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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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रागिनी अनुज स्पेशल
EROTIC SUNDAY

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इस हफ्ते के अंत में होने जा रहा है
इरोटिका का धमाका

Be ready for Erotic Sunday of this journey
:jerker:




:listen: ( चूतिया बना रहा है राइटर अपडेट लेट कर देगा :D )
 
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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी 🥲
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
🙏

 
Last edited:

Rajniyadav

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UPDATE 001


ये कहानी उत्तरी भारत के एक नये बने कस्बे की है जिसका नाम चमनपुरा है । यहा मुख्य रूप से बाज़ार पुराने है और कुछ बैंक , स्कूल कालेज है बाकी किसी सरकारी कार्य और अन्य जरुरी शिक्षाओ , मेडिकल सेवाओ के लिए शहर जाना पड़ता है ।धीरे धीरे अब कुछ सुविधाएँ उपलब्ध होने लगी है और बाज़ार भी होने लगा है


मेरा नाम राज है और मेरे पिता जी रंगीलाल एक बर्तनों के व्यापारी है । ये कोई पुस्तैनी व्यापार नही है ये मेरे पिता जी द्वारा ही मेरे जन्म से कुछ साल पहले ही सुरु हुआ था और अच्छा खासा दर्जा है आज बाज़ार मे उनका ।

आईये अब थोड़ा अपने परिवार का परिचय करा देता हू ।

मै - राज , उम्र अभी 21 साल है , बॉडी से नॉर्मल हू अच्छी हाईट है और 7" लंड है और घर पर एक कास्मेटिक की दुकान अपनी मा के साथ चलता हू । ( इस दुकान का विस्तार आगे मिलेगा )

पिता - रंगीलाल , उम्र 49 साल , स्वभाव से गंभीर है लेकिन बहुत मजाकिया भी है और मैने इनका लंड ध्यान देखा नही तो क्या उसका वर्णन " हा हा हा हा " खैर आगे जरुर पता चलेगा
मेरे पिता 2 भाई और 2 बहन है उनका परिचय समय आने पर दिया जायेगा ताकि आपको किरदारो को याद रखने मे ना समस्या हो ।

मा - रागिनी देवी , उम्र 45 साल , बहुत ही आकर्षक और कामुक महिला और स्वभाव से थोडी चंचल भी है और मै भी मुख्य रूप से अपने मा के स्वभाव से जुडा हू , उनका शरीर हल्का शाव्ला है और भरा हुआ है साइज़ में देखे तो 38 35 42 , थोडी सी मोटी है लेकिन इस उम्र में भी इनका ये रूप जवान लड़कियो के हुस्न को भी मात दे दे

मेरी बड़ी बहन - सोनल , उम्र 23 , अभी सादी हो चुकी है और एक बच्चा भी है । मुहल्ले में ही लव मैरिज हुआ है इसका भी विस्तार आगे मिलेगा कि क्यो मेरी दीदी ने बगल के मोहल्ले में ही सादी की
ये भी मा की तरह गदरयी बदन वाली है लेकिन हाईट पिता जी की तरह कम है ।
इसका साइज़ इस समय 36 34 38 है ।


मेरा छोटा भाई जो इस समय 18 का हो चूका है उसका नाम अनुज है और उसका कोई खास किरदार अभी कुछ अपडेट तक नही है ।


दोस्तों ये था परिचय
और एक बात बता दू इस कहानी मे कोई मैजिक या अप्राकृतिक घटना या विज्ञान विरोधी चीजे नही होने वाली है
मेरा मानना है की कहानी को दैनिक जीवन में नेचूरल तरीके से चलाना ही अच्छा है ।

क्योकि मैने एक जगह पढा था साधरणता से लम्बा सफ़र तय कर सकते है ।


तो चलिये इस कहानी को शुरू करते है
दोस्तो आज मेरी उम्र 21 साल है लेकिन इस कहानी को समझने के लिए आपको मेरे पास्ट को जानना होगा । जब मैने पहली बार सेक्स को बड़े करीब से मह्सूस किया था ।



