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Incest सीड्स ऑफ़ लस्ट (Seeds Of Lust)

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विद्युतीय ही नही चुम्बकीय कहानी भी लिखी है आपने ।
बहुत ही उम्दा लिख रहे है आप । वाणी ने जो चिन्गारी लगाई , जो इन्सेस्ट की बीज बोई उसमे रवि के प्रारब्ध मे झुलसना ही लिखा है , इन्सेस्ट के ट्रेन मे सफर करना ही है ।
इस कहानी की खुबसूरती है कि इसमे प्रेम भी है , भाई-बहन का स्नेह भी है , भाई-बहन की शरारतें भी है और इरोटिका भी है ।
एक जिज्ञासा रहेगी कि रोमा और रवि का रिलेशनशिप क्या वाणी की तरह सिर्फ हवस का एक फसाना बन कर रह जायेगा या फिर कोई दाम्पत्य जीवन की सिचुएशन भी जन्म लेगी !

बहुत ही बेहतरीन और लाजवाब लेखनी स्किल है आपकी । और आउटस्टैंडिंग आपके हर अपडेट भी ।
 

rocky3090

New Member
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Lajw
UPDATE 7:


अगले दिन, रोमा प्रस्ताव लेकर मां के पास पहुंची। मुझे आश्चर्य हुआ, माँ बिना किसी विशेष विरोध के रोमा को मेरे साथ शादी में भेजने के लिए सहमत हो गई। माँ रोमा को मेरे साथ भेजने से चिंतामुक्त थी और हमारे लिए खुश थी।

उस दोपहर, मैं रोमा के खायलों से बैचेन सा अपना कमरे में टहल रहा था, मुझे रोमा के साथ बाइक से लगभग २० किलोमीटर का सफर तय करते हुए शादी में जाना था जो मेरे लिए बहुत ही रोमांचकारी होने वाला था, रोमा पहले भी कई बार मेरे साथ बाइक पर बैठ चुकी थी पर इसबार बात कुछ और थी जो मेरी धड़कने बड़ा रही थी । आख़िरकार, मैंने अपना फ़ोन उठाया और वाणी का नंबर डायल किया। जैसे ही उसने उठाया, मुझे उसकी उत्साह से भरी आवाज़ सुनाई दी "हेलो, कैसे हो?"।

मैंने अपने दौड़ते दिल को स्थिर करने की कोशिश करते हुए एक गहरी साँस ली। "मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता था," मैंने कहना शुरू किया, शब्द तेजी से फूट रहे थे। "रोमा और मैं एक साथ पास के शहर में एक शादी में जा रहे हैं।"

दूसरे छोर पर एक विराम था, और फिर वाणी की आवाज़, संतुष्टि से भरी हुई, "यह तो बहुत बढ़िया खबर है, यार"

मैं अपने चेहरे पर फैली मुस्कुराहट को रोक नहीं सका। "बढ़िया तो है but यार बहुत घबराहट हो रही है," मैंने अपनी आवाज़ से उत्साह को दूर रखने की कोशिश करते हुए कहा।


वाणी की हंसी फोन लाइन पर गर्मजोशी से गले मिलने जैसी थी। "अरे इसमें घबराना कैसा? मज़े से जाओ और अच्छे से टाइम स्पेंड करो एक दूसरे के साथ," उसने कहा, उसकी आवाज़ से संतुष्टि का पुट था ।

उसके शब्दों ने मुझे थोड़ी रहत पहुंचाई, "वाणी," मैंने अपनी आवाज़ को संतुलित रखने की कोशिश करते हुए कहा। "यार मुझे हेल्प करती रहना मेरी फटी पड़ी है।"

"अरे ये भी कोई पूछने की बात है, बस इतना याद रखना," उसने कहा, उसकी आवाज साजिशपूर्ण फुसफुसाहट की तरह थी, "थोड़ा धीरज से काम लेना। किसी भी तरह की कोई जल्दबाज़ी नहीं और मुझे बताते रहना ताकि में अगला स्टेप प्लान कर सकूँ"

मैं यह सोचकर रोमांचित हुए बिना नहीं रह सका कि वाणी हमे मिलाने के लिए खुद भी कितनी आतुर है। "sure, जान मैं कॉल करता रहूँगा" मैंने वादा किया।

फिर हमने एकदूसरे को बाई बोल के कॉल कट कर दी .

फिर मैं जल्दी से अपने कमरे से निकल कर नीचे आया और शाम की तैयारी में जुट गया। रोमा के साथ सफर और कुछ नज़दीक क्षणों का उत्साह दिल में पहले से ही उमड़ रहा था । मैंने अपनी पुरानी रॉयल एनफील्ड बाइक घर से बहार निकाली जिसपर धूल जमी पड़ी थी। जैसे ही मैंने उसे बाहर निकाला और अच्छी तरह से धोना शुरू किया, वह दिन की रोशनी में चमकने लगी, कपड़े के हर घिस्से से मुझे अपने दोस्तों के साथ साझा की गई अनगिनत मस्ती भरे पलों की याद आने लगी । लेकिन इस बार यह अलग था। इस बार, मैं रोमा की बांहों को मेरी कमर के ओर लपेटे हुए, उसकी मोटी भारी चूचियों की छुअन को अपनी कमर पर दबने की कल्पना कर रहा था

