Puraani Xforum kahaani ka anuvaad. Bahut badhiya.
Par original lekhak ko credit kyon nahi de rahe aap?
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DHANYAWAAD............AAPNE ITNI MEHNAT KIPuraani Xforum kahaani ka anuvaad. Bahut badhiya.
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jinko waha padhni ho wo wahi se padh lePuraani Xforum kahaani ka anuvaad. Bahut badhiya.
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Aapki anuvaad kala ki main pehle hi vaakya me sarahna kar chuki hun. Sach mein, kya hunar hai!! Par haan, aaj ke Google Translate or AI translation ke zamaane me anuvaad bhi ek click me ho jaate hai, to aapke "mushkil" kaam ki ahamiyat thodi kam ho jaati hai. Lekin phir bhi, aapki mehnat saraahniya hai. Pichhli baar ki kahani ki tarah nahi jahaan par aapne bina kisi jhijhak ke sidha kisi ki kahani uthaakar post karna shuru kar diya tha. Aur jab sach saamne lekar aai tab aapne mujhe block kar diya.jinko waha padhni ho wo wahi se padh le
lekin yaha padhni ho use padhne de
maine ye kahaani kaa koi claim nahi kiya
BAHOT SE LOG SIRF HINDI SAMAJTE HAI YE UNKE LIYE HAI
MERI MARJI mai credit du yaa nadu (MEHNAT KARTI HU BHAI, AAP TRANSLATE KAR SAKTE HAI??????????)
ho saktaa hai baad me kahaanike END me du .....
thank you
Aapki anuvaad kala ki main pehle hi vaakya me sarahna kar chuki hun. Sach mein, kya hunar hai!! Par haan, aaj ke Google Translate or AI translation ke zamaane me anuvaad bhi ek click me ho jaate hai, to aapke "mushkil" kaam ki ahamiyat thodi kam ho jaati hai. Lekin phir bhi, aapki mehnat saraahniya hai. Pichhli baar ki kahani ki tarah nahi jahaan par aapne bina kisi jhijhak ke sidha kisi ki kahani uthaakar post karna shuru kar diya tha. Aur jab sach saamne lekar aai tab aapne mujhe block kar diya.Aapki anuvaad kala ki main pehle hi vaakya me sarahna kar chuki hun. Sach mein, kya hunar hai!! Par haan, aaj ke Google Translate or AI translation ke zamaane me anuvaad bhi ek click me ho jaate hai, to aapke "mushkil" kaam ki ahamiyat thodi kam ho jaati hai. Lekin phir bhi, aapki mehnat saraahniya hai. Pichhli baar ki kahani ki tarah nahi jahaan par aapne bina kisi jhijhak ke sidha kisi ki kahani uthaakar post karna shuru kar diya tha. Aur jab sach saamne lekar aai tab aapne mujhe block kar diya.
Aapne kahaa ki "kya main anuvaad kar sakti hun?" - Mudda ye nahi hai ki main anuvaad kar sakti hu ya nahi. Asli savaal ye hai ki kya mere paas itna samay hai bhi ya nahi??
Aur haan, mujhe satya se koi parhez nahi hai aur mujhe aaina dikhaane vaalo ko main aap ki tarah block bhi nahi karti.
Achcha laga ki aapne apni post edit kar ke "Thanks to Net" jaisa generic statement aakhir likh hi diya. Author ka naam maloom hone ke baavjood bhi kyon nahi likha, ye main ab nahi poochungi. Kyon ki aapne pehle hi keh diya ki ho sakta hai ki aap credit aakhir me do. Vaise kahin aisa naa ho ki aakhir tak aate aate aap bhool jaayen..!! Aisa hota hai kai baar...!!
Best of luck..!!