बात उस समय की है जब मै सातवी कक्षा में था । उस समय मेरा चमनपुरा ग्राम सभा हुआ करता था लेकिन पुराना बाज़ार होने से आस पास गाव के लोगो की रौनाक लगी रह्ती थी । और मेरे पिता जी का दुकान घर पर ही था तब और हमारे मुहल्ले मे कच्ची सड़क ही थी और कुछ किराने की और कुछ कपड़े की और एक दर्जी की दुकान थी ।

उस समय मै गाव के ही स्कूल मे पढने जाता था और दोपहर मे लंच के घर आ जाता था फिर वापस स्कूल ।
मेरे साथ मेरी बड़ी बहन भी उसी स्कूल मे जाती थी और मेरे कक्षा मे ही पढ़ती थी लेकिन वो लंच के लिए घर नही आती थी आपने सहलियो के साथ ही खा लिया करती थी । मेरा भी एक मित्र था अमन ( इसकी चर्चा आगे मिलेगी ) और स्कूल से छुट्टी होने पर घर और फिर घुमने निकल जाता था मुहल्ले मे अपने दोस्तो के साथ जिसमे मेरा एक मनपसंद साथी था चंदू वो मेरा दूर के रिस्ते से भंजा लगता था और उसकी मा , मेरी दीदी लगती थी । मै अक्सर उसके घर जाया करता था ।

उसके पिता रामवीर थे उसकी मा रजनी एक कामुक महिला थी जिसकी चुचिया इतनी बड़ी थी लगता था कितना दूध भरा हो इनमे । रजनी का उम्र मेरे मा जितनी थी (जैसा कि मैने बताया ये दूर की रिस्ते मे दीदी लगती है ) उसका साइज़ 40 34 36 का था जो भी देखता तो चेहरे से पहले नजर चुचो पर ही जाती थी ।

चंदू की एक बड़ी बहन भी थी चम्पा, जो उससे 1 साल बड़ी थी वो थोडी नॉर्मल सी थी लेकिन उसकी गांड बाहर की ओर निकले थे और सुट सलवार या घाघरा मे उसकी गाड़ और बाहर आ जाती थी । मेरा चंपा से कुछ खास लगाव नही था मै अक्सर उससे शर्मा कर ही बात किया करता था ।


एक दिन मेरे स्कूल से जल्दी छुट्टी हो गयी

और आदत अनुसार घर आते ही मै चंदू से मिलने उसके घर गया मुझे लगा कि मेरी तरह उसके स्कूल की भी छुट्टी हो गयी है पर मै गलत था

मै उसके घर गया तो बरामदे मे कोई नहीं था मै चंदू करके पुकारता उससे पहले ही मुझे किसी के झगड़ा करने की आवाज सुनाई देने लगती है और मै धीरे धीरे गलियारे से कमरे की तरफ जाता हू


अन्दर देखने से पहले ही झगड़ा शांत हो जाता है और मुझे चंदू के मा की आवाज आती है




आगे के अपडेट मे हम जानेगे की कमरे मे अखिर ऐसा क्या हो रहा था जिससे मेरे समाज को देखने का नजरिया बदल गया ।


कहानी का पहला अपडेट दे दिया गया है आपके प्रतिउत्तर की प्रतीक्षा रहेगी ।
धन्यवाद


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Rajniyadav

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UPDATE 002

अबतक :

मै उसके घर गया तो बरामदे मे कोई नहीं था मै चंदू करके पुकारता उससे पहले ही मुझे किसी के झगड़ा करने की आवाज सुनाई देने लगती है और मै धीरे धीरे गलियारे से कमरे की तरफ जाता हू ।अन्दर देखने से पहले ही झगड़ा शांत हो जाता है और मुझे चंदू के मा की आवाज आती है ....