जैसे-जैसे शाम होती गई, घर में तेज़ दौड़ते कदमो की आहटें गूंजने लगी । रोमा एक कमरे से दूसरे कमरे में घूम रही थी, उसकी आँखें उत्साह से चमक रही थीं क्योंकि वह अपनी पोशाक से मेल खाने के लिए सही गहनों की तलाश कर रही थी। उसने एक शानदार लाल साड़ी चुनी थी जो उसके उभारों को सभी सही जगहों पर कैसे हुए थी, मुझे वो किसी स्वर्ग से उत्तरी अप्सरा के सामान सुन्दर नज़र आ रही थी। मैंने अपनी आँखों के किनारे से उसे देखा, उसकी सुंदरता देखकर मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा।

जब वह अपने कमरे से बाहर आई तो उसने मेरी सांसे रोक दीं। उसके काले ब्लाउज खुले गले से उसके बड़े क्लीवेज की आकर्षक झलक मिल रही थी, जो उसकी साड़ी की तहों से कलात्मक रूप से छिपा हुआ था। ब्लाउज का कपड़ा किसी दूसरी त्वचा की तरह उसके उरोजों से चिपका हुआ था, उसकी साडी उसके शरीर के हर घुमाव और आकृति को निखार रही थी। उसने लंबे, काले बालों को पीछे की तरफ बाँध के स्टाइल किया था जो उसकी पीठ से होकर उसकी रीढ़ की हड्डी के आधार तक पहुंच रहे थे। साड़ी के लाल रंग ने उसकी त्वचा को और भी अधिक चमकदार बना दिया, उसके कान में सोने की बालियाँ और गले में लटकता हुआ हार आकर्षक लग रहा था।


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मैं बस उसे देखता ही रह गया, मेरे मन में उसे ज़ोर से चूमने की इच्छा हुई पर मैंने उसे ज़ोर से दबा लिया। यह मेरी बहन थी, एक ही माँ की कोख से जन्मे हम दोनों, एक ही खून था दोनों में और फिर भी, जिस तरह से उसने मेरी ओर देखा, उसकी आंखों में जिज्ञासा और उत्साह का संकेत था, मुझे ऐसा लगा जैसे वह उन रहस्यों को जानती है जो मैं छिपा रहा हूं। हम शाम को 7.30 बजे घर से बाहर निकले, जब हम विवाह स्थल की ओर बढ़े तो उमस भरी हवा का गर्म आलिंगन हमारे चारों ओर था।

बाइक का इंजन हमारे नीचे जीवंत हो उठा, शक्तिशाली मशीन के कंपन मेरे शरीर में गूंज रहे थे और मेरी रीढ़ में रोमांच पैदा कर रहे थे।

जैसे ही हम शांत सड़कों से गुज़रे, हवा रोमा के बालों और उसकी साड़ी के कपड़े से खेल रही थी, मैं प्रसन्नता की भावना महसूस करने के अलावा कुछ नहीं कर सका। जैसे-जैसे हम बाहरी इलाकों की ओर बढ़ रहे थे, शहर की रोशनी धुंधली हो गई थी, रात का अंधेरा गुमनामी की चादर ओढ़ रहा था। हर गुजरते पल के साथ, हमारे बीच तनाव बढ़ता गया, अनकही इच्छाएँ घने कोहरे की तरह हवा को गाढ़ा करती गईं।

रोमा की बाहें मेरे पेट के चारों ओर लिपटी हुई थीं, उसके हाथ धीरे से मेरे पेट पर टिके हुए थे। उसकी गर्माहट मेरी शर्ट से होकर मेरे शरीर में चाहत की लहरें दौड़ा रही थी। उसके परफ्यूम की महक मेरे साँसों में घुल रही थी। जिस तरह से उसके स्तन मेरी पीठ पर दब रहे थे, स्पंजी और भरे हुए, उससे मेरा लंड मेरी पैंट के अंदर अकड़ने लगा था । मैंने हैंडलबार को कसकर पकड़ लिया, आगे की सड़क पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मेरे दिमाग में कामुकता का बवंडर चल रहा था।

उसकी उँगलियाँ मेरे पेट पर थोड़ा सा घूमी, जिससे रोंगटे खड़े हो गए। "क्या अभी भी exercise करते हो?," उसने मेरे कान में बुदबुदाया, उसकी सांसें मेरी गर्दन पर गुदगुदी कर रही थीं।

मैं उसकी बातों का अर्थ समझते हुए हँसा। "हां, हर सुबह, छत पर एक घंटा करता हूं," मैंने अपनी आवाज को स्थिर रखने की कोशिश करते हुए जवाब दिया। उसका स्पर्श मुझे पागल कर रहा था, और मैं प्रतिक्रिया में अपने लंड को हिलते हुए महसूस कर सकता था।

उसकी पकड़ मेरी कमर पर मजबूत हो गई और वह मेरे करीब झुक गई, उसकी गर्म सांसें मेरी गर्दन पर टिक गईं। "शायद मुझे भी तुम्हारे साथ थोड़ी exercise करनी चाहिए ," वह फुसफुसा कर बोली, "मेरा वजन बहुत बढ़ गया है,"

मुझे उसे आश्वस्त करने की ज़रूरत महसूस हुई, उसे यह बताने की कि वह जैसी है, एक दम फिट और कमाल है "एक दम फिट तो है तू," मैंने उसकी ओर देखते हुए कहा। "तुझे कँहा से लगता है के तेरा वजन बढ़ गया है?" मैंने बातचीत के साथ-साथ अपनी आवाज़ में कंपन को छुपाने की कोशिश करते हुए पूछा।

