- 8,165
- 23,021
- 189
अध्याय 02 का अपडेट 18
THE EROTIC SUNDAY
पेज नंबर 1307 पर पोस्ट कर दिया गया है
THE EROTIC SUNDAY
पेज नंबर 1307 पर पोस्ट कर दिया गया है
lajawaab updateअध्याय: 02
UPDATE 017
THE EROTIC SUNDAY 01
चमनपूरा
रविवार की सुबह सुबह तक़रीबन स्वा 6 बजे अनुज के बदन में हरकत शुरू हुई , करवट से मुड़ी हुई टांगों को पसारते हुए उसने कम्बल की गर्माहट के अपनी अंगड़ाई ली और रोशनदान से आती धुंधली सी रोशनी पर उसकी नजर पड़ी ।
सर्दियों की सुबह का आलस उस पर हावी था और एक लंबी जम्हाई के बाद वो सीधा हुआ , उसने अपने दोनों पैर टाइट कर सीधे किए और लोवर में बड़ा सा morning इरेक्शन महसूस किया , जिसे हाथों से पकड़ कर दबाते हुए वो कसमसाया और उसकी नजर अपने पीठ की ओर सोई हुई अपनी मां पर गई, जो पहले से ही उसके कम्बल के करवट लेकर उसकी ओर अपनी पीठ किए सोई थी ।
हल्की जलन भरी धुंधली नजरो से उसे अपनी मां रागिनी के बाल दिखे और पूरा बदन कम्बल में।
मुस्कुरा कर वो एक बार को अपनी मां से लिपट कर गुड मोरिंग विश करना चाहता था लेकिन तभी उसे अपने लोवर के बने बड़े से तंबू का ख्याल आया और उसने सोचा कि कही ऐसा न हो ये खूबसूरत संडे की सुबह थोड़ी ही जल्दीबाजी में बिगड़ जाए ।
उसने मुस्कुरा कर अपनी दोनों हथेली रगड़ी और अपने चेहरे पर सिकाई करते हुए एक झटके से बिना अपनी मां की ओर देखे कम्बल अपने बदन से हटाया और नित्य क्रिया के लिए खड़ा हुआ था
जैसे ही उसने कम्बल वापस अपनी मां को ढकने के लिए वापस घूमा उसके होश उड़ गए ।
सामने का नजारा देखते ही अनुज के मन में एक ही सवाल आया : अरे वो स्कर्ट कहा गई
अद्भुत और कामुक दृश्य जिसकी कल्पना अनुज इतनी सुबह नहीं कर सकता था
उसकी मां के कमर पर रात में जो उसने सोनल की स्कर्ट पहनी थी वो नहीं थी , कूल्हे के नीचे पूरी नंगी और बड़े बड़े रसीले मटके जैसे चूतड़ आपस में चिपके हुए , पीछे बैकलेस डोरी वाली ब्लाउज तो दिखी लेकिन उसकी डोरी एकदम ढीली
कोई अचानक से देखे तो यही कहे कि रागिनी बिस्तर में नंगी सोई है ।
इधर अनुज जम सा गया अपनी मां के नंगे चूतड़ों को देख कर , उंगली से आंखे रगड़ कर नजारा साफ किया और खड़े खड़े अपना लंड लोवर में मसल दिया : उफ्फ मम्मी
मानो रागिनी ने जैसे उसकी पुकार सुन ली हो और वह भी अपने पैर पसारने लगी ।
अनुज ने फुर्ती से कम्बल सही कर दिया
रागिनी अंगड़ाई लेती हुई अपने हाथ ऊपर किए और पास में खड़े अनुज को देखा
अनुज मुस्कुरा कर : गुड मॉर्निंग मम्मी
रागिनी अपने हथेली से चेहरा साफ कर मुस्कुरा कर उठी हुई आंखों से देखते हुए : तू कब उठा
अनुज : बस अभी अभी
तभी कंबल में ही रागिनी को अहसास हुआ कि उसके कमर के नीचे कुछ नहीं है और पल भर के लिए उसके चेहरे की रौनक उड़ ही गई क्योंकि उसकी योजना थी कि वो सुबह अनुज से पहले उठ जाएगी ।
रागिनी : बेटा मेरे कमरे से मेरा पेटीकोट उठा लाएगा क्या , वो स्कर्ट की लास्टिक इतनी टाइट थी कि मै निकाल कर सो गई थी
अनुज ने आज्ञाकारी बच्चे के जैसे उसके बात का पालन किया और तेजी से अपनी मां के कमरे में चला गया जहां सोफे पर साड़ी के साथ पेटीकोट पड़ा हुआ था ।
अनुज ने उसे उठाया और एक अलग सा अहसास हुआ । उस सूती कपड़े में उसने अपने मम्मी के बदन की कोमलता और गंध महसूस की ।
मुस्कुरा कर उसने अपना लंड लोवर में सेट किया और राज के कमरे में आया तेजी से
और फिर एकदम से नजरे चुराने लगा क्योंकि सामने उसकी मां बिस्तर में बैठी हुई थी और उसके ढीले ब्लाउज से उसकी पपीते जैसी चूचियां नीचे से लटक रही थी । नजर पड़ते ही अनुज ने निगाहें फेर ली और उसमें एक ठहराव सा आ गया
: मम्मी ये लो ( अनुज ने बिना उसकी ओर देखे पेटीकोट देते हुए कहा )
रागिनी ने जैसे अनुज की हरकत नोट की तो उसे अपनी स्थिति का ध्यान आया और सबसे पहले उसने अपने मम्मे को ब्लाउज में सेट कर दिया। इस दौरान उसने मुस्कुराते हुए बस अनुज का ख्याल किया कि वो सच में कितना साफ दिल है ।
अनुज ने फिर से उसकी ओर देखा और वही खड़ा हो गया ।
रागिनी : अब खड़ा क्या है जा न फ्रेश नहीं होना
अनुज समझ गया कि उसकी मां को पेटीकोट पहननी है और वो साफ साफ ये बात तो कह नहीं सकती कि वो कम्बल के अंदर नंगी है ।
अनुज : हा ठीक है , पानी गर्म कर दु आपके लिए भी
रागिनी मुस्कुरा कर : ठीक है कर दे
फिर अनुज किचन में चल गया और कुछ देर बाद रागिनी अपना ब्लाउज सेट करने की कोशिश करती हुई आई अनुज के पास किचन में
: बेटा ये डोरी बांधना तो
अनुज ने अपनी मां की नंगी गुदाज पीठ देख थूक गटका, उसके जिस्म की मादक गंध वो अपने नथुनों में भरने लगा और
बिना कुछ बोले अपनी मां की डोरी बांध दी और रागिनी ने गर्म पानी पीकर अपने कमरे वाले बाथरूम चली गई ।
अनुज भी राज के कमरे में फ्रेश होने चला गया और वापस निकला तो देखा उसकी मां हाल में झाड़ू लगा रहे थी , पेटीकोट में उसके फैले हुए चूतड़ देखते ही अनुज खुश हो गया ।
फिर वो ये सोच कर मन ही मन हसने लगा कि अच्छा हुआ उसने बिस्तर में पीछे से अपनी मां को हग नहीं किया नहीं तो उसकी मां को यही लगता कि उसने जानबूझ कर किया , लेकिन उसे अफसोस भी हो रहा था कि काश एक बार उसे अपनी मां के नरम चूतड़ों पर लंड सटाने को मिल जाता तो कितना मजा आ जाता ।
रागिनी एकदम से अनुज को खड़ा हुआ देख कर : क्या हुआ ? पेट गड़बड़ है
अनुज मुस्कुरा कर : नहीं , देख रहा हूं आपको सर्दी नहीं लग रही है ?
रागिनी : सर्दी ? ले झाड़ू लगा फिर पता चलेगी सर्दी है या गर्मी
अनुज : नहीं मुझे लिखना है
रागिनी : ठीक है
अनुज : आपके कमरे में लिख लूं
रागिनी : अच्छा रुक बिस्तर बदल दूं फिर
फिर रागिनी कमरे में गई और अनुज पीछे पीछे से राज के कमरे से किताबें लेकर आया
रागिनी ने जल्दी जल्दी बिस्तर लगाने के चक्कर में झटके से बेडशीट खींचा और बाथरूम में चली गई । फिर हड़बड़ी में जल्दी जल्दी आलमारी से नई बेडशीट निकाल कर बेड की ओर घूमी कि उसकी नजर अनुज पर गई
जो झुक कर बेड के पास गिरे एक चौकोर दो इंच के डार्क चॉकलेटी पैकेट को बड़े ध्यान से देखते हुए उठा कर उस पर लिखा हुआ पढ़ रहा था कि रागिनी एकदम से सन्न हो गई ।
अनुज को समझते देर नहीं लगी कि ये कंडोम है , जैसे ही उसे ख्याल आया कि उसकी मां पीछे खड़ी है उसने अपना नाटक शुरू कर दिया
अनुज उसको सूंघता हुआ : मम्मी ये क्या है ?
रागिनी ने झट से उसके हाथ से वो पैकेट झपट लिया: कु कुछ नहीं
अनुज : अरे ! लेकिन ये तो चॉकलेट जैसा महक रहा है
रागिनी : हम्मम वो उसका फ्लेवर है
अनुज : लेकिन ये है क्या ?
रागिनी : ओहो क्या करेगा जान कर । वो तेरे पापा की चीज है । चल बिस्तर लगा दी हूं अब पढ़ाई कर मुझे कपड़े धुलने है
ये बोलकर रागिनी अनुज से बचकर बाथरूम में निकल गई और कपड़े धुलने बैठ गई
अनुज ने भी कमरे में बेड पर ऐसी जगह चुनी जहां से वो अपनी मां को बाथरूम में देख सके ।
अनुज अपनी पढ़ाई के लग गया और इधर रागिनी कपड़ो की धुलाई में
रह रह उसकी चोर नजरे रागिनी की ओर थी , लेकिन रागिनी अपने काम में मशगूल थी
धीरे धीरे रागिनी के खुद के कपड़े सामने से भीगने लगे । लेकिन चुकी वो बाथरूम के गेट पर ही अनुज की ओर पीठ करके बैठी थी तो अनुज को पता नहीं चल रहा था , वो लंबे समय तक बस अपनी मां के मटके जैसे चूतड़ों को एक काठ की सीट पर बैठे हुए देख रहा था , जब जब रागिनी कपड़ो पर ब्रश रगड़ने के लिए आगे झुकती उसकी चूतड़ पीछे से हवा में हो जाती है । पहले तो सब नॉर्मल था लेकिन जब धीरे धीरे उसके कपड़े आगे से भीग गए और पानी उसके चूतड़ों तक आ गया तो अब हल्की हल्की दरार भी नजर आने लगी पेटीकोट के ऊपर से क्योंकि गिले वाले हिस्से का पेटीकोट नीचे उसके चूतड़ों से चिपक गया था
ये नजारा मिलते ही अनुज का लंड उछलने लगा और वो लोवर में हल्का हल्का सहलाने लगा ।
इधर लगभग उसने लाली के पास जो नोट्स लाए थे उसका आखिरी पेज चल रहा था और उसके दिमाग में लाली का ख्याल भी आने लगा कि कल उसने इंस्टा पर आने को कहा था लेकिन नेट न होने की वजह वो ऑनलाइन भी जा पाया और अब ये नोट्स खत्म हो गए । क्यों न वो उससे मिलने दोपहर में लाली के घर जाए ? क्या पता आज भी उसे उसकी मिस के चूतड़ों का दीदार हो जाए अह्ह्ह्ह्ह कितनी मोटी गाड़ थी मिस जी की उम्मम कितनी गुलाबी थी सीईईई
" अनुज "
: हा मम्मी
एकदम से चौक कर अनुज ने गर्दन फेर कर बाथरूम की ओर देखा तो सामने उसकी मां बाथरूम के गेट पर खड़ी थी ।
उसका बदन आगे से पूरा गिला था । ब्लाउज भीग कर उसके मोटी रसीली छातियो से चिपक गए थे उसकी ब्लाउज पूरी विजिबल थी जिसका उसे जरा भी ख्याल नहीं था कि सामने से उसका प्यारा दुलारा बेटा उसकी चूचियां ही निहारेगा ।
: बेटा मै पूरी भीग गई हूं , जरा राज के कमरे से देख उसके कपड़े धुलने लायक हो लाकर दे दे
अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था , सुबह सुबह चूतड़ और अब चूचियों के दर्शन
: ठीक है मम्मी लाता हूं
फिर वो बिस्तर से निकल कर राज के कमरे के गया और दरवाजे के बीच दिवाल पर खूंटी पर टंगी हुई पेंट जींस शर्ट लेकर आया और बाथरूम के गेट पर पहुंचा था कि ठिठक गया
सामने उसकी मां आगे झुक कर बाल्टी में कपड़े डुबो का उन्हें खंगाल रही थी ताकि सर्फ निकल जाए
लेकिन अनुज की निगाहे तो उसके पेटीकोट के फैले हुए चूतड़ों पर थी जो भीग कर विजिबल हो गई थी , उसके गाड़ के दरारें पूरी साफ साफ दिख रही थी ,
अनुज ने हौले से अपना लंड मसला
: लो मम्मी
रागिनी उठ कर घूमी और उसके हाथ से शर्ट और टीशर्ट लेकर
: ये जींस पेंट और वो बेडशीट बेटा उसको न पीछे वाशिंग मशीन में डाल देगा, फिर तू पढ़ाई कर तुझे नहीं उठाऊंगी
अनुज मुस्कुरा कर : क्या मम्मी तुम भी , कर देता हूं न
रागिनी : कितना अच्छा है मेरा बेटा
अनुज अपनी मां के दुलार से खुश हो गया और दिए हुए सारे कपड़े लेकर वाशिंग मशीन में डाल कर पानी भरने लगा और करीब 10 मिनट बाद वो वापस मशीन चालू कर कमरे में आया तो इस बार का सरप्राईज और बड़ा था
