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कैसे कैसे परिवार: Chapter 72 is posted
पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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bhai, waise to aap group sex/orgies scenes likhne mein ustaad ho..so, for a change, is baar one on one likh do pls
prkin
Nice update....अध्याय ५7: अगली पीढ़ी
अध्याय ५५ से लगभग पाँच वर्ष पहले
“सब कहाँ हैं? बड़ी शांति है.” अंकुर ने घर आकर पूछा.
रिया मुँह फुलाए बैठी थी. और उसके हाथ में मदिरा का प्याला था. उसने कोई उत्तर नहीं दिया तो अंकुर ने फिर पूछा और उसके पास जाकर बैठ गया. रिया के हाथ से उसने ग्लास लिया और एक ही घूँट में पी लिया.
“अब बताओगी भी क्या हुआ?”
“मम्मी ने फिर आज सबको बुला लिया.” रिया ने क्रोध से कहा.
“ओह शिट. उनसे बात करनी ही होगी. उनके कारण समस्या होने लगी है. पर ये तुम तीनों भाई बहनों में से किसी को करना होगा. अकेले या एक साथ.”
“मैंने दक्ष और सत्या से भी बात की है. हम तीनों ही मिलकर बात करेंगे.”
“गुड़. तो फिर हम आज अकेले हैं तो क्या विचार है?” अंकुर ने मुस्कुराकर पूछा.
“हटो, आपको तो बस चुदाई के सिवा कुछ सूझता ही नहीं है.” रिया ने झूठमूठ का स्वांग किया.
“अब तुम्हारे जैसी रसीली पत्नी हो तो सूझेगा ही क्यों?” ये कहकर अंकुर ने उसे अपनी बाँहों में लिया और कुछ देर चूमकर उठाने लगा.
“अरे रे रे रे! अरे कुछ देर विश्राम तो कर लो. फिर रात भर चोद लेना.” रिया ने कहा और ग्लास दिखाया.
“ठीक है.” अंकुर ने उसे छोड़ा और रिया पेग बनाने लगी.
“वैसे तुम्हारी मम्मी की प्रॉब्लम क्या है?” अंकुर ने अपने पेग की चुस्कियाँ लेते हुए पूछा. साथ ही उसकी उँगलियाँ कपड़ों के ऊपर ही से रिया के मम्मों से खेल रही थीं.
“पता नहीं. कुछ दिनों से कुछ अधिक ही चुदासी हो रही हैं. मैंने पूछा तो हंसने लगीं. कहने लगीं कि खुजली बहुत हो रही है.”
“बच्चों के कॉलेज की छुट्टियों ने उनकी इच्छा बलवती कर दी है. अगले सप्ताह सब लौटने वाले जो हैं.” अंकुर ने अपना दृष्टिकोण दिया.
“पर उन्हें उनकी मम्मियों के बारे में भी तो सोचना चाहिए. उनकी चुदाई के चक्कर में हम प्यासी रह जाती हैं.”
“तुम्हारी प्यास तो आज मैं बुझा दूँगा। पर मैं तुम्हारी बात समझ रहा हूँ. अच्छा होगा कि तुम उनसे शीघ्रतिशीघ्र बात करो.”
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कुछ वर्ष पहले ललिता, महेश और अन्य सभी वरिष्ठ परिवार वालों ने सबके लिए एक विशेष स्थान प्रकार से एक कॉलोनी होगी, उसका निर्माण कराने का निर्णय लिया था. कुछ विचार करने के बाद हर परिवार के लिए एक २ BHK बनाने का निर्णय लिया. महेश ने अपने बंगले के आसपास के प्लॉट क्रय कर लिए. और इसमें सबने सहयोग भी किया.
बच्चे जो अभी तक कुँवारे थे उन्हें भी यही अपार्टमेंट दिए गए. इसी प्रकार से माधवी और नलिनी कमरे के ही अपार्टमेंट दिए गए, हालाँकि उन्होंने कहा कि उनके लिए एक कमरा ही पर्याप्त है. तीन ३ BHK बनाये गए थे जिसमें से एक सरिता, पंखुड़ी और मायादेवी ने लिया था. दो विशेष प्रयोजन के लिए बनाये गए थे. उनके पास कुल लगभग छह एकड़ भूमि थी और उन्होंने २ कमरे के अपार्टमेंट भी बहुत विशाल बनाये थे.
भविष्य के लिए प्लाट का लगभग आधा भाग छोड़ दिया गया. अभी उनमें घर बनाने का कोई लाभ नहीं था. एक क्लब हाउस, जिम, और तरण ताल इत्यादि भी थे. और उनकी रूचि के अनुसार क्लब के तलघर में एक क्रीड़ाघर था और एक समान क्रीड़ाघर एक भवन के पेन्टहाउस में भी था. इसका उपयोग चन्द्रमा के प्रकाश में सामूहिक चुदाई के कार्यक्रम लिए किया जाता था. एक विशिष्ट कमरा फागुनी और सरिता के लिए भी बनाया गया था, जहाँ वे अपने व्यसन का आनंद ले सकती थीं. इससे परिसर के अन्य कमरे दुर्गंध से बच गए थे.
इतने उन्मुक्त जीवनशैली के उपरांत भी कई नियम थे जिनके कारण इतने परिवारों में कभी ईर्ष्या या द्वेष नहीं हुआ. एक समस्या थी बच्चों से उचित समय तक इन क्रिया कलापों को छुपाना. हालाँकि बच्चों को पता चल गया था कि उनका परिवार अन्य परिवारों से भिन्न है, उन्हें इस बात की बाहर कभी भी चर्चा न करने की आवश्यकता अल्पायु से ही समझाई गई थी.
जब किसी विवाहित जोड़े ने संतान प्राप्ति की इच्छा जताई, तब उनकी अन्य सबसे चुदाई करने से हटना पड़ता था. इसी कारण हर संतान उनके ही माता-पिता का अंश था. एक प्रकार से ये डेढ़ वर्ष का त्याग होता था और इसमें पति और पत्नी दोनों होते थे. संतान होने के छह माह के बाद ही वे सामूहिक चुदाई के क्षेत्र में लौट सकते थे. लगभग तीन बार ये समय ढाई वर्ष से अधिक भी रहा था क्योंकि एक वर्ष तक गर्भ न ठहरा था.
किशोरावस्था तक आते आते बच्चों को सच समझ आ चुका था, परन्तु उन्होंने कभी दर्शाया नहीं. जब उनके सबसे बड़े भाई को सम्भोग की शिक्षा दी गई तब उन्हें विदित हो गया कि उन्हें भी इसका आनंद मिलेगा. इसके बाद किसी प्रकार की को समस्या नहीं आई. आज ये परिवार फल फूल रहा था.
ललिता की माँ सरिता, संध्या की माँ पंखुड़ी और पल्लू की दादी मायादेवी अब चुदाई से लगभग निवृत्त हो चुकी थीं. वे अधिकतर बच्चों के लालन पालन और रसोई का ही कार्य संभालती थीं. कभी कभार उनकी इच्छा होने पर उनकी चुदाई हो जाती थी, परन्तु अब ये बहुत सहज और सौम्य ढंग से ही की जाती थी.
कोई भी अपने अपार्टमेंट को बंद नहीं करता था, केवल रात्रि में ही उन्हें लॉक किया जाता था. उच्च कोटि तकनीक की सुरक्षा व्यवस्था के कारण उन्होंने किसी प्रकार के सुरक्षाकर्मी को नहीं रखा था. खाना बनाने में कोई कष्ट नहीं था, इसका दायित्व घर की वरिष्ठ महिलाओं ने उठाया हुआ था. बर्तन धोने और झाड़ू पोंछे का कार्य अन्य सभी मिलजुल कर करते थे. वैसे डिश वाशर की सहायता से बर्तन का काम सरल हो गया था. हालाँकि सबकी अपनी छोटी रसोइयां (पैंट्री) थीं, पर भोजन सदा साथ ही होता था. और वो भी एक प्रकार का उत्सव होता था.
पुरुष वर्ग और कुछ महिलाएं काम पर जाती थीं, अधिकतर अपने ही व्यवसाय में लिप्त थीं. भिन्न भिन्न व्यवसायों के कारण उनके वृहद परिवार में धन की कोई कमी न थी. उनका एक संयुक्त खाता था जिसमें से सारे व्यय किये जाते थे. हर माह उसमें सब अपना योगदान देते थे. एक खाता बच्चों के विवाह के लिए था जिसमें अब कुछ करोड़ रूपये जमा हो चुके थे. सब एक दूसरे के साथ सुख और आनंद से जीवन जी रहे थे.
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रिया की माँ माधवी अपने अपार्टमेंट में रहती थी. वैसे अधिकतर रातें उसकी किसी न किसी की बाँहों में ही बीतती थी, पर कुछ दिनों से वो दिन में भी चुदाई में संलग्न रहती थी.
इस समय माधवी के अपार्टमेंट में उसकी तीनों संतानों के लड़के उपस्थित थे. रिया और अंकुर के दो बेटे थे, हेमंत और रियांश। दक्ष और उसकी पत्नी ईशा का एक बेटा अनिकेत और बेटी काजल थी. और सत्या (शक्ति) और उसकी पत्नी नीतू, जो पल्लू की चचेरी बहन भी थी, को एक बेटा प्रखर और एक बेटी जूही थी. ये केवल माधवी और उसके नाती और पोतों का जमावड़ा था.
“मम्मी को आज गुस्सा आ रहा था जब हम आये तो.” रिया के बड़े बेटे हेमंत ने कहा तो माधवी ने उसके लंड को चूसते हुए उसकी ओर देखा.
“फिर?” माधवी ने पूछा और फिर से लंड चूसने लगी.
“दादी, मेरी मॉम भी इतनी खुश नहीं हैं.” ये सत्या का बेटा प्रखर था. उसके लंड को माधवी अपने हाथ से सहला रही थी.
“हम्म्म, मुझे उनसे बात करनी होगी. क्या तुम सब लौटने के बाद मम्मियों को मेरे पास भेजोगे?”
“ओके, दादी. यही ठीक रहेगा.” दक्ष के पुत्र अनिकेत ने अपनी सहमति दी.
“यस नानी, यही सही रहेगा.” रिया के छोटे बेटे रियांश ने अपनी प्रतिक्रिया दी.
“ठीक है, तो अब हम इस खेल पर ध्यान लगाते हैं. आज शीघ्र समाप्त करके, खाने से पहले मैं उन तीनों से बात करूंगी.”
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अंकुर अपने वचन का पक्का था और उसने रिया को वहीँ बैठे रहने दिया. उसके सामने बैठकर रिया के गाउन को ऊपर किया और उसके सामने रिया की चमकती हुई चूत थी. परिवार की महिलाओं ने घर में पैंटी पहनना लगभग बंद कर दिया था. इसीलिए अंकुर को कोई अचरज नहीं हुआ. उसने अपनी उँगलियों से रिया की चूत से खेलना आरम्भ किया तो रिया आगे सरक गई और अंकुर को सरलता हो गई. रिया ने अपना पेग समाप्त किया और ग्लास रखकर अंकुर के होंठों से उसका ग्लास लगाया.
“पी लो, फिर तुम्हें मैं और भी कुछ पिलाने वाली हूँ.” रिया के स्वर में वासना थी.
“उस रस के लिए तो मैं जी रहा हूँ. इसमें क्या रखा है?” ये कहकर अपनी उँगलियों को रोके बिना अंकुर ने अपना पेग समाप्त किया.
“अब स्वाद बदलने का समय है.” अंकुर ने अपनी उँगलियाँ हटाए बिना ही रिया की चूत पर जीभ घुमाई तो रिया अपने बेटों को भूलकर अपने पति के मुँह में पहला रस छोड़ बैठी. मात्रा कम होने के कारण अंकुर को पीने में कोई समस्या नहीं हुई. पर फिर उसने रिया की चूत पर मुँह लगाकर उसे पूरी श्रद्धा से चूसना आरम्भ कर दिया. रिया ने अंकुर के सिर को अपनी चूत पर हल्के से दबाकर अपना सिर आनंद से पीछे कर दिया और आँखें बंद करते हुए अपने पति से मौखिक सम्भोग का आनंद लेने लगी.
कुछ देर के बाद रिया ने एक बार फिर पानी छोड़ा और अंकुर को पिलाकर उसका सिर अपनी जाँघों के बीच से हटाया.
“अब मेरी बारी।”
अंकुर ने तुरंत अपने कपड़े उतार फेंके. और रिया ने उसके तनते हुए लौड़े को मुँह में लेकर चूसना आरम्भ कर दिया.
“आई लव यू.” रिया ने सुपाड़े को चूसने से पहले कहा.
“आई लव यू टू, बेबी.” अंकुर ने उत्तर दिया और रिया अपने पति के लंड को पूजने में व्यस्त हो गई.
