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लोथार के इस जवाब पर सुयश को उससे कुछ कहते ना बना अतः वह पुनः जेनिथ की तरफ मुड़कर बोला-
“क्या आप या लॉरेन सिगरेट पीती थीं ?“
“जी नहीं ।“ जेनिथ ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया।
“फिर तो यह सिगरेट का टुकड़ा जरुर उसी व्यक्ति का होगा, जिसने छिपकर रुम की तलाशी ली है।“ ब्रैंडन ने सुयश को देखते हुए धीमे स्वर में कहा।
सुयश ने ब्रैंडन की बात सुन धीरे से हाँ मे अपना सिर हिलाया और सिगरेट का वह टुकड़ा ब्रैंडन के हवाले करता हुआ ब ला-
“इसे भी लैब में भिजवा दो और इस पर से फिंगर प्रिंट उठाने की कोशिश करो। हो सकता है कि कातिल का को ई सुराग इस पर से भी मिल जाए।“ ब्रैंडन ने सिगरेट का वह टुकड़ा टिश्यू पेपर सहित ले लिया और अपनी जेब के हवाले कर दिया। अब सभी जेनिथ के रुम से बाहर आ गये।
“एक बात बताइये कैप्टेन कि लॉरेन की लाश तो चलिए उसके बॉयफ्रेंड या कातिल जो भी हो, वह ले गया। लेकिन जो गार्ड की लाश अभी तुरंत रखी गई थी, वह कहां चली गई? और इतनी जल्दी उसे कौन ले गया ?“ तौफीक ने सुयश से सवाल किया।
तौफीक की बातों में दम था। सुयश सहित अब सभी सस्पेंस के झूले में झूलने लगे।
“लगता है एक बार फिर स्टोर रूम में चलना पड़ेगा।“ सुयश ने जवाब दिया। एक बार फिर सभी स्टोर रूम की तरफ चल दिए।
“गार्ड की लाश कहां रखी थी ?“ सुयश ने स्टोर रुम में प्रवेश करते हुए, दोनों गार्डों से मुखातिब होते हुए कहा।
दोनों गार्डों ने डरते-डरते एक दिशा की ओर इशारा कर दिया। सुयश पहले तो उस स्थान को ध्यान से देखता रहा फिर उसने ब्रूनो को वहां सूंघने का इशारा किया। ब्रूनो धीरे-धीरे आगे बढ़ा और उस जगह को सूंघने लगा, जहां सुयश ने इशारा किया था। ब्रूनो ने कई बार जमीन को सूंघा और फिर अपनी नाक को हवा में उठा कर कुछ सूंघने की कोशिश की। पर ऐसा लग रहा था, जैसे वह कुछ समझ ना पा रहा हो।
काफी देर सूंघने के बाद ब्रूनो धीरे-धीरे एक दिशा की ओर बढ़ा और स्टोर रुम में मौजूद लगभग 4 फुट ऊंचे लगी, एक खिड़की की ओर मुंह करके भौंकने लगा।
“इसका क्या मतलब हुआ?“ सुयश ने ना समझ में आने वाले लहजे में कहा- “यह खिड़की तो समुद्र की ओर खुलती है।“
“शायद किसी ने गार्ड की लाश इस खिड़की से समुद्र की ओर फेंकी है?“ असलम ने जवाब दिया।
सुयश ने धीरे से उस खिड़की के दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया। दरवाजा बिना आवाज किए समुद्र की ओर खुल गया। एकदम से आदमी को गला देने वाली ठंडी हवा का झोंका तेजी से अंदर आया। एक पल के लिए सभी सिहर से गये।
सुयश ने खिड़की के बाहर झांक कर देखा, लेकिन लहरों के सिवा उसे दूर-दूर तक कुछ ना दिखाई दिया। हाँ, ‘सुप्रीम’ के चलने से छिटक कर दूर होता हुआ, समुद्र का पानी जरूर आवाज कर रहा था। हर तरफ मौत की काली चादर के समान दहशत बिछी थी। कुछ देर तक देखते रहने के बाद सुयश उस खिड़की से दूर हट गया।
“कैप्टेन, यह खिड़की के नीचे पानी कैसा है?“ ऐलेक्स ने खिड़की के नीचे फर्श पर पड़े पानी की ओर इशारा करते हुए कहा। अब सभी का ध्यान नीचे पड़े पानी पर था।
“यह पानी तो समुद्र का है।“ अलबर्ट ने आगे बढ़कर पानी की एक बूंद को हाथों में लेकर देखते हुए कहा।
“आप क्या कहना चाहते हैं प्रोफेसर? कि कोई समुद्र से निकलकर इस खिड़की को खोल कर आया था और लाश को लेकर वापस समुद्र में चला गया ?“ असलम ने कहा।
“क्या बेवकूफी है? समुद्र की सतह यहां से लगभग 48 मीटर नीचे है। भला इतनी ऊंचाई तक बिना सहारे के कोई कैसे ऊपर आ सकता है?“ सुयश ने अजीब सी नजरों से असलम को देखते हुए कहा।
“तो फिर समुद्र का पानी यहां पर कैसे आया ?“ लारा ने कहा। लेकिन अब इसका जवाब किसी के पास नहीं था।
तभी अलबर्ट आगे बढ़ा और खिड़की के पास जा कर दूसरी ओर देखने लगा। थोड़ी देर देखने के बाद अलबर्ट ने अपने हाथ से, समुद्र की ओर से, खिड़की के कुछ नीचे हाथ लगाया और फिर अपना हाथ अंदर कर लिया। किसी के समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रहा है? पर सभी की निगाहें अब अलबर्ट पर ही थीं। अंदर आकर अलबर्ट ने अपने अंगूठे से, अपनी दोनों उंगलियों को रगड़ा। अब उसके हाथ में पानी की बूंदों के समान कुछ नमी थी। सभी का ध्यान अब कुछ इस तरह से अलबर्ट की ओर था, जैसे वो किसी रहस्य को खोलने जा रहा हो। और आखिरकार अलबर्ट ने अपना मुंह खोला-
“बात कुछ समझ में नहीं आती, पर मेरे हाथों में लगी नमी यह साबित करती है कि कोई ना कोई समुद्र के अंदर से होकर खिड़की के रास्ते अवश्य आया था।“
“पर गार्ड की लाश को छोड़कर और दोबारा स्टोर रूम में आने में बामुश्किल 5 मिनट का समय लगा था। इस 5 मिनट में कौन इतनी तेजी से 48 मीटर चढ़कर लाश ले जा सकता है। ऐसा तो कोई जानवर भी नहीं कर सकता और वह भी तब, जबकि शिप अपनी पूरी स्पीड से चल रहा है।“ सुयश ने अपने दिमाग की सारी नसों पर जोर डालते हुए कहा।
कुछ देर किसी के मुंह से कुछ नहीं निकला। स्टोर रुम में एक सन्नाटा सा छा गया।
“यह भी तो हो सकता है कि जब गार्ड यहां लाश छोड़ने आये, उस समय कोई स्टोर रूम में पहले से ही रहा हो। और जब ये घबरा कर यहां से भागे हों तो उसने गार्ड की लाश खिड़की से पानी में फेंक दी हो या फिर स्वयं लेकर पानी में कूद गया हो।“ लोथार जो कि बहुत देर से चुप था, बोल उठा।
“हो सकता है कि कुछ ऐसा ही हुआ हो ?“ सुयश ने सिर पर पहनी कैप को उतार, बालों में हाथ से कंघी करते हुए कहा- “लेकिन फिर यह समुद्र का पानी खिड़की के नीचे कैसे आ गया और गार्ड की लाश का भला किसी को क्या काम?“
“यह भी हो सकता है कि लॉरेन का कातिल इस पूरे घटना क्रम को सुपरनेचुरल प्रॉब्लम शो करना चाहता हो, इसलिए उसने पहले जानबूझकर समुद्र का पानी खिड़की के नीचे बिखेर दिया हो। जिससे हमारा ध्यान गलत दिशा में लग जाए। और जानबूझकर गार्ड की लाश गायब की हो। जिससे हम लोग इसे सीरियल किलर या किसी जानवर का कारनामा समझें।“ अलबर्ट ने एक नया तथ्य पेश किया।
“हूं.......ऐसा हो सकता है।“ सुयश ने सिर हिलाते हुए कहा - “इसका मतलब है, कि हो सकता है कि वह हरा कीड़ा भी कोई अपने साथ दहशत फैलाने के लिए लाया हो। .. ........अब हम लोगों को आगे घटने वाली किसी भी घटना को सुपरनेचुरल ना मानकर एक मानवीय घटना माननी चाहिए और उसी हिसाब से समस्या को देखना चाहिए।“
किसी के पास अब बहस करने के लिए कुछ ना बचा था। पूरी रात बहस और सुराग ढूंढने में चली गई थी। इस समय सुबह का लगभग 9:00 बज चुका था। सभी रात भर के थके थे इसलिए अब सुयश ने सभी को अपने-अपने कमरों में जाने के लिए कह दिया।
जाते-जाते सबको हिदायत दे दी गई कि वह लोग तब तक सावधान रहें, जब तक कि उन्हें कोई किनारा ना मिल जाए।
3 जनवरी 2002, गुरुवार, 11:00; सूर्य की किरणें धीरे-धीरे सागर की लहरों पर तैरती हुई आगे बढीं और
“सुप्रीम” का एक हल्का सा चुंबन ले उसे अपने आगोश में समेट लिया ।।
एक सुबह हो गयी थी। जो रात भर के सोए थे, वह सभी जाग गये थे और जो रात भर के जागे थे, वह नींद के आगोश में चले गये थे।
‘सुप्रीम’ अपनी अंजानी डगर पर हौले-हौले चला जा रहा था। ना तो अब उसे मंजिल का पता था और ना ही दूरी का।
धीरे-धीरे अब शिप के सभी लोगों को पता चल गया था कि इस रहस्यमय क्षेत्र से बचकर निकलना मुश्किल है। सभी आपस में अटकलें लगा रहे थे कि अगली मुसीबत किस पर आयेगी ? और किस तरह की होगी ? सुप्रीम की भांति सूर्य भी अपने सफर पर चला जा रहा था, फर्क था तो सिर्फ इतना कि सूर्य को अपनी मंजिल का पता था जबकि सुप्रीम को अपनी मंजिल का कोई पता नहीं था।
सुप्रीम बिल्कुल एक अन्जाने सफर पर था। सुबह अब दोपहर में बदल चुकी थी। सुबह के सोए हुए लोग भी उठ चुके थे।
“तौफीक! तुम्हारा क्या ख्याल है? जेनिथ ने तौफीक की ओर देखते हुए कहा- “इन सब मुसीबतों के पीछे क्या कारण हो सकता है?“
“कुछ पक्के तौर पर कह नहीं सकता।“ तौफीक भी सोफे पर जेनिथ के बगल में बैठता हुआ बोला- “वैसे भी इस बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमय क्षेत्र में जो ना हो जाए वह कम है।“
“तुम तो आर्मी में रह चुके हो और पापा कहते हैं कि आर्मी के लोग बहुत ही कठिन परिस्थितियों का भी बहादुरी से डटकर सामना करते हैं। क्या तुम्हें कभी ऐसा एहसास हुआ कि अगले किसी भी क्षण में हम लोगों की मौत भी हो सकती है?“ जेनिथ ने अपना चेहरा, तौफीक के चेहरे के पास लाते हुए कहा।
“मौत और हमारा तो चोली दामन का साथ है। पर यहां पर अफसोस यही है कि हमें दुश्मन का पता नहीं है। यानि कि हम मर तो सकते हैं, पर दुश्मन को मार नहीं सकते।“ तौफीक के शब्दों में निराशा के भाव झलके।
“वैसे तुम्हें क्या लगता है कि हम बचकर अपनी सभ्यता तक वापस पहुंच पायेंगे? क्या हमारे प्यार को दुनिया वाले नहीं देख पाएंगे?“ इस बार जेनिथ के शब्दों में हसरत की एक झलक साफ दिखाई दी।
“पता नहीं, पर मौत से पहले जो जिंदगी से हार गया, उसे डरपोक कहा जाता है। हम अंतिम दम तक इस ना दिखने वाली मौत से लड़ेंगे और वैसे भी मैं अपना काम खत्म किए बिना, इस दुनिया से नहीं जाने वाला।“ तौफीक ने रोष में आते हुए कहा।
Lagta hai ye murder mystery sabke suspense ko ghatayega nahi balki aur badhata hi ja raha hai.
Jenith haye iske kya hi kahne yahan itni badi musibat mein use apne pyar ki padi hai ki duniya wale uske pyar ko dekhe.
Ek conclusion nikala ja chuka hai ki ship mein jo bhi ho raha hai sab kisi human ka kaam hai par sach kahun to mujhe kuchh samajh nahi aa raha hai philhal ye kiska kaam lag raha hai.
