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Incest ससुराल की नयी दिशा

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ससुराल की नयी दिशा
अध्याय ३६: सास, बहू की साजिश

अब तक:
********
संध्या, रिया:

ललिता ने कैमरे को अनिल के लंड और संध्या की गांड पर केंद्रित किया.
अनिल ने संध्या मामी की गांड पर लंड लगाया तो ललिता बोली, “पेल दे एक ही बार में पूरा.”
“जी, बुआ जी.” अनिल ने कहा. संध्या ने अपने मुंह से देवेश का लंड निकालकर आपत्ति जताने का प्रयास किया पर देवेश ने उसके सिर पर हाथ रखा हुआ था. एक हाथ माथे पर था. वो अनिल की ओर देख रहा था.
अनिल ने लंड को गांड में डाला और जैसे ही सुपाड़ा अंदर गया तो एक शक्तिशाली धक्का मारा. देवेश ने सिर पर से हाथ हटाया और माथे पर रखे हाथ से संध्या के सिर को ऊपर करते हुए उसके मुंह से अपने लंड को निकाल लिया. अन्यथा संध्या उसके लंड को चोटिल कर सकती थी.
“उई माँ, मर गई!” संध्या की आर्तनाद ने कमरे को हिला दिया.
अनिल ने अपने लंड को बुआ के निर्देशानुसार पूरा जड़ तक संध्या की गांड में स्थापित कर दिया था.
ललिता ने कुछ और समय इस कमरे में रिकॉर्डिंग की फिर वो अपनी बेटी और पल्लू के कमरे की ओर चली गई. उसके मन में जो कुछ यहाँ हुआ, एक चलचित्र की भाँति चल रहा था.

अब आगे:

“मादरचोद! ऐसे कोई गांड में लंड पेलता है क्या?” संध्या ने जब देर बाद बोला तो देवेश ने उसके बालों में हाथ फेरा.
“उसका क्या दोष मामी! अपने ही तो कहा थी कि रगड़ रगड़ के चोदो आज, तो रगड़ दिया.” ये कहते हुए उसने अपने लंड को संध्या के चेहरे पर मारा.
“वो तो इसने कहा था.” संध्या का संकेत रिया के लिए था.
“और अपने उससे सहमति जताई थी. अब नखरे न करो मामी. डॉक्टर से गांड मरवा रही हो. कैसा अनुभव हो रहा है?”
“हाँ, अब अच्छा लग रहा है. पहले तो मेरी दर्द से साँस ही रुक गई थी.”
ये सुनना था कि अनिल ने अपने धक्के तेज कर दिए. पर देवेश ने उसे रोका. अब उसकी माँ तो जा ही चुकी थी तो चुदाई अपने ढंग से ही करनी थी.
“ऐसा करते हैं, मैं और अनुज मामी और रिया की चूत को चोदते हैं. डॉक्टर साहब बारी बारी से दोनों की गांड पर शोध करेंगे. क्यों?”
रिया इससे असहमत थी.
“नहीं, दादा! पहले इसे मेरी गांड खोल देने दो. नहीं तो अगर इसने मेरी गांड में भी मम्मीजी के समान लंड पेला तो मैं तो मर जाऊँगी।”
“पेलेगा तो वैसे ही. पर मैं समझ सकता हूँ. तो तुम अनुज के लंड पर कुछ समय और ध्यान दो, मैं मामी की चूत की सिकाई करता हूँ तब तक. और डॉक्टर को अपनी गांड का तापमान नापने दिया जाये उनके थर्मामीटर से.” देवेश ने समझाया.
अनिल ने धीरे से मामी की गांड से लंड निकाला और उसमें थूका। फिर उनकी गांड पर अपने मुंह से श्वास छोड़ी तो संध्या की गांड स्वतः ही बंद हो गई. उधर रिया की गांड फटने लगी. उसने दयनीय भाव से अनिल को देखा. अनिल के अबोध और मासूम भाव को देखकर उसे लगा कि सम्भवतः उसकी गांड पर कुछ दया की जाएगी. अनुज ने उसके बालों में हाथ फेरे. रिया कुछ आश्वस्त हो गई. अनिल ने रिया की गांड को चाटना आरम्भ किया और पर्याप्त मात्रा में थूक से उसे सुगम बना दिया. उसने एक बार सोचा कि तेल या जैल लगाए. फिर इस विचार को मन से निकाल दिया.