बाथरूम में रागिनी अब दूसरी ओर बैठ गई थी और उसके बदन पर उसका ब्लाउज नहीं था, उसकी नंगी चूचियां खूब हिल रही थी लेकिन वो पेटीकोट में कुछ इस तरह से छिपी थी कि अनुज को अपने मा के निप्पल की झलक भी नहीं मिली
अनुज में मुंह में लार भरने लगी , सच में आज उसका संडे बहुत ज्यादा ही क़िस्मत से भरा था ।
वो वापस से बिस्तर में आ गया
लेकिन अब उसका बाथरूम की ओर देखना थोड़ा कठिन था , क्योंकि इस बार रागिनी बाहर की ओर मुंह करके बैठी थी ।
अनुज ने आंखे सीधी अपने किताबों में लगाए हुए था और इस दौरान रागिनी ने एक दो बार उसे देखा और पाया कि वो जरा भी उसकी ओर नहीं देख रहा है ।
रागिनी मुस्कुरा रही थी ये सोच कर कि उसका बेटा कितनी इज्जत करता है उसकी और फिर वो कपड़े धुलने में लग गई और कुछ देर बाद फिर अनुज ने वापस देखा तो बाथरूम का दरवाजा भिड़का हुआ था और अदंर से पानी गिरने की आवाज आ रही थी । अनुज को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां नहा रही है अन्दर
अनुज की तो लालसा थी कि काश दरवाजा बंद होने से पहले वो अपनी मां को देख लिया होता ।
इधर रागिनी आज कुछ ज्यादा ही काम कर ली थी तो उसके पूरे बदन में खुजली थी , और हर जगह उसके हाथ नहीं पहुंच सकते थे ।
तभी कुछ देर में अनुज के कान खड़े हुए जब रागिनी ने उसे आवाज दी बाथरूम के अंदर से
" अनुज "
सरोजा के घर
गर्म बिस्तर में अपनी एड़ियां रगड़ता हुआ राज ने अपने पैर टाइट किए और खड़े लंड की सलामी स्वीकार उसको दबाने लगा
आंखे खुली तो वसु का कमरा देख कर उसे बीती रात की सारी कहानी ताजा हो गई और एक बार फिर उसके लंड ने हुंकार भरी थी कि उसे कमरे में पायलों की छनछनाहट मिली और वो झट से आंखे बंद कर लिया
तभी कमरे के बाथरूम से वसु तौलिया लपेटे हुए कमरे ने दाखिल हुई
भीगे बाल , साबुन की भीनी खुशबू पूरे कमरे में फैल गई ।
गुनगुनाती हुई वसु ने एक नजर राज को बिस्तर में सोया देखा और आगे बढ़ गई अपने आलमारी की ओर
पायलों की रुनझुन से राज ने अंदाजा लगाया और आंखे खोली तो देखा वसु आइने के आगे खड़ी होकर हेयर ड्रायर सेट कर रही है बाल सुखाने के लिए
राज ने उसकी मोटी गदराई जांघों को देखा तो उसका लंड पंप होने लगा और फिर हेयर ड्रायर की आवाज आने लगी तो राज ने वापस आंखे बंद कर ली , वसु ने एक नजर वापस राज को देखा और बाल सुखाने लगी ।
कुछ देर बाद राज ने वापस आंखे खोली तो देखा वसु आइने में खुद को निहारते हुए अपने बालों को सवार रही थी ।
अभी भी उसके बदन पर तौलिया था और फिर उसने अलमारी खोलकर कपड़े निकालने लगी और राज ने वापस आंखे बंद कर दी
फिर उसने एक ब्रा पैंटी सेट निकाली, एक नजर घूम कर राज को देखा और फिर अपने तौलिए को खोलकर फर्श पर गिरा दिया
राज ने आंखे महीन कर वो नजारा देखा जब वसु पीछे से पूरी नंगी हो गई , उसके मोटे चूतड़ों की सटी हुई दरारों को देख कर राज के मुंह ने पानी आने लगा और लंड एकदम फड़फड़ाने लगा
तभी वसु ने पैर उठा कर पैंटी पहनने लगी और फिर ब्रा पहन रही थी
राज ने सोचा यही समय है कि अब उसे जताया जाय और वो अंगड़ा लेता हुआ उठ गया : गुड मोरनिंग आंटी
वसु एकदम से चौक गई लेकिन अगले ही पल उसने खुद को सम्भाल लिया और ऐसे जताने लगी जैसे सब नॉर्मल हो : गुड मॉर्निंग बेटा , उठ गए
वसु ने एक अपना नाइटी गाउन उठाया और पहनते हुए उसके पास गई
: हम्ममम तो कैसी रही रात , अच्छे से सोए न
: आपने सोने कहा दिया ( राज ने छेड़ा उसे )
: धत्त बदमाश, मै कहा वो तो तेरे अंकल ( वसु लजा कर गुलाबी हुई का रही थी )
: मै नहीं सो पाया तो क्या हुआ , आपकी रात तो अच्छी रही न
: कहा अच्छी थी वो बस ... ( वसु बोलते हुए रुक गई और शर्मा गई कि वो क्या बोलने जा रही थी )
: कही ऐसा तो नहीं कि मेरे वजह से आपने इंजॉय नहीं किया
: नॉटी कही के मारूंगी तुमको , चलो उठो । ये सब बाते करोगे अब तुम मुझसे
: कुछ भी कहो अंकल है बहुत रोमांटिक
: अच्छा जी , तुम्हे कैसे पता ?
: दरवाजे के पास आपकी आवाजें सुनकर ही समझ आ गया था हिहिही
: धत्त गंदे , तुम देख रहे थे मुझे ( वसु मुस्कुरा कर थोड़ी लजाती हुई बोली )
: इतना रोमांटिक सीन छोड़ दे , कोई पागल ही होगा
वसु शर्म से लाल होने लगी और उसने राज का हाथ पकड़ कर उसे खींचते हुए : चलो उठो तुम बेशर्म कही के , चलो
राज खिलखिलाता हुआ बाथरूम में चला गया और जब वापस आया तो देखा कमरे में कोई नहीं था और मुझे तो बस सरोजा का ख्याल आया ।
वो धीरे से वसु के कमरे से निकला और लपक कर सरोजा के कमरे में घुस गया
देखा तो सरोजा बिस्तर में बेसुध सोई है और कम्बल लिए हुए ।
राज के दरवाजा बंद कर अंदर गया और नीचे से उसका कम्बल उठा कर देखा तो अंदर सरोजा पूरी नंगी सोई थी , ऊपर बस कम्बल ले रखा था ।
राज की जीभ कार छोड़ने लगी और उसने हौले से नीचे से घुस कर उसके जांघों तक गया और उनकी गर्म चूत और जांघों को चूमने लगा ।
सरोजा बिस्तर के कसमसाने लगी और उसकी कुनमुनाहट में राज ने उसके मुंह से निकली सिसकियों के भईया सुना तो राज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और उसने सरोजा के बुर पर जीभ फिरनी शुरू कर दी ।
: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह भइया कितना चाटेंगे उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ठीक हो गया है वो उम्मम
: वैसे क्या हो गया इसको ( कम्बल के अंदर से ही राज मुस्कुराता हुआ ऊपर सरोजा के मुंह के पास चला गया )
: भक्क तुम हो , मुझे लगा ( सरोजा शर्माई )
: अरे , लगता है कल भइया के साथ कुछ कांड कर बैठी हो उम्मम
: भक्क पागल , हटो
: अरे बताओ न ,प्लीज हुआ कैसे ?
: तुम मानोगे नहीं ( वो राज देखते हुए बोली )
: कोई और चारा दिख रहा है ( राज ने मुस्कुरा कर उसे देखा )
सरोजा गहरी सांस लेती हुई
वो कल रात जब तुमने मैसेज किया न तो मैने भैया के पहले ही उनके कमरे में चली गई थी । डर लग रहा था लेकिन हिम्मत नहीं छोड़ी मैने । भाभी के बिस्तर पर ही अपनी साड़ी उतार कर फेंक दी , पेटीकोट ब्लाउज नीचे फर्श पर और पैंटी कमरे के बाथरूम के रास्ते निकाल आकर सिर्फ ब्रा में बाथरूम में थी और टॉयलेट सीट पर बैठ कर जेट स्प्रे से अपनी बुर को धूल रही थी । जैसे ही मुझे भैया के आने की आहट हुई मैने सिसकियां लेना शुरू कर दिया
मैने जरा भी दरवाजे की ओर नहीं देखा बस आंखे बंद कर उस जेट स्प्रे से अपनी बुर पर पानी गिराती रही , सच कहूं तो मुझे वहा बुरी तरह से खुजली हो रही थी ।
इधर भइया बाथरूम के दरवाजे पर खड़े होकर मुझे देख रहे थे और मैने एकदम से चौक कर उन्हें देखा और खड़ी होकर अपनी चूत छुपाने लगी
: भइया आप ?
: अरे सरोज तू ये ?
: भैया आप अंदर कैसे आए ?
: वो दरवाजा खुला था और कपड़े ऐसे फेंके थे और तुम्हारी आवाज
मै बाथरूम में तौलिया भी नहीं लेकर गई थी भैया मेरी गदराई जांघों को देख रहे थे और मेरे कूल्हे पूरे नंगे थे ।
: ये सब क्या है सरोज
: भैया वो मुझे खुजली हो रही थी और एकदम से परेशान हो गई तो भागी भागी भाभी के बाथरूम में आ गई , सॉरी
: क्या खुजली ? कबसे हो रही है
: हफ्ते भर से , आप बाहर जाएंगे मुझे कपड़े पहनने है
: हा हा तुंरत , नहीं तो सर्दी लग जायेगी ।
वो थोड़ा साइड हुए और मैं गिले पैरो से भागती हुई कमरे में आई और वो पीछे से मेरे नंगे चूतड़ों को थिरकता देख रहे थे , उनके पेंट में दबाव बढ़ रहा था । मैने कमरे में इधर उधर तौलिया खोजने लगी , वैसे ही ही अधनंगी , आलमारी खोली तो मिली और जल्दी जल्दी भैया के सामने ही अपनी गाड़ और चूत पोछने लगी
मै पैंटी डालने वाली थी कि भैया ने मुझे रोक : रुक एक मिनट सरोज
मै असहज हो रही थी लेकिन भैया पूरे बेफिक्र और बेशर्म। वो चल मेरे पास आए
: हाथ हटा, देखूं लाली तो नहीं है ?
: पता नहीं भैया लेकिन अभी आराम है
: अच्छा ठीक है तू वसु की कोई आराम दायक नाइटी पहन ले , मै दवा दे दूंगा वो लगा लेना
: जी भैया
और फिर वो बाथरूम में चले गए ।
फिर हमारी मुलाकात वही सीढ़ियों पर हुई और सबके सोने के बाद वो मेरे कमरे में आए थे । एक जेली की डिबिया लेकर
: फिर ( राज ने पूछा )
: फिर ? ( सरोजा मुस्कुराई )
मै कमरे में सोई हुई तुम्हारे और भैया के खयाल में थी और सच में कल खुजली हो रही थी क्योंकि तबसे मेरी चूत गीली ही थी लगातार
भइया कमरे में आए और दरवाजा भिड़का दिया ।
: कैसी हो सरोज
: अच्छी हूं भैया
: जलन कैसी है अब वहां
मै चुप रही और वो फिर से बोल पड़े
: मतलब ठीक नहीं हो
: हम्म्म
: पैंटी निकाल कर लेट जाओ
: क्या ? ( मै चौकी )
: जैसा कह रहा हूं करो
भइया ने थोड़ा सा हड़काया और मै डर गई । मैने धीरे से नाइटी में हाथ डाल में अपनी पैंटी निकाली और फर्श पर गिरा दी और बिस्तर पर लेट गई
मेरी धड़कने तेज थी कि भैया क्या करेंगे
: इसको ऊपर करके पैर खोलो
: लेकिन भैया
: जो कह रहा हूं करो
मैने बिना कुछ कहे अपनी नाइटी कमर तक खींच ली और जांघें खोल दी
मेरी बजबजाई बुर अब भैया के आगे थी
वो एकटक बस मेरी चूत निहार रहे थे
वो झुक कर मेरे जांघों के बीच आए फिर से मेरी चिपकी हुई चूत के फांके फैलाए और मै सिसक पड़ी , पहली बार उन्होंने मुझे छुआ था और मेरी सांस तेज होने लगी
: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई भैया
: दर्द हो रहा है
: उन्हूं , सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम कितना उफ्फफ सॉफ्ट है उम्मम
: अच्छा लग रहा है ( वो जेली को मेरे चूत के दाने और फांकों पर लगा रहे थे )
: हा भइया बहुत .... क्या है वो
: ये दवा है , कभी कभी तेरी भाभी को जरूरत होती है तो लगा देता हूं
: ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह भईया उम्मम सीईईईई कितना लगाओगे
: बस हो गया उम्ममाह ( और वो मेरे चूत के थोड़ा सा ऊपर एक किस करके उठ गए )
: ये क्या किया आपने ( मै लेटी हुई ही मुस्कुराई और उन्हें देखा )
: दवा लगाया और क्या ?