“यह तुम बार-बार अपने किस काम की बात करते हो ?“ जेनिथ ने कहा।
“मैं यह बात तुम्हें अभी नहीं बता सकता, पर समय आने पर तुम्हें खुद-बा-खुद पता चल जाएगा।“ तौफीक की आंखों में, इस बार कठोरता के भाव थे।
“तौफीक.......!“ जेनिथ के इन शब्दों में थोड़ी थिरकन थी- “जाने क्यों आज मुझे बहुत डर लग रहा है?“
“डर......! डर किस बात का ?“ यह कहते हुए तौफीक ने, धीरे से जेनिथ के दाहिने हाथ को, अपने दोनों हाथों में ले लिया और प्यार से उसे सहलाते हुए बोला-
“मैं हूं ना तुम्हारे साथ। फिर भला तुम क्यों डरती हो ? और अगर कभी ज्यादा डर लगे, तो मेरा नाम अपने मन में तीन बार दोहराना, सारा डर अपने आप खत्म हो जाएगा।“
“वो.....कैसे भला ?“ जेनिथ ने तौफीक की आंखों में आंखें डालते हुए पूछा।
“मैं जब बहुत छोटा था। तभी मेरे अब्बा गुजर गए थे। फिर भी उनकी कुछ बातें मुझे आज भी याद हैं।“ तौफीक ने अतीत के समुंदर में छलांग लगाते हुए कहा-
“जब कभी मैं डर जाया करता था, तो मेरे अब्बा मुझे मेरा ही नाम तीन बार पुकारने को कहते थे। क्यों कि यह नाम अब्बा का ही रखा हुआ था। वो कहते थे कि तौफीक नाम का अर्थ उर्दू में बहादुर होता है और वास्तव में जब मैं अपना नाम पुकारता था, तो मेरा डर बिल्कुल खत्म हो जाता था।“
यह सुनकर जेनिथ ने धीरे से आंख बंद कर लिया।
“क्या हुआ?“ तौफीक ने जेनिथ को देखते हुए कहा।
“कुछ नहीं। मन में तुम्हारा नाम ले रही हूं।“ यह कहकर जेनिथ धीरे से तौफीक की ओर थोड़ा और खिसक गई।
“तौफीक, क्या आज मेरी एक इच्छा पूरी करोगे? जेनिथ के शब्दों में ख्वाहिश साफ झलक रही थी।
“क्या ?“ तौफीक ने पूछा।
“मुझे एक बार अपनी बाहों में भर लो।“
तौफीक अब लगातार जेनिथ की आंखों में देख रहा था। जहां उसे प्यार का अथाह सागर अठखेलियां करता हुआ साफ नजर आ रहा था।
“पता नहीं कब मौत का बुलावा आ जाए? क्या तुम इसे मेरी आखिरी इच्छा समझकर पूरी नहीं कर सकते?“ जेनिथ की आवाज में दुनिया भर का दर्द समाया हुआ था।
तौफीक कुछ देर सोचता रहा और फिर अपने दोनो बाजू किसी परिंदे के समान फैला दिये। जेनिथ किसी नन्हीं कली की तरह उसके बाजुओं में समा गयी। खुशी के मारे उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि मानो इस एक पल में, उसे दुनिया की सारी खुशियां मिल गई हों। एक नन्ही कली शाख से इस तरह चिपक गयी, मानो कोई उसे तोड़ ले जाना चाहता हो। लेकिन उसे स्वयं नहीं पता था कि वह खुद टूट कर बिखर रही है। वह तो जैसे इस बिखरते हुए एक पल में अपनी पूरी जिंदगी जी लेना चाहती थी।
3 जनवरी 2002, गुरुवार, 14:20;
ऐलेक्स गुमसुम सा डेक के एक कोने पर बैठा था। कभी वह अपनी इस बकवास सी जिंदगी के बारे में सोच रहा था। तो कभी उसे क्रिस्टी का भी ख्याल आ जाता था। लेकिन क्रिस्टी का अब वह अपनी सोचों से निकालकर फेंक देना चाहता था। ऐलेक्स को अब मालूम हो गया था कि क्रिस्टी एक ऐसा आसमान पर चमकता हुआ सितारा है, जिसे वह देख तो सकता है, पर चाहकर भी छू नहीं सकता।
लॉरेन के बारे में सोच-सोच कर उसे गुस्सा आ रहा था कि आखिर उसने लॉरेन की बात क्यों मानी ? उसी के कारण क्रिस्टी और नाराज हो गई। इन्हीं विचारों में गुम वह बैठा था। तभी एक वेटर एक खूबसूरत सा लाल रंग का गुलाब का फूल लेकर आया और ऐलेक्स की तरफ बढ़ाते हुए बोला-
“दिस इज फॉर यू मिस्टर ऐलेक्स।“
ऐलेक्स ने ना समझते हुए भी फूल को हाथों में ले लिया। ऐलेक्स ने पहले इधर-उधर देखा पर उसे दूर-दूर तक कोई ऐसा नहीं दिखाई दिया, जिसने कि उसे फूल भिजवाया हो। अब उसकी नजर फूल पर पड़ी। वह एक ताजा अधखिली कली थी, जिसकी 6 इंच लम्बी डंडी में दो छोटे-छोटे पत्ते भी लगे हुए थे।
ध्यान से देखने पर ऐलेक्स को यह महसूस हुआ कि पत्तों पर कुछ लिखा है? वह फूल को अपने चेहरे के और पास लाकर, पत्ती पर लिखी लिखावट को पढ़ने की कोशिश करने लगा।
दोनो ही पत्तियों पर ‘सॉरी ‘ लिखा हुआ था। “सॉरी !“ वह होंठों ही होठों में बुदबुदाया- “यह मुझे सॉरी कहने वाला यहां पर कौन आ गया ? ....... कहीं क्रिस्टी तो नहीं ? ... ....नहीं.....नहीं, क्रिस्टी नहीं हो सकती। वह भला मुझे सॉरी क्यों बोलेगी ? फिर...... कौन हो सकता है?“
अभी ऐलेक्स अपने विचारों में ही उलझा हुआ था कि तभी एक मधुर स्वर लहरी वातावरण में गूंज उठी।
“क्या मैं यहां बैठ सकती हूं?“ ऐलेक्स ने आवाज को सुन अपना सिर ऊपर उठाया।
पिंक कलर की चुस्त टी.शर्ट और ब्लैक जींस पहने जो सुंदरता की मूरत खड़ी थी, वह यकीनन क्रिस्टी ही थी, ऐलेक्स को एक बार तो जैसे यकीन ही नहीं हुआ कि वह जाग रहा है या सपना देख रहा है। ऐलेक्स को कुछ सोचता हुआ देख, क्रिस्टी ने पुनः मुस्कुराते हुए पूछ लिया-
“क्या मैं यहां बैठ सकती हूं?“
“यस.... यस..... व्हाई नाट?“ ऐलेक्स ने घबरा कर कहा।
क्रिस्टी सामने वाली कुर्सी पर बैठ गयी। उसे इतना पास में बैठते देख ऐलेक्स घबराहट के मारे खड़ा हो गया।
“क्या आप कहीं जा रहे हैं?“ क्रिस्टी ने ऐलेक्स को खड़ा होते देख पूछ लिया।
“जी..... नहीं तो !“ ऐलेक्स अभी भी सामान्य नहीं हो पाया था।
“तो फिर आप खड़े क्यों हो गये? बैठिए ना।“ क्रिस्टी ने इठलाते हुए ऐलेक्स की घबराहट का मजा लिया।
“जी..... जी हां !“ यह कहकर ऐलेक्स धीरे से अपनी कुर्सी पर बैठ गया।
पर घबराहट अभी भी पूरी तरह से उसके ऊपर हावी थी ।जिसके कारण उसके हाथ कांप रहे थे।
क्रिस्टी ने धीरे से अपना हाथ बढ़ाकर, ऐलेक्स का कांपता हुआ हाथ, अपने हाथों में ले लिया।
“क्या बात है? आपके हाथ क्यों कांप रहे हैं? आपकी तबियत तो ठीक है ना ?“ क्रिस्टी के होंठों से निकलते हर एक शब्द में शोखी झलक रही थी।
“जी.... हां..... तबियत तो बिल्कुल ठीक है।“ क्रिस्टी के हाथ रखने पर ऐलेक्स के हाथों का कांपना और बढ़ गया- “बस......वो थोड़ी ठंडक आज ज्यादा है ना इसीलिए।“
“आपको मेरा भेजा हुआ फूल कैसा लगा ?“ क्रिस्टी ने टॉपिक चेंज करते हुए कहा।
“जी....... अच्छा था ।“ ऐलेक्स के मुंह से बड़ी मुश्किल से बोल फूट रहे थे।
ऐलेक्स इस तरह बार-बार इधर-उधर देख रहा था, जैसे किसी चोर को कोहिनूर के पास बैठा दिया गया हो।
“फूल के पत्तियों पर कुछ लिखा भी हुआ था ? आपने वह पढ़ा कि नहीं?“ क्रिस्टी ने बड़ी शाइस्तगी से फुसफुसा कर कहा।
“जी.... पढ़ा।“ ऐलेक्स ने जवाब दिया।
“मैं आपसे माफी मांगती हूं। कल सबके सामने मैंने आपका नाम ले लिया। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।“ कहते कहते झुककर क्रिस्टी ऐलेक्स के काफी पास आ गई।
“क....क......कोई बात नहीं। आपने फि...र मुझे बचा भी .....तो लिया था।“
क्रिस्टी को इतना पास देखकर अब ऐलेक्स के दिल की धड़कन बहुत तेज हो गई।
“तो क्या आपने मुझे माफ कर दिया?“ क्रिस्टी अब ऐलेक्स के और पास आ गई।
“ज....जी.....जी हाँ।“ ऐलेक्स ने घबरा कर अपनी कुर्सी को थोड़ा पीछे की ओर झुकाया।
“वैसे मुझे आपसे एक बात और करनी थी।“ क्रिस्टी ने सस्पेंस भरे स्वर में फुसफुसा कर कहा।
“क्....क्या ?“
क्रिस्टी का चेहरा अब बिल्कुल ऐलेक्स के चेहरे के पास था।
ऐलेक्स लगातार अपनी कुर्सी पीछे झुकाता जा रहा था। तभी एक झटके से आगे बढ़कर क्रिस्टी ने ऐलेक्स के होंठों को चूम लिया।
“आई लव यू!“
घबराहट की अधिकता के कारण ऐलेक्स इतना पीछे हटा कि वह कुर्सी सहित वहीं जमीन पर ढेर हो गया। उधर क्रिस्टी अपने प्यार का इजहार कर तेजी से उठी और ऐलेक्स को गिरता देख, खिलखिलाती हुई, भागते कदमों से ऐलेक्स से दूर चली गई।
ऐलेक्स हक्का-बक्का सा वहीं गिरा पड़ा रहा। उसके कानों में क्रिस्टी की खिलखिलाहट गूंज रही थी।
“बड़ी______खतरनाक बला है।“ ऐलेक्स ने अपने माथे पर आये पसीने को धीरे से पोंछते हुए कहा।
Ye Cristy to badi shatir nikli ek hi baar mein sorry, phir pyar ka izhaar aur sath hi lips pe kiss bhi kar li.
Dono update mein thoda normal love scene aaya jo mood change karne ke liye thik raha warna ab tak sirf sawal aur clues hi dhunde ja rahe the.
# 32 .
चैपटर-10 3 जनवरी 2002, गुरुवार, 15:50; न्यूयॉर्क बंदरगाह, अमेरिका !