अनिल ने अपने लंड के टोपे को रिया की गांड पर लगाया और हल्के से अंदर धकेला. कुछ समय तक वो एक इंच लंड्को ही अंदर बाहर करता रहा मानो अपना मन बना रहा हो. रिया ने जब देखा कि अनिल ने उसकी गांड को उसकी सास की गांड के समान एक बार में ही नहीं पेला तो वो निश्चिन्त हो गई और उसकी गांड ने उसकी भावना का आदर किया. रिया की गांड ढीली पड़ गई और इसका आभास अनिल को हो गया.
अनिल ने अनुज की ओर देखा और अनुज ने उसका अभिप्राय समझ लिया. उसने रिया के बालों को हाथों से सहलाया और उसका माथा पकड़कर उसे अपने लंड से हटा दिया. रिया ने सिर उठाकर उसे प्रश्न भरी दृष्टि से देखा तो अनुज के चेहरे के भाव को समझ गई, पर अब तक देर हो चुकी थी. उसकी आँखों के भाव प्रश्न से बदल कर भय के हुए ही थे कि उसकी एक चीत्कार ने कमरे की शांति को छिन्न भिन्न कर दिया.
अनिल ने पूरी शक्ति के साथ अपने लंड को रिया की गांड में जड़ तक ठूँस दिया था.
“आह! मर गई! मेरी गांड! ओह मेरी गांड! निकाल बाहर! ओह माँ, मेरी गांड फट गई!” रिया ने लगभग रोते हुए बोला।
उसकी सास उसके हाथ को पकड़ते हुए उसे सांत्वना देने लगी.
“मत रो मेरी बच्ची! बस हो गया. हमने ही इनको ऐसे चोदने का निमंत्रण दिया था. पर बस हो गया. अब शांति से गांड मरवा. सच में मेरी भी स्थिति तेरे जैसी ही हुई थी, पर अनिल गांड मारने का विशेषज्ञ है और तुझे शीघ्र ही आनंद आने लगेगा.”
रिया को समझ नहीं आया कि वो अपनी सास पर विश्वास करे, या गांड में उठती हुई तीव्र जलन पर? पर सास तो सास ही होती है. उसने संध्या को आँसू भरी आँखों से देखा और सहमति में सिर हिलाया. अनुज ने रिया के सिर पर फिर से हाथ रखा और अपने लंड की ओर खींचा। रिया ने अपनी गांड की जलन को भूलने के लिए लंड चूसना ही श्रेयस्कर समझा और अनुज के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी.
“मामी, अब चढ़ जाओ मेरे लंड पर. बहुत देर से तरस रहा है ये.” देवेश ने संध्या से कहा.
संध्या ने अपने भांजे के तमतमाए लंड को देखा तो उसकी चूत से पानी छूट गया. उसने देवेश के दोनों ओर पैरों को करते हुए अपनी चूत उसके लंड पर लगाई. देवेश ने अपने हाथों से संध्या के नितम्बों को सहारा दिया और संध्या ने उसकी आँखों में आँखें डालते हुए लंड पर बैठना आरम्भ कर दिया. एक बार जब लंड पूरा संध्या की चूत में समा गया तो उसने एक गहरी साँस ली. उसके शरीर को मानो तृप्ति मिली हो.
देवेश, “मामी, मेरे कंधों को पकड़ो और झुक जाओ.”
संध्या ने बिना संकोच किये उसकी बात मानी। जब एक बार वो इस आसन में आ गई, तो देवेश ने नीचे से उसे धक्के लगाने आरम्भ किये. संध्या की चूत में उसके धक्के एक बहुत शालीन गति से विचरण कर रहे थे. और संध्या की चूत को भी ये रुचिकर लग रहा था. धीरे धीरे देवेश गति बढ़ाता रहा, और कुछ देर में उसका लंड एक अदृश्य गति से संध्या की चूत में घमासान मचाने लगा.
उधर अनिल ने लंड भले ही एक झटके में पेल दिया हो रिया की गांड में, पर उसने एक स्थिर और मंद गति से ही रिया की गांड की सिकाई आरम्भ की थी. रिया को इसमें आनंद आ रहा था और इसका लाभ अनुज को भी मिल रहा था जिसके लंड को अब रिया पूरे समर्पण से चूसे जा रही थी. अनिल भी देवेश की ही भाँति एक धीमी गति से आरम्भ करते हुए गांड के अंदर अपने लंड को पूर्ण रूप से अंदर बाहर कर रहा था.
