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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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Xf ke Discord server ho kya tum?
Addicted ko pm kar do
Sign in nahi ho raha tha isliye mujhe password create karna pada dekhte hain phir se google sign hota hai ya nahi.

Addicted ko pm nahi kiya hai lekin ask staff section mein query file kar diya hai.
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Sign in nahi ho raha tha isliye mujhe password create karna pada dekhte hain phir se google sign hota hai ya nahi.

Addicted ko pm nahi kiya hai lekin ask staff section mein query file kar diya hai.
Fikar not, fir aapka kaam ho jayega jaldi hi, fir bhi agar dikkat ho to addicted ya AP bhai ko pm kar diyo👍
 

Ajju Landwalia

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#122.

कलिका अब चतुर्थ यक्षद्वार के सामने खड़ी थी।

यहां पर एक ही दरवाजा था और उस दरवाजे पर एक समान सी दिखने वाली तीन स्त्रियों की आदमकद मूर्तियां खड़ीं थीं।

“यह चतुर्थ यक्षद्वार है कलिका। इसके भी पीछे की एक कहानी है।

"एक राजकुमार दूसरे राज्य के भ्रमण पर गया। रास्ते में उसने उस राज्य की राजकुमारी को देखा। राजकुमारी देखने में बहुत सुंदर थी। इसलिये राजकुमार ने उस राजा के सामने उसकी पुत्री से विवाह का प्रस्ताव रखा। उस राजा की तीन पुत्रियां थीं, जो देखने में बिल्कुल एक जैसी थीं। राजा ने तीनों पुत्रियों को राजकुमार को दिखाया और पूछा कि वह किस से शादी करना चाहते हैं? अब तुम्हें उस राजकुमार के लिये उचित कन्या का चुनाव
करना पड़ेगा।”

यह सुनकर कलिका ने तीनों मूर्तिंयों को ध्यान से देखना शुरु कर दिया, पर 2 घंटे के बाद भी कलिका को तीनों में एक भी असमानता नहीं दिखाई दी।

“ये तो बिल्कुल एक जैसी हैं, इनमें उचित कन्या का चुनाव कैसे सम्भव है?” कलिका अब परेशान होने लगी, पर उसने अभी भी हिम्मत नहीं हारी।

2 घंटे और बीत गये, पर कलिका को कुछ समझ नहीं आया।

आखिरकार थककर उसने मूर्तियों के स्थान पर इधर-उधर देखना शुरु कर दिया।

तभी कलिका की नजर मूर्तियों के पास पड़े 1 फुट लंबे एक धातु के तार पर पड़ी।

“ये तार यहां पर क्यों पड़ा हुआ है? कहीं इसका उपयोग मूर्ति में तो कहीं नहीं होना है?” यह सोच कलिका ने उस धातु के तार को जमीन से उठा लिया और एक बार फिर मूर्तियों को ध्यान से देखने लगी।

तभी कलिका को मूर्ति के कान में तार के बराबर का बारीक छेद दिखाई दिया। कलिका ने उस तार को पहली मूर्ति के कान में डालना शुरु कर दिया।

वह तार थोड़ी ही देर में उस मूर्ति के दूसरे कान से बाहर आ गया।

यह देख कलिका के चेहरे पर मुस्कान बिखर गयी। अब उसने वही तार दूसरी मूर्ति के कान में डाल दिया, इस बार तार दूसरी मूर्ति के मुंह से बाहर आ गया।

कलिका ने इस बार वह तार तीसरी मूर्ति के कान में डाला, इस बार वह तार किसी भी जगह से बाहर नहीं आया।

यह देख कलि का बोल उठी- “यक्षराज, मैंने पहली मूर्ति के कान में तार डाला तो वह दूसरे कान से बाहर आ गया। इसका मतलब यह राजकुमारी किसी की बात को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल देती है। इसलिये यह राजकुमार के लिये उपयुक्त नहीं होगी।

दूसरी मूर्ति के कान में तार डालने पर उसके मुंह से बाहर आ गया। इसका मतलब यह राजकुमारी किसी भी बात को पचा नहीं पाती। ऐसी राजकुमारी अपने घर के भेद को भी दूसरों को बता सकती है।

तीसरी मूर्ति के कान में तार डालने पर तार कहीं से भी बाहर नहीं आया। इसका मतलब यह राजकुमारी किसी भी बात को ध्यान से सुनती है और उसे अपने अंदर आत्मसात कर लेती है। इसलिये तीसरी राजकुमारी ही राजकुमार के लिये उचित चुनाव है।”

“अकल्पनीय! तुमने हर बार की भांति ही इस बार भी सही चुनाव किया है कलिका। यही राजकुमारी, उस राजकुमार के लिये सबसे उचित चुनाव है।” युवान ने कहा।

इसी के साथ वह राजकुमारी की मूर्ति जीवित हो गई, जिसे लेकर कलिका उस द्वार में प्रवेश कर गई।

राजकुमारी को उस राजकुमार से मिलाने के बाद कलिका पांचवे और आखिरी द्वार की ओर बढ़ गयी।

पर कलिका जैसे ही बाहर निकली। इस बार वह आश्चर्य से भर उठी।

इस समय वह एक ऐसे बड़े से मैदान में खड़ी थी, जहां पर 4 ऊंची-ऊंची मूर्तियां लगी थीं। हर मूर्ति के नीचे एक बड़ा सा मटका रखा था। वह मूर्तियां अग्निदेव, सूर्यदेव, चंद्रदेव एवं व्यास ऋषि की थीं।