स्ट्रीट लैंप की धीमी रोशनी में उसके गाल हल्के गुलाबी रंग में चमक रहे थे। "हर जगह से," उसने कहा, उस साड़ी के नीचे उसके आकर्षक उभारों का विचार मुझे पागल कर रहा था।

"तू हर तरफ से बिल्कुल परफेक्ट है, बिल्ली" मैंने उत्तर दिया, ये शब्द मेरी योजना से कहीं अधिक गंभीरता से निकल रहे थे पर मैं उन्हें मज़ाकिया रखने की कोशिश कर रहा था। "तुझे कुछ भी बदलने की ज़रूरत नहीं है।"

रोमा खिलखिला उठी, उसकी आवाज़ मेरी पीठ से टकरा रही थी। "ये तो आपकी कृपा है महाराज," उसने कहा,"और बिल्ली किस को बोला?" उसने धीरे से मेरे पेट पर नोचा। "आई क्या कर रही है पागल, बाइक गिर जाएगी" मैंने बनावटी दर्द और थोड़ी सी एक्टिंग करते हुए कहा। उसकी आवाज़ रात में एक मधुर धुन थी। "लेकिन मैं आपकी तरह फिट रहना चाहती हूं।" "अरे यार तू फिट से भी ऊपर है, इतना मत सोच" मैंने उसे फिरसे थोड़ा समझाया। थोड़ी देर बाद हम अपनी मज़िल पर पहुँच गए।

विवाह स्थल एक भव्य आयोजन था, शहर से बहार एक विशाल हवेली थी जिसे रोशनी और फूलों की मालाओं से सजाया गया था।

हवा चमेली और चंदन की मेरी पसंदीदा खुशबू से भरी हुई थी, और हँसी और संगीत की आवाज़ हवा में रही थी। जैसे ही हम अंदर गए, लोगों के सिर घूम गए और फुसफुसाहटें हमारा पीछा करने लगीं। मुझे रोमा के साथ चलने में गर्व की अनुभूति हुई, उसे अपने पास पाकर, वह मानव रूप में एक देवी की तरह लग रही थी।

मैं चोरी छिपे रोमा के हुस्न को निहार रहा था, मेरा मन बार-बार उन अंतरंग पलों की ओर भटक रहा था जो हमने बाइक पर साझा किए थे। उसका स्पर्श विद्युतीय था, और जिस तरह से वह मेरी ओर झुकी थी वह बहुत मज़ेदार, बहुत ही मस्ती भरा था। मुझे अपने आप को याद दिलाते रहना पड़ा कि वह मेरी बहन है, यह सब वाणी के मोहक शब्दों द्वारा बोये गए वासना के बीजों का असर था ।

लेकिन जैसे-जैसे रात बढ़ती गई और संगीत तेज़ होता गया, मैं बेचैनी महसूस किए बिना नहीं रह सका। मैंने रेखा आंटी को हॉल में खड़े देखा, उनकी आँखें उत्साह से चमक रही थीं और वह महिलाओं के एक समूह से बातें कर रही थीं। हमे देखते ही, वह समूह से अलग हो गई और सीधे हमारी ओर बढ़ी, उन्होंने गले लगाने के लिए अपनी बाँहें फैलाई।

"रोमा, मेरी बच्ची," उन्होंने धीरे से रोमा को गले लगते हुए कहा, उनके मोटे गाल खुशी से चमक रहे थे। "तुम तो बहुत सुंदर हो गई हो!"

रेखा आंटी का गर्मजोशी भरा आलिंगन हमारे चारों ओर फूट रहे यथार्थ के बुलबुले की तरह था और एक पल के लिए मुझे ऐसा लगा जैसे मैं उस दृश्य में घुसपैठिया हूं जो मेरा नहीं है। वह मेरी ओर मुड़ी, उनकी आँखें स्नेह से चमक रही थीं। “और तुम कैसे हो रवि?”

"मैं अच्छा हूँ, आंटी," मैं कहने में कामयाब रहा।

रोमा का हाथ पकड़ते ही रेखा आंटी की आँखों में अपनापन झलक पड़ा । "मम्मी कैसी हैं?" उन्होंने पूछा "अब ठीक हैं आंटी" रोमा ने जवाब दिया "चलो सब ठीक हो जायेगा" उन्होंने सान्तवना दी "आओ मेरे साथ, तुम कुछ खा लो रवि," उन्होंने रोमा को अपने साथ खींचते हुए कहा।


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रोमा ने मेरी ओर देखा जो उत्साह और अनिश्चितता का मिश्रण था, लेकिन मैंने आश्वस्त होकर मुस्कुराते हुए सिर हिलाया। जैसे ही वे साड़ियों और हँसी के झुण्ड में गायब हुए, मुझे अकेला सा महसूस होने लगा । मैं जानता था कि यह अतार्किक है - आख़िरकार, हम एक शादी में थे, परिचित लोगों से घिरे हुए थे - लेकिन उसका मुझसे अलग होना मेरे दिल को तेज़ कर गया ।

जल्द ही, आंखों में चमक और हाथ में व्हिस्की का गिलास लिए एक अंकल मेरे पास आए। "अरे रवि," वह चिल्लाये और मेरी पीठ पर थप्पड़ मारा। "कैसे हो तुम? बढ़िया दिख रहे हो!"

