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Incest ससुराल की नयी दिशा

prkin

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वैसे तो इस खेल में आपकी कहानी की माँ बेटियाँ पारंगत है, पर प्रयास हम भी करेंगे आपके स्तर तक पहुंचने का.
Aapka star bahut alag hai bhai... Aise hi badhate rahiye
 

prkin

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prkin

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Update raat ko ayega.
 

prkin

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ससुराल की नयी दिशा
अध्याय २०: दिशा का मायका

अब तक:

नलिनी अब दिशा के दोनों देवरों से चुदवा चुकी है. उसे इस बात का भान नहीं था कि उसकी बेटी और दामाद ने उसकी इस चुदाई को अपनी आँखों से देखा था. नलिनी ने जब दिशा के देवरों से पूछा तो उन्होंने स्वीकार किया कि उनके परिवार में इस प्रकार पारिवारिक सम्भोग की प्रथा है और अब उसकी बेटी स्वयं उसमे निहित है.

“अगर मेरी बेटी परिवार का अंग है तो फिर मैं क्यों नहीं?” नलिनी के मुख मंडल पर एक मुस्कुराहट थी. और आँखों में एक चमक.

अब आगे:

देवेश ने हल्की सी हंसी के साथ टीवी बंद कर दिया. रितेश और जयेश अपने प्रयोजन में सफल हो चुके थे. दिशा की माँ अब उनके साथ चुदाई में सम्मिलित होने के लिए आतुर थीं. दिशा इतनी तीव्र गति से घटे घटनाक्रम से चकित थी. देवेश और दिशा एक दूसरे को चूमते हुए कुछ ही देर में नींद में चले गए.

उधर नलिनी को बाथरूम जाना था तो जैसे ही वो अंदर गई, रितेश ने दोनों मोबाइल उठाये और उन्हें बंद कर दिया.

“ओह!” जयेश ने समझते हुए कहा.
“हाँ. देवेश भैया और भाभी ने सब देखा है.”
“ओके गुड जॉब.”

नलिनी बाहर आई तो रितेश और जयेश के बीच में बैठ गई. उसकी जिज्ञासा बढ़ी हुई थी. उसने रितेश से उनके परिवार के इस संबंधों के बारे में और पूछा. रितेश और जयेश ने उसे संक्षेप में सब बता दिया.

“तो फिर तुम्हारी नानी के साथ यहाँ आने से पहले वाली रात को तुम सबने क्या किया था?” नलिनी के मन में लड्डू फूटने लगे.

रितेश ने उस रात की कहानी सुनानी आरम्भ की.

घर में उस दिन एक अलग ही रोमांच का वातावरण था. सभी परिवार वाले जैसे भी अवसर मिलता नानी को छेड़ देते. नानी भी शर्मा जाती पर कुछ बोलती नहीं. पर उनके हाव भाव से ये विदित था कि वे भी उतनी ही उत्सुक थीं. अब चूँकि हम दोनों को सुबह यहाँ आने के लिए निकलना था तो ये सोचा गया कि भोजन सात बजे ही कर लेंगे और फिर कार्यक्रम आठ बजे आरम्भ कर देंगे.

नानी के कमरे को बहुत सुंदर सजाया गया था, मानो उनकी सुहागरात हो. एक प्रकार से थी भी पर अपने नाती पोतों के साथ, ही ही. बताते हुए रितेश हंस पड़ा. नलिनी और जयेश भी हंसने लगे. सात बजे भोजन किया पर हल्का ही, क्योंकि किसी को भी इतनी क्रीड़ा के समय कोई असहजता नहीं लगनी चाहिए थी.

मम्मी, मामी और काव्या ने ही कमरे को सजाया था. अनुज और अनिल ने तीन ओर वीडियो कैमरे लगाए थे. नानी ने पहले इसके लिए आनाकानी की पर फिर मान गयीं. कैमरे चलाने का कार्य पापा, मामा और काव्या को सौंपा गया. मम्मी, दिशा भाभी, पल्ल्वी भाभी और मामी को भी अहम भूमिकाएं सौंपी गईं जिन्हें आपको बाद में पता चल ही जायेगा.