वो अपने लंड को जब गांड में डालता तो एकदम से बाहर नहीं खींचता था, बल्कि उसे वहाँ रोकते हुए ही अंदर ठूँसने का प्रयास करता था. फिर बाहर निकालता और इस प्रक्रिया को दोहराता. रिया की इस प्रकार से किसी ने भी गांड नहीं मारी थी और उसे इस नए अनुभव में असीम आनंद प्राप्त हो रहा था. इस प्रकार से कुछ समय तक गांड मारने के बाद अनिल ने पूर्व स्थापित तीव्र गति से बिना रुके गांड मारना आरम्भ कर दिया. अनुज समझ गया कि अब उसके भाई का क्या अभिप्राय है. उसने उसे मूक स्वीकृति का संकेत दिया.
अपने भाई की स्वीकृति पाते ही अनिल ने अपने लंड को रिया की गांड से बाहर निकाला. अब उसका लक्ष्य था उसकी मामी संध्या की गांड. संध्या जो अब भी आगे झुकी हुई देवेश के शक्तिशाली धक्कों को अपनी चूत में घमासान मचाते हुए अनुभव कर रही थी. जब अनिल उसके पीछे गया तो देवेश ने उसे देखा और संध्या की कमर को पकड़ते हुए अपने धक्के रोक दिए.
“क्या हुआ? रुक क्यों गए. कितना आनंद आ रहा था.” संध्या ने झल्लाकर कर पूछा.
“क्योंकि आपका आनंद दुगना करना है, मामी.” देवेश ने कहा.
संध्या को अपनी गांड में किसी की ऊँगली का आभास हुआ और फिर उसमे कुछ तरल सा गिरा. और फिर उसकी गांड में किसी ने फूँक मारी. वो समझ गई कि अनिल अब उसकी गांड मारने वाला है. उसका तन सिहर उठा. लगता है कि अब रगड़ने का समय आ गया था. उसकी गांड के छेद को चौड़ा होते ही उसका अनुमान सही सिद्ध हुआ. अनिल के टोपे ने उसकी गांड में अपना स्थान ग्रहण कर लिया था.
“भैया, मामी ने क्या कहा था, कैसे चुदने की इच्छा थी इनकी आज?” अनिल ने अपने लंड को अंदर धकेलते हुए पूछा.
“हम्म्म, मुझे ऐसा लगता है कि मामी ने कहा था कि रगड़ दो आज रात को. है न मामी?”
“नहीं, वो रिया थी.” संध्या ने बचने का अंतिम प्रयास किया.
“पर आपने ही तो कहा था न कि जैसी आपकी बहू की इच्छा है वही आपकी भी है?” अनिल ने कहते हुए अपने आधे लंड को संध्या की गांड में स्थापित कर दिया.
“उह अम्म!” संध्या से कुछ बोलते नहीं पड़ा.
“तो भैया, रगड़ दे मामी को?” अनिल ने पूछा.
“बिलकुल!” ये कहते हुए देवेश ने नीचे से ऐसा शक्तिशाली झटका मारा कि संध्या की चीख निकल गई. अनिल का लंड भी कुछ बाहर निकल गया.
“ओके भैया.” अब अनिल ने उतना ही शक्तिशाली धक्का मारा.
“ओह मेरी माँ, मर गई रे!” संध्या चिल्ला पड़ी.
“अरे नहीं मामी, आपको मरने नहीं देंगे. और वैसे आपकी माँ भी किसी से चुदवाने में व्यस्त हैं, वो आपकी चीख नहीं सुनने वाली अभी.” देवेश ने हँसते हुए कहा, परन्तु अपने धक्कों को न ही धीमा किया न उसकी कमर को ही छोड़ा. अनिल भी अब अत्यधिक संकरी हो गई गांड में मारने में असीम आनंद प्राप्त कर रहा था. देवेश के लंड को मोटाई के कारण संध्या की गांड तंग हो गई थी. और ऐसी तंग गांड को मारने का आनंद ही विशेष होता है.
देवेश जब नीचे से अंदर धक्का लगता तो अनिल बाहर लंड खींचता, और जब अनिल का लंड अंदर होता तो देवेश का बाहर. जब दोनों का लंड एक दूसरे से संध्या की चूत और गांड की पतली झिल्ली के दोनों ओर से टकराते हुए निकलता तो चूत और गांड दोनों सिकुड़ जाती. उनकी चुदाई की गति और तीव्रता देखकर रिया को संतुष्टि मिली कि अब उसकी चुदाई प्रेम पूर्वक न होकर पाशविक रूप से होगी.
