UPDATE 155
अब तक के अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जहा जंगीलाल अपने बेटी के सभी छेदो को भेद चुका था । वही उसका बड़ा भाई रन्गीलाल अपनी बीवी के साथ अपनी होने वाली समधन के कूल्हो की माप लेने की योजनाए ब्नाने मे मशगुल था ।
दो मनचले और भी थे जिन्होने सेक्स के नशे को हल्के ले लिया था और अब लगातार उसी के जाल मे फसते जा रहे थे । राहुल का स्वभाव थोडा जिगरि था तो उसने अपनी मा के लिए ट्राई करने की योजना बना ली लेकिन अनुज का क्या ? क्या वो इस राह पर आगे कभी बढ भी पायेगा या रात की ग्लानि मे वो सेक्स के रास्ते को ही छोड देगा ।
वही दुसरी ओर राज ने भी अपनी दुसरी बहन के माथे से कुवारेपन दाग हटा दिया था और गीता भी अब कली से फूल बनने के सफर पर निकल चुकी थी । वैसे सफ़र तो आज राज का भी शुरु हो चुका था , आज 10 बजे की बस से राज अपनी रज्जो मौसी के यहा जा रहा था ।
राज की जुबानी
नाना के यहा से बस पकडने के बाद से ही क्या क्या सपने सजोये थे , कितनी हसिन और कामुक कल्पनाये सोच रखी थी । कितने लण्ड खडे कर देने वाले सवाल मेरे जहन मे चल रहे थे
क्या रीना भाभी की जवानी अभी खिल चुकी होगी ? वो कसे हुए सीने अब और भी फूल गये होगे ,,
इतने दिनो से मौसा घर पर है क्या कभी रमन भैया और मौसी चुदाई कर पाते होगे । अगर करते भी होगे तो चोरी छिपे चुदाई कितनी मजेदार होती होगी ?
और रज्जो मौसी है ही ऐसे नटखट वो जरुर रीना भाभी को नये नये गुर सिखा चुकी होगी ।
और रमन भैया का तो मौज ही होगा दिन मे मा और रात मे बीवी अह्ह्ह
पता नही वहा का माहौल कितना कामुक होने वाला है येही सब सोच कर मेरा लण्ड अभी से उफान पर था ।
मन मे यही चल रहा था कि आज मौसी के घर मे चुपचाप घुस जाऊ ,,क्या पता कोई चुदाई भरा मस्त नजारा देखने को मिल जाये ।
मगर हर बार किस्मत इत्नी भी रंगीन नही होती ।
मै बस से उतर कर मौसी के घर के लिए उनके गली मे जा रहा था ।
थोडी दुर से ही मौसी मुझे दरवाजे पर खड़ी किसी औरत से बात करते हुए दिखी जो थोडा हस्ती शर्माती मौसी के हा मे हा मिलाती हुई बाते कर रही थी ।
वही मौसी की नजर मुझ पर पड गयी और हम दोनो एक दुसरे को देख कर मुस्कुरा चुके थे । उस औरत ने भी मेरी ओर देखा
जैसे जैसे मै घर के करिब आ रहा था दोनो के बीच की बातो या फिर उस समझौते की गति तेज हो गयी और मेरे दरवाजे तक आते आते वो औरत सामने के एक घर मे जा चुकी थी ।
जाते हुए उसके मांसल कुल्हे उसके सूट सलवार मे जो हिल्कोरे मार रहे थे ।
मै - नमस्ते मौसी , ये कौन थी ?
मौसी - अरे बेटा वो हमारी पडोसन है ।
मौसी खुश होकर - और बता अचानक से कैसे ? फोन भी नही किया
मै - मै तो सोचा था कि आपको सरप्राइज़ दूँगा ,,क्या पता बीच दोपहर मे घर मे कोई सिन देखने को मिल जाता लेकिन ....।
मौसी हस कर - धत्त बदमाश तू बिल्कुल नही सुधरा , चल अंदर आ ।
मै मौसी को छेड़ते हुए - वैसे ये जो बाहर आंटी थी ,,कही आप उनको मौसा के लिए तो मना नही ना रही थी ।
मौसी ने मुस्कुराते हुए मुझे आंखे दिखाई
मै हस कर - वैसे आपका और म्ममी का कोई भरोसा नही है हिहिहिही
मौसी हस्कर धीमी आवाज मे - वैसे तेरे मौसा को मैने देखा है इसको झांकते हुए हिहिहिही
मै हस कर - फिर तो आपको मौसा जी मदद करनी ही चाहिये हिहिहिही
मौसी - धत्त तु भी ना , चल बैठ मै जरा बहू को आवाज दे देती ,,वो रमन को खाना देने गयी है उपर
मै मस्ती मे - अरे मौसी रुको ना ,,चल के देखते है ना क्या हो रहा है उपर ....हिहिह्ही
मौसी - धत्त बदमाश ,, वो सच मे खाना ही गयी है और तेरे मौसा भी अपने कमरे मे है । समझा
मै - तो चलो ना यहा क्या करना है उपर ही चलते है ना , जब सब वही है
मौसी - अरे अब आया है तो कुछ पानी पी ले फ्रेश हो जा
मै - ओहो मौसी , ऐसा करो आप पानी वानी जो भी लाना है उपर लेके ओ ,,मै तो जा रहा हू अपनी भाभी के पास
मौसी हस कर किचन मे चली गयी और मै धीरे धीरे उपर जीने की ओर जाने लगा
मगर असल मे सरप्राइज़ तो अब मेरा इन्तेजार कर रहा था रमन भैया के कमरे पर पहुचते ही सामने का नाजारा बहुत ही कामुक और आह भरा भी था
सामने बिस्तर पर खाने की थाली रखी हुई थि और रमन भैया अपना लण्ड बाहर किये खडे थे और भाभी निचे बैठी हुई गपागप लण्ड मुह् ले रही थी ।
नजारे को देख कर मेरा भी लण्ड तन गया और मैने पैन्त के उपर से ही लण्ड मसल रहा था ।
तभी सीढियो की आहट हुई और मौसी के पायल की आवाज सुनाई दी और जैसे ही मौसी ने मुझे देखा तो सर पीट पर हस्ने लगी और मैने उनको चुप करने का इशारा किया और अपने पास बुलाया
वो हसती हुई मेरे पास आई और मैने उन्हे अन्दर का नाजारा दिखाते हुए कहा - देखा मै सही था ना
मौसी खुसफुसाई है - हा तो तू क्या अब बहू को नंगी देखेगा क्या ?
मै उन्के गाड़ को मसलता हुआ - आह्ह काश मिल पाता ,,,
मौसी खुसफुसा कर - तु पागल है क्या ? चल यहा से
मै - मौसी सुनो ना ,, वैसे मैने आपको भी कभी रमन भैया के साथ चुदते न्ही देखा ,,, कब दिखा रही हो
मौसी मुझे खिच कर वापस निचे ले जाते हुए - तु पागल है क्या ,,बहू के रहते मै कैसे ? उसे जरा भी भनक लगी तो वो ?