मैंने सिर हिलाया, मेरी घबराहट के बावजूद मेरे होठों पर मुस्कुराहट तैर गई। "बढ़िया हूँ अंकल," मैंने अपनी आवाज़ को स्थिर रखने की कोशिश करते हुए कहा।

"यंहा अकेले क्यों खड़े हो, चलो मेरे साथ" कहकर वे मुझे हॉल के अंत में बने एक कमरे में ले गए जंहा पहले से ही कुछ लोग मौजूद थे।

कमरे के अंदर एक बड़ी सी मेज पर विभिन्न प्रकार के पेय और स्नैक्स सजे हुए थे, हवा में व्हिस्की और मसालों की गंध घुली हुई थी।

जैसे ही हम बैठे, बातचीत शुरू हो गई, उनकी मेहमान नवाज़ी की गर्मजोशी ने रोमा के उथल-पुथल भरे विचारों से मेरा ध्यान भटका दिया।

जाम से जाम टकराने लगे और किस्सों और हँसी-मजाक के उस दौर में एक घंटा बीत गया और मैंने पाया कि तीन पेग के बाद मुझपर हल्का सा सुरूर चढ़ने लगा था । एक गर्माहट सी मेरे शरीर में फैल गई थी, मैं हलके नशे में उन पलों को एन्जॉय कर रहा था।

तभी रोमा के विचारों ने मेरे दिमाग को घेर लिया, पता नहीं वो कैसी हो, उसने खाना खाया या नहीं, कंही मुझे ढूंढ न रही हो जैसे सवाल मेरे ज़हन में उठने लग।

मैंने उन सब से इजाज़त ली, और रोमा को ढूंढ़ने बहार की तरफ चल दिया।

जैसे-जैसे मैं मेहमानों की भीड़ के बीच से गुजरा, हवा धूप की सुगंध और प्राचीन मंत्रों की ध्वनि से घनी हो गई। शादी की रस्में पूरे जोरों पर थीं, रंगों और भावनाओं का संगम डीजे द्वारा बजाए गए हल्के संगीत के साथ खुशनुमा हो रहा था। मैंने कमरे को छान मारा, उसकी एक झलक ढूँढने लगा, उसे कंही न पाकर मेरा दिल धड़कने लगा ।

फिर जैसे ही मैंने मंच की तरफ देखा, वह वहां मंच के किनारे खड़ी थी और उसकी नजर बीच में बैठे जोड़े पर टिकी थी। दूल्हा और दुल्हन पारंपरिक सुंदरता की तस्वीर थे, जो रोशनी और कैमरों की फ़्लैश से घिरे हुए थे । लेकिन रोमा सबसे अलग थी जिसने न जाने कितने दिलों को आज घायल किया था, उसका फिगर अन्य महिलाओं की शोभा बढ़ाने वाली नाजुक साड़ियों और आकर्षक गहनों से बिल्कुल अलग था। उसके उभार मुझे बुलाते हुए प्रतीत हो रहे थे और मैंने उसकी तरफ पहुँचने के लिए उत्सुक होकर अपनी स्पीड बड़ा दी।

जैसे ही मैं पास आया, मेहमानों की भीड़ के बीच से होते हुए गुज़रा, मैंने कुछ सुना - पास में खड़े दो लड़कों की अश्लील फुसफुसाहट। उनकी अश्लील बातचीत सुनकर मेरे कान खड़े हो गए। वे धीमे स्वर में बात कर रहे थे, लेकिन उनकी कामुक निगाहें रोमा पर टिकी हुई थीं, उनकी आँखें रोमा के अंगों को खा जाने वाली नज़रों से घूर रही थीं। मेरा खून खौल उठा और मैंने अपनी मुट्ठियाँ भींच लीं।

"कितनी चौड़ी गांड है यार," उनमें से एक ने धीरे से कहा, उसकी आँखें वासना से चमक उठीं। "इसे तो मैं पूरी रात चोद सकता हूँ ।"

जैसे-जैसे मैं करीब आता गया, मेरा दिल मेरे सीने में धड़कने लगा, उनकी असभ्य बातचीत स्पष्ट होती गई। "एकदम कड़क माल है, भाई," दूसरा बोला, उसकी आवाज़ नशे से लड़खड़ा रही थी। "चौड़े, मोटे, और गद्देदार, एक बार में दो लंड तो आराम से ले लेगी।"

मेरे भीतर गुस्सा बढ़ गया, मेरे अंदर का उग्र जानवर आज़ाद होने की मांग कर रहा था। लेकिन जैसे-जैसे मैं पास आया, मेरे दिमाग ने मुझे रोका। यह माँ की बहुत ख़ास सहेली का फंक्शन था, जिन्हे हम बरसों से जानते थे। मेरे दिमाग ने मुझे किसी भी तरह का सीन क्रिएट करने से रोका, यहां नहीं, अभी नहीं।

मैंने अपने गुस्से को निगल लिया और इसके बजाय, एक धीमी चाल के साथ भीड़ के बीच से गुजरते हुए, सीधे रोमा क़े पीछे जाके खड़ा हो गया, मेरे लम्बे चौड़े शरीर ने उन हरामी लड़कों का व्यू बंद कर दिया, उन्हें रोमा नज़र आनी बंद हो गयी। वे तिरछी नज़र से मेरे चारों ओर झुक गए, भीड़ के बीच से झाँकने की कोशिश करने लगे, लेकिन मेरी उपस्थिति एक स्पष्ट संदेश थी, क़े बहुत हुआ।

