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Incest ससुर बहु की रासलीला

juhi gupta

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यह कहानी मेने किसी फोरम पर पढ़ी थी उसमे बीच में ये कहानी भी समाहित थी ,मेने इसको वंहा से लेकर अलग तरीके से पेश की हे ,कहानी को रोचक बनाने के लिए कुछ अंश मेने जोड़े हे ,असल राइटर का शुक्रिया मेरी और से भी आपकी और से भी
 

juhi gupta

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बात तब की है जब हम लोग जयपुर मे रहा करते थे. मेरे बड़े बेटे आकाश और बहू पद्‍मिनी की नयी नयी शादी हुई थी. मेरा बेटा आकाश शुरू से ही बहुत सीधा साधा था. उसे शायद सेक्स की भी उतनी जानकारी नही थी. उसकी शादी के 1 साल तक सब कुछ अच्छा चलता रहा. दोनो पति पत्नी दुनिया की नज़र मे खुश दिखाई देते थे. लेकिन असल जिंदगी मे ऐसा नही था.”

“एक तरफ मैं अपने खानदान के पहले वारिस के आने का, बेसब्री से इंतजार कर रहा था. तो दूसरी तरफ मेरे बेटे और बहू की जिंदगी, मेरे इस इंतजार को लेकर बेहद ही तनाव के दौर से गुजर रही थी.”

“ये बात मुझे तब पता चली. जब मैं एक दिन अचानक उनके कमरे के सामने से गुजरा और मैने दोनो के बीच किसी बात को लेकर चल रही नोक झोक को सुना. उस समय पद्‍मिनी ने आकाश से कह रही थी कि, आपके अंदर सेक्स करने की क़ाबलियत ही नही है. जब आप बीज ही नही बो सकते है. फिर आप मुझसे अपने खानदान का वारिस पाने की उम्मीद ही कैसे कर सकते है. मेरे अंदर कोई कमी नही है. यदि कोई कमी है तो, वो आपके अंदर है.”

“मेरे लिए ये बात किसी सदमे से कम नही थी. लेकिन उस समय मैने इस बात को पति पत्नी की आपसी कलह समझ कर अनसुना कर दिया. मुझे लगा कि पद्‍मिनी ने ये बात गुस्से मे कर दी है. क्योकि उस समय पद्‍मिनी की उमर 18 की और आकाश की 21 साल थी. ऐसे मे उनसे ज़्यादा समझदारी की उम्मीद नही की जा सकती थी.”

“ये बात आई गयी हो गयी. इस बात को 6 महीने गुजर चुके थे. अब मेरे छोटे बेटे प्रकाश का जॉब दूसरे शहर मे लग चुका था. वो वहाँ अपने जॉब पर जा चुका था. उस के जाने के दूसरे दिन मुझे फिर आकाश और पद्‍मिनी का झगड़ा सुनाई देता है. ना चाहते हुए भी मुझे उन दोनो के झगड़े मे बीच मे बोलना पड़ता है.”

“मैं दोनो को डॉक्टर से मिलने की सलाह देता हूँ और दूसरे दिन अपनी मुंबई वाली कंपनी का काम देखने मुंबई आ जाता हूँ. उसके दो दिन बाद जब मैं वापस अपने घर लौटता हूँ. तब मुझे पता चलता है कि, डॉक्टर की रिपोर्ट ने पद्‍मिनी की बात को सही ठहराया है. पद्‍मिनी सही है और कमी आकाश मे ही है.”

“इस बात को सुन कर जहाँ मुझे गहरा आघात लगा था. वही एक बाप का दिल इस बात को मानने को तैयार नही था की, उसके बेटे मे कोई कमी हो सकती है. मैं दोनो से कहता हूँ कि, हम मुंबई के डॉक्टर को चल कर दिखाएगे और यदि आकाश मे कोई कमी है भी तो हम वही रुक कर आकाश का इलाज कराएगे.”

“मेरी इस बात से दोनो सहमत हो जाते है. अगले दिन मैं आकाश और पद्‍मिनी को लेकर अपने मुंबई वाले घर मे आ जाता हू. यहाँ पर घर मैने इसी वजह से बनवाया था कि, जब कभी मैं अपने परिवार के साथ आउ तो, यहाँ रह सकूँ. यहाँ आने के बाद मैने एक अच्छे डॉक्टर को आकाश को दिखाया. लेकिन उसने भी वही जबाब दिया. जो जबाब हमारे जयपुर वाले डॉक्टर का था.”

“उसका जबाब सुनकर आकाश टूट सा गया. उसी रात उसने ख़ुदकुशी करने की कोशिश भी की थी. लेकिन पद्‍मिनी के देख लेने की वजह से हम ने उसे बचा लिया था. लेकिन उसकी इस हरकत से मुझे और पद्‍मिनी दोनो को, बहुत गहरा झटका लगा था. मगर एक बाप होने के नाते मैने अपने आपको संभाला और आकाश से कहा कि, वो चिंता ना करे. कुछ दिन बाद यहा विदेश से कुछ डॉक्टर आ रहे है. मुझे उम्मीद है कि, वो ज़रूर उसे ठीक कर देगे.”

“ये बात मैने सिर्फ़ आकाश का दिल रखने और उसकी हिम्मत बढ़ाने के लिए कही थी.
मुंबई आ जाने के बाद आकाश यहाँ पर भी अपना अलग से बिजनेस शुरू करना चाहता था. लेकिन मैने उसे ऐसा करने से मना कर दिया. मैने उसे समझाया कि अब उसे अलग से कोई बिजनेस करने की ज़रूरत नही है.

मेरा इतना बड़ा बिजनेस है और जब वो यहाँ आ ही गया है. तब उसे ही इसको संभाल लेना चाहिए. उसने मेरी बात पर ज़्यादा कोई सवालात नही किए और अगले दिन से मेरा बिजनेस संभालना सुरू कर दिया.

कुछ ही दिनो मे आकाश का मन, मेरे बिजनेस मे पूरी तरह से लग गया. अब वो एक सामान्य जीवन जीने लगा था. आकाश के बिजनेस संभाल लेने से मुझे भी काम से थोड़ा बहुत आराम मिल गया था.

उस समय मेरी उमर 41 साल थी. मैं जयपुर के इज़्ज़तदार लोगों मे गिना जाता था और मेरा जीवन वहाँ पर बहुत ही सादा था. मगर असल जीवन मे मैं ऐसा नही था. हर मर्द की तरह मेरे शरीर की भी कुछ ज़रूरतें थी. जिन्हे मैं अपनी पत्नी के मरने के बाद से, मुंबई मे रुक कर, वहाँ की कॉल गर्ल से पूरी किया करता था.

लेकिन आकाश और पद्मि नी के मुंबई आ जाने से मेरी सारी आज़ादी ख़तम हो गयी थी. मैं ऐसा कोई कदम नही उठाना चाहता था. जिस से मेरी इज़्ज़त मेरे बेटे और बहू की नज़र मे कम हो जाए. इसलिए मैने इन सब बातों से किनारा करने का मन बना लिया.

कुछ दिन तक तो मैं ऐसा करने मे कामयाब रहा. मगर फिर एक दिन आकाश और पद्मिननी को अपने किसी दोस्त की शादी मे, जयपुर जाने का प्रोग्राम बना. उन्हो ने मुझसे जाने की इजाज़त माँगी तो, मैने उन्हे जाने की इजाज़त दे दी.

लेकिन पद्‍मिनी को मेरे अकेले रहने की चिंता सता रही थी. क्योकि उन लोगों को जयपुर मे कम से कम 3-4 दिन रुकना था. मैने उसे समझाया कि, उनके आने के पहले भी मैं अकेला ही यहाँ रहा करता था. तब जाकर वो जाने के लिए तैयार हुई.

दूसरे दिन सुबह सुबह वो जयपुर के लिए निकल गये. उनके जाते ही मुझे फिर से आज़ादी मिल गयी थी. मैने एक दिन तो जैसे तैसे शराफत के साथ गुज़ार लिया था.

लेकिन दूसरे दिन मेरे अंदर का मर्द जाग गया. मैने सोचा कि अभी 2-3 दिन तो मैं अकेला हूँ. यदि ऐसे मे, मैं थोड़ा मौज मस्ती कर लूँ, तो इसमे बुरा ही क्या है.

मैने इस आज़ादी का भरपूर फ़ायदा उठाने की सोची और शाम को अपनी मनपसंद कॉल गर्ल को कॉल लगा कर, घर आने को कह दिया.

वो मुंबई की सबसे मशहूर कॉल गर्ल थी.उसका कॉल गर्ल का नाम अलीशा था. वो 25 साल की बेहद सुंदर और सेक्सी लड़की थी. इतनी कम उमर मे इस धंधे मे आ जाने के कारण, उसका रेट बहुत हाइ था और वो अपनी मर्ज़ी से अपना ग्राहक चुना करती थी.

मेरे उसके साथ पिच्छले 5 साल से सेक्स समबन्ध थे. उसके पहले मेरे बहुत सी कॉल गर्ल के साथ सबंध रह चुके थे. लेकिन उन मे से ऐसी कोई नही थी. जिस से एक बार संबंध बनाने के बाद, मुझे कोई दूसरी लड़की पसंद ना आई हो.

लेकिन जब से मैने अलीशा के साथ सेक्स सबंध बनाए थे. तब से लेकर आज तक मैं सिर्फ़ उसी के साथ जुड़ा हुआ था. एक तरह से मैं उसके साथ एक भावनात्मक लगाव से जुड़ा हुआ था और शायद उसके साथ भी ऐसा ही कुछ था.

उसे भी मेरा साथ बहुत पसंद आता था. उसने आज तक कभी मेरे साथ आने मे मनाही नही की थी. उल्टे मेरी वजह से अपने काई ग्राहको को मना कर चुकी थी. आज भी उसने ऐसा ही कुछ किया था.

आज उसकी बुकिंग किसी और ग्राहक के साथ थी. लेकिन मेरा कॉल जाते ही उसने अपनी उस बुकिंग को कॅन्सल कर दिया और उस ग्राहक को फिर कभी आने का बोल दिया.

मैने अलीशा को पीने के लिए कुछ विस्की अपने साथ ले आने को कहा और फिर खाने के लिए एक होटेल मे ऑर्डर करने के बाद, मैं बेचेनी से अलीशा के आने का वेट करने लगा.

शाम के ठीक 7 बजे डोरबेल बजी. मैं समझ गया कि, अलीशा आ गयी है. मैने जल्दी से दरवाजा खोला. सामने अलीशा ही खड़ी थी. उसके हाथ मे एक कॅरी बॅग था. उसमे शायद वो, विस्की की बॉटल थी.

वो एक मिनी स्कर्ट टॉप मे थी और उसके टॉप से उसके सीने की गोलाई सॉफ नज़र आ रही थी. मैने उसे सर से पाँव तक देखा और वो बहुत सेक्सी लग रही थी. उसे देखते ही मेरे लिंग ने सालामी देना सुरू कर दिया.

वो मुस्कुराते हुए घर के अंदर आई और मैने दरवाजा बंद करते ही उसे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. उसने भी मेरी हालत को समझते हुए, अपने एक हाथ से मेरे लंड को पॅंट के उपर से मसल दिया.

उसकी इस हरकत से मेरे मूह से आह निकल गयी और मैने उसे ज़ोर से अपने सीने से भींच लिया और स्कर्ट के उपर से ही उसके चूतड़ों को मसल्ने लगा.

मेरी इस हरकत पर अलीशा ने मुस्कुराते हुए मेरे लोडे को ज़ोर से मसल दिया और कहा.

अलीशा बोली “थोड़ा तो सबर करो सेठ. मैं कोई भागी नही जा रही हूँ. रात भर के लिए मैं तुम्हारे साथ हूँ.”

मैं तो पहले से ही गरम था. उसकी इस हरकत ने मुझे और भी गरम कर दिया था. मैने अपने एक हाथ को उसके सीने पर रखा और उसके बूब्स को मसल्ते हुए, उस से कहा.

मैं बोला “नही, मैने तुम्हे सिर्फ़ दो घंटे के लिए बुलाया है. उसके बाद तुम जहाँ जाना चाहो जा सकती हो.”

अलीशा बोली “सेठ ये कैसी बात करता है. आज तक ऐसा कभी हुआ है कि, अपुन तेरे पास आने के बाद फिर किसी के पास गयी हो.”

मैने उसके उसे अपनी गोद मे उठा लिया और उसे छेड़ते हुए कहा.

मैं बोला “बात ये है कि, आज मेरे पास तुम्हे देने के लिए उतने पैसे नही है. मैं तुम्हे रात भर अपने पास रहने के पैसे नही दे सकता.”

अलीशा बोली “क्यो अपुन के अरमानो पे पानी फेर रहा है सेठ. अपुन तेरे से पैसे की बात कब की है. तेरे को पैसे नही देना तो मत दे मगर अपुन के दिल पर पैसे की बोल कर ठेस तो मत लगा.”

मैं समझ गया कि, अलीशा को मेरे पैसे वाली बात अच्छी नही लगी है. मैने उसे सोफा पर बैठाया और उसके पास बैठते हुए कहा.

मैं बोला “सॉरी, मैं तो मज़ाक कर रहा था. तुम मेरी बात का बुरा मत मानना.”

अलीशा बोली “नही मानेगी सेठ. लेकिन अब ये बताओ कुछ खाने के लिए ऑर्डर भी दिया है, या वो भी अपुन को ही लाना था. क्योकि अपुन तो सिर्फ़ बोतल लेकर ही आई है.”

मैं बोला “खाने का मैने बोल दिया है. खाना अभी आता होगा. मैं फ्रेश हो चुका हूँ. तुम फ्रेश होना चाहो तो हो सकती हो.”

अलीशा बोली “ओके सेठ. अपुन अभी फ्रेश होकर आती है. तब तक तुम चाहो तो एक दो पेग ले सकते हो.”

ये कह कर उसने कॅरी बॅग मेरी तरफ बढ़ा दिया और खुद उठ कर मेरे कमरे की तरफ फ्रेश होने चली गयी.

मैं उसे जाते हुए देखता रहा और उसके अंदर चले जाने के बाद मैने कॅरी बॅग से विस्की की बॉटल निकली और पेग बनाने लगा. तभी डोरबेल बजी.

मैने दरवाजा खोला तो खाना आ चुका था. मैने खाना लिया और दरवाजा बंद करने के बाद खाना डाइनिंग टेबल मे जमाने लगा.

