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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाUPDATE 141
पिछले अपडेट मे आप सभी ने पढा कि एक ओर जहा सोनल की शादियो की तैयारियो पर आये दिन राज के यहा लम्बी चर्चाये हो रही है । वही जंगीलाल के सालो से अधूरे सपने को उसकी बीवी शालिनी ने कल हकिकत कर दिखाया । मगर बात कुछ आगे भी बढ गई है । देखते है क्या होता है ।
लेखक की जुबानी
जन्गीलाल और शालिनी दो एक दमदार चुदाई से संतुष्ट होकर एक दुसरे से चिपके सोये हुए थे । ऐसे मे शालिनी के दिमाग मे एक सवाल उठा ।
शालिनी - ये जी सुनिये ना , वो मै एक बात पूछू
जंगीलाल - हा कहो ना मेरी जान
शालिनी - वो आप शहर कब से जा रहे है ?
जन्गीलाल थोडा हल्का मन लेके बोला - वो पिछले साल जब तुम राखि पर 2 हफ्तो के लिए मायके गयी थी । तभी लेकिन बस 4 या 5 बार ही गया हू ।
शालिनी मुस्कुरायी - अरे मै वो नही पुछ रही
जंगीलाल - तो ??
शालिनी - मुझे समझ नही आ रहा है कि हर बार तो आप शहर चले जाते थे लेकिन इस बार कैन्सिल क्यू कर दिये ।
शालिनी के सवाल सुन कर जंगीलाल के धडकनें तेज हो गयी और उसे पसीना होने लगा । क्योकि वो कैसे इस बात कारण बता सकता था । कि उसने अपनी लाडो निशा के लिए ये फैसला किया था ।
शालिनी जो जन्गिलाल के सीने से लिपटी हुई थी उसे अपने पति के तेज धड़कन से आभास हो गया कि मामला गम्भीर है ।
शालिनी नजरे उठा कर - क्या हुआ जी बोलिए । देखिये आपको लाडो की कसम है ।
शालिनी जानती थी कि उसका पति निशा को बहुत मानता है क्योकि वो उन दोनो के प्यार की पहली निशानी थी और जंगीलाल चाह कर भी अब कतरा नही सकता था ।
जंगीलाल निशा की कसम से थोडा सा उदास हो गया और नजरे उठाए छत को निहार रहा था ।
शालिनी मुस्कुरा कर - क्या हुआ बोलिए ना
जंगीलाल - वो दरअसल इधर हाल के दिनो मे तुम मुझसे थोडा दुर रह रही थी ना
शालिनी चहक कर - अरे मै कहा गयी थी , मैने तो रोज आपके पास होती हू ना हिहिहिही
जन्गीलाल मुस्करा कर - वो नही । वो इस हफते ह्मारे बीच ज्यादा चुदाइ नही हुई थी तो मै बहुत परेशान रहने लगा । शहर गये भी महीने भर से उपर हो गये थे और तुम मेरे हिसाब से सेक्स के लिए तैयार नही होती थी ।
शालिनी बडे ध्यान से उसकी बाते सुन रही थी - हम्म्म फिर
जंगीलाल - मुझे सन्तुष्टि नही पा रही थी तो मै दुकान मे औरतो के जिस्मो को निहारा कर उत्तेजित हो जाता था और मेरी हवस मुझ पर हावी होने लगी थी ।
शालिनी - फिर
जंगीलाल - फिर उस रात जब तुमने लाडो के अन्दर के कपड़ो के बारे मे मुझसे बात की तो .... ।
शालिनी का कलेजा भी अब धकधक करने लगा - तो फिर ,,,, बोलिए ना
जंगीलाल - देखो मुझे गलत मत समझना मेरी जान । मैने भरसक खुद पर बहुत नियंत्रण किया था मगर ...।
