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यह कहानी मेने किसी फोरम पर पढ़ी थी उसमे बीच में ये कहानी भी समाहित थी ,मेने इसको वंहा से लेकर अलग तरीके से पेश की हे ,कहानी को रोचक बनाने के लिए कुछ अंश मेने जोड़े हे ,असल राइटर का शुक्रिया मेरी और से भी आपकी और से भी
Ye story to pritam bhai ke koi to rok lo me se li gayi hai.बात तब की है जब हम लोग जयपुर मे रहा करते थे. मेरे बड़े बेटे आकाश और बहू पद्मिनी की नयी नयी शादी हुई थी. मेरा बेटा आकाश शुरू से ही बहुत सीधा साधा था. उसे शायद सेक्स की भी उतनी जानकारी नही थी. उसकी शादी के 1 साल तक सब कुछ अच्छा चलता रहा. दोनो पति पत्नी दुनिया की नज़र मे खुश दिखाई देते थे. लेकिन असल जिंदगी मे ऐसा नही था.”
“एक तरफ मैं अपने खानदान के पहले वारिस के आने का, बेसब्री से इंतजार कर रहा था. तो दूसरी तरफ मेरे बेटे और बहू की जिंदगी, मेरे इस इंतजार को लेकर बेहद ही तनाव के दौर से गुजर रही थी.”
“ये बात मुझे तब पता चली. जब मैं एक दिन अचानक उनके कमरे के सामने से गुजरा और मैने दोनो के बीच किसी बात को लेकर चल रही नोक झोक को सुना. उस समय पद्मिनी ने आकाश से कह रही थी कि, आपके अंदर सेक्स करने की क़ाबलियत ही नही है. जब आप बीज ही नही बो सकते है. फिर आप मुझसे अपने खानदान का वारिस पाने की उम्मीद ही कैसे कर सकते है. मेरे अंदर कोई कमी नही है. यदि कोई कमी है तो, वो आपके अंदर है.”
“मेरे लिए ये बात किसी सदमे से कम नही थी. लेकिन उस समय मैने इस बात को पति पत्नी की आपसी कलह समझ कर अनसुना कर दिया. मुझे लगा कि पद्मिनी ने ये बात गुस्से मे कर दी है. क्योकि उस समय पद्मिनी की उमर 18 की और आकाश की 21 साल थी. ऐसे मे उनसे ज़्यादा समझदारी की उम्मीद नही की जा सकती थी.”
“ये बात आई गयी हो गयी. इस बात को 6 महीने गुजर चुके थे. अब मेरे छोटे बेटे प्रकाश का जॉब दूसरे शहर मे लग चुका था. वो वहाँ अपने जॉब पर जा चुका था. उस के जाने के दूसरे दिन मुझे फिर आकाश और पद्मिनी का झगड़ा सुनाई देता है. ना चाहते हुए भी मुझे उन दोनो के झगड़े मे बीच मे बोलना पड़ता है.”
“मैं दोनो को डॉक्टर से मिलने की सलाह देता हूँ और दूसरे दिन अपनी मुंबई वाली कंपनी का काम देखने मुंबई आ जाता हूँ. उसके दो दिन बाद जब मैं वापस अपने घर लौटता हूँ. तब मुझे पता चलता है कि, डॉक्टर की रिपोर्ट ने पद्मिनी की बात को सही ठहराया है. पद्मिनी सही है और कमी आकाश मे ही है.”
“इस बात को सुन कर जहाँ मुझे गहरा आघात लगा था. वही एक बाप का दिल इस बात को मानने को तैयार नही था की, उसके बेटे मे कोई कमी हो सकती है. मैं दोनो से कहता हूँ कि, हम मुंबई के डॉक्टर को चल कर दिखाएगे और यदि आकाश मे कोई कमी है भी तो हम वही रुक कर आकाश का इलाज कराएगे.”
“मेरी इस बात से दोनो सहमत हो जाते है. अगले दिन मैं आकाश और पद्मिनी को लेकर अपने मुंबई वाले घर मे आ जाता हू. यहाँ पर घर मैने इसी वजह से बनवाया था कि, जब कभी मैं अपने परिवार के साथ आउ तो, यहाँ रह सकूँ. यहाँ आने के बाद मैने एक अच्छे डॉक्टर को आकाश को दिखाया. लेकिन उसने भी वही जबाब दिया. जो जबाब हमारे जयपुर वाले डॉक्टर का था.”
“उसका जबाब सुनकर आकाश टूट सा गया. उसी रात उसने ख़ुदकुशी करने की कोशिश भी की थी. लेकिन पद्मिनी के देख लेने की वजह से हम ने उसे बचा लिया था. लेकिन उसकी इस हरकत से मुझे और पद्मिनी दोनो को, बहुत गहरा झटका लगा था. मगर एक बाप होने के नाते मैने अपने आपको संभाला और आकाश से कहा कि, वो चिंता ना करे. कुछ दिन बाद यहा विदेश से कुछ डॉक्टर आ रहे है. मुझे उम्मीद है कि, वो ज़रूर उसे ठीक कर देगे.”
