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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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मेरे सभी प्यारे दुलारे मुठ्ठल मित्रों पाठकों एवं उंगलीबाजो
देर सवेर ही सही आप सभी को गैंगबैंग रूप से नए साल की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
दारू वाली गैंग के लिए
शिला बुआ की तरफ से स्पेशल ट्रीट

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आप सभी खुशहाल रहें और स्वस्थ रहें और हिलाते रहे


एक महत्वपूर्ण सूचना

इस कहानी का नया सीजन मेरे रनिंग कहानी के खत्म होने के बाद भी शुरू होगा , अब उसमें दिन लगे महीने या वर्षों ।
कृपया मेरी व्यस्तता और मजबूरी को समझे , निगेटिव कमेंट करके या मुझे निकम्मा ठहरा कर अपनी ऊर्जा व्यय ना करें
मै बहुत ही हेहर प्रकृति का प्राणी हु , आपके नकारात्मक शब्दों मुझे खीझा सकते है मगर मेरी चेतना को भ्रमित नहीं कर सकते । उसमे मैं माहिर हुं
आप सभी का प्रेम सराहनीय है और मेरे मन में उसकी बहुत इज्जत है , मगर मै अपने सिद्धांत पर चलने वाला इंसान हु ।

फिर अगर किसी को ऑफिशल डिकियलरेशन की आशा है कि मै ये कहानी बंद करने वाला हु तो ऐसा नहीं है
ये कहानी शुरू होगी मगर मेरी अपनी शर्तों और जब मुझे समय रहेगा इसके लिए।
नया साल अभी शुरू हुआ है इंजॉय करिए
अपडेट जब आयेगा इस कहानी से जुड़े हर उस व्यक्ति को मै व्यक्तिगत रूप से DM करके बुलाऊंगा ये मेरा वादा है ।



मेरे शब्दों और मुझ पर भरोसा कीजिए
मेरी दूसरी कहानी का भी मजा लीजिए
धन्यवाद 🙏
 
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ajaydas241

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UPDATE 198

अमन के घर

औपचारिक मेल मिलाप और आशीर्वाद समारोह के बाद हाल मे चाय नास्ते की चुस्की चल रही थी और हाल मे एक तरफ दरी पर औरतों के बीच सोनल बैठी हुई थी जो कनअखियों से सोफे पर बैठे अमन को भुनभुनाते हुए देख कर मन ही मन खुश ही रही थी ।

अमन के चेहरे के भाव और बेटे-बहू के बीच चल रही आंख मिचौली पर नजर ममता की भी थी

अमन के उखड़ा हुआ चेहरा देख कर ममता को मह्सूस हो रहा था कि जरुर उसकी बहू ने सुबह सुबह उसके लाडले को मनमानी करने रोक होगा ।

मा आखिर मा होती है , अपने एकलौते बेटे को लेके पोजेसिव होना जायज था ।
मगर वो खुद भी तो अमन को तरसाने तडपाने मे कोई कसर नही छोड़ती थी ।
चाय की प्याली से चुस्की लेते हुए वो अमन की राह देख रही थी कि कब वो उसकी ओर देखे ।
जैसे मानो ममता के दिल की फुसफुसाहट के संगीत से अमन के कान बज उठे हो वो औचक नजरें घुमा कर सामने से बाये ओर सोफे के पास खड़ी अपनी ओर देखा जो कप का प्याला अपने होठों से लगाये उसको ही घूरे जा रही थी ।

आँखो की इशारे बाजी और ममता कप वही ट्रे मे रख कर अपनी भारी कुल्हे मटकाती हुई कमरे की ओर बढ़ गयी ।

मा के मस्ताने इशारे और हिल्कोरे खाती गाड़ की कामुक थिरकन से अमन के जिस्म भीतर से सिहर गया ।

दो सिप चाय की लेके वो भी उठ कर अपनी मा के कमरे की ओर बढ़ गया ।

ममता कमरे मे आकर खड़ी हुई थी कि अमन भी आ पहुचा - हा मा , बुलाया आपने

ममता तुनकी और उसे छेड़ते हुए - हा भई अब तो तु सिर्फ बुलाने पर ही अपनी मा के पास आयेगा हुह बीवी वाला जो ठहरा

अमन हस कर अपनी मा को पीछे से हग करता हुआ - क्या मम्मा आप भी ना , हिहिहिही बोलो ना क्या बात है ?

