• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

Sanju@

Well-Known Member
4,861
19,637
158
UPDATE 138

पिछले अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जहा सोनल ने अनुज के ना रहने पर राज को रात मे चुदवाने के लिए बुला लिया । वही अनुज आज कुछ उम्मीद लिये अपने चाचा के य्हा गया है रात बिताने ।
तो देखते है आगे क्या होता है ।



लेखक की जुबानी

अनुज और राहुल इस वक़्त अपने कमरे मे बिस्तर पर बैठे हुए थे। सामने मोबाइल पर थ्रीसोम सेक्स की म्यूट वीडियो चल रही थी । मतलब साफ था कि दोनो रात के लिए तैयारिया कर रहे थे।

वीडियो मे इस समय DOUBLE PENETRATION का सीन चल रहा था और दोनो लण्ड ने निशा के गाड़ के सुराख मे घुसने की इच्छा हो रही थी ।

अनुज - यार तुने दीदी की गाड भी ली है क्या ?
राहुल - नही यार अभी इतना जल्दी कैसे वो मान जायेगी । सुना है बहुत दर्द होता है पहली बार मे

अनुज- फिर हम लोग एक साथ कैसे करेंगे ।
राहुल हसता हुआ - वो दीदी मेरा लण्ड मुह मे लेती है ना ,,,तो एक एक लोग बारी बारी से चुत मे पेलेन्गे

अनुज थोडा हिचक कर - अच्छा सुन , यार कन्डोम लेले क्या

राहुल हस कर - अबे साले तु तो ऐसे बोल रहा है कि जैसे दीदी की चुत मे झ्देगा

अनुज - नही नही वो बहुत रिस्की है ,
राहुल - और क्या हम दोनो मस्त ऐसे ही दीदी को घुटनो के बल बैठाकर उन्के चेहरे पर अपना बीज गिरायेंगे ,,,देख ऐसे ही

राहुल उस पोर्न वीडियो मे आखिरी सीन को अनुज को दिखाता है जिससे अनुज का जोश और भी बढ जाता है ।

अनुज अपना लण्ड मसलते हुए - भाई मै तो पागल हो जाउन्गा , सीई आअह्ह्ह निशाआ दिदीई


राहुल अनुज की तडप देख कर हस रहा था ।
तभी अनुज के दिमाग मे एक बात आई जिस्से उस्का सारा जोश कुछ पल के लिए ठहर गया

अनुज - यार दीदी मान जायेगी ना मुझसे चुदवाने के लिए,,,

राहुल - हा तु फिकर ना कर ,,

इधर इनकी बाते चल रही थी । वही दुकान मे जंगीलाल अलग ही परेशान था । वो जल्दी से खा पी कर शालिनी को चोदने की योजना बना रहा था ।
थोडी देर बाद खाने के सबको बुलाया गया ।
अनुज राहुल और जन्गीलाल बैठ गये और निशा ने सबको परोसना शुरु कर दिया ।

जन्गीलाल के जहन मे निशा को देखते वाप्स से सुबह वाली बाते चलने लगी और वो फिर उसे उसके निप्प्ल के मोटे उभार को खोजने लगा । मगर इस बार किस्मत ने साथ नही दिया ।

लेकिन जब निशा मुड के किचन मे वाप्स जाने लगी तो उसके हिलते कूल्हो ने जंगीलाल के लण्ड मे हवा भर दी और तुरन्त जंगीलाल की कल्पना मे अपनी बेटी को घोडि बना कर उसकी गाड चोदने की छवि दिखी ।

जंगीलाल ने खुद को झझोरा कि वो ये सब क्या सोच रहा है वो उसकी बेटी है । लेकिन दिमाग के एक कोने मे अपने ही बेटी की गाड़ चोदने की तस्वीर भी उसे अपनी ओर आकर्षित कर रही थी ।


जंगीलाल मन मे - ये सेक्स ने मुझे पागल बना दिया है । मुझे कल ही शहर चले जाना चाहिए और जबतक किसी की ताबड़तोड़ चुदाई नही कर लूंगा तबतक ऐसे ही मेरे दिमाग मे उलुल जलूल बाते आती रहेंगी ।
फिलहाल तो आज शालिनी की चुत लेनी है ,,चाहे जबरदस्ती ही लेनी पडे । हर बार उसकी ही मनमानी नही रहेगी आखिर मै भी पति हू मेरा भी हक है कुछ । हम्म्म्म यही करना होगा आज इसकी चिखे ना निकलवा दी तो कहना हुउह

एक ओर जहा जन्गीलाल अपने ही ख्यालो मे खोया हुआ बडबड़ा रहा था । वही बगल मे बैठे राहुल और अनुज के अरमान कम उचाईया नही छू रहे थे ।
खाने का निवाले को मुह मे चबाते हुए दोनो की निगाहे बस निशा को घुरे जा रही थी ।
निशा तो समझ रही थी इसिलिए वो भी इतरा रही । किचन मे जाते वक़्त अपने कुल्हे ऐसे मटकाती मानो दोनो को झाड़ ही देगी ।

लेकिन उसे क्या पता था कि वो जिन दो छोटे चूजो को दाने का लालच दे रही थी । उस्के बगल मे बैठा मुर्गा भी उसकी हरकते देख कर अपना सिर उठा रहा था ।

निशा को आभास ही नही था कि उसका बाप भी उसकी मदमस्त चाल को निहार रहा है और मन मे क्या क्या तस्वीरे सजा रहा है ।

खाना पीना हूआ और सब लोग अपने अपने कमरे मे गये ।

इधर जंगीलाल ने शालिनी के सामने प्रसताव रखा तो वो मान गयी और उनकी चुदाई शुरु हो गयी ।
वही राहुल और अनुज अपने कमरे मे बैठे हुए निशा का इन्तजार कर रहे थे ।

आधे घन्ते से उपर हो चुका था अनुज तो दो बार दरवाजा खोलकर निशा का कमरा देख चुका था ।
अनुज - भाई दीदी आयेगी ना

राहुल - हा भाई क्यू परेशान है । नही आयेगी तो हम लोग चलेंगे ना हिहिहिही

थोडा समय और बीता तो राहुल को भी लगा कि कही निशा सच मे नही आयेगी ।

अनुज - भाई दीदी के पास ही चले ,,अब रहा नही जा रहा है ।

राहुल - यार दीदी और मम्मी का कमरा अगल बगल है , वहा कैसे करेंगे ।

अनुज - तो तु जा बुला कर ला

राहुल - हा ये ठिक रहेगा

फिर राहुल धीरे धीरे निशा के कमरे की ओर जाने लगा और अनुज अपने क्मरे के दरवाजे पर खड़ा होकर उसे जाते देख रहा था और लोवर मे अपना लण्ड मसल रहा था।

राहुल निशा के कमरे का दरवाजा धकेला तो वो आसानी से खुल गया और राहुल कमरे मे चल गया ।
इधर अनुज की आंखे चमक उठी और वो खुश हो गया और राहुल के वापस आने का इंतजार करने लगा ।

धीरे धीरे 5 , 8 और फिर 10 मिंट हो गये और हर बीतता पल अनुज की बेचैनी बढा रहा था इसिलिए वो खुद निशा के कमरे की चल दिया ।

उसने जैसे ही कमरे का दरवाजा खोला सामने का नजारा देख कर वो मस्त हो गया । कमरे मे फर्श पर निशा घुटनो के बल होकर राहुल का लण्ड चुस रही थी ।

अनुज का तो जैसे सपना ही सच हो गया । वो बस पोर्न वाली वीडियो के जैसे अपना लण्ड लोवर से बाहर निकाला और निशा को देखते हुए सहलाने लगा ।

निशा ने तो अनुज को दरवाजे पर खड़ा देखा था लेकिन उसने उस वक़्त नजरंदाज कर दिया लेकिन जब अनुज अपना लण्ड बाहर निकाल कर मुठियाने लगा तो मुह मे लण्ड भरे भरे ही निशा की आंखे फटने लगी ।

वो फौरन मुह से राहुल का लण्ड निकाल कर - पागल वहा क्या कर रहा है ,,कही मम्मी पापा बाहर आ गये तो ।

अनुज की भी फटी और वो फौरन कमरे मे आकर दरवाजा बन्द कर दिया ।

फिर तीनो आपस मे मुस्कुराने लगे ।
अनुज खिखी करता हुआ - दीदी मै भी आ जाऊ

निशा मुस्कुराते हुए राहुल का लण्ड सहलाते हुए बस इतरायी और वापस से लण्ड चूसने लगी ।

अनुज ने फिर राहुल को देखा तो उसने पास आने का इशारा किया ।

अनुज चहकता हुआ राहुल के बगल मे आ गया ।
निशा ने तिरछी नरजो से अनुज का तना हुआ लण्ड देखा जो लगभग राहुल के ही बराबर था बस सुपाडा थोडा ज्यादा फुला हुआ था राहुल के मुकाबले ।

निशा राहुल का लण्ड चुसते हुए अनुज के आड़ो को अपनी उन्गलियो से सहलाया ।

अनुज सिसिक पडा - सीईई अह्ह्ह दिदीईईई

राहुल ने फौरन अनुज के मुह पर हाथ रखते हुए - पागल है क्या , पापा मम्मी सुन लेंगे

अनुज धीमी आवाज मे - तो अपने कमरे मे चले अह्ह्ह उम्म्ंम ओह्ह दिदीईईई

अब तक निशा ने अनुज क लण्ड मुह मे भर लिया और सुपाड़े पर जीभ की कलाकारी दिखा रही थी । जिससे अनुज छटपटा रहा था ।

