का फायदा लेता हुआ सिधा अपने सुपाड़े की टिप उसके गाड़ के मुहाने पर लगाय और पूरी ताकत के साथ हचाक से उसके गाड़ की कसी हुई गुलाबी सुराख मे अपना मोटा टाइट लन्ड घुसेड दिया- अह्ह्ह्ह मैयाआआ ओह्ह्ह्ह्ह बहिनचोद कौन है अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह फाड़ दिया रेह्ह्ह्ह्ह

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राहुल भी अपनी मा की दरद भरि चिख से चौका और गरदन फेर का देखा तो अरुण बत्तिसी दिखा रहा था -

"क्या बे लोडू , साले तुम मा बेटे मुझे ही चुतिया बना रहे थे ", अरुण शालीनी कमर पक्डता हुआ अपना लन्ड पूरी ताकत से उसकी गाड़ पेलता हुआ बोला

शालीनी - आह्ह साले हारामी निकाल उह्ह्ह दर्द हो रहा है अरून अह्ह्जू माअह्ह्ह्ह
राहुल - हा अरुण निकाल दे अह्ह्ह मा को बहुत दर्द हो रहा है
अरुण गुस्से मे तमतमाया - भ्क्क्क बहनचोद नाटक कर रही है , रात मे ऐसे ऐसे हचक हचक कर पेलवा रही थी मुझसे पुछ साली से ,

राहुल - क्या ये सच है मा
शालिनी बेज्वाब हो गयी और दर्द से तड़प रही थी - अह्ह्ह बेटा अह्ह्ह्ह सीईई कुछ लगा ले अह्ह्ह सूखा सूखा मत घुसा अह्ह्ह्ह्ह

राहुल का मुसल अपनी मा की बात सूनकर एकदम से तनतना गया और उसकी रसिली चुचिया मिजता हुआ - अह्ह्ह मम्मीई मुझे भी बुला लेती ना साथ मे मजे करते अह्ह्ह सच मे बहुत बड़ी चुद्क्क्ड हो तुम
अरुण - अह्ह्ह मामीईई ओह्ह्ह कितनी कसी गाड़ है तुम्हारि अह्ह्ह्ह बहिनचोद ओह्ह्ह अब लो मेरा मोटा कसा लन्ड अपनी गाड़ क्यू मजा आ रहा है ना ,उम्म्ं बोल ना साली ओह्ह्ह्ह सीईई बोल ना

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शालिनी को अरुण ने बुरी तरह जकड रखा था और उसकी दोनो सुराख मे अब दो जवान बास से कडक मोटे तने हुए लन्ड घचाघच हो रहे थे ।हफतो बाद उसने ये अनुभव दुबारा से किया था और उसकी बुर की दिवार भलभला कर रस बहाए जा रही थी - आह्ह हा बेटा ओह्ह्ह सीईई अह्ह्ह फ़ाड ही देगा क्या अह्ह्ह बहुत मजा आ रहा है अह्ह्ह तेरा लन्ड ही ऐसा है रे अह्ह्ह्ह उह्ह्ह तुम दोनो मिले हुए थे आ हारामीयो अह्ह्ह्ह माह्ह्व


राहुल अब बत्तिसी दिखाने लगा - अह्ह्ह मम्मीई तुम्हे देख कर किसी का भी लन्ड उछलने लगे फिर हम तो घर के थे अह्ह्ह कितनी कसी चुत है अह्ह्ह माह्ह्ह्ह ओह्ह्ह लोझ्ह और लोह्ह्ह उह्ंम्ंं

शालिनी - आह्ह मेरे लाल भर दे ना उसे अपने मोटे लन्ड से अह्ह्ह घुसा घुसा कर फाड़ दे अह्ह्ह उह्ह्ह मै तप आज पागल हो जाउंगी उह्ह्ह्ह और चोदो मुज्जे अह्ह्ज्ज हा अरुण ओह्ह्ह और कस के डाल बेटा घुसा दे उह्ह्ह्ह्ह म्माअह्झ्ह्ज सीईई उह्ह्ह्ह क्या खा कर जना था रे तेरी मा ने तुझे पुरा साढ़ पैदा की है साली ने ओह्ह्ह

अरुण - तुम भी किसी दुधारू गाय से कम नही हो मामी आपकी ये मोटे फाके वाली बुर देख कर लगता है कि मै भी ऐसे अह्ह्ह अह्ह्ह

शालिनी की आंखे फैलने लगी - अह्ह्ह कुत्ते क्या कर रहा है अह्ह्ह फट जायेगी कमिने रुक जा

अरुण - आह्ह मामी कुछ नही होगा रुको तोह्ह अह्ह्ह बहुत लचीली बुर है आपकी अह्ह्ह्ह देखो जा रहा है अह्ह्ह्ह

राहुल - आह्ह भाई आराम से बहुत तप रहा है तेरा
शालिनी बुरी तरह से काप रही थी दर्द से तड़प रही थी उसका चेहरा लाल हुआ जा रहा था और चुत का फाका दुगनी चौड़ाई मे फैलते हुए लाल हुआ जा रहा और देखते ही देखते अरुण ने शालिनी को बुर मे लन्ड घुसेड़ ही दी -अह्ह्ह हिहिही आ गया हुहुहू

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शालिनी जोर से चिख चिलला रही - आह्ह मादरचोद फ़ाड दिया रे हरामी साले तेरी मा के भोस्दे मे हाथी का लन्ड डालूंगी भडवे साले अह्ह्ह मह्ह्ह्ह उह्ह्ह

राहुल ने इशारे से अरुण की ओर देखा कि अब क्या किया जाये तो अरुण ने उसे चुप रहने का कहा और धिरे से लन्ड को चलाना शुरु किया - बस मामी हो जायेगा अह्ह्ह सच मे आपकी बुर बहुत लचीली हैया हहह क्या गर्मी है अह्ह्ह्ह

शालिनी खुद का कलेजा मजबूत किये हुए थी और अरुन धीरे धीरे अपनी गति तेज करने लगा - अह्ह्ह बेटा ओह्ह्ह उम्म्ं माह्ह्ह पुरा फैला रखा है रे ओह्ह्ह उम्म्ंम लग रहा है दो दो बास की लाठी घुसा रखी है अह्ह्ह उम्म्ंम

राहुल भी अब हौले हौले निचे से झटके मारने -अह्ह्ह मेरी रंडी माह्ह ऊहह आज तक ऐसा सिर्फ़ वो वाली फिल्मो मे देखा था अह्ह्ह केह्ह्ह और लेह्ह्ह तेरे अंदर तो चार चार घुसा दू हहहह

एक बार फिर सिस्किया तेज होने लगी और शालिनी दोनो को गालिया बके जा रहा थी और दोनो पूरी तरह से जोश मे तेजी से शालिनी की बुर मे लन्ड फचर फचर पेले जा रहे थे - अह्ह्ह आह्ह रुकना मता मादरचोदो अह्ह्ह पेलो आह्ह और और उह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह आहहहह आ रहा है उह्ह्ह्ह ईईई उह्ह्ह माअह्ह्ह अह्ह्ह ह्ह्ज उम्म्ंम्ं ओह्ह्ह आह्ह और और बेटा अह ऐसे ही रुकना मत इमम्म्ंम्म्ंं ओह्ह्ह उह्ह्ह्ज

दोनो के लन्ड उसकी रस की धार से नहा रहे थे और शालिनी पस्त होकर गिर पड़ी ।
अरुण ने उसकी हालत देख कर लन्ड बाहर खिंच लिया
राहुल ने भी अपनी मा को किनारे का अपने देह का बोझ कम किया
शालिनी टाँगे खोले लेटी हुई हाफ रही थी और दोनो भाई वही खड़े होकर अपना मोटा खड़ा लन्ड हिला रहे थे ।


राज के घर

11 बजने को हो रहे थे और दोपहर का खाना लगभग तैयार ही था ,किचन से रागिनी ने हाल मे बैठी हुई रज्जो और शिला को आवाज देकर बोली - अरे जीजी जरा अनुज को आवाज देदो आकर खाना खा ले ,

रागिनी की बात पर रज्जो - दीदी जाओ ना बुला लाओ उसे , मुझे सीढिया चढने का जरा भी मन नही है रात भर जमाई बाबू ने घोडी बना कर बुरा हाल कर दिया है ।

