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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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प्यारे दुलारे मुठ्ठलबाज मित्रों
आ गया !!! आ गया !!! आ गया !!!
हिलाने का सीजन 02 आ गया !!! :D

खुद भी हिलाइए और दोस्तों को भी बुलाइए
बहुत ही जल्द शुरू होने वाला है इस कहानी का सीजन 02

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COMING SOON :jerker:

 
Last edited:

Deepaksoni

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💥अध्याय : 02💥


UPDATE 001


: हाहा क्या मस्त नजारा है उम्मम

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: धत्त बंद करो , अरुण सड़क पर ही है हटाओ , मान जाओ न भाभी ( शिला ने मिन्नतें करते हुए बोली और झट से उठते हुए पैंटी खींच कर, साड़ी नीचे गिरा कर खड़ी हो गई )
: इसको तो मै तुम्हारे भैया के पास भेजूंगी हीही ( रज्जो चहकी मोबाइल पकड़े हुए बोली )
: धत्त नहीं प्लीज ये सब नहीं ( शिला उसको मना कर रही थी ।

" ओह क्या मस्त नजारा था उफ्फफ उम्ममम कितनी बड़ी गाड़ है बड़ी मम्मी की अह्ह्ह्ह्ह और कैसे वो अपने गाड़ फैला कर मूत रही थी उम्ममम सीईईई बड़ी मम्मी ओह्ह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् ओह्ह्ह्ह " , कमरे के बिस्तर में लेटा हुआ अरुण आज दुपहर हुई घटना को याद कर रहा था । जब वो शिला और रज्जो तीनों गांव वाले घर के लिए गए थे ।

अरुण अपनी बड़ी मम्मी के नंगे चुतड़ और धार छोड़ती चूत के दर्शन पाकर उन्हें सोचता हुआ हिला रहा था ।

" ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह बड़ी मम्मी आपकी गाड़ बहुत मस्त है कब दोगी मुझे ahhh पेल पेल कर फाड़ दूंगा ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह मुझे आपके मूत से नहला दो न अह्ह्ह्ह्ह कितना नमकीन होगा उम्ममम मेरी बड़ी मम्मी अह्ह्ह्ह्ह " , अरुण अपनी टांगे फैलाए आंखे उलटता हुआ चरम पर जा रहा था ।
उसके जहन में रज्जो की कही हुई वो बात घूम रही थी जब उसने फोटो शिला के भईया यानी कि अरुण के मामा के पास भेजने को कही थी ।

" ओह्ह्ह गॉड मामा तो पागल हो जाएंगे बड़ी मम्मी की गाड़ देखकर अह्ह्ह्ह मुझे देदो न रज्जो मामी उम्ममम मेरे पास भेज दो फोटो अह्ह्ह्ह मह्ह्ह्ह फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह सीईईईई अह्ह्ह्ह्ह ।

तभी कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई

अरुण झल्लाया : बहिनचोद किसकी मां चुद गई अब , साला शांति से हिलाने भी नहीं देते ।
उखड़ कर अरुण अपना लंड चढ्ढे में घुसाते हुए उसको सेट करता हुआ, गहरी आह भर कर अपने चेहरे के भाव शांत करता हुआ दरवाजा खोला ।

सामने देखा तो रज्जो खड़ी थी ।


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सिफान साड़ी के झलकते ब्लाउज से झांकती उसकी मोटी चूचियां और गहरी नाभि देख कर अरुण के आंखों की चमक बढ़ गई ।
रज्जो : बेटा चल नाश्ता कर ले
अरुण : चलो मामी मै आता हूं
रज्जो : जल्दी आना हा

रज्जो ये बोलकर चली गई और अरुण साड़ी में उसके थिरकते बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों को देख कर सिहर उठा ।

" अह्ह्ह्ह बहिनचोद घर में दो गदराई माल कम थी जो ये भी आ गई मेरी तड़प बढ़ाने आह्ह्ह्ह क्या मस्त चूतड़ है साली के उम्मम , साला कोई तो चुदवा लो मुझसे " , अरुण झल्लाकर अपना लंड भींचते हुए बोला ।

अरुण खुद को शांत कर फ्रेश होकर हाल में नाश्ते के लिए आ रहा था ।
जहां रज्जो और शिला पहले से ही आपस में बातें कर रही थी ।

" नजर देखी उनकी , कैसे आंखे कर देख रहे थे तुम्हे हीही" , रज्जो ने शिला को छेड़ा ।
शिला शर्मा कर : धत्त भाभी , वो मेरे ससुर है आप भी न
रज्जो शिला के पास आकर : क्यों सास भी तो पूरी टाइट है अभी , लेते नहीं होंगे क्या हीही।
शिला मुस्कुरा कर रज्जो को देखा और हस दी : वैसे कुछ दिनों पहले देखा था , बापूजी तो नहीं लेकिन हा अम्मा जरूर जिद दिखा रही थी उसके लिए।
रज्जो चौक कर : क्या सच में ?
शिला : हा और फिर बापूजी गए थे अंदर मैने देखा ....।
शिला बोलते हुए रुक गई क्योंकि उसकी नजर हाल में आते हुए अरुण पर पड़ गई थीं और उसने रज्जो को इशारा कर दिया था ।

अरुण ने सामने देखा डायनिंग टेबल पर रज्जो एक कुर्सी पर बैठी है उसके बड़े चौड़े कूल्हे दोनो तरफ से झूल रहे थे और उनकी चौड़ी नंगी पीठ का हल्का सावला रंग बहुत ही कामुक नजर आ रहा था ।


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रज्जो ने घूम कर अरुण की ओर देखा और मुस्कुराई ।

अरुण भी नाश्ते के लिए बैठ गया ।
रज्जो : वैसे कम्मो और बाकी सब कब तक आयेंगे ।

शिला : सुबह बात हुई थी शायद कल तक आ जाए , वैसे मैने उनलोगों को बताया नहीं है कि तुम भी यहां आई हो ।
रज्जो : अच्छा है कुछ चीजें सरप्राईज होनी चाहिए क्यों अरुण
अरुण अपने ख्यालों से उभर कर : जी , जी मामी ।

" बहिनचोद यहां मेरा लंड परेशान है और इसको देखो साली ऐसे गाड़ फैला कर बैठी है उफ्फ पापा और बड़े पापा आयेंगे तो वो दोनों तो ऐसे ही पागल हो जायेंगे , इतना बड़ा भड़कीला सरप्राईज देखेंगे तो " , अरुण रज्जो के चेयर पर फैले हुए चूतड़ों की गोलाई तिरछी नजर से देखता हुआ मन में बडबडा रहा था ।

शिला : आओ भाभी टैरिस पर चलते है अच्छी हवा चल रही होगी ।
रज्जो चाय की चुस्की लेकर प्याला वही रखते हुए बोली : हा चलो ।
फिर दोनों ऊपर निकल गए और अरुण भी लपक कर अपने कमरे की ओर चला गया ।


*************************

एक बहुत सुंदर और मनोरम पार्क में मुरारी टहल रहा था । वहा के पेड़ बागानों में उसे गजब का सुकून मिल रहा था । हर तरफ हरियाली और फूलों की खुशबू से उसका हृदय गदगद हुआ जा रहा था । मगर हैरत की बात थी कि पूरे बागान में उसके अलावा वहा कोई दूसरा नहीं नजर आ रहा था । कही से चिड़ियों की मधुर चहचहाहट तो कही से हल्की सर्द हवा , दुपहर की धूप में गजब की शांति थी वहां । उसके कानो में पास ही पानी की कलकल सुनाई दे रही थी । मुरारी उस ओर बढ़ गया ।
आगे बड़े बड़े घने सजावटी आकार में पेड़ और ऊंची फूलों की झाड़ियां सजी हुई थी । एक बड़ा सा फूलों से बना हुआ गेट था , वहा से इत्र चंदन और सुगंधित फूलों की खुशबू आ रही थी ।
मुरारी का रोम रोम पुलकित हो उठा ।
उसका दिल ऐसे मनोरम दृश्य को बहुत खुश था । वो गेट से दाखिल हुआ और आगे एक बड़ा सा सरोवर था , जिसमें नक्काशीदार टाइल लगे हुए थे चारो तरफ से गिरा हुआ बिल्कुल गोपनीय । वहा का तापमान ना गर्म था न सर्द , मुरारी आगे बढ़ता कि उसकी नजर सरोवर में एक तरफ पक्की सीढ़ियों के पास पानी में उतरी हुई एक महिला पर गई ।
अह्ह्ह्ह्ह गजब उभार था उसके चूतड़ों में , उसके जिस्म पर मात्र एक लाल रंग की चुनरी थी जो उसके कंधे पर थी , वो आधी जांघों तक सरोवर में उतरी हुई थी । मुरारी एक पेड़ की ओट में छिप गया ।
उसके जिस्म पर उस चुनरी के अलावा और कोई वस्त्र नहीं था मगर हैरत की बात थी कि वो अपने सभी जेवर गहनों से सुशोभित थी ।
मुरारी की नजर उस महिला के गोरे मोटे उभरे हुए नंगे चर्बीदार चूतड़ों पर अटक सी गई ।


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तभी उस महिला ने एक केतली में सरोवर से पानी भरा और उसको अपने पीठ पर गिराने लगी
उस केतली से पानी थोड़ा थोड़ा उसके पीठ से रिसकर उसके गाड़ के सकरी दरारों में जाने लगा । और अगले ही पल मुरारी की हलक तब सूखने लगी जब उसने अपनी गाड़ फैला कर उठे ऊपर उठाया । चूत के फांके सहित गाड़ फैल कर मुरारी के आगे आ गए
" अह्ह्ह्ह क्या मस्त चूतड़ है इसके उम्ममम " , मुरारी उस नहाती हुई महिला को निहारता हुआ उसका पजामे में अपना लंड सहलाते हुआ बोला ।
तभी वो महिला ने अपने लंबे चिकने नंगे पैर उठा कर पानी में ही सीढ़ी पर किए जिससे उसके चूतड़ और बाहर की ओर निकल गए और चूत की फांके विजिबल हो गई । और अगले ही पल उस कामदेवी ने अपने लंबे लंबे नाखून वाले कोमल कोमल सुंदर हाथों से अपने मुलायम चूतड को सहलाते हुए दरारों में उंगली करने लगी उसके जिस्म में कामवेग का लहर उठ रहा था और जैसे ही उसकी पतली उंगलियों ने उसके चूत के रसाते फांके को स्पर्श किया वो सिसक उठी और गर्दन ऊपर कर दी ।


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उस महिला की सिसकी से मुरारी का ध्यान उसके चेहरे पर गया और उसका लंड और वो दोनों ही मुंह बा दिए ।

" बहु " , मुरारी ने उस कामदेवी की पहचान की और उसका कलेजा धकधक होने लगा ।
मुरारी को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी नई नवेली बहु सोनल इस कामरस से सराबोर सरोवर में ऐसे कामुक होकर नहा रही थी ।
सोनल आंखे उलट कर अपने हाथ पीछे किए हुए अपने फांके सहला रही थीं और इधर मुरारी का लंड पूरा टनटना गया था ।
जांघियों में पूरा तंबू बन गया था और अब उसको निकालने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था , ।
मुरारी जल्दी जल्दी अपना कुर्ता पकड़ कर अपने पजामे का नाडा खोलने लगा और मगर वो खोल नहीं पा रहा था
इस हड़बड़ी में उसका मनमोहक दृश्य बदल चुका था और सोनल अब सरोवर के टाइल पर पैर लटका कर बैठी हुई थी और उसने वापस से केतली में पानी भरा और इस बार उसने अपने आगे सीधा चूत के फांके पर गिराने लगी ।


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ठन्डे पानी की धार जैसे ही सोनल के चूत के दाने पर गिरी वो मजे से छटपटा पड़ी उसके चेहरे पर शरारती मुस्कुराहट फैल गई और उसने हाथ आगे कर अपनी मुनिया सहलाई
" ओह्ह्ह बहु तुम मुझे पागल कर दोगी , कितनी मस्ती कर रही हो अकेले अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म कितनी रसीली चूत है तुम्हारी उम्मम " , मुरारी अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाये हुए बोला .


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उधर जैसे जैसे सोनल की उंगलियां उसके चूत के फांके पर रेंग रही थी उसके जिस्म में गुदगुदी बढ़ रही थी उसकी सांसे चढ़ने लगी थी और अगले ही पल उसने चूत में उंगली घुसाई और एक मादक सिसकी उस s कलकल भरे वातावरण में गुम सी हो गई ।
और देखते ही देखते सोनल अपनी उस लाल चुनरी पर टाइल पर ही लेट गई और उसके जिस्म पर आप कोई कपड़े नहीं थे उसके नुकीले कड़क गुलाबी निप्पल देखकर मुरारी के मुंह और लंड दोनो में पानी आ रहा था ।


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सोनल वहा अपना चूत मसल रही थी अपने जिस्म को रगड़ मिज रही थी और उसकी मादक सिसकिया मुरारी के लंड की नसे फड़कने पर मजबूर कर रही थी
" अह्ह्ह्ह पापा जी आजाओ न उम्ममम " , सोनल के शब्द जैसे ही मुरारी के कान में पड़े मुरारी का लंड एकदम चरम पर पहुंच गया
" आजाओ न पापाजी उम्ममम चाटो ना मेरी बुर उम्ममम अह्ह्ह्ह पापाजी ओह्ह्ह" , सोनल ने फिर से मुरारी को पुकारा ।
मुरारी पागल हो गया और अपना खड़ा लंड लेकर सोनल की ओर बढ़ा
मगर वो हिल नहीं पा रहा था , पेड़ की टहनियों और लताओं ने उसको बाध लिया था , मुरारी की हालत खराब होने लगी वो जमीन पर गिर पड़ा और तड़पने लगा था , उसने सोनल को आवाज देना चाहा तो उसके गले की आवाज जा चुकी थी ।
मुरारी ने पूरी ताकत लगाई और हाथ झटक कर सारे बंधन तोड़ते हुआ उठ कर बैठ गया ।

मगर ये क्या वो तो इस वक्त बिस्तर पर था , कमरे में गुप अंधेरा था । रोशनदान से हल्की स्लेटी रोशनी आ रही थी ।
अपना माथा पकड़ पर अपने पंजे से अपना चेहरा आंख सहलाता हुआ मुरारी मुस्कुरा पड़ा , क्योंकि वो सपना देख रहा था ।
मुरारी ने उठ कर कमरे की बत्ती ऑन की और कमरे से लगे बाथरूम में फ्रेश होकर नहा धोया और अपना बैग लेकर होटल से चेक आउट कर निकल आया ।
पास ही एक ढाबे पर नाश्ता करने लगा कि उसके मोबाइल पर ममता का फोन आने लगा ।

फोन पर ...
मुरारी : कैसी हो अमन की मां , मै तुम्हे ही फोन करने वाला था ।
ममता : रहने दो रहने दो , भाई की दुल्हन के चक्कर तो आप मुझे भूल ही गए है हुह
मुरारी : हाहा ऐसा नहीं है अमन की मां , सच में अभी नाश्ता कर ही रहा था और तुम्हे फोन करने वाला था ।
ममता : ठीक है ठीक है , मेरी देवरानी का पता चला कुछ , दो दिन हो गए है आपको गए घर से । यहां जरा भी मन नहीं लग रहा है ।
मुरारी : हा एक पहचान वाले उसके किराए के घर का पता मिला है , अभी नाश्ता करके देखता हूं
मुरारी : और तुम चिंता न करो , अमन से कुछ बात हुई
ममता : नहीं न , उसका नंबर ही नहीं लग रहा है ।
मुरारी : अरे मोबाइल पर बात नहीं हो पाएगी अमन की मां ,जहां वो गया है वहां इधर के सिम नहीं काम करते है । तुम फिकर न करो , उससे बात होगी मेरी तो कहूंगा कि बात कर ले ।
ममता : जी ठीक है
मुरारी : ठीक है रखता हु बाय
ममता : अच्छा सुनिए
मुरारी उठ कर मोबाइल कंधे से कान के पास लगाए ढाबे वाले को पैसे दे रहा था : हा बोलो
ममता : आई लव यू हीही
मुरारी मुस्कुराते हुए : हम्म्म
ममता : क्या हम्म्म आप भी बोलो न
मुरारी मुस्कुरा लगा : अमन की मां मै सड़क पर हूं
ममता इठलाई : तो क्या हुआ , बोलिए न । आपको तो मेरी याद ही नहीं आती है
मुरारी ने आस पास देखा और धीरे से फुसफुसाया : अच्छा ठीक है लव यू
ममता खुश होकर : हीही थैंक यू बाय