: नहीं उसके बाद ( मै थोड़ा शर्मा रही थी )
: अच्छा वो ... हाहाहाहाहा वसु को लगाते हुए आदत हो गई थी इसीलिए । चल तू सो जा अब
: आप भी आजाओ न ( मै बहुत हिचक कर कहा और डर भी रही थी )
: अच्छा बस थोड़ा देर तुझे सुला दूं फिर चला जाऊंगा
मै खुश हो गई और मै उनसे लिपट गई बिस्तर में उन्होंने मुझे अपने सीने से लगा कर सुलाया
: थैंक्यू भइया
: अरे पागल ,
: कितना अच्छा लग रहा है ( हालांकि उनके मुंह से अभी भी शराब की बु आ रही थी लेकिन गजब का सुकून था )
: तू मेरी बात क्यों नहीं मानती
: अब क्या , सारी बात तो मानी हूं । जैसा कहा आपने वैसा की हूं
: मै शादी करने के लिए कह रहा हूं पागल
: भक्क मुझे शादी नहीं करनी , आप हो न ( मैने उनका मन टटोला )
: देखा फिर वही जिद , सरोज कुछ रिश्ते भाई बहन से बढ़ कर होते है । मै तेरी सारी जरूरतें नहीं पूरी कर सकता
: क्यों ( मैने सहज सवाल किया और वो असहज हो गए )
वो मुझे देख रहे थे और मेरी आँखें तो उन्हें कह रही थी भइया मै तो बस खुद को तुम्हे ही सौंपना चाहती हूं वो थोड़ा हिचकने लगे थे और उठने लगे
: मत जाओ न भइया
: मत रोक मुझे सरोज
: मै जानती हूं आप भी मुझे पसंद करते हो , प्लीज
: तू कितनी जिद्दी है
: आपसे प्यार करती हूं भइया ( मैने आगे बढ़ कर उसके लिप्स चूम लिए और अगले ही पल वो जोश में आकर मुझे चूमने लगे )
कमरे में मेरी सिसकियां उठने लगी और वो मुझे अपने आप में भरने लगे । मेरी मोटी मोटी चूचियां उनके सिने से दब गई और एकदम से जैसे उनके अंदर के हवस का ज्वालामुखी फूट पड़ा हो वो मुझे मसल रहे थे चूम रहे थे और फिर रुक गए
: क्या हुआ ( हांफते हुए मै बोली )
: तेरी जलन कम करने जा रहा हूं
वो सरक कर नीचे चले गए कम्बल में और मै मदहोश हो गई , भैया मेरी टांगों में आ कर अपने होठ मेरे चूत पर लगा कर चूमने लगे और फिर जीभ फिराई और होठों से मेरे बुर का सारा रस निचोड़ कर मुझे सुस्त कर दिया
फिर वो कब उठ कर चले गए पता नहीं चला, मै गहरी नींद में सो गई और अभी देख रही हूं तो तुम बदमाश कही के घुसे थे ।
राज मुस्कुराने लगा और अपना लंड निकाल कर कंबल में सरोज को घुमा दिया : अभी घुसा कहा हूं मेरी जान , अब घुसना है
: ओह्ह्ह्ह राज उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
: कितना रस छोड़ा है तुमने अपने भैया के नाम पर उफ्फ कितनी गीली हो गई है बुर तुम्हारी
: उम्मम राज अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
: सुबह सुबह गर्म गर्म लंड लेने का अपना ही मजा है मेरी रानी अह्ह्ह्ह कितनी रसीली चूत है तुम्हारी
राज ने पीछे से लंड उसकी बुर में डाल कर पेलने लगा और उसके मोटे चूतड़ों को फैलने लगा
कमरे में सिसकिया उठ रही थी और राज खूब कस कस कर पेल रहा था
: ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मम्मीइई उम्मन
: मम्मीई क्यों , भैया को बुलाओ न उम्ममम उनका लंड नहीं लेना हा बोल न मेरी जान मेरी रंडी सीईईई अह्ह्ह्ह कितनी मुलायम चूत है तेरी
: हा लेना है और यश मुझे चाहिए मेरे भैया का लंड ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम भइया अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
: तेरे भैया ऐसे ही तेरी चूत फाड़ेंगे , उनका मोटा लंड देखा है न
: हम्ममम बहुत मोटा है अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
: लोगी न अपनी बुर में उनका मोटा लंड
: हा ओह्ह्ह् नहीईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम भइया अह्ह्ह्ह्ह आ रही हूं ओह्ह्ह।
बिस्तर पर ही करवट लेटे हुए सरोजा झटके खाने लगी जिससे राज के लंड पर दुगना जोर पड़ने लगा और वो तेजी सरोजा की बुर में पेलने लग : हा मेरी जान मेरी रंडी झड़ जा भईया के लंड पर ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम उफ्फ फक्क्क् यूयू बिच ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी चूत है तेरी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
: यशस्श ओह फक्क मीईई ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
: ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
राज तेजी से उसकी बुर में झटके खा कर झड़ने लगा और हांफता हुआ उससे लिपट गया पीछे से ।
कुछ देर बाद दोनों शांत हुए और राज ने पीछे से उसके गर्दन को चूमने लगा और उसकी नंगी चूचियां दबाने लगा
सरोजा खिलखिलाई : धत्त अब छोड़ो भी
राज : बस जा ही रहा हूं
सरोजा : क्या ? अभी इतनी सुबह ?
राज : वही मतलब नाश्ते के बाद ही , आंटी ने अल्टीमेटम दिया हाहाहा
सरोजा : वैसे भाभी ने अच्छा ही किया , चलो मै भी रेडी होकर आती हूं
राज बिस्तर से निकल कर नीचे हाल में आया और नाश्ते के लिए सब बैठे थे ।
संजीव ठाकुर सोफे पर बैठे हुए कुछ चैटिंग कर रहे थे और राज को शरारत सूझी वो चुपके से संजीव के पीछे खड़ा हो गया और चैटिंग पढ़ने लगा
चैटिंग के साफ था कि किसी मिटिंग की प्लानिंग ही रही है ।
राज धीरे से उनके पास बैठ कर मुस्कुराता हुआ : ओहो अंकल , नई सेटिंग उम्मम
संजीव मुस्कुरा कर : अरे राजा तुम , नहीं यार कुछ महीने पुरानी है ।
राज : वैसे कब की प्लानिंग है
संजीव : मुझे मेरे बिजनेस के लिए आज शाम को निकलना है तो उसी के लिए कंपनी खोज रहा था , लेकिन ये साली नखरे कर रही है
राज : क्या कह रही है मैडम
संजीव : बोल रही है , 3 4 दिन की ट्रिप मैनेज नहीं हो पाएगी । कालेज ओपन है अभी
राज : ओहो, कॉलेज स्टूडेंट कुछ ज्यादा कम एज की नहीं खोज ली
संजीव : अरे पढ़ती नहीं पढ़ाती है , और उम्र का क्या है बेटा । जब वो ऊपर चढ़ जाए तो अच्छी अच्छी अनुभवी औरते फेल है । सीईईई इसीलिए तो मै जुगाड़ में लगा हूं
राज : ओह्ह्ह्ह फिर तो सही है लगे रहो हाहाहाहाहा
संजीव : वैसे तुम भी चलना चाहोगे मेरे साथ
राज ऑफर सुनकर मुस्कुराया : अब ललचाओ मत अंकल , पापा है नहीं , नहीं तो आता जरूर
संजीव : दो हफ्ते बाद मुझे मुंबई जाना है , तब तक फ्री ही जाओगे ?
राज कुछ सोचता हुआ : पापा से बात करना पड़ेगा लेकिन कोशिश करूंगा
संजीव : ठीक है फिर , मुंबई फाइनल करते है । ऐसी सर्द मौसम में वहां की गर्मी पसंद आएगी तुम्हे
राज मुस्कुरा कर : ओहो ऐसा क्या ?
संजीव ने आंख मारी और सामने से वसु मुस्कुरती हुई नाश्ते की प्लेट दोनों के लिए लेकर आती हुई दिखी
वसु : कबसे देख रही हूं आप लोग उठ कर डायनिंग टेबल पर आ नहीं रहे
राज : बस आने ही वाले थे
संजीव : हा जानू , बस हम आ ही रहे थे
वसु शर्माने लगी जानू सुनकर : धत्त आप भी , थोड़ी तो शर्म करिए बच्चे के सामने
संजीव : ओहो राज की वजह से , अरे ये तो मेरा पक्का दोस्त हो गया है क्यों
राज मुस्कुराने लगा
संजीव धीमे से : इसे मेरा छोटा भाई समझो और तुम भी चाह रही थी न कि तुम्हारा कोई देवर हो । लो अब से मिल गया हाहाहाहाहा
वसु मुस्कुरा कर : वैसे बड़ा हैंडसम देवर है और शरारती भी
राज दोनों की बातों से लजाने लगा था
संजीव : भाई अब देवर शरारत नहीं करेगा तो कौन करेगा हाहाहाहाहा
राज मुस्कुराने लगा : क्या अंकल आप भी।
जारी रहेगी
Very short but good updateअध्याय : 02
UPDATE 018
THE EROTIC SUNDAY 02
प्रतापपुर
: मीठी उठ जा न बेटू
: नहीं ( गीता ने गुस्से में अपना कम्बल कस लिया )
सुनीता थोड़ी शांत हो गई , उसके मन वो बातें उठ रही थी जब उसे पता चला कि गीता को उसके और रंगी के बारे में पता है । लेकिन उसको इस बात की खुशी थी कि गीता ने वादा किया था कि वो इस बारे में किसी से नहीं कहेंगी ।
सुनीता मुस्कुरा कर उसके पास बैठ गई और उसके बाल उसके चेहरे से हटाती हुई : अभी भी गुस्सा रहेगी उम्मम , तेरे लिए आलू वाले पराठे बनाने जा रही हूं , खाएगी न मेरा बेटू उम्मम , मेरा बच्चा उठ जा
: नहीं मम्मी जाओ आप , गंदे हो आप , हा नहीं तो ( उसने सुनीता का हाथ झटक दिया )
कुछ सोचने के बाद सुनीता ने एक गहरी सांस ली और बोली : तू जानना नहीं चाहेगी कि मैने ऐसा क्यों किया ?
गीता अब शांत ही गई और चादर से बाहर झांका तो उसने अपनी मां को उदास पाया , डबडबाई आंखों से फर्श निहारती हुई
वो उठ कर बैठ गई बिस्तर में और सुनीता ने उसकी ओर देखा , आंसू बस छलकने को थे
: सॉरी ( गीता ने उदास होकर अपनी मां के मुरझाए चेहरे को देख कर बोली )
सुनीता मुस्कुरा कर उसके पास गई और इसके चबी चिक्स को सहलाते हुए उसके दूसरे गाल को चूम लिया : मेरा बेटू , हग कर ले मुझे
गीता फफक कर अपनी मां की ओर बढ़ गई और घुटने के बल खड़ी होकर उनसे लिपट गई । दोनों के गुदाज मुलायम चूचे आपस में सट गए । दोनों ये महसूस कर पा रहे थे ।
कुछ देर ऐसे रहने के बाद
: मम्मी
: हम्मम
: आपके दूधु बहुत सॉफ्ट है
: धत्त शैतान लड़की , और तेरे देखूं तो ( सुनीता ने नीचे से हाथ ले जाकर उसकी कड़क नारियल सी चूचियों पर हाथ रखते हुए उन्हें टटोला )
: हिहीहीही क्या करती हो मम्मी छोड़ो न गुदगुदी लग रही है हाहाहाहा ( फिर वो भी अपने हाथ अपनी मां के चूचे पर ब्लाउज के ऊपर से रखते हुए ) मै भी पकड़ लूंगी हा नहीं तो
सुनीता खिलखिलाई : पागल , चल जा देख तेरे दादू नहा लिए है तो बता उनको चाय दे दूं
: बाद में बताओगे न सब कुछ ( उंगली दिखाते हुए उसने अपनी मां से सवाल किया )
: हा मेरी मां बताऊंगी सब ( सुनीता हसने लगी )
गीता फिर खुश होकर अपने दादू के पास चली गई , उसने देखा बनवारी और रंगी दोनों साथ में बैठे हुए खूब हस रहे थे और गीता ने वापस अपनी मां को बताया कि दोनों नहा कर बैठे है दादू के कमरे में
कुछ देर में ही सुनीता चाय नाश्ता लेकर उनके पास पहुंची और चाय की प्याली देखते ही बनवारी थोड़ा हैरान हुआ
बनवारी : अरे बहु , बिना दूध के चाय ?
सुनीता थोड़ी असहज होकर : जी बाउजी आज फिर भैंस छटक गई
रंगी थोड़ा अनुमान लगा कर मैटर समझने की कोशिश कर रहा था ।
बनवारी : क्या बताए इसको ,, अच्छा ठीक है बहु तू घर के काम देख मै बैजू को देखता हूं शहर से आया है कि नहीं
फिर वो बैजू को फोन मिला कर कुछ तय करता है और नाश्ता कर अपने नौकरों को भैंस को बैजू के यहां लेकर चलने को कहता है ।
बनवारी रंगी को ऑफर करता है चलने को तो वो मान जाता है , आखिर उसे कुछ काम था भी नहीं ।
बैजू : आओ आओ सेठ जी, अरे कमला चाय लाओ
कमला का नाम सुनते ही रंगी ने बनवारी की ओर देखा तो बनवारी ने उसको आंख मारी
बैजू : सेठ जी जरा आप नाश्ता करो , थोड़ा मै ..
बैजू का इशारा अपने काम पर था
कुछ ही देर में कमला चाय लेकर आई और मुस्कुराती हुई दोनो के आगे एक टेबल कर रख दिया
बनवारी : कहो कमला , अरे तबियत कैसी है तुम्हारी । भाई आज दुपहर गोदाम पर चली जाना काम बहुत है
कमला ने आंखे महीन कर बनवारी को घूरा और हुंकारी भर कर बैजू के रहने की वजह से निकल गई ।
रंगी बनवारी आपस में मुस्कुराने लगे
बनवारी चाय की चुस्की लेता हुआ : अह्ह्ह्ह जमाई बाबू , किस्मत हो तो बैजू के भैंसे जैसी
रंगी हस कर : क्यों बाउजी
बनवारी मुस्कुरा कर : हर सीजन में आसपास गांव की 50 भैंसियों पर चढ़ता है , अब मेरे ही घर की 2 पीढ़ी की भैंसीओ की गहराई नापी है इसने
रंगी अचरज से देखता हुआ : क्या सच में ?
बनवारी : और क्या .. अरे तीन साल पहले तक भूरी की माई आती थी और अब भूरी आती है । क्या माई क्या बिटिया ... देखा जाए तो अपनी बेटी पर चढ़ रहा है ससुरा हाहाहाहाहा
रंगी : मतलब
बनवारी थोड़ा रंगी के पास आता हुआ : अरे 8 साल पहले ये हमारे घर ही पैदा हुआ था , बैजू इसे उठा लाया तीसरे साल लगते लगते अपनी मां पर चढ़ गया और फिर अब 3 साल से अपनी ही जनी बेटी को
बनवारी की बाते सुनकर रंगी का लंड अकड़ गया : सच कहा बाउजी , किस्मत इसकी तेज है वरना कौन से बाप को उसकी बेटी मिल पाती है हाहाहाहाहा
बनवारी रंगी की बात पर मुस्कुराने लगा और धीरे से रंगी के कान में बोला : वैसे मै एक आदमी को जानता हूं जिसकी उसकी ही बेटी से रिश्ता है
रंगी ने आंखे बड़ी कर अपने ससुर को देखा : क्या सच में ?