“स्मिथ......! ‘सुप्रीम’ का कुछ पता चला ?“ रॉबर्ट ने कुर्सी पर बैठे-बैठे पूछा- “आज उसे गायब हुए 3 दिन बीत गये हैं।“
“नो सर......सुप्रीम की कोई रिपोर्ट नहीं मिल रही है। अंतिम समय जब उससे संबंध स्थापित हुआ था तो वह बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमय क्षेत्र में क्षेत्र में लगभग 80 नॉटिकल माइल तक प्रवेश कर गया था। फिर अचानक ना जाने क्या हुआ कि हमारा उससे संपर्क टूट गया और वह भी अन्य जहाजों की तरह बारामूडा त्रिकोण के खतरनाक अंधेरों में खो गया।“ स्मिथ ने कहा।
“हमारे लिए सबसे बड़ी परेशानी यह है कि हमारे बहुत से वी.आई.पी. लोग भी उस शिप में हैं, जिनके गायब होने का मतलब पूरे विश्व में तहलका मच जाना है। हम कब तक आखिर ये खबर मीडिया से छिपाए रखेंगे। आज नहीं, तो कल उन्हें पता चल ही जाएगा। कुछ करना होगा स्मिथ......? कुछ करना होगा ? यह समस्या हमारे हाथ पर हाथ रखने से हल नहीं होगी।“
“यस सर, बिल्कुल सही कह रहे हैं आप। और वैसे भी शिप जैसे ही अगले स्टापेज पर नहीं पहुंचेगा। वहां से पूरी दुनिया को पता ही चल जायेगा, पर यह समझ में नहीं आया सर कि आखिर शिप के लोगों ने शिप को जानबूझकर गलत दिशा में क्यों मोड़ा ?“ स्मिथ ने दिमाग पर जोर डालते हुए कहा।
“तुम शायद भूल रहे हो स्मिथ कि इंटरपोल द्वारा हमें जो मैसेज मिला था। वह यह था कि जहाज पर कुछ अपराधी टाइप के व्यक्ति भी चढ़ गए हैं, जो शिप को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह भी तो हो सकता है कि उन अपराधियों ने शिप के कंट्रोल रूम पर कब्जा कर लिया हो और वही शिप को गलत दिशा में ले जा रहे हों।“ राबर्ट ने अपने विचार व्यक्त किये।
“सॉरी सर, लेकिन यह बात मेरी समझ में नहीं आती। क्यों कि यदि अपराधियों ने शिप पर कब्जा किया होता तो पहली बात तो वो उसे बारामूडा त्रिकोण जैसे खतरनाक क्षेत्र में नहीं ले जाते और दूसरी बात वह हमसे संपर्क स्थापित कर, अपनी कोई मांग मनवाने की कोशिश करते।“ स्मिथ ने तर्क देते हुए कहा।
लेकिन इससे पहले कि राबर्ट और कुछ कह पाता, एक जूनियर अधिकारी फिंच ने कमरे में प्रवेश किया। उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं।
“सर....सर.... वो..... वो.....!“ फिंच ने हकलाते हुए कहा।
“ये क्या वो...वो लगा रखा है?“ राबर्ट ने आने वाले को कसकर डांट लगाते हुए कहा- “साफ-साफ बताते क्यों नहीं ? क्या हुआ?“
“वो सर, एक आदमी बाहर खड़ा है और वह आपसे मिलने की जिद कर रहा है। कह रहा है कि आपसे कुछ विशेष बात करनी है?“ फिंच ने अपनी बात को घबराते हुए पूरा किया।
“तो इसमें इतना घबराने की क्या बात है? क्या नाम है उसका ?“ स्मिथ ने पूछा।
“सर.....वो अपना नाम असलम बता रहा है। कह रहा है कि वह “सुप्रीम” का सेकेंड असिस्टेंट कैप्टन है।“ फिंच ने शब्दों का बम फोड़ते हुए कहा।
“सांय.....सांय.....सांय।“ राबर्ट और स्मिथ को ऐसा लगा जैसे किसी ने उनके सिर पर बम फोड़ दिया हो।
“क्या...........?“ राबर्ट उछलकर अपनी सीट से खड़ा हो गया- “भेजो..... जल्दी भेजो उसे। ‘सुप्रीम’ खतरे में है।“
आदेश मिलते ही फिंच तुरंत बाहर की ओर भागा।
“ये कैसे हो सकता है स्मिथ? अगर ये असलम है तो सुप्रीम पर सेकेंड असिस्टेंट बन करके जो व्यक्ति गया है, वह कौन है?“
“पता नहीं सर.......पर जो भी है। मुझे सुप्रीम बहुत खतरे में महसूस हो रहा है।“
स्मिथ भी सस्पेंस के झूले में झूल रहा था। तभी फिंच एक व्यक्ति को लेकर अंदर दाखिल हुआ। आने वाले के बाल बिखरे हुए थे। दाढ़ी भी बढ़ी हुई थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसने पिछले 10 दिनों से दाढ़ी ना बनायी हो। उसके माथे पर एक सफेद पट्टी बंधी हुई थी।
“कौन हो तुम?“ राबर्ट की कड़कदार आवाज कमरे में गूंज उठी।
“मैं सुप्रीम का सेकेंड असिस्टेंट कैप्टन असलम हूं।“ आने वाले आगन्तुक ने जवाब दिया।
“झूठ बोल रहे हो तुम। असलम तो सुप्रीम के साथ सफर पर जा चुका है। तुम कोई बहरूपिये हो ?“ स्मिथ ने भी गहरी निगाहों से असलम को घूरते हुए कहा।
“मेरी बात का विश्वास मानिए, मैं ही असली असलम हूं। जो भी व्यक्ति सुप्रीम पर असलम बनकर गया है, वह बहुरुपिया है।“ असलम ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा।
“तुम्हारे पास कोई प्रूफ है कि तुम ही असलम हो।“ राबर्ट ने विचलित शब्दों में पूछा।
“मेरे पास इस समय तो कोई प्रूफ नहीं है, लेकिन आप सर जेरार्ड को बुलाइये। उन्होंने ही मुझे सुप्रीम के लिए चुना था। वह मुझे जानते हैं।“
असलम के शब्दों में गजब का कॉन्फिडेंस था। असलम का कॉन्फिडेंस देख राबर्ट भी एक बार तो हिल गया।
फिर राबर्ट ने स्मिथ को गहरी निगाहों से देखते हुए इशारा किया। स्मिथ तुरंत टेलीफोन पर झपटा और सर जेरार्ड का इक्सटेंशन नम्बर डायल कर दिया। 2 रिंग के बाद ही दूसरी तरफ से फोन उठा लिया गया।
“हैलो सर! मैं स्मिथ बोल रहा हूं। क्या आप जरा देर के लिए तुरंत राबर्ट सर के केबिन में आ सकते हैं। कुछ इमर्जेन्सी है।“ स्मिथ ने रिक्वेस्ट भरे अंदाज में पूछा।
दूसरी तरफ से ‘हां ‘ बो लकर फोन रख दिया गया। स्मिथ ने राबर्ट को देखकर धीरे से ‘हां ‘ में सिर हिलाया।
थोड़ी देर के लिए कमरे में सन्नाटा छा गया। बामुश्किल 2 मिनट में ही जेरार्ड राबर्ट के कमरे में थे। जेरार्ड के आते ही सभी अपनी जगह से खड़े हो गये। जेरार्ड ने एक नजर कमरे में बैठे सभी लोगों पर मारी और फिर स्वयं एक चेयर पर बैठ गया।
“हां बोलिए मिस्टर स्मिथ, आपने मुझे क्यों बुलाया ?“ जेरार्ड ने स्मिथ को देखते हुए कहा।
“सर, आपको तो पता ही है कि सुप्रीम से कुछ दिन पहले हमारा सम्पर्क टूट गया था।“ स्मिथ ने बिना टाइम वेस्ट किये, बोलना शुरु कर दिया-
“और उसके बारे में हमें कोई न्यूज नहीं मिल पा रहा था। पर इतने दिनों के बाद आज ये एक महाशय यहां पर आये हैं और यह कह रहे हैं कि ये सुप्रीम के सेकेंड असिस्टेंट कैप्टन असलम हैं। इनका कहना है कि ये यहां से शिप के साथ गये ही नहीं थे, जबकि शिप का पूरा स्टाफ यहां से अपने नियत समय पर जा चुका है। इन्होने ये भी कहा कि इनका सेलेक्शन आपने किया था और आप इन्हें पहचानते हैं।“
स्मिथ की बात सुन पहली बार जेरार्ड ने असलम को ध्यान से देखा।
“सर, आप तो मुझे पहचान रहे हैं ना।“ असलम ने जेरार्ड को याद दिलाते हुए कहा-
“मैं असलम......याद है इन्टरव्यू के दौरान मैंने आपके चश्मे के लिए एक सलाह दी थी।“
“यस...यस.....मिस्टर स्मिथ, ये आदमी सौ प्रतिशत असलम ही है।“ जेरार्ड ने याद करते हुए कहा-
“पर अगर ये यहां पर है.....तो असलम बनकर सुप्रीम पर कौन गया है?“
जेरार्ड की बात सुनकर राबर्ट ने अपना सिर पकड़ लिया।
“सॉरी सर पर इस बारे में हमें भी कुछ नहीं पता।“ स्मिथ ने हकबकाये स्वर में जवाब दिया।
“हां, अब आप बताइए मिस्टर असलम कि आप के साथ क्या हुआ जिससे आप इतने दिनों के बाद हमारे पास पहुंचे।“ राबर्ट ने असलम से पूछा।
“जिस दिन मुझे शिप पर अपना कार्ड लेकर, सबसे अपना परिचय कराने जाना था। उस दिन मैं सुबह अपने समय पर अपने घर से निकला। आगे दो-तीन मोड़ को पार करने के बाद एक सुनसान रोड जाती है, जिसके दूसरी तरफ एक भयानक झरना बहता है। मैं जब वहां पर पहुंचा, तो रोड के पास एक बाइक गिरी पड़ी थी और उसके पास एक आदमी पड़ा कराह रहा था। मैंने अपनी कार को किनारे लगाया और उतर कर उस आदमी के पास पहुंचा। जैसे ही मैं उसको देखने लगा, अचानक उसने मेरे ऊपर हमला कर दिया। उसने मेरे सिर पर पता नहीं किस चीज से दो-तीन चोट मारी। मैं थोड़ी ही देर में बेहोश हो गया। मुझे जब होश आया तो मैंने अपने आपको एक बूढ़े की झोपड़ी में पाया।
उस बूढ़े ने मुझे बताया कि मैं उसे झरने के किनारे एक पत्थर से अटका हुआ मिला था। मैं लगभग 7 दिनों के बाद होश में आया था। फिर लगभग 3 दिन मुझे उठकर चलने-फिरने में लगे। मैं जैसे ही इस लायक हो गया कि थोड़ा चल-फिर सकूं, तुरंत भागकर आपके पास पहुंच गया।“
“इसका मतलब शिप पर यह पहचानने वाला कोई नहीं था कि असलम कौन है?“ स्मिथ ने पूछा।
“दरअसल इंटरव्यू में सेलेक्शन हो जाने के बाद, हमारे सारे डाक्यूमेंट्स जमा कर लिए गये और एक आई-कार्ड बना कर दे दिया गया। शिप के चलने के एक हफ्ते पहले उसका एक टेस्ट ड्राइव किया गया। उसी दिन शाम को शिप पर एक पार्टी रखी गयी। उस दिन शिप का एक अधिकारी, आई-कार्ड को चेक कर, सभी चालक दल का परिचय एक-दूसरे से कराने वाला था।“ असलम ने कहा।
“इसका मतलब उस अधिकारी ने फंक्शन वाले दिन, ठीक से डाक्यूमेंट चेक नहीं किये।“ जेरार्ड ने राबर्ट को घूरते हुए, खा जाने वाले अंदाज में कहा।
राबर्ट ने सटपटा कर दूसरी तरफ निगाह फेर ली। शायद उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था।
“मेरे होश में आने पर, मैंने सबसे पहले अपने कपड़ों के जेबें चेक कीं। परंतु कार्ड सहित मेरे सारे डॉक्यूमेंट वहां से गायब थे। हो सकता है जो मेरा नाम लेकर शिप में गया, उसने मेरी फोटो की जगह अपनी लगा कर किसी तरह से अधिकारियों को धो खा दे दिया हो।“ असलम ने जेरार्ड की तरफ देखते हुए कहा।
“यानि कि अब ये फाइनल हो गया कि जो व्यक्ति असलम बनकर शिप में गया है, वह नकली है।....... सर ये भी तो हो सकता है कि उसी ने शिप को जान बूझकर बारामूडा त्रिकोण के क्षेत्र में डाल दिया हो।“ स्मिथ ने राबर्ट को देखते हुए कहा।
“बारामूडा त्रिकोण के क्षेत्र में!“ असलम ने चैंकते हुए कहा।
“जी हां, इस समय ‘सुप्रीम’ बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमयी क्षेत्र में जाकर गायब हो चुका है।“ राबर्ट ने जवाब दिया। कहकर स्मिथ ने जितनी भी जानकारी उसके पास थी, वह सब असलम को बतादी।
“इसका मतलब हमारा पहला काम सुप्रीम को खोजकर उसे वास्तविक रूट पर वापस लाना है और शिप के कैप्टेन को नकली असलम से सावधान करना है।“ असलम ने जोश में आते हुए कहा।
“लेकिन कैसे?“ स्मिथ के शब्दों में बेचैनी भरी थी।
“मुझे अपने जान की बाजी लगानी होगी क्यों कि शिप में यात्रा कर रहे, सभी यात्रियों की जान मेरी जान से कहीं बहुत अधिक है।“ असलम अब भावुक लग रहा था।
“आपको अब और परेशान होने की जरुरत नहीं है मिस्टर असलम।“ जेरार्ड के शब्दों में अब भूकम्प जैसे भाव थे- “आप अभी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं। अभी आपको आराम करना चाहिए, रही बात सुप्रीम की तो यह जिम्मेदारी अब आप मुझ पर छोड़ दीजिए। इस मैटर को अब मैं पर्सनली हैण्डिल करुंगा। और हां, हमें इतनी जरुरी इंफार्मेशन देने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया “ इतना कहकर जेरार्ड अपनी कुर्सी से खड़ा हो गया।
जेरार्ड के खड़े होते ही बाकी सब भी उनके साथ खड़े हो गये। जेरार्ड के इशारे पर फिंच, असलम को हॉस्पिटल लेकर चला गया। जेरार्ड ने एक नजर राबर्ट और स्मिथ पर मारी और बोले-
“अब से ठीक दो घंटे बाद आप दोनो लोग मेरे रुम में मुझसे आकर मिलिए।“ इतना कहकर जेरार्ड तेजी से कमरे से बाहर निकल गये।
# 32 .
चैपटर-10 3 जनवरी 2002, गुरुवार, 15:50; न्यूयॉर्क बंदरगाह, अमेरिका !