थोड़ी देर बाद अलीशा फ्रेश होकर आ गयी. उस समय वो मेरा गाउन पहने हुई थी. उसने अंदर शायद कुछ नही पहना था. क्योकि उसके चलने से उसकी जांघे सॉफ नज़र आ रही थी.
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उसे देखते ही मेरा लिंग फिर सलामी देने लगा. वो मुस्कुराते हुए मेरे पास आई और मेरी गोद मे आकर बैठ गयी. मैने उसे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. उसने मेरे हाथों से मेरा पेग ले लिया और फिर मुझे अपने हाथों से पिलाने लगी.

मेरे अंदर उसकी जवानी और शराब दोनो का नशा छाने लगा. लेकिन मैने अपने उपर सायं रखते हुए कहा.

मैं बोला “पहले एक राउंड लगाना पसंद करोगी या फिर पहले खाना खाओगी.”

अलीशा बोली “अपुन के पास सारी रात पड़ी है. अभी अपुन खाना खा लेते है. फिर आराम से रात का मज़ा लूटेगे.”

ये कह कर वो मेरी गोद से उठ गयी और हम खाना खाने लगे. लेकिन अब मेरे अंदर उस से दूर रहने का सब्र नही था. मैने उसे खीच कर अपनी गोद मे बैठा लिया और अपने लोडे को उसके कुल्हों से मसल्ते हुए खाना खाने लगा.

हम दोनो अपनी मस्ती मे ही मस्त होकर खाना खाने मे व्यस्त थे. तभी फिर से डोरबेल बजी. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, इतने समय कौन आ सकता है. मेरे उपर अलीशा के हुश्न और शराब दोनो का नशा छाया हुआ था.

मैने सोचा कि डोरबेल बजने दो. जो भी होगा दरवाजा खुलते ना देख कर चला जाएगा. लेकिन डोरबेल बराबर बजती रही. जिस वजह से ना चाहते हुए भी मुझे दरवाजा खोलने उठना पड़ा.

मैने अलीशा को कुछ देर के लिए अंदर जाने को कहा और अलीशा के अंदर जाने के बाद दरवाजा खोलने चला गया. मैने दरवाजा खोला तो, मेरे सामने पद्मिानी खड़ी थी.

पद्मि नी को अपने सामने देख कर, मेरा सारा नशा उडान छु हो गया. मुझे कुछ समझ मे नही आया कि, ये अचानक यहाँ वापस कैसे आ गयी. मैं ठगा सा दरवाजे पर खड़ा रह गया.

दरवाजा खुलते ही पद्मिेनी अंदर आई और कहने लगी.

पद्मिानी बोली “पापा मैं कब से बेल बजा रही हूँ. आपको दरवाजा खोलने मे इतना समय क्यो लगा.”

मैं कुछ बोल पाता, उसके पहले ही उसकी नज़र डाइनिंग टेबल पर रखी शराब की बॉटल पर पड़ गयी. उसे दरवाजा खोलने मे होने वाली देरी की वजह का पता चल गया. उसने मुझ पर गुस्सा करते हुए कहा.

पद्मिहनी बोली “पापा , ये सब क्या चल रहा था. आप अकेले मे शराब पी रहे थे. लगता है आप अकेले रहना इसी लिए पसंद करते है. ताकि आपको ये सब करने की आज़ादी मिल सके.”

मैं बोला “नही बेटी, ऐसी कोई बात नही है. मैं तो बस अकेलापन मिटाने के लिए कभी कभी घर मे ऐसे ही पी लेता हूँ. लेकिन यदि तुम्हे पसंद नही है तो, आज के बाद नही पियुगा.”

पद्मिीनी बोली “ठीक है, ये आपकी पहली ग़लती है इसलिए मैं ये बात अपने तक ही रखुगी. लेकिन आज के बाद ऐसा नही होना चाहिए.”

मैं बोला “थॅंक्स बेटी, आज के बाद ऐसा नही होगा. लेकिन तुम तो 3-4 दिन का बोल कर गयी थी. फिर अचानक कैसे वापस आ गयी. क्या आकाश भी वापस आ गया है.”

पद्मिचनी बोली “नही वो नही आए है. मुझे आपकी फिकर लगी थी. इसलिए मैं वापस आ गयी.”

मैं बोला “तुमने खाना नही खाया होगा. थोड़ा बहुत कुछ खा लो. मैने होटेल से खाना मँगवाया है.”

पद्मिोनी बोली “ठीक है पापा , आप ये शराब की बोतल वहाँ से अलग कीजिए. तब तक मैं फ्रेश होकर आती हूँ.”

ये कह कर वो उपर अपने कमरे मे चली गयी. मैने जल्दी जल्दी शराब की बोतल उठाई और एक प्लेट मे खाना लगा कर, उन्हे लेकर अपने कमरे मे आ गया.

वहाँ पर अलीशा मेरे बड़ी बेचेनी से मेरे आने का इंतजार कर रही थी. वो शायद पद्मि्नी के आ जाने से घबरा गयी थी और अपने कपड़े पहन चुकी थी. मेरे अंदर पहुचते ही उसने कहा.

अलीशा बोली “ये कौन है सेठ. क्या ये तुम्हारी बेटी है. अब अपुन का क्या होगा.”

मैं बोला “वो मेरी बहू है. वो अभी बाहर से आ रही है. खाना खाकर अपने कमरे मे आराम करने चली जाएगी. उसका कमरा उपर है. इसलिए तुम उसकी चिंता मत करो. बस जब तक वो यहाँ नीचे रहती है. तब तक चुप चाप तुम मेरे कमरे मे रहना.”

अलीशा बोली “अब क्या अपुन को जाना पड़ेगा.”

मैं बोला “नही, मैं तुम्हे सुबह घर छोड़ डुगा. आज की रात तुम मेरे साथ ही रहोगी.”

अलीशा बोली “लेकिन सेठ, तेरी बहू के रहते. क्या अपुन का यहाँ रुकना ठीक होगा.”

मैं बोला “कुछ नही होगा. वो थकि हुई है. इसलिए खाना खाकर अपने कमरे मे जाकर सो जाएगी और सुबह के पहले नही जागेगी.”

अलीशा बोली “सेठ अपुन को तो बहुत डर लग रहा है. अपुन नही चाहती कि, अपुन की वजह से तेरे घर मे कोई बखेड़ा खड़ा हो.”

मैं बोला “तुम चिंता मत करो. ऐसा कुछ भी नही होगा. तुम आराम से खाना खाओ. मैं पद्मिजनी के साथ खाना खाकर अभी आता हूँ.”

ये कह कर मैं अपने कमरे से बाहर आ गया. बाहर आकर मैं डाइनिंग टेबल पर बैठ गया और पद्मि नी के आने का इंतजार करने लगा.

थोड़ी देर बाद पद्मि नी फ्रेश होकर नीचे आ गयी. मुझे मेरी चोरी पकड़े जाने से थोड़ी सी शर्मिंदगी ज़रूर थी. लेकिन अलीशा के मेरे कमरे मे होने की बात, पद्मि नी को पता ना होने की वजह से, कुछ राहत भी थी.

पद्मिेनी ने डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए, खाना लगाते हुए कहा.

पद्मिेनी बोली “पापा , मुझे आपसे बोलने का हक़ तो नही है. फिर भी यदि आपकी इजाज़त हो तो, मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूँ.”

मैं बोला “बेटी, मैने तुम्हे अपनी बहू नही, हमेशा अपनी बेटी ही समझा है. तुम्हे जो भी कहना है. दिल खोल कर कह सकती हो. इसके लिए तुम्हे मुझसे इजाज़त लेने की ज़रूरत नही है.”

पद्मिोनी बोली “पापा , आपको यदि माँ जी की कमी ज़्यादा अखरती है तो, आप दोबारा शादी कर लीजिए. लेकिन आपको ये सब हरकतें शोभा नही देती है.”

पद्मिजनी की बात सुन कर तो मेरे सर से आधा नशा उतर गया. मुझे समझ नही आया कि, अचानक वो ये सब क्यो बोल रही है. मुझे लगा कि, वो मेरे शराब पीने की बात के उपर से ये सब बोल रही है. इसलिए मैने उस को समझाते हुए कहा.

मैं बोला “बेटी, ये नशा तो, मैं कभी कभी अपना अकेलापन दूर करने के लिए कर लेता हूँ. यदि तुम्हे ये पसंद नही है तो, आज के बाद ऐसा नही करूगा. इसमे शादी करने वाली बात कहाँ से आ गयी.”

पद्मिेनी बोली “पापा , मैं सिर्फ़ शराब का नशा करने की बात नही कर रही हूँ. बल्कि मैं उस नशे की बात कर रही हूँ. जिसे आप अपने कमरे मे छुपा कर रखे है.”

उसकी ये बात सुनकर तो मेरा सर ही चकरा गया. मैं समझ नही पा रहा था कि, पद्मिसनी किस चीज़ की बात कर रही है. क्या उसे अलीशा के मेरे कमरे मे होने की बात का पता लग गया है.

बिना कारण पता किए ही मैं हथियार डाल चुका था. मेरे मूह से अपनी सफाई मे एक शब्द भी नही निकला. मुझे खामोश देख कर पद्मिीनी ने कहा.

पद्मििनी बोली “पापा , आप से हम लोगों को जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है. आप हमारे आदर्श है. आपको ऐसा नीचे गिरते हुए हम नही देख सकते. आज ये बात मुझे पता चली है. हो सकता है कल उनको भी पता चल जाए. तब सोचिए, उनकी नज़रों मे, आपकी क्या इज़्ज़त रह जाएगी.”

अब मुझे पक्का यकीन हो चुका था कि, पद्मिीनी अलीशा के बारे मे ही बात कर रही है. फिर भी मैने अपना शक़ दूर करने के लिए उस से पुच्छ ही लिया.

मैं बोला “बेटी, मुझे समझ मे नही आ रहा कि, तुम किस बारे मे बात कर रही हो. मैने ऐसा किया क्या है.”

पद्मिहनी बोली “पापा , मैं उस लड़की के बारे मे बात कर रही हूँ. जो इस समय आपके कमरे मे है. मैं अभी आपसे सर दर्द की दवा लेने नीचे आई थी. तब मैने आपके कमरे मे आपकी और उस लड़की की बातें सुनी थी. इसलिए मैं कह रही हूँ कि, आप शादी कर लीजिए. रही उनको मनाने की बात तो, उनको मैं मना लूँगी.”

पद्मितनी की इस बात के बाद मेरा तो गला सूख कर रह गया. मैने पानी पिया और बड़ी हिम्मत जुटा कर अपनी सफाई देते हुए कहने लगा.

मैं बोला “बेटी, तुम्हारी सास मुझे, आज से प्रकाश के जनम के 3 साल बाद ही छोड़ कर चली गयी थी. मैने अपने बच्चों को सौतेली माँ लाकर देने से अच्छा, खुद उनकी माँ बनकर पालना बेहतर समझा था. लेकिन धीरे धीरे वक्त के साथ बच्चे बड़े होते चले गये और मैं अकेला पड़ता गया. इसलिए कभी कभी इस अकेलेपन को मिटाने के लिए, ये सब कर लेता हूँ. लेकिन अब मैं तुम्हे यकीन दिलाता हूँ कि, आगे से ऐसा कुछ नही होगा.”

पद्मिदनी बोली “,पापा मैं आपकी भावनाओं का गला घोटना नही चाहती. मैं तो बस इतना चाहती हूँ कि, आप बाजारू औरतो की जगह, अपना अकेलापन मिटाने के लिए, एक जीवन साथी का सहारा लीजिए. यदि आप ऐसा करते है तो, इसमे कोई बुराई नही होगी.”

मैं बोला “नही बेटी, ये नही हो सकता. अब मेरी उमर घर मे बच्चों की बहू लाने की है, ना की बच्चों के लिए उनकी नयी माँ लाने की है. लोग देखेगे तो, सब हसेगे.”

पद्मिएनी बोली “लोग हंसते है तो, उन्हे हँसने दीजिए. लोगों का तो काम ही ये बन गया है. उनसे किसी की खुशी देखी नही जाती. इन्ही लोगों का ख़याल करके हमे, जयपुर छोड़ना पड़ा था. आख़िर कब तक हम लोगों की परवाह करके अपनी खुशियों का गला घोंटते रहेगे. मैं उनके आते ही, उनसे आपकी शादी की बात करती हूँ.”

मैं बोला “नही बेटी, तुम ऐसा कुछ नही करोगी. तुम्हे मेरी कसम है. मैं तुमसे वादा करता हूँ कि, आज के बाद तुम्हे मुझसे कोई शिकायत नही होगी.”
वो कुर्सी छोड़कर खड़े होते हुए बोली- “पापा, आप कितने अच्छे हैं…” और यह कहते हुए उसने मुझे अपनी बाहों में भींच लिया।

मैंने भी उसके बदन को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया और कहा- “मेरी पदमनी भी तो कितनी प्यारी है…” कहते हुए मैंने उसके माथे का चुम्बन लिया और जानबूझकर अपनी जीभ से मुख का थोड़ा गीलापन उसके माथे पर छोड़ दिया।


“पापा, मैं कितनी खुशनसीब हूँ जो मैं आपकी बहू बनकर इस घर में आई… आप यहीं बैठकर आराम कीजिए, मैं चाय बनाकर लाती हूँ…” कहते हुए पद्मनी मुड़ी। मैं कुर्सी पर बैठकर सोचने लगा कि मैं भी कितना खुश हूँ पदमनि जैसी बहू पाकर। आज कितना अच्छा लगा पदमनि के साथ। तभी मन में यह विचार भी आया कि उसके बूब्स कैसे मेरी छाती में गड़े जा रहे थे जब वो मेरी बाहों में थी। ओह्ह… जब पदमनि चाय बनाने के लिए जाने लगी तो मेरी नजर उसके चूतड़ों पर पड़ी, उसका ब्लाउज थोड़ा ऊपर सरक गया था और शायद उसकी सफेद साड़ी थोड़ी नीचे होकर मुझे उसके चूतड़ों की घाटी का दीदार करा रही थी। अब या तो उसने पैंटी पहनी ही नहीं था या फिर पैन्टी नीचे खिसक गई थी। अब तो यह देखते ही मेरा लंड छलांगे मारने लगा।
मैं भूल गया कि यह मेरी पुत्र वधू है।

किस्मत ने पद्मिहनी जैसी सुशील लड़की को ऐसा जख्म दिया था. जिसकी दवा हम मे से किसी के पास भी नही थी. फिर भी पद्मिलनी अपने दर्द को छुपाये सारे समय हँसती रहती थी.

लेकिन एक दिन फिर से आकाश और पद्मि‍नी के कमरे से मुझे उनके झगड़ने की आवज़ आई. आकाश के जाने के बाद मेने पद्मि नी से इसके बारे मे पुछा तो पद्मिझनी ने बताया कि आकाश को लगने लगा है कि वो कभी ठीक नही हो सकता. मैं यही बात उनको समझा रही थी कि उनको ठीक होने मे कुछ समय लगेगा.