बनवारी : हा, और रहता भी गांव में ही है
रंगी जिज्ञासु होकर : कौन ?
बनवारी : अरे वो नहर वाले रोड पर दो घर है न ? उसमें एक घर एक धोबन का है । सुना था कि ब्याह के बाद ही उन दोनों का रिश्ता हुआ है
रंगी : कैसे ?
बनवारी मुस्कुराया और धीरे से रंगी की ओर झुक कर : लछुआ धोबी की औरत की तबियत बिगड़ी थी और शादियों का सीजन था उन्हीं दिनों उसकी बेटी आई थी । मदद के लिए, पानी में भीगे मटके जैसे चूतड़ों को देख कर मन मचल गया लछुआ का और फुसला लिया उसने
रंगी : क्या सच में , उम्र क्या होगी उसके बेटी की
बनवारी : अरे 40 पार है और बड़ी गदराई मोटी औरत है एक दो बार मैने उसे नहर के पास देखा है पानी में । साड़ी जब उसके चूतड़ों में चिपक जाती है तो सीईईई
रंगी मुस्कुराकर : ओहो बाउजी अब कंट्रोल करिए
बनवारी फिर मुस्कुरा कर खुद को संभालने लगा
रंगी : वैसे सच कहूं तो उसमें लछुआ का दोष नहीं है , ऐसी गाड़ हो तो कौन रिश्ते नाते देख पाएगा और कब तक
बनवारी : सच कहा जमाई बाबू , हवस के अंधे को रिश्ते की डोर नहीं दिखती
आओ चलते है
फिर दोनों उठ कर घर की ओर चल दिए
रंगी के जहन में कुछ सवाल आ रहे थे लेकिन वो हिम्मत नहीं कर पा रहा था और अपने जमाई को चुप देख कर बनवारी बोल पड़ा: किस सोच में पड़ गए जमाई बाबू
रंगी मुस्कुरा कर : अह कुछ नहीं बाउजी , बस वो लछुआ के बारे में सोच रहा हूं
बनवारी हंसता हुआ : अब इतना मत सोचिए जमाई बाबू ,
रंगी : आपको कुछ गलत नहीं लगता बाउजी इसमें
बनवारी मुस्कुरा कर : अरे जब दोनों की सहमति है तो गलत कैसा ? क्या कहना चाहते है साफ साफ कहिए अब हमसे भी छुपाएंगे उम्मम हाहाहाहाहा
रंगी थोड़ा लजाया और मुस्कुराने लगा : नहीं बाउजी ऐसी कोई बात नहीं वो बस लछुआ के बारे में सोच कुछ बाते उठ रही है
बनवारी : जैसे कि
रंगी : अगर आप बुरा न माने तो कहूं
बनवारी : कर दिया न पराया, अब दोस्ती के यही सब सोच के रहेंगे तो हो गई दोस्ती
रंगी हसने लगा : नहीं ऐसी बात नहीं है, बात थोड़ी असहज होने वाली है । पता नहीं आपको कैसा लगेगा
बनवारी : अरे अब कहोगे भी
रंगी : दरअसल बाउजी , ये सब सोनल की शादी के बाद से शुरू हुआ मेरे साथ,
बनवारी : क्या हुआ ?
रंगी : शादी के बाद विदाई से पहले सोनल की सहेलियां और उसकी भाभियों उसकी खूब खिंचाई कर रही थी और मैने उनकी बातें सुन ली थी
बनवारी : क्या सुना
रंगी : वो लोग सोनल को उसके सुहागरात के लिए चिढ़ा रही थी और गंदी गंदी बातें कर रही थी तो मेरे मन में भी ये बात आई कि अब मेरी बेटी की अपने पति से वो सब करेगी
बनवारी : हा तो , ये सब सहज बात है जमाई बाबू इसमें परेशान क्या होना ?
रंगी : क्यों आपके मन में रज्जो जीजी या रागिनी की विदाई के बाद ये बाते नहीं आई थी ।
बनवारी थोड़ा असहज हुआ : हा मतलब आई थी लेकिन इनसब का क्या मतलब , और यही समाज की रीत है इसी से दुनिया आगे बढ़नी है । लेकिन मुझे लग रहा है कि आपकी दिक्कत कुछ और है और आप उसे छिपा रहे है ।
रंगी : जी बाउजी , लेकिन समझ नहीं आ रहा है कि कैसे कहूं आपसे
बनवारी : देखो जमाई बाबू , अगर समाधान चाहते हो तो समस्या साझा करनी ही पड़ेगी , आप कहिए तो मेरे स्तर का कुछ रहेगा तो बिल्कुल सलाह दूंगा ।
रंगी थोड़ा हिचक कर : दरअसल उस रोज सोनल की सहेलियों और उसके भाभियों की बाते मेरे दिमाग में इस कदर बैठ गई कि मुझे कुछ कुछ सपने आने लगे , दिन में भी अजीब अजीब सी झलकियां दिखने लगती है अब तो । जिसमें सोनल और दामाद बाबू एक दूसरे से संभोग कर रहे है और
बनवारी : और क्या ?
रंगी : और वो अब ख्यालों से मुझे नीचे दिक्कत महसूस होने लगी । कभी कभी तो दिल किया कि काश एक बार उन दोनों को ये सब करते देखूं। आखिर कैसे करती होगी सोनल । मैने कभी भी उसके बारे में ऐसा नहीं सोचा कि किसी रोज उसकी शादी करके विदा करूंगा और फिर ये सब वो भी करेगी कि वो भी एक औरत है ।
बनवारी : इसे मोह कहते है जमाई बाबू हाहाहाहाहा, वैसे इसमें कुछ भी बुरा नहीं है मेरी समझ से और मुझे देखो मैने तो रज्जो और कमल बाबू का तो खुल्लम खुल्ला खेल देख कर सब कुछ निपटा भी दिया था ।
अब तक दोनों वापस घर में अपने कमरे में आ गए थे
रंगी : एक बात पूछूं बाउजी
बनवारी मुस्कुरा कर : हा कहिए न
रंगी : आपको थोड़ी जलन नहीं होती कमल भइया से
बनवारी : क्यों ?
रंगी हिचक कर : रज्जो जीजी पर पहला हक आपका होना चाहिए था
बनवारी मुस्कुरा कर : बहुत गहरी बात कर रहे हो जमाई बाबू , समझ रहा हूं मै आपके दिल के अरमान हाहाहाहाहा
रंगी थोड़ा लजाया और चुप रहा
बनवारी : वैसे आपकी बात सही है , जलन तो हुई ही थी जब मै पूरी रात खड़े होकर रज्जो और कमल बाबू का खेल देखा था । जोश में मै तो भूल गया था कि सामने मेरी बेटी है। सच बताऊं तो उस वक्त मन में यही ख्याल आ रहे थे मेरे घर की औरत के मजे कोई और ले रहा है जिस पर मेरा हक होना चाहिए था
रंगी : बस बाउजी , यही भावना मुझे तंग करती है सोनल को लेकर
बनवारी : समझ सकता हूं जमाई बाबू , मै भी एक लड़की का बाप हूं ।
रंगी : फिर आप कंट्रोल कैसे करते है
बनवारी : ईमानदारी बताऊं तो नहीं करता कंट्रोल मै
रंगी : क्या ?
बनवारी : हा सच कह रहा हूं , मै तो रज्जो को सोच कर झाड़ लेता हूं और आराम हो जाता है
रंगी : क्या सच में , कैसे ?
बनवारी : तरीका आसान है लेकिन करना तो आपको ही पड़ेगा
रंगी हसने लगा : ठीक है बताईए
बनवारी : उन्हूं ऐसे नहीं , पहले दरवाजा बंद करके और बत्ती बुझा कर बिस्तर में आइए
रंगी उठ कर कमरे का दरवाजा बंद कर बत्ती बंद कर बिस्तर में आ गया ।
रंगी : हम्म्म अब बताइए
बनवारी मुस्कुरा कर : अब आंखे बंद कीजिए और सोनल के बारे में सोचिए कि आपको उसमें क्या अच्छा लगता है , जैसे मुझे रज्जो के बड़े बड़े चौड़े चूतड़ों को देखना पसंद है , क्या आपने देखे है सोनल बिटिया के चूतड़ कभी
रंगी का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा : जबसे बड़ी हुई तबसे नहीं, वो बड़ी संस्कारी लड़की है बाउजी घर सबसे पहले नहा धो लेती थीं और कपड़े भी बहुत लिहाज से पहनती थी लेकिन शादी की शॉपिंग में मुझे उसके ब्रा पैंटी का साइज पता चला था 34C की बड़ा और 36 की पैंटी । उसके गोरे बदन को देखता हूं तो लगता है कि उसके नंगे चूतड़ कितने गोरे और मुलायम होंगे
रंगी की कामुक कल्पनाओं को सुनकर बनवारी का लंड अकड़ गया था और वो सिहर उठा: सीईईई हा जमाई बाबू ऐसे ही , अब सोचिए अगर आपको सोनल को अपने मन पसंद कि ब्रा पैंटी पहनानी हो तो कौन से रंग की पहनाएंगे
रंगी बनवारी की बात सुनकर अपना लंड पकड़ लिया: ओह्ह्ह्ह बाउजी, जबसे सोनल हनीमून पर गई है तबसे मेरे दिल उसे बिकनी सेट में देखने की तमन्ना है , डोरी वाली ब्रा पैंटी आती है एक उफ्फफ सोचता हूं मेरी बेटी समन्दर किनारे फिल्मी हीरोइन के जैसे अदाएं दिखा कर अपने गोरे चूतड़ों को मटका कर रेत में चलते हुए कैसे लगेगी
बनवारी : वाह जमाई बाबू क्या मत सीन होगा , वहां रज्जो को भी ले जाऊंगा मै और डोरी वाली पैंटी तो उसके बड़े चौड़े चूतड़ों के दरारों के घुस जाएगी अह्ह्ह्ह क्या मत नजारा होगा जब वो पानी में नहा कर बाहर निकलेगी अपनी गीली ब्रा में चूचे हिलाते है उसके मोटे मोटे चूचे पूरे साफ साफ झलक रहे होंगे
रंगी सिहर कर : हा बाउजी, मै तो अपनी बिटिया के नंगे चूतड़ों पर सन स्क्रीन लगाऊंगा ताकि वो लाल न पड़ जाए ओह्ह्ह्ह बाउजी कितना मजा आ रहा है ये सब सोच कर
बनवारी : मै तो रज्जो से वही रेत पर लेट कर अपना लंड चुसवाऊंगा ओह्ह्ह्ह मेरी रज्जो क्या मस्त लंड चुस्ती है वो ओह्ह्ह्ह
रंगी : अह्ह्ह्ह बाउजी मै तो सोनल बिटिया के चूतड़ों को फैला कर खूब चाटूंगा , उसकी गुलाबी गाड़ को उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
बनवारी : में तो रज्जो से कहूंगा अह्ह्ह्ह कि वो मेरे मुंह पर बैठ जाए अह्ह्ह्ह सीईईईईई मैने देखा था उस रात रज्जो कमल बाबू के मुंह पर बैठ कर अपनी चूत और गाड़ उनके चेहरे पर रगड़ रही थी , उसे कितना मजा आ रहा था
रंगी अपना लंड हिलाते हुए : फिर तो इस मामले में दोनों बहने एक जैसी है अह्ह्ह्ह
बनवारी एकदम से अकड़ गया: तो क्या छुटकी भी
रंगी : हा बाउजी , रागिनी को मेरे मुंह पर बैठ कर मेरा लंड चूसना बहुत पसंद है , आप न रागिनी को भी अपने मुंह पर बिठाना
बनवारी का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था और बनवारी उसे कस कर भींच रखा था : क्या ? रागिनी बिटिया को भी सीईईई सच में जमाई बाबू
रंगी की कल्पनाएं अब सोनल से डायवर्ट हो गई और वो बनवारी को लपेटने लगा और उसे गजब का नशा हो रहा था : क्यों बाउजी , रागिनी भी तो आपकी बेटी है , उसको प्यार नहीं देंगे ।
बनवारी : ओह्ह्ह जमाई बाबू ,
रंगी : बाउजी , आपकी छोटी बेटी भी बहुत चुदक्कड़ है रोज बिना लंड लिए सोती नहीं है और बुर चटवाने में उसे बड़ा सुख मिलता है
बनवारी : उम्ममम क्या सच में जमाई बाबू , रागिनी को इतना पसंद है ये सब
रंगी : एक बार उसको अपने मुंह पर बैठने को कहिए तो , अपने दीदी के साथ मिलकर आपको खुश कर देगी
बनवारी एकदम चरम पर आ गया था : कैसे जमाई बाबू
रंगी : रागिनी आपके मुंह पर बैठेगी और रज्जो जीजी आपके लंड पर
रंगी के दिखाई कामुक कल्पनाओं से बनवारी के सबर का फब्बारा फूट पड़ा और वो सिसक कर झड़ने लगा : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह जमाई बाबू अह्ह्ह्ह मजा आ गया है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह क्या मस्त सीन दिखा दिया आपने ओह्ह्ह्ह
बनवारी झड़ कर अपने गमछे से लंड साफ करने लगा और रंगी अपना लंड मसलने लगा : मजा आया न बाउजी
बनवारी : अरे लेकिन आपका तो अधूरा रह गया न
रंगी मुस्कुरा कर : आप आराम करिए मै बाथरूम में जा रहा हूं ...
बनवारी समझ गया और बिस्तर पर लेट गया रंगी उठ कर बाथरूम की ओर चला गया।
वही दूसरी तरफ आज गीता अपनी मां सुनीता के पास बैठी थी रसोई में सब्जियां कटवा रही थी, सुनीता भी थोड़ी लजा और मुस्कुरा रही थी ।
: तेरे पापा ने कहा था
: क्या ? नहीं!!! वो क्यों कहेंगे
: क्यों तुझे तेरे पापा की आदतें नहीं पता , खुद तो बिगड़े थे और मुझे भी बिगाड़ दिया
: मतलब ( गीता जिज्ञासु होकर बोली )
इस सुनीता मुस्कुराने लगी तो गीता जिद करने लगी : बताओ न मम्मी
: तू इतनी जासूसी करती फिरती है तो तुझे तेरे पापा पर गुस्सा नहीं आया उम्मम , वो बाहर कितना मुंह मारते है । मैने तो घर में छिप कर रिश्ता बनाया था न
गीता : हा लेकिन पता नहीं क्यों, फूफा के साथ आपको देखना अजीब लगा था , दादू के साथ आपकी जोड़ी अच्छी लगती है हीहीहीहीही
सुनीता एकदम से चौक कर उसे देखा और वो खिलखिला रही थी
सुनीता : तुझे कैसे ?