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ये कहते हुए माधवी खड़ी हो गई. उसके नाती पोते इस आयु में भी उसके शरीर के कसाव और कटाव देखकर उत्तेजित हो जाते थे. परन्तु माधवी एक संस्कारी घरेलू स्त्री थी. उसने कभी अपने परिवार से परे किसी और से संबंध नहीं बनाया था.
“वाओ नानी, यू आर सो हॉट. आपको कोई नानी या दादी मान ही नहीं सकता. कैसे रखती हो आप स्वयं को इतना मेंटेन?”
“ओह! बहुत सरल उपाय है. मैं खूब व्यायाम करती हूँ. जैसा अभी करने जा रही हूँ. और इस व्यायाम में मेरा साथ मेरे परिवार के भी सदस्य जुड़ते हैं. तो मुझे दोनों का आनंद मिलता है.” माधवी ने उसे आँख मारते हुए अपना रहस्य बताया, “और अब तुम सबको पूछने की आवश्यकता नहीं है कि परिवार की हम सब महिलाओं के शरीर क्यों आज भी युवा हैं? क्योंकि हमें कभी युवा रस की कमी ही नहीं हुई.”
“ये तो सच है नानी. पर आप सबसे अधिक युवा तो फागुनी नानी लगती हैं. उनकी तो जैसे जवानी कभी गई ही नहीं.” हेमंत ने कहा तो माधवी सकते में आ गई. “अपने कभी उनका फार्मूला नहीं परखा?”
“पहले मुझे चोद ले फिर ये सब बातें करना.” माधवी का स्वर कुछ कठोर था.
“बिलकुल नानी. मैं तो यूँ ही पूछ रहा था.” हेमंत ने खिसिया कर कहा. “यू आर माई स्वीट नानी.”
माधवी के मुख पर ममता भरी मुस्कान आ गई.
“तुम सब भी मेरे अतिप्रिय हो.” फिर मानो उसकी वासना ने उसे चेताया, “तुम जानते हो कि मैं क्या चाहती हूँ. एक बार एक एक करके चोदो और फिर एक साथ. आज वैसे भी समय कम है. तुम सबकी माताओं से जो बात करनी है.”
माधवी ने हेमंत को पहले पकड़ा और उसे अपने पैरों के बीच बैठाया. हेमंत ने उसकी चूत को चाटने में देर न की और कुछ ही पलों में माधवी ने उसे उठा लिया. उसने हेमंत को पलंग पर लिटाया और फिर पीछे मुड़कर प्रखर को कुछ संकेत किया. फिर उसने कुछ पल और हेमंत के तगड़े लंड को चूसा और फिर उसपर अपनी चूत रखते हुए एक ही झटके में अंदर कर लिया.
हेमंत ने अपनी नानी के मम्मों को पकड़ा और माधवी ने उसके लंड पर उछलना आरम्भ कर दिया. प्रखर आगे बढ़ा और उसने अपने मुँह में दो उँगलियाँ डालकर उन्हें गीला किया और अपनी दादी की गाँड को कुरेदने लगा. माधवी बिना रुके हेमंत के लंड पर उछलती रही पर सबसे छोटे रियांश से न रहा गया और वो जाकर अपनी नानी के मुँह के पास खड़ा हो गया. माधवी अपनी बेटी की छोटे पुत्र की इच्छा जानते हुए उसके लंड को चूसने लगी. अब माधवी के तीनो छेद व्यस्त थे. चूत और मुँह में लौड़े थे और गाँड में ऊँगली. प्रखर बीच बीच में ऊँगली निकालकर मुँह में डालकर गीली करता और फिर दादी की गाँड में डाल देता.
अनिकेत इस खेल में अभी नहीं जुड़ा था, पर वो जानता था कि उसका भी नंबर आएगा. उसकी दादी उसे अत्यधिक प्रेम करती थी और चाहे जो भी हो, उसकी अवहेलना नहीं करती थी. हेमंत के लंड पर कूदते हुए माधवी शीघ्र ही तक गई और नीचे उतर गई. इस आयु में इतना परिश्रम अब सम्भव न था. पर चुदाई की इच्छा कम न हुई थी. वो लेटी और हेमंत उसके ऊपर चढ़कर उसे फिर चोदने लगा. प्रखर के लिए अब गाँड तक पहुंचना सम्भव न था तो उसने भी अनिकेत के पास जाकर खेल देखना ही ठीक समझा. रियांश के लंड को चूसने में अब माधवी को भी सरलता हुई क्योंकि वो उसके मुँह में लंड डालने में सफल हुआ था.
“भाई, नानी को चोदेगा?” हेमंत ने रियांश से कुछ धीमा होते हुए पूछा।
“हाँ हाँ.” ये सुनकर हेमंत हट गया और रियांश ने उसका स्थान ले लिया. हेमंत ने माधवी से अपना लंड साफ करवाया और अनिकेत को बुलाया. अनिकेत ने माधवी के मुँह में लंड डाला और माधवी उसके लंड को चूसने लगी. नीचे से रियांश पूरे बल से नानी की चूत चोदे जा रहा था. पिछले सप्ताह से इस प्रकार से माधवी की चुदाई करते हुए उन्होंने एक पद्धति बना ली थी. इस कारण वो लम्बे समय तक चुदाई कर सकते थे और माधबी को पूर्णतया संतुष्टि भी मिलती थी. माधवी अब तक झड़ चुकी थी पर न हेमंत ने और न ही रियांश ने अपनी चुदाई को रोका था.
अचानक रियांश को अपने कंधे पर किसी के हाथ का आभास हुआ.
“अब मेरी बारी, भाई.” ये प्रखर था.
“जी, भैया.” रियांश को चुदाई बंद करने में कोई दुःख न था. उसके हटते ही प्रखर के लंड ने माधवी की चूत पर हमला बोल दिया. रियांश के लंड को चाटने के लिए अनिकेत हटा और माधवी ने प्रेम से रियांश के लंड को चाटकर चमकाया और अनिकेत के लंड को चूसने लगी. इसके बाद अनिकेत ने माधवी की चूत चोदी तो हेमंत के लंड ने उसके मुँह का आनंद लिया. माधवी अब तक कई बार झड़ चुकी थी और उसे अब विश्राम की आवश्यकता थी. चारों भाई अभी तक झड़े नहीं थे. और उन्हें इसका कोई खेद भी नहीं था. अंततः अनिकेत ने चुदाई समाप्त की और माधवी से लंड साफ करवाने के बाद माधवी के लिए एक बड़ा पेग बनाया. हेमंत ने भी एक पेग लिया पर अन्य तीनों भाई इससे दूर रहे.
माधवी के चेहरे पर एक शांति भरी मुस्कुराहट थी. उसने पेग लिया और धीरे धीरे पीने लगी. अपने सामने उसे अपने बच्चों की संतानें दिख रही थीं. उसकी आँखों में धुँधलका सा छाया, आँसू छलक गए. चारों नाती पोते उसे देखकर यही सोच रहे थे कि उन्हें प्रेम से आभूत आँसू बह रहे थे. पर माधवी के मन में एक हूक थी, एक पीड़ा जिसे वो चुदाई के माध्यम से दबाने का प्रयास कर रही थी. उसने मन ही मन एक सिसकी ली और अपना पेग पीते हुए आँसू पोंछे।
“आज तुमने बड़े नाप तौल के चुदाई की है. तुममे से किसी का पानी नहीं निकला. पहले दिन तो ….” ये कहकर वो हंसने लगी.
“हाँ. पर अब हमें अच्छा अध्यास जो हो गया है, दादी.” प्रखर ने हँसते हुए उत्तर दिया.
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रिया ने अंकुर के लंड को पूरे प्रेम के साथ चूसा और फिर अंकुर ने उसके सिर पर हल्की सी थपकी दी. रिया उठ खड़ी हुई और अंकुर के साथ उनके शयनकक्ष में चली गई. कमरे में उसने देरी नहीं की और पलंग पर लेटकर अंकुर को अपनी बाँहों का संकेत किया. अंकुर का लंड भी फटा जा रहा था, उसने रिया के पैर फैलाये और अपने लंड को उसकी गीली चूत में एक ही बार में उतार दिया. रिया ने एक सिसकी ली.
“अब मुझे चोदो। प्रेम करो मुझसे. प्लीज़ अंकुर, लव मी !” रिया के ये शब्द नए थे. उसके मुँह से ये सुने हुए अंकुर को एक लम्बी अवधि हो गई थी.
“आई लव यू बेबी, ऑलवेज लव यू. फॉरएवर।”
“मेरे बच्चे क्यों मुझे छोड़ गए अंकुर?”
“छोड़े कहाँ हैं, इसी घर में हैं. न जाने तुम्हारी माँ को उनके प्रेम की इतनी क्यों आवश्यकता पड़ी कि वे तुम तीनों भाई बहनों को दुखी कर रही हैं. उनसे बात करो. और ये सब नकारात्मक विचार छोड़ दो. हम दोनों को उन्हें मिलने का अवसर दिया है, उसकी प्रशंसा करो. नहीं तो तुम मुझे छोड़ उनसे चुद रही होतीं.”
अंकुर का ये कथन रिया को चुभ गया. उसे आभास हुआ कि वो सम्भवतः अपने पति की उपेक्षा कर रही है.
“रहने दो उन्हें एक मम्मी के पास जितने दिन चाहें. मेरे पास आप जो हो.” रिया कभी कभार ही उसे आप कहकर बुलाती थी, तुम उसका सामान्य शब्द था.
अंकुर समझ गया कि रिया अपराध बोध से ग्रस्त हो रही है.
“ओके, हम तो साथ ही हैं.”
रिया और अंकुर की चुदाई दो प्रेमियों का प्रेमालाप था, सम्भोग था . इसमें चुदाई अवश्य थी, पर इसे ये नाम देना ठीक न था.
पर जो रिया की माँ माधवी कर रही थी उसके लिए यही शब्द उपयुक्त था.
*********
क्योंकि रात के भोजन का समय अधिक दूर नहीं था, माधवी ने चारों को आगे बुलाया.
“जाने के बाद अपनी मम्मियों को मेरे पास भेज देना. और कुछ न कहना.”
फिर माधवी ने हेमंत को देखा, “तेरे प्रश्न का उत्तर दूँगी मैं. फागुनी के विषय में. पर ये तुम इसे अपने भाई बहनों में उछालना मत.”
पलंग पर बैठते हुए उसने आगे कहा, “पर अब मेरी गाँड में बहुत खुजली रही है. तो इसका उपचार भी आवश्यक है. समय कम है तो तुम सब एक साथ मुझे चोदो।”
ये माधवी न भी कहती तो होने वाला ही था, जैसा पिछले सप्ताह हर दिन हुआ था. माधवी की चुदाई की इच्छा इन दिनों इतनी बलवती थी कि इतना चुदने के बाद भी इन चारों के छोड़ वो किसी न किसी को रात में भी बुला लेती थी.
प्रखर लेट गया और रियांश ने माधवी को उसके लंड पर बैठने में सहायता की. बैठने के बाद प्रखर ने से धक्के लगाए और लंड को सही स्थापित किया. अनिकेत ने माधवी को आगे झुकाया और उसकी गाँड पर लंड रखकर एक बलशाली धक्के के साथ उसकी गाँड में जड़ दिया.
“ओह! माँ! ऐसे ही चोदो मुझे मादरचोदों!” माधवी ने हल्के स्वर में चीखते हुए उत्साह बढ़ाया.
“आप बहुत बोलती हो नानी. आपका मुँह बंद करना होगा.” हेमंत ने कहा और माधवी के मुँह में लंड पेल दिया. अब माधवी की बस गूँ गूँ की ध्वनि ही निकल रही थी.
“रियांश, तू नानी के मम्मों और कानों को संभाल. जैसा उन्हें अच्छा लगता है.” हेमंत ने अपने छोटे भाई को बोला तो रियांश आगे जाकर माधवी के मम्मे निचोड़ने लगा. इसमें कोई प्रेम न था. माधवी को इस प्रकार से उनका मसला और निचोड़ा जाना बहुत भाता था.
“नानी, आप बहुत चुदक्क्ड़ हो. आपकी चूत और गाँड में लौड़े डले हैं और आप मेरे भाई के लंड को चूस रही हो? क्या आपकी माँ भी ऐसी चुदक्क्ड़ थी?” रियांश अपनी नानी के कानों में ये सब कह रहा था पर सुनाई सबको दे रहा था. “वैसे आपकी बेटी आपसे भी बड़ी चुदक्क्ड़ है. और आपकी दोनों नातिन भी उसी ओर बढ़ रही हैं.”
दो तीन दिन पहले माधवी ने उन्हें उसे इस प्रकार से गालियाँ देने के लिया कहा था. पर चाहते हुए भी चारों उन्हें गाली नहीं दे पा रहे थे. बस इस प्रकार की बातें ही कर पा रहे थे.
