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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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#65.

उधर जेनिथ धीरे-धीरे अपने आगे चल रही क्रिस्टी के पीछे जा रही थी। इधर पता नहीं कैसे सोयी हुई क्रिस्टी जाग गयी।

उसने जेनिथ को पेड़ो की ओर जाते हुए देखा। उसे आश्चर्य हुआ की जेनिथ इतनी रात गये पेड़ो की तरफ क्यों जा रही है? वह उठकर जेनिथ की तरफ भागी। कुछ ही पल में क्रिस्टी जेनिथ के पीछे पहुंच गयी।

“क्या हुआ जेनिथ?" क्रिस्टी ने आगे जा रही जेनिथ को पीछे से आवाज लगाते हुए कहा- “तुम इतनी रात गये कहां जा रही हो?"

जेनिथ पीछे से आ रही आवाज को सुन पलट कर पीछे देखने लगी। अपने पीछे क्रिस्टी को खड़े देख वह आश्चर्य से भर उठी। उसे समझ नहीं आया की उसके आगे चल रही क्रिस्टी अचानक उसके पीछे कैसे आ गयी? जेनिथ ने पलटकर वापस आगे की ओर देखा।

आगे देखते ही जेनिथ की आँखे फटी की फटी रह गयी क्यों की आगे पेड़ो के झुरमुट के पास एक और क्रिस्टी खड़ी उसे देखकर मुस्कुरा रही थी।

यह देखकर जेनिथ के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया। वह ‘धड़ाम’ की आवाज के साथ वहां लहरा कर गिर गयी।

पीछे वाली क्रिस्टी ने जेनिथ को लहराकर गिरते देखा, उसने इधर-उधर नजर घुमाकर देखा, पर उसे कुछ नजर नहीं आया। वह भागकर जेनिथ के पास पहुंच गयी।

जेनिथ जमीन पर बेहोश पड़ी थी। यह देख क्रिस्टी ने चीखकर सबको जगा दिया।

“कैप्टन...तौफीक...उठो। देखो इधर जेनिथ को क्या हुआ?"

क्रिस्टी की चीख सुनकर सभी जाग गये और भागकर क्रिस्टी के पास पहुंच गये।

“क्या हुआ?" सुयश ने जोर से कहा- “तुम लोग इतनी रात में इधर क्या कर रही हो? और जेनिथ बेहोश कैसे हो गयी?"

“पता नहीं!" क्रिस्टी ने उलझे-उलझे स्वर में कहा- “मै तो सो रही थी। तभी अचानक से मेरी नींद खुल गयी। मैने देखा कि जेनिथ उन पेड़ो की ओर जा रही है। मुझे यह देख अजीब सा लगा। मैने जेनिथ को पीछे से आवाज दी।
मेरी आवाज सुन जेनिथ एकदम से डर गयी। पहले उसने इधर पेड़ो की ओर देखा और गिर कर बेहोश हो गयी। मैने भी सामने देखा पर मुझे कुछ नजर नहीं आया।"

यह कहकर क्रिस्टी शांत हो गयी। पर उसकी निगाहे अभी भी बेहोश जेनिथ की ओर थी।

तब तक तौफीक भागकर एक पानी की बॉटल ले आया और उस बॉटल से पानी की कुछ बूंदे लेकर जेनिथ के चेहरे पर डाला। पानी की बूंदे जेनिथ के चेहरे पर पड़ते ही जेनिथ को होश आ गया।

एक सेकंड तक तो जेनिथ सबको देखती रही, फ़िर उसे सारी घटना याद आ गयी। वह एकदम से डरकर क्रिस्टी को देखने लगी।

“क्या हुआ जेनिथ?" तौफीक ने जेनिथ को सहारा देते हुए कहा-
“तुम बेहोश कैसे हो गयी थी? और क्रिस्टी को देखकर तुम डर क्यों रही हो?"

जेनिथ ने एकबार सबके चेहरे पर नजर मारी। सबको अपने पास पाकर धीरे-धीरे वह सामान्य हो रही थी।

पहले जेनिथ ने शैफाली के हाथ में पकड़ी बॉटल से खूब सारा पानी अपने गले के नीचे उतारा और फ़िर सामान्य होते हुए उन्हें सारी बात बता दी।

“दो-दो क्रिस्टी!" सभी के मुंह से एक साथ निकला।

“ये कैसे संभव है?“ तौफीक ने आश्चर्य से इधर-उधर देखते हुए कहा- “क्रिस्टी की शकल की दूसरी लड़की इस द्वीप पर कहां से आयी?"

अब बहुत से चेहरो पर डर के भाव भी दिखने लगे थे। कुछ देर तक किसी के मुंह से बोल तक ना फूटा। सभी बस एक दूसरे का चेहरा देख रहे थे।

“कैप्टन, क्या आप तंत्र-मंत्र पर विश्वास करते हैं?" अल्बर्ट ने सुयश की ओर देखते हुए पूछा।

“यह आप कैसी बात कर रहे हैं प्रोफेसर?" सुयश ने अजीब सी नज़रो से अल्बर्ट को देखते हुए कहा-

“आज के इस विज्ञान के दौर मे तंत्र-मंत्र की बातों पर विश्वास कौन करेगा? तंत्र-मंत्र का जिक्र तो केवल किताबो मे ही मिलता है।"

“कैप्टन जादू और विज्ञान में बहुत थोड़ा सा ही अंतर होता है।"
अल्बर्ट ने सबको समझाते हुए कहा-
“हम जिन चीजो को समझ नहीं पाते है उसे जादू कहते है, पर जब उसे समझ जाते है तो उसे ही विज्ञान का नाम दे देते है। जैसे आज से 200 साल पहले अगर कोई कहता कि मैंने हजार किलोमीटर दूर बैठे इंसान से बात किया तो हम उसे जादू कहते और जल्दी उसकी बात पर विश्वास नहीं करते, पर आज के समय में हम मोबाइल के द्वारा ऐसा आसानी से कर सकते है।

तो मेरा ये कहना है कि इस द्वीप पर शायद वैसी ही कोई तकनीक है, जो हमें समझ नहीं आ रही है इसिलए हम चाहें तो उसे जादू कह सकते है। हो सकता है कि इस द्वीप पर रहने वाले लोगों को जादू आता हो?"

“ये भी हो सकता है ग्रैंड अंकल।" शैफाली ने अल्बर्ट को देखते हुए कहा- “कि इस द्वीप पर आज से सैकडो साल पहले का विज्ञान प्रयोग में लाया जाता हो, जिससे कि यहां के इंसान किसी का भी भेष बना सकते है?"