“ये बात मैने सिर्फ़ आकाश का दिल रखने और उसकी हिम्मत बढ़ाने के लिए कही थी.
मुंबई आ जाने के बाद आकाश यहाँ पर भी अपना अलग से बिजनेस शुरू करना चाहता था. लेकिन मैने उसे ऐसा करने से मना कर दिया. मैने उसे समझाया कि अब उसे अलग से कोई बिजनेस करने की ज़रूरत नही है.
मेरा इतना बड़ा बिजनेस है और जब वो यहाँ आ ही गया है. तब उसे ही इसको संभाल लेना चाहिए. उसने मेरी बात पर ज़्यादा कोई सवालात नही किए और अगले दिन से मेरा बिजनेस संभालना सुरू कर दिया.
कुछ ही दिनो मे आकाश का मन, मेरे बिजनेस मे पूरी तरह से लग गया. अब वो एक सामान्य जीवन जीने लगा था. आकाश के बिजनेस संभाल लेने से मुझे भी काम से थोड़ा बहुत आराम मिल गया था.
उस समय मेरी उमर 41 साल थी. मैं जयपुर के इज़्ज़तदार लोगों मे गिना जाता था और मेरा जीवन वहाँ पर बहुत ही सादा था. मगर असल जीवन मे मैं ऐसा नही था. हर मर्द की तरह मेरे शरीर की भी कुछ ज़रूरतें थी. जिन्हे मैं अपनी पत्नी के मरने के बाद से, मुंबई मे रुक कर, वहाँ की कॉल गर्ल से पूरी किया करता था.
लेकिन आकाश और पद्मि नी के मुंबई आ जाने से मेरी सारी आज़ादी ख़तम हो गयी थी. मैं ऐसा कोई कदम नही उठाना चाहता था. जिस से मेरी इज़्ज़त मेरे बेटे और बहू की नज़र मे कम हो जाए. इसलिए मैने इन सब बातों से किनारा करने का मन बना लिया.
कुछ दिन तक तो मैं ऐसा करने मे कामयाब रहा. मगर फिर एक दिन आकाश और पद्मिननी को अपने किसी दोस्त की शादी मे, जयपुर जाने का प्रोग्राम बना. उन्हो ने मुझसे जाने की इजाज़त माँगी तो, मैने उन्हे जाने की इजाज़त दे दी.
लेकिन पद्मिनी को मेरे अकेले रहने की चिंता सता रही थी. क्योकि उन लोगों को जयपुर मे कम से कम 3-4 दिन रुकना था. मैने उसे समझाया कि, उनके आने के पहले भी मैं अकेला ही यहाँ रहा करता था. तब जाकर वो जाने के लिए तैयार हुई.
दूसरे दिन सुबह सुबह वो जयपुर के लिए निकल गये. उनके जाते ही मुझे फिर से आज़ादी मिल गयी थी. मैने एक दिन तो जैसे तैसे शराफत के साथ गुज़ार लिया था.
लेकिन दूसरे दिन मेरे अंदर का मर्द जाग गया. मैने सोचा कि अभी 2-3 दिन तो मैं अकेला हूँ. यदि ऐसे मे, मैं थोड़ा मौज मस्ती कर लूँ, तो इसमे बुरा ही क्या है.
मैने इस आज़ादी का भरपूर फ़ायदा उठाने की सोची और शाम को अपनी मनपसंद कॉल गर्ल को कॉल लगा कर, घर आने को कह दिया.
वो मुंबई की सबसे मशहूर कॉल गर्ल थी.उसका कॉल गर्ल का नाम अलीशा था. वो 25 साल की बेहद सुंदर और सेक्सी लड़की थी. इतनी कम उमर मे इस धंधे मे आ जाने के कारण, उसका रेट बहुत हाइ था और वो अपनी मर्ज़ी से अपना ग्राहक चुना करती थी.
मेरे उसके साथ पिच्छले 5 साल से सेक्स समबन्ध थे. उसके पहले मेरे बहुत सी कॉल गर्ल के साथ सबंध रह चुके थे. लेकिन उन मे से ऐसी कोई नही थी. जिस से एक बार संबंध बनाने के बाद, मुझे कोई दूसरी लड़की पसंद ना आई हो.
लेकिन जब से मैने अलीशा के साथ सेक्स सबंध बनाए थे. तब से लेकर आज तक मैं सिर्फ़ उसी के साथ जुड़ा हुआ था. एक तरह से मैं उसके साथ एक भावनात्मक लगाव से जुड़ा हुआ था और शायद उसके साथ भी ऐसा ही कुछ था.