भोजन के बाद जहाँ हम पुरुष वर्ग बैठकर आमंत्रण की प्रतीक्षा कर रहे थे वहीं मम्मी, मामी और काव्या नानी को उनके कमरे में ले गए. हमें बाद में ये पता चला कि नानी को सुगंधित पानी से स्नान कराया गया था. उनकी चूत और गांड की भी भली भांति से सफाई की गई थी. इसमें कुछ उँगलियाँ और जीभों ने भी योगदान दिया था. पर ये सब हमें उस समय पता नहीं था. नानी को किसी दुल्हन के समान सजाया गया और उन्हें मंगलसूत्र और मांग में कुमकुम से सिवाय अन्य हर रूप से नव विवाहिता का रूप दिया गया. नानी ने इन दोनों को पहनने या लगाने से सीधे सीधे नकार दिया था. और उन पर किसी ने कोई दबाव भी नहीं बनाया था.

रितेश के इस पूरे विवरण से नलिनी बहुत उत्तेजित हुए जा रही थी. पर वो जानती थी कि इस समय रितेश का ध्यान भंग करना ठीक नहीं है, इसीलिए वो जयेश के लंड से खेलने लगी. जयेश भी एक ऊँगली से उसकी चूत को कुरेदने लगा.

आठ बजने के कुछ देर बाद काव्या हम सबको बुलाने आई. हम सब पुरुष बड़ी उतारता से उसके पीछे हो लिए. अंदर मम्मी ने पापा और मामा को उनके द्वारा संचालित होने वाले कैमरों को दिया. काव्या ने अपना कैमरा आने हाथ में ले लिया. नानी घूंघट ओढ़े हुए बिस्तर पर बैठी थीं.

ललिता: “आप दोनों यूँ ही रिकॉर्डिंग करेंगे या कपड़े उतारकर.” उन्होंने पापा और मामा से पूछा. कपड़े अनावश्यक अवरोध न करें इसीलिए पापा और मामा ने कैमरे रखने के बाद अपने कपड़े उतार दिए और फिर से कैमरे हाथ में ले लिए. इसके बाद मम्मी, मामी, दिशा भाभी, पल्ल्वी भाभी और काव्या भी उसी वेशभूषा में आ गए.

“माँ जी, देख लो, तुम्हारे आज रात के दूल्हे आ गए हैं. क्या आप अपनी सुहागरात इनके साथ मनाना चाहोगी?” मम्मी ने औपचारिकता से पूछा. नानी ने केवल चूड़ियाँ खनखनाईं।

“बच्चों, लगता है तुम्हारी दादी, नानी सहमत हैं. तो क्यों नहीं तुम सब भी हमारी ही वेशभूषा में आ जाते?”

तुरंत ही हम पाँचों भाई कपड़े उतारकर नंगे हो गए.

मामी: “देवेश और अनुज तुम दोनों सबसे बड़े हो, एक नाती हो तो एक पोता. तो जाकर तुम अपनी इस दुल्हन को भी सही वेशभूषा में लाओ. तब तक हम आपके इन दूल्हों के लंड खड़े करती हैं.”

देवेश भैया और अनुज भैया लपक कर नानी के पास जा बैठे. देवेश भैया ने उनका घूंघट उठाया और उनके दमकते चेहरे को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए. इतने कम मेकअप के बाद भी नानी बहुत सुंदर लग रही थीं. यहाँ मामी, दिशा भाभी और पल्लू भाभी ने हम तीनों के लंड अपने हाथ में लिए और फिर सामने बैठकर चूसने लगीं. दिशा भाभी अनिल का लंड चूस रही थीं, पल्लू भाभी मेरा और मामी ने इस जयेश के लंड को चूसने लगीं.