“ऊँह, ऊँह!” माधवी ने सिर हिलाया.
“अरे नानी. अब देखो मेरे भाई कैसे आपकी चूत और गाँड का बैंड बजाते हैं. अभी तो पिक्चर स्टार्ट होने वाली है.” रियांश उनके मम्मे दबाते हुए उसके कानों में बोले जा रहा था. उसके इस कथन के साथ ही प्रखर और अनिकेत ने अपने लौंड़ों का प्रताप दिखाया और प्रखर दादी की चूत तो अनिकेत दादी की गाँड में लंड पेलने लगे. दोनों ने एक द्रुत गति से चुदाई आरम्भ की और माधवी की चीखें हेमंत का लंड मुँह में होने के कारण दब गईं.
अगर प्रखर और अनिकेत अपनी दादी की चुदाई कर रहे थे तो सामने से हेमंत के लंड ने भी अपनी नानी का मुँह चोदने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी.
“जब हमने मम्मी को कहा कि हम नानी के पास जा रहे हैं तो पूछने लगीं क्या करोगे? जानती हो मेरी चुदक्क्ड़ नानी हमने क्या कहा था?” रियांश उसी प्रकार से अपने कार्य को कुशलता पूर्वक पूर्ण कर रहा था. माधवी तो तीन लौंड़ों में पिसी हुई थी, बस गूँ गुँ कहकर रह गई.
“हमने कहा, मम्मी जी. आपकी माँ चोदने जा रहे हैं? हा हा हा.” रियांश ने निर्ममता से मम्मों को निचोड़ते हुए बोला तो चारों भाई हँसने लगे. माधवी इस प्रकार की चुदाई चाह भी रही थी. और उसके नवासे उसकी उसी प्रकार की चुदाई कर रहे थे.
कुछ देर की चुदाई के बाद रियांश बोल उठा, “अनिकेत भैया, मुझे भी नानी की गाँड मारनी है. प्लीज़, प्लीज़, प्लीज़. मुझे मारने दो न!” इस प्रकार के स्वाँग से फिर सबकी हंसी छूट गई. माधवी ने भी हेमंत के लंड को मुँह से निकाला।
“मार लेने दे इसे भी मेरी गाँड नहीं तो कहीं रोने न लगे मादरचोद!”
“ऐसा न बोलो नानी. ये प्रखर और अनिकेत जो हैं न, इनके पिता मादरचोद थे जो आपको चोद चोद के ऐसी चुदक्क्ड़ बना दिया.” अब तक अनिकेत हट चुका था.
“जा छोटे, मार गाँड मस्ती में. मस्त टाइट गाँड है, इतनी बार मारने के बाद भी भट्टी जैसी सुलग रही है.”
“अरे रुको, हेमंत भैया आप इधर आ जाओ. दादी ऊपर से हटो.”
पल भर में ही समीकरण बदल गए और इस बार पोते बाहर और नाती माधवी के अंदर हो गए. अनिकेत ने अपने सने लंड को माधवी के मुँह में डाला और फिर चुदाई का कार्यक्रम आरम्भ हो गया.
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अपने प्रेम भरे सम्भोग से तृप्त अंकुर और रिया एक दूसरे से लिपटे लेटे हुए थे. रह रह कर एक दूसरे को चूमते, कभी होंठ, कभी नाक तो कभी कोई और अंग. रिया ने अंकुर की मन ही मन प्रशंसा की. उसने रिया की नकारात्मक मनोदशा को १८० के अंश पर घुमा कर आनंदित कर दिया था.
“मम्मी से कब बात करूँ?” रिया ने पूछा.
“कल जाना. आज तो थक जाएँगी.” अंकुर ने कहा तो दोनों हंस पड़े. दोनों ने फिर घड़ी देखी।
“चलो आप नहा लो. आते ही चुदाई में जुट गए.”
“अरे तुम्हारी जैसी डिश सामने हो तो कौन नहीं खाना चाहेगा.” अंकुर उठा और नहाने चला गया. रिया ने उठकर बिस्तर ठीक किया और फिर कपड़े पहनकर बैठक में चली गई. उसने दो पेग बनाये और अंकुर के आने की प्रतीक्षा करने लगी.
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अगले आधे घण्टे तक चारों भाई माधवी की चुदाई करते रहे. कभी कोई चूत मारता तो कोई गाँड और तीसरा गाँड से सीधे मुँह में लंड पेलता. अंततः, हर खेल का अंत होता है. एक एक करके सभी भाई माधवी की गाँड या चूत में झड़कर हट गए. माधवी के चेहरे पर फिर एक चिर परिचित मुस्कान थी, जो कुछ पलों के लिए दुःख में परिवर्तित हुई.
“जाओ, अपनी मम्मियों के मेरे पास भेज दो.” वो उठी और बाथरूम में चली गई. चारों भाइयों के कपड़े पहने और अपने अपार्टमेंट में चले गए.
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अंकुर ने आने में बहुत समय लिया. इस बीच रिया ने उसका पेग भी पी लिया था और अंकुर के आने पर ही नया बनाने वाली थी. अंकुर आया तो उसने उसे पेग बनाकर दिया.
“आज बहुत अच्छा लगा. हमें इस प्रकार से सप्ताह में कम से कम एक दिन मिलन करना ही चाहिए.” रिया ने कहा तो अंकुर ने सहमति जताई.
“हे मॉम, हे डैड! हम लौट आये!” रियांश ने अपनी माँ को बाँहों में लेते हुए कहा.
“मॉम, नानी आपको बुला रही हैं. उन्होंने ईशा और नीतू मामी को भी बुलाया है. अभी.”
“ओह!” रिया ने कहा तो अंकुर ने बोला “जाओ और इस समस्या को सुलझाओ. अवश्य उनके मन में कोई बात है जो वो तुम्हें बताना चाहती हैं.”
रिया उठी और अपनी माँ के अपार्टमेंट में चली गई.
***********
रिया के पीछे पीछे ईशा और नीतू भी आ गईं। तीनों अपार्टमेंट के बाहर रुकीं और एक दूसरे को देखा.
“क्या हुआ?”
“पता नहीं.”
तीनों अंदर गईं तो माधवी बैठी हुई थी. उसका चेहरा गंभीर था. उसने तीनों को बैठने का संकेत किया. तीनों बैठ गईं पर कुछ बोली नहीं. अंततः माधवी ने एक गहरी श्वास भरी.
“मैं इस जीवन से ऊब गई हूँ. मैं बाहर जाना चाहती हूँ. सोच रही हूँ तीन महीने के किसी पर्यटन पर चली जाऊँ। इसी कारण मैं अपने नाती पोतों को हर दिन बुला रही हूँ. अभी मैंने निर्णय नहीं लिया है, पर सम्भवतः अगले माह के अंत में एक विश्व भ्रमण का विज्ञापन देखा है. मैं सोच रही हूँ उसमे चली जाऊँ।”
“ये तो बहुत अच्छी बात है माँ जी.” नीतू बोली. “आपका मन भी लगेगा. और देखिएगा हो सकता है दिशा की मम्मी भी आपके साथ जाना चाहें. इससे आपको भी साथ रहेगा.”
रिया अपनी माँ के पास जाकर बैठी. “माँ, आप चिंता न करो. ईशा, नीतू और मैं सब प्रबंध कर देंगी. आप नलिनी नानी को भी बुला लो. अगर वो भी मान गईं तो सोने पर सुहागा हो जायेगा.”
नलिनी आई और बिना हिचक सहमत हो गई. माधवी और नलिनी के चेहरे पर आनंद के भाव थे.
रात खाने के समय नीतू ने इसकी घोषणा की तो सबने इस निर्णय का स्वागत किया. सरिता और पंखुड़ी ने इसका सबसे अधिक स्वागत किया. फिर कहा कि अगर आठ दस दिन का कोई सरल टूर हो तो वो भी जाना चाहेंगी. दक्ष ने पूरा प्रबंध करने का बीड़ा उठाया और भोजन आनंद से किया गया.
उसके बाद माधवी और नलिनी से पूछा गया कि क्या आज वो अपनी सेवा एक साथ करवाने की इच्छुक हैं. इसका उत्तर तो हाँ ही होना था. तो परिवार की अगली पीढ़ी के युवाओं को निर्देश दिया गया. इसमें माधवी के पोते और नाती नहीं थे. पर उन दोनों की आज जम कर चुदाई होने की गारंटी थी. ये सब व्यवस्था करके चुने हुए लड़कों के सिवाय सब अपने अपने घरों को चले गए. माधवी और नलिनी आज रात्रि के लिए माधवी के ही घर चल दीं और उनके पीछे उनकी सेवा करने वालों की सेना.
रात अभी शेष थी.
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क्रमशः
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Thanks bhai...abhi aapka msg dekha...update padh kar comment karta hoon. Thanks much for working on my request
Bahut hi badhiya update diya hai prkin bhai....अध्याय ५7: अगली पीढ़ी
अध्याय ५५ से लगभग पाँच वर्ष पहले
“सब कहाँ हैं? बड़ी शांति है.” अंकुर ने घर आकर पूछा.
रिया मुँह फुलाए बैठी थी. और उसके हाथ में मदिरा का प्याला था. उसने कोई उत्तर नहीं दिया तो अंकुर ने फिर पूछा और उसके पास जाकर बैठ गया. रिया के हाथ से उसने ग्लास लिया और एक ही घूँट में पी लिया.
“अब बताओगी भी क्या हुआ?”
“मम्मी ने फिर आज सबको बुला लिया.” रिया ने क्रोध से कहा.
“ओह शिट. उनसे बात करनी ही होगी. उनके कारण समस्या होने लगी है. पर ये तुम तीनों भाई बहनों में से किसी को करना होगा. अकेले या एक साथ.”
“मैंने दक्ष और सत्या से भी बात की है. हम तीनों ही मिलकर बात करेंगे.”
“गुड़. तो फिर हम आज अकेले हैं तो क्या विचार है?” अंकुर ने मुस्कुराकर पूछा.
“हटो, आपको तो बस चुदाई के सिवा कुछ सूझता ही नहीं है.” रिया ने झूठमूठ का स्वांग किया.
“अब तुम्हारे जैसी रसीली पत्नी हो तो सूझेगा ही क्यों?” ये कहकर अंकुर ने उसे अपनी बाँहों में लिया और कुछ देर चूमकर उठाने लगा.
“अरे रे रे रे! अरे कुछ देर विश्राम तो कर लो. फिर रात भर चोद लेना.” रिया ने कहा और ग्लास दिखाया.
“ठीक है.” अंकुर ने उसे छोड़ा और रिया पेग बनाने लगी.
“वैसे तुम्हारी मम्मी की प्रॉब्लम क्या है?” अंकुर ने अपने पेग की चुस्कियाँ लेते हुए पूछा. साथ ही उसकी उँगलियाँ कपड़ों के ऊपर ही से रिया के मम्मों से खेल रही थीं.
“पता नहीं. कुछ दिनों से कुछ अधिक ही चुदासी हो रही हैं. मैंने पूछा तो हंसने लगीं. कहने लगीं कि खुजली बहुत हो रही है.”
“बच्चों के कॉलेज की छुट्टियों ने उनकी इच्छा बलवती कर दी है. अगले सप्ताह सब लौटने वाले जो हैं.” अंकुर ने अपना दृष्टिकोण दिया.
“पर उन्हें उनकी मम्मियों के बारे में भी तो सोचना चाहिए. उनकी चुदाई के चक्कर में हम प्यासी रह जाती हैं.”
“तुम्हारी प्यास तो आज मैं बुझा दूँगा। पर मैं तुम्हारी बात समझ रहा हूँ. अच्छा होगा कि तुम उनसे शीघ्रतिशीघ्र बात करो.”
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कुछ वर्ष पहले ललिता, महेश और अन्य सभी वरिष्ठ परिवार वालों ने सबके लिए एक विशेष स्थान प्रकार से एक कॉलोनी होगी, उसका निर्माण कराने का निर्णय लिया था. कुछ विचार करने के बाद हर परिवार के लिए एक २ BHK बनाने का निर्णय लिया. महेश ने अपने बंगले के आसपास के प्लॉट क्रय कर लिए. और इसमें सबने सहयोग भी किया.
बच्चे जो अभी तक कुँवारे थे उन्हें भी यही अपार्टमेंट दिए गए. इसी प्रकार से माधवी और नलिनी कमरे के ही अपार्टमेंट दिए गए, हालाँकि उन्होंने कहा कि उनके लिए एक कमरा ही पर्याप्त है. तीन ३ BHK बनाये गए थे जिसमें से एक सरिता, पंखुड़ी और मायादेवी ने लिया था. दो विशेष प्रयोजन के लिए बनाये गए थे. उनके पास कुल लगभग छह एकड़ भूमि थी और उन्होंने २ कमरे के अपार्टमेंट भी बहुत विशाल बनाये थे.