गीता : जासूस हूं न , भक्क सच बताओ न पहले जो पूछ रही हूं
सुनीता : बताया तो कि तेरे पापा ने ही मुझे बिगाड़ा है
गीता : कैसे ?
सुनीता इस पर फिर मुस्कुराने लगी उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे समझाए अपनी बेटी को
गीता रिरिकने लगी : बताओ न प्लीज
सुनीता : तेरे पापा को वो सब करने का ज्यादा मन होता है और शादी के शुरुआत में उन्होंने कई साल तक रोज मेरे साथ सोते थे । फिर जब तुम दोनों पेट में आई तो उनका जुगाड़ घर से बंद हो गया और वो बाहर जाने लगे । फिर जब तुम दोनों पैदा हुई तो धीरे धीरे फिर हमने शुरू किया , साल बीतते गए लेकिन उनकी बाहर जाने वाली आदत नहीं छुटी। नए नए औरतों के साथ सोने के लिए वो मुझे छोड़ जाते अकेला , फिर मेरी भी जरूरत थी तो...
गीता : हा लेकिन दादू जब थे तो छोटे फूफा से क्यों ?
सुनीता : तुझे नहीं पता जैसे कि तेरे दादा जी की तबियत बिगड़ जाती है और फिर तेरे फूफा आए है कुछ दिनों के लिए तो सोचा तेरे दादा जी को आराम मिल जाएगा तब तक हाहाहाहाहा
गीता हसने लगी : मम्मी तुम कितनी हरामन हो
सुनीता आंखे बड़ी कर : क्या बोली तू गाली दे रही है
गीता : फूफा भी तो देर रहे थे
सुनीता शर्मा कर मुस्कुराने लगी : मार खाएगी अब , मैने मना भी किया था तब उनको
गीता : वैसे पापा भी देते हैं लेकिन तब आप उन्हें नहीं रोकती
सुनीता : अब सारे हक सबको नहीं न दे दूंगी पागल, चल ये सब्जी धूल दे अच्छे से
चमनपुरा
: देख तू अब ये अपनी आदत सुधार भाई , वरना किसी रोज तू नप जायेगा
: अबे छोड़ न , तू ये जलेबी खा ( चंदू ने कल्लू की दुकान पर बैठे हुए राज को ऑफर किया )
: तू ये बता , कितना चाहता है तू उसे
: अपनी जान से ज्यादा भाई
: और वो ? ( राज ने आंखे ततेर कर कहा )
: अबे वो प्यार नहीं करती तो क्या वो सब करती
: भोसड़ी के लैला मजनू के ख्याली दुनिया से निकल , चुदवाती तो तेरी दीदी भी है तुझसे तो क्या शादी करेगा अब उससे
चंदू ने मुंह बना कर देखा
राज : समझदारी की बत्ती बना कर कान साफ करके सुन , हो सकता है कि अगले हफ्ते तक ठकुराइन मालती को कही भेज दें , एग्जाम आने तक
चंदू की आंखे एकदम बड़ी हो गई , गुस्सा और भड़ास साफ झलकने लगे , राज को समझते देर नहीं लगी कि लौंडा सीरियस हो गया ।
राज : शांत हो बे, मैने क्या बोला हो सकता है
चंदू थोड़ा हल्का होकर : देख ऐसा हुआ तो उस ठकुराइन की गाड़ मार लूंगा मै
राज : अबे थोड़ा ठंडे दिमाग से सुन , जहां तक मैने उस घर को देखा समझा है तो वो घर के लोग आपस में चीजे बहुत देर तक छिपा नहीं पाते ।
मालती को पता है कि उसकी मां और उसके दादा जी का अफेयर । ये तुझे पता था
चंदू एकदम सही शॉक्ड होकर : नहीं उसने नहीं बताया ऐसा कुछ
राज : फिर लौड़े की मुहब्बत है तेरी , और सुन बहुत ज्यादा गुंजाइश है कि जिस तरह का संजीव अंकल का व्यवहार है बाहर मौज मस्ती करने का मुझे नहीं लगता कि अगर आगे जाकर उन्हें इस बारे में भनक होती है कि उनका बाप ही उनकी बीवी चोदता है तो उन्हें बहुत दिक्कत आएगी । लेकिन
चंदू बड़े गौर से सुन रहा था
राज : लेकिन अगर उन्हें तेरी भनक हुई तो , देख जात से वो बड़े घर के है , इतिहास रहा है इन लोगों का बाकी तू समझदार है
चंदू का चेहरा फीका पड़ने लगा लेकिन न जाने क्या उसको अंदर से ताकत दे रहा था : कुछ भी हो भाई , लेकिन मालती मेरी मुहब्बत है उसके प्यार के लिए मर जाना भी मुनासिब होगा
राज एकदम से चिड़चिड़ा गया : अबे हट बहनचोद , तुझे समझाना बेकार है और सुन वो इसी हफ्ते जा रही है अपने मामा के घर
ये बोलकर राज भन्नाता हुआ उठ कर निकल दिया चौराहे वाले घर के लिए
इन सब अलग अनुज की पढ़ाई आज लंबी खींच गई थी ,जैसे आज उसका लंड कुछ ज्यादा बड़ा महसूस हो रहा था उसे
बाथरूम के गेट पर हल्के से गैप से अनुज अंदर देख रहा था ,
अंदर रागिनी पूरी नंगी होकर बाल्टी से पानी अपने देह पर गिरा रही थी और अनुज उसके पीछे से उसके फैले हुए गोल मटोल चूतड़ों के दरारों से पानी रिस कर फर्श पर जाता टपटकता रहा था
" अनुज , बेटा तौलिया दे दे "
तौलिया तो अनुज के हाथ में हाथ था और उसकी मां उसे नहाते हुए आवाज दे रहे थी ।
क्या उसे अंदर चले जाना चाहिए
क्या उसे अंदर चले जाना चाहिए था
ओह्ह्ह्ह सीईईई काश वो अपना खड़ा लंड बाहर निकाल कर उसे वक्त अंदर चला गया होता , वो दिखाता अपनी मां को देखो तुम्हारा बेटा कितना बड़ा हो गया है ।
ओह्ह्ह्ह मम्मी तुम कितनी सेक्सी हो ओह्ह्ह्ह उम्ममम तुम्हारा बदन कितना मुलायम है , अपनी कल्पनाओं में खोया हुआ कम्बल में अपना लंड का सुपाड़ा मिजता हुआ अनुज कनखियो से अपनी मां को कमरे में देखा था ।
सामने से थोड़ा दाएं तरफ उसकी मां रागिनी ब्लाउज पेटीकोट में थी और अपनी जांघो को बेड पर रखे थे अपने पैरों को मॉश्चराइज कर रही थी , उनके हाथ उसकी जांघों को रगड़ कर अच्छे से मालिश दे रहे थे और उसके पेटीकोट ऊपर तक चढ़ा हुआ था ।
जैसे अनुज की नजर उसकी मां के गदराये जांघ पर गई तो उसके भीतर की बेचैनी और बढ़ने लगी । उसके मा की जांघें अंदर से और भी दूधिया गोरी और मुलायम थी । वो मॉश्चराइजर की महक उसकी मां के देह की गंध से मिल कर और भी मादक गंध छोड़ रही थी ।
: क्या खायेगा नाश्ते में उम्मम
: कुछ भी बना दो मम्मी ( अनुज ने अपनी मां का मुस्कुराता चेहरा देखकर बोला )
: ठीक है मटर आलू की सुखी सब्जी और पराठे
नाम सुनते ही अनुज की जीभ पानी छोड़ने लगी
: और चाय ? ( ललचाई जुबान से वो बोला )
: हा हा चाय भी , तू उठ और नहा ले मै बना देती हूं
फिर धीरे से अपना लंड लोवर में सेट कर उठा और अपने कमरे में चला गया और फिर नहाने के लिए ऊपर वाले बाथरूम में चला गया
ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू मम्मीइ ओह्ह्ह्ह कितनी सेक्सी हो आप अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह , आपके मोटे मोटे चूतड़ उम्मम कितने मुलायम है ओह्ह्ह्ह काश मैं अपनी गाड़ के नीचे होता और मेरे मुंह पर बैठ कर नहाती उम्ममम कितना मजा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम मै नीचे से अपनी चूत और गाड़ को चाट लेता उम्मम ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मम्मीइई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह लेलो ओह्ह्ह लेलो ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह अब मौका मिला तो आपकी गाड़ पर झडूंगा ओह्ह्ह भले ही मार पड़ेगी तो ओह्ह्ह्ह खा लूंगा ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
एक के बाद एक मोटी गाढ़ी पिचकारियां अनुज ने बाथरूम की दिवालो पर छोड़ी और फिर नहा कर नीचे आया ।
झड़ने के बाद उसका दिमाग शांत हो गया था वासना का खुमार कुछ पल के लिए ही सही उतर गया था लेकिन जब आपको ये पता हो कि पूरे घर में आप अपनी पसंदीदा औरत के साथ हो और आप जैसे चाहो उसे चुपके घूर सकते हो उसके पीछे से उसके मोटे चूतड़ों को देख कर अपना लंड मसल सकते हो और आपको कोई देखने रोकने वाला नहीं है तो ये मजा भला कौन छोड़ेगा ।
अनुज ने देखा उसकी मां साड़ी पहन कर तैयार थी और खाना बना रही थी
वो पानी पीने गया और फिर उसकी मां ने उसके लिए नाश्ता लगा दिया
: हम्ममम ले खा ले ( रागिनी ने खाने की प्लेट उसके आगे की )
उफ्फ बिना ब्रा के ब्लाउज में ठूंसे हुए उसके मुलायम दूध और पल्लू के बगल से झांकते उसके दूधिया दरार , उभरे हुए कूल्हे और नर्म गुदाज चर्बीदार नाभि जो उसके पल्लू से झांक रही थी ।
अनुज को सेकंड नहीं लगा और उसका लंड फड़क उठा उसके पेंट में
: आप भी खाओ न
: अरे अभी मैं बना रही हूं न बेटा
: ठीक है तो कई खिला देता हूं
ये बोलके अनुज वही अपनी मां के पास खड़े होके निवाले बना कर अपनी मां को खिलाने लगा
: उम्मम तू भी तो खा ( चबाते हुए वो बोली )
अनुज मुस्कुरा कर खुद भी खाने लगा
: वाव थैंक्यू मम्मी , कितना टेस्टी है
ये बोलकर अनुज ने वापस निवाला बना कर खिलाने लगा ये वाला निवाला बड़ा था
: उम्मम इतना बड़ा ( रागिनी अच्छे से बोल भी नहीं पाई और चबा कर खाने लगी
अनुज हस कर खुद खाने लगा और वो अपनी मां के लिए आलू और मटर के दाने जिनपर पर मसाले लगे हुए थे अच्छे से निवाला बना कर खिला रहा था और ऊपर से भी निवाले पर मटर की टॉपिंग करने खिलाता , जिससे रागिनी और खुश हो रही थी ।
अगला निवाला
: मम्मी लो
रागिनी ने पराठा सेकते हुए नजर उधर रखे हुए ही मुंह खोल दिया और अनुज ने उसे खिलाया लेकिन इस बार टॉपिंग से कुछ मटर के दाने बिखर गए क्योंकि रागिनी का ध्यान पराठे सेकने में था और एक दाना सीधा रागिनी की ब्लाउज से झांकती दरारें में आ गिरा
: ओह सॉरी गिरा गया वो ( अनुज ने अपनी मासूमियत जाहिर की )
दोनों मां बेटे से ये महसूस किया , और रागिनी ने मुस्कुरा कर हल्का ब्लाउज का सिरा पकड़ा के आगे झुक कर अपनी चूचियों को झटके देकर उसके दरार से मटर का दाना बाहर उछालना चाह रहे थी लेकिन जैसे ही उसकी चुस्त ब्लाउज़ में ठूंसी हुई छातियों को अतिरिक्त जगह मिली और वो आपसे से थोड़ा सा अलग हुई और वो मटर का दाना बाहर निकलने के बजाय अंदर चला गया
अनुज को हसी आई और रागिनी भी मुस्कुराई : हस क्या रहा है बदमाश , निकाल न
रागिनी : हा तो कौन , झूठा अन्न थोड़ी न छुउंगी मै
अनुज के कान खड़े हो गए , उसके बदन में अजीब सी बेचैनी होने लगी और उसने अपना हाथ धुला और सामने देखा तो उसकी मां ने अपने सीने से आंचल हटा दिया था
अनुज की नजरे उसकी मां के बड़े बड़े रसीले नर्म चूचों को देख कर ललचा रही थी वो थूक गटक कर अपनी गिले उंगलियों से ही अपनी मां के सामने से बड़ी तत्परता से उसकी छातियों के दरारों में उंगली डाली
जैसे जैसे अनुज की उंगलियां उसकी मां के चूचियों के दरार में उस मटर के दाने तक जाती , दरार चौड़ी होकर मटर के दाने को और नीचे गिरा देती
इधर रागिनी को थोड़ी गुदगुदी सी हो रही थी क्योंकि अनुज की उंगली उसकी चूचियों के दरारों में उस मटर के दाने को निकालने के बजाज अंदर उसे गोल गोल घुमा रही थी ।
तभी रागिनी को हंसी आई और उसने अनुज का हाथ पकड़ कर निकाल दिया और खुद उसके सामने अपने ब्लाउज खोलने लगी और तीन हुक खोलते ही उसे मटर मिल गया और उसको हंसी में उसको देती हुई : ले पकड़ , निकाल नहीं पा रहा था कबसे
अनुज आवाक होकर अपनी मां के फ्रैंक व्यव्हार को देख रहा था और देख रहा था उन रसीली छातियो को जो ब्लाउज खोलने से थोड़ी नंगी दिख रही थी
तभी दरवाजे पर बेल बजी
: जा देख भैया आया होगा
अनुज का ध्यान हटा और वो मटर का दाना मुंह में डाल कर निकलने वाला था कि रागिनी ने उसे टोका : ये पागल ये क्या किया
अनुज वो मटर चबाते हुए : खा गया
रागिनी : छीईई गंदा , जा दरवाजा खोल
अनुज चिल मूड में दरवाजा खोलने के लिए चला गया ।
सामने देखा तो राज है
: मेरे लिए क्या लाए
: मैने कब बोला कि कुछ लाऊंगा
: क्या क्या खाना ( अनुज उसके पीछे चलता हुआ बोला )
: समोसे , कचौरी , गुलाब जामुन , क्रीम रोल वाली मिठाई , काजू कटली , पनीर , मशरूम और हा कलौंजी भी थी , वो एक क्या था नया आइटम । उसमें पापड़ी कचालू और खट्टी मीठी चटनी डाल कर ऊपर से दही और सेव अनार सब पड़ा था ।
: पापड़ी चाट रही होगी ( अनुज मुंह उतार कर बोला )
रागिनी राज को देखते हुए हसने लगी क्योंकि वो जानती थी कि राज अनुज की खिंचाई कर रहा है उसे ललचा कर , खाने पीने को लेकर अनुज अभी भी बच्चा ही था ।
: तू बस कर करेगा , उसे ललचाना बंद कर और जा नहा ले और नाश्ता कर ले
राज अनुज को देख कर वापस उसे चिढ़ाते हुए : नहीं मम्मी , वो आंटी ने नाश्ता करा दिया था । ब्रेड पकोड़े बने थे
रागिनी हसने लगी अनुज को देख कर और अनुज का मन उदास हो गया ।
रागिनी टिफिन पैक करती हुई : ठीक है फिर तू आराम से नहा धो कर दुकान चले जाना , हम लोग भी दुकान जा रहे है ।
अनुज : मम्मी रुको मैं अपने नोट्स लेकर आ रहा हूं
रागिनी : ठीक है जल्दी आ जा
फिर थोड़ी देर में दोनों ई रिक्शे से दुकान की ओर निकल गए , रास्ते में अनुज का उतरा हुआ मुंह देख कर रागिनी मुस्कुरा कर : ठीक है शाम को दुकान पर हम भी टिक्की चाट और फुल्की खायेंगे , भैया को नहीं बताया जाएगा
अनुज खुश हो गया और उसने अपनी मां को देखा जो उसके सामने बैठी थी , सड़क के हचके से रिक्शे में बैठी रागिनी के बिना ब्रा के ब्लाउज में ठूंसे हुए रसीले चूचे खूब हिल रहे थे और अनुज उसे निहारते हुए मुस्कुरा कर दुकान की ओर जा रहा ।
जारी रहेगी
All readers bro what do you think how much update dreamboy bro gonna take for anuj ragini and rangi sonal sex I thing anuj ragini will be very soon as he set up their equation but rangi and sonal I know like me many people waiting for their sex for years but finally in today's update dreamboy bro talk about it
Wow bhai kya gajab ka update diya hअध्याय : 02
UPDATE 018
THE EROTIC SUNDAY 02
प्रतापपुर
: मीठी उठ जा न बेटू
: नहीं ( गीता ने गुस्से में अपना कम्बल कस लिया )
सुनीता थोड़ी शांत हो गई , उसके मन वो बातें उठ रही थी जब उसे पता चला कि गीता को उसके और रंगी के बारे में पता है । लेकिन उसको इस बात की खुशी थी कि गीता ने वादा किया था कि वो इस बारे में किसी से नहीं कहेंगी ।
सुनीता मुस्कुरा कर उसके पास बैठ गई और उसके बाल उसके चेहरे से हटाती हुई : अभी भी गुस्सा रहेगी उम्मम , तेरे लिए आलू वाले पराठे बनाने जा रही हूं , खाएगी न मेरा बेटू उम्मम , मेरा बच्चा उठ जा
: नहीं मम्मी जाओ आप , गंदे हो आप , हा नहीं तो ( उसने सुनीता का हाथ झटक दिया )
कुछ सोचने के बाद सुनीता ने एक गहरी सांस ली और बोली : तू जानना नहीं चाहेगी कि मैने ऐसा क्यों किया ?
