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सुधीर ने मुझे ज़िंदगी के वो मजे दिए थे जिसकी में कल्पना भी नहीं कर सकती थी , उसने मुझे फिर जवां कर दिया था अब में उसके पापा से ज्यादा उसका इंतजार करती थी हालाँकि बीच बीच में मेने और भी नोजवानो का लंड नाप लिया था लेकिन जो मजा सुधीर में था वो किसी में नहीं था , में उसमे अब अपने बेटे की नहीं बल्कि अपने युवा प्रेमी की झलक देखा करती थी ,सही कहते हे जब कोई स्त्री अपने पति के आलावा दूसरे चुदती हे तो उसका चरित्र सब हवा हो जाता हे ,उसकी भाषा में बाजारूपन आ जाता हे तब उसको लंड के सिवा कुछ नहीं दीखता। मेरा भी ये ही हाल था
अब उस दिन में घर में अकेले थी और मेरा मन चुदने को हो रहा था लेकिन सुधीर घर से बाहर था में स्विमिंग पूल में स्विमिंग कर रही थी अचानक सुधीर आ गया उस दिन सुधीर को ना जाने क्या हुआ मुझे पकड़ कर पूल के अन्दर ले गया और मेरे जिस्म को पूल के किनारे सट कर लगा दिया। फिर मेरी लुभाती चूत को पाने के लिए अपनी मजबूत बाहों से उसे ऊपर उठा कर अपनी उंगलियों से बिकीनी की जाँघिया की इलास्टिक को वहशियों जैसे, लगभग उसे चीरते हुए, खींच कर उसके बदन से उतार दिया। जैसे ही चूत बेपर्दा हुई, उसने अपनी चौड़ी हथेली से चूत के भाग को धीमे से दबाया और उसकी एक उंगली मेरी टपकती गर्मा-गरम चूत के अन्दर फिसल कर पहुंच गयी।
सुधीर की इस हरकत ने मुझे विभोर कर दिया। में सकुचा कर फुसफुसाती हुई सुधीर से बोली।
“ सुधीर चोद दो मुझे। इसी वक़्त ! यहीं पर! तुम नहीं जानते मैं सुबह से कितना तड़प रहीं हूं।” मेने अपनी बहें सुधीर के मजबूत कन्धों पर डालीं और टांगों को फैला कर घुटने ऊँचे उठा कर अपना यौवन को सुधीर को पेश किया।
“मैं क्या कम तड़पा हूं। आज तुझे इतना चोदूंगा कि तू और से चुदना भूल जाएगी !” अपनी स्विमिंग ट्रन्क को उतारता हुआ सुधीर गुर्राया।
सुधीर ने एक मजबूत हाथ मेरी गाँड पर जमाया और दूसरे से अपने तने हुए, धड़कते लन्ड को सम्भाला। वो इतना उतावला हो रहा था कि आव देखा ना ताव, मेरी चूत पर लन्ड को टेक कर लगा अन्दर ठेलने। पर मेरी चूत पर लन्ड का निशाना चूत के मुंह पर ठीक से नहीं लगा था। पर मेने थोड़ा बहुत ऐंठ-ऊंठ कर लन्ड को अपनी चूत का रास्ता दिखा दिया। अपने सुपाड़े पर चूत के मुंह का एहसास होते ही सुधीर और दम लगाकर लन्ड को अन्दर घुसाने लगा। एक - एक इन्च कर के उसने अपना बम्बू मेरी रिसती चूत में ठूसा।
“ऊंघ्ह्ह! खुदा की कसम! मॉम अभी भी बड़ी टाइट है!” मेरी चूत में आहिस्ता से अपने लम्बे लन्ड को जमाता हुआ जानवरों सा हुंकारता बोला सुधीर ।
“रन्डी की चूत इतनी टाइट है की किसी भी 16 साल की लोंड़िया को मात कर दे !” सुधीर मन में अपने खौफ़नाक इरादों के लिए में स्कीम बना रहा था। इस खयाल ने उसके लन्ड को और मोटा कर दिया। अब उसका लम्बा लोढ़ा हाँफ़तीमेरी कसी हुई चूत में अन्दर सरक पा रहा था।
सुधीर के हाथ अब मेरे चूतड़ों पर थे। वो मेरी चिकनी गोल गाँड के माँस को निचोड़ कर दबाने का मजा वो ले रहा था। । अपनी माँ की मटकेदार गाँड को हाथों में भर कर अपने तने लन्ड को उनकी चूत पर ठेलते हुए उसके जिस्म में जानवरों सी सैक्सोत्तेजना जाग रहीं थी।
