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#58.
“अब तो 100 प्रतिशत मुमकिन है कि हमे इस द्वीप पर अभी बहुत से आश्चर्य और देखने को मिलेंगे ।" ड्रेजलर ने कहा।
“अंकल क्या मैं इस पेड़ को छू सकती हुं ?" शैफाली ने सुयश कि ओर सर घुमाते हुए कहा- “पता नही क्यों मुझे इसे छूने का मन कर रहा है।"
सुयश ने एक बार ध्यान से शैफाली को देखा और फ़िर शैफाली का हाथ पकड़ उसे पेड़ तक लेता गया।
वैसे तो शैफाली कि यह बात बहुत ही सामान्य सी थी, परंतु पता नही क्यों सुयश को इसमे भी कुछ रहस्य सा महसूस हुआ। सुयश के हाथ के इशारे पर, शैफाली ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर पेड़ को स्पर्श कर लिया।
शैफाली के स्पर्श करते ही अचानक पेड़ मे कुछ हलचल सी हुई और बिना किसी हवा के उस पेड़ कि डालीयां झूमने लगी।
पेड़ कि यह हरकत देख सभी लोग डरकर पीछे हट गये। सुयश भी शैफाली को लेकर दूर चला गया। डालीयां के झूमने की गति धीरे-धीरे तेज होने लगी। जिसकी वजह से उस पर लगे फल टूट-टूट कर नीचे गिरने लगे।
मात्र 30 सेकंड मे ही पेड़ के नीचे फलो का अम्बार लग गया। जब पेड़ से सारे फल टूटकर नीचे गिर गये तो पेड़ स्वतः ही शांत हो गया।
“ये सब क्या था?" जेनिथ ने आश्चर्य से फलो के टूटे अंबार को देखते हुए कहा।
“शायद यह कोई मायावी पेड़ है। जिसके अंदर स्वयं कि समझ भी है।" तौफीक ने कहा।
“तुमने पेड़ को छूकर ऐसा क्या किया था?" सुयश ने शैफाली को देखते हुए पूछा- “जिसकी वजह से पेड़ ने हरकत की।"
“मैंने केवल उसे छूकर फल को खाने कि इच्छा व्यक्त की थी बस.... और मुझे कुछ नही पता?"
शैफाली स्वयं भी आश्चर्य में थी। किसी को समझ नही आया कि ये सब कैसे हुआ।
“प्रोफेसर, आपको कुछ समझ में आया क्या?" ब्रेंडन ने अल्बर्ट से मुखातिब होते हुए पूछा।
अल्बर्ट ने एक गहरी साँस भरी और ब्रेंडन से कहना शुरू कर दिया-
“मैं स्वयं इस घटना से आश्चर्य में हुं, मैंने कभी भी ऐसे किसी पेड़ के बारे में नही सुना। हाँ, पर हिंदू माइथालोजी में ‘पारीजात’ नामक एक ऐसे पेड़ का वर्णन है, जो किसी कि भी इच्छा को पूर्ण करता था। मुझे यह पेड़ भी कुछ वैसा ही लग रहा है, क्यों की जब हमने इसकी इच्छा के विरूद्ध इसके फल तोड़ने चाहे तो नही तोड़ पाये, पर जब शैफाली ने इससे प्रार्थना कि तो इसने स्वयं ही अपने सारे फल हमें दे दिये।"
“पर .... शैफाली ने तो मन में प्रार्थना की थी, शैफाली के मन कि बात इसे कैसे समझ में आ गयी।" सुयश के शब्दो में तर्क तो था।
“मैं श्योरिटी से तो कुछ नही कह सकता, पर ये भी हो सकता है कि यह पेड़ मन कि बात को समझ लेता हो, आख़िर हमारी सोच भी तो एक ऊर्जा का ही रूप होती है।" अल्बर्ट ने कहा।
“अंकल अब क्या हम इन फलो को खा सकते है?" शैफाली ने सबके विचारो पर पूर्ण विराम लगाते हुए पूछा।