“एक बात तो स्पस्ट हो गयी कैप्टन कि इस द्वीप पर इंसान है, मगर वह जानबूझकर हमें देख कर छिप रहे है। क्यों? ये नहीं पता और वह काल्पनिक कहानी की तरह किसी का भी रूप बदलने में माहिर भी है।" ब्रेंडन ने अपने तर्क देते हुए कहा।

“लेकिन वह नकली क्रिस्टी जेनिथ को लेकर कहां जाना चाहती थी?" तौफीक ने कहा।

“आप भूल रहे है कैप्टन कि उस दिन लॉरेन भी लोथार को कहीं ले जाना चाहती थी।" जॉनी ने कहा-

“अब तो मुझे लगता है कि इसी द्वीप से निकलकर कोई इंसान लॉरेन और रोजर का भेष बनाकर हमारे जहाज पर दहशत फैला रहा था।" पहली बार सभी को जॉनी के शब्दो में कोई ढंग का लॉजिक दिखाई दिया था।

“मुझे भी जॉनी की बात सही लग रही है।" सुयश ने कहा- “लेकिन अब हमें इस द्वीप पर और सावधान रहना होगा।"

किसी के मुंह से अब कोई शब्द नहीं निकला।

“मेरे ख़याल से अब हमें वापस सो जाना चाहिए।" सुयश ने इधर-उधर देखते हुए कहा- “अभी रात का समय है और हमें अभी दिन में वापस अपनी यात्रा शुरु करनी है।"

सुयश की बात सुनकर सभी वापस अपने सोने वाली जगह पर आ गये। नींद तो अब शायद ही किसी को आनी थी, पर वापस सभी लेट गये थे।

उन पर नजर रखने वाली वह आकृति भी अब एक ओर को चल दी थी।


चैपटर-4 रहस्यमय दुनिया

8 जनवरी 2002, मंगलवार, 09:00, ट्रांस अंटार्कटिक पर्वत, अंटार्कटिका

जेम्स और विल्मर बिना किसी को बताए आज फ़िर नियत स्थान पर आ गये।

दोनों ने आज ड्रिल मशीन के साथ-साथ मेटल काटने वाली ‘कटर मशीन’ भी ले रखी थी। दोनों के ही चेहरे पर आज खुशी के भाव नजर आ रहे थे। शायद उन्हें विश्वास था कि आज कुछ ना कुछ तो उनके हाथ जरुर लगेगा।

जिस स्थान पर कल उन्हें वह ढाल मिली थी, वहां पर उन्हेंने एक छोटा सा झंडा बना कर लगा दिया था।
उन्हें पता था कि रात में बर्फ गिरने के बाद उस स्थान को अगले दिन पहचान पाना मुश्किल हो जाता।

जेम्स और विल्मर ने अपना ‘स्की-स्कूटर’ उस झंडे से कुछ दूरी पर रोका और उतरकर झंडे के पास पहुंच गये।

विल्मर ने एक नजर जेम्स पर डाली और फ़िर ‘कटर मशीन’ निकाल कर उस स्थान की बर्फ को साफ करने लगा।

थोड़ी ही मेहनत के बाद विल्मर ने ढाल के आसपास के क्षेत्र की बर्फ साफ कर ली। अब वह ढाल साफ नजर आ रही थी।

“इस ढाल को काट कर निकालने की कोशिश करो।" जेम्स ने विल्मर से कहा- “कम से कम कुछ तो हाथ लगे पहले।"

विल्मर ने जेम्स की बात सुनकर धीरे से अपना सिर हिलाया और फ़िर कटर मशीन को शुरू कर उस ढाल को नीचे की ओर से उस सुनहरी दीवार से अलग करने की कोशिश करने लगा।

कटर मशीन के उस ढाल से टकराने पर तेज चिंगारी निकल रही थी, पर वह मेटल कट नहीं पा रहा था।

5 मिनट तक कटर मशीन चलाने के बाद विल्मर समझ गया कि ये धातु कटर मशीन से नहीं कटेगी।

हार कर विल्मर ने कटर मशीन को एक तरफ फेका और अपने टूल किट के बैग से ‘एसिटलीन टार्च’ निकाल ली।

एसिटलीन टार्च को ऑक्सीजन सिलेंडर से अटैच करने के बाद विल्मर ने एसिटलीन टार्च को ऑन कर दिया। एसिटलीन टार्च 3000 डिगरी सेंटीग्रेट के तापमान से जल उठी।

विल्मर ने एसिटलीन टार्च से पहले आसपास के क्षेत्र की बर्फ को पिघलाना शुरू कर दिया।

थोड़ी ही देर में ढाल के आसपास 5 मीटर त्रिज्या के क्षेत्रफल में विल्मर ने सारी बर्फ को पिघला दिया।

अब विल्मर ने एसिटलीन टार्च का मुंह ढाल के नीचे की तरफ कर दिया। इतने अधिक तापमान की वजह से पूरी सुनहरी ढाल लाल रंग की नजर आने लगी, पर फिर भी 10 मिनट की अपार मेहनत के बाद भी वह ढाल उस सुनहरी दीवार से अलग नहीं की जा सकी।

इतनी गर्मी के कारण विल्मर का पूरा चेहरा भी पसीने से भर उठा। आख़िरकार विल्मर थक कर बैठ गया।

जेम्स की भी समझ में नहीं आ रहा था कि ये किस प्रकार की धातु है, जो 3000 डिगरी सेंटीग्रेट पर भी नहीं पिघल रही है।

जेम्स की नजर अब उस ढाल पर बनी ड्रेगन की आकृति पर गयी जो कि पूरी ढाल लाल हो जाने के बाद भी सुनहरा ही दिख रही थी।

कुछ सोचने के बाद जेम्स ने धीरे से उस ड्रेगन की आकृति को हाथ से छूकर देखा। वह आकृति बिलकुल भी गर्म नहीं थी, जबकि पूरी ढाल गर्मी के कारण अभी भी जल रही थी।

कुछ सोच जेम्स ने उस ड्रेगन की आकृति को धीरे से अंदर की ओर दबाया। जेम्स के द्वारा उस आकृति
को दबाते ही वह ढाल एकाएक घूमने लगी।

जेम्स यह देख डरकर पीछे हट गया। विल्मर की भी निगाह अब उस तेजी से घूम रही ढाल पर थी।




जारी रहेगा_________✍️
Chalo bach gaye Jenith wo bhi asli Kristi ke sahi waqt per uth jane ki wajh se
.
Albert or Suyash ki bat ke mutabik agag is Island me such me insaan hai to apna roop badalna , pani ke under se he Suprime Ship per aana orr jana kaise kar rhe the or Q
.
Dosre tarf Jems or Vilmar ko barf ki chattan me dabi unhe Gold type jaisa kuch dikha jise nikalane ke chakkar me kafi drill kar ke jaha unhe ek Dhaal trh kuch dikha jisme Dragon ka nishan bana hua tha use dabate he jane kya hua jisse dono ko aakh fati reh gaye
.
Lagata hai ek naya Suspense aa rha hai ek bar fir se story me Raj_sharma bhai
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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#66.