अनुज को सिसकता और आवाज करता देख राहुल ने निशा के गुहार की , कि वो उसके कमरे मे चले ।

कमरे बदलें , जगह बदल गयी
लेकिन माहोल नही बदल सका । निशा यहा भी उसी तरह से दोनो के लण्ड को बारी बारी से चुस रही थी ।

अब यहा अनुज खुल कर अपनी भावनाये आअहे भरता हुआ जाहिर कर रहा था ।

अनुज - ओह्ह्ह दिदीईई ऐसे ही चुसो उम्म्ं मजा आ रहा है अह्ह्ह
इधर निशा अनुज के लण्ड मे बिजी थी तो राहुल ने आगे का प्रोग्राम बढाने लगा ।

उसने एक एक करके अपने कपडे निकाल दिये और अनुज ने भी अपने कपड़े निकालने लगा ।

राहुल नंगा होकर निशा के पीछे गया और उसे उठाने लगा ।

निशा ने भी मुह खोल कर अनुज का लण्ड छोड दिया और खड़ा होते ही राहुल का लण्ड थाम ली ।

उसके जिस्म की गर्मी बढ चुकी थी । वो भी चाह रही थी कि अब दोनो मिल कर उसके बदन को प्यार दे ।
राहुल ने पहले निशा का टीशर्ट निकाला और एक चुचो को टेप के उपर से मसलना शुरु कर दिया ।

यहा अनुज की भी लालसा बढ रही थी और वो भी अपना लोवर अंडरवियर निकाल कर निशा के दुसरी ओर आकर उसके चुचे को पकड लिया
दोनो भाई मिल कर अपनी दीदी की दोनो चुचिय एक साथ मसलने लगे ।

ऐसे मे पहली बार निशा ने आअह्ह्ह भरीई और दुसरे हाथ से अनुज का लण्ड भी थाम लिया ।
राहुल ने निशा के होठो को चूसना शुरु कर दिया और वही अनुज ने टेप मे हाथ घुसा कर निशा की नंगी चुचियो का छुने लगा ।

अपनी चचेरी बहन के मुलायम चुचियो का स्पर्श उसे पागल किये जा रहा था और वो निशा की चुचियो को दबा रहा था और उसके कंधे गरदन को चुम भी रहा था ।

जिससे निशा ने कसमसा कर अपने होठो का रुख अनुज की ओर मोड़ लिया और दोनो मे पहली बात गहरा चुंबन शुरु हुआ ।
अनुज के होठो को निशा वैसे ही निचोड़ रही थी जैसे अनुज उसकी चुचिया मसल रहा था
राहुल के हाथ आगे बढे जा रहे थे वो निशा की कमर पर हाथ ले जाकर उसकी कुछ पल उसके गुदाज गाड़ को सह्लया और फिर पीछे जाकर उसका स्कर्ट निकाल दिया ।

निशा ने निचे कोई पैंटी नही पहन रखि ।
राहुल निशा को नंगी गोरी गाड़ देख कर पागल हो गया और उसके दरारो मे मुह दे दिया ।

निशा सिसकी और अनुज के होठो को छोड कर राहुल के जीभ को अपने गाड़ से सुराख पर नाचता मह्सूस करने लगी।

वो थोडा आगे की ओर झुकने लगी तो अनुज ने उसे थामा । उसकी आंखे आधी बन्द थी और चेहरे पर कामुक मुस्कुराहट । मानो गाड़ के छेद पर जो हरकत राहुल दुहरा रहा था वो उसे मदमस्त कर रही थी


अनुज की भी इच्छा हुई कि वो भी निशा को ऐसे ही सुख देगा ।इसिलिए उसने आगे बैठ कर उसकी नंगी मुलायम जांघो को थामते हुए अपना मुह उसकी चुत पर दे दिया ।

अब निशा अकड़ सी गयी ।

पहले ही अपने एडिया उचकाये बडी मुश्किल से खड़ी थी और अनुज की जीभ जब उसके चुत पर नाचने लगी तो उसे पूरी तरह सेअप्नी उन्गियो के भरोसे खड़ा होना पडा ।

दोनो भाई आगे पीछे के छेड़ो को लपालप चाटे जा रहे थे । कभी कभी दोनो की ठूडीया एक दुसरे को छू भी जाती थी लेकिन सुराख से दुरी नही बनाई किसी ने ।

लण्ड फटने को आ चुका था ।
अनुज पहले उठा और निशा को बिस्तर पर लिटा दिया ।

निशा अभी भी टेप पहने हुए थी । लेकिन उसकी चुत अब चमक रही थी । अनुज ने अपना सुपाडा मसला और जान्घे उठा कर लण्ड निशा की चुत पर लगाने लगा ।

राहुल वही फर्श पर बैठा अनुज के कान्फिडेंश को निहार कर मुस्कुरा रहा था । लेकिन अनुज की प्रेरणा तो वो कहानी थी जिसमे हीरो अपनी चचेरि बहन को पेलता है ।

अनुज बिना झिझक के अपना सुपाडा निशा के चुत मे फसा कर हचाक कर आधा लण्ड निशा की चुत मे उतार देता है ।
निशा - औउउच ओह्ह मम्मी उम्म्ंम्ं आराम से उम्म्ं सीईई ओह्ह्ह

अनुज ने जब निशा की सिसकी सुनी तो उसे खुद पर थोडा गर्व हुआ और अगला ध्क्क्का उसने और करारा लगाया ।इस बार लण्ड निशा की जड़ तक गया और निशा की आंखे बाहर को आने को गयी ।

निशा - उह्ह्ह्ह माआअह्ह उम्म्ं

निशा की तेज सिसकिया सुन कर राहुल भाग कर निशा के बगल मे गया और उसके होथो को चुस्ते हुए उसके चुचे मसलने लगा ।

वही अनुज ये सीन देख कर मानो उसे लगा कि उसे खुली छूट मिल गयी है । अब वो कस कस के ही धक्के लगाने लगा ।

राहुल निशा की सिस्किया अपने मुह मे दबाए उसके टेप को उठा कर उसकी नंगी चुचिया मसलने लगा ।
कभी कभी वो निशा के होठ छोड कर उसके निप्प्ल को मुह मे भर लेता

निशा - ओह्ह येस्स्स येआआ याआ फ़क मी हार्डर हार्डर उह्ह्ह यस्स्स यस्स्स उम्म्म्ं माह्ह्ह ओह्ह

अनुज निशा की सिसकिया सुन कर तेज तेज पेलने लगा , वही राहुल निशा के मुह पर हाथ रख कर उसके निप्प्ल चूसने लगा ।

फिर वो ख्दा हुआ और उसके मुह मे अपना लण्ड भर दिया ।

अनुज ने जब ये सीन देखा कि निशा के मुह मे राहुल का लण्ड है और उसकी चुत मे वो पेल रहा है । तो वो पोर्न वीडियो के सीन याद करके निशा के जांघो को अपने कन्धे पर उथा दिया जिससे उसका लण्ड और गहराई मे जाने लग


निशा राहुल का लण्ड मुह मे भरे हुए उसे गले तक ले जाती और बिच मे मुह से निकाल कर आहे भारती हुई अनुज को उत्तेजित करती ।

लम्बी लण्ड चुसाई और ताबड़तोड़ चुदाई से दोनो चरम पर पहुचने वाले थे । निशा तो दो बार झड़ चुकी थी ।

उसके चेहरे के भाव बिगड़ गये थे ।
अनुज आखिर के ध्क्क्को के साथ - ओह्ह मेरा आयेगाआ उम्म्ंम्ं

राहुल - हा हा भाई आजा उह्ह्ह हा दिदीईई जल्दी निचे आओ

निशा फटाफट निचे फर्श पर घुटने के बल आ गयी । अनुज अपना सुपाडा मुठी मे पकडे हुए था और उसका लण्ड वीर्य उगल्ने को बेताब था । यहा जैसे ही निशा निचे आई ,,अनुज ने सुपाडा से पकड धिली करता है और हलहला कर उसका लण्ड पिचकारी छोडने लगत है और सारा रस निशा के चेहरे पर जाने लगता है ।

इधर राहुल अपनी एडिया उचका कर तेजी से लण्ड सहलाता है और कुछ सेकंड मे वो भी निशा के उपर झड़ने लगता है ।

निशा दोनो के लण्ड को थाम कर बारी बारी से साफ करती है और अपने टेप से अपना मुह साफ करने के लिए उपर उठाती तो उसकी चुचिया फिर से नंगी हो जाती है ।

जिसे देख कर अनुज के मुह मे पानी आ जाता है और ये भी याद आता है कि उसने तो चुचिया चुसी ही नही ।

तो वो निचे झुक कर निशा के चुची को मुह मे भर लेता है ।

निशा हसते हुए - हट कमीना कही का हिहिहिही सब कर लिया तो अब क्या


अनुज - वो दीदी इसे टेस्ट नही किया था हिहिहिही

अनुज की बात पर सब ह्सने लगते है ।
इधर राहुल निशा से एक राउंड और करने के लिए कहता है क्योकि अभी वो चोद नही पाया था ।

निशा उसे पहले किचन से पानी लाने के लिए भेजती है और फिर आगे की प्लानिंग बतायेगी । ऐसा कहकर वो बिस्तर पर जाकर लेट जाती है ।