ममता - देख रही हु बहू तुझे शादी के बाद तो बिल्कुल भी भाव नही दे रही है, वैसे रोज बड़ी चुम्मियां मिलती थी तुझे उम्म्ं

अमन हस कर अपने मा के गाल चूमता हुआ - उम्म्ंम्माआह ओह तो आप इस वजह से मुझे याद कर रही थी

ममता - नही , मै तो देख रही थी कि मेरा बेटा कैसे अपनी बीवी से गुजारिश करते फिर रहा है हुह

अमन हस कर - नही मा ऐसा कुछ नही है वो बस सुबह सुबह हिहिही

ममता उसकी ओर घूम कर उत्सुकता से - क्या सुबह सुबह ?

अमन हस कर - कुछ नही हिहिहिही
ममता तुनक कर अपनी कमर पर हाथ रखते हुए - अच्छा ब्च्चु ठिक है मत बता , तो अबसे मै भी कुछ नही बताने वाली तुझे हुह !!

अमन हस कर उसके गालों को हाथो मे भरता है जिस्से उसके चब्बी चिक्स और होठ पिचक बहुत ही रसभर हो जाते है और अमन अपनी मा के रस भर होठ चुमता हुआ - अरे मेरी मा बताता हु ना

ममता खुश हुई
अमन हस कर - वो सुबह उठा तो सोनल नहा कर तैयार हो रही थी और मैंने उसकी कुछ तस्वीरें निकाली थी लेकिन उसने सब डिलीट कर दी

ममता - कैसी तस्वीरें?
अमन हस कर - अब होती तो दिखाता ना !!
ममता - फिर भी किस टाइप की ?
अमन हसता हुआ - वो ... ब्लाउज और पैंटी मे थी हिहिहिही
ममता उसके थ्पेड लगाती हुई - बदमाश कही का , क्यूं निकाल रहा था तस्वीरें किसे दिखानी थी ।

अमन खिलखिलाता हुआ - आपको हिहिहिही

ममता - मुझे ! भला मै क्या करती उसका
अमन बस बतिसी दिखा कर खिलखिलाए जा रहा था ।

ममता - धत्त बदमाश कही का , अपने लिये निकाला तो मेरा नाम क्यू ले रहा है और तू तो कह रहा था कि तु भी तेरे पापा के तरह तीसरी दुपहर को ....हिहिही उस्का क्या हुआ उम्म्ं

अमन थोडा लजात हसता हुआ - अब तुम्हारी बहू है ही इतनी सेक्सी की मुझसे रहा नही गया

ममता - तो क्या सच मे ?
अमन ने हा मे सर हिलाया ।
ममता थोड़ी लजाई और मुस्कुराने लगी ।
अमन ने एक नजर बाहर देखा और अपनी मा को दरवाजे के पीछे ले जाने लगा

ममता पीछे कदम घटाती हुई - अह क्या कर रहा है बेटा
अमन उसको दरवाजे के ओट मे ले जाकर सीधा उसके होठ से होठ लगा दिया ।
बेटे के गर्म होठ का स्पर्श पाकर ममता का जिसन पिघलने लगा

कुल्हे पर सरकते कसते अमन के हाथ उसकी चर्बीदार गाड़ को मिज रहे थे और पैंट मे उफनाया उसका लन्ड उसकी चुत के मुहाने पे ठोकर मार रहा था ।

अगले ही पल झटके से ममता ने उसको खुद से अलग किया और होठ को पोछते हाफते मुस्कुराते अमन की ओर नजरे उठा कर देखा ।
अमन ने भी हस कर गहरी सास लेते हुए अपनी मा के होठों पर फैली हुई लिपस्टिक वाली मुस्कराहट देखकर उसे आइने की ओर इशारा किया

तो ममता उसको बाजू पर हाथ से पिटकर भगाती हुई - भाग जा यहा से शैतान कही का , अब मुझे फिर से मुह धूलना पडेगा ।

अमन खिलखिलाकर दो कदम पीछे हट कर - थोड़ी देर बाद धूल लेना ना प्लीज

ममता अचरज ने अमन की ओर देख कर - क्यूँ?
अमन मुस्कुरा कर अपने पैंट के उपर से लन्ड मसलता हुआ - ये परेशान हो गया है , प्लीज ना मम्मी

ममता अपनी हसी होठों मे दबाती हुई - जा अब बहू को बोल ना , वो कर देगी

अमन - मम्मी उसे नही आता

ममता - चल चल झुठ मत बोल , मै कैसे मान लूँ

अमन - अब कैसे यकीन दिलाऊ मै , अच्छा आपके सामने करू तो मानोगे आप

ममता चौक कर - क्या ? तु पागल हो गया है ? बहू मेरे सामने कैसे ?