अचानक वह ढाल नाचते हुए वहीं पर जमीन में समा गयी। जहां पर वह ढाल जमीन में समायी थी, अब वहां पर एक 5 फुट चौड़ाई का गड्ढ़ा (छेद) दिखाई देने लगा।

जेम्स ने गड्डे में झांक कर देखा। गड्डे में नीचे की तरफ जाती हुई सीढ़ियाँ दिखाई देने लगी।

आश्चर्याजनक तरीके से वह सीढ़ियाँ ऐसे चमक रही थी, जैसे उनमें सुनहरी लाइट लगी हो। सीढ़ियों के अगल-बगल घुप्प अंधेरा था।

विल्मर ने अपने टूल बैग से एक पावरफुल टार्च निकाली और उसे ऑन कर उसकी रोशनी गड्डे में मारी, पर टार्च की रोशनी भूसे में तिनके के समान लगी। टार्च की रोशनी 10 फुट से ज़्यादा आगे नहीं जा रही थी।

“क्या हमें नीचे चलकर देखना चाहिए?" जेम्स ने विल्मर की ओर देखते हुए पूछा।

“अब जब इतनी मेहनत की है, तो नीचे भी जाकर अवश्य देखेंगे।" विल्मर ने हामी भरते हुए कहा।

“पर ये सीढ़ियाँ तो बहुत ज़्यादा दिख राही हैं, इनका तो कही अंत भी नही दिख रहा है।" जेम्स ने सीढ़ियों की ओर देखते हुए कहा- “शायद ये हजार से भी ज़्यादा है? पता नही जमीन से इतना नीचे ऑक्सीजन भी
होगा कि नही?"

“एक काम करते है। कुछ नीचे तक उतर कर देखते है, अगर हम उतने नीचे तक कंफर्टेबल नहीं होंगे तो वहां से वापस आ जाएंगे।" विल्मर ने जेम्स के सामने अपनी राय रखते हुए कहा।

“ठीक है, तो मैं नीचे चलने को तैयार हू।" जेम्स ने भी विल्मर की राय पर अपनी सहमती जताते हुए कहा।

फिर क्या था दोनो ने अपने कंधे पर टूल बैग टांगा और हाथो में टार्च लेकर सीढ़ियों पर उतर गये।

अभी वह 6-7 सीढ़ियाँ ही उतर पाये थे कि तभी उन्हे एक तेज हवा का झोंका महसूस हुआ। ऐसा लगा जैसे कुछ उनके बगल से तेजी से निकला हो और इसी के साथ एक तेज गड़गड़ाहट के साथ ढाल वाला रास्ता ऊपर से बंद हो गया।

“ये तो ऊपर वाला रास्ता बंद हो गया?" जेम्स ने डरते हुए कहा-“अब हम वापस कैसे जाएंगे?“

“परेशान मत हो।" विल्मर ने जेम्स का हौसला बढ़ाते हुए कहा-“अगर ऊपर से दरवाजा खोलने का तरीका था तो नीचे से भी जरूर होगा। पहले नीचे चलते है, ऊपर की बाद में सोचेंगे।"

दोनो अब सावधानी से नीचे उतरने लगे। लगभग 800 सीढ़ियाँ उतरने के बाद उन्हे आगे सीढ़ियाँ ख़तम होती दिखि। यह देख दोनों ने राहत की साँस ली।

कुछ और आगे जाने पर अब इन्हे आखरी सीढ़ी बिल्कुल साफ दिखने लगी थी।

“यह क्या? आखरी सीढ़ी तो लाल रंग में चमक रही है।" जेम्स ने आखरी सीढ़ी की ओर देखते हुए कहा।

विल्मर को भी कुछ समझ में नहीं आया। अब दोनों जल्दी-जल्दी सीढ़ियाँ उतरने लगे।

अगले 5 मिनट में ही दोनों आखरी सीढ़ी के पास पहुंच गये।

जेम्स ने आखरी सीढ़ी से पहले ही टार्च को सामने की ओर मारा। सामने लगभग 10 कदम आगे अंधेरे में एक दीवार थी।

कुछ सोच विल्मर ने धीरे से अपना एक पैर लाल रंग वाली सीढ़ी पर रख दिया।

विल्मर के ऐसा करते ही लाल वाली सीढ़ी का रंग हरा हो गया।

यह देख जेम्स ने भी अपना पैर हरे रंग वाली सीढ़ी पर रख दिया और जेम्स के ऐसा करते ही उस हरी सीढ़ी को छोड़ बाकी सभी सीढ़ियों का चमकना बंद हो गया।

अब पीछे कुछ भी नहीं दिख रहा था की वो लोग कहां से आये थे?

तभी उस पहाड़ में कहीं ‘खट्-खट्’ की आवाज उभरी और इसके साथ ही इनके सामने की दीवार सुनहरी रोशनी से जगमगा उठी।

उस दीवार में उसी सुनहरी धातु से बना एक दरवाजा लगा था, जिसको काटने की इन्होने कोशिश की थी। उस दरवाजे के बीचोबीच में एक चाँदी जैसी धातु से बना शेर का उभरा हुआ सिर लगा था।

उस शेर का मुंह खुला हुआ था और उस खुले मुंह से शेर की जीभ बाहर आ रही थी।

जेम्स और विल्मर के सामने वह चमकता दरवाजा था और बाकी की दोनो साइड बिल्कुल अंधेरा था।

“यह तो बहुत विचित्र जगह लग रही है। विल्मर ने जेम्स से कहा- “लगता है सच में हमने किसी नयी दुनियां को खोज लिया है?"

“क्या फायदा ऐसी नयी दुनियां का, जिसके बारे में अब हम किसी को बता ही नहीं सकते।" जेम्स ने नकारात्मक अंदाज में कहा।

“परेशान मत हो जेम्स। हमको यहां से निकलने का रास्ता जरूर मिल जायेगा।" विल्मर ने फ़िर जेम्स की हिम्मत बढ़ाते हुए कहा- “पहले यह सोचो कि यहां से आगे बढ़ने का रास्ता किधर है?"