Aapki anuvaad kala ki main pehle hi vaakya me sarahna kar chuki hun. Sach mein, kya hunar hai!! Par haan, aaj ke Google Translate or AI translation ke zamaane me anuvaad bhi ek click me ho jaate hai, to aapke "mushkil" kaam ki ahamiyat thodi kam ho jaati hai. Lekin phir bhi, aapki mehnat saraahniya hai. Pichhli baar ki kahani ki tarah nahi jahaan par aapne bina kisi jhijhak ke sidha kisi ki kahani uthaakar post karna shuru kar diya tha. Aur jab sach saamne lekar aai tab aapne mujhe block kar diya.
चलिए सब से पहले बहोत बहोत धन्यवाद आपका की आपने मेरी स्किल को सराहा और मै उसके लिए स्जुक्रिया कर चुकी हु| समय को बर्बाद ना करते हुए आगे बढ़ते है गूगल ट्रांसलेट और AI या फिर सभी उपकरणों की एक मर्यादा होती है, गूगल ये नहीं देखता की कौन पढ़ेगा राईट? वो उसी को अनुवाद करता है जो उएसके सब से करीब शब्द है, उसकी मर्यादा है की वो कुछ ही शब्द को अनुवाद कर सकता है बाकी के छोड़ देता है, खेर तो इसके लिए और मै ये समजती हु की सिर्फ अनुवाद से कुछ नहीं होता उसे भारतीय शैली में या फिर ढांचे में लाना जरुरी है तभी उसके पात्रो को बदल दिया जाता है, (पाठको को अपनापन दिखना चाहिए) सभी भाषा में ऐसा होता है अंग्रेजी में आप लिखते है तो उसके वाचको को आमने रखते हुए लिखा जाता है जो उनकी संस्कृति है उस हिसाब से लिखा जाता है| अभी एक अच्छा उदाहरण मै पेश करती हु इसी कहानी को पढेंगे तो कहानी की शुरुआत होती है “damit” जिसका अर्थ होता है “लानत” अब ये शब्द हमारे भाषा में गाली नहीं है इसलिए हमें हमारे ढाँचे में लाने के लिए गाली लिखनी पड़ती है मतलब सीधा अनुवाद नहीं है आगे पढेंगे तो काफी चेंजीस होंगे| (पढेंगे तो) तो ये काफी मुश्किल काम है ऐसा मेरा समजना है आपको अपने सोच बदलने की जरुरत नहीं और नाही कह रहि हु|
अब रही बात पिछली कहानी की जी हां वो किसी काहानी पे आधारित थी पर बिलकुल नहीं वो कोपी पेस्ट नहीं थी खेर वो कहानी अब मै नही लिख रही हु लेकिन मुझे लगता है की मुझे यहाँ कुछ लिखना चाहिए, वो कहानी और मेरी कहानी में हॉस्पिटल वाला पोर्शन था ही नहीं वह विश्वा ड्रैग एडिक्ट बनता ही नहीं था वो नाटक कर रहा था उसे शक था की कोई गेम खेल रहा है उसके रिजन कहानी में लिखे गए थे जो अब सभी वंचित है| जब्बार भी उस्ताद था विश्वा अपने तरीके से उस तक पहच चुका था (कैसे? उसके लिए मेरी कहानी पढनी चाहिए थी) जब्बार ने उसे मार दिया था लेकिन जिस Dr ने सुरुचि को देखा था बस वोही किरदार यहाँ भी काम में आता है और एक मेसेज मिलता है राजासाहब और बहु को बस यही से ससुर बहका खेल शुरू होता था ( जो की टाईटल था “खेल ससुर बहु का”) और सुरुचि अपने सौंदर्या का कैसे उपयोग करके और कई तरीके और साधनों की मदद से......तो दोनों कहानी कही मिलतीझूलती थी (शुरुआत के उछ एपिसोड तक) तो कही मेल ही नही खता था, मुझे याद नहीं की वो तुम ही थे हां मुझे हर्डल पसंद नहीं था क्यों की वो मेरे 2 महीने से अधिक की महेनत थी जिस को मैंने कहानी का रूप रंग दिया था, आप यहाँ भी ब्लोक हो जाओगे लेकिन अभी नहीं क्यों की मुझे लगता है की तुम्हे समजना चाहिए था,
मै कैसे लिखती हु उसका श्रेष्ठ उदाहरण के तौर पर मेरी कहानी “तीनो की समतिसे” पढ़े ये कहानी जीजा के कहने से बहन को मा बनाया पे आधारित है जो हर जगह उपलब्ध है लेकिन किसी को उसका लेखक का नाम पता नहीं, लेकिन अगर तुम दोनों कहानी को मेच करोगे तो दोनों कहानी अपने अपने रूप में अलग है (पढ़ना) वहा भाई ने बहन को मा बनाया और बात ख़तम जब की मेरी कहानी में टाइटल के अनुसार "वो कौन तीन लोग थे जिसकी सम्मति थी और कहा तक और आखिर में कोई तो था जो ये एक गेम खेल रहा था रहस्य
अब आगे
Aapne kahaa ki "kya main anuvaad kar sakti hun?" - Mudda ye nahi hai ki main anuvaad kar sakti hu ya nahi. Asli savaal ye hai ki kya mere paas itna samay hai bhi ya nahi??