तभी एक बार फिर युवान की आवाज वातावरण में गूंजी- “यह तुम्हारा पांचवां और आखिरी यक्षद्वार है। अगर तुम यहां सफल हो गयी तो तुम्हें प्रकाश शक्ति मिल जायेगी।

"इस द्वार में तुम्हें इस चीज का चुनाव करना है कि यहां उपस्थित चारो व्यक्तियों में प्रकाश शक्ति किसके पास हो सकती है? तुम्हें जो उत्तर सही लगे, उसे तुम चुन सकती हो, परंतु ये याद रखना कि ये आखिरी द्वार है, अगर तुम यहां गलत हो गयी तो कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम कितने द्वार को पार किया है? तुम ऐसी स्थिति में भी अनुतीर्ण ही कहलाओगी और अपने प्राणों से हाथ धो बैठोगी।” यह कहकर युवान चुप हो गया।

एक बार फिर कलिका का कार्य शुरु हो चुका था। लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से इस बार कलिका ने अधिक समय नहीं लिया।

“यक्षराज, चंद्रदेव स्वयं सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित हैं, इसलिये उनके पास प्रकाश शक्ति नहीं हो सकती। अब अगर हम अग्निदेव की बात करें तो अग्नि भी बिना किसी सहारे के आगे नहीं बढ़ती है, इसलिये मुझे लगता है कि इनके पास भी प्रकाश शक्ति नहीं हो सकती।

"अब बचे 2 लोग-सूर्यदेव और महर्षि व्यास। सूर्यदेव स्वयं के प्रकाश से प्रकाशित तो हैं, पर इनका प्रकाश हमें निरंतर प्राप्त नहीं होता है। इसलिये मुझे नहीं लगता कि सूर्यदेव के पास भी प्रकाश शक्ति हो सकती है।

अब बचे सिर्फ महर्षि व्यास। तो अगर हम ध्यान दें तो महर्षि व्यास ने वेदों की रचना की है और वेद ही सम्पूर्ण ज्ञान का स्रोत है। यानि ज्ञान के प्रकाश से बढ़कर कुछ हो ही नहीं सकता। ये दिन में, रात में, सुख में, दुख में, आशा में, निराशा में हर पल हमें अपने ऊर्जान्वित करता है। अगर दूसरे प्रकार से देखें, तो वेदों
में इन सभी देवताओं का वर्णन किया गया है। यानि वेदों के द्वारा इन सभी देवताओं को भी ऊर्जा मिली है। इसलिये मुझे लगता है कि प्रकाश शक्ति केवल महर्षि वेद व्यास के पास ही होगी।”

“बिल्कुल सही कहा कलिका, वेदों के प्रकाश से बढ़कर इस ब्रह्मांड में और कोई प्रकाश नहीं है। आगे बढ़कर महर्षि वेद व्यास के सामने रखी मटकी का चयन करो और प्रकाश शक्ति की स्वामिनी बन जाओ।” युवान ने हर्षित स्वर में कहा।

कलिका ने आगे बढ़कर महर्षि वेद व्यास के सामने रखी मटकी में हाथ डाला। अंदर उसके हाथ का स्पर्श किसी चीज से हुआ। कलिका ने वह चीज मटके से निकाल ली।

वह सुप्रसिद्ध पुस्तक ऋग्वेद थी।

कलिका ने उस पुस्तक का प्रथम पृष्ठ खोला, पुस्तक को खोलते ही, उसमें से एक बहुत तीव्र प्रकाश की किरणें निकलीं और कलिका के शरीर में समा गयीं।

इतनी तेज रोशनी के कारण कलिका की आँखें बंद हो गयीं। जब उसने अपनी आँखें खोलीं तो वह यक्षलोक के मुख्य द्वार के पास खड़ी थी।

तभी एक बार पुनः युवान की आवाज उभरी- “प्रकाश शक्ति प्राप्त करने के लिये तुम्हें हार्दिक शुभकामनाएं कलिका। इस प्रकाश शक्ति ने भी तुम्हें चुनकर सर्वश्रेष्ठ का ही चुनाव किया है। वैसे मैं इस यक्षावली के समय अंतराल में तुम्हारे चरित्र और तुम्हारे तर्कों से अति प्रसन्न हुआ, इसलिये जाने से पहले तुम मुझसे कोई एक वरदान मांग सकती हो।”

“यक्षराज मैं आपसे स्वयं के लिये नहीं वरन् अपनी पुत्री के लिये कोई ऐसी शक्ति मांगना चाहती हूं, जो उसके पूर्ण जीवनकाल में उसकी सुरक्षा करे।” कलिका ने हाथ जोड़कर कहा।

“बालकों को शक्ति देना, उन्हें उनके मार्ग से भ्रमित करना होता है कलिका। इसलिये मैं तुम्हारी पुत्री को हिमशक्ति दे तो रहा हूं, लेकिन इसका प्रयोग वह 20 वर्ष की आयु के बाद ही कर पायेगी। अब जाओ
कलिका इन वेदों की शक्ति से दुनिया को प्रकाशित करो।”

कलिका ने यक्षराज को हाथ जोड़कर अभिवादन किया और योग गुफा की ओर चल दी।


खून की बारिश:
(13 जनवरी 2002, रविवार, 12:40, मायावन, अराका द्वीप)

आर्क वाले द्वार को पार करने के बाद सभी आगे बढ़ते जा रहे थे।

दूसरी ओर का रास्ता भी पथरीला था और छोटे-छोटे पौधों से भरा था। कुछ दूर के बाद बर्फ से ढकी पहाड़ियां नजर आ रहीं थीं।

“पता नहीं किसने इस रहस्यमय जंगल का निर्माण किया है?” क्रिस्टी ने मुंह बनाते हुए कहा- “खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है और ऊपर से पूरे रास्ते भर क्या-क्या मुसीबतें डाल रखीं हैं?”