गीता अब शांत ही गई और चादर से बाहर झांका तो उसने अपनी मां को उदास पाया , डबडबाई आंखों से फर्श निहारती हुई
वो उठ कर बैठ गई बिस्तर में और सुनीता ने उसकी ओर देखा , आंसू बस छलकने को थे
: सॉरी ( गीता ने उदास होकर अपनी मां के मुरझाए चेहरे को देख कर बोली )
सुनीता मुस्कुरा कर उसके पास गई और इसके चबी चिक्स को सहलाते हुए उसके दूसरे गाल को चूम लिया : मेरा बेटू , हग कर ले मुझे
गीता फफक कर अपनी मां की ओर बढ़ गई और घुटने के बल खड़ी होकर उनसे लिपट गई । दोनों के गुदाज मुलायम चूचे आपस में सट गए । दोनों ये महसूस कर पा रहे थे ।
कुछ देर ऐसे रहने के बाद
: मम्मी
: हम्मम
: आपके दूधु बहुत सॉफ्ट है
: धत्त शैतान लड़की , और तेरे देखूं तो ( सुनीता ने नीचे से हाथ ले जाकर उसकी कड़क नारियल सी चूचियों पर हाथ रखते हुए उन्हें टटोला )
: हिहीहीही क्या करती हो मम्मी छोड़ो न गुदगुदी लग रही है हाहाहाहा ( फिर वो भी अपने हाथ अपनी मां के चूचे पर ब्लाउज के ऊपर से रखते हुए ) मै भी पकड़ लूंगी हा नहीं तो
सुनीता खिलखिलाई : पागल , चल जा देख तेरे दादू नहा लिए है तो बता उनको चाय दे दूं
: बाद में बताओगे न सब कुछ ( उंगली दिखाते हुए उसने अपनी मां से सवाल किया )
: हा मेरी मां बताऊंगी सब ( सुनीता हसने लगी )
गीता फिर खुश होकर अपने दादू के पास चली गई , उसने देखा बनवारी और रंगी दोनों साथ में बैठे हुए खूब हस रहे थे और गीता ने वापस अपनी मां को बताया कि दोनों नहा कर बैठे है दादू के कमरे में
कुछ देर में ही सुनीता चाय नाश्ता लेकर उनके पास पहुंची और चाय की प्याली देखते ही बनवारी थोड़ा हैरान हुआ
बनवारी : अरे बहु , बिना दूध के चाय ?
सुनीता थोड़ी असहज होकर : जी बाउजी आज फिर भैंस छटक गई
रंगी थोड़ा अनुमान लगा कर मैटर समझने की कोशिश कर रहा था ।
बनवारी : क्या बताए इसको ,, अच्छा ठीक है बहु तू घर के काम देख मै बैजू को देखता हूं शहर से आया है कि नहीं
फिर वो बैजू को फोन मिला कर कुछ तय करता है और नाश्ता कर अपने नौकरों को भैंस को बैजू के यहां लेकर चलने को कहता है ।
बनवारी रंगी को ऑफर करता है चलने को तो वो मान जाता है , आखिर उसे कुछ काम था भी नहीं ।
बैजू : आओ आओ सेठ जी, अरे कमला चाय लाओ
कमला का नाम सुनते ही रंगी ने बनवारी की ओर देखा तो बनवारी ने उसको आंख मारी
बैजू : सेठ जी जरा आप नाश्ता करो , थोड़ा मै ..
बैजू का इशारा अपने काम पर था
कुछ ही देर में कमला चाय लेकर आई और मुस्कुराती हुई दोनो के आगे एक टेबल कर रख दिया
बनवारी : कहो कमला , अरे तबियत कैसी है तुम्हारी । भाई आज दुपहर गोदाम पर चली जाना काम बहुत है
कमला ने आंखे महीन कर बनवारी को घूरा और हुंकारी भर कर बैजू के रहने की वजह से निकल गई ।
रंगी बनवारी आपस में मुस्कुराने लगे
बनवारी चाय की चुस्की लेता हुआ : अह्ह्ह्ह जमाई बाबू , किस्मत हो तो बैजू के भैंसे जैसी
रंगी हस कर : क्यों बाउजी
बनवारी मुस्कुरा कर : हर सीजन में आसपास गांव की 50 भैंसियों पर चढ़ता है , अब मेरे ही घर की 2 पीढ़ी की भैंसीओ की गहराई नापी है इसने
रंगी अचरज से देखता हुआ : क्या सच में ?
बनवारी : और क्या .. अरे तीन साल पहले तक भूरी की माई आती थी और अब भूरी आती है । क्या माई क्या बिटिया ... देखा जाए तो अपनी बेटी पर चढ़ रहा है ससुरा हाहाहाहाहा
रंगी : मतलब
बनवारी थोड़ा रंगी के पास आता हुआ : अरे 8 साल पहले ये हमारे घर ही पैदा हुआ था , बैजू इसे उठा लाया तीसरे साल लगते लगते अपनी मां पर चढ़ गया और फिर अब 3 साल से अपनी ही जनी बेटी को
बनवारी की बाते सुनकर रंगी का लंड अकड़ गया : सच कहा बाउजी , किस्मत इसकी तेज है वरना कौन से बाप को उसकी बेटी मिल पाती है हाहाहाहाहा
बनवारी रंगी की बात पर मुस्कुराने लगा और धीरे से रंगी के कान में बोला : वैसे मै एक आदमी को जानता हूं जिसकी उसकी ही बेटी से रिश्ता है
रंगी ने आंखे बड़ी कर अपने ससुर को देखा : क्या सच में ?
बनवारी : हा, और रहता भी गांव में ही है
रंगी जिज्ञासु होकर : कौन ?
बनवारी : अरे वो नहर वाले रोड पर दो घर है न ? उसमें एक घर एक धोबन का है । सुना था कि ब्याह के बाद ही उन दोनों का रिश्ता हुआ है
रंगी : कैसे ?
बनवारी मुस्कुराया और धीरे से रंगी की ओर झुक कर : लछुआ धोबी की औरत की तबियत बिगड़ी थी और शादियों का सीजन था उन्हीं दिनों उसकी बेटी आई थी । मदद के लिए, पानी में भीगे मटके जैसे चूतड़ों को देख कर मन मचल गया लछुआ का और फुसला लिया उसने
रंगी : क्या सच में , उम्र क्या होगी उसके बेटी की
बनवारी : अरे 40 पार है और बड़ी गदराई मोटी औरत है एक दो बार मैने उसे नहर के पास देखा है पानी में । साड़ी जब उसके चूतड़ों में चिपक जाती है तो सीईईई
रंगी मुस्कुराकर : ओहो बाउजी अब कंट्रोल करिए
बनवारी फिर मुस्कुरा कर खुद को संभालने लगा
रंगी : वैसे सच कहूं तो उसमें लछुआ का दोष नहीं है , ऐसी गाड़ हो तो कौन रिश्ते नाते देख पाएगा और कब तक
बनवारी : सच कहा जमाई बाबू , हवस के अंधे को रिश्ते की डोर नहीं दिखती
आओ चलते है
फिर दोनों उठ कर घर की ओर चल दिए
रंगी के जहन में कुछ सवाल आ रहे थे लेकिन वो हिम्मत नहीं कर पा रहा था और अपने जमाई को चुप देख कर बनवारी बोल पड़ा: किस सोच में पड़ गए जमाई बाबू
रंगी मुस्कुरा कर : अह कुछ नहीं बाउजी , बस वो लछुआ के बारे में सोच रहा हूं
बनवारी हंसता हुआ : अब इतना मत सोचिए जमाई बाबू ,
रंगी : आपको कुछ गलत नहीं लगता बाउजी इसमें
बनवारी मुस्कुरा कर : अरे जब दोनों की सहमति है तो गलत कैसा ? क्या कहना चाहते है साफ साफ कहिए अब हमसे भी छुपाएंगे उम्मम हाहाहाहाहा
रंगी थोड़ा लजाया और मुस्कुराने लगा : नहीं बाउजी ऐसी कोई बात नहीं वो बस लछुआ के बारे में सोच कुछ बाते उठ रही है
बनवारी : जैसे कि
रंगी : अगर आप बुरा न माने तो कहूं
बनवारी : कर दिया न पराया, अब दोस्ती के यही सब सोच के रहेंगे तो हो गई दोस्ती
रंगी हसने लगा : नहीं ऐसी बात नहीं है, बात थोड़ी असहज होने वाली है । पता नहीं आपको कैसा लगेगा
बनवारी : अरे अब कहोगे भी
रंगी : दरअसल बाउजी , ये सब सोनल की शादी के बाद से शुरू हुआ मेरे साथ,
बनवारी : क्या हुआ ?
रंगी : शादी के बाद विदाई से पहले सोनल की सहेलियां और उसकी भाभियों उसकी खूब खिंचाई कर रही थी और मैने उनकी बातें सुन ली थी
बनवारी : क्या सुना
रंगी : वो लोग सोनल को उसके सुहागरात के लिए चिढ़ा रही थी और गंदी गंदी बातें कर रही थी तो मेरे मन में भी ये बात आई कि अब मेरी बेटी की अपने पति से वो सब करेगी
बनवारी : हा तो , ये सब सहज बात है जमाई बाबू इसमें परेशान क्या होना ?
रंगी : क्यों आपके मन में रज्जो जीजी या रागिनी की विदाई के बाद ये बाते नहीं आई थी ।
बनवारी थोड़ा असहज हुआ : हा मतलब आई थी लेकिन इनसब का क्या मतलब , और यही समाज की रीत है इसी से दुनिया आगे बढ़नी है । लेकिन मुझे लग रहा है कि आपकी दिक्कत कुछ और है और आप उसे छिपा रहे है ।
रंगी : जी बाउजी , लेकिन समझ नहीं आ रहा है कि कैसे कहूं आपसे
बनवारी : देखो जमाई बाबू , अगर समाधान चाहते हो तो समस्या साझा करनी ही पड़ेगी , आप कहिए तो मेरे स्तर का कुछ रहेगा तो बिल्कुल सलाह दूंगा ।
रंगी थोड़ा हिचक कर : दरअसल उस रोज सोनल की सहेलियों और उसके भाभियों की बाते मेरे दिमाग में इस कदर बैठ गई कि मुझे कुछ कुछ सपने आने लगे , दिन में भी अजीब अजीब सी झलकियां दिखने लगती है अब तो । जिसमें सोनल और दामाद बाबू एक दूसरे से संभोग कर रहे है और
बनवारी : और क्या ?
