dil_he_dil_main
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Haath kapenge hi ...# 31 .
“यह तुम बार-बार अपने किस काम की बात करते हो ?“ जेनिथ ने कहा।
“मैं यह बात तुम्हें अभी नहीं बता सकता, पर समय आने पर तुम्हें खुद-बा-खुद पता चल जाएगा।“ तौफीक की आंखों में, इस बार कठोरता के भाव थे।
“तौफीक.......!“ जेनिथ के इन शब्दों में थोड़ी थिरकन थी- “जाने क्यों आज मुझे बहुत डर लग रहा है?“
“डर......! डर किस बात का ?“ यह कहते हुए तौफीक ने, धीरे से जेनिथ के दाहिने हाथ को, अपने दोनों हाथों में ले लिया और प्यार से उसे सहलाते हुए बोला-
“मैं हूं ना तुम्हारे साथ। फिर भला तुम क्यों डरती हो ? और अगर कभी ज्यादा डर लगे, तो मेरा नाम अपने मन में तीन बार दोहराना, सारा डर अपने आप खत्म हो जाएगा।“
“वो.....कैसे भला ?“ जेनिथ ने तौफीक की आंखों में आंखें डालते हुए पूछा।
“मैं जब बहुत छोटा था। तभी मेरे अब्बा गुजर गए थे। फिर भी उनकी कुछ बातें मुझे आज भी याद हैं।“ तौफीक ने अतीत के समुंदर में छलांग लगाते हुए कहा-
“जब कभी मैं डर जाया करता था, तो मेरे अब्बा मुझे मेरा ही नाम तीन बार पुकारने को कहते थे। क्यों कि यह नाम अब्बा का ही रखा हुआ था। वो कहते थे कि तौफीक नाम का अर्थ उर्दू में बहादुर होता है और वास्तव में जब मैं अपना नाम पुकारता था, तो मेरा डर बिल्कुल खत्म हो जाता था।“
यह सुनकर जेनिथ ने धीरे से आंख बंद कर लिया।
“क्या हुआ?“ तौफीक ने जेनिथ को देखते हुए कहा।
“कुछ नहीं। मन में तुम्हारा नाम ले रही हूं।“ यह कहकर जेनिथ धीरे से तौफीक की ओर थोड़ा और खिसक गई।
“तौफीक, क्या आज मेरी एक इच्छा पूरी करोगे? जेनिथ के शब्दों में ख्वाहिश साफ झलक रही थी।
“क्या ?“ तौफीक ने पूछा।
“मुझे एक बार अपनी बाहों में भर लो।“
तौफीक अब लगातार जेनिथ की आंखों में देख रहा था। जहां उसे प्यार का अथाह सागर अठखेलियां करता हुआ साफ नजर आ रहा था।
“पता नहीं कब मौत का बुलावा आ जाए? क्या तुम इसे मेरी आखिरी इच्छा समझकर पूरी नहीं कर सकते?“ जेनिथ की आवाज में दुनिया भर का दर्द समाया हुआ था।
तौफीक कुछ देर सोचता रहा और फिर अपने दोनो बाजू किसी परिंदे के समान फैला दिये। जेनिथ किसी नन्हीं कली की तरह उसके बाजुओं में समा गयी। खुशी के मारे उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि मानो इस एक पल में, उसे दुनिया की सारी खुशियां मिल गई हों। एक नन्ही कली शाख से इस तरह चिपक गयी, मानो कोई उसे तोड़ ले जाना चाहता हो। लेकिन उसे स्वयं नहीं पता था कि वह खुद टूट कर बिखर रही है। वह तो जैसे इस बिखरते हुए एक पल में अपनी पूरी जिंदगी जी लेना चाहती थी।