गाँड़ पर सुधीर के हाथ पाकर मेरे मुँह से दबी सी चीख निकल गई और में स्विमिंग पूल से बाहरगद्दे पर निकलकर लेट गयी जैसे ही मेरे तलुवे बिस्तर के किनारे को छुए तो में पीठ के बल बिस्तर पर गिर पड़ी और सुधीर को अपनी देह के करीब झुकाते हुए नीचे को खींच दिया। औरत जैसे ही ताकतवर पुरुष को जांगों के बीच पाती है तो खुद-ब-खुद टांगें खोल देती है। लिहाजा बेटे के लियेमेने मचलते हुए जाँघों को चौड़ा कर चूत के कपाट का ताला सुधीर के दनदनाते लन्ड के लिये खोल दिया।
सुधीर ने गर्व से अपने विशाल लन्ड के साये में अपनी माँ के मचलते जिस्म को, जिसे उसके लन्ड ने कई बार फ़तह किया था, एक नज़र देखा। अपने सर को माँम की बूब्स पर झुका कर निप्पलों को चूसता हुआ मातृ प्रेम का रसास्वादन करने लगा। । “ओह ! सुधीर चूस ले मम्मी के स्तन। मुझे निहाल कर दे मेरे लाल ।”मेने जंगली लहजे में अपने कुल्हों को बेटे के घोड़े जैसे लन्ड पर रगड़ते हुए कहा।
सुधीर का लन्ड ने साँप की तरह अपने बिल की टोह खुद ही ले रहा था। और इस बार लन्ड से चूत के अलौकिक स्पर्श के दैवी आनन्द ने कामोत्तेजित सुधीर के सब्र का बाँध ही तोड़ दिया। वो मेरी चूत पर दे लगा मारने अपना लन्ड। मेने अपनी चूत के चोचले पर अपने बेटे के शक्तिशाली लन्ड के प्रहारों को पड़ते हुए महसुस्स किया।
“मादरचोद ने बैल जैसा ताकत्वार लन्ड पाया है! चूत को चीर कर जैसे अभी चूत में घुसा जाता है !” इस बेहयाई से भरे खयाल ने उसके सब्र के बाँध को भी तोड़ दिया।
“ऊह्ह सुधीर !!” अपनी चूत की गहरयीं मे अब मस्ती की लहरें उछलती महसूस कर रही थी।
“ सुधीर बेटे! हे ईश्वर! मैं तो ..! सुधीर ! मम्मी अब झड़ रही है
सुधीर ने अबमुझे बदस्तूर चोदना चालू किया। अपने ताकतवर शरीर का भार कोहनी पर टेक कर अपने कुल्हे आगे पीछे चलाने लगा, पहले तो साधारण गति में और फिर जैसे-जैसे मेरी चूत के तरल मादा-द्रवों से लंड और चूत का संगम स्थल चिकना होता चला गया, तो अधिक गति से।
। सुधीर अपने लंड को दनादन बलपूर्वक अंदर मेरी चूत में मारता और बाहर खिंचता। सुधीर की सैक्स-क्रीड़ा में वो ऊर्जा थी की में सिसकियाँ लेने लगीं - मालूम नहीं मारे लज्जा के या मारे आनन्द के। जगली बिल्लि जैसे पंजों से बिस्तर की चादर को मुट्ठी में भिंचने लगीं। अपने चूतड़ों को ऊपर उठा कर सुधीर के लंड के हर बलशाली झटके को उतने ही प्रबल ममता भाव से ग्रहण करतीं। में उन्माद से सर को पीट रहीं थीं चिल्ला रही थी दर्द भी हो रहा है.......मीठा सा एहसास भी.......अहह....मन तो कर रहा है इस लॅंड को पूरी जिंदगी अपने अंदर लेकर लेटि रहूं .......अहह........ सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स............... अब तोड़ा ज़ोर से करो ना.......अहह.... मुझे झटके मारो......जैसा ब्लू फ़िल्मो मे होता है..में चिल्ला रही थी
हाय हाय फट गई मेरी ! फाड़ दी मेरी चूत ! आह अह चोद साले ! मुझे चोद दिलभर के चोद ! चाहे फट जाए ! सुधीर मेरे अंगूर चूस ! इनको दबा ! इनका रस पी ! मुझे तृप्ति दे दो मिल कर ! मेरी प्यास बुझा दो राजा !