अब आगे :

कमरे मे से पहले चंदू की मा रजनी की आवाज आती है

रजनी - आखिर हर बार तुम इतना नाटक क्यू करते हो मेरी चुत चाटने मे

तभी मुझे एक और आवाज सुनाई देती है जो चंदू के पिता रामवीर की थी

रामवीर - देख रजनी मुझे ऐसा सेक्स पसंद नही है मुझे इसमे घिन आती है

रजनी - अच्छा और रोज सुबह शाम चोदते टाईम उसी चुत मे लंड डालते हो तब नही आती

थोड़ा सिस्कते हुए रजनी फिर बोली ..... देखो चंदू के पापा मै कुछ नही जानती मुझे आज अपनी चुत चुस्वानी है आपसे , अगर नही हो तैयार तो मै मायके चली जाउंगी और फिर देखते रहना मुझे चोदने के सपने ।


ये सब बाते सुन के मेरे कान खड़े हो गये , हालाकि मैने पहले भी चुदाई की साधरण बाते सुनी थी लेकिन किसी औरत के लिए उसका चुत चटवाने का इतना पागलपन मैने नही सुना ,

मै ज्यादा देर तक वहा रुक नही सकता था और मेरा शरीर भी साथ नही दे रहा था , मेरी सांसे तेज़ होने लगी थी
वहा रूकने की इच्छा भी थी की रामवीर कैसे अपनी पत्नी की चुत को चाटेगा , लेकिन मन मे एक अन्जाना सा डर आ गया और मै वहा से निकल गया बागो की तरफ


काफी समय मै अकेले बाग मे घूमते हुए उस घटना को याद कर रहा था साथ ही ये भी सोच रहा था कि कैसा होता होगा वो अनुभव जब मेरी जुबान किसी की चुत को छुएगी ।

फिर मुझे भी थोडी घृणा हुए लेकिन मेरे चडडी मे मेरा नुन्नु खड़ा हो रहा था और बार बार मुझे कल्पना मे रामवीर का सर रजनी दिदी के साडी मे घुसा हुआ दिखने लगा ।


काफी समय इसी उधेड़बुन मे शाम हो गयी और घर गया तो मेरी बड़ी बहन ने मुझे बताया कि आज मा बहुत गुस्सा है और हो भी क्यो ना मै पीछले 4 घन्टे से गायब था ।

फिर मा आई और थोड़ा बहुत डाँटा फिर चाय पीने को दिया
मेरी एक आदत थी भले ही मै कितना बड़ा हो गया था मै अपनी मा से लिपट जाया करता था वो भी खुश हो जाया करती थी

और फिर चाय पीकर मै मा की गोद मे उन्के पेट से लिपट कर लेट गया ।
थोडी देर बीता था समय की अनुज रोने लगा तो मा ने मुझे उठा कर उसे गोद मे लेकर सुलाने लगी

फिर मै भी अनुज के साथ खेलने लगा ।
लेकिन मेरे मन से वो घटना नही जा रही थी और मै सोचने लगा क्या मेरी मा भी पापा से अपनी चुत चटवाती होगी ।

फिर मैने सोचा की क्यो ना थोडी जासूसी की जाय घर पर

जैसा कि मैने बताया मुझे थोड़ा बहुत चुदाई का ज्ञान था जो मैने स्कूल मे बड़े बच्चो और मुहल्ले घुमक्कड़ आवारा लड़को को आपस मे बात करते हुए सुन कर जान गया था ।

मै रात का इंतजार किया फिर सब खाना खा कर सोने चले गये
अब मै आपको अपने घर के बारे मे बता दू

मेरा 2 मंजिला मकान है ज्यादा बड़ा नही है लेकिन छोटे परिवार के लिए गाव मे ठीक है ।
मेरे घर मे ही बर्तन का दुकान है और दुकान के बगल से छत पर सीढी जाती है जहा एक किचन और एक बेडरूम और एक छोटा स्टोर रुम है और नहाने के लिए बाथरूम और टॉयलेट रुम सबसे ऊपर की मंजिल पर है ।

अनुज और मेरी बहन एक साथ बेडरूम सोते थे और मैं स्टोररुम मे एक तख्ते पर सोता था
और मम्मी पापा नीचे दुकान मे सोते थे ।