भविष्य के लिए प्लाट का लगभग आधा भाग छोड़ दिया गया. अभी उनमें घर बनाने का कोई लाभ नहीं था. एक क्लब हाउस, जिम, और तरण ताल इत्यादि भी थे. और उनकी रूचि के अनुसार क्लब के तलघर में एक क्रीड़ाघर था और एक समान क्रीड़ाघर एक भवन के पेन्टहाउस में भी था. इसका उपयोग चन्द्रमा के प्रकाश में सामूहिक चुदाई के कार्यक्रम लिए किया जाता था. एक विशिष्ट कमरा फागुनी और सरिता के लिए भी बनाया गया था, जहाँ वे अपने व्यसन का आनंद ले सकती थीं. इससे परिसर के अन्य कमरे दुर्गंध से बच गए थे.
इतने उन्मुक्त जीवनशैली के उपरांत भी कई नियम थे जिनके कारण इतने परिवारों में कभी ईर्ष्या या द्वेष नहीं हुआ. एक समस्या थी बच्चों से उचित समय तक इन क्रिया कलापों को छुपाना. हालाँकि बच्चों को पता चल गया था कि उनका परिवार अन्य परिवारों से भिन्न है, उन्हें इस बात की बाहर कभी भी चर्चा न करने की आवश्यकता अल्पायु से ही समझाई गई थी.
जब किसी विवाहित जोड़े ने संतान प्राप्ति की इच्छा जताई, तब उनकी अन्य सबसे चुदाई करने से हटना पड़ता था. इसी कारण हर संतान उनके ही माता-पिता का अंश था. एक प्रकार से ये डेढ़ वर्ष का त्याग होता था और इसमें पति और पत्नी दोनों होते थे. संतान होने के छह माह के बाद ही वे सामूहिक चुदाई के क्षेत्र में लौट सकते थे. लगभग तीन बार ये समय ढाई वर्ष से अधिक भी रहा था क्योंकि एक वर्ष तक गर्भ न ठहरा था.
किशोरावस्था तक आते आते बच्चों को सच समझ आ चुका था, परन्तु उन्होंने कभी दर्शाया नहीं. जब उनके सबसे बड़े भाई को सम्भोग की शिक्षा दी गई तब उन्हें विदित हो गया कि उन्हें भी इसका आनंद मिलेगा. इसके बाद किसी प्रकार की को समस्या नहीं आई. आज ये परिवार फल फूल रहा था.
ललिता की माँ सरिता, संध्या की माँ पंखुड़ी और पल्लू की दादी मायादेवी अब चुदाई से लगभग निवृत्त हो चुकी थीं. वे अधिकतर बच्चों के लालन पालन और रसोई का ही कार्य संभालती थीं. कभी कभार उनकी इच्छा होने पर उनकी चुदाई हो जाती थी, परन्तु अब ये बहुत सहज और सौम्य ढंग से ही की जाती थी.
कोई भी अपने अपार्टमेंट को बंद नहीं करता था, केवल रात्रि में ही उन्हें लॉक किया जाता था. उच्च कोटि तकनीक की सुरक्षा व्यवस्था के कारण उन्होंने किसी प्रकार के सुरक्षाकर्मी को नहीं रखा था. खाना बनाने में कोई कष्ट नहीं था, इसका दायित्व घर की वरिष्ठ महिलाओं ने उठाया हुआ था. बर्तन धोने और झाड़ू पोंछे का कार्य अन्य सभी मिलजुल कर करते थे. वैसे डिश वाशर की सहायता से बर्तन का काम सरल हो गया था. हालाँकि सबकी अपनी छोटी रसोइयां (पैंट्री) थीं, पर भोजन सदा साथ ही होता था. और वो भी एक प्रकार का उत्सव होता था.
पुरुष वर्ग और कुछ महिलाएं काम पर जाती थीं, अधिकतर अपने ही व्यवसाय में लिप्त थीं. भिन्न भिन्न व्यवसायों के कारण उनके वृहद परिवार में धन की कोई कमी न थी. उनका एक संयुक्त खाता था जिसमें से सारे व्यय किये जाते थे. हर माह उसमें सब अपना योगदान देते थे. एक खाता बच्चों के विवाह के लिए था जिसमें अब कुछ करोड़ रूपये जमा हो चुके थे. सब एक दूसरे के साथ सुख और आनंद से जीवन जी रहे थे.
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रिया की माँ माधवी अपने अपार्टमेंट में रहती थी. वैसे अधिकतर रातें उसकी किसी न किसी की बाँहों में ही बीतती थी, पर कुछ दिनों से वो दिन में भी चुदाई में संलग्न रहती थी.
इस समय माधवी के अपार्टमेंट में उसकी तीनों संतानों के लड़के उपस्थित थे. रिया और अंकुर के दो बेटे थे, हेमंत और रियांश। दक्ष और उसकी पत्नी ईशा का एक बेटा अनिकेत और बेटी काजल थी. और सत्या (शक्ति) और उसकी पत्नी नीतू, जो पल्लू की चचेरी बहन भी थी, को एक बेटा प्रखर और एक बेटी जूही थी. ये केवल माधवी और उसके नाती और पोतों का जमावड़ा था.
“मम्मी को आज गुस्सा आ रहा था जब हम आये तो.” रिया के बड़े बेटे हेमंत ने कहा तो माधवी ने उसके लंड को चूसते हुए उसकी ओर देखा.
“फिर?” माधवी ने पूछा और फिर से लंड चूसने लगी.
“दादी, मेरी मॉम भी इतनी खुश नहीं हैं.” ये सत्या का बेटा प्रखर था. उसके लंड को माधवी अपने हाथ से सहला रही थी.
“हम्म्म, मुझे उनसे बात करनी होगी. क्या तुम सब लौटने के बाद मम्मियों को मेरे पास भेजोगे?”
“ओके, दादी. यही ठीक रहेगा.” दक्ष के पुत्र अनिकेत ने अपनी सहमति दी.
“यस नानी, यही सही रहेगा.” रिया के छोटे बेटे रियांश ने अपनी प्रतिक्रिया दी.
“ठीक है, तो अब हम इस खेल पर ध्यान लगाते हैं. आज शीघ्र समाप्त करके, खाने से पहले मैं उन तीनों से बात करूंगी.”
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अंकुर अपने वचन का पक्का था और उसने रिया को वहीँ बैठे रहने दिया. उसके सामने बैठकर रिया के गाउन को ऊपर किया और उसके सामने रिया की चमकती हुई चूत थी. परिवार की महिलाओं ने घर में पैंटी पहनना लगभग बंद कर दिया था. इसीलिए अंकुर को कोई अचरज नहीं हुआ. उसने अपनी उँगलियों से रिया की चूत से खेलना आरम्भ किया तो रिया आगे सरक गई और अंकुर को सरलता हो गई. रिया ने अपना पेग समाप्त किया और ग्लास रखकर अंकुर के होंठों से उसका ग्लास लगाया.
“पी लो, फिर तुम्हें मैं और भी कुछ पिलाने वाली हूँ.” रिया के स्वर में वासना थी.
“उस रस के लिए तो मैं जी रहा हूँ. इसमें क्या रखा है?” ये कहकर अपनी उँगलियों को रोके बिना अंकुर ने अपना पेग समाप्त किया.
“अब स्वाद बदलने का समय है.” अंकुर ने अपनी उँगलियाँ हटाए बिना ही रिया की चूत पर जीभ घुमाई तो रिया अपने बेटों को भूलकर अपने पति के मुँह में पहला रस छोड़ बैठी. मात्रा कम होने के कारण अंकुर को पीने में कोई समस्या नहीं हुई. पर फिर उसने रिया की चूत पर मुँह लगाकर उसे पूरी श्रद्धा से चूसना आरम्भ कर दिया. रिया ने अंकुर के सिर को अपनी चूत पर हल्के से दबाकर अपना सिर आनंद से पीछे कर दिया और आँखें बंद करते हुए अपने पति से मौखिक सम्भोग का आनंद लेने लगी.
कुछ देर के बाद रिया ने एक बार फिर पानी छोड़ा और अंकुर को पिलाकर उसका सिर अपनी जाँघों के बीच से हटाया.
“अब मेरी बारी।”
अंकुर ने तुरंत अपने कपड़े उतार फेंके. और रिया ने उसके तनते हुए लौड़े को मुँह में लेकर चूसना आरम्भ कर दिया.
“आई लव यू.” रिया ने सुपाड़े को चूसने से पहले कहा.
“आई लव यू टू, बेबी.” अंकुर ने उत्तर दिया और रिया अपने पति के लंड को पूजने में व्यस्त हो गई.
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ये कहते हुए माधवी खड़ी हो गई. उसके नाती पोते इस आयु में भी उसके शरीर के कसाव और कटाव देखकर उत्तेजित हो जाते थे. परन्तु माधवी एक संस्कारी घरेलू स्त्री थी. उसने कभी अपने परिवार से परे किसी और से संबंध नहीं बनाया था.
“वाओ नानी, यू आर सो हॉट. आपको कोई नानी या दादी मान ही नहीं सकता. कैसे रखती हो आप स्वयं को इतना मेंटेन?”
“ओह! बहुत सरल उपाय है. मैं खूब व्यायाम करती हूँ. जैसा अभी करने जा रही हूँ. और इस व्यायाम में मेरा साथ मेरे परिवार के भी सदस्य जुड़ते हैं. तो मुझे दोनों का आनंद मिलता है.” माधवी ने उसे आँख मारते हुए अपना रहस्य बताया, “और अब तुम सबको पूछने की आवश्यकता नहीं है कि परिवार की हम सब महिलाओं के शरीर क्यों आज भी युवा हैं? क्योंकि हमें कभी युवा रस की कमी ही नहीं हुई.”
“ये तो सच है नानी. पर आप सबसे अधिक युवा तो फागुनी नानी लगती हैं. उनकी तो जैसे जवानी कभी गई ही नहीं.” हेमंत ने कहा तो माधवी सकते में आ गई. “अपने कभी उनका फार्मूला नहीं परखा?”
“पहले मुझे चोद ले फिर ये सब बातें करना.” माधवी का स्वर कुछ कठोर था.
“बिलकुल नानी. मैं तो यूँ ही पूछ रहा था.” हेमंत ने खिसिया कर कहा. “यू आर माई स्वीट नानी.”
माधवी के मुख पर ममता भरी मुस्कान आ गई.
“तुम सब भी मेरे अतिप्रिय हो.” फिर मानो उसकी वासना ने उसे चेताया, “तुम जानते हो कि मैं क्या चाहती हूँ. एक बार एक एक करके चोदो और फिर एक साथ. आज वैसे भी समय कम है. तुम सबकी माताओं से जो बात करनी है.”
माधवी ने हेमंत को पहले पकड़ा और उसे अपने पैरों के बीच बैठाया. हेमंत ने उसकी चूत को चाटने में देर न की और कुछ ही पलों में माधवी ने उसे उठा लिया. उसने हेमंत को पलंग पर लिटाया और फिर पीछे मुड़कर प्रखर को कुछ संकेत किया. फिर उसने कुछ पल और हेमंत के तगड़े लंड को चूसा और फिर उसपर अपनी चूत रखते हुए एक ही झटके में अंदर कर लिया.
हेमंत ने अपनी नानी के मम्मों को पकड़ा और माधवी ने उसके लंड पर उछलना आरम्भ कर दिया. प्रखर आगे बढ़ा और उसने अपने मुँह में दो उँगलियाँ डालकर उन्हें गीला किया और अपनी दादी की गाँड को कुरेदने लगा. माधवी बिना रुके हेमंत के लंड पर उछलती रही पर सबसे छोटे रियांश से न रहा गया और वो जाकर अपनी नानी के मुँह के पास खड़ा हो गया. माधवी अपनी बेटी की छोटे पुत्र की इच्छा जानते हुए उसके लंड को चूसने लगी. अब माधवी के तीनो छेद व्यस्त थे. चूत और मुँह में लौड़े थे और गाँड में ऊँगली. प्रखर बीच बीच में ऊँगली निकालकर मुँह में डालकर गीली करता और फिर दादी की गाँड में डाल देता.
अनिकेत इस खेल में अभी नहीं जुड़ा था, पर वो जानता था कि उसका भी नंबर आएगा. उसकी दादी उसे अत्यधिक प्रेम करती थी और चाहे जो भी हो, उसकी अवहेलना नहीं करती थी. हेमंत के लंड पर कूदते हुए माधवी शीघ्र ही तक गई और नीचे उतर गई. इस आयु में इतना परिश्रम अब सम्भव न था. पर चुदाई की इच्छा कम न हुई थी. वो लेटी और हेमंत उसके ऊपर चढ़कर उसे फिर चोदने लगा. प्रखर के लिए अब गाँड तक पहुंचना सम्भव न था तो उसने भी अनिकेत के पास जाकर खेल देखना ही ठीक समझा. रियांश के लंड को चूसने में अब माधवी को भी सरलता हुई क्योंकि वो उसके मुँह में लंड डालने में सफल हुआ था.
