अध्याय 02
UPDATE 028
प्रतापपुर
रंगी और बनवारी टहल कर दातुन कूंचते हुए वापस आ रहे थे और आंगन में दाखिल होते ही रंगी ने बबीता के कमरे के दरवाजे पर कुछ आहट देखी जैसे कोई तेजी से कमरे में गया हो
सुबह सुबह उसकी नंगी जांघें और बबले जैसे चूतड़ों देख कर लंड फनकार मार रहा था और एकदम से बबीता का ख्याल आते ही उसका लंड फिर से सर उठाने लगा
: बाउजी , जरा कुछ देर गीता को देखेंगे क्या ?
: क्या हुआ
रंगी ने बस एक शरारत भरी मुस्कुराहट से बनवारी को देखा और बनवारी समझ गया
: ठीक है , देखूं अभी वो उठी नहीं होगी , रात देर से सोई बेचारी
: हा जोश जोश में थोड़ा ज्यादा हो गया था उसके साथ
: हाहाहा, अरे कोई बात नहीं जमाई बाबू , दिन भर आराम करने दो रात तक फिर तैयार हो जाएगी । जाता हूं मै और आप भी हाहाहा
रंगी भी हस कर कुल्ला कर निकल गया दबे पाव बबीता के कमरे की ओर , एक नजर कमरे के बाहर से पूरे बरामदे और आंगन में नजर घुमाया और फिर झटके से बिना कोई आहट के कमरे में दाखिल हो गया और कमरे का दरवाजा बंद कर सिटकनी लगा दी
: सीईईई बहिनचोद अंदर से तो ये अपनी मां जैसी गोरी है , पूरी दूध की रबड़ी है अह्ह्ह्ह ( रंगी ने पजामे के ऊपर से अपना लंड मसल कर सामने देखा )
सामने गीता सिर्फ एक काली पैंटी में नंगी खड़ी थी , उसके गीले बाल बड़े चमक रहे थे और गुलाबी रबड़ी जैसा बदन बड़ा ही रस भरा था , पैंटी में उसके छोटे छोटे चूतड़ों को देख कर रंगी का मुंह लार छोड़ रही थी
रंगी ने अपना पजामा खोला और अंडरवियर से लंड निकाल कर उसको सहलाने लगा और चमड़ी पीछे कर सुपाड़ा खोल दिया
वो भी एकदम लाल गुस्से थे , मानो रात में उसे धोखा मिलने से कितना नाराज हो
नसे टाइट और गर्म हो गई थी।जैसे ही बबीता आलमारी से अपने स्कूल के कपड़े निकाल कर घूमी एकदम से रंगी को अपने सामने पाकर चौक गई और उसने बड़ी बड़ी आंखों से रंगी को अपने सामने अपना बड़ा सा लंड हाथों में ले कर सहलाते देखा
फिर वो कपड़े से अपनी मौसमी जैसे चूचे छुपाने लगी : फूफा जी आप यहां? प्लीज जाओ कोई देख लेगा
: कोई नहीं आएगा , बस तू इसे जल्दी से ठंडा कर दे , रात से तड़प रहा हूं बेटा
रात की बात करते ही बबीता का मुंह बन गया , जब उसे रात में गीता बनवारी और रंगी की करतूत का ख्याल आया कि कैसे रंगी ने उसे तड़पा कर खुद गीता के साथ मजे करने लगा था ।
: नहीं !! मुझे स्कूल जाना है लेट हो रहा है आप जाओ
: क्या नहीं नहीं ( रंगी झट पट उसकी ओर लंड लेकर आ गया एकदम उसके करीब ) अह्ह्ह्ह्ह इसे छू तो देख क्या हाल है इसका ( उसने बबीता का हाथ पकड़ कर रख कर अपने लंड पर )
जैसे ही उसने रंगी का मोटा तपता लंड पकड़ा वो सिहर उठी अन्दर से मानो उसके जिस्म की सारी गर्मी वो लंड खींच रहा हो ।
रंगी ने उसके लंड पकड़ा कर जैसे भुलवा ही दिया था और उसके हाथ से कपड़े लेकर उन्हें बिस्तर पर फेंक दिया
: उफ्फ बेटा हाथ ऐसे ही छू उसे सीई ओह्ह्ह तेरे हाथ कितने मुलायम है सीई ओह्ह्ह
: बहुत गर्म है फूफा जी ये उफ्फ मम्मीई ओह्ह्ह
रंगी ने अपना हाथ उसके पीछे चूतड़ों पर ले जाकर उन्हें टटोलने लगा और उन्हें पंजे में भरता हुआ सिहर रहा था जैसे जैसे बबीता उसके लंड की चमड़ी आगे पीछे कर रही थी
रंगी ने झुक कर उसके नरम ताजे होठ को अपने होठ से लगा दिया और जैसे कोई मीठी चासनी उसके मुंह में घुलने लगी हो और उसने बबीता को अपने आगे कर अपने दोनों पंजे पीछे ले जाकर उसके पैंटी में घुसाते हुए उसके लचीले चूतड़ों को सहलाते हुए नोचने लगा
रंगी के ठन्डे पंजों का अहसास पाकर बबीता अपनी एड़ियां उठाने लगी और रंगी का लिप्स चूसने लगी दुगने जोश से , उसका हाथ अभी भी रंगी का लड़ आगे से सहला रहा था
रंगी अपने हाथ उसकी पैंटी से निकाल कर सामने से उसके नंगी मौसमी जैसे कड़क चूचे पर ले गया और झुक एक को मुंह में भर लिया
: अह्ह्ह्ह मम्मीइई सीईईई अह्ह्ह्ह्ह आराम से फूफा जी
रंगी एक बार में उसकी पूरी की पूरी चुची को मुंह में भर लिया और होठों से अंदर खींचते हुए जीभ से उसके मटर के दाने जितने निप्पल को फ्लिक करने लगा , बबीता तड़प उठी और अभी भी रंगी का दूसरा पंजा उसके चूतड़ों में गड़ा हुआ था उसे फैला रहा था नोच रहा था
उसके हथेलियों को जैसे बबीता के चूतड़ों की नरमी उसकी लचीली चर्बी भा गई थी और उसे उन्हें नोचने में बड़ा सुख मिल रहा था और वो बबीता को लेकर भीतर पर बैठ गया और उसे अपनी जांघो पर सुला दिया
: सीईईई गुड़िया तेरी गाड़ बहुत नरम है रे उफ्फफ एकदम रबर जैसी
: अह्ह्ह्ह सीईईईईई फूफा जी नोच क्यों रहे है अह्ह्ह्ह मम्मीइई
: तू आई क्यों नहीं रात में , कितनी देर तक राह देखी मैने
रंगी उसकी पैंटी खींच कर उसके चूतड़ों को नंगा करता हुआ बोला , अब तो बबीता के बुर की गीली फांके भी साफ साफ झलक रही थी
: बक्क झूठ मत बोलो , गंदे हो आप , मुझे बुला कर खुद चले गए थे
: कहा गया था बता तो ? उम्मम देखा तूने मुझे ( रंगी अपने नाखूनों ने उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों को खरोचता हुआ बोला और बबीता ने अपने चूतड़ों को टाइट कस लिया )
: हम्ममम देखा था आपको दादू के कमरे में सीईईई ओह्ह्ह मार क्यों रहे हो मम्मीइई दर्द हो रहा है
: क्या बोली तू उम्मम ( रंगी उसको अपनी गोद में लिटाया हुए उसके चूतड़ों को पकड़ कर नोचते हुए बोला ) फिर से बोल
: सीईईई ओह्ह्ह बोल रही थी कि मैने अह्ह्ह्ह मम्मीइई क्या कर रहे हो आप उफ्फफ
रंगी ने उसके गाड़ के गुलाबी सुराख पर थूक लगा कर उंगली से छेड़ रहा था और बबीता की हालत खराब हों रही थी।
: बोल क्या देखा तूने उम्मम