अमन - अरे आप समझ नही रहे हो , आप छिपे रहना और मै सोनल को कहूँगा देखना वो मना कर देगी

ममता कुछ सोच कर - ह्म्म्ं ठिक है लेकिन कब करेगा ये सब

अमन - जब वो खाली होगी दोपहर या शाम तक
ममता - ओके देखती हूँ

अमन - लेकिन अभी इसका क्या करू
ममता - मै क्या जानू , तेरा समान है तु देख समझ क्या करना है हिहिही

और ममता फट से बाथरूम मे घुस गयी
वही अमन अपने लन्ड को दबाता भींचता , गहरी सासे लेता , कपालभाति भ्रस्तिका खिंचता हुआ हाल मे आ गया ।


राहुल के घर

शालिनी किचन के काम निपटा चुकी थी मगर उसकी हिम्मत नही हो रही थी कि वो कमरे मे जाकर कमलनाथ से सामना करे , वही घड़ी की सुइयां रुकने का नाम नही ले रही थी । उसकी जेठानी रागिनी ने निशा से फोन करवा कर जल्दी आने को कहा था क्योकि राज की मामी लोग एक घन्टे मे निकलने वाले थे ।

शालिनी का कलेजा कांप रहा था और वो विस्मित हुई दबे पाव कमरे की ओर बढ़ गयी ।
दरवाजे के पास आकर उसने कमरे मे झाका तो कमलनाथ सोफे पर सर टिकाए पैर फैला कर कुछ लेटने जैसा बैठा हुआ था ।
खुली टांगो के बिच से तौलिया के गैप मे बिना अंडरवियर के क्या छिपा बैठा होगा इसकी भी भनक थी उसे ।

तभी कमलनाथ को इंद्रिय अनुभूति हुई और वो झट से गरदन फेर कर दरवाजे पर खड़ी शालिनी को देखा तो खुश होकर - अरे भाभी आप , वो मेरे कपडे सुख गये क्या

शालिनी असहज जबरन मुस्कुराहट अपने चेहरे पर लाती हुई - जी अभी तो छत पर डाल कर आई हु , बस मै नहा लू फिर लेके आती हूँ

ये बोल कर शालिनी बिस्तर के पास लगे आलमारी के दरवाजे खोलकर अपने कपडे निकालने लगी , जैसे ही वो दरवाजे ब्न्द करने गयी तो आलमारी के आईने मे कमलनाथ के तौलिये के गैप मे झाकता हुआ उसका लाल टोपे वाले मोटे मुसल की झलक मिली ।

कमलनाथ की नजरे जो लगातार शालिनी पर जमी हुई थी उसने आईने मे शालिनी की नजरे भाप ली और मुस्कुराते हुए तौलिये के उपर से अपना मुसल रगड़ दिया ।

शालिनी झट से आलमारी बन्द कर खड़ी हुई और अपने भाव छिपाती हुई कमरे के बाहर जाने को हुई और फिर रुक गयी ।

अपने चेहरे को भींच कर माथा पीट ली जिस्पे कमलनाथ खड़ा हुआ और बोला - क्या हुआ भाभी जी

शालिनी उसको अपने करीब पाकर - जी वो एक तौलिया अनुज गिला कर दिया और दुसरा राहुल के पापा और अभी मुझे जल्दी नहा कर जाना है , दीदी (रागिनी ) ने फोन किया था ।

इसपे कमलनाथ झट से अपना तौलिया कमर से खोलता हुआ - ये लिजिए ना मै यही कमरे मे हूँ

कमलनाथ ने बड़ी बेशरमी और बेहिचक होकर अपनी कमर से तौलिया खोलकर शालिनी की ओर बढ़ा दिया और उसकी इस हरकत से शालिनी की नजर फौरन उसके तनमनाये काले मोटे लन्ड पर गयी जो उसे ही देख कर फ़नकार मार रहा था


शालिनी आंख भिंच कर चेहरा फेर कर - यीईई प्लीज आप रखो उसे , पहन लो आप

कमलनाथ उसे वापस ऐसे कैजुअली लपेटता मानो कुछ हुआ ही ना हो - अच्छा ठिक है आप नहायिये तब तक मै उपर कपडे लेके आता हु शायद पहनने लायाक सुख गये होगे ।