रोमा को हवा में अचानक बदलाव और एक परिचित उपस्थिति की गर्माहट महसूस हुई। वह मुड़ी और मुझे वहाँ खड़ा पाया, उसकी आँखें राहत और कृतज्ञता से चौड़ी हो रही थीं। कुछ देर पहले उसके चेहरे पर छाया हुआ डर पिघल गया, उसकी जगह एक हल्की मुस्कान ने ले ली जिसने मेरे दिल को सुकून से भर दिया।

उसने अपना हाथ मेरे हाथ में डाल दिया और जब उसने मुझे कसकर पकड़ लिया तो मुझे उसकी उंगलियों की कंपन महसूस हुई। मैं बिना कुछ कहे उसे आश्वस्त करते हुए पीछे हट गया।

उसकी आँखें मंच पर टिकी रहीं, लेकिन मैं उसके शरीर में तनाव को महसूस कर सकता था, जिस तरह से वह मेरी ओर थोड़ा झुकी थी मानो हमारे आस-पास के पुरुषों की भद्दी निगाहों से छुटकारा चाह रही हो। स्टेज पर शादी की रस्में चल रहीं थे, हंसी ठाहकों की आवाज़ें चारों और गूंज रही थी, लेकिन मैं केवल अपने हाथ में उसके हाथ के अहसास और मेरे बगल में उसके शरीर से उठ रही गर्मी को ही महसूस कर पा रहा था।

मैंने उसके हाथ को हल्के से दबाया, मेरी आँखें उसकी आँखों में किसी संकेत की तलाश में थीं कि वह क्या महसूस कर रही होगी। "तू ठीक है?," मैंने पूछा, शब्द मेरी अपेक्षा से अधिक कोमलता से निकल रहे थे।

उसने धीमी मुस्कान के साथ हामी में अपनी गर्दन हिला के अपना जवाब दिया।

फुसफुसाहटें तेज़ हो गईं, और मैं हम पर उन हरामी लड़कों की निगाहों अभी भी तिकी हुई थीं। "देखा भाई," पहले लड़के ने कहा। "उसका बॉयफ्रेंड होगा यार।" दूसरे ने जवाब दिया, "पति भी तो हो सकता है?" पहले लड़के ने फिर प्रश्न किया, "शादीशुदा तो नहीं लगती" दूसरे ने स्पष्ट किया। उनकी बातें मेरे और रोमा दोनों के कानो तक पहुँच रही थीं, नशे के कारण उन्हें अपनी आवाज़ की तीव्रता का अंदाज़ा नहीं था।

उसके मुंह से 'पति' शब्द सुनते ही मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा, रोमा के प्रति मेरी कल्पनाओं को नए पंख से मिल गए, मेरी वर्जित भावनाएं उमड़ने लगीं। मैंने महसूस किया कि रोमा की पकड़ मेरे हाथ के चारों ओर मजबूत हो गई थी, उसका शरीर थोड़ा अकड़ रहा था। उसने मेरी ओर देखा, उसकी आँखों में एक डर सा झलक रहा था।

"कितना लकी आदमी है," इस बार तीसरे व्यक्ति ने हँसते हुए कहा, उसकी नज़र हमारी ओर थी। "भाई शर्त लगा सकता हूँ दिन में तीन बार तो ये उसकी लेता ही होगा, हे हे।"

मेरा खून खौल गया और मैं अपनी रगों में गुस्से को बहता हुआ महसूस कर रहा था। मैंने अपना सिर उनकी तरफ घुमाया, मेरी आँखें क्रोध से जल रही थीं। मैंने अपना एक कदम उनकी तरफ बढ़ाया ही था की रोमा की पकड़ मेरे हाथ पर मजबूत हो गई और वह मेरी ओर झुक गई, उसकी आँखों में याचना थी। उसने मेरे कान में फुसफुसाया, "तुम्हे मेरी कसम कुछ नहीं करना, प्लीज।" उसने घबराते हुए कहा।

लेकिन वो तीनो मेरा गुस्सा पहचान चुके थे, वो थोड़ा सहमे और चुप हो गए । उनके चेहरे से व्यंगात्मक मुस्कराहट मिट गई थी। उन्होंने एक-दूसरे की ओर देखा, उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। एक-एक करके, वे वंहा से हट गए और मेहमानों की भीड़ में खोते चले गए।

रोमा ने उन्हें जाते हुए देखा, उसकी पकड़ मेरे बाइसेप्स पर मजबूत हो गई। "गज़ब, भईया आज भी जलवा है तुम्हारा" उसने बुदबुदाते हुए मेरे कान में कहा, फिर उसने अपना सिर मेरे कंधे पर झुका लिया और मुझे उसकी सांसों की गर्माहट अपनी गर्दन पर महसूस होने लगी।

जैसे ही स्टेज पर चल रही रस्मे संपन्न हुई, हम भव्य भोजन कक्ष की ओर बढ़े। कमरा रोशनी से जगमगा रहा था, मेज़ें खाने के बोझ से कराह रही थीं। प्लेटों और कटलरी की खड़खड़ाहट बातचीत की गड़गड़ाहट के साथ घुल मिल गई, जब हम भोजन से भरी अपनी प्लेटों के साथ एक मेज पर बैठे तो रोमा ने अपनी आँखों में एक शरारती चमक के साथ मेरी ओर देखा। " बेटा पुरे मज़े लिए हैं तुमने यंहा" उसने मेरी साँसों से उठ रही व्हिस्की की महक सूंघ ली थी। मुझे थोड़ी शर्मिंदगी सी हुई "ज़ादा नहीं बस थोड़े से" मैंने सच्चाई कबूलते हुए कहा ।

"पर मुझे बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा।" उसने उदास होते हुए कहा, मैंने अपना हाथ बड़ा के उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और धीरे से दबाया। "क्या हुआ?"