: वो आप और दादू गीता के साथ वो सब कर रहे था अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह मम्मीई मार क्यों रहे है आप उफ्फ
: तेरी गाड़ इतनी चर्बीदार है कि रहा नहीं जा रहा है सीईईई चल मेरा लंड चूस कर ठंडा कर दे इसे
: नहीं जाओ उसी से चुसवाओ आप हा नहीं तो
रंगी ने उसे नीचे बिठा दिया और खुद खड़ा होकर उसका चेहरा पकड़ कर उसके होठों पर लंड पटकने लगा : देख अब परेशान मत कर , कल से तेरे गाड़ देख देख कर हाल बुरा है चाट न
बबीता रंगी के गर्म लंड की थपेड़ से सिहर रही थी और मुंह खोलकर जीभ बाहर निकल दी , जिसपर रंगी अपने लंड को पटक रहा था
: ओह्ह्ह तू और तेरी बहन दोनों एक नंबर की चुदासी हो
: चुदासी मतलब ( उसने एकदम से रंगी का लंड पकड़ लिया)
: जिसे चुदवाने में मजा आता हो , आता है न तुझे
बबीता ने बिना कुछ बोले रंगी का सुपाड़ा मुंह में ले लिया और आंखे बड़ी कर हुंकारी भरते हुए सर हिलाया जिसे देख कर रंगी का लंड और अकड़ गया
: ओह्ह्ह्ह ले और ले अंदर सीईईई तू तो पूरा घोंट सकती है लेह बेटा चूस जा इसको पूरा उम्ममम सीईईई कितना सॉफ्टी है तेरे होठ उम्ममम अह्ह्ह्ह
: क्या हुआ ( रंगी ने देखा कि बबीता ने उसका लंड छोड़ दिया और पीछे हो गई , उसका लंड हवा में तना हुआ सांस ले रहा था )
बबीता कुछ नहीं बोली बस अपनी जगह पर घुटने फोल्ड कर बैठी हुई थी नंगी फर्श पर और आगे झुक कर बिना रंगी के लंड को हाथ लगाए अपनी कलाबाजी दिखाती हुई सिर्फ होठों से उसके लंड को सुरकना शुरू किया और देखते ही देखते पूरे आड़ तक लंड को गले में उतार लिया
: ओह्ह्ह बेटा उफ्फफ इतना अंदर सीईईई ( रंगी बबीता को लंड पूरा अंदर घोट कर बाहर उगलते हुए देखा )
बबीता ने अपने होठों से रिसते लार को उंगलियों से साफ कर वापस से अपना मुंह लंड की ओर के गई और वही प्रक्रिया को दोहराते हुए आड़ तक लंड को गले में उतारा और ज्यादा भरने की कोशिश करते हुए उगल दिया
रंगी का लंड उसके लार से लिभड़ाया हुआ सना हुआ चमकने लगा
बबीता ने वापस से उसका लंड दोनों हाथों में लेकर सहलाते हुए सुपाड़े को चूसने लगी
रंगी उसकी कलाबाजी से रोमांचित हुआ जा रहा था ये सोच कर कि कैसे बबीता को उसका bf ट्रेन कर रहा है।
: ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम चूस सीईईई अह्ह्ह्ह तूने तो दिन बना दिया है ओह्ह्ह्ह उम्ममम
बबीता लगातार उसका लंड चुभलाए जा रही थी और रंगी का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था
उसने बबीता को खड़ा कर घुमाया और झुका कर वापस से उसके चूतड़ों को सहलाते हुए नोचने लगा
: उफ्फ फूफा जी आराम से अह्ह्ह्ह सीईईईईई मम्मीइई ओह्ह्ह्ह
: तेरी मम्मी नहीं आने वाली चोदने तुझे , मै पेलूंगा बोल लेगी लंड उम्मम( रंगी उसकी बुर में उंगली पेलने लगा और बबीता की सिसकिया तेज होने लगी )
: अह्ह्ह्ह हा हा डाल दो ओह्ह्ह्ह घुसा दो फूफाजी उम्ममम मुझे लेना है उफ्फफ मै ऐसे ही झड़ जाऊंगी अह्ह्ह्ह सीईईईईई मम्मीईइईई
रंगी ने हाथ खींच लिया और उसकी लार से लिभड़ाए लंड को पकड़ कर पीछे से ही उसकी बुर के फांके में डालने लगा
: आह्ह्ह्ह नहीं टाइट है निकालो सीईईई मम्मीइई
: चुप नाटक मत कर ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी बुर है तेरी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह सच में कितनी कसी है
: उम्ममम फूफा जी फट जायेगा ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह मम्मीइई
: बस बेटा हो गया उफ्फफ कितनी मुलायम बुर है तेरी देख पूरा घुस गया न बहुत जगह होता है इसमें ओह्ह्ह्ह कितना तप रहा मेरा लंड ओह्ह्ह्ह ( रंगी ने पूरा लंड पीछे से बबीता की बुर के फांके में भर दिया था और अंदर से चूत की दीवारें उसके लंड को जला रही थी )
रंगी का मोटा तपता लंड पाकर बबीता ने भी उसके बुर से कस लिया और फांके टाइट करने लगी
: उम्मम बड़े पैंतरे सीख रखे है तूने , लेकिन ये पकड़ मेरे लंड पर नहीं बना पायेगी ओह्ह्ह लेह अब इसे रोक कर दिखा उम्ममम रोक न उम्मम क्या हुआ बोल
जैसे जैसे रंगी ने अपनी कमर हिला कर लंड को उसके बुर में आगे पीछे करने लगा वैसे वैसे बबीता की टाइट फांके खींचने लगी अंदर बाहर की ओर और बबीता का जिस्म अंदर से मचल उठा और उसने अपनी बुर को ढीला छोड़ दिया : ओह्ह्ह्ह गॉड कितना बड़ा है आपका फूफा जी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई फक्क मीईईई सीई ओह्ह्ह्ह उम्ममम जल्दी करो मुझे लेट हो रहा है
: जल्दी चाहिए उम्मम तो ये ले और कस कस के ( रंगी मुंह भींचता हुआ उसके पतली सी कमर को पकड़ कर तेजी से आगे पीछे होकर लंड को उसके बुर में पेलने लगा
उसकी चीखे दुगनी हो गई और जितना वजन था बबीता का वो तो सच में कोई गुड़िया ही थी जिसे बस रंगी अपने लंड पर खूब तेज तेज हमच कर झुला रहा था
ताबड़तोड़ पेलाई करते हुए रंगी के लंड की नसों ने बबीता की गर्म बुर और कसी फांकों का घर्षण झेल नहीं पाए और रंगी ने उसको छोड़ दिया
बबीता झट से नीचे आई और रंगी ने अपना लंड पकड़ कर तेजी से सहलाते हुए सुपाड़े का मुंह उसके ओर कर दिया और फिर एक के बाद एक मोटी थक्केदार गर्म पिचकारी छूटने लगी , जो सीधा बबीता के मुंह पर जा रही थी: ओह्ह्ह् सीईईई ओह्ह्ह ले पी जा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह
रंगी लंड अंत तक अच्छे से आखिरी बूंद तक निचोड़ दिया और आंखे खोल कर देखा तो बबीता उसके वीर्य से पूरी सन गई थी ,लेकिन उसके चेहरे पर इसके लिए जरा भी सिकन नहीं थी वो अपने रसीले मम्में से छिटे साफ कर रही थी और हांफती हुई हस रही थी
रंगी भी हंसता हुआ हांफता हुआ बिस्तर पर बैठ गया : वैसे तेरी छुट्टी कभी होगी ?
: 2 बजे तक क्यों ?