शालिनी किसी भी तरह से इनसब से छुटकारा चाह रही थी इसीलिए वो हा बोलकर बाथरूम मे चली गयी और कमलनाथ भी जीने से होकर छत पर चला गया ।

छत पर आकर देखा कि सुबह 8 बजे की धूप क्या ही असर दिखाती कपड़ो पर , ड्रायर होने के बाद भी वो जस के तस थे ।

कपड़ो को उल्टा-पुल्टा कर घुमा कर उन्हे वापस अरगनी पर डाल कर वो जीने की ओर आ गया क्योकि मुहल्ले की छत पर और भी लोग थे जिन्की नजर मे वो इस अवस्था मे नही पडना चाहता था ।

जीने से होकर वो वापस निचे आया और उसने देखा कि बाथरूम का दरवाजा तो खुला पड़ा है और शालिनी की साडी ब्लाउज दोनो वही फर्श पर पड़े हुए है ।

कमलनाथ को लगा शायद शालिनी नहा कर कमरे मे गयी हो , नये कामुक हसिन दृश्य की आश मे कमलनाथ लपक कर कमरे की ओर भागा मगर वो उधर भी नही दिखी

तभी उसे किचन से स्टील के बरतन गिरने की आवाज आई और वो लपक कर उधर गया तो सामने का नजारा देख कर उसकी आंखे चौंधिया गयी ।

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शालिनी सिर्फ़ ब्रा और पेतिकोट मे किचन स्लैब के पास खड़ी थी

कमलनाथ अपने मुसल को तौलिये मे तम्बू के जैसे सेट करता हुआ शालिनी के पास खड़ा होकर - भाभी जी वो कपडे सूखे नही अब तक, आप नहा ली क्या ?

शालिनी - नही वो मै दही लेने आई थी बालो के लिए ....
" हाय दईयाआ आप यहा " , शालिनी चौकी और हल्का सा चीखी फिर ब्रा मे झलकते अपने रसदार 36D के गोल गोल जोबनो को छिपाने लगी ।

कमलनाथ शालिनी का कापता जिस्म देख कर बेसुध हो गया था , शालिनी का निखरा हुआ गोरा रसदार कटीला बदल देखकर कमलनाथ का लन्ड फड़फ्ड़ाने लगा ।

शालिनी ने उसकी हालत देखी आंखो मे चढती खुमारी देखी तो वो डर गयी , वो समझ गयी कमलनाथ के इरादे क्या है ।
शालिनी - प्लीज आप कमरे मे चले जाईये , निशा के पापा आ जायेगे

कमलनाथ - ओहो भाभी आप डरो मत , कुछ नही होगा

शालिनी - क्या मतलब ?
कमलनाथ हाथ बढ़ा कर उसकी चिकनी कमर को सहलाया - मतलब तो आप सब समझ रही हो भाभी ।
शालिनी उसका हाथ झटक कर - आह्ह क्या कर रहे है आप प्लीज जाईये ना

कमलनाथ - ठिक है भई जा रहा हु

कमलनाथ अकड़ मे किचन से बाहर जाने लगा और वही शालिनी की हालत और खराब होने लगी उसे मन मे ये डर आने लगा कि कही निशा के पापा की उसकी चुत चाटने वाली बात वो बाहर रिश्तेदारी मे ना फैला दे । बहुत गड़बड़ हो जायेगी ।

शालिनी - अच्छा सुनिये ,
कमलनाथ - हा कहिये
शालिनी - प्लीज वो निशा के पापा वाली बात किसी से कहियेगा मत

कमलनाथ - कौन सी बात
शालिनी - वो जब आप बरतन रखने आये थे तो वो ...

कमलनाथ हसत हुआ वापस शालिनी के पास आया - देखो भाभी बिना ब्याज के अब तो बैन्क वाले भी जेवर गहने अपने पास नही रखे है तो ये बात तो उससे लाख टके उपर की है ।

शालिनी - मतल्ब ?
कमलनाथ अपने तौलिये की गांठ खोलकर अपना तनमनाया मुसल दिखाता हुआ - मतलब साफ है भाभी , ब्याज तो लगेगा ।

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शालीनी का जिस्म कापने लगा और वो थुक गटक कर कमलनाथ का मोटा मुस्तैद लन्ड देख कर हिल गयी ।

कमलनाथ अपने ओछे उन्माद मे मुस्कुरा कर अपना लन्ड हाथ से मसलता हुआ - जल्दी करो भाभी , हम दोनो का इंतजार हो है चौराहे वाले घर पर

