रोमा का दिल कुछ और चाह रहा है और रवि साहब यह समझकर भी अनजान बनने की कोशिश कर रहे है ।
दान दहेज की परम्परा निभाई जा चुकी है , संगीत अदायगी रस्म पुरी हो चुकी है , बारात द्वार पर लगने की घड़ी आ गई है , दुल्हन के फेरे के समय नजदीक आ गया है लेकिन फिर भी रोमा के चेहरे की चमक कुछ कुछ कहानी मे ट्विस्ट जैसा संकेत उत्पन्न कर रही है ।
शायद रोमा को ही साहस दिखाना होगा ! शायद पहल उसे ही करनी होगी ! अब तक के घटनाक्रम से लगता नही रवि साहब कुछ करना तो दूर कुछ सोचने लायक हालात भी पैदा करने की हिम्मत कर सकते है !
देखते हैं रवि साहब ने रोमा के दिल और शरीर मे जो चिंगारी लगा दी है वह बूझ पाता भी है या नही !
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट भाई ।