शिला - अरे भाभी बुरा हाल तो मेरा अनुज ने कर रखा है , पता है आज सुबह सुबह फिर से मेरी एक लेगिंस खराब कर दी । मै नही जाने वाली आप ही जाओ

रज्जो खिलखिलाती हुई - अरे जवान भतीजा अपनी बुआ पर फीदा पर है और तुम बहाने बना रही हो , चलो अब मै भी चल के देखती हु क्या करता है वो ।

रज्जो और शिला दोनो सीढियो से फुसुरफुसर करते हुए उपर गयि और धीरे धीरे अनुज के कमरे की ओर बढ़े और हौले से कमरे का दरवाजा खोला
शिला - इसको देखो है इसको कोई डर
रज्जो - क्या हुआ फिल्म ही देख रहा है ना
शिला हस्ती हुई - अरे भाभी उसका हाथ देखो कहा है हिहिही कौन सी फिल्म होगी समझ जाओगी

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रज्जो ने अनुज को गौर से देखा तो वो अपना एक हाथ लोवर मे घुसाये हुए लैपटॉप मे देख रहा है और उसके चेहरे के भाव देख कर साफ साफ लग रहा था वो अपना लन्ड हिला रहा था ।

रज्जो - आहाहा शिला रानी लोहा गरम है मार दो हथौड़ा

शिला - मतलब ?
रज्जो - देख नही रही कैसे मसल मसल कर अपने हथियार को धार दे रहा है , अब इससे अच्छा मौका नही मिलेगा जाओ और चढ़ जाओ ।
शिला का कलेजा धकधक होने लगा
उसे अभी संकोच हो रहा था कि क्या अनुज की नादानी मे उसे भी शामिल हो जाना चाहिये , एक उलझन मे थी और बहाने तरह तरह से उसके जहन मे आ रहे थे -

एक पल को उसे अनुज के लड़कपन की परवाह भी थी तो अगले ही पल उसकी चुत की आग रज्जो भड़का दे रही थीं
रज्जो ने सही समय देख कर उसे कमरे मे धकेल दिया और दरवाजे पर तेज आहट पाते ही अनुज चौक कर सकपकाते हुए खड़ा हो गया

उसके लोवर मे बड़ा का तम्बू बना हुआ था और बिस्तर पर लैपटाप मे हार्डकोर फोरसम चुदाई की वीडियो चल रही थी ।


अनुज सामने शिला को पाकर खुश हो जाता है - अरे बुआ आप हो , मै तो डर ही गया
शिला उसको घुरती हुई गुस्सा करने का नाटक कर - यही सब के लिए तेरी मा ने लैपटॉप दिलाया है उम्म्ंम

अनुज बत्तिसी दिखाते हुए अपना सुपाडा मिजने लगा

शिला उसको अपना सुपाडा मिजता देख हस पड़ी- अरे कुछ तो शर्म कर ले कमीने मै तेरी बुआ हु , आह्ह क्या कर रहा है अंदर कर

अनुज बड़ी बेशरमी से अपना लन्ड बाहर निकाल कर शिला के आगे हिलाने लगा - अह्ह्ज बुआ तुम्हे देख कर तो और भी फूल जाता है अह्ह्ह्व्सीईई देखो ना कैसे लाल हो रहा है

शिला की धड़कने तेज हो गयी और उसकी नजर अनुज के मोटे लाल सुपाड़े पर गयि , पहली बार शिला ने सामने से उसका तना हुआ एकदम रॉड सा कडक लन्ड देखा था ,

जिस तरह से अनुज अपना लन्ड मुथिया रहा था उसके सुपाड़े की लाली और गहरा रही थी और शिला की बुर बजबजा रही थी ।
शिला ने एक नजर घूम कर दरवाजे पर देखा और उसे दरवाजे के बारीक ओट मे रज्जो की झलकती साडी दिखाई दी अब तो उसे रज्जो की मन की आवाज भी आती मह्सूस हो रही थी - कि अब रुक मत दबोच ले

शिला आगे बढ़ी और लपक कर उस्का मोटा लन्ड हाथ मे दबोच लिया -अह्ह्ह कितना गर्म है रे उम्म्म्ं सच मे तुझे इतनी अच्छी लगती हु मै उम्म्ंम

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अपनी बुआ का स्पर्श पाकर अनुज एड़ियो के बल होता हुआ हवा मे उड़ने लगा - अह्ह्ह बुआह्ह्ह उह्ह्ह्ब सीईईई आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो अह्ह्ह्ह मुझे आपके साथ सब कुछ करना है अह्ह्ह मेरो सेक्सी बुआ

शिला उसका मोटा लन्ड अपनी ओर भींच कर सहलाती हुई - अह्ह्ह क्या करेगा मेरे साथ तु उम्म्ंम्ं

अनुज लपक कर शिला की दूध की मोटी थैलिया जो उसने अपने सूट में छिपा रखी उसको हाथ मेभर लिया और उन्हे दबोचता हुआ - अह्ह्ह बुआ आपकी ये दूध मसल डालूंगा मै उम्म्ंम्ं कितने नरम है अह्ह्ह्ह उह्ह्ह बुआ चुसो ना उम्म्ं चुसो मेरा लन्ड अह्ह्ह मेरी सेक्सी बुआ ओह्ह्ह सक माय डिक उह्ह्ह्ह

शिला - उम्म्ं देखो तो कैसे उतावला हो रहा है अह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह कितना टाइट है रे तेरा अह्ह्ह्ह

अनुज - आह्ह बुआ मुह मे लेलो ना उम्म्ं प्लीज बहुत जल रहा है सब कुछ
शिला घुटनो के बल होती हुई - क्या जल रहा है बेटा उम्म्ंम बोल ना

अनुज अपना लन्ड शिला के लबो तक लाकर उसके बालो पर हाथ रखते हुए - मेरा लन्ड जल रहा है बुआ अह्ह्ह इसे ठंडा कर दो ना उम्म्ंम्म आह्ह येस्स्स बुआअह ओह्ह्ह मम्मीईई उह्ह्ह्ह फक्क्क्क एस्स बुआआ ओह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं

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अगले ही पल शिला से उसका मोटा लन्ड मुह मे भर लिया और चुसने लगी
अनुज का जिस्म अकड़ने लगा और वो अपनी बुआ के सर पक्डते हुए सिस्कने लगा - ओह्ह्ह मेरी सेक्सी बुआ ओह्ह्ह फ्क्क्क एस्स सक माय डिक बेबी उह्ह्ह एस्स उम्म्ंम्ं और चुसो बुआ उम्म्ंम कितना मस्त लग रहा है ओह्ह

वही दरवाजे के बाहर गैप से कमरे का नजारा देखती रज्जो के निप्प्ल भी कडक हो गये , उसकी हाथ अब खुद के जिस्म पर रेंगने लगे थे , बुर मे चिपचिपाहट सी होने लगी थी ।
इधर शिला लगातार लन्ड चुस और उसे और बड़ा किये जा रहि थी जिससे अनुज की सिसकियाँ और तेज हो रही थी
मगर तभी रज्जो को सीढियो पर आहट हुई मगर जबतक वो शिला को सतर्क कर पाती निशा तेज कदमो से सीढियां फांदती हुई उपर आ गयी - अरे मौसी आप यही हो , अनुज और बुआ कहा है । चलो बड़ी मा बुला रही है

कमरे मे शिला और अनुज ,निशा की आवाज सूनकर चौके और फटाफट अलग हो गये ।
जितनी जल्दी हो सका दोंनो खुद को सही करते हुए कमरे से बाहर आने लगे ।

शिला सफाई देती हुई - हा हा भाई आ रहे है ,वो तो मै इसे थोड़ी डांट लगाने लगी । कबसे बैठ कर फिल्म देख रहा था


निशा - अच्छा आप लोग जाओ , मै आती हु
रज्जो - तु कहा चली ?
निशा हसती हुई अपनी पिंक फिंगर दिखा कर - मौसी एक नम्बर हिहिहिही

शिला हस्ती हुई - धत्त पागल जा अब
वही इनसब ड्रामे के बीच अनुज का ये सोच कर लंड और कड़ा हो रहा था कि शिला बुआ जो कुछ कर रही थी सब कुछ मौसी ने बाहर खड़े होकर देखा और सुना ।

निशा के उपर जाते ही रज्जो मुस्कुराती हुई - बड़े प्यार से डांट रही थी अपने भतिजे को क्यू दीदी