फोन कट गया और मुरारी ममता की हरकतों पर मुस्कुराता हुआ सड़क पार करने लगा ।
उसने एक ऑटो वाले को शहर में एक एरिया का नाम बताया और निकल गया ।
दोपहर सर पर चढ़ रही थी और वो शहर के पिछड़े इलाके में गलियों में बैग टांगे घूम रहा था ।

2 बजने को हो गए
पूछते हुए वो आखिर मदन की प्रेमिका के घर तक आ ही पहुंचा ।
एक मंजिला मकान था पीछे दिवाल पर तक उठे थे , छोटा ही घर था ।
मगर वहां भी ताला जड़ा था ।
आस पास पता किया तो पाया कि वो किसी ऑफिस में नौकरी करती है शाम तक आएगी ।
एक भले आदमी ने मुरारी को अपने घर बरामदे में आसरा दिया और वो देर तक शाम तक वही ठहर गया ।

" उठो बाबू साहब , वो मंजू आ गई " , उस बूढ़े आदमी ने मुरारी को जगाया ।
मुरारी खटिए से उठा और बैग लेकर मंजू के घर के बाहर खड़ा हो गया ।

दो बार दरवाजा खटखटाने पर मंजू ने दरवाजा खोला और जैसे ही उसने सामने मुरारी को देखा ।
झट से अपने कमर में खोंसी हुई साड़ी जिसमें से उसकी गोरी गुदाज नाभि झलक रही थी उसने खोलकर अपने सर पर रख लिया ।


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मंजू : नमस्ते भाईसाहब , आप यहां इस वक्त
" अरे बाबू साहब तो बेचारे दुपहर से आए है तेरी राह देख रहे थे " , वो बूढ़ा आदमी बोला ।
मंजू : वो मै काम पर गई थी , मगर आप ऐसे अचानक
मुरारी को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या जवाब दे ।

मंजू : आप बाहर क्यों है अंदर आईंये न
मंजू ने किवाड़ खोलकर मुरारी को घर में आने का आमंत्रण दिया ।

मुरारी जैसे ही अंदर घुसा तो आगे एक चौकी रखी थी । बगल में एक छोटी आलमारी और रस्सी की अरगन पर लटके हुए मच्छरदानी समेत ढेर सारे कपड़े ।
यही एक कमरा था और पीछे खुला हाता था जहां एक कोने पर नल और वही दिवाल लगकर चूल्हा बना था मिट्टी का ।
मुरारी को समझ आ रहा था मंजू की स्थिति बहुत बदतर हो चुकी है ।

वो जल्दी जल्दी अलमारी से एक चादर निकाल कर बिछाने लगी
मुरारी उसके पीछे खड़ा था , उसके चौड़े कूल्हे मुरारी के आगे थे ।
मगर मुरारी का ध्यान वहा नहीं था ।

मंजू : बैठिए भाई साहब , मै पानी लाती हूं
फिर मंजू आलमारी में रखे डिब्बे से पेड़े निकाले और कटोरी में रख कर बिस्तर पर मुरारी के पास रख दिए और पानी लेने पीछे चली गई।
नल चलने की आवाज आ रही थी , मुरारी कमरे में देख रहा था , उसकी नजर छत पर गई , कमरे की दिवाल पर प्लास्टर हुआ था मगर छत पर वैसे ही चूना किया हुआ था । पंखा भी काफी पुराना था ।

मंजू पानी रखते हुए : और घर सब कैसे है ?
मुरारी : सब ठीक है , तुम बताओ कैसी हो ?
मंजू जबरन होठों पर मुस्कुराहट लाकर: जी मै भी ठीक हूं
मुरारी : बगल वाले चाचा बता रहे थे तुम ऑफिस जाती हो?
मंजू मुस्कुरा कर : जी वो पास में ही एक ऑफिस है , वही नौकरी करती हूं।
मुरारी : अच्छा ससुराल में किसी से बात चीत होती है क्या ?
मंजू उदास होकर : जी नहीं , काफी साल हो गए
मुरारी : हम्मम , मैं यहां एक प्रस्ताव लेकर आया हूं मंजू
मंजू को डर लग रहा था : जी कहिए
मुरारी : अमन की मां की इच्छा है कि तुम घर आ कर रहो , हमारे साथ
मंजू चौक कर : क्या ? नहीं मै कैसे ? आप ये क्या बोल रहे है ?

मुरारी : देखो मै तुम्हे यहां ले जाने ही आया हूं , मै अमन की मां को फोन करता हूं तुम बात करो ।

फिर मुरारी ने ममता को फोन मिलाया और मंजू को दे दिया
करीब घंटे भर बाद वो पीछे से वापस कमरे में आई ।
वो मोबाईल मुरारी को दी ।

मुरारी : तो क्या निर्णय लिया तुमने
मंजू : मै ऐसे कैसे जा सकती हूं, आप अपने भाई के बारे में सोचिए न , मै किस मुंह से उनके सामने जाऊंगी
मुरारी हंसता हुआ : भई इसी मुंह से चल चलो , नहीं पसंद आया उसे तो थोड़ा मेकअप कर लेना हाहा , शादी में वैसे भी तैयार होना ही है ।

मंजू हंसने लगी : धत्त भाई साहब आप भी
मुरारी : देखो मुझे पता है कि तुम अमन की मां को हामी भर चुकी हो , हा कि ना
मुरारी ने कबूलवाया
मंजू मुस्कुरा कर : हम्म्म
मुरारी खड़ा होता हुआ : फिर क्यों फालतू के सवाल जवाब , अपने जरूरी समान पैक कर लो कल सुबह मै आऊंगा फिर हम निकलेंगे ।

मंजू : आप कहा जा रहे है इतनी रात को
मुरारी थोड़ा हिचक कर : देखो मेरा यहां ऐसे रुकना उचित नहीं है , और यहां बिस्तर भी एक ही है ।

मंजू : अरे भईया आप उसकी फिक्र न करे मै नीचे सो जाऊंगी , आप इतनी रात कहा भटकेंगे । यहां तो आसपास न होटल मिलेगा न कोई सवारी ।

मुरारी वापस अपने कंधे से बैग सरका कर बिस्तर पर बैठ गया और मंजू बातें करते हुए खाना बनाने लगी ।

वही दूसरी ओर ममता अपनी होने वाली देवरानी से बाते कर बहुत खुश थी ।
हालांकि उसके दिल में बेचैनी हो रही थी कि अभी वो मदन के कमरे के जाए और उसे खुशखबरी दे दे मगर मुरारी ने ममता को मना कर रखा था क्योंकि वो उसे चौंकाना चाहते थे ।
ममता दिल ही दिल में आज अपने पति को बहुत प्यार दिए जा रही थी , उसका तो जी चाह रहा था कि अभी वो पास होती तो कस कर उससे लिपट जाती और आज तो उसने अपने पति को कैसे छेड़ा , कैसे बीच सड़क पर उनसे आई लव यू बुलाया ।
तभी अचानक से ममता के जहन में रागिनी का ख्याल आया और उसकी डेयरिंग बाते सोच कर उसके तन बदन के सरसरी फैल गई ।

अब उसका दिल जोरो से धड़कने लगा , भीतर गजब का कौतूहल मचा हुआ था । वो करे या न करे
आज तो उसके पास मौका भी है और दस्तूर भी मगर देवर जी भी तो है घर में । अरे यही तो असली डेयरिंगबाजी है ट्राई करते है ।
और ममता ने अपने जिस्म से नाइटी उतार दी ।
फिर पूरी की पूरी नंगी
आइने में खुद को देख कर अपने भरे गदराए मोटे मोटे मम्मे हाथों में भर कर आपस में सताने लगी जिससे उसके निप्पल टाइट हो गई ,


फिर वो अपने बड़े से कूल्हे को हिलाती हुई मोबाइल लेकर दबे पाव अपने कमरे का दरवाजा खोली ।
ममता ने अपना पूरा जिस्म दरवाजे की ओट में रखे हुए कमरे से बाहर झांका गलियारा एकदम सुनसान
दबे पाव अपने पायलों की रुनझुन को हल्का रखते हुए वो जीने के पास आई और हाल में देखा फिर मदन के बंद कमरे की ओर देखा। फिर धीरे धीरे जीने की सीढ़िया चढ़ने लगी ।


Mamata
ऊपर गुप अंधेरा था तो उसने मोबाईल की टॉर्च जलाई और पीछे बाल्कनी में आई गई ।
उसे बहुत खुशी हो रही थी , सर्द हवाएं उसके जांघों और चूत पर लग रही थी उसके चूचे के निप्पल ठंडे पड़ने लगे थे ।
उसका रोम रोम पुलकित हो उठा था जिस्म पर दाने ऊबर आए हो मानो , रागिनी द्वारा दिखाया हुआ एक एक ख्वाब ममता को सच होता दिख रहा था और जैसा उसने कहा था , कि ऐसे मौके पर अपने पति की गर्म बाहों में लिपटने को मिल जाए तो मजा और आ जाए ।
ममता भी अपने बाहों को सहला कर चांदनी रात में दूर सिवान को निहार रही थी , ऐसे में उसे मुरारी की याद और आ रही थी ।

ममता कुछ ही देर में बेचैन होने लगी थी और उसने रागिनी से बात करनी चाही , मगर रागिनी के पास खुद का फोन नहीं था और इतनी रात के रंगीलाल के पास फोन मिलाना उचित नहीं लग रहा था ।
मगर भीतर की तड़प बढ़ती जा रही थी, रागिनी के बहकावे में वो ऊपर चली आई थी मगर भीतर प्रेम की आग जो भड़क उठी थी उसकी तड़प बढ़ती जा रही थी । अब जिसने रोग दिया वो इलाज भी जानती होगी ये सोच कर ममता ने ना चाहते हुए भी रंगीलाल के पास फोन घुमा दिया



वही दूसरी ओर रंगीलाल आज रागिनी के गाड़ के घुसा हुआ था
रंगी : अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान लह्ह्ह ओह्ह्ह्ह कितनी टाइट है तेरी गाड़ उम्मम
रागिनी : अह्ह्ह्ह्ह मेरे राजा फाड़ तो ऐसे रहे हो जैसे दुबारा वापस नहीं आना है अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म


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रंगी : उम्मम तेरी मोटी चौड़ी गाड़ को देख कर मै पागल हो जाता हु और फिर कल से हफ्ते भर कहा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह हा और और फेक अह्ह्ह्ह और नचा उम्ममम

रागिनी सिसकारियां लेते हुए रंगी के लंड पर आने चूतड़ फेकने लगी और उसका सुपाड़ा फुलने लगा और अगले ही पल वो उसकी गाड़ में झड़ने लगा


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रंगी : अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह मेरी रॉड अह्ह्ह्ह रागिनी मेरी जान अह्ह्ह्ह भर दूंगा तेरी गाड़ अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह

तभी रंगी का फोन बजने लगा
और वो आखिरी बूंद तक रागिनी की गाड़ में निचोड़ कर लंड बाहर निकाला
फिर बिस्तर पर आ गया
हेडबोर्ड का टेक लेकर मोबाइल चेक किया तो देखा अंजान नंबर से फोन आया था ।

दरअसल ममता ने हाल ही में एक मोबाइल लिया था , जिसका नम्बर ज्यादा लोगो के पास नहीं था ।

रागिनी पेटीकोट से अपनी गाड़ पोंछती हुई : किसका फोन है जी
रंगी : पता नहीं नया नंबर कोई , तुम इधर आओ मेरी जान
रंगी लाल ने रागिनी को अपने पास खींचा
रागिनी सिसकारियां भरती हुई : उम्ममम देखो तो थके नहीं क्या अभी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ रुको न थोड़ा
रंगी उसकी चूचियां मिज़ता हुआ : तुम्हे पेल कर भला कब थकान हुई है मेरी जान
तभी फिर से मोबाइल बजने लगा

रंगी चिढ़ कर : ये मादरचोद है कौन इतनी रात को ।

रंगी फोन उठा कर : हैलो
ममता : जी नमस्ते भाई साहब मै अमन की मां बोल रही हूं
एकदम से रंगी के हावभाव बदल गए : अरे भाभी जी आप , नमस्ते नमस्ते कहिए कैसी है ?
ममता : जी अच्छी हूं, आप सब कैसे है ?
रंगी : जी मै भी , मेरा मतलब हम लोग भी ठीक है , लीजिए सोनल की मम्मी से बात करिए

रागिनी : कहिए संबंधन जी आज इतनी रात , हमारी याद कैसे
ममता : जरा भाईसाहब से किनारे होइए , कुछ बात का करनी है ।


स्पीकर पर ममता की बात सुनकर रागिनी और रंगी मुस्कुराए और रंगी ने इशारा किया कि मै यहां नहीं हु ऐसा बोलो ।
रागिनी हस कर : अरे बोलिए बोलिए वो बाथरूम में गए है
ममता : क्या बोलूं दीदी , आपने तो मुझे फसा दिया
रागिनी : अरे क्या हुआ ?
ममता झिझक कर : वो आपके कहने पर मै यहां ऊपर आई थी , मगर अब तो ऐसी बेचैनी हो रही है कि क्या करु ।

रागिनी को समझते देर नहीं लगी कि ममता जरूर बालकनी में नंगी खड़ी है ।
रागिनी : ओहो मेरी डेयरिंग बाज समधन हिहिही , लग रहा है समधी जी है नहीं उम्मम क्यों ?
ममता : हा वो कही बाहर है ?
रागिनी : हाय दैय्या और आपके देवर ?
ममता : वो तो अपने कमरे में है !
रागिनी : और आप अकेली नंगी खड़ी है
ममता : हा बाबा , बताओ न क्या करु अब कितनी तड़प हो रही है उम्ममम
ममता और रागिनी की बातें सुनके रंगी रंगीनी से इशारे में पूछ रहा था कि आखिर क्या माजरा है तो रागिनी हस्ती हुई उसको शांत रहने को बोल रही थी ।

रागिनी : कुछ नहीं वापस आ जाओ कमरे में और चादर खींच कर सो जाओ हीहिही
ममता : धत्त बताओ न , आप क्या करती थी ऐसे में जब भाई साहब नहीं होते थे तो
रागिनी शरारत भरी मुस्कुराहट से : सच बताऊं , मै तो उन्हें याद कर अपनी मुनिया सहलाती थी खुली छत पर

ममता लजा कर : धत्त , सच में ?
रागिनी रंगी को देखकर अपनी टांगे खोलने लगी और अपनी बुर सहलाते हुए बोली : हा , मुझे तो मेरे बालम के बारे में सोच कर अपनी मुनिया सहलाने में बड़ा मजा आता है आह्ह्ह्ह अभी भी सोच कर रस टपकने लगा ।

ममता : उम्मम सच में ओह्ह्ह्ह ठीक है रखो फिर
रागिनी : अरे कहा चली
ममता हस कर : मै भी उन्हें सोच कर सहलाऊंगी हीहीही
रागिनी चहक कर : किसे , अपने समधी को क्या ?
ममता एकदम से लजाई: धत्त दीदी आप भी न
रागिनी : अरे इसमें शर्माना कैसा , आपके समधी जब आपके बारे में सोच कर अपना सहला सकते है तो आप क्यों नहीं ।
ममता : धत्त झूठी
रागिनी : अरे सच कह रही हूं, वो जो आपसे आपकी ब्रा पैंटी लाई थी न , एक रोज बाथरूम में लेकर घुसे थे ये
रागिनी मुस्कुरा कर रंगी को देखी ।
ममता : क्या सच में ?
रागिनी : हा और क्या , और अपनी ब्रा को नीचे लपेट कर खूब रगड़ रहे थे ।

ममता एकदम से चुप हो गई
रागिनी : और तो और आपकी कच्छी को नथुनों पर रखे हुए सूंघ रहे थे फिर ब्रा में ही सब निकाल दिया

ममता: धत्त आप बहुत गंदी है दीदी , हीहीही रखो अब
रागिनी हसने लगी और फोन कट हो गया ।
अगले ही पल रागिनी की सिसकिया एक बार फिर उठने लगी क्योंकि रंगी एक बार फिर अपना मुंह उसके चूत के लगा चुका था ।


जारी रहेगी


*** कहानी के नए सीजन का पहला अपडेट पोस्ट कर दिया गया है। पढ़ कर अपने विचार जरूर साझा करें । ***

धन्यवाद
Dhamaka kr diya bhai aap ne
Superb update Diya land khada ho gya h
Idher ek trf arun apni badi mummy mtlb shila ki badi badi gand me khoya hua tha to ek trf aman ke papa apni bahu ke mast badan ko sapne me dekh kr mast hue jaa rahe the.