हम तीनों एक दुविधा में थे. हमारे लंड चूसे जा रहे थे और वहीं हमारी दुल्हन को भी अगले पड़ाव के लिए निर्वस्त्र किया जा रहा था. देवेश भैया ने ऊपरी हिस्सा संभाला हुआ था तो अनुज भैया ने निचला. नानी के ब्लाउज को उतारा और फिर उनकी ब्रा को उतारके हटाने पर उनके चिर परिचित ढले हुए मम्मे सामने आ गए. अभी तक भैया ने साड़ी को ऊपर से नहीं हटाया था, तो उनका शरीर पूर्ण रूप से दिखाई नहीं दे रहा था. हमारे तीनों कैमरामैन बिस्तर और हमारी और अपने कैमरे को केंद्रित किये हुए थे. पापा और मामा को बिस्तर पर चल रही क्रीड़ा में अधिक आकर्षण था तो काव्या हम तीनों पर केंद्रित थी.

अनुज ने नानी के कूल्हे ऊपर करते हुए उनके पेटीकोट को उतारा और भला ये हुआ कि नानी को पैंटी नहीं पहनाई गई थी. तो उनकी चूत एकाएक ही सामने खिल गई. देवेश भैया ने ऊपर से अब साड़ी को हटाया और फिर ऐसा प्रतीत हुआ जैसे एक ही क्षण में वो उतर कर नीचे गिर गई. मम्मी किसी कुशल निर्देशक के रूप में दोनों ओर चल रही गतिविधि पर पैनी दृष्टि रखे हुए थीं. जैसे ही नानी नंगी हुई उन्होंने देवेश और अनुज भैया को हटने का आदेश दिया. पापा और मामा अपने कैमरे से नानी के निर्वस्त्र अधेड़ शरीर को कैमरे में उतार रहे थे.

नानी भी अब तक इस पूरे खेल का आनंद लेने लगी थीं. उन्होंने भी बिस्तर पर ही भिन्न भिन्न आसन बनाकर अपनी वीडियो के लिए अनेक पोज़ दिए. काव्या हम पर केंद्रित रही. दोनों बड़े भाई जब वहां से हटे तो मामी ने देवेश को बुलाया, जो उन्हें हम सब मे सर्वप्रिय हैं. और बेचारे जयेश को छोड़कर भैया के लंड पर पिल गयीं. अनुज ने दिशा भाभी को अपना लंड दिखाया और भाभी ने मामी के समान भेदभाव नहीं किया, बल्कि वो दोनों लंड चूसने लगीं.

“अच्छा दिशा दो दो लंड भी एक साथ चूस लेती है?” नलिनी ने आश्चर्य किया.

रितेश ने हामी भरी और अपनी कथा को आगे बढ़ाया.

तो दोनों भाभियाँ और मामी लंड चूस रही थीं. नानी एक से बढ़कर एक पोज़ में वीडियो बनवा रही थी. मम्मी इस पूरे कार्यक्रम का संचालन कर रही थीं. जब नानी की इच्छा पूरी हो गई तो उन्होंने मम्मी को देखा. मम्मी ने उनका आशय समझ लिया.

“बहुओं, अब जाकर माँ को देखो थोड़ा. पाँच पाँच लौड़े खाने हैं इन्हें आज.”

दिशा भाभी और पल्लू भाभी ने बड़ी अनिच्छा से लंड मुंह से निकाले। फिर दोनों एक दूसरे की ओर मुड़ीं और अनायास ही एक दूसरे के होंठों को चूमने लगीं. उनके इस प्रेमालाप से हमारे पहले से ही तने लंड और फड़फड़ा उठे, परन्तु अभी तक मम्मी ने कुछ कहा नहीं था सो हम सब यूँ ही खड़े उन दोनों को देखते रहे. फिर हाथ में हाथ लिए वो नानी की ओर चल दीं. पल्लू भाभी ने पास पड़ी टेबल से जैल की ट्यूब उठा ली. नानी ने उन्हें आते देखा तो किलकारी भरी.