“मैं तो अगर यहां से बच कर निकल गयी तो अगले 20 वर्ष तक जंगल क्या किसी भी पार्क में भी नहीं जाऊंगी?” जेनिथ ने हंसते हुए कहा।

“मुझे तो ये जंगल बहुत अच्छा लग रहा है।” शैफाली ने भी जेनिथ और क्रिस्टी की बातों के बीच में घुसते हुए कहा- “मैंने तो अपने जीवन भर कुछ देखा ही नहीं था, फिर जब मुझे यहां इतनी प्राकृतिक चीजें नजर
आयीं, तो मैं बहुत खुश हो गयी।”

तभी आगे बढ़ते हुए सभी को जमीन में दीमक की बांबियां बनी दिखाई दीं।

“ये लो...अब पता नहीं कौन सी मुसीबत आने वाली है?” सुयश ने कहा- “जब भी कोई नया क्षेत्र शुरु होता है, तो कोई ना कोई मुसीबत जरुर आती है। पता नहीं इन बांबियों से दीमक निकलकर हमारा क्या करेंगे?”

“कैप्टेन हम तो इन 4 बांबियों को ही देखकर डर गये। जरा नजर उठा कर आगे तो देखिये, यहां कुछ दूरी के क्षेत्र में ऐसी हजारों बांबियां हैं।” क्रिस्टी ने आगे के रास्ते पर नजर मारते हुए कहा।

बंबियों के आगे बहुत दूर तक मशरुम के पेड़ भी नजर आ रहे थे। मशरुम आकार में काफी बड़े और चमकदार दिख रहे थे। दूर से देखने पर वह किसी छतरी की भांति नजर आ रहे थे। मशरुम को देख सभी आगे बढकर उन्हें देखने लगे।

“यह मशरुम कुछ जरुरत से ज्यादा बड़े और चमकदार नहीं लग रहे हैं?” जेनिथ ने कहा।

“यह ‘मून लाइट मशरुम’हैं।” सुयश ने उन मशरुम के पेड़ को देखते हुए कहा- “यह जापान में पाये जाते हैं। रात के समय यह बहुत तेज रोशनी बिखेरते हैं और यह अत्यंत जहरीले होते हैं, इसलिये इन्हें खाया
नहीं जाता।”

“सच में यह जंगल बहुत ही विचित्र है।” तौफीक ने कहा- “कुछ किलोमीटर की ही दूरी पर यहां मौसम एकदम बदल जाता है और यहां पाये जाने वाले पौधे और जीव तो शायद ब्रह्मांड के कोने-कोने से लाकर यहां रखे गये हैं। सब अपने आप में बहुत ही अनोखे और रहस्यमय हैं।”

तभी दीमक वाली बांबियों से लाल रंग की बड़ी-बड़ी चींटियां निकलना शुरु हो गयीं।

“अरे बाप रे, यह तो ‘रेड आंट’हैं, ये तो अफ्रीका के जंगलों में पायी जाती हैं, यह इतनी खतरनाक होती हैं कि अजगर और शेर जैसे जानवर को भी पल भर में खत्म कर देती हैं। सबसे बड़ी मुसीबत इनका संगठित
होना है। यह एक जगह पर लाखों की संख्या में रहती हैं। हमें इनसे अपना बचाव करना पड़ेगा।”

तभी लाल चींटियों ने सबको चारो ओर से घेरना शुरु कर दिया।

“कैप्टेन ... इनसे कैसे बचा जा सकता है?” तौफीक ने पूछा।

“इनसे सिर्फ आग से ही बचा जा सकता है, पर वह हमारे पास यहां पर है नहीं।” शैफाली ने कहा।

तब तक लाल चींटियों ने सभी को चारो ओर से घेर लिया। अब वह किसी सैनिक की तरह उन पर हमला करने के लिये आगे बढ़ने लगी।

वह चींटियां लगातार बांबियों से निकलती ही जा रहीं थीं।

तभी कुछ चींटियों ने जेनिथ के ऊपर हमला कर दिया। जेनिथ चींटियों से बचने के लिये जैसे ही पीछे की ओर बढ़ी, तभी जेनिथ का पैर एक मशरुम के पेड़ से टकराया और जेनिथ जमीन पर गिर पड़ी।

जेनिथ के गिरते ही चींटियां जेनिथ पर झपटीं, तभी जेनिथ ने अपने बचाव में टूटा हुआ मशरुम का टुकड़ा आगे कर दिया।

मशरुम से निकलती रोशनी और खुशबू शायद चींटियों को पसंद नहीं थी। वह उस मशरुम के पेड़ से दूर हटने लगीं।