: कुछ नहीं ( रंगी ने मुस्कुरा कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे )
: बबीता उठ कर तौलिया से अपना मुंह पोछने लगी और रंगी वही उसके बिस्तर पर पसर गया ।
सुबह सुबह एक सुकून भरी मुस्कुराहट थी उसके चेहरे पर और वो गहरी ठंडी सांसे भरने लगा ।
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इनसब से अलग रज्जो अपने सफर पर किन्हीं ख्यालों में खोई हुई मुस्कुरा रही थी , जिन्हें सोच कर ब्लाउज में उसके निप्पल तन गए थे और पूरे बदन में जड़कन सी होने लगी थी ।
शिला का घर छोड़े घंटे भर से अधिक हो गए थे । तभी उसका मोबाइल फिर से बजा
" मै लोकेशन पर आ गया हूं "
रज्जो ने मुस्कुरा कर बस "ओके" कहा और फोन काट दिया और अपने बदन एक गर्माहट महसूस की जो उसके जकड़ी नसों को हल्के हल्के खोलते हुए पूरे बदन में कसमसाहट पैदा करने लगी , रज्जो ने नथुनों से गहरी लंबी सांस ली और मोबाइल में छिप कर वो तस्वीरें देखने लगी जिससे उसे कल दुपहर में निकाला था ।
शिला के गांव की वाले घर के लिए जाने वाले बाग में झाड़ियों की ओर शिला अपनी साड़ी उठा कर किसी को दूर से अपने बड़े बड़े रसीले चूतड़ों के दर्शन करवा रही थी और पेड़ की ओट के छिप कर कोई उसे देख कर अपना बड़ा मोटा खीरे जैसा लंड हिला रहा था ।
" ये किसका नंबर है "
" मै , मै नहीं जनाता बड़ी मामी । पता नहीं किसका नंबर है "
" देख तू मुझसे झूठ तो बोल मत और अगर तू मुझे इस नंबर के बारे में बताता है तो सोच ले इसमें तेरा ही फायदा होगा "
" मेरा क्या फायदा ? "
" क्यों तुझे कुछ नहीं चाहिए मुझसे उम्मम "
" ठीक है बताता हूं, लेकिन वादा करो ये बात आप कभी किसी से नहीं कहोगी , बड़ी मम्मी से भी नहीं "
" हा नहीं कहूंगी , बता अब "
" वो ... गांव में एक घर है न.. दादा जी घर की तरफ जाते हुए , वही इसका घर है "
" हा लेकिन है कौन , तेरी बड़ी मम्मी का आशिक क्या , हाहाहाहा "
" नहीं ये भी बड़ी मम्मी का कस्टमर है "
" कस्टमर है ? मतलब ? "
" मतलब ... ये भी बड़ी मम्मी की सेक्स स्ट्रीम देखता है और सबसे ज्यादा पैसे भी यही देता है "
" ओहो , वैसे है कौन ये बड़ा तंग कर रखा है इसमें तेरी बड़ी मम्मी को उम्मम बता थोड़ी खबर लें लूं इसकी "
" नहीं उसके यहां कोई नहीं जाता , न लेडीज न जेंट्स "
" क्यों ? "
" वो ... वो सेक्स करता है लोगो से पैसे लेकर "
" खुद मर्द होकर मर्दों से करता है ? "
" नहीं वो आदमी नहीं "
" फिर ? "
तभी रज्जो के मोबाइल पर एक मैसेज आया और मोबाइल की घरघराहट ने उसकी आंखे खोल दी । रज्जो अपने अतीत से बाहर आई और मोबाइल चेक किया तो उसके व्हाट्सअप पर एक छोटा वीडियो क्लिप था , ये वही नंबर था जिसके साथ अभी उसने बात किया था और वो नंबर "मुस्कान" नाम से सेव था ।
रज्जो ने आस पास देखा और चुपके से बस में छिप कर वो वीडियो खोली और सामने वीडियो में रसीला माल देख कर रज्जो की बुर कुलबुलाने लगी
उस वीडियो में मुस्कान खुद था , उसने जो रूम बुक किया था उस कमरे में पूरा नंगा होकर सेल्फी कैमरे से अपनी वीडियो बना कर भेजी थी
उसके बड़े बड़े रसीले मम्में एकदम टाइट और कड़े थे और नीचे उसके हाथों में उसका 8 इंच लंबा मोटा खीरे जैसा लंड था जैसे वो सहला रहा था
" COME FAST , WAITING FOR YOU SEXY"
रज्जो वो वीडियो देख कर झट से मोबाइल स्क्रीन ऑफ कर दी और मुस्कुरा कर एक गहरी सांस लेते हुए बस की सीट पर बैठे हुए अपने पैर टाइट कर अपने कूल्हे कमर में उठती जकड़न को सही करने का सोचा । उसके नथुने से गर्म आग जैसी सांसे उफना रही थी , रोम रोम खड़ा होकर मस्त हो गया था ।
याद आ रहा था वो पल जब उसने मुस्कान को कल दुपहर में शिला की गाड़ देख कर लंड हिलाते हुए पकड़ा था , शिला तो मौके से फरार हो गई थी लेकिन मुस्कान रज्जो के हाथ लग गया ।
: कहा भाग रहे हो राजा
: छोड़ो मुझे , देखो तुमसे मुझे कोई मतलब नहीं
: सीईईई ओह्ह्ह्ह कितना टाइट कर रखा है ( रज्जो ने उसकी सलवार के ऊपर से ही उसका लंड पकड़ ली जो अभी भी टाइट था पूरा)
: देखो तुम मेहमान हो सेठानी के घर के तो मै कुछ नहीं करना चाहता, जाओ यहां से किसी ने देख लिया तो दिक्कत हो जाएगी ।
: चली जाऊंगी , लेकिन मुझे ये चाहिए
: नहीं मिल सकता , प्लीज तुम जाओ
फिर वो मुस्कान रज्जो से हाथ झटक कर निकल गई और रज्जो ने बीच रस्ते में ही खेतों की मेड से उसे गांव की ओर जाते देखा और फोन मिला दिया
: हैलो
: हाय तेरे चूतड़ भी कम कातिल नहीं है
मुस्कान ने पलट कर देखा और चिढ़ कर फोन पर कान से लगा कर
: क्या चाहती हो तुम
: वही जो तू चाहता है
: लेकिन मेरा रेट बहुत महंगा है
: दाम मै दे दूंगी लेकिन पहले जगह fix कर ले
: है एक जगह , बड़े शहर में एक होटल है
: सेफ है ?
: हा एकदम , लेकिन होटल का डबल चाहिए मुझे । आने जाने में खर्चा होता है मुझे ।
: ठीक है , डन और सुन
: क्या ?
: आज की स्ट्रीम देख लेना हीहीही
रज्जो बीते पलो की यादों से मुस्करा रही थी कि उसकी बस उसके स्टॉप पर आकर रुक गई और रज्जो अपना बैग लेकर नीचे उतर गई
मोबाइल फोन पर वापस से मुस्कान का नंबर डायल कर निकल दी । उसके होटल की ओर जहां वो उसकी राह में अपना बड़ा सा लंड सहला रहा था ।
जारी रहेगी
( बड़े निराश होने वाली बात है कि बार बार सबको कहना पड़ता है कि लाइक रेवो करो , 74 वोट है और लाइक कमेंट मुश्किल से 20 आते है । लिखने का मूड भी रहे तो रिस्पांस देखकर मन नहीं करता )
Super update writer sahab....agle update mei raj aur thakurain ka kuch scene bnaao pleaseअध्याय 02
UPDATE 028
प्रतापपुर
रंगी और बनवारी टहल कर दातुन कूंचते हुए वापस आ रहे थे और आंगन में दाखिल होते ही रंगी ने बबीता के कमरे के दरवाजे पर कुछ आहट देखी जैसे कोई तेजी से कमरे में गया हो
सुबह सुबह उसकी नंगी जांघें और बबले जैसे चूतड़ों देख कर लंड फनकार मार रहा था और एकदम से बबीता का ख्याल आते ही उसका लंड फिर से सर उठाने लगा
: बाउजी , जरा कुछ देर गीता को देखेंगे क्या ?