लेकिन वो इस बात को मानने को तैयार ही नही है. उनका कहना है कि वो कभी बाप नही बन सकते. इसी बात को लेकर वो मुझसे अभी लड़ झगड़ रहे थे. ऐसा लगता है कि उन्हे फिर से ये बात परेशान करने लगी है.

पदमनि ने जब ये बात मुझे बताई. तब मैं भी सोच मे पड़ गया. मेरे पास भी आकाश और पद्मि नी की इस समस्या का अब कोई हल नही था. समय तेज़ी से बीत रहा था. ऐसे मे आकाश का पिता ना बन पाना उसे परेशान कर रहा था.

. कुछ दिन बाद मेरे घर हमारे फॅमिली डॉक्टर रतन की पत्नी डॉ माधुरी घर आयी ,माधुरी मेरे साथ काफी खुली हुई थी ,वो उसके पति डॉ रतन हम कॉलेज के ज़माने से दोस्त थे मेने उन्हें इस समस्या के बारे में बताया तो डॉ माधुरी ने कहा की समस्या का एक हल हो सकता हे मेने उत्सुकता से कहा क्या हल हो सकता हे तो उसने कहा की में पद्मिनी के साथ सम्बन्ध बना लू

मैं बोला “तुम्हारी अकल तो ठिकाने पर है. मेरे जवान बेटा और बहू एक औलाद के लिए तरस रहे है और तुम मुझ से बाप बनने के लिए बोल रही हो. ये बोलते हुए तुम्हे ज़रा भी शरम नही आई.”

डॉ माधुरी बोली “तुम मेरी बात को समझे नही. मैने ये कहा कि, क्या हुआ जो आकाश बाप नही बन सकता. तुम तो बाप बन सकते हो . तुम उनको एक संतान दे दो . उनकी समस्या ख़तम हो जाएगी.”

मैं बोला “इसमे समझने वाली बात क्या है. तुम वही तो बोल रही हो. जो मैं समझ रहा हूँ और मेरे बाप बनने से उनकी समस्या तो ज्यों की त्यों बनी रहेगी.”

डॉ माधुरी बोली “नही तुम वो नही समझ रहे है. जो मैं कह रही हूँ. मेरे कहने का मतलब था कि, तुम पद्‍मिनी की कोख मे अपना बीज बो दो . पद्‍मिनी के माँ बनते ही उनकी समस्या ख़तम हो जाएगी.”

मैं बोला “तुम सच मे पागल हो गयी हो. अच्छा हुआ तुम्हारी ये बात पद्‍मिनी ने नही सुनी. यदि वो सुन लेती तो पता नही वो मेरे बारे मे क्या सोचती.”

मैं अभी अपनी बात कह ही रहा था कि, तभी मेरी नज़र दरवाजे पर पड़ी. वहाँ पद्‍मिनी खड़ी हमारी बातें सुन रही थी. मुझसे नज़र मिलते ही वो मुड़कर वापस चली गयी. ये देख कर मैने डॉ माधुरी से कहा.

मैं बोला “ये लो हमारी बात पद्‍मिनी ने सुन ली. अब पता नही वो हमारे बारे मे क्या सोच रही होगी. तुमने ये ज़रा भी अच्छा नही किया.”

डॉ माधुरी ने कहा “तुम पद्‍मिनी की चिंता मत करो . डॉक्टर की हैसियत से उसको सब समझा दूंगी की कि, इस सब मे तुम्हारा कोई दोष नही है. मैने ही ये बात शुरू की थी. मैं बस तुम्हारे मन की बात जानना चाहती हूँ.”

मैं बोला “मैं पागल नही हूँ. जो इस सब के लिए तैयार हो जाउ.”


डॉ माधुरी बोली “मैं बक नही रहा हु . जो आज की ज़रूरत है वो बात कर रहा हूँ.
मैं बोला “सिर्फ़ तुम्हारे सोच लेने बस से क्या होता है. सवाल सिर्फ़ आकाश का नही है. तुम्हारी इस बात मे पद्‍मिनी की जिंदगी पर भी असर पड़ रहा है. वो भला इस समय क्या सोच रही होगी.”

डॉ माधुरी बोली “तुमको पद्‍मिनी की फिकर है ना. मैं तुम्हारी ये फिकर भी दूर कर देती हूँ. मैं अब पद्‍मिनी से बात करने के बाद ही तुम से इस बारे मे कोई बात करुँगी .”

ये बोल कर डॉ कमरे से बाहर निकल गयी. कुछ देर बाद वो वापस लौटी तो, मैने उस से पुछा.

मैं बोला “क्या हुआ. क्या पद्‍मिनी का गुस्सा शांत हो गया.”

माधुरी बोली “हाँ मैने उसे समझा दिया. बहुत ना नुकुर करने के बाद उसे मेरी बात का मतलब समझ मे आ गया. अब यदि तुम्हे ठीक लगे तो, जो मैने कहा है वो हो सकता है.”

मैं बोला “तुम्हारे कहने का मतलब क्या है.”

माधुरी बोली “मैने पद्‍मिनी को उस बात के लिए भी तैयार कर लिया है. वो उस बात के लिए भी तैयार हो गयी है. लेकिन उसने सब कुछ आपकी मर्ज़ी पर छोड़ दिया है.”

मैं बोला “ऐसा कैसे हो सकता है. पद्‍मिनी इस सब के लिए तैयार कैसे हो गयी.”

माधुरी बोली “सवाल उसके पति की जिंदगी का था. उसे तो तैयार होना ही था. अब आपके उपर है कि, आप अपने बेटे की जिंदगी के लिए ये सब करने को तैयार है या नही.”

मैं बोला “मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ. वो मेरी बहू है

माधुरी बोली “लेकिन आप ये क्यो भूल रहे है कि, आकाश आपका बेटा है और अपनी नमार्दानगी को लेकर वो अपने आपको ख़तम भी कर सकता है. यदि उसने ऐसा कर लिया तब आप क्या करेगे.”

मैं बोला “मेरे तो कुछ समझ मे नही आ रहा है कि, मैं क्या करूँ. बस इतना समझ मे आ रहा है कि, जो तुम करने को बोल रही हो वो सही नही है.”

माधुरी बोली “तुम इस सही ग़लत के चक्कर मे ना पड़े. बस इतना सोचे कि तुम जो करने जा रहे है. वो सिर्फ़ अपने बेटे की भलाई के लिए कर रहे है.”

मैं बोला “लेकिन ये सब होगा कैसे और यदि ये सब आकाश को पता चल गया तो, उस पर क्या बीतेगी.”

माधुरी बोली “ये सब कैसे होगा. ये आप मुझ पर छोड़ दीजिए. रही बात आकाश को पता चलने की तो, जब तक हम मे से कोई उसे बताएगा नही. तब तक ये बात उसे पता नही चलेगी और हम मे कोई ये बात किसी को नही बताएगा.”

मैं बोला “ठीक है, जो तुम्हे ठीक लगे, तुम कर सकती हो. मैं अपने बेटे बहू की खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ. मुझे कब क्या करना है तुम बता देना.”

माधुरी बोली “मैने सब सोच लिया है. मैं आकाश को लेकर कुछ दिन यंहा से जयपुर चली जाउन्गी. वहाँ से हमे लौटने मे 5 -7 दिन लगेगे. उस बीच तुम लोगों को ये काम करना होगा.”

मैं बोला “लेकिन मैं पद्‍मिनी के सामने जाने की हिम्मत नही कर पाउन्गा. मुझे समझ मे नही आ रहा कि मैं ये सब कैसे कर पाउन्गा.”

माधुरी बोली “तुम दोनो के पास 5 -7 दिन का समय रहेगा. तुम चिंता मत करो . जाने के पहले मैं पद्‍मिनी को भी सब कुछ फिर से समझा दुगी.”

इसके बाद माधुरी मे आकाश के आने पर उस से जयपुर चलने की की इच्छा जताई और आकाश से साथ चलने को कहा. आकाश ने पहले काम का बहाना बना कर टालने की कोशिश की
आख़िर मे आकाश को माधुरी की बात मानना पड़ी और वो उसके साथ जाने को तैयार हो गया. फिर 2 दिन बाद माधुरी और आकाश, जयपुर निकल गये. जाने से पहले माधुरी पद्‍मिनी को बहुत सी बातें समझा कर गयी थी.

उसने जाते समय मुझे भी बहुत सी बातें समझाई थी. लेकिन उसके जाते ही मेरी हिम्मत जबाब दे गयी. मुझसे किसी भी बात मे कोई पहल करते नही बनी और सारा दिन ऐसे ही बीत गया.
 

Abhi

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बात तब की है जब हम लोग जयपुर मे रहा करते थे. मेरे बड़े बेटे आकाश और बहू पद्‍मिनी की नयी नयी शादी हुई थी. मेरा बेटा आकाश शुरू से ही बहुत सीधा साधा था. उसे शायद सेक्स की भी उतनी जानकारी नही थी. उसकी शादी के 1 साल तक सब कुछ अच्छा चलता रहा. दोनो पति पत्नी दुनिया की नज़र मे खुश दिखाई देते थे. लेकिन असल जिंदगी मे ऐसा नही था.”

“एक तरफ मैं अपने खानदान के पहले वारिस के आने का, बेसब्री से इंतजार कर रहा था. तो दूसरी तरफ मेरे बेटे और बहू की जिंदगी, मेरे इस इंतजार को लेकर बेहद ही तनाव के दौर से गुजर रही थी.”

“ये बात मुझे तब पता चली. जब मैं एक दिन अचानक उनके कमरे के सामने से गुजरा और मैने दोनो के बीच किसी बात को लेकर चल रही नोक झोक को सुना. उस समय पद्‍मिनी ने आकाश से कह रही थी कि, आपके अंदर सेक्स करने की क़ाबलियत ही नही है. जब आप बीज ही नही बो सकते है. फिर आप मुझसे अपने खानदान का वारिस पाने की उम्मीद ही कैसे कर सकते है. मेरे अंदर कोई कमी नही है. यदि कोई कमी है तो, वो आपके अंदर है.”

“मेरे लिए ये बात किसी सदमे से कम नही थी. लेकिन उस समय मैने इस बात को पति पत्नी की आपसी कलह समझ कर अनसुना कर दिया. मुझे लगा कि पद्‍मिनी ने ये बात गुस्से मे कर दी है. क्योकि उस समय पद्‍मिनी की उमर 18 की और आकाश की 21 साल थी. ऐसे मे उनसे ज़्यादा समझदारी की उम्मीद नही की जा सकती थी.”

“ये बात आई गयी हो गयी. इस बात को 6 महीने गुजर चुके थे. अब मेरे छोटे बेटे प्रकाश का जॉब दूसरे शहर मे लग चुका था. वो वहाँ अपने जॉब पर जा चुका था. उस के जाने के दूसरे दिन मुझे फिर आकाश और पद्‍मिनी का झगड़ा सुनाई देता है. ना चाहते हुए भी मुझे उन दोनो के झगड़े मे बीच मे बोलना पड़ता है.”

“मैं दोनो को डॉक्टर से मिलने की सलाह देता हूँ और दूसरे दिन अपनी मुंबई वाली कंपनी का काम देखने मुंबई आ जाता हूँ. उसके दो दिन बाद जब मैं वापस अपने घर लौटता हूँ. तब मुझे पता चलता है कि, डॉक्टर की रिपोर्ट ने पद्‍मिनी की बात को सही ठहराया है. पद्‍मिनी सही है और कमी आकाश मे ही है.”

“इस बात को सुन कर जहाँ मुझे गहरा आघात लगा था. वही एक बाप का दिल इस बात को मानने को तैयार नही था की, उसके बेटे मे कोई कमी हो सकती है. मैं दोनो से कहता हूँ कि, हम मुंबई के डॉक्टर को चल कर दिखाएगे और यदि आकाश मे कोई कमी है भी तो हम वही रुक कर आकाश का इलाज कराएगे.”

“मेरी इस बात से दोनो सहमत हो जाते है. अगले दिन मैं आकाश और पद्‍मिनी को लेकर अपने मुंबई वाले घर मे आ जाता हू. यहाँ पर घर मैने इसी वजह से बनवाया था कि, जब कभी मैं अपने परिवार के साथ आउ तो, यहाँ रह सकूँ. यहाँ आने के बाद मैने एक अच्छे डॉक्टर को आकाश को दिखाया. लेकिन उसने भी वही जबाब दिया. जो जबाब हमारे जयपुर वाले डॉक्टर का था.”

“उसका जबाब सुनकर आकाश टूट सा गया. उसी रात उसने ख़ुदकुशी करने की कोशिश भी की थी. लेकिन पद्‍मिनी के देख लेने की वजह से हम ने उसे बचा लिया था. लेकिन उसकी इस हरकत से मुझे और पद्‍मिनी दोनो को, बहुत गहरा झटका लगा था. मगर एक बाप होने के नाते मैने अपने आपको संभाला और आकाश से कहा कि, वो चिंता ना करे. कुछ दिन बाद यहा विदेश से कुछ डॉक्टर आ रहे है. मुझे उम्मीद है कि, वो ज़रूर उसे ठीक कर देगे.”

“ये बात मैने सिर्फ़ आकाश का दिल रखने और उसकी हिम्मत बढ़ाने के लिए कही थी.
मुंबई आ जाने के बाद आकाश यहाँ पर भी अपना अलग से बिजनेस शुरू करना चाहता था. लेकिन मैने उसे ऐसा करने से मना कर दिया. मैने उसे समझाया कि अब उसे अलग से कोई बिजनेस करने की ज़रूरत नही है.

मेरा इतना बड़ा बिजनेस है और जब वो यहाँ आ ही गया है. तब उसे ही इसको संभाल लेना चाहिए. उसने मेरी बात पर ज़्यादा कोई सवालात नही किए और अगले दिन से मेरा बिजनेस संभालना सुरू कर दिया.

कुछ ही दिनो मे आकाश का मन, मेरे बिजनेस मे पूरी तरह से लग गया. अब वो एक सामान्य जीवन जीने लगा था. आकाश के बिजनेस संभाल लेने से मुझे भी काम से थोड़ा बहुत आराम मिल गया था.

उस समय मेरी उमर 41 साल थी. मैं जयपुर के इज़्ज़तदार लोगों मे गिना जाता था और मेरा जीवन वहाँ पर बहुत ही सादा था. मगर असल जीवन मे मैं ऐसा नही था. हर मर्द की तरह मेरे शरीर की भी कुछ ज़रूरतें थी. जिन्हे मैं अपनी पत्नी के मरने के बाद से, मुंबई मे रुक कर, वहाँ की कॉल गर्ल से पूरी किया करता था.