“भाई, नानी को चोदेगा?” हेमंत ने रियांश से कुछ धीमा होते हुए पूछा।
“हाँ हाँ.” ये सुनकर हेमंत हट गया और रियांश ने उसका स्थान ले लिया. हेमंत ने माधवी से अपना लंड साफ करवाया और अनिकेत को बुलाया. अनिकेत ने माधवी के मुँह में लंड डाला और माधवी उसके लंड को चूसने लगी. नीचे से रियांश पूरे बल से नानी की चूत चोदे जा रहा था. पिछले सप्ताह से इस प्रकार से माधवी की चुदाई करते हुए उन्होंने एक पद्धति बना ली थी. इस कारण वो लम्बे समय तक चुदाई कर सकते थे और माधबी को पूर्णतया संतुष्टि भी मिलती थी. माधवी अब तक झड़ चुकी थी पर न हेमंत ने और न ही रियांश ने अपनी चुदाई को रोका था.
अचानक रियांश को अपने कंधे पर किसी के हाथ का आभास हुआ.
“अब मेरी बारी, भाई.” ये प्रखर था.
“जी, भैया.” रियांश को चुदाई बंद करने में कोई दुःख न था. उसके हटते ही प्रखर के लंड ने माधवी की चूत पर हमला बोल दिया. रियांश के लंड को चाटने के लिए अनिकेत हटा और माधवी ने प्रेम से रियांश के लंड को चाटकर चमकाया और अनिकेत के लंड को चूसने लगी. इसके बाद अनिकेत ने माधवी की चूत चोदी तो हेमंत के लंड ने उसके मुँह का आनंद लिया. माधवी अब तक कई बार झड़ चुकी थी और उसे अब विश्राम की आवश्यकता थी. चारों भाई अभी तक झड़े नहीं थे. और उन्हें इसका कोई खेद भी नहीं था. अंततः अनिकेत ने चुदाई समाप्त की और माधवी से लंड साफ करवाने के बाद माधवी के लिए एक बड़ा पेग बनाया. हेमंत ने भी एक पेग लिया पर अन्य तीनों भाई इससे दूर रहे.
माधवी के चेहरे पर एक शांति भरी मुस्कुराहट थी. उसने पेग लिया और धीरे धीरे पीने लगी. अपने सामने उसे अपने बच्चों की संतानें दिख रही थीं. उसकी आँखों में धुँधलका सा छाया, आँसू छलक गए. चारों नाती पोते उसे देखकर यही सोच रहे थे कि उन्हें प्रेम से आभूत आँसू बह रहे थे. पर माधवी के मन में एक हूक थी, एक पीड़ा जिसे वो चुदाई के माध्यम से दबाने का प्रयास कर रही थी. उसने मन ही मन एक सिसकी ली और अपना पेग पीते हुए आँसू पोंछे।
“आज तुमने बड़े नाप तौल के चुदाई की है. तुममे से किसी का पानी नहीं निकला. पहले दिन तो ….” ये कहकर वो हंसने लगी.
“हाँ. पर अब हमें अच्छा अध्यास जो हो गया है, दादी.” प्रखर ने हँसते हुए उत्तर दिया.
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रिया ने अंकुर के लंड को पूरे प्रेम के साथ चूसा और फिर अंकुर ने उसके सिर पर हल्की सी थपकी दी. रिया उठ खड़ी हुई और अंकुर के साथ उनके शयनकक्ष में चली गई. कमरे में उसने देरी नहीं की और पलंग पर लेटकर अंकुर को अपनी बाँहों का संकेत किया. अंकुर का लंड भी फटा जा रहा था, उसने रिया के पैर फैलाये और अपने लंड को उसकी गीली चूत में एक ही बार में उतार दिया. रिया ने एक सिसकी ली.
“अब मुझे चोदो। प्रेम करो मुझसे. प्लीज़ अंकुर, लव मी !” रिया के ये शब्द नए थे. उसके मुँह से ये सुने हुए अंकुर को एक लम्बी अवधि हो गई थी.
“आई लव यू बेबी, ऑलवेज लव यू. फॉरएवर।”
“मेरे बच्चे क्यों मुझे छोड़ गए अंकुर?”
“छोड़े कहाँ हैं, इसी घर में हैं. न जाने तुम्हारी माँ को उनके प्रेम की इतनी क्यों आवश्यकता पड़ी कि वे तुम तीनों भाई बहनों को दुखी कर रही हैं. उनसे बात करो. और ये सब नकारात्मक विचार छोड़ दो. हम दोनों को उन्हें मिलने का अवसर दिया है, उसकी प्रशंसा करो. नहीं तो तुम मुझे छोड़ उनसे चुद रही होतीं.”
अंकुर का ये कथन रिया को चुभ गया. उसे आभास हुआ कि वो सम्भवतः अपने पति की उपेक्षा कर रही है.
“रहने दो उन्हें एक मम्मी के पास जितने दिन चाहें. मेरे पास आप जो हो.” रिया कभी कभार ही उसे आप कहकर बुलाती थी, तुम उसका सामान्य शब्द था.
अंकुर समझ गया कि रिया अपराध बोध से ग्रस्त हो रही है.
“ओके, हम तो साथ ही हैं.”
रिया और अंकुर की चुदाई दो प्रेमियों का प्रेमालाप था, सम्भोग था . इसमें चुदाई अवश्य थी, पर इसे ये नाम देना ठीक न था.
पर जो रिया की माँ माधवी कर रही थी उसके लिए यही शब्द उपयुक्त था.
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क्योंकि रात के भोजन का समय अधिक दूर नहीं था, माधवी ने चारों को आगे बुलाया.
“जाने के बाद अपनी मम्मियों को मेरे पास भेज देना. और कुछ न कहना.”
फिर माधवी ने हेमंत को देखा, “तेरे प्रश्न का उत्तर दूँगी मैं. फागुनी के विषय में. पर ये तुम इसे अपने भाई बहनों में उछालना मत.”
पलंग पर बैठते हुए उसने आगे कहा, “पर अब मेरी गाँड में बहुत खुजली रही है. तो इसका उपचार भी आवश्यक है. समय कम है तो तुम सब एक साथ मुझे चोदो।”
ये माधवी न भी कहती तो होने वाला ही था, जैसा पिछले सप्ताह हर दिन हुआ था. माधवी की चुदाई की इच्छा इन दिनों इतनी बलवती थी कि इतना चुदने के बाद भी इन चारों के छोड़ वो किसी न किसी को रात में भी बुला लेती थी.
प्रखर लेट गया और रियांश ने माधवी को उसके लंड पर बैठने में सहायता की. बैठने के बाद प्रखर ने से धक्के लगाए और लंड को सही स्थापित किया. अनिकेत ने माधवी को आगे झुकाया और उसकी गाँड पर लंड रखकर एक बलशाली धक्के के साथ उसकी गाँड में जड़ दिया.
“ओह! माँ! ऐसे ही चोदो मुझे मादरचोदों!” माधवी ने हल्के स्वर में चीखते हुए उत्साह बढ़ाया.
“आप बहुत बोलती हो नानी. आपका मुँह बंद करना होगा.” हेमंत ने कहा और माधवी के मुँह में लंड पेल दिया. अब माधवी की बस गूँ गूँ की ध्वनि ही निकल रही थी.
“रियांश, तू नानी के मम्मों और कानों को संभाल. जैसा उन्हें अच्छा लगता है.” हेमंत ने अपने छोटे भाई को बोला तो रियांश आगे जाकर माधवी के मम्मे निचोड़ने लगा. इसमें कोई प्रेम न था. माधवी को इस प्रकार से उनका मसला और निचोड़ा जाना बहुत भाता था.
“नानी, आप बहुत चुदक्क्ड़ हो. आपकी चूत और गाँड में लौड़े डले हैं और आप मेरे भाई के लंड को चूस रही हो? क्या आपकी माँ भी ऐसी चुदक्क्ड़ थी?” रियांश अपनी नानी के कानों में ये सब कह रहा था पर सुनाई सबको दे रहा था. “वैसे आपकी बेटी आपसे भी बड़ी चुदक्क्ड़ है. और आपकी दोनों नातिन भी उसी ओर बढ़ रही हैं.”
दो तीन दिन पहले माधवी ने उन्हें उसे इस प्रकार से गालियाँ देने के लिया कहा था. पर चाहते हुए भी चारों उन्हें गाली नहीं दे पा रहे थे. बस इस प्रकार की बातें ही कर पा रहे थे.
“ऊँह, ऊँह!” माधवी ने सिर हिलाया.
“अरे नानी. अब देखो मेरे भाई कैसे आपकी चूत और गाँड का बैंड बजाते हैं. अभी तो पिक्चर स्टार्ट होने वाली है.” रियांश उनके मम्मे दबाते हुए उसके कानों में बोले जा रहा था. उसके इस कथन के साथ ही प्रखर और अनिकेत ने अपने लौंड़ों का प्रताप दिखाया और प्रखर दादी की चूत तो अनिकेत दादी की गाँड में लंड पेलने लगे. दोनों ने एक द्रुत गति से चुदाई आरम्भ की और माधवी की चीखें हेमंत का लंड मुँह में होने के कारण दब गईं.
अगर प्रखर और अनिकेत अपनी दादी की चुदाई कर रहे थे तो सामने से हेमंत के लंड ने भी अपनी नानी का मुँह चोदने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी.
“जब हमने मम्मी को कहा कि हम नानी के पास जा रहे हैं तो पूछने लगीं क्या करोगे? जानती हो मेरी चुदक्क्ड़ नानी हमने क्या कहा था?” रियांश उसी प्रकार से अपने कार्य को कुशलता पूर्वक पूर्ण कर रहा था. माधवी तो तीन लौंड़ों में पिसी हुई थी, बस गूँ गुँ कहकर रह गई.
“हमने कहा, मम्मी जी. आपकी माँ चोदने जा रहे हैं? हा हा हा.” रियांश ने निर्ममता से मम्मों को निचोड़ते हुए बोला तो चारों भाई हँसने लगे. माधवी इस प्रकार की चुदाई चाह भी रही थी. और उसके नवासे उसकी उसी प्रकार की चुदाई कर रहे थे.
कुछ देर की चुदाई के बाद रियांश बोल उठा, “अनिकेत भैया, मुझे भी नानी की गाँड मारनी है. प्लीज़, प्लीज़, प्लीज़. मुझे मारने दो न!” इस प्रकार के स्वाँग से फिर सबकी हंसी छूट गई. माधवी ने भी हेमंत के लंड को मुँह से निकाला।
“मार लेने दे इसे भी मेरी गाँड नहीं तो कहीं रोने न लगे मादरचोद!”
“ऐसा न बोलो नानी. ये प्रखर और अनिकेत जो हैं न, इनके पिता मादरचोद थे जो आपको चोद चोद के ऐसी चुदक्क्ड़ बना दिया.” अब तक अनिकेत हट चुका था.
“जा छोटे, मार गाँड मस्ती में. मस्त टाइट गाँड है, इतनी बार मारने के बाद भी भट्टी जैसी सुलग रही है.”
“अरे रुको, हेमंत भैया आप इधर आ जाओ. दादी ऊपर से हटो.”
पल भर में ही समीकरण बदल गए और इस बार पोते बाहर और नाती माधवी के अंदर हो गए. अनिकेत ने अपने सने लंड को माधवी के मुँह में डाला और फिर चुदाई का कार्यक्रम आरम्भ हो गया.
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अपने प्रेम भरे सम्भोग से तृप्त अंकुर और रिया एक दूसरे से लिपटे लेटे हुए थे. रह रह कर एक दूसरे को चूमते, कभी होंठ, कभी नाक तो कभी कोई और अंग. रिया ने अंकुर की मन ही मन प्रशंसा की. उसने रिया की नकारात्मक मनोदशा को १८० के अंश पर घुमा कर आनंदित कर दिया था.
“मम्मी से कब बात करूँ?” रिया ने पूछा.
“कल जाना. आज तो थक जाएँगी.” अंकुर ने कहा तो दोनों हंस पड़े. दोनों ने फिर घड़ी देखी।
“चलो आप नहा लो. आते ही चुदाई में जुट गए.”
“अरे तुम्हारी जैसी डिश सामने हो तो कौन नहीं खाना चाहेगा.” अंकुर उठा और नहाने चला गया. रिया ने उठकर बिस्तर ठीक किया और फिर कपड़े पहनकर बैठक में चली गई. उसने दो पेग बनाये और अंकुर के आने की प्रतीक्षा करने लगी.