शैफाली की आवाज सुन सुयश ने एक फल ब्रूनो के सामने रखा। ब्रूनो ने पहले फल को सूंघा और फ़िर खा लिया। थोड़ी देर तक ब्रूनो को देखते रहने के बाद सुयश ने सबको फल खाने कि इजाजत दे दी।
फल का स्वाद बहुत ही अनोखा था। उसमें कोई बीज नही था और रस भी बहुत ज्यादा था। सभी को वो फल बहुत ही अच्छा लगा। फल खाकर सुयश ने फ़िर सभी को आगे चलने का इशारा किया।
सभी उठकर चल दीये । शैफाली ने कुछ आगे बढ़ने के बाद पीछे पलटकर उस चमत्कारी पेड़ को ‘बाय’ किया।
शैफाली के ऐसा करने पर पेड़ की भी एक डाल जोर से हिली, ऐसा लगा मानो उस पेड़ ने भी शैफाली को बाय किया।
चैपटर-2 (सुनहरी ढाल)
7 जनवरी 2002, सोमवार, 11:30, ट्रांस अंटार्कटिक पर्वत, अंटार्कटिका
अंटार्कटिका की धरती पर बर्फ़ की एक मोटी चादर बिछी थी। जनवरी का महीना अंटार्कटिका का सबसे गरम महीना था फ़िर भी उस छेत्र में किसी भी प्रकार के जीव-जंतू और पेड़-पौधे का नामो-निशान तक नहि था।
आसमान इस समय बिलकुल साफ था और तापमान 0.3 डिग्री सेल्सियस था। ऐसे मौसम में 2 अमेरिकी व्यक्ति ट्रांस अंटार्कटिक के पहाड़ों के पास ड्रिल मशीन से बर्फ़ में सुराख करने की कोशीश कर रहे थे।
“तुम्हें क्या लगता है जेम्स, हमारी इस मशीन ने आज क्या खोजा होगा?“ विल्मर ने मैटल खोज करने वाली मशीन के जलते हुए इंडीकेटर को देखकर कहा।
“जरूर यहाँ पर कोई पुराना खजाना दबा हुआ होगा?" जेम्स ने मुस्कुराते हुए विल्मर पर कटाक्ष किया- “फ़िर इस खजाने को पाकर हम करोड़पती बन जाएंगे।"
“हा....हा...हा..... खजाना!“ विल्मर भी जेम्स की बात सुनकर जोर से हंसा- “पुराने टूटे-फूटे स्कूटर के अवशेष के अलावा यहां आज तक कुछ मिला है जो आज मिलेगा। ये कोई पिकनिक मनाने की जगह तो है नही। यहां पर हमारी- तुम्हारी तरह के कुछ खोजी दस्ते ही आते है, अपने ‘स्की-स्कूटर’ से। उन्हि में से कुछ दुर्घटना का शिकार भी हो जाते है । उसमे से ही होगा, किसी का कोई सामान, जिसका यह खोज- सूचक (search-indicator) हमे संकेत दे रहा होगा।"
“सही कह रहा है भाई।" जेम्स ने अब उदास होते हुए कहा- “चल ड्रिल करता रह, जब थक जाना तो मुझे बता देना, आगे की खुदाई मैं कर लूंगा।"
लेकिन इससे पहले कि विल्मर और कुछ बोल पाता, ड्रिल मशीन एक ‘खटाक’ कि आवाज के साथ किसी चीज से टकराई। यह आवाज सुन दोनो के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।
“ले भाई मिल गया तेरा खजाना।" विल्मर ने ड्रिल छोड़कर खड़े होते हुए कहा- “अब तू ही निकाल अपने इस खजाने को।"
जेम्स ने हंसकर विल्मर कि जगह ले ली और अपने ग्लब्स पहने हाथो से उस जगह की बर्फ़ साफ करने लगा।
थोड़ी ही सफाई के बाद जेम्स कि आँखे आश्चर्य से सिकुड़ गई।
“य...य...ये क्या है?" जेम्स ने जमीन की ओर देखते हुए आश्चर्य से कहा। जेम्स कि ऐसी आवाज सुनकर विल्मर भी उस गड्डे में देखने लगा।