राहुल अपना लोवर पहन कर किचन से पानी लेने चला जाता है ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
निशा की राहुल और अनुज ने मिलकर चुदाई कर ही ली है
 

Sanju@

Well-Known Member
4,861
19,637
158
UPDATE 139

पिछले अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जहा अनुज निशा को चोदने मे कामयाब रहा । वही अन्जाने मे निशा खुद के प्रति अपने पापा को रिझाने लगी थी ।
अब आगे


लेखक की जुबानी

रात मे दो से तीन राउंड तक निशा की चुदाई राहुल और अनुज ने मिलकर की और उसे अपने वीर्य से नहालाया ।
वही दुसरे कमरे मे जंगीलाल की तृप्ति नही हुई क्योकि आज फिर शालिनी ने उसे वैसा सेक्स नही दिया जैसा वो चाहता था । शालिनी अपनी अदाओ से उसे गर्म तो बहुत कर देती थी लेकिन जंगीलाल को उसकी हवस को पूरी तरह से निकालने का मौका नही देती । वो सेफ़ सेक्स पर ही फोकस रहती थी ।

एक राउंड के बाद शालिनी नहाने चली गयी इधर जन्गिलाल ने तय किया कि कल दोपहर को ही वो बडे शहर निकल जायेगा ।


सुबह हुई तो अनुज अपने घर के लिए निकल गया था ।
वही शालिनी नहा धो कर नास्ते की तैयारी मे थी । निशा भी नहा कर किचन मे लग गयी थी । राहुल रोज की तरह दुकान खोलने और साफ सफाई मे व्यस्त था ।

जंगीलाल की भी रोज की तरह देर से ही आंख खुली । वो उठा तो उसका मूड उखड़ा हुआ ही था । इसिलिए बाथरूम जाने से पहले उसने शालिनी को शहर जाने वाली बात बताने के लिए किचन की ओर गया ।

जंगीलाल जांघिया और बनियान पहने जैसे ही किचन के दरवाजे के पास पहुचा किचन मे निशा निचे बैठ कर आंटा लगा रही थी । उसने एक ढीले गले का टीशर्ट डाल रखा था जिससे जंगीलाल को खडे खडे ही निशा के गोरे फुले हुए चुचे दिख गये ।

आंटा गुथते वक़्त निशा बार बार आगे की ओर झुक रही थी तो ऐसे मे उसके चुचे हल्के हल्के हिल रहे थे ।
ये नजारा देखते ही जंगीलाल के जांघिया मे उसका लण्ड तन गया ।

इधर निशा को भी थोडा आभास हुआ कि दरवाजे पर कोई है । जब वो नजरे तिरछी कर अपने पापा के टांगो को देखते हुए उपर जाती है तो उसकी आंख अपने पापा के जांघिया मे बने टेन्ट पर अटक जाती है ।

वो थोडा मुस्कुराते हुए मुह फेर लेती है ।
तभी शालिनी - क्या हुआ जी कुछ चाहिये था ?

जंगीलाल का ध्यान निशा के छातियो से हट कर शालिनी की ओर जाता है - न न नही , वो जरा आज खाना जल्दी तैयार कर देना मुझे बडे शहर निकलना है ।

शालिनी - अरे अभी पिछले महीने तो गये थे ।
जन्गिलाल उखड़ कर - अरे भाई शादियो का सीजन है , स्टॉक कम पड़ रहा है तो जाना पडेगा ।

शालिनी - ठिक है लेकिन आप भडक क्यू रहे है ?? , आप जायिये नहा कर आईये मै आपके कपडे निकाल देती हू ।

जंगीलाल चुप हो गया और तौलिया लेके छत पर चला गया । जीने पर जाते हुए उसे थोडा बुरा लग रहा था कि क्यू आखिर वो अपनी शालिनी से ये सब धोखा कर रहा है ।

जंगीलाल मन मे - मै क्या करु , मेरी तडप शालिनी समझती ही नही । मुझे उसे रन्डीयो के जैसे खुब हचक के चोदना है । शादी के इतने सालो मे सिर्फ एक ही बार उसने मुझे करने दिया था वो भी आखिरी बार ।
वो मजा मै वापस से पाने के लिए कितना बेताब रहता हू और शालिनी ये समझती ही नही ।


जन्गीलाल उखड़े मन से पाखाने मे जाता है और अभी भी उसके दिमाग मे निराशा ही भरी थी ।

जंगीलाल मन ने - क्यू ना मै शालिनी से एक बार और बात करु । वो मुझे हफते मे एक ही बार मेरे हिसाब से चुदाई करने दे । मै और उसे धोखा नही दे सकता । आखिर कब तक मै अपनी ही कमजोरियो के लिए उसे अन्धेरे मे रखे रहूंगा ।

जंगीलाल पाखाने से निकल कर हाथ धुलकर बाथरूम मे घुसता है कि सामने उसकी नजर हैंगर पर लटके निशा की पैंटी पर जाती है ।

जंगीलाल मे दिल ने एक बार को निशा के लिए हवस की लहर उठती तो है लेकिन अगले ही पल वो निराश हो जाता है ।
जन्गीलाल मन मे ग्लानि से भर कर - शालिनी देखो ! तुम मुझे मेरे हक का प्यार नही दे रही हो तो मेरा मन भटक रहा है । बार बार मेरी लाडो के लिए मेरा हवस मुझ पर हावी हो जा रहा है ।

जंगीलाल मन मे - नही ये नही हो सकता । मुझे इस मसले पर शालिनी से खुल कर बात करनी पड़ेगी और ये भी बताना पडेगा कि कैसे मै निशा की ओर आकर्षित हुआ जा रहा हू ।

जंगीलाल - अब मै शहर नही जाऊंगा । आखिर कब तक यू ही अपनी कमजोरि से भागता रहूंगा । शालिनी मेरी बीवी है उसे मेरी तकलिफ समझनी ही होगी ।


जन्गीलाल थोड़ा संकल्पी होकर नहाने बैठ गया और शालिनी से कैसे बात करनी है इस सोच मे मगन हो गया ।
जंगीलाल नहा धोकर दुकान ने ही अपना नासता राहुल से मगवा लिया और फिर शालिनी को कहलवा दिया कि वो आज शहर नही जायेगा ।

पहले तो शालिनी भी खिझी लेकिन फिर बच्चो के सामने उसने कोई खास प्रतिक्रिया नही दी । बस अपने काम मे लग गयी ये सोच कर की खाने के समय बात करेगी इस बात को लेके ।


राज की जुबानी

रात मे दीदी की मस्त चुदाई के बाद मै उठा और फ्रेश होकर नहा धो कर नास्ते के लिए बैठा था कि मेरा मोबाइल बिप हुआ ।

निशा ने whatsaap पर कुछ भेजा था , मैने चेक किया तो उसने एक मिंट का रिकॉर्डिंग वीडियो भेजा था । जिसमे वो राहुल और अनुज का एक साथ लण्ड चुस रही थी ।

मै वीडियो देख कर हस पडा और रिप्लाई करने वाला था कि निशा का मैसेज आया ।

निशा - ab mujhe tumahari jarurt nahi . Bahut bhaaw khaate the na 😁😁
मै - Matlb
निशा - video dekho . Ek sath do do 😋😋
मै - waise ek baat puchu ?
निशा - kya bolo ??
मै - gaad kab dogi mujhe 😁 bahut chikani lag rahi hai 😋
निशा - 😏 tumhe to bilkul nahi dungi
मै - kyu meri jaan naraaj hai kya ...
मै - ya mujhe miss kar rhi thi rat me 😁
निशा - 😏 mai kyu yaad karungi . Mere pas kal do do the 😋😋

ऐसे ही थोडे देर निशा के साथ चैटींग हुई और मै दुकान के लिए निकल गया । मै जानता था , भले ही निशा दो लण्ड से चुदी हो लेकिन दोनो थे तो अनाडी ही ना । जल्द ही फिर से मिल कर ईसकौ भी खुश करना पडेगा । हिहिहिही


फिर मै दुकान पर चला गया और अपने कामो मे लग गया ।
दोपहर को मा खाना लेके आई ।
मै - क्या हुआ मा अनुज क्यू नही आया ?
मा - अरे बेटा पता नही उसको क्या हुआ वो सो रहा था । बोला कि कल रात मे देर तक फिल्म देखा हू ।

मै हस कर - अच्छा कोई बात नही आप बैठो मै पापा को खाना देके आता हू

मम्मी - हा ठिक है जा , जल्दी आना मुझे वापस से चौराहे वाले घर जाना है ।

मै टिफ़िन लेके पापा के पास चल दिया कि रास्ते मे काजल भाभी का फोन आया ।

मै - हा भाभी कहिये
काजल - वो मम्मी जी मार्केट गयी है ,तो तुम आ सकते हो क्या ?
मेरी तो आंखे चमक गयी लेकिन फिर हाथ मे टिफ़िन देख कर मा की बात याद आई ।
मै - सॉरी भाभी आज नही , वो मम्मी है ना दुकान पर , आज अनुज नही आया और मै अभी पापा को खाना देने जा रहा हू
काजल उखड़े मन से - अच्छा ठिक है कोई बात नही ,,बाय


फोन तो कट गया लेकिन मुझे बहुत बुरा लगा कि कितनी उम्मीद से काजल भाभी ने मुझे बुलाया ।
खैर मै पापा के दुकान की ओर चल दिया
दुकान पर पहुचा तो वहा बबलू काका बैठे हुए थे ।