लेकिन आकाश और पद्मि नी के मुंबई आ जाने से मेरी सारी आज़ादी ख़तम हो गयी थी. मैं ऐसा कोई कदम नही उठाना चाहता था. जिस से मेरी इज़्ज़त मेरे बेटे और बहू की नज़र मे कम हो जाए. इसलिए मैने इन सब बातों से किनारा करने का मन बना लिया.

कुछ दिन तक तो मैं ऐसा करने मे कामयाब रहा. मगर फिर एक दिन आकाश और पद्मिननी को अपने किसी दोस्त की शादी मे, जयपुर जाने का प्रोग्राम बना. उन्हो ने मुझसे जाने की इजाज़त माँगी तो, मैने उन्हे जाने की इजाज़त दे दी.

लेकिन पद्‍मिनी को मेरे अकेले रहने की चिंता सता रही थी. क्योकि उन लोगों को जयपुर मे कम से कम 3-4 दिन रुकना था. मैने उसे समझाया कि, उनके आने के पहले भी मैं अकेला ही यहाँ रहा करता था. तब जाकर वो जाने के लिए तैयार हुई.

दूसरे दिन सुबह सुबह वो जयपुर के लिए निकल गये. उनके जाते ही मुझे फिर से आज़ादी मिल गयी थी. मैने एक दिन तो जैसे तैसे शराफत के साथ गुज़ार लिया था.

लेकिन दूसरे दिन मेरे अंदर का मर्द जाग गया. मैने सोचा कि अभी 2-3 दिन तो मैं अकेला हूँ. यदि ऐसे मे, मैं थोड़ा मौज मस्ती कर लूँ, तो इसमे बुरा ही क्या है.

मैने इस आज़ादी का भरपूर फ़ायदा उठाने की सोची और शाम को अपनी मनपसंद कॉल गर्ल को कॉल लगा कर, घर आने को कह दिया.

वो मुंबई की सबसे मशहूर कॉल गर्ल थी.उसका कॉल गर्ल का नाम अलीशा था. वो 25 साल की बेहद सुंदर और सेक्सी लड़की थी. इतनी कम उमर मे इस धंधे मे आ जाने के कारण, उसका रेट बहुत हाइ था और वो अपनी मर्ज़ी से अपना ग्राहक चुना करती थी.

मेरे उसके साथ पिच्छले 5 साल से सेक्स समबन्ध थे. उसके पहले मेरे बहुत सी कॉल गर्ल के साथ सबंध रह चुके थे. लेकिन उन मे से ऐसी कोई नही थी. जिस से एक बार संबंध बनाने के बाद, मुझे कोई दूसरी लड़की पसंद ना आई हो.

लेकिन जब से मैने अलीशा के साथ सेक्स सबंध बनाए थे. तब से लेकर आज तक मैं सिर्फ़ उसी के साथ जुड़ा हुआ था. एक तरह से मैं उसके साथ एक भावनात्मक लगाव से जुड़ा हुआ था और शायद उसके साथ भी ऐसा ही कुछ था.

उसे भी मेरा साथ बहुत पसंद आता था. उसने आज तक कभी मेरे साथ आने मे मनाही नही की थी. उल्टे मेरी वजह से अपने काई ग्राहको को मना कर चुकी थी. आज भी उसने ऐसा ही कुछ किया था.

आज उसकी बुकिंग किसी और ग्राहक के साथ थी. लेकिन मेरा कॉल जाते ही उसने अपनी उस बुकिंग को कॅन्सल कर दिया और उस ग्राहक को फिर कभी आने का बोल दिया.

मैने अलीशा को पीने के लिए कुछ विस्की अपने साथ ले आने को कहा और फिर खाने के लिए एक होटेल मे ऑर्डर करने के बाद, मैं बेचेनी से अलीशा के आने का वेट करने लगा.

शाम के ठीक 7 बजे डोरबेल बजी. मैं समझ गया कि, अलीशा आ गयी है. मैने जल्दी से दरवाजा खोला. सामने अलीशा ही खड़ी थी. उसके हाथ मे एक कॅरी बॅग था. उसमे शायद वो, विस्की की बॉटल थी.

वो एक मिनी स्कर्ट टॉप मे थी और उसके टॉप से उसके सीने की गोलाई सॉफ नज़र आ रही थी. मैने उसे सर से पाँव तक देखा और वो बहुत सेक्सी लग रही थी. उसे देखते ही मेरे लिंग ने सालामी देना सुरू कर दिया.

वो मुस्कुराते हुए घर के अंदर आई और मैने दरवाजा बंद करते ही उसे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. उसने भी मेरी हालत को समझते हुए, अपने एक हाथ से मेरे लंड को पॅंट के उपर से मसल दिया.

उसकी इस हरकत से मेरे मूह से आह निकल गयी और मैने उसे ज़ोर से अपने सीने से भींच लिया और स्कर्ट के उपर से ही उसके चूतड़ों को मसल्ने लगा.

मेरी इस हरकत पर अलीशा ने मुस्कुराते हुए मेरे लोडे को ज़ोर से मसल दिया और कहा.

अलीशा बोली “थोड़ा तो सबर करो सेठ. मैं कोई भागी नही जा रही हूँ. रात भर के लिए मैं तुम्हारे साथ हूँ.”

मैं तो पहले से ही गरम था. उसकी इस हरकत ने मुझे और भी गरम कर दिया था. मैने अपने एक हाथ को उसके सीने पर रखा और उसके बूब्स को मसल्ते हुए, उस से कहा.

मैं बोला “नही, मैने तुम्हे सिर्फ़ दो घंटे के लिए बुलाया है. उसके बाद तुम जहाँ जाना चाहो जा सकती हो.”

अलीशा बोली “सेठ ये कैसी बात करता है. आज तक ऐसा कभी हुआ है कि, अपुन तेरे पास आने के बाद फिर किसी के पास गयी हो.”

मैने उसके उसे अपनी गोद मे उठा लिया और उसे छेड़ते हुए कहा.

मैं बोला “बात ये है कि, आज मेरे पास तुम्हे देने के लिए उतने पैसे नही है. मैं तुम्हे रात भर अपने पास रहने के पैसे नही दे सकता.”

अलीशा बोली “क्यो अपुन के अरमानो पे पानी फेर रहा है सेठ. अपुन तेरे से पैसे की बात कब की है. तेरे को पैसे नही देना तो मत दे मगर अपुन के दिल पर पैसे की बोल कर ठेस तो मत लगा.”

मैं समझ गया कि, अलीशा को मेरे पैसे वाली बात अच्छी नही लगी है. मैने उसे सोफा पर बैठाया और उसके पास बैठते हुए कहा.

मैं बोला “सॉरी, मैं तो मज़ाक कर रहा था. तुम मेरी बात का बुरा मत मानना.”

अलीशा बोली “नही मानेगी सेठ. लेकिन अब ये बताओ कुछ खाने के लिए ऑर्डर भी दिया है, या वो भी अपुन को ही लाना था. क्योकि अपुन तो सिर्फ़ बोतल लेकर ही आई है.”

मैं बोला “खाने का मैने बोल दिया है. खाना अभी आता होगा. मैं फ्रेश हो चुका हूँ. तुम फ्रेश होना चाहो तो हो सकती हो.”

अलीशा बोली “ओके सेठ. अपुन अभी फ्रेश होकर आती है. तब तक तुम चाहो तो एक दो पेग ले सकते हो.”

ये कह कर उसने कॅरी बॅग मेरी तरफ बढ़ा दिया और खुद उठ कर मेरे कमरे की तरफ फ्रेश होने चली गयी.

मैं उसे जाते हुए देखता रहा और उसके अंदर चले जाने के बाद मैने कॅरी बॅग से विस्की की बॉटल निकली और पेग बनाने लगा. तभी डोरबेल बजी.

मैने दरवाजा खोला तो खाना आ चुका था. मैने खाना लिया और दरवाजा बंद करने के बाद खाना डाइनिंग टेबल मे जमाने लगा.

थोड़ी देर बाद अलीशा फ्रेश होकर आ गयी. उस समय वो मेरा गाउन पहने हुई थी. उसने अंदर शायद कुछ नही पहना था. क्योकि उसके चलने से उसकी जांघे सॉफ नज़र आ रही थी.
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उसे देखते ही मेरा लिंग फिर सलामी देने लगा. वो मुस्कुराते हुए मेरे पास आई और मेरी गोद मे आकर बैठ गयी. मैने उसे अपनी बाहों मे जाकड़ लिया. उसने मेरे हाथों से मेरा पेग ले लिया और फिर मुझे अपने हाथों से पिलाने लगी.

मेरे अंदर उसकी जवानी और शराब दोनो का नशा छाने लगा. लेकिन मैने अपने उपर सायं रखते हुए कहा.

मैं बोला “पहले एक राउंड लगाना पसंद करोगी या फिर पहले खाना खाओगी.”

अलीशा बोली “अपुन के पास सारी रात पड़ी है. अभी अपुन खाना खा लेते है. फिर आराम से रात का मज़ा लूटेगे.”

ये कह कर वो मेरी गोद से उठ गयी और हम खाना खाने लगे. लेकिन अब मेरे अंदर उस से दूर रहने का सब्र नही था. मैने उसे खीच कर अपनी गोद मे बैठा लिया और अपने लोडे को उसके कुल्हों से मसल्ते हुए खाना खाने लगा.

हम दोनो अपनी मस्ती मे ही मस्त होकर खाना खाने मे व्यस्त थे. तभी फिर से डोरबेल बजी. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, इतने समय कौन आ सकता है. मेरे उपर अलीशा के हुश्न और शराब दोनो का नशा छाया हुआ था.

मैने सोचा कि डोरबेल बजने दो. जो भी होगा दरवाजा खुलते ना देख कर चला जाएगा. लेकिन डोरबेल बराबर बजती रही. जिस वजह से ना चाहते हुए भी मुझे दरवाजा खोलने उठना पड़ा.

मैने अलीशा को कुछ देर के लिए अंदर जाने को कहा और अलीशा के अंदर जाने के बाद दरवाजा खोलने चला गया. मैने दरवाजा खोला तो, मेरे सामने पद्मिानी खड़ी थी.

पद्मि नी को अपने सामने देख कर, मेरा सारा नशा उडान छु हो गया. मुझे कुछ समझ मे नही आया कि, ये अचानक यहाँ वापस कैसे आ गयी. मैं ठगा सा दरवाजे पर खड़ा रह गया.

दरवाजा खुलते ही पद्मिेनी अंदर आई और कहने लगी.

पद्मिानी बोली “पापा मैं कब से बेल बजा रही हूँ. आपको दरवाजा खोलने मे इतना समय क्यो लगा.”

मैं कुछ बोल पाता, उसके पहले ही उसकी नज़र डाइनिंग टेबल पर रखी शराब की बॉटल पर पड़ गयी. उसे दरवाजा खोलने मे होने वाली देरी की वजह का पता चल गया. उसने मुझ पर गुस्सा करते हुए कहा.

पद्मिहनी बोली “पापा , ये सब क्या चल रहा था. आप अकेले मे शराब पी रहे थे. लगता है आप अकेले रहना इसी लिए पसंद करते है. ताकि आपको ये सब करने की आज़ादी मिल सके.”

मैं बोला “नही बेटी, ऐसी कोई बात नही है. मैं तो बस अकेलापन मिटाने के लिए कभी कभी घर मे ऐसे ही पी लेता हूँ. लेकिन यदि तुम्हे पसंद नही है तो, आज के बाद नही पियुगा.”

पद्मिीनी बोली “ठीक है, ये आपकी पहली ग़लती है इसलिए मैं ये बात अपने तक ही रखुगी. लेकिन आज के बाद ऐसा नही होना चाहिए.”

मैं बोला “थॅंक्स बेटी, आज के बाद ऐसा नही होगा. लेकिन तुम तो 3-4 दिन का बोल कर गयी थी. फिर अचानक कैसे वापस आ गयी. क्या आकाश भी वापस आ गया है.”

पद्मिचनी बोली “नही वो नही आए है. मुझे आपकी फिकर लगी थी. इसलिए मैं वापस आ गयी.”

मैं बोला “तुमने खाना नही खाया होगा. थोड़ा बहुत कुछ खा लो. मैने होटेल से खाना मँगवाया है.”

पद्मिोनी बोली “ठीक है पापा , आप ये शराब की बोतल वहाँ से अलग कीजिए. तब तक मैं फ्रेश होकर आती हूँ.”

ये कह कर वो उपर अपने कमरे मे चली गयी. मैने जल्दी जल्दी शराब की बोतल उठाई और एक प्लेट मे खाना लगा कर, उन्हे लेकर अपने कमरे मे आ गया.

वहाँ पर अलीशा मेरे बड़ी बेचेनी से मेरे आने का इंतजार कर रही थी. वो शायद पद्मि्नी के आ जाने से घबरा गयी थी और अपने कपड़े पहन चुकी थी. मेरे अंदर पहुचते ही उसने कहा.

अलीशा बोली “ये कौन है सेठ. क्या ये तुम्हारी बेटी है. अब अपुन का क्या होगा.”

मैं बोला “वो मेरी बहू है. वो अभी बाहर से आ रही है. खाना खाकर अपने कमरे मे आराम करने चली जाएगी. उसका कमरा उपर है. इसलिए तुम उसकी चिंता मत करो. बस जब तक वो यहाँ नीचे रहती है. तब तक चुप चाप तुम मेरे कमरे मे रहना.”

अलीशा बोली “अब क्या अपुन को जाना पड़ेगा.”

मैं बोला “नही, मैं तुम्हे सुबह घर छोड़ डुगा. आज की रात तुम मेरे साथ ही रहोगी.”

अलीशा बोली “लेकिन सेठ, तेरी बहू के रहते. क्या अपुन का यहाँ रुकना ठीक होगा.”

मैं बोला “कुछ नही होगा. वो थकि हुई है. इसलिए खाना खाकर अपने कमरे मे जाकर सो जाएगी और सुबह के पहले नही जागेगी.”

अलीशा बोली “सेठ अपुन को तो बहुत डर लग रहा है. अपुन नही चाहती कि, अपुन की वजह से तेरे घर मे कोई बखेड़ा खड़ा हो.”

मैं बोला “तुम चिंता मत करो. ऐसा कुछ भी नही होगा. तुम आराम से खाना खाओ. मैं पद्मिजनी के साथ खाना खाकर अभी आता हूँ.”

ये कह कर मैं अपने कमरे से बाहर आ गया. बाहर आकर मैं डाइनिंग टेबल पर बैठ गया और पद्मि नी के आने का इंतजार करने लगा.