मै - अरे तो उनको बता कोन रहा है और कहा वो ये सब शक कर रही है । आप भी ना ,,मुझे तो देखना है बस
मौसी - ओह्ह बेटा जिद ना कर ,, मै सच मे फस जाउगी
मै - मौसी प्लीज ना ,,मुझे सच मे बस एक ही बार देखना है प्लीज ना प्लीज
मौसी मेरी जिद पर हारती हुई - अच्छा ठिक है लेकिन उसके लिये तेरे मौसा को बाहर भेजना होगा और बहू निचे किचन मे फसी हो तब
मै कुछ सोच कर - उम्म्ं ठिक है ,,,भाभी को तो मै रात के खाने के लिए कुछ स्पेशल बनाने के नाम पर फसा लूँगा और आप मौसा का कुछ करो
मौसी खुश होकर - हम्म्म्म ठिक है मै भी उन्हे मार्केट के लिए भेज दूँगी ,,,मेरा एक ब्लाउज पेतिकोट सिलने के लिए देना
मै चहक कर - वॉव मौसी उउउम्म्म्म्म्माआह्ह इस बात पर आपकी गाड़ ठुकाई तो बनती ही है
मौसी - तो चल ना ,,मै भी तो तरस रही हू कबसे और तु मुझे दूसरो से चुदाने मे लगा है
फिर मै और मौसी एक कमरे मे चले गये जहा मैने दो बार मौसी की गाड़ और चुत मारी और फिर कुछ खा पीकर सो गया ।
लेखक की जुबानी
इधर राज अपनी मौसी के यहा कुछ नये अरमान लिये सपने सजो रहा था तो वही चमनपुरा मे दो जवाँ दिलो की आग भडक चुकी थी ।
सुबह उठने के बाद से अनुज राहुल से नजरे चुराते फिर रहा था । राहुल को इस बात का अंदाजा था और वो भी थोडा बहुत हिचक रहा था कि बहन तक कि बात तो ठिक थी लेकिन मा के लिए कैसे वो अनुज को फ़ेस करे ।
दोनो सुबह उठ कर छत पर बारी बारी फ्रेश होने के लिए गये । अनुज पहले पाखाने से बाहर आ गया तो राहुल उसके बाद गया ।
अनुज वही हाथ धुल कर ब्रश करने लगा कि इतने मे अनुज की मा बालटी मे कपड़ा लेके छत पर आ गयी ।
ढीली हल्की भीगी मैकसी और बालो मे चढा तौलिये का ताज बता रहा था कि रागिनी अभी अभी नहा कर हल्का फुल्का अपने जिस्मो को पोछ कर उपर से मैकसी पहन ली थी ।
ढीली मैक्सि मे उसके हिलते चुचे अनुज के चढ़ढे मे हलचल मचा चुके थे और इधर रागिनी बिना उसकी ओर देखे आगे बढ कर अरगन पर अपने कपडे डालने लगी।
वही अनुज ब्रश घुमाते हुए अपनी मा के पीछे खड़ा हो गया और अपने मा के गाड़ से चिपकी हुइ मैकसी ने उसके लण्ड की नसे और फड़का दी ।
इधर रागिनी ने बारी बारी से सारे कपडे फैला दिये और जब ब्रा पैंटी की बारी आई तो अनुज के हाथ ब्रश पर थम गये और नजरे फोक्सड हो गयी ।
उसकी मा ने अरगन मे चिमटी लगा कर अपने दोनो अंगवस्त्रो को वही हवा मे लहराने को छोड दिया और चुपचाप निचे जाने लगी
इधर अनुज की नजरे उस्के मा के पीछे से भीगी हुई मैस्की मे थिरकते कुल्हो पर जम गयी और उसके हाथ ने पल भर को अपने सुपाडे मे उभरती खुजली को रगड़ा ही थी कि पाखाने का दरवाजा खुला और राहुल बाहर निकल आया ।
राहुल से अपने भाव छिपाने के लिए अनुज फौरन घूम गया लेकिन राहुल ने भी बाहर निकलते हुए रागिनी के हिलते चुतड देख लिये और ये भी भाप गया कि अनुज क्या छिपाने मे लगा है ।
राहुल को जैसे मौका मिल गया और वो बेसिन पर हाथ धुलते हुए - भाई ये लण्ड की खुजली ऐसी ही है ,,, साला रिश्तो का फर्क नहीं पड़ता इसे
अनुज हिचक कर सफाई देते हुए - नही भाई मेरा ऐसा कोई इरादा नही है और हो भी तो मेरे घर मे कोई राजी नही होगा समझा ।
राहुल हस कर - तेरा पता नही लेकिन मेरा तो इरादा तो है कि मै अपनी मा को चोदने वाला हू ।
अनुज चौक कर - तु पागल हो गया है क्या ,,,अरे भाई हिलाने तक और निशा दीदी तक ठिक था ,,,अब और कुछ नही होगा आगे
राहुल - तू डरपोक है और तुझसे कुछ नही होगा ,, मै तो अपनी मा पर ट्राई करने वाला हू ,,, साला जिसको देखो मेरी मा के जिस्म को देख कर लार टपकता है और ना जाने कितने मूठ मार कर सो जाते होगे ,,अगर मैने कर लिया तो क्या हो जाएगा ।
अनुज अपनी भावनाओं को दबाते हुए - हा हा भाई तु कर ले ,, लेकिन मुझे इनसब मे मत घसीटना ठिक है ।
इधर इनकी ये सब बाते चल रही होती है कि वही अनुज के चाचा सुबह सुबह ही अपनी लाडो के गाड़ मे घुसे हुए थे
निशा - उह्ह्ह पापाहह सुबह सुबह भी आपको चैन नही आयह्ह्ह , दुसरी बार उठ कर चोद रहे हो मुझे उह्ह्ह्ह माअह्ह्ह
जंगीलाल - अरेह्ह बेटी अभी राहुल आ जायेगाह्ह्ह उम्म्ंम्ं तो कैसे चोद पाऊन्गा उम्म्ंम अह्ह्ह तो अभी चोद लेने देह्ह आह्ह
निशा - आह्ह पापाहहह आपकी रंडी बेटीहह हुउउऊ नाह्ह्ह उम्म्ंम सीईई तो जब चाहे चोद लेनाआह्ह अभी बहुत दर्द हो रहा है अह्ह्ह उम्म्ं
शालिनी - ओहो बस करो जी आप ,,, देखो चोद चोद के गाड लाल कर दी है उसकी आओ थोडा मुझ्से गर्मी निकाल लो ,,,
जन्गीलाल मुस्कुरा कर अपनी घोडी बनी हुई बेटी को छोडकर अपने बीवी के खुली जांघो के बीच जकर उसकी चुत मे धक्के लगाने लगता है ।
धीरे धीरे सब लोग अपने अपने काम के लिए निकल जाते है और अनुज भी अपने दुकान के लिए निकल जाता है । मगर उसके जहन मे उसके मा की छवि घूम रही होती है ।
दोपहर मे रागिनी उसके लिए खाना लेके आती है ।
अनुज अब थोडा खुद से ही अपनी मा से नजरे चुरा रहा होता है और कनअखियो से अपने मा के नरम पेट और ब्लाऊज मे कसे हुए चुचे निहार रहा होता है ।
उसे बडी उत्तेजना हो रही थी लेकिन वो राहुल जितना दिलेर नही था ।
उसके जहन मे अपने मा के लिए उत्तेजना भी थी और थोडी डर भी ।
हालकी वो राहुल के सुबह मे कहे हुए शब्दो से बहुत प्रभावित था कि " अगर बाहर के लोग हमारी मा बहनो के बारे मे सोच कर हिला सकते है तो हम क्यो नही "
अनुज के दिमाग मे अब यही चल रहा था कि कैसे वो अपनी मा को छुए । पहले तो वो बेहिचक उसे गले लगा लेता था लेकिन अब ना जाने क्यू उसे एक डर सा मह्सूस हो रहा था ।
बार बार उसके जहन मे अपने भैया राज की कही हुई बात याद आ रही थी कि अगर सम्बंध दो लोगो के सहमती से हो तो उसमे कोई बुराई नही है भले ही वो रिश्ते घर मे ही क्यो ना हो ।
बस यही एक दो बाते उसकी भावनाओ को बल दे रही थी और वो दुकान मे बैठा चुपचाप बस अपनी मा से नजदीकिया बढ़ाने के जुगाड़ खोज रहा था । इधर रागिनी भी काम मे ही लगी थी लेकिन जब अनुज ने काफी समय से कोई रेस्पोंस नही दिया तो उसकी ओर उस्का ध्यान गया
रागिनी अपने बेटे को गुमसुम और शांत देखकर फ़िकर मे उसके पास खड़ी होकर उसके बालो मे हाथ फेरते हुए - क्या हुआ अनुज ? ऐसे गुमसुम सा क्यू बैठा है ?