गड्डे में एक सुनहरी अंजान सी धातु की बनी हुई एक ढाल नजर आ रही थी जो देखने में किसी पुरातन योद्धा की लग रही थी। ढाल पर ड्रेगन कि तरह के एक विचित्र जीव कि उभरी हुई आकृति बनी थी।
“लग रहा है सच में खजाना मिल गया!" उस ढाल को देखकर जेम्स ने रोमांच से कहा।
अब जेम्स और विल्मर तेजी से उस जगह कि बर्फ़ को साफ करने लगे। ढाल अब पूरी नजर आने लगी थी।
“यह कौन सी धातु हो सकती है?" जेम्स ने उस सुनहरी धातु को देखते हुए पूछा।
“सोना तो नही है, पर है यह कोई बहुमूल्य धातु।" विल्मर ने उस धातु को हाथो से टच करते हुए कहा।
ढाल पर पड़ी पूरी बर्फ़ अब हट गयी थी।
“चल निकाल जल्दी से इस खजाने को, अब सबर नहीं बचा मेरे पास।" विल्मर ने कहा।
जेम्स ने ढाल को एक हाथ से खिंचा, पर वह ढाल उठना तो छोड़ो, हिली तक नहीं । यह देख जेम्स ने दोनो हाथो का इस्तेमाल किया, पर पूरी ताकत लगाने के बाद भी वह उस ढाल को हिला तक नहीं पाया।
यह देख विल्मर ने क्रोध से जेम्स को धक्का दीया और स्वयं आकर उस ढाल को उठाने कि कोसिश करने लगा। पर ढाल विल्मर से भी ना हिली । अब दोनों ने मिलकर पूरी ताकत लगायी, फिर भी वह ढाल को हिला नहीं पाये।
“शायद यह ढाल बर्फ़ में ज़्यादा अंदर तक घुसी है, इसे निकालने के लीए, लगता है और बर्फ़ हटानी पड़ेगी।" जेम्स ने कहा।
यह सुन विल्मर ने दोबारा से ड्रिल मशीन अपने हाथ में ले ली और उस स्थान के अगल-बगल कि बर्फ़ हटानी शुरु कर दी।
थोड़ी देर में ढाल के पास का लगभग 6 मीटर का क्षेत्र दोनो ने साफ कर लिया। पर अब उस जगह को देख उनकी आँखे फटी की फटी रह गई, क्यों की अब उस साफ किये 6 मीटर के दायरे में, उसी धातु की सुनहरी दीवार दीखाई दे रही थी।
एक ऐसी दीवार जिसमें वह ढाल लगी हुई थी और उस दीवार का अंत कहीं नजर नहीं आ रहा था।
“ये है क्या?" जेम्स ने उस दीवार को देखते हुये कहा- “इसका तो कहीं अंत ही नहीं दिख रहा है।“
अब दोनों की आंखें रहस्य से फैल गई। अब विल्मर ने उस स्थान से 10 मीटर दूर ड्रिल करना शुरु कर दिया। थोड़ी देर बाद वहां भी बर्फ़ के नीचे वही दीवार दिखाई दी।
अब विल्मर जैसे पागल हो गया। उसने लगभग 500 मीटर के दायरे में अलग-अलग जगह की बर्फ़ हटायी, पर सभी जगह से एक ही परिणाम निकला। हर जगह पर वह सुनहरी दीवार मौजूद थी।
विल्मर अब थककर पूरी तरह से चूर हो चुका था। इसिलये वह जेम्स के पास आकर बैठ गया।
“क्या लगता है तुम्हे? ये चीज क्या हो सकती है?" विल्मर ने जोर- जोर से साँस लेते हुये जेम्स से पूछा।
“शायद यह कोई पनडुब्बी या पानी का जहाज हो सकता है, जो कि यहां बर्फ़ में दबा है, या फिर कोई एलियन का स्पेससिप या .......।" कहते-कहते जेम्स ने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।
“या ....?"