उसे भी मेरा साथ बहुत पसंद आता था. उसने आज तक कभी मेरे साथ आने मे मनाही नही की थी. उल्टे मेरी वजह से अपने काई ग्राहको को मना कर चुकी थी. आज भी उसने ऐसा ही कुछ किया था.
आज उसकी बुकिंग किसी और ग्राहक के साथ थी. लेकिन मेरा कॉल जाते ही उसने अपनी उस बुकिंग को कॅन्सल कर दिया और उस ग्राहक को फिर कभी आने का बोल दिया.
मैने अलीशा को पीने के लिए कुछ विस्की अपने साथ ले आने को कहा और फिर खाने के लिए एक होटेल मे ऑर्डर करने के बाद, मैं बेचेनी से अलीशा के आने का वेट करने लगा.
शाम के ठीक 7 बजे डोरबेल बजी. मैं समझ गया कि, अलीशा आ गयी है. मैने जल्दी से दरवाजा खोला. सामने अलीशा ही खड़ी थी. उसके हाथ मे एक कॅरी बॅग था. उसमे शायद वो, विस्की की बॉटल थी.
वो एक मिनी स्कर्ट टॉप मे थी और उसके टॉप से उसके सीने की गोलाई सॉफ नज़र आ रही थी. मैने उसे सर से पाँव तक देखा और वो बहुत सेक्सी लग रही थी. उसे देखते ही मेरे लिंग ने सालामी देना सुरू कर दिया.
वो मुस्कुराते हुए घर के अंदर आई और मैने दरवाजा बंद करते ही उसे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. उसने भी मेरी हालत को समझते हुए, अपने एक हाथ से मेरे लंड को पॅंट के उपर से मसल दिया.
उसकी इस हरकत से मेरे मूह से आह निकल गयी और मैने उसे ज़ोर से अपने सीने से भींच लिया और स्कर्ट के उपर से ही उसके चूतड़ों को मसल्ने लगा.
मेरी इस हरकत पर अलीशा ने मुस्कुराते हुए मेरे लोडे को ज़ोर से मसल दिया और कहा.
अलीशा बोली “थोड़ा तो सबर करो सेठ. मैं कोई भागी नही जा रही हूँ. रात भर के लिए मैं तुम्हारे साथ हूँ.”
मैं तो पहले से ही गरम था. उसकी इस हरकत ने मुझे और भी गरम कर दिया था. मैने अपने एक हाथ को उसके सीने पर रखा और उसके बूब्स को मसल्ते हुए, उस से कहा.
मैं बोला “नही, मैने तुम्हे सिर्फ़ दो घंटे के लिए बुलाया है. उसके बाद तुम जहाँ जाना चाहो जा सकती हो.”
अलीशा बोली “सेठ ये कैसी बात करता है. आज तक ऐसा कभी हुआ है कि, अपुन तेरे पास आने के बाद फिर किसी के पास गयी हो.”
मैने उसके उसे अपनी गोद मे उठा लिया और उसे छेड़ते हुए कहा.
मैं बोला “बात ये है कि, आज मेरे पास तुम्हे देने के लिए उतने पैसे नही है. मैं तुम्हे रात भर अपने पास रहने के पैसे नही दे सकता.”
अलीशा बोली “क्यो अपुन के अरमानो पे पानी फेर रहा है सेठ. अपुन तेरे से पैसे की बात कब की है. तेरे को पैसे नही देना तो मत दे मगर अपुन के दिल पर पैसे की बोल कर ठेस तो मत लगा.”
मैं समझ गया कि, अलीशा को मेरे पैसे वाली बात अच्छी नही लगी है. मैने उसे सोफा पर बैठाया और उसके पास बैठते हुए कहा.
मैं बोला “सॉरी, मैं तो मज़ाक कर रहा था. तुम मेरी बात का बुरा मत मानना.”
अलीशा बोली “नही मानेगी सेठ. लेकिन अब ये बताओ कुछ खाने के लिए ऑर्डर भी दिया है, या वो भी अपुन को ही लाना था. क्योकि अपुन तो सिर्फ़ बोतल लेकर ही आई है.”
मैं बोला “खाने का मैने बोल दिया है. खाना अभी आता होगा. मैं फ्रेश हो चुका हूँ. तुम फ्रेश होना चाहो तो हो सकती हो.”
अलीशा बोली “ओके सेठ. अपुन अभी फ्रेश होकर आती है. तब तक तुम चाहो तो एक दो पेग ले सकते हो.”
ये कह कर उसने कॅरी बॅग मेरी तरफ बढ़ा दिया और खुद उठ कर मेरे कमरे की तरफ फ्रेश होने चली गयी.
मैं उसे जाते हुए देखता रहा और उसके अंदर चले जाने के बाद मैने कॅरी बॅग से विस्की की बॉटल निकली और पेग बनाने लगा. तभी डोरबेल बजी.