अब आते है कहनी पर


गाव के लोग अकसर जल्दी सो जाते है
मेरे यहा दुकान की वजह से 9 बजे तक सब सोने के लिए जाता था ।
और दिन भर की थकान के वजह से मुझे भी नीद आ रही थी लेकिन मन मे एक जिज्ञासा थी कि आज अपने मा और पिता की चुदाई देखनी है


करीब 10 बजे एक बार पिता जी पानी लेने ऊपर आये जो कि वो रोज आते है और मुझे उस दिन पता चला कि वो ये देखने आते थे कि हम लोग सोये है या नही

उन्होने मेरे तरफ भी टॉर्च मारी मैं सोने का नाटक किया फिर वो चले गए

और फिर मै धीरे से उठा और नंगे पाव सीढ़ी से नीचे जाने लगा

और मुझे थोडी थोडी खुसफुसाहट मे बात चित की आवाज आ रही थी
फिर मै आखिरी सीढ़ी से पहले ही रुक गया और ध्यान से सुनने लगा

मुझे मेरी मा की चूडियों की खनखन सुनाई दे रही थी साथ मे पिता जी की सिसकी भी
तभी


पापा - ओह्ह्ह्ह रागिनी मेरी रान्ड कहा से सीख आई हो ये लंड चूसना आह्ह्ह्ह्ह्ह ऐसे ही मेरी जान और गिला करो जीभ से उफ्फ़ हा ऊह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह हा राआआअग्ग्ग्ग्गीईई ओह्ह्ह


मा - सच बताऊ कहा से सिखा , लंड को मुह से निकल्ने की आवाज स्स्स्स्स्ररर्र्र्र्र्र्र्रृउप्प्प्प्प के साथ बोली
और उसकी चूडियो की खनखन से साफ पता चल रहा था कि अभी भी वो लंड हिला रही थी ।


पापा - आआह्ह्ह्ह मेरी रान्ड बता ना कहा से सीखी

मा - अपने दीदी से हिहिह्हिहिही

मा ने खिलखिलाते हुए जवाब दिया और फिर गुगुगुगू के साथ चूडियों की खनखन की आवाजे आने लगी

पापा - सच मे रज्जो दीदी ने तुमको सिखाया है क्या ,,,, ओह्ह्ह आह्ह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह्ह्ह


मा - हम्म्म्म्म्ं और फिर गुगुगुगगू के साथ चूडियो की खनखन

पापा - ओह्ह्ह जान फिर तो तुम्हारी दीदी भी अच्छा लंड चुस्ती होगी आह्ह्ह अह्ह्ह और अंडर लो मेरी रागु आह्ह्ह्ज


मा स्स्सरररउप्प्प करते हुए बोली - क्या बात जी मेरी दीदी की बात करते ही आपका लंड और कड़ा हो रहा है ,,,, हिहिहिहिही

पापा - क्या बताऊं जान रज्जो दीदी की बात छेड़ कर तूने आज उनकी चूचियो की याद दी

मा - ओहो क्या बात है , अपने कब देखी मेरी दीदी की चुचिया

पापा - अरे वो हमारी शादी में बिदायि वाले दिन जब सुबह सुबह मुझे दही भात खिलाया जा रहा था तभी,,,ओह्ह्ह्ह हम्म्म्म्म्ं बस ऐसी ही चुसो जान
पापा - मै नीचे बैठा था और तुम्हारी रज्जो दीदी हरी चमकीली सारी मे खडी थी थाली मे दही भात लिये फिर वो मेरे तरफ झुकी और मैने नजर ऊपर की तो देखा तेरी दीदी की बड़ी गोल गोल चुचिया आधी से ज्यादा बाहर की तरफ आ रही है और वो मुझे अपने हाथो से दही भात खिलाने लगी , मै भी उनकी चुचियो पर नजर डालें हुए दही भात खाने ल्गा जिससे कभी कभी मेरे चेहरे पर भी दही लगने लगा फिर जब उन्होने मुझे बोला कि कहा ध्यान है आपका जमाई जी हिहिही
तब मेरी तंद्रा टूटी फिर मै मुस्कुराने ल्गा