चूत की बाहरी संवेदनशील त्वचा पर सुधीर के मोटे लंड की घर्ष क्रिया से उत्पन्न अनुभूतियों में मेरा सर झूम रहा था। गाँड तो ऐसे चक्कर मार रही थी जैसे गन्ने का रस निकालने वालि मशीन। अपने उन्माद में मुझे इस बात का बिल्कुल खयाल नहीं था कि सुधीर उनकी काम-क्रीड़ा में सहभागी है।
* मादरचोद सुधीर माँ का दूध पिया है तो चोद अपने काले मोटे लन्ड से मॉम की चूत !”तुम्हारा यह बहुत बड़ा है.....बहुत मोटा है.......लंबा भी खूब है......" मेने दाँत भींचते हुए नागिन सा फुफकारा।।
कराहते और हुंकारते हुए मेने अपनी टांगें ऊपर को उठा कर अपने घुटने छाती से लगाये और सुधीर के लोड़े
से अपने जननांगों के संगम स्थल को और तंग भींच दिया। मुझे पता था स्त्री जब अपनी टांगें ऊपर को उठा कर घुटनों को स्तनों पर भींचती है तो चूत सबसे अधिक फैली होती है। चूत के अति संवेदनशील शिरा भाग के पुरुष की हड्डी के ऐन नीचे होने से स्त्री को भी अत्यंत आनन्द मिलता है। सुधीर के झूलते उदर का सीधा प्रहार उसकी टंगों के द्वारा अब मेरी छाती पर हो रहा था हाँफ़ते हुए में सुधीर से बोली
“कुतिया की औलाद! चोद अपनी माँ का भोंसड़ा! देखें कितना जोर है !” “साले पिल्ले अपनी छाती से तुझे दूध पिलाया था इसी दिन के लिये !” आज तेरे टट्टे नहीं सुखा दिये तो कुत्ते का सड़का पियूँगी !” हरामजादे एक सैकन्ड भी रुका तो गाँड फाड़ दूंगी।” बाहर क्या हिला रहा है ? और अंदर घुसा !” मादरचोद ।” उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह ! आउच! उन्घ्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह” ! देख तेरा बेटा तुझे चोद रहा है!”