3 जनवरी 2002, गुरुवार, 14:20;
ऐलेक्स गुमसुम सा डेक के एक कोने पर बैठा था। कभी वह अपनी इस बकवास सी जिंदगी के बारे में सोच रहा था। तो कभी उसे क्रिस्टी का भी ख्याल आ जाता था। लेकिन क्रिस्टी का अब वह अपनी सोचों से निकालकर फेंक देना चाहता था। ऐलेक्स को अब मालूम हो गया था कि क्रिस्टी एक ऐसा आसमान पर चमकता हुआ सितारा है, जिसे वह देख तो सकता है, पर चाहकर भी छू नहीं सकता।
लॉरेन के बारे में सोच-सोच कर उसे गुस्सा आ रहा था कि आखिर उसने लॉरेन की बात क्यों मानी ? उसी के कारण क्रिस्टी और नाराज हो गई। इन्हीं विचारों में गुम वह बैठा था। तभी एक वेटर एक खूबसूरत सा लाल रंग का गुलाब का फूल लेकर आया और ऐलेक्स की तरफ बढ़ाते हुए बोला-
“दिस इज फॉर यू मिस्टर ऐलेक्स।“
ऐलेक्स ने ना समझते हुए भी फूल को हाथों में ले लिया। ऐलेक्स ने पहले इधर-उधर देखा पर उसे दूर-दूर तक कोई ऐसा नहीं दिखाई दिया, जिसने कि उसे फूल भिजवाया हो। अब उसकी नजर फूल पर पड़ी। वह एक ताजा अधखिली कली थी, जिसकी 6 इंच लम्बी डंडी में दो छोटे-छोटे पत्ते भी लगे हुए थे।
ध्यान से देखने पर ऐलेक्स को यह महसूस हुआ कि पत्तों पर कुछ लिखा है? वह फूल को अपने चेहरे के और पास लाकर, पत्ती पर लिखी लिखावट को पढ़ने की कोशिश करने लगा।
दोनो ही पत्तियों पर ‘सॉरी ‘ लिखा हुआ था। “सॉरी !“ वह होंठों ही होठों में बुदबुदाया- “यह मुझे सॉरी कहने वाला यहां पर कौन आ गया ? ....... कहीं क्रिस्टी तो नहीं ? ... ....नहीं.....नहीं, क्रिस्टी नहीं हो सकती। वह भला मुझे सॉरी क्यों बोलेगी ? फिर...... कौन हो सकता है?“
अभी ऐलेक्स अपने विचारों में ही उलझा हुआ था कि तभी एक मधुर स्वर लहरी वातावरण में गूंज उठी।
“क्या मैं यहां बैठ सकती हूं?“ ऐलेक्स ने आवाज को सुन अपना सिर ऊपर उठाया।
पिंक कलर की चुस्त टी.शर्ट और ब्लैक जींस पहने जो सुंदरता की मूरत खड़ी थी, वह यकीनन क्रिस्टी ही थी, ऐलेक्स को एक बार तो जैसे यकीन ही नहीं हुआ कि वह जाग रहा है या सपना देख रहा है। ऐलेक्स को कुछ सोचता हुआ देख, क्रिस्टी ने पुनः मुस्कुराते हुए पूछ लिया-
“क्या मैं यहां बैठ सकती हूं?“
“यस.... यस..... व्हाई नाट?“ ऐलेक्स ने घबरा कर कहा।
क्रिस्टी सामने वाली कुर्सी पर बैठ गयी। उसे इतना पास में बैठते देख ऐलेक्स घबराहट के मारे खड़ा हो गया।
“क्या आप कहीं जा रहे हैं?“ क्रिस्टी ने ऐलेक्स को खड़ा होते देख पूछ लिया।
“जी..... नहीं तो !“ ऐलेक्स अभी भी सामान्य नहीं हो पाया था।
“तो फिर आप खड़े क्यों हो गये? बैठिए ना।“ क्रिस्टी ने इठलाते हुए ऐलेक्स की घबराहट का मजा लिया।
“जी..... जी हां !“ यह कहकर ऐलेक्स धीरे से अपनी कुर्सी पर बैठ गया।