Dekhte h ab aman ke papa or manju se bich kya hota h ye dekhne maza ayega...
 

ajaydas241

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💥अध्याय : 02💥


UPDATE 001


: हाहा क्या मस्त नजारा है उम्मम

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: धत्त बंद करो , अरुण सड़क पर ही है हटाओ , मान जाओ न भाभी ( शिला ने मिन्नतें करते हुए बोली और झट से उठते हुए पैंटी खींच कर, साड़ी नीचे गिरा कर खड़ी हो गई )
: इसको तो मै तुम्हारे भैया के पास भेजूंगी हीही ( रज्जो चहकी मोबाइल पकड़े हुए बोली )
: धत्त नहीं प्लीज ये सब नहीं ( शिला उसको मना कर रही थी ।

" ओह क्या मस्त नजारा था उफ्फफ उम्ममम कितनी बड़ी गाड़ है बड़ी मम्मी की अह्ह्ह्ह्ह और कैसे वो अपने गाड़ फैला कर मूत रही थी उम्ममम सीईईई बड़ी मम्मी ओह्ह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् ओह्ह्ह्ह " , कमरे के बिस्तर में लेटा हुआ अरुण आज दुपहर हुई घटना को याद कर रहा था । जब वो शिला और रज्जो तीनों गांव वाले घर के लिए गए थे ।

अरुण अपनी बड़ी मम्मी के नंगे चुतड़ और धार छोड़ती चूत के दर्शन पाकर उन्हें सोचता हुआ हिला रहा था ।

" ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह बड़ी मम्मी आपकी गाड़ बहुत मस्त है कब दोगी मुझे ahhh पेल पेल कर फाड़ दूंगा ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह मुझे आपके मूत से नहला दो न अह्ह्ह्ह्ह कितना नमकीन होगा उम्ममम मेरी बड़ी मम्मी अह्ह्ह्ह्ह " , अरुण अपनी टांगे फैलाए आंखे उलटता हुआ चरम पर जा रहा था ।
उसके जहन में रज्जो की कही हुई वो बात घूम रही थी जब उसने फोटो शिला के भईया यानी कि अरुण के मामा के पास भेजने को कही थी ।

" ओह्ह्ह गॉड मामा तो पागल हो जाएंगे बड़ी मम्मी की गाड़ देखकर अह्ह्ह्ह मुझे देदो न रज्जो मामी उम्ममम मेरे पास भेज दो फोटो अह्ह्ह्ह मह्ह्ह्ह फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह सीईईईई अह्ह्ह्ह्ह ।

तभी कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई

अरुण झल्लाया : बहिनचोद किसकी मां चुद गई अब , साला शांति से हिलाने भी नहीं देते ।
उखड़ कर अरुण अपना लंड चढ्ढे में घुसाते हुए उसको सेट करता हुआ, गहरी आह भर कर अपने चेहरे के भाव शांत करता हुआ दरवाजा खोला ।

सामने देखा तो रज्जो खड़ी थी ।


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सिफान साड़ी के झलकते ब्लाउज से झांकती उसकी मोटी चूचियां और गहरी नाभि देख कर अरुण के आंखों की चमक बढ़ गई ।
रज्जो : बेटा चल नाश्ता कर ले
अरुण : चलो मामी मै आता हूं
रज्जो : जल्दी आना हा

रज्जो ये बोलकर चली गई और अरुण साड़ी में उसके थिरकते बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों को देख कर सिहर उठा ।

" अह्ह्ह्ह बहिनचोद घर में दो गदराई माल कम थी जो ये भी आ गई मेरी तड़प बढ़ाने आह्ह्ह्ह क्या मस्त चूतड़ है साली के उम्मम , साला कोई तो चुदवा लो मुझसे " , अरुण झल्लाकर अपना लंड भींचते हुए बोला ।

अरुण खुद को शांत कर फ्रेश होकर हाल में नाश्ते के लिए आ रहा था ।
जहां रज्जो और शिला पहले से ही आपस में बातें कर रही थी ।

" नजर देखी उनकी , कैसे आंखे कर देख रहे थे तुम्हे हीही" , रज्जो ने शिला को छेड़ा ।
शिला शर्मा कर : धत्त भाभी , वो मेरे ससुर है आप भी न
रज्जो शिला के पास आकर : क्यों सास भी तो पूरी टाइट है अभी , लेते नहीं होंगे क्या हीही।
शिला मुस्कुरा कर रज्जो को देखा और हस दी : वैसे कुछ दिनों पहले देखा था , बापूजी तो नहीं लेकिन हा अम्मा जरूर जिद दिखा रही थी उसके लिए।
रज्जो चौक कर : क्या सच में ?
शिला : हा और फिर बापूजी गए थे अंदर मैने देखा ....।
शिला बोलते हुए रुक गई क्योंकि उसकी नजर हाल में आते हुए अरुण पर पड़ गई थीं और उसने रज्जो को इशारा कर दिया था ।

अरुण ने सामने देखा डायनिंग टेबल पर रज्जो एक कुर्सी पर बैठी है उसके बड़े चौड़े कूल्हे दोनो तरफ से झूल रहे थे और उनकी चौड़ी नंगी पीठ का हल्का सावला रंग बहुत ही कामुक नजर आ रहा था ।


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रज्जो ने घूम कर अरुण की ओर देखा और मुस्कुराई ।

अरुण भी नाश्ते के लिए बैठ गया ।
रज्जो : वैसे कम्मो और बाकी सब कब तक आयेंगे ।

शिला : सुबह बात हुई थी शायद कल तक आ जाए , वैसे मैने उनलोगों को बताया नहीं है कि तुम भी यहां आई हो ।
रज्जो : अच्छा है कुछ चीजें सरप्राईज होनी चाहिए क्यों अरुण
अरुण अपने ख्यालों से उभर कर : जी , जी मामी ।

" बहिनचोद यहां मेरा लंड परेशान है और इसको देखो साली ऐसे गाड़ फैला कर बैठी है उफ्फ पापा और बड़े पापा आयेंगे तो वो दोनों तो ऐसे ही पागल हो जायेंगे , इतना बड़ा भड़कीला सरप्राईज देखेंगे तो " , अरुण रज्जो के चेयर पर फैले हुए चूतड़ों की गोलाई तिरछी नजर से देखता हुआ मन में बडबडा रहा था ।

शिला : आओ भाभी टैरिस पर चलते है अच्छी हवा चल रही होगी ।
रज्जो चाय की चुस्की लेकर प्याला वही रखते हुए बोली : हा चलो ।
फिर दोनों ऊपर निकल गए और अरुण भी लपक कर अपने कमरे की ओर चला गया ।


*************************

एक बहुत सुंदर और मनोरम पार्क में मुरारी टहल रहा था । वहा के पेड़ बागानों में उसे गजब का सुकून मिल रहा था । हर तरफ हरियाली और फूलों की खुशबू से उसका हृदय गदगद हुआ जा रहा था । मगर हैरत की बात थी कि पूरे बागान में उसके अलावा वहा कोई दूसरा नहीं नजर आ रहा था । कही से चिड़ियों की मधुर चहचहाहट तो कही से हल्की सर्द हवा , दुपहर की धूप में गजब की शांति थी वहां । उसके कानो में पास ही पानी की कलकल सुनाई दे रही थी । मुरारी उस ओर बढ़ गया ।
आगे बड़े बड़े घने सजावटी आकार में पेड़ और ऊंची फूलों की झाड़ियां सजी हुई थी । एक बड़ा सा फूलों से बना हुआ गेट था , वहा से इत्र चंदन और सुगंधित फूलों की खुशबू आ रही थी ।
मुरारी का रोम रोम पुलकित हो उठा ।
उसका दिल ऐसे मनोरम दृश्य को बहुत खुश था । वो गेट से दाखिल हुआ और आगे एक बड़ा सा सरोवर था , जिसमें नक्काशीदार टाइल लगे हुए थे चारो तरफ से गिरा हुआ बिल्कुल गोपनीय । वहा का तापमान ना गर्म था न सर्द , मुरारी आगे बढ़ता कि उसकी नजर सरोवर में एक तरफ पक्की सीढ़ियों के पास पानी में उतरी हुई एक महिला पर गई ।
अह्ह्ह्ह्ह गजब उभार था उसके चूतड़ों में , उसके जिस्म पर मात्र एक लाल रंग की चुनरी थी जो उसके कंधे पर थी , वो आधी जांघों तक सरोवर में उतरी हुई थी । मुरारी एक पेड़ की ओट में छिप गया ।
उसके जिस्म पर उस चुनरी के अलावा और कोई वस्त्र नहीं था मगर हैरत की बात थी कि वो अपने सभी जेवर गहनों से सुशोभित थी ।
मुरारी की नजर उस महिला के गोरे मोटे उभरे हुए नंगे चर्बीदार चूतड़ों पर अटक सी गई ।


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तभी उस महिला ने एक केतली में सरोवर से पानी भरा और उसको अपने पीठ पर गिराने लगी
उस केतली से पानी थोड़ा थोड़ा उसके पीठ से रिसकर उसके गाड़ के सकरी दरारों में जाने लगा । और अगले ही पल मुरारी की हलक तब सूखने लगी जब उसने अपनी गाड़ फैला कर उठे ऊपर उठाया । चूत के फांके सहित गाड़ फैल कर मुरारी के आगे आ गए
" अह्ह्ह्ह क्या मस्त चूतड़ है इसके उम्ममम " , मुरारी उस नहाती हुई महिला को निहारता हुआ उसका पजामे में अपना लंड सहलाते हुआ बोला ।
तभी वो महिला ने अपने लंबे चिकने नंगे पैर उठा कर पानी में ही सीढ़ी पर किए जिससे उसके चूतड़ और बाहर की ओर निकल गए और चूत की फांके विजिबल हो गई । और अगले ही पल उस कामदेवी ने अपने लंबे लंबे नाखून वाले कोमल कोमल सुंदर हाथों से अपने मुलायम चूतड को सहलाते हुए दरारों में उंगली करने लगी उसके जिस्म में कामवेग का लहर उठ रहा था और जैसे ही उसकी पतली उंगलियों ने उसके चूत के रसाते फांके को स्पर्श किया वो सिसक उठी और गर्दन ऊपर कर दी ।


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उस महिला की सिसकी से मुरारी का ध्यान उसके चेहरे पर गया और उसका लंड और वो दोनों ही मुंह बा दिए ।

" बहु " , मुरारी ने उस कामदेवी की पहचान की और उसका कलेजा धकधक होने लगा ।
मुरारी को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी नई नवेली बहु सोनल इस कामरस से सराबोर सरोवर में ऐसे कामुक होकर नहा रही थी ।
सोनल आंखे उलट कर अपने हाथ पीछे किए हुए अपने फांके सहला रही थीं और इधर मुरारी का लंड पूरा टनटना गया था ।
जांघियों में पूरा तंबू बन गया था और अब उसको निकालने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था , ।
मुरारी जल्दी जल्दी अपना कुर्ता पकड़ कर अपने पजामे का नाडा खोलने लगा और मगर वो खोल नहीं पा रहा था
इस हड़बड़ी में उसका मनमोहक दृश्य बदल चुका था और सोनल अब सरोवर के टाइल पर पैर लटका कर बैठी हुई थी और उसने वापस से केतली में पानी भरा और इस बार उसने अपने आगे सीधा चूत के फांके पर गिराने लगी ।


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ठन्डे पानी की धार जैसे ही सोनल के चूत के दाने पर गिरी वो मजे से छटपटा पड़ी उसके चेहरे पर शरारती मुस्कुराहट फैल गई और उसने हाथ आगे कर अपनी मुनिया सहलाई
" ओह्ह्ह बहु तुम मुझे पागल कर दोगी , कितनी मस्ती कर रही हो अकेले अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म कितनी रसीली चूत है तुम्हारी उम्मम " , मुरारी अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाये हुए बोला .


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उधर जैसे जैसे सोनल की उंगलियां उसके चूत के फांके पर रेंग रही थी उसके जिस्म में गुदगुदी बढ़ रही थी उसकी सांसे चढ़ने लगी थी और अगले ही पल उसने चूत में उंगली घुसाई और एक मादक सिसकी उस s कलकल भरे वातावरण में गुम सी हो गई ।
और देखते ही देखते सोनल अपनी उस लाल चुनरी पर टाइल पर ही लेट गई और उसके जिस्म पर आप कोई कपड़े नहीं थे उसके नुकीले कड़क गुलाबी निप्पल देखकर मुरारी के मुंह और लंड दोनो में पानी आ रहा था ।


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सोनल वहा अपना चूत मसल रही थी अपने जिस्म को रगड़ मिज रही थी और उसकी मादक सिसकिया मुरारी के लंड की नसे फड़कने पर मजबूर कर रही थी
" अह्ह्ह्ह पापा जी आजाओ न उम्ममम " , सोनल के शब्द जैसे ही मुरारी के कान में पड़े मुरारी का लंड एकदम चरम पर पहुंच गया
" आजाओ न पापाजी उम्ममम चाटो ना मेरी बुर उम्ममम अह्ह्ह्ह पापाजी ओह्ह्ह" , सोनल ने फिर से मुरारी को पुकारा ।
मुरारी पागल हो गया और अपना खड़ा लंड लेकर सोनल की ओर बढ़ा
मगर वो हिल नहीं पा रहा था , पेड़ की टहनियों और लताओं ने उसको बाध लिया था , मुरारी की हालत खराब होने लगी वो जमीन पर गिर पड़ा और तड़पने लगा था , उसने सोनल को आवाज देना चाहा तो उसके गले की आवाज जा चुकी थी ।
मुरारी ने पूरी ताकत लगाई और हाथ झटक कर सारे बंधन तोड़ते हुआ उठ कर बैठ गया ।

मगर ये क्या वो तो इस वक्त बिस्तर पर था , कमरे में गुप अंधेरा था । रोशनदान से हल्की स्लेटी रोशनी आ रही थी ।
अपना माथा पकड़ पर अपने पंजे से अपना चेहरा आंख सहलाता हुआ मुरारी मुस्कुरा पड़ा , क्योंकि वो सपना देख रहा था ।
मुरारी ने उठ कर कमरे की बत्ती ऑन की और कमरे से लगे बाथरूम में फ्रेश होकर नहा धोया और अपना बैग लेकर होटल से चेक आउट कर निकल आया ।
पास ही एक ढाबे पर नाश्ता करने लगा कि उसके मोबाइल पर ममता का फोन आने लगा ।

फोन पर ...
मुरारी : कैसी हो अमन की मां , मै तुम्हे ही फोन करने वाला था ।
ममता : रहने दो रहने दो , भाई की दुल्हन के चक्कर तो आप मुझे भूल ही गए है हुह
मुरारी : हाहा ऐसा नहीं है अमन की मां , सच में अभी नाश्ता कर ही रहा था और तुम्हे फोन करने वाला था ।
ममता : ठीक है ठीक है , मेरी देवरानी का पता चला कुछ , दो दिन हो गए है आपको गए घर से । यहां जरा भी मन नहीं लग रहा है ।
मुरारी : हा एक पहचान वाले उसके किराए के घर का पता मिला है , अभी नाश्ता करके देखता हूं
मुरारी : और तुम चिंता न करो , अमन से कुछ बात हुई
ममता : नहीं न , उसका नंबर ही नहीं लग रहा है ।
मुरारी : अरे मोबाइल पर बात नहीं हो पाएगी अमन की मां ,जहां वो गया है वहां इधर के सिम नहीं काम करते है । तुम फिकर न करो , उससे बात होगी मेरी तो कहूंगा कि बात कर ले ।
ममता : जी ठीक है
मुरारी : ठीक है रखता हु बाय
ममता : अच्छा सुनिए
मुरारी उठ कर मोबाइल कंधे से कान के पास लगाए ढाबे वाले को पैसे दे रहा था : हा बोलो
ममता : आई लव यू हीही
मुरारी मुस्कुराते हुए : हम्म्म
ममता : क्या हम्म्म आप भी बोलो न
मुरारी मुस्कुरा लगा : अमन की मां मै सड़क पर हूं
ममता इठलाई : तो क्या हुआ , बोलिए न । आपको तो मेरी याद ही नहीं आती है
मुरारी ने आस पास देखा और धीरे से फुसफुसाया : अच्छा ठीक है लव यू
ममता खुश होकर : हीही थैंक यू बाय