“आओ भाभी, अब मेरे लंड पर चढ़ जाओ. कुछ अकेले इस चूत का आनंद ले लूँ फिर तो अनिल आपकी गांड में लौड़ा पेल देगा.” अनुज ने रिया से बोला।
रिया किंकर्तव्यविमूढ़ सी उसके लंड के दोनों ओर पाँव करते हुए सुगम रूप से लंड को अंदर लेने में सफल हुई और उसके लंड पर उछलते हुए एकल चुदाई का आनंद लेने लगी. उसकी आँखें कभी अनुज के चेहरे को तो कभी अपनी सास की दुहरी चुदाई को प्रसन्नता से देख रही थीं.
संध्या कि इस दुर्दांत चुदाई को जब दस मिनट हो गए, तो देवेश ने एक हाथ संध्या की पीठ से हटाकर अनिल को रिया की ओर इंगित किया. दोनों भाइयों ने एक साथ संध्या की चूत और गांड में लंड अंदर किये और कुछ समय के लिए ठहर गए. संध्या को भी कुछ शांति मिली. और फिर उसे आभास हुआ कि अनिल का लंड उसकी गांड की गहराइयों को छोड़ रहा है, और फिर उसकी गांड में अनिल ने थूका और फूंकते हुए उसे पुनः बंद कर दिया. देवेश ने फिर से धक्के लगाने आरम्भ कर दिए.
रिया देख चुकी थी कि अब उसकी सास की गांड से अनिल का लंड बाहर निकल चुका है तो उसका अगला लक्ष्य रिया की ही गांड होगी.
“मेरे कंधे पकड़ लो, भाभी.” अनुज ने रिया को समझाया.
रिया भी उसी आसन में आ गई और अनुज की बाँहों ने उसकी पतली कमर को थाम लिया.
“बड़ी पतली कमर है भाभी, आपकी. कैसे संभालोगी दो दो लौड़े?” अनुज ने पूछा.
“कोई पहली बार नहीं है देवरजी, और कमर पतली रखने में उनका भी योगदान है.” रिया अनुज के लंड को अपनी गहराइयों में समाते हुए बोली.
उसे अपनी गांड के खुलने का आभास हुआ और फिर अनिल के थूक का गांड में प्रवेश होने का. फिर अनिल ने फूँक मारी और थूक को उसकी गांड के छेद पर रगड़ने लगा. गांड बेचारी दुविधा में पड़ गई. फूँक से बंद होना चाहती थी तो ऊँगली उसे खुलने का आवाह्न कर रही थी. पर अनिल के मन में कोई दुविधा न थी. उसने अपने सुपाड़े को गांड पर रखा और हल्के दबाव के साथ अंदर ढकेल दिया.
रिया को पल भर के लिए कुछ असुविधा हुई, पर वो इस खेल की पारंगत खिलाडी थी. और तो और उसे कठोर चुदाई में अधिक आनंद आता था. उसने ये बात अभी न बोलना श्रेयस्कर समझा क्योंकि न जाने ये दोनों भाई क्या करते. पहली बार जो इनके सान्निध्य में आई थी. अनिल अपने लंड को रिया की संकरी गांड में अंदर डालते हुए उस लक्ष्य पर पहुंच गया जहाँ से अब दोनों भाई चुदाई एक साथ कर सकते थे. अनुज और अनिल की आँखों में जो संकेत पारित हुआ उसे केवल वे दोनों ही समझ सकते थे.
“मामी, अब आपकी बहू गई. ये दोनों उसकी माँ चोद देंगे.” देवेश ने संध्या के कानों में फुसफुसाते हुए बोला।
“मुझे देखना है.” संध्या ने कहा तो देवेश ने थोड़ा मुड़ते हुए ऐसा स्थान लिया जहां से संध्या रिया की गांड फाड़ चुदाई को प्रत्यक्ष देख सके.
रिया अनुज के लंड पर बैठी हुई थी और उसकी गांड में अनिल ने लंड डाला हुआ था. परन्तु तीनों इस मुद्रा में शांति से स्थापित थे. संध्या सोच ही रही थी कि क्या हो रहा है कि अनुज ने अपनी कमर को उचकाना आरम्भ किया. उसका लंड रिया की चूत को पूरी शक्ति से चोदने लगा. कुछ धक्कों के बाद वो रुका तो इस बार अनिल ने अपने लंड को रिया की गांड में चलाना आरम्भ किया. न अनुज और न ही अनिल ने इस कार्य में कोई शीघ्रता का परिचय दिया. अनिल भी कुछ धक्कों के बाद रुक गया. अब तक रिया की चूत और गांड दोनों लौडों की अभ्यस्त हो चली थी. यही इन दोनों भाइयों का प्रयोजन भी था.