रंगी : और वो अब ख्यालों से मुझे नीचे दिक्कत महसूस होने लगी । कभी कभी तो दिल किया कि काश एक बार उन दोनों को ये सब करते देखूं। आखिर कैसे करती होगी सोनल । मैने कभी भी उसके बारे में ऐसा नहीं सोचा कि किसी रोज उसकी शादी करके विदा करूंगा और फिर ये सब वो भी करेगी कि वो भी एक औरत है ।
बनवारी : इसे मोह कहते है जमाई बाबू हाहाहाहाहा, वैसे इसमें कुछ भी बुरा नहीं है मेरी समझ से और मुझे देखो मैने तो रज्जो और कमल बाबू का तो खुल्लम खुल्ला खेल देख कर सब कुछ निपटा भी दिया था ।
अब तक दोनों वापस घर में अपने कमरे में आ गए थे
रंगी : एक बात पूछूं बाउजी
बनवारी मुस्कुरा कर : हा कहिए न
रंगी : आपको थोड़ी जलन नहीं होती कमल भइया से
बनवारी : क्यों ?
रंगी हिचक कर : रज्जो जीजी पर पहला हक आपका होना चाहिए था
बनवारी मुस्कुरा कर : बहुत गहरी बात कर रहे हो जमाई बाबू , समझ रहा हूं मै आपके दिल के अरमान हाहाहाहाहा
रंगी थोड़ा लजाया और चुप रहा
बनवारी : वैसे आपकी बात सही है , जलन तो हुई ही थी जब मै पूरी रात खड़े होकर रज्जो और कमल बाबू का खेल देखा था । जोश में मै तो भूल गया था कि सामने मेरी बेटी है। सच बताऊं तो उस वक्त मन में यही ख्याल आ रहे थे मेरे घर की औरत के मजे कोई और ले रहा है जिस पर मेरा हक होना चाहिए था
रंगी : बस बाउजी , यही भावना मुझे तंग करती है सोनल को लेकर
बनवारी : समझ सकता हूं जमाई बाबू , मै भी एक लड़की का बाप हूं ।
रंगी : फिर आप कंट्रोल कैसे करते है
बनवारी : ईमानदारी बताऊं तो नहीं करता कंट्रोल मै
रंगी : क्या ?
बनवारी : हा सच कह रहा हूं , मै तो रज्जो को सोच कर झाड़ लेता हूं और आराम हो जाता है
रंगी : क्या सच में , कैसे ?
बनवारी : तरीका आसान है लेकिन करना तो आपको ही पड़ेगा
रंगी हसने लगा : ठीक है बताईए
बनवारी : उन्हूं ऐसे नहीं , पहले दरवाजा बंद करके और बत्ती बुझा कर बिस्तर में आइए
रंगी उठ कर कमरे का दरवाजा बंद कर बत्ती बंद कर बिस्तर में आ गया ।
रंगी : हम्म्म अब बताइए
बनवारी मुस्कुरा कर : अब आंखे बंद कीजिए और सोनल के बारे में सोचिए कि आपको उसमें क्या अच्छा लगता है , जैसे मुझे रज्जो के बड़े बड़े चौड़े चूतड़ों को देखना पसंद है , क्या आपने देखे है सोनल बिटिया के चूतड़ कभी
रंगी का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा : जबसे बड़ी हुई तबसे नहीं, वो बड़ी संस्कारी लड़की है बाउजी घर सबसे पहले नहा धो लेती थीं और कपड़े भी बहुत लिहाज से पहनती थी लेकिन शादी की शॉपिंग में मुझे उसके ब्रा पैंटी का साइज पता चला था 34C की बड़ा और 36 की पैंटी । उसके गोरे बदन को देखता हूं तो लगता है कि उसके नंगे चूतड़ कितने गोरे और मुलायम होंगे
रंगी की कामुक कल्पनाओं को सुनकर बनवारी का लंड अकड़ गया था और वो सिहर उठा: सीईईई हा जमाई बाबू ऐसे ही , अब सोचिए अगर आपको सोनल को अपने मन पसंद कि ब्रा पैंटी पहनानी हो तो कौन से रंग की पहनाएंगे
रंगी बनवारी की बात सुनकर अपना लंड पकड़ लिया: ओह्ह्ह्ह बाउजी, जबसे सोनल हनीमून पर गई है तबसे मेरे दिल उसे बिकनी सेट में देखने की तमन्ना है , डोरी वाली ब्रा पैंटी आती है एक उफ्फफ सोचता हूं मेरी बेटी समन्दर किनारे फिल्मी हीरोइन के जैसे अदाएं दिखा कर अपने गोरे चूतड़ों को मटका कर रेत में चलते हुए कैसे लगेगी
बनवारी : वाह जमाई बाबू क्या मत सीन होगा , वहां रज्जो को भी ले जाऊंगा मै और डोरी वाली पैंटी तो उसके बड़े चौड़े चूतड़ों के दरारों के घुस जाएगी अह्ह्ह्ह क्या मत नजारा होगा जब वो पानी में नहा कर बाहर निकलेगी अपनी गीली ब्रा में चूचे हिलाते है उसके मोटे मोटे चूचे पूरे साफ साफ झलक रहे होंगे
रंगी सिहर कर : हा बाउजी, मै तो अपनी बिटिया के नंगे चूतड़ों पर सन स्क्रीन लगाऊंगा ताकि वो लाल न पड़ जाए ओह्ह्ह्ह बाउजी कितना मजा आ रहा है ये सब सोच कर
बनवारी : मै तो रज्जो से वही रेत पर लेट कर अपना लंड चुसवाऊंगा ओह्ह्ह्ह मेरी रज्जो क्या मस्त लंड चुस्ती है वो ओह्ह्ह्ह
रंगी : अह्ह्ह्ह बाउजी मै तो सोनल बिटिया के चूतड़ों को फैला कर खूब चाटूंगा , उसकी गुलाबी गाड़ को उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
बनवारी : में तो रज्जो से कहूंगा अह्ह्ह्ह कि वो मेरे मुंह पर बैठ जाए अह्ह्ह्ह सीईईईईई मैने देखा था उस रात रज्जो कमल बाबू के मुंह पर बैठ कर अपनी चूत और गाड़ उनके चेहरे पर रगड़ रही थी , उसे कितना मजा आ रहा था
रंगी अपना लंड हिलाते हुए : फिर तो इस मामले में दोनों बहने एक जैसी है अह्ह्ह्ह
बनवारी एकदम से अकड़ गया: तो क्या छुटकी भी
रंगी : हा बाउजी , रागिनी को मेरे मुंह पर बैठ कर मेरा लंड चूसना बहुत पसंद है , आप न रागिनी को भी अपने मुंह पर बिठाना
बनवारी का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था और बनवारी उसे कस कर भींच रखा था : क्या ? रागिनी बिटिया को भी सीईईई सच में जमाई बाबू
रंगी की कल्पनाएं अब सोनल से डायवर्ट हो गई और वो बनवारी को लपेटने लगा और उसे गजब का नशा हो रहा था : क्यों बाउजी , रागिनी भी तो आपकी बेटी है , उसको प्यार नहीं देंगे ।
बनवारी : ओह्ह्ह जमाई बाबू ,
रंगी : बाउजी , आपकी छोटी बेटी भी बहुत चुदक्कड़ है रोज बिना लंड लिए सोती नहीं है और बुर चटवाने में उसे बड़ा सुख मिलता है
बनवारी : उम्ममम क्या सच में जमाई बाबू , रागिनी को इतना पसंद है ये सब
रंगी : एक बार उसको अपने मुंह पर बैठने को कहिए तो , अपने दीदी के साथ मिलकर आपको खुश कर देगी
बनवारी एकदम चरम पर आ गया था : कैसे जमाई बाबू
रंगी : रागिनी आपके मुंह पर बैठेगी और रज्जो जीजी आपके लंड पर
रंगी के दिखाई कामुक कल्पनाओं से बनवारी के सबर का फब्बारा फूट पड़ा और वो सिसक कर झड़ने लगा : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह जमाई बाबू अह्ह्ह्ह मजा आ गया है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह क्या मस्त सीन दिखा दिया आपने ओह्ह्ह्ह
बनवारी झड़ कर अपने गमछे से लंड साफ करने लगा और रंगी अपना लंड मसलने लगा : मजा आया न बाउजी
बनवारी : अरे लेकिन आपका तो अधूरा रह गया न
रंगी मुस्कुरा कर : आप आराम करिए मै बाथरूम में जा रहा हूं ...
बनवारी समझ गया और बिस्तर पर लेट गया रंगी उठ कर बाथरूम की ओर चला गया।
वही दूसरी तरफ आज गीता अपनी मां सुनीता के पास बैठी थी रसोई में सब्जियां कटवा रही थी, सुनीता भी थोड़ी लजा और मुस्कुरा रही थी ।
: तेरे पापा ने कहा था
: क्या ? नहीं!!! वो क्यों कहेंगे
: क्यों तुझे तेरे पापा की आदतें नहीं पता , खुद तो बिगड़े थे और मुझे भी बिगाड़ दिया
: मतलब ( गीता जिज्ञासु होकर बोली )
इस सुनीता मुस्कुराने लगी तो गीता जिद करने लगी : बताओ न मम्मी
: तू इतनी जासूसी करती फिरती है तो तुझे तेरे पापा पर गुस्सा नहीं आया उम्मम , वो बाहर कितना मुंह मारते है । मैने तो घर में छिप कर रिश्ता बनाया था न
गीता : हा लेकिन पता नहीं क्यों, फूफा के साथ आपको देखना अजीब लगा था , दादू के साथ आपकी जोड़ी अच्छी लगती है हीहीहीहीही
सुनीता एकदम से चौक कर उसे देखा और वो खिलखिला रही थी
सुनीता : तुझे कैसे ?
गीता : जासूस हूं न , भक्क सच बताओ न पहले जो पूछ रही हूं
सुनीता : बताया तो कि तेरे पापा ने ही मुझे बिगाड़ा है
गीता : कैसे ?
सुनीता इस पर फिर मुस्कुराने लगी उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे समझाए अपनी बेटी को
गीता रिरिकने लगी : बताओ न प्लीज
सुनीता : तेरे पापा को वो सब करने का ज्यादा मन होता है और शादी के शुरुआत में उन्होंने कई साल तक रोज मेरे साथ सोते थे । फिर जब तुम दोनों पेट में आई तो उनका जुगाड़ घर से बंद हो गया और वो बाहर जाने लगे । फिर जब तुम दोनों पैदा हुई तो धीरे धीरे फिर हमने शुरू किया , साल बीतते गए लेकिन उनकी बाहर जाने वाली आदत नहीं छुटी। नए नए औरतों के साथ सोने के लिए वो मुझे छोड़ जाते अकेला , फिर मेरी भी जरूरत थी तो...
गीता : हा लेकिन दादू जब थे तो छोटे फूफा से क्यों ?