शिला शर्मा कर - धत्त क्या भाभी तुम भी , चलो अब
रज्जो हस्ती हुई - मै सोच रही थी कि मै भी थोड़ा अनुज को समझा बूझा दू , क्यू अनुज तु क्या बोल रहा है ।

अनुज चहक कर रज्जो को हग करता हुआ - मौसी मै तो चाहता हु आप दोनो मिल कर मुझे डाट लगाओ हिहिही

शिला - चुप कर बदमाश कही का , चल निचे तेरी आदत बिगड़ गयी अभी तक मै पसंद थी अब मौसी उम्म्ंम

रज्जो हस कर - मेरे लाडले की पहली पसंद तो मै ही हु ,तुम्हारा नम्बर दुसरा लगा है हिहिहिही

शिला ने घुर कर अनुज को देखा और समझ गयी कि रज्जो जैसी खिडालन ने अनुज का रस चख चुकी है तभी वो इतना खुल कर है - हुह फिर अब तु अपनी मौसी के पास रहना, मेरे पास नही आना

ये बोल कर शिला तेज कदमो आगे बढ़ी और कुर्ती मे मटकती उसकी गाड़ देख कर अनुज उसकी ओर लपका और पीछे से बाहो मेभर लिया - बुआ बुआ बुआ हिहिही आप गुस्सा क्यू हो रहे हो , मौसी तो मजाक कर रही थी

शिला - नही छोड मुझे अह्ह्ह
अनुज - बुआ मै तुम्हे चोद सकता हु पर छोड़ नही सकता हिहिहिही

शिला उसके कैद से निकल कर - धत्त कमीना कही का और तुम भाभी तुम भी कम नही हो

रज्जो इस्से पहले कुछ बोलती कि निचे से एक बार फिर रागिनी की आवाज आई और सब चुपचाप होकर हस्ते हुए निचे चले गये

उपर एक चुप सन्नाटा पसर गया
वही निशा उपर से फ्रेश होकर आ रही थी और जीने से आते हुए उपर छाई शान्ति के बीच उसे कही से छोटे स्पीकर की हल्की आवाजे आ रही थी ,
निशा को लगा कही कोई मोबाईल पर बात तो नही कर रहा , पर ध्यान देने पर पाया कि ये आवाज तो अनुज के कमरे से आ रही है ।

निशा -ये लड़का लग रहा है फिल्म वैसे ही छोद कर चला आया ,
कमरे मे आई तो पाया कि उसकी नजर अनुज के हेडफॉन पर गयी जिसमे से आवाजे आ रही थी और जैसे ही वो उसकी नजर लैपटॉप पर गयि
पहले तो वो चौकी फिर मुस्कुराती हुई -ओहो तो बुआ इस फिल्म के लिये अनुज को डांट लगा रही थी हिहिही सही है बच्चू की अब खैर नही हिहिहीही

फिर निशा ने फटाफ़ट उसका लैपटॉप टटोला और उसमे एक दो पोर्न ज्लदी जल्दी वीडियो चलाये
जिसे देख कर निशा मन मचल गया और वो गहरि सासे भरती हुई अपने कडक हो चुके निप्प्ल वाले चुचो पर हाथ रख कर अपनी धड़कने थामती हुई - उफ्फ्फ ये तो खजाना है हिहिहिही , इसको तो बाद मे देखती हु

निशा ने फटाफट लैपटॉप ऑफ किया और निचे चली गयी
इधर सब खाना खा कर फीट हुए और रागिनी जबरन खाने का टिफ़िन अनुज को देकर उसके साथ दुकान के लिए निकल गयी ।



राहुल के घर
Round 02


शालिनी घुटनो के बल खड़ी थी उसके सामने दोनो भाई राहुल और अरुण लन्ड परोसे खड़े थे और शालिनी दोनो के मोटे लन्ड पकड कर बारी बारी से चुस रही थी ।

राहुल - आह्ह मम्मीईई उह्ह्ग क्या मस्त चुस रही हो अह्ह्ह सीई और लोह्ह्ह उम्म्ंम्ं

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अरुण- अह्ह्ह मामी अह्ह्ह मेरा भी ओह्ह्ह येस्स्स एस्स माय सेक्सी मामी उम्म्ंम्ं सक इट ओह्ह्ह उझ्ह्ज्ज उम्म्ंम और और और आहाहा उह्ह्ह हिहिहो ऐसे ह

शालिनी अरुन का मुसक गले तक चोक करती बाहर निकाली और सहलाने लगी -अह्ह क्या हो गया है आज ओह्ह्ह माह्ह कितना टाइट कैसे और निकल भी नही रहा है

अरुन - सब आपकी उस रसिली चुत का कमाल है मामी ओह्ह्ह्ह उह्ह्ज आराम से ओह्ह्ह फोड दोगी क्या उह्ह्ह्ह

शालिनी अरुण के आड़ो को सहलाती हुई मुह मे राहुल का मुसल भर चुकी थी - आह्ह मम्मी ओह्ह्ह घोट जाओ अह्ह्ह ऐसे ही अह्ह्ह कितनी मुलायम चुची है आपकी अह्ह्हू जी कर रहा है रगड़ डालू

राहुल को झुक कर शालिनी की चुचिया मिजते देख कर अरुण का भी जी लल्चा गया और वो भी झुक्कर चुचिया छूने लगा

शालीनी समझ गयी अब इनका मूड बदल रहा है और वो खड़ी हो गयी और
दोंनो के दूध की टंकीयो पर टुट पडे

शालिनी मचल उठि वो खड़े खड़े अपनी टागे आपस मे घिसने लगी और उसकी चुत पर चींटिया रेंगने लगी - अह्ह्ह बच्चो आराम से लल्ला अह्ह्ह काटों मत ओह्ह्ह उम्म्ंम तुमने तो मेरी चुत की आग फिर से भड़का दी अह्ह्ह्ह सीईई

अरुण उसकी चुचिया चुसता हुआ लपक कर शालीनी की बुर पर हथेली घुमाने लगा - अह्ह्ह मामी आपकी बुर तो तप रही है उह्ह्ह्ह

शालिनी - हा लल्ला अह्ह्ह राहुल क्या कर रहा है

राहुल जो उसकी गाड़ के दरारो के ऊंगलियां घुसा रहा - आह्ह मम्मी मुझे भी आपकी गाड़ चाहिये

शालिनी - आह्ह बेटा बहुत कसी है वो ,तेल लेके आ ना वो आलमारी से
राहुल लपक कर जबतक आल्मारि से तेल की सीसी ढूढता तक अरुन के शालिनी को सोफे पर लिटा कर उसकी चुत मे लन्ड उतार चुका था - ओह्ह्ह हा बेटा ऐसे ही अह्ह्ह्ह और तेज उह्ह्ह बहुत टाइट है अह्ह्ह और और उह्ह्ह कितना मस्त लन्ड है रे तेरा ओह्ह्ह और और

अपनी मा की तेज सिस्किया सून कर और कमरे का ।नजारा देख कर राहुल का लन्ड फड़फ्ड़ाने लगा और वो जल्दी जल्दी दराज खोल कर तेल खोजने लगा और जल्द ही वो उसे लेकर अपनी मा के पास पहुचा

राहुल को सुपाड़े पर तेल लभेड़ता देख शालीनी - हा बेटा अच्छेह्ह अह्ह्ह सीई लगा लेह्ह्ह उम्म्ंम और मेरे पर भी लगा ओह्ह्ह अरून उम्म्ं बाबू उह्ह्ह

राहुल ने शालिनी की गाड़ के सुराख पर भी तेल लगाया और सुपाडा टिका कर हचाक से उतार दिया - अह्ह्ह मैयाहहहह ओह्ह्ह सीई कितना जल रहा है रे अह्ह्ह्ह

राहुल - बस बस मम्मी घुस गया है अह्ह्ह्ह बहुत कसा है अह्ह्ह्ह हुहू हिहिही कितना टाइट है अह्ह्ह्ह ओह्ह मेरी सेक्सी मम्मा आह्ह मेरी चुद्क्कड रन्डी मा अह्ह्ह

शालिनी एक बार फिर दोहरे लन्ड का मजा पाकर रोमांचित हो उठी - अह मेरे ।चोदू बेटा चौद अपनी मा को अह्ह्ह और और ओह्ह कितना मजा आ रहा है आह्ह ऐसे ही आज मेरी चुत और गाड़ की चटनी बना दो उह्ह्ह