मॉम ! मेरा लन्ड आपकी चूत में बहने वाला है !”सुधीर बोला * इंह आह ! इंह आह्ह! इंह आह !” ऊह्ह्ह! सुधीर बेटा! उडेल दे अपने टट्टों का तेल मेरी चूत में! मेरी चूत तेरे गरम वीर्य की प्यासी है! बस बेटा ऐसे ही! अब झड़ने ही वाली हूं! और जोर से! ओह मादरचोद !” अपने बुरी तरह से चुदती हुई चूत की गहराईयों से अगले ऑरगैसम की उमड़ती गर्माहट ने मेरे होंठों से एक सिसकी निकाल दी थी। बेटे के चेहरे की तरफ़ पलके फड़का कर जब मेने अपनी आँखें खोली तो पाया कि सुधीर की भी आँखों में वैस ही शुरूर था। जाहिर था कि वो भी अब झड़ने ही वाला था।
“ऊउंह! चोद! ओओओओ, चोद डाल मॉम को! हाय ! मैं छूटने वाली हूँ ! तेज़ी से कर ! ओह्ह्ह गॉडडडडड........ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्............पेलो......कस कस कर अपना लण्ड पेलो। ऊऊफ़्फ़फ़्फ़ ऐसे ही चुदवाने के लिए में तड़फती थी। और ज़ोर से......और ज़ोर से......हाययययययय......ऊउन्ननगहह्ह्ह् मेरी चूत.....मेरी चूत......चोदो मुझेमैं तो झड़ी !” में चीखीं। काम -संतुष्टी की लहरें मेरी धमकती ऐंठती चूत के हिरोबिन्दु से बाहर पुरे बदन पर उमड़-उमड़ कर फैल रहीं थीं।
मेरी वासना भरी बेशरम चीखें सुन कर सुधीर और अधिक उतावला हुआ और मुझे और बल से चोदने लगा। उसके कूल्हे दे पटक पटक ऊपर-नीचे हरकत कर रहे थे। । काम क्रीड़ा के परमानन्द के अन्तिम पलों में मेरा पूरा बदन थरथरा उठा।
अपनी वासना लिप्त माँ के मादा जानवर जैसे ऐंठते तन को देख कर सुधीर के सब्र का बाँध टूट पड़ा। हाँफ़ता हुआ, साँड सा हुंकारता हुआ, अपने सर को पिच्छे कि तरफ़ फेंकता हुआ अपने गरम, खौलते वीर्य की लबालब बौछारें माँ कि योनि की गहराईयों मे उडेलने लगा। पुत्र के वीर्य की फुहार ने मेरी चूत में उन्माद की कईं फड़कती थरथराहटें पैदा कर दी। चूत के जकड़ाव - फैलाव की तीव्रता और बढ़ गई। वीर्य स्खलन के आवेग में सुधीर के हाथ ने मेरे दोनों बोबों को पकड़ लिया और उनकी मसला-मसली शुरू कर दी. मेरी गांड में उसकी झांटों के बल चुभ रहे थे जो मेरी गांड को अनूठा मजा दे रहे थे. मेरी चूत अब वीर्य को तरस रही थी ,मैंने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और उत्तेजनावश जोर-जोर से चिल्लाने लगी- छोड़, मादरचोद छोड़! अब अपना पानी छोड! अब मत तरसा! मत तरसा मादरचोद! जो तू कहेगा वो ही मैं करूँगी! अपनी सब सहेलियों की चूत में तेरा लौड़ा डलवाऊँगी, तेरे लौड़े की हमेशा पूजा करूँगी! तू जब कहेगा तेरा लौड़ा खाने आ जाऊँगी!साथ हीसुधीर अपने पौरुष के पिघलते मलाईदार वीर्य से मेरी चूत को लबालब भर दिया । कितना उत्तेजक था यह कृत्य! जैसे ही सुधीर के -वीर्य की पहली बौछार का अनुभव हुआ मेने सुधीर के फौव्वारे से लण्ड को कस के भींच लिया था, मेरे जवान बेटे के उपजाऊ वीर्य की एक भी बूंद व्यर्थ न हो जाए। बेटे सुधीर को और उकसाते हुए में बोलीं
* शाबाश बेटा सुधीर ! उडेल दे सारा जूस मम्मी की गरम चूत में !” ।
हरामी कैसे चूस चूस कर निप्पल से दूध पीता था! अब वैसे ही तेरे लन्ड को निचोड़ दूगी !” ऐसे ही! चोद मुझे ! रहम मेरे खुदा! कस के चोद! मैं तेरी गुनहगार हूं! लगा के चोद !”
