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Incest सुख की कीमत

Gururk

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तभी कार के सन्नाटे को तोड़ती हुई औरत बोली
औरत - विजय अभी हम लोग कहाँ पहुंचे है कोई रेस्टोरेंट मिले तो कार रोकना भूंख लगी है और फ्रेश भी होना है
विजय - थोड़ी देर और अभी कोई अच्छा सा रेस्टोरेंट मिले तब कार रुकवाते है ।
औरत - विक्रम से बात हुई थी .....क्या कहा उसने
विजय - हाँ विक्रम से बात हो गई थी मैंने उसे लोकेशन भेज दी है परीक्षा खत्म होते ही गांव आ जाएगा

ठीक है इतना कहकर औरत फिर न जाने किस सोंच में गुम हो जाती है । अपने बीते दिनों को याद करके (ठंडी आह भरते हुए मन में ) वो भी क्या दिन थे विजय और वो कितने खुश थे यूँ तो विजय और उसकी शादी लव मैरेज हुई थी विजय कितना प्यार करता था । उसने परिवार के खिलाफ जाकर उससे शादी की थी । विजय और वो कालेज के दोस्त थे दोस्ती भी इस तरह की जो नफरत से शुरू हुई थी और कब प्यार में बदल गई पता ही नही चला ।
शहर के एक नामी इंजीनियरिंग कालेज में दोनो पढ़ते थे वही इन दोनो की पहली मुलाकात हुई थी पहली ही मुलाकात में विजय ने अपना दिल दे दिया था । लेकिन अपने प्यार को पाने के लिए विजय को बहुत पापड़ बेलने पड़े और फिर एक दिन जब वो कालेज से घर जा रही थी रास्ते में उसकी स्कूटी खराब हो गई थी और न जाने कहाँ से तीन चार लोग आकर उससे छेड़छाड़ करने लगे थे और तभी विजय ने वहां आकर अपनी जान पर खेलकर उसकी इज्जत बचाई थी । और तभी से वो विजय से प्यार करने लगी थी और जल्द ही इनके प्यार के चर्चे सारे कालेज में मशहूर होने लगे थे । और जब ये खबर विजय के पिता चौधरी बलराज सिंह को पता चली तब उन्होंने विजय पर काफी दबाव डाला की वो मनोरमा (औरत का नाम मनोरमा है जिसे हम आगे से मनोरमा ही लिखेंगे ) का साथ छोड़ दे लेकिन विजय ने अपने पिता की की कोई बात नही मानी और आखिरकार पढ़ाई खत्म होते ही विजय ने शादी करके शहर में ही बसने का फैसला कर लिया । और जल्द ही विजय ने अपने दो सहयोगियों की मदद से बिजनेस शुरू किया और कठिन परिश्रम की बदौलत विजय बलराज चौधरी शहर में एक नामी बिजनेस टायकून बन कर उभरे । समय चलता रहा और समय के साथ विजय और मनोरमा का प्यार भी बढ़ता रहा और शादी के कुछ ही दिनों बाद मनोरमा ने एक सुंदर बच्ची को जन्म दिया और उसका नाम काजल रखा । काजल के जन्म के दो वर्ष बाद ही विक्रम का जन्म हुआ था काजल की शादी हो चुकी थी विक्रम अमेरिका में ग्रेजुएशन कर रहा था । सब कुछ ठीक चल रहा था । वो रात मनोरमा कैसे भूल सकती है विजय के पास फोन आया था की आफिस में सीबीआई की रेड पड़ी है सुनते ही विजय के पैरो तले जमीन खिसक गई दूसरे दिन विजय को सीबीआई के सामने हाजिर होने के लिए कहा गया । दूसरे दिन विजय सीबीआई के सामने हाजिर हुए तब पता चला की विजय के पार्टनर्स ने विजय को धोखा दिया है कुछ ही दिनों बाद सरकार ने सबकुछ नीलाम कर दिया ।विजय के पास सिर्फ शहर में उसका बंगला ही बचा था । जिसे विजय ने बेच कर अपने गाँव जाने का फैसला कर लिया विजय के गांव में विजय की हजारो बीघे जमीन व सेब और खुबानी के सैकडों एकड़ के बाग थे और एक आलीशान हवेली थी ।विजय के पिता के देहान्त के बाद वहाँ की देखभाल रामसिंह के हाथ में थी रामसिंह बहुत ही समय से यहां काम कर रहे थे । और आज सबकुछ बेचकर विजय और मनोरमा गांव जा रहे थे।
मनोरमा सोच में डूबी हुई थी उसे पता ही नही चला की कार एक रेस्टोरेंट के सामने जा कर रुक चुकी है और विजय व ड्राइवर उतर कर विजय मनोरमा का गेट खोलकर...
विजय - रमा क्या सोच रही हो उतरो भी
मनोरमा- (हड़बड़ा कर ) आ....हां कुछ नही ...उतर रही हूँ
सभी लोग अंदर जाते है मनोरमा फ्रेश होती है सब लोग नाश्ता करने के बाद फिर कार में बैठ जाते है और कार फर्राटा भरती हुई चल देती है सड़क के किनारे हरे भरे पेड़ दूर -दूर तक फैले पहाड़ काफी सुकून देते है । लगभग एक घंटे के बाद कार एक आलीशान हवेली के अंदर पहुचती है
 

Rahul

Kingkong
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wonderfull update bhaiya ji
 

urc4me

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Regular update se pathako ki ruchi aur lay bani rahti hai. intjar hai agle update ka.
 

Thor cap.america

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सर जी कहानी इंट्रेस्टिंग लग रही है लेकिन एक रिक्वेस्ट है वो ये की आप इस कहानी को इन्सेस्ट ही रकना जैसे की maa बेटे पर प्यार है तो maa बेटे ke ही बीच रकना अगर sex भी हो तो भी दोनों ke बीच किसी और को मत लाना अगर ये भाई बहन ke प्यार की कहानी है तो भी उन दोनों ke बीच ही रहने देना मतलब ये है की इसे आप adultry मत बनाना बाकि आपकी मर्जी
 
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