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अरुण - हा मेरी जान आज तो इसको फाड़ देंगे अह्ह्ह लेह्ह्ह्ह और लेह्ह्ह साली कुतिया उह्ह्ह मन कर रहा ऐसे हचर ह्चर पेलता रहू

राहुल -ओझ्ह मेरी रंडी मा कैसा लग रहा है दो दो लन्द लेके अह्ह्ह्ह
शालीनी - अह बेटा बहुत मजा आ रहा है उह्ह्ह और चोदो अह्ह निकल रहा है मेरा बेटा रुको मत अह्ह्ह्ह सीईई

राहुल और अरुण तेजी से बुर और गाड़ मे पेलने लगे , शालिनी की चुत बजबजा कर झडती रही -अह्ह्ह मादरचोदो और पेलो अह्ह्ह फाड़ दो अह्ह्ह और और उह्ह्ह्ह उम्म्ं

इधर इनकी चुदाई पीक पर थी वही दूकान मे जन्गी की बेचनी कम नही हुइ थी ।
रात मे उसके अरमान पर शालिनी पानि फेर चुकी थी और जाने कबतक उसकी नाराजगी आगे तक रहने वाली थी ।
इनसब के बिच आस की एक मात्र किरन उसे रंगी ही नजर आ रहा था
उसे अपने भैया से बात करनी पड़ेगी
इधर उसका दिमाग उलट पलट हो रहा था तो वही कमरे मे राहुल और अरुण शालिनी को उलट पुलट कर चोदने मे लगे थे

अब राहुल निचे से शालीनी की गाड़ मार रहा था और अरुण आगे से चुत
अरून के करारे तेज झटको से उसका लन्ड भाले की तरह शालिनी की चुत की जड़ मे चोट कर रहा था और शालिनी बुरी तरह चिख रही थी

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दोनो कडक लन्ड आज थकने वाले नही लग रहे थे - अह्ह्ह बेटा ओह्ह्ह फिर से आ रहाहै मेरा ओह्ह्ह ओह्ह्ह और और रुकना मत अह्ह्ह्ह

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अरुन - आह्ह मामी आपका पानी बहुत गर्म है अह्ह्ह उह्ह्ह्ह उम्म्ंम
शालिनी - हा बेटा ज्ल्दी कर अब तु भी निकाल ले , 12 बजने वाले है अह्ह्ह

अरुण - अभी निकल जायेगा मामी बस आपको ।थोड़ा सा दर्द सहना होगा
शालिनी - क्या कैसा दर्द
अरुन मुस्कुराया और शालिनी के रस से लिभडाया लण्ड निकाल कर शालिनी के गाड़ के सुराख पर रखने लगा ,जिसमे पहले से ही राहुल का मुसल जड़ तक घुसा हुआ था - अह्ह्ह नही नही बेटा मै नही कर पाउगीअह्ह्ह पलिज मान जा

तभी राहुल उपर कर उसकी बुर सहलाता हुआ - डरो मत मम्मी मै हु ना

शालिनी - तु क्या करेगा फटेगी मेरी ना अह्ह्ह ओह्ह्ह्ह मत कर अरुण मान जा बेटा अह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह नहीईई न्हीईईईईईईईईईई उम्म्ंममममहहहह रुक जाअह्ह्ह्ह्ह मादरचोद अह्ह्ह्ह रुक रुक अब रोक दे अह्ह्ह और नही
अरुन अपना सुपाडा घुसेड़ चुका था - बस मामी अब तो बस धक्का लगाना है

राहुल - आह्ह भाई बहुत कस गया है मेरा लन्ड ओह्ह्ह

अरुण - अह्ह्ह मामी बहुत टाइट है अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उम्म्ंमममं क्या गाड़ है मेरी चुद्दो मामी उह्ह्ह्ह आज तो फाड़ दूंगा अह्ह्ह मेरी सेक्सी रंडी मामी

शालीनी - आह्ह साले हरामी आपनी मा के भोस्डा मे डाल मे चार चार अह्ह्ह मेरी क्यू फाड़ रहा है अह्ह्ह्ह बहिनचोद निकाल दे उह्ह्ह अह्ह्ह्ह न्हीईईई ओह्ह्ह्ह मह्ह्ह्ह उझ्ह्झ्ज

निचे से राहुल ने उसकी बुर के दाने को सहलाने लगा और हौले हौले अरुण लन्ड घुसेड़ने लगा - अह्ह्ह भाई तु भी आगे पीछे कर अह्ह्ह देख जगह बन रही है अह्ह्ह ऐसे ही हिहिह8। साले लौडा गरम है तेरा भ

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राहुल - अह्ह्ह भाई मा की गाड़ बहुत आग फेक रही ओह्ह्ह मम्मी आह्ह मेरी रंडी मा मजा आ रहा है ना दो दो लन्ड से फड्वा कर आह्ह बोल ना

राहुल उसकी बुर के फाके रगड़ कर उससे कबूलवाने लगा और दोनो भाई अब बारि बारि आगे पीछे कर शालिनी के गाड़ दीवारे चौड़ी करने लगे
शालिनी की चुत एक बार फिर कुलबुलाने लगी और उसकी चुत की गर्मी बढने लगी - अह्ह्ह हा बेटा आ रहा है लेकीन दर्द हो रहा है अह्ह्ह अह्ह्ह लग रहा है दो दो लाठी घुसा रखा है अह्ह्ह

राहुल - ओह्ह मा उह्ह्ह्ह तुम्हारी गाड़ क्प देख देख कर हम पागल हो जाते है आज मौका मिला तो मिल कर फ़ाड रहे है अह्ह्ह मम्मीई ओह्ह कस क्यू रही हो अह्ह्ह

शालिनी - आज पिस दूंगी इसी मे तेरा लन्दह्ह्ह्ह मुझे दर्द दिया ना अह्ह्ह लेह्ह अब तु भी तडप , अह्ह्ह्ह साले हरामी अरून मादरचोद अह्ह्ह्ह हाथ हटा मेरी बुर से अह्ह्ह अह्ह्ह्ह आ रहा हौआ हहहहह ओह्ह्ह्ह्ह फिर आ र्हा है मेरा

शालीनी चौथी बार झड रही थी दोनो के आगे और इस जोश से अरुन्ं मे तेजी से लण्ड उसकी गाड़ मे ठेलनेलगा

राहुल - आह्ह भाआई निकाल बाहर फट जायेगा अह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह माह्ह्ह्ह आयेगा मेरा भी ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह

अरुण भी अपना लन्ड खिंचता हुआ - ओह्ह्ह येस्स्स मामी आओ जल्दी आ रहा है

शालिनी झट से उठ कर घुटनो के बल होने लगी और अरुण की पिचकारि छूट पड़ी

मुह आंख गला चुचिया सब नहलाने लगा , वो वीर्य की धार मे जैसे शालिनी पर मूत रहा हो और हर पिचकारि के साथ शालिनी का चेहरा सनाने लगा

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तभी एक और मोटी पिचकारि से गाढ़ी मलाई उसके लसराये मुह पर गयी - ओह्ह्ह मेरी रान्ड़ मम्मीई लेह्ह आह्ह तुझे नहला दन्गा ओह्ह्ह लेह पी जा अह्ह्ह्ह मम्मीई ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह
अरुण- अह्ह्ह मेरी सेक्सी मामी क्या मस्त खिल रही हो एक फोटो तो बन्ता है आपके इस रूप का

शालिनी भी संतुश्त थी तो अरुं के सेलफी मे सामिल हो गयी ।
जिसमे अरुण अप्ना लण्ड शालिनी केवीर्य से सने मुह के आगे रखा हुआ और वो उसके आगे मुह खोले दिख रही थी ।
मानो खा जाने का इशारा हो
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शालिनी - किसी को दिखाना मत
अरुण - ना ना बिल्कुल नही मेरी जान, ये तो जाने के बाद अपनी मामी को याद रखुन्गा उसके लिये हिहिही

राहुल - भाई मेरी भी ले ना एक मा के साथ
शालिनी ने उसके साथ भी उसी अवस्था मे पोज दिया ।

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शालिनी - चलो चलो अब जाओ तुम सब और मुझे नहाना पडेगा

और जैसे ही शालिनी उठी उसकी कमर मे लचक सी आई- अह्ह्ह आऊचछच उह्ह्ह मर गयी रेहहह

दोनो भाई शालिनी की ओर लपके और उसे सहारा दिया
फिर छिपते छिपाते बाथरूम मे पहुचाया

ठन्डे पानी से नहाने के बाद शालिनी के बदन मे थोड़ी स्पुर्ती आई और वो किसी तरह दोपहर के खाने परोसने की तैयारि मे लग गयी ।