अनुज ने जैसे अचानक से अपने मा को अपने पास मह्सूस किया और उन्के हाथ का स्पर्श अपने बालो मे पाया ,,साथ ही उसके मा के जिस्मो की महक उसके नथनो मे समा गयी ,,,उसका लण्ड कड़क हो गया और पल भर मे ही वो सिहर गया और अगले ही पल एक डर फिर से उसके मन में छा गया ।
रागिनी - क्या हुआ बेटा बोल ?
अनुज को अपने मा के स्वाल का कोई जवाब नही सूझ रहा था कि वो क्या बोले ,,तभी उसे सोनल की शादी का सुझा और एक मस्त आइडिया भी ।
अनुज ने फौरन वही स्टूल पर बैठे हुए ही अपने बगल मे खड़ी हुई मा को हग कर लिया और अपना चेहरा उसके नाजुक पेट पर रख कर अपने हाथो को उसके नरम नरम कूल्हो पर कसते हुए बोला ।
अनुज - मा वो मुझे सोनल दीदी को लेके अच्छा नही लग रहा है । शादी के बाद वो चली जायेगी ना
रागिनी हस कर अपने बेटे के सर को सहलाते हुए - धत वो यही पास मे ही जा रही है तु भी ना ,,,जब चाहे मिल लेना उससे
अनुज - हा लेकिन फिर भी मुझे अच्छा नही लग रहा है पता नही क्यू
रागिनी - अरे मेरा बच्चा ,, आज नही तो कल उसे अपने घर जाना ही है ना और दुख मुझे भी है लेकिन यही दुनिया की रीत रही है ।
अनुज कुछ पल ऐसे ही चिपके हुए अपनी मा को बातो मे उलझाये रखा और अपने हाथों को अपनी मा के कूल्हो पर फिरात रहा ,,जब तक कि एक ग्राहक की दस्तक ना हो गयी ।
फिर रागिनी थोडे टाईम बाद वहा से निकल कर अपने होने वाली समधन के घर की ओर चल दी ,,क्योकि बीती रात उसके पति ने कुछ डिमाण्ड की थी और रागिनी ने ममता से एक खास समय पुछ कर ही उसके यहा जाने का तय किया था ताकी उस समय घर पर कोई मर्द ना हो
थोडे ही समय में रागिनी ममता के कमरे मे थी और ममता उसकी आवभगत मे लगी थी
ममता - हा तो ब्तातिये भाभीजी , क्या जरुरी चीज़ जानना था आपको
रागिनी हस कर - बस आपके समधि जी की शिफारिस लेके आई हू एक
ममता - ओहो भाईसाहब की बात कैसे मना कर सकती हू ,,कहिये कहिये
रागिनी - दरअसल उन्हे आपके ब्रा पैंटी का साइज़ जानना है
ममता चौक कर हस्ती हुई - क्याआआ हिहिही धत्त भाभी आप भी ना ,,,कैसे ये सब बोल जाती है ।
रागिनी हस कर बात घुमाते हुए - हिहिहिही अरे भाभी मजाक कर रही हू ,,,वो क्या है सगुन मे आपके कपडे आ रहे है तो सोनल ने कहा कि आपसे आपके अन्दर के कपड़ो की नाप पुछ लू ,, ताकी आपके नाप के वो लिये जा सके
ममता हस कर - हिहिहिही क्या आप लोग भी ना ,,, ये सब कोई देता है भला और मेरे नाप का तो यहा मिलेगा भी नही ,,मै तो बडे शहर से ही लाती हू
रागिनी अपनी समधन को छेड़ते हुए - अरे तो उसमे क्या है आपके समधि जी को भेज दूंगी लेते आयेंगे हिहिहिही
ममता शर्म से लाल होती हुई - धत्त भाभी आप भी ना
रागिनी - अरे आप नाप बताईये हिहिहिही मै बाकी मैनेज कर लूंगी
ममता हस कर थोडा झिझकते हुए - वो 44DD और निचे का ?
