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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Bahut hi sunder update he Raj_sharma Bhai,

Atlantis Ped ne jo bataya uske anusar "Dev Yudh" shuru hone wala he................

Aur isme Jit Yugaka and party ki hogi.................aisa hi Yugaka aur Kalat ko "Sagarika" me likha mila..........

Suyash and party ek aise park me pachu gaye he jisme Medusa aur Jalpari ki murtiya he...........

Lekin kya yaha raat gujari ja sakti he????

Keep rocking Bro
Raat to inko yahi gujaarni padegi, lekin wo kaisi hogi ye slag baat hai:D Aasaan to nahi hone dunga:hehe:
Khair agle update me bhi kuch naya avasya hoga:approve: Thank you very much for your wonderful review and support bhai :thanx:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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romanchak update. clito ko kaid kiya gaya tha ..
ab ek aur dev yuddh shuru honewala hai jisme jeet kalat ki honewali hai aisa ped aur sagrika kitab se pata chala hai ..
Sagarika aur Atlantis ped jhooth nahi bol sakte, iss liye yudh to pakka, lekin abhi thoda samay hai usme :approve: Thank you very much for your valuable review and support bhai :thanx:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Badhiya update bhai
Thank you very much for your amazing review and support bhai :hug:
Jaise ki bataya gaya ha ki महाशक्ति मैग्रा posidan ke against gayi thi to shefali ke chances ha uske hone ke lekin shefali ko to or koi sanket de raha ha use to hosh hi nahi rahta jab usme powers aa jati ha or atlantis vraksh ne trikali ka naam liya tha to shayd shefali trikali hi ho sakti ha महाशक्ति मैग्रा kya pata usi tilism me kaid ho abhi
Trikaali ka naam kisi or wajah se liya gaya tha bhai :shhhh:Shefali trikaali nahi hai.
Vyom atlantis vraksh ko apna sa kyon laga ye kuchh samajh nahi aya kyonki uska kya connection ho sakta ha in sabse suyesh hota to baat kuchh or hoti lekin vyom kya uska bhi koi punarjanm ha
Kuch to baat hai Vyom ke yaha hone me mitra, khar, kya hai kya nahi, ye to aage hi pata chalega:approve:
Or sarika wali pustak ne bhi hint de diya ha ki tilism ko todne wale aa gaye han lekin saptlok ki shakti kahon shefali to nahi kyonki brahm kan ka to connection sidha suyesh se ha aryan ki wajah se or lagta ha jaise hi tilism tutega devi shalaka bhi udhar se ajad ho jayengi or yudh start hoga fir
Suyesh ka brahm kann se kya rista?:?: Aaryan ka tha lekin wo brahm kann se nahi, balki brahm kalash se:declare:
Or suyesh and party pahunch chuke han lagta ha tilism me lagta ha mayawon paar kar chuke han ye log and starting me hi medusa ki murti bhai thodi bahut kahaniya to mene bhi padhi ha medusa ki , ki samudra ke devta posidan ne medusa ka balatkar kiya tha or medusa jis devi ki puja karti thi usne medusa ko shrap diya tha jisse khubsurat dikhne wali medusa aisi badsurat dikhti thi or sabse khatarnak ha uski ankhen medusa ki ankhon me jo dekhta ha wo pathar ban jata ha aisa to mene padha ha dekhte han kahin inme se koi pathar ka na ban jaye
Tumne jo medusa ke baare me kaha hai, wahi sach hai bhai :approve:
Lekin jo nahi pata wo hum batayenge:declare: Aur jis park me ye log hain, waha per bhi kuch wishes shaktiyan hai jo aane wale update me saamne aayengi, ya ye samajh lo ek or kzm ho sakta:shhhh:
 

ak143

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#97.