जारी रहेगी
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है शालिनी तो राहुल और अरुण से खूब मजे लेकर चूद रही है राहुल और अरुण ने शालिनी की चूत और गाड़ का बैंड बाजा दिया शालिनी की हालत खराब कर दी है दोनो ने
राज के घर में निशा के उपर आने से शीला बुआ अनुज से चूदते चुदते रह गई
 

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UPDATE 218

अमन के घर

दोपहर के खाने के बाद ममता, दुलारी और संगीता को लेकर कुछ खरीदारी के लिए बाजार निकल गयी ।
मदन अपने कमरे मे आराम फरमा रहा था तो रिन्की दुलारि के कमरे मे दो घन्टे से सो रही थी जबसे अमन ने उसकी चुत फाडी थी ।
इधर अमन भी सोनल के साथ कुछ प्रेम भरे पल बाट रहा था । सोनल भी कल के लिए अपने घर वालो से मिलने के लिए उत्साहित थी

दोनो प्रेमी आपस मे एकदूसरे से लिपटे हुए थे और अमन की दिलीइच्छा थी कि इस बार निशा भी आये ।
सोनल उसे छेड़ते हुए तुनक कर - आपको तो उसके काले अंगूर का ही रस पीना है , यहा मेरी गुलाबी मीठी किस्मिस की कली सूख रही है उसका नही ध्यान

अमन सोनल के प्यार भरे ताने से भितर से सिहर उठा और उसका खुन्टा लोवर मे हरकत करने लगा । उसने सोनल को अपनी ओर कसा और अपने तम्बू का बम्बू उसकी साडी के उपर से उसकी चुत पर चुभोता हुआ - ओह्ह्ह मेरी जान तेरे इस गुलाबी किस्मिस के दाने को अभी गीला कर देता हु

ये बोलकर अमन ने सोनल की मोटी उभरी हुई ब्लाउज से झाकती छातियो पर हाथ फेरा और सोनल सिहर उठी - अह्ह्ह मेरे राजाह्ह्ह्ह उम्म्ंम सीईई ना जाने आपमे क्या जादू है बाबू छूते हो और ये खड़ी हो जाती है

अमन उसकी मुलायम दूध से भरी मोटी पपीते सी छातियो को हाथ मे भर कर मिजता हुआ ब्लाउज के उपर से निप्प्ल वाली जगह को मुह मे भर काटता है - उम्म्ंमममं सीईई ओह्ह मेरी जान तुम्हारी इन्ही रसदार boobs का ही तो दीवाना हु मै उम्म्ंम

सोनल- अह्ह्ह माय बेबी उम्म्ंम सक इट उह्ह्ह मेरा बाबू उम्म्ंम ओह्ह आराम से ईईइस्स्स्स

तभी दरवाजे पर दसतक हुई और दोनो अलग हुए , इस अचरज और शंका भरे भाव से घर की औरते तो बाजार गयि है फिर कौन उपर आकर उन्हे परेशान करेगा
तभी अमन का दिमाग ठनका और उसे अपने बाप की याद आई । वो जल्दी से उठ कर खड़ा हुआ और हड़बड़ाहट भरे लहजे मे - उठो उठो , पापा है !

ससुर के आने की बात पर सोनल की भी हालत खराब हुई जल्दी जल्दी वो भी खड़ि होकर अपने जोबनो पर आन्चल डाला और साडी सही करने लगी ।

अमन ने अपना लन्ड सेट करने को कोसिस की मगर कोसिस नाकाम ही रही , उसका लन्ड मोटे रॉड की तरह अभी भी उसके लोवर मे उभरा हुआ साफ नजर आ रहा था ।

बड़ी मुश्किल से दरवाजे के ओट मे खुद को छिपाते हुए उसने दरवाजा खोला और सामने मुरारी था ।
सारी हकीकत से परिचित होने के बाद भी अमन ने उस्से सवाल किया - अरे पापा आप यहा ? फ़ोन कर देते !

मुरारी झिझक भरे लहजे मे अमन के पीछे खड़ी सोनल को एक नजर देखा जो सन्सकार बस मुस्कराती हुई अपने सर पल्लू कर रही थी

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और अनायास मुरारि की नजर अपनी नयी नवेली बहु के चिकने पेट के किनारो पर चली गयि , जिसकी कोमलता और मलाई सी गोरी चमडी देख कर मुरारी एक पल के लिए सम्मोहीत सा हो गया , मगर अगले ही पल उसने खुद को उस नजारे से अलग किया - अह फ़ोन किया था मैने , तुने उठाया नही ।तुझ्से थोडा काम है जरा निचे आना

ये बोलकर मुरारी घूम कर वापस जाने लगा और फिर घूम कर - और वो समान कल मगाया था वो लेते आना ।

जाते जाते एक बार फिर मुरारी ने सोनल की चिकनी कमर पर नजर मारनी चाही मगर इस बार देखा तो सोनल मे सब कुछ अच्छे से ढक रखा था । उस पल भर मे ही मुरारी समझ गया कि सोनल ने उसकी चोरी पकड ली और वो बिना अपनी बहू की ओर देखे चुपचाप निकल गया ।
सोनल ने पार्सल के बारे पूछा तो अमन के बात बदल दी और वो पैकेट लेकर निकल गया नीचे

वही मुरारी अपने कमरे मे बेचैन टहल रहा था जैसे ही अमन कमरे मे दाखिल हुआ उसकी चेहरे पर मुस्कान छा गयी - आ गया बेटा आ आ बैठ
अमन मुस्कुरा कर सोफे पर बैठ गया और मुरारी हसता हुआ - माफ करना बेटे मैने तेरे और बहू के एकांत के पल में डिस्टर्ब कर दिया ।

अमन लजाता हुआ मुस्कुरा कर - क्या पापा ऐसा कुछ नही कर रहे थे हम लोग , सची मे
मुरारि - वो जब तु दरवाजे के पीछे छिपा था तभी मै समझ गया है हाहाहा अरे मुझसे क्या शर्माना , ऐसा तो मेरे साथ भी हुआ है कई बार हिहिहिही

अमन - हैं सच मे ? कब ?
मुरारी- अरे वो तब जवानी के दिनो की बात थी , गाव वाले घर मे मुश्किल से तो तेरी मा के साथ समय मिलता था और ज्यादातर तो हाहहहा
अमन - क्या ज्यादातर ?
मुरारी हस्ता हुआ - अरे वो तुम जवान लोग आपस मे आजकल क्या बोलते हो ? एलकेपीडी ...

अमन हसता हुआ - वो केएलपीडी होता है पापा हाहाहा
मुरारी हस्ता हुआ - हा वही खड़े लन्ड पर धोखा हाहाहा यही मतलब है ना उसका
मुरारि के यूँ खुल कर मजाक करने से अमन थोडा सा लाज से झेप जाता है और मुस्कुरा कर - जी

मुरारी अपनी बात आगे बढ़ाता हुआ - और उसपे से तेरी मा , खूब नखरिली हाहाहा मुझे सताने मे ना जाने क्या मजा आता है उसे ।

" वो तो सबकी बिवियाँ करती है ", अमन बहुत महिन सा बुदबुदाया मगर मुरारि के तेज कानो ने उसकी आवाज को पकड़ लिया ।

मुरारि हस्ता हुआ - अच्छा तो बहू भी कुछ नही है हाहाहा , वैसे रात मे क्या हुआ ?

अमन के कान खड़े हो गये कि ये क्या पूछ रहा है उसका बाप ।
अमन - मतलब ?
मुरारी धीमी आवाज मे उसके पास होकर - अरे वो रात मे दिया था ना , वो यूज किया कि नही ?

अमन लाज भरि मुस्कुराहट के साथ - हम्म्म किया ।

मुरारी का खुन्टा एकदम कड़क होने लगा उसे जानने की उत्सुकता भी थी और झिझक भी हो रही थी

हिम्मत कर मुरारी ने पूछ ही लिया - कितनी बार
अमन मुस्कुरा कर - आपने जितनी बार कहा था

मुरारी का लण्ड एकदम से फड़फडा उठा - और बहू , उसने ऐतराज नही किया ?