मैने दरवाजा खोला तो खाना आ चुका था. मैने खाना लिया और दरवाजा बंद करने के बाद खाना डाइनिंग टेबल मे जमाने लगा.
थोड़ी देर बाद अलीशा फ्रेश होकर आ गयी. उस समय वो मेरा गाउन पहने हुई थी. उसने अंदर शायद कुछ नही पहना था. क्योकि उसके चलने से उसकी जांघे सॉफ नज़र आ रही थी.
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उसे देखते ही मेरा लिंग फिर सलामी देने लगा. वो मुस्कुराते हुए मेरे पास आई और मेरी गोद मे आकर बैठ गयी. मैने उसे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. उसने मेरे हाथों से मेरा पेग ले लिया और फिर मुझे अपने हाथों से पिलाने लगी.
मेरे अंदर उसकी जवानी और शराब दोनो का नशा छाने लगा. लेकिन मैने अपने उपर सायं रखते हुए कहा.
मैं बोला “पहले एक राउंड लगाना पसंद करोगी या फिर पहले खाना खाओगी.”
अलीशा बोली “अपुन के पास सारी रात पड़ी है. अभी अपुन खाना खा लेते है. फिर आराम से रात का मज़ा लूटेगे.”
ये कह कर वो मेरी गोद से उठ गयी और हम खाना खाने लगे. लेकिन अब मेरे अंदर उस से दूर रहने का सब्र नही था. मैने उसे खीच कर अपनी गोद मे बैठा लिया और अपने लोडे को उसके कुल्हों से मसल्ते हुए खाना खाने लगा.
हम दोनो अपनी मस्ती मे ही मस्त होकर खाना खाने मे व्यस्त थे. तभी फिर से डोरबेल बजी. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, इतने समय कौन आ सकता है. मेरे उपर अलीशा के हुश्न और शराब दोनो का नशा छाया हुआ था.
मैने सोचा कि डोरबेल बजने दो. जो भी होगा दरवाजा खुलते ना देख कर चला जाएगा. लेकिन डोरबेल बराबर बजती रही. जिस वजह से ना चाहते हुए भी मुझे दरवाजा खोलने उठना पड़ा.
मैने अलीशा को कुछ देर के लिए अंदर जाने को कहा और अलीशा के अंदर जाने के बाद दरवाजा खोलने चला गया. मैने दरवाजा खोला तो, मेरे सामने पद्मिानी खड़ी थी.
पद्मि नी को अपने सामने देख कर, मेरा सारा नशा उडान छु हो गया. मुझे कुछ समझ मे नही आया कि, ये अचानक यहाँ वापस कैसे आ गयी. मैं ठगा सा दरवाजे पर खड़ा रह गया.
दरवाजा खुलते ही पद्मिेनी अंदर आई और कहने लगी.
पद्मिानी बोली “पापा मैं कब से बेल बजा रही हूँ. आपको दरवाजा खोलने मे इतना समय क्यो लगा.”
मैं कुछ बोल पाता, उसके पहले ही उसकी नज़र डाइनिंग टेबल पर रखी शराब की बॉटल पर पड़ गयी. उसे दरवाजा खोलने मे होने वाली देरी की वजह का पता चल गया. उसने मुझ पर गुस्सा करते हुए कहा.
पद्मिहनी बोली “पापा , ये सब क्या चल रहा था. आप अकेले मे शराब पी रहे थे. लगता है आप अकेले रहना इसी लिए पसंद करते है. ताकि आपको ये सब करने की आज़ादी मिल सके.”
मैं बोला “नही बेटी, ऐसी कोई बात नही है. मैं तो बस अकेलापन मिटाने के लिए कभी कभी घर मे ऐसे ही पी लेता हूँ. लेकिन यदि तुम्हे पसंद नही है तो, आज के बाद नही पियुगा.”
पद्मिीनी बोली “ठीक है, ये आपकी पहली ग़लती है इसलिए मैं ये बात अपने तक ही रखुगी. लेकिन आज के बाद ऐसा नही होना चाहिए.”
मैं बोला “थॅंक्स बेटी, आज के बाद ऐसा नही होगा. लेकिन तुम तो 3-4 दिन का बोल कर गयी थी. फिर अचानक कैसे वापस आ गयी. क्या आकाश भी वापस आ गया है.”
पद्मिचनी बोली “नही वो नही आए है. मुझे आपकी फिकर लगी थी. इसलिए मैं वापस आ गयी.”
मैं बोला “तुमने खाना नही खाया होगा. थोड़ा बहुत कुछ खा लो. मैने होटेल से खाना मँगवाया है.”
पद्मिोनी बोली “ठीक है पापा , आप ये शराब की बोतल वहाँ से अलग कीजिए. तब तक मैं फ्रेश होकर आती हूँ.”
ये कह कर वो उपर अपने कमरे मे चली गयी. मैने जल्दी जल्दी शराब की बोतल उठाई और एक प्लेट मे खाना लगा कर, उन्हे लेकर अपने कमरे मे आ गया.