“आज से 20000 वर्ष पहले जब पोसाइडन ने क्लीटो को कैद करने के लिये अराका द्वीप के निर्माण के बारे में सोचा, तो उसके दिमाग में पहला प्रश्न यह आया कि द्वीप की संरचना किस प्रकार की बनाई जाये? इसिलये तिलिस्मा और मायावन के निर्माण के लिये पोसाइडन ने कैस्पर और महाशक्ति मैग्रा का चुनाव किया।

ये दोनो उस समय के सबसे सफल निर्माणकर्ता थे। पोसाइडन चाहता था कि मायावन में विचित्र जीवो और वृक्षो का संसार हो, इस मायावन को इतनी आसानी से कोई ना पार कर पाये और अगर कोई इसे पार करने की कोशिश करे तो कैस्पर उस इंसान की शक्तियों को देखकर तुरंत ऐसे तिलिस्म का निर्माण करे, जिसको तोड़ना उस इंसान की शक्तियों से परे हो। इस प्रकार मैग्रा ने ‘वृक्षा शक्ति’ और ‘जीव शक्ति’ को मिलाकर इस मायावन का निर्माण किया और कैस्पर ने तिलिस्मा का निर्माण किया।

इस निर्माण के कुछ समय बाद पता नहीं किन अंजान कारणो से महाशक्ति मैग्रा ने पोसाइडन के विरूद्ध ही कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। जिसके बाद पोसाइडन और मैग्रा की शक्तियों के बीच टकराव शुरू हो गया और फ़िर 18000 वर्ष पहले महाशक्ति मैग्रा कहीं लुप्त हो गयी? उसके बाद से उसका आज तक कुछ पता नहीं चला?"

“कहीं वह छोटी लड़की ही तो मैग्रा नहीं?" युगाका ने हैरानी से पूछा।

“कुछ कह नहीं सकते। हो भी सकता है। इसीलिये तो ‘सागरिका’ खोलने चल रहे हैं।" कलाट ने कहा।

“ये सागरिका क्या है बाबा?" युगाका ने फ़िर कलाट से पूछा।

“जब देवताओं ने पृथ्वी का निर्माण कार्य शुरू किया, तो 7 तत्वों की रचना की और उन 7 तत्वों की रचनाओ का इतिहास सुरक्षित रखने के लिये 7 चमत्कारी किताबों का निर्माण किया। इस प्रकार धरती, आकाश, वायु, अग्नि, जल, प्रकाश और ध्वनि के इतिहास के लिये क्रमश: भूमिका, निहारिका, वेगिका, अग्निका, सागरिका, प्रकाशिका और ध्वनिका नामक किताबों की रचना की और यह सभी किताबें पृथ्वी के अलग-अलग भागो में छिपा दी गयी।

इनमें से मुझे सागरिका किताब की जानकारी है। वह एक चमत्कारी पुस्तक है और भूतकाल के अलावा कुछ भविष्य भी दिखाती है। उस पुस्तक के, भविष्य के पन्नो को, पुस्तक की इच्छा के बगैर कोई नहीं खोल सकता। पिछली बार जब मैं उस पुस्तक के पास गया था, तो उसके आखरी पन्ने पर लिखा था कि जब मायावन में महाशक्ति के अस्तित्व का अहसास हो जाये तो उस पुस्तक का अगला पन्ना खुलेगा।"

अब इससे पहले कि युगाका कोई और प्रश्न पूछ पाता, ड्रोन अटलांटिस वृक्ष के पास पहुंच गया।

ड्रोन से उतरकर कलाट और युगाका अटलांटिस वृक्ष के पास पहुंच गये। दोनों ने ही पहले वृक्ष को प्रणाम किया।

“हे महावृक्ष क्या आज आपके पास कोई अंजान व्यक्ती आया था?" कलाट ने वृक्ष से पूछा।

“एक ऐसा व्यक्ती आया था, जो सामरा का नहीं था, पर फ़िर भी मुझे वो अपना सा लगा।" वृक्ष से आवाज आयी।

“मैं कुछ समझा नहीं महावृक्ष? वो सामरा का नहीं था फ़िर भी अपना लगा, ऐसा कैसे हो सकता है?" कलाट ने ना समझने वाले अंदाज मेंकहा।

“ठीक उसी प्रकार जैसे त्रिकाली.... ....।" कुछ कहते-कहते वृक्ष शांत हो गया।

“मैं आपके कथन को समझ गया महावृक्ष। अगर आपको ऐसा महसूस हुआ है तो फ़िर मुझे कोई आपत्ती नहीं है।" कलाट ने कहा।

पर युगाका को महावृक्ष की ये बात समझ नहीं आयी। उसे समझ नहीं आया कि महावृक्ष ने त्रिकाली का नाम क्यों लिया?