सूअर ! दम नहीं क्या लन्ड में ? ! मेरी चूत इतनी ढीली नहीं! तेरा लन्ड थक जायेगा बहनचोद ! रुका क्यों ? टट्टे सूख गये क्या !” ।
देखें कितने लीटर स्टोर कर रखा था टट्टों में !” * मेरी कोख़ लबालब कर दे मेरे लाल !”और सुधीर ने 2 -3 धक्के जोर से लगाए और कहा बहन की लौड़ी, अब से तू मेरी कुतिया है !फिर
मेरी चूत को लबालब अपने वीर्य से भर दी
सुधीर मुझसे चिपक कर लेता हुआ था और में फिर से सोच रही थी की अगर होटल में उस रात लाइट नहीं जाती तो ये सुख मुझको नहीं मिलता
अब उस दिन में घर में अकेले थी और मेरा मन चुदने को हो रहा था लेकिन सुधीर घर से बाहर था में स्विमिंग पूल में स्विमिंग कर रही थी अचानक सुधीर आ गया उस दिन सुधीर को ना जाने क्या हुआ मुझे पकड़ कर पूल के अन्दर ले गया और मेरे जिस्म को पूल के किनारे सट कर लगा दिया। फिर मेरी लुभाती चूत को पाने के लिए अपनी मजबूत बाहों से उसे ऊपर उठा कर अपनी उंगलियों से बिकीनी की जाँघिया की इलास्टिक को वहशियों जैसे, लगभग उसे चीरते हुए, खींच कर उसके बदन से उतार दिया। जैसे ही चूत बेपर्दा हुई, उसने अपनी चौड़ी हथेली से चूत के भाग को धीमे से दबाया और उसकी एक उंगली मेरी टपकती गर्मा-गरम चूत के अन्दर फिसल कर पहुंच गयी।
सुधीर की इस हरकत ने मुझे विभोर कर दिया। में सकुचा कर फुसफुसाती हुई सुधीर से बोली।
“ सुधीर चोद दो मुझे। इसी वक़्त ! यहीं पर! तुम नहीं जानते मैं सुबह से कितना तड़प रहीं हूं।” मेने अपनी बहें सुधीर के मजबूत कन्धों पर डालीं और टांगों को फैला कर घुटने ऊँचे उठा कर अपना यौवन को सुधीर को पेश किया।
“मैं क्या कम तड़पा हूं। आज तुझे इतना चोदूंगा कि तू और से चुदना भूल जाएगी !” अपनी स्विमिंग ट्रन्क को उतारता हुआ सुधीर गुर्राया।
सुधीर ने एक मजबूत हाथ मेरी गाँड पर जमाया और दूसरे से अपने तने हुए, धड़कते लन्ड को सम्भाला। वो इतना उतावला हो रहा था कि आव देखा ना ताव, मेरी चूत पर लन्ड को टेक कर लगा अन्दर ठेलने। पर मेरी चूत पर लन्ड का निशाना चूत के मुंह पर ठीक से नहीं लगा था। पर मेने थोड़ा बहुत ऐंठ-ऊंठ कर लन्ड को अपनी चूत का रास्ता दिखा दिया। अपने सुपाड़े पर चूत के मुंह का एहसास होते ही सुधीर और दम लगाकर लन्ड को अन्दर घुसाने लगा। एक - एक इन्च कर के उसने अपना बम्बू मेरी रिसती चूत में ठूसा।
“ऊंघ्ह्ह! खुदा की कसम! मॉम अभी भी बड़ी टाइट है!” मेरी चूत में आहिस्ता से अपने लम्बे लन्ड को जमाता हुआ जानवरों सा हुंकारता बोला सुधीर ।
“रन्डी की चूत इतनी टाइट है की किसी भी 16 साल की लोंड़िया को मात कर दे !” सुधीर मन में अपने खौफ़नाक इरादों के लिए में स्कीम बना रहा था। इस खयाल ने उसके लन्ड को और मोटा कर दिया। अब उसका लम्बा लोढ़ा हाँफ़तीमेरी कसी हुई चूत में अन्दर सरक पा रहा था।
सुधीर के हाथ अब मेरे चूतड़ों पर थे। वो मेरी चिकनी गोल गाँड के माँस को निचोड़ कर दबाने का मजा वो ले रहा था। । अपनी माँ की मटकेदार गाँड को हाथों में भर कर अपने तने लन्ड को उनकी चूत पर ठेलते हुए उसके जिस्म में जानवरों सी सैक्सोत्तेजना जाग रहीं थी।