यह देख जेनिथ ने वह मशरुम का टुकड़ा चींटियों की ओर उछाल दिया। मशरुम का टुकड़ा जिस जगह पर गिरा, चींटियां उस जगह से दूर हट गईं।

यह देखकर जेनिथ ने चीख कर कहा- “कैप्टेन, आप सब लोग अपने हाथों में मशरुम ले लीजिये। ये सारी चींटियां मशरुम से डर रहीं हैं।”

जेनिथ की बात सुन सभी ने मशरुम को तोड़कर अपने हाथों में ले लिया और उसे अपने शरीर से आगे कर चींटियों को पीछे की ओर धकेलने लगे।

जेनिथ की तरकीब काम कर गयी। मशरुम के डर से सारी की सारी चींटियां अपने बिलों में वापस चलीं गईं।

“बाल-बाल बचे।” सुयश ने सभी को देखते हुए कहा- “अगर जेनिथ को समय रहते यह तरकीब ना पता चलती, तो अब तक चींटियों ने हमें चट कर जाना था।”

“कैप्टेन अगर सही कहें तो यह पहली ऐसी मुसीबत थी जो इतनी आसानी से समाप्त हो गई।” क्रिस्टी ने कहा।

पर वह मुसीबत ही क्या, जो इतनी आसानी से खत्म हो जाए।

चींटियों के अपनी बांबियों में घुसते ही उन बांबियों से गाढ़े लाल रंग का धुआं निकलना शुरु हो गया।

“लीजिये क्रिस्टी दीदी, आपके कहते ही मुसीबत शुरु हो गई।” शैफाली ने मुस्कुराते हुए कहा- “अब देखते हैं कि यह मुसीबत किस प्रकार की है?”

वह लाल धुंआ धीरे-धीरे पूरे वातावरण में फैलने लगा।

“मेरे हिसाब से हमें यहां रुक कर इस लाल धुंए को देखने की जरुरत नहीं है।” सुयश ने सभी को देखते हुए कहा- “है तो यह किसी प्रकार की मुसीबत ही? इसलिये हमें इस धुंए के फैलने के पहले ही इस स्थान को छोड़ उन बर्फीली पहाड़ियों की ओर जाना होगा।”

सुयश का विचार सभी को सही लगा, इसलिये वह सभी तेजी से सामने दिख रही बर्फीली पहाड़ियों की ओर भागने लगे।

ऐसा लग रहा था कि उन सुर्ख बादलों ने इन्हें भागते देख लिया हो, अब धुंआ और तेजी से वातावरण में फैलने लगा।

“एक बात और सभी लोग ध्यान रखना।” सुयश ने भागते हुए सभी से कहा- “हम सभी ने कुछ देर पहले विषैले मशरुम को छुआ था, तो जब तक हम अपना हाथ ठीक तरह से साफ ना कर लें, कोई भी इन हाथों से अपने मुंह और आँख को नहीं छुएगा।” सभी ने भागते हुए अपनी सहमति जताई।

तभी भागते हुए तौफीक ने पलटकर पीछे देखा, अब वह धुंआ इतना ज्यादा बढ़ गया था कि उसने अब बादलों के एक गुच्छे का रुप धारण कर लिया था।

अब बादल हवा के बहाव से उन्हीं की ओर आ रहे थे।

“कैप्टेन, सावधान!” तौफीक ने सुयश को चेतावनी देते हुए कहा- “अब वह धुंआ बादलों का रुप धारण करके तेजी से हमारी ओर आ रहा है।”

तौफीक की बात सुनकर सुयश ने भी एक बार पलटकर उन खून से सुर्ख बादलों को देखा और अपने दौड़ने की स्पीड बढ़ा दी।

तभी उन बादलों ने बरसना शुरु कर दिया। लाल रंग के बूंदों की वह बारिश बिल्कुल खून की बारिश जैसी प्रतीत हो रही थी।

तभी शैफाली की निगाह उससे कुछ दूर पर गिरी उन बूंदों पर गयी।

वह खूनी बूंदें जमीन पर जिस जगह गिर रहीं थीं, वहां मिट्टी में बुलबुले उठने के बाद एक छोटा सा गड्ढा हो जा रहा था।

यह देख शैफाली चीख उठी - “और तेज भागो, यह साधारण बारिश नहीं तेजाब की बारिश है, जिस पर भी इसकी बूंद गिरेगी, उसका शरीर गलने लगेगा।”

शैफाली के यह शब्द सुनते ही सभी के पैरों में जैसे पंख लग गये हों, सभी पूरी ताकत से बर्फीली पहाड़ियों की ओर भागने लगे।

बर्फीली पहाड़ियां अब ज्यादा दूर नहीं रह गयीं थीं, पर खूनी बादल तो अब उनके सिर पर आ गये थे।

तभी खूनी बारिश की कुछ बूंदें जेनिथ के ऊपर गिरीं। जेनिथ के शरीर की त्वचा उस जगह से झुलस गई।

यह देख जेनिथ ने मन में जोर से नक्षत्रा को समय को रोकने को कहा। नक्षत्रा ने तुरंत समय को रोक दिया। समय के रुकते ही सभी के साथ वह खूनी बूंदें भी हवा में ही रुक गईं।

“इस समस्या का हल तुम्हें तुरंत ढूंढना होगा दोस्त।” नक्षत्रा ने जेनिथ से कहा- “अगर तुमने ज्यादा समय यहां पर लगा दिया तो आगे किसी दूसरी मुसीबत से मैं तुम्हारी मदद नहीं कर पाऊंगा?”