“परेशान मत हो कलाट, खुशियाँ अराका पर कदम रख चुकी हैं, मैंने उसे महसूस किया है। तुम तो बस अब ‘दूसरे देव युद्ध’ की तैयारी करो।" वृक्ष ने कहा।

“क्या देव युद्ध निकट आ चुका है महावृक्ष?" कलाट ने पूछा।

“परिस्थितीयां बननी शुरू हो चुकी हैं, ये देव युद्ध पिछले से भी बड़ा होगा। पर देवताओं की शक्ति तुम्हारे साथ है। इसलिये तुम बिल्कुल भी परेशान मत हो। तुम तो अभी बस खुशियों की तैयारी करो।" वृक्ष ने कहा।

“जी महावृक्ष... जैसी आपकी आज्ञा।" कलाट ने कहा- “हे महावृक्ष मैं सागरिका का अगला पन्ना पलटना चाहता हूं।"

“ठीक है ... यह उचित समय भी है, तुम सागरिका का अगला पन्ना पलट सकते हो।" वृक्ष के इतना कहते ही उस वृक्ष पर 2 सोने के सेब दिखाई देने लगे।

कलाट और युगाका ने एक-एक फल को खा लिया।

फल को खाते ही दोनों का शरीर एक ऊर्जा के प्रकाशपुंज के रूप में परिवर्त्तित हो गया और रोशनी की तेजी से उड़कर समुद्र में समा गया।

समुद्र में तेजी से यात्रा करता वह प्रकाशपुंज कुछ ही सेकंड में समुद्र के अंदर डूबे अटलांटिस तक पहुंच गया। अटलांटिस द्वीप के अवशेष चारो ओर बिखरे दिखाई दे रहे थे।


दोनों प्रकाशपुंज वहां मौजूद पोसाइडन के मंदिर में प्रवेश कर गये।

पोसाइडन के मंदिर में प्रवेश करते ही युगाका और कलाट दोनो अपने वास्ताविक रूप में आ गये।

मंदिर अंदर से बहुत विशालकाय था। चारो ओर पानी ही पानी भरा था। बहुत से जलीय जंतु वहां तैर रहे थे।

मंदिर में पोसाइडन की एक विशालकाय प्रतिमा लगी थी, जिसके नीचे एक शेर की मूर्ति भी थी।

कलाट ने शेर की मूर्ति को पकड़कर घुमा दिया। अब शेर का मुंह पोसाइडन की ओर हो गया था। तभी एक गड़गड़ाहट के साथ पोसाइडन की मूर्ति के पीछे, एक द्वार सा खुल गया।

कलाट और युगाका उस द्वार में प्रविष्ट हो गये।

वह एक 20 फुट लंबा- चौड़ा कमरा था, जिसकी दीवार पर अजीब-अजीब से जलीय जन्तुओं की उभरी हुई आकृतियाँ बनी थी। उस कमरे में पानी का नामो- निशान भी नहीं था।

कमरे के बीचोबीच में एक खंभे पर एक मोटी सी प्राचीन किताब रखी थी। उस किताब के कवर पर उभरा हुआ, एक सुनहरी धातु का ‘सी-हार्स’ बना था।

वह किताब काफ़ी मोटी दिख रही थी।

कलाट ने युगाका को उस किताब को ना छूने का इशारा किया और अपने वस्त्रो में छिपे एक मछली की खाल जैसे दस्तानों को अपने दोनों हाथों में पहन लिया।

अब कलाट ने किताब को प्रणाम कर उसके पन्नो को खोल दिया।

किताब के खोलते ही उस किताब से पानी की कुछ बूंदे निकलकर कलाट के सामने हवा में फैल गयी। इसी के साथ वह पानी, हवा में कुछ शब्दों को लिखने लगा। जो कि इस प्रकार थे-

“सप्तलोक से आयी शक्ति, ब्रह्मकण से बना त्रिकाल,
देवयुद्ध कण-कण में होगा, जब टूटेगा मायाजाल"

यह पंक्तियाँ देखकर कलाट मुस्कुरा दिया, पर युगाका की कुछ भी समझ में नहीं आया।

उसने कलाट की ओर देखा, पर कलाट ने इशारे से उसे सबकुछ बाद में बताने को कहा।

पंक्तियो को देख कलाट ने फ़िर से सागरिका को देख हाथ जोड़ा।

उसके हाथ जोड़ते ही सागरिका से निकलने वाला वह जल, फ़िर से सागरिका में समा गया और इसी के साथ वह किताब स्वतः बंद हो गयी।