उसकी आँखें मेरी आँखों को खोज रही थीं, मानो यह जानने की कोशिश कर रही हों कि क्या वह अपनी परेशानी को लेकर मुझ पर भरोसा कर सकती है। आख़िरकार, उसने एक गहरी साँस ली और अपने होंठ खोल दिए "पता नहीं भईया...वो लोग काफी देर से उलटी सीढ़ी बातें कर रहे थे," उसने कहा, उसकी आवाज़ फुसफुसाहट से थोड़ी ही ऊपर थी। "मुझे बहुत बुरा फील हो रहा था।"

मुझे उसकी सुरक्षा को लेकर चिंता हुई । "छोड़ न उन छिछोरों को और खाना खा, दुनिया ऐसे हरामियों से भरी पड़ी है" मैंने उसे थोड़ा रिलैक्स कराने के लिए बोला।

मेरे जवाब से वो थोड़ा आश्वस्त देखि । "वो तो तूने रोक दिया नहीं तो मुंह तोड़ देता सालों का ," मैंने कहा, मेरी आवाज़ में गुस्सा था।

उसके चेहरे पर मुस्कराहट फ़ैल गयी "बस बस, तुम दूसरे की शादी में नया बखेड़ा खड़ा कर देते" उसने अपनी चिंता ज़ाहिर की। फिर थोड़ी देर हमारे बीच ख़ामोशी रही और हम अपनी प्लेट से खाना खाने लगे।

रोमा ने अपना खाना निगलते हुए पूछा "भईया, क्या लड़कियां मात्र शरीर होती हैं" "कई बार ऐसा लगता है...जैसे मैं उनके लिए अदृश्य हूं," वह फुसफुसाई, उसकी आंखें आंसुओं से भारी हो गयी, "जैसे कि मैं कोई खाने की चीज़ हूँ, जिसे लोग लार टपका के घूरते हैं ।"

उसके शब्द मेरे अंतर्मन को छलनी सा कर गए, "तू महज़ एक शरीर नहीं है, रोमा," मैंने अपनी आवाज़ धीमी और तीव्र करते हुए कहा। "तू भी एक इंसान हैं, एक सुंदर, सुशिल, बुद्धिमान, दयालु लड़की है । किसी के भी घूरने या बोलने का तुझपर असर नहीं होना चाहिए, तू बिंदास तरीके से अपनी ज़िंदगी जी" मैंने विराम लिया और उसकी तरफ देखा वो बड़ी गौर से मेरी बात सुन रही थी "और एक लिस्ट बना ले, कौन कौन है जो तुझे परेशां करता है मैं सबको ठीक करता हूँ" मैंने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा। "किस किस से लड़ोगे, भईया?" वो उदास होते हुए फुसफुसाई "सब से," मैंने मुस्कुरा के जवाब दिया।

मेरी मुस्कराहट के साथ उसने भी अपनी मुस्कान जोड़ दी "खाना खा लो, ठंडा है रहा है बड़े आये सब से लड़ने वाले" उसने इतराते हुए कहा।

तभी एक चटकदार पीली साड़ी में गोल-मटोल आंटी डोलती हुई हमारी टेबल के नज़दीक आयी । उनके चेहरे पर एक मुस्कराहट थी जो उनके गोल चेहरे के मुकाबले कुछ ज्यादा ही चौड़ी लग रही थी, उनकी आँखें उत्सुकता से हमे देख रही थीं। "रोमा, बेटा, तुम्हारी माँ कैसी हैं?" उन्होंने पूछताछ की, उनकी आवाज़ ऊँची और नाक से निकल रही थी।

"नमस्ते आंटी, वह ठीक हैं," रोमा ने अपना हाथ नमस्ते की मुद्रा में जोड़ते हुए उत्तर दिया।

आंटी हमारे बगल वाली खाली सीट पर बैठ गयीं, उनकी आँखें उत्सुकता से चमक रही थीं। वह माँ की पूर्व सहकर्मी, श्रीमती शर्मा थीं। "बहुत समय हो गया तुम्हारी माँ से मिले हुए," उन्होंने कहा, उनकी आवाज़ में चिंता थी। "तुम दोनों उनका ध्यान तो रख रहे है न?" उन्होंने पूछा, "बिलकुल आंटी, वो अब ठीक हैं जल्दी ही ऑफिस जाने लगेंगी" रोमा ने सहजता से उत्तर दिया।

माँ का जिक्र आते ही मिसेज शर्मा की आंखें चमक उठीं. "तुम्हारी माँ," उन्होंने कहा, उनकी नज़र मुझ पर टिकी हुई थी। "एक मजबूत महिला है, तुम्हारे पिता के निधन के बाद तुम दोनों को अकेले पाला। और अब, तुम दोनों जवान है गए हो, उसकी बहुत अच्छी तरह से देखभाल करना ?"

उनके शब्दों से मुझे अपनी माँ के लिए गर्व महसूस हुआ। "हाँ, वो बहुत स्ट्रांग हैं हम जानते हैं आंटी," "हम उनकी देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे" मैंने सच्चे दिल से मुस्कुराते हुए कहा।

आंटी मेरे करीब झुकीं, उनकी आँखों में जिज्ञासा चमक रही थी। "और तुम कैसे हो, रवि?" उसने पूछा, उसकी आवाज़ एक षडयंत्रकारी फुसफुसाहट की तरह थी। "दिल्ली में जॉब कैसी चल रही है तुम्हारी?"