शालिनी परेशान होकर - ये क्या बोल रहे है आप ,,खुल कर बताईये ना और इसमे लाडो कहा से आ गयी ।
जंगीलाल - वो जब उस रात हम दोनो लाडो के अन्दर के कपड़ो और उसके स्तनो की बाते कर रहे थे और तुमने बताया कि लाडो इस समय घर मे बिना ब्रा और अंडरगार्मेंट्स के रहती है तो ना जाने क्यू मेरे मन मे ये लालसा हुई और अगले दिन मैने भी उसके टीशर्ट मे उभरे हुए निप्प्ल देखे ।
शालिनी की दिल की धडकनें तेज हो गयी थी और उसका दिमाग खाली सा हो चुका था ।
जंगीलाल एक एक बारी बारी वो सारी घटनाए बतायी जिससे वो निशा की ओर आकर्षित हुआ ।
जन्गीलाल - लेकिन कल रात मे खाने के समय जो हुआ बस वही एक वजह थी कि मैने तय किया अब सब कुछ तुम्हे सच सच बता दू । नही तो कही गलती मे या बेहोशी मे मेरी लाडो के जीवन ना खराब हो जाये ।
शालिनी थुक गटकते हुए - कल रात खाने के समय क्या हुआ था
जन्गीलाल - वो कल रात मे जब लाडो मुझे खाना परोस कर किचन मे वापस जा रही थी तो उसका नया वाला जो घाघरा है उसमे उसके नितंब साफ दिखे मुझे और ये भी आभास हुआ कि उसने अन्दर कच्छी नही पहनी है और तभी मेरे जहन मे एक तस्वीर सी छप गयी
अपने पति की बाते सुन कर शालिनी चुत भी रिसने लगी थी । शालिनी अटक कर - क्क्या मतल्ब कैसी तस्वीर
जंगीलाल झिझक कर - वो मै उसे चोद रहा था ऐसी तस्वीर थी ।
शालिनी का कलेजा धक्क करके रह गया और वो जंगीलाल से अलग होकर सीधी लेट गयी । उसकी चुचिया तेजी से उपर निचे हो रही थी ।
जन्गीलाल सफाई देता हुआ - मुझे लगा कि शायद ये सब मुझे सेक्स ना मिलने की वजह से हुआ होगा । लेकिन आज सुबह जब मै नहाने गया तो बाथरूम मे लाडो की कच्छी देखी तो एक पल को फिर से जहन मे वही रात वाली तस्वीर छा गयी । तो मैने खुद को धिक्कारा और तय किया कि सब तुमको बता दूँगा ।
शालिनी का सर फटा जा रहा था । उसके दिल की धडकनें तेज हो रही थी ।
जंगीलाल लगातर शालिनी से माफी मांग रहा था और अपनी सफाइ दे रहा था ।
मगर शालिनी के जहन मे फिलहाल कोई और ही बात घूम रही थी , वो अभी खुद को अपने पति के हिसाब से तौल रही थी । क्योकि जाने अन्जाने मे वो भी अपने भतीजे राज के साथ चुद गयी थी और उसका कारण राज का मोटा लण्ड ही था । वो भी तो राज की ओर आकर्षित हुई थी तो अगर उसके पति निशा के लिए आकर्षित हो गये तो इसने उनकी कोई गलती नही । जो कुछ हुआ वो बस सन्योग और थोडी निशा की लापरवाही से हुआ ।
जंगीलाल - क्या हुआ जान कुछ बोलो ना ।
शालिनी चौकी - अह हा क्या । कहिये
जंगीलाल - मैने तो सब सच बता दिया और देखो मेरे मन लाडो के लिए कोई वैसी भावना नही वो मै बस अपने की कमजोरीयो के च्लते बहक रहा था ।