दिशा भाभी ने नानी को बिस्तर पर लिटाया और उन्हें चूमने में व्यस्त हो गयीं. दूसरी ओर पल्लू भाभी ने नानी की जाँघें अलग करते हुए उसमे अपना मुंह डाल दिया और उनकी चूत चूसने में जुट गयीं. दिशा भाभी नानी को चूमते हुए उनके मम्मे निचोड़ रही थीं. फिर पल्लू भाभी के कहने पर नानी ने दिशा भाभी की ओर करवट ले ली और दिशा भाभी ने अब उनके मम्मे चूसते हुए अपनी दो उँगलियाँ नानी की चूत में डाल दीं और उन्हें चोदने लगीं.

नानी के पीछे जाकर पल्लू भाभी ने उनकी गांड को कुछ देर तक चाटा और फिर जैल लेकर गांड में डाला और उसे अच्छे से मलने लगीं. गांड में एक ऊँगली से आरम्भ करते हुए कुछ ही देर में पल्लू भाभी की तीन उँगलियाँ गांड में उथलपुथल कर रही थीं. दिशा भाभी भी अब चूत में तीन उँगलियाँ डालकर चोद रही थीं. नानी की दोनों बहुएँ दोनों और से उन्हें चोद रही थीं और नानी का शरीर अब छटपटा रहा था.

मम्मी ने ये देखा तो पल्लू भाभी से चूत में भी जैल लगाने को कहा. पल्लू भाभी ने अपनी उँगलियों में जैल लिया और ट्यूब दिशा भाभी को दे दी. फिर पल्लू भाभी ने फिर से गांड में उँगलियाँ पेल दीं. दिशा भाभी ने अपनी उँगलियों से जैल को नानी की चूत में फैला दिया. पल्लू भाभी और दिशा भाभी ने इस बार मम्मी को देखा. उनका ये संकेत था कि नानी अब मुख्य कार्यक्रम के लिए प्रस्तुत हैं.

मम्मी ने हम पाँचों भाइयों को देखा और हमारे लौड़े की स्थिति को देखा. संतुष्ट होकर कि हम सभी उपयुक्त स्थिति में थे, उन्होंने दोनों भाभियों को हटने के लिए कहा. देवेश भैया को बुलाकर कुछ कहा और भैया ने आकर उनका आदेश हम सबको सुनाया. इसके बाद देवेश भैया नानी की ओर बिस्तर पर चले गए. बिना किसी रोक टोक या चूमा चाटी के उन्होंने नानी की चूत पर अपना लंड लगाया और एक तगड़े धक्के के साथ पूरा लंड उनकी चूत में पेल दिया.

देवेश भैया ने नानी को तीव्र गति से पाँच मिनट तक चोदा, उसके बाद मम्मी की घोषणा पर हट गए और उनके स्थान पर इस बार अनुज भैया जा चढ़े. उन्होंने भी नानी की पाँच मिनट तक चुदाई की फिर हट गए. उसके बाद मैंने, अनिल और जयेश ने भी नानी को इसी प्रकार से पाँच पाँच मिनट तक चोदा। विशेष बात ये थी कि चुदाई के बाद मम्मी हमारे लंड चाटकर साफ करती थीं. पर उसके बाद हमें शांति से खड़े रहकर सब देखना होता था. चूत चुदाई के संकलन की समाप्ति पर मामी ने जाकर नानी की चूत को चाटा और स्वच्छ कर दिया.

हम सब तो पाँच पाँच मिनट ही चोदे थे, पर नानी की कुल पच्चीस मिनट चुदाई चली थी, तो उन्हें कुछ विश्राम की आवश्यकता था. इसका लाभ उठाकर पापा और मामा ने भी अपने लंड अपनी पत्नियों से चुसवा लिए और कुछ मात्रा में तनावमुक्त हो गए. नानी वहीं बिस्तर पर लेटी हुई अपनी चूत से खेलती रहीं और उँगलियों से अपना रस चाटती रहीं.