मैंने एक गहरी साँस ली, व्हिस्की की गर्माहट से मेरे गाल लाल हो रहे थे । "सब बढ़िया चल रहा है, आंटी," मैंने अपनी आवाज़ को स्थिर रखने की कोशिश करते हुए कहा।

अपनी साड़ी को एडजस्ट करती हुई, वह खड़ी हो गई, "चलो तुम दोनों खाना खाओ," उन्होंने कहा, इससे पहले कि वह मुड़ जाए। "रोमा, अपना खाना ख़त्म करके लेडीज संगीत में मिलना, ठीक है " रोमा ने पुष्टि में सिर हिलाया।

जैसे ही मिसेज शर्मा मुड़ीं, उनकी पीली साड़ी के कपड़े पर मेरी नज़र पड़ी। वह उनके चौड़े भारी कूल्हों के बीच अच्छी तरह से फंसा हुआ था, जिससे उसकी गांड की दरार की स्पष्ट रूपरेखा बन रही थी। यह एक अप्रत्याशित दृश्य था जिसने तनाव से भरी शाम में थोड़ी देर के लिए हल्कापन ला दिया था। मैंने अपनी हंसी रोक ली, रोमा की ओर देखा और पाया कि उसकी आंखें भी उसी स्थान पर टिकी हुई थीं। हमारी नज़रें मिलीं, और हम दोनों ही मुस्कुरा दिए, हमारे बीच का तनाव कुछ पल के लिए ख़त्म हो गया।



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उसके गालों पर हल्का गुलाबी रंग चमक रहा था, और उसने ज्यादा मुस्कुराने से बचने के लिए अपने होंठ भींच लिए। "उधर देखने की ज़रूरत नहीं है?" वह फुसफुसाई, उसकी आँखें शरारत से चमक रही थीं।

"कभी कभी तो ऐसे नज़ारे देखने को मिलते हैं," मैंने सीधा चेहरा बनाए रखने की कोशिश करते हुए उत्तर दिया। मेरी हँसी तेज़ हो गई।

रोमा की आँखें शरारत से चमक उठीं और उसने धीरे से मेरे हाथ पर थप्पड़ मारा। "चुप रहो," वह फुसफुसाई,

उसके गाल अब गहरे लाल रंग के हो गए थे। "लेकिन तुम्हे किसी और को पता चलने से पहले आंटी को बताना चाहिए।"

रोमा ने मेरी ओर देखा, उसकी आँखें मनोरंजन और भय के मिश्रण से चौड़ी थीं। "पर उन्हें बताऊँ क्या?" उसने जवाब में फुसफुसाया, मेरे दिमाग में घूम रही व्हिस्की ने मुझे एक नई हिम्मत दी, मैं झुक गया और उसके कान में फुसफुसाया, "यही के आंटी, आपकी साड़ी आपके पिछवाड़े में दबी है।" मेरे शब्द बहुत स्पष्ट थे, मुझे खुद भी इसकी उम्मीद नहीं थी।

रोमा की आँखें झटके से फैल गईं, उसका हाथ उसके मुँह को ढकने के लिए ऊपर उठा। "हे भगवान," उसने हाँफते हुए कहा, दबी हुई हँसी से उसकी आँखों में पानी आ गया। "यह कुछ ज़ादा नहीं हो गया!" उसने मुझे चेतावनी दी पर उसकी आँखें कुछ और कह रही थीं।

"तुम बहुत नॉटी हो गए हो," उसने कहा, उसकी आवाज़ एक धीमी फुसफुसाहट थी जो हलचल भरे कमरे में फैलती हुई प्रतीत होती थी। "अगर मैंने ऐसा कहा तो पक्का आंटी मारेंगी मुझे।"

"अरे यार, मैं तो बस मज़ाक कर रहा था," मैंने उत्तर दिया, उसकी आँखों में चंचलता लौटते देख मेरी मुस्कान और चौड़ी हो गई। "लेकिन तुम्हे उन्हें बताना चाहिए," मैंने इशारा किया, और इस विचार मात्र से वह जिस तरह से शरमा गई, उसका आनंद ले रहा था।

"चिंता मत करो," उसने कहा, उसकी आवाज़ धीमी और साजिशपूर्ण थी। "कोई और बता देगा नहीं तो चलते चलते खुद निकल जाएगी।" इसके साथ ही, उसने अपना खाना ख़त्म किया .

जैसे ही मैंने अपना खाना ख़त्म कर के पानी पिया, संगीत की आवाज़ तेज़ हो गई और भीड़ डांस फ्लोर की ओर बढ़ने लगी। रोशनी मंद हो गई, और रात के दूसरे कार्यक्रम शुरू हो गए। मैंने देखा कि रोमा शालीनता से खड़ी थी, उसकी साड़ी दूसरी त्वचा की तरह उसके उभारों से चिपकी हुई थी। वह मेरी ओर मुड़ी, उसके गाल शर्म से लाल थे। "तो, तुमने अपने पसंदीदा दृश्य का मज़ा लिया?" उसने अपनी खाली प्लेट एक तरफ धकेलते हुए कहा।

मैं उसकी ताने पर हंसे बिना नहीं रह सका, व्हिस्की मुझे निर्भीक महसूस करा रही थी। "यह मेरा पसंदीदा दृश्य नहीं था," मैंने खड़े होकर और रूमाल से अपना मुँह पोंछते हुए उत्तर दिया। हमारी नजरें मिलीं और एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे हमारे बीच कोई अनकही समझ आ गई है।