रागिनी - निचे का कितना ? बोलिए
ममता हस कर - वो साइज़ की झंझट की वजह से मैने काफी सालो से निचे पहनना छोड दिया है ।
रागिनी - अरे फिर भी आपके हिसाब से कितना होगा
ममता उल्झ्ती हूई- अह रहने दीजिये ना भाभी ,,काफी समय हो गया अब याद भी नही है आप वही एक कर देना
रागिनी हस्ती हुई - अरे ऐसे कैसे ,,, लोग क्या कहेंगे कि मैने अपने संधन को अपनी बेटी की शादी मे पेतिकोट ब्लाउज साड़ी पहनाई , सोहल सृंगार करवाया यहा तक कि बडे शहर से नाप की ब्रा भी मग्वाई लेकिन एक कच्छी नही पहना सकी
ममता रागिनी की बाते सुन कर खिलखिला कर हसने लगी और बोली - हिहिहिही अच्छा बाबा रुको मै मेरी एक पुरानी पैंटी निकाल कर देती हू उसके हिसाब से साइज़ देख लेना
रागिनी हसते हुए सहमती देती है और ममता के कमरे मे लगे उसके तस्वीरो को देखने लग जाती है ।
कुछ तस्वीरे शादी के समय की थी कुछ अमन के जन्म की तो कुछ बाद की ।
सबमे समय के साथ ममता के जिस्म मे हुई बढत साफ दिख रही थी और ऐसे मे रागिनी को ममता को छेड़ने का मौका मिल गया
रागिनी - वैसे भाभी आप शादी के समय तो बहुत पतली थी लग रहा है भाईसाहब ने बड़ी मेहनत की है क्यो
ममता आलमारी से हट कर रागिनी के साथ उन तस्वीरो के पास खड़ी हो कर हसती हुई - क्या भाभी आप भी ना ,,अरे बच्चे होने के बाद तो सबका शरिर भागता है
रागिनी ने मस्ती को आगे बढाते हुए ममता के सूट के उपर से उसके मोटे रसिले चुचे पकडते हुए - तो मतलब ये सब हमारे दामाद बाबू ने अकेले चुस चुस कर बड़ा कर दिये उम्म्ंम
ममता अपने स्तनो पर रागिनी का स्पर्श पाकर सिसकी और खिल्खिलाते हुए उससे छुट कर - धत भाभी हिहिहिही आप भी ना
बस मुझे परेशान करने के ताख मे लगी रहती है ।
रागिनी हस के ममता के उभरे हुए कूल्हो को सहलाते हुए - अरे तो बता दो ना इनको इतना बड़ा करने मे किसका हाथ है , अकेले भाई साहब के बस का लगता नही
ममता शर्म से लाल हूइ जा रही थी और हस रही थी ।
रागिनी उसे और भी छेड़ते हुए - कही देवर जी ने भी इसिलिए शादी नही की उम्म्ंम
ममता लाज से हस्ती हुई आल्मारि मे वापस से अपनी पैंटी खोजने लगी - क्या भाभी आप भी ना ,,,,कैसी बाते कर रही है
रागिनी उसके पीछे थोडी दुरी लेके खड़ी होकर उसके भारी भारी चुतडो को निहारते हुए - मुझे तो लग रहा है ये खेत दोनों बैलो ने मिल कर ही जोता है
ममता समझ गयी कि आज उसकी संधन को मौका मिल गया है उसे छेड़ने का तो इससे बाज नही आने वाली लेकिन वो समधन ही क्या जो पलटवार के छोड दे
ममता हस कर - तो आओ कभी आप भी जोतवा ही लो ,,क्यू
रागिनी चहकी और बोली - नाह जी इस उम्र मे अब तो मेरे घर साड़ ही अकेले सम्भाला नही जा ,,,मै तो सोच रही थी कि अपनी नयी समधन के साथ मिल कर उसे काबू मे ले आऊ
ममता लाज से पानी पानी हो गयी और हस्ते हुए - अच्छा बाबा गलती हो गई जो आपसे भिड़ने चली मै हिहिहिही आपसे कोई नही जीत सकता ,,,,ये लिजिए
ममता ने रागिनी को अपनी एक पुरानी पैंटी दी
रागिनी हस कर उसे फैला कर देखते हुए - अरे भाभी ये तो काफी पुरानी है जरा इधर आओ घूमो तो मै नाप लू
ममता हस कर - अरे नाप आगे से लेते है ना हिहिही
रागिनी हस कर - अरे आगे से तो ठिक है होगा लेकिन कम्बखत ये कपडे चुतडो पर सही से चढ़ते कहा है
ममता हस कर घूमते हुए - अच्छा ठिक है
फिर रागिनी मे उस पैंटी को फैला कर ममता के कूल्हो को अंदाज और 46 नम्बर का साइज़ तय किया
फिर उनकी थोडी तैयारियो को लेके बाते हुई और फिर रागिनी अपने घर के लिए निकल गयी ।
राज की जुबानी
शाम को मौसी ने मुझे जगाया और फ्रेश होकर बाहर आने को कहा क्योकि रमन भैया और मौसा दुकान से घर आ गये थे ।
मैने अंगड़ाई ली और कुल्हे मटकाकर कमरे से बाहर जाती हुई मौसी को देखा , मेरा लंड तुरंत लोवर मे तन गया ।
साथ मौसी के साथ की मेरी प्लानिंग भी याद आ गयी जिससे लण्ड की नसे और भी फड़क हुई और मै पूरी तरह से गनगना गया ।
उठ कर फ्रेश होने गया और मुह हाथ धुल कर बाहर आया लेकिन रमन भैया और मौसी की चुदाई देखने की चसक ने मेरे लण्ड को बैठने ही नही दिया ।
मै वैसे ही लोवर मे अपने लण्ड को एडजस्ट करता हुआ हाथ से दबाता हुआ बाहर हाल मे आया ।
सामने सोफे पर मौसा और रमन भैया बैठे हुए थे और किचन से मौसी और भाभी की आवाज आ रही थी ।
मैने मौसा और रमन भैया को नमस्ते किया और दोनो की नजरे मेरे बाये हाथ पर गयी जिससे मै अपना लण्ड सेट कर रहा था ।
मुझे जैसे ही इस बात का आभास हुआ मै शर्म से पानी पानी हो गया । और वही मौसा के बगल मे बैठ गया ।
जैसे ही उनके मे बैठ कर मै उन्से बात करने के लिए कुछ कहता कि मेरी नजर सामने किचन मे खड़ी रीना भाभी पर गयी जो कुर्ती और लेगी मे खड़ी होकर नासता बना रही थी और उन्के कुल्हे का उभार उनकी
कुरती को उठा रखा था और गाड़ पर उनकी कच्छी का वी शेप साफ दिख रहा था ।
मै समझ गया कि घर के इस नये माल के खिलते जोबनो पर मौसा की नजर पड चुकी है और वो बस मौका तालाश रहे है ।
इधर हमारी बाते चल रही थी कि मौसी एक ढीली मैकसी पहने हुए किचन से बाहर आई
उमके हिलते चुचो को देख कर लग रहा था कि शाम को नहाने के बाद उन्होने उपर से सिर्फ एक सिल्क की मैक्सि डाल ली थी । जिससे सामने से उनके थन जैसे चुचो के मोटे अंगूर से निप्प्ल साफ दिख रहे थे ।
हम तीनो की नजर भी मौसी के हिलते हुए तरबूज जैसे चुचो पर गयी और तीनो के लण्ड ठुमक उठे ।
मैने हौले से अपना पहले से खड़ा लण्ड हाथ से दबाया और मुस्कुराते हुए मौसा की ओर देखा तो वो भी अपने लण