नलिनी: “अगर वहाँ कुछ देर विराम है तो हम भी क्यों न कुछ देर उसका लाभ उठायें. जयेश क्या तुम मेरी चुदाई कर सकते हो?”

“नेकी और पूछ पूछ?” जयेश ने नलिनी को अपनी गोद में लिया और अपना लंड उसकी चूत में सरका दिया और चोदने लगा. रितेश उनकी चुदाई देखते हुए बियर के घूँट भरता रहा. नलिनी इतनी उत्तेजित थी कि कुछ ही देर में झड़ गई. जयेश के बारे में न सोचते हुए वो लंड पर से उतरी और वहीं पर बैठकर गहरी साँसे भरने लगी. रितेश ने जयेश की ओर बियर बढ़ा दी. नलिनी की साँसे ठीक होने के बाद उसने नलिनी को देखा और उस रात की कहानी आगे सुनानी आरम्भ कर दी.

“माँ जी, अब आप घोड़ी बन जाओ, इस बार आपकी गांड का नंबर है.” मम्मी ने नानी को कहा. नानी ने तुरंत ही ये आसन ले लिया. मम्मी ने उँगलियों से तीन का संकेत दिया. और इस बार भी देवेश भैया आगे बढ़े. नानी के पीछे जाकर उन्होंने अपने लंड को गांड के छेद पर लगाया और एक धक्के में लंड अंदर पेल दिया. नानी बिस्तर पर आगे की ओर ढुलक गईं फिर लौट कर सही मुद्रा में आ गयीं. भैया ने तीन मिनट तक नानी की गांड मारी और फिर हट गए और मम्मी के आगे चले गए.

मम्मी ने उनके लंड को स्वच्छ करने में देर न की, और तब तक अनुज भैया का लंड नानी की गांड की गहराइयाँ नाप रहा था. अनुज भैया के लंड को तीन मिनट बाद मामी ने चाटा और मैंने अपने लंड को नानी की गांड में पेला. इसके बाद अनिल और जयेश ने भी तीन तीन मिनट नानी की गांड मारी. मेरा और जयेश के लंड को मम्मी ने चाटा और अनिल के लंड पर मामी की जीभ का जादू चला. पंद्रह मिनट की इस गांड तोड़ चुदाई से अब नानी भी तक गई थीं.

तो मम्मी ने सबके लिए ड्रिंक का सुझाव दिया और फिर अगले आधे घंटे तक हम सबने दो दो पेग मारे। नानी को एक पेग अतिरिक्त दिया गया. इस बार उनकी चुदाई लम्बी जो चलनी थी.

“तो अगर वहाँ पर विराम है तो रितेश क्यों नहीं तुम इस अंतराल में मेरी गांड को भी थोड़ा खुजला देते?” उत्तर की प्रतीक्षा किये बिना ही नलिनी ने उठकर रितेश की ओर पीठ की और उसके लंड को अपनी गांड पर लगाया और उस पर बैठकर उछलने लगी.

इस बार जयेश बियर की चुस्कियाँ लेते हुए नलिनी की गांड मारते हुए अपने भाई को देखता रहा. नलिनी अपने हाथों से अपनी चूत को भी जोर जोर से रगड़ रही थी. कुछ देर में नलिनी फिर झड़ गई और रितेश के लंड से उतर गई.

“तुम सोच रहे होंगे कि मैं तुम दोनों के झड़ने के लिए कुछ नहीं कर रही हूँ. पर मैं तुम्हारे लौड़े फिर से अपनी चूत और गांड में एक साथ लेने के लिए आतुर हूँ. इसीलिए कुछ देर और संयम रखो.”

रितेश अपने प्रकरण को याद कर रहा था. उस रात नानी की जो भयंकर चुदाई हुई थी उसकी याद में लंड बैठने वाला था ही नहीं. रितेश ने कुछ समय के अंतराल के बाद कथा पुनः आरम्भ की.