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अगले आधे घण्टे तक चारों भाई माधवी की चुदाई करते रहे. कभी कोई चूत मारता तो कोई गाँड और तीसरा गाँड से सीधे मुँह में लंड पेलता. अंततः, हर खेल का अंत होता है. एक एक करके सभी भाई माधवी की गाँड या चूत में झड़कर हट गए. माधवी के चेहरे पर फिर एक चिर परिचित मुस्कान थी, जो कुछ पलों के लिए दुःख में परिवर्तित हुई.
“जाओ, अपनी मम्मियों के मेरे पास भेज दो.” वो उठी और बाथरूम में चली गई. चारों भाइयों के कपड़े पहने और अपने अपार्टमेंट में चले गए.
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अंकुर ने आने में बहुत समय लिया. इस बीच रिया ने उसका पेग भी पी लिया था और अंकुर के आने पर ही नया बनाने वाली थी. अंकुर आया तो उसने उसे पेग बनाकर दिया.
“आज बहुत अच्छा लगा. हमें इस प्रकार से सप्ताह में कम से कम एक दिन मिलन करना ही चाहिए.” रिया ने कहा तो अंकुर ने सहमति जताई.
“हे मॉम, हे डैड! हम लौट आये!” रियांश ने अपनी माँ को बाँहों में लेते हुए कहा.
“मॉम, नानी आपको बुला रही हैं. उन्होंने ईशा और नीतू मामी को भी बुलाया है. अभी.”
“ओह!” रिया ने कहा तो अंकुर ने बोला “जाओ और इस समस्या को सुलझाओ. अवश्य उनके मन में कोई बात है जो वो तुम्हें बताना चाहती हैं.”
रिया उठी और अपनी माँ के अपार्टमेंट में चली गई.
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रिया के पीछे पीछे ईशा और नीतू भी आ गईं। तीनों अपार्टमेंट के बाहर रुकीं और एक दूसरे को देखा.
“क्या हुआ?”
“पता नहीं.”
तीनों अंदर गईं तो माधवी बैठी हुई थी. उसका चेहरा गंभीर था. उसने तीनों को बैठने का संकेत किया. तीनों बैठ गईं पर कुछ बोली नहीं. अंततः माधवी ने एक गहरी श्वास भरी.
“मैं इस जीवन से ऊब गई हूँ. मैं बाहर जाना चाहती हूँ. सोच रही हूँ तीन महीने के किसी पर्यटन पर चली जाऊँ। इसी कारण मैं अपने नाती पोतों को हर दिन बुला रही हूँ. अभी मैंने निर्णय नहीं लिया है, पर सम्भवतः अगले माह के अंत में एक विश्व भ्रमण का विज्ञापन देखा है. मैं सोच रही हूँ उसमे चली जाऊँ।”
“ये तो बहुत अच्छी बात है माँ जी.” नीतू बोली. “आपका मन भी लगेगा. और देखिएगा हो सकता है दिशा की मम्मी भी आपके साथ जाना चाहें. इससे आपको भी साथ रहेगा.”
रिया अपनी माँ के पास जाकर बैठी. “माँ, आप चिंता न करो. ईशा, नीतू और मैं सब प्रबंध कर देंगी. आप नलिनी नानी को भी बुला लो. अगर वो भी मान गईं तो सोने पर सुहागा हो जायेगा.”
नलिनी आई और बिना हिचक सहमत हो गई. माधवी और नलिनी के चेहरे पर आनंद के भाव थे.
रात खाने के समय नीतू ने इसकी घोषणा की तो सबने इस निर्णय का स्वागत किया. सरिता और पंखुड़ी ने इसका सबसे अधिक स्वागत किया. फिर कहा कि अगर आठ दस दिन का कोई सरल टूर हो तो वो भी जाना चाहेंगी. दक्ष ने पूरा प्रबंध करने का बीड़ा उठाया और भोजन आनंद से किया गया.
उसके बाद माधवी और नलिनी से पूछा गया कि क्या आज वो अपनी सेवा एक साथ करवाने की इच्छुक हैं. इसका उत्तर तो हाँ ही होना था. तो परिवार की अगली पीढ़ी के युवाओं को निर्देश दिया गया. इसमें माधवी के पोते और नाती नहीं थे. पर उन दोनों की आज जम कर चुदाई होने की गारंटी थी. ये सब व्यवस्था करके चुने हुए लड़कों के सिवाय सब अपने अपने घरों को चले गए. माधवी और नलिनी आज रात्रि के लिए माधवी के ही घर चल दीं और उनके पीछे उनकी सेवा करने वालों की सेना.
रात अभी शेष थी.
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क्रमशः
660800
Nice update....अध्याय ५7: अगली पीढ़ी
अध्याय ५५ से लगभग पाँच वर्ष पहले
“सब कहाँ हैं? बड़ी शांति है.” अंकुर ने घर आकर पूछा.
रिया मुँह फुलाए बैठी थी. और उसके हाथ में मदिरा का प्याला था. उसने कोई उत्तर नहीं दिया तो अंकुर ने फिर पूछा और उसके पास जाकर बैठ गया. रिया के हाथ से उसने ग्लास लिया और एक ही घूँट में पी लिया.
“अब बताओगी भी क्या हुआ?”
“मम्मी ने फिर आज सबको बुला लिया.” रिया ने क्रोध से कहा.
“ओह शिट. उनसे बात करनी ही होगी. उनके कारण समस्या होने लगी है. पर ये तुम तीनों भाई बहनों में से किसी को करना होगा. अकेले या एक साथ.”
“मैंने दक्ष और सत्या से भी बात की है. हम तीनों ही मिलकर बात करेंगे.”
“गुड़. तो फिर हम आज अकेले हैं तो क्या विचार है?” अंकुर ने मुस्कुराकर पूछा.
“हटो, आपको तो बस चुदाई के सिवा कुछ सूझता ही नहीं है.” रिया ने झूठमूठ का स्वांग किया.
“अब तुम्हारे जैसी रसीली पत्नी हो तो सूझेगा ही क्यों?” ये कहकर अंकुर ने उसे अपनी बाँहों में लिया और कुछ देर चूमकर उठाने लगा.
“अरे रे रे रे! अरे कुछ देर विश्राम तो कर लो. फिर रात भर चोद लेना.” रिया ने कहा और ग्लास दिखाया.
“ठीक है.” अंकुर ने उसे छोड़ा और रिया पेग बनाने लगी.
“वैसे तुम्हारी मम्मी की प्रॉब्लम क्या है?” अंकुर ने अपने पेग की चुस्कियाँ लेते हुए पूछा. साथ ही उसकी उँगलियाँ कपड़ों के ऊपर ही से रिया के मम्मों से खेल रही थीं.
“पता नहीं. कुछ दिनों से कुछ अधिक ही चुदासी हो रही हैं. मैंने पूछा तो हंसने लगीं. कहने लगीं कि खुजली बहुत हो रही है.”
“बच्चों के कॉलेज की छुट्टियों ने उनकी इच्छा बलवती कर दी है. अगले सप्ताह सब लौटने वाले जो हैं.” अंकुर ने अपना दृष्टिकोण दिया.
“पर उन्हें उनकी मम्मियों के बारे में भी तो सोचना चाहिए. उनकी चुदाई के चक्कर में हम प्यासी रह जाती हैं.”
“तुम्हारी प्यास तो आज मैं बुझा दूँगा। पर मैं तुम्हारी बात समझ रहा हूँ. अच्छा होगा कि तुम उनसे शीघ्रतिशीघ्र बात करो.”
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कुछ वर्ष पहले ललिता, महेश और अन्य सभी वरिष्ठ परिवार वालों ने सबके लिए एक विशेष स्थान प्रकार से एक कॉलोनी होगी, उसका निर्माण कराने का निर्णय लिया था. कुछ विचार करने के बाद हर परिवार के लिए एक २ BHK बनाने का निर्णय लिया. महेश ने अपने बंगले के आसपास के प्लॉट क्रय कर लिए. और इसमें सबने सहयोग भी किया.
बच्चे जो अभी तक कुँवारे थे उन्हें भी यही अपार्टमेंट दिए गए. इसी प्रकार से माधवी और नलिनी कमरे के ही अपार्टमेंट दिए गए, हालाँकि उन्होंने कहा कि उनके लिए एक कमरा ही पर्याप्त है. तीन ३ BHK बनाये गए थे जिसमें से एक सरिता, पंखुड़ी और मायादेवी ने लिया था. दो विशेष प्रयोजन के लिए बनाये गए थे. उनके पास कुल लगभग छह एकड़ भूमि थी और उन्होंने २ कमरे के अपार्टमेंट भी बहुत विशाल बनाये थे.
भविष्य के लिए प्लाट का लगभग आधा भाग छोड़ दिया गया. अभी उनमें घर बनाने का कोई लाभ नहीं था. एक क्लब हाउस, जिम, और तरण ताल इत्यादि भी थे. और उनकी रूचि के अनुसार क्लब के तलघर में एक क्रीड़ाघर था और एक समान क्रीड़ाघर एक भवन के पेन्टहाउस में भी था. इसका उपयोग चन्द्रमा के प्रकाश में सामूहिक चुदाई के कार्यक्रम लिए किया जाता था. एक विशिष्ट कमरा फागुनी और सरिता के लिए भी बनाया गया था, जहाँ वे अपने व्यसन का आनंद ले सकती थीं. इससे परिसर के अन्य कमरे दुर्गंध से बच गए थे.
इतने उन्मुक्त जीवनशैली के उपरांत भी कई नियम थे जिनके कारण इतने परिवारों में कभी ईर्ष्या या द्वेष नहीं हुआ. एक समस्या थी बच्चों से उचित समय तक इन क्रिया कलापों को छुपाना. हालाँकि बच्चों को पता चल गया था कि उनका परिवार अन्य परिवारों से भिन्न है, उन्हें इस बात की बाहर कभी भी चर्चा न करने की आवश्यकता अल्पायु से ही समझाई गई थी.
जब किसी विवाहित जोड़े ने संतान प्राप्ति की इच्छा जताई, तब उनकी अन्य सबसे चुदाई करने से हटना पड़ता था. इसी कारण हर संतान उनके ही माता-पिता का अंश था. एक प्रकार से ये डेढ़ वर्ष का त्याग होता था और इसमें पति और पत्नी दोनों होते थे. संतान होने के छह माह के बाद ही वे सामूहिक चुदाई के क्षेत्र में लौट सकते थे. लगभग तीन बार ये समय ढाई वर्ष से अधिक भी रहा था क्योंकि एक वर्ष तक गर्भ न ठहरा था.
किशोरावस्था तक आते आते बच्चों को सच समझ आ चुका था, परन्तु उन्होंने कभी दर्शाया नहीं. जब उनके सबसे बड़े भाई को सम्भोग की शिक्षा दी गई तब उन्हें विदित हो गया कि उन्हें भी इसका आनंद मिलेगा. इसके बाद किसी प्रकार की को समस्या नहीं आई. आज ये परिवार फल फूल रहा था.
ललिता की माँ सरिता, संध्या की माँ पंखुड़ी और पल्लू की दादी मायादेवी अब चुदाई से लगभग निवृत्त हो चुकी थीं. वे अधिकतर बच्चों के लालन पालन और रसोई का ही कार्य संभालती थीं. कभी कभार उनकी इच्छा होने पर उनकी चुदाई हो जाती थी, परन्तु अब ये बहुत सहज और सौम्य ढंग से ही की जाती थी.
कोई भी अपने अपार्टमेंट को बंद नहीं करता था, केवल रात्रि में ही उन्हें लॉक किया जाता था. उच्च कोटि तकनीक की सुरक्षा व्यवस्था के कारण उन्होंने किसी प्रकार के सुरक्षाकर्मी को नहीं रखा था. खाना बनाने में कोई कष्ट नहीं था, इसका दायित्व घर की वरिष्ठ महिलाओं ने उठाया हुआ था. बर्तन धोने और झाड़ू पोंछे का कार्य अन्य सभी मिलजुल कर करते थे. वैसे डिश वाशर की सहायता से बर्तन का काम सरल हो गया था. हालाँकि सबकी अपनी छोटी रसोइयां (पैंट्री) थीं, पर भोजन सदा साथ ही होता था. और वो भी एक प्रकार का उत्सव होता था.
पुरुष वर्ग और कुछ महिलाएं काम पर जाती थीं, अधिकतर अपने ही व्यवसाय में लिप्त थीं. भिन्न भिन्न व्यवसायों के कारण उनके वृहद परिवार में धन की कोई कमी न थी. उनका एक संयुक्त खाता था जिसमें से सारे व्यय किये जाते थे. हर माह उसमें सब अपना योगदान देते थे. एक खाता बच्चों के विवाह के लिए था जिसमें अब कुछ करोड़ रूपये जमा हो चुके थे. सब एक दूसरे के साथ सुख और आनंद से जीवन जी रहे थे.
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रिया की माँ माधवी अपने अपार्टमेंट में रहती थी. वैसे अधिकतर रातें उसकी किसी न किसी की बाँहों में ही बीतती थी, पर कुछ दिनों से वो दिन में भी चुदाई में संलग्न रहती थी.