यह सुन जेम्स ने आगे बढ़कर शेर की आँख को अंदर दबाने की कोशिश की, पर वह अंदर नहीं दबी।

अब जेम्स कभी शेर के कान उमेठता तो कभी उसकी जीभ, पर शेर के सिर का कोई भाग चलायमान नहीं था।

विल्मर ध्यान से जेम्स की यह बच्चे जैसी हरकत देख कर मुस्कुरा रहा था। तभी विल्मर की निगाह शेर के खुले मुंह के अंदर की ओर गयी। विल्मर ने जाने क्या सोचकर शेर के मुंह के अंदर टार्च मारकर देखा।

विल्मर को शेर के मुंह के अंदर कोई लीवर सा दिखाइ दिया। यह देख विल्मर ने शेर के मुंह में हाथ डालकर उस लीवर को धीरे से हिलाने की कोशिश की।

विल्मर के छेड़-छाड़ करने पर वह लीवर आगे की तरफ खिंच गया और तभी एक गड़गड़ाहट की आवाज के साथ, वह दरवाजा अंदर की ओर खुल गया।

जेम्स और विल्मर उस दरवाजे को पार कर दूसरी तरफ आ गये।

दरवाजे के दूसरी तरफ एक विशालकाय कमरा था। देखने में वह कमरा किसी पुराने राजा के दरबार जैसा था।

कमरे के बीचोबीच एक गोल पानी का फव्वारा लगा था। उस फव्वारे के बीच में एक विचित्र सी नक्काशी
किया हुआ एक धातु का खंभा बना था। उस खंभे के ऊपर की आकृति एक 7 सिर वाले साँप (सर्प) की थी, जिसके सातों फन गोल आकृति में आपस में जुड़े थे।

हर सर्प के फन से पानी की फुहार निकल रही थी, जो उस गोल फव्वारे में गिर रही थी। सर्प के उन फनों पर एक छोटा सा चबूतरा बना था, जिस पर एक असली कमल का फूल रखा हुआ था।

गोल फव्वारे के अंदर काफ़ी मात्रा में पानी भरा था जिसमें नीले रंग की छोटी-छोटी सुंदर मछिलयां तैर रही थी।

उस कमरे में दीवार से चिपके हुए 7 कांच के ताबूत भी लगे थे। सभी ताबूत के बीच लगभग 10 मीटर की दूरी थी।

हर एक ताबूत में अलग-अलग रंग का द्रव्य भरा था, जिसके बीच 7 पौराणिक योद्धाओ के निर्जीव शरीर भी उपस्थित थे।

हर एक योद्धा लंबा- चौड़ा दिख रहा था। उनमें से बीच वाले ताबूत के सामने एक 2 फुट का, धातु का पोडियम बना था, जिस पर 3 छोटे-छोटे सुराख बने थे।

कमरे की दीवार और छत पर उसी सुनहरी धातु से नक्काशी की गई थी। कमरे की छत पर एक उसी धातु से एक चित्र को उकेरा गया था।

उस चित्र में पहाड़ो के बीच बनी किसी घाटी के सीन को दिखाया गया था, जिसमें सूर्य पहाड़ो के बीच से निकलता दिखाई दे रहा था और सूर्य की किरणें घाटी में पड़ रही थी।
उस घाटी के आसमान पर एक इंद्रधनुष भी चमक रहा था।

कुल मिलाकर कमरे का माहौल बहुत ही रहस्यमयी दिख रहा था।

जेम्स और विल्मर कमरे में घूमते हुए पहले एक-एक कर सारी चीज़ो को देखने लगे। कमरे में सबसे आशचर्यजनक उन्हें वही काँच के ताबूत दिखे।

“विल्मर!" जेम्स ने विल्मर को सम्बोधित करते हुए कहा-

“क्या ये पौराणिक समय की ममी है जिन्हें किसी द्रव के अंदर सुरक्षित रखा गया है?"

“लग तो कुछ ऐसा ही रहा है, पर ताबूत में बंद हर द्रव का रंग अलग-अलग क्यों है?“ विल्मर ने कहा।

“एक बात और अजीब सी है।" जेम्स ने कमरे में एक नजर दौड़ाते हुए कहा- “उस खंभे पर मौजूद सर्प के 7 सिर है, यहां पर 7 ही ताबूत है और उन ताबूतों में 7 ही रंग का द्रव्य भरा है। तुम्हे यह अजीब सी समानता देख कर क्या लग रहा है?"

“तुमने छत की ओर ध्यान नहीं दिया।" विल्मर ने छत की ओर इशारा करते हुए कहा- “वहां पर भी जो चित्र बना है, उसमें सूर्य से 7 ही किरणें निकल रही है और वहां बने इंद्रधनुष में भी 7 ही रंग भरे है। इसका साफ मतलब है की 7 अंक का कुछ ना कुछ तो चक्कर है?"

“इंद्रधनुष!"

जेम्स इंद्रधनुष का नाम सुनकर फ़िर से उन काँच के ताबूतों की ओर देखने लगा और फ़िर चहक कर बोला- “विल्मर, इन ताबूत के अंदर भरा द्रव का रंग इंद्रधनुष के रंग से मैच कर रहा है। जरा ध्यान से इन सारे ताबूतों को देखो, पहले ताबूत में बैंगनी रंग का द्रव है, दूसरे में आसमानी, तीसरे में नीला, चौथे में हरा, पांचवे में पीला, छठे में नारंगी और सातवां में लाल रंग का द्रव भरा है, और इंद्रधनुष में भी यही सारे रंग पाये जाते है।"

विल्मर भी यह देखकर आश्चर्य से भर गया क्यों की जेम्स का अवलोकन बिल्कुल सही था।

“अच्छा, इस पूरे कमरे को देखकर यह भी महसूस हो रहा है जैसे कि ये पूरा सेटअप कल ही लगाया गया हो।" जेम्स ने कहा- “पूरा कमरा साफ-सुथरा नजर आ रहा है, यहां तक कि उन सर्प के ऊपर रखा कमल का फूल भी बिल्कुल ताजा दिख रहा है।"

कहते-कहते जेम्स उस फव्वारे के पास आ गया और ध्यान से उन सर्प की आकृति वाले खंभे को देखने लगा। कुछ सोचकर जेम्स ने फव्वारे के पानी में अपना कदम रख दिया।

उसके पानी में कदम रखते ही पानी में मौजूद नीली मछिलयां भाग कर दूसरी साइड चली गई।





जारी रहेगा_______✍️
Jane James or Vilmar ko kya mila hai Mistra ki Mummy ya koi nayeee Sabhayata
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Dekhte hai aage orr kya kya hone wala hai
Bahut khoob Raj_sharma bhai
 

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"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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29,690
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#67.