गाँड़ पर सुधीर के हाथ पाकर मेरे मुँह से दबी सी चीख निकल गई और में स्विमिंग पूल से बाहरगद्दे पर निकलकर लेट गयी जैसे ही मेरे तलुवे बिस्तर के किनारे को छुए तो में पीठ के बल बिस्तर पर गिर पड़ी और सुधीर को अपनी देह के करीब झुकाते हुए नीचे को खींच दिया। औरत जैसे ही ताकतवर पुरुष को जांगों के बीच पाती है तो खुद-ब-खुद टांगें खोल देती है। लिहाजा बेटे के लियेमेने मचलते हुए जाँघों को चौड़ा कर चूत के कपाट का ताला सुधीर के दनदनाते लन्ड के लिये खोल दिया।
सुधीर ने गर्व से अपने विशाल लन्ड के साये में अपनी माँ के मचलते जिस्म को, जिसे उसके लन्ड ने कई बार फ़तह किया था, एक नज़र देखा। अपने सर को माँम की बूब्स पर झुका कर निप्पलों को चूसता हुआ मातृ प्रेम का रसास्वादन करने लगा। । “ओह ! सुधीर चूस ले मम्मी के स्तन। मुझे निहाल कर दे मेरे लाल ।”मेने जंगली लहजे में अपने कुल्हों को बेटे के घोड़े जैसे लन्ड पर रगड़ते हुए कहा।
सुधीर का लन्ड ने साँप की तरह अपने बिल की टोह खुद ही ले रहा था। और इस बार लन्ड से चूत के अलौकिक स्पर्श के दैवी आनन्द ने कामोत्तेजित सुधीर के सब्र का बाँध ही तोड़ दिया। वो मेरी चूत पर दे लगा मारने अपना लन्ड। मेने अपनी चूत के चोचले पर अपने बेटे के शक्तिशाली लन्ड के प्रहारों को पड़ते हुए महसुस्स किया।
“मादरचोद ने बैल जैसा ताकत्वार लन्ड पाया है! चूत को चीर कर जैसे अभी चूत में घुसा जाता है !” इस बेहयाई से भरे खयाल ने उसके सब्र के बाँध को भी तोड़ दिया।
“ऊह्ह सुधीर !!” अपनी चूत की गहरयीं मे अब मस्ती की लहरें उछलती महसूस कर रही थी।
“ सुधीर बेटे! हे ईश्वर! मैं तो ..! सुधीर ! मम्मी अब झड़ रही है
सुधीर ने अबमुझे बदस्तूर चोदना चालू किया। अपने ताकतवर शरीर का भार कोहनी पर टेक कर अपने कुल्हे आगे पीछे चलाने लगा, पहले तो साधारण गति में और फिर जैसे-जैसे मेरी चूत के तरल मादा-द्रवों से लंड और चूत का संगम स्थल चिकना होता चला गया, तो अधिक गति से।
। सुधीर अपने लंड को दनादन बलपूर्वक अंदर मेरी चूत में मारता और बाहर खिंचता। सुधीर की सैक्स-क्रीड़ा में वो ऊर्जा थी की में सिसकियाँ लेने लगीं - मालूम नहीं मारे लज्जा के या मारे आनन्द के। जगली बिल्लि जैसे पंजों से बिस्तर की चादर को मुट्ठी में भिंचने लगीं। अपने चूतड़ों को ऊपर उठा कर सुधीर के लंड के हर बलशाली झटके को उतने ही प्रबल ममता भाव से ग्रहण करतीं। में उन्माद से सर को पीट रहीं थीं चिल्ला रही थी दर्द भी हो रहा है.......मीठा सा एहसास भी.......अहह....मन तो कर रहा है इस लॅंड को पूरी जिंदगी अपने अंदर लेकर लेटि रहूं .......अहह........ सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स............... अब तोड़ा ज़ोर से करो ना.......अहह.... मुझे झटके मारो......जैसा ब्लू फ़िल्मो मे होता है..में चिल्ला रही थी
हाय हाय फट गई मेरी ! फाड़ दी मेरी चूत ! आह अह चोद साले ! मुझे चोद दिलभर के चोद ! चाहे फट जाए ! सुधीर मेरे अंगूर चूस ! इनको दबा ! इनका रस पी ! मुझे तृप्ति दे दो मिल कर ! मेरी प्यास बुझा दो राजा !