मेरे ख़याल से तुम्हारे पास बहोत टाइम है अगर तुम्हारे पास कहानी के जड़ तक जानी की स्किल है और समय भी तो ये भी डेवालोप कर सकते है है ना??? ये एक दिन का काम नहीं है समय लगता है कभी कभी बहोत समय लगता है ( मै आज भी एक कहानी पर काम कर रही हु जो अभी तक ख़तम नहीं हुई एक साल से ज्यादा का समय ले लिए है कभी ख़तम होगी और यहाँ पोस्ट करुँगी तो पढ़ना और उसकी जड़ तक जाके मुझे आइना भी दिखाना ) लेकिन कर तो सकते ही हो अभी तो मैंने बता भी दिया कैसे कर सकते है|
Aur haan, mujhe satya se koi parhez nahi hai aur mujhe aaina dikhaane vaalo ko main aap ki tarah block bhi nahi karti.
ये आपकी मर्जी है मै अपनी मर्जी से चलती हु और मुझे हरदल्स पसंद नहीं ,क्यों की मै मेहनत करती हु समय देती हु
तो मै तो कर देती हु यहाँ भी कर दूंगी
Achcha laga ki aapne apni post edit kar ke "Thanks to Net" jaisa generic statement aakhir likh hi diya. Author ka naam maloom hone ke baavjood bhi kyon nahi likha, ye main ab nahi poochungi. Kyon ki aapne pehle hi keh diya ki ho sakta hai ki aap credit aakhir me do. Vaise kahin aisa naa ho ki aakhir tak aate aate aap bhool jaayen..!! Aisa hota hai kai baar...!!
जी शुक्रिया, मुझे कब क्रेडिट देनी है ये मै जानती हु अगर कहानी को मै ट्विस्ट नहीं करती तो कहानी के अंत में क्रेडिट दे भी सकती हु और नहीं भी, लेकिन अगर कहानी का दूसरा रूप लेती हु तो कभी क्रेडिट नहीं दूंगी|
मै भूलती तो नहीं शायद पर हा क्रेडिट देना ना देना मुज पर है|
Best of luck..!!
आप को भी क्यों की यहाँ मोस्ट ऑफ़ स्टोरी नेट से ली गई होती है या दी गई होती है, आप समय दे और उन कहानी के जड़ तक पहुचे और सब को आइना दिखाए उसके लिए आप की सफलता के लिए प्रभु से प्रार्थना करती हु|
आपका बहोत बहोत धन्यवाद, बने रहिये मेरे साथ इसी कहानी में आगे...............