जेम्स अब उस खंभे की ओर बढ़ा। उसने सर्प के एक फन को धीरे से हिलाकर देखा, पर कहीं कोई हरकत नहीं हुई। जेम्स ने सर्प के मुंह में भी हाथ डालकर देखा, मगर वहां भी कुछ नहीं था। कुछ सोचकर जेम्स ने सर्प के सिर पर रखा कमल का फूल हाथ में उठा लिया।

जेम्स के द्वारा फूल उठाए जाते ही अचानक से फव्वारे के पानी में मौजूद नीली मछिलयां बहुत तेजी से इधर-उधर भागने लगी।

यह देखकर जेम्स घबरा कर फव्वारे से फूल लेकर बाहर आ गया। मछलियों के पानी में भागने की रफ़्तार अब और भी तेज हो गयी।

“अरे यह क्या?" विल्मर ने मछलियों को देखते हुए आशचर्य से कहा- “इन मछलियों का तो आकार भी बढ़ता जा रहा है।"

विल्मर की बात सुन जेम्स भी हैरान रह गया क्यों की मछलियों का आकार सच में बढ़ रहा था और इसी के साथ कम होता जा रहा था फव्वारे का पानी भी।

ऐसा लग रहा था कि मछिलयां फव्वारे का पानी पीकर ही बड़ी हो रही है। जेम्स और विल्मर घबरा कर थोड़ा पीछे हट गये।

कुछ ही देर में नींबू के आकार की मछिलयां फुटबॉल के आकार की हो गयी और धीरे-धीरे फव्वारे
का सारा पानी भी ख़तम हो गया।

जैसे ही सारा पानी ख़तम हुआ, अचानक से उस सर्पकार खंभे ने लट्टू की तरह से नाचना शुरू कर दिया और नाचते-नाचते जमीन में समाने लगा।

धीरे-धीरे वह पूरा का पूरा खंभा जमीन में समा गया और उसके साथ ही उस गड्डे में सारी मछिलयां भी समा गई।

अब जमीन से हल्की गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई देने लगी और इसी के साथ उस खाली स्थान से एक बर्फ़ की सिल्ली बाहर निकलती हुई दिखाई दी।

धीरे-धीरे 6 फुट की एक बर्फ़ की सिल्ली पूरी बाहर आ गयी।

सिल्ली के बाहर निकलते ही अचानक छत पर बने सूर्य से 7 रंग की किरण निकलकर उस बर्फ़ की
सिल्ली पर पड़ने लगी और इसी के साथ सिल्ली की बर्फ़ पिघलने लगी।

बर्फ़ के अंदर एक बहुत ही खूबसूरत लड़की बंद थी जो बर्फ़ के पिघलने के साथ-साथ सजीव होने लगी। वह लड़की किसी अप्सरा की मानिंद खूबसूरत दिख रही थी।

हिरन के समान काली आँखें, अग्नि के समान घुंघराले सुनहरे बाल, सीप से पतले होंठ, गुलाब सा चेहरा, सुराहीदार गरदन, दूध सा चमकता गोरा शरीर, सब कुछ उसकी खूबसूरती को बयां कर रहे थे।

उसके माथे पर सुनहरा मगर छोटा सा मुकुट था। उसने योद्धाओं के समान सुनहरी धातु की पोशाक भी पहन रखी थी। उसने हाथ में एक 6 फुट की सुनहरी धातु का त्रिशूल पकड़ रखा था।

जेम्स और विल्मर तो यह सीन देख डर कर भागने वाले थे, पर उस लड़की का सौंदर्य ही ऐसा था जो कि उनको वहां से हटने ही नहीं दे रहा था। दोनों मंत्र-मुग्ध से उस योद्धा अप्सरा को निहार रहे थे।

कुछ ही देर में बर्फ़ पूरी तरह से पिघल गयी और वह अप्सरा पूर्ण सजीव हो गयी।

अब उस अप्सरा की नजरे जेम्स और विल्मर पर गयी। वह धीरे-धीरे चलती हुई उन दोनों के सामने आ खड़ी हुई।

“जेम्स और विल्मर को शलाका का प्रणाम।" उस अप्सरा ने झुककर जेम्स और विल्मर को अभिवादन किया।

अपना नाम शलाका के मुंह से सुनकर जेम्स और विल्मर के आश्चर्य का ठिकाना ना रहा। उन्हें कुछ
बोलते नहीं बन रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे उनके होंठ उनके तालू से चिपक गये हो।

“क.... क.... कौन हो आप?" बहुत मुश्किल से विल्मर ने डरते हुए शलाका से पूछा- “और हमारा नाम कैसे जानती हो?"

“थोड़ी देर इत्मिनान रखिये, अभी सब बताऊंगी आप लोग को, पहले जरा इन सबको तो जगा दू।" इतना कहकर शलाका ने उन ताबूतों को देखा जो कि कमरे में खड़े थे।

शलाका अब चलती हुई बीच वाले ताबूत के पास रखे पोडियम के पास पहुंच गयी। उसने एक बार सभी ताबूतों की ओर देखा और फ़िर पोडियम के बीच बने तीनो सुराख में अपना त्रिशूल घुसा दिया।

त्रिशूल के घुसाते ही हर ताबूत में जमीन की तरफ एक सुराख हो गया और उस सुराख के
माध्यम से सारा रंगीन द्रव्य जमीन में समा गया।

जैसे ही पूरा द्रव्य ताबूत से ख़तम हुआ, सारे योद्धा जीवित हो गये। योद्धाओं के जीवित होते ही सभी काँच के ताबूत जमीन में समा गये।

“सभी भाइयों का सन् 2004 में स्वागत है।" शलाका ने झुक कर सभी का अभिवादन किया।

आठों योद्धाओ ने अपने हाथ से मुक्के बनाकर आपस में टकराये। अब उनकी निगाहें डरे-सहमें जेम्स और विल्मर की ओर थी।

“हम 5000 वर्ष के बाद आज जागे है।" शलाका ने जेम्स और विल्मर की ओर देखते हुए कहा- “हम आपको सब बतायेंगे, पर अभी आप लोग थोड़ा आराम करे और हमें अपने कुछ जरुरी काम कर लेने दे। फ़िर हम आप को सब बतायेंगे।"

जेम्स और विल्मर के पास तो बहस करने की हिम्मत भी नहीं थी अतः उनहोने शांति से सर हिला दिया।

शलाका ने सहमित देख अपना त्रिशूल हवा में लहराया। जिसकी वजह से हवा में एक दरवाजा उत्तपन्न
हुआ। शलाका ने दोनों को उस दरवाजे से अंदर जाने का इशारा किया।

जेम्स और विल्मर ना चाहते हुए भी उस दरवाजे के अंदर प्रवेश कर गये।

दरवाजे के दूसरी तरफ एक शानदार शयनकक्ष था जिसमें खाने-पीने के सामान के अलावा टॉयलेट भी मौजूद था। परंतु उस कमरे में कोई दरवाजा नहीं था और उनके शयनकक्ष में घुसते ही शलाका का बनाया द्वार भी गायब हो गया था।

जेम्स और विल्मर अब बिल्कुल असहाय महसूस कर रहे थे। उनके पास अब इंतजार करने के अलावा और कोई चारा भी नहीं था।

इसिलए दोनों बिस्तर पर जाकर बैठ गये और इंतजार करने लगे शलाका के आने का।


नयनतारा:
8 जनवरी 2002, मंगलवार, 10:00, मायावन, अराका द्वीप

सुबह उठकर नित्य कार्यो से निवृत्त होने के बाद सभी ने हलका-फुलका फलो का नास्ता किया और फ़िर से जंगल के अंदर की ओर चल दिये।