चूत की बाहरी संवेदनशील त्वचा पर सुधीर के मोटे लंड की घर्ष क्रिया से उत्पन्न अनुभूतियों में मेरा सर झूम रहा था। गाँड तो ऐसे चक्कर मार रही थी जैसे गन्ने का रस निकालने वालि मशीन। अपने उन्माद में मुझे इस बात का बिल्कुल खयाल नहीं था कि सुधीर उनकी काम-क्रीड़ा में सहभागी है।
* मादरचोद सुधीर माँ का दूध पिया है तो चोद अपने काले मोटे लन्ड से मॉम की चूत !”तुम्हारा यह बहुत बड़ा है.....बहुत मोटा है.......लंबा भी खूब है......" मेने दाँत भींचते हुए नागिन सा फुफकारा।।
कराहते और हुंकारते हुए मेने अपनी टांगें ऊपर को उठा कर अपने घुटने छाती से लगाये और सुधीर के लोड़े
से अपने जननांगों के संगम स्थल को और तंग भींच दिया। मुझे पता था स्त्री जब अपनी टांगें ऊपर को उठा कर घुटनों को स्तनों पर भींचती है तो चूत सबसे अधिक फैली होती है। चूत के अति संवेदनशील शिरा भाग के पुरुष की हड्डी के ऐन नीचे होने से स्त्री को भी अत्यंत आनन्द मिलता है। सुधीर के झूलते उदर का सीधा प्रहार उसकी टंगों के द्वारा अब मेरी छाती पर हो रहा था हाँफ़ते हुए में सुधीर से बोली
“कुतिया की औलाद! चोद अपनी माँ का भोंसड़ा! देखें कितना जोर है !” “साले पिल्ले अपनी छाती से तुझे दूध पिलाया था इसी दिन के लिये !” आज तेरे टट्टे नहीं सुखा दिये तो कुत्ते का सड़का पियूँगी !” हरामजादे एक सैकन्ड भी रुका तो गाँड फाड़ दूंगी।” बाहर क्या हिला रहा है ? और अंदर घुसा !” मादरचोद ।” उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह ! आउच! उन्घ्ह उन्ह उन्ह उन्ह उन्ह” ! देख तेरा बेटा तुझे चोद रहा है!”
मॉम ! मेरा लन्ड आपकी चूत में बहने वाला है !”सुधीर बोला * इंह आह ! इंह आह्ह! इंह आह !” ऊह्ह्ह! सुधीर बेटा! उडेल दे अपने टट्टों का तेल मेरी चूत में! मेरी चूत तेरे गरम वीर्य की प्यासी है! बस बेटा ऐसे ही! अब झड़ने ही वाली हूं! और जोर से! ओह मादरचोद !” अपने बुरी तरह से चुदती हुई चूत की गहराईयों से अगले ऑरगैसम की उमड़ती गर्माहट ने मेरे होंठों से एक सिसकी निकाल दी थी। बेटे के चेहरे की तरफ़ पलके फड़का कर जब मेने अपनी आँखें खोली तो पाया कि सुधीर की भी आँखों में वैस ही शुरूर था। जाहिर था कि वो भी अब झड़ने ही वाला था।
“ऊउंह! चोद! ओओओओ, चोद डाल मॉम को! हाय ! मैं छूटने वाली हूँ ! तेज़ी से कर ! ओह्ह्ह गॉडडडडड........ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्............पेलो......कस कस कर अपना लण्ड पेलो। ऊऊफ़्फ़फ़्फ़ ऐसे ही चुदवाने के लिए में तड़फती थी। और ज़ोर से......और ज़ोर से......हाययययययय......ऊउन्ननगहह्ह्ह् मेरी चूत.....मेरी चूत......चोदो मुझेमैं तो झड़ी !” में चीखीं। काम -संतुष्टी की लहरें मेरी धमकती ऐंठती चूत के हिरोबिन्दु से बाहर पुरे बदन पर उमड़-उमड़ कर फैल रहीं थीं।