विल्मर ने जेम्स की बात को पूरा करते हुए कहा- “कोई ऐसी सभ्यता जो अभी तक दुनियाँ कि नजर में आई ही ना हो।" अब दोनों की आँखो में थोड़ा डर भी दिखायी देने लगा।
“तो फिर क्या हमको इसकी जानकारी अपने हेड-कवाटर भेज देना चाहिए?" जेम्स ने विल्मर से पूछा।
“अब अगर हमें इस चीज से कोई निजी फायदा नहि हो सकता, तो हेड-कवाटर बता देना ही ठीक रहेगा। कम से कम इस परियोजना को ढूंढने में हमारा नाम तो आयेगा।"
विल्मर ने कहा- “अगर तुम कहो तो एक कोशिश और करके देख ले?, शायद कुछ हो ही जाए।"
“कैसी कोशिश?" जेम्स ने ना समझने वाले अंदाज में पूछा।
“देख भाई, चाहे यह कोई पनडुब्बी हो, चाहे एिलयन का स्पेससिप या फिर कोई नयी सभ्यता, इसका रास्ता तो कहीं ना कहीं से होगा ही। क्यों ना हम इसके रास्ते को ढूंढने की कोशिश करे। शायद हमें सच में कोई खजाना मिल जाए।" विल्मर ने जेम्स को समझाते हुए कहा।
विल्मर की बात सुन जेम्स थोड़ी देर सोचता रहा और फिर उसने हाँ में सर हिलाते हुए कहा-
“ठीक है, हम अभी इस परियोजना की जानकारी कीसी को नही देते और इस दूसरी दुनियां का रास्ता ढूंढने की कोशिश करते है। अगर हम अगले 5 दिन में भी इसका रास्ता नहीं खोज पाये तो फिर इसके बारे में सबको बता देंगे।"
“डन।" विल्मर ने थम्स-अप करते हुए कहा और एक बार फिर दुगने उत्साह से अलग दिशा में खुदाई करने चल दिया।
जारी रहेगा________
“अब तो 100 प्रतिशत मुमकिन है कि हमे इस द्वीप पर अभी बहुत से आश्चर्य और देखने को मिलेंगे ।" ड्रेजलर ने कहा।
“अंकल क्या मैं इस पेड़ को छू सकती हुं ?" शैफाली ने सुयश कि ओर सर घुमाते हुए कहा- “पता नही क्यों मुझे इसे छूने का मन कर रहा है।"
सुयश ने एक बार ध्यान से शैफाली को देखा और फ़िर शैफाली का हाथ पकड़ उसे पेड़ तक लेता गया।
वैसे तो शैफाली कि यह बात बहुत ही सामान्य सी थी, परंतु पता नही क्यों सुयश को इसमे भी कुछ रहस्य सा महसूस हुआ। सुयश के हाथ के इशारे पर, शैफाली ने अपना हाथ आगे बढ़ाकर पेड़ को स्पर्श कर लिया।
शैफाली के स्पर्श करते ही अचानक पेड़ मे कुछ हलचल सी हुई और बिना किसी हवा के उस पेड़ कि डालीयां झूमने लगी।
पेड़ कि यह हरकत देख सभी लोग डरकर पीछे हट गये। सुयश भी शैफाली को लेकर दूर चला गया। डालीयां के झूमने की गति धीरे-धीरे तेज होने लगी। जिसकी वजह से उस पर लगे फल टूट-टूट कर नीचे गिरने लगे।
मात्र 30 सेकंड मे ही पेड़ के नीचे फलो का अम्बार लग गया। जब पेड़ से सारे फल टूटकर नीचे गिर गये तो पेड़ स्वतः ही शांत हो गया।
“ये सब क्या था?" जेनिथ ने आश्चर्य से फलो के टूटे अंबार को देखते हुए कहा।
“शायद यह कोई मायावी पेड़ है। जिसके अंदर स्वयं कि समझ भी है।" तौफीक ने कहा।
“तुमने पेड़ को छूकर ऐसा क्या किया था?" सुयश ने शैफाली को देखते हुए पूछा- “जिसकी वजह से पेड़ ने हरकत की।"
“मैंने केवल उसे छूकर फल को खाने कि इच्छा व्यक्त की थी बस.... और मुझे कुछ नही पता?"