: क्या हुआ
रंगी ने बस एक शरारत भरी मुस्कुराहट से बनवारी को देखा और बनवारी समझ गया
: ठीक है , देखूं अभी वो उठी नहीं होगी , रात देर से सोई बेचारी
: हा जोश जोश में थोड़ा ज्यादा हो गया था उसके साथ
: हाहाहा, अरे कोई बात नहीं जमाई बाबू , दिन भर आराम करने दो रात तक फिर तैयार हो जाएगी । जाता हूं मै और आप भी हाहाहा
रंगी भी हस कर कुल्ला कर निकल गया दबे पाव बबीता के कमरे की ओर , एक नजर कमरे के बाहर से पूरे बरामदे और आंगन में नजर घुमाया और फिर झटके से बिना कोई आहट के कमरे में दाखिल हो गया और कमरे का दरवाजा बंद कर सिटकनी लगा दी
: सीईईई बहिनचोद अंदर से तो ये अपनी मां जैसी गोरी है , पूरी दूध की रबड़ी है अह्ह्ह्ह ( रंगी ने पजामे के ऊपर से अपना लंड मसल कर सामने देखा )
सामने गीता सिर्फ एक काली पैंटी में नंगी खड़ी थी , उसके गीले बाल बड़े चमक रहे थे और गुलाबी रबड़ी जैसा बदन बड़ा ही रस भरा था , पैंटी में उसके छोटे छोटे चूतड़ों को देख कर रंगी का मुंह लार छोड़ रही थी
रंगी ने अपना पजामा खोला और अंडरवियर से लंड निकाल कर उसको सहलाने लगा और चमड़ी पीछे कर सुपाड़ा खोल दिया
वो भी एकदम लाल गुस्से थे , मानो रात में उसे धोखा मिलने से कितना नाराज हो
नसे टाइट और गर्म हो गई थी।जैसे ही बबीता आलमारी से अपने स्कूल के कपड़े निकाल कर घूमी एकदम से रंगी को अपने सामने पाकर चौक गई और उसने बड़ी बड़ी आंखों से रंगी को अपने सामने अपना बड़ा सा लंड हाथों में ले कर सहलाते देखा
फिर वो कपड़े से अपनी मौसमी जैसे चूचे छुपाने लगी : फूफा जी आप यहां? प्लीज जाओ कोई देख लेगा
: कोई नहीं आएगा , बस तू इसे जल्दी से ठंडा कर दे , रात से तड़प रहा हूं बेटा
रात की बात करते ही बबीता का मुंह बन गया , जब उसे रात में गीता बनवारी और रंगी की करतूत का ख्याल आया कि कैसे रंगी ने उसे तड़पा कर खुद गीता के साथ मजे करने लगा था ।
: नहीं !! मुझे स्कूल जाना है लेट हो रहा है आप जाओ
: क्या नहीं नहीं ( रंगी झट पट उसकी ओर लंड लेकर आ गया एकदम उसके करीब ) अह्ह्ह्ह्ह इसे छू तो देख क्या हाल है इसका ( उसने बबीता का हाथ पकड़ कर रख कर अपने लंड पर )
जैसे ही उसने रंगी का मोटा तपता लंड पकड़ा वो सिहर उठी अन्दर से मानो उसके जिस्म की सारी गर्मी वो लंड खींच रहा हो ।
रंगी ने उसके लंड पकड़ा कर जैसे भुलवा ही दिया था और उसके हाथ से कपड़े लेकर उन्हें बिस्तर पर फेंक दिया
: उफ्फ बेटा हाथ ऐसे ही छू उसे सीई ओह्ह्ह तेरे हाथ कितने मुलायम है सीई ओह्ह्ह
: बहुत गर्म है फूफा जी ये उफ्फ मम्मीई ओह्ह्ह
रंगी ने अपना हाथ उसके पीछे चूतड़ों पर ले जाकर उन्हें टटोलने लगा और उन्हें पंजे में भरता हुआ सिहर रहा था जैसे जैसे बबीता उसके लंड की चमड़ी आगे पीछे कर रही थी
रंगी ने झुक कर उसके नरम ताजे होठ को अपने होठ से लगा दिया और जैसे कोई मीठी चासनी उसके मुंह में घुलने लगी हो और उसने बबीता को अपने आगे कर अपने दोनों पंजे पीछे ले जाकर उसके पैंटी में घुसाते हुए उसके लचीले चूतड़ों को सहलाते हुए नोचने लगा
रंगी के ठन्डे पंजों का अहसास पाकर बबीता अपनी एड़ियां उठाने लगी और रंगी का लिप्स चूसने लगी दुगने जोश से , उसका हाथ अभी भी रंगी का लड़ आगे से सहला रहा था
रंगी अपने हाथ उसकी पैंटी से निकाल कर सामने से उसके नंगी मौसमी जैसे कड़क चूचे पर ले गया और झुक एक को मुंह में भर लिया
: अह्ह्ह्ह मम्मीइई सीईईई अह्ह्ह्ह्ह आराम से फूफा जी
रंगी एक बार में उसकी पूरी की पूरी चुची को मुंह में भर लिया और होठों से अंदर खींचते हुए जीभ से उसके मटर के दाने जितने निप्पल को फ्लिक करने लगा , बबीता तड़प उठी और अभी भी रंगी का दूसरा पंजा उसके चूतड़ों में गड़ा हुआ था उसे फैला रहा था नोच रहा था
उसके हथेलियों को जैसे बबीता के चूतड़ों की नरमी उसकी लचीली चर्बी भा गई थी और उसे उन्हें नोचने में बड़ा सुख मिल रहा था और वो बबीता को लेकर भीतर पर बैठ गया और उसे अपनी जांघो पर सुला दिया
: सीईईई गुड़िया तेरी गाड़ बहुत नरम है रे उफ्फफ एकदम रबर जैसी
: अह्ह्ह्ह सीईईईईई फूफा जी नोच क्यों रहे है अह्ह्ह्ह मम्मीइई
: तू आई क्यों नहीं रात में , कितनी देर तक राह देखी मैने
रंगी उसकी पैंटी खींच कर उसके चूतड़ों को नंगा करता हुआ बोला , अब तो बबीता के बुर की गीली फांके भी साफ साफ झलक रही थी
: बक्क झूठ मत बोलो , गंदे हो आप , मुझे बुला कर खुद चले गए थे
: कहा गया था बता तो ? उम्मम देखा तूने मुझे ( रंगी अपने नाखूनों ने उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों को खरोचता हुआ बोला और बबीता ने अपने चूतड़ों को टाइट कस लिया )
: हम्ममम देखा था आपको दादू के कमरे में सीईईई ओह्ह्ह मार क्यों रहे हो मम्मीइई दर्द हो रहा है
: क्या बोली तू उम्मम ( रंगी उसको अपनी गोद में लिटाया हुए उसके चूतड़ों को पकड़ कर नोचते हुए बोला ) फिर से बोल
: सीईईई ओह्ह्ह बोल रही थी कि मैने अह्ह्ह्ह मम्मीइई क्या कर रहे हो आप उफ्फफ
रंगी ने उसके गाड़ के गुलाबी सुराख पर थूक लगा कर उंगली से छेड़ रहा था और बबीता की हालत खराब हों रही थी।
: बोल क्या देखा तूने उम्मम
: वो आप और दादू गीता के साथ वो सब कर रहे था अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह मम्मीई मार क्यों रहे है आप उफ्फ
: तेरी गाड़ इतनी चर्बीदार है कि रहा नहीं जा रहा है सीईईई चल मेरा लंड चूस कर ठंडा कर दे इसे
: नहीं जाओ उसी से चुसवाओ आप हा नहीं तो
रंगी ने उसे नीचे बिठा दिया और खुद खड़ा होकर उसका चेहरा पकड़ कर उसके होठों पर लंड पटकने लगा : देख अब परेशान मत कर , कल से तेरे गाड़ देख देख कर हाल बुरा है चाट न
बबीता रंगी के गर्म लंड की थपेड़ से सिहर रही थी और मुंह खोलकर जीभ बाहर निकल दी , जिसपर रंगी अपने लंड को पटक रहा था
: ओह्ह्ह तू और तेरी बहन दोनों एक नंबर की चुदासी हो
: चुदासी मतलब ( उसने एकदम से रंगी का लंड पकड़ लिया)
: जिसे चुदवाने में मजा आता हो , आता है न तुझे
बबीता ने बिना कुछ बोले रंगी का सुपाड़ा मुंह में ले लिया और आंखे बड़ी कर हुंकारी भरते हुए सर हिलाया जिसे देख कर रंगी का लंड और अकड़ गया
: ओह्ह्ह्ह ले और ले अंदर सीईईई तू तो पूरा घोंट सकती है लेह बेटा चूस जा इसको पूरा उम्ममम सीईईई कितना सॉफ्टी है तेरे होठ उम्ममम अह्ह्ह्ह
: क्या हुआ ( रंगी ने देखा कि बबीता ने उसका लंड छोड़ दिया और पीछे हो गई , उसका लंड हवा में तना हुआ सांस ले रहा था )
बबीता कुछ नहीं बोली बस अपनी जगह पर घुटने फोल्ड कर बैठी हुई थी नंगी फर्श पर और आगे झुक कर बिना रंगी के लंड को हाथ लगाए अपनी कलाबाजी दिखाती हुई सिर्फ होठों से उसके लंड को सुरकना शुरू किया और देखते ही देखते पूरे आड़ तक लंड को गले में उतार लिया
: ओह्ह्ह बेटा उफ्फफ इतना अंदर सीईईई ( रंगी बबीता को लंड पूरा अंदर घोट कर बाहर उगलते हुए देखा )
बबीता ने अपने होठों से रिसते लार को उंगलियों से साफ कर वापस से अपना मुंह लंड की ओर के गई और वही प्रक्रिया को दोहराते हुए आड़ तक लंड को गले में उतारा और ज्यादा भरने की कोशिश करते हुए उगल दिया
रंगी का लंड उसके लार से लिभड़ाया हुआ सना हुआ चमकने लगा
बबीता ने वापस से उसका लंड दोनों हाथों में लेकर सहलाते हुए सुपाड़े को चूसने लगी
रंगी उसकी कलाबाजी से रोमांचित हुआ जा रहा था ये सोच कर कि कैसे बबीता को उसका bf ट्रेन कर रहा है।
: ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम चूस सीईईई अह्ह्ह्ह तूने तो दिन बना दिया है ओह्ह्ह्ह उम्ममम
बबीता लगातार उसका लंड चुभलाए जा रही थी और रंगी का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था
उसने बबीता को खड़ा कर घुमाया और झुका कर वापस से उसके चूतड़ों को सहलाते हुए नोचने लगा
: उफ्फ फूफा जी आराम से अह्ह्ह्ह सीईईईईई मम्मीइई ओह्ह्ह्ह