थोड़ी देर बाद पद्मि नी फ्रेश होकर नीचे आ गयी. मुझे मेरी चोरी पकड़े जाने से थोड़ी सी शर्मिंदगी ज़रूर थी. लेकिन अलीशा के मेरे कमरे मे होने की बात, पद्मि नी को पता ना होने की वजह से, कुछ राहत भी थी.

पद्मिेनी ने डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए, खाना लगाते हुए कहा.

पद्मिेनी बोली “पापा , मुझे आपसे बोलने का हक़ तो नही है. फिर भी यदि आपकी इजाज़त हो तो, मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूँ.”

मैं बोला “बेटी, मैने तुम्हे अपनी बहू नही, हमेशा अपनी बेटी ही समझा है. तुम्हे जो भी कहना है. दिल खोल कर कह सकती हो. इसके लिए तुम्हे मुझसे इजाज़त लेने की ज़रूरत नही है.”

पद्मिोनी बोली “पापा , आपको यदि माँ जी की कमी ज़्यादा अखरती है तो, आप दोबारा शादी कर लीजिए. लेकिन आपको ये सब हरकतें शोभा नही देती है.”

पद्मिजनी की बात सुन कर तो मेरे सर से आधा नशा उतर गया. मुझे समझ नही आया कि, अचानक वो ये सब क्यो बोल रही है. मुझे लगा कि, वो मेरे शराब पीने की बात के उपर से ये सब बोल रही है. इसलिए मैने उस को समझाते हुए कहा.

मैं बोला “बेटी, ये नशा तो, मैं कभी कभी अपना अकेलापन दूर करने के लिए कर लेता हूँ. यदि तुम्हे ये पसंद नही है तो, आज के बाद ऐसा नही करूगा. इसमे शादी करने वाली बात कहाँ से आ गयी.”

पद्मिेनी बोली “पापा , मैं सिर्फ़ शराब का नशा करने की बात नही कर रही हूँ. बल्कि मैं उस नशे की बात कर रही हूँ. जिसे आप अपने कमरे मे छुपा कर रखे है.”

उसकी ये बात सुनकर तो मेरा सर ही चकरा गया. मैं समझ नही पा रहा था कि, पद्मिसनी किस चीज़ की बात कर रही है. क्या उसे अलीशा के मेरे कमरे मे होने की बात का पता लग गया है.

बिना कारण पता किए ही मैं हथियार डाल चुका था. मेरे मूह से अपनी सफाई मे एक शब्द भी नही निकला. मुझे खामोश देख कर पद्मिीनी ने कहा.

पद्मििनी बोली “पापा , आप से हम लोगों को जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है. आप हमारे आदर्श है. आपको ऐसा नीचे गिरते हुए हम नही देख सकते. आज ये बात मुझे पता चली है. हो सकता है कल उनको भी पता चल जाए. तब सोचिए, उनकी नज़रों मे, आपकी क्या इज़्ज़त रह जाएगी.”

अब मुझे पक्का यकीन हो चुका था कि, पद्मिीनी अलीशा के बारे मे ही बात कर रही है. फिर भी मैने अपना शक़ दूर करने के लिए उस से पुच्छ ही लिया.

मैं बोला “बेटी, मुझे समझ मे नही आ रहा कि, तुम किस बारे मे बात कर रही हो. मैने ऐसा किया क्या है.”

पद्मिहनी बोली “पापा , मैं उस लड़की के बारे मे बात कर रही हूँ. जो इस समय आपके कमरे मे है. मैं अभी आपसे सर दर्द की दवा लेने नीचे आई थी. तब मैने आपके कमरे मे आपकी और उस लड़की की बातें सुनी थी. इसलिए मैं कह रही हूँ कि, आप शादी कर लीजिए. रही उनको मनाने की बात तो, उनको मैं मना लूँगी.”

पद्मितनी की इस बात के बाद मेरा तो गला सूख कर रह गया. मैने पानी पिया और बड़ी हिम्मत जुटा कर अपनी सफाई देते हुए कहने लगा.

मैं बोला “बेटी, तुम्हारी सास मुझे, आज से प्रकाश के जनम के 3 साल बाद ही छोड़ कर चली गयी थी. मैने अपने बच्चों को सौतेली माँ लाकर देने से अच्छा, खुद उनकी माँ बनकर पालना बेहतर समझा था. लेकिन धीरे धीरे वक्त के साथ बच्चे बड़े होते चले गये और मैं अकेला पड़ता गया. इसलिए कभी कभी इस अकेलेपन को मिटाने के लिए, ये सब कर लेता हूँ. लेकिन अब मैं तुम्हे यकीन दिलाता हूँ कि, आगे से ऐसा कुछ नही होगा.”

पद्मिदनी बोली “,पापा मैं आपकी भावनाओं का गला घोटना नही चाहती. मैं तो बस इतना चाहती हूँ कि, आप बाजारू औरतो की जगह, अपना अकेलापन मिटाने के लिए, एक जीवन साथी का सहारा लीजिए. यदि आप ऐसा करते है तो, इसमे कोई बुराई नही होगी.”

मैं बोला “नही बेटी, ये नही हो सकता. अब मेरी उमर घर मे बच्चों की बहू लाने की है, ना की बच्चों के लिए उनकी नयी माँ लाने की है. लोग देखेगे तो, सब हसेगे.”

पद्मिएनी बोली “लोग हंसते है तो, उन्हे हँसने दीजिए. लोगों का तो काम ही ये बन गया है. उनसे किसी की खुशी देखी नही जाती. इन्ही लोगों का ख़याल करके हमे, जयपुर छोड़ना पड़ा था. आख़िर कब तक हम लोगों की परवाह करके अपनी खुशियों का गला घोंटते रहेगे. मैं उनके आते ही, उनसे आपकी शादी की बात करती हूँ.”

मैं बोला “नही बेटी, तुम ऐसा कुछ नही करोगी. तुम्हे मेरी कसम है. मैं तुमसे वादा करता हूँ कि, आज के बाद तुम्हे मुझसे कोई शिकायत नही होगी.”
वो कुर्सी छोड़कर खड़े होते हुए बोली- “पापा, आप कितने अच्छे हैं…” और यह कहते हुए उसने मुझे अपनी बाहों में भींच लिया।

मैंने भी उसके बदन को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया और कहा- “मेरी पदमनी भी तो कितनी प्यारी है…” कहते हुए मैंने उसके माथे का चुम्बन लिया और जानबूझकर अपनी जीभ से मुख का थोड़ा गीलापन उसके माथे पर छोड़ दिया।


“पापा, मैं कितनी खुशनसीब हूँ जो मैं आपकी बहू बनकर इस घर में आई… आप यहीं बैठकर आराम कीजिए, मैं चाय बनाकर लाती हूँ…” कहते हुए पद्मनी मुड़ी। मैं कुर्सी पर बैठकर सोचने लगा कि मैं भी कितना खुश हूँ पदमनि जैसी बहू पाकर। आज कितना अच्छा लगा पदमनि के साथ। तभी मन में यह विचार भी आया कि उसके बूब्स कैसे मेरी छाती में गड़े जा रहे थे जब वो मेरी बाहों में थी। ओह्ह… जब पदमनि चाय बनाने के लिए जाने लगी तो मेरी नजर उसके चूतड़ों पर पड़ी, उसका ब्लाउज थोड़ा ऊपर सरक गया था और शायद उसकी सफेद साड़ी थोड़ी नीचे होकर मुझे उसके चूतड़ों की घाटी का दीदार करा रही थी। अब या तो उसने पैंटी पहनी ही नहीं था या फिर पैन्टी नीचे खिसक गई थी। अब तो यह देखते ही मेरा लंड छलांगे मारने लगा।
मैं भूल गया कि यह मेरी पुत्र वधू है।

किस्मत ने पद्मिहनी जैसी सुशील लड़की को ऐसा जख्म दिया था. जिसकी दवा हम मे से किसी के पास भी नही थी. फिर भी पद्मिलनी अपने दर्द को छुपाये सारे समय हँसती रहती थी.

लेकिन एक दिन फिर से आकाश और पद्मि‍नी के कमरे से मुझे उनके झगड़ने की आवज़ आई. आकाश के जाने के बाद मेने पद्मि नी से इसके बारे मे पुछा तो पद्मिझनी ने बताया कि आकाश को लगने लगा है कि वो कभी ठीक नही हो सकता. मैं यही बात उनको समझा रही थी कि उनको ठीक होने मे कुछ समय लगेगा.

लेकिन वो इस बात को मानने को तैयार ही नही है. उनका कहना है कि वो कभी बाप नही बन सकते. इसी बात को लेकर वो मुझसे अभी लड़ झगड़ रहे थे. ऐसा लगता है कि उन्हे फिर से ये बात परेशान करने लगी है.

पदमनि ने जब ये बात मुझे बताई. तब मैं भी सोच मे पड़ गया. मेरे पास भी आकाश और पद्मि नी की इस समस्या का अब कोई हल नही था. समय तेज़ी से बीत रहा था. ऐसे मे आकाश का पिता ना बन पाना उसे परेशान कर रहा था.

. कुछ दिन बाद मेरे घर हमारे फॅमिली डॉक्टर रतन की पत्नी डॉ माधुरी घर आयी ,माधुरी मेरे साथ काफी खुली हुई थी ,वो उसके पति डॉ रतन हम कॉलेज के ज़माने से दोस्त थे मेने उन्हें इस समस्या के बारे में बताया तो डॉ माधुरी ने कहा की समस्या का एक हल हो सकता हे मेने उत्सुकता से कहा क्या हल हो सकता हे तो उसने कहा की में पद्मिनी के साथ सम्बन्ध बना लू

मैं बोला “तुम्हारी अकल तो ठिकाने पर है. मेरे जवान बेटा और बहू एक औलाद के लिए तरस रहे है और तुम मुझ से बाप बनने के लिए बोल रही हो. ये बोलते हुए तुम्हे ज़रा भी शरम नही आई.”

डॉ माधुरी बोली “तुम मेरी बात को समझे नही. मैने ये कहा कि, क्या हुआ जो आकाश बाप नही बन सकता. तुम तो बाप बन सकते हो . तुम उनको एक संतान दे दो . उनकी समस्या ख़तम हो जाएगी.”

मैं बोला “इसमे समझने वाली बात क्या है. तुम वही तो बोल रही हो. जो मैं समझ रहा हूँ और मेरे बाप बनने से उनकी समस्या तो ज्यों की त्यों बनी रहेगी.”

डॉ माधुरी बोली “नही तुम वो नही समझ रहे है. जो मैं कह रही हूँ. मेरे कहने का मतलब था कि, तुम पद्‍मिनी की कोख मे अपना बीज बो दो . पद्‍मिनी के माँ बनते ही उनकी समस्या ख़तम हो जाएगी.”

मैं बोला “तुम सच मे पागल हो गयी हो. अच्छा हुआ तुम्हारी ये बात पद्‍मिनी ने नही सुनी. यदि वो सुन लेती तो पता नही वो मेरे बारे मे क्या सोचती.”

मैं अभी अपनी बात कह ही रहा था कि, तभी मेरी नज़र दरवाजे पर पड़ी. वहाँ पद्‍मिनी खड़ी हमारी बातें सुन रही थी. मुझसे नज़र मिलते ही वो मुड़कर वापस चली गयी. ये देख कर मैने डॉ माधुरी से कहा.

मैं बोला “ये लो हमारी बात पद्‍मिनी ने सुन ली. अब पता नही वो हमारे बारे मे क्या सोच रही होगी. तुमने ये ज़रा भी अच्छा नही किया.”

डॉ माधुरी ने कहा “तुम पद्‍मिनी की चिंता मत करो . डॉक्टर की हैसियत से उसको सब समझा दूंगी की कि, इस सब मे तुम्हारा कोई दोष नही है. मैने ही ये बात शुरू की थी. मैं बस तुम्हारे मन की बात जानना चाहती हूँ.”

मैं बोला “मैं पागल नही हूँ. जो इस सब के लिए तैयार हो जाउ.”


डॉ माधुरी बोली “मैं बक नही रहा हु . जो आज की ज़रूरत है वो बात कर रहा हूँ.
मैं बोला “सिर्फ़ तुम्हारे सोच लेने बस से क्या होता है. सवाल सिर्फ़ आकाश का नही है. तुम्हारी इस बात मे पद्‍मिनी की जिंदगी पर भी असर पड़ रहा है. वो भला इस समय क्या सोच रही होगी.”

डॉ माधुरी बोली “तुमको पद्‍मिनी की फिकर है ना. मैं तुम्हारी ये फिकर भी दूर कर देती हूँ. मैं अब पद्‍मिनी से बात करने के बाद ही तुम से इस बारे मे कोई बात करुँगी .”

ये बोल कर डॉ कमरे से बाहर निकल गयी. कुछ देर बाद वो वापस लौटी तो, मैने उस से पुछा.

मैं बोला “क्या हुआ. क्या पद्‍मिनी का गुस्सा शांत हो गया.”

माधुरी बोली “हाँ मैने उसे समझा दिया. बहुत ना नुकुर करने के बाद उसे मेरी बात का मतलब समझ मे आ गया. अब यदि तुम्हे ठीक लगे तो, जो मैने कहा है वो हो सकता है.”

मैं बोला “तुम्हारे कहने का मतलब क्या है.”

माधुरी बोली “मैने पद्‍मिनी को उस बात के लिए भी तैयार कर लिया है. वो उस बात के लिए भी तैयार हो गयी है. लेकिन उसने सब कुछ आपकी मर्ज़ी पर छोड़ दिया है.”

मैं बोला “ऐसा कैसे हो सकता है. पद्‍मिनी इस सब के लिए तैयार कैसे हो गयी.”

माधुरी बोली “सवाल उसके पति की जिंदगी का था. उसे तो तैयार होना ही था. अब आपके उपर है कि, आप अपने बेटे की जिंदगी के लिए ये सब करने को तैयार है या नही.”

मैं बोला “मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ. वो मेरी बहू है

माधुरी बोली “लेकिन आप ये क्यो भूल रहे है कि, आकाश आपका बेटा है और अपनी नमार्दानगी को लेकर वो अपने आपको ख़तम भी कर सकता है. यदि उसने ऐसा कर लिया तब आप क्या करेगे.”

मैं बोला “मेरे तो कुछ समझ मे नही आ रहा है कि, मैं क्या करूँ. बस इतना समझ मे आ रहा है कि, जो तुम करने को बोल रही हो वो सही नही है.”

माधुरी बोली “तुम इस सही ग़लत के चक्कर मे ना पड़े. बस इतना सोचे कि तुम जो करने जा रहे है. वो सिर्फ़ अपने बेटे की भलाई के लिए कर रहे है.”