अमन - उहू ... मेरे ख्याल से उतना नानुकुर सब बिवियां करती होगी बस उतना ही उसने भी किया ।

मुरारी हसता हुआ - वैसे पूछना तो नही चाहिये लेकिन कैसा लगा तुझे उस समय

अमन के चेहरे पर मुस्कुराहट थी मगर शर्म से लाल होते उसके गाल भी साफ नजर आ रहे थे - अह अब कैसे बताऊ , आपको तो पता है कैसा लगता है । इसमे बताने जैसा क्या है पापा ?
मुरारी पैर फैला कर अंगड़ाई लेता है और पजामे मे बना हुआ उस्का तम्बू साफ साफ अमन को दिखता है - अह्ह्ह अब क्या बताऊ अमन तुझे और बहू को देखता हु तो अपने जवानी के दिन की यादे ताज़ा हो जाती है । शुरुआती दिनो की वो मीठी शरारतें , घर मे चोरी छिपकर तेरी मा के देह से छिपकना खेलना उम्म्ं वो यादे उफ्फ़फ्फ

अमन खिलखिलाता है तो मुरारी मुस्कुरा कर - हा भाई सच कह रहा हु , तुझे तो तेरा अपना कमरा मिला है , गाव मे होता तो पता चलता कैसे रात के सन्नाटे मे सासे थाम कर सिसकिया घोट कर चुदाई करते हैं ।
अमन हस रहा था
मुरारी- लेकिन उस तकलिफ मे भी मजा होता था जब हम अपनी मस्तियाँ पूरी करने मे कामयाब हो जाते थे । जब मै तेरी मा के भीतर झड़ जाता था सारी खुन्नस सारी शिकायते सब बह जाती थी ।

अमन गला साफ करता हुआ चोर नजरो से अपने बाप को उसकी यादो मे खोया हुआ अपना मोटा मुसल पजामे के उपर से मसलता देखता है और खुद भी अंगड़ाई लेकर अपना लन्ड मसल कर सीधा करता हुआ - आह्ह पापा लो ये आपका पार्सल

मुरारी- अरे हा खोल खोल देखता हु जरा
अमन फटाफ़ट से पैकेज खोलता है और फिर उसमे से ब्रा पैंटी को निकाल कर अपने पापा को देता है ।

मुरारी उस नरम मुलायम महिन सूत वाले कपड़ों के बने ब्रा और पैंटी का मखमलीपन अपनी उंगलियो मे मह्सूस करता हुआ उन्हे अपने नथुनो तक ले जाता है - उम्म्ंम्ममम्ंम्ं वाह एकदम फ्रेश है

अमन अपने पापा की कामुकता को अजीब नजरो से निहारता है - क्या सुँघ रहे हो पापा
मुरारी हस कर - ओह मुझे ये नये ताजे कपड़ो की खुशबू अच्छी लगती है और जब इसमे तेरी के देह की खुस्बू भीन जायेगी उह्ह्ह्ह तब तो येहहह ओह्ह्ह्ह्ह

अमन अपनी मा के जिस्म की खुस्बू के नाम से ही गनगना गया और उसका मुसल हथौड़ा सा हो गया । गुपचुप से उसने अपना मुसल खुजाया ।

मुरारी- और इसका कलर बहुत खिलेगा तेरी मा पर और इस रंग की चुन्नी भी तो है उसके पास

अमन - चुन्नी ? इसपे चुन्नी का क्या काम ?
मुरारी खिलखिला कर हसता हुआ अमन के कंधे पर हाथ घुमाता है - हाहाहाहा तु भले ही इस जमाने का है मगर शादीशुदा जीवन के मजे लेने मे पीछे ही रहेगा अपने बाप से

अमन - मै समझा नही पापा , आखिर ब्रा पैंटी के साथ उसकी मैचींग चुन्नी का क्या काम?

मुरारी- क्या काम!! बेटा तुझे एक बार की बात बताता हु
हुआ यूँ था कि शादी के कुछ महीने बाद एक रिस्तेदार के यहा शादी मे घर के बाकी जन गये हुए थे और चूकि तेरी मा अभी नयी ब्याही आई थी तो उसको साल भर तक किसी के यहा जाने पर मनाही थी और उसकी देख रेख का ख्याल रखने के लिए मुझे रुकना पड़ा था
अमन - अरे वाह फिर
मुरारी अमन की चहकपने पर हसकर - बताता हु भाई सुन

पूरे 3 रोज के लिए घर के सारे लोग गये थे और मैने तेरी मा को इस बात के लिए मनाने लगा कि वो फिर से शादी वाला लाल जोडा पहने , बहुत नानुकुर और प्यार जताने पर वो मान ही गयी
अमन - मतलब फिर से सुहागरात हिहिही

मुरारी- हा ऐसा ही कुछ फिर मुझे ख्याल आया क्यूँ ना उसके लाल जोड़े को पुरा करने के लिए लाल रंग की ब्रा पैंटी भी ला दूँ और उसी रोज मै बाजार जाकर ले आया ।
उस रोज तेरी मा बहुत खुश थी लेकीन जब मैने कहा कि मुझे इसे पहन कर दिखा तो वो शर्मा कर मना करने लगी।

अपने पापा की बातें और अपनी मा को लाल रंग की ब्रा पैंटी मे सोच कर ही अमन का लन्ड बौरा गया , वो अपना मुसल रगड़ते हुए सिसका - फिर पापा क्या हुआ , क्या मा पहन कर आई ?

मुरारी- हा बेटा और वो नजारा आजतक नही भुला उफ्फ्फ जैसे ही मै कमरे मे दाखिल हुआ मेरा मन मचल उठा , दिल खुशी से उछलने लगा , सामने तेरी मा बिस्तर के पास खड़ी थी उसने अपने सर पर शादी की विदाई वाली लाल चुनरी ओढ़ कर घूँघट कर रखी थी और गले से निचे उसका गोरा संगमरमरी बदन मेरे दिये तोहफो से सजा हुआ था ।

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वो छींट वाली प्रिंट की ब्रा उसके तंदुरुस्त दूध पर कसे हुए थे और वो पतले पट्टी वाली लाल कच्छी उसकी जांघो के बीच से जैसे कमल सी खिल उठी थी ।


अमन का दिल अपने पापा की बाते सुन कर जोरो से धड़कने लगा उसका लन्ड अपनी मा को लाल ब्रा पैंती मे सोच कर पुरा फडकने लगा , चेहरे पर कामुकता साफ साफ हावि दिख रही थी । वही मुरारी बड़ी बेबाकी और बेहिचक होकर अमन को सारी बाते बता रहा था

मुरारी- सच कह रहा हु बेटा अगर तु उस समय अपनी मा को देख लेता तो तु भी उसका दिवाना हो जाता हाय्य्य

और उसने अमन की ओर देखा जो आंखे बन्द किये तेज तेज सासे ले रहा था और उसका हाथ उसके लन्ड को भींच रहा था । मुरारि समझ गया कि अमन अपनी मा को अपनी कल्पना मे देख रहा है ।

मुरारी- बस आज रात वो यादे ताज़ा होने वाली है ,आज की रात मै उसे फिर तैयार होने को कहुगा
अमन - हा पापा मै भी

मुरारी चौककर - क्या मतलव
अमन हस कर - अरे मतलब आज मै भी सोनल को ऐसे ही तैयार होने को कहूँगा , वैसे क्या मा ने सारे साज सृंगार किये थे या बस चुन्नी ली थी ।

मुरारी हस कर - अरे सबर कर ले , कल मै तुझे उसकी फोटो दिखाऊँगा फिर तु समझ जायेगा

अमन की आंखे चमक उठी - क्या सच पापा ?
मुरारी मन मे उभरते लालच को दबाता हुआ - हा उसमे क्या है , तु उसका ही बेटा है गैर थोड़ी ।

मुरारी ने इस बात के साथ अपना दाव खेल दिया था इस उम्मीद मे कि शायद ममता के बदले अमन सोनल की भी तसविरे उसे दिखाये और अपनी हीरोईन सी सेक्सी गोरी चिट्टी बहू को ऐसे तैयार होकर देखने के बारे मे सोच कर मुरारि का जजबात उबाल मारने लगे
मगर उसने अपने जजबात को काबू मे रखा और संयम से इंतजार करना सही समझा ।



राज के घर

रागिनी अनुज को लेकर दोपहर का टिफ़िन लेके बाजर के लिए निकल गयी थी , निशा भी किचन के काम निपटाने के बाद नहाने के लिए उपर जा चुकी थी