शालिनी - आप प्लीज इसके बारे मे भी किसी से नही कहेगे ना

शालिनी के मुलायम हथेली का स्पर्श अपने आड़ो पर पाकर कमलनाथ की आंखे उलटने लगी और वो सिहर कर -अह्ह्ह भाभीई मै क्यू उह्ह्ह्ह कितनी नरमी है इन हाथों मे अह्ह्ह जरा अपने इन रसिले होठो का जादू भी दिखाओ ना

शालिनी मे तय कर ही लिया था कि वो कमलनाथ के आगे झुकेगी और वो उसके लन्ड के तने को हाथो मे भर मसलती हुई निचे बैठ गयी और मुह खोलकर सुपाडा भर लिया

गुलाब के पंखुडियो जैसे उसके होठ से रिसते लार मानो कमलनाथ के लण्ड पर ठन्डी मलाई कुल्फी रगड़ रहे थे । कमलनाथ अपनी एडिया उचकाता और लन्ड को उसके गले मे उतारने लगा

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शालिनी भी उस्का मोटा मुसल चुसती हुई मजे ले रही थी, मोटे खीरे जैसा मुसल और उभरी हुई मोटी नसे बड़े लाल टमाटर जैसा फुला हुआ सुपाडा, नाखुन मार दो तो खून के फररे उड़ने लगे मानो ।

शालिनी के बेबसी मे ही सही उसकी चादी हो गयी थी, इतना तंदूरस्त मुसल उसने आज तक नही चखा था ।

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शालिनी की आतुरता देख कमलनाथ किचन स्लैब पर पैर रख उसका सर पकड कर उसके मुह मे लन्ड पेलने लगा जिस्से लन्ड उसके गले तक चोक हुआ जा रहा था

शालिनी के फूलते नथुने और फैलती आंखे देख उसने लन्ड बाहर खिंच उसके रबड़ी जैसी रसदार होथो पर लन्ड रगड़ने लगा

लाल होता उसका चेहरा अब और भी कामुक लगने लगा था ।
कमलनाथ ने उसे पकड कर खड़ा किया और रसदार चुचिया ब्रा के उपर से मसलता हुआ मिजने लगा , शालिनी मादक सिस्कियां लेने लगी और वही कमलनाथ उसकी ब्रा कन्धे से सरका कर उसकी चुचियां मुह भरने लगा ।

मोटी दरदरी जीभ की रगड़ मानो शालिनी के मुलायम निप्प्ल पर रेती जैसी चल रही थी , रसभरे चुचो को गारता निचोड़ता मुह मे भर उसे चुसता हुआ कमलनाथ के हाथ निचे शालिनी की कमर पर गये ,

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कूल्हो पर रेगते हुए उसने उसकी पेतिकोट का नाड़ा खोल कर उसके अपने करीब किया
लन्ड की ठोकर सीधी उसकी पैंटी के उपर से चुत के मुहाने पर लग गयी ।

शालिनी के मुह से मदहोशि भरी आह निकाली और कमलनाथ उसके गोल 38 साइज़ के चुतड मसलता हुआ उसको अपनी बाजू मे कस कर उपर उठा दिया ।

शालिनी चौकी उसकी आंखे बड़ी हुई मगर अगले ही पल वो घूम कर किचन स्लैब पर बैठी हुई थी ।
कमलनाथ ने उसकी टाँगे उठा कर कमर से पैंटी खिंचने लगा ,

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शालिनी भी अब तो मानो भूल चुकी थी कि वो लोग खुले किचन मे मनमानी कर रहे है और बाहर दूकान मे बैठा उसका पति कभी भी अन्दर आ सकता है ।

कमर से पैंटी खिंच कर कमलनाथ ने उसके रस को चाटते हुए फरश पर गिराया और अंगूठे से उसकी बजबजाई बुर को दबाता हुआ थोडी सी सफेद मलाई बाहर निकाल कर उसको बुर के फाको पर ही मलते हुए जीभ निकाल कर चाटने लगा

शालिनी अपने कुल्हे उचका कर मचल उठी - अह्ह्ब उह्ह्ह आराम्म्ं सेह्ह्ह उम्म्ंम्ं उम्म्ंम

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कमलनाथ जीभ भीतर घुसा कर होठो से उसके बुर के होठ मिलाने लगा और चुबलाता हुआ रस नीचोड़ने लगा , शालिनी बुरी तरह रस छोडने लगी