फोन कट गया और मुरारी ममता की हरकतों पर मुस्कुराता हुआ सड़क पार करने लगा ।
उसने एक ऑटो वाले को शहर में एक एरिया का नाम बताया और निकल गया ।
दोपहर सर पर चढ़ रही थी और वो शहर के पिछड़े इलाके में गलियों में बैग टांगे घूम रहा था ।

2 बजने को हो गए
पूछते हुए वो आखिर मदन की प्रेमिका के घर तक आ ही पहुंचा ।
एक मंजिला मकान था पीछे दिवाल पर तक उठे थे , छोटा ही घर था ।
मगर वहां भी ताला जड़ा था ।
आस पास पता किया तो पाया कि वो किसी ऑफिस में नौकरी करती है शाम तक आएगी ।
एक भले आदमी ने मुरारी को अपने घर बरामदे में आसरा दिया और वो देर तक शाम तक वही ठहर गया ।

" उठो बाबू साहब , वो मंजू आ गई " , उस बूढ़े आदमी ने मुरारी को जगाया ।
मुरारी खटिए से उठा और बैग लेकर मंजू के घर के बाहर खड़ा हो गया ।

दो बार दरवाजा खटखटाने पर मंजू ने दरवाजा खोला और जैसे ही उसने सामने मुरारी को देखा ।
झट से अपने कमर में खोंसी हुई साड़ी जिसमें से उसकी गोरी गुदाज नाभि झलक रही थी उसने खोलकर अपने सर पर रख लिया ।


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मंजू : नमस्ते भाईसाहब , आप यहां इस वक्त
" अरे बाबू साहब तो बेचारे दुपहर से आए है तेरी राह देख रहे थे " , वो बूढ़ा आदमी बोला ।
मंजू : वो मै काम पर गई थी , मगर आप ऐसे अचानक
मुरारी को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या जवाब दे ।

मंजू : आप बाहर क्यों है अंदर आईंये न
मंजू ने किवाड़ खोलकर मुरारी को घर में आने का आमंत्रण दिया ।

मुरारी जैसे ही अंदर घुसा तो आगे एक चौकी रखी थी । बगल में एक छोटी आलमारी और रस्सी की अरगन पर लटके हुए मच्छरदानी समेत ढेर सारे कपड़े ।
यही एक कमरा था और पीछे खुला हाता था जहां एक कोने पर नल और वही दिवाल लगकर चूल्हा बना था मिट्टी का ।
मुरारी को समझ आ रहा था मंजू की स्थिति बहुत बदतर हो चुकी है ।

वो जल्दी जल्दी अलमारी से एक चादर निकाल कर बिछाने लगी
मुरारी उसके पीछे खड़ा था , उसके चौड़े कूल्हे मुरारी के आगे थे ।
मगर मुरारी का ध्यान वहा नहीं था ।

मंजू : बैठिए भाई साहब , मै पानी लाती हूं
फिर मंजू आलमारी में रखे डिब्बे से पेड़े निकाले और कटोरी में रख कर बिस्तर पर मुरारी के पास रख दिए और पानी लेने पीछे चली गई।
नल चलने की आवाज आ रही थी , मुरारी कमरे में देख रहा था , उसकी नजर छत पर गई , कमरे की दिवाल पर प्लास्टर हुआ था मगर छत पर वैसे ही चूना किया हुआ था । पंखा भी काफी पुराना था ।

मंजू पानी रखते हुए : और घर सब कैसे है ?
मुरारी : सब ठीक है , तुम बताओ कैसी हो ?
मंजू जबरन होठों पर मुस्कुराहट लाकर: जी मै भी ठीक हूं
मुरारी : बगल वाले चाचा बता रहे थे तुम ऑफिस जाती हो?
मंजू मुस्कुरा कर : जी वो पास में ही एक ऑफिस है , वही नौकरी करती हूं।
मुरारी : अच्छा ससुराल में किसी से बात चीत होती है क्या ?
मंजू उदास होकर : जी नहीं , काफी साल हो गए
मुरारी : हम्मम , मैं यहां एक प्रस्ताव लेकर आया हूं मंजू
मंजू को डर लग रहा था : जी कहिए
मुरारी : अमन की मां की इच्छा है कि तुम घर आ कर रहो , हमारे साथ
मंजू चौक कर : क्या ? नहीं मै कैसे ? आप ये क्या बोल रहे है ?

मुरारी : देखो मै तुम्हे यहां ले जाने ही आया हूं , मै अमन की मां को फोन करता हूं तुम बात करो ।

फिर मुरारी ने ममता को फोन मिलाया और मंजू को दे दिया
करीब घंटे भर बाद वो पीछे से वापस कमरे में आई ।
वो मोबाईल मुरारी को दी ।

मुरारी : तो क्या निर्णय लिया तुमने
मंजू : मै ऐसे कैसे जा सकती हूं, आप अपने भाई के बारे में सोचिए न , मै किस मुंह से उनके सामने जाऊंगी
मुरारी हंसता हुआ : भई इसी मुंह से चल चलो , नहीं पसंद आया उसे तो थोड़ा मेकअप कर लेना हाहा , शादी में वैसे भी तैयार होना ही है ।

मंजू हंसने लगी : धत्त भाई साहब आप भी
मुरारी : देखो मुझे पता है कि तुम अमन की मां को हामी भर चुकी हो , हा कि ना
मुरारी ने कबूलवाया
मंजू मुस्कुरा कर : हम्म्म
मुरारी खड़ा होता हुआ : फिर क्यों फालतू के सवाल जवाब , अपने जरूरी समान पैक कर लो कल सुबह मै आऊंगा फिर हम निकलेंगे ।

मंजू : आप कहा जा रहे है इतनी रात को
मुरारी थोड़ा हिचक कर : देखो मेरा यहां ऐसे रुकना उचित नहीं है , और यहां बिस्तर भी एक ही है ।

मंजू : अरे भईया आप उसकी फिक्र न करे मै नीचे सो जाऊंगी , आप इतनी रात कहा भटकेंगे । यहां तो आसपास न होटल मिलेगा न कोई सवारी ।

मुरारी वापस अपने कंधे से बैग सरका कर बिस्तर पर बैठ गया और मंजू बातें करते हुए खाना बनाने लगी ।

वही दूसरी ओर ममता अपनी होने वाली देवरानी से बाते कर बहुत खुश थी ।
हालांकि उसके दिल में बेचैनी हो रही थी कि अभी वो मदन के कमरे के जाए और उसे खुशखबरी दे दे मगर मुरारी ने ममता को मना कर रखा था क्योंकि वो उसे चौंकाना चाहते थे ।
ममता दिल ही दिल में आज अपने पति को बहुत प्यार दिए जा रही थी , उसका तो जी चाह रहा था कि अभी वो पास होती तो कस कर उससे लिपट जाती और आज तो उसने अपने पति को कैसे छेड़ा , कैसे बीच सड़क पर उनसे आई लव यू बुलाया ।
तभी अचानक से ममता के जहन में रागिनी का ख्याल आया और उसकी डेयरिंग बाते सोच कर उसके तन बदन के सरसरी फैल गई ।

अब उसका दिल जोरो से धड़कने लगा , भीतर गजब का कौतूहल मचा हुआ था । वो करे या न करे
आज तो उसके पास मौका भी है और दस्तूर भी मगर देवर जी भी तो है घर में । अरे यही तो असली डेयरिंगबाजी है ट्राई करते है ।
और ममता ने अपने जिस्म से नाइटी उतार दी ।
फिर पूरी की पूरी नंगी
आइने में खुद को देख कर अपने भरे गदराए मोटे मोटे मम्मे हाथों में भर कर आपस में सताने लगी जिससे उसके निप्पल टाइट हो गई ,


फिर वो अपने बड़े से कूल्हे को हिलाती हुई मोबाइल लेकर दबे पाव अपने कमरे का दरवाजा खोली ।
ममता ने अपना पूरा जिस्म दरवाजे की ओट में रखे हुए कमरे से बाहर झांका गलियारा एकदम सुनसान
दबे पाव अपने पायलों की रुनझुन को हल्का रखते हुए वो जीने के पास आई और हाल में देखा फिर मदन के बंद कमरे की ओर देखा। फिर धीरे धीरे जीने की सीढ़िया चढ़ने लगी ।


Mamata
ऊपर गुप अंधेरा था तो उसने मोबाईल की टॉर्च जलाई और पीछे बाल्कनी में आई गई ।
उसे बहुत खुशी हो रही थी , सर्द हवाएं उसके जांघों और चूत पर लग रही थी उसके चूचे के निप्पल ठंडे पड़ने लगे थे ।
उसका रोम रोम पुलकित हो उठा था जिस्म पर दाने ऊबर आए हो मानो , रागिनी द्वारा दिखाया हुआ एक एक ख्वाब ममता को सच होता दिख रहा था और जैसा उसने कहा था , कि ऐसे मौके पर अपने पति की गर्म बाहों में लिपटने को मिल जाए तो मजा और आ जाए ।
ममता भी अपने बाहों को सहला कर चांदनी रात में दूर सिवान को निहार रही थी , ऐसे में उसे मुरारी की याद और आ रही थी ।

ममता कुछ ही देर में बेचैन होने लगी थी और उसने रागिनी से बात करनी चाही , मगर रागिनी के पास खुद का फोन नहीं था और इतनी रात के रंगीलाल के पास फोन मिलाना उचित नहीं लग रहा था ।
मगर भीतर की तड़प बढ़ती जा रही थी, रागिनी के बहकावे में वो ऊपर चली आई थी मगर भीतर प्रेम की आग जो भड़क उठी थी उसकी तड़प बढ़ती जा रही थी । अब जिसने रोग दिया वो इलाज भी जानती होगी ये सोच कर ममता ने ना चाहते हुए भी रंगीलाल के पास फोन घुमा दिया



वही दूसरी ओर रंगीलाल आज रागिनी के गाड़ के घुसा हुआ था
रंगी : अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान लह्ह्ह ओह्ह्ह्ह कितनी टाइट है तेरी गाड़ उम्मम
रागिनी : अह्ह्ह्ह्ह मेरे राजा फाड़ तो ऐसे रहे हो जैसे दुबारा वापस नहीं आना है अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म


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रंगी : उम्मम तेरी मोटी चौड़ी गाड़ को देख कर मै पागल हो जाता हु और फिर कल से हफ्ते भर कहा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह हा और और फेक अह्ह्ह्ह और नचा उम्ममम

रागिनी सिसकारियां लेते हुए रंगी के लंड पर आने चूतड़ फेकने लगी और उसका सुपाड़ा फुलने लगा और अगले ही पल वो उसकी गाड़ में झड़ने लगा


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रंगी : अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह मेरी रॉड अह्ह्ह्ह रागिनी मेरी जान अह्ह्ह्ह भर दूंगा तेरी गाड़ अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह

तभी रंगी का फोन बजने लगा
और वो आखिरी बूंद तक रागिनी की गाड़ में निचोड़ कर लंड बाहर निकाला
फिर बिस्तर पर आ गया
हेडबोर्ड का टेक लेकर मोबाइल चेक किया तो देखा अंजान नंबर से फोन आया था ।

दरअसल ममता ने हाल ही में एक मोबाइल लिया था , जिसका नम्बर ज्यादा लोगो के पास नहीं था ।

रागिनी पेटीकोट से अपनी गाड़ पोंछती हुई : किसका फोन है जी
रंगी : पता नहीं नया नंबर कोई , तुम इधर आओ मेरी जान
रंगी लाल ने रागिनी को अपने पास खींचा
रागिनी सिसकारियां भरती हुई : उम्ममम देखो तो थके नहीं क्या अभी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ रुको न थोड़ा
रंगी उसकी चूचियां मिज़ता हुआ : तुम्हे पेल कर भला कब थकान हुई है मेरी जान
तभी फिर से मोबाइल बजने लगा

रंगी चिढ़ कर : ये मादरचोद है कौन इतनी रात को ।

रंगी फोन उठा कर : हैलो
ममता : जी नमस्ते भाई साहब मै अमन की मां बोल रही हूं
एकदम से रंगी के हावभाव बदल गए : अरे भाभी जी आप , नमस्ते नमस्ते कहिए कैसी है ?
ममता : जी अच्छी हूं, आप सब कैसे है ?
रंगी : जी मै भी , मेरा मतलब हम लोग भी ठीक है , लीजिए सोनल की मम्मी से बात करिए

रागिनी : कहिए संबंधन जी आज इतनी रात , हमारी याद कैसे
ममता : जरा भाईसाहब से किनारे होइए , कुछ बात का करनी है ।


स्पीकर पर ममता की बात सुनकर रागिनी और रंगी मुस्कुराए और रंगी ने इशारा किया कि मै यहां नहीं हु ऐसा बोलो ।
रागिनी हस कर : अरे बोलिए बोलिए वो बाथरूम में गए है
ममता : क्या बोलूं दीदी , आपने तो मुझे फसा दिया
रागिनी : अरे क्या हुआ ?
ममता झिझक कर : वो आपके कहने पर मै यहां ऊपर आई थी , मगर अब तो ऐसी बेचैनी हो रही है कि क्या करु ।

रागिनी को समझते देर नहीं लगी कि ममता जरूर बालकनी में नंगी खड़ी है ।
रागिनी : ओहो मेरी डेयरिंग बाज समधन हिहिही , लग रहा है समधी जी है नहीं उम्मम क्यों ?
ममता : हा वो कही बाहर है ?
रागिनी : हाय दैय्या और आपके देवर ?
ममता : वो तो अपने कमरे में है !
रागिनी : और आप अकेली नंगी खड़ी है
ममता : हा बाबा , बताओ न क्या करु अब कितनी तड़प हो रही है उम्ममम
ममता और रागिनी की बातें सुनके रंगी रंगीनी से इशारे में पूछ रहा था कि आखिर क्या माजरा है तो रागिनी हस्ती हुई उसको शांत रहने को बोल रही थी ।

रागिनी : कुछ नहीं वापस आ जाओ कमरे में और चादर खींच कर सो जाओ हीहिही
ममता : धत्त बताओ न , आप क्या करती थी ऐसे में जब भाई साहब नहीं होते थे तो
रागिनी शरारत भरी मुस्कुराहट से : सच बताऊं , मै तो उन्हें याद कर अपनी मुनिया सहलाती थी खुली छत पर

ममता लजा कर : धत्त , सच में ?
रागिनी रंगी को देखकर अपनी टांगे खोलने लगी और अपनी बुर सहलाते हुए बोली : हा , मुझे तो मेरे बालम के बारे में सोच कर अपनी मुनिया सहलाने में बड़ा मजा आता है आह्ह्ह्ह अभी भी सोच कर रस टपकने लगा ।

ममता : उम्मम सच में ओह्ह्ह्ह ठीक है रखो फिर
रागिनी : अरे कहा चली
ममता हस कर : मै भी उन्हें सोच कर सहलाऊंगी हीहीही
रागिनी चहक कर : किसे , अपने समधी को क्या ?
ममता एकदम से लजाई: धत्त दीदी आप भी न
रागिनी : अरे इसमें शर्माना कैसा , आपके समधी जब आपके बारे में सोच कर अपना सहला सकते है तो आप क्यों नहीं ।
ममता : धत्त झूठी
रागिनी : अरे सच कह रही हूं, वो जो आपसे आपकी ब्रा पैंटी लाई थी न , एक रोज बाथरूम में लेकर घुसे थे ये
रागिनी मुस्कुरा कर रंगी को देखी ।
ममता : क्या सच में ?
रागिनी : हा और क्या , और अपनी ब्रा को नीचे लपेट कर खूब रगड़ रहे थे ।

ममता एकदम से चुप हो गई
रागिनी : और तो और आपकी कच्छी को नथुनों पर रखे हुए सूंघ रहे थे फिर ब्रा में ही सब निकाल दिया

ममता: धत्त आप बहुत गंदी है दीदी , हीहीही रखो अब
रागिनी हसने लगी और फोन कट हो गया ।
अगले ही पल रागिनी की सिसकिया एक बार फिर उठने लगी क्योंकि रंगी एक बार फिर अपना मुंह उसके चूत के लगा चुका था ।


जारी रहेगी


*** कहानी के नए सीजन का पहला अपडेट पोस्ट कर दिया गया है। पढ़ कर अपने विचार जरूर साझा करें । ***

धन्यवाद
Jabardast update ❤️❤️❤️❤️❤️ Welcome Back ❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏💯👍 all the best ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️
 
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Bhai Rangilal went to his Father in law house right???
 