सुनीता : तुझे नहीं पता जैसे कि तेरे दादा जी की तबियत बिगड़ जाती है और फिर तेरे फूफा आए है कुछ दिनों के लिए तो सोचा तेरे दादा जी को आराम मिल जाएगा तब तक हाहाहाहाहा
गीता हसने लगी : मम्मी तुम कितनी हरामन हो
सुनीता आंखे बड़ी कर : क्या बोली तू गाली दे रही है
गीता : फूफा भी तो देर रहे थे
सुनीता शर्मा कर मुस्कुराने लगी : मार खाएगी अब , मैने मना भी किया था तब उनको
गीता : वैसे पापा भी देते हैं लेकिन तब आप उन्हें नहीं रोकती
सुनीता : अब सारे हक सबको नहीं न दे दूंगी पागल, चल ये सब्जी धूल दे अच्छे से
चमनपुरा
: देख तू अब ये अपनी आदत सुधार भाई , वरना किसी रोज तू नप जायेगा
: अबे छोड़ न , तू ये जलेबी खा ( चंदू ने कल्लू की दुकान पर बैठे हुए राज को ऑफर किया )
: तू ये बता , कितना चाहता है तू उसे
: अपनी जान से ज्यादा भाई
: और वो ? ( राज ने आंखे ततेर कर कहा )
: अबे वो प्यार नहीं करती तो क्या वो सब करती
: भोसड़ी के लैला मजनू के ख्याली दुनिया से निकल , चुदवाती तो तेरी दीदी भी है तुझसे तो क्या शादी करेगा अब उससे
चंदू ने मुंह बना कर देखा
राज : समझदारी की बत्ती बना कर कान साफ करके सुन , हो सकता है कि अगले हफ्ते तक ठकुराइन मालती को कही भेज दें , एग्जाम आने तक
चंदू की आंखे एकदम बड़ी हो गई , गुस्सा और भड़ास साफ झलकने लगे , राज को समझते देर नहीं लगी कि लौंडा सीरियस हो गया ।
राज : शांत हो बे, मैने क्या बोला हो सकता है
चंदू थोड़ा हल्का होकर : देख ऐसा हुआ तो उस ठकुराइन की गाड़ मार लूंगा मै
राज : अबे थोड़ा ठंडे दिमाग से सुन , जहां तक मैने उस घर को देखा समझा है तो वो घर के लोग आपस में चीजे बहुत देर तक छिपा नहीं पाते ।
मालती को पता है कि उसकी मां और उसके दादा जी का अफेयर । ये तुझे पता था
चंदू एकदम सही शॉक्ड होकर : नहीं उसने नहीं बताया ऐसा कुछ
राज : फिर लौड़े की मुहब्बत है तेरी , और सुन बहुत ज्यादा गुंजाइश है कि जिस तरह का संजीव अंकल का व्यवहार है बाहर मौज मस्ती करने का मुझे नहीं लगता कि अगर आगे जाकर उन्हें इस बारे में भनक होती है कि उनका बाप ही उनकी बीवी चोदता है तो उन्हें बहुत दिक्कत आएगी । लेकिन
चंदू बड़े गौर से सुन रहा था
राज : लेकिन अगर उन्हें तेरी भनक हुई तो , देख जात से वो बड़े घर के है , इतिहास रहा है इन लोगों का बाकी तू समझदार है
चंदू का चेहरा फीका पड़ने लगा लेकिन न जाने क्या उसको अंदर से ताकत दे रहा था : कुछ भी हो भाई , लेकिन मालती मेरी मुहब्बत है उसके प्यार के लिए मर जाना भी मुनासिब होगा
राज एकदम से चिड़चिड़ा गया : अबे हट बहनचोद , तुझे समझाना बेकार है और सुन वो इसी हफ्ते जा रही है अपने मामा के घर
ये बोलकर राज भन्नाता हुआ उठ कर निकल दिया चौराहे वाले घर के लिए
इन सब अलग अनुज की पढ़ाई आज लंबी खींच गई थी ,जैसे आज उसका लंड कुछ ज्यादा बड़ा महसूस हो रहा था उसे
बाथरूम के गेट पर हल्के से गैप से अनुज अंदर देख रहा था ,
अंदर रागिनी पूरी नंगी होकर बाल्टी से पानी अपने देह पर गिरा रही थी और अनुज उसके पीछे से उसके फैले हुए गोल मटोल चूतड़ों के दरारों से पानी रिस कर फर्श पर जाता टपटकता रहा था
" अनुज , बेटा तौलिया दे दे "
तौलिया तो अनुज के हाथ में हाथ था और उसकी मां उसे नहाते हुए आवाज दे रहे थी ।
क्या उसे अंदर चले जाना चाहिए
क्या उसे अंदर चले जाना चाहिए था
ओह्ह्ह्ह सीईईई काश वो अपना खड़ा लंड बाहर निकाल कर उसे वक्त अंदर चला गया होता , वो दिखाता अपनी मां को देखो तुम्हारा बेटा कितना बड़ा हो गया है ।
ओह्ह्ह्ह मम्मी तुम कितनी सेक्सी हो ओह्ह्ह्ह उम्ममम तुम्हारा बदन कितना मुलायम है , अपनी कल्पनाओं में खोया हुआ कम्बल में अपना लंड का सुपाड़ा मिजता हुआ अनुज कनखियो से अपनी मां को कमरे में देखा था ।
सामने से थोड़ा दाएं तरफ उसकी मां रागिनी ब्लाउज पेटीकोट में थी और अपनी जांघो को बेड पर रखे थे अपने पैरों को मॉश्चराइज कर रही थी , उनके हाथ उसकी जांघों को रगड़ कर अच्छे से मालिश दे रहे थे और उसके पेटीकोट ऊपर तक चढ़ा हुआ था ।
जैसे अनुज की नजर उसकी मां के गदराये जांघ पर गई तो उसके भीतर की बेचैनी और बढ़ने लगी । उसके मा की जांघें अंदर से और भी दूधिया गोरी और मुलायम थी । वो मॉश्चराइजर की महक उसकी मां के देह की गंध से मिल कर और भी मादक गंध छोड़ रही थी ।
: क्या खायेगा नाश्ते में उम्मम
: कुछ भी बना दो मम्मी ( अनुज ने अपनी मां का मुस्कुराता चेहरा देखकर बोला )
: ठीक है मटर आलू की सुखी सब्जी और पराठे
नाम सुनते ही अनुज की जीभ पानी छोड़ने लगी
: और चाय ? ( ललचाई जुबान से वो बोला )
: हा हा चाय भी , तू उठ और नहा ले मै बना देती हूं
फिर धीरे से अपना लंड लोवर में सेट कर उठा और अपने कमरे में चला गया और फिर नहाने के लिए ऊपर वाले बाथरूम में चला गया
ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू मम्मीइ ओह्ह्ह्ह कितनी सेक्सी हो आप अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह , आपके मोटे मोटे चूतड़ उम्मम कितने मुलायम है ओह्ह्ह्ह काश मैं अपनी गाड़ के नीचे होता और मेरे मुंह पर बैठ कर नहाती उम्ममम कितना मजा अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम मै नीचे से अपनी चूत और गाड़ को चाट लेता उम्मम ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मम्मीइई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह लेलो ओह्ह्ह लेलो ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह अब मौका मिला तो आपकी गाड़ पर झडूंगा ओह्ह्ह भले ही मार पड़ेगी तो ओह्ह्ह्ह खा लूंगा ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
एक के बाद एक मोटी गाढ़ी पिचकारियां अनुज ने बाथरूम की दिवालो पर छोड़ी और फिर नहा कर नीचे आया ।
झड़ने के बाद उसका दिमाग शांत हो गया था वासना का खुमार कुछ पल के लिए ही सही उतर गया था लेकिन जब आपको ये पता हो कि पूरे घर में आप अपनी पसंदीदा औरत के साथ हो और आप जैसे चाहो उसे चुपके घूर सकते हो उसके पीछे से उसके मोटे चूतड़ों को देख कर अपना लंड मसल सकते हो और आपको कोई देखने रोकने वाला नहीं है तो ये मजा भला कौन छोड़ेगा ।
अनुज ने देखा उसकी मां साड़ी पहन कर तैयार थी और खाना बना रही थी
वो पानी पीने गया और फिर उसकी मां ने उसके लिए नाश्ता लगा दिया
: हम्ममम ले खा ले ( रागिनी ने खाने की प्लेट उसके आगे की )
उफ्फ बिना ब्रा के ब्लाउज में ठूंसे हुए उसके मुलायम दूध और पल्लू के बगल से झांकते उसके दूधिया दरार , उभरे हुए कूल्हे और नर्म गुदाज चर्बीदार नाभि जो उसके पल्लू से झांक रही थी ।
अनुज को सेकंड नहीं लगा और उसका लंड फड़क उठा उसके पेंट में
: आप भी खाओ न
: अरे अभी मैं बना रही हूं न बेटा
: ठीक है तो कई खिला देता हूं
ये बोलके अनुज वही अपनी मां के पास खड़े होके निवाले बना कर अपनी मां को खिलाने लगा
: उम्मम तू भी तो खा ( चबाते हुए वो बोली )
अनुज मुस्कुरा कर खुद भी खाने लगा
: वाव थैंक्यू मम्मी , कितना टेस्टी है
ये बोलकर अनुज ने वापस निवाला बना कर खिलाने लगा ये वाला निवाला बड़ा था
: उम्मम इतना बड़ा ( रागिनी अच्छे से बोल भी नहीं पाई और चबा कर खाने लगी
अनुज हस कर खुद खाने लगा और वो अपनी मां के लिए आलू और मटर के दाने जिनपर पर मसाले लगे हुए थे अच्छे से निवाला बना कर खिला रहा था और ऊपर से भी निवाले पर मटर की टॉपिंग करने खिलाता , जिससे रागिनी और खुश हो रही थी ।
अगला निवाला
: मम्मी लो
रागिनी ने पराठा सेकते हुए नजर उधर रखे हुए ही मुंह खोल दिया और अनुज ने उसे खिलाया लेकिन इस बार टॉपिंग से कुछ मटर के दाने बिखर गए क्योंकि रागिनी का ध्यान पराठे सेकने में था और एक दाना सीधा रागिनी की ब्लाउज से झांकती दरारें में आ गिरा
: ओह सॉरी गिरा गया वो ( अनुज ने अपनी मासूमियत जाहिर की )
दोनों मां बेटे से ये महसूस किया , और रागिनी ने मुस्कुरा कर हल्का ब्लाउज का सिरा पकड़ा के आगे झुक कर अपनी चूचियों को झटके देकर उसके दरार से मटर का दाना बाहर उछालना चाह रहे थी लेकिन जैसे ही उसकी चुस्त ब्लाउज़ में ठूंसी हुई छातियों को अतिरिक्त जगह मिली और वो आपसे से थोड़ा सा अलग हुई और वो मटर का दाना बाहर निकलने के बजाय अंदर चला गया
अनुज को हसी आई और रागिनी भी मुस्कुराई : हस क्या रहा है बदमाश , निकाल न
रागिनी : हा तो कौन , झूठा अन्न थोड़ी न छुउंगी मै
अनुज के कान खड़े हो गए , उसके बदन में अजीब सी बेचैनी होने लगी और उसने अपना हाथ धुला और सामने देखा तो उसकी मां ने अपने सीने से आंचल हटा दिया था
अनुज की नजरे उसकी मां के बड़े बड़े रसीले नर्म चूचों को देख कर ललचा रही थी वो थूक गटक कर अपनी गिले उंगलियों से ही अपनी मां के सामने से बड़ी तत्परता से उसकी छातियों के दरारों में उंगली डाली
जैसे जैसे अनुज की उंगलियां उसकी मां के चूचियों के दरार में उस मटर के दाने तक जाती , दरार चौड़ी होकर मटर के दाने को और नीचे गिरा देती
इधर रागिनी को थोड़ी गुदगुदी सी हो रही थी क्योंकि अनुज की उंगली उसकी चूचियों के दरारों में उस मटर के दाने को निकालने के बजाज अंदर उसे गोल गोल घुमा रही थी ।
तभी रागिनी को हंसी आई और उसने अनुज का हाथ पकड़ कर निकाल दिया और खुद उसके सामने अपने ब्लाउज खोलने लगी और तीन हुक खोलते ही उसे मटर मिल गया और उसको हंसी में उसको देती हुई : ले पकड़ , निकाल नहीं पा रहा था कबसे
अनुज आवाक होकर अपनी मां के फ्रैंक व्यव्हार को देख रहा था और देख रहा था उन रसीली छातियो को जो ब्लाउज खोलने से थोड़ी नंगी दिख रही थी
तभी दरवाजे पर बेल बजी
: जा देख भैया आया होगा
अनुज का ध्यान हटा और वो मटर का दाना मुंह में डाल कर निकलने वाला था कि रागिनी ने उसे टोका : ये पागल ये क्या किया
अनुज वो मटर चबाते हुए : खा गया
रागिनी : छीईई गंदा , जा दरवाजा खोल
अनुज चिल मूड में दरवाजा खोलने के लिए चला गया ।
सामने देखा तो राज है
: मेरे लिए क्या लाए
: मैने कब बोला कि कुछ लाऊंगा
: क्या क्या खाना ( अनुज उसके पीछे चलता हुआ बोला )
: समोसे , कचौरी , गुलाब जामुन , क्रीम रोल वाली मिठाई , काजू कटली , पनीर , मशरूम और हा कलौंजी भी थी , वो एक क्या था नया आइटम । उसमें पापड़ी कचालू और खट्टी मीठी चटनी डाल कर ऊपर से दही और सेव अनार सब पड़ा था ।
: पापड़ी चाट रही होगी ( अनुज मुंह उतार कर बोला )
रागिनी राज को देखते हुए हसने लगी क्योंकि वो जानती थी कि राज अनुज की खिंचाई कर रहा है उसे ललचा कर , खाने पीने को लेकर अनुज अभी भी बच्चा ही था ।
: तू बस कर करेगा , उसे ललचाना बंद कर और जा नहा ले और नाश्ता कर ले
राज अनुज को देख कर वापस उसे चिढ़ाते हुए : नहीं मम्मी , वो आंटी ने नाश्ता करा दिया था । ब्रेड पकोड़े बने थे
रागिनी हसने लगी अनुज को देख कर और अनुज का मन उदास हो गया ।
रागिनी टिफिन पैक करती हुई : ठीक है फिर तू आराम से नहा धो कर दुकान चले जाना , हम लोग भी दुकान जा रहे है ।
अनुज : मम्मी रुको मैं अपने नोट्स लेकर आ रहा हूं
रागिनी : ठीक है जल्दी आ जा
फिर थोड़ी देर में दोनों ई रिक्शे से दुकान की ओर निकल गए , रास्ते में अनुज का उतरा हुआ मुंह देख कर रागिनी मुस्कुरा कर : ठीक है शाम को दुकान पर हम भी टिक्की चाट और फुल्की खायेंगे , भैया को नहीं बताया जाएगा
अनुज खुश हो गया और उसने अपनी मां को देखा जो उसके सामने बैठी थी , सड़क के हचके से रिक्शे में बैठी रागिनी के बिना ब्रा के ब्लाउज में ठूंसे हुए रसीले चूचे खूब हिल रहे थे और अनुज उसे निहारते हुए मुस्कुरा कर दुकान की ओर जा रहा ।
जारी रहेगी
Thanks broWah Bhai Kya update diya hai halaki anuj ragini ka part Thoda chota tha par lagta hai bohut jaldi ki Unka taka fit hone wala hai aur rangi ne Jo baat Aaj tak ragini ya raj jinke sath wo kayi kand kar Chuka unko nahi bola woh baat Apne sasur banwari ko bol diya akhir uske man mein bhi Apne beti sonal k Liye feelings hai aur wo chata hai ki uska sasur bhi Apne betio ko chode yeh sasur damad ki jodi toh Kamal ki nikli ab lag Raha hai bohut jaldi anuj ragini fir raj k sath milkar threesome aur rangi sonal ka bhi dekhno ko milega jab wo honeymoon se wapas ayegi aur jab ki rangi ne banwari k samne hi sonal ki baat ki toh uske man be bhi Apne natin ko chodne ka khayal Aya hi hoga khair main Kafi age ki soch baitha par ek baat toh tumare story pe bhi chodampur jaisa ek Badiya group sex dekhne ki iccha hai jaise pehli bar tume update 172 b pe pehla foursome diya tha fir update 205 mein ek sath raj rangi ragini shila rajjo ka thik waise hi Raj anuj ragini rangi aur sonal ka uske bad fir banwari rajjo shila wagera toh rahenge hi
Shukriya BhaiWow Bhai ..... superb lajawab update.....
Sonal ka intezar hai guruji......
Kab tak apne papa chacha sasur ..etc ... Se matches khelegi....
Waiting
Thanks broWow bro what a update but after reading this not only me but all the reader can't wait long for update pleasedo your best try to give update early after waiting 2.5 years finally we see hope of sonal with her dad now I am more excited when the family alone group will occur and rangi also share his bond with banwari to his family
ThanksSuperb Update Bhai keep it up![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
![]()
Awesome waiting for next Update