जेनिथ की नजरें तेजी से अपने चारो ओर घूमने लगीं।

उसे किसी ऐसी चीज की तलाश थी, जो उन सभी को इस खूनी बारिश से बचा सके।

उधर नक्षत्रा तेजी से जेनिथ की जली हुई त्वचा को सही करने लगा। काफी देखने के बाद भी जेनिथ को आसपास कुछ नहीं दिखाई दिया।

तभी जेनिथ की नजर अपने आसपास गिरी बूंदों की ओर गईं।

बूंदे जिस जगह गिरीं थीं, उस जगह की हर चीज को उसने जला दिया था, सिवाय एक चीज के....और वह था मून लाइट मशरुम।

जेनिथ के एक सेकेण्ड तक मशरुम की संरचना को ध्यान से देखा और खुश होकर नक्षत्रा को समय को रिलीज करने के लिये बोल दिया।

जैसे ही नक्षत्रा ने समय को रिलीज किया, जेनिथ ने चीखकर सभी से कहा- “सभी लोग तुरंत मशरुम को छतरी की तरह इस्तेमाल करो, मशरुम पर इस खूनी बारिश का कोई असर नहीं हो रहा।

जेनिथ के इतना कहते ही सभी ने एक-एक मशरुम को तोड़कर छतरी की तरह प्रयोग करने लगे।
जेनिथ ने भी एक मशरुम तोड़कर अपने सिर पर लगा लिया। जेनिथ के घाव भी अब भर गये थे।

यहां तक कि किसी को पता भी नहीं चला कि जेनिथ के ऊपर खूनी बूंद गिरी भी थी।

खूनी बूंदें मशरुम पर गिर रहीं थीं, पर अब ये सभी लोग मशरुम के नीचे सुरक्षित थे।

“रुको नहीं... चलते रहो।”सुयश ने सभी को रुके देख चिल्ला कर कहा- “हम इस समय एक विचित्र तिलिस्म में हैं, अगर हम रुके तो ये बादल फिर अपना स्वरुप बदलकर हम पर किसी और रुप में हमला करने लगेंगे। इसलिये जितनी जल्दी हो सके, इस क्षेत्र से बाहर निकलो।”

सुयश के इतना कहते ही सभी फिर बर्फीली पहाड़ियों की ओर भागने लगे।

कुछ ही देर के प्रयास के बाद आखिरकार सभी बर्फीली पहाड़ियों के पास पहुंच ही गये।

खूनी बादलों ने भी अब इनका पीछा छोड़ दिया था।

भागते-भागते सभी इतना थक गये थे कि वहीं जमीन पर लेट गये।

सभी ने अपनी जान बच जाने पर एक बार फिर ईश्वर का धन्यवाद किया और टुकुर-टुकुर आँखों से उस बर्फीले क्षेत्र को देखने लगे, जहां पर
कोई नयी मुसीबत इनका इंतजार कर रही थी।


जारी रहेगा_______:writing:

Bahut hi behtareen update he Raj_sharma Bhai,

Aakhirkar Kalika ne prakashshakti ko prapt kar hi liya aur apni beti ke liye Himshakti bhi lel li.............

Suyash and party ka musbato ke sath choli daman ka sath ho gaya he.........

Keep rocking Bhai
 

Raj_sharma

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राज भाई मुझे तो यह चैप्टर सभी से मजेदार लगा त्रिकाली और व्योम का एक दूसरे को रक्षा सूत्र बांधना
पर बिचारे व्योम को तो मालूम ही नहीं है कि उसने त्रिकाली को जो रक्षा सूत्र बांधा एंव बंधवाया है वह त्रिकाली और व्योम को एक दूसरे से जोड़ दिया है जिसे देवी काली ने भी स्वीकार कर लिया है
वो रक्षासूत्र एक ऐसा अटूट बंधन होने वाला है, जो व्योम और त्रिकाली को हमेंशा के लिए एक दूसरे से जोड़कर रख देगा। :declare: देवी की स्वीकृती इस बात की पुष्टी भी करती है।
आपके अमूल्य रिव्यू के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद मित्र :hug:
 

Raj_sharma

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Bahut hi behtareen update he Raj_sharma Bhai,

Aakhirkar Kalika ne prakashshakti ko prapt kar hi liya aur apni beti ke liye Himshakti bhi lel li.............

Suyash and party ka musbato ke sath choli daman ka sath ho gaya he.........

Keep rocking Bhai
Satya vachan bhaiya :approve: Kalika ko iss shakti ki aage bohot jarurat padne wali hai, jab wo aur uska pati.:shhhh:....abhi nahi bataunga:D
Khair suyash and party ka agla imtihaan redy hai:roll: Bas agle update me is si bhi badi musibat un ke maathe per aane wali hai, Thank you very much for your valuable review and superb support :hug:
 

avsji

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115:
भाई चाहे कुछ कहो - कई तीर्थों में मैंने भव्य आरतियाँ होती देखी हैं। सच में, शंख, घंटे, ढोल, मृदंग इत्यादि की ध्वनियाँ जब गूंजती हैं, तो ऐसा माहौल बनता है कि क्या कहें! एकदम दिव्य! मन कहीं और ही चला जाता है। आपने उतना बड़ा लिखा नहीं - कहानी का वो उद्देश्य ही नहीं है - लेकिन अगर लिखते, तो आनंद आ जाता! :)