Aapki translated kahaani ka zyaadatar hissa google translate se copy-paste kiya hua hai. Haan, kuchh shabdon ko badalne ki zarurat padti hai par usey aap mehnat ka naam dekar readers ki intellegence ka insult mat kijiye.गूगल ट्रांसलेट और AI या फिर सभी उपकरणों की एक मर्यादा होती है, गूगल ये नहीं देखता की कौन पढ़ेगा राईट? वो उसी को अनुवाद करता है जो उएसके सब से करीब शब्द है, उसकी मर्यादा है की वो कुछ ही शब्द को अनुवाद कर सकता है बाकी के छोड़ देता है
Bade hi generalised tarike se aapne is forum ke itne mehnati lekhakon aur lekhikaao par itna badaa aarop laga diya. Apni baat ko sahi thehrane ke liye auron ko nicha dikhaane ki zarurat nahi hotiयहाँ मोस्ट ऑफ़ स्टोरी नेट से ली गई होती है या दी गई होती है
Kiski kahaani padhni aur kise aaina dikhaanaa ye mujh par depend karta hai.आप समय दे और उन कहानी के जड़ तक पहुचे और सब को आइना दिखाए
Yes you deserve blockAapki translated kahaani ka zyaadatar hissa google translate se copy-paste kiya hua hai. Haan, kuchh shabdon ko badalne ki zarurat padti hai par usey aap mehnat ka naam dekar readers ki intellegence ka insult mat kijiye.
अब रही बात पिछली कहानी की जी हां वो किसी काहानी पे आधारित थी पर बिलकुल नहीं वो कोपी पेस्ट नहीं थी खेर वो कहानी अब मै नही लिख रही हु लेकिन मुझे लगता है की मुझे यहाँ कुछ लिखना चाहिए, वो कहानी और मेरी कहानी में हॉस्पिटल वाला पोर्शन था ही नहीं वह विश्वा ड्रैग एडिक्ट बनता ही नहीं था वो नाटक कर रहा था उसे शक था की कोई गेम खेल रहा है उसके रिजन कहानी में लिखे गए थे जो अब सभी वंचित है| जब्बार भी उस्ताद था विश्वा अपने तरीके से उस तक पहच चुका था (कैसे? उसके लिए मेरी कहानी पढनी चाहिए थी) जब्बार ने उसे मार दिया था लेकिन जिस Dr ने सुरुचि को देखा था बस वोही किरदार यहाँ भी काम में आता है और एक मेसेज मिलता है राजासाहब और बहु को बस यही से ससुर बहका खेल शुरू होता था ( जो की टाईटल था “खेल ससुर बहु का”) और सुरुचि अपने सौंदर्या का कैसे उपयोग करके और कई तरीके और साधनों की मदद से......तो दोनों कहानी कही मिलतीझूलती थी (शुरुआत के उछ एपिसोड तक) तो कही मेल ही नही खता था, मुझे याद नहीं की वो तुम ही थे हां मुझे हर्डल पसंद नहीं था क्यों की वो मेरे 2 महीने से अधिक की महेनत थी जिस को मैंने कहानी का रूप रंग दिया था, आप यहाँ भी ब्लोक हो जाओगे लेकिन अभी नहीं क्यों की मुझे लगता है की तुम्हे समजना चाहिए था,
Agar itni mehnat ki hai to phir post kijiye. Kahani rochak hai ya nahi ye readers decide karenge, aap nahi.
Bade hi generalised tarike se aapne is forum ke itne mehnati lekhakon aur lekhikaao par itna badaa aarop laga diya. Apni baat ko sahi thehrane ke liye auron ko nicha dikhaane ki zarurat nahi hoti
Kiski kahaani padhni aur kise aaina dikhaanaa ye mujh par depend karta hai.
आप यहाँ भी ब्लोक हो जाओगे लेकिन अभी नहीं क्यों की मुझे लगता है की तुम्हे समजना चाहिए था,
Block karne se achcha hogaa ki aap churaai hui kahaani me changes karke lekhika hone ka dhong karna band karen.
Agar kahaani churaane ka mudda uthaana bhi aapko "hurdle" lagta hai to main fir se block hone ka intezaar karungi.