मम्मी, मामी और दोनों भाभियों ने इस बार नानी की चूत और गांड में भरपूर जैल डालकर उन्हें चिकना कर दिया. फिर मम्मी ने हमारे पास आकर क्रम समझाया. चूत का संहार बड़े भाई से आरम्भ होकर छोटे भाई की और जाना था, वहीँ गांड में छोटे भाई से ऊपर. हम सबको ये सुझाव रुचिकर लगा. विशेषकर जयेश को क्योंकि इस बार इसे ही पहले गांड का आनंद मिलने वाला था. समय सीमा मम्मी ने ३ मिनट ही रखी. उन्हें लगा था कि पाँच मिनट में उनकी माँ चुद जाएगी. अगर कोई पहले झड़ जायेगा तो भी क्रम समान ही रहेगा.

पहले दोनों योद्धा आगे बड़े और देवेश भैया बिस्तर पर लेट गए और नानी को भाभियों ने सहारा देकर उनके लंड पर सवार कर दिया. देवेश भैया ने नीचे दे धक्के लगाए और फिर नानी की कमर को पकड़कर आगे झुका लिया. जयेश ने अपने लंड को नानी की गांड पर लगाया और फिर दोनों भाई नानी को पूरे परिश्रम से चोदने में जुट गए. नानी की दबी हुई चीखें कमरे में सुनाई दे रही थीं. तीन मिनट के उपरांत जयेश हटा और भाभियों ने नानी को लंड पर से हटाया और देवेश भैया के हटने के बाद अनुज के लेटते ही उसके लंड पर बैठा दिया. गांड में इस बार अनिल का लंड गया और इसी प्रकार से एक और क्रम चला जिसमे हम सबको नानी की चूत और गांड एक साथ मारने सौभाग्य प्राप्त हुआ.

पर अभी मम्मी की इच्छा पूरी नहीं हुई थी, नानी की गांड फ़टी पड़ी थी, पर उन्होंने भी संग्राम से भागने के बारे में सोचा भी नहीं. हम सब मम्मी को देख रहे थे कि इस बार उनके विकृत मन में क्या गुना बैठेगा अपनी माँ की चुदाई के लिए. पर इसके पहले एक और ड्रिंक का अवसर था तो सबने उसका लाभ उठाया.

रितेश और जयेश ने नलिनी को आशा से देखा कि वो अब उन दोनों को चोदने के लिए बलायेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. नलिनी ने ये अवश्य पूछा कि अब कितनी शेष है क्योंकि अब रात अधिक होने लगी थी. रितेश ने कहा कि बस कुछ ही और है और आगे बताने लगा.

मम्मी ने इस बार हम सबको बुलाया और समझाया. इस बार कोई क्रम नहीं था जिसका जहाँ मन चाहे लंड पेल सकता था और जितनी देर चाहे चोद सकता था. हमने केवल दो बिंदुओं का ध्यान रखना था कि नानी को कोई चोट न पहुँचे और अगर वो रुकने को कहें तो हमें रुकना होगा, चाहे जो परिस्थिति हो. दूसरा कि झड़ने के पहले बताना था और झड़ना उसी छेद में था जहाँ भी लंड रहा हो.

इसमें हम सबको कुछ संशय था. नानी एक थीं और हम पाँच, हम किसी प्रकार की होड़ नहीं चाहते थे. मम्मी ने मुस्कुराते हुए कहा कि एक बार जब आरम्भ करोगे तो सब क्रम समझ आ जायेगा. स्त्री अपने हर अंग का उचित उपयोग करने में सक्षम होती है. उनके ये कहते ही हमने गणना की और समझ गए की मम्मी किस ओर इंगित कर रही थीं.