इस समय सभी सावधानी से अपने कदम बढ़ा रहे थे। उन्हें इस बात का अहसास हो गया था कि द्वीप बहुत ही खतरनाक और विचित्र चीज़ों से भरा पड़ा है।

सबसे आगे सुयश चल रहा था, फ़िर उसके पीछे अल्बर्ट था, उसके पीछे एलेक्स और क्रिस्टी, फ़िर शैफाली और ब्रूनो, फ़िर जेनिथ और तौफीक, फ़िर असलम और ब्रैंडन और फ़िर सबसे पीछे जैक और जॉनी।

जैक और जॉनी इसिलये सबसे पीछे थे जिससे खतरा महसूस होते ही वह पीछे से भाग सके।

“पता नहीं कब ख़तम होगा ये जंगल?" जैक ने जॉनी से धीमी आवाज में कहा- “परेशान हो गया हू चलते-चलते।"

“मुझसे तो बिना शराब के चला ही नहीं जा रहा है।" जॉनी ने रोनी सूरत बनाते हुए कहा- “पूरे 2 दिन से शराब की एक बूंद भी नहीं गयी हलक के नीचे। बेकार है इतने पैसे का होना, जबकि हम उसे प्रयोग में
ही ना ला सके।"

“तुझे शराब की पड़ी है। यहां मैंने कितने सपने सजाए थे कि ऑस्ट्रेलिया जाकर बीच पर घूमूंगा, लडकियों का डांस देखूंगा..... पर हाय री फूटी किस्मत.... सब बरबाद हो गया ... डांस देखने की छोड़ो अब तो यहां हमारे खुद पत्तियों को पहन कर जंगल में डांस करने की हालत आ गयी है।"

जैक की बात सुन जॉनी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।

जॉनी को मुस्कुराता देखकर जैक को गुस्सा आ गया और वह बोल उठा- “तू क्यूं मुस्कुरा रहा है मेरी बात सुनकर?"

“बस तुझे पत्तियों को पहन कर डांस करते हुए कल्पना कर रहा हुं। सच्ची में यार बहुत खूबसूरत लगेगा तू तो ऐसी स्थिति में।" जॉनी ने मुस्कुराते हुए कहा।

जैक जॉनी की बात सुनकर भड़क उठा और एक घूंसा धीरे से जॉनी की पीठ में जड़ते हुए बोला-
“अच्छा होता कि ड्रेजलर कि बजाय वह अजगर तुझे मार देता।"

जॉनी घूंसा खाकर आगे भाग गया और सुयश से बोला-
“कैप्टन, यदि ड्रेजलर के पत्थर पर साँप बना था तो उस पर अजगर ने हमला कर दिया। मेरे पत्थर पर तो बंदर बना था तो मुझ पर अब किंग-कॉन्ग हमला करेगा या गोरिल्ला?"

ना चाहते हुए भी सुयश सिहत सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी।

“ऐसा कुछ भी नहीं है।" सुयश ने सबका डर कम करने के लिये कहा- “ये सिर्फ एक इत्तेफाक भी हो सकता है।"

“मैं इसे इत्तेफाक मानने को तैयार नहीं हुं कैप्टन।"अल्बर्ट ने सुयश को देखते हुए कहा- “क्यों की हम सभी शैफाली के सपनों के बारे में जानते
हैं। उसकी कही हर एक बात सच होती जा रही है।"

अल्बर्ट की बात सुन सभी अल्बर्ट और सुयश के पास आ गये।

शैफाली अब इन सबसे पीछे हो गयी थी। तभी उसे अपने कान के पास कुछ फुसफुसाहट सी सुनाई दी
जो की यकीनन इनमें से किसी की नहीं थी- “नयनताराऽऽऽऽ!"

शैफाली यह सुनकर विस्मित हो गयी और बिना किसी से बोले एक दिशा की ओर चल दी।




जारी रहेगा________✍️
Shalaka or uske bhai hai yaha per jise James or Velmer ne kaha dia anjane me
Kher dekhte hai 5000 salo se soyee Shalaka or uske bhai jagane ke bad kya karne wale hai
.
Is tarf Suyash and Team subah hote he jaag Gaye hai chalte chalte Jack ne aage ja sabko rok ke Suyash se sawal karne laga lekin piche Shefali ke kaam me kisne nam leya NAYANTARA ka
.
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#68.

उधर अल्बर्ट सबको समझा रहा था- “शायद शैफाली के पास छठी इंद्रिय है।"

“छठी इंद्रिय!" ब्रैंडन ने आश्चर्य से पूछा- “पर प्रोफेसर, इंद्रियां तो पांच ही होती है। ये छठी इंद्रिय क्या है?"

“कभी-कभी हमें किसी बुरी घटना के होने के पहले ही कुछ बुरा अहसास होने लगता है या फ़िर किसी अच्छी घटना घटने के पहले ही खुशी का अहसास होने लगता है। वैज्ञानिको का मानना है कि यह सब छठी इंद्रिय के कारण होता है।"

अल्बर्ट ने कहा- “यह छठी इंद्रिय सभी इंसान में और जानवरों में होती है, पर इंसान बहुत कम मात्रा में इसका प्रयोग कर पाता है। हो सकता है कि यही छठी इंद्रिय शैफाली में ज्यादा मात्रा में हो और इसी वजह से वह भविष्य देख लेती हो।"

“शायद आप सही कह रहे है प्रोफेसर।" सुयश ने भी अल्बर्ट की बात पर अपनी सहमित जताते हुए कहा- “मैंने सुना है कि पुराने समय में युद्ध होने के काफ़ी दिन पहले ही गिद्ध उस मैदान में जाकर बैठ जाते थे जहां युद्ध होने वाला होता था। उन्हें पता था कि युद्ध के बाद लाशें गिरेंगी और उन्हें वहां खाने को मिलेगा।"

अभी ये आपस में बात कर ही रहे थे कि तभी इन्हें अचानक किसी बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी-

“ऊवां .... ऊवांऽऽऽऽ।"

“ये तो किसी बच्चे के रोने की आवाज है।" क्रिस्टी ने इधर-उधर देखते हुए कहा।

“बच्चा! और वह भी इस जंगल में?" सुयश के स्वर में आश्चर्य और उलझन थी।

आवाज में बहुत दर्द भरा था। सभी पूरी तरह से चोकन्ना होकर इस आवाज को सुनने की कोशिश करने लगे।

अचानक सुयश को अपने ग्रुप का ख्याल आया।

सुयश ने ध्यान से एक नजर सब पर डाली और जोर से चीख उठा- “शैफाली....शैफाली कहां है?"

तुरंत सबकी निगाहें अपने आसपास घूम गई। लेकिन ऊंचे-ऊंचे वृक्षो और घने जंगल के सिवा उन्हें अपने आसपास कुछ ना दिखायी दिया।

“अभी-अभी तो वह मेरे साथ थी। इतनी जल्दी कहां जा सकती है?"
जेनिथ ने आसपास निगाह मारते हुए कहा-

“कहीं कोई जंगली जानवर.... नहीं ...नहीं....जानवर बिना आवाज किये उसे नहीं ले जा सकता। तो फ़िर..... तो फ़िर कहां गयी शैफाली?"