शालिनी - हा जी मै समझ रही हू । मैने ही उसे थोडी छुट दे रखी है अब कल इसको अच्छे से समझाती हु
जन्गिलाल - अरे नही जान इसमे लाडो की क्या गलती है , वो तो बस आरामदायक कपडे पहने हुए थी ।
शालिनी - अरे आप नही जान रहे है उसका मन बहुत बढ गया है । मैने उससे एक दिन ये क्या कह दिया कि तु बडी हो गयी है तो मुझे अपनी दोस्त समझा कर । तब से मुझे चिढाती रहती है कि जब उसकी सहेली हू तो आप उसके जीजू हो गये
जन्गीलाल शालिनी की बात कर ठहाका लेके हस पड़ता है - हाहहहा ये लाडो भी ना
शालिनी भी हस ही देती है आखिर - और तो और आज दोपहर मे उसने हमे साथ खाना खाते देख लिया था तो कहने लगी " मुझे नही पता था कि जीजू इतने रोमांटिक है "
शालिनी जिस अदा से इतरा कर निशा की कापी कर रही थी जंगीलाल अपनी हसी रोक नही पा रहा था ।
शालिनी भी हस्ते हुए गुस्सा कर - कल उसे अच्छे डाट ल्गाउन्गी थोडा तब सुधरेगि हुउह
जन्गीलाल - नही जान तुम भी ना । अरे साल दो साल ही तो है वो हमारे साथ उसे खुश रहने दो । जैसे चाहे रहे जो मन करे पहने और जितनी चाहे मस्ती करे । शादी के बाद वो भी बन्ध कर ही रह जायेगी
शालिनी अपने पति की बाते सुन कर थोडा उदास होने लगी - ये जी आप भी हमारी लाडो के लिए यही आस पास ने कोई रिश्ता देखीयेगा । मुझ्से मेरी बेटी की दुरी नही सही जायेगी
जन्गीलाल हस कर - अभी तो उसे मारने डाटने की बात कर रही थी और अब ब्डा दुलार आ रहा है ।
शालिनी मुस्कुरा कर - हा तो क्या हुआ मेरी बेटी , उसकी सब चीज़ो पर हक मेरा ।
जंगीलाल - सिर्फ तुम्हारा ही ....।
शालिनी जंगीलाल से चिपक कर - हा बाबा आपका भी हिहिहिही
जंगीलाल अब बहुत खुश था क्योकि आज उसका मन बहुत हल्का था । इसका एक कारण शालिनी खुद थी । वो कभी भी अपने पति को दुख या चिंता मे नही देख सकती थी और कोई भी बडी से बडी बात होती थी । उसमे अपने लाडो की चर्चा को जोडकर सारी टेंशन वाली बाते जंगीलाल को भूलवा देती ।
फिर वो दोनो अपनी लाडो के बारे मे और उसे दुनिया की बडी से बडी खुशी देने की चर्चाओ मे उलझ जाते । ये हर बार होता था ।
दोनो की प्यार भरी बाते देर रात तक चलती रही और वो दोनो भी सो गये ।
अगली सुबह वही रोज का रूटीन शुरु तो हुआ लेकिन रोज से हटकर काफी खुशनुमा ।
शालिनी ने किचन ने अपने पति के मन पसंद नास्ते बना रही थी कि तभी निशा नहा धो कर निचे किचन मे आई ।
निशा ने अपनी मा को गुनगुनाते हुए नासता बनाता देखा तो उसे शरारत सुझी ।
निशा मुस्कुरा कर अपनी मा को पीछे से पकड कर अपने हाथ उसके पेट पर ले गयी - मम्मी एक बात पूछू हिहिहिही
शालिनी ने चेहरा फेर कर निशा के गालो को चुमा और फिर नासता बनाते हुए - हा बोल ना बेटा
निशा - आजकल आप और पापा कुछ ज्यादा रोमांटिक नही हो रहे ।