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Vishalji1

I love lick😋women's @ll body part👅(pee+sweat)
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💥 अध्याय : 02 💥


UPDATE 001


: हाहा क्या मस्त नजारा है उम्मम


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: धत्त बंद करो , अरुण सड़क पर ही है हटाओ , मान जाओ न भाभी ( शिला ने मिन्नतें करते हुए बोली और झट से उठते हुए पैंटी खींच कर, साड़ी नीचे गिरा कर खड़ी हो गई )
: इसको तो मै तुम्हारे भैया के पास भेजूंगी हीही ( रज्जो चहकी मोबाइल पकड़े हुए बोली )
: धत्त नहीं प्लीज ये सब नहीं ( शिला उसको मना कर रही थी ।

" ओह क्या मस्त नजारा था उफ्फफ उम्ममम कितनी बड़ी गाड़ है बड़ी मम्मी की अह्ह्ह्ह्ह और कैसे वो अपने गाड़ फैला कर मूत रही थी उम्ममम सीईईई बड़ी मम्मी ओह्ह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् ओह्ह्ह्ह " , कमरे के बिस्तर में लेटा हुआ अरुण आज दुपहर हुई घटना को याद कर रहा था । जब वो शिला और रज्जो तीनों गांव वाले घर के लिए गए थे ।

अरुण अपनी बड़ी मम्मी के नंगे चुतड़ और धार छोड़ती चूत के दर्शन पाकर उन्हें सोचता हुआ हिला रहा था ।

" ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह बड़ी मम्मी आपकी गाड़ बहुत मस्त है कब दोगी मुझे ahhh पेल पेल कर फाड़ दूंगा ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह मुझे आपके मूत से नहला दो न अह्ह्ह्ह्ह कितना नमकीन होगा उम्ममम मेरी बड़ी मम्मी अह्ह्ह्ह्ह " , अरुण अपनी टांगे फैलाए आंखे उलटता हुआ चरम पर जा रहा था ।
उसके जहन में रज्जो की कही हुई वो बात घूम रही थी जब उसने फोटो शिला के भईया यानी कि अरुण के मामा के पास भेजने को कही थी ।

" ओह्ह्ह गॉड मामा तो पागल हो जाएंगे बड़ी मम्मी की गाड़ देखकर अह्ह्ह्ह मुझे देदो न रज्जो मामी उम्ममम मेरे पास भेज दो फोटो अह्ह्ह्ह मह्ह्ह्ह फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह सीईईईई अह्ह्ह्ह्ह ।

तभी कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई

अरुण झल्लाया : बहिनचोद किसकी मां चुद गई अब , साला शांति से हिलाने भी नहीं देते ।
उखड़ कर अरुण अपना लंड चढ्ढे में घुसाते हुए उसको सेट करता हुआ, गहरी आह भर कर अपने चेहरे के भाव शांत करता हुआ दरवाजा खोला ।

सामने देखा तो रज्जो खड़ी थी ।


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सिफान साड़ी के झलकते ब्लाउज से झांकती उसकी मोटी चूचियां और गहरी नाभि देख कर अरुण के आंखों की चमक बढ़ गई ।
रज्जो : बेटा चल नाश्ता कर ले
अरुण : चलो मामी मै आता हूं
रज्जो : जल्दी आना हा

रज्जो ये बोलकर चली गई और अरुण साड़ी में उसके थिरकते बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों को देख कर सिहर उठा ।

" अह्ह्ह्ह बहिनचोद घर में दो गदराई माल कम थी जो ये भी आ गई मेरी तड़प बढ़ाने आह्ह्ह्ह क्या मस्त चूतड़ है साली के उम्मम , साला कोई तो चुदवा लो मुझसे " , अरुण झल्लाकर अपना लंड भींचते हुए बोला ।

अरुण खुद को शांत कर फ्रेश होकर हाल में नाश्ते के लिए आ रहा था ।
जहां रज्जो और शिला पहले से ही आपस में बातें कर रही थी ।

" नजर देखी उनकी , कैसे आंखे कर देख रहे थे तुम्हे हीही" , रज्जो ने शिला को छेड़ा ।
शिला शर्मा कर : धत्त भाभी , वो मेरे ससुर है आप भी न
रज्जो शिला के पास आकर : क्यों सास भी तो पूरी टाइट है अभी , लेते नहीं होंगे क्या हीही।
शिला मुस्कुरा कर रज्जो को देखा और हस दी : वैसे कुछ दिनों पहले देखा था , बापूजी तो नहीं लेकिन हा अम्मा जरूर जिद दिखा रही थी उसके लिए।
रज्जो चौक कर : क्या सच में ?
शिला : हा और फिर बापूजी गए थे अंदर मैने देखा ....।
शिला बोलते हुए रुक गई क्योंकि उसकी नजर हाल में आते हुए अरुण पर पड़ गई थीं और उसने रज्जो को इशारा कर दिया था ।

अरुण ने सामने देखा डायनिंग टेबल पर रज्जो एक कुर्सी पर बैठी है उसके बड़े चौड़े कूल्हे दोनो तरफ से झूल रहे थे और उनकी चौड़ी नंगी पीठ का हल्का सावला रंग बहुत ही कामुक नजर आ रहा था ।


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रज्जो ने घूम कर अरुण की ओर देखा और मुस्कुराई ।

अरुण भी नाश्ते के लिए बैठ गया ।
रज्जो : वैसे कम्मो और बाकी सब कब तक आयेंगे ।

शिला : सुबह बात हुई थी शायद कल तक आ जाए , वैसे मैने उनलोगों को बताया नहीं है कि तुम भी यहां आई हो ।
रज्जो : अच्छा है कुछ चीजें सरप्राईज होनी चाहिए क्यों अरुण
अरुण अपने ख्यालों से उभर कर : जी , जी मामी ।

" बहिनचोद यहां मेरा लंड परेशान है और इसको देखो साली ऐसे गाड़ फैला कर बैठी है उफ्फ पापा और बड़े पापा आयेंगे तो वो दोनों तो ऐसे ही पागल हो जायेंगे , इतना बड़ा भड़कीला सरप्राईज देखेंगे तो " , अरुण रज्जो के चेयर पर फैले हुए चूतड़ों की गोलाई तिरछी नजर से देखता हुआ मन में बडबडा रहा था ।

शिला : आओ भाभी टैरिस पर चलते है अच्छी हवा चल रही होगी ।
रज्जो चाय की चुस्की लेकर प्याला वही रखते हुए बोली : हा चलो ।
फिर दोनों ऊपर निकल गए और अरुण भी लपक कर अपने कमरे की ओर चला गया ।

*************************

एक बहुत सुंदर और मनोरम पार्क में मुरारी टहल रहा था । वहा के पेड़ बागानों में उसे गजब का सुकून मिल रहा था । हर तरफ हरियाली और फूलों की खुशबू से उसका हृदय गदगद हुआ जा रहा था । मगर हैरत की बात थी कि पूरे बागान में उसके अलावा वहा कोई दूसरा नहीं नजर आ रहा था । कही से चिड़ियों की मधुर चहचहाहट तो कही से हल्की सर्द हवा , दुपहर की धूप में गजब की शांति थी वहां । उसके कानो में पास ही पानी की कलकल सुनाई दे रही थी । मुरारी उस ओर बढ़ गया ।
आगे बड़े बड़े घने सजावटी आकार में पेड़ और ऊंची फूलों की झाड़ियां सजी हुई थी । एक बड़ा सा फूलों से बना हुआ गेट था , वहा से इत्र चंदन और सुगंधित फूलों की खुशबू आ रही थी ।
मुरारी का रोम रोम पुलकित हो उठा ।
उसका दिल ऐसे मनोरम दृश्य को बहुत खुश था । वो गेट से दाखिल हुआ और आगे एक बड़ा सा सरोवर था , जिसमें नक्काशीदार टाइल लगे हुए थे चारो तरफ से गिरा हुआ बिल्कुल गोपनीय । वहा का तापमान ना गर्म था न सर्द , मुरारी आगे बढ़ता कि उसकी नजर सरोवर में एक तरफ पक्की सीढ़ियों के पास पानी में उतरी हुई एक महिला पर गई ।
अह्ह्ह्ह्ह गजब उभार था उसके चूतड़ों में , उसके जिस्म पर मात्र एक लाल रंग की चुनरी थी जो उसके कंधे पर थी , वो आधी जांघों तक सरोवर में उतरी हुई थी । मुरारी एक पेड़ की ओट में छिप गया ।
उसके जिस्म पर उस चुनरी के अलावा और कोई वस्त्र नहीं था मगर हैरत की बात थी कि वो अपने सभी जेवर गहनों से सुशोभित थी ।
मुरारी की नजर उस महिला के गोरे मोटे उभरे हुए नंगे चर्बीदार चूतड़ों पर अटक सी गई ।


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तभी उस महिला ने एक केतली में सरोवर से पानी भरा और उसको अपने पीठ पर गिराने लगी
उस केतली से पानी थोड़ा थोड़ा उसके पीठ से रिसकर उसके गाड़ के सकरी दरारों में जाने लगा । और अगले ही पल मुरारी की हलक तब सूखने लगी जब उसने अपनी गाड़ फैला कर उठे ऊपर उठाया । चूत के फांके सहित गाड़ फैल कर मुरारी के आगे आ गए
" अह्ह्ह्ह क्या मस्त चूतड़ है इसके उम्ममम " , मुरारी उस नहाती हुई महिला को निहारता हुआ उसका पजामे में अपना लंड सहलाते हुआ बोला ।
तभी वो महिला ने अपने लंबे चिकने नंगे पैर उठा कर पानी में ही सीढ़ी पर किए जिससे उसके चूतड़ और बाहर की ओर निकल गए और चूत की फांके विजिबल हो गई । और अगले ही पल उस कामदेवी ने अपने लंबे लंबे नाखून वाले कोमल कोमल सुंदर हाथों से अपने मुलायम चूतड को सहलाते हुए दरारों में उंगली करने लगी उसके जिस्म में कामवेग का लहर उठ रहा था और जैसे ही उसकी पतली उंगलियों ने उसके चूत के रसाते फांके को स्पर्श किया वो सिसक उठी और गर्दन ऊपर कर दी ।


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उस महिला की सिसकी से मुरारी का ध्यान उसके चेहरे पर गया और उसका लंड और वो दोनों ही मुंह बा दिए ।

" बहु " , मुरारी ने उस कामदेवी की पहचान की और उसका कलेजा धकधक होने लगा ।
मुरारी को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी नई नवेली बहु सोनल इस कामरस से सराबोर सरोवर में ऐसे कामुक होकर नहा रही थी ।
सोनल आंखे उलट कर अपने हाथ पीछे किए हुए अपने फांके सहला रही थीं और इधर मुरारी का लंड पूरा टनटना गया था ।
जांघियों में पूरा तंबू बन गया था और अब उसको निकालने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था , ।
मुरारी जल्दी जल्दी अपना कुर्ता पकड़ कर अपने पजामे का नाडा खोलने लगा और मगर वो खोल नहीं पा रहा था
इस हड़बड़ी में उसका मनमोहक दृश्य बदल चुका था और सोनल अब सरोवर के टाइल पर पैर लटका कर बैठी हुई थी और उसने वापस से केतली में पानी भरा और इस बार उसने अपने आगे सीधा चूत के फांके पर गिराने लगी ।


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ठन्डे पानी की धार जैसे ही सोनल के चूत के दाने पर गिरी वो मजे से छटपटा पड़ी उसके चेहरे पर शरारती मुस्कुराहट फैल गई और उसने हाथ आगे कर अपनी मुनिया सहलाई
" ओह्ह्ह बहु तुम मुझे पागल कर दोगी , कितनी मस्ती कर रही हो अकेले अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म कितनी रसीली चूत है तुम्हारी उम्मम " , मुरारी अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाये हुए बोला .


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उधर जैसे जैसे सोनल की उंगलियां उसके चूत के फांके पर रेंग रही थी उसके जिस्म में गुदगुदी बढ़ रही थी उसकी सांसे चढ़ने लगी थी और अगले ही पल उसने चूत में उंगली घुसाई और एक मादक सिसकी उस s कलकल भरे वातावरण में गुम सी हो गई ।
और देखते ही देखते सोनल अपनी उस लाल चुनरी पर टाइल पर ही लेट गई और उसके जिस्म पर आप कोई कपड़े नहीं थे उसके नुकीले कड़क गुलाबी निप्पल देखकर मुरारी के मुंह और लंड दोनो में पानी आ रहा था ।


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सोनल वहा अपना चूत मसल रही थी अपने जिस्म को रगड़ मिज रही थी और उसकी मादक सिसकिया मुरारी के लंड की नसे फड़कने पर मजबूर कर रही थी
" अह्ह्ह्ह पापा जी आजाओ न उम्ममम " , सोनल के शब्द जैसे ही मुरारी के कान में पड़े मुरारी का लंड एकदम चरम पर पहुंच गया
" आजाओ न पापाजी उम्ममम चाटो ना मेरी बुर उम्ममम अह्ह्ह्ह पापाजी ओह्ह्ह" , सोनल ने फिर से मुरारी को पुकारा ।
मुरारी पागल हो गया और अपना खड़ा लंड लेकर सोनल की ओर बढ़ा
मगर वो हिल नहीं पा रहा था , पेड़ की टहनियों और लताओं ने उसको बाध लिया था , मुरारी की हालत खराब होने लगी वो जमीन पर गिर पड़ा और तड़पने लगा था , उसने सोनल को आवाज देना चाहा तो उसके गले की आवाज जा चुकी थी ।
मुरारी ने पूरी ताकत लगाई और हाथ झटक कर सारे बंधन तोड़ते हुआ उठ कर बैठ गया ।

मगर ये क्या वो तो इस वक्त बिस्तर पर था , कमरे में गुप अंधेरा था । रोशनदान से हल्की स्लेटी रोशनी आ रही थी ।
अपना माथा पकड़ पर अपने पंजे से अपना चेहरा आंख सहलाता हुआ मुरारी मुस्कुरा पड़ा , क्योंकि वो सपना देख रहा था ।
मुरारी ने उठ कर कमरे की बत्ती ऑन की और कमरे से लगे बाथरूम में फ्रेश होकर नहा धोया और अपना बैग लेकर होटल से चेक आउट कर निकल आया ।
पास ही एक ढाबे पर नाश्ता करने लगा कि उसके मोबाइल पर ममता का फोन आने लगा ।

फोन पर ...
मुरारी : कैसी हो अमन की मां , मै तुम्हे ही फोन करने वाला था ।
ममता : रहने दो रहने दो , भाई की दुल्हन के चक्कर तो आप मुझे भूल ही गए है हुह
मुरारी : हाहा ऐसा नहीं है अमन की मां , सच में अभी नाश्ता कर ही रहा था और तुम्हे फोन करने वाला था ।
ममता : ठीक है ठीक है , मेरी देवरानी का पता चला कुछ , दो दिन हो गए है आपको गए घर से । यहां जरा भी मन नहीं लग रहा है ।
मुरारी : हा एक पहचान वाले उसके किराए के घर का पता मिला है , अभी नाश्ता करके देखता हूं
मुरारी : और तुम चिंता न करो , अमन से कुछ बात हुई
ममता : नहीं न , उसका नंबर ही नहीं लग रहा है ।
मुरारी : अरे मोबाइल पर बात नहीं हो पाएगी अमन की मां ,जहां वो गया है वहां इधर के सिम नहीं काम करते है । तुम फिकर न करो , उससे बात होगी मेरी तो कहूंगा कि बात कर ले ।
ममता : जी ठीक है
मुरारी : ठीक है रखता हु बाय
ममता : अच्छा सुनिए
मुरारी उठ कर मोबाइल कंधे से कान के पास लगाए ढाबे वाले को पैसे दे रहा था : हा बोलो
ममता : आई लव यू हीही
मुरारी मुस्कुराते हुए : हम्म्म
ममता : क्या हम्म्म आप भी बोलो न
मुरारी मुस्कुरा लगा : अमन की मां मै सड़क पर हूं
ममता इठलाई : तो क्या हुआ , बोलिए न । आपको तो मेरी याद ही नहीं आती है
मुरारी ने आस पास देखा और धीरे से फुसफुसाया : अच्छा ठीक है लव यू
ममता खुश होकर : हीही थैंक यू बाय