: तेरी मम्मी नहीं आने वाली चोदने तुझे , मै पेलूंगा बोल लेगी लंड उम्मम( रंगी उसकी बुर में उंगली पेलने लगा और बबीता की सिसकिया तेज होने लगी )
: अह्ह्ह्ह हा हा डाल दो ओह्ह्ह्ह घुसा दो फूफाजी उम्ममम मुझे लेना है उफ्फफ मै ऐसे ही झड़ जाऊंगी अह्ह्ह्ह सीईईईईई मम्मीईइईई
रंगी ने हाथ खींच लिया और उसकी लार से लिभड़ाए लंड को पकड़ कर पीछे से ही उसकी बुर के फांके में डालने लगा
: आह्ह्ह्ह नहीं टाइट है निकालो सीईईई मम्मीइई
: चुप नाटक मत कर ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी बुर है तेरी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह सच में कितनी कसी है
: उम्ममम फूफा जी फट जायेगा ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह मम्मीइई
: बस बेटा हो गया उफ्फफ कितनी मुलायम बुर है तेरी देख पूरा घुस गया न बहुत जगह होता है इसमें ओह्ह्ह्ह कितना तप रहा मेरा लंड ओह्ह्ह्ह ( रंगी ने पूरा लंड पीछे से बबीता की बुर के फांके में भर दिया था और अंदर से चूत की दीवारें उसके लंड को जला रही थी )
रंगी का मोटा तपता लंड पाकर बबीता ने भी उसके बुर से कस लिया और फांके टाइट करने लगी
: उम्मम बड़े पैंतरे सीख रखे है तूने , लेकिन ये पकड़ मेरे लंड पर नहीं बना पायेगी ओह्ह्ह लेह अब इसे रोक कर दिखा उम्ममम रोक न उम्मम क्या हुआ बोल
जैसे जैसे रंगी ने अपनी कमर हिला कर लंड को उसके बुर में आगे पीछे करने लगा वैसे वैसे बबीता की टाइट फांके खींचने लगी अंदर बाहर की ओर और बबीता का जिस्म अंदर से मचल उठा और उसने अपनी बुर को ढीला छोड़ दिया : ओह्ह्ह्ह गॉड कितना बड़ा है आपका फूफा जी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई फक्क मीईईई सीई ओह्ह्ह्ह उम्ममम जल्दी करो मुझे लेट हो रहा है
: जल्दी चाहिए उम्मम तो ये ले और कस कस के ( रंगी मुंह भींचता हुआ उसके पतली सी कमर को पकड़ कर तेजी से आगे पीछे होकर लंड को उसके बुर में पेलने लगा
उसकी चीखे दुगनी हो गई और जितना वजन था बबीता का वो तो सच में कोई गुड़िया ही थी जिसे बस रंगी अपने लंड पर खूब तेज तेज हमच कर झुला रहा था
ताबड़तोड़ पेलाई करते हुए रंगी के लंड की नसों ने बबीता की गर्म बुर और कसी फांकों का घर्षण झेल नहीं पाए और रंगी ने उसको छोड़ दिया
बबीता झट से नीचे आई और रंगी ने अपना लंड पकड़ कर तेजी से सहलाते हुए सुपाड़े का मुंह उसके ओर कर दिया और फिर एक के बाद एक मोटी थक्केदार गर्म पिचकारी छूटने लगी , जो सीधा बबीता के मुंह पर जा रही थी: ओह्ह्ह् सीईईई ओह्ह्ह ले पी जा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह
रंगी लंड अंत तक अच्छे से आखिरी बूंद तक निचोड़ दिया और आंखे खोल कर देखा तो बबीता उसके वीर्य से पूरी सन गई थी ,लेकिन उसके चेहरे पर इसके लिए जरा भी सिकन नहीं थी वो अपने रसीले मम्में से छिटे साफ कर रही थी और हांफती हुई हस रही थी
रंगी भी हंसता हुआ हांफता हुआ बिस्तर पर बैठ गया : वैसे तेरी छुट्टी कभी होगी ?
: 2 बजे तक क्यों ?
: कुछ नहीं ( रंगी ने मुस्कुरा कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे )
: बबीता उठ कर तौलिया से अपना मुंह पोछने लगी और रंगी वही उसके बिस्तर पर पसर गया ।
सुबह सुबह एक सुकून भरी मुस्कुराहट थी उसके चेहरे पर और वो गहरी ठंडी सांसे भरने लगा ।
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इनसब से अलग रज्जो अपने सफर पर किन्हीं ख्यालों में खोई हुई मुस्कुरा रही थी , जिन्हें सोच कर ब्लाउज में उसके निप्पल तन गए थे और पूरे बदन में जड़कन सी होने लगी थी ।
शिला का घर छोड़े घंटे भर से अधिक हो गए थे । तभी उसका मोबाइल फिर से बजा
" मै लोकेशन पर आ गया हूं "
रज्जो ने मुस्कुरा कर बस "ओके" कहा और फोन काट दिया और अपने बदन एक गर्माहट महसूस की जो उसके जकड़ी नसों को हल्के हल्के खोलते हुए पूरे बदन में कसमसाहट पैदा करने लगी , रज्जो ने नथुनों से गहरी लंबी सांस ली और मोबाइल में छिप कर वो तस्वीरें देखने लगी जिससे उसे कल दुपहर में निकाला था ।
शिला के गांव की वाले घर के लिए जाने वाले बाग में झाड़ियों की ओर शिला अपनी साड़ी उठा कर किसी को दूर से अपने बड़े बड़े रसीले चूतड़ों के दर्शन करवा रही थी और पेड़ की ओट के छिप कर कोई उसे देख कर अपना बड़ा मोटा खीरे जैसा लंड हिला रहा था ।
" ये किसका नंबर है "
" मै , मै नहीं जनाता बड़ी मामी । पता नहीं किसका नंबर है "
" देख तू मुझसे झूठ तो बोल मत और अगर तू मुझे इस नंबर के बारे में बताता है तो सोच ले इसमें तेरा ही फायदा होगा "
" मेरा क्या फायदा ? "
" क्यों तुझे कुछ नहीं चाहिए मुझसे उम्मम "
" ठीक है बताता हूं, लेकिन वादा करो ये बात आप कभी किसी से नहीं कहोगी , बड़ी मम्मी से भी नहीं "
" हा नहीं कहूंगी , बता अब "
" वो ... गांव में एक घर है न.. दादा जी घर की तरफ जाते हुए , वही इसका घर है "
" हा लेकिन है कौन , तेरी बड़ी मम्मी का आशिक क्या , हाहाहाहा "
" नहीं ये भी बड़ी मम्मी का कस्टमर है "
" कस्टमर है ? मतलब ? "
" मतलब ... ये भी बड़ी मम्मी की सेक्स स्ट्रीम देखता है और सबसे ज्यादा पैसे भी यही देता है "
" ओहो , वैसे है कौन ये बड़ा तंग कर रखा है इसमें तेरी बड़ी मम्मी को उम्मम बता थोड़ी खबर लें लूं इसकी "
" नहीं उसके यहां कोई नहीं जाता , न लेडीज न जेंट्स "
" क्यों ? "
" वो ... वो सेक्स करता है लोगो से पैसे लेकर "
" खुद मर्द होकर मर्दों से करता है ? "
" नहीं वो आदमी नहीं "
" फिर ? "
तभी रज्जो के मोबाइल पर एक मैसेज आया और मोबाइल की घरघराहट ने उसकी आंखे खोल दी । रज्जो अपने अतीत से बाहर आई और मोबाइल चेक किया तो उसके व्हाट्सअप पर एक छोटा वीडियो क्लिप था , ये वही नंबर था जिसके साथ अभी उसने बात किया था और वो नंबर "मुस्कान" नाम से सेव था ।
रज्जो ने आस पास देखा और चुपके से बस में छिप कर वो वीडियो खोली और सामने वीडियो में रसीला माल देख कर रज्जो की बुर कुलबुलाने लगी
उस वीडियो में मुस्कान खुद था , उसने जो रूम बुक किया था उस कमरे में पूरा नंगा होकर सेल्फी कैमरे से अपनी वीडियो बना कर भेजी थी
उसके बड़े बड़े रसीले मम्में एकदम टाइट और कड़े थे और नीचे उसके हाथों में उसका 8 इंच लंबा मोटा खीरे जैसा लंड था जैसे वो सहला रहा था
" COME FAST , WAITING FOR YOU SEXY"
रज्जो वो वीडियो देख कर झट से मोबाइल स्क्रीन ऑफ कर दी और मुस्कुरा कर एक गहरी सांस लेते हुए बस की सीट पर बैठे हुए अपने पैर टाइट कर अपने कूल्हे कमर में उठती जकड़न को सही करने का सोचा । उसके नथुने से गर्म आग जैसी सांसे उफना रही थी , रोम रोम खड़ा होकर मस्त हो गया था ।
याद आ रहा था वो पल जब उसने मुस्कान को कल दुपहर में शिला की गाड़ देख कर लंड हिलाते हुए पकड़ा था , शिला तो मौके से फरार हो गई थी लेकिन मुस्कान रज्जो के हाथ लग गया ।
: कहा भाग रहे हो राजा
: छोड़ो मुझे , देखो तुमसे मुझे कोई मतलब नहीं
: सीईईई ओह्ह्ह्ह कितना टाइट कर रखा है ( रज्जो ने उसकी सलवार के ऊपर से ही उसका लंड पकड़ ली जो अभी भी टाइट था पूरा)
: देखो तुम मेहमान हो सेठानी के घर के तो मै कुछ नहीं करना चाहता, जाओ यहां से किसी ने देख लिया तो दिक्कत हो जाएगी ।
: चली जाऊंगी , लेकिन मुझे ये चाहिए
: नहीं मिल सकता , प्लीज तुम जाओ
फिर वो मुस्कान रज्जो से हाथ झटक कर निकल गई और रज्जो ने बीच रस्ते में ही खेतों की मेड से उसे गांव की ओर जाते देखा और फोन मिला दिया
: हैलो
: हाय तेरे चूतड़ भी कम कातिल नहीं है
मुस्कान ने पलट कर देखा और चिढ़ कर फोन पर कान से लगा कर
: क्या चाहती हो तुम
: वही जो तू चाहता है
: लेकिन मेरा रेट बहुत महंगा है
: दाम मै दे दूंगी लेकिन पहले जगह fix कर ले
: है एक जगह , बड़े शहर में एक होटल है
: सेफ है ?