पर घबराहट अभी भी पूरी तरह से उसके ऊपर हावी थी ।जिसके कारण उसके हाथ कांप रहे थे।
क्रिस्टी ने धीरे से अपना हाथ बढ़ाकर, ऐलेक्स का कांपता हुआ हाथ, अपने हाथों में ले लिया।
“क्या बात है? आपके हाथ क्यों कांप रहे हैं? आपकी तबियत तो ठीक है ना ?“ क्रिस्टी के होंठों से निकलते हर एक शब्द में शोखी झलक रही थी।
“जी.... हां..... तबियत तो बिल्कुल ठीक है।“ क्रिस्टी के हाथ रखने पर ऐलेक्स के हाथों का कांपना और बढ़ गया- “बस......वो थोड़ी ठंडक आज ज्यादा है ना इसीलिए।“
“आपको मेरा भेजा हुआ फूल कैसा लगा ?“ क्रिस्टी ने टॉपिक चेंज करते हुए कहा।
“जी....... अच्छा था ।“ ऐलेक्स के मुंह से बड़ी मुश्किल से बोल फूट रहे थे।
ऐलेक्स इस तरह बार-बार इधर-उधर देख रहा था, जैसे किसी चोर को कोहिनूर के पास बैठा दिया गया हो।
“फूल के पत्तियों पर कुछ लिखा भी हुआ था ? आपने वह पढ़ा कि नहीं?“ क्रिस्टी ने बड़ी शाइस्तगी से फुसफुसा कर कहा।
“जी.... पढ़ा।“ ऐलेक्स ने जवाब दिया।
“मैं आपसे माफी मांगती हूं। कल सबके सामने मैंने आपका नाम ले लिया। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।“ कहते कहते झुककर क्रिस्टी ऐलेक्स के काफी पास आ गई।
“क....क......कोई बात नहीं। आपने फि...र मुझे बचा भी .....तो लिया था।“
क्रिस्टी को इतना पास देखकर अब ऐलेक्स के दिल की धड़कन बहुत तेज हो गई।
“तो क्या आपने मुझे माफ कर दिया?“ क्रिस्टी अब ऐलेक्स के और पास आ गई।
“ज....जी.....जी हाँ।“ ऐलेक्स ने घबरा कर अपनी कुर्सी को थोड़ा पीछे की ओर झुकाया।
“वैसे मुझे आपसे एक बात और करनी थी।“ क्रिस्टी ने सस्पेंस भरे स्वर में फुसफुसा कर कहा।
“क्....क्या ?“
क्रिस्टी का चेहरा अब बिल्कुल ऐलेक्स के चेहरे के पास था।
ऐलेक्स लगातार अपनी कुर्सी पीछे झुकाता जा रहा था। तभी एक झटके से आगे बढ़कर क्रिस्टी ने ऐलेक्स के होंठों को चूम लिया।
“आई लव यू!“
घबराहट की अधिकता के कारण ऐलेक्स इतना पीछे हटा कि वह कुर्सी सहित वहीं जमीन पर ढेर हो गया। उधर क्रिस्टी अपने प्यार का इजहार कर तेजी से उठी और ऐलेक्स को गिरता देख, खिलखिलाती हुई, भागते कदमों से ऐलेक्स से दूर चली गई।
ऐलेक्स हक्का-बक्का सा वहीं गिरा पड़ा रहा। उसके कानों में क्रिस्टी की खिलखिलाहट गूंज रही थी।
“बड़ी______खतरनाक बला है।“ ऐलेक्स ने अपने माथे पर आये पसीने को धीरे से पोंछते हुए कहा।
जारी रहेगा.........
Or kristi darling alex ki ungli karne pe tuli hui hai, sochne wali baat ye hai ki kya wo uske maze le rahi hai? Ya sach me use chahne lagi hai? Comedy with romance maja aaya, awesome update tha Raj sir, gajab jaadui kalam