अब कलाट, युगाका को लेकर वापस पोसाइडन के मंदिर में आ गया।

कलाट के गुप्त स्थान से निकलते ही गुप्त स्थान वापस से बंद हो गया और शेर की मूर्ति अपने यथास्थान
आ गयी।

कलाट और युगाका जैसे ही पोसाइडन के मंदिर से बाहर आये, वह फ़िर से प्रकाशपुंज में बदल गये और सामरा राज्य की ओर चल दिये।


जलपरी की मूर्ति

(9 जनवरी 2002, बुधवार, 17:30, मायावन, अराका द्वीप)

“कैप्टन...शाम होने वाली है। हमें रात गुजारने के लिये फ़िर से कोई सुरक्षित स्थान देखना होगा।" अल्बर्ट ने सुयश को देखते हुए कहा।

“कुछ दूरी पर मुझे पेड़ ख़तम होते दिख रहे हैं। शायद वहां पर कोई सुरक्षित जगह हो?" सुयश ने अल्बर्ट को एक दिशा की ओर इशारा करते हुए कहा।

“कैप्टन, ऐमू फ़िर गायब हो गया।" ब्रेंडन ने कहा- “जब युगाका ने हम पर हमला किया था, तब तक वह हमारे साथ था। उसके बाद से उसका कुछ पता नहीं है?"

“मुझे ऐसा लगा जैसे ऐमू युगाका से बहुत ज़्यादा घबरा गया था।" जेनिथ ने कहा।

तभी ऊंचे पेडों का सिलसिला ख़तम हो गया। अब सामने दूर-दूर तक मैदानी क्षेत्र था, जहां पर एक भी पेड़ नजर नहीं आ रहे थे।

तभी तौफीक ने कहा- “कैप्टन.... वहां कुछ दूरी पर जमीन पर कोई इमारत जैसी नजर आ रही है। हमें उस तरफ ही चलना चाहिये।"

सभी की नजर तौफीक की बताई दिशा की ओर घूम गयी। सभी उस दिशा की ओर चल दिये।

“यह तो संगमरमर पत्थरों से बनी कोई जगह दिखाई दे रही है।" शैफाली ने कहा

लगभग 5 मिनट में ही सभी उस स्थान पर पहुंच गये।

वह एक सफेद संगमरमर पत्थरों से बनी, एक पार्क जैसी जगह थी। इस जगह पर किसी भी प्रकार की कोई छत नहीं थी।

पार्क के बीचोबीच एक सुंदर और साफ पानी का तालाब था, जिसके चारो ओर उसमें उतरने के लिये सीढ़ियाँ बनी थी। उस तालाब के बीच में पानी का एक विचित्र फव्वारा लगा था।

उसे विचित्र इसलिये कहा क्यों की उस फव्वारे में एक ‘सर्प लड़की’ की मूर्ति लगी थी।

उस लड़की के शरीर के नीचे का भाग एक सर्प का था और कमर से ऊपर का भाग एक लड़की का था।

लड़की के बाल की जगह सैकडो सर्प निकले थे और हर सर्प के मुंह से पानी की एक धार फव्वारे की शकल में निकल रही थी।

“मेडूसा!" अल्बर्ट ने उस मूर्ति को देखते ही कहा- “ये ग्रीक कहानियों का पात्र ‘मेडूसा’ है। यह 3 ‘गारगन’ बहनो में से एक थी।"

“क्या इसकी कहानी हमें सुनाएंगे प्रोफेसर?" जेनिथ ने अल्बर्ट से अनुरोध करते हुए कहा।

“जरूर सुनाऊंगा, पर पहले एक बार इस पूरी जगह को ठीक से देख लिया जाये कि यह जगह रात गुजारने लायक है भी कि नहीं?" अल्बर्ट ने जेनिथ से कहा।

जेनिथ ने धीरे से सिर हिलाकर अपनी हामी भर दी। अब सभी बाकी की जगह को देखने लगे।

उस पार्क के एक दूसरे क्षेत्र में खूबसूरत जलपरी की मूर्ति बनी थी, जिसका कमर से नीचे का हिस्सा एक मछली जैसा था और कमर के ऊपर का हिस्सा एक लड़की का था।


जारी रहेगा______✍️
अद्भुत 👌👌👌
 

Raj_sharma

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Raj_sharma

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