मा - आहहाहा , शादी मुझसे और नज़र मेरी दीदी पर
मा पापा को छेद्ते हुए बोली

पापा - अरे जान वो तो बस नज़र गयी थी दिल तो तुम्हारे पास ही था

मा - अब रहने दो मक्खन ना लगाओ , मेरे हाथ थक गये है अब तुम करो

पापा - आजा मेरी रसीली जान तेरी चूचि चुस के तेरा दर्द कम कर दू

मा - उससे काम नही चलेगा मुझे जल्दी से ये लण्ड मेरी गरम चुत मे चाहिये


मेरे पापा और मम्मी के बिच हुए ऐसे बातचित से मै बहुत शौक हो गया मेरे मन में बहुत सारे विचार आने लगे और मै उनकी बाते सुनने लगा




अब आगे क्या होने वाला और कौन कौन सी बाते राज को पता चलने वाली है अगले अपडेट मे दिया जायेगा


आज का अपडेट कैसा लगा कमेंट मे अपनी जवाब जरुर दे ।
धन्यवाद


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Rajniyadav

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UPDATE 005

अब तक :

मेरे साथ मेरी बहन सोनल , चंदू और उसकी बहन चंपा और अमन ने भी उसी कालेज मे दाखिला लिया ।

हम साथ ही आते जाते थे
6 महीने तक मुझे सब सामान्य लगा लेकिन फिर अचानक चंदू की बहन को उसके पापा ने हॉस्टल भेज दिया ।

मुझे बहुत अजीब लगा तो मै इसके लिए बात करने चंदू के घर गया

अब आगे :

जब मै उसके घर पहुचा तो बरामदे मे कोई नही था फिर मुझे कुछ अजीब लगा जैसा कि घर मे कोई नही है क्योकि अन्दर गलियारे मे सन्नाटा था और कमरे बंद थे ।

चंदू के घर मे अन्दर गलियारे से ही एक सीढ़ी ऊपर जाती थी मै धीरे धीरे ऊपर की तरफ गया तब मुझे कुछ आवाजे सुनाई दे रही थी जो चंदू और उस्के मा रजनी के बिच हो रही बातचीत की थी ।

मै चुपचाप सुनने लगा

रजनी - अच्छा हुआ उस दिन घर पर पहले मै आई , अगर तेरे पापा को पता चलता तो तेरी सामत थी उस दिन , इसिलिए मैने चंपा को हॉस्टल भेज दिया है वहा तुझसे दूर रहेगी तो ठीक रहेगी नही तो राम जाने क्या क्या गुल खिलाओ तुम भाई बहन अकेले घर मे


मुझे रजनी दीदी की कोई बात समझ नही आ रही थी बस इतना समझ आ रहा था कि चंदू की गलती से चंपा को हॉस्टल जाना पडा लेकिन क्यूँ ?


फिर रजनी बोली - आखिर तुने ये सब सिखा कहा से

चंदू चुप था

रजनी - बोल सही सही बता , कही राज के साथ घूम के ये सब नही सिख रहा

तब चंदू बोला - नही मा , राज तो इनसब की बात नही करता मुझसे

रजनी - फिर कहा से सीखी

चंदू - आपको और पापा को करते देखा था और .....

रजनी चौक गयी और चंदू को गुस्से मे एक थप्पड़ लगा दिया। चंदू रोने लगा

फिर रजनी का दिल पिघला और वो चंदू से बोली - अच्छा क्या क्या कर चुके हो दोनो

चंदू - मै बस वो चाटता था और दीदी को अच्छा लगता था बस और फिर रोने लगा

रजनी - क्या चाटता था तू सही सही बता
चंदू रोते हुए बोला - दीदी की चुत



एतना सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए
मुझे समझ आ गया कि क्यो चंपा को उसकी मा ने हॉस्टल भिजवा दिया ।
मै सपने मे भी नहीं सोच सकता था वो चंदू हकीकत मे कर दिया था ।