उसकी आंख बन्द थी और वो उड़ रही थी , बीते चार दिन से वो मानो इसी पल के इन्तेजार मे थी जब उसकी नदियाँ फूट पड़ेगी और एक मोटा तंदुरुस्त लन्ड उसकी गुफाए फ़ाड कर रास्ते बनायेगा

हुआ भी वही कमलनाथ अपने लम्बे चौडे कदकाठी की सहायता ने उसकी जान्घ पकड़ स्लैब्स के मुहाने पर ले आया और अपने लन्ड के टोपे पर थुक लगाता हुआ उसकी बुर मे ह्चाक से पेल दिया

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शालिनी बुर फूली हुई गच्च से आधे लन्ड को घोन्त गयि , मगर कमलनाथ के कडक और मोटे लन्ड की रगड़ से उसकी बुर की दीवारे खिंच सी गयी और शालिनी आंखे भिच कर सिसकी - अह्ह्ह उह्ह्ह सीईई ओह्ह्ह ओह्ह्ह अह्ह्ह

कमलनाथ अब बिना रुके हचाहच लन्ड उसकी बुर मे उतार रहा था और शालिनी की आंखे उलटने लगी थी , वो एक मदहोश नसे मे खो रही थी ।
उसकी बुर लन्ड को निचोड रही थी
कमलनाथ - ओह्ह भाभी कितनी मस्त बुर है , इस उम्र मे की कितनी कसी हुई है उह्ह्ह

शालिनी - उम्म्ंम्ं अह्ह्ह्ह भाईसाहब आपका मुसल भी कहा कम है आह्हा हाय मेरी चुत की चटनी बना देगा ये तो अह्ह्ह

शालिनी को खुलता देख कमलनाथ मुस्कुरा कर - ये हुई ना बात , ऊहह कबसे आप चुउऊप्प्प थीईईइह्ह तोह्ह्ह म्जाअह्ह्ह नही आ रहा था ओह्ह्ह लिजिये और ऊहह।

शालिनी उसके कन्धे को को पकड कर - आह्ह हा ऊहह और और ऐसे ही उह्ह्ह भाईसाहब उम्म्ंम मुझे पता है आप रात मे आये थे उह्ह्ह

कमलनाथ मुस्कुरा कर -तो क्या आप जग रही थी

शालिनी - अह्ह्ह न्हीई वो मै सो रही थी मगर भनक थी मुझे ,

कमलनाथ मुस्कुराता हुआ मुह भीचकर करारे ध्क्के लगाता हुआ - सच कहू भाभी सुबह तड़के जबसे आपकी रसिली बुर के स्वाद लिये थे तबसे पागल था मै उह्ह्ह , तभी तो जंगी भाई मौका पाते ही चुत मे मुह लगा दिये


शालिनी थोडा शर्माई और मुस्कुरा कर आहे भरते हुए - तो और चुस लो ना भाईसाहब हहह ओह्ह्ह ऐसे ही ऊहह

कमलनाथ ने भी लन्ड बाहर निकाल कर उसकी किचन स्लैब पर लिटा दिया और बुर फैला कर उसकी नमकीन रस को चाटने लगा , शालिनी के सर को पकड कर चुत पर दरने लगी - उह्ह्ह भाईसाहब ऊहह ओह्ह और चुसो खा जाओ मेरी बुर ऊहह ओफ्फ्फ्फ

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कमलनाथ थोड़ी देर मे उठा और शालिनी की जांघो से पकड कर उसको टांग लिया फिर अपने तने हुए मुसल पर टिका कर खड़ा हो गया

शालिनी उसके कन्धे को कस कर पकड़े हुए उसके लन्ड पर सवार थी , इस पोजीशन मे उसकी बुर का दाना बुरी तरह से रगड़ा रहा था ।
कमलनाथ उसकी जान्घे पकड़े हुए उसको लन्ड पर उछालने लगा और शालिनी की चुत मे लन्ड उसकी जड़ो मे चोट करने लगा , जिस्से उसकी चिखे और तेज हो गयी ।

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कमलनाथ की भी हालत कम खराब ना थी , भरे जिस्म वाली शालिनी को हाथो मे पकड़ कर उछालते हुए पेलना उसके लिए दोहरे कसरत की बात थी , एक तो हाथो का जोर उसपे से निचे से कमर की चोट देकर लन्ड घुसाना