फोन कट गया और मुरारी ममता की हरकतों पर मुस्कुराता हुआ सड़क पार करने लगा ।
उसने एक ऑटो वाले को शहर में एक एरिया का नाम बताया और निकल गया ।
दोपहर सर पर चढ़ रही थी और वो शहर के पिछड़े इलाके में गलियों में बैग टांगे घूम रहा था ।

2 बजने को हो गए
पूछते हुए वो आखिर मदन की प्रेमिका के घर तक आ ही पहुंचा ।
एक मंजिला मकान था पीछे दिवाल पर तक उठे थे , छोटा ही घर था ।
मगर वहां भी ताला जड़ा था ।
आस पास पता किया तो पाया कि वो किसी ऑफिस में नौकरी करती है शाम तक आएगी ।
एक भले आदमी ने मुरारी को अपने घर बरामदे में आसरा दिया और वो देर तक शाम तक वही ठहर गया ।

" उठो बाबू साहब , वो मंजू आ गई " , उस बूढ़े आदमी ने मुरारी को जगाया ।
मुरारी खटिए से उठा और बैग लेकर मंजू के घर के बाहर खड़ा हो गया ।

दो बार दरवाजा खटखटाने पर मंजू ने दरवाजा खोला और जैसे ही उसने सामने मुरारी को देखा ।
झट से अपने कमर में खोंसी हुई साड़ी जिसमें से उसकी गोरी गुदाज नाभि झलक रही थी उसने खोलकर अपने सर पर रख लिया ।


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मंजू : नमस्ते भाईसाहब , आप यहां इस वक्त
" अरे बाबू साहब तो बेचारे दुपहर से आए है तेरी राह देख रहे थे " , वो बूढ़ा आदमी बोला ।
मंजू : वो मै काम पर गई थी , मगर आप ऐसे अचानक
मुरारी को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या जवाब दे ।

मंजू : आप बाहर क्यों है अंदर आईंये न
मंजू ने किवाड़ खोलकर मुरारी को घर में आने का आमंत्रण दिया ।

मुरारी जैसे ही अंदर घुसा तो आगे एक चौकी रखी थी । बगल में एक छोटी आलमारी और रस्सी की अरगन पर लटके हुए मच्छरदानी समेत ढेर सारे कपड़े ।
यही एक कमरा था और पीछे खुला हाता था जहां एक कोने पर नल और वही दिवाल लगकर चूल्हा बना था मिट्टी का ।
मुरारी को समझ आ रहा था मंजू की स्थिति बहुत बदतर हो चुकी है ।

वो जल्दी जल्दी अलमारी से एक चादर निकाल कर बिछाने लगी
मुरारी उसके पीछे खड़ा था , उसके चौड़े कूल्हे मुरारी के आगे थे ।
मगर मुरारी का ध्यान वहा नहीं था ।

मंजू : बैठिए भाई साहब , मै पानी लाती हूं
फिर मंजू आलमारी में रखे डिब्बे से पेड़े निकाले और कटोरी में रख कर बिस्तर पर मुरारी के पास रख दिए और पानी लेने पीछे चली गई।
नल चलने की आवाज आ रही थी , मुरारी कमरे में देख रहा था , उसकी नजर छत पर गई , कमरे की दिवाल पर प्लास्टर हुआ था मगर छत पर वैसे ही चूना किया हुआ था । पंखा भी काफी पुराना था ।

मंजू पानी रखते हुए : और घर सब कैसे है ?
मुरारी : सब ठीक है , तुम बताओ कैसी हो ?
मंजू जबरन होठों पर मुस्कुराहट लाकर: जी मै भी ठीक हूं
मुरारी : बगल वाले चाचा बता रहे थे तुम ऑफिस जाती हो?
मंजू मुस्कुरा कर : जी वो पास में ही एक ऑफिस है , वही नौकरी करती हूं।
मुरारी : अच्छा ससुराल में किसी से बात चीत होती है क्या ?
मंजू उदास होकर : जी नहीं , काफी साल हो गए
मुरारी : हम्मम , मैं यहां एक प्रस्ताव लेकर आया हूं मंजू
मंजू को डर लग रहा था : जी कहिए
मुरारी : अमन की मां की इच्छा है कि तुम घर आ कर रहो , हमारे साथ
मंजू चौक कर : क्या ? नहीं मै कैसे ? आप ये क्या बोल रहे है ?

मुरारी : देखो मै तुम्हे यहां ले जाने ही आया हूं , मै अमन की मां को फोन करता हूं तुम बात करो ।

फिर मुरारी ने ममता को फोन मिलाया और मंजू को दे दिया
करीब घंटे भर बाद वो पीछे से वापस कमरे में आई ।
वो मोबाईल मुरारी को दी ।

मुरारी : तो क्या निर्णय लिया तुमने
मंजू : मै ऐसे कैसे जा सकती हूं, आप अपने भाई के बारे में सोचिए न , मै किस मुंह से उनके सामने जाऊंगी
मुरारी हंसता हुआ : भई इसी मुंह से चल चलो , नहीं पसंद आया उसे तो थोड़ा मेकअप कर लेना हाहा , शादी में वैसे भी तैयार होना ही है ।

मंजू हंसने लगी : धत्त भाई साहब आप भी
मुरारी : देखो मुझे पता है कि तुम अमन की मां को हामी भर चुकी हो , हा कि ना
मुरारी ने कबूलवाया
मंजू मुस्कुरा कर : हम्म्म
मुरारी खड़ा होता हुआ : फिर क्यों फालतू के सवाल जवाब , अपने जरूरी समान पैक कर लो कल सुबह मै आऊंगा फिर हम निकलेंगे ।

मंजू : आप कहा जा रहे है इतनी रात को
मुरारी थोड़ा हिचक कर : देखो मेरा यहां ऐसे रुकना उचित नहीं है , और यहां बिस्तर भी एक ही है ।

मंजू : अरे भईया आप उसकी फिक्र न करे मै नीचे सो जाऊंगी , आप इतनी रात कहा भटकेंगे । यहां तो आसपास न होटल मिलेगा न कोई सवारी ।

मुरारी वापस अपने कंधे से बैग सरका कर बिस्तर पर बैठ गया और मंजू बातें करते हुए खाना बनाने लगी ।

वही दूसरी ओर ममता अपनी होने वाली देवरानी से बाते कर बहुत खुश थी ।
हालांकि उसके दिल में बेचैनी हो रही थी कि अभी वो मदन के कमरे के जाए और उसे खुशखबरी दे दे मगर मुरारी ने ममता को मना कर रखा था क्योंकि वो उसे चौंकाना चाहते थे ।
ममता दिल ही दिल में आज अपने पति को बहुत प्यार दिए जा रही थी , उसका तो जी चाह रहा था कि अभी वो पास होती तो कस कर उससे लिपट जाती और आज तो उसने अपने पति को कैसे छेड़ा , कैसे बीच सड़क पर उनसे आई लव यू बुलाया ।
तभी अचानक से ममता के जहन में रागिनी का ख्याल आया और उसकी डेयरिंग बाते सोच कर उसके तन बदन के सरसरी फैल गई ।

अब उसका दिल जोरो से धड़कने लगा , भीतर गजब का कौतूहल मचा हुआ था । वो करे या न करे
आज तो उसके पास मौका भी है और दस्तूर भी मगर देवर जी भी तो है घर में । अरे यही तो असली डेयरिंगबाजी है ट्राई करते है ।
और ममता ने अपने जिस्म से नाइटी उतार दी ।
फिर पूरी की पूरी नंगी
आइने में खुद को देख कर अपने भरे गदराए मोटे मोटे मम्मे हाथों में भर कर आपस में सताने लगी जिससे उसके निप्पल टाइट हो गई ,

फिर वो अपने बड़े से कूल्हे को हिलाती हुई मोबाइल लेकर दबे पाव अपने कमरे का दरवाजा खोली ।
ममता ने अपना पूरा जिस्म दरवाजे की ओट में रखे हुए कमरे से बाहर झांका गलियारा एकदम सुनसान
दबे पाव अपने पायलों की रुनझुन को हल्का रखते हुए वो जीने के पास आई और हाल में देखा फिर मदन के बंद कमरे की ओर देखा। फिर धीरे धीरे जीने की सीढ़िया चढ़ने लगी ।


Mamata
ऊपर गुप अंधेरा था तो उसने मोबाईल की टॉर्च जलाई और पीछे बाल्कनी में आई गई ।
उसे बहुत खुशी हो रही थी , सर्द हवाएं उसके जांघों और चूत पर लग रही थी उसके चूचे के निप्पल ठंडे पड़ने लगे थे ।
उसका रोम रोम पुलकित हो उठा था जिस्म पर दाने ऊबर आए हो मानो , रागिनी द्वारा दिखाया हुआ एक एक ख्वाब ममता को सच होता दिख रहा था और जैसा उसने कहा था , कि ऐसे मौके पर अपने पति की गर्म बाहों में लिपटने को मिल जाए तो मजा और आ जाए ।
ममता भी अपने बाहों को सहला कर चांदनी रात में दूर सिवान को निहार रही थी , ऐसे में उसे मुरारी की याद और आ रही थी ।

ममता कुछ ही देर में बेचैन होने लगी थी और उसने रागिनी से बात करनी चाही , मगर रागिनी के पास खुद का फोन नहीं था और इतनी रात के रंगीलाल के पास फोन मिलाना उचित नहीं लग रहा था ।
मगर भीतर की तड़प बढ़ती जा रही थी, रागिनी के बहकावे में वो ऊपर चली आई थी मगर भीतर प्रेम की आग जो भड़क उठी थी उसकी तड़प बढ़ती जा रही थी । अब जिसने रोग दिया वो इलाज भी जानती होगी ये सोच कर ममता ने ना चाहते हुए भी रंगीलाल के पास फोन घुमा दिया


वही दूसरी ओर रंगीलाल आज रागिनी के गाड़ के घुसा हुआ था
रंगी : अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान लह्ह्ह ओह्ह्ह्ह कितनी टाइट है तेरी गाड़ उम्मम
रागिनी : अह्ह्ह्ह्ह मेरे राजा फाड़ तो ऐसे रहे हो जैसे दुबारा वापस नहीं आना है अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म


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रंगी : उम्मम तेरी मोटी चौड़ी गाड़ को देख कर मै पागल हो जाता हु और फिर कल से हफ्ते भर कहा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह हा और और फेक अह्ह्ह्ह और नचा उम्ममम

रागिनी सिसकारियां लेते हुए रंगी के लंड पर आने चूतड़ फेकने लगी और उसका सुपाड़ा फुलने लगा और अगले ही पल वो उसकी गाड़ में झड़ने लगा


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रंगी : अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह मेरी रॉड अह्ह्ह्ह रागिनी मेरी जान अह्ह्ह्ह भर दूंगा तेरी गाड़ अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह

तभी रंगी का फोन बजने लगा
और वो आखिरी बूंद तक रागिनी की गाड़ में निचोड़ कर लंड बाहर निकाला
फिर बिस्तर पर आ गया
हेडबोर्ड का टेक लेकर मोबाइल चेक किया तो देखा अंजान नंबर से फोन आया था ।

दरअसल ममता ने हाल ही में एक मोबाइल लिया था , जिसका नम्बर ज्यादा लोगो के पास नहीं था ।

रागिनी पेटीकोट से अपनी गाड़ पोंछती हुई : किसका फोन है जी
रंगी : पता नहीं नया नंबर कोई , तुम इधर आओ मेरी जान
रंगी लाल ने रागिनी को अपने पास खींचा
रागिनी सिसकारियां भरती हुई : उम्ममम देखो तो थके नहीं क्या अभी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ रुको न थोड़ा
रंगी उसकी चूचियां मिज़ता हुआ : तुम्हे पेल कर भला कब थकान हुई है मेरी जान
तभी फिर से मोबाइल बजने लगा

रंगी चिढ़ कर : ये मादरचोद है कौन इतनी रात को ।

रंगी फोन उठा कर : हैलो
ममता : जी नमस्ते भाई साहब मै अमन की मां बोल रही हूं
एकदम से रंगी के हावभाव बदल गए : अरे भाभी जी आप , नमस्ते नमस्ते कहिए कैसी है ?
ममता : जी अच्छी हूं, आप सब कैसे है ?
रंगी : जी मै भी , मेरा मतलब हम लोग भी ठीक है , लीजिए सोनल की मम्मी से बात करिए

रागिनी : कहिए संबंधन जी आज इतनी रात , हमारी याद कैसे
ममता : जरा भाईसाहब से किनारे होइए , कुछ बात का करनी है ।


स्पीकर पर ममता की बात सुनकर रागिनी और रंगी मुस्कुराए और रंगी ने इशारा किया कि मै यहां नहीं हु ऐसा बोलो ।
रागिनी हस कर : अरे बोलिए बोलिए वो बाथरूम में गए है
ममता : क्या बोलूं दीदी , आपने तो मुझे फसा दिया
रागिनी : अरे क्या हुआ ?
ममता झिझक कर : वो आपके कहने पर मै यहां ऊपर आई थी , मगर अब तो ऐसी बेचैनी हो रही है कि क्या करु ।

रागिनी को समझते देर नहीं लगी कि ममता जरूर बालकनी में नंगी खड़ी है ।
रागिनी : ओहो मेरी डेयरिंग बाज समधन हिहिही , लग रहा है समधी जी है नहीं उम्मम क्यों ?
ममता : हा वो कही बाहर है ?
रागिनी : हाय दैय्या और आपके देवर ?
ममता : वो तो अपने कमरे में है !
रागिनी : और आप अकेली नंगी खड़ी है
ममता : हा बाबा , बताओ न क्या करु अब कितनी तड़प हो रही है उम्ममम
ममता और रागिनी की बातें सुनके रंगी रंगीनी से इशारे में पूछ रहा था कि आखिर क्या माजरा है तो रागिनी हस्ती हुई उसको शांत रहने को बोल रही थी ।

रागिनी : कुछ नहीं वापस आ जाओ कमरे में और चादर खींच कर सो जाओ हीहिही
ममता : धत्त बताओ न , आप क्या करती थी ऐसे में जब भाई साहब नहीं होते थे तो
रागिनी शरारत भरी मुस्कुराहट से : सच बताऊं , मै तो उन्हें याद कर अपनी मुनिया सहलाती थी खुली छत पर

ममता लजा कर : धत्त , सच में ?
रागिनी रंगी को देखकर अपनी टांगे खोलने लगी और अपनी बुर सहलाते हुए बोली : हा , मुझे तो मेरे बालम के बारे में सोच कर अपनी मुनिया सहलाने में बड़ा मजा आता है आह्ह्ह्ह अभी भी सोच कर रस टपकने लगा ।

ममता : उम्मम सच में ओह्ह्ह्ह ठीक है रखो फिर
रागिनी : अरे कहा चली
ममता हस कर : मै भी उन्हें सोच कर सहलाऊंगी हीहीही
रागिनी चहक कर : किसे , अपने समधी को क्या ?
ममता एकदम से लजाई: धत्त दीदी आप भी न
रागिनी : अरे इसमें शर्माना कैसा , आपके समधी जब आपके बारे में सोच कर अपना सहला सकते है तो आप क्यों नहीं ।
ममता : धत्त झूठी
रागिनी : अरे सच कह रही हूं, वो जो आपसे आपकी ब्रा पैंटी लाई थी न , एक रोज बाथरूम में लेकर घुसे थे ये
रागिनी मुस्कुरा कर रंगी को देखी ।
ममता : क्या सच में ?
रागिनी : हा और क्या , और अपनी ब्रा को नीचे लपेट कर खूब रगड़ रहे थे ।

ममता एकदम से चुप हो गई
रागिनी : और तो और आपकी कच्छी को नथुनों पर रखे हुए सूंघ रहे थे फिर ब्रा में ही सब निकाल दिया

ममता: धत्त आप बहुत गंदी है दीदी , हीहीही रखो अब
रागिनी हसने लगी और फोन कट हो गया ।
अगले ही पल रागिनी की सिसकिया एक बार फिर उठने लगी क्योंकि रंगी एक बार फिर अपना मुंह उसके चूत के लगा चुका था ।