फिर रजनी कुछ नही बोली और मै भी निकल गया घर पर


इस घटना को काफी दिन बित गये और मेरा नजरिया परिवार को लेके और बदल गया ।

फिर हमने 12वी पास कर ली । उसी कॉलेज से ग्रेजुएट के लिए दाखिला ले लिया ।
और मै 19 साल का हो चुका था

उसी साल संयोग से चंदू के एक चौराहे वाले मकान मे ट्यूशन खुली तो वहा पर मै , चंदू , मेरी बहन और अमन ने नाम लिखवा किया सरकारी नौकरी के तैयारी की टयूशन के लिए ।

समय के साथ हमारे शरीर मे बदलाव आने लगे मेरे नुन्नु अब लंड हो गया था
मेरी बहन का भी शरीर भरने लगा और ये बात मै नोटिस करने लगा

एक शाम मै कालेज से घर आया तो दुकान पर मम्मी पापा मे बात हो रही थी कि वो बर्तन की दुकान उठा कर मेन रोड पर ले जायेंगे और यहा एक कास्मेटिक का दुकान खुलेगा जिसे मा और मै चलायेंगे ।
और पापा ने बहुत समय पहले एक जमीन लिया था तो वही अगले साल नया घर भी बनेगा।
नया घर और नया दुकान का सुन कर मै बहुत खुश हो गया।

फिर कुछ ही दिनो मे मेरे यहा नयी दुकान खुली और पापा ने घर पर पूजा रखी । जिसमे मेरे दोनो बुआ और फूफा आये , मेरे मामा मामी , चाचा की फैमिली , चंदू की फैमिली और रज्जो मौसी भी आई ।

पुजा दिन मे थी और मेरा घर छोटा होने से सभी रिस्तेदार अपने घर चले गये । सिवाय मेरी रज्जो मौसी के

क्योकि मेरे दोनो बुआ की सादी एक ही घर मे हुई थी जो कि छोटा सा टाउन था ।
और मेरे मामा मामी भी पास के थे ।
लेकिन मौसी की सादी पास के ही शहर जानीपुर मे हुई थी तो मा ने उनको जिद करके रोक लिया बोली कुछ दिन बाद जाना ।



अब आगे के अपडेट मे देखते है की रज्जो मौसी को देख कर मेरे पापा के क्या अरमान जागते है और क्या क्या होता है कहानी मे ।

आपके राय की प्रतीक्षा है ।
धन्यवाद


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Rajniyadav

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UPDATE 006

अब तक :
पुजा दिन मे थी और मेरा घर छोटा होने से सभी रिस्तेदार अपने घर चले गये । सिवाय मेरी रज्जो मौसी के

क्योकि मेरे दोनो बुआ की सादी एक ही घर मे हुई थी जो 5km दूर एक गाव मे हुई थी ।
और मेरे मामा मामी भी पास के थे ।
लेकिन मौसी की सादी शहर मे हुई थी तो मा ने उनको जिद करके रोक लिया बोली कुछ दिन बाद जाना ।



अब आगे :

घर मे सब हसी खुशी बीत गया ।
नया परिचय

मौसी - रज्जो , मेरी का एक्लौती बहन है । उम्र 48 साल, रंग गोरा और बदन हर तरफ से भरा हुआ , उनकी बड़ी बड़ी चूचि और गहरी नाभि और बड़े बड़े पहाड़ जैसे चुतड़,,,,, 42 36 44 का साइज़ ,,,उफ्फ़

मौसा - कमलनाथ , उम्र 52 साल , नौकरी करते है पंजाब मे तो घर आना जाना कम है ।

रमन - मौसा मौसी का एकलौता बेटा , थोडा दुबला पतला है लेकिन बहुत मेहनती
उम्र 24 साल घर पर ही बेकरी का दुकान है ।

( पाठक ध्यान दे ये कहानी अभी flash back मे चल रही है लेकिन नये पात्र का विवरण वर्तमान समय का ही है । )