मगर शालिनी जैसी गदराई माल पेलने का जोश ऊपर से शाम से ही चूत की तलब ने मानो कमलनाथ मे घोड़े से ताकत फुर्ती भर दिया हो वो शालिनी की गाड़ पकड कर खुब हचक हचक कर लन्ड पेल रहा था और शालिनी हर पल पल उसकी बाजुओ से सरक भी थी , उसकी खुद की पकड कर कमलनाथ के कन्धो से ढीली होने लगी थी और हालात देख कर कमलनाथ ने समझारी दिखा कर शालिनी को लेके घुटने बल बैठता हुआ उसको बच्चे की तरह फर्श पर लिटा दिया और उसकी जान्घे फैलाते हुए कचकचा कर लन्ड उसकी बुर के पेलने लगा

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शालिनी जोरो से अपनी बुर के दाने को मसल कर झड़ रही थी और उसके साथ कोई और भी था जो अपनी पिचकारि चढ्ढे मे छोड रहा था ।

किचन के बाहर दिवाल की ओट मे खडा जन्गीलाल बीते 4-5 मिंट पहले अपने भाई रंगी के फोन करने आया था जो क्योकि रागिनी के फोन करने पर शालिनी का कॉल उठ नही रहा था
यहा आकर अपनी बीवी को हवा मे उछलते और भी जमीन पर मसलाते देख रहा था और उसकी खुद की बीवी के जोश और बुर मसलवा कर चिख चिल्ला कर पेलवाने की अदा ने उसे भी निचोड़ दिया था ।

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वही सामने कमलनाथ अपना लन्ड शालिनी के मुह मे भर कर झड़ते हुए उसके गले मे लन्ड को पेल रहा था और शालिनी उसका मोटा सुपाडा सुरक रही थी ।

जन्गी तेजी से बाहर चला आया ।
दुकान मे आने के बाद जब उसकी कामुक इंद्रिया शान्त हुई और दिमाग खुला तो उसे अब अच्छा मह्सूस नही हो रहा था ।
मानो शालिनी ने उसके साथ धोखेबाजी की ऐसा ठगा सा मह्सूस हो रहा था ।
वही मन ही मन वो कमलनाथ को गाली दे रहा था साथ ही वो खुद को भी कोष रहा था कि क्यू वो उसे यहा लाया ।

भीतर की उलझन और दिल के टुकडो को समेट कर वो दुकान के काम मे लग गया
कुछ देर बाद कमलनाथ शालिनी बाथरूम मे एक राउंड और साथ मे नहाते हुए चुदाई कर तैयार होकर बाहर आये ।

कमलनाथ मुस्कुरा कर जन्गी से हाथ मिलाते हुए उसे अलविदा कहा और जंगी भी मजबुर होकर जबरन मुस्कुराहट चेहरे पर लाता हुआ उसे विदा किया ।

शालीनी और कमलनाथ दोनो साथ मे ही चौराहे वाले घर के लिए निकल गये ।
उन्हे साथ हसता बाते करता देख जंगी का पोजेसिवनेस फिर से उमड आया और वो जलभुन कर रह गया ।


राज के घर

हाल मे सारे लोग एकजुट हुए थे , अनुज बस अभी अभी पहुचा था और वो अपनी बहनो के पास बैठा था उनसे बाते कर रहा था ।
तय हो रहा था कि इस छुट्टी मे वो मामा के यहा जरुर आयेगा ।

वही राज की मा अपने बाऊजी के जाने के वजह से भाव विभोर हुई पड़ी थी , मामी , मौसी ,बुआ और निशा सबकी आंखे नम होकर लाल हो रही थी ।

आंखे लाल तो ऊपरवाले सोनल के कमरे मे रिना की भी हो रही थी , बिस्तर पर आगे ही ओर झुकी हुई रिना की साडी कमर तक चढ़ी हुई थी और उसकी चुत मे राज अपना लन्ड हचक कर पेल रहा था ।

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राज - आह्ह भाभीई उह्ह्ह प्लीज रुक जाओ ना आज ऊहह आपकी ये मुलायम गाड़ चख लेने दो उह्ह्ह

राज के अंगूठे को अपनी गाड़ के छेद पर घिसता पाकर रीना अपने चुतड कसने लगी और सिस्कते हुए - आह्ह बाबू ऊहह आजाना ना कभी जानीपुर , आराम ले लेना , अभी तो तुम्हारे भैया तरस रहे है उह्ह्ह ऊहह और तेज उह्ह्ह