मै - काका , पापा कहा है ।
काका - छोटे सेठ , कोई रिश्तेदार आया तो सेठ जी उनको लेके अंदर कमरे मे गये है ।
मै - अच्छा ठिक है
मै काका के सामने तो समान्य रहा लेकिन वहा से निकलकर अन्दर जाते ही मेरे दिमाग मे खुराफात चलने लगी । इस समय कौन आया होगा चुदवाने । इस समय तो रोज अनुज खाना देने आता है ।
पापा भी जानते है इस बात को तो वो क्यू किसी को बुलाएंगे

खैर मै धीरे धीरे रेस्टरूम की ओर गया और दरवाजा खुला हुआ ही मिला मुझे । अन्दर शकुन्तला ताई बैठी हुई थी ।


मै - अरे बडी मम्मी आप यहा
शकुन्तला - हा लल्ला वो बस बाजार आई थी तो ऐसे ही भाई साहब से भेट करने चली आई

मै समझ गया कि ये क्यू आई थी ।

शकुन्तला - अच्छा भाई साहब मै चलती हू
मै - अरे रुको ना बडी मम्मी मै चलता हू , बस पापा को खाना देने आया था ।
शकुन्तला - अरे तु दुकान पर जायेगा और मुझे चौराहे पर जाना है बेटा
मै - अरे आप भी चलो ना दुकान पर , वहा से और मम्मी दोनो साथ मे चले जाना
शकुन्तला हस कर - अच्छा ठिक है चल भाई हिहिहिही

फिर पापा हमे छोड़ने बाहर आने लगे तो मै धीरे से पापा से पुछा - क्या हुआ कुछ किये या नही ।

पापा मुस्करा रहे थे । मतलब काम हो चुका था ।
फिर हम दोनो मेरे दुकान पर चले गये ।

वहा मैने सारी बात मा को बतायी कि शकुन्तला ताई बाजार आई थी तो पापा से मिलने गयी थी ।
मै फिर खाना खाने पीछे कमरे मे चला गया ।

मेरे कमरे मे जाते ही मा मुस्कुरा कर शकुन्तला को छेड़ते हुए - क्या बात दिदी , अपने देवर से छिप छिप कर मिल रही हो हिहिही

शकुन्तला शर्मा कर हस्ते हुए - क्या तु भी रागिनी , ऐसा कोई बोलत है भला । अन्दर राज खाना खा रहा है और तु

मा हस कर - अरे तो आप धीरे से बता दो ना हिहिहिही , कही मेरे पीठ पीछे आप देवर भौजाई मे कुछ चल तो नही रहा

शकुन्तला ने हसी मजाक को गहरा करते हुए - करना होगा तो पीछे क्यू ? तेरे सामने करूंगी और तु मुझे रोक पायेगी क्या ? हिहिहिही

मा - अरे मै क्यू क्वाब मे हड्डी बनने आऊंगी । मै तो बस इस आश से कह रही थी कि एक आध शो हमे भी दिखा देना । मेरा शक दू हो जायेगा ।


शकुन्तला- कैसा शक ??

मा हस कर - यही कि कही अपनी भौजाई के कूल्हो पर मेरे से ज्यादा जोर तो नही दे रहे है । काफी फैल रही है इस समय ।

मा ने शकुन्तला के चुतड सहला कर बोली ।
शकुन्तला मा की इस हरकत से सकपका गयी ।

शकुन्तला - हे पागल , ये क्या कर रही है तु रागिनी । शर्म कर थोडा तेरा बेटा अन्दर ही है ।


मम्मी की छेड़खानी जारी रही और थोडी देर मे मै खाना खा कर बाहर आया और ये दोनो चौराहे के लिए निकल गयी ।


लेखक की जुबानी

निशा भी अनुज की तरह रात के नीद का कोटा दोपहर मे पूरी कर रही थी । इसिलिए आज जंगीलाल को शालिनी ने ही दोपहर का खाना परोसा ।

शालिनी थोडी चुप थी , उसे जन्गीलाल से थोडी नाराजगी थी । इसके उलट जन्गीलाल की नजरे निशा को खोज रही थी ।

जन्गीलाल - लाडो कहा है , दिख नही रही ।

शालिनी तुनकते हुए - सो रही है वो , क्यू कोई काम था ।

शालिनी के तीखे स्वर सुन कर जंगीलाल समझ गया कि सुबह की बात को लेके शालिनी नाराज है ।

जंगीलाल मुस्कुरा कर - नही । अच्छा है सो गयी है । तुम जरा यहा आओ मेरे पास ।

शलिनी मुह फुलाए सोफे पर जंगीलाल के पास बैठ गयी । सामने की टेबल पर खाना रखा हुआ था

जन्गीलाल ने बडे प्यार से एक निवाला निकाला और शालिनी की ओर बढ़ाया ।

शालिनी मुह फेर कर - मुझे भूख नही है ।

जन्गीलाल - हमम तो मेरी जान गुस्सा है , सॉरी मेरी स्वीटू मान जाओ ना ।

शालिनी अपने पति के मुह से स्वीटू शब्द सुन कर मुस्कुरा देती है - आप ना एक नम्बर के चालू को ,,बस फुसलाना जान्ते हो

जंगीलाल ने शालिनी की कमर मे हाथ डाल कर अपने करीब किया और बडे प्यार से उसके गालो को चूमते हुए वापस से निवाला उसके मुह के पास लेके गया ।

जंगीलाल - खा लो ना मेरी जान,
शालिनी मुह खोल देती और खाने लगति है ।

इधर इन दोनो तोता मैना रोमांटिक लंच पार्टी चल रही थी । वही निशा अपने कमरे से निकल कर फ्रेश होने उपर की ओर जाती है ।
जैसे ही वो दरवाजा खोलकर बाहर आती है , उसकी नजर हाल मे बैठे अपने मम्मी पापा को रोमांटिक अंदाज ने खाना खाते देख । उसकी हसी निकल जाती है और वो फौरन छिप कर अपने कमरे से बाहर झाकने लगती है ।

दोनो दम्पति प्रेमियो के जैसे एक दुसरे को खिला रहे थे और काफी खुश थे। निशा उन्हे देख कर भगवान से प्रार्थना करती है कि उन्हे हमेशा ऐसे ही खुश रखे।

फिर वो धीरे से बिना कोई आहट के उपर चली जाती है ।
निचे आने तक जंगीलाल खाना खा कर जा चुका था और शालिनी किचन मे थी ।

निशा भी किचन मे जाती है अपने लिये खाना लेने ।

शालिनी - अरे तु आ गयी ,मै तुझे जगाने ही आ रही थी । चल हम लोग भी खा लेते है ।

शालिनी मुस्कुरा कर - लेकिन आप तो पापा के साथ खा ली ना हिहिहिही

शालिनी को समझते देर नही लगी कि निशा ने उन्हे साथ खाते हुए देख लिया है । तो वो शर्म से लाल हो गयी ।

निशा हसते हुए - अरे मम्मी मुझसे क्या शर्माना आप तो मेरी सहेली हो ना हिहिहिही

शालिनी हस्ते हूए खाना परोस रही थी ।
निशा ने देखा कि अभी भी उसकी मा ने कोई खास प्रतिक्रिया नही दी तो वो उसे छेड़ने के अंदाज मे बोली - वैसे मुझे नही पता था कि जीजू इतने रोमांटिक है हिहिहीही

निशा जानती थी कि उसकी मा किसी बात के लिए परेशान हो या ना हो लेकिन अपने पापा को जीजू बनाने पर चिढ़ जरुर जायेगी ।

इसिलिए वो फौरन अपना थाली लेके अपने कमरे मे भाग गयी । शालिनी भाग कर उसके पीछे तो गयी लेकिन तब तक निशा ने दरवाजा बन्द कर लिया था ।

शालिनी हस्ती हुई मन मे बड़बड़ाती हुई किचन मे आ गयी ।

ऐसे ही चलता रहा शाम हो गयी । शाम के समय अनुज रोज की तरह निशा के घर आया और राहुल से थोडी बात करके निकल गया । क्योकि कल रात की 3 राउंड चुदाई मे निशा ने उसे बुरी तरह निचोड दिया था ।

*******______*******______******_______

इधर ये सब चल रहा था , वहा राज के पापा भी अपने दुकान से 6 वजे के करिब निकल गये । जैसा कल राज की मा से उन्होंने कहा था कि आज वो सोनल के ससुराल मे बात करके आयेंगे ।

रन्गीलाल ने पहले ही अपने दुकान के एक नौकर को भेजवा कर चमनपुरा की फेमस खोवे वाली मिठाई पाच किलो मगवा लिया था ।

मिठाई लेके रंगीलाल अमन के दरवाजे पहुच गया
मेन गेट से अन्दर होकर रंगीलाल सीधा हाल मे प्रवेश करता है ।
सामने ममता एक पटीयाल सूट सलवार मे बिना दुपट्टे के टीवी की ओर मुह करके खड़ी थी ।

रंगीलाल की नजरे ममता के गठिले जिस्म पर गयी तो उस्का लण्ड बगावत पर आ गया । पहली बार वो ममता के इतने चौडे कुल्हे देख रहा था ।