रोमा एक कदम और करीब आई, उसकी गर्म सांसें मेरे कान को गुदगुदा रही थीं और वह फुसफुसाई, "तो और क्या है?" उसका प्रश्न हवा में लटक गया।

मैं झुक गया, मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था, और फुसफुसाकर बोला, "यह एक भाई अपनी बहन को नहीं बता सकता।" इससे पहले कि मैं अपने शब्दों पर लगाम लगता, शब्द मेरे मुंह से फिसल गए, रोमा मेरी बातों का अर्थ अच्छे से समझ गयी।

वो पीछे हट गई, उसकी मुस्कान थोड़ी लड़खड़ा रही थी, उसने एक पल के लिए मेरी ओर देखा, उसकी आँखें मेरी ओर देख रही थीं, मानो यह अनुमान लगाने की कोशिश कर रही हो कि मैं वास्तव में क्या सोच रहा था। फिर वह मुड़ गई, उसकी साड़ी उसके चारों ओर घूम रही थी और वह उस कमरे की ओर बढ़ी जहां महिला संगीत का आयोजन हो रहा था, मैं वंही खड़ा उसे जाते हुए देखता रहा, मेरी नज़रें उसकी थिरकती चाल पर मोहित थीं, कमरे के दरवाज़े पर पहुँच कर उसने पलट के एक बार फिर से मेरी तरफ देखा और फिर अंदर दाखिल हो गयी।

बाकी रात मेहमानो के शोर गुल और संगीत के धुंधलेपन में बीत गई, जैसे ही सुबह की पहली किरणें आसमान में रोशनी बिखेरने लगीं, शादी का उत्सव फीका हो गया।

जैसे ही लड़की की विदाई हुई, मेहमानों ने भी विदाई लेनी शुरू कर दी, मेरी आँखें थकावट और नींद से बोझिल होने लगीं थीं। व्हिस्की का नशा उतर चूका था और मेरे सर में भारीपन महसूस हो रहा था। रोमा भी उतनी ही थकी हुई लग रही थी, उसकी आँखें नींद की कमी से भारी थीं, लेकिन मेरा हाथ थामते ही वह हल्की सी मुस्कान बिखेरने में कामयाब रही "चलें मैडम या और भी कुछ बाकी है?" मैंने उसे छेड़ते हुए पूछा, "नहीं, सब हो गया चलो" वो धीमे से फुसफुसाई ।

घर वापस आने की यात्रा शांत थी, वो मुझे पकडे मेरे कंधे पर अपना सर टिकाये सोती हुई आयी थी, उसकी बड़ी चूचियां मेरी कमर से कभी कभी घिसने लगती तो पुरे शरीर में एक रोमांच सा पैदा हो जाता, हमारे बीच नमात्र की ही बातचीत हुई थी। मैं उसकी जिस्म की गर्मी को महसूस करते हुए घर आ गया।
Lajwaab next update ka intzar rahega
 
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Mahesh007

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विद्युतीय ही नही चुम्बकीय कहानी भी लिखी है आपने ।
बहुत ही उम्दा लिख रहे है आप । वाणी ने जो चिन्गारी लगाई , जो इन्सेस्ट की बीज बोई उसमे रवि के प्रारब्ध मे झुलसना ही लिखा है , इन्सेस्ट के ट्रेन मे सफर करना ही है ।
इस कहानी की खुबसूरती है कि इसमे प्रेम भी है , भाई-बहन का स्नेह भी है , भाई-बहन की शरारतें भी है और इरोटिका भी है ।
एक जिज्ञासा रहेगी कि रोमा और रवि का रिलेशनशिप क्या वाणी की तरह सिर्फ हवस का एक फसाना बन कर रह जायेगा या फिर कोई दाम्पत्य जीवन की सिचुएशन भी जन्म लेगी !

बहुत ही बेहतरीन और लाजवाब लेखनी स्किल है आपकी । और आउटस्टैंडिंग आपके हर अपडेट भी ।
Achha sabal he intjar
 

randeep

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विद्युतीय ही नही चुम्बकीय कहानी भी लिखी है आपने ।
बहुत ही उम्दा लिख रहे है आप । वाणी ने जो चिन्गारी लगाई , जो इन्सेस्ट की बीज बोई उसमे रवि के प्रारब्ध मे झुलसना ही लिखा है , इन्सेस्ट के ट्रेन मे सफर करना ही है ।
इस कहानी की खुबसूरती है कि इसमे प्रेम भी है , भाई-बहन का स्नेह भी है , भाई-बहन की शरारतें भी है और इरोटिका भी है ।
एक जिज्ञासा रहेगी कि रोमा और रवि का रिलेशनशिप क्या वाणी की तरह सिर्फ हवस का एक फसाना बन कर रह जायेगा या फिर कोई दाम्पत्य जीवन की सिचुएशन भी जन्म लेगी !

बहुत ही बेहतरीन और लाजवाब लेखनी स्किल है आपकी । और आउटस्टैंडिंग आपके हर अपडेट भी ।
एक लेखक के लिए आपके शब्द प्रेरणादायक हैं, बहुत बहुत धन्यवाद! 🙏🙏🙏
 

Skb21

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Behad khubsurat kathanak hai bhai kya Roma ke baad maa ka number bhi lagega
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sunoanuj

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