मेरी वासना भरी बेशरम चीखें सुन कर सुधीर और अधिक उतावला हुआ और मुझे और बल से चोदने लगा। उसके कूल्हे दे पटक पटक ऊपर-नीचे हरकत कर रहे थे। । काम क्रीड़ा के परमानन्द के अन्तिम पलों में मेरा पूरा बदन थरथरा उठा।
अपनी वासना लिप्त माँ के मादा जानवर जैसे ऐंठते तन को देख कर सुधीर के सब्र का बाँध टूट पड़ा। हाँफ़ता हुआ, साँड सा हुंकारता हुआ, अपने सर को पिच्छे कि तरफ़ फेंकता हुआ अपने गरम, खौलते वीर्य की लबालब बौछारें माँ कि योनि की गहराईयों मे उडेलने लगा। पुत्र के वीर्य की फुहार ने मेरी चूत में उन्माद की कईं फड़कती थरथराहटें पैदा कर दी। चूत के जकड़ाव - फैलाव की तीव्रता और बढ़ गई। वीर्य स्खलन के आवेग में सुधीर के हाथ ने मेरे दोनों बोबों को पकड़ लिया और उनकी मसला-मसली शुरू कर दी. मेरी गांड में उसकी झांटों के बल चुभ रहे थे जो मेरी गांड को अनूठा मजा दे रहे थे. मेरी चूत अब वीर्य को तरस रही थी ,मैंने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और उत्तेजनावश जोर-जोर से चिल्लाने लगी- छोड़, मादरचोद छोड़! अब अपना पानी छोड! अब मत तरसा! मत तरसा मादरचोद! जो तू कहेगा वो ही मैं करूँगी! अपनी सब सहेलियों की चूत में तेरा लौड़ा डलवाऊँगी, तेरे लौड़े की हमेशा पूजा करूँगी! तू जब कहेगा तेरा लौड़ा खाने आ जाऊँगी!साथ हीसुधीर अपने पौरुष के पिघलते मलाईदार वीर्य से मेरी चूत को लबालब भर दिया । कितना उत्तेजक था यह कृत्य! जैसे ही सुधीर के -वीर्य की पहली बौछार का अनुभव हुआ मेने सुधीर के फौव्वारे से लण्ड को कस के भींच लिया था, मेरे जवान बेटे के उपजाऊ वीर्य की एक भी बूंद व्यर्थ न हो जाए। बेटे सुधीर को और उकसाते हुए में बोलीं
* शाबाश बेटा सुधीर ! उडेल दे सारा जूस मम्मी की गरम चूत में !” ।
हरामी कैसे चूस चूस कर निप्पल से दूध पीता था! अब वैसे ही तेरे लन्ड को निचोड़ दूगी !” ऐसे ही! चोद मुझे ! रहम मेरे खुदा! कस के चोद! मैं तेरी गुनहगार हूं! लगा के चोद !”
सूअर ! दम नहीं क्या लन्ड में ? ! मेरी चूत इतनी ढीली नहीं! तेरा लन्ड थक जायेगा बहनचोद ! रुका क्यों ? टट्टे सूख गये क्या !” ।
देखें कितने लीटर स्टोर कर रखा था टट्टों में !” * मेरी कोख़ लबालब कर दे मेरे लाल !”और सुधीर ने 2 -3 धक्के जोर से लगाए और कहा बहन की लौड़ी, अब से तू मेरी कुतिया है !फिर
मेरी चूत को लबालब अपने वीर्य से भर दी
सुधीर मुझसे चिपक कर लेता हुआ था और में फिर से सोच रही थी की अगर होटल में उस रात लाइट नहीं जाती तो ये सुख मुझको नहीं मिलता