शालिनी शर्मा गयी और हसते हुए - धत्त पागल ऐसे कोई बात करता है अपनी मम्मी से
निशा अपने चेहरे को अपनी मा के कन्धे पर टिका कर - लेकिन आप मेरी सहेली भी हो ना हिहिही , बताओ ना क्या बात है ?? उम्म
शालिनी मुस्कुरा कर - जब तेरी शादी हो जायेगी तो तु भी समझ जायेगी
निशा मुस्कुरा कर अपनी मा के नाभि के पास हाथ घुमा कर - उम्म्ंम लग रहा है जीजू ने फिर से मालगाडी लोड कर दी है हिहिहिही
ये बोलते है निशा अपनी मम्मी को छोड कर किचन से बाहर दरवाजे पर आ गयी
लेकिन शालिनी अभी भी उसके बातो का मतलब समझ रही थी - ये क्या बोल गयी मालगाड़ी लोड हो गयी ,,,,,,
तभी शालिनी का दिमाग ठनका और वो चिल्ला कर तुरंत किचन से निशा की ओर लपकी।
इसी समय जन्गीलाल नहा कर निचे उतर रहा था तो निशा भाग उसके पीछे हो गयी और उसके कंधो को पकड लिया ।
निशा हस्ते हुए अपने पापा के पीछे छिप कर - हिहिहिही पापा बचाओ ना , देखो मम्मी मार रही है मुझे
शालिनी - देख निशा तु इधर आ , नही तो सच मे मार खा जायेगी
शालिनी एक दो सब्जी चलाने वाले कल्छी से निशा को मारने के लिए भाजी लेकिन दोनो बार जंगीलाल के कूल्हो पर जा कर लगी।
जंगीलाल - आह्ह शालिनी ये कर रही हो । मुझे क्यू मार रही हो भाई
शालिनी गुस्से मे - आप हटीए पहले नही तो आपको भी ल्गेगि ,, इसकी बदमाशी बहुत बढ़ गयी है
इधर निशा को मौका मिला और वो अपने कमरे मे भाग गयी ।
जन्गीलाल - अरे अब क्य किया मेरी लाडो ने ?
शालिनी - आपने ही इसे सर पर चढा रखा है ,पता है क्या बोल कर गयी
जंगीलाल - क्या ???
शालिनी - बोल रही है आजकल हम दोनो इतने रोमांटिक क्यू हो गये है , कही जीजू ने मालगाडी लोड तो नही कर दी ।
जन्गीलाल शालिनी के पास जाकर - अरे तो कर देते है ना लोड , लाडो की इच्छा है तो
जंगीलाल भले ही धीरे से बोला लेकिन अपने कमरे के दरवाजे पर कान लगाये खड़ी निशा सब सुन लेती है और खिस्स्स से हस देती है ।
शालिनी निशा की हसी सुन कर शर्म से लाल हो जाती है और तुनकते हुए - क्या जी आप बौरा गये है का इस उम्र मे , धत्त
जन्गिलाल शालिनी को रोकता है लेकिन वो किचन मे चली जाती है बड़बड़ाते हुए और निशा वही दरवाजे पर खड़ी हस रही होती है ।
जन्गीलाल भी थोडा अटपटा मह्सूस करता है कि कुछ ज्यादा हो गया तो वो भी चुपचाप सरक लेता है दुकान मे ।
दुकान मे बैठे हुए जंगीलाल का ध्यान निशा की चंचल हरकतों पर था कि कैसे वो शालिनी की मार से बचने के लिए उसके पीछे हो गयी थी और पहली बार निशा के स्तन उसकी पीठ को छुए थे ।
उस पल को याद करते ही जन्गीलाल का लण्ड फिर से तन गया और वो उठ कर वापस अंदर चला गया ।
किचन मे अभी शालिनी ही थी । जन्गीलाल शालिनी के कूल्हो को सहलाते हुए - जान आज दोपहर मे थोडा समय निकाल लोगि क्या ????