जारी रहेगी


*** कहानी के नए सीजन का पहला अपडेट पोस्ट कर दिया गया है। पढ़ कर अपने विचार जरूर साझा करें । ***

धन्यवाद
Lajawab update
 
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urc4me

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Badhayi ho Bhai Forum par vapasi ke liye. aapki lekhni ke premiyon ko bahot tadpaya aapne. Ab updates bina ruke dete rahe. Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
 
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Rekha rani

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💥 अध्याय : 02 💥


UPDATE 001


: हाहा क्या मस्त नजारा है उम्मम


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: धत्त बंद करो , अरुण सड़क पर ही है हटाओ , मान जाओ न भाभी ( शिला ने मिन्नतें करते हुए बोली और झट से उठते हुए पैंटी खींच कर, साड़ी नीचे गिरा कर खड़ी हो गई )
: इसको तो मै तुम्हारे भैया के पास भेजूंगी हीही ( रज्जो चहकी मोबाइल पकड़े हुए बोली )
: धत्त नहीं प्लीज ये सब नहीं ( शिला उसको मना कर रही थी ।

" ओह क्या मस्त नजारा था उफ्फफ उम्ममम कितनी बड़ी गाड़ है बड़ी मम्मी की अह्ह्ह्ह्ह और कैसे वो अपने गाड़ फैला कर मूत रही थी उम्ममम सीईईई बड़ी मम्मी ओह्ह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् ओह्ह्ह्ह " , कमरे के बिस्तर में लेटा हुआ अरुण आज दुपहर हुई घटना को याद कर रहा था । जब वो शिला और रज्जो तीनों गांव वाले घर के लिए गए थे ।

अरुण अपनी बड़ी मम्मी के नंगे चुतड़ और धार छोड़ती चूत के दर्शन पाकर उन्हें सोचता हुआ हिला रहा था ।

" ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह बड़ी मम्मी आपकी गाड़ बहुत मस्त है कब दोगी मुझे ahhh पेल पेल कर फाड़ दूंगा ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह मुझे आपके मूत से नहला दो न अह्ह्ह्ह्ह कितना नमकीन होगा उम्ममम मेरी बड़ी मम्मी अह्ह्ह्ह्ह " , अरुण अपनी टांगे फैलाए आंखे उलटता हुआ चरम पर जा रहा था ।
उसके जहन में रज्जो की कही हुई वो बात घूम रही थी जब उसने फोटो शिला के भईया यानी कि अरुण के मामा के पास भेजने को कही थी ।

" ओह्ह्ह गॉड मामा तो पागल हो जाएंगे बड़ी मम्मी की गाड़ देखकर अह्ह्ह्ह मुझे देदो न रज्जो मामी उम्ममम मेरे पास भेज दो फोटो अह्ह्ह्ह मह्ह्ह्ह फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह सीईईईई अह्ह्ह्ह्ह ।

तभी कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई

अरुण झल्लाया : बहिनचोद किसकी मां चुद गई अब , साला शांति से हिलाने भी नहीं देते ।
उखड़ कर अरुण अपना लंड चढ्ढे में घुसाते हुए उसको सेट करता हुआ, गहरी आह भर कर अपने चेहरे के भाव शांत करता हुआ दरवाजा खोला ।

सामने देखा तो रज्जो खड़ी थी ।


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सिफान साड़ी के झलकते ब्लाउज से झांकती उसकी मोटी चूचियां और गहरी नाभि देख कर अरुण के आंखों की चमक बढ़ गई ।
रज्जो : बेटा चल नाश्ता कर ले
अरुण : चलो मामी मै आता हूं
रज्जो : जल्दी आना हा

रज्जो ये बोलकर चली गई और अरुण साड़ी में उसके थिरकते बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों को देख कर सिहर उठा ।

" अह्ह्ह्ह बहिनचोद घर में दो गदराई माल कम थी जो ये भी आ गई मेरी तड़प बढ़ाने आह्ह्ह्ह क्या मस्त चूतड़ है साली के उम्मम , साला कोई तो चुदवा लो मुझसे " , अरुण झल्लाकर अपना लंड भींचते हुए बोला ।

अरुण खुद को शांत कर फ्रेश होकर हाल में नाश्ते के लिए आ रहा था ।
जहां रज्जो और शिला पहले से ही आपस में बातें कर रही थी ।

" नजर देखी उनकी , कैसे आंखे कर देख रहे थे तुम्हे हीही" , रज्जो ने शिला को छेड़ा ।
शिला शर्मा कर : धत्त भाभी , वो मेरे ससुर है आप भी न
रज्जो शिला के पास आकर : क्यों सास भी तो पूरी टाइट है अभी , लेते नहीं होंगे क्या हीही।
शिला मुस्कुरा कर रज्जो को देखा और हस दी : वैसे कुछ दिनों पहले देखा था , बापूजी तो नहीं लेकिन हा अम्मा जरूर जिद दिखा रही थी उसके लिए।
रज्जो चौक कर : क्या सच में ?
शिला : हा और फिर बापूजी गए थे अंदर मैने देखा ....।
शिला बोलते हुए रुक गई क्योंकि उसकी नजर हाल में आते हुए अरुण पर पड़ गई थीं और उसने रज्जो को इशारा कर दिया था ।

अरुण ने सामने देखा डायनिंग टेबल पर रज्जो एक कुर्सी पर बैठी है उसके बड़े चौड़े कूल्हे दोनो तरफ से झूल रहे थे और उनकी चौड़ी नंगी पीठ का हल्का सावला रंग बहुत ही कामुक नजर आ रहा था ।


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रज्जो ने घूम कर अरुण की ओर देखा और मुस्कुराई ।

अरुण भी नाश्ते के लिए बैठ गया ।
रज्जो : वैसे कम्मो और बाकी सब कब तक आयेंगे ।

शिला : सुबह बात हुई थी शायद कल तक आ जाए , वैसे मैने उनलोगों को बताया नहीं है कि तुम भी यहां आई हो ।
रज्जो : अच्छा है कुछ चीजें सरप्राईज होनी चाहिए क्यों अरुण
अरुण अपने ख्यालों से उभर कर : जी , जी मामी ।

" बहिनचोद यहां मेरा लंड परेशान है और इसको देखो साली ऐसे गाड़ फैला कर बैठी है उफ्फ पापा और बड़े पापा आयेंगे तो वो दोनों तो ऐसे ही पागल हो जायेंगे , इतना बड़ा भड़कीला सरप्राईज देखेंगे तो " , अरुण रज्जो के चेयर पर फैले हुए चूतड़ों की गोलाई तिरछी नजर से देखता हुआ मन में बडबडा रहा था ।

शिला : आओ भाभी टैरिस पर चलते है अच्छी हवा चल रही होगी ।
रज्जो चाय की चुस्की लेकर प्याला वही रखते हुए बोली : हा चलो ।
फिर दोनों ऊपर निकल गए और अरुण भी लपक कर अपने कमरे की ओर चला गया ।

*************************

एक बहुत सुंदर और मनोरम पार्क में मुरारी टहल रहा था । वहा के पेड़ बागानों में उसे गजब का सुकून मिल रहा था । हर तरफ हरियाली और फूलों की खुशबू से उसका हृदय गदगद हुआ जा रहा था । मगर हैरत की बात थी कि पूरे बागान में उसके अलावा वहा कोई दूसरा नहीं नजर आ रहा था । कही से चिड़ियों की मधुर चहचहाहट तो कही से हल्की सर्द हवा , दुपहर की धूप में गजब की शांति थी वहां । उसके कानो में पास ही पानी की कलकल सुनाई दे रही थी । मुरारी उस ओर बढ़ गया ।
आगे बड़े बड़े घने सजावटी आकार में पेड़ और ऊंची फूलों की झाड़ियां सजी हुई थी । एक बड़ा सा फूलों से बना हुआ गेट था , वहा से इत्र चंदन और सुगंधित फूलों की खुशबू आ रही थी ।
मुरारी का रोम रोम पुलकित हो उठा ।
उसका दिल ऐसे मनोरम दृश्य को बहुत खुश था । वो गेट से दाखिल हुआ और आगे एक बड़ा सा सरोवर था , जिसमें नक्काशीदार टाइल लगे हुए थे चारो तरफ से गिरा हुआ बिल्कुल गोपनीय । वहा का तापमान ना गर्म था न सर्द , मुरारी आगे बढ़ता कि उसकी नजर सरोवर में एक तरफ पक्की सीढ़ियों के पास पानी में उतरी हुई एक महिला पर गई ।
अह्ह्ह्ह्ह गजब उभार था उसके चूतड़ों में , उसके जिस्म पर मात्र एक लाल रंग की चुनरी थी जो उसके कंधे पर थी , वो आधी जांघों तक सरोवर में उतरी हुई थी । मुरारी एक पेड़ की ओट में छिप गया ।
उसके जिस्म पर उस चुनरी के अलावा और कोई वस्त्र नहीं था मगर हैरत की बात थी कि वो अपने सभी जेवर गहनों से सुशोभित थी ।
मुरारी की नजर उस महिला के गोरे मोटे उभरे हुए नंगे चर्बीदार चूतड़ों पर अटक सी गई ।


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तभी उस महिला ने एक केतली में सरोवर से पानी भरा और उसको अपने पीठ पर गिराने लगी
उस केतली से पानी थोड़ा थोड़ा उसके पीठ से रिसकर उसके गाड़ के सकरी दरारों में जाने लगा । और अगले ही पल मुरारी की हलक तब सूखने लगी जब उसने अपनी गाड़ फैला कर उठे ऊपर उठाया । चूत के फांके सहित गाड़ फैल कर मुरारी के आगे आ गए
" अह्ह्ह्ह क्या मस्त चूतड़ है इसके उम्ममम " , मुरारी उस नहाती हुई महिला को निहारता हुआ उसका पजामे में अपना लंड सहलाते हुआ बोला ।
तभी वो महिला ने अपने लंबे चिकने नंगे पैर उठा कर पानी में ही सीढ़ी पर किए जिससे उसके चूतड़ और बाहर की ओर निकल गए और चूत की फांके विजिबल हो गई । और अगले ही पल उस कामदेवी ने अपने लंबे लंबे नाखून वाले कोमल कोमल सुंदर हाथों से अपने मुलायम चूतड को सहलाते हुए दरारों में उंगली करने लगी उसके जिस्म में कामवेग का लहर उठ रहा था और जैसे ही उसकी पतली उंगलियों ने उसके चूत के रसाते फांके को स्पर्श किया वो सिसक उठी और गर्दन ऊपर कर दी ।


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उस महिला की सिसकी से मुरारी का ध्यान उसके चेहरे पर गया और उसका लंड और वो दोनों ही मुंह बा दिए ।

" बहु " , मुरारी ने उस कामदेवी की पहचान की और उसका कलेजा धकधक होने लगा ।
मुरारी को यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी नई नवेली बहु सोनल इस कामरस से सराबोर सरोवर में ऐसे कामुक होकर नहा रही थी ।
सोनल आंखे उलट कर अपने हाथ पीछे किए हुए अपने फांके सहला रही थीं और इधर मुरारी का लंड पूरा टनटना गया था ।
जांघियों में पूरा तंबू बन गया था और अब उसको निकालने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था , ।
मुरारी जल्दी जल्दी अपना कुर्ता पकड़ कर अपने पजामे का नाडा खोलने लगा और मगर वो खोल नहीं पा रहा था
इस हड़बड़ी में उसका मनमोहक दृश्य बदल चुका था और सोनल अब सरोवर के टाइल पर पैर लटका कर बैठी हुई थी और उसने वापस से केतली में पानी भरा और इस बार उसने अपने आगे सीधा चूत के फांके पर गिराने लगी ।


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ठन्डे पानी की धार जैसे ही सोनल के चूत के दाने पर गिरी वो मजे से छटपटा पड़ी उसके चेहरे पर शरारती मुस्कुराहट फैल गई और उसने हाथ आगे कर अपनी मुनिया सहलाई
" ओह्ह्ह बहु तुम मुझे पागल कर दोगी , कितनी मस्ती कर रही हो अकेले अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म कितनी रसीली चूत है तुम्हारी उम्मम " , मुरारी अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाये हुए बोला .


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उधर जैसे जैसे सोनल की उंगलियां उसके चूत के फांके पर रेंग रही थी उसके जिस्म में गुदगुदी बढ़ रही थी उसकी सांसे चढ़ने लगी थी और अगले ही पल उसने चूत में उंगली घुसाई और एक मादक सिसकी उस s कलकल भरे वातावरण में गुम सी हो गई ।
और देखते ही देखते सोनल अपनी उस लाल चुनरी पर टाइल पर ही लेट गई और उसके जिस्म पर आप कोई कपड़े नहीं थे उसके नुकीले कड़क गुलाबी निप्पल देखकर मुरारी के मुंह और लंड दोनो में पानी आ रहा था ।


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सोनल वहा अपना चूत मसल रही थी अपने जिस्म को रगड़ मिज रही थी और उसकी मादक सिसकिया मुरारी के लंड की नसे फड़कने पर मजबूर कर रही थी
" अह्ह्ह्ह पापा जी आजाओ न उम्ममम " , सोनल के शब्द जैसे ही मुरारी के कान में पड़े मुरारी का लंड एकदम चरम पर पहुंच गया
" आजाओ न पापाजी उम्ममम चाटो ना मेरी बुर उम्ममम अह्ह्ह्ह पापाजी ओह्ह्ह" , सोनल ने फिर से मुरारी को पुकारा ।
मुरारी पागल हो गया और अपना खड़ा लंड लेकर सोनल की ओर बढ़ा
मगर वो हिल नहीं पा रहा था , पेड़ की टहनियों और लताओं ने उसको बाध लिया था , मुरारी की हालत खराब होने लगी वो जमीन पर गिर पड़ा और तड़पने लगा था , उसने सोनल को आवाज देना चाहा तो उसके गले की आवाज जा चुकी थी ।
मुरारी ने पूरी ताकत लगाई और हाथ झटक कर सारे बंधन तोड़ते हुआ उठ कर बैठ गया ।

मगर ये क्या वो तो इस वक्त बिस्तर पर था , कमरे में गुप अंधेरा था । रोशनदान से हल्की स्लेटी रोशनी आ रही थी ।
अपना माथा पकड़ पर अपने पंजे से अपना चेहरा आंख सहलाता हुआ मुरारी मुस्कुरा पड़ा , क्योंकि वो सपना देख रहा था ।
मुरारी ने उठ कर कमरे की बत्ती ऑन की और कमरे से लगे बाथरूम में फ्रेश होकर नहा धोया और अपना बैग लेकर होटल से चेक आउट कर निकल आया ।
पास ही एक ढाबे पर नाश्ता करने लगा कि उसके मोबाइल पर ममता का फोन आने लगा ।

फोन पर ...
मुरारी : कैसी हो अमन की मां , मै तुम्हे ही फोन करने वाला था ।
ममता : रहने दो रहने दो , भाई की दुल्हन के चक्कर तो आप मुझे भूल ही गए है हुह
मुरारी : हाहा ऐसा नहीं है अमन की मां , सच में अभी नाश्ता कर ही रहा था और तुम्हे फोन करने वाला था ।
ममता : ठीक है ठीक है , मेरी देवरानी का पता चला कुछ , दो दिन हो गए है आपको गए घर से । यहां जरा भी मन नहीं लग रहा है ।
मुरारी : हा एक पहचान वाले उसके किराए के घर का पता मिला है , अभी नाश्ता करके देखता हूं
मुरारी : और तुम चिंता न करो , अमन से कुछ बात हुई
ममता : नहीं न , उसका नंबर ही नहीं लग रहा है ।
मुरारी : अरे मोबाइल पर बात नहीं हो पाएगी अमन की मां ,जहां वो गया है वहां इधर के सिम नहीं काम करते है । तुम फिकर न करो , उससे बात होगी मेरी तो कहूंगा कि बात कर ले ।
ममता : जी ठीक है
मुरारी : ठीक है रखता हु बाय
ममता : अच्छा सुनिए
मुरारी उठ कर मोबाइल कंधे से कान के पास लगाए ढाबे वाले को पैसे दे रहा था : हा बोलो
ममता : आई लव यू हीही
मुरारी मुस्कुराते हुए : हम्म्म
ममता : क्या हम्म्म आप भी बोलो न
मुरारी मुस्कुरा लगा : अमन की मां मै सड़क पर हूं
ममता इठलाई : तो क्या हुआ , बोलिए न । आपको तो मेरी याद ही नहीं आती है
मुरारी ने आस पास देखा और धीरे से फुसफुसाया : अच्छा ठीक है लव यू
ममता खुश होकर : हीही थैंक यू बाय