“स्मिथ......! ‘सुप्रीम’ का कुछ पता चला ?“ रॉबर्ट ने कुर्सी पर बैठे-बैठे पूछा- “आज उसे गायब हुए 3 दिन बीत गये हैं।“
“नो सर......सुप्रीम की कोई रिपोर्ट नहीं मिल रही है। अंतिम समय जब उससे संबंध स्थापित हुआ था तो वह बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमय क्षेत्र में क्षेत्र में लगभग 80 नॉटिकल माइल तक प्रवेश कर गया था। फिर अचानक ना जाने क्या हुआ कि हमारा उससे संपर्क टूट गया और वह भी अन्य जहाजों की तरह बारामूडा त्रिकोण के खतरनाक अंधेरों में खो गया।“ स्मिथ ने कहा।
“हमारे लिए सबसे बड़ी परेशानी यह है कि हमारे बहुत से वी.आई.पी. लोग भी उस शिप में हैं, जिनके गायब होने का मतलब पूरे विश्व में तहलका मच जाना है। हम कब तक आखिर ये खबर मीडिया से छिपाए रखेंगे। आज नहीं, तो कल उन्हें पता चल ही जाएगा। कुछ करना होगा स्मिथ......? कुछ करना होगा ? यह समस्या हमारे हाथ पर हाथ रखने से हल नहीं होगी।“
“यस सर, बिल्कुल सही कह रहे हैं आप। और वैसे भी शिप जैसे ही अगले स्टापेज पर नहीं पहुंचेगा। वहां से पूरी दुनिया को पता ही चल जायेगा, पर यह समझ में नहीं आया सर कि आखिर शिप के लोगों ने शिप को जानबूझकर गलत दिशा में क्यों मोड़ा ?“ स्मिथ ने दिमाग पर जोर डालते हुए कहा।
“तुम शायद भूल रहे हो स्मिथ कि इंटरपोल द्वारा हमें जो मैसेज मिला था। वह यह था कि जहाज पर कुछ अपराधी टाइप के व्यक्ति भी चढ़ गए हैं, जो शिप को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह भी तो हो सकता है कि उन अपराधियों ने शिप के कंट्रोल रूम पर कब्जा कर लिया हो और वही शिप को गलत दिशा में ले जा रहे हों।“ राबर्ट ने अपने विचार व्यक्त किये।
“सॉरी सर, लेकिन यह बात मेरी समझ में नहीं आती। क्यों कि यदि अपराधियों ने शिप पर कब्जा किया होता तो पहली बात तो वो उसे बारामूडा त्रिकोण जैसे खतरनाक क्षेत्र में नहीं ले जाते और दूसरी बात वह हमसे संपर्क स्थापित कर, अपनी कोई मांग मनवाने की कोशिश करते।“ स्मिथ ने तर्क देते हुए कहा।
लेकिन इससे पहले कि राबर्ट और कुछ कह पाता, एक जूनियर अधिकारी फिंच ने कमरे में प्रवेश किया। उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं।
“सर....सर.... वो..... वो.....!“ फिंच ने हकलाते हुए कहा।
“ये क्या वो...वो लगा रखा है?“ राबर्ट ने आने वाले को कसकर डांट लगाते हुए कहा- “साफ-साफ बताते क्यों नहीं ? क्या हुआ?“
“वो सर, एक आदमी बाहर खड़ा है और वह आपसे मिलने की जिद कर रहा है। कह रहा है कि आपसे कुछ विशेष बात करनी है?“ फिंच ने अपनी बात को घबराते हुए पूरा किया।
“तो इसमें इतना घबराने की क्या बात है? क्या नाम है उसका ?“ स्मिथ ने पूछा।
“सर.....वो अपना नाम असलम बता रहा है। कह रहा है कि वह “सुप्रीम” का सेकेंड असिस्टेंट कैप्टन है।“ फिंच ने शब्दों का बम फोड़ते हुए कहा।
“सांय.....सांय.....सांय।“ राबर्ट और स्मिथ को ऐसा लगा जैसे किसी ने उनके सिर पर बम फोड़ दिया हो।
“क्या...........?“ राबर्ट उछलकर अपनी सीट से खड़ा हो गया- “भेजो..... जल्दी भेजो उसे। ‘सुप्रीम’ खतरे में है।“
आदेश मिलते ही फिंच तुरंत बाहर की ओर भागा।
“ये कैसे हो सकता है स्मिथ? अगर ये असलम है तो सुप्रीम पर सेकेंड असिस्टेंट बन करके जो व्यक्ति गया है, वह कौन है?“
“पता नहीं सर.......पर जो भी है। मुझे सुप्रीम बहुत खतरे में महसूस हो रहा है।“
स्मिथ भी सस्पेंस के झूले में झूल रहा था। तभी फिंच एक व्यक्ति को लेकर अंदर दाखिल हुआ। आने वाले के बाल बिखरे हुए थे। दाढ़ी भी बढ़ी हुई थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसने पिछले 10 दिनों से दाढ़ी ना बनायी हो। उसके माथे पर एक सफेद पट्टी बंधी हुई थी।
“कौन हो तुम?“ राबर्ट की कड़कदार आवाज कमरे में गूंज उठी।
“मैं सुप्रीम का सेकेंड असिस्टेंट कैप्टन असलम हूं।“ आने वाले आगन्तुक ने जवाब दिया।
“झूठ बोल रहे हो तुम। असलम तो सुप्रीम के साथ सफर पर जा चुका है। तुम कोई बहरूपिये हो ?“ स्मिथ ने भी गहरी निगाहों से असलम को घूरते हुए कहा।
“मेरी बात का विश्वास मानिए, मैं ही असली असलम हूं। जो भी व्यक्ति सुप्रीम पर असलम बनकर गया है, वह बहुरुपिया है।“ असलम ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा।
“तुम्हारे पास कोई प्रूफ है कि तुम ही असलम हो।“ राबर्ट ने विचलित शब्दों में पूछा।
“मेरे पास इस समय तो कोई प्रूफ नहीं है, लेकिन आप सर जेरार्ड को बुलाइये। उन्होंने ही मुझे सुप्रीम के लिए चुना था। वह मुझे जानते हैं।“
असलम के शब्दों में गजब का कॉन्फिडेंस था। असलम का कॉन्फिडेंस देख राबर्ट भी एक बार तो हिल गया।
फिर राबर्ट ने स्मिथ को गहरी निगाहों से देखते हुए इशारा किया। स्मिथ तुरंत टेलीफोन पर झपटा और सर जेरार्ड का इक्सटेंशन नम्बर डायल कर दिया। 2 रिंग के बाद ही दूसरी तरफ से फोन उठा लिया गया।
“हैलो सर! मैं स्मिथ बोल रहा हूं। क्या आप जरा देर के लिए तुरंत राबर्ट सर के केबिन में आ सकते हैं। कुछ इमर्जेन्सी है।“ स्मिथ ने रिक्वेस्ट भरे अंदाज में पूछा।
दूसरी तरफ से ‘हां ‘ बो लकर फोन रख दिया गया। स्मिथ ने राबर्ट को देखकर धीरे से ‘हां ‘ में सिर हिलाया।
थोड़ी देर के लिए कमरे में सन्नाटा छा गया। बामुश्किल 2 मिनट में ही जेरार्ड राबर्ट के कमरे में थे। जेरार्ड के आते ही सभी अपनी जगह से खड़े हो गये। जेरार्ड ने एक नजर कमरे में बैठे सभी लोगों पर मारी और फिर स्वयं एक चेयर पर बैठ गया।
“हां बोलिए मिस्टर स्मिथ, आपने मुझे क्यों बुलाया ?“ जेरार्ड ने स्मिथ को देखते हुए कहा।
“सर, आपको तो पता ही है कि सुप्रीम से कुछ दिन पहले हमारा सम्पर्क टूट गया था।“ स्मिथ ने बिना टाइम वेस्ट किये, बोलना शुरु कर दिया-
“और उसके बारे में हमें कोई न्यूज नहीं मिल पा रहा था। पर इतने दिनों के बाद आज ये एक महाशय यहां पर आये हैं और यह कह रहे हैं कि ये सुप्रीम के सेकेंड असिस्टेंट कैप्टन असलम हैं। इनका कहना है कि ये यहां से शिप के साथ गये ही नहीं थे, जबकि शिप का पूरा स्टाफ यहां से अपने नियत समय पर जा चुका है। इन्होने ये भी कहा कि इनका सेलेक्शन आपने किया था और आप इन्हें पहचानते हैं।“
स्मिथ की बात सुन पहली बार जेरार्ड ने असलम को ध्यान से देखा।
“सर, आप तो मुझे पहचान रहे हैं ना।“ असलम ने जेरार्ड को याद दिलाते हुए कहा-
“मैं असलम......याद है इन्टरव्यू के दौरान मैंने आपके चश्मे के लिए एक सलाह दी थी।“
“यस...यस.....मिस्टर स्मिथ, ये आदमी सौ प्रतिशत असलम ही है।“ जेरार्ड ने याद करते हुए कहा-
“पर अगर ये यहां पर है.....तो असलम बनकर सुप्रीम पर कौन गया है?“
जेरार्ड की बात सुनकर राबर्ट ने अपना सिर पकड़ लिया।
“सॉरी सर पर इस बारे में हमें भी कुछ नहीं पता।“ स्मिथ ने हकबकाये स्वर में जवाब दिया।
“हां, अब आप बताइए मिस्टर असलम कि आप के साथ क्या हुआ जिससे आप इतने दिनों के बाद हमारे पास पहुंचे।“ राबर्ट ने असलम से पूछा।
“जिस दिन मुझे शिप पर अपना कार्ड लेकर, सबसे अपना परिचय कराने जाना था। उस दिन मैं सुबह अपने समय पर अपने घर से निकला। आगे दो-तीन मोड़ को पार करने के बाद एक सुनसान रोड जाती है, जिसके दूसरी तरफ एक भयानक झरना बहता है। मैं जब वहां पर पहुंचा, तो रोड के पास एक बाइक गिरी पड़ी थी और उसके पास एक आदमी पड़ा कराह रहा था। मैंने अपनी कार को किनारे लगाया और उतर कर उस आदमी के पास पहुंचा। जैसे ही मैं उसको देखने लगा, अचानक उसने मेरे ऊपर हमला कर दिया। उसने मेरे सिर पर पता नहीं किस चीज से दो-तीन चोट मारी। मैं थोड़ी ही देर में बेहोश हो गया। मुझे जब होश आया तो मैंने अपने आपको एक बूढ़े की झोपड़ी में पाया।
उस बूढ़े ने मुझे बताया कि मैं उसे झरने के किनारे एक पत्थर से अटका हुआ मिला था। मैं लगभग 7 दिनों के बाद होश में आया था। फिर लगभग 3 दिन मुझे उठकर चलने-फिरने में लगे। मैं जैसे ही इस लायक हो गया कि थोड़ा चल-फिर सकूं, तुरंत भागकर आपके पास पहुंच गया।“
“इसका मतलब शिप पर यह पहचानने वाला कोई नहीं था कि असलम कौन है?“ स्मिथ ने पूछा।
“दरअसल इंटरव्यू में सेलेक्शन हो जाने के बाद, हमारे सारे डाक्यूमेंट्स जमा कर लिए गये और एक आई-कार्ड बना कर दे दिया गया। शिप के चलने के एक हफ्ते पहले उसका एक टेस्ट ड्राइव किया गया। उसी दिन शाम को शिप पर एक पार्टी रखी गयी। उस दिन शिप का एक अधिकारी, आई-कार्ड को चेक कर, सभी चालक दल का परिचय एक-दूसरे से कराने वाला था।“ असलम ने कहा।
“इसका मतलब उस अधिकारी ने फंक्शन वाले दिन, ठीक से डाक्यूमेंट चेक नहीं किये।“ जेरार्ड ने राबर्ट को घूरते हुए, खा जाने वाले अंदाज में कहा।
राबर्ट ने सटपटा कर दूसरी तरफ निगाह फेर ली। शायद उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था।
“मेरे होश में आने पर, मैंने सबसे पहले अपने कपड़ों के जेबें चेक कीं। परंतु कार्ड सहित मेरे सारे डॉक्यूमेंट वहां से गायब थे। हो सकता है जो मेरा नाम लेकर शिप में गया, उसने मेरी फोटो की जगह अपनी लगा कर किसी तरह से अधिकारियों को धो खा दे दिया हो।“ असलम ने जेरार्ड की तरफ देखते हुए कहा।
“यानि कि अब ये फाइनल हो गया कि जो व्यक्ति असलम बनकर शिप में गया है, वह नकली है।....... सर ये भी तो हो सकता है कि उसी ने शिप को जान बूझकर बारामूडा त्रिकोण के क्षेत्र में डाल दिया हो।“ स्मिथ ने राबर्ट को देखते हुए कहा।
“बारामूडा त्रिकोण के क्षेत्र में!“ असलम ने चैंकते हुए कहा।
“जी हां, इस समय ‘सुप्रीम’ बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमयी क्षेत्र में जाकर गायब हो चुका है।“ राबर्ट ने जवाब दिया। कहकर स्मिथ ने जितनी भी जानकारी उसके पास थी, वह सब असलम को बतादी।
“इसका मतलब हमारा पहला काम सुप्रीम को खोजकर उसे वास्तविक रूट पर वापस लाना है और शिप के कैप्टेन को नकली असलम से सावधान करना है।“ असलम ने जोश में आते हुए कहा।
“लेकिन कैसे?“ स्मिथ के शब्दों में बेचैनी भरी थी।