पीठ पर ममता के ब्रा की कसावट सूट के उपर से ही पता चल रही थी ।

रन्गीलाल मुस्कुराता हुआ - भाभी जी नमस्ते

ममता ने नजर घुमाकर पल्टी की कौन आ गया बिना दस्तक के घर उसके ।
ममता के सामने होते ही रंगीलाल की नजरे उसके 44 साइज़ की मोटे थनो पर जम सी गयी ।
इतने बडे चुचे तो रज्जो के भी नही थे ,जितने ममता के सूट मे फैले हुए थे ।

ममता ने जैसे ही रंगीलाल को देखा और अगले ही पल उसकी नजरो का पीछा किया तो सकपका कर इधर उधर अपना दुपट्टा खोजने लगी ।


रंगीलाल ने भी नैतिकता दिखाते हुए नजरे फेर ली और मुस्कुरा कर बोला - वो भाई साहब नही है ।
ममता ने झट पट से सोफे पर पडा हुआ अपना सूती दुप्प्टा उठाया और जल्दी से आगे ओढ़ लिया ।

ममता मुस्कुरा कर - नमस्ते भाईसाहब, आप इस समय ? आईये बैठीये

रन्गीलाल मुस्कुरा कर सोफे पर बैठता हुआ मिठाई का झोला अपने बगल मे रखता हुआ - जी वो सोनल की मा बोली , थोडा हाल चाल लेते आओ । वैसे भाई साहब नही दिख रहे ।

ममता - जी वो बाजार मे ही गये एक जन के यहा तगादा करने , बैठीये मै पानी लाती हू।

ये बोल्कर ममता घूमकर किचन की ओर जाने लगी ।
रंगीलाल ने उसके मासल भारी चुतडो की थिरकन को देख कर लण्ड भीच कर रह गया ।

रंगीलाल मन मे - आह्ह इन्होने तो मुझे परेशान ही कर दिया । पता नही इस घोडी पर भाई साहब सवारी कैसे कर लेते होगे ।

रंगीलाल अपने ख्यालो मे गुम था कि ममता किचन से पानी लेके आती है और रंगीलाल के बगल वाले सोफे पर बैठ जाती है ।

ममत मुस्कुरा कर - लिजिए पानी पीजिए
रंगीलाल गला तर करता हुआ - और ब्तायिये भाभी जी घर मे सब कैसे है ।

ममता मुस्कुरा कर - जी सब अच्छे है , बस यही अपनी बहू के आने के दिन गिन रहे है हाहह्हहा

रन्गीलाल मुस्कुरा कर - हा हा क्यो नही , अब दिन ही कितने बचे है । वैसे जमाई बाबू कब तक आयेंगे ।

ममता - बस अगले ही महिने
रंगीलाल - अच्छा अच्छा ।

ममता - आप बताईये आपके यहा क्या हाल चाल है ?
रंगीलाल मुस्कुरा कर - सब ठिक है भाभी जी , लेकिन रागिनी आपसे थोडी नाराज है । हाहाहहा

ममता अचरज से - क्यू ?
रंगीलाल हस कर- भई उसका तो कहना है कि समधन जी उसे अपना मानती ही नही । एक बार भी फोन नही किया । सगाई के बाद से

ममता हस कर - अरे नही ऐसी बात नही है । अब तो आप लोग ही हमारे सगे रिश्तेदार हो रहे है ।

रंगीलाल हस कर - हा तभी तो उसने खास तौर पर कहा है कि हमारी समधन जी का मोबाइल नंबर लेके ही आना ।हाहाहाहा

ममता भी हस कर - अच्छा ठिक है लिख लिजिए

रंगीलाल पहले नम्बर नोट करता है और फिर अपने ही फोन से डायल कर देता है ।

तभी बोर्ड मे चार्ज पर लगा फोन रिन्ग करता है तो ममता उसे लेके आती है और रंगिलाल को देती हुई - जरा इसमे नम्बर सेट कर दीजिये ।

रंगीलाल ममता का स्क्रीनटच मोबाइल हाथ मे लेके - जी किस नाम से सेट करु

ममता मुस्कुरा कर - उम्मम समधि जी करके डाल दीजिये । वो क्या है कि आपके नाम से एक मेरे मायके मे भी जानपहचान वाले है ।

रन्गीलाल उसी नाम से नम्बर सेट करके अपने मोबाइल मे भी समधन जी के नाम से नम्बर सेट कर देता है ।

रंगीलाल - लिजिए भाभी जी हो गया और बताईये शादी की तैयारिया कैसी चल रही है ।

ममता - जी भाईसाहब सब कुछ तो अमन के चाचा ही देख रहे है , आज ही वो बडे शहर गये है ।बहू के लिए जेवर का ओर्डेर देने


रन्गीलाल काफी खुश होता है - अच्छा अच्छा

ममता - हा फिर जब अमन आ जाएगा तो कपड़ो की शापिंग कर लेंगे ।

रंगीलाल थोडा झिझक दिखाता हुआ - भाभी जी एक बात थी ,, पता नही आपको उचित लगेगा की नही ।

ममता मुस्कुरा कर - अरे कहिये ना इसमे इतना झिझक क्यू रहे है ??

रंगीलाल - वो बच्चो की इच्छा थी और रागिनी भी कह रही थी कि दूल्हा दुल्हन के कपडे साथ मे ले लिये जाये । आप तो जानती ही अब हम लोगो का समय तो रहा नही । नये जमाने के बच्चे,

ममता मुस्कुरा कर - अरे ये तो बहुत अच्छी बात है ,,इसी बहाने समधन जी से भेट हो जायेगी । बहुत अच्छा सोचा है आपने।

रंगीलाल - अरे अपनी समधन से मिलने आप हमारे घर ही आ जाईये किसी दिन । अब वो भी आपका घर है ।

ममता मुस्कुरा कर - जी जरुर जरुर

इधर इनकी बाते चल रही थी कि मुरालीलाल हाल मे झोला लिये आता है ।
रंगीलाल उस्से भी मिलता और कुछ बाते दुहराई जाती है ।

फिर रंगीलाल मिठाई वाला झोला अपने बगल स्व उठाकर मुरारिलाल को देता हुआ - भाईसाहब ये रखिये और मुझे इजाजत दीजिये ।


मुरालीलाल हस कर झोला लेते हुए - अरे भाई रंगीलाल इतना सारा लाने की क्या जरुरत थी । यहा कौन इतनी मिठाई खायेगा

ममता - जी इनका सुगर बढा हुआ है और घर मे कोई बच्चे भी तो नही है ।

रंगीलाल - अरे भाभी अब रखिये इसे , आप और मदन भाई खा लिजिएग

मुरारिलाल हस्ता हुआ - रंगी भाई वैसे इनका भी वजन अब 90 के करीब हो गया है । हहहहा ..... डॉक्टर ने मीठा मना किया है ।


ममता अपने देह के लिए मजाक सुन कर रंगीलाल के सामने झेप सी जाती है । क्योकि उसे अभी थोडे देर पहले की घटना याद आ जाती है जब वो बिना दुपट्टे के ही रंगीलाल के सामने खड़ी थी ।


रंगीलाल हस कर - वो सब मै नही जानता ,भाई आपकी होने वाली बहू के यहा से । प्लीज मना ना करिये

ममता थोडा तुन्क कर - आप मुझे दीजिये भाईसाहब । मेरी बहू के यहा सगुन है मै तो जरुर चखूंगी । इनकी तो आदत ही खराब है ।

रंगीलाल ममता की बात सुन कर समझ गया कि उसे मुरारिलाल का मजाक अच्छा नही लगा ।
फिर वो वहा से विदा होकर अपने घर के लिए निकल गया

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
निशा अपने पापा को रिझाने का आम कर रही है और जंगीलाल को शालिनी मजा नही दे रही हैं जिससे वह निशा की तरफ आकर्षित हो रहा है राज सोनल की चुदाई आर लेता है निशा उससे कहती है की उसकी जरूरत नहीं है रंगीलाल अपनी समधन को चोदने के चक्कर में लगा है
 

Sanju@

Well-Known Member
4,861
19,637
158
UPDATE 140

पिछले अपडेट मे आपने पढ़ा कि एक ओर जहा जंगीलाल की हालत बहुत ही खराब थी । उसकी असमंजसता ने उसे चिंता मे डाल दिया था वही रंगीलाल अपनी समधन से भेट मुलाकात कर आया था ।

अब आगे



राज की जुबानी

रात को 8 बजे तक मै दुकान बढा कर चौराहे वाले घर पहुचा तो देखा हाल मे मा पापा बैठे हुए थे और मा किसी से फोन पर बाते कर रही थी ।
किचन मे सोनल खाना बना रही थी ।

मै भी फ्रेश होकर हाल मे बैठ गया तो पता चला कि मा , सोनल की होने वाली सास ममता से बाते कर रही थी ।

फिर मा ने फोन रख दिया और हमने थोडी बहुत चर्चा की । बातो ही बातो मे पापा ने बताया कि आज सोनल की सास ने उनसे कहा था कि अमन के चचा बडे शहर जेवर का ऑर्डर देने गये हैं ।

पापा - रागिनी अब हमे भी तैयारियाँ शुरु कर देनी चाहिए । थोडा थोडा करके खरीदारी कर ले और कार्ड छपने भी तो 15 दिन लग जायेंगे ।

मा - हा जी इस बार थोडा पूजा पाठ भी तो होना है ना । याद है गृह प्रवेश मे ज्यादा कुछ हो नही पाया था ।

पापा - हा सोच रहा हू शादी से दो दिन पहले एक पाठ करवा लू भगवान जी का और ये भी कार्ड मे छपवा दूँगा । घर मे मेहमान पहले आयेंगे तो थोडी कामकाज मे राहत रहेगी ।

मा - हा ये सही रहेगा । आप पंडित जी मिल कर शादी के आस पास का समय देख लिजिए और पूजा की लिस्ट बनवा लिजिएगा । पिछ्ली बार भूल गये थे ।

मा की बात पर मै खिखी करके हस दिया ।
मा मुझे डांटते हुए - तु क्या दाँत दिखा रहा है । कल तु भी कार्ड वाले यहा से कुछ डिज़ाइन लेते आ दिखाने के लिए


मै - हा मा हो जायेगा , आप परेशान ना हो । मै और पापा मिल कर सब कर लेंगे । क्यू पापा ?