गुरुत्व शक्ति व्योम को मिली, उधर उस डिबिया में वापस भी आ गई। यह रोचक बात है। जैसा कि आपने एक्सप्लेन किया है, कि अगर गुरुत्व शक्ति किसी सुयोग्य व्यक्ति को मिलती है - हमारे केस में ‘व्योम’ को - तो वो उसका रिप्लेसमेंट भी वापस अपने सही स्थान पर चला जाता है। बढ़िया। पॉजिटिव मल्टिप्लिकेशन! 👍

चिकनी अंडाकार चट्टानें - यह सुनते ही मुझको पहला शब्द जो चमका वो था “अंडे”! हा हा! 😂

टेरोसौर (Pterosaur) उड़ने वाले डायनासौर की एक प्रजाति थी। शायद कुछ पाठकों को न मालूम हो, लेकिन वैज्ञानिक ये मानते हैं कि आधुनिक चिड़ियें, दरअसल, डायनासौर से ही विकसित हुई हैं। ऑस्ट्रेलिया की कुछ चिड़ियाँ, जैसे, ऐमू, कैसोवरी, या फिर अफ्रीका के ऑस्ट्रिच (शुतुरमुर्ग) देखने में डायनासौर जैसे ही प्रतीत होते हैं।

ख़ैर…

वर्णन थोड़ा अतिशय लगा - स्पीलबर्ग की जुरैसिक पार्क फिल्मों जैसा! छोटे चूज़े बहुत निर्बल होते हैं, ख़ास कर बड़ी प्रजाति के चिड़ियों के। वो पूरी तरह से अपनी माँ / पिता पर आश्रित होते हैं खाने पीने के लिए। उनके लिए ऐसे शिकार कर पाना... अगर असंभव नहीं है, तो देखा नहीं गया है। बेहतर होता आगर आप बड़े टेरोसौर को यह करते दिखाते।

कहाँ सोचा था कि तौफ़ीक़ नपेगा, लेकिन यहाँ तो अल्बर्ट ही चला गया। 😢


अल्बर्ट के जाने से अब इस ग्रुप को वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि देने वाला कोई नहीं बचा। शेफ़ाली तार्किक रूप से संपन्न है, लेकिन उसका अलग महत्त्व है।


116:
यार वो मछली गायब कैसे और किधर हो गई? पहले और दूसरे वार से वेगा को जोडिएक घड़ी ने बहुत हद तक बचा लिया। लेकिन प्रश्न ये है कि इतने कम समय में इतनी बार हमला! वेगा को मार कर किसको क्या हासिल होने वाला है? जिस तरह से मछली और नाग गायब हुए हैं, यह बहुत ही रहस्यमय है।

लेकिन सांड़ नहीं गायब हुआ? वो कैसे? छुट्टा सांड़ अमेरिका की सड़कों पर यूँ नहीं घूमते।

लेकिन… अब दोहरी मुसीबत एक साथ ही वेगा के सर पर मँडरा रही है।

117:
एलेक्स ज़िंदा है? हम्म्म!

एक तो अनगिनत पात्र हैं और थोक के भाव मर रहे हैं; ऐसे में किस किस का ब्यौरा रखा जाए भला! :confused3:

एलेक्स की हरकत समझ नहीं आई - पहले तो भाई का पृष्ठभाग मेडुसा को देख कर फ़ट गया, फिर वो उसका पीछा भी करने लगा। अरे यार - कोई मुसीबत के पीछे जान-बूझ कर क्यों जाना चाहेगा? इस समय उसकी हालत आसमान से गिरे, खजूर पर अटके जैसी ही है।

फिर भी उंगली करने की गज़ब की खुजली है उसमें।

विषधर ने सही कहा - एलेक्स सौ फ़ीसदी मूर्ख है। घंटा कोई अच्छाई है उसमें - पहले बार-बार बार-बार उंगली करना, फिर बोलने वाले सर्प की बात मानना (ओल्ड टेस्टामेंट और कृष्ण लीला की कहानियों से भी कुछ नहीं सीखा इसने)! लेकिन विषधर के बचने से क्या प्रभाव होगा? देखने वाली बात रहेगी।

118:
क्रिस्टी की हिम्मत और हौसले, तेजी और बुद्धिमत्ता की दाद देनी ही पड़ेगी। सच में - यही सब तो मनुष्य के हथियार हैं। इन्ही के बल बूते पर उसने इस आधुनिक संसार की रचना करी है।

वाह भाई! 👏

119:
यार ये बात समझ में नहीं आई कि इतना खतरा होने पर भी राजकुमारी त्रिकाली महादेवी की पूजा करने क्यों निकले?