शालिनी समझ गयी कि उसका पति आज दिन मे भी मूड मे है तो वो मुस्कुरा कर हा मे सर हिलाते हुए - अच्छा आप बैठीये मै नास्ता लगाती हू ।
जन्गीलाल हाल मे बैठता है और शालिनी निशा को आवाज देती है । निशा मुस्कुराते हुए अपने कमरे से आती है और किचन मे चली जाती है ।
जंगीलाल की नजरे जैसे ही निशा के महीन स्कर्ट मे हिलती उसकी नंगी चुतडो पर जाती है ,,उस्का लण्ड तन कर खड़ा हो जाता है और फिर से जन्गीलाल के जहन मे वही तस्वीर छा जाती है । जिसमे वो अपनी लाडो को खुब करारे धक्के देके चोद रहा था ।
जन्गीलाल जल्द ही उससे बाहर आया और एक गहरी सास लेते हुए लण्ड को दबाया । इधर शालीनी ने गरमा गरम आलू के पराठे निशा को दिये कि अपने पापा को ले जाकर दे ।
निशा पराठे ले जाकर अपने पापा को देती है और घूम कर वापस किचन मे आती है ।
जंगीलाल की नजरे एक बार फिर निशा के थिरकते चुतडो पर जाती है , लेकिन जैसे ही वो वहा से नजरे हटाता है तो उसकी नजरे शालिनी से टकरा जाती है ।
शालिनी मुस्कुरा कर उसे देख रही होती है , जिस्से जंगीलाल थोड़ा लाज के मारे झेप सा जाता है ।
वही शालिनी मन ही मन मुस्कुरा कर सोचती है - ये मर्द जात एक नम्बर के छिछोरे होते है ,, मौका मिले तो घर की बहू बेटीयो को ना छोड़े हिहिही ,,,देखो तो कैसे अपनी ही लाडो के मटकते चुतड निहार रहे है और अभी रात मे ही कह रहे थे कि नही नही मेरे मन में कोई ऐसी भावना नही है ।
शालिनी तुनक कर मन मे - अभी दोपहर मे इनकी खबर लेती हू ।
राज की जुबानी
सुबह रोज की तरह नास्ते के बाद मै दुकान चला गया ।
दोपहर के समय जब अनुज खाना लेके आया तो मै खाना खा के पापा के पास चला गया । वहा पापा ने पंडित जी से मिल्कर पूजा पाठ की तारीख निकल्वा ली थी और मैने फिर कार्ड के लिए मार्केट मे चला गया ।
जहा प्रिंटिंग प्रेस था वही से 10 कदम पर ही सरोजा कॉम्प्लेक्स भी था तो मैने सोचा क्यू ना एक बार थोदा सरोजा से मिल लू ।
मै फौरन कम्प्लेक्स मे च्ला और सरोजा जी के ऑफिस के दरवाजे पर पहुच कर सरोजा जी को फोन किया ।
मै - हाय मेरी जान
सरोजा - ओहो हीरो कैसे याद किया
मै - बस आपकी चुत की खुस्बु ने याद करने पर मजबुर कर दिया
सरोजा थोड़ा हस कर - धत्त अब परेशान ना करो , एक तो आते नही मिलने उपर से तंग कर रहे
मै - आप बुलाते नही ,,नही तो मै आ ही जाता
सरोजा कसम्सा कर - अभी आ सकते हो
मै - हा क्यू नही
सरोजा - तो आ जाओ
मै दरवाजा खोल कर ऑफ़िस मे घुस्ता हुआ - लो आ गया
सरोजा ने जैसे ही मुझे ऑफ़िस मे अन्दर आते देखा खुशी से उछल पडी और मैने दरवाजा बन्द करके उसकी ओर बढा ।
हम दोनो के होठ जुड़ गये और हमने कस कर एक दुसरे को अपनी बाहो मे भर लिया ।
मैने साडी के उपर से उसके कुलहो को मस्लते हुए - क्यू मेरी जान मिस्स किया मुझे
सरोजा - बहुत ज्यादा ,,आओ बैठो ना
मै मुस्कुरा कर उसकी आंखो के देखते हुए - नही मै बैठने नही आया
सरोजा उदास मन से - तो चले जाओगे क्या ???