बस 2 बातें हैंAapki anuvaad kala ki main pehle hi vaakya me sarahna kar chuki hun. Sach mein, kya hunar hai!! Par haan, aaj ke Google Translate or AI translation ke zamaane me anuvaad bhi ek click me ho jaate hai, to aapke "mushkil" kaam ki ahamiyat thodi kam ho jaati hai. Lekin phir bhi, aapki mehnat saraahniya hai. Pichhli baar ki kahani ki tarah nahi jahaan par aapne bina kisi jhijhak ke sidha kisi ki kahani uthaakar post karna shuru kar diya tha. Aur jab sach saamne lekar aai tab aapne mujhe block kar diya.
चलिए सब से पहले बहोत बहोत धन्यवाद आपका की आपने मेरी स्किल को सराहा और मै उसके लिए स्जुक्रिया कर चुकी हु| समय को बर्बाद ना करते हुए आगे बढ़ते है गूगल ट्रांसलेट और AI या फिर सभी उपकरणों की एक मर्यादा होती है, गूगल ये नहीं देखता की कौन पढ़ेगा राईट? वो उसी को अनुवाद करता है जो उएसके सब से करीब शब्द है, उसकी मर्यादा है की वो कुछ ही शब्द को अनुवाद कर सकता है बाकी के छोड़ देता है, खेर तो इसके लिए और मै ये समजती हु की सिर्फ अनुवाद से कुछ नहीं होता उसे भारतीय शैली में या फिर ढांचे में लाना जरुरी है तभी उसके पात्रो को बदल दिया जाता है, (पाठको को अपनापन दिखना चाहिए) सभी भाषा में ऐसा होता है अंग्रेजी में आप लिखते है तो उसके वाचको को आमने रखते हुए लिखा जाता है जो उनकी संस्कृति है उस हिसाब से लिखा जाता है| अभी एक अच्छा उदाहरण मै पेश करती हु इसी कहानी को पढेंगे तो कहानी की शुरुआत होती है “damit” जिसका अर्थ होता है “लानत” अब ये शब्द हमारे भाषा में गाली नहीं है इसलिए हमें हमारे ढाँचे में लाने के लिए गाली लिखनी पड़ती है मतलब सीधा अनुवाद नहीं है आगे पढेंगे तो काफी चेंजीस होंगे| (पढेंगे तो) तो ये काफी मुश्किल काम है ऐसा मेरा समजना है आपको अपने सोच बदलने की जरुरत नहीं और नाही कह रहि हु|
अब रही बात पिछली कहानी की जी हां वो किसी काहानी पे आधारित थी पर बिलकुल नहीं वो कोपी पेस्ट नहीं थी खेर वो कहानी अब मै नही लिख रही हु लेकिन मुझे लगता है की मुझे यहाँ कुछ लिखना चाहिए, वो कहानी और मेरी कहानी में हॉस्पिटल वाला पोर्शन था ही नहीं वह विश्वा ड्रैग एडिक्ट बनता ही नहीं था वो नाटक कर रहा था उसे शक था की कोई गेम खेल रहा है उसके रिजन कहानी में लिखे गए थे जो अब सभी वंचित है| जब्बार भी उस्ताद था विश्वा अपने तरीके से उस तक पहच चुका था (कैसे? उसके लिए मेरी कहानी पढनी चाहिए थी) जब्बार ने उसे मार दिया था लेकिन जिस Dr ने सुरुचि को देखा था बस वोही किरदार यहाँ भी काम में आता है और एक मेसेज मिलता है राजासाहब और बहु को बस यही से ससुर बहका खेल शुरू होता था ( जो की टाईटल था “खेल ससुर बहु का”) और सुरुचि अपने सौंदर्या का कैसे उपयोग करके और कई तरीके और साधनों की मदद से......तो दोनों कहानी कही मिलतीझूलती थी (शुरुआत के उछ एपिसोड तक) तो कही मेल ही नही खता था, मुझे याद नहीं की वो तुम ही थे हां मुझे हर्डल पसंद नहीं था क्यों की वो मेरे 2 महीने से अधिक की महेनत थी जिस को मैंने कहानी का रूप रंग दिया था, आप यहाँ भी ब्लोक हो जाओगे लेकिन अभी नहीं क्यों की मुझे लगता है की तुम्हे समजना चाहिए था,