व्योम की हिम्मत और उसके बलिष्ठ शरीर की मसल्स देख त्रिकाली व्योम पर मोहित हो गई।” -- हो सकता है, होना भी चाहिए -- लेकिन जिस समय आपने यह लिखा, उस समय असंभव है। जब गाँ* फटती है, तो किसी पर मोहित होने वाला विचार सबसे अंत में आता है। इस समय त्रिकाली को व्योम की मदद करने का विचार आना चाहिए था। इसलिए थोड़ा अटपटा लगा यहाँ।

हाँ - गोंजालो की पराजय के बाद वो व्योम पर मोहित होती, तो सब समझ में आता।

तुम भी देवी के सामने हाथ जोड़ लो।” त्रिकाली ने व्योम से कहा- “देवी सबकी इच्छाएं पूरी करती हैं।” -- चल गया तीर, लग गया निशाना! हा हा हा हा हा!!! 😂😂

त्रिकाली ने बिना बताये व्योम भाई से बियाह कर लिया है, और महादेवी उसकी साक्षी भी बन गई हैं। धोखेबाज़ त्रिकाली!! हा हा हा! 😂😂👏

120:
सुयश को भी पाने बुद्धि कौशल को आजमाने का मौका मिला।

121:
आपने रूपकुण्ड झील के बारे में लिखा - मैंने वहाँ दो बार ट्रेक किया है (करीब बीस साल पहले)। क़रीब साढ़े सोलह हज़ार फ़ीट ऊँचाई पर है यह और त्रिशूल और नंदा-घुंटी पीक्स के बीच है। बहुत बड़ी नहीं है - कोई 38-40 मीटर ही होगा इसका डायमीटर। गोल नहीं है, अंडाकार है। लेकिन एक छोटी झील के लिए इसकी गहराई में बहुत अंतर रहता है - शायद 3 से 50 मीटर तक! ट्रेकिंग करते समय बेदनी बुग्याल (बहुत ही सुन्दर जगह… यहाँ पर ब्रह्म कमल मिलते हैं), भगवाबासा, कालु विनायक स्टॉप्स आते हैं। कालु विनायक में भगवन गणेश की काले रंग की मूर्ति है। इसलिए उसका नाम यह है।

जिन नर कंकालों का आपने ज़िक्र किया है, उनके दो समय काल बताए जाते हैं। नौवीं (राजजात यात्रा उसी समय शुरू हुई थी, इसलिए यह इंडिकेशन होता है ये लोग धार्मिक यात्रा पर आए हुए थे) और उन्नीसवीं शताब्दी (इनका डीएनए टेस्ट बताता है कि ये लोग ईस्टर्न मेडिटेरेनियन से रहे होंगे)। यह एक बेहद महत्वपूर्ण झील है, जिसका समुचित संरक्षण होना चाहिए। लेकिन ढीली ढाली सरकारों और लम्पट ट्रेकर्स, टूरिस्ट्स, और धर्म-यात्रियों के चलते, झील को बहुत नुक़सान हो रहा है। झील क्या, हर चीज़ को। बीस साल पहले जब गया था वहाँ, तो बेदनी बुग्याल में ढेरों ब्रह्म कमल मिलते थे, लेकिन तीन साल पहले एक मित्र वहाँ गए, उनको एक नहीं दिखा।

कलिका --- अनंत किरदारों की फ़ेहरिस्त में एक और!!

कलिका का द्वार चुनाव और तर्क बहुत बढ़िया लगा। मेरा भी यही तर्क था।
मेरे हिसाब से उस स्त्री को “पति के सर और भाई के धड़” वाले व्यक्ति का चुनाव करना चाहिए। व्यक्ति की पहचान उसकी चेतना, स्मृतियों, और व्यक्तित्व से बनती है, जो उसके मस्तिष्क में निहित होती हैं। पति के सर वाला व्यक्ति उस स्त्री का वैवाहिक साथी है, जिसके साथ उसका भावनात्मक और सामाजिक बंधन है। विवाह में संतान आवश्यक हैं, लेकिन कहानी में स्त्री के संतानों के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। इसलिए यह कह नहीं सकते कि उसकी कोई संतान है या नहीं। अतः, यह भी मान सकते हैं कि स्त्री और उसके पति की संतान हो चुकी हों और उन्होंने अपना ऋण उतार दिया है।

122:
कलिका के तर्क वितर्क के लिए, “अहो,” “अहो,”! देवि, तुम धन्य हो!
मैं भी महर्षि व्यास को चुनता, क्योंकि गुरु ही “प्रकाश” का अर्थ समझाते हैं… प्रकाश (ज्ञान) और अन्धकार (जड़ता) के भेद को बताते हैं।


Raj_sharma राज भाई - यह कहानी न केवल मनोरंजन ही करती है, बल्कि नीति, दर्शन, और संस्कृति से परिचय भी कराती है। सच में - फ़ोरम तो क्या, बाहर बड़े बड़े नामचीन लेखकों की लिखी कहानियों/उपन्यासों में से भी कोई भी इसके निकट नहीं फ़टकती दिखती। यह एक कालजयी रचना है भाई!

अति उत्तम! वाह! वाह! 👏👍♥️

आपने इसके लिए न जाने कितना शोध किया होगा! और फिर उनको अपनी कल्पना के तार से पिरोया! अत्यंत कठिन कार्य है।
रचना को निःशुल्क हमारे संग साझा कर रहे हैं, हमको आपका धन्यवाद करना चाहिए! 🙏