“अब देखना.” देवेश ने संध्या के कानों में धीरे से बोला। संध्या ने मात्र सिर हिलाकर सुना।
और जैसा देवेश ने कहा था, इस बार दोनों भाइयों ने अपने कूल्हे उचकाते हुए रिया की चूत और गांड में अपने लंड चलाने आरम्भ किये. एक हल्की गति के साथ दोनों भाइयों के लंड एक साथ ही अंदर बाहर होने लगे. रिया को अब इसमें आनंद आने लगा और उसकी सिसकारियां कमरे में गूंजने लगीं. कुछ ही देर में गति बढ़ने लगी और रिया की सिसकियाँ हल्की हल्की चीखों में परिवर्तित होने लगीं. संध्या दोनों भाइयों की कुशलता देखकर हतप्रभ थी. ऐसा नहीं कि अंकुर और पराग किसी भी रूप में इनसे उन्नीस थे, पर इन दोनों का पारस्परिक ताल अद्भुत थी.
कुछ देर इसी प्रकार से गति बढ़ाने के पश्चात उन दोनों ने अपनी लय बदली. इस बार एक लंड अंदर जाता तो एक बाहर आता. इसके बढ़े घर्षण से रिया की चीखों में भी अनुमानित वृद्धि होने लगी. दोनों भाई अब एक सुगम तीव्रता के साथ अपनी भाभी की चूत और गांड की धुआंधार चुदाई में जुट गए. गति के साथ बढ़ते भेदन के कारण अब रिया को आभास हुआ कि रगड़ चुदने का पर्याय है. उसकी चूत और गांड में एक अनोखी पीड़ा हो रही थी. इस पीड़ा को वो वर्णित करने में असमर्थ थी, पर चूत इसका अर्थ भलीभांति समझ रही थी और अपने रस को अनुज के लंड पर छोड़े जा रही थी.
“भाई, माँ चोद दो अब भाभी की.” ये अनिल था. अब संध्या और रिया असमंजस में पड़ गए कि क्या होगा. पर देवेश ने संध्या की कमर को अच्छे से थामा और अपने लंड के प्रहार तीव्र करते हुए उसका ध्यान अपनी बहू से हटाने का प्रयास किया. संध्या अपनी चूत में चलते हल से विचलित नहीं हुई. उसने संध्या, अनुज और अनिल के मिलन स्थल पर आँखें गड़ाए रखीं. अनिल ने रिया की कमर को हाथ से दबाते हुए उसे पूरा अनुज पर झुका दिया. रिया के पुष्ट मम्मे अनुज के चौड़े सीने से जा मिले. अनुज ने अपने दोनों हाथों से रिया की कमर को बाँध लिया.
और इसके बाद दुहरी चुदाई का जो वीभत्स तांडव प्रारम्भ हुआ तो रिया की चीखों ने पूरे बंगले को हिला दिया होता अगर कमरों की दीवारें और दरवाजे शक्तिशाली न होते. दो दो लंड रिया की चूत और गांड में इतना तीव्र गति से पूरी गहराई तक अंदर बाहर होने लगे. संध्या के तन मन में सिहरन हो उठी. न जाने रिया कल चल भी पायेगी या नहीं? इस बात का ध्यान आते ही उसे भी अपनी चूत में चलते हुए देवेश के लंड का आभास हुआ. वो रिया की चुदाई में इतनी खो गई थी, कि अपनी चुदाई को मानो भूल ही गई थी.
अचानक ही अनिल और अनुज रुके और उन्होंने एक तरल गति के साथ पूरी पलटी ले ली. अब अनिल नीचे था और अनुज ऊपर, रिया की गांड में अब नीचे से लंड था और चूत में ऊपर. एक बार आसन को सही रूप देने अनुज और अनिल ने अपनी दानवीय चुदाई फिर आरम्भ कर दी. अनुक के लम्बे धक्कों से अनिल के धक्कों को भी गति मिल रही थी. रिया अब मानो अपनी चेतना खो चुकी थी. उसकी चीखों में अब वो तेजी नहीं रही थी, बल्कि अब वो एक अन्य प्रकार के ही स्वर निकाल रही थी.