शैफाली स्वयं भी आश्चर्य में थी। किसी को समझ नही आया कि ये सब कैसे हुआ।
“प्रोफेसर, आपको कुछ समझ में आया क्या?" ब्रेंडन ने अल्बर्ट से मुखातिब होते हुए पूछा।
अल्बर्ट ने एक गहरी साँस भरी और ब्रेंडन से कहना शुरू कर दिया-
“मैं स्वयं इस घटना से आश्चर्य में हुं, मैंने कभी भी ऐसे किसी पेड़ के बारे में नही सुना। हाँ, पर हिंदू माइथालोजी में ‘पारीजात’ नामक एक ऐसे पेड़ का वर्णन है, जो किसी कि भी इच्छा को पूर्ण करता था। मुझे यह पेड़ भी कुछ वैसा ही लग रहा है, क्यों की जब हमने इसकी इच्छा के विरूद्ध इसके फल तोड़ने चाहे तो नही तोड़ पाये, पर जब शैफाली ने इससे प्रार्थना कि तो इसने स्वयं ही अपने सारे फल हमें दे दिये।"
“पर .... शैफाली ने तो मन में प्रार्थना की थी, शैफाली के मन कि बात इसे कैसे समझ में आ गयी।" सुयश के शब्दो में तर्क तो था।
“मैं श्योरिटी से तो कुछ नही कह सकता, पर ये भी हो सकता है कि यह पेड़ मन कि बात को समझ लेता हो, आख़िर हमारी सोच भी तो एक ऊर्जा का ही रूप होती है।" अल्बर्ट ने कहा।
“अंकल अब क्या हम इन फलो को खा सकते है?" शैफाली ने सबके विचारो पर पूर्ण विराम लगाते हुए पूछा।
शैफाली की आवाज सुन सुयश ने एक फल ब्रूनो के सामने रखा। ब्रूनो ने पहले फल को सूंघा और फ़िर खा लिया। थोड़ी देर तक ब्रूनो को देखते रहने के बाद सुयश ने सबको फल खाने कि इजाजत दे दी।
फल का स्वाद बहुत ही अनोखा था। उसमें कोई बीज नही था और रस भी बहुत ज्यादा था। सभी को वो फल बहुत ही अच्छा लगा। फल खाकर सुयश ने फ़िर सभी को आगे चलने का इशारा किया।
सभी उठकर चल दीये । शैफाली ने कुछ आगे बढ़ने के बाद पीछे पलटकर उस चमत्कारी पेड़ को ‘बाय’ किया।
शैफाली के ऐसा करने पर पेड़ की भी एक डाल जोर से हिली, ऐसा लगा मानो उस पेड़ ने भी शैफाली को बाय किया।
चैपटर-2 (सुनहरी ढाल)
7 जनवरी 2002, सोमवार, 11:30, ट्रांस अंटार्कटिक पर्वत, अंटार्कटिका
अंटार्कटिका की धरती पर बर्फ़ की एक मोटी चादर बिछी थी। जनवरी का महीना अंटार्कटिका का सबसे गरम महीना था फ़िर भी उस छेत्र में किसी भी प्रकार के जीव-जंतू और पेड़-पौधे का नामो-निशान तक नहि था।
आसमान इस समय बिलकुल साफ था और तापमान 0.3 डिग्री सेल्सियस था। ऐसे मौसम में 2 अमेरिकी व्यक्ति ट्रांस अंटार्कटिक के पहाड़ों के पास ड्रिल मशीन से बर्फ़ में सुराख करने की कोशीश कर रहे थे।
“तुम्हें क्या लगता है जेम्स, हमारी इस मशीन ने आज क्या खोजा होगा?“ विल्मर ने मैटल खोज करने वाली मशीन के जलते हुए इंडीकेटर को देखकर कहा।
“जरूर यहाँ पर कोई पुराना खजाना दबा हुआ होगा?" जेम्स ने मुस्कुराते हुए विल्मर पर कटाक्ष किया- “फ़िर इस खजाने को पाकर हम करोड़पती बन जाएंगे।"