: हा एकदम , लेकिन होटल का डबल चाहिए मुझे । आने जाने में खर्चा होता है मुझे ।
: ठीक है , डन और सुन
: क्या ?
: आज की स्ट्रीम देख लेना हीहीही
रज्जो बीते पलो की यादों से मुस्करा रही थी कि उसकी बस उसके स्टॉप पर आकर रुक गई और रज्जो अपना बैग लेकर नीचे उतर गई
मोबाइल फोन पर वापस से मुस्कान का नंबर डायल कर निकल दी । उसके होटल की ओर जहां वो उसकी राह में अपना बड़ा सा लंड सहला रहा था ।
जारी रहेगी
( बड़े निराश होने वाली बात है कि बार बार सबको कहना पड़ता है कि लाइक रेवो करो , 74 वोट है और लाइक कमेंट मुश्किल से 20 आते है । लिखने का मूड भी रहे तो रिस्पांस देखकर मन नहीं
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाअध्याय 02
UPDATE 028
प्रतापपुर
रंगी और बनवारी टहल कर दातुन कूंचते हुए वापस आ रहे थे और आंगन में दाखिल होते ही रंगी ने बबीता के कमरे के दरवाजे पर कुछ आहट देखी जैसे कोई तेजी से कमरे में गया हो
सुबह सुबह उसकी नंगी जांघें और बबले जैसे चूतड़ों देख कर लंड फनकार मार रहा था और एकदम से बबीता का ख्याल आते ही उसका लंड फिर से सर उठाने लगा
: बाउजी , जरा कुछ देर गीता को देखेंगे क्या ?
: क्या हुआ
रंगी ने बस एक शरारत भरी मुस्कुराहट से बनवारी को देखा और बनवारी समझ गया
: ठीक है , देखूं अभी वो उठी नहीं होगी , रात देर से सोई बेचारी
: हा जोश जोश में थोड़ा ज्यादा हो गया था उसके साथ
: हाहाहा, अरे कोई बात नहीं जमाई बाबू , दिन भर आराम करने दो रात तक फिर तैयार हो जाएगी । जाता हूं मै और आप भी हाहाहा
रंगी भी हस कर कुल्ला कर निकल गया दबे पाव बबीता के कमरे की ओर , एक नजर कमरे के बाहर से पूरे बरामदे और आंगन में नजर घुमाया और फिर झटके से बिना कोई आहट के कमरे में दाखिल हो गया और कमरे का दरवाजा बंद कर सिटकनी लगा दी
: सीईईई बहिनचोद अंदर से तो ये अपनी मां जैसी गोरी है , पूरी दूध की रबड़ी है अह्ह्ह्ह ( रंगी ने पजामे के ऊपर से अपना लंड मसल कर सामने देखा )
सामने गीता सिर्फ एक काली पैंटी में नंगी खड़ी थी , उसके गीले बाल बड़े चमक रहे थे और गुलाबी रबड़ी जैसा बदन बड़ा ही रस भरा था , पैंटी में उसके छोटे छोटे चूतड़ों को देख कर रंगी का मुंह लार छोड़ रही थी
रंगी ने अपना पजामा खोला और अंडरवियर से लंड निकाल कर उसको सहलाने लगा और चमड़ी पीछे कर सुपाड़ा खोल दिया
वो भी एकदम लाल गुस्से थे , मानो रात में उसे धोखा मिलने से कितना नाराज हो
नसे टाइट और गर्म हो गई थी।जैसे ही बबीता आलमारी से अपने स्कूल के कपड़े निकाल कर घूमी एकदम से रंगी को अपने सामने पाकर चौक गई और उसने बड़ी बड़ी आंखों से रंगी को अपने सामने अपना बड़ा सा लंड हाथों में ले कर सहलाते देखा
फिर वो कपड़े से अपनी मौसमी जैसे चूचे छुपाने लगी : फूफा जी आप यहां? प्लीज जाओ कोई देख लेगा
: कोई नहीं आएगा , बस तू इसे जल्दी से ठंडा कर दे , रात से तड़प रहा हूं बेटा
रात की बात करते ही बबीता का मुंह बन गया , जब उसे रात में गीता बनवारी और रंगी की करतूत का ख्याल आया कि कैसे रंगी ने उसे तड़पा कर खुद गीता के साथ मजे करने लगा था ।
: नहीं !! मुझे स्कूल जाना है लेट हो रहा है आप जाओ
: क्या नहीं नहीं ( रंगी झट पट उसकी ओर लंड लेकर आ गया एकदम उसके करीब ) अह्ह्ह्ह्ह इसे छू तो देख क्या हाल है इसका ( उसने बबीता का हाथ पकड़ कर रख कर अपने लंड पर )
जैसे ही उसने रंगी का मोटा तपता लंड पकड़ा वो सिहर उठी अन्दर से मानो उसके जिस्म की सारी गर्मी वो लंड खींच रहा हो ।
रंगी ने उसके लंड पकड़ा कर जैसे भुलवा ही दिया था और उसके हाथ से कपड़े लेकर उन्हें बिस्तर पर फेंक दिया
: उफ्फ बेटा हाथ ऐसे ही छू उसे सीई ओह्ह्ह तेरे हाथ कितने मुलायम है सीई ओह्ह्ह
: बहुत गर्म है फूफा जी ये उफ्फ मम्मीई ओह्ह्ह
रंगी ने अपना हाथ उसके पीछे चूतड़ों पर ले जाकर उन्हें टटोलने लगा और उन्हें पंजे में भरता हुआ सिहर रहा था जैसे जैसे बबीता उसके लंड की चमड़ी आगे पीछे कर रही थी
रंगी ने झुक कर उसके नरम ताजे होठ को अपने होठ से लगा दिया और जैसे कोई मीठी चासनी उसके मुंह में घुलने लगी हो और उसने बबीता को अपने आगे कर अपने दोनों पंजे पीछे ले जाकर उसके पैंटी में घुसाते हुए उसके लचीले चूतड़ों को सहलाते हुए नोचने लगा
रंगी के ठन्डे पंजों का अहसास पाकर बबीता अपनी एड़ियां उठाने लगी और रंगी का लिप्स चूसने लगी दुगने जोश से , उसका हाथ अभी भी रंगी का लड़ आगे से सहला रहा था
रंगी अपने हाथ उसकी पैंटी से निकाल कर सामने से उसके नंगी मौसमी जैसे कड़क चूचे पर ले गया और झुक एक को मुंह में भर लिया
: अह्ह्ह्ह मम्मीइई सीईईई अह्ह्ह्ह्ह आराम से फूफा जी
रंगी एक बार में उसकी पूरी की पूरी चुची को मुंह में भर लिया और होठों से अंदर खींचते हुए जीभ से उसके मटर के दाने जितने निप्पल को फ्लिक करने लगा , बबीता तड़प उठी और अभी भी रंगी का दूसरा पंजा उसके चूतड़ों में गड़ा हुआ था उसे फैला रहा था नोच रहा था
उसके हथेलियों को जैसे बबीता के चूतड़ों की नरमी उसकी लचीली चर्बी भा गई थी और उसे उन्हें नोचने में बड़ा सुख मिल रहा था और वो बबीता को लेकर भीतर पर बैठ गया और उसे अपनी जांघो पर सुला दिया
: सीईईई गुड़िया तेरी गाड़ बहुत नरम है रे उफ्फफ एकदम रबर जैसी
: अह्ह्ह्ह सीईईईईई फूफा जी नोच क्यों रहे है अह्ह्ह्ह मम्मीइई
: तू आई क्यों नहीं रात में , कितनी देर तक राह देखी मैने
रंगी उसकी पैंटी खींच कर उसके चूतड़ों को नंगा करता हुआ बोला , अब तो बबीता के बुर की गीली फांके भी साफ साफ झलक रही थी
: बक्क झूठ मत बोलो , गंदे हो आप , मुझे बुला कर खुद चले गए थे
: कहा गया था बता तो ? उम्मम देखा तूने मुझे ( रंगी अपने नाखूनों ने उसके नरम चर्बीदार चूतड़ों को खरोचता हुआ बोला और बबीता ने अपने चूतड़ों को टाइट कस लिया )
: हम्ममम देखा था आपको दादू के कमरे में सीईईई ओह्ह्ह मार क्यों रहे हो मम्मीइई दर्द हो रहा है
: क्या बोली तू उम्मम ( रंगी उसको अपनी गोद में लिटाया हुए उसके चूतड़ों को पकड़ कर नोचते हुए बोला ) फिर से बोल