“मुझे अपने जान की बाजी लगानी होगी क्यों कि शिप में यात्रा कर रहे, सभी यात्रियों की जान मेरी जान से कहीं बहुत अधिक है।“ असलम अब भावुक लग रहा था।
“आपको अब और परेशान होने की जरुरत नहीं है मिस्टर असलम।“ जेरार्ड के शब्दों में अब भूकम्प जैसे भाव थे- “आप अभी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं। अभी आपको आराम करना चाहिए, रही बात सुप्रीम की तो यह जिम्मेदारी अब आप मुझ पर छोड़ दीजिए। इस मैटर को अब मैं पर्सनली हैण्डिल करुंगा। और हां, हमें इतनी जरुरी इंफार्मेशन देने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया “ इतना कहकर जेरार्ड अपनी कुर्सी से खड़ा हो गया।
जेरार्ड के खड़े होते ही बाकी सब भी उनके साथ खड़े हो गये। जेरार्ड के इशारे पर फिंच, असलम को हॉस्पिटल लेकर चला गया। जेरार्ड ने एक नजर राबर्ट और स्मिथ पर मारी और बोले-
“अब से ठीक दो घंटे बाद आप दोनो लोग मेरे रुम में मुझसे आकर मिलिए।“ इतना कहकर जेरार्ड तेजी से कमरे से बाहर निकल गये।
सुयश की निगाहें पुनः स्टोर रूम में इधर-उधर फिरने लगी। वह मन ही मन कुछ तेजी से सोचता भी जा रहा था। एका एक सुयश तौफीक की ओर घूमा और बोल उठा-
“मिस्टर तौफीक, मैं आपसे एक बात पूछना चाहता हूं।“ तौफीक सुयश की ओर देखने लगा।
“आप तो आर्मी में मेजर हैं। आपकी प्रशिक्षण अवधि के दौरान, आपको बहुत सारी चीजें सिखाई गईं होगी। आप यह बताइए कि अगर कुत्ते को अपराधी की गंध सुंघाई जाती है, तो वह हमेशा उसी दिशा में क्यों भागता है? जिधर अपराधी गया है। उधर क्यों नहीं जाता ? जिधर से वह अपराधी आया था।“ यह प्रश्न सुनकर, सभी के चेहरे पर सुयश के प्रति तारीफ के भाव आ गए। क्यों कि इस पॉइंट के बारे में शायद कभी किसी ने नहीं सोचा था।
“क्यों कि जो चालाक अपराधी यह जान जाता है कि उसका पीछा जासूसी कुत्ते द्वारा कराया जा सकता है, वह आगे भागते हुए तो उस कुत्ते से बचने का इंतजाम करता है, परंतु वह जिस दिशा से आया था, मैं दावा कर सकता हूं कि उसने उस तरफ ऐसा इंतजाम नहीं किया होगा।“
सुयश ने ‘दावा ‘ शब्द पर जोर देते हुए, तेजी से अपने सीधे हाथ का मुक्का बना कर, अपने बाएं हाथ के पंजे पर जोर से मारते हुए कहा।
“देखिये कैप्टन! पहली बात तो यह है कि अधिकांशत: कुत्ते को अपराधी की कोई वस्तु, जैसे रुमाल, कपड़ा या कोई अन्य सामान सुंघाया जाता है, जिससे वह अपराधी के भागने की दिशा में जाता है। अगर कभी कुत्ते को वह जगह सुंघाई जाए तो उम्मीद है कि कुत्ता उस तरफ भी जा सकता है, जिधर से अपराधी आया था। लेकिन पुलिस वालों को हमेशा अपराधी पकड़ना होता है, इसलिए वह कुत्ते को उसी दिशा में जाने का इशारा करते हैं, जिस दिशा में अपराधी गया है।
वैसे एक बात और भी होती है, जिसकी वजह से कुत्ते को उस साइड नहीं ले जाया जाता, जिधर से वह अपराधी आया था, और वह वजह यह है कि अपराधी के शरीर की खुशबू, जिस तरफ वह गया है, उधर बढ़ती जाती है। जबकि जिधर से वह आया था, उसकी खुशबू वातावरण में मिलकर गायब होती जाती है। इसलिए भी कुत्ता उसी दिशा में जाता है, जिधर अपराधी गया है।“
इतना कहकर तौफीक चुप हो गया। कुछ सोचकर सुयश ने ब्रूनो को फिर वही जगह सुंघाई, जहां पर लॉरेन की लाश रखी थी और फिर ब्रूनो को ‘बैक‘ का इशारा किया।
इशारा मिलते ही ब्रूनो बहुत तेजी से स्टोर रूम के अगले गेट से निकलकर, गैलरी के एक कोने की ओर दौड़ पड़ा। एक बार फिर सब ब्रूनो के पीछे थे। सुयश की तरकीब काम कर गई थी। ब्रूनो को कातिल की गंध पुनः मिल गयी थी। कुछ आगे जा कर ब्रूनो एक क्षण के लिए रुक गया। ऐसा लगा मानो वह गंध यहां आकर काफी कम हो गई हो।
कुछ क्षणों के बाद ब्रूनो ने अपनी नाक उठाकर जोर-जोर से सूंघा और पुनः धीरे-धीरे एक दिशा की ओर आगे बढ़ना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे चलता हुआ ब्रूनो एक दरवाजे के पास पहुंचकर रुक गया। कुछ देर सूंघने के पश्चात, वह उस दरवाजे पर खरोंच मारने लगा।
उस दरवाजे पर गणित के बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था- ‘एस-25‘ उस दरवाजे पर ब्रूनो के खरोंच मारते ही जेनिथ का गला सूखने लगा क्यों कि यह रुम उसी का था। ब्रूनो के उस रूम के दरवाजे को खरोंचने का साफ मतलब था, कि अपराधी लॉरेन की लाश के पास, इसी कमरे से निकल कर गया था।
सुयश चूँकि एक बार जेनिथ के रुम में आ चुका था। इसलिए वह तुरंत जेनिथ की ओर घूमता हुआ बोला- “ब्रूनो आपके रूम के दरवाजे पर अपने पंजे क्यों मार रहा है?“
“म....मुझे......क्या पता ?“ जेनिथ एका एक घबराए स्वर में बोली-
“मैं तो स्टोर रूम में आज से पहले कभी गई ही नहीं थी।“
“आप अपने रूम का दरवाजा खोलिए। अभी सच्चाई का पता चल जाएगा।“ ब्रैंडन ने जेनिथ को देखते हुए कहा।
“पर चाबी तो इस समय मेरे पास नहीं है।“ जेनिथ ने कहा।
“चाबी किसके पास है?“ सुयश ने जेनिथ से पूछा।
“मेरे सहयोगी कलाकार डारथी के रूम में।“
“चाबी वहां क्या कर रही है?“ सुयश ने शंकित स्वर में पूछा।
“वो मैं इस रुम में हमेशा ही लॉरेन के साथ रहती थी। लेकिन लॉरेन की मौत के बाद, जाने क्यों मुझे अकेलेपन से बहुत डर लगने लगा। इसलिए मैं अपना कुछ जरूरत का सामान लेकर, बगल वाले रूम में अपने दूसरे सहयोगी कलाकार डारथी के साथ जा कर रहने लगी थी।“ जेनिथ ने शांत भाव से जवाब दिया। सुयश को जाने क्यों जेनिथ सच बोलती हुई दिखी।
“जाइए जाकर पहले इस रूम की चाबी लेकर आइये।“ सुयश ने धीमे शब्दों में जेनिथ को आदेश देते हुए कहा।
जेनिथ तुरंत रुम नम्बर ‘एस-24‘ के दरवाजे पर पहुंच गयी। उसने एक पल के लिए कुछ सोचा और फिर डोर बेल पर उंगली रख दी। थोड़ी ही देर में रुम का दरवाजा खुल गया। दरवाजा खोलने वाली डारथी ही थी। उसकी आंखें देखकर लग रहा था कि अभी सोई ही हुई थी।
बाहर इतनी भीड़ देखकर वह आश्चर्य से भर उठी। लेकिन जेनिथ ने उसे कुछ समझाया और फिर उसके साथ रुम के अंदर चली गयी। बाकी के सभी लोग कुछ दूरी पर खड़े थे। इसलिए उन्हें दोनो की बातें सुनाई नहीं दी।
धीरे-धीरे समय बीतने लगा, पर जब काफी देर तक जेनिथ उस रुम से नहीं निकली, तो सुयश ने धीरे से लारा को इशारा किया। लेकिन इससे पहले कि लारा डारथी के रूम में जाकर, देरी का कारण पता लगा पाता, उसे जेनिथ बाहर निकलती हुई दिखाई दी। जेनिथ का उतरा हुआ चेहरा बता रहा था कि कहीं कोई प्रॉब्लम है?
“क्या हुआ मिस जेनिथ? चाबी कहां है?“ सुयश ने जेनिथ के उतरे हुए चेहरे को देखकर पूछा।
“पता नहीं कैप्टेन! चाबी तो मैंने अपने पर्स में ही रखी थी, पर अब वह वहां पर नहीं है। शायद किसी ने उसे गायब कर दिया है?“ जेनिथ ने डरते-डरते मायूस शब्द में सुयश से कहा।
“मुझे कुछ ऐसा ही शक था।“ सुयश ने शंकित नजरों से जेनिथ को देखते हुए कहा। इसके बाद सुयश लारा की तरफ पलट कर बोला-
“मिस्टर लारा, आप जाइये और रिसेप्शन से जेनिथ के रुम की दूसरी चाबी लेकर आइये।“ लारा , सुयश का आदेश मान तुरंत दूसरी चाबी लाने के लिए चला गया।
“मिस जेनिथ! क्या आपकी फ्रेंड डारथी को भी नहीं पता कि चाबी कहां है? या फिर कोई आपकी गैर हाजरी में आपसे मिलने आया हो।“ ब्रैंडन ने कहा।
“जी नहीं , मैंने यह सारी बातें उससे पूछ ली हैं। रूम में हम लोगों की उपस्थिति में कोई नहीं आया।“ जेनिथ के शब्दों में अभी भी चिंता के भाव थे।
“तो फिर आपके रूम से चाबी कौन निकाल कर ले गया ? सुयश ने कहा।
“मुझे नहीं पता। मैं इस समय स्वयं बहुत उलझन में हूं।“ जेनिथ ने जवाब दिया।
तब तक लारा दूसरी चाबी लेकर आ गया। असलम ने लारा से चाबी लेकर ‘की होल‘ में फंसाई और एक झटके से कमरे का लॉक खोल दिया। असलम ने दरवाजे को धीरे से धक्का दिया।
दरवाजा निःशब्द खुलता चला गया। जेनिथ सहित सभी के दिल इतनी तेजी से धड़क रहे थे। मानों दरवाजा खुलते ही उन पर मौत टूट पड़ेगी। अंदर कमरे में बिल्कुल अंधकार था।
जेनिथ धीरे से मरे-मरे कदमों से अंदर दाखिल हो गई। अंधकार इतना गहरा था कि हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था। जेनिथ के हाथ धीरे से दरवाजे के बांयी साइड वाली दीवार की ओर गया। कुछ देर टटोलने के बाद कुछ बटन उसके हाथ में आ गए। जेनिथ ने एक झटके से खट्-खट् की आवाज के साथ, सारे बटन ऑन कर दिए।
पूरा कमरा दूधिया प्रकाश से नहा उठा। लेकिन उसके बाद जो नजारा सामने आया, उसे देखकर सभी आश्चर्य में पड़ गए। जेनिथ के कमरे का सामान, पूरे कमरे में इस तरह बिखरा हुआ था । मानो किसी ने उसके कमरे की तलाशी ली हो।
“यह सब क्या है? सुयश ने भी कमरे में प्रवेश करते हुए कहा। “पता नहीं? जेनिथ का स्वर उलझा-उलझा सा था- “मैं स्वयं नहीं समझ पा रही हूं कि ये सब क्या है?“
“ऐसा लगता है, जैसे किसी ने तुम्हारे कमरे की तलाशी ली हो।“ असलम ने भी कमरे में प्रवेश करते हुए कहा।
“आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं।“ जेनिथ ने कमरे पर नजर मारते हुए जवाब दिया।
“क्या आप जब कमरे से निकली थीं? तब भी सारा सामान यूं ही बिखरा पड़ा था।“ ब्रैंडन ने पूछा।
“जी नहीं। अगर मेरे रूम से निकलते समय, ये सब बिखरा पड़ा होता, तो कम से कम रूम में प्रवेश करते समय मुझे तो आश्चर्य नहीं होता।“
जेनिथ के शब्दों में अब थोड़ा रोष भी नजर आ रहा था। अब सुयश की निगाहें तेजी से कमरे में बिखरे हुए सामान पर फिरने लगी।
“इसका साफ मतलब निकलता है कि हम लोग सही सोच रहे थे।“ सुयश ने पूरे कमरे पर नजर दौड़ाने के बाद लारा की ओर घूमते हुए कहा-
“लॉरेन का बॉयफ्रेंड ही उसका कातिल है। पहले वह जेनिथ के कमरे में आया। शायद उसे कुछ ऐसे सबूत की तलाश थी, जो उसे फंसवा सकते थे। जब वह सबूत उसे यहां नहीं मिले तो वह उसे ढूंढने लॉरेन की लाश के पास पहुंच गया होगा।“
“हम अब बिल्कुल सही सोच रहे हैं कैप्टन।“ असलम ने भी कमरे पर एक गहरी निगाह मारते हुए कहा-