वापस कहानी पर

मै मौसी के आने से बहुत उत्साही था लेकिन मेरे साथ कोई और भी था जिसे रज्जो मौसी का रुकना बहुत पसंद था ।

उस दिन खुब सारी बाते हुई फिर रात मे सब खाना खा कर सोने चले गये ।

गर्मी का मौसम था तो मा और मौसी छत पर सोने वाले थे तो मै भी उन्के साथ चला गया सोने

मा आज मौसी से बहुत दिन बाद मिली थी फोन पर हाल चाल होता था लेकिन पिछ्ले 10 साल बाद मौसी हमारे घर आई थी क्योकि कुछ दिन वो मौसा के साथ पंजाब थी फिर कुछ साल पहले ही शहर मे वापस आई थी और रमन ने एक बेकरी की शॉप खोली थी ।

मैने चटाई बिछाई फिर लेट गये ।
मै मौसी के एक तरफ मे सोया और मौसी के दुसरी तरफ मा


मौसी मेरे मा से कहती है - छोटी आज गर्मी बहुत है तेरे पास कोई मैक्सि है क्या

मा हस्ते हुए बोली - क्या दीदी मेरा साइज़ आपको होगा ही नही ।

क्यौंकि मा और मौसी मे बहुत मेलजोल था और एक दुसरे से खुल के रह्ती थी । तो हसी मज़ाक होना बनता था ।

थोड़ा समय बीत गया और मुझे उन दोनो के हसी मज़ाक मे बहुत मज़ा आ रहा था तो मै सोने का नाटक करने ल्गा


मा - अरे दीदी सारी उतार दो ना अगर गर्मी ज्यादा है तो आप तो शहर मे एसी मे सोती हो यहा कहा वो सुविधा

मौसी - सारी तो निकाल दू छोटी लेकिन डर है कही राज के पापा ना आजाये और उनको मेरा माल खुले मे मिल जाये ,,,,हहह्हाहहह

मा - क्या दीदी आप भी उनको छेड़ने का मौका नहीं छोड़ती

मौसी - अरे कैसे छोड़ दू मेरे चुचो के दिवाने को ,,,,,,हहहहह्हाहह्हहा

मा - श्श्श्श्श्श्ह्श .. क्या दीदी राज सो रहा है कुछ तो सोच के बोलो

मौसी - अरे वो कबका सो गया दिनभर काम किया बेचारा
वैसे तु आज जमाई जी के साथ सोने नही गयी

मा - अरे दीदी मन तो मेरा भी है लेकिन आपको छोड़ के कैसे जाऊ

मौसी - अगर तेरा मन ना हो तो मै चली जाऊ , वैसे भी दीवाना है मेरे वो ,,,,,, हहहहहहा

मा - अच्छा ठीक है बाबा मै जा रही हू .... आपका भी मन है तो आजाओ बहुत जोरदार चोदते है राज के पापा ,,,,,हिहिहिहिही

मौसी - अच्छा ऐसा क्या , चल मै भी देखू कितना जोर है तेरे उन्के मे ,,लेकिन मै बस छिप के सुनुगी बस

मा - हिहिहिही ,,,ठीक है दीदी फिर वो दोनो नीचे जाने लगी ।


मैने अपनी आँखे खोली और सोचने लगा अबे क्या हो रहा है मेरे घर मे कही सपना तो नही देख रहा हूँ



दोस्तो आगे के अपडेट मे हम जानेंगे कि क्या होने वाला है

स्टोरी कैसी जा रही है इसका राय अवश्य दें ।
धन्यवाद


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Rajniyadav

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सुझाव और प्रतिकिया के लिए धन्यवाद मित्र

लेकिन मेरा मानना है कि अगर कहानी को पाठक अपनी कल्पनाओ से जोड़ कर पढे तो सारे चित्रण खुद ही आँखो के सामने आ जायेगे और इसमे पाठक अपनी मनपसंद सन्गिनी को चुन भी सकता है ।


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Rajniyadav

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कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी 🥲
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
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