: सीईईई ओह्ह्ह बोल रही थी कि मैने अह्ह्ह्ह मम्मीइई क्या कर रहे हो आप उफ्फफ
रंगी ने उसके गाड़ के गुलाबी सुराख पर थूक लगा कर उंगली से छेड़ रहा था और बबीता की हालत खराब हों रही थी।
: बोल क्या देखा तूने उम्मम
: वो आप और दादू गीता के साथ वो सब कर रहे था अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह मम्मीई मार क्यों रहे है आप उफ्फ
: तेरी गाड़ इतनी चर्बीदार है कि रहा नहीं जा रहा है सीईईई चल मेरा लंड चूस कर ठंडा कर दे इसे
: नहीं जाओ उसी से चुसवाओ आप हा नहीं तो
रंगी ने उसे नीचे बिठा दिया और खुद खड़ा होकर उसका चेहरा पकड़ कर उसके होठों पर लंड पटकने लगा : देख अब परेशान मत कर , कल से तेरे गाड़ देख देख कर हाल बुरा है चाट न
बबीता रंगी के गर्म लंड की थपेड़ से सिहर रही थी और मुंह खोलकर जीभ बाहर निकल दी , जिसपर रंगी अपने लंड को पटक रहा था
: ओह्ह्ह तू और तेरी बहन दोनों एक नंबर की चुदासी हो
: चुदासी मतलब ( उसने एकदम से रंगी का लंड पकड़ लिया)
: जिसे चुदवाने में मजा आता हो , आता है न तुझे
बबीता ने बिना कुछ बोले रंगी का सुपाड़ा मुंह में ले लिया और आंखे बड़ी कर हुंकारी भरते हुए सर हिलाया जिसे देख कर रंगी का लंड और अकड़ गया
: ओह्ह्ह्ह ले और ले अंदर सीईईई तू तो पूरा घोंट सकती है लेह बेटा चूस जा इसको पूरा उम्ममम सीईईई कितना सॉफ्टी है तेरे होठ उम्ममम अह्ह्ह्ह
: क्या हुआ ( रंगी ने देखा कि बबीता ने उसका लंड छोड़ दिया और पीछे हो गई , उसका लंड हवा में तना हुआ सांस ले रहा था )
बबीता कुछ नहीं बोली बस अपनी जगह पर घुटने फोल्ड कर बैठी हुई थी नंगी फर्श पर और आगे झुक कर बिना रंगी के लंड को हाथ लगाए अपनी कलाबाजी दिखाती हुई सिर्फ होठों से उसके लंड को सुरकना शुरू किया और देखते ही देखते पूरे आड़ तक लंड को गले में उतार लिया
: ओह्ह्ह बेटा उफ्फफ इतना अंदर सीईईई ( रंगी बबीता को लंड पूरा अंदर घोट कर बाहर उगलते हुए देखा )
बबीता ने अपने होठों से रिसते लार को उंगलियों से साफ कर वापस से अपना मुंह लंड की ओर के गई और वही प्रक्रिया को दोहराते हुए आड़ तक लंड को गले में उतारा और ज्यादा भरने की कोशिश करते हुए उगल दिया
रंगी का लंड उसके लार से लिभड़ाया हुआ सना हुआ चमकने लगा
बबीता ने वापस से उसका लंड दोनों हाथों में लेकर सहलाते हुए सुपाड़े को चूसने लगी
रंगी उसकी कलाबाजी से रोमांचित हुआ जा रहा था ये सोच कर कि कैसे बबीता को उसका bf ट्रेन कर रहा है।
: ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम चूस सीईईई अह्ह्ह्ह तूने तो दिन बना दिया है ओह्ह्ह्ह उम्ममम
बबीता लगातार उसका लंड चुभलाए जा रही थी और रंगी का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था
उसने बबीता को खड़ा कर घुमाया और झुका कर वापस से उसके चूतड़ों को सहलाते हुए नोचने लगा
: उफ्फ फूफा जी आराम से अह्ह्ह्ह सीईईईईई मम्मीइई ओह्ह्ह्ह
: तेरी मम्मी नहीं आने वाली चोदने तुझे , मै पेलूंगा बोल लेगी लंड उम्मम( रंगी उसकी बुर में उंगली पेलने लगा और बबीता की सिसकिया तेज होने लगी )
: अह्ह्ह्ह हा हा डाल दो ओह्ह्ह्ह घुसा दो फूफाजी उम्ममम मुझे लेना है उफ्फफ मै ऐसे ही झड़ जाऊंगी अह्ह्ह्ह सीईईईईई मम्मीईइईई
रंगी ने हाथ खींच लिया और उसकी लार से लिभड़ाए लंड को पकड़ कर पीछे से ही उसकी बुर के फांके में डालने लगा
: आह्ह्ह्ह नहीं टाइट है निकालो सीईईई मम्मीइई
: चुप नाटक मत कर ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी बुर है तेरी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह सच में कितनी कसी है
: उम्ममम फूफा जी फट जायेगा ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह मम्मीइई
: बस बेटा हो गया उफ्फफ कितनी मुलायम बुर है तेरी देख पूरा घुस गया न बहुत जगह होता है इसमें ओह्ह्ह्ह कितना तप रहा मेरा लंड ओह्ह्ह्ह ( रंगी ने पूरा लंड पीछे से बबीता की बुर के फांके में भर दिया था और अंदर से चूत की दीवारें उसके लंड को जला रही थी )
रंगी का मोटा तपता लंड पाकर बबीता ने भी उसके बुर से कस लिया और फांके टाइट करने लगी
: उम्मम बड़े पैंतरे सीख रखे है तूने , लेकिन ये पकड़ मेरे लंड पर नहीं बना पायेगी ओह्ह्ह लेह अब इसे रोक कर दिखा उम्ममम रोक न उम्मम क्या हुआ बोल
जैसे जैसे रंगी ने अपनी कमर हिला कर लंड को उसके बुर में आगे पीछे करने लगा वैसे वैसे बबीता की टाइट फांके खींचने लगी अंदर बाहर की ओर और बबीता का जिस्म अंदर से मचल उठा और उसने अपनी बुर को ढीला छोड़ दिया : ओह्ह्ह्ह गॉड कितना बड़ा है आपका फूफा जी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई फक्क मीईईई सीई ओह्ह्ह्ह उम्ममम जल्दी करो मुझे लेट हो रहा है
: जल्दी चाहिए उम्मम तो ये ले और कस कस के ( रंगी मुंह भींचता हुआ उसके पतली सी कमर को पकड़ कर तेजी से आगे पीछे होकर लंड को उसके बुर में पेलने लगा
उसकी चीखे दुगनी हो गई और जितना वजन था बबीता का वो तो सच में कोई गुड़िया ही थी जिसे बस रंगी अपने लंड पर खूब तेज तेज हमच कर झुला रहा था
ताबड़तोड़ पेलाई करते हुए रंगी के लंड की नसों ने बबीता की गर्म बुर और कसी फांकों का घर्षण झेल नहीं पाए और रंगी ने उसको छोड़ दिया
बबीता झट से नीचे आई और रंगी ने अपना लंड पकड़ कर तेजी से सहलाते हुए सुपाड़े का मुंह उसके ओर कर दिया और फिर एक के बाद एक मोटी थक्केदार गर्म पिचकारी छूटने लगी , जो सीधा बबीता के मुंह पर जा रही थी: ओह्ह्ह् सीईईई ओह्ह्ह ले पी जा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह
रंगी लंड अंत तक अच्छे से आखिरी बूंद तक निचोड़ दिया और आंखे खोल कर देखा तो बबीता उसके वीर्य से पूरी सन गई थी ,लेकिन उसके चेहरे पर इसके लिए जरा भी सिकन नहीं थी वो अपने रसीले मम्में से छिटे साफ कर रही थी और हांफती हुई हस रही थी
रंगी भी हंसता हुआ हांफता हुआ बिस्तर पर बैठ गया : वैसे तेरी छुट्टी कभी होगी ?