इस समय माधवी के अपार्टमेंट में उसकी तीनों संतानों के लड़के उपस्थित थे. रिया और अंकुर के दो बेटे थे, हेमंत और रियांश। दक्ष और उसकी पत्नी ईशा का एक बेटा अनिकेत और बेटी काजल थी. और सत्या (शक्ति) और उसकी पत्नी नीतू, जो पल्लू की चचेरी बहन भी थी, को एक बेटा प्रखर और एक बेटी जूही थी. ये केवल माधवी और उसके नाती और पोतों का जमावड़ा था.
“मम्मी को आज गुस्सा आ रहा था जब हम आये तो.” रिया के बड़े बेटे हेमंत ने कहा तो माधवी ने उसके लंड को चूसते हुए उसकी ओर देखा.
“फिर?” माधवी ने पूछा और फिर से लंड चूसने लगी.
“दादी, मेरी मॉम भी इतनी खुश नहीं हैं.” ये सत्या का बेटा प्रखर था. उसके लंड को माधवी अपने हाथ से सहला रही थी.
“हम्म्म, मुझे उनसे बात करनी होगी. क्या तुम सब लौटने के बाद मम्मियों को मेरे पास भेजोगे?”
“ओके, दादी. यही ठीक रहेगा.” दक्ष के पुत्र अनिकेत ने अपनी सहमति दी.
“यस नानी, यही सही रहेगा.” रिया के छोटे बेटे रियांश ने अपनी प्रतिक्रिया दी.
“ठीक है, तो अब हम इस खेल पर ध्यान लगाते हैं. आज शीघ्र समाप्त करके, खाने से पहले मैं उन तीनों से बात करूंगी.”
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अंकुर अपने वचन का पक्का था और उसने रिया को वहीँ बैठे रहने दिया. उसके सामने बैठकर रिया के गाउन को ऊपर किया और उसके सामने रिया की चमकती हुई चूत थी. परिवार की महिलाओं ने घर में पैंटी पहनना लगभग बंद कर दिया था. इसीलिए अंकुर को कोई अचरज नहीं हुआ. उसने अपनी उँगलियों से रिया की चूत से खेलना आरम्भ किया तो रिया आगे सरक गई और अंकुर को सरलता हो गई. रिया ने अपना पेग समाप्त किया और ग्लास रखकर अंकुर के होंठों से उसका ग्लास लगाया.
“पी लो, फिर तुम्हें मैं और भी कुछ पिलाने वाली हूँ.” रिया के स्वर में वासना थी.
“उस रस के लिए तो मैं जी रहा हूँ. इसमें क्या रखा है?” ये कहकर अपनी उँगलियों को रोके बिना अंकुर ने अपना पेग समाप्त किया.
“अब स्वाद बदलने का समय है.” अंकुर ने अपनी उँगलियाँ हटाए बिना ही रिया की चूत पर जीभ घुमाई तो रिया अपने बेटों को भूलकर अपने पति के मुँह में पहला रस छोड़ बैठी. मात्रा कम होने के कारण अंकुर को पीने में कोई समस्या नहीं हुई. पर फिर उसने रिया की चूत पर मुँह लगाकर उसे पूरी श्रद्धा से चूसना आरम्भ कर दिया. रिया ने अंकुर के सिर को अपनी चूत पर हल्के से दबाकर अपना सिर आनंद से पीछे कर दिया और आँखें बंद करते हुए अपने पति से मौखिक सम्भोग का आनंद लेने लगी.
कुछ देर के बाद रिया ने एक बार फिर पानी छोड़ा और अंकुर को पिलाकर उसका सिर अपनी जाँघों के बीच से हटाया.
“अब मेरी बारी।”
अंकुर ने तुरंत अपने कपड़े उतार फेंके. और रिया ने उसके तनते हुए लौड़े को मुँह में लेकर चूसना आरम्भ कर दिया.
“आई लव यू.” रिया ने सुपाड़े को चूसने से पहले कहा.
“आई लव यू टू, बेबी.” अंकुर ने उत्तर दिया और रिया अपने पति के लंड को पूजने में व्यस्त हो गई.
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ये कहते हुए माधवी खड़ी हो गई. उसके नाती पोते इस आयु में भी उसके शरीर के कसाव और कटाव देखकर उत्तेजित हो जाते थे. परन्तु माधवी एक संस्कारी घरेलू स्त्री थी. उसने कभी अपने परिवार से परे किसी और से संबंध नहीं बनाया था.
“वाओ नानी, यू आर सो हॉट. आपको कोई नानी या दादी मान ही नहीं सकता. कैसे रखती हो आप स्वयं को इतना मेंटेन?”
“ओह! बहुत सरल उपाय है. मैं खूब व्यायाम करती हूँ. जैसा अभी करने जा रही हूँ. और इस व्यायाम में मेरा साथ मेरे परिवार के भी सदस्य जुड़ते हैं. तो मुझे दोनों का आनंद मिलता है.” माधवी ने उसे आँख मारते हुए अपना रहस्य बताया, “और अब तुम सबको पूछने की आवश्यकता नहीं है कि परिवार की हम सब महिलाओं के शरीर क्यों आज भी युवा हैं? क्योंकि हमें कभी युवा रस की कमी ही नहीं हुई.”
“ये तो सच है नानी. पर आप सबसे अधिक युवा तो फागुनी नानी लगती हैं. उनकी तो जैसे जवानी कभी गई ही नहीं.” हेमंत ने कहा तो माधवी सकते में आ गई. “अपने कभी उनका फार्मूला नहीं परखा?”
“पहले मुझे चोद ले फिर ये सब बातें करना.” माधवी का स्वर कुछ कठोर था.
“बिलकुल नानी. मैं तो यूँ ही पूछ रहा था.” हेमंत ने खिसिया कर कहा. “यू आर माई स्वीट नानी.”
माधवी के मुख पर ममता भरी मुस्कान आ गई.
“तुम सब भी मेरे अतिप्रिय हो.” फिर मानो उसकी वासना ने उसे चेताया, “तुम जानते हो कि मैं क्या चाहती हूँ. एक बार एक एक करके चोदो और फिर एक साथ. आज वैसे भी समय कम है. तुम सबकी माताओं से जो बात करनी है.”
माधवी ने हेमंत को पहले पकड़ा और उसे अपने पैरों के बीच बैठाया. हेमंत ने उसकी चूत को चाटने में देर न की और कुछ ही पलों में माधवी ने उसे उठा लिया. उसने हेमंत को पलंग पर लिटाया और फिर पीछे मुड़कर प्रखर को कुछ संकेत किया. फिर उसने कुछ पल और हेमंत के तगड़े लंड को चूसा और फिर उसपर अपनी चूत रखते हुए एक ही झटके में अंदर कर लिया.
हेमंत ने अपनी नानी के मम्मों को पकड़ा और माधवी ने उसके लंड पर उछलना आरम्भ कर दिया. प्रखर आगे बढ़ा और उसने अपने मुँह में दो उँगलियाँ डालकर उन्हें गीला किया और अपनी दादी की गाँड को कुरेदने लगा. माधवी बिना रुके हेमंत के लंड पर उछलती रही पर सबसे छोटे रियांश से न रहा गया और वो जाकर अपनी नानी के मुँह के पास खड़ा हो गया. माधवी अपनी बेटी की छोटे पुत्र की इच्छा जानते हुए उसके लंड को चूसने लगी. अब माधवी के तीनो छेद व्यस्त थे. चूत और मुँह में लौड़े थे और गाँड में ऊँगली. प्रखर बीच बीच में ऊँगली निकालकर मुँह में डालकर गीली करता और फिर दादी की गाँड में डाल देता.
अनिकेत इस खेल में अभी नहीं जुड़ा था, पर वो जानता था कि उसका भी नंबर आएगा. उसकी दादी उसे अत्यधिक प्रेम करती थी और चाहे जो भी हो, उसकी अवहेलना नहीं करती थी. हेमंत के लंड पर कूदते हुए माधवी शीघ्र ही तक गई और नीचे उतर गई. इस आयु में इतना परिश्रम अब सम्भव न था. पर चुदाई की इच्छा कम न हुई थी. वो लेटी और हेमंत उसके ऊपर चढ़कर उसे फिर चोदने लगा. प्रखर के लिए अब गाँड तक पहुंचना सम्भव न था तो उसने भी अनिकेत के पास जाकर खेल देखना ही ठीक समझा. रियांश के लंड को चूसने में अब माधवी को भी सरलता हुई क्योंकि वो उसके मुँह में लंड डालने में सफल हुआ था.
“भाई, नानी को चोदेगा?” हेमंत ने रियांश से कुछ धीमा होते हुए पूछा।
“हाँ हाँ.” ये सुनकर हेमंत हट गया और रियांश ने उसका स्थान ले लिया. हेमंत ने माधवी से अपना लंड साफ करवाया और अनिकेत को बुलाया. अनिकेत ने माधवी के मुँह में लंड डाला और माधवी उसके लंड को चूसने लगी. नीचे से रियांश पूरे बल से नानी की चूत चोदे जा रहा था. पिछले सप्ताह से इस प्रकार से माधवी की चुदाई करते हुए उन्होंने एक पद्धति बना ली थी. इस कारण वो लम्बे समय तक चुदाई कर सकते थे और माधबी को पूर्णतया संतुष्टि भी मिलती थी. माधवी अब तक झड़ चुकी थी पर न हेमंत ने और न ही रियांश ने अपनी चुदाई को रोका था.
अचानक रियांश को अपने कंधे पर किसी के हाथ का आभास हुआ.
“अब मेरी बारी, भाई.” ये प्रखर था.
“जी, भैया.” रियांश को चुदाई बंद करने में कोई दुःख न था. उसके हटते ही प्रखर के लंड ने माधवी की चूत पर हमला बोल दिया. रियांश के लंड को चाटने के लिए अनिकेत हटा और माधवी ने प्रेम से रियांश के लंड को चाटकर चमकाया और अनिकेत के लंड को चूसने लगी. इसके बाद अनिकेत ने माधवी की चूत चोदी तो हेमंत के लंड ने उसके मुँह का आनंद लिया. माधवी अब तक कई बार झड़ चुकी थी और उसे अब विश्राम की आवश्यकता थी. चारों भाई अभी तक झड़े नहीं थे. और उन्हें इसका कोई खेद भी नहीं था. अंततः अनिकेत ने चुदाई समाप्त की और माधवी से लंड साफ करवाने के बाद माधवी के लिए एक बड़ा पेग बनाया. हेमंत ने भी एक पेग लिया पर अन्य तीनों भाई इससे दूर रहे.
माधवी के चेहरे पर एक शांति भरी मुस्कुराहट थी. उसने पेग लिया और धीरे धीरे पीने लगी. अपने सामने उसे अपने बच्चों की संतानें दिख रही थीं. उसकी आँखों में धुँधलका सा छाया, आँसू छलक गए. चारों नाती पोते उसे देखकर यही सोच रहे थे कि उन्हें प्रेम से आभूत आँसू बह रहे थे. पर माधवी के मन में एक हूक थी, एक पीड़ा जिसे वो चुदाई के माध्यम से दबाने का प्रयास कर रही थी. उसने मन ही मन एक सिसकी ली और अपना पेग पीते हुए आँसू पोंछे।
“आज तुमने बड़े नाप तौल के चुदाई की है. तुममे से किसी का पानी नहीं निकला. पहले दिन तो ….” ये कहकर वो हंसने लगी.
“हाँ. पर अब हमें अच्छा अध्यास जो हो गया है, दादी.” प्रखर ने हँसते हुए उत्तर दिया.
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रिया ने अंकुर के लंड को पूरे प्रेम के साथ चूसा और फिर अंकुर ने उसके सिर पर हल्की सी थपकी दी. रिया उठ खड़ी हुई और अंकुर के साथ उनके शयनकक्ष में चली गई. कमरे में उसने देरी नहीं की और पलंग पर लेटकर अंकुर को अपनी बाँहों का संकेत किया. अंकुर का लंड भी फटा जा रहा था, उसने रिया के पैर फैलाये और अपने लंड को उसकी गीली चूत में एक ही बार में उतार दिया. रिया ने एक सिसकी ली.
“अब मुझे चोदो। प्रेम करो मुझसे. प्लीज़ अंकुर, लव मी !” रिया के ये शब्द नए थे. उसके मुँह से ये सुने हुए अंकुर को एक लम्बी अवधि हो गई थी.
“आई लव यू बेबी, ऑलवेज लव यू. फॉरएवर।”
“मेरे बच्चे क्यों मुझे छोड़ गए अंकुर?”