वही रागिनी के रूम मे शिला और रज्जो आपस मे मिलाप कर रही थी , शिला अपनी बड़ी सी तरबूज सी गाड़ फैलाये कुर्ती उठाए आगे झुकी हुई थी

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रज्जो उसकी नंगी गोरी गाड़ को सहलाती हुई उसके नरम मुलायम चुतड पर पन्जा जड़ती है जिससे शिला सिस्क पड़ती है - अह्ह्ह्ह भाभीईई उम्म्ंम्ं ओह्ह्ह मान जाओ ना प्लीज एक बार

रज्जो उसकी गाड़ की दरारो मे उंगलिया घुसाती हुई सुराख मे उंगली पेल दी - अह्ह्ह तुम समझ नही रही हो दीदी उम्म्ंम रमन के पापा नाराज हो जायेन्गे

शिला - अह्ह्ह भाभीईई उह्ह्ह्ह उफ्फफ़फ़ उम्म्ंम खा जाओ उम्म्ंम्ं और चाटो उम्म्ं ये अनुज मुये ने मेरी चुत की खुजली बढा दी अह्ह्ह्ह सीईई

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रज्जो शिला की टाँगे खोले उसकी चुत पर जीभ चला रहा थी और चाट रही थी ।
शिला - आह्ह भाभीईई बस तुम हा करो । वहा तुम्हे वो मजा मिलेगा वैसा तुमने कभी नही लिया होगा


रज्जो उसकी चुत से अलग हुई और अपनी नंगी छातिया मिजने लगी

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शिला ने अपने पैर उसके गुदाज चुचो पर रख कर निप्प्ल पर सहलाने लगी जिस्से रज्जो की सासे उखड़ने लगी - ऊहह छोडो ना दिदी , चलो ना नहाते है आओ

ये बोल कर रज्जो उठ खड़ि हुई और अपनी कमर मे अटकी पेतिकोट को सरका कर सिर्फ पैंटी मे आ गयी और कुल्हे हिलाती मुस्कुराती हुई बाथरूम मे चली गयी ।

शिला भी अपनी कुरती उतार कर फेक दिया और तौलिया लेकर बाथरूम मे दाखिल हुई और उसकी नजर रज्जो के पर गयि
अपने जिस्म से ब्रा उतार कर पूरी नंगी हो रज्जो के करीब गयी और उसको पीछे से जकड़ लिया - अह्ह्ह भाभीई मेरी जान मान भी जाओ ना बस कुछ रोज की ही बात है

रज्जो के चुचो पर शिला के रेंगते हाथ उसने कस कर पकड़ लिये तो शिला ने उसकी चुचिया मिजनी शुरु कर दी - अह्ह्ह्ह दिदीईई उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह्ह्ह

शिला - थोडा सा भरोसा रखो मेरी जान उम्म्ंम वहा तुम्हारा बदन और निखर जाएगा

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"और तुम्हारे ये गोल मटोल तरबूज के चुतड उम्म्ंम्म्ं" , शिला निचे बैठ कर रज्जो की पैंती के गाड़ से सरकाती हुई उसे चूमती हुई निचे करने लगी ।


शिला - ओह्ह भाभी तम्हारी ये गाड़ उम्म्ं इसको ऐसे ना तरसाओ इसमे तो जमाने भर के लन्ड घुसाने की जगह है उम्म्ंंम्ंम्ं सीईई

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शिला रज्जो की गाड़ मसलती हुई उसके चुसने चाटने लगती है - अह्ह्ह्ह दीदी उउम्ंंंं ओह्ह्ह पर मुझे डर लगता है अह्ह्ह रमन के पापा को क्या कहुगी मै उम्म्ं

शिला उठ खड़ी हुई और घुमाती हुई उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ लिये , रज्जो ने भी उसके होठ चुसने शुरु कर दिये
दोनो रसभर अधर एकदुसरे मे घुले जा रहे थे और उनकी नगन छातियां आपस मे चुभ रही थी ,
रज्जो के हाथ शिला की मक्खन सी जांघो को उठा हुए उसके चर्बीदार चुतडो को सहला रही थी ।
रज्जो - अह्ह्ह मेरी जान मेरे सैयया मतल्ब रमन के पापा तो अभी से मेरे बिना पागल है , वो और मुझसे दूरी नही सह पायेंगे अह्ह्ह्ज समझ ना

शिला उसके गाड़ को पक्ड कर अपनी ओर उसको खिंचती हुई - तेरे उस गाड़ चतोरे साजन की फिकर ना कर उसको कैसे मनाना मै जानती हु मेरी चुदक्क्ड घोडी तू हा कर बस

रज्जो ने मुस्कुरा कर शिला को देखा - मतल्ब दीदी तुम कैसे ? शिला शर्माई और बोली - तेरे साजन बहुत कुछ तुझसे छिपाते है मेरी सजनी

रज्जो ने आगे बढा कर शिला के बुर टटोलती हुई - मतलब इस भोस्ड़े मे भी उन्होने खुन्टा गाड़ दिया उम्म्ंम

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शिला मुस्कुराती हुई सिसकी तो रज्जो ने उसकी दोनो निप्प्ल पक्ड कर नोचती हुई उसे अपने अपनी बाहो के भर के उसके होठ चुसने लगी - अह्ह्ह साली रंडी तु तो मेरा ही माल खा गयी उम्म्ंम अब देख कैसे तेरा माल मै खाती हुई वो भी तेरे घर मे घुस कर

शिला खिल उठी - तो क्या सच मे भाभी तुम चलोगी
रज्जो - हा चलूँगी ना , अगर तु मेरी चुत चाट कर खुश कर दे

शिला मुस्कुरा कर उसकी बुर सहलाने लगी - उम्म्ं मेरि सेक्सी रान्ड़ इसमे मेरा ही फाय्दा है आजा

शिला सरकर निचे हो गयी और रज्जो ने उस्के मुह पर अपनी बुर रख दी

वही उपर नहाने के बाद निशा निचे आने लगी ये खोज खबर लेने कि अगर घर की बाकी औरते बिजी हो तो वो अरून के लैपटॉप मे पोर्न्ं देख पाये

चुपचाप दबे पाव वो निचे हाल मे आई और निचे पुरा सन्नाटा पसरा हुआ था और गेस्ट रूम का दरवाजा खुला
कही कोई नजर नही आया तो निशा रागिनी के कमरे की ओर बढ़ी
दरवाजा खुला हुआ था और बाथरूम से तेज सिस्किया और अवाजे गूंज रही ।

निशा ने भागकर सबसे पहले मेन गेट चेक किया और वापस आई उसकी सासे तेज चल रही थी तेज कामुक सिसकियाँ सूनकर उस्के जहन मे समझ आ रही था किसी की तगडी पेलाई चल रही थी मगर किसकी ?

उसके निप्प्ल कडक हो गये और सासे दुगनी गति से चल रही थी , कलेजा थाम कर जैसे जैसे वो दरवाजे की ओर बढ़ रही थी उसको रज्जो की साफ और स्पष्ट गाली भरी चीख सुनाई दे रही - अह्ह्ह बहिनचोद चाट ओह्ह्ह ऐसे उम्म्ं खा मेरी बुर उह्ह्ह ओह्ह आज तुझे नहला दूँगी अपनी रस से ओह्ह्ह्ह एल्ह्ह्ह उम्म्ंम

निशा के कान खड़े हो गये कि रज्जो किसकी मुह पर अपना भोस्डा रग्ड रही है और जैसे ही उसने बाथरूम मे झाका तो देखा ,

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बाथरूम की फर्श पर शिला बुआ फैली हुई गरदन उठा हुए थी और रज्जो मौसी अपनी चुत उनके मुह पर दर रही थी - लेह्ह्ह साली कुतिया चाट उम्म्ंम पी जाह्ह्ब उह्ह्ह मादरचोद उह्ह्ह लेह्ह्ह ओह्ह्ह ओझ्ह शिलाअह्ह्ह मेरी जान उम्म्ंम आ रहा है ओह

निशा की आंखे फटी की फटी रह गयी कि रज्जो मौसी और शिला बुआ एक साथ ऐसे , अन्जाने मे उसके मुह यही निकला - ओह्ह गॉड बुआ मौसी आप लोग ?