मैं बोला “लेकिन ये सब होगा कैसे और यदि ये सब आकाश को पता चल गया तो, उस पर क्या बीतेगी.”

माधुरी बोली “ये सब कैसे होगा. ये आप मुझ पर छोड़ दीजिए. रही बात आकाश को पता चलने की तो, जब तक हम मे से कोई उसे बताएगा नही. तब तक ये बात उसे पता नही चलेगी और हम मे कोई ये बात किसी को नही बताएगा.”

मैं बोला “ठीक है, जो तुम्हे ठीक लगे, तुम कर सकती हो. मैं अपने बेटे बहू की खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ. मुझे कब क्या करना है तुम बता देना.”

माधुरी बोली “मैने सब सोच लिया है. मैं आकाश को लेकर कुछ दिन यंहा से जयपुर चली जाउन्गी. वहाँ से हमे लौटने मे 5 -7 दिन लगेगे. उस बीच तुम लोगों को ये काम करना होगा.”

मैं बोला “लेकिन मैं पद्‍मिनी के सामने जाने की हिम्मत नही कर पाउन्गा. मुझे समझ मे नही आ रहा कि मैं ये सब कैसे कर पाउन्गा.”

माधुरी बोली “तुम दोनो के पास 5 -7 दिन का समय रहेगा. तुम चिंता मत करो . जाने के पहले मैं पद्‍मिनी को भी सब कुछ फिर से समझा दुगी.”

इसके बाद माधुरी मे आकाश के आने पर उस से जयपुर चलने की की इच्छा जताई और आकाश से साथ चलने को कहा. आकाश ने पहले काम का बहाना बना कर टालने की कोशिश की
आख़िर मे आकाश को माधुरी की बात मानना पड़ी और वो उसके साथ जाने को तैयार हो गया. फिर 2 दिन बाद माधुरी और आकाश, जयपुर निकल गये. जाने से पहले माधुरी पद्‍मिनी को बहुत सी बातें समझा कर गयी थी.

उसने जाते समय मुझे भी बहुत सी बातें समझाई थी. लेकिन उसके जाते ही मेरी हिम्मत जबाब दे गयी. मुझसे किसी भी बात मे कोई पहल करते नही बनी और सारा दिन ऐसे ही बीत गया.
Ye story to pritam bhai ke koi to rok lo me se li gayi hai.
Shyad uske update
60 ke baad ye story chalu hue thi .
priya ke dadaji apne bare mepunnu ko bata rahe the.
 

juhi gupta

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रात को भी हमने डिन्नर किया तब भी मुझसे पद्‍मिनी से ना कुछ कहते बना और ना कुछ करते बना. डिनर करने के बाद मैं अपने कमरे मे आ गया. मैं समझ चुका था कि मुझसे कुछ नही हो सकेगा.

मैं अपने कमरे मे ये ही सब सोच रहा था. तभी पद्‍मिनी दूध का गिलास ले कर आ गयी. मैं समझ नही पा रहा था कि मैं उस से क्या कहूँ और क्या ना कहूँ. मेरी हालत तो ऐसी थी कि, मैं उस से नज़र तक नही मिला पा रहा था.
पद्मि नी ने मुझे दूध का गिलास दिया और कहने लगी.

पद्मि नी बोली “पापा , डॉ माधुरी

जाते समय, मुझे आपके पास ही सोने को बोल कर गयी थी. क्या मैं आपके पास सो सकती हूँ.”

मैं बोला “हाँ सो सकती हो.”

पद्मिोनी बोली “ठीक है मैं अभी कपड़े बदल कर आती हूँ.”

ये बोल कर पद्मिीनी कपड़े बदलने चली गयी. पद्मितनी का इस तरह मेरे साथ सोना ये तो साबित कर रहा था कि, वो सब कुछ करने को तैयार है. इसके बाद भी मैं कोई पहल करने की हालत मे नही था.

मैने अलीशा के पहले कयि कम उमर की लड़कियों के साथ संबंध बनाए थे. लेकिन पद्मि नी की उमर उन सब से बहुत कम थी. वो महज 20 साल की थी और मैं 41 साल का था.

इस सब के अलावा वो मेरी बहू भी थी. ऐसे मे मैं उसके साथ अपने आपको किसी भी तरह से सहज महसूस नही कर पा रहा था. मैं कुछ भी समझ नही पा रहा था. मैं इन्ही सोच मे गुम था. तभी पद्मि नी कपड़े बदल कर वापस आ गयी.

अब वो एक ब्लॅक शॉर्ट नाइटी पहने हुई थी. जिसमे से उसका गोरा गोरा बदन झलक रहा था. जिसमे वो बेहद सुंदर लग रही थी. उसने दूध का गिलास वैसे ही रखा देखा तो मुझसे कहा.

पद्मि नी बोली “ये क्या पापा , आपने अभी तक दूध नही पिया.”

ये कह कर उसने दूध का गिलास फिर से मुझे पकड़ा दिया और मेरे बाजू मे आकर लेट गयी. मैं चुप चाप दूध पीने लगा. दूध पीने के बाद मैने पद्मि नी की तरफ देखा तो वो आँख बंद करके लेटी हुई थी.

थोड़ी देर बाद मैं भी लेट गया और सोने की कोसिस करने लगा. लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी, और कुछ ही देर बाद मुझे अजीब सी बेचेनी होने लगी. इसी बेचेनी मे मैं करवटें बदलने लगा.

मेरी नज़र पद्मिैनी के चेहरे पर पड़ी तो, उसके चेहरे पर ऐसी मुस्कान थी. जैसे वो नींद मे कोई प्यारा सा सपना देख रही हो. मैं उसके चेहरे को देखता रहा और फिर मेरी नज़र उसके सीने पर पड़ी.

नाइटी मे से उसके सीने के गोल गोल उभार बाहर को निकलते से नज़र आ रहे थे. मैं ना चाहते हुए भी उन्हे टकटकी लगा कर देखने लगा और मेरे लंड मे तनाव आने लगा.

मेरी नज़र उसके सीने से होते हुए उसकी जांघों पर गयी. शॉर्ट नाइटी मे से बाहर निकली, उसकी जाँघो ने मेरी उत्तेजना को और भी बढ़ा दिया. अब मेरा खुद पर से काबू खो चुका था और मैं पायजामे के उपर से ही अपने लंड को मसलने लगा.

अभी मैं पद्मिरनी की जाँघो को देख कर अपने लंड को मसल ही रहा था. तभी पद्मि नी ने करवट बदली और उसका चेहरा मेरी तरफ हो गया. मैने भी उसकी तरफ करवट ले ली.

अब उसके सीने की दोनो गोलाइयाँ मेरी आँखों के सामने थी. मेरी बेचेनी हद से ज़्यादा बढ़ चुकी थी, और मैने इस बेचेनी की हालत मे अपने एक हाथ को धीरे से उसके सीने पर रख दिया.

फिर पद्मि नी की तरफ देखा तो, वो अभी भी आँख बंद किए ही लेटी हुई थी. मुझे लगा कि वो गहरी नींद मे है. मैं धीरे धीरे एक हाथ से उसके सीने की गोलाईयों को और दूसरे हाथ से अपने लंड को मसल्ने लगा.

लेकिन ऐसा करने से मेरी बेचेनी और भी ज़्यादा बढ़ गयी. मैने उसकी नाइटी को उसके पेट के उपर सरका दिया और उसकी जांघों पर हाथ फेरने लगा. अब मैं एक हाथ से पद्मिननी के सीने की गोलाईयों को मसल रहा था और दूसरा हाथ उसकी जांघों पर फेर रहा था.

मेरी उत्तेजना इतनी ज़्यादा बढ़ गयी थी कि, अब मैं अपने दोनो हाथों से, ज़ोर ज़ोर से पद्मि नी के सीने की गोलाइयाँ को मसलने लगा. मेरे ऐसा करने से पद्मि नी ने कसमसाते हुए अपनी आँखे खोल दी.

उसको जागता देख मैं अपने हाथों को उसके सीने से अलग करने लगा. लेकिन तभी पद्मि नी ने अपने दोनो हाथ मेरे हाथों पर रख दिए और उन्हे अपने सीने पर दबाने लगी.

पद्मिदनी की ये सहमति मिलते ही मैं फिर से उसके सीने की गोलाईयों को दबाने लगा और वो मेरे सीने पर हाथ फेरने लगी. उसकी इस हरकत से मैं और भी ज़्यादा गरम हो गया.

मैने उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसे अपने पास खिचा और उसकी कमर पर अपना एक पैर रख कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.और तभी अचानक एकदम से उसने मेरे होंठों को चाकलेट की तरह चूसना-खाना शुरू कर दिया।

अब मेरे लंड की चुभन पद्मि नी को अपनी जाँघो पर महसूस होने लगी थी.

वो भी पूरी तरह से गरम हो गयी थी और किस करने मे मेरा पूरा साथ देने लगी थी. मैने किस करते करते उसकी नाइटी को कमर के उपर सरका दिया और अपना एक हाथ नाइटी के अंदर डाल कर उसके निप्पल्स से खेलने लगा.

मेरे ऐसा करने से वो और भी ज़्यादा कसमसाने लगी और मेरे बलों पर हाथ फेरने लगी. उसकी उतेजना देखकर मेरी उतेज्जना भी चरम पर पहुच गयी थी. मैने उसे उठा कर बेड पर बैठा दिया.

फिर एक झटके मे नाइटी उतार कर अलग कर दी. अब वो सिर्फ़ पैंटी मे थी. उसने नाइटी के उतरते ही अपनी आँखे बंद कर ली और दोनो हाथों से अपने चेहरे को छुपा लिया.

वो बिल्कुल किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह, शरम से अपना चेहरा छुपाये, मेरे सामने बैठी थी. मैं उसके अंग अंग को टकटकी लगाए देख रहा था. उसे उस रूप मे अपने सामने देख कर मैं सब कुछ भूल चुका था.

मैं अपलक उसे देख रहा था और वो अपने हाथो से अपना चेहरा छुपाए बैठी थी. मेरे अंदर सेक्स की ज्वाला भड़क रही थी और पद्मिअनी के इस शरमाने से मुझे उस पर बेहद प्यार भी आ रहा था.

मैने एक झटके मे अपना पायजामा कुर्ता उतार दिया. अब मैं सिर्फ़ अंडर वेअर मे था. मैने पद्मिेनी के चेहरे से उसके दोनो हाथों को अलग करने की कोशिश की, मगर उसने अपने चेहरे से हाथ अलग नही किए. मैने उस से धीरे से कहा.

मैं बोला “पद्मि नी, अपनी आँखे तो खोलो. ऐसे चेहरा छुपा कर क्यो बैठी हो.”

पद्मिोनी बोली “नही पापा , मुझे शरम आ रही है.”

मैं बोला “यदि तुम्हे पसंद नही है तो, हम ये सब नही करते है.”

पद्मिोनी बोली “नही पापा , ऐसी बात नही है. आपको जो करना है कीजिए. लेकिन मुझे देखने के लिए मत बोलिए. मुझे शरम आ रही है.”

मैं बोला “ठीक है, मैं तुम्हे देखने के लिए नही बोलता. लेकिन तुम मेरा साथ तो दोगि ना.”

पद्मिोनी बोली “जी पापा .”

ये बोल कर वो चुप हो गयी और अभी भी अपना चेहरा छुपाकर बैठी रही. मैने उसके कंधे को पकड़ कर, उसे बेड पर लिटा दिया और खुद उसके एक तरफ आकर बैठ गया. थोड़ी देर तक मैं उसे सर से लेकर पाँव तक देखता रहा.मेने सोचा आज पदमनी को हर धड़कन के साथ कांपते मोटे तगड़े लंड को अपनी मक्खन जैसी चूत के अन्दर गहराई तक लेना ही होगा, यही हाहाकारी मुसल लंड सालो से हवस की आग में जल रहे उसके शरीर की भूख मिटा सकता है, यही वो लंड है जो उसकी चूत में उमड़ रहे वासना की आग को ख़तम कर रिमझिम फुहारे बरसा सकता है | सालो से लंड की प्यासी चूत को चीर कर, फाड़कर चूत के दूसरे छोर तक जाना होगा, जितना ज्यादा से ज्यादा उसकी चूत की गहराई तक लंड जायेगा मै ले जाऊंगा | चाहे उसे जितना दर्द हो, चाहे चूत फट जाये, उसकी दीवारों चटक जाये, उनसे खून बहने लगे फिर भी ये मोटा सा भयानक लंड उसकी चूत की अंतिम गहराई तक जायेगा | उसे अपनी चूत की वर्षो की प्यास मिटानी है, उसे अपनी चूत की दीवारों में उमड़ रही चुदास की आग को बुझाना है, जैसे सावन में बार बार बरसते बादल धरती की प्यास बुझाते है ऐसे ही ये मोटा लम्बा लंड बार बार उसकी चूत में जाकर उसे चोदेगा और वो बार बार झड़ झड़ कर चूत के अन्दर लगी आग को बुझाएगी , और अपनी तृप्ति हासिलकरेगी , असली तृप्ति भरपूर तृप्ति, परम सुख परम संतुष्टि, ऐसी संतुष्टि जिसको उसके नंगे जिस्म का एक एक रोम महसूस करे

वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्लॅक पैंटी मे लेटी हुई थी. उसका अंग अंग किसी फूल की तरह खिला हुआ था. उसके गोरे और नंगे बदन को देख कर, एक बार फिर मेरे लंड ने अंगड़ाई लेना सुरू कर दी. मैने धीरे से अपना एक हाथ पद्मिदनी के एक नंगे बूब्स पर रख दिया.

मेरे हाथ रखते ही पद्मि्नी को एक झटका सा लगा और उसने अपने शरीर को थोड़ा सा हिलाया. मैं आहिस्ता आहिस्ता उसके एक बूब्स को मसल्ने लगा. मैं कभी उसके बूब्स को मसलता तो, कभी उसके निप्पल्स को उंगलियों से मसल देता. मेरी हर हरकत से पद्मिबनी कसमसा जाती और अपने सर को इधर उधर हिलाने लगती. मगर अभी भी उसका चेहरा उसके हाथों से ढका हुआ था.

मैने उसके बूब्स को मसल्ते हुए, अपने होंठ उसके एक बूब्स पर लगाए और उसके निप्पल्स को चूसने लगा. अपने दूसरे हाथ से मैं उसके दूसरे बूब्स को मसल्ने लगा. मैं बड़ी तेज़ी से उसके निप्पल्स को चूस रहा था और बूब्स को मसल रहा था.