“हा....हा...हा..... खजाना!“ विल्मर भी जेम्स की बात सुनकर जोर से हंसा- “पुराने टूटे-फूटे स्कूटर के अवशेष के अलावा यहां आज तक कुछ मिला है जो आज मिलेगा। ये कोई पिकनिक मनाने की जगह तो है नही। यहां पर हमारी- तुम्हारी तरह के कुछ खोजी दस्ते ही आते है, अपने ‘स्की-स्कूटर’ से। उन्हि में से कुछ दुर्घटना का शिकार भी हो जाते है । उसमे से ही होगा, किसी का कोई सामान, जिसका यह खोज- सूचक (search-indicator) हमे संकेत दे रहा होगा।"
“सही कह रहा है भाई।" जेम्स ने अब उदास होते हुए कहा- “चल ड्रिल करता रह, जब थक जाना तो मुझे बता देना, आगे की खुदाई मैं कर लूंगा।"
लेकिन इससे पहले कि विल्मर और कुछ बोल पाता, ड्रिल मशीन एक ‘खटाक’ कि आवाज के साथ किसी चीज से टकराई। यह आवाज सुन दोनो के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।
“ले भाई मिल गया तेरा खजाना।" विल्मर ने ड्रिल छोड़कर खड़े होते हुए कहा- “अब तू ही निकाल अपने इस खजाने को।"
जेम्स ने हंसकर विल्मर कि जगह ले ली और अपने ग्लब्स पहने हाथो से उस जगह की बर्फ़ साफ करने लगा।
थोड़ी ही सफाई के बाद जेम्स कि आँखे आश्चर्य से सिकुड़ गई।
“य...य...ये क्या है?" जेम्स ने जमीन की ओर देखते हुए आश्चर्य से कहा। जेम्स कि ऐसी आवाज सुनकर विल्मर भी उस गड्डे में देखने लगा।
गड्डे में एक सुनहरी अंजान सी धातु की बनी हुई एक ढाल नजर आ रही थी जो देखने में किसी पुरातन योद्धा की लग रही थी। ढाल पर ड्रेगन कि तरह के एक विचित्र जीव कि उभरी हुई आकृति बनी थी।
“लग रहा है सच में खजाना मिल गया!" उस ढाल को देखकर जेम्स ने रोमांच से कहा।
अब जेम्स और विल्मर तेजी से उस जगह कि बर्फ़ को साफ करने लगे। ढाल अब पूरी नजर आने लगी थी।
“यह कौन सी धातु हो सकती है?" जेम्स ने उस सुनहरी धातु को देखते हुए पूछा।
“सोना तो नही है, पर है यह कोई बहुमूल्य धातु।" विल्मर ने उस धातु को हाथो से टच करते हुए कहा।
ढाल पर पड़ी पूरी बर्फ़ अब हट गयी थी।
“चल निकाल जल्दी से इस खजाने को, अब सबर नहीं बचा मेरे पास।" विल्मर ने कहा।
जेम्स ने ढाल को एक हाथ से खिंचा, पर वह ढाल उठना तो छोड़ो, हिली तक नहीं । यह देख जेम्स ने दोनो हाथो का इस्तेमाल किया, पर पूरी ताकत लगाने के बाद भी वह उस ढाल को हिला तक नहीं पाया।
यह देख विल्मर ने क्रोध से जेम्स को धक्का दीया और स्वयं आकर उस ढाल को उठाने कि कोसिश करने लगा। पर ढाल विल्मर से भी ना हिली । अब दोनों ने मिलकर पूरी ताकत लगायी, फिर भी वह ढाल को हिला नहीं पाये।
“शायद यह ढाल बर्फ़ में ज़्यादा अंदर तक घुसी है, इसे निकालने के लीए, लगता है और बर्फ़ हटानी पड़ेगी।" जेम्स ने कहा।
यह सुन विल्मर ने दोबारा से ड्रिल मशीन अपने हाथ में ले ली और उस स्थान के अगल-बगल कि बर्फ़ हटानी शुरु कर दी।