मै - ऐसे कैसे बिना अपनी जान को खुश किये जा सकता हु,, पाप लगेगा भाई हिहिहिस
सरोजा - ओह्ह तो मतलब बस उसी के लिए आये हो उम्म्ं
मै उसके कुल्हे मस्लता हुआ - नही आज कुछ और चाहिये
सरोजा - क्या लेलो ना , सब तुम्हारा ही है
मै उसके गाड़ को दबोचकर - ये दोगी आज उम्म्ंम
सरोजा सिस्क कर - सीई उम्म्ंम्ं दर्द होगा थोडा
मै उसके होठ चुस कर - मै बहुत प्यार से लूंगा
सरोजा मुस्कुरा कर - हम्म्म्म ओके
सरोजा ने एक ऑफ़िस स्टाफ को बुलाया और उसे बोल दिया कि जब तक वो ना कहे कोई उसे डिस्टर्ब ना करे ।
फिर हम ऑफ़िस से लगे रेस्ट रूम मे गये और बिस्तर पर जाते ही मै सरोजा को लेके लेट गया ।
सरोजा - ओहो लग रहा है बहूत मूड मे हो उम्म्ं
मै उसका हाथा अपने लण्ड पर पैंट के उपर से रख कर- खुद ही देख लो ना मेरी जान
सरोजा मेरे तने हुए लण्ड का स्पर्श पाते ही सिस्क उठी और पैन्त के उपर से ही उसे सहलाने लगी ।
मैने भी उसके साडी का पिन निकाला और पल्लू को सीने से हटा कर उन्के चुचो के उपरी नंगी उभारो को चूमने लगा साथ ही हाथो मे उसके बडे बड़े चुचो को मसल रहा था ।
सरोजा - ओह्ह राज कहा थे इत्ने दिन उम्म्ंम माअह्ह्ह सीईई ओह्ह और मसलो इन्हे उम्म्ं अह्ह्ह्ज
मैने उसके गरदन और गालो को चुम रहा था । सरोजा का बदन इतना गुदाज था । हर हिस्से मे चर्बी थी और उन्हे छुने मे चूमने मे मसलने मे बहुत मजा आ रहा था ।
मैने उसके ब्लाउज के हुक खोलने लगा और ब्रा से हलोर कर उसके चुचे निकाल कर मुनक्के जैसे निप्प्ल को मुह मे भर लिया
सरोजा - सीईई ओझ्ह माआआ उम्म्ंम चुसो राज्ज्ज अह्ह्ह और उह्ह्ह्ह माआआआ ओझ्ह्ज पुरा खोल लो ना हा उम्म्ंम
मैने उसका बलाऊज निकाल कर ब्रा उतार दिया और उपर चढ़ कर उसके चुचो को मिज मिज कर मुह मे भरने लगा
वो बस सिस्कती हुई मेरे चेहरे को अपने चुचो मे दर रही थी
मेरे पास ज्यादा समय नही था इसिलिए मैने उपर से उठा और बिस्तर से उतर कर खड़ा हो गया । फिर अपना पैंट खोल्ने लगा ।
सरोजा समझ गयी और उठ कर अपना साडी निकाल कर सिर्फ पेतिकोट मे आगयी । फिर मेरे पैरो के पास मे बैठ मेरे लण्ड को मुह भरने लगी ।
जिस भूख से वो गपागप मेरा लण्ड चुस रही थी ,,साफ लग रहा था कितनी गरम थी वो
उसकी लपलपाती जीभ ने मेरे आड़ो को छूना कर दिया था,,मेरी एडिया उठने लगी और लण्ड का कसाव बढने लगा ।
मै झटके से उस्से अलग हुआ और खड़ा करके घोडी बनाते हुए बिस्तर पर झुका दिया ।
सरोजा - राज थोडा आयल लेलो ना ,,वहा ड्रायर मे है
मै मुस्कुरा कर अपना लण्ड मस्लते हुए एक टेबल की ड्रायर से तेल की शिसी निकालि और वापस सरोजा के पास आया ।
मैने उसके पेतिकोट को उपर उठाया तो ब्रा से मैचींग पैंटी भी पहने हुए थी वो ।
मैने झुक कर पहले उसके गोरे चर्वीदार चुतड को चुमा और फिर उसकी पैंटी को जान्गो तक खिच दिया ।
फिर खुद घुटनो के बल आकर उसके गाड़ के मोटे चर्बीदार पाटो को फैलाते हुए अपनी नाक से उसकी रिसती चुत की खुस्बू ली और जीभ से उसके गाड़ के सुराख पर फिराया