वहाँ पर अलीशा मेरे बड़ी बेचेनी से मेरे आने का इंतजार कर रही थी. वो शायद पद्मि्नी के आ जाने से घबरा गयी थी और अपने कपड़े पहन चुकी थी. मेरे अंदर पहुचते ही उसने कहा.
अलीशा बोली “ये कौन है सेठ. क्या ये तुम्हारी बेटी है. अब अपुन का क्या होगा.”
मैं बोला “वो मेरी बहू है. वो अभी बाहर से आ रही है. खाना खाकर अपने कमरे मे आराम करने चली जाएगी. उसका कमरा उपर है. इसलिए तुम उसकी चिंता मत करो. बस जब तक वो यहाँ नीचे रहती है. तब तक चुप चाप तुम मेरे कमरे मे रहना.”
अलीशा बोली “अब क्या अपुन को जाना पड़ेगा.”
मैं बोला “नही, मैं तुम्हे सुबह घर छोड़ डुगा. आज की रात तुम मेरे साथ ही रहोगी.”
अलीशा बोली “लेकिन सेठ, तेरी बहू के रहते. क्या अपुन का यहाँ रुकना ठीक होगा.”
मैं बोला “कुछ नही होगा. वो थकि हुई है. इसलिए खाना खाकर अपने कमरे मे जाकर सो जाएगी और सुबह के पहले नही जागेगी.”
अलीशा बोली “सेठ अपुन को तो बहुत डर लग रहा है. अपुन नही चाहती कि, अपुन की वजह से तेरे घर मे कोई बखेड़ा खड़ा हो.”
मैं बोला “तुम चिंता मत करो. ऐसा कुछ भी नही होगा. तुम आराम से खाना खाओ. मैं पद्मिजनी के साथ खाना खाकर अभी आता हूँ.”
ये कह कर मैं अपने कमरे से बाहर आ गया. बाहर आकर मैं डाइनिंग टेबल पर बैठ गया और पद्मि नी के आने का इंतजार करने लगा.
थोड़ी देर बाद पद्मि नी फ्रेश होकर नीचे आ गयी. मुझे मेरी चोरी पकड़े जाने से थोड़ी सी शर्मिंदगी ज़रूर थी. लेकिन अलीशा के मेरे कमरे मे होने की बात, पद्मि नी को पता ना होने की वजह से, कुछ राहत भी थी.
पद्मिेनी ने डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए, खाना लगाते हुए कहा.
पद्मिेनी बोली “पापा , मुझे आपसे बोलने का हक़ तो नही है. फिर भी यदि आपकी इजाज़त हो तो, मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूँ.”
मैं बोला “बेटी, मैने तुम्हे अपनी बहू नही, हमेशा अपनी बेटी ही समझा है. तुम्हे जो भी कहना है. दिल खोल कर कह सकती हो. इसके लिए तुम्हे मुझसे इजाज़त लेने की ज़रूरत नही है.”
पद्मिोनी बोली “पापा , आपको यदि माँ जी की कमी ज़्यादा अखरती है तो, आप दोबारा शादी कर लीजिए. लेकिन आपको ये सब हरकतें शोभा नही देती है.”
पद्मिजनी की बात सुन कर तो मेरे सर से आधा नशा उतर गया. मुझे समझ नही आया कि, अचानक वो ये सब क्यो बोल रही है. मुझे लगा कि, वो मेरे शराब पीने की बात के उपर से ये सब बोल रही है. इसलिए मैने उस को समझाते हुए कहा.
मैं बोला “बेटी, ये नशा तो, मैं कभी कभी अपना अकेलापन दूर करने के लिए कर लेता हूँ. यदि तुम्हे ये पसंद नही है तो, आज के बाद ऐसा नही करूगा. इसमे शादी करने वाली बात कहाँ से आ गयी.”
पद्मिेनी बोली “पापा , मैं सिर्फ़ शराब का नशा करने की बात नही कर रही हूँ. बल्कि मैं उस नशे की बात कर रही हूँ. जिसे आप अपने कमरे मे छुपा कर रखे है.”
उसकी ये बात सुनकर तो मेरा सर ही चकरा गया. मैं समझ नही पा रहा था कि, पद्मिसनी किस चीज़ की बात कर रही है. क्या उसे अलीशा के मेरे कमरे मे होने की बात का पता लग गया है.
बिना कारण पता किए ही मैं हथियार डाल चुका था. मेरे मूह से अपनी सफाई मे एक शब्द भी नही निकला. मुझे खामोश देख कर पद्मिीनी ने कहा.
पद्मििनी बोली “पापा , आप से हम लोगों को जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है. आप हमारे आदर्श है. आपको ऐसा नीचे गिरते हुए हम नही देख सकते. आज ये बात मुझे पता चली है. हो सकता है कल उनको भी पता चल जाए. तब सोचिए, उनकी नज़रों मे, आपकी क्या इज़्ज़त रह जाएगी.”