: 2 बजे तक क्यों ?
: कुछ नहीं ( रंगी ने मुस्कुरा कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे )
: बबीता उठ कर तौलिया से अपना मुंह पोछने लगी और रंगी वही उसके बिस्तर पर पसर गया ।
सुबह सुबह एक सुकून भरी मुस्कुराहट थी उसके चेहरे पर और वो गहरी ठंडी सांसे भरने लगा ।
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इनसब से अलग रज्जो अपने सफर पर किन्हीं ख्यालों में खोई हुई मुस्कुरा रही थी , जिन्हें सोच कर ब्लाउज में उसके निप्पल तन गए थे और पूरे बदन में जड़कन सी होने लगी थी ।
शिला का घर छोड़े घंटे भर से अधिक हो गए थे । तभी उसका मोबाइल फिर से बजा
" मै लोकेशन पर आ गया हूं "
रज्जो ने मुस्कुरा कर बस "ओके" कहा और फोन काट दिया और अपने बदन एक गर्माहट महसूस की जो उसके जकड़ी नसों को हल्के हल्के खोलते हुए पूरे बदन में कसमसाहट पैदा करने लगी , रज्जो ने नथुनों से गहरी लंबी सांस ली और मोबाइल में छिप कर वो तस्वीरें देखने लगी जिससे उसे कल दुपहर में निकाला था ।
शिला के गांव की वाले घर के लिए जाने वाले बाग में झाड़ियों की ओर शिला अपनी साड़ी उठा कर किसी को दूर से अपने बड़े बड़े रसीले चूतड़ों के दर्शन करवा रही थी और पेड़ की ओट के छिप कर कोई उसे देख कर अपना बड़ा मोटा खीरे जैसा लंड हिला रहा था ।
" ये किसका नंबर है "
" मै , मै नहीं जनाता बड़ी मामी । पता नहीं किसका नंबर है "
" देख तू मुझसे झूठ तो बोल मत और अगर तू मुझे इस नंबर के बारे में बताता है तो सोच ले इसमें तेरा ही फायदा होगा "
" मेरा क्या फायदा ? "
" क्यों तुझे कुछ नहीं चाहिए मुझसे उम्मम "
" ठीक है बताता हूं, लेकिन वादा करो ये बात आप कभी किसी से नहीं कहोगी , बड़ी मम्मी से भी नहीं "
" हा नहीं कहूंगी , बता अब "
" वो ... गांव में एक घर है न.. दादा जी घर की तरफ जाते हुए , वही इसका घर है "
" हा लेकिन है कौन , तेरी बड़ी मम्मी का आशिक क्या , हाहाहाहा "
" नहीं ये भी बड़ी मम्मी का कस्टमर है "
" कस्टमर है ? मतलब ? "
" मतलब ... ये भी बड़ी मम्मी की सेक्स स्ट्रीम देखता है और सबसे ज्यादा पैसे भी यही देता है "
" ओहो , वैसे है कौन ये बड़ा तंग कर रखा है इसमें तेरी बड़ी मम्मी को उम्मम बता थोड़ी खबर लें लूं इसकी "
" नहीं उसके यहां कोई नहीं जाता , न लेडीज न जेंट्स "
" क्यों ? "
" वो ... वो सेक्स करता है लोगो से पैसे लेकर "
" खुद मर्द होकर मर्दों से करता है ? "
" नहीं वो आदमी नहीं "
" फिर ? "
तभी रज्जो के मोबाइल पर एक मैसेज आया और मोबाइल की घरघराहट ने उसकी आंखे खोल दी । रज्जो अपने अतीत से बाहर आई और मोबाइल चेक किया तो उसके व्हाट्सअप पर एक छोटा वीडियो क्लिप था , ये वही नंबर था जिसके साथ अभी उसने बात किया था और वो नंबर "मुस्कान" नाम से सेव था ।
रज्जो ने आस पास देखा और चुपके से बस में छिप कर वो वीडियो खोली और सामने वीडियो में रसीला माल देख कर रज्जो की बुर कुलबुलाने लगी
उस वीडियो में मुस्कान खुद था , उसने जो रूम बुक किया था उस कमरे में पूरा नंगा होकर सेल्फी कैमरे से अपनी वीडियो बना कर भेजी थी
उसके बड़े बड़े रसीले मम्में एकदम टाइट और कड़े थे और नीचे उसके हाथों में उसका 8 इंच लंबा मोटा खीरे जैसा लंड था जैसे वो सहला रहा था
" COME FAST , WAITING FOR YOU SEXY"
रज्जो वो वीडियो देख कर झट से मोबाइल स्क्रीन ऑफ कर दी और मुस्कुरा कर एक गहरी सांस लेते हुए बस की सीट पर बैठे हुए अपने पैर टाइट कर अपने कूल्हे कमर में उठती जकड़न को सही करने का सोचा । उसके नथुने से गर्म आग जैसी सांसे उफना रही थी , रोम रोम खड़ा होकर मस्त हो गया था ।
याद आ रहा था वो पल जब उसने मुस्कान को कल दुपहर में शिला की गाड़ देख कर लंड हिलाते हुए पकड़ा था , शिला तो मौके से फरार हो गई थी लेकिन मुस्कान रज्जो के हाथ लग गया ।
: कहा भाग रहे हो राजा
: छोड़ो मुझे , देखो तुमसे मुझे कोई मतलब नहीं
: सीईईई ओह्ह्ह्ह कितना टाइट कर रखा है ( रज्जो ने उसकी सलवार के ऊपर से ही उसका लंड पकड़ ली जो अभी भी टाइट था पूरा)
: देखो तुम मेहमान हो सेठानी के घर के तो मै कुछ नहीं करना चाहता, जाओ यहां से किसी ने देख लिया तो दिक्कत हो जाएगी ।
: चली जाऊंगी , लेकिन मुझे ये चाहिए
: नहीं मिल सकता , प्लीज तुम जाओ
फिर वो मुस्कान रज्जो से हाथ झटक कर निकल गई और रज्जो ने बीच रस्ते में ही खेतों की मेड से उसे गांव की ओर जाते देखा और फोन मिला दिया
: हैलो
: हाय तेरे चूतड़ भी कम कातिल नहीं है
मुस्कान ने पलट कर देखा और चिढ़ कर फोन पर कान से लगा कर
: क्या चाहती हो तुम
: वही जो तू चाहता है
: लेकिन मेरा रेट बहुत महंगा है
: दाम मै दे दूंगी लेकिन पहले जगह fix कर ले
: है एक जगह , बड़े शहर में एक होटल है
: सेफ है ?
: हा एकदम , लेकिन होटल का डबल चाहिए मुझे । आने जाने में खर्चा होता है मुझे ।
: ठीक है , डन और सुन
: क्या ?
: आज की स्ट्रीम देख लेना हीहीही
रज्जो बीते पलो की यादों से मुस्करा रही थी कि उसकी बस उसके स्टॉप पर आकर रुक गई और रज्जो अपना बैग लेकर नीचे उतर गई
मोबाइल फोन पर वापस से मुस्कान का नंबर डायल कर निकल दी । उसके होटल की ओर जहां वो उसकी राह में अपना बड़ा सा लंड सहला रहा था ।
जारी रहेगी
( बड़े निराश होने वाली बात है कि बार बार सबको कहना पड़ता है कि लाइक रेवो करो , 74 वोट है और लाइक कमेंट मुश्किल से 20 आते है । लिखने का मूड भी रहे तो रिस्पांस देखकर मन नहीं करता )