सरोजा - ओह्ह्ह उम्म्ंम्ं हीहीही आराम से गुदगुदी हो रही है सीईई उम्म्ंम्ं ओह्ह्ह उम्म्ंम
मैने उसके कमर को थामे जीभ से गाड़ की सुराख और चुत के निचले हिस्से से टपकति रसमलाई का टेस्ट लिया और खड़ा हो गया ।
मैने अपना लण्ड की चमडी आगे पीछे कर सुपाड़े को सरोजा के गाड़ के सुराख पर रखते हुए तेल को टिप टिप करके सुपाड़े पर गिराने लगा
लगातर तेल मेरे सुपाडे से रिस कर सरोजा के गाड के सुराख पर एकत्र होने लगी , जिससे सरोजा अपने चुतडो के पाटे सख्त करने लगी ।
थोडा तेल गिराने के बाद मैने लण्ड को सरोजा के गाड़ की लकीरो मे घिसा कर फिर सुराख पर दबाब बनाते हुए गपुच से लण्ड अंदर
सरोजा थोडा तेज सिसकी
- ओह्ह्ह माअह्ह अराम्म से राज्ज्ज अह्ह्ह उह्ह्ह दर्द हो रहा है उम्म्ंम
मैने मुस्कुरा कर धीरे धीरे लण्ड को ठेलता हुआ आधा घुसेड़ दिया और वापस खिचकर एक जोर का धक्का पेला ,, इस बार सरोज के गाड का धागा खुल ही गया और मेरा लण्ड उसके गाड की जड़ मे
सरोजा - अह्ह्ह मममीईईई उह्ह्ह्ह उम्म्ं बहुत दर्द हो रहा है सीईई ऊहह
मैने तेजी से उसके कमर और कूल्हो मसलने लगा ताकी गर्मी से उसका दर्द हो सके और हलका हल्का लण्ड गाड मे घीसता रहा
सरोजा सिसिक रही और मैने थोडा तेल और लण्ड पर गिराकर धक्के की स्पीड बढा दी
अब मुझे भी मजा मिलने लगा
सरोजा की चर्बीदार गाड मे धक्का लगाने पर वो लण्ड वापस उछाल देती ,,,जिस्से चोदने का मजा दुगना हो गया था
मै - ओह्ह जान,,क्या मस्त माल है तू ,,और तेरी गाड उम्म्ंम आह्ह ये लेह्ह उम्म्ं
सरोजा - सीईई उम्म्ंम्ं अह्ह्ह ओह्ह्ह हाआ क्यू मजा आ रहा है ना उम्म्ंम और पेलो ना उम्म्ं
मै - बहुत मजा आ रहा है ,,,तेरी गाड़ बहुत कसी हुई है
सरोजा - अभी तो चुत भी लेनी पड़ेगी तुम्हे उम्म्ंम्ं ओह्ह हा और चोदो ओह्ह्ह मस्त लण्ड है राज उन्म्म्ं
सरोजा बार बार मुझे पुचकारती रही और उस्जे कसे गाड मे मै तेज धक्के लगता हुआ झड़ने लगा और उसके उपर ढह गया ।
थोडी देर बाद हम अलग हुआ और फ्रेश होकर वादे के हिसाब से एक बार उसकी चुत भी मारी और फिर वापस अपने दुकान पर चला गया ।
जारी रहेगी
Bahut bahut shukriya bhai jiबहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
जंगीलाल ने शालिनी को निशा के बारे मे बता दिया निशा भी शालिनी को छेड़ रही शालिनी को पता चल गया है की जंगीलाल अपनी लाडो की चुदाई करना चाहता है दूसरी ओर राज ने सविता की दोनो तरफ से चुदाई कर ली है अब शालिनी क्या करती है
Shukriya dostSuperb
Ye humare liye thoda mushkil hogacompetition kar rhe hai tumse
Kaun aage jaayega
Aaj raat me mera 142 update ho jayega![]()
Ye humare liye thoda mushkil hoga
ये तो नाईसाफी है हुज़ूर हमारे साथ KLPD कर गए आप तोUPDATE 142 is coming after 11 bje![]()
Besabri se intezar hai dost....UPDATE 142 is coming after 11 bje![]()