दोनो चौके और निशा को देख कर खड़े हो गये शिला की हालत खराब थी वो रज्जो से फुसफुसाई - अब क्या करे
रज्जो- अरे शिकार खुद चल कर आया तो हलाल होगा

रज्जो - तु यहा कया कर रही है ये , इधर आ पहले

निशा - हा लेकिन आप लोग ऐसे ? दरवाजा बन्द कर लेते
रज्जो- तु बड़ी समझदार है उम्म्ं इधर अभी तुझे ठिक करती ह
ये बोल कर रज्जो ने उसे पकड़ कर खिंच और लोवर के उपर से उसकी चुतड़ पर थपेड लगाती हुई - किसी के कमरे मे जाने से पहले दरवाजा खटखटाना चाहिये ना

निशा - अह्ह्ह सॉरी ना मौसी , लेकिन आप लोग ये सब क्या कर रहे थे अह्ह्ज्ज

रज्जो - दीदी इसको भी अनुज की तरह सजा दो , कपडे उतारो
अनुज की तरह सजा का मतलब कुछ कुछ समझ आ रहा था निशा को - क्या मतलब अनुज की तरह सजा, उसने भी देखा क्या आप दोनो

शिला उसका लोवर खिंच कर - देखो तो कैसे सवाल जवाब कर रही है हा ,बहुत बिगड़ गयी है तु भी
ये बोल कर शिला के चुतड़ पर चट्ट से पन्जे जड़ देती है जिस्से निशा का जिस्म झनझना जाता है -अह्ह्ह बुआ मार क्यू रहे हो ओह्ह्ज उम्म्ं

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इधर रज्जो ने उसकी पैंती पकड़ कर खिंचती हुई - उसके गाड़ पर थपेड़ लगाती हुई - देखो तो इस्क्प एक तो चोरी उसपे से सिना जोरि

निशा - अह्ज्ज मैने किया क्या है लेकिन
रज्जो - अरे दिदी यही तुम्हारा बड़ा वाला समान लेके गयी थी
शिला - क्या सच मे ? ये लडकी बोल कहा रखा है उसे ,

रज्जो ये ऐसे नही बोलेगी इसको कमरे मे के चलो और

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फिर रज्जो उसे टांग लिया और कमरे मे घोडी बना कर उसकी पैटी खिंच कर उसकी गाड़ पर थपेड लगा कर - बोल कहा रखा है तुने उसे

निशा - आह्ह क्या बोल रही हो मौसी मै कहा लाई थी
रज्जो - मैने साफ साफ देखा था दिदी इसको कमरे से निकलते हुए ,

शिला - तभी तो मै सोचू इसकी जवानी कैसे निखर रही है आह्ह अभी से इसने घोट रखा है इतना सारा
रज्जो - बोल देगी की नही वापस

निशा - मै नही लेके गयी थी बुआ बोलो ना मौसी को
रज्जो - ये ऐसे नही मानेगी रुक

रज्जो ने उसे लिटाया और उसके मुह पर बैठ गयी - उम्म्ंम बोल ऐसे ही तेरे ये जोबन मोटे हुए है उम्म्ंम

शिला - हा रुको मै भी निचे से चेक करती हु सारी सच्चाई खुल जायेगी ये बोल कर शिला ने उस्की टांगो से पैंती खिंच कर अलग कर दी , उसकी बजबजाती बुर पर हाथ फेर कर उसके फाके अलग करती हुई - हम्म्म्म साफ साफ लग रहा है इसने घुसाया उम्म्ंम

निशा - आह्ह सीईई ओह्ह्ह बुआ क्याअह्ह्ह कर रही हो उम्मममंम्ं ओह्ह्ह
रज्जो - साली रंडी ले चाट अह्ह्ह्ह बोल मत , तेरा भेद खुल गया है अह्ह्ह उम्म्ंम

निशा मुस्कुराई और आंख मारते हुए रज्जो से हल्के से बोली - लेकीन ड्रामा करने मे माजा आ रहा है

निशा हसती हुईई - ओह्ह्ह बुआ ये क्या कर रही हो अपनी बेटी के साथ उह्ह्ह्ह मत चाटो उसकी कुवारि चुत को अह्ह्ज सीईयियो
रज्जो निशा की शरारत पर हस पड़ि और अपनी बुर को उसके मुह पर रख दी जिसे निशा चाटने लगी

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वहि शिला भुखी शेरनी की तरह निशा की बुर पर टुट पड़ि थी , उसके सपने आज हकिकत हो रहे थे , दिल मे जो अरमानो का बाग लेके आई थी वो खिल रहे थे

निशा की नमकीन चुत का स्वाद पाकर वो पागल हो गयी थी - आह्ह निशा तेरी बुर सच मे बहुत गर्म है उम्म्ं ऐसी ही कुवारि चुत का रस पसम्द है उम्मममं सीईई

निशा - अह्ह्ह बुआ अह्ह्ह इतनी अच्छी है क्या उम्म्ंम खा जाओ उह्ह्ह येस्स्स उम्म्ंम फ्क्क्क्क ओह्ह्ह जीभ से भी आह्ह हा ऐसे ही उम्म्ंम फक्क्क ओह्ह्ह बुआअह्ह्ह्ह मेरी प्यारी बुआ ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह आ रहा है उह्ह्ह्ह

रज्जो - रुक जा रुका जा ऐसे नही मुझे भी तो अपनी भतीजी के चुत का रस लेने दे आजा

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ये बोल कर रज्जो उठी और निशा की टांगो मे कैची बना कर उसकी चुत पर अपनी चुत रगड़ने लगी - अह्ह्ह मौसी उह्ह्ह ये तो अलग ही मजा आ है अह्ह्ह्ज उम्म्ंम्ं कितना तप रहा है आप्का भोस्डा अह्ह्ह उह्ह्ज्ज फक्क्क्क उम्म्ंम्ं

शिला - अह झड जा बेटी झड जा अपनी मौसी के बुर पर ओह्ह्ह
निशा - हा बुआ फिर आप चाटना अपनी बेटी की वुर बोलो चातोगे ना उम्म्ंम अह्ह्ज्ज्ज सीयिओई और तेज मौसी अह्ह्ज बहुत मुलायम है अह्ह्ह रहा नही जा रहा है अह्ह्ह्ज फक्क्क्क ऐसे ही उह्ह्ह्ह आओ जा बुआ तुम भी अओझ्ह अह्ह्ज

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शिला उठ कर उनके पास आ गयी और दोनौ उसकी चुचिया मुह के भर कर चुसने लगे - आह्ह बेटा उम्म्ंम पी ले ऊहह और चुस उह्झ भाभीईई अह्ह्ह काट डालोगी क्या आह्ह सीईईईई अह्ह्ह

रज्जो - ओह्ह्ह निशा अह्ह्ह सीईई आ रहा है मेरा अओह्ह्ह्ह।
निशा -हा मौसी मेरा भी उम्म्ंम अह्ह्ह्ह हहह फ्क्क्क अह्ह्ह मम्मीईई अह्ह्ह आह्ह आ रहा उह्ह्ह बुआआ हहहहह आ गया आ गया ओह्ह्ह शिट उह्ह्ह फक्क्क ऊहह फक्क्क


रज्जो और निशा हाफने लगे और फैल लार लेट गये वही शिला बारी बारी से दोनो के बुर के मिले हुए रस को चाटने लगी ।

जारी रहेगी
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Overall accha update tha par main Hindi padh nahi Sakta ishiliye translate karke padta hu aur translation mein Kuch part Samaj nahi Aya Khair raj ne rinki ki aur anuj ne dulari ki le li ab dono Bhai akele Ghar ja Rahe hai hope ki dono Bhai apna ajkal kand ek dusre se confess kare aur shuruwat raj hi kare anuj ko chere aur Sonal ne bhi Apne chote Bhai k e Roop dekh Liya ab JAL se jald ei bhi Apne mayake Jai aur Apne Bhai k sath Kuch au sath hi usne Apne chahca ka bhi dekh Liya toh Ghar Jake Apne baap k sath bhi Kuch ho toh aur idhar uske maa baap uske sasural mein hi rukhne wale hai toh Kuch masti toh jarur Hogi bechare dono Bhai dukhi hokar Ghar ja Rahe hai Ghar par toh srif rajjo aur shila hai asha hai dono Bhai sath mein unkinlenge Kyu ki anuj ka toh APNI Bua ko Lena Baki hai fir
Mera toh us din ka intezar hai kab raj anuj ragini Sonal rangi sab sath mein honge Baki log toh hai ki umeed karta hi wo din dur nahi
Bahut bahut dhanyawad Bhai
 
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