अब मुझे पक्का यकीन हो चुका था कि, पद्मिीनी अलीशा के बारे मे ही बात कर रही है. फिर भी मैने अपना शक़ दूर करने के लिए उस से पुच्छ ही लिया.
मैं बोला “बेटी, मुझे समझ मे नही आ रहा कि, तुम किस बारे मे बात कर रही हो. मैने ऐसा किया क्या है.”
पद्मिहनी बोली “पापा , मैं उस लड़की के बारे मे बात कर रही हूँ. जो इस समय आपके कमरे मे है. मैं अभी आपसे सर दर्द की दवा लेने नीचे आई थी. तब मैने आपके कमरे मे आपकी और उस लड़की की बातें सुनी थी. इसलिए मैं कह रही हूँ कि, आप शादी कर लीजिए. रही उनको मनाने की बात तो, उनको मैं मना लूँगी.”
पद्मितनी की इस बात के बाद मेरा तो गला सूख कर रह गया. मैने पानी पिया और बड़ी हिम्मत जुटा कर अपनी सफाई देते हुए कहने लगा.
मैं बोला “बेटी, तुम्हारी सास मुझे, आज से प्रकाश के जनम के 3 साल बाद ही छोड़ कर चली गयी थी. मैने अपने बच्चों को सौतेली माँ लाकर देने से अच्छा, खुद उनकी माँ बनकर पालना बेहतर समझा था. लेकिन धीरे धीरे वक्त के साथ बच्चे बड़े होते चले गये और मैं अकेला पड़ता गया. इसलिए कभी कभी इस अकेलेपन को मिटाने के लिए, ये सब कर लेता हूँ. लेकिन अब मैं तुम्हे यकीन दिलाता हूँ कि, आगे से ऐसा कुछ नही होगा.”
पद्मिदनी बोली “,पापा मैं आपकी भावनाओं का गला घोटना नही चाहती. मैं तो बस इतना चाहती हूँ कि, आप बाजारू औरतो की जगह, अपना अकेलापन मिटाने के लिए, एक जीवन साथी का सहारा लीजिए. यदि आप ऐसा करते है तो, इसमे कोई बुराई नही होगी.”
मैं बोला “नही बेटी, ये नही हो सकता. अब मेरी उमर घर मे बच्चों की बहू लाने की है, ना की बच्चों के लिए उनकी नयी माँ लाने की है. लोग देखेगे तो, सब हसेगे.”
पद्मिएनी बोली “लोग हंसते है तो, उन्हे हँसने दीजिए. लोगों का तो काम ही ये बन गया है. उनसे किसी की खुशी देखी नही जाती. इन्ही लोगों का ख़याल करके हमे, जयपुर छोड़ना पड़ा था. आख़िर कब तक हम लोगों की परवाह करके अपनी खुशियों का गला घोंटते रहेगे. मैं उनके आते ही, उनसे आपकी शादी की बात करती हूँ.”
मैं बोला “नही बेटी, तुम ऐसा कुछ नही करोगी. तुम्हे मेरी कसम है. मैं तुमसे वादा करता हूँ कि, आज के बाद तुम्हे मुझसे कोई शिकायत नही होगी.”
वो कुर्सी छोड़कर खड़े होते हुए बोली- “पापा, आप कितने अच्छे हैं…” और यह कहते हुए उसने मुझे अपनी बाहों में भींच लिया।
मैंने भी उसके बदन को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया और कहा- “मेरी पदमनी भी तो कितनी प्यारी है…” कहते हुए मैंने उसके माथे का चुम्बन लिया और जानबूझकर अपनी जीभ से मुख का थोड़ा गीलापन उसके माथे पर छोड़ दिया।
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“पापा, मैं कितनी खुशनसीब हूँ जो मैं आपकी बहू बनकर इस घर में आई… आप यहीं बैठकर आराम कीजिए, मैं चाय बनाकर लाती हूँ…” कहते हुए पद्मनी मुड़ी। मैं कुर्सी पर बैठकर सोचने लगा कि मैं भी कितना खुश हूँ पदमनि जैसी बहू पाकर। आज कितना अच्छा लगा पदमनि के साथ। तभी मन में यह विचार भी आया कि उसके बूब्स कैसे मेरी छाती में गड़े जा रहे थे जब वो मेरी बाहों में थी। ओह्ह… जब पदमनि चाय बनाने के लिए जाने लगी तो मेरी नजर उसके चूतड़ों पर पड़ी, उसका ब्लाउज थोड़ा ऊपर सरक गया था और शायद उसकी सफेद साड़ी थोड़ी नीचे होकर मुझे उसके चूतड़ों की घाटी का दीदार करा रही थी। अब या तो उसने पैंटी पहनी ही नहीं था या फिर पैन्टी नीचे खिसक गई थी। अब तो यह देखते ही मेरा लंड छलांगे मारने लगा।
मैं भूल गया कि यह मेरी पुत्र वधू है।
किस्मत ने पद्मिहनी जैसी सुशील लड़की को ऐसा जख्म दिया था. जिसकी दवा हम मे से किसी के पास भी नही थी. फिर भी पद्मिलनी अपने दर्द को छुपाये सारे समय हँसती रहती थी.