पापा - हा रागिनी । राज सही कह रहा है ।

मै - मा आप भी सामानो की पर्ची बनाना शुरु कर दीजिये । जो कुछ लाना होगा मै लेते आऊंगा ।

मा - वो तो पहले ही बना चुकी हू और रज्जो दीदी से भी पूछा था शादी के तैयारियो के बारे मे । वो कह रही थी कि तु चिंता ना कर मै एक हफते पहले ही आ जाऊंगी ।

पापा की आंखे चमकी - क्या सच मे रज्जो दीदी एक हफते पहले ही आयेंगी

मा समझ गयी कि पापा का उतावलापन,,तो तुनक कर धीमी आवाज मे बोली - हा लेकिन आप जरा खुद पे संयम रखियेगा । शादी व्याह का दिन रहेगा और वो अकेली थोडी आयेगी ।

पापा - फिर ?

मा मुस्कुरा कर - जीजा उसे और रमन की पतोह दोनो को छोड कर जायेंगे

अब चहकने की बारी मेरी थी - क्या सच मे रीना भाभी भी आ रही है ।

मा - हा मैने जिद की तब रज्जो दीदी हा बोली ।

मै खुश था कि घर मे एक और ताजा माल आने वाला है लेकिन ये सब अभी बहुत दुर था करीब दो महीने का समय ।


हमारी बाते चल रही थी कि मुझे अनुज की सुझी - मा ये अनुज कहा है

मा - अभी तो था निचे ही अब पता नही कहा गया ।

मै किचन मे दीदी को आवाज देकर - दीदी अनुज कहा है ?

सोनल - अरे वो मेरे मोबाइल मे फिल्म देख रहा है ।

मै हस पडा और समझ गया कि वो क्या देख रहा होगा ।
एक पल को मुझे लगा कही अनुज वो वाली साइट खोले ही मोबाइल सोनल को वाप्स कर दिया तो । फिर मुझे ध्यान आया कि नही सोनल तो नोर्मल ब्राऊजर यूज़ करती है ।

मैने सोचा क्यू ना अनुज को भी छोटा मोबाइल दिला ही दू और उसका जन्मदिन भी अगले महीने था । हालाकी हमारे यहा केक काट कर पार्टी देने वाला रिवाज नही था । मा को ये सब पसंद नही था । हा लेकिन सबको कपडे या कोई तोहफा पापा जरुर देते थे । नही तो पॉकेट मनी ही मिल जाती थी ।

मै- पापा मै सोच रहा था कि अनुज को भी एक मोबाइल दे दिया जाये

मा थोडा खिझी - अब उसे क्या जरुरत है मोबाइल की । अभी तो उसने 10वी भी पास नही की ।

पापा मा की बात से सहमत होते हुए - हा बेटा तेरी मा ठिक कह रही है , अभी उसकी उम्र ही क्या है । उसे पढने पर ध्यान देना चाहिये


मै कुछ सोच कर - हा पापा लेकिन अब मेरे जैसा समय तो है नही , उसके साथ के सभी बच्चे लेके चलते है मोबाइल । फिर उसकी पढाई मे मदद हो जायेगी वो होनहार लड़का है और आगे शादी मे इतने सारे काम रहेन्गे किसको कहा कोई खोजेगा


पापा - देख बेटा मेरी सिख गांठ बान्ध ले , दुसरे का देख कर अपना रास्ता तय नही करते । बात अगर पढाई कि है तो मै उसे लैपटाप दिला देता हू

मा भी खुश होकर - हा ये ठिक रहेगा । उसका जन्मदिन भी आ रहा है ।

पापा - और रही बात शादी मे कामो के लिए तो उस समय मे एक टेम्पोररी फोन उसे दे दूँगा ।

पापा की बातो से मै भी प्रभावित हुआ कि वो कितने समझदार है और हर पहलू पर अच्छा सोच लेते है ।

मै खुश हुआ - हा पापा आप सही कह रहे हो
मै मन मे - हा इससे उसकी हरकते लिमिट मे रहेगी । नही तो गलती से भी सोनल को भनक तक लगी अनुज के बारे मे वो निशा के जैसे व्यवहार नही करेगी । सीधा पीट देगी ।


फिर हमारी बाते चली और थोडे समय बाद हम लोग खाना खा कर अपने अपने कमरो मे चले गये ।

आज रात मैने और पापा ने मा की जबरजस्त चुदाई की और सो गये ।



लेखक की जुबानी

राज के यहा तो सब सो गये लेकिन निशा के यहा दो लोगो की रात आज लम्बी होने वाली थी ।

रात के खाने के बाद सभी अपने कमरे चले गये और निशा थोडे समय बाद राहुल के पास चली गयी । उनकी काम क्रीड़ा जारी रही ।

वही दुसरे कमरे मे शालिनी रोज की तरह अपने गहने उतार कर जिस्म ढिला कर रही थी । वो जानती थी कि बिना चुदाई किये जंगीलाल को नीद नही आती थी और उसे भी इसकी आदत थी ।

इधर जंगीलाल बिस्तर टेक लगाकर फुल बनियान और जन्घिया पहने जान्घे खोल कर बैठा हुआ । फर्श निहार रहा था । उस्के जहन मे द्वंद चल रहा था । मन के एक ओर वो शालिनी से सब कुछ पहले जैसे छिपाये रखना चाहता था और दुसरी ओर उसका मन उसे शालिनी को सब सच बताने को सही समझ रहा था । वो डर भी रहा था कि आगे क्या होगा । शालिनी क्या प्रतिक्रिया देगी ।


शालिनी इस समय अपनी साडी निकाल रही थी और उसने बिना ब्लाउज खोले ही बडी तरकिब से ब्रा निकाल दिया । वो समझ रही थी कि पीछे से उसका पति उसे निहार रहा होगा और अभी रोज की तरह उसे अपनी बाहो मे भर लेगा ।

ऐसा नही था कि शालिनी को सेक्स पसन्द न्ही था लेकिन जिस तरह जंगीलाल डिमांड करता था वो उस तरह का सेक्स नही चाहती थी । वो बहुत ही रोमांटिक तरीके से पसंद करती थी सब धिरे धिरे और लम्बे समय तक चले ।


शालिनी ने जब मह्सूस किया कि जन्गिलाल अभी तक उसके पास नही आया तो उसने नजर उठा कर सामने आईने मे देखा कि वो बिस्तर पर पैर फैला कर बैठा हूआ कुछ सोच रहा है ।

शालिनी समझ गयी कुछ गम्भीर बात है नहीं तो ऐसे मौके पर उसका पति हमेशा उससे चिपका ही रहता है ।
शालिनी घूमी और जंगीलाल के पास उसके बगल मे सामने से बैठते हुए उसके पाव को हिला कर - क्या सोच रहे है जी आप

जंगीलाल चौक कर - न न नही कुछ तो नही

शालिनी मुस्कुरा कर - आपको तो झूठ बोलना भी नही आता । आंखे लाल हो रही है और भरी हुई है

जंगीलाल जान गया कि शालिनी ने भाप लिया है कि वो कुछ सोच रहा है । इसिलिए उसने आंखे बंद करके एक गहरी सास ली तो उसकी भरी हुई आंखे नम सी हो गयी ।


शालिनी की चिंता बढ गयी कि क्या बात है ।

शालिनी - अरे क्या हुआ बताईये
जंगीलाल शालिनी के हाथ पकड कर - वो मुझे तुम्हे कुछ बताना है

शालिनी का कलेजा धक धक कर रहा था कि आखीर क्या बात है । कही इनको कोई बिमारी तो नही है ना । नही नही भगवान ऐसा ना करना ।

शालिनी कापते हुए - क क्क्या बोलो जी । मेरा जी घबरा रहा है । आप बोलो ना

जन्गीलाल अटकते हुर स्वर मे - पहले वादा करो कि तुम मुझसे नाराज नही होगी और मुझे छोड कर नही जाओगे । मेरी मजबूरी सम्झोगी ।

शालिनी चौकी - मजबुरी !! कैसी मजबूरी ??