परम्परा का निर्वाहन करते हुए हमने अपने बड़े भाइयों को हो सर्वप्रथम आगे जाने का अवसर दिया. अनुज दादा लेट गए और भाभियों ने इस बार भी नानी को उनपर चढ़ा दिया. भाभियाँ इस बार हट गयीं क्योंकि ये समयबद्ध चुदाई नहीं थी. देवेश भैया ने नानी की गांड में लंड डाला और इस बार उनकी रात की पहली दोहरी चुदाई का शुभारम्भ हुआ. दोनों ने जब एक ताल को पा लिया तो मैंने आगे जाकर अपने लंड को नानी के मुंह में दे दिया. नानी ने उसे निगल लिया और पूरी तन्मयता से चूसने लगीं. इसके बाद अनिल और जयेश ने अपने लंड नानी एक एक एक हाथ में दे दिए और मम्मी के कथनानुसार नानी का हर अंग इस समय लंड से पूर्ण था.

चूँकि हम में से किसी ने भी अब तक पानी नहीं छोड़ा था और देवेश भैया दूसरी बार गांड मार रहे थे तो आठ दस मिनट के ही बाद वो नानी की गांड में झड़ गए. निर्देशानुसार उन्होंने झड़ने के पहले बता दिया था. झड़ते ही वे अलग हो गए. मामी आगे आयीं और उन्होंने नानी की गांड चाटकर स्वच्छता का उदाहरण दिया. इसके बाद जयेश ने नानी की गांड में लंड डाला और चोदने लगा.

नलिनी आश्चर्य से ये पूरा वृत्तांत सुन रही थी. “फिर?”

“बस रात में यूँ ही चलता रहा, नानी के जिस भी छेद में कोई झड़ता उसकी सफाई मम्मी, मामी या भाभियों में से कोई करता और फिर वो छेद दुबारा से लंड से भर दिया जाता. लंड की भी सफाई पर ध्यान रखा जाता था. इस प्रकार से नानी की चुदाई लगभग एक घंटे से भी अधिक देर तक हुई. नानी कितनी बार झडीं इसका तो हमें कोई अनुमान नहीं है, पर हम सब उस रात तीन या अधिक बार स्खलित हुए थे.”

नलिनी ने मन ही मन जोड़ा तो वो भी सरिता की क्षमता से प्रभावित हुए बिना न रह सकी. वो भी इस प्रकार की चुदाई के बारे में सोचने लगी. क्या उसके लिए भी ऐसा सम्भव हो सकता है? इसका उत्तर तो तभी मिल सकेगा अगर वो दिशा की ससुराल जाएगी. उसकी चूत अब फिर से कुलबुलाने लगी थी और गांड में भी सनसनी हो रही थी. उसने एक बार फिर से दिशा के देवरों से चुदवाने के बाद सोने का निर्णय लिया. रितेश और जयेश उसकी ओर आशा से देख रहे थे.

वो खड़ी हुई और उनकी ओर देखा, “क्यों न हम एक बार फिर से चुदाई का आनंद लें, फिर सोना भी तो है.”

रितेश और जयेश उसकी मटकती गांड को देखते हुए उसके पीछे चल दिए.

रात अभी शेष थी.


क्रमशः
 
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prkin

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इस अपडेट में कामुकता की ऊंचाई बकाया है।
जिस तरह से आप परिस्थितियों का वर्णन करते हैं, वह बहुत आकर्षणीय और अद्भुत है !
क्या मंत्रमुग्ध कर देने वाला हर एक मोड़ । यह वास्तव में कामुक और शानदार अपडेट था । किरदार जिस तरह से भूमिका निभा रहे थे , उनकी वो भूमिका अनाचार कहानी के उत्साह और कामुकता को उसके टूटने के बिंदु तक बढ़ा देती है। मसालेदार और काव्यात्मक कथन और पात्रों के बीच कामुक बातचीत भी पाठकों के आनंद और उत्साह को बढ़ाती है।
ऐसे ही नियमित मसालेदार अपडेट जरिये हम रीडर्स का मनोरंजन करते रहिये :yourock: :yourock:

Update Posted.

Enjoy.
 

prkin

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