थोड़ी देर में ढाल के पास का लगभग 6 मीटर का क्षेत्र दोनो ने साफ कर लिया। पर अब उस जगह को देख उनकी आँखे फटी की फटी रह गई, क्यों की अब उस साफ किये 6 मीटर के दायरे में, उसी धातु की सुनहरी दीवार दीखाई दे रही थी।
एक ऐसी दीवार जिसमें वह ढाल लगी हुई थी और उस दीवार का अंत कहीं नजर नहीं आ रहा था।
“ये है क्या?" जेम्स ने उस दीवार को देखते हुये कहा- “इसका तो कहीं अंत ही नहीं दिख रहा है।“
अब दोनों की आंखें रहस्य से फैल गई। अब विल्मर ने उस स्थान से 10 मीटर दूर ड्रिल करना शुरु कर दिया। थोड़ी देर बाद वहां भी बर्फ़ के नीचे वही दीवार दिखाई दी।
अब विल्मर जैसे पागल हो गया। उसने लगभग 500 मीटर के दायरे में अलग-अलग जगह की बर्फ़ हटायी, पर सभी जगह से एक ही परिणाम निकला। हर जगह पर वह सुनहरी दीवार मौजूद थी।
विल्मर अब थककर पूरी तरह से चूर हो चुका था। इसिलये वह जेम्स के पास आकर बैठ गया।
“क्या लगता है तुम्हे? ये चीज क्या हो सकती है?" विल्मर ने जोर- जोर से साँस लेते हुये जेम्स से पूछा।
“शायद यह कोई पनडुब्बी या पानी का जहाज हो सकता है, जो कि यहां बर्फ़ में दबा है, या फिर कोई एलियन का स्पेससिप या .......।" कहते-कहते जेम्स ने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया।
“या ....?"
विल्मर ने जेम्स की बात को पूरा करते हुए कहा- “कोई ऐसी सभ्यता जो अभी तक दुनियाँ कि नजर में आई ही ना हो।" अब दोनों की आँखो में थोड़ा डर भी दिखायी देने लगा।
“तो फिर क्या हमको इसकी जानकारी अपने हेड-कवाटर भेज देना चाहिए?" जेम्स ने विल्मर से पूछा।
“अब अगर हमें इस चीज से कोई निजी फायदा नहि हो सकता, तो हेड-कवाटर बता देना ही ठीक रहेगा। कम से कम इस परियोजना को ढूंढने में हमारा नाम तो आयेगा।"
विल्मर ने कहा- “अगर तुम कहो तो एक कोशिश और करके देख ले?, शायद कुछ हो ही जाए।"
“कैसी कोशिश?" जेम्स ने ना समझने वाले अंदाज में पूछा।
“देख भाई, चाहे यह कोई पनडुब्बी हो, चाहे एिलयन का स्पेससिप या फिर कोई नयी सभ्यता, इसका रास्ता तो कहीं ना कहीं से होगा ही। क्यों ना हम इसके रास्ते को ढूंढने की कोशिश करे। शायद हमें सच में कोई खजाना मिल जाए।" विल्मर ने जेम्स को समझाते हुए कहा।
विल्मर की बात सुन जेम्स थोड़ी देर सोचता रहा और फिर उसने हाँ में सर हिलाते हुए कहा-
“ठीक है, हम अभी इस परियोजना की जानकारी कीसी को नही देते और इस दूसरी दुनियां का रास्ता ढूंढने की कोशिश करते है। अगर हम अगले 5 दिन में भी इसका रास्ता नहीं खोज पाये तो फिर इसके बारे में सबको बता देंगे।"
“डन।" विल्मर ने थम्स-अप करते हुए कहा और एक बार फिर दुगने उत्साह से अलग दिशा में खुदाई करने चल दिया।
जारी रहेगा________