लण्ड को सेट करते हुए मुस्करा दिये ।
फिर मौसी ने हम सब को चाय पीने के लिए दी और फिर मौसा को अपने साथ उपर चलाने को कहा
मै समझ गया कि मौसी ने अपना प्लान शुरु कर दिया है , इधर मै और रमन भैया सोनल की शादी को लेके बाते करने लगे । लेकिन बीच बीच मे मेरा ध्यान किचन मे काम कर रही रीना भाभी के चर्बीदार गाड़ पर जा रही थी , जिसे रमन भैया भी नोटिस कर रहे थे ।
थोडे ही देर मे मौसा एक झोला लेके निचे उतरते है।
मौसा - अरे रमन बेटा,,जरा उपर जा तेरी मा को कुछ मदद चाहिये
रमन - आप इस समय कहा जा रहे है पापा
मौसा थोडा झिझक कर - वो तेरी मा के कुछ कपडे है उन्हे एक जगह सिलने के लिए देना है इसिलिए
रमन - अच्छा ठिक है
फिर रमन भैया मुझे वही बैठने का बोल कर उपर चले गये और मौसा जी एक नजर किचन मे काम करती अपनी बहू के कूल्हो पर मारकर बाहर निकल गये ।
इधर मैने सोचा कि अभी रमन भैया और मौसी को थोडा समय तो लगेगा ही शुरु करने मे , तो क्यो ना थोडा भाभी से मेल मिलाप हो जाये
मै उठ कर खड़ा हुआ और अपना लण्ड सेट करता हुआ किचन मे भाभी के पास खड़ा हो गया और जैसे ही मेरी नजर उन्की ओर गयी , मेरा लण्ड और भी ख्दा हो गया ।
क्योकि शादी के बाद से अब तक भाभी की चुचिया काफी ज्यादा फूल गयी थी जिससे कुर्ती के गले उन्के चुचो की घाटी बहुत ही गुदाज और लम्बी दिख रही थी ।
मै उनकी उभरी हुई चुचियो के लकीरो को देख कर थुक गटकता हुआ - क्या बना रही हो भाभी ,,,अपने प्यारे देवर के लिए
रीना हस कर मेरी ओर घूमी और बोली - हम्म्म ये तो मेरे प्यारे देवर जी बतायेंगे तब ना कि उनको क्या खाना है
मेरी नजरे अभी भी भाभी के चुचो के उभारो पर थी और उन्हे घुरता हुआ - आप कुछ भी देदो भाभी सब कुछ अच्छा ही तो है
भाभी जब मेरा मतलब नही समझ पाई तो उन्होने मेरि नजरो का पीछा किया और शर्म से लाल हो गयी ।
वो फटाक से अपना दुपट्टा सही करते हुए बोली - अभी इस टाईम का प्रोगाम फिक्स हो गया है,,, कल सुबह मे जो कहोगे वो बना दूँगी । अभी बाहर बैठो यहा गर्मी बहुत है ।
मै भाभी के गले से रिस्ते पसीने को उन्के कुर्ती के गले मे जाता हुआ देखकर - हा भाभी गर्मी सच मे बहुत ज्यादा है ।
तभी मुझे मौसी की याद आई
मै - मै मेरे कमरे मे हू भाभी , खाना हो जाये तो बोल देना
भाभी शर्म से मुस्करा कर - ठिक है
फिर मै मेरे किचन से बाहर आया और चुपचाप सीढियो से उपर जाने लगा
ये कल्पना करते हुए कि उपर कमरे का मस्त नजारा होगा ,,,जब मा बेटे दरवाजा खोल के चुदाई कर रहे होगे ।
मगर जैसे ही मै आखिर की सीढियो पर पहुचा , मेरी हालत खराब हो गयी । मेरा लण्ड पल भर मे ही सिकुड़ कर आधा हो गया ।
क्योकि सामने मौसी के कमरे के बाहर दरवाजे पर मौसा जी खडे थे जो फटी हुई आंखो से कमरे का नजारा देख रहे थे ।
मेरी फटी पडी थी कि आगे क्या होगा , समझ ही नही आ रहा था कि क्या करु ।
आज मेरी नादानी की वजह से मौसी बेचारी बुरी तरह से फस गयी थी, ना जाने आगे क्या होने वाला था ।
लेकिन मुझे समझ नही आ रहा था कि मौसा जी कब वापस आ गए और उपर चले आये ।
तभी मौसा ने मेरी ओर देखा और हम दोनो की नजरे मिली । अन्दर कमरे मे भले मौसी और रमन भैया की चुदाई चल रही थी लेकिन फटी हुई मेरी थी ।
लेकिन जैसे ही मौसा ने मुझे सीढियो से उपर आते देखा उनकी आंखे फैल गयी और वो अपना लण्ड सेट करते हुए माथे से पसीना पोछने लगे ।
बस यही वो पल था कि मेरा दिमाग ठनका कि मौसा जी को इतना सब होने के बाद भी अपने परिवार की फिकर है ।
मै कुछ सोचा और एक गहरी सास लेके मुस्कुराता हुआ उपर छत पर मौसा की ओर बढ़ने लगा ।
मौसा कभी मुझे अपनी ओर आता देखते तो कभी नजरे तिरछी करके कमरे की रासलीला ।
इससे पहले मौसा जी कुछ बोलते मै उनके पास पहुच गया
और कमरे झान्कते हुए - यहा क्यू खडे हो आप मौसा ?
मौसा ने फौरन मेरे मुह पर हाथ रख दिया और चुप रहने का इशारा किया
वही मैने अन्दर का नजारा देखा तो मौसी अपनी मैक्सि उठाए हुए जान्घे खोल कर लेटी है
और रमन भैया पैंट खोल कर सटासट अपना लण्ड मौसी की चुत में डाले जा रहे थे ।
मै आवाक होने का नाटक किया और मौसा की ओर देखा ।
हम दोनो की नजरे मिली ।
फिर मै जानबुझ कर मुह फेर कर किनारे सीढि की ओर जाने लगा ।
मौसा जी को थोडा डर लगा और वो मेरी ओर लपके
मौसा - बेटा राज सुनो , देखो ये सब हमारे बीच ही रहे तो अच्छा है ।
मै चुप रहा
मौसा मेरे पास आकर धीरे से - बेटा तु मुझसे वादा कर ,,,ये सब किसी से नही कहेगा।
मैने हा मे सर हिलाया - हा लेकिन मौसी रमन भैया के साथ , ये कैसे ?
मौसा - बेटा समझ तो मुझे भी नही आ रहा है , इसके लिए मुझे तेरी मौसी से बात करनी पड़ेगी ।
मै - हा मौसा ,,, अच्छा हुआ कि हम दोनो ने ही देखा ,,कही भाभी ने देख लिया होता तो बहुत दिक्कत हो जाती ।
मौसा - हा बेटा तु सही कह रहा है , चल निचे चलते है ।
मै उनके साथ वापस निचे जाने लगा - लेकिन आप तो बाहर गये थे तो इतनी जल्दी वाप्स कैसे आ गये ।
मौसा - अरे बेटा जिनके यहा तेरी मौसी ने मुझे ये कपडे देने के लिए भेजा उनके हसबैंड यही चौराहे पर मिल गये तो मै उन्हे ही देकर वापस आ गया और यहा देखा तो ।
मै - आप उदास ना होईये मौसा जी , हम दोनो मौसी से इस मुड्दे पर बात करेंगे ।
मौसा चौक कर मुझे देखते हुए - बेटा तु कैसे ?
मै - हा मेरा रहना जरुरी है नही तो आपकी हालात जैसी थी उपर मुझे नही लगता कि आप कुछ पुछ भी पाओगे ।
मौसा थोडा सा सोचते हुए - हम्म्म बात तो सही कह रहा है तु बेटा , ये बता करना क्या है अब ?