जंगीलाल - पहले तुम हमारी लाडो का कसम खाओ कि तुम मेरे लिए अपना व्यवहार नही बदलोगि ।

शालिनी असमंजस मे थी - हा हा ठिक है कहिये

जंगीलाल नजरे नीची करके - जानती हो शालिनी मे महीने दो महिने पर बडे शहर क्यू जाता हू

शालिनी के मन में शंका घिर रही थी कि कही कोई सौत का चक्कर तो नही - क्क्क्यू बताओ ना ,,आप बात लम्बी क्यू कर रहे हो । मुझे चिंता हो रही है ।

जंगीलाल - हा बताता हू सुनो । वो मै बडे शहर अपनी सेक्स की भड़ास निकालने जाता हू । वो सेक्स जो तुम मुझे नही देती हो ।

शालिनी का कलेजा धक करके रह गया और वो चुप सी हो गयी । उसके हाथ जन्गिलाल के तन से दुर होने लगे ।

शलिनि का स्पर्श कम होता मह्सूस कर जंगीलाल को लगा कि जैसे वो खुद उससे दुर जा रही थी । इसिलिए घबरा कर वो शालिनी के हाथ थाम लेता है और उदास मन से - मुझे माफ कर दो शालिनी । मै मजबुर था और जब व्हा सेक्स कर लेता खुद को सजा ही देता था । हमेशा कोसता रहता था ।

शालिनी की आंखे भर आई थी इसिलिए नही कि उसके पति ने कुछ गलत किया बल्कि इसलिए कि उसके रोकटोक से उसका पति बहक गया । अगर वो चाहती तो जन्गिलाल सिर्फ़ उसका ही रहता ।

जंगीलाल ने जब शालिनी का रुआस चेहरा देखा तो वो भी आसू बहाते हुए - तु काहे आसू बहा रही है । गलती मेरी है तु मुझे सजा दे । लेकिन मुझसे बाते कर रूठना मत

ये कह कर जंगीलाल शालिनी के हाथ पकड कर अपने चेहरे पर चाटे मारने लगा और फफक पडा ।
शालिनी ने चौक कर अपना हाथ खिच लिया और जंगीलाल को अपने सीने से लगा लिया ।

शालिनी - मुझे माफ कर दीजिये । मेरी वजह से आपको इनसब रास्तो चुनना पडा । मै अभागिन किस काम की जब पति को खुश नही रख सकती ।

शालिनी ने रुआसे ही अपने होठ अपने पति से जोड लिये ताकी उसे हिम्मत मिले कि वो उससे नाराज नही है और ना ही उससे दुर जायेगी ।

जंगीलाल ने उसे अपनी बाहो मे भर लिया । शालिनी का ब्लाऊज जन्गिलाल के आसुओ और पसीने से भीग गया था ।

शालिनी जंगीलाल की बाहो मे लिपटी हुई उस पल को याद करती है जब शादी के कुछ साल बाद पहली और आखिरी बार शालिनी ने अपने पति को उसके हिसाब से सब कुछ करने की छुट दी । उसी दिन तो जंगीलाल ने उसकी गाड को खोला था ।
वो पल सोच कर वो मुस्कुरा देती है हालकि उस दिन उसने भी बहुत मजा किया था लेकिन उसका फोकस शुरु से ही अपने जिस्मो को सवारने मे था और उस रात जो हुआ उसने शालिनी को काफी निराश भी किया था ।


शालिनी जंगीलाल के कन्धे पर सर रखे हुए - जानू सुनो ना
जन्गीलाल शालिनी की मीठी आवाज सुन कर उसे अपनी बाहो मे कसते हुए - हा मेरी स्वीटू कहो ना

शालीनी शर्माते हुए - वो मै कह रही थी कि बच्चे अब बडे हो गये हैं और आपको याद है ना उस रात मै कितना चिल्लाई थी ।

जन्गीलाल की भौहे खिल गयी , दिल मचल उठा और लण्ड एक ही बार मे तन कर फौलादी हो गया क्योकि इशारो मे ही शालिनी ने उसकी बात मान ली थी । वो उसके मन चाहे सेक्स के लिए तैयार हो गयी थी ।
जंगीलाल शालिनी के होठ चुस्कर - रोज रोज नही मेरी जान बस हफते मे एक बार

शालिनी जंगीलाल के खडे लण्ड को बडी अदा से हाथो ने भरती हुई नशीली आँखो से उसे देखती है । जन्गीलाल का शरीर कापने लगा था ।
शालिनी अपने हाथ से अपने पति के आड़ो को मुथ्ठी मे भरते हुए अपने चुचो के उभार पर ब्लाऊज के उपर से हाथ फिराते हुए बोली - अपनी रन्डी को हफते मे सिर्फ़ एक ही बार चोदोगे मेरे राजा उम्म्ं बोलो

जंगीलाल शालिनी की हरकत से पूरी तरह गनगना और जोश से भर गया । उस्का लण्ड और भी कसने लगा था । ये वो शब्द थे जिन्हे आखिरी बार उसी रात को जंगीलाल ने शालिनी को कहा था और गालिया दे देकर उसकी जबरदस्त चुदाई की थी । सेक्स के दौरान तो शालिनी ने मदहोशि मे उसका साथ दे दिया था लेकिन अगली सुबह से कुछ दिनो तक वो जंगीलाल के उस व्यवहार से वो खफा थी और खुद को भी उस चीज़ के लिए कोस रही थी । क्योकि उस रात जन्गीलाल बेबाक होकर शालिनी को गालिया देकर उसकी चुदाई की थी और शालिनी ने भी उस रात अपने पति के नये जोश का भरपूर मजा लिया था । मगर जब होश मे आने के बाद उन गालियो का तर्क करने लगी तो उसे बहुत दुख हुआ । तबसे शालिनी ने जंगीलाल से समान्य सेक्स करने की शर्त रख दी थी और अपने प्रेमी जोड़े का महत्व समझाते हुए जंगीलाल को मना भी लिया था ।
जंगीलाल को उम्मिद नही थी कि शालिनी खुद से पहल करेगी ।

जन्गीलाल जोश मे आकर उसे अपने करीब खिच कर उसके चुची को सामने से पकड कर उसके होठ चूसने लगता है ।दोनो एक गहरे चुंबन मे खो जाते है ।

जंगीलाल शालिनी से अलग होकर उसे घुमाते हुए उसे पीछे से पकड लेता है और ब्लाउज के उपर से ही उसकी मोटी कसी हुई गोल गोल चुचो को मिजने लगता है ।

शालिनी कसमसाते हुए खुद को जन्गिलाल के जिस्म पर घिसने लगती है ।

शालिनी - ओह्ह्ह आराम से मेरे राजा उम्म्ंम्म्ं तुम्हारी चुद्क्क्ड रानी कही जायेगी नही ।


जंगीलाल शालिनी के मुह से गंदे और मनचाहे शब्दो को सुन कर और जोश मे आ जाता है और ब्लाउज का गला उपर से पकड कर जोर से खिच कर सारे हुक चटका देता है ।

शालिनी के कांख के पास मे थोडी चमडी खिचने उसे दर्द होता है लेकिन वो अपने पति के लिए सह जाती है और जन्गिलाल उसके नंगे चुचो को पीछे से हाथो मे भर लेता है ।
जंगीलाल - ओह्ह मेरी जान क्या मस्त चुचे है तेरे उम्म्ंम्ं जी कर रहा है नोच लू अह्ह्ह

शालिनी कसमसा कर - उह्ह्ह तो नोच लो ना मेरे राजा अह्ह्ह उम्म्ंम्ं जैसे चाहो प्यार करो मुझे उम्म्ंम्ं

जन्गीलाल शालिनी के कंधो को चुमता हुआ उसके चुचे हाथो मे भर कर मसल रहा था ।

शालिनी उसे और भी उत्तेजित किये जा रही थी - उम्म्ंम्ं मेरे राजा और कस के मसलो ना मेरे चुचो को उम्म्ंम्ं अह्ह्ह ऐसे ही । बना लो मुझे अपनी रन्डी बीवी अह्ह्ह मेरी जान उम्म्ंम्म्ं आह्ह

जन्गीलाल का लण्ड शालिनी कामोत्तेजक शब्दो को सुन कर फड़फडा रहा था ।

उसने शालिनी को खड़ा किया और खुद पैर लटका कर बैठ गया । फिर शालिनी की कमर को बाये हाथ मे थाम कर एक ओर किया और झुक कर उसकी नंगी चुचियो पर टुट पडा ।


वो शालिनी की एक चुची मुह से चुस रहा था तो दूसरी को दाये हाथ से मसल रहा था ।

शालिनी अपने पति का सर उत्तेजना वश अपने चुची पर दबा रही थी जिससे जन्गिलाल और भी उत्तेजित होकर उसका निप्प्ल खिचने लगा ।

शालिनी की गोरी मखमल सी चुचिया चुसाई और रग्डाई से लाल होने लगी थी ।
जंगीलाल ने उसे आजाद किया और निचे जाने का इशारा किया ।

शालिनी मुस्कुरा कर उसके होठो को चुसा और फिर घुटने के बल होकर अपने पति का फौलादी लण्ड जांघिया खोल कर निकालने लगी ।


रोज के मुकाबले जन्गीलाल का लण्ड फुला हुआ था और सुपाडा लाल हुआ जा रहा था ।
शालिनी ने मुह खोलते हुए लण्ड को मुह मे आधा भर लिया और आंखे उठाकर जन्गीलाल के जांघो को सह्लाती हुई लण्ड चूसने लगी


जंगीलाल जोश से भर गया और उसे अपनी बीवी किसी रन्डी से कम नही लग रही थी । लेकिन अभी भी वो अपने जज्बातो को काबू मे किये हुआ था ।

शालिनी थोडी देर मे लण्ड चुसकर जंगीलाल के सामने खड़ी हुई और अपना पेटीकोट खोल कर पूरी नंगी हो गयी ।
और मुस्कुराते हुए जंगीलाल को बिस्तर पर धकेल दिया