“शैफालीऽऽऽऽ .....शैफालीऽऽऽऽ!" तौफीक ने मुंह के दोनों साइड अपने हाथ लगाकर जोर से आवाज दी।

लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं मिला। केवल तौफीक की आवाज घने जंगल में घूमकर प्रतिध्वनि उत्पन्न करती रही।

अल्बर्ट भी अपने गले में टंगी सीटी को जोर-जोर से बजाने लगा। सभी लोग अलग-अलग होकर शैफाली को ढूंढने की कोशिश करने लगे।

“खबरदार! कोई भी ग्रुप से बाहर नहीं जायेगा" सुयश ने चीखकर सबको खबरदार किया-

“सभी लोग एक साथ रहकर शैफाली को ढूंढने की कोशिश करेंगे, क्यों कि एक साथ रहकर तो हम हर मुसीबत का सामना कर सकते है, पर अकेले रहकर कुछ नही कर सकते। इसिलये हम सभी को एक साथ रहना होगा।"

“कैप्टन, हम उस बच्चे के रोने की आवाज को भूल रहे है। जिसको सुनकर हमें शैफाली का ध्यान आया था।" ब्रैंडन ने कुछ याद दिलाते हुए कहा।

“लेकिन इतने भयानक जंगल में कोई बच्चा कहां से आ सकता है?" एलेक्स ने कहा- “अवस्य ही यह कोई मायाजाल है? दोस्तो हमें सावधान रहना होगा।"

“ऊवांऽऽऽऽ .... ऊवांऽऽऽऽ.... ऊवांऽऽऽऽऽ।"

तभी रोने की आवाज पुनः सुनाई दी। इस बार आवाज थोड़ा स्पस्ट थी।


“इधर से .... इधर से आयी है वह आवाज।" अल्बर्ट ने एक दिशा की ओर इशारा करते हुए कहा।

“कहीं यह शैफाली की आवाज तो नहीं?" जैक ने अपने होंठ पर जुबान फिराते हुए कहा।

“नहीं ये शैफाली की आवाज नहीं है।“ एलेक्स बोला- “यह किसी छोटे बच्चे की आवाज है।"

“क्या हमें आवाज की दिशा में चलना चाहिए?" जॉनी ने डरते-डरते कहा।

पर सुयश ने जॉनी की बात पर ना ध्यान देते हुए, इस बार ब्रूनो को इशारा किया। ब्रूनो सुयश का इशारा समझ कर तेजी से आवाज की दिशा में भागा।

सभी लोग ब्रूनो के पीछे-पीछे भागे। थोड़ा आगे बढ़ते ही इन्हें पुनः वही आवाज सुनाई दी।

“ऊवांऽऽऽऽ .... ऊवांऽऽऽ.... ऊवांऽऽऽऽऽ।" इस बार आवाज बिल्कुल साफ थी।

आवाज को सुन सभी के कदमों में तेजी आ गयी। थोड़ा आगे बढ़ते ही उन्हें एक अजीब सा नजारा दिखाई दिया।

वह रोने की आवाज सामने लगे एक झाड़ीनुमा पेड़ से आ रही थी और शैफाली धीरे-धीरे बिल्कुल सम्मोहित अवस्था में उन झड़ियों की ओर बढ़ रही थी।

उस झाड़ीनुमा पेड़ पर सितारे की आकृति लिये कुछ पीले रंग के रसीले फल लगे दिखाई दे रहे थे।

अब शैफाली पेड़ से लगभग 10 कदम दूर रह गयी थी। बाकी सभी लोगो की दूरी शैफाली से बहुत ज़्यादा थी।

“शैफालीऽऽऽऽ ... शैफालीऽऽऽऽ रुक जाओ।" अल्बर्ट शैफाली को पेड़ की तरफ बढ़ते देख जोर से चिल्लाया- “वहां पर खतरा है....रुक जाओ।“

मगर शैफाली ने जैसे अल्बर्ट की बात सुनी ही ना हो। वह निरंतर पेड़ की ओर बढ़ रही थी।

पेड़ की दूरी अब शैफाली से बामुश्किल 4 कदम ही बची थी। कोई भी इतने कम समय में शैफाली को दौड़कर नही पकड़ सकता था।

अब उसे कोई रोक सकता था तो वह था केवल ब्रूनो।

“ब्रूनो... रोको शैफाली को।" सुयश ने ब्रूनो को शैफाली की ओर इशारा करते हुए उसे रोकने को कहा।

इशारा समझ कर ब्रूनो बहुत तेजी से शैफाली की ओर भागा। कुछ ही सेकंड में वह शैफाली के पास था।

ब्रूनो ने एक नजर गौर से शैफाली को देखा और फ़िर उस पेड़ को देखने लगा, जिसमें से अभी भी रोने की आवाज आ रही थी।

“ब्रूनो... स्टोप शैफाली।" ब्रेंडन ब्रूनो को रुकते देख चिल्ला उठा।

लेकिन ब्रूनो ने एक बार फ़िर शैफाली को देखा और फ़िर उसे रोकने की बजाय ‘कूं-कूं’ करता हुआ वही घास पर ऐसे पसर कर बैठ गया, जैसे उसे शैफाली से कोई लेना-देना ही ना हो।

“यह ब्रूनो शैफाली को बचाने के बजाय वहां आराम क्यों करने लगा?" अल्बर्ट के स्वर उलझे-उलझे थे।

तब तक शैफाली उस झाड़ीनुमा पेड़ तक पहुंच गयी। पेड़ से निकलती वह रोती आवाज तेज होती जा रही थी।

अब शैफाली तक कोई नहीं पहुंच सकता था।

तभी अचानक उस झाड़ीनुमा पेड़ ने अपनी झाड़ियो को इस प्रकार आगे बढ़ाया जैसे वह झाड़ी नहीं उसके हाथ हैं और शैफाली को अपनी गिरफ़्त में ले लिया।

शैफाली उन झाड़ियो में उलझकर रह गयी।

“यह तो कोई आदमखोर पेड़ लग रहा है?" सुयश ने धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए कहा- “पर इससे निकलती यह आवाज बड़ी अजीब सी है।"

तब तक सभी भागते हुए पेड़ तक पहुंच गये।

“खबरदार!" सुयश ने सभी को सावधान करते हुए कहा- “कोई पेड़ के पास नहीं जायेगा। यह आदमखोर खून चूसने वाला पेड़ भी हो सकता है। जो भी इसके पास जायेगा, वो शैफाली को बचाने के बजाय स्वयं भी उस खूनी पेड़ का शिकार भी बन सकता है। इसिलये दूर से ही शैफाली को बचाने की तरकीब सोचो।"