राज कसम्सा कर लन्ड को करारे झटके उसकी चुत मे मारता हुआ गाड़ पर झड़ने लगा

कुछ देर बाद

राज रीना को पकड कर बिस्तर पर बैठता हुआ - तब भाभी , excited हो घर जाने के लिए हिहिही

रिना - हा क्यूँ नही दुनिया जहां लाख प्यार मुहब्बत जता ले लेकिन जो सुख और सुकून पति की बाहों मे होता है वो कही और नही

राज उसकी ओर देख कर - अच्छा तो मेरा साथ आपको पसंद नही आया क्या मतलब
रिना उसके गाल को छू कर उसके लिप्स चुबला कर - नही मेरे हीरो तुम ये बात तब सम्झोगे जब शादी हो जायेगी तुम्हारि


रीना - जीवनसाथी के संग होना अपने आप मे ही एक अलग ही दुनिया है , वो तुम्हे तभी समझ आयेगा जब सही मायने मे तुम्हे किसी से प्रेम होगा ।

राज - तो क्या ये प्रेम नही है जो हम करते है

रिना मुस्कुरा कर - है वो भी है मगर यकीन मानों जिस दिन तुम्हे सच्चा प्यार हुआ तो तुम सब भुल जाओगे

राज ने अपने भौहे चढाई और उसको ये उबाऊ प्रेम की परिभाषा से चिडचिडापन सा लगने लगा था ।

रीना हसते हुए उठी - तो ये सब भूल जाओ ,अभी मस्ती के दिन है तुम्हारे मजे करो और भूल मत जाना अपनी भाभी को ओके

राज उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसके चर्बीदार गाड़ को साडी के उपर से दबोचता हुस - अरे इतनी सेक्सी भाभी को भूल जाऊ हिहिही

रीना - हम्म गुड चलो , नीचे सब राह देख रहे है , मम्मीजी (रज्जो) ने कहा कि हम और पापाजी (कमलनाथ) भी नाना जी के गाडी से निकल जाये क्योकि यहा सवारी लेट आती है ।

राज - क्या इतना जल्दी ?
रीना - हम्म्म
राज - तो आपकी पैकिंग
रिना ने अपनी ट्रॉली बैग दिखाते हुए - वो रही बाकी पापाजी वाली बैग तुम्हारे कमरे मे है

राज - ओके चलो चलते है ।

इधर निचे सब लोग एकजुट हो गये थे ।
शालीनी और कमलनाथ भी आ चुके थे ।
रंगी और रागिनी ने सबको मिल कर व्यकितगत तौर पर विदा किया
विदाई के पल होते भी गमगिन ही है , औरतों का बिछुड़न सबसे दुख्द होता है ।
शालिनी , रागिनी रज्जो और शिला सब मामी से मिल कर गले लग कर फफक रही थी तो वही निशा और रीना की आपस मे कुछ चटपटी बातें भी चल रही थी । रीना से बातें करते हुए निशा की निगाहे कमलनाथ से मिली और दोनो मुस्कुरा दिये ।

कमलनाथ - बेटा आना कभी हमारे इधर
निशा - जी मौसा जी जरुर
कमलनाथ शालिनी को देख कर - और अपनी मम्मी को भी जरुर लाना

शालिनी कमलनाथ का इशारा समझ कर मुस्कुराने लगी ।

वही रंगी अपने साढू भाई से गले मिलकर उन्हे अल्विदा किया और अपने ससुर के पाव छू कर खड़ा हुआ तो बनवारी ने मुस्कुरा कर - जमाई बाबू आईएगा , भूलियेगा नही

रन्गी बनवारी का इशारा समझ कर हस पड़ा और हा मे सर हिला दिया ।
गीता बबिता भावुक थी अपने भाईयो से बिछड़कर राज से लिपटी हुई दोनो बहने बहती हुई आंखो से अपने चोर आशिक़ो राहुल और अरुण को भी निहार रही थी ।

मामी ने जाते हुए अनुज के पैंट की जेब हाथ डाल कर जबरन 500 के नोट डाले तो मामी के स्पर्श ने उसके जांघो के बीच सनसनी होने लगी , लन्ड मे हल्का विस्तार हुआ मगर क्षणीक था वो सब , मगर जाते हुए अनुज के गोरे गाल खिंच कर रीना ने सबके चेहरे खिला दिये ।


और राज के नाना के बोलोरो मे दोनो परिवार निकल गये अपने अपने घर के लिए ।

जारी रहेगी
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