“लेकिन इससे दो बातें तो बिल्कुल साफ हो जाती हैं। पहली यह कि उसे पता था कि जेनिथ अपने रूम में नहीं है। क्यों कि इस तलाशी को देखते हुए यह साफ लग रहा है कि उसने अपना काम बड़ी तसल्ली से किया है। और दूसरा उसे यह भी पता था कि जेनिथ डारथी के रुम में है और इस कमरे की चाबी जेनिथ के पर्स में है। और यह सब वही कर सकता है जो जेनिथ को ठीक से जानता हो या फिर उसकी एक्टिविटी लगातार देख रहा हो।“
“बिल्कुल ठीक।“ सुयश ने असलम की तारीफ करते हुए कहा।
“कैप्टेन! मैं भी आपको एक बात ध्यान दिलाना चाहता हूं।“ ब्रैंडन ने कहा- “वह यह कि इस समय यहां जितने लोग खड़े हैं, अपराधी इसमें से नहीं है।“
“इस बात के कहने का आपके पास क्या लॉजिक है?“ अलबर्ट ने कहा।
“मेरे कहने का यह मतलब है कि यदि अपराधी इसमें से कोई होता तो ब्रूनो उसकी खुशबू सूंघकर उसे पहचान जाता और वहीं पकड़ लेता। जबकि ब्रूनो खुशबू सूंघकर बाहर की ओर भागा था।“ ब्रैंडन ने अपना तर्क देते हुए कहा।
“मैं तुम्हारी इस बात से सहमत नहीं हूं असलम।“ सुयश ने असलम की बात काटते हुए कहा- “क्यों कि अपराधी बहुत चालाक है। यह भी हो सकता है कि उसने भागते समय, कुत्ते को डॉज देने वाले स्प्रे का सहारा लिया हो। जिसके कारण उसके शरीर की खुशबू छिप गई हो। इसी कारण इन लोगों के बीच खड़े होने के बावजूद भी ब्रूनो कातिल को ना पहचान पा रहा हो।“
सुयश का तर्क इतना वजनदार था कि असलम उसकी बात काट नहीं पाया। उसके बाद सभी ने एक बार फिर कमरे का बारीकी से निरीक्षण किया। पर इन्हें सबूत के नाम पर कमरे से एक तिनका भी ना मिला।
अब सभी लोग धीरे-धीरे कमरे से बाहर निकलने लगे। तभी कैप्टन की नजर सोफे के पास गिरे पड़े सिगरेट के एक टोटे पर गई। सुयश ने वहां रखे टिश्यू पेपर के रोल में से एक टिश्यू निकाल लिया और झुककर उस टिश्यू से सिगरेट का वह टुकड़ा उठा लिया। सिगरेट के बचे हुए टुकड़े पर लिखा ‘ट्रेंच‘ नाम दूर से ही नजर आ रहा था।
“मिस्टर लोथार!“ सुयश ने सिगरेट के टुकड़े को लोथार के चेहरे के सामने करते हुए कहा- “आप किस ब्रांड की सिगरेट पीते हैं?“
“जी... मैं....।“ लोथार ने अचकचाते हुए पूछा।
“जी हाँ..... आप ही।“ सुयश ने हामी भरते हुए कहा।
“ट्रेंच!“ लोथार ने सुयश के हाथ में थमे सिगरेट के टुकड़े को देखते हुए जवाब दिया।
“अभी-अभी मुझे कमरे से यह ट्रेंच नाम की सिगरेट का टुकड़ा पड़ा हुआ मिला है। कहीं जेनिथ के रुम में आप तो नहीं आए थे?“ सुयश ने लोथार को घूरते हुए पूछा।
“जी नहीं। रूम में मैं नहीं आया था और वैसे भी मैं आपको एक बात बता दूं कि ट्रेंच न्यूयॉर्क की फेमस सिगरेट में से एक है। इस शिप पर सफर करने वाले लोगों में से सैकड़ों लोग इस सिगरेट को पीते होंगे, फिर आप ये बात मुझसे ही क्यों पूछ रहे हैं?“ लोथार ने थोड़ा नाराज होते हुए जवाब दिया।
लोथार के इस जवाब पर सुयश को उससे कुछ कहते ना बना अतः वह पुनः जेनिथ की तरफ मुड़कर बोला-
“क्या आप या लॉरेन सिगरेट पीती थीं ?“
“जी नहीं ।“ जेनिथ ने संक्षिप्त सा उत्तर दिया।
“फिर तो यह सिगरेट का टुकड़ा जरुर उसी व्यक्ति का होगा, जिसने छिपकर रुम की तलाशी ली है।“ ब्रैंडन ने सुयश को देखते हुए धीमे स्वर में कहा।
सुयश ने ब्रैंडन की बात सुन धीरे से हाँ मे अपना सिर हिलाया और सिगरेट का वह टुकड़ा ब्रैंडन के हवाले करता हुआ ब ला-
“इसे भी लैब में भिजवा दो और इस पर से फिंगर प्रिंट उठाने की कोशिश करो। हो सकता है कि कातिल का को ई सुराग इस पर से भी मिल जाए।“ ब्रैंडन ने सिगरेट का वह टुकड़ा टिश्यू पेपर सहित ले लिया और अपनी जेब के हवाले कर दिया। अब सभी जेनिथ के रुम से बाहर आ गये।
“एक बात बताइये कैप्टेन कि लॉरेन की लाश तो चलिए उसके बॉयफ्रेंड या कातिल जो भी हो, वह ले गया। लेकिन जो गार्ड की लाश अभी तुरंत रखी गई थी, वह कहां चली गई? और इतनी जल्दी उसे कौन ले गया ?“ तौफीक ने सुयश से सवाल किया।
तौफीक की बातों में दम था। सुयश सहित अब सभी सस्पेंस के झूले में झूलने लगे।
“लगता है एक बार फिर स्टोर रूम में चलना पड़ेगा।“ सुयश ने जवाब दिया। एक बार फिर सभी स्टोर रूम की तरफ चल दिए।
“गार्ड की लाश कहां रखी थी ?“ सुयश ने स्टोर रुम में प्रवेश करते हुए, दोनों गार्डों से मुखातिब होते हुए कहा।
दोनों गार्डों ने डरते-डरते एक दिशा की ओर इशारा कर दिया। सुयश पहले तो उस स्थान को ध्यान से देखता रहा फिर उसने ब्रूनो को वहां सूंघने का इशारा किया। ब्रूनो धीरे-धीरे आगे बढ़ा और उस जगह को सूंघने लगा, जहां सुयश ने इशारा किया था। ब्रूनो ने कई बार जमीन को सूंघा और फिर अपनी नाक को हवा में उठा कर कुछ सूंघने की कोशिश की। पर ऐसा लग रहा था, जैसे वह कुछ समझ ना पा रहा हो।
काफी देर सूंघने के बाद ब्रूनो धीरे-धीरे एक दिशा की ओर बढ़ा और स्टोर रुम में मौजूद लगभग 4 फुट ऊंचे लगी, एक खिड़की की ओर मुंह करके भौंकने लगा।
“इसका क्या मतलब हुआ?“ सुयश ने ना समझ में आने वाले लहजे में कहा- “यह खिड़की तो समुद्र की ओर खुलती है।“
“शायद किसी ने गार्ड की लाश इस खिड़की से समुद्र की ओर फेंकी है?“ असलम ने जवाब दिया।
सुयश ने धीरे से उस खिड़की के दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया। दरवाजा बिना आवाज किए समुद्र की ओर खुल गया। एकदम से आदमी को गला देने वाली ठंडी हवा का झोंका तेजी से अंदर आया। एक पल के लिए सभी सिहर से गये।
सुयश ने खिड़की के बाहर झांक कर देखा, लेकिन लहरों के सिवा उसे दूर-दूर तक कुछ ना दिखाई दिया। हाँ, ‘सुप्रीम’ के चलने से छिटक कर दूर होता हुआ, समुद्र का पानी जरूर आवाज कर रहा था। हर तरफ मौत की काली चादर के समान दहशत बिछी थी। कुछ देर तक देखते रहने के बाद सुयश उस खिड़की से दूर हट गया।
“कैप्टेन, यह खिड़की के नीचे पानी कैसा है?“ ऐलेक्स ने खिड़की के नीचे फर्श पर पड़े पानी की ओर इशारा करते हुए कहा। अब सभी का ध्यान नीचे पड़े पानी पर था।
“यह पानी तो समुद्र का है।“ अलबर्ट ने आगे बढ़कर पानी की एक बूंद को हाथों में लेकर देखते हुए कहा।
“आप क्या कहना चाहते हैं प्रोफेसर? कि कोई समुद्र से निकलकर इस खिड़की को खोल कर आया था और लाश को लेकर वापस समुद्र में चला गया ?“ असलम ने कहा।
“क्या बेवकूफी है? समुद्र की सतह यहां से लगभग 48 मीटर नीचे है। भला इतनी ऊंचाई तक बिना सहारे के कोई कैसे ऊपर आ सकता है?“ सुयश ने अजीब सी नजरों से असलम को देखते हुए कहा।
“तो फिर समुद्र का पानी यहां पर कैसे आया ?“ लारा ने कहा। लेकिन अब इसका जवाब किसी के पास नहीं था।
तभी अलबर्ट आगे बढ़ा और खिड़की के पास जा कर दूसरी ओर देखने लगा। थोड़ी देर देखने के बाद अलबर्ट ने अपने हाथ से, समुद्र की ओर से, खिड़की के कुछ नीचे हाथ लगाया और फिर अपना हाथ अंदर कर लिया। किसी के समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या कर रहा है? पर सभी की निगाहें अब अलबर्ट पर ही थीं। अंदर आकर अलबर्ट ने अपने अंगूठे से, अपनी दोनों उंगलियों को रगड़ा। अब उसके हाथ में पानी की बूंदों के समान कुछ नमी थी। सभी का ध्यान अब कुछ इस तरह से अलबर्ट की ओर था, जैसे वो किसी रहस्य को खोलने जा रहा हो। और आखिरकार अलबर्ट ने अपना मुंह खोला-
“बात कुछ समझ में नहीं आती, पर मेरे हाथों में लगी नमी यह साबित करती है कि कोई ना कोई समुद्र के अंदर से होकर खिड़की के रास्ते अवश्य आया था।“
“पर गार्ड की लाश को छोड़कर और दोबारा स्टोर रूम में आने में बामुश्किल 5 मिनट का समय लगा था। इस 5 मिनट में कौन इतनी तेजी से 48 मीटर चढ़कर लाश ले जा सकता है। ऐसा तो कोई जानवर भी नहीं कर सकता और वह भी तब, जबकि शिप अपनी पूरी स्पीड से चल रहा है।“ सुयश ने अपने दिमाग की सारी नसों पर जोर डालते हुए कहा।
कुछ देर किसी के मुंह से कुछ नहीं निकला। स्टोर रुम में एक सन्नाटा सा छा गया।
“यह भी तो हो सकता है कि जब गार्ड यहां लाश छोड़ने आये, उस समय कोई स्टोर रूम में पहले से ही रहा हो। और जब ये घबरा कर यहां से भागे हों तो उसने गार्ड की लाश खिड़की से पानी में फेंक दी हो या फिर स्वयं लेकर पानी में कूद गया हो।“ लोथार जो कि बहुत देर से चुप था, बोल उठा।
“हो सकता है कि कुछ ऐसा ही हुआ हो ?“ सुयश ने सिर पर पहनी कैप को उतार, बालों में हाथ से कंघी करते हुए कहा- “लेकिन फिर यह समुद्र का पानी खिड़की के नीचे कैसे आ गया और गार्ड की लाश का भला किसी को क्या काम?“
“यह भी हो सकता है कि लॉरेन का कातिल इस पूरे घटना क्रम को सुपरनेचुरल प्रॉब्लम शो करना चाहता हो, इसलिए उसने पहले जानबूझकर समुद्र का पानी खिड़की के नीचे बिखेर दिया हो। जिससे हमारा ध्यान गलत दिशा में लग जाए। और जानबूझकर गार्ड की लाश गायब की हो। जिससे हम लोग इसे सीरियल किलर या किसी जानवर का कारनामा समझें।“ अलबर्ट ने एक नया तथ्य पेश किया।
“हूं.......ऐसा हो सकता है।“ सुयश ने सिर हिलाते हुए कहा - “इसका मतलब है, कि हो सकता है कि वह हरा कीड़ा भी कोई अपने साथ दहशत फैलाने के लिए लाया हो। .. ........अब हम लोगों को आगे घटने वाली किसी भी घटना को सुपरनेचुरल ना मानकर एक मानवीय घटना माननी चाहिए और उसी हिसाब से समस्या को देखना चाहिए।“
किसी के पास अब बहस करने के लिए कुछ ना बचा था। पूरी रात बहस और सुराग ढूंढने में चली गई थी। इस समय सुबह का लगभग 9:00 बज चुका था। सभी रात भर के थके थे इसलिए अब सुयश ने सभी को अपने-अपने कमरों में जाने के लिए कह दिया।
जाते-जाते सबको हिदायत दे दी गई कि वह लोग तब तक सावधान रहें, जब तक कि उन्हें कोई किनारा ना मिल जाए।
3 जनवरी 2002, गुरुवार, 11:00; सूर्य की किरणें धीरे-धीरे सागर की लहरों पर तैरती हुई आगे बढीं और
“सुप्रीम” का एक हल्का सा चुंबन ले उसे अपने आगोश में समेट लिया ।।
एक सुबह हो गयी थी। जो रात भर के सोए थे, वह सभी जाग गये थे और जो रात भर के जागे थे, वह नींद के आगोश में चले गये थे।
‘सुप्रीम’ अपनी अंजानी डगर पर हौले-हौले चला जा रहा था। ना तो अब उसे मंजिल का पता था और ना ही दूरी का।