इस आसन में पंद्रह मिनट के लगभग चुदाई करने के बाद दोनों भाइयों की गति शिथिल पड़ने लगी. उनके लंड भी फूलने लगे जो उनके झड़ने की निकटता का प्रमाण थे.
“मामी, आपको पीना है पानी या भाभी के अंदर ही छोड़ दें?” अनुज ने पूछा.
संध्या ने कुछ सोचा फिर बोली, “वहीँ छोड़ दो वहीँ से पी लूँगी।”
“वाह मामी, तुम भी मस्त हो.”
इसके दो तीन मिनट के बाद दोनों भाई एक एक करके झड़ गए.
“अभी निकालना मत. मेरा भी होने दो, फिर निकालना अपने लौड़े.” संध्या ने आदेश दिया.
“मामी, ठीक है, पर अधिक देर नहीं रुक सकते, वैसे ही लंड हल्के होने लगे हैं.”
“ओह! तो एक काम करो देवेश, तुम मेरी चुदाई पीछे से करना जब मैं रिया की चूत और गांड को खाली करूँ, ठीक है?”
“बिलकुल, मामी. मम्मी भी यही करती हैं.” देवेश ने बोला और संध्या को अपने लंड से उतार दिया.
अनुज ने अपना लंड गांड से निकाला, तो संध्या ने आगे झुकते हुए उसके लंड को मुंह में लेकर चाटा और फिर अपनी बहू की लाल हो चुकी गांड को देखा. उसे रिया पर दया आ गई. उसने गांड के चारों ओर चाटकर मानो मलहम लगाई और फिर मुंह को गांड पर लगाते हुए अनुज के वीर्य का रसपान करने लगी. देवेश चाहता तो था कि वो संध्या को चोदे, पर अभी रिया की चूत से भी रस पीना था, जो चुदाई के साथ सम्भव नहीं था.
परन्तु अनिल ने इसका भी उपाय सोचा हुआ था. जैसे ही संध्या ने गांड को चाटकर उसका रस पिया और हटी, अनिल ने फिर पलटी मारी और वो रिया के ऊपर आ गया. लंड निकालते हुए उसने संध्या को सौंपा और अवसर देखते ही देवेश ने एक झटके में अपने लंड को संध्या मामी की चूत में डाल दिया. इस धक्के से संध्या का मुंह स्वतः ही रिया की चूत पर जा लगा और उसने अपना कार्य को कुशलता से पूरा करना आरम्भ कर दिया.
रिया की चूत को साफ करने के बाद संध्या का ध्यान अपनी चुदाई पर लौटा. उसने रिया को सिर उठाकर देखा तो उसके चेहरे पर एक संतुष्टि की मुहर लगी हुई थी. देवेश अब अपने घोड़े को दौड़ने लगा. कुछ देर में जब देवेश ने अपना रस मामी की चूत में अर्पण किया तो धीरे से संध्या ने जाकर अपनी बहू रिया के मुंह पर अपनी चूत लगा दी और उसे भी वीर्य पान का अवसर दिया.
सब कुछ थके हुए थे, तो एक दो पेग लगाने की बात हुई.
“अनिल, अब तुम्हें गांड मारने का अवसर नहीं मिलेगा आज रात, अब भैया और मैं ही गांड मारेंगे, ठीक है?” अनुज ने अनिल को आदेश दिया तो अनिल मुस्कुरा दिया.
“भैया, जैसा आप कहो. पर दोनों की गांड मस्त टाइट हैं. आपको भी बहुत आनंद आएगा, रात भर.”
रिया और संध्या ने एक दूसरे को देखा. वो समझी थीं कि उन्हें विश्राम करने मिलेगा, पर ये तीनों दुष्ट तो उनकी रात भर चूत और गांड मारने के लिए तत्पर थे. उन दोनों ने एक दूसरे के होंठ चूमे और आज की रात की शेष बेला में और चुदाई के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया.
अब रात जो शेष थी.


क्रमशः
Superb...
 

prkin

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मेरा स्वास्थ्य कुछ दिन ठीक था. छह दिन रुग्णालय में था.
इसी कारण अपडेट में समय लगा.
अभी तक पूरा स्वास्थ्य लाभ नहीं हुआ है. अधिक समय बैठने में अभी भी समस्या है.
प्रयास रहेगा कि अगला अपडेट शीघ्र दूँ.
 

prkin

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