मेरे ऐसा करने से पद्मि नी कसमसाने लगी और उसने अपने हाथो को अपने चेहरे से हटा कर, मेरे सर पर रख दिया. वो मेरे चेहरे को अपने बूब्स पर दबाने लगी. लेकिन अभी भी उसकी आँखे बंद थी. उसके ऐसा करने से मुझे भी जोश आ गया और मैं तेज़ी से उसके निप्पल्स चूसने लगा और ज़ोर से उसके बूब्स मसल्ने लगा.

मैं उसके बूब्स को कभी चूस रहा था तो, कभी मसल रहा था. फिर मैं अपने एक हाथ को उसके पेट पर फेरते हुए, उसकी टाँगों की तरफ ले गया और पैंटी के उपर से उसकी चूत को मसल्ने लगा. मेरे ऐसा करने से पद्मि नी ने अपनी दोनो टाँगों से मेरे हाथ को अपनी चूत पर दबा लिया.

मैने उसके निप्पल्स को चूसना बंद किया और उसकी टाँगों के पास आ गया. पद्मिसनी अभी भी अपनी आँखे बंद किए हुए लेती थी. उसकी टाँगों के पास आकर मैने उसकी पैंटी को पकड़ा और उतारने की कोशिश करने लगा.

पद्मिेनी ने ऐसा करते देखा तो उसने अपने कुल्हों ( हिप्स) को थोड़ा सा उपर उठा लिया. मैने पैंटी को एक झटके मे नीचे उतार दिया पदमनी का गोरा सपाट पेट, उसकी गोरी, केले के तने जैसी चिकनी मुलायम मांसल जांघे , बड़े बड़े गोल सुडौल मांसल चुतड | जांघो के बीच स्थित चिकनी चूत में बालो का नामोनिशान नहीं थाइतनी साफ़ सुथरी चिकनी मखमली गुलाबी चूत बड़े किस्मत वालो की मिलती है |

, में और उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा. चूत को मसल्ने लगा.

मैने अपने हाथ की एक उंगली को उसकी चूत पर रगड़ना सुरू किया और फिर धीरे धीरे उंगली को उसकी चूत मे डालने लगा. उसकी चूत बहुत टाइट थी और इस समय पूरी गीली थी.

मेरी उंगली के अंदर जाने से पद्मि नी सिसियाने लगी और जब मेरी उंगली उसकी चूत मे चली गयी. तब मैं धीरे धीरे उंगली को अंदर बाहर करने लगा. मेरे ऐसा करने से पद्मिीनी और कसमसाने लगी और अपनी चूत को सिकोड़ने लगी. अब मेरे हाथ उसकी कमर पर आ गये- “तुम्हारे कूल्हे बहुत लाजवाब हैं पद्मनी । मुझे बहुत पसंद हैं…” पता नहीं मैं कैसे बोल गया और इसी के साथ मेरी आठों उंगलियां उसके चूतड़ों के नंगे मांस में गड़ गईं।

पदमनी के बदन में जैसी बिजली सी दौड़ गई और थोड़ी लज्जा मिश्रित मुश्कान के साथ बोली- सच में पापा?

मैं- “हाँ पदमनी , तुम्हारे चूतड़ एकदम परफेक्ट हैं। इससे बढ़िया चूतड़ मैंने शायद किसी के नहीं देखे…”

पदमनी अपनी जगह से हिली नहीं और अब मैं उसके नंगे चूतड़ों को अपने हाथों में मसल रहा था। मैंने फुसफुसाते हुए उससे कहा- “पदमनी , मैंने बहुत सारे चूतड़ इस तरह नंगे देखे हैं, सहलाए हैं, चाटे भी हैं पर…” कहते-कहते मैंने अपनी उंगलियों के पोर उन दोनों कूल्हों के बीच की दरार में घुसा दिए। उसके चूतड़ों के नीचे अपने दोनों हाथ लेजाकर उसे ऊपर को उठाया तो उसने अपनी टांगें मेरे कूल्हों के पीछे जकड़ लीं। इससे उसके चूतड़ों के बीच की दरार चौड़ी हो गई और मेरी मध्यमा उंगली उसकी गाण्ड के छेद को कुरेदने लगी। वो मेरे बदन पर सांप की तरह लहरा कर रह गई और मेरी उंगली उसके कसे छेद को भेदते हुए लगभग एक इंच तक अन्दर घुस गई।पदमनी हांफ रही थी- “ऊह्ह… पापा… उह्ह पा… आह्ह… ना…”

उसकी साँसे तेज चल रही थी और मेरा लंड पूरी तरह से अकड़ गया था. मेरी उंगली तेज़ी से पद्मिसनी की चूत के अंदर बाहर हो रही थी. कुछ ही देर मे पद्मिानी पूरे जोश मे आ गयी.वो अपने दोनो हाथों से अपने बूब्स मसल्ने लगी और अपने कुल्हों को बार बार उपर उठा कर मेरा साथ देने लगी.

मैं भी पूरे जोश मे था. मैने एक पल मे उसकी चूत से अपनी उंगली को बाहर निकाला और उसकी दोनो टाँगो को फैला कर अपना मूह उसकी चूत मे लगा दिया. फिर मैने अपने होंठो से उसकी चूत को चूस्ते हुए अपनी जीभ को उसकी चूत मे डाल दिया.

मेरी जीभ के अंदर जाते ही पद्मि नी के मूह से एक सिसकारी निकली और उसने अपने दोनो हाथो से मेरे चेहरे को अपनी चूत पर दबा दिया. मैं उसकी चूत मे जीभ को गोल गोल घुमाने लगा और तेज़ी से जीभ उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा.

थोड़ी ही देर मे पद्मिीनी ने मुझे अपनी दोनो टाँगों से जाकड़ लिया और मेरे चेहरे को बुरी तरह से अपनी चूत पर दबाने लगी. फिर बुरी तरह से मचलते हुए कहने लगी. “पापा… प्लीज आप करो ना… प्लीज पापा करो…” - “जन्नत का मजा तो आप ही मुझे देंगे ना पापा?

पद्मिपनी बोली “अयाया पापा , मेरा पानी छूटने वाला है.”

उसकी बात सुनकर मैं और भी तेज़ी से अपनी जीभ को अंदर बाहर करने लगा. कुछ ही देर मे पद्मिबनी अकड़ने लगी और उसकी चूत ने पानी छोड़ना सुरू कर दिया. मैं तब तक अपनी जीभ को अंदर बाहर करता रहा. जब तक की पद्मिननी की चूत का पूरा पानी नही निकल गया और वो शांत नही पड़ गयी.

उसका पानी निकलते ही वो लंबी लंबी साँसे लेने लगी और मैं उसके पास आकर लेट गया. वो अभी भी अपनी आँखे बंद किए हुए लेटी थी. मैने उसके मानते को चूमा और उस से कहा.

मैं बोला “मज़ा आया.”

पद्मिोनी कुछ नही बोली. बस मुस्कुरा दी. मैने फिर उस से कहा.

मैं बोला “तुम्हे मज़ा आया या नही. कुछ तो बोलो.”

पद्मिोनी बोली “जी आया.”

मैं बोला “तो फिर तुम अपनी आँख क्यो नही खोल रही हो.”

पद्मिोनी बोली “मुझे शरम आ रही है.”

पद्मिोनी का तो पानी निकल चुका था लेकिन मेरा लंड अभी भी आकड़ा हुआ था. अब मुझे उसको भी शांत करना था. इसलिए मैने फिर से पद्मि नी को गरम करना शुरू कर दिया.


मैने पद्मिानी को अपनी तरफ खिचा और उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए. मैं कभी उसके उपर के होंठो को चूस्ता तो, कभी उसके नीचे के होंठो को चूस्ता. थोड़ी देर मे ही पद्मिउनी भी मेरा साथ देने लगी.

मैं अपने एक हाथ से बारी बारी से पद्मिसनी के दोनो बूब्स को मसल रहा था. मैं उसके होंठो को चूस रहा था और ज़ोर ज़ोर से उसके बूब्स मसल रहा था. थोड़ी ही देर मे पद्मिानी मेरे सीने पर हाथ फेरने लगी.

वो धीरे धीरे गरम होने लगी थी. मैने उसे गरम होते देखा तो, मैने उसके बूब्स पर मूह लगा कर उसके निप्पल्स को चूसना सुरू कर दिया और उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा.

चूत पर हाथ फेरने से पद्मिूनी फिर कसमसाने लगी और मैं उसकी चूत को मसल्ने लगा. कुछ देर तक मैं पद्मिफनी के निप्पल्स चूस्ता रहा और चूत को मसलता रहा. मुझे याद नहीं हम कितनी देर तक इस हालत में रहे होंगे कि तभी उसका मोबाइल घनघना उठा। और इस आवाज से हमारे प्यार के रंग में भंग हो गया। उसने एक हल्के से झटके के साथ अपनी टांगें मेरी कमर से नीचे उतारी और बोली- “पापा, जरा उंगली निकालो, मैं फोन देख लूँ…”

जैसे ही मैंने अपनी उंगली उसकी गाण्ड से निकाली उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसे अपनी नाक तक लेजाकर मेरी उंगली सूंघने लगी। उसने पीछे हटकर फोन उठाकर देखा तो उसके पति यानि मेरे बेटे आकाश का फोन
था।

मैंने पदमनी की आँखों में देखा तो वो शर्म के मारे मुझसे नजरें चुराने लगी। मैं उसके पास गया और पदमनी से सटकर फोन पर अपना कान लगा दिया।

आकाश उससे पूछ रहा था- सुबह क्या-क्या किया?

पदमनी ने भी अभी आखिर की कुछ घटनाओं को छोड़कर उसे सब बता दिया।

आकाश ने पूछा कि वो हांफ क्यों रही है?

तो पदमनी ने बताया कि वो नीचे थी और फोन ऊपर, फोन की घंटी सुनकर वो भागकर ऊपर आई तो उसकी सांस फूल गई।

सच में मेरी पुत्र-वधू काफी चतुर है। मैंने मन ही मन भगवान को इसके लिये धन्यवाद किया। मैं अपने बीते अनुभवों से जानता था कि गर्म लोहे पर चोट करने का कितना फायदा होता है। मेरे बेटे का फोन बहुत गलत समय पर आया था, बिल्कुल उस समय जब मैं अपनी बहू की चूत तक पहुँच ही रहा था और वो भी मेरी हरकतों का माकूल जवाब दे रही थी। अगर आकाश का फोन बीस मिनट भी बाद में आया होता तो मेरी बहू अपने ससुर के अनुभवी लौड़े का पूरा मजा ले रही होती। लेकिन शायद भाग्य को यह मंजूर नहीं था। मैं फोन पर कान लगाए सुन रहा था।

मेरे बेट-बहू लगातार फोन पर ‘लव यू’ कह रहे थे और चुम्बनों का आदान प्रदान कर रहे थे।

और मुझे महसूस हो रहा था कि जितनी देर फोन पर मेरे बेटे बहू की यह रासलीला चलती रहेगी, मेरे लण्ड और मेरी बहू पदमनी की चूत के बीच की दूरी बढ़ती जाएगी। और शायद आकाश को बातचीत खत्म करने की कोई जल्दी भी नहीं थी। मुझे आज मिले इस अनमोल अवसर को मैं व्यर्थ ही नहीं गंवा देना चाहता था, तो मैंने अपनी बहू को उसके पीछे आकर अपनी बाहों में जकड़ लिया।

पदमनी मेरे बेटे के साथ प्यार भरी बातों में मस्त थी और उसने मेरी हरकत पर ज्यादा गौर नहीं किया, वो अपने पति से बिना रुके बातें करती रही, लेकिन उसकी आवाज में एक कंपकंपाहट आ गई थी

“क्या हुआ? तुम ठीक तो हो ना?” मेरे बेटे आकाश ने थोड़ी चिन्ता जताते हुए पूछा।

थोड़ा रुकते हुए पदमनी ने जवाब दिया- “उंह्ह… हाँ ठीक हूँ… जरा हिचकी आ गई थी…”

मैंने पदमनी के जवाब की प्रशंसा में उसके एक बूब्स को अपनी मुट्ठी में भींचते हुए दूसरा हाथ उसके गाल पर फिरा दिया।

आकाश अपनी पत्नी और मेरी बहू पदमनी से कुछ इधर-उधर की बातें करने लगा। लेकिन उसे लगा कि पदमनी की आवाज में वो जोश नहीं है जो कुछ पल पहले था क्योंकी पदमनी ‘हाँ हूँ’ में जवाब दे रही थी और अपने बदन को थिरकाकर, लचकाकर मेरी तरफ देख-देखकर मेरी हरकतों का यथोचित उत्तर दे रही थी।

इससे मुझे यकीन हो गया था कि वो वास्तव में अपने पति के साथ मेरे सामने प्रेम-प्यार की बातें करने में आनन्द अनुभव कर रही थी। वो अपने पति से प्यार भरी बातें करते हुए अपने ससुर के सामने पूर्ण नग्न होकर अपनी चूचियों को मसलवा रही थी ।

अब मैं समझ चुका था कि मेरी बहू मुझसे इसके अलावा भी बहुत कुछ पाना चाह रही है, तो मैंने भी और आगे बढ़ने का फैसला कर लिया। मैंने फोन के माउथपीस पर हाथ रखा और फुसफुसाया- “बात चालू रखना, फोन बंद मत होने देना। ठीक है?”

उसने मेरी तरफ वासनामयी नजरों से देखा और ‘हाँ’ में सर हिलाया। पदमनी भी अब खुलकर इस खेल में घुस गई थी।

अब मैं उसके सामने आया और नीचे अपने घुटनों पर बैठकर अपने हाथ उसके चूतड़ों पर रखकर उसे अपने पास खींचा और अपने होंठ उसकी चूत के लबों पर टिका दिए।

“ओअ अयाह ऊउह…”पदमनी के होंठों से प्यास भरी सिसकारी निकली।

मैं सुन नहीं पाया कि उसके पति ने क्या कहा।

लेकिन वो उत्तर में बोली- “ना… नहीं, मैं ठीक हूँ। बस मुझे ऐसा लगा कि मेरी जांघ पर कुछ रेंग रहा था…”

एक बार आकाश ने शायद कुछ कहा जिसके जवाब में पदमनी ने कहा- “शायद मेरी पैंटी में कुछ घुस गया है… चींटी या और कुछ? मैं लान में घास पर बैठ गई थी तो…”

मेरे बेटा जरूर कुछ गन्दी बात बोला होगा, तभी तो पदमनी ने कहा- “धत्त… गंदे कहीं के। अच्छा ठीक है, मैं पैंटी उतारकर अंदर देखती हूँ… तो मैं पांच मिनट बाद फोन करूँ?”