धीरे-धीरे अब शिप के सभी लोगों को पता चल गया था कि इस रहस्यमय क्षेत्र से बचकर निकलना मुश्किल है। सभी आपस में अटकलें लगा रहे थे कि अगली मुसीबत किस पर आयेगी ? और किस तरह की होगी ? सुप्रीम की भांति सूर्य भी अपने सफर पर चला जा रहा था, फर्क था तो सिर्फ इतना कि सूर्य को अपनी मंजिल का पता था जबकि सुप्रीम को अपनी मंजिल का कोई पता नहीं था।
सुप्रीम बिल्कुल एक अन्जाने सफर पर था। सुबह अब दोपहर में बदल चुकी थी। सुबह के सोए हुए लोग भी उठ चुके थे।
“तौफीक! तुम्हारा क्या ख्याल है? जेनिथ ने तौफीक की ओर देखते हुए कहा- “इन सब मुसीबतों के पीछे क्या कारण हो सकता है?“
“कुछ पक्के तौर पर कह नहीं सकता।“ तौफीक भी सोफे पर जेनिथ के बगल में बैठता हुआ बोला- “वैसे भी इस बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमय क्षेत्र में जो ना हो जाए वह कम है।“
“तुम तो आर्मी में रह चुके हो और पापा कहते हैं कि आर्मी के लोग बहुत ही कठिन परिस्थितियों का भी बहादुरी से डटकर सामना करते हैं। क्या तुम्हें कभी ऐसा एहसास हुआ कि अगले किसी भी क्षण में हम लोगों की मौत भी हो सकती है?“ जेनिथ ने अपना चेहरा, तौफीक के चेहरे के पास लाते हुए कहा।
“मौत और हमारा तो चोली दामन का साथ है। पर यहां पर अफसोस यही है कि हमें दुश्मन का पता नहीं है। यानि कि हम मर तो सकते हैं, पर दुश्मन को मार नहीं सकते।“ तौफीक के शब्दों में निराशा के भाव झलके।
“वैसे तुम्हें क्या लगता है कि हम बचकर अपनी सभ्यता तक वापस पहुंच पायेंगे? क्या हमारे प्यार को दुनिया वाले नहीं देख पाएंगे?“ इस बार जेनिथ के शब्दों में हसरत की एक झलक साफ दिखाई दी।
“पता नहीं, पर मौत से पहले जो जिंदगी से हार गया, उसे डरपोक कहा जाता है। हम अंतिम दम तक इस ना दिखने वाली मौत से लड़ेंगे और वैसे भी मैं अपना काम खत्म किए बिना, इस दुनिया से नहीं जाने वाला।“ तौफीक ने रोष में आते हुए कहा।
सवालों का जंगल है जिसमें जवाबों के खरगोश कहीं छुपे बैठे हैं
समन्दर से किसी के जहाज के केबिन की खिड़की में घुसना तो सम्भव नहीं लगता
लेकिन
ऊपर के डेक से रस्सी के सहारे उतरना मुश्किल जरुर है, असंभव नहीं
यहां जो कुछ भी हो रहा है प्राकृतिक नहीं इन्सानी साजिश है
“यह तुम बार-बार अपने किस काम की बात करते हो ?“ जेनिथ ने कहा।
“मैं यह बात तुम्हें अभी नहीं बता सकता, पर समय आने पर तुम्हें खुद-बा-खुद पता चल जाएगा।“ तौफीक की आंखों में, इस बार कठोरता के भाव थे।
“तौफीक.......!“ जेनिथ के इन शब्दों में थोड़ी थिरकन थी- “जाने क्यों आज मुझे बहुत डर लग रहा है?“
“डर......! डर किस बात का ?“ यह कहते हुए तौफीक ने, धीरे से जेनिथ के दाहिने हाथ को, अपने दोनों हाथों में ले लिया और प्यार से उसे सहलाते हुए बोला-
“मैं हूं ना तुम्हारे साथ। फिर भला तुम क्यों डरती हो ? और अगर कभी ज्यादा डर लगे, तो मेरा नाम अपने मन में तीन बार दोहराना, सारा डर अपने आप खत्म हो जाएगा।“
“वो.....कैसे भला ?“ जेनिथ ने तौफीक की आंखों में आंखें डालते हुए पूछा।
“मैं जब बहुत छोटा था। तभी मेरे अब्बा गुजर गए थे। फिर भी उनकी कुछ बातें मुझे आज भी याद हैं।“ तौफीक ने अतीत के समुंदर में छलांग लगाते हुए कहा-
“जब कभी मैं डर जाया करता था, तो मेरे अब्बा मुझे मेरा ही नाम तीन बार पुकारने को कहते थे। क्यों कि यह नाम अब्बा का ही रखा हुआ था। वो कहते थे कि तौफीक नाम का अर्थ उर्दू में बहादुर होता है और वास्तव में जब मैं अपना नाम पुकारता था, तो मेरा डर बिल्कुल खत्म हो जाता था।“
यह सुनकर जेनिथ ने धीरे से आंख बंद कर लिया।
“क्या हुआ?“ तौफीक ने जेनिथ को देखते हुए कहा।
“कुछ नहीं। मन में तुम्हारा नाम ले रही हूं।“ यह कहकर जेनिथ धीरे से तौफीक की ओर थोड़ा और खिसक गई।
“तौफीक, क्या आज मेरी एक इच्छा पूरी करोगे? जेनिथ के शब्दों में ख्वाहिश साफ झलक रही थी।
“क्या ?“ तौफीक ने पूछा।
“मुझे एक बार अपनी बाहों में भर लो।“
तौफीक अब लगातार जेनिथ की आंखों में देख रहा था। जहां उसे प्यार का अथाह सागर अठखेलियां करता हुआ साफ नजर आ रहा था।
“पता नहीं कब मौत का बुलावा आ जाए? क्या तुम इसे मेरी आखिरी इच्छा समझकर पूरी नहीं कर सकते?“ जेनिथ की आवाज में दुनिया भर का दर्द समाया हुआ था। तौफीक कुछ देर सोचता रहा और फिर अपने दोनो बाजू किसी परिंदे के समान फैला दिये। जेनिथ किसी नन्हीं कली की तरह उसके बाजुओं में समा गयी। खुशी के मारे उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे। उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि मानो इस एक पल में, उसे दुनिया की सारी खुशियां मिल गई हों। एक नन्ही कली शाख से इस तरह चिपक गयी, मानो कोई उसे तोड़ ले जाना चाहता हो। लेकिन उसे स्वयं नहीं पता था कि वह खुद टूट कर बिखर रही है। वह तो जैसे इस बिखरते हुए एक पल में अपनी पूरी जिंदगी जी लेना चाहती थी।
3 जनवरी 2002, गुरुवार, 14:20;
ऐलेक्स गुमसुम सा डेक के एक कोने पर बैठा था। कभी वह अपनी इस बकवास सी जिंदगी के बारे में सोच रहा था। तो कभी उसे क्रिस्टी का भी ख्याल आ जाता था। लेकिन क्रिस्टी का अब वह अपनी सोचों से निकालकर फेंक देना चाहता था। ऐलेक्स को अब मालूम हो गया था कि क्रिस्टी एक ऐसा आसमान पर चमकता हुआ सितारा है, जिसे वह देख तो सकता है, पर चाहकर भी छू नहीं सकता।
लॉरेन के बारे में सोच-सोच कर उसे गुस्सा आ रहा था कि आखिर उसने लॉरेन की बात क्यों मानी ? उसी के कारण क्रिस्टी और नाराज हो गई। इन्हीं विचारों में गुम वह बैठा था। तभी एक वेटर एक खूबसूरत सा लाल रंग का गुलाब का फूल लेकर आया और ऐलेक्स की तरफ बढ़ाते हुए बोला-
“दिस इज फॉर यू मिस्टर ऐलेक्स।“
ऐलेक्स ने ना समझते हुए भी फूल को हाथों में ले लिया। ऐलेक्स ने पहले इधर-उधर देखा पर उसे दूर-दूर तक कोई ऐसा नहीं दिखाई दिया, जिसने कि उसे फूल भिजवाया हो। अब उसकी नजर फूल पर पड़ी। वह एक ताजा अधखिली कली थी, जिसकी 6 इंच लम्बी डंडी में दो छोटे-छोटे पत्ते भी लगे हुए थे।
ध्यान से देखने पर ऐलेक्स को यह महसूस हुआ कि पत्तों पर कुछ लिखा है? वह फूल को अपने चेहरे के और पास लाकर, पत्ती पर लिखी लिखावट को पढ़ने की कोशिश करने लगा।
दोनो ही पत्तियों पर ‘सॉरी ‘ लिखा हुआ था। “सॉरी !“ वह होंठों ही होठों में बुदबुदाया- “यह मुझे सॉरी कहने वाला यहां पर कौन आ गया ? ....... कहीं क्रिस्टी तो नहीं ? ... ....नहीं.....नहीं, क्रिस्टी नहीं हो सकती। वह भला मुझे सॉरी क्यों बोलेगी ? फिर...... कौन हो सकता है?“
अभी ऐलेक्स अपने विचारों में ही उलझा हुआ था कि तभी एक मधुर स्वर लहरी वातावरण में गूंज उठी।
“क्या मैं यहां बैठ सकती हूं?“ ऐलेक्स ने आवाज को सुन अपना सिर ऊपर उठाया।
पिंक कलर की चुस्त टी.शर्ट और ब्लैक जींस पहने जो सुंदरता की मूरत खड़ी थी, वह यकीनन क्रिस्टी ही थी, ऐलेक्स को एक बार तो जैसे यकीन ही नहीं हुआ कि वह जाग रहा है या सपना देख रहा है। ऐलेक्स को कुछ सोचता हुआ देख, क्रिस्टी ने पुनः मुस्कुराते हुए पूछ लिया-
“क्या मैं यहां बैठ सकती हूं?“
“यस.... यस..... व्हाई नाट?“ ऐलेक्स ने घबरा कर कहा।
क्रिस्टी सामने वाली कुर्सी पर बैठ गयी। उसे इतना पास में बैठते देख ऐलेक्स घबराहट के मारे खड़ा हो गया।
“क्या आप कहीं जा रहे हैं?“ क्रिस्टी ने ऐलेक्स को खड़ा होते देख पूछ लिया।
“जी..... नहीं तो !“ ऐलेक्स अभी भी सामान्य नहीं हो पाया था।
“तो फिर आप खड़े क्यों हो गये? बैठिए ना।“ क्रिस्टी ने इठलाते हुए ऐलेक्स की घबराहट का मजा लिया।
“जी..... जी हां !“ यह कहकर ऐलेक्स धीरे से अपनी कुर्सी पर बैठ गया।
पर घबराहट अभी भी पूरी तरह से उसके ऊपर हावी थी ।जिसके कारण उसके हाथ कांप रहे थे।
क्रिस्टी ने धीरे से अपना हाथ बढ़ाकर, ऐलेक्स का कांपता हुआ हाथ, अपने हाथों में ले लिया।
“क्या बात है? आपके हाथ क्यों कांप रहे हैं? आपकी तबियत तो ठीक है ना ?“ क्रिस्टी के होंठों से निकलते हर एक शब्द में शोखी झलक रही थी।
“जी.... हां..... तबियत तो बिल्कुल ठीक है।“ क्रिस्टी के हाथ रखने पर ऐलेक्स के हाथों का कांपना और बढ़ गया- “बस......वो थोड़ी ठंडक आज ज्यादा है ना इसीलिए।“
“आपको मेरा भेजा हुआ फूल कैसा लगा ?“ क्रिस्टी ने टॉपिक चेंज करते हुए कहा।
“जी....... अच्छा था ।“ ऐलेक्स के मुंह से बड़ी मुश्किल से बोल फूट रहे थे।
ऐलेक्स इस तरह बार-बार इधर-उधर देख रहा था, जैसे किसी चोर को कोहिनूर के पास बैठा दिया गया हो।
“फूल के पत्तियों पर कुछ लिखा भी हुआ था ? आपने वह पढ़ा कि नहीं?“ क्रिस्टी ने बड़ी शाइस्तगी से फुसफुसा कर कहा।
“जी.... पढ़ा।“ ऐलेक्स ने जवाब दिया।
“मैं आपसे माफी मांगती हूं। कल सबके सामने मैंने आपका नाम ले लिया। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।“ कहते कहते झुककर क्रिस्टी ऐलेक्स के काफी पास आ गई।
“क....क......कोई बात नहीं। आपने फि...र मुझे बचा भी .....तो लिया था।“
क्रिस्टी को इतना पास देखकर अब ऐलेक्स के दिल की धड़कन बहुत तेज हो गई।
“तो क्या आपने मुझे माफ कर दिया?“ क्रिस्टी अब ऐलेक्स के और पास आ गई।
“ज....जी.....जी हाँ।“ ऐलेक्स ने घबरा कर अपनी कुर्सी को थोड़ा पीछे की ओर झुकाया।
“वैसे मुझे आपसे एक बात और करनी थी।“ क्रिस्टी ने सस्पेंस भरे स्वर में फुसफुसा कर कहा।
“क्....क्या ?“
क्रिस्टी का चेहरा अब बिल्कुल ऐलेक्स के चेहरे के पास था।
ऐलेक्स लगातार अपनी कुर्सी पीछे झुकाता जा रहा था। तभी एक झटके से आगे बढ़कर क्रिस्टी ने ऐलेक्स के होंठों को चूम लिया।
“आई लव यू!“
घबराहट की अधिकता के कारण ऐलेक्स इतना पीछे हटा कि वह कुर्सी सहित वहीं जमीन पर ढेर हो गया। उधर क्रिस्टी अपने प्यार का इजहार कर तेजी से उठी और ऐलेक्स को गिरता देख, खिलखिलाती हुई, भागते कदमों से ऐलेक्स से दूर चली गई।
ऐलेक्स हक्का-बक्का सा वहीं गिरा पड़ा रहा। उसके कानों में क्रिस्टी की खिलखिलाहट गूंज रही थी।
“बड़ी______खतरनाक बला है।“ ऐलेक्स ने अपने माथे पर आये पसीने को धीरे से पोंछते हुए कहा।
# 32 .
चैपटर-10 3 जनवरी 2002, गुरुवार, 15:50; न्यूयॉर्क बंदरगाह, अमेरिका !