मै और मौसा हाल मे आ चुके थे तो मै उन्हे अपने कमरे की ओर चलने को कहता हू ।
मै - देखीये इसके लिए जरुरी है कि मौसी और रमन भैया दोनो ही एक साथ हो और उनसे बात की जाये बैठ कर
मौसा - हा लेकिन बहू भी तो है घर मे
मै - हा इसिलिए तो ये बातचित आज रात मे ही होगी जब भाभी सो जाये तब ।
मै - पहले मै और आप मौसी से सारी बाते निकलवा लेंगे और फिर रमन भैया को भी समझाया देंगे ।
मौसा - हम्म्म सही कह रहा है तु बेटा,,, लेकिन अगर रज्जो ने इन्कार कर दिया तो
मेरे दिमाग की बत्ती जली
मै - ऐसा करता हू आप यही रहिये ,,मै उपर जाकर धीरे से उनकी रिकार्डिंग कर लेता हू
मौसा ने बडे ही उखड़े मन से बेबस होकर सहमती दिखाई और मै लपक कर उपर चला गया ।
कमरे के दरवाजे पर पहुच कर मैने मोबाईल खोला और रिकार्डिंग शुरु कर दी ।
करीब 5 मिंट की रिकार्डिंग के बाद मै अपना लण्ड मस्लता हुआ निचे कमरे में वापस आ गया ,,जहा मौसा कमरे मे चक्कर लगाते हुए परेशान थे ।
जैसे ही मै कमरे मे घुसा ।
मौसा मुझे देखकर - हो गया बेटा
मै मुस्करा कर - हा हो गया मौसा
मौसा ने फिर मेरे लोवर मे तने हुए लण्ड को देखा तो मै थोडा शर्म से लाल होने लगा ।
मै - सॉरी मौसा जी वो वहा का सिन ही ऐसा था कि ....।
मौसा मेरी बात काटते हुए - कोई बात नही बेटा,,,ला दे मुझे दिखा
मै खुश होकर मोबाईल खोला और वो वीडियो प्ले कर दिया
जहा रमन भैया मौसी को को पुरा नंगा किये घोडी बनाये हुए खचाखच पेल रहे थे और मौसी मादक सिसकिया ले रही थी ।
मौसी - ओह्ह लल्ला और हुमच के पेल उह्ह्ह्ह अह्ह्ह ऐसे ही उम्म्ंम
रमन भैया - आह्ह मम्मीईई ऊहह आपको चोदने मे बहुत ही मजा है ओह्ह्ह
मौसी - हा लल्ला चोद उह्ह्ह और चोद उम्म्ं मुझे भी तेरे लण्ड से बहुत मजा आता है अह्ह्ह कितने दिनो बाद आज तुझसे चुद रही हू उम्म्ंम्ं शादी के बाद से तु तो मुझे भूल ही गया अहहहह ओह्ह्ह्ह और तेज मार बेटा उह्ह्ह
रमन भैया - आह्ह मा क्या करू ,,,तुने इतनी गरम बहू लाकर दी है उह्ह्ह साली बहुत चुदवाति है उह्ह्ह्ह निचोड लेती है उह्ह्ह्ह
रमन भैया की बाते सुन कर मेरे और मौसा दोनो के जहन मे रीना भाभी की छवि उभरी और उनके गुदाज कुल्हे पर चढ़ी हुई पैंटी का उभार भी ।
फिर मौसा ने मुझे देखते हुए - रहने दे बेटा मुझसे नही देखा जायेगा , बंद कर दे इसे ।
मैने मोबाइल बन्द कर दिया और फिर एक नजर मौसा के पाजामे मे खडे हुए लण्ड पर मारा ।
मौसा ने भी मेरी नजरो का पीछा किया और उनको खुद पर थोडा शर्मिंदी होने लगी ।
मै मुस्करा कर - अरे कोई बात नही मौसा जी ,,ये सब नोर्मल है ।
मौसा - हा बेटा तेरी बात सही है और तू सच मे बहुत ही होनहार लड़का है ।
मै - वो सब छोडिए और ये सोचिये कि आगे क्या करना है ।
मौसा जी थोडा रुआब मे आकर एक गहरी सास ली और बोले - बेटा करना क्या है , अब तो सीधा तेरी मौसी से सवाल जवाब होगा ।
मै - हा लेकिन ऐसे तैस मे आकर हमे कोई बहस नही करनी है ,, ध्यान रहे कि बगल के कमरे मे भाभी भी सो रही होगी ।
मौसा जी - हा बेटा ,,, अच्छा रहेगा कि तू भी साथ रहेगा । नही तो अगर मुझे कोई सही जवाब नही मिला तो मै तो अपना गुस्सा खो दूँगा ।
मै मन ही मन में- देखो कैसे मेरे सामने नाटक कर रहा
और अभी कुछ दिन पहले अपने ही बहनोई के साथ मिल कर अपनी बीवी चोद रहा था ।
मै - हा मौसा जी मै ध्यान रखुन्गा
फिर हम लोग हाल मे वापस आ गये और थोडी देर बाद खाना पीना होने लगा ।
मै किसी भी तरह से मौसी को आगाह कर देना चाहता था ।
इसिलिए मै मौसी को इशारे कर रहा था और वो ना जाने क्यू मुस्कुरा रही थी ,,,वही मौसा मेरे सामने बिना कोई प्रतिक्रिया के देख रहे थे ।
एक दो बार मै किचन मे गया और फिर भी काम नही बना
आखिर मे जब सबने ने खाना खा लिया तो सारे लोग उपर चले गये और भाभी मौसी ही किचन मे रह गयी । मेरा कमरा निचे था तो मैने इशारे से मौसी को बुलाया और वो इतराते हुए मेरे पास आई
मौसी - क्या हुआ अब ,,कर तो दिया तेरे मन का अब खुश है ना ?
मै - अरे मौसी एक गड़बड़ हो गयी है ,,,मेरे साथ साथ मौसा ने भी आपको और रमन भैया को देख लिया है
मौसी थोडा सकपकाई - लेकिन मैने तो उन्हे बाजार भेजा था ना
फिर मैने मौसी को सारी बात बताई कि कैसे मैने मौसा को मैनेज किया और अभी वो थोडी देर बाद आपसे बात करने वाले है ।
मौसी को राहत हुई और वो मुस्कुरा कर बोली - कोई बात नही मै देख लूंगी ,,तू उसकी फिकर ना कर
मै हस कर - तो क्या अब मौसा और रमन भैया दोनो के साथ चुदने का प्लान है क्या ?