जंगीलाल समझ गया कि आज शालिनी खुद उपर आयेगी तो उसने पैर सीधे कर लिये ।

शालिनी बिस्तर पर चढ़ कर अपने पति के कमर के दोनो ओर घुटने के बल हो गयी और उसका लण्ड थाम कर अपनी चुत पर टच करने लगी ।

जन्गिलाल सिहर कर रह गया और देखते ही देखते शालिनी ने बडी कामुकता से अपने पति का गिला मोटा लण्ड अपनी चुत मे ले लिया और बैठ गयी ।

जन्गीलाल आंखे बन्द करके शालिनी के मादक कमर हिलाने की अदा का मजा अपने लण्ड पर मह्सुस कर रहा था ।

शालिनी ने इतना सब के बाद भी जंगीलाल ने एक भी बार उसे गंदे शब्दो से नही पुचकारा ।
शालिनी मुस्कुरा वैसे ही लण्ड को अपनी चुत मे भरे अपने पति के उपर झुक गयी और उसके चुचे जन्गिलाल के मुह के पास झूलने लगे ।

जंगीलाल ने आंखे खोली और हाथ बढा कर चुचो को थाम लिया ।

शालिनी मुस्कुरा कर अपनी कमर आगे पीछे करके लण्ड को अपनी चुत मे घिस रही थी - क्यू मेरे राजा मजा नही आ रहा है क्या हम्म्म

जंगीलाल सिस्क कर - आआह आ रहाआ है जान उम्म्ंम

शालिनी - तो बोलो ना
जंगीलाल -उम्म्ंम सीई क्याअह्ह मेरी जान

शालिनी थोडा गति बढा कर अपने पति के लण्ड पर हुमचने लगी जिससे जन्गिलाल का नशा और भी गहराने लगा ।

शालिनी शब्दो को पीसते हुए - अपनी रन्डी को पेलोगे नही उम्म्ंम अह्ह्ह पेलो ना मुझे मेरे राजा

जंगीलाल शालिनी की सिसकिया सुन कर उत्तेजित हुआ और अपने हाथ उसके दोनो कूल्हो पर ले जाकर पैरो को फ़ोल्ड कर लिया । फिर शालिनी की गाड़ को पकड कर हल्का हल्का निचे से अपनी गाड़ उचका कर पेलने लगा ।


जन्गीलाल - कैसे पेलू मेरी जान उम्म्ंम देखो निचे से पेल रहा हू ,देखो ना ,,,ये देखो अह्ह्ह

जंगीलाल निचे से झटके तेज करता हुआ बोला

शालिनी उसी अवस्था मे झुकी हुई अपने पति के धक्के खाती हुई - अपनी रन्डी बीवी बना के चोदो ना ,खुब हचक के सीईई अह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं

जन्गीलाल जोश मे आ गया और कस कस के चोदने लगा । वो अपनी कमर उठाकर तेजी से ध्क्के मारते हुए - ले साली रन्डी आज ऐसा चोदूंगाअह्ह्ह की याद करेगी उह्ह्ह्ह ले मादरचोद सीई अह्ज्ज साली चुद्क्क्ड ले

जंगीलाल शालिनी को गालिया देते हुए तेजी से चोद रहा था । कमरे मे काफी सालो बाद थपथप की तेज आवाज आ रही थी । शालिनी की सिस्किया हल्क मे रुक गयी थी ।

थोडी देर निचे से धक्का लगाने के बाद जन्गीलाल वैसे ही शालिनी को लण्ड पर बिठाये उठा और उसे सामने लिटा कर खुद उसके उपर आ गया ।

शालिनी - ओह्ह मेरे राजा उम्म्ंम चोदो ना मुझे उम्म्ंम सीईई अह्ह्ह ऐसे ही फाडो मेरी चुत आह्ह रहम मत करो उन्म्म्ं चोदो अपनी रन्डी बिवी को उम्म्ंम

जन्गीलाल शालिनी की जान्घे खोले घपाघ्प लण्ड उसकी चुत की गहराइयो मे ले जा रहा था और पेल रहा था - हा मेरी जान आज तेरी चुत फ़ाड कर भोसडा बना दूँगा उम्म्ं साली रन्डी मादरचोद लेह्ह मेरा लण्ड अपनी बुर मे लेहहह


शालिनी - आह्ह हा भर दो मेरी चुत को मेरे राजाआह्ह

शालिनी - आपको अच्छा लगता है ना ऐसे ही मुझे गन्द गन्दा बोल कर चोदना उम्म्ंं

जन्गीलाल - हा मेरी जान ,,कितने सालो से तुझे ऐसे ही रन्डी के जैसे चोदना चाह रहा था । अह्ह्ह साली मादरचोद उम्म्ंम्ं मस्त भोस्डा है तेरा अह्ह्ह

शालिनी - उम्म्ं तो और गाली दो ना मुझे बहिनचोद नही कहोगे उम्म्ं सिर्फ मादरचोद ही कहोगे उम्म्ंम

जन्गीलाल और भी जोश मे आगय - आह्ह कयू नही , साली बहिनचोद एक नम्बर की अह्ह्ह

शालिनी अपने चुत के छल्ले को जन्गीलाल के लण्ड पर कसने लगी और निचोडते हुए - क्या हू मै मेरे राजा , क्या एक नम्बर की .....।

जन्गीलाल जोर लगा कर आखिरी कुछ धक्के शालिनी के चुत मे पेलता हुआ - साली तु एक नम्बर की चुदक्क्ड है बहिनचोद उम्म्म्ं ले साली आज तेरी बुर भर दूँगा अपने बिज से अह्ह्ह मादरचोद उम्म्ं ले मेरी रन्डी हहह लेह्ह्ह बहिनचोद साली अह्ह्ह्ह जान उम्म्ंम्ं

शालिनी - अह्ह्ह हा मेरे राजा भर दो अपनी जान का भोसडा उम्म्ं अह्ह्ह माआ ओह्ह्ह

जन्गीलाल झड़ कर शालिनी के उपर ढह गया और शालिनी ने उसे अपने से चिपका लिया



थोडी देर शान्ति रही और दोनो एक दुसरे से चिपके हुए लेटे रहे कि तभी शालिनी ने जंगीलाल से कुछ ऐसा पुछा कि उसकी धडकनें फिर से तेज हो गयी।




आखिर क्या था वो सवाल ? जिससे जंगीलाल वापस से परेशान हो गया है ।

परेशानिया जो भी लेकिन एक बात तो क्लियर है कि इसके बाद दोनो पति-पत्नी का जीवन मे बहुत बड़ा बदलाव आने वाला है ।
तो मै DREAMBOY फिल्हाल आपसे विदा चाहूँगा ।जल्द ही मिलते है अगले अपडेट
पढते रहिये हिलाते रहिये ।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
शालिनी और जंगीलाल की दमदार चूदाई चली
अब क्या है वह सवाल और उस सवाल से क्या उनकी वैवाहिक जिंदगी पर कोई प्रभाव पड़ेगा
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
7,557
21,025
174
Romanchak aur Rochak kahani. Pratiksha agle rasprad update ki
Shurkiya dost
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
7,557
21,025
174
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
निशा की राहुल और अनुज ने मिलकर चुदाई कर ही ली है
Shukriya dost
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
7,557
21,025
174
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
शालिनी और जंगीलाल की दमदार चूदाई चली
अब क्या है वह सवाल और उस सवाल से क्या उनकी वैवाहिक जिंदगी पर कोई प्रभाव पड़ेगा
Shukriya dost ... swal to agle update me pata chalega hi
 

Incestlover

Member
194
418
78
भाई अभी कहां जाने की जल्दी है अभी तो कहानी और लंबी चलेगी । फोरम कई कहानी है जो पात्रों के तीन पीढ़ी तक गई है और आपको अभी जाना है । कहानी में अभी बहुत पोटेंशियल है एक यही कहानी है जिसे मैंने शुरुआत से अभी तक फॉलो किया है ।
 

Incestlover

Member
194
418
78
वैसे मैं कुछ दिन बाद आया हूं आते ही आपकी कहानी पढ़ी तभी चैन मिला ।
बहुत ही उम्दा अपडेट और जांगीलाल का कुछ करवाओ उसकी बेटी के साथ बेचारा बहुत दिनो से तड़प रहा है ।
 

TharkiPo

I'M BACK
4,782
15,683
159
भाई अभी कहां जाने की जल्दी है अभी तो कहानी और लंबी चलेगी । फोरम कई कहानी है जो पात्रों के तीन पीढ़ी तक गई है और आपको अभी जाना है । कहानी में अभी बहुत पोटेंशियल है एक यही कहानी है जिसे मैंने शुरुआत से अभी तक फॉलो किया है ।
Yahi to hum bhi bole DREAMBOY40 bhai ji se..
Waise aap bhi Chodampur ke chakkar bhi lagate rahiye kuch aisa hi mahaul hai wahan ka bhi
 

Incestlover

Member
194
418
78
Yahi to hum bhi bole DREAMBOY40 bhai ji se..
Waise aap bhi Chodampur ke chakkar bhi lagate rahiye kuch aisa hi mahaul hai wahan ka bhi
भाई आपकी कहानी भी साथ-साथ पढ़ रहे हैं । बस एकाद अपडेट बीच में छूट गया है उन्हे भी जल्दी से कवर कर लेंगे बाकी कहानी बड़ी लाजवाब है ।
 
Top