लेकिन एक दिन फिर से आकाश और पद्मिनी के कमरे से मुझे उनके झगड़ने की आवज़ आई. आकाश के जाने के बाद मेने पद्मि नी से इसके बारे मे पुछा तो पद्मिझनी ने बताया कि आकाश को लगने लगा है कि वो कभी ठीक नही हो सकता. मैं यही बात उनको समझा रही थी कि उनको ठीक होने मे कुछ समय लगेगा.
लेकिन वो इस बात को मानने को तैयार ही नही है. उनका कहना है कि वो कभी बाप नही बन सकते. इसी बात को लेकर वो मुझसे अभी लड़ झगड़ रहे थे. ऐसा लगता है कि उन्हे फिर से ये बात परेशान करने लगी है.
पदमनि ने जब ये बात मुझे बताई. तब मैं भी सोच मे पड़ गया. मेरे पास भी आकाश और पद्मि नी की इस समस्या का अब कोई हल नही था. समय तेज़ी से बीत रहा था. ऐसे मे आकाश का पिता ना बन पाना उसे परेशान कर रहा था.
. कुछ दिन बाद मेरे घर हमारे फॅमिली डॉक्टर रतन की पत्नी डॉ माधुरी घर आयी ,माधुरी मेरे साथ काफी खुली हुई थी ,वो उसके पति डॉ रतन हम कॉलेज के ज़माने से दोस्त थे मेने उन्हें इस समस्या के बारे में बताया तो डॉ माधुरी ने कहा की समस्या का एक हल हो सकता हे मेने उत्सुकता से कहा क्या हल हो सकता हे तो उसने कहा की में पद्मिनी के साथ सम्बन्ध बना लू
मैं बोला “तुम्हारी अकल तो ठिकाने पर है. मेरे जवान बेटा और बहू एक औलाद के लिए तरस रहे है और तुम मुझ से बाप बनने के लिए बोल रही हो. ये बोलते हुए तुम्हे ज़रा भी शरम नही आई.”
डॉ माधुरी बोली “तुम मेरी बात को समझे नही. मैने ये कहा कि, क्या हुआ जो आकाश बाप नही बन सकता. तुम तो बाप बन सकते हो . तुम उनको एक संतान दे दो . उनकी समस्या ख़तम हो जाएगी.”
मैं बोला “इसमे समझने वाली बात क्या है. तुम वही तो बोल रही हो. जो मैं समझ रहा हूँ और मेरे बाप बनने से उनकी समस्या तो ज्यों की त्यों बनी रहेगी.”
डॉ माधुरी बोली “नही तुम वो नही समझ रहे है. जो मैं कह रही हूँ. मेरे कहने का मतलब था कि, तुम पद्मिनी की कोख मे अपना बीज बो दो . पद्मिनी के माँ बनते ही उनकी समस्या ख़तम हो जाएगी.”
मैं बोला “तुम सच मे पागल हो गयी हो. अच्छा हुआ तुम्हारी ये बात पद्मिनी ने नही सुनी. यदि वो सुन लेती तो पता नही वो मेरे बारे मे क्या सोचती.”
मैं अभी अपनी बात कह ही रहा था कि, तभी मेरी नज़र दरवाजे पर पड़ी. वहाँ पद्मिनी खड़ी हमारी बातें सुन रही थी. मुझसे नज़र मिलते ही वो मुड़कर वापस चली गयी. ये देख कर मैने डॉ माधुरी से कहा.
मैं बोला “ये लो हमारी बात पद्मिनी ने सुन ली. अब पता नही वो हमारे बारे मे क्या सोच रही होगी. तुमने ये ज़रा भी अच्छा नही किया.”
डॉ माधुरी ने कहा “तुम पद्मिनी की चिंता मत करो . डॉक्टर की हैसियत से उसको सब समझा दूंगी की कि, इस सब मे तुम्हारा कोई दोष नही है. मैने ही ये बात शुरू की थी. मैं बस तुम्हारे मन की बात जानना चाहती हूँ.”
मैं बोला “मैं पागल नही हूँ. जो इस सब के लिए तैयार हो जाउ.”
डॉ माधुरी बोली “मैं बक नही रहा हु . जो आज की ज़रूरत है वो बात कर रहा हूँ.
मैं बोला “सिर्फ़ तुम्हारे सोच लेने बस से क्या होता है. सवाल सिर्फ़ आकाश का नही है. तुम्हारी इस बात मे पद्मिनी की जिंदगी पर भी असर पड़ रहा है. वो भला इस समय क्या सोच रही होगी.”