मौसी हस्ते हुए एक नजर किचन मे भाभी को काम करते हुए देखा और फिर बोली - धत्त नही रे , मै तो तेरे साथ सोच रही थी ।
मौसी की बात सुन कर मेरा लण्ड फड़फडा उठा कि कैसा नजारा होगा जब मै और मौसा मिल कर मौसी को चोदेंन्गे ।
मै चहककर - सच मे मौसी ,,,ऐसा हो जाये तो मजा ही आ जाये ।
मौसी - देखते है क्या बात बनती है हिहिहिही
मै - ओके आप उपर कमरे मे जाओ ,,मै मौसा के बुलाने पर ही उपर आऊंगा
फिर मौसी उपर अपने कमरे मे चली जाती है और भाभी किचन का काम करके अपने कमरे मे चली जाती है ।मै भी अपने लण्ड को लोवर मे दबाता हुआ अपने कमरे मे चला जाता हू।
वहा भी मेरी बेचैनी खतम नही होती है,,,जबतक कि मौसा जी का फोन नही आ जाता ।
मै खुशी से चहका और दबे पाव मगर तेज गति से सीढियो से उपर मौसा के कमरे के पास पहुच गया ।
कमरे का माहौल चुप्पी भरा था और मै भी गम्भीरता दिखाते हुए शांत हो कर कमरे मे गया ।
मै
- जी मौसा आपने बुलाया
मौसा अपने चेहरे के भाव गम्भीर करते हुए - हा बेटा आओ बैठो
मौसी भी इस समय थोडी शांत थी तो मेरे मन में थोडा भय सा होने लगा था ।
मैने एक नजर मौसी को देखा और फिर एक सिंगल सोफे पर बैठ गया , बगल मे बडे सोफे पर मौसी और मौसा बैठे थे ।
मौसा थोडा गुस्सा दिखाते हुए - बेटा तेरा मोबाइल निकाल और वो अपनी मौसी को दिखा जो तुने मुझे दिखाया था।
मै अब भी थोडा डर रहा था लेकिन मौसी के उपर मुझे पुरा भरोसा था कि वो बात बिगड़ने नही देन्गी ।
मैने जेब से मोबाइल निकाला और अपनी जगह से उठ कर मौसी के बगल मे खाली जगह पर बैठ गया । अब मौसी मेरे और मौसा के बीच मे थी ।
मै जेब से मोबाइल निकाला और आवाज कम करते हुए वही वीडियो प्ले कर दिया वही से जहा तक मैने और मौसा ने देखा था
वीडियो की कामुक और लण्ड खड़ा कर देने वाली सिसकिया सुनने के बाद भी मेरा और मौसा का ध्यान मौसी के चेहरे पर था कि वो क्या प्रतिक्रिया देने वाली है ।
मेरा दिल जोरो से धडक रहा है ।
तभी मौसा ने सवाल किया - क्यो अब भी तुम कहोगी कि तुमने ऐसा कुछ नही किया ।
इस पर मौसी हस दी - लेकिन ये वीडियो कब बन गयी
मौसी के हसने पे मौसा थोडा रोब दिखाने लगे - तुम्हे ये सब मजाक लग रहा है,,, ये सब पाप है रमन की मा । तुमने अपने ही बेटे के साथ ये सब छीई
मौसी मानो इस वक़्त का इंतज़ार कर रही थी और वो तपाक से बोली - अच्छा मै अगर अपने हालातो से मजबुर होकर एक फैसला ले लिया तो पाप हो गया और आपने जो किया था वो
मौसा चौके और मेरी ओर देखकर हकलाने लगे - क क क्या ? मैने क्या किया ।
मौसी तुनक कर - भूल गये ,,,रमन की शादी के समय कैसे अपनी बहन को चोदने के लिए मुझे अपने नंदोई के साथ सोने के लिए कहा था ।
मौसी की बाते सुन कर मैने मौसा की ओर बडी बडी और अचरज भरी आंखो से देखा कि क्या मौसी जो कह रही हौ वो सच है ।
मौसी की दिल की धड़कन तेज हो गयी थी और उनका चेहरा पिला पडने लगा था ।
मौसी फिर से तन्ज कसते हुए - क्यू तब आपको नही समझ आया कि वहा भी पाप और पुण्य का लेखा जोखा किया जायेगा ,,, तब तो आप अपनी बहन के चुतडो के दीवाने बने फिर रहे थे ।
मौसा जी थुक गटक कर शर्म से नजरे झुका कर - रज्जो तुम ये सब बात क्यू ?
मौसी - क्यो ना कहू ? आखिर मेरे इस फैसले को लेके भी तो आप ही जिम्मेदार है ?
मौसा - मै , लेकिन कैसे ?
मौसी उदास होकर - शादी के इतने साल से आप और मै एक साथ है । मेरे जरुरतो के बारे मे जानते हुए भी आपने मुझे और रमन को शहर से यहा भेज दिया । मै क्या करती ? रमन तब जवाँ हो चुका था और इस छोटे से घर मे बस मै और वो भी रह रहे थे । ना जाने कब वो जिस्मो की ओर आकर्षित हो गया और उसने हस्तमैथुन शुरु कर दिया । जैसा भी था हमारा इकलौता बेटा था और आखिर कब तक उसे मै अपनी जिन्दगी बरबाद करने देती ,,, फिर मैने उसे सिखाना शुरु किया और एक दिन मेरी जरूरते ही मुझ पर हावी होने लगी और मै उसके साथ बहक गयी ।
मौसा आवाक होकर सुन रहे थे और अभी कुछ बोलने ही जा रहे थे कि मौसी आगे बोल पडी - इसिलिए बस इसिलिए कि मै कही न कही आपसे छिप कर एक गैर से हम बिस्तर हुई हू तो मै आपके खुशी के लिए नंदोई जी के साथ वो सब करने को तैयार हुई थी । ताकि मेरे दिल पर कोई बोझ ना बने ।
मौसा सारी बाते सुन कर चुप थे और मै मन ही मन ये सोच कर हस रहा था कि मेरी मौसी एक नम्बर की चुद्क्क्ड के साथ साथ कितनी बडी ड्रामे बाज है
इस सब बातो को सुन कर जहा मौसा थोडा उलझे हुए लग रहे थे वही मेरा लण्ड अब फिर से कसने लगा था कि मौसी कैसे मौसा को लपेट रही है ।
मौसा उखड़कर - हा लेकिन फिर मेरा दिल मानने को तैयार नही हो रहा है कि हमारा बेटा रमन जो कि इतना सीधा है वो अपनी ही मा के लिए कैसे आकर्षित हो सकता है ।
मौसी हस कर - अब क्या इतनी भी बुढ़ी हो गयी हू मै कि लोग मुझे देख कर आकर्षित नही होगे
मौसा मौसी की बात पर हस दिये - अरे नही मेरी जान वो बात नही है ,,, तुम्हे देख कर तो ....।
मौसा बात को आधा रखते हुए ही मेरी ओर देखे और बस हस कर रह गये ।
मेरी ही हल्की हसी छुट गयी ।
मौसी मुस्कुरा कर - मुझे देख कर क्या ? आगे बोलिए ।
मौसा - अरे यार क्या कह रही हो ,,,राज हमारे बेटे जैसा है । मै उसके सामने कैसे बोल सकता हू
मौसी तुनक कर - अच्छा उसके सामने मुझे शर्मिंदा करने के लिए मेरी ही वीडियो चला सकते है आप और मुझे जो सुन कर अच्छा मह्सूस होगा वो नही बोल सकते है ।
मौसी नाराज होने के भाव - यही कहना चाहते है ना आप
देखते ही देखते मौसी ने सारि बाजी अपने पक्ष मे ले ली थी और मौसा को इमोसनली अपने लपेटे मे ले लिया ।
मौसा जी मेरे सामने हिचक रहे थे और मै भी उन्के सामने थोडा शर्मिंदगी मह्सूस कर रहा था कि ना जाने वो मौसी के बारे मे क्या सेक्सी सा बोलने वाले है ।
