सुंदरपुर गाँव, एक ऐसा मनमोहक गाँव है जहाँ खेतों की हरियाली के साथ-साथ प्यार, मेहनत और आपसी भाईचारा बसता है। ये कहानी है उन परिवारों की, जो अपने नेक स्वभाव, मेहनत और गाँव के प्रति समर्पण से सुंदरपुर को एक आदर्श गाँव बनाते हैं। हर घर में एक अनमोल कहानी है, और हर किरदार अपने कर्मों से गाँव का नाम रोशन करता है। चलो, मिलते हैं इन परिवारों से, जो अपने सकारात्मक रवैये और प्यार भरे रिश्तों से इस गाँव को एक मिसाल बनाते हैं
गजोधर का परिवार
गजोधर, जिसकी गाँव में बहुत मान–मर्यादा है, 46 साल का, एक मेहनती किसान है, अपने हँसमुख और मिलनसार स्वभाव के लिए जाना जाता है। उसकी मुस्कान गाँव के चौपाल से लेकर खेतों तक हर जगह खुशियाँ बिखेरती है। सूरज उगते ही वो अपने खेतों में मेहनत करने निकल पड़ता है, और गाँव वालों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता है। उसकी पत्नी रति, 43 साल की, एक कुशल गृहिणी है और भरे हुए बदन की मालकिन है जो अपने घर को प्यार और मेहनत से सँवारती है वो न सिर्फ़ घर के काम में निपुण है, बल्कि खेतों में भी गजोधर का साथ देती है। रति का स्वभाव कोमल और प्यार भरा है और वो अपने बच्चे से बहुत प्यार करती है। इनका बेटा बलवान, 21 साल का, एक मेहनती लड़का है जो कि अपने पिता के साथ खेतों में काम करता है वो गाँव में तरह–तरह के खेलों में भी हिस्सा लेता है।
रामू का परिवार
गाँव के एक कोने में डेयरी की दुकान चलाता है रामू, गजोधर का छोटा भाई, 43 साल का, एक मेहनती और नेकदिल आदमी है, जो कि गांव वालों को अपनी डेयरी का दूध , दही , पनीर और मक्खन देता है, वो अपने बड़े भाई गजोधर का बहुत सम्मान करता है और अक्सर उसके साथ मिलकर गाँव की भलाई के लिए काम करता है। उसकी पत्नी शशिकला, 40 साल की, एक दयालु और मेहनती औरत है, जो कि गांव की औरतों को सिलाई–बुनाई का काम सिखाती है, ताकि वो आत्मनिर्भर बन सकें। इनकी बेटी नंदिनी, 18 साल की, 12वीं कक्षा में पढ़ती है, वो गांव के छोटे छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती है।
शशि का परिवार
गाँव के दूसरे कोने में रहती है लीलावती, 46 साल की, रति की बड़ी बहन, लीलावती एक नेकदिल और परोपकारी औरत है, जो कि गाँव के सामाजिक कामों में हिस्सा लेती है, जैसे गांव की औरतों में एकता रखना, बच्चों के लिए छोटे छोटे खेल अयोजित करना, उसका अपनी छोटी बहन रति के साथ प्यार भरा रिश्ता है और उसकी मदद के लिए तैयार रहती है। उसका पति हरिया, 49 साल का, एक दयालु और मेहनती आदमी है जो कि दर्जी की दुकान चलाता है वो अक्सर गजोधर और रामू के साथ मिलकर गांव की भलाई के लिए काम करता है। इनका बेटा रोहन, 24 साल का, एक जवान लड़का है, वो गाँव के युवाओं को फिटनेस के लिए प्रेरित करता है।
ये हैं सुंदरपुर गाँव के परिवार, जहाँ प्यार, मेहनत और एकता की खुशबू बिखरती है। हर किरदार अपने स्वभाव और कर्मों से गाँव को और सुंदर बनाता है। अब ये कहानी कहाँ जाएगी, ये तो आगे का सफर बताएगा।
गजोधर का परिवार
गजोधर, जिसकी गाँव में बहुत मान–मर्यादा है, 46 साल का, एक मेहनती किसान है, अपने हँसमुख और मिलनसार स्वभाव के लिए जाना जाता है। उसकी मुस्कान गाँव के चौपाल से लेकर खेतों तक हर जगह खुशियाँ बिखेरती है। सूरज उगते ही वो अपने खेतों में मेहनत करने निकल पड़ता है, और गाँव वालों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता है। उसकी पत्नी रति, 43 साल की, एक कुशल गृहिणी है और भरे हुए बदन की मालकिन है जो अपने घर को प्यार और मेहनत से सँवारती है वो न सिर्फ़ घर के काम में निपुण है, बल्कि खेतों में भी गजोधर का साथ देती है। रति का स्वभाव कोमल और प्यार भरा है और वो अपने बच्चे से बहुत प्यार करती है। इनका बेटा बलवान, 21 साल का, एक मेहनती लड़का है जो कि अपने पिता के साथ खेतों में काम करता है वो गाँव में तरह–तरह के खेलों में भी हिस्सा लेता है।
रामू का परिवार
गाँव के एक कोने में डेयरी की दुकान चलाता है रामू, गजोधर का छोटा भाई, 43 साल का, एक मेहनती और नेकदिल आदमी है, जो कि गांव वालों को अपनी डेयरी का दूध , दही , पनीर और मक्खन देता है, वो अपने बड़े भाई गजोधर का बहुत सम्मान करता है और अक्सर उसके साथ मिलकर गाँव की भलाई के लिए काम करता है। उसकी पत्नी शशिकला, 40 साल की, एक दयालु और मेहनती औरत है, जो कि गांव की औरतों को सिलाई–बुनाई का काम सिखाती है, ताकि वो आत्मनिर्भर बन सकें। इनकी बेटी नंदिनी, 18 साल की, 12वीं कक्षा में पढ़ती है, वो गांव के छोटे छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती है।
शशि का परिवार
गाँव के दूसरे कोने में रहती है लीलावती, 46 साल की, रति की बड़ी बहन, लीलावती एक नेकदिल और परोपकारी औरत है, जो कि गाँव के सामाजिक कामों में हिस्सा लेती है, जैसे गांव की औरतों में एकता रखना, बच्चों के लिए छोटे छोटे खेल अयोजित करना, उसका अपनी छोटी बहन रति के साथ प्यार भरा रिश्ता है और उसकी मदद के लिए तैयार रहती है। उसका पति हरिया, 49 साल का, एक दयालु और मेहनती आदमी है जो कि दर्जी की दुकान चलाता है वो अक्सर गजोधर और रामू के साथ मिलकर गांव की भलाई के लिए काम करता है। इनका बेटा रोहन, 24 साल का, एक जवान लड़का है, वो गाँव के युवाओं को फिटनेस के लिए प्रेरित करता है।
ये हैं सुंदरपुर गाँव के परिवार, जहाँ प्यार, मेहनत और एकता की खुशबू बिखरती है। हर किरदार अपने स्वभाव और कर्मों से गाँव को और सुंदर बनाता है। अब ये कहानी कहाँ जाएगी, ये तो आगे का सफर बताएगा।
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