वह पेड़ बड़ा ही आश्चर्यजनक था क्यों की शैफाली को पकड़ने के बाद, अब उसमें से रोने के बजाय हंसने की आवाज आने लगी थी।

ऐसा लग रहा था जैसे किसी बच्चे को उसकी पसंद का खिलोना मिल गया हो और वह किलकारियां मारकर हंस रहा हो।

उस पेड़ की यह हंसी जंगल में गूंजकर एक अजीब सा खौफ पैदा कर रही थी।

तभी ब्रेंडन और तौफीक ने अपने हाथो में चाकू निकल लिया और वह धीरे-धीरे उस पेड़ की ओर बढ़ने लगे।

शैफाली अभी भी सम्मोहित मुद्रा में थी। उसे शायद इस समय किसी दर्द का अहसास भी नहीं हो रहा था।

इससे पहले कि ब्रेंडन और तौफीक उस पेड़ पर चाकू से हमला बोल पाते, अचानक उन झाड़ियो में एक अजीब सी हरकत हुई और उसमें लगे सितारे के आकार के पीले फल, विचित्र लताओँ के साथ हवा में झूमने लगे।

वातावरण में अब हंसने की आवाज के साथ एक अजीब सी भिनभीनाहट भी गूंजने लगी।
ब्रेंडन और तौफीक यह देखकर एक क्षण के लिए अपनी जगह पर रुक गये।

तभी उन विचित्र फलो में से 2 फल हवा में उठकर लाताओं सहित शैफाली की आँखो के पास पहंच गये और इससे पहले कि कोई और कुछ समझ पाता, वह फल एक अजीब सी ‘पिच्छ’ की आवाज के साथ हवा में स्वतः ही फट गये।

उन विचित्र फलो के फटने से उसमें से एक रस की धार निकली और शैफाली की आँख में पड़ गयी।

अब शैफाली अपनी आँखे तेजी से रगड़ते हुए दर्द से चीखने लगी- “मेरी आँखे.... मेरी आँखो में बहुत
तेज जलन हो रही है।"

शैफाली की चीख को सुन मानो पेड़ को उस पर दया आ गयी क्यों की अब उसकी गिरफ़्त बहुत ढीली हो गयी।

पेड़ की पकड़ ढीली होते ही शैफाली पेड़ के पास नीचे की ओर गिर गयी।



जारी
रहेगा_______✍️
Ye kya hua tha abhi Shefali kaise sammohan ho sakti hai ye Ped kya hai aakhir iske Fruit Shefali ke aakh ke samne fat Gaye jisse jalan hue Shefali ki aakh me kya hoga ab
Kaise bachayge Suyash and Team Shefali ko usske sath Bruno ne Q nahi bachaya Shefali ko Q piche hath gaya Bruno kya dekha Bruno ne esa ped per
.
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Raj_sharma

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Badhiya update bhai

Albert ne kaha na chhathi indri lekin ye kki chhathi indri nahi lagti ye to koi or hi ha jo shefali ke ander sama jata ha or apna kaam karke nikal jata ha tabhi to jab shefali ajibogarib baten karti ha to bruno uske oas nahi hota aisa lagta ha ki wo shefali na hoker koi ir ho us samay


Lekin ek bat ha is iland per kisi ke sath kuchh achha ho ya na ho shefali ko to ye island pyar karta ha sala dusre jal me fanse han to unke samne mout hoti ha ir shefali ke sath ulta use to aisi chijen milti ha jo uske sath khelti ha ab bhi lagta ha oed ko oata chal gaya ki shefali dekh nahi sakti to uska ilaj kar diya lagta ha
1. Kah to theek rahe ho :shhhh: Kabhi kabhi to mujhe bhi shephali per shak hota hai, per kya karu bhai wo bruno batata bhi to nahi?:D
Har sawaal ka jabaab dene ki koshis jaari hai mitra:approve:
2. "Nayan Taara" jaisa uska naam waisa uska kaam:declare: Agar naam ka matlab samajh gaye ho to kya hona hai wo bhi jaan hi jaaoge:dost:
Thanks for your wonderful review and support bhai :thanx:
 

Raj_sharma

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Ye to baat to hai waise maine itni story padh li ki mai ab sex wala part skip he kerta hu
Main bhi yahi karta hu:approve: Balki ye kaho ki padhne ka time hi nahi milta aajkal:nope:
 

Raj_sharma

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Chalo bach gaye Jenith wo bhi asli Kristi ke sahi waqt per uth jane ki wajh se
.
Albert or Suyash ki bat ke mutabik agag is Island me such me insaan hai to apna roop badalna , pani ke under se he Suprime Ship per aana orr jana kaise kar rhe the or Q
.
Dosre tarf Jems or Vilmar ko barf ki chattan me dabi unhe Gold type jaisa kuch dikha jise nikalane ke chakkar me kafi drill kar ke jaha unhe ek Dhaal trh kuch dikha jisme Dragon ka nishan bana hua tha use dabate he jane kya hua jisse dono ko aakh fati reh gaye
.
Lagata hai ek naya Suspense aa rha hai ek bar fir se story me Raj_sharma bhai
Suspense kya, ek nai sabhyata ko dekhne ka mauka milega :approve: Naye characters introduce honge,
Waise araaka ka jo van hai wo kaafi mayavi hai, aur usko mayavan ke naam se hi jaana jaata hai, ab waha per aisi ghatnaye hona badi baat nahi:nope:
Thank you very much for your wonderful review and support bhai :thanx:
 

Raj_sharma

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Jane James or Vilmar ko kya mila hai Mistra ki Mummy ya koi nayeee Sabhayata
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Dekhte hai aage orr kya kya hone wala hai
Bahut khoob Raj_sharma bhai
Ye ek nai sabhyata hai mitra, jo obviously mysterious to hai hi:shhhh:
Mummy nahi, balki jeete insaan hai wo, bas ye samajh sakte ho ki ek tarah ki neend me hai:approve:
Thank you very much for your valuable review and support bhai :thanx:
 

Raj_sharma

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Shalaka or uske bhai hai yaha per jise James or Velmer ne kaha dia anjane me
Kher dekhte hai 5000 salo se soyee Shalaka or uske bhai jagane ke bad kya karne wale hai
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Is tarf Suyash and Team subah hote he jaag Gaye hai chalte chalte Jack ne aage ja sabko rok ke Suyash se sawal karne laga lekin piche Shefali ke kaam me kisne nam leya NAYANTARA ka
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Amazing update Raj_sharma bhai
Thank you very much for your wonderful review and support bhai :thanx:
NAYANTARA EK CHAMATKAARI PED HAI DOST, JO CHAMATKAAR BHI KAR SAKTA HAI, ISKA PATA AGLEY UPDATE ME LAG HI JAYEGA:approve:
 
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