“स्मिथ......! ‘सुप्रीम’ का कुछ पता चला ?“ रॉबर्ट ने कुर्सी पर बैठे-बैठे पूछा- “आज उसे गायब हुए 3 दिन बीत गये हैं।“
“नो सर......सुप्रीम की कोई रिपोर्ट नहीं मिल रही है। अंतिम समय जब उससे संबंध स्थापित हुआ था तो वह बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमय क्षेत्र में क्षेत्र में लगभग 80 नॉटिकल माइल तक प्रवेश कर गया था। फिर अचानक ना जाने क्या हुआ कि हमारा उससे संपर्क टूट गया और वह भी अन्य जहाजों की तरह बारामूडा त्रिकोण के खतरनाक अंधेरों में खो गया।“ स्मिथ ने कहा।
“हमारे लिए सबसे बड़ी परेशानी यह है कि हमारे बहुत से वी.आई.पी. लोग भी उस शिप में हैं, जिनके गायब होने का मतलब पूरे विश्व में तहलका मच जाना है। हम कब तक आखिर ये खबर मीडिया से छिपाए रखेंगे। आज नहीं, तो कल उन्हें पता चल ही जाएगा। कुछ करना होगा स्मिथ......? कुछ करना होगा ? यह समस्या हमारे हाथ पर हाथ रखने से हल नहीं होगी।“
“यस सर, बिल्कुल सही कह रहे हैं आप। और वैसे भी शिप जैसे ही अगले स्टापेज पर नहीं पहुंचेगा। वहां से पूरी दुनिया को पता ही चल जायेगा, पर यह समझ में नहीं आया सर कि आखिर शिप के लोगों ने शिप को जानबूझकर गलत दिशा में क्यों मोड़ा ?“ स्मिथ ने दिमाग पर जोर डालते हुए कहा।
“तुम शायद भूल रहे हो स्मिथ कि इंटरपोल द्वारा हमें जो मैसेज मिला था। वह यह था कि जहाज पर कुछ अपराधी टाइप के व्यक्ति भी चढ़ गए हैं, जो शिप को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह भी तो हो सकता है कि उन अपराधियों ने शिप के कंट्रोल रूम पर कब्जा कर लिया हो और वही शिप को गलत दिशा में ले जा रहे हों।“ राबर्ट ने अपने विचार व्यक्त किये।
“सॉरी सर, लेकिन यह बात मेरी समझ में नहीं आती। क्यों कि यदि अपराधियों ने शिप पर कब्जा किया होता तो पहली बात तो वो उसे बारामूडा त्रिकोण जैसे खतरनाक क्षेत्र में नहीं ले जाते और दूसरी बात वह हमसे संपर्क स्थापित कर, अपनी कोई मांग मनवाने की कोशिश करते।“ स्मिथ ने तर्क देते हुए कहा।
लेकिन इससे पहले कि राबर्ट और कुछ कह पाता, एक जूनियर अधिकारी फिंच ने कमरे में प्रवेश किया। उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं।
“सर....सर.... वो..... वो.....!“ फिंच ने हकलाते हुए कहा।
“ये क्या वो...वो लगा रखा है?“ राबर्ट ने आने वाले को कसकर डांट लगाते हुए कहा- “साफ-साफ बताते क्यों नहीं ? क्या हुआ?“
“वो सर, एक आदमी बाहर खड़ा है और वह आपसे मिलने की जिद कर रहा है। कह रहा है कि आपसे कुछ विशेष बात करनी है?“ फिंच ने अपनी बात को घबराते हुए पूरा किया।
“तो इसमें इतना घबराने की क्या बात है? क्या नाम है उसका ?“ स्मिथ ने पूछा।
“सर.....वो अपना नाम असलम बता रहा है। कह रहा है कि वह “सुप्रीम” का सेकेंड असिस्टेंट कैप्टन है।“ फिंच ने शब्दों का बम फोड़ते हुए कहा।
“सांय.....सांय.....सांय।“ राबर्ट और स्मिथ को ऐसा लगा जैसे किसी ने उनके सिर पर बम फोड़ दिया हो।
“क्या...........?“ राबर्ट उछलकर अपनी सीट से खड़ा हो गया- “भेजो..... जल्दी भेजो उसे। ‘सुप्रीम’ खतरे में है।“
आदेश मिलते ही फिंच तुरंत बाहर की ओर भागा।
“ये कैसे हो सकता है स्मिथ? अगर ये असलम है तो सुप्रीम पर सेकेंड असिस्टेंट बन करके जो व्यक्ति गया है, वह कौन है?“
“पता नहीं सर.......पर जो भी है। मुझे सुप्रीम बहुत खतरे में महसूस हो रहा है।“
स्मिथ भी सस्पेंस के झूले में झूल रहा था। तभी फिंच एक व्यक्ति को लेकर अंदर दाखिल हुआ। आने वाले के बाल बिखरे हुए थे। दाढ़ी भी बढ़ी हुई थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे उसने पिछले 10 दिनों से दाढ़ी ना बनायी हो। उसके माथे पर एक सफेद पट्टी बंधी हुई थी।
“कौन हो तुम?“ राबर्ट की कड़कदार आवाज कमरे में गूंज उठी।
“मैं सुप्रीम का सेकेंड असिस्टेंट कैप्टन असलम हूं।“ आने वाले आगन्तुक ने जवाब दिया।
“झूठ बोल रहे हो तुम। असलम तो सुप्रीम के साथ सफर पर जा चुका है। तुम कोई बहरूपिये हो ?“ स्मिथ ने भी गहरी निगाहों से असलम को घूरते हुए कहा।
“मेरी बात का विश्वास मानिए, मैं ही असली असलम हूं। जो भी व्यक्ति सुप्रीम पर असलम बनकर गया है, वह बहुरुपिया है।“ असलम ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा।
“तुम्हारे पास कोई प्रूफ है कि तुम ही असलम हो।“ राबर्ट ने विचलित शब्दों में पूछा।
“मेरे पास इस समय तो कोई प्रूफ नहीं है, लेकिन आप सर जेरार्ड को बुलाइये। उन्होंने ही मुझे सुप्रीम के लिए चुना था। वह मुझे जानते हैं।“
असलम के शब्दों में गजब का कॉन्फिडेंस था। असलम का कॉन्फिडेंस देख राबर्ट भी एक बार तो हिल गया।
फिर राबर्ट ने स्मिथ को गहरी निगाहों से देखते हुए इशारा किया। स्मिथ तुरंत टेलीफोन पर झपटा और सर जेरार्ड का इक्सटेंशन नम्बर डायल कर दिया। 2 रिंग के बाद ही दूसरी तरफ से फोन उठा लिया गया।
“हैलो सर! मैं स्मिथ बोल रहा हूं। क्या आप जरा देर के लिए तुरंत राबर्ट सर के केबिन में आ सकते हैं। कुछ इमर्जेन्सी है।“ स्मिथ ने रिक्वेस्ट भरे अंदाज में पूछा।
दूसरी तरफ से ‘हां ‘ बो लकर फोन रख दिया गया। स्मिथ ने राबर्ट को देखकर धीरे से ‘हां ‘ में सिर हिलाया।
थोड़ी देर के लिए कमरे में सन्नाटा छा गया। बामुश्किल 2 मिनट में ही जेरार्ड राबर्ट के कमरे में थे। जेरार्ड के आते ही सभी अपनी जगह से खड़े हो गये। जेरार्ड ने एक नजर कमरे में बैठे सभी लोगों पर मारी और फिर स्वयं एक चेयर पर बैठ गया।
“हां बोलिए मिस्टर स्मिथ, आपने मुझे क्यों बुलाया ?“ जेरार्ड ने स्मिथ को देखते हुए कहा।
“सर, आपको तो पता ही है कि सुप्रीम से कुछ दिन पहले हमारा सम्पर्क टूट गया था।“ स्मिथ ने बिना टाइम वेस्ट किये, बोलना शुरु कर दिया-
“और उसके बारे में हमें कोई न्यूज नहीं मिल पा रहा था। पर इतने दिनों के बाद आज ये एक महाशय यहां पर आये हैं और यह कह रहे हैं कि ये सुप्रीम के सेकेंड असिस्टेंट कैप्टन असलम हैं। इनका कहना है कि ये यहां से शिप के साथ गये ही नहीं थे, जबकि शिप का पूरा स्टाफ यहां से अपने नियत समय पर जा चुका है। इन्होने ये भी कहा कि इनका सेलेक्शन आपने किया था और आप इन्हें पहचानते हैं।“
स्मिथ की बात सुन पहली बार जेरार्ड ने असलम को ध्यान से देखा।
“सर, आप तो मुझे पहचान रहे हैं ना।“ असलम ने जेरार्ड को याद दिलाते हुए कहा-
“मैं असलम......याद है इन्टरव्यू के दौरान मैंने आपके चश्मे के लिए एक सलाह दी थी।“
“यस...यस.....मिस्टर स्मिथ, ये आदमी सौ प्रतिशत असलम ही है।“ जेरार्ड ने याद करते हुए कहा-
“पर अगर ये यहां पर है.....तो असलम बनकर सुप्रीम पर कौन गया है?“
जेरार्ड की बात सुनकर राबर्ट ने अपना सिर पकड़ लिया।
“सॉरी सर पर इस बारे में हमें भी कुछ नहीं पता।“ स्मिथ ने हकबकाये स्वर में जवाब दिया।
“हां, अब आप बताइए मिस्टर असलम कि आप के साथ क्या हुआ जिससे आप इतने दिनों के बाद हमारे पास पहुंचे।“ राबर्ट ने असलम से पूछा।
“जिस दिन मुझे शिप पर अपना कार्ड लेकर, सबसे अपना परिचय कराने जाना था। उस दिन मैं सुबह अपने समय पर अपने घर से निकला। आगे दो-तीन मोड़ को पार करने के बाद एक सुनसान रोड जाती है, जिसके दूसरी तरफ एक भयानक झरना बहता है। मैं जब वहां पर पहुंचा, तो रोड के पास एक बाइक गिरी पड़ी थी और उसके पास एक आदमी पड़ा कराह रहा था। मैंने अपनी कार को किनारे लगाया और उतर कर उस आदमी के पास पहुंचा। जैसे ही मैं उसको देखने लगा, अचानक उसने मेरे ऊपर हमला कर दिया। उसने मेरे सिर पर पता नहीं किस चीज से दो-तीन चोट मारी। मैं थोड़ी ही देर में बेहोश हो गया। मुझे जब होश आया तो मैंने अपने आपको एक बूढ़े की झोपड़ी में पाया।
उस बूढ़े ने मुझे बताया कि मैं उसे झरने के किनारे एक पत्थर से अटका हुआ मिला था। मैं लगभग 7 दिनों के बाद होश में आया था। फिर लगभग 3 दिन मुझे उठकर चलने-फिरने में लगे। मैं जैसे ही इस लायक हो गया कि थोड़ा चल-फिर सकूं, तुरंत भागकर आपके पास पहुंच गया।“
“इसका मतलब शिप पर यह पहचानने वाला कोई नहीं था कि असलम कौन है?“ स्मिथ ने पूछा।
“दरअसल इंटरव्यू में सेलेक्शन हो जाने के बाद, हमारे सारे डाक्यूमेंट्स जमा कर लिए गये और एक आई-कार्ड बना कर दे दिया गया। शिप के चलने के एक हफ्ते पहले उसका एक टेस्ट ड्राइव किया गया। उसी दिन शाम को शिप पर एक पार्टी रखी गयी। उस दिन शिप का एक अधिकारी, आई-कार्ड को चेक कर, सभी चालक दल का परिचय एक-दूसरे से कराने वाला था।“ असलम ने कहा।
“इसका मतलब उस अधिकारी ने फंक्शन वाले दिन, ठीक से डाक्यूमेंट चेक नहीं किये।“ जेरार्ड ने राबर्ट को घूरते हुए, खा जाने वाले अंदाज में कहा।
राबर्ट ने सटपटा कर दूसरी तरफ निगाह फेर ली। शायद उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था।
“मेरे होश में आने पर, मैंने सबसे पहले अपने कपड़ों के जेबें चेक कीं। परंतु कार्ड सहित मेरे सारे डॉक्यूमेंट वहां से गायब थे। हो सकता है जो मेरा नाम लेकर शिप में गया, उसने मेरी फोटो की जगह अपनी लगा कर किसी तरह से अधिकारियों को धो खा दे दिया हो।“ असलम ने जेरार्ड की तरफ देखते हुए कहा।
“यानि कि अब ये फाइनल हो गया कि जो व्यक्ति असलम बनकर शिप में गया है, वह नकली है।....... सर ये भी तो हो सकता है कि उसी ने शिप को जान बूझकर बारामूडा त्रिकोण के क्षेत्र में डाल दिया हो।“ स्मिथ ने राबर्ट को देखते हुए कहा।
“बारामूडा त्रिकोण के क्षेत्र में!“ असलम ने चैंकते हुए कहा।
“जी हां, इस समय ‘सुप्रीम’ बारामूडा त्रिकोण के रहस्यमयी क्षेत्र में जाकर गायब हो चुका है।“ राबर्ट ने जवाब दिया। कहकर स्मिथ ने जितनी भी जानकारी उसके पास थी, वह सब असलम को बतादी।
“इसका मतलब हमारा पहला काम सुप्रीम को खोजकर उसे वास्तविक रूट पर वापस लाना है और शिप के कैप्टेन को नकली असलम से सावधान करना है।“ असलम ने जोश में आते हुए कहा।
“लेकिन कैसे?“ स्मिथ के शब्दों में बेचैनी भरी थी।
“मुझे अपने जान की बाजी लगानी होगी क्यों कि शिप में यात्रा कर रहे, सभी यात्रियों की जान मेरी जान से कहीं बहुत अधिक है।“ असलम अब भावुक लग रहा था।
“आपको अब और परेशान होने की जरुरत नहीं है मिस्टर असलम।“ जेरार्ड के शब्दों में अब भूकम्प जैसे भाव थे- “आप अभी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं। अभी आपको आराम करना चाहिए, रही बात सुप्रीम की तो यह जिम्मेदारी अब आप मुझ पर छोड़ दीजिए। इस मैटर को अब मैं पर्सनली हैण्डिल करुंगा। और हां, हमें इतनी जरुरी इंफार्मेशन देने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया “ इतना कहकर जेरार्ड अपनी कुर्सी से खड़ा हो गया।
जेरार्ड के खड़े होते ही बाकी सब भी उनके साथ खड़े हो गये। जेरार्ड के इशारे पर फिंच, असलम को हॉस्पिटल लेकर चला गया। जेरार्ड ने एक नजर राबर्ट और स्मिथ पर मारी और बोले-
“अब से ठीक दो घंटे बाद आप दोनो लोग मेरे रुम में मुझसे आकर मिलिए।“ इतना कहकर जेरार्ड तेजी से कमरे से बाहर निकल गये।