फोन कट गया और मुरारी ममता की हरकतों पर मुस्कुराता हुआ सड़क पार करने लगा ।
उसने एक ऑटो वाले को शहर में एक एरिया का नाम बताया और निकल गया ।
दोपहर सर पर चढ़ रही थी और वो शहर के पिछड़े इलाके में गलियों में बैग टांगे घूम रहा था ।

2 बजने को हो गए
पूछते हुए वो आखिर मदन की प्रेमिका के घर तक आ ही पहुंचा ।
एक मंजिला मकान था पीछे दिवाल पर तक उठे थे , छोटा ही घर था ।
मगर वहां भी ताला जड़ा था ।
आस पास पता किया तो पाया कि वो किसी ऑफिस में नौकरी करती है शाम तक आएगी ।
एक भले आदमी ने मुरारी को अपने घर बरामदे में आसरा दिया और वो देर तक शाम तक वही ठहर गया ।

" उठो बाबू साहब , वो मंजू आ गई " , उस बूढ़े आदमी ने मुरारी को जगाया ।
मुरारी खटिए से उठा और बैग लेकर मंजू के घर के बाहर खड़ा हो गया ।

दो बार दरवाजा खटखटाने पर मंजू ने दरवाजा खोला और जैसे ही उसने सामने मुरारी को देखा ।
झट से अपने कमर में खोंसी हुई साड़ी जिसमें से उसकी गोरी गुदाज नाभि झलक रही थी उसने खोलकर अपने सर पर रख लिया ।


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मंजू : नमस्ते भाईसाहब , आप यहां इस वक्त
" अरे बाबू साहब तो बेचारे दुपहर से आए है तेरी राह देख रहे थे " , वो बूढ़ा आदमी बोला ।
मंजू : वो मै काम पर गई थी , मगर आप ऐसे अचानक
मुरारी को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या जवाब दे ।

मंजू : आप बाहर क्यों है अंदर आईंये न
मंजू ने किवाड़ खोलकर मुरारी को घर में आने का आमंत्रण दिया ।

मुरारी जैसे ही अंदर घुसा तो आगे एक चौकी रखी थी । बगल में एक छोटी आलमारी और रस्सी की अरगन पर लटके हुए मच्छरदानी समेत ढेर सारे कपड़े ।
यही एक कमरा था और पीछे खुला हाता था जहां एक कोने पर नल और वही दिवाल लगकर चूल्हा बना था मिट्टी का ।
मुरारी को समझ आ रहा था मंजू की स्थिति बहुत बदतर हो चुकी है ।

वो जल्दी जल्दी अलमारी से एक चादर निकाल कर बिछाने लगी
मुरारी उसके पीछे खड़ा था , उसके चौड़े कूल्हे मुरारी के आगे थे ।
मगर मुरारी का ध्यान वहा नहीं था ।

मंजू : बैठिए भाई साहब , मै पानी लाती हूं
फिर मंजू आलमारी में रखे डिब्बे से पेड़े निकाले और कटोरी में रख कर बिस्तर पर मुरारी के पास रख दिए और पानी लेने पीछे चली गई।
नल चलने की आवाज आ रही थी , मुरारी कमरे में देख रहा था , उसकी नजर छत पर गई , कमरे की दिवाल पर प्लास्टर हुआ था मगर छत पर वैसे ही चूना किया हुआ था । पंखा भी काफी पुराना था ।

मंजू पानी रखते हुए : और घर सब कैसे है ?
मुरारी : सब ठीक है , तुम बताओ कैसी हो ?
मंजू जबरन होठों पर मुस्कुराहट लाकर: जी मै भी ठीक हूं
मुरारी : बगल वाले चाचा बता रहे थे तुम ऑफिस जाती हो?
मंजू मुस्कुरा कर : जी वो पास में ही एक ऑफिस है , वही नौकरी करती हूं।
मुरारी : अच्छा ससुराल में किसी से बात चीत होती है क्या ?
मंजू उदास होकर : जी नहीं , काफी साल हो गए
मुरारी : हम्मम , मैं यहां एक प्रस्ताव लेकर आया हूं मंजू
मंजू को डर लग रहा था : जी कहिए
मुरारी : अमन की मां की इच्छा है कि तुम घर आ कर रहो , हमारे साथ
मंजू चौक कर : क्या ? नहीं मै कैसे ? आप ये क्या बोल रहे है ?

मुरारी : देखो मै तुम्हे यहां ले जाने ही आया हूं , मै अमन की मां को फोन करता हूं तुम बात करो ।

फिर मुरारी ने ममता को फोन मिलाया और मंजू को दे दिया
करीब घंटे भर बाद वो पीछे से वापस कमरे में आई ।
वो मोबाईल मुरारी को दी ।

मुरारी : तो क्या निर्णय लिया तुमने
मंजू : मै ऐसे कैसे जा सकती हूं, आप अपने भाई के बारे में सोचिए न , मै किस मुंह से उनके सामने जाऊंगी
मुरारी हंसता हुआ : भई इसी मुंह से चल चलो , नहीं पसंद आया उसे तो थोड़ा मेकअप कर लेना हाहा , शादी में वैसे भी तैयार होना ही है ।

मंजू हंसने लगी : धत्त भाई साहब आप भी
मुरारी : देखो मुझे पता है कि तुम अमन की मां को हामी भर चुकी हो , हा कि ना
मुरारी ने कबूलवाया
मंजू मुस्कुरा कर : हम्म्म
मुरारी खड़ा होता हुआ : फिर क्यों फालतू के सवाल जवाब , अपने जरूरी समान पैक कर लो कल सुबह मै आऊंगा फिर हम निकलेंगे ।

मंजू : आप कहा जा रहे है इतनी रात को
मुरारी थोड़ा हिचक कर : देखो मेरा यहां ऐसे रुकना उचित नहीं है , और यहां बिस्तर भी एक ही है ।

मंजू : अरे भईया आप उसकी फिक्र न करे मै नीचे सो जाऊंगी , आप इतनी रात कहा भटकेंगे । यहां तो आसपास न होटल मिलेगा न कोई सवारी ।

मुरारी वापस अपने कंधे से बैग सरका कर बिस्तर पर बैठ गया और मंजू बातें करते हुए खाना बनाने लगी ।

वही दूसरी ओर ममता अपनी होने वाली देवरानी से बाते कर बहुत खुश थी ।
हालांकि उसके दिल में बेचैनी हो रही थी कि अभी वो मदन के कमरे के जाए और उसे खुशखबरी दे दे मगर मुरारी ने ममता को मना कर रखा था क्योंकि वो उसे चौंकाना चाहते थे ।
ममता दिल ही दिल में आज अपने पति को बहुत प्यार दिए जा रही थी , उसका तो जी चाह रहा था कि अभी वो पास होती तो कस कर उससे लिपट जाती और आज तो उसने अपने पति को कैसे छेड़ा , कैसे बीच सड़क पर उनसे आई लव यू बुलाया ।
तभी अचानक से ममता के जहन में रागिनी का ख्याल आया और उसकी डेयरिंग बाते सोच कर उसके तन बदन के सरसरी फैल गई ।

अब उसका दिल जोरो से धड़कने लगा , भीतर गजब का कौतूहल मचा हुआ था । वो करे या न करे
आज तो उसके पास मौका भी है और दस्तूर भी मगर देवर जी भी तो है घर में । अरे यही तो असली डेयरिंगबाजी है ट्राई करते है ।
और ममता ने अपने जिस्म से नाइटी उतार दी ।
फिर पूरी की पूरी नंगी
आइने में खुद को देख कर अपने भरे गदराए मोटे मोटे मम्मे हाथों में भर कर आपस में सताने लगी जिससे उसके निप्पल टाइट हो गई ,

फिर वो अपने बड़े से कूल्हे को हिलाती हुई मोबाइल लेकर दबे पाव अपने कमरे का दरवाजा खोली ।
ममता ने अपना पूरा जिस्म दरवाजे की ओट में रखे हुए कमरे से बाहर झांका गलियारा एकदम सुनसान
दबे पाव अपने पायलों की रुनझुन को हल्का रखते हुए वो जीने के पास आई और हाल में देखा फिर मदन के बंद कमरे की ओर देखा। फिर धीरे धीरे जीने की सीढ़िया चढ़ने लगी ।


Mamata
ऊपर गुप अंधेरा था तो उसने मोबाईल की टॉर्च जलाई और पीछे बाल्कनी में आई गई ।
उसे बहुत खुशी हो रही थी , सर्द हवाएं उसके जांघों और चूत पर लग रही थी उसके चूचे के निप्पल ठंडे पड़ने लगे थे ।
उसका रोम रोम पुलकित हो उठा था जिस्म पर दाने ऊबर आए हो मानो , रागिनी द्वारा दिखाया हुआ एक एक ख्वाब ममता को सच होता दिख रहा था और जैसा उसने कहा था , कि ऐसे मौके पर अपने पति की गर्म बाहों में लिपटने को मिल जाए तो मजा और आ जाए ।
ममता भी अपने बाहों को सहला कर चांदनी रात में दूर सिवान को निहार रही थी , ऐसे में उसे मुरारी की याद और आ रही थी ।

ममता कुछ ही देर में बेचैन होने लगी थी और उसने रागिनी से बात करनी चाही , मगर रागिनी के पास खुद का फोन नहीं था और इतनी रात के रंगीलाल के पास फोन मिलाना उचित नहीं लग रहा था ।
मगर भीतर की तड़प बढ़ती जा रही थी, रागिनी के बहकावे में वो ऊपर चली आई थी मगर भीतर प्रेम की आग जो भड़क उठी थी उसकी तड़प बढ़ती जा रही थी । अब जिसने रोग दिया वो इलाज भी जानती होगी ये सोच कर ममता ने ना चाहते हुए भी रंगीलाल के पास फोन घुमा दिया


वही दूसरी ओर रंगीलाल आज रागिनी के गाड़ के घुसा हुआ था
रंगी : अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान लह्ह्ह ओह्ह्ह्ह कितनी टाइट है तेरी गाड़ उम्मम
रागिनी : अह्ह्ह्ह्ह मेरे राजा फाड़ तो ऐसे रहे हो जैसे दुबारा वापस नहीं आना है अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म


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रंगी : उम्मम तेरी मोटी चौड़ी गाड़ को देख कर मै पागल हो जाता हु और फिर कल से हफ्ते भर कहा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह हा और और फेक अह्ह्ह्ह और नचा उम्ममम

रागिनी सिसकारियां लेते हुए रंगी के लंड पर आने चूतड़ फेकने लगी और उसका सुपाड़ा फुलने लगा और अगले ही पल वो उसकी गाड़ में झड़ने लगा


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रंगी : अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह मेरी रॉड अह्ह्ह्ह रागिनी मेरी जान अह्ह्ह्ह भर दूंगा तेरी गाड़ अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह

तभी रंगी का फोन बजने लगा
और वो आखिरी बूंद तक रागिनी की गाड़ में निचोड़ कर लंड बाहर निकाला
फिर बिस्तर पर आ गया
हेडबोर्ड का टेक लेकर मोबाइल चेक किया तो देखा अंजान नंबर से फोन आया था ।

दरअसल ममता ने हाल ही में एक मोबाइल लिया था , जिसका नम्बर ज्यादा लोगो के पास नहीं था ।

रागिनी पेटीकोट से अपनी गाड़ पोंछती हुई : किसका फोन है जी
रंगी : पता नहीं नया नंबर कोई , तुम इधर आओ मेरी जान
रंगी लाल ने रागिनी को अपने पास खींचा
रागिनी सिसकारियां भरती हुई : उम्ममम देखो तो थके नहीं क्या अभी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह उफ्फ रुको न थोड़ा
रंगी उसकी चूचियां मिज़ता हुआ : तुम्हे पेल कर भला कब थकान हुई है मेरी जान
तभी फिर से मोबाइल बजने लगा

रंगी चिढ़ कर : ये मादरचोद है कौन इतनी रात को ।

रंगी फोन उठा कर : हैलो
ममता : जी नमस्ते भाई साहब मै अमन की मां बोल रही हूं
एकदम से रंगी के हावभाव बदल गए : अरे भाभी जी आप , नमस्ते नमस्ते कहिए कैसी है ?
ममता : जी अच्छी हूं, आप सब कैसे है ?
रंगी : जी मै भी , मेरा मतलब हम लोग भी ठीक है , लीजिए सोनल की मम्मी से बात करिए

रागिनी : कहिए संबंधन जी आज इतनी रात , हमारी याद कैसे
ममता : जरा भाईसाहब से किनारे होइए , कुछ बात का करनी है ।


स्पीकर पर ममता की बात सुनकर रागिनी और रंगी मुस्कुराए और रंगी ने इशारा किया कि मै यहां नहीं हु ऐसा बोलो ।
रागिनी हस कर : अरे बोलिए बोलिए वो बाथरूम में गए है
ममता : क्या बोलूं दीदी , आपने तो मुझे फसा दिया
रागिनी : अरे क्या हुआ ?
ममता झिझक कर : वो आपके कहने पर मै यहां ऊपर आई थी , मगर अब तो ऐसी बेचैनी हो रही है कि क्या करु ।

रागिनी को समझते देर नहीं लगी कि ममता जरूर बालकनी में नंगी खड़ी है ।
रागिनी : ओहो मेरी डेयरिंग बाज समधन हिहिही , लग रहा है समधी जी है नहीं उम्मम क्यों ?
ममता : हा वो कही बाहर है ?
रागिनी : हाय दैय्या और आपके देवर ?
ममता : वो तो अपने कमरे में है !
रागिनी : और आप अकेली नंगी खड़ी है
ममता : हा बाबा , बताओ न क्या करु अब कितनी तड़प हो रही है उम्ममम
ममता और रागिनी की बातें सुनके रंगी रंगीनी से इशारे में पूछ रहा था कि आखिर क्या माजरा है तो रागिनी हस्ती हुई उसको शांत रहने को बोल रही थी ।

रागिनी : कुछ नहीं वापस आ जाओ कमरे में और चादर खींच कर सो जाओ हीहिही
ममता : धत्त बताओ न , आप क्या करती थी ऐसे में जब भाई साहब नहीं होते थे तो
रागिनी शरारत भरी मुस्कुराहट से : सच बताऊं , मै तो उन्हें याद कर अपनी मुनिया सहलाती थी खुली छत पर

ममता लजा कर : धत्त , सच में ?
रागिनी रंगी को देखकर अपनी टांगे खोलने लगी और अपनी बुर सहलाते हुए बोली : हा , मुझे तो मेरे बालम के बारे में सोच कर अपनी मुनिया सहलाने में बड़ा मजा आता है आह्ह्ह्ह अभी भी सोच कर रस टपकने लगा ।

ममता : उम्मम सच में ओह्ह्ह्ह ठीक है रखो फिर
रागिनी : अरे कहा चली
ममता हस कर : मै भी उन्हें सोच कर सहलाऊंगी हीहीही
रागिनी चहक कर : किसे , अपने समधी को क्या ?
ममता एकदम से लजाई: धत्त दीदी आप भी न
रागिनी : अरे इसमें शर्माना कैसा , आपके समधी जब आपके बारे में सोच कर अपना सहला सकते है तो आप क्यों नहीं ।
ममता : धत्त झूठी
रागिनी : अरे सच कह रही हूं, वो जो आपसे आपकी ब्रा पैंटी लाई थी न , एक रोज बाथरूम में लेकर घुसे थे ये
रागिनी मुस्कुरा कर रंगी को देखी ।
ममता : क्या सच में ?
रागिनी : हा और क्या , और अपनी ब्रा को नीचे लपेट कर खूब रगड़ रहे थे ।

ममता एकदम से चुप हो गई
रागिनी : और तो और आपकी कच्छी को नथुनों पर रखे हुए सूंघ रहे थे फिर ब्रा में ही सब निकाल दिया

ममता: धत्त आप बहुत गंदी है दीदी , हीहीही रखो अब
रागिनी हसने लगी और फोन कट हो गया ।
अगले ही पल रागिनी की सिसकिया एक बार फिर उठने लगी क्योंकि रंगी एक बार फिर अपना मुंह उसके चूत के लगा चुका था ।


जारी रहेगी


*** कहानी के नए सीजन का पहला अपडेट पोस्ट कर दिया गया है। पढ़ कर अपने विचार जरूर साझा करें । ***

धन्यवाद
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