उसने हाँ कहा होगा तभी तो उसके बाद पदमनी ने मेरे बेटे को फोन पर एक चुम्मी देकर फोन बन्द कर दिया और फोन को सोफे पर उछालते हुए मुझसे बोली- “पापा…”

मैं खड़ा हो गया और पदमनी को अपनी बाहों में ले लिया।

पदमनी भी मेरी छाती पर अपना चेहरा टिकाकर मुझे बाहों के घेरे में लेते हुए धीमी आवाज में बोली- “आप बहुत गन्दे हैं पापा…” कहकर उसने अपने कूल्हे आगे की तरफ धकेलकर मेरी लंड पर अपनीचूत टिका ली थी।
मैंने अपने हाथों से उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसके होंठों को चूमते हुए बोला- “हाँ। सही कह रही हो पदमनी , मैं असल में बहुत गन्दा हूँ जान। अगर मैं गन्दा ना होता तो अपनी प्यारी बहू पदमनी को मजा कैसे दे पाता?”



मैंने उसके चूतड़ों को थपथपाते हुए कहा- “तुम बहुत समझदार हो जानम। तुम उसे हमेशा खुश और संतुष्ट रखोगी…” कहकर मैंने उसके होंठों को फिर चूमा, और बोला- “और मैं तुम्हें हमेशा खुश और संतुष्ट रखूँगा…”

पदमनी - “मुझे पता है पापा…” कहकर उसने मुझे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया, और कहा- “मैं आकाश से फोन पर बात कर रही थी और आप मुझे वहाँ चूम रहे थे। कितने उत्तेजना भरे थे ना वो पल? मैं तो बस ओर्गैस्म तक पहुँचने ही वाली थी…”

जब पद्मिदनी ज़्यादा कसमसाने लगी. तब मैं उसके पास से उठ कर उसकी टाँगों के पास आ गया. मैने पद्मिलनी की दोनो टाँगों को फैला दिया. वो अभी भी आँख बंद किए हुए इंतजार कर रही थी कि अब मैं क्या करने वाला हूँ.

मैने उसकी टाँगों को फैलाने के बाद अपना लंड उसकी चूत पर लगाया और उसे चूत पर रगड़ने लगा. मेरे लंड की रगड़ से पद्मिपनी सिसियाने लगी. थोड़ी देर मे लंड को उसकी चूत पर रगड़ता रहा.

फिर मैने उसकी चूत के छेद पर अपने लंड को लगाया और ज़ोर देकर अंदर धकेलने की कोशिश करने लगा. लेकिन मेरा लंड चूत के अंदर नही जा रहा था. इसकी दो वजह थी, एक तो पद्मिपनी की चूत बहुत टाइट और उसका छेद बहुत छोटा था. दूसरी मेरा लंड बहुत बड़ा और मोटा था. जिस वजह से वो पद्मिकनी की चूत मे नही जा पा रहा था.

पद्मिजनी उस समय आँख बंद किए हुए थी. इसलिए उसे मेरे लंड की लंबाई और मोटाई का और उस के अंदर जाने से होने वाले का दर्द का कोई अंदाज़ा नही था. मैं उसे ज़्यादा दर्द नही देना चाहता था. इसलिए उसे आराम से अंदर करना चाहता था.

लेकिन मेरेलंड के अंदर जाने के लिए पद्मिरनी का पूरे जोश मे होना ज़रूरी था. ताकि उसे लंड के अंदर जाने पर ज़्यादा दर्द महसूस ना हो. इसलिए मैने लंड को उसकी चूत से अलग कर अपनी एक उंगली को पद्मि़नी की चूत मे डाला और उसे अंदर बाहर करने लगा.

मेरे उंगली अंदर बाहर करने से कुछ ही देर मे पद्मिउनी के शरीर ने हरकत करनी शुरू कर दी. अब वो अपने दोनो हाथों से अपने बूब्स मसल रही थी और अपने कुल्हों को उपर उच्छल रही थी.

मैने जब पद्मिहनी को पूरे जोश मे देखा तो, अपनी उंगली को उसकी चूत से बाहर किया और एक बार फिर लंड को चूत के छेद से लगाया. उसकी चूत पूरी तरह से गीली थी. मैने लंड का दबाब उसकी चूत पर बनाया और फिर उसकी चूत के छेद पर लंड का एक जोरदार धक्का मारा.

एक ही झटके मे मेरे लंड का टॉप पद्मिछनी की चूत मे फस गया था. लेकिन पद्मिेनी इतने से ही धक्के से दर्द से तड़प उठी और अपने दोनो हाथ अपने चेहरे पर रख कर सर को इधर उधर हिला रही थी. शायद उसे बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था. मैं थोड़ी देर रुक गया और उसके बूब्स को मसल्ने लगा.

कुछ देर बाद जब पद्मि नी कुछ शांत सी समझ मे आई. तब मैने लंड का दबाब उसकी चूत पर बनाया और फिर एक जोरदार धक्का मारा. इस बार पद्मिआनी अपने आपको ना रोक सकी और उसकी चीख निकल गयी “हाए मर गयी पापा .”

धक्का इतना जोरदार था कि मेरा आधा लंड पद्मिजनी की चूत के अंदर चला गया था. जिसके होने वाले दर्द से पद्मिथनी तड़प उठी और उठ कर अपनी चूत को देखने लगी. वो आँख फड़कर कभी अपनी चूत को देखती तो कभी उसमे फसे मेरे लंड को देखती. उसकी आँखों मे आँसू आ गये थे.

मैने उसके होंठों को अपने होंठों से लगा लिया और उनको चूसने लगा. कुछ देर तक मैं ऐसे ही उसके होंठो को चूस्ता रहा. फिर जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मैने उसे लिटा दिया और अब अपने आधे लंड को ही धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा.

कुछ ही देर मे पद्मि नी को मज़ा आने लगा और वो भी अपने कूल्हे हिलाने लगी. धीरे धीरे मैने लंड को अंदर बाहर करने की गति बढ़ाना सुरू कर दी और जब पद्मिेनी पूरी तरह से जोश मे आ गयी. तब मैने एक और जोरदार धक्का मारा और मेरा पूरा लंड पद्मिेनी की चूत की झिल्ली को फाड़ता हुआ अंदर तक समा गया.

इस बार पद्मिंनी और भी ज़ोर से चीख पड़ी और मुझसे मिन्नत करने लगी. “अया पापा मैं मर गयी. उसे बाहर निकालो, नही तो मैं सच मे मर जाउन्गी”
पद्मिरनी की चूत की झिल्ली फट चुकी थी और उसमे से खून बह रहा था. वो दर्द से तड़प रही थी. लेकिन अभी उसने अपना खून नही देखा था. मैने उसे उठने ना दिया और उसके होंठो पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा.

लेकिन पद्मिखनी को दर्द बहुत ज़्यादा हो रहा था. वो बार बारलंड को बाहर निकालने को बोल रही थी. मगर मैं उसे समझा रहा था कि, पहली बार मे ऐसा दर्द होता ही है. मैं उसके बूब्स मसल रहा था और होंठ चूस रहा था.

जिस से कुछ देर बाद पद्मिानी को कुछ अच्छा महसूस होने लगा और मैं धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा. कुछ ही देर मे पद्मि नी को मज़ा आने लगा और वो अपने कूल्हे उचकाने लगी.

जिसे देख कर मैने भी लंड अंदर बाहर कररने की गति बढ़ा दी. पद्मिोनी को दर्द अभी भी हो रहा था. मगर अब उसे मज़ा भी आ रहा था. जिस की वजह से वो मुझे रोक नही रही थी. मगर उसके चेहरे पर दर्द और मज़ा दोनो के भाव साफ नज़र आ रहे थे.

कुछ ही देर मे पद्मि़नी जोश और बढ़ गया और अब वो अपने शरीर को उच्छाल उच्छाल कर कहने लगी. “अया पापा और ज़ोर से, पापा और ज़ोर से.” हाँ पापा, और पेलिये ना… रुक क्यों गये? घुसाइए, पूरा बाड़ दीजिए… अपने मोटे लौड़े से अपने बेटे की पत्नी की चूत की धज्जियां उड़ा दीजिए हाँ पापा, और पेलिये ना… रुक क्यों गये? घुसाइए, पूरा बाड़ दीजिए… अपने मोटे लौड़े से अपने बेटे की पत्नी की चूत की धज्जियां उड़ा दीजिए…”

“पेलिये ना अपना पूरा लौड़ा मेरी चूत के अन्दर पापा। आप बहूचोद बन गए , .पदमनी भी आखिर एक मस्त यौन-प्यासी लड़की थी और अब चुदते चुदते दर्द के साथ साथ थोड़ा मजा भी आने लगा था.मेरे जैसे व्यक्ति से चुदने में उसे मन ही मन एक अजीब खुशी हो रही थी, और ऊपर से मुझ से चुदना मुझे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था. पिछले कुछ दिनों से उसके अन्दर जो काम वासना उफान मार रही थी, हर बार की तरह इस बार उसने खुद को रोकने की बिलकुल कोशिश नहीं की | उसकी चेतना का विरोध कमजोर होता जा रहा था | उसे अपनी चूत के अन्दर एक लंड चाहिए था | उसे खून से भरा हुआ, फूला हुआ, गरम, लोहे की राड की सख्त हुए एक तगड़ा लंड अपनी चूत में चहिये था जो उसकी चूत की दीवारों में दहसत पैदा कर दे, अन्दर जाकर चूत का हर कोना चोद दे, जैसे पहले किसी ने उसकी चूत को चोदा न हो | उसे ऐसा लंड अभी चहिये था, भले ही क्यों न वो उसके ससुर का ही हो | उसे अपनी चूत में एक लंड चहिये था और लंड की सबसे ज्यादा जरुरत उसे अभी थी

मुझे भी उसकी बातों से और जोश चढ़ रहा था. मैं भी जोरदार धक्के मार रहा था. मेरे धक्को से पद्मिभनी का पूरा शरीर हिल रहा था और उसके बूब्स उपर नीचे हो रहे थे.

फिर जल्दी ही वो मुकाम भी आ गया. जब पद्मि्नी का शरीर ज़ोर ज़ोर से हिलने लगा और वो कहने लगी “ऊवू पापा , जल्दी करो. मेरा पानी छूटने वाला है. ज़ोर से करो पापा , ज़ोर से करो.” बहुत मजा आ रहा है. , अब चोद चोद कर मेरी चूत फाड़ दो , मै इसी लायक हू."आआअह्ह्ह आआआआआह्हह्हह् स्सस्सस्स हाय मै मर गयी, प्लीज पापा बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज इसे बाहर निकाल लो, वरना मेरी चूत फट जाएगी, आआआआ , मर गई आआ फट गई मेरी चूत आआ निकालो लण्ड मेरी चूत से आआ. आ आ आआ अउ अउ अउ अउ पेलो जोर से चोदो आ आ मज़ा आ रहा है पूरा लण्ड डाल दो मेरी चूत में राजा आ .

मैने भी अपने धक्को की गति बढ़ा दी. मेरा लंड जिस गति से बाहर आता. उस से भी तेज गति से पद्मिभनी की चूत को चीरते हुए अंदर जा रहा था. पूरा कमरा पद्मिानी की आ उहह की आवाज़ों और मेरे धक्कों की आवाज़ों से गूँज रहा था.पद्मनी अब जोर जोर से चीख रही थी - पेलो न बेदर्दी से, जो होगा देखा जायेगा, अब ठेल तो पूरा अन्दर तक, जितना ताकत से घुसेड सकते हो, डाल दो अन्दर तक, जहाँ तक जा सकता है जाने दो, उसके लिए राह बनावो, मेरी और मेरी चूत की परवाह न करो तुम, कब तक मेरी चूत के दर्द के चक्कर में लंड को इस तरह तड़पाते रहोगे | जब तक लंड चूत को चीरेगा नहीं, ये ऐसे ही नखरे दिखाती रहेगी | पेल दो पूरा लंड मेरी चूत की गहराई में | दर्द होता है तो होने दो| लंड को पूरी ताकत से चूत की आखिरी गहराई तक उतार दो, पूरा का पूरा लंड चूत के अन्दर डाल दो| मुझे मेरे चूत के आखिरी कोने तक जमकर चोद डालो | मुझे तुमारा पूरा लंड चाहिए | जो होगा देखा जायेगा | ये चूत है ही इसी लायक, जब तक मोटा तगड़ा लोहे जैसा सख्त लंड इसे कुचलेगा नहीं ये ऐसे ही नखरे दिखाती रहेगी | इस पर जितनी दया दिखावोगे उतना ही ये नाटक करेगी,बिना सख्ती किये ये तुमारे लंड को अपनी गहराई में उतरने का रास्ता नहीं देने वाली | मरी चूत फटती है तो फट जाने दो |

कुछ ही पल बाद पद्मिवनी के शरीर ने अकड़ना सुरू कर दिया और उसकी चुत ने पानी छोड़ना सुरू कर दिया. कुछ पल बाद ही पद्मि नी की चीख पुकार शांत पड़ गयी. मैं भी अपने अंतिम पड़ाव पर पहुच चुका था.

मेरे धक्के चालू थे और फिर कुछ ही पल बाद मेरे लंड ने भी झटके खाना सुरू कर दिया. मैने जोरदार तीन चार धक्के लगाए और फिर मेरे लंड ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया. मैं धक्का लगाता रहा और मेरा लंड पानी छोड़ता रहा. मेरे लंड ने 5-6 पिचकारी पद्मिकनी की चूत मे छोड़ी और शांत पड़ गया.

मैं भी शांत पड़ कर पद्मिडनी के उपर ही ढेर हो गया. कुछ देर मैं वैसे ही पद्मि नी के उपर लेटा रहा. फिर उतर कर उसके पास लेट गया. मैने उसे अपने सीने से लगा लिया और उसके गाल को दो तीन बार चूम कर कहा.

मैं बोला “मज़ा आया.”

पद्मिोनी कुछ नही बोली. तब मैने फिर कहा.

मैं बोला “अब तो तुम्हरा सब कुछ मैं देख चुका हूँ और मेरा सब कुछ तुम देख चुकी हो. अब क्यो शर्मा रही हो. बोलो ना मज़ा आया या नही.”

पद्मि नी ने मुस्कुराते हुए कहा.

पद्मि नी बोली “जी आया.”

मैं बोला “कितना मज़ा आया. थोड़ा या बहुत.”

पद्मिोनी बोली “बहुत मज़ा आया.”

मैं बोला “फिर करे.”

पद्मिोनी बोली “नही पापा , आज नही. आज बहुत दर्द हो रहा है.”
 
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