मौसा मौसी के कन्धे पर हाथ रख कर - ओहो जान तुम तो नाराज हो गयी ,,,
मौसी उखड़े हुए स्वर मे उनका हाथ हटाते हुए - नही छोडिए आप , रहने दीजिये , कुछ मत कहिये
मौसा ने एक नजर बडी बेबस भरी हसी से मुझे देखा और हस्ते हुए बोले - अरे मेरी जाँ मै तो ये कह रहा था कि तुम्हे देख कर तो बूढ़ो के धोती मे भी टेन्ट बन जाये वो तो मेरा बेटा जवाँ था ,,,,हाहाहहहा
मौसा ने ऐसे खुले शब्दो मे बोला की मुझे बहुत शर्मिंदा होना पड गया और लण्ड लोवर मे पूरी तरह से तन चुका था । जिस पर मौसा की नजर पड चुकी थी ।
मौसा ने देखा कि मौसी अभी इतने पर भी मान नही रही है तो वो मेरे लोवर मे तने हुए लण्ड की ओर मौसी को दिखाते हुए - यकीन ना हो तो राज का ही हाल देख लो
मेरी आंखे फैल गयी और मै मौसा को देखा ।
मौसा हस कर - जब से उसने कमरे मे तुम्हारि और रमन की .....। हिहिहीही तब से बेचारा कितना परेशान है ,
मौसा इतने पर भी नही रुके और मुझे देख कर - राज बेटा,,,जरा खड़ा होना तो
मुझे बहुत ही अजीब सा मह्सूस हो रहा था और मै शर्म से सर झुकाये खड़ा हो गया ।
मेरा लण्ड लोवर मे तना हुआ था ।
मौसी ने तिरछी नजरो से मेरे लण्ड को देखा और इतराते हुए मुस्कुरा दी ।
मुझे समझ नही आ रहा था कि अगला स्टेप क्या होने वाला है । कमरे मे एक चुप्पी सी थी और मै कोई प्रदर्शनी के जैसे वहा खड़ा था । मुझे इतनी शर्मीनगी कभी नही हुई थी
इसिलिए मैने मौसा से कहा - मौसा अब मै जाऊ
मौसा जो कि अब कोई बहस या झगड़ा करने के मूड मे नही थे वो खुश होकर बोले - हा बेटा जा रात बहुत हो गयी है तु आराम कर ले । हमारी वजह से तु काफी परेशान हो गया है ।
मै हा मे सर हिला कर और दरवाजे की ओर घुमा कि मौसी ने रोका
मौसी - रुक बेटा अभी ,,,
मौसी मौसा से - क्या जी आप उसे ऐसे भेज रहे है ,,,इतना सब होने के बाद आपको लगता है कि वो सो पायेगा और वो करीब 3 घन्टे से परेशान भी है ।
मौसी ने मेरे लोवर मे तने हुए लण्ड की ओर देखा कर बोला ।
मौसा थोडे उल्झे और बोले - तो अब क्या करे जानू ,,, परेशान तो तबसे मै भी हू । ये देखो
ये कहके मौसा जी भी खडे हो गये और उनके पाजमे के तना हुआ मुसल साफ दिखने लगा ।
मौसी इतरा कर - देखीये आपका नही पता मुझे ,,,लेकिन मै मेरे लल्ला को ऐसे नही परेशान रहने दूँगी ।
मौसा थोडा चौके कि मौसी क्या करने को कह रही है इसिलिए वो मौसी के पास जाकर हल्की आवाज मे बाते करने लगे लेकिन मुझे सब साफ साफ सुनाई दे रहा था ।
मौसा - जानू ये क्या कह रही हो ,,, तो क्या तुम राज से भी वो सब
मौसी धीमी आवाज मे - अरे आप समझ नही रहे है ,, वो अभी लड़का है अगर अभी उसे हमने शामिल नही किया तो बाद क्या पता लड़कपन मे कही बात उगल दे
मौसा थोडा चुप हुए और एक नजर मुझे देख कर फिर से मौसी से धीमी आवाज मे - तब क्या करोगी
मौसी थोडा गम्भीरता से - मै सोच रही हू कि इसका नुनु शांत करवा कर ,,मतलब हिला चुस कर इसे सुला दू ।
मौसा - ओह्ह
मौसी फिर मुस्कुराते हुए - उसके बाद आप चाहे तो मुझे मेरी गलती की जो चाहे सजा दे सकते है हिहिहिही
मौसा का दिल गदगद हो गया और वो पूरी तरह से मौसी के जाल मे फस चुके थे ।
मौसा - हम्म्म ठिक है जैसा तुम सही समझो ,,लेकिन तबतक मै क्या करु
मौसी हस के - तबतक आप एक दो पैग बना लो ,,,आपका भी मूड बन जायेगा
मौसा ये आफर सुन कर फुले नही समाए और मौसी के गाल चुमते हुए बोले - वाह मेरी जाँ आज तो मजा ही आ जायेगा ।
मौसी हस कर - तो मेरे राजा आज अपनी इस प्यारी बीवी के जलवे देखो और मजे लो
मौसा मुस्कुरा कर - साली तु सच मे बडी रन्डी है
मौसी - तो देख्ना है ना मेरा जलवा कि बाहर रहना है हिहिहिहो
मौसा उत्साहित होकर - नही नही मुझे देखना है और जरा बच्चे को अच्छे से खुश कर देना
फिर मौसा उठे और मुझे देखने लगे ।
मै सारी बाते सुन चुका था कि मौसी ने कैसे अपने पति के सामने मुझसे चुदने की योजना बना ली थी । जिस्से मेरा लण्ड बहुत
हुआ था ,,मगर मै अपने चेहरे के भावो पर भरपूर नियंत्रण किये हुआ था ।
मौसा - अह राज बेटा, वो मै कह रहा था कि मतलब तेरी मौसी के कहने का मतलब है कि उसकी वजह से तुझे तो परेशानी हुई है । उसके बदले वो तुझे कुछ देना चाहती है ।
लेकिन तु वादा कर कि आज की बात तू किसी से भी नही कहेगा ।
मै थोडा हसने के भाव मे - अरे नही नही मौसा जी ,, ये भी मेरा परिवार है और मै अपने परिवार की बदनामी नही चाहिये और ना ही इसके बदले मे कुछ चाहिये ।
मै - मौसी के जवाब से अगर आप संतुष्ट हो तो मुझे कुछ नही चाहिए । मै तो बस यही चाह रहा था कि कोई झगड़ा ना हो आप दोनो मे इसको लेके और बात भाभी या उनके घर वालो तक जाये
मौसा - हा बेटा मै तेरी मौसी के जवाब से पूरी संतुश्त हू और कही ना कही ये मेरी ही गलती है ,,, इसिलिए नही किसी के लिए तो मेरे लिए ही सही तु इसके लिए मना ना कर और तुझे भी अच्छा मह्सूस होगा और तुझे निद भी आ जायेगी ।
मै थोडा हस कर - अब ऐसी बात है तो ठिक है ,,,बताओ मौसी क्या दे रही हो
मौसी मुस्कुरा कर - अरे मेरा लल्ला इधर तो आ मेरे पास
फिर मै मौसी के पास चला गया और मौसा कमरे मे एक मेज के अलमारी से अपना पैग वाला समान निकालने लगे ।
मै तो समझ रहा था कि वो सिर्फ़ मौसा के लिए ही है फिर भी मै नकारते हुए - अरे नही नही मौसा जी ,,,मै ये सब नही लेता ,,प्लीज
मौसा हस कर - अरे नही बेटा ये तो सिर्फ मेरे लिये है ,,, तुझे जो देना है वो तेरी मौसी देगी
ये बोल कर मौसा अपना बोतल खोल कर पैग बनाने लगे ।
मै - क्या है वो मौसी बताओ ना ,,मुझे समझ नही आ रहा है
मौसी ने मुस्कुरा कर एक नजर मौसा को देखा वो हाथ मे गलास लिये एक सिप लेके मौसी को आगे बढने का इशारा करते है ।
जारी रहेगी ।