मै कैसे लिखती हु उसका श्रेष्ठ उदाहरण के तौर पर मेरी कहानी “तीनो की समतिसे” पढ़े ये कहानी जीजा के कहने से बहन को मा बनाया पे आधारित है जो हर जगह उपलब्ध है लेकिन किसी को उसका लेखक का नाम पता नहीं, लेकिन अगर तुम दोनों कहानी को मेच करोगे तो दोनों कहानी अपने अपने रूप में अलग है (पढ़ना) वहा भाई ने बहन को मा बनाया और बात ख़तम जब की मेरी कहानी में टाइटल के अनुसार "वो कौन तीन लोग थे जिसकी सम्मति थी और कहा तक और आखिर में कोई तो था जो ये एक गेम खेल रहा था रहस्य
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Aapne kahaa ki "kya main anuvaad kar sakti hun?" - Mudda ye nahi hai ki main anuvaad kar sakti hu ya nahi. Asli savaal ye hai ki kya mere paas itna samay hai bhi ya nahi??
मेरे ख़याल से तुम्हारे पास बहोत टाइम है अगर तुम्हारे पास कहानी के जड़ तक जानी की स्किल है और समय भी तो ये भी डेवालोप कर सकते है है ना??? ये एक दिन का काम नहीं है समय लगता है कभी कभी बहोत समय लगता है ( मै आज भी एक कहानी पर काम कर रही हु जो अभी तक ख़तम नहीं हुई एक साल से ज्यादा का समय ले लिए है कभी ख़तम होगी और यहाँ पोस्ट करुँगी तो पढ़ना और उसकी जड़ तक जाके मुझे आइना भी दिखाना ) लेकिन कर तो सकते ही हो अभी तो मैंने बता भी दिया कैसे कर सकते है|
Aur haan, mujhe satya se koi parhez nahi hai aur mujhe aaina dikhaane vaalo ko main aap ki tarah block bhi nahi karti.
ये आपकी मर्जी है मै अपनी मर्जी से चलती हु और मुझे हरदल्स पसंद नहीं ,क्यों की मै मेहनत करती हु समय देती हु
तो मै तो कर देती हु यहाँ भी कर दूंगी
Achcha laga ki aapne apni post edit kar ke "Thanks to Net" jaisa generic statement aakhir likh hi diya. Author ka naam maloom hone ke baavjood bhi kyon nahi likha, ye main ab nahi poochungi. Kyon ki aapne pehle hi keh diya ki ho sakta hai ki aap credit aakhir me do. Vaise kahin aisa naa ho ki aakhir tak aate aate aap bhool jaayen..!! Aisa hota hai kai baar...!!
जी शुक्रिया, मुझे कब क्रेडिट देनी है ये मै जानती हु अगर कहानी को मै ट्विस्ट नहीं करती तो कहानी के अंत में क्रेडिट दे भी सकती हु और नहीं भी, लेकिन अगर कहानी का दूसरा रूप लेती हु तो कभी क्रेडिट नहीं दूंगी|
मै भूलती तो नहीं शायद पर हा क्रेडिट देना ना देना मुज पर है|
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आप को भी क्यों की यहाँ मोस्ट ऑफ़ स्टोरी नेट से ली गई होती है या दी गई होती है, आप समय दे और उन कहानी के जड़ तक पहुचे और सब को आइना दिखाए उसके लिए आप की सफलता के लिए प्रभु से प्रार्थना करती हु|
आपका बहोत बहोत धन्यवाद, बने रहिये मेरे साथ इसी कहानी में आगे...............