“छोड़े कहाँ हैं, इसी घर में हैं. न जाने तुम्हारी माँ को उनके प्रेम की इतनी क्यों आवश्यकता पड़ी कि वे तुम तीनों भाई बहनों को दुखी कर रही हैं. उनसे बात करो. और ये सब नकारात्मक विचार छोड़ दो. हम दोनों को उन्हें मिलने का अवसर दिया है, उसकी प्रशंसा करो. नहीं तो तुम मुझे छोड़ उनसे चुद रही होतीं.”
अंकुर का ये कथन रिया को चुभ गया. उसे आभास हुआ कि वो सम्भवतः अपने पति की उपेक्षा कर रही है.
“रहने दो उन्हें एक मम्मी के पास जितने दिन चाहें. मेरे पास आप जो हो.” रिया कभी कभार ही उसे आप कहकर बुलाती थी, तुम उसका सामान्य शब्द था.
अंकुर समझ गया कि रिया अपराध बोध से ग्रस्त हो रही है.
“ओके, हम तो साथ ही हैं.”
रिया और अंकुर की चुदाई दो प्रेमियों का प्रेमालाप था, सम्भोग था . इसमें चुदाई अवश्य थी, पर इसे ये नाम देना ठीक न था.
पर जो रिया की माँ माधवी कर रही थी उसके लिए यही शब्द उपयुक्त था.
*********
क्योंकि रात के भोजन का समय अधिक दूर नहीं था, माधवी ने चारों को आगे बुलाया.
“जाने के बाद अपनी मम्मियों को मेरे पास भेज देना. और कुछ न कहना.”
फिर माधवी ने हेमंत को देखा, “तेरे प्रश्न का उत्तर दूँगी मैं. फागुनी के विषय में. पर ये तुम इसे अपने भाई बहनों में उछालना मत.”
पलंग पर बैठते हुए उसने आगे कहा, “पर अब मेरी गाँड में बहुत खुजली रही है. तो इसका उपचार भी आवश्यक है. समय कम है तो तुम सब एक साथ मुझे चोदो।”
ये माधवी न भी कहती तो होने वाला ही था, जैसा पिछले सप्ताह हर दिन हुआ था. माधवी की चुदाई की इच्छा इन दिनों इतनी बलवती थी कि इतना चुदने के बाद भी इन चारों के छोड़ वो किसी न किसी को रात में भी बुला लेती थी.
प्रखर लेट गया और रियांश ने माधवी को उसके लंड पर बैठने में सहायता की. बैठने के बाद प्रखर ने से धक्के लगाए और लंड को सही स्थापित किया. अनिकेत ने माधवी को आगे झुकाया और उसकी गाँड पर लंड रखकर एक बलशाली धक्के के साथ उसकी गाँड में जड़ दिया.
“ओह! माँ! ऐसे ही चोदो मुझे मादरचोदों!” माधवी ने हल्के स्वर में चीखते हुए उत्साह बढ़ाया.
“आप बहुत बोलती हो नानी. आपका मुँह बंद करना होगा.” हेमंत ने कहा और माधवी के मुँह में लंड पेल दिया. अब माधवी की बस गूँ गूँ की ध्वनि ही निकल रही थी.
“रियांश, तू नानी के मम्मों और कानों को संभाल. जैसा उन्हें अच्छा लगता है.” हेमंत ने अपने छोटे भाई को बोला तो रियांश आगे जाकर माधवी के मम्मे निचोड़ने लगा. इसमें कोई प्रेम न था. माधवी को इस प्रकार से उनका मसला और निचोड़ा जाना बहुत भाता था.
“नानी, आप बहुत चुदक्क्ड़ हो. आपकी चूत और गाँड में लौड़े डले हैं और आप मेरे भाई के लंड को चूस रही हो? क्या आपकी माँ भी ऐसी चुदक्क्ड़ थी?” रियांश अपनी नानी के कानों में ये सब कह रहा था पर सुनाई सबको दे रहा था. “वैसे आपकी बेटी आपसे भी बड़ी चुदक्क्ड़ है. और आपकी दोनों नातिन भी उसी ओर बढ़ रही हैं.”
दो तीन दिन पहले माधवी ने उन्हें उसे इस प्रकार से गालियाँ देने के लिया कहा था. पर चाहते हुए भी चारों उन्हें गाली नहीं दे पा रहे थे. बस इस प्रकार की बातें ही कर पा रहे थे.
“ऊँह, ऊँह!” माधवी ने सिर हिलाया.
“अरे नानी. अब देखो मेरे भाई कैसे आपकी चूत और गाँड का बैंड बजाते हैं. अभी तो पिक्चर स्टार्ट होने वाली है.” रियांश उनके मम्मे दबाते हुए उसके कानों में बोले जा रहा था. उसके इस कथन के साथ ही प्रखर और अनिकेत ने अपने लौंड़ों का प्रताप दिखाया और प्रखर दादी की चूत तो अनिकेत दादी की गाँड में लंड पेलने लगे. दोनों ने एक द्रुत गति से चुदाई आरम्भ की और माधवी की चीखें हेमंत का लंड मुँह में होने के कारण दब गईं.
अगर प्रखर और अनिकेत अपनी दादी की चुदाई कर रहे थे तो सामने से हेमंत के लंड ने भी अपनी नानी का मुँह चोदने में कोई कमी नहीं छोड़ी थी.
“जब हमने मम्मी को कहा कि हम नानी के पास जा रहे हैं तो पूछने लगीं क्या करोगे? जानती हो मेरी चुदक्क्ड़ नानी हमने क्या कहा था?” रियांश उसी प्रकार से अपने कार्य को कुशलता पूर्वक पूर्ण कर रहा था. माधवी तो तीन लौंड़ों में पिसी हुई थी, बस गूँ गुँ कहकर रह गई.
“हमने कहा, मम्मी जी. आपकी माँ चोदने जा रहे हैं? हा हा हा.” रियांश ने निर्ममता से मम्मों को निचोड़ते हुए बोला तो चारों भाई हँसने लगे. माधवी इस प्रकार की चुदाई चाह भी रही थी. और उसके नवासे उसकी उसी प्रकार की चुदाई कर रहे थे.
कुछ देर की चुदाई के बाद रियांश बोल उठा, “अनिकेत भैया, मुझे भी नानी की गाँड मारनी है. प्लीज़, प्लीज़, प्लीज़. मुझे मारने दो न!” इस प्रकार के स्वाँग से फिर सबकी हंसी छूट गई. माधवी ने भी हेमंत के लंड को मुँह से निकाला।
“मार लेने दे इसे भी मेरी गाँड नहीं तो कहीं रोने न लगे मादरचोद!”
“ऐसा न बोलो नानी. ये प्रखर और अनिकेत जो हैं न, इनके पिता मादरचोद थे जो आपको चोद चोद के ऐसी चुदक्क्ड़ बना दिया.” अब तक अनिकेत हट चुका था.
“जा छोटे, मार गाँड मस्ती में. मस्त टाइट गाँड है, इतनी बार मारने के बाद भी भट्टी जैसी सुलग रही है.”
“अरे रुको, हेमंत भैया आप इधर आ जाओ. दादी ऊपर से हटो.”
पल भर में ही समीकरण बदल गए और इस बार पोते बाहर और नाती माधवी के अंदर हो गए. अनिकेत ने अपने सने लंड को माधवी के मुँह में डाला और फिर चुदाई का कार्यक्रम आरम्भ हो गया.
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अपने प्रेम भरे सम्भोग से तृप्त अंकुर और रिया एक दूसरे से लिपटे लेटे हुए थे. रह रह कर एक दूसरे को चूमते, कभी होंठ, कभी नाक तो कभी कोई और अंग. रिया ने अंकुर की मन ही मन प्रशंसा की. उसने रिया की नकारात्मक मनोदशा को १८० के अंश पर घुमा कर आनंदित कर दिया था.
“मम्मी से कब बात करूँ?” रिया ने पूछा.
“कल जाना. आज तो थक जाएँगी.” अंकुर ने कहा तो दोनों हंस पड़े. दोनों ने फिर घड़ी देखी।
“चलो आप नहा लो. आते ही चुदाई में जुट गए.”
“अरे तुम्हारी जैसी डिश सामने हो तो कौन नहीं खाना चाहेगा.” अंकुर उठा और नहाने चला गया. रिया ने उठकर बिस्तर ठीक किया और फिर कपड़े पहनकर बैठक में चली गई. उसने दो पेग बनाये और अंकुर के आने की प्रतीक्षा करने लगी.
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अगले आधे घण्टे तक चारों भाई माधवी की चुदाई करते रहे. कभी कोई चूत मारता तो कोई गाँड और तीसरा गाँड से सीधे मुँह में लंड पेलता. अंततः, हर खेल का अंत होता है. एक एक करके सभी भाई माधवी की गाँड या चूत में झड़कर हट गए. माधवी के चेहरे पर फिर एक चिर परिचित मुस्कान थी, जो कुछ पलों के लिए दुःख में परिवर्तित हुई.
“जाओ, अपनी मम्मियों के मेरे पास भेज दो.” वो उठी और बाथरूम में चली गई. चारों भाइयों के कपड़े पहने और अपने अपार्टमेंट में चले गए.
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अंकुर ने आने में बहुत समय लिया. इस बीच रिया ने उसका पेग भी पी लिया था और अंकुर के आने पर ही नया बनाने वाली थी. अंकुर आया तो उसने उसे पेग बनाकर दिया.
“आज बहुत अच्छा लगा. हमें इस प्रकार से सप्ताह में कम से कम एक दिन मिलन करना ही चाहिए.” रिया ने कहा तो अंकुर ने सहमति जताई.
“हे मॉम, हे डैड! हम लौट आये!” रियांश ने अपनी माँ को बाँहों में लेते हुए कहा.
“मॉम, नानी आपको बुला रही हैं. उन्होंने ईशा और नीतू मामी को भी बुलाया है. अभी.”
“ओह!” रिया ने कहा तो अंकुर ने बोला “जाओ और इस समस्या को सुलझाओ. अवश्य उनके मन में कोई बात है जो वो तुम्हें बताना चाहती हैं.”
रिया उठी और अपनी माँ के अपार्टमेंट में चली गई.
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रिया के पीछे पीछे ईशा और नीतू भी आ गईं। तीनों अपार्टमेंट के बाहर रुकीं और एक दूसरे को देखा.
“क्या हुआ?”
“पता नहीं.”
तीनों अंदर गईं तो माधवी बैठी हुई थी. उसका चेहरा गंभीर था. उसने तीनों को बैठने का संकेत किया. तीनों बैठ गईं पर कुछ बोली नहीं. अंततः माधवी ने एक गहरी श्वास भरी.
“मैं इस जीवन से ऊब गई हूँ. मैं बाहर जाना चाहती हूँ. सोच रही हूँ तीन महीने के किसी पर्यटन पर चली जाऊँ। इसी कारण मैं अपने नाती पोतों को हर दिन बुला रही हूँ. अभी मैंने निर्णय नहीं लिया है, पर सम्भवतः अगले माह के अंत में एक विश्व भ्रमण का विज्ञापन देखा है. मैं सोच रही हूँ उसमे चली जाऊँ।”
“ये तो बहुत अच्छी बात है माँ जी.” नीतू बोली. “आपका मन भी लगेगा. और देखिएगा हो सकता है दिशा की मम्मी भी आपके साथ जाना चाहें. इससे आपको भी साथ रहेगा.”
रिया अपनी माँ के पास जाकर बैठी. “माँ, आप चिंता न करो. ईशा, नीतू और मैं सब प्रबंध कर देंगी. आप नलिनी नानी को भी बुला लो. अगर वो भी मान गईं तो सोने पर सुहागा हो जायेगा.”
नलिनी आई और बिना हिचक सहमत हो गई. माधवी और नलिनी के चेहरे पर आनंद के भाव थे.
रात खाने के समय नीतू ने इसकी घोषणा की तो सबने इस निर्णय का स्वागत किया. सरिता और पंखुड़ी ने इसका सबसे अधिक स्वागत किया. फिर कहा कि अगर आठ दस दिन का कोई सरल टूर हो तो वो भी जाना चाहेंगी. दक्ष ने पूरा प्रबंध करने का बीड़ा उठाया और भोजन आनंद से किया गया.
उसके बाद माधवी और नलिनी से पूछा गया कि क्या आज वो अपनी सेवा एक साथ करवाने की इच्छुक हैं. इसका उत्तर तो हाँ ही होना था. तो परिवार की अगली पीढ़ी के युवाओं को निर्देश दिया गया. इसमें माधवी के पोते और नाती नहीं थे. पर उन दोनों की आज जम कर चुदाई होने की गारंटी थी. ये सब व्यवस्था करके चुने हुए लड़कों के सिवाय सब अपने अपने घरों को चले गए. माधवी और नलिनी आज रात्रि के लिए माधवी के ही घर चल दीं और उनके पीछे उनकी सेवा करने वालों की सेना.
रात अभी शेष थी.
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क्रमशः
660800