डॉ माधुरी बोली “तुमको पद्मिनी की फिकर है ना. मैं तुम्हारी ये फिकर भी दूर कर देती हूँ. मैं अब पद्मिनी से बात करने के बाद ही तुम से इस बारे मे कोई बात करुँगी .”
ये बोल कर डॉ कमरे से बाहर निकल गयी. कुछ देर बाद वो वापस लौटी तो, मैने उस से पुछा.
मैं बोला “क्या हुआ. क्या पद्मिनी का गुस्सा शांत हो गया.”
माधुरी बोली “हाँ मैने उसे समझा दिया. बहुत ना नुकुर करने के बाद उसे मेरी बात का मतलब समझ मे आ गया. अब यदि तुम्हे ठीक लगे तो, जो मैने कहा है वो हो सकता है.”
मैं बोला “तुम्हारे कहने का मतलब क्या है.”
माधुरी बोली “मैने पद्मिनी को उस बात के लिए भी तैयार कर लिया है. वो उस बात के लिए भी तैयार हो गयी है. लेकिन उसने सब कुछ आपकी मर्ज़ी पर छोड़ दिया है.”
मैं बोला “ऐसा कैसे हो सकता है. पद्मिनी इस सब के लिए तैयार कैसे हो गयी.”
माधुरी बोली “सवाल उसके पति की जिंदगी का था. उसे तो तैयार होना ही था. अब आपके उपर है कि, आप अपने बेटे की जिंदगी के लिए ये सब करने को तैयार है या नही.”
मैं बोला “मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ. वो मेरी बहू है
माधुरी बोली “लेकिन आप ये क्यो भूल रहे है कि, आकाश आपका बेटा है और अपनी नमार्दानगी को लेकर वो अपने आपको ख़तम भी कर सकता है. यदि उसने ऐसा कर लिया तब आप क्या करेगे.”
मैं बोला “मेरे तो कुछ समझ मे नही आ रहा है कि, मैं क्या करूँ. बस इतना समझ मे आ रहा है कि, जो तुम करने को बोल रही हो वो सही नही है.”
माधुरी बोली “तुम इस सही ग़लत के चक्कर मे ना पड़े. बस इतना सोचे कि तुम जो करने जा रहे है. वो सिर्फ़ अपने बेटे की भलाई के लिए कर रहे है.”
मैं बोला “लेकिन ये सब होगा कैसे और यदि ये सब आकाश को पता चल गया तो, उस पर क्या बीतेगी.”
माधुरी बोली “ये सब कैसे होगा. ये आप मुझ पर छोड़ दीजिए. रही बात आकाश को पता चलने की तो, जब तक हम मे से कोई उसे बताएगा नही. तब तक ये बात उसे पता नही चलेगी और हम मे कोई ये बात किसी को नही बताएगा.”
मैं बोला “ठीक है, जो तुम्हे ठीक लगे, तुम कर सकती हो. मैं अपने बेटे बहू की खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ. मुझे कब क्या करना है तुम बता देना.”
माधुरी बोली “मैने सब सोच लिया है. मैं आकाश को लेकर कुछ दिन यंहा से जयपुर चली जाउन्गी. वहाँ से हमे लौटने मे 5 -7 दिन लगेगे. उस बीच तुम लोगों को ये काम करना होगा.”
मैं बोला “लेकिन मैं पद्मिनी के सामने जाने की हिम्मत नही कर पाउन्गा. मुझे समझ मे नही आ रहा कि मैं ये सब कैसे कर पाउन्गा.”
माधुरी बोली “तुम दोनो के पास 5 -7 दिन का समय रहेगा. तुम चिंता मत करो . जाने के पहले मैं पद्मिनी को भी सब कुछ फिर से समझा दुगी.”
इसके बाद माधुरी मे आकाश के आने पर उस से जयपुर चलने की की इच्छा जताई और आकाश से साथ चलने को कहा. आकाश ने पहले काम का बहाना बना कर टालने की कोशिश की
आख़िर मे आकाश को माधुरी की बात मानना पड़ी और वो उसके साथ जाने को तैयार हो गया. फिर 2 दिन बाद माधुरी और आकाश, जयपुर निकल गये. जाने से पहले माधुरी पद्मिनी को बहुत सी बातें समझा कर गयी थी.
उसने जाते समय मुझे भी बहुत सी बातें समझाई थी. लेकिन उसके जाते ही मेरी हिम्मत जबाब दे गयी. मुझसे किसी भी बात मे कोई पहल करते नही बनी और सारा दिन ऐसे ही बीत गया.
sahi kaha aapneYe story to pritam bhai ke koi to rok lo me se li gayi hai.
Shyad uske update 60 ke baad ye story chalu hue thi .
priya ke dadaji apne bare mepunnu ko bata rahe the.