वैसे, इस बार भी मैंने फिर से फ़ूफागिरी (जबरदस्ती का ज्ञान बघारू) दिखा दी। 😂😂😂😂
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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भाई चाहे कुछ कहो - कई तीर्थों में मैंने भव्य आरतियाँ होती देखी हैं। सच में, शंख, घंटे, ढोल, मृदंग इत्यादि की ध्वनियाँ जब गूंजती हैं, तो ऐसा माहौल बनता है कि क्या कहें! एकदम दिव्य! मन कहीं और ही चला जाता है। आपने उतना बड़ा लिखा नहीं - कहानी का वो उद्देश्य ही नहीं है - लेकिन अगर लिखते, तो आनंद आ जाता! :)
भाई साहब लिख तो और भी सकता था, पर पता नही किसको ओर क्या पसंद आए?? कहीं लोग बोर ना हो जाए , और आपके जैसे फूफा गिरी दिखा दे तो :D
गुरुत्व शक्ति व्योम को मिली, उधर उस डिबिया में वापस भी आ गई। यह रोचक बात है। जैसा कि आपने एक्सप्लेन किया है, कि अगर गुरुत्व शक्ति किसी सुयोग्य व्यक्ति को मिलती है - हमारे केस में ‘व्योम’ को - तो वो उसका रिप्लेसमेंट भी वापस अपने सही स्थान पर चला जाता है। बढ़िया। पॉजिटिव मल्टिप्लिकेशन! 👍
बिल्कुल यही होना था और हुआ भी।
चिकनी अंडाकार चट्टानें - यह सुनते ही मुझको पहला शब्द जो चमका वो था “अंडे”! हा हा! 😂
:D
टेरोसौर (Pterosaur) उड़ने वाले डायनासौर की एक प्रजाति थी। शायद कुछ पाठकों को न मालूम हो, लेकिन वैज्ञानिक ये मानते हैं कि आधुनिक चिड़ियें, दरअसल, डायनासौर से ही विकसित हुई हैं। ऑस्ट्रेलिया की कुछ चिड़ियाँ, जैसे, ऐमू, कैसोवरी, या फिर अफ्रीका के ऑस्ट्रिच (शुतुरमुर्ग) देखने में डायनासौर जैसे ही प्रतीत होते हैं।
सत्य वचन भाई, आज पता लगा की इतनी फूफा गिरी क्यूं करते हो? हम यही सोचकर बैठे थे कि हमे ये पता है, वो पता है। पर आपकी रिसर्च :bow::bow:

ख़ैर…

वर्णन थोड़ा अतिशय लगा - स्पीलबर्ग की जुरैसिक पार्क फिल्मों जैसा! छोटे चूज़े बहुत निर्बल होते हैं, ख़ास कर बड़ी प्रजाति के चिड़ियों के। वो पूरी तरह से अपनी माँ / पिता पर आश्रित होते हैं खाने पीने के लिए। उनके लिए ऐसे शिकार कर पाना... अगर असंभव नहीं है, तो देखा नहीं गया है। बेहतर होता आगर आप बड़े टेरोसौर को यह करते दिखाते।
Bhai kuch prajaatiyo me iske mithak alag alag hai, chaliye hum aapke sath ho lete hai:shakehands:

कहाँ सोचा था कि तौफ़ीक़ नपेगा, लेकिन यहाँ तो अल्बर्ट ही चला गया। 😢

अल्बर्ट के जाने से अब इस ग्रुप को वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि देने वाला कोई नहीं बचा। शेफ़ाली तार्किक रूप से संपन्न है, लेकिन उसका अलग महत्त्व है।
Yahi to twist tha bhai🤣
116:
यार वो मछली गायब कैसे और किधर हो गई? पहले और दूसरे वार से वेगा को जोडिएक घड़ी ने बहुत हद तक बचा लिया। लेकिन प्रश्न ये है कि इतने कम समय में इतनी बार हमला! वेगा को मार कर किसको क्या हासिल होने वाला है? जिस तरह से मछली और नाग गायब हुए हैं, यह बहुत ही रहस्यमय है।

लेकिन सांड़ नहीं गायब हुआ? वो कैसे? छुट्टा सांड़ अमेरिका की सड़कों पर यूँ नहीं घूमते।

लेकिन… अब दोहरी मुसीबत एक साथ ही वेगा के सर पर मँडरा रही है।
Humm :hmm2:
इसका जबाब है मेरे पास , वैसे आप खुद पढो तो ज्यादा अच्छा रहेगा। बस इतना कहूंगा कि ये सब हमले किसी खास मकसद के तहत करवाए जा रहें है। और कोई पुश्तैनी ही...:shhhh:

117:
एलेक्स ज़िंदा है? हम्म्म!

एक तो अनगिनत पात्र हैं और थोक के भाव मर रहे हैं; ऐसे में किस किस का ब्यौरा रखा जाए भला! :confused3:
छमा करियेगा भाई साहब, इस कथा का प्लाट ही इतना बडा है। तो पात्र अधिक होंगे ही😁
अलग-अलग जगह ओर काल का वर्णन एक ही समय बिना पात्र बोहोत मुसीबत बन जाती:?:
एलेक्स की हरकत समझ नहीं आई - पहले तो भाई का पृष्ठभाग मेडुसा को देख कर फ़ट गया, फिर वो उसका पीछा भी करने लगा। अरे यार - कोई मुसीबत के पीछे जान-बूझ कर क्यों जाना चाहेगा? इस समय उसकी हालत आसमान से गिरे, खजूर पर अटके जैसी ही है।


फिर भी उंगली करने की गज़ब की खुजली है उसमें।
चू..या है ऐलेक्स :D उस से ऐसी ही हरकतो की उम्मीद कर सकते है।
विषधर ने सही कहा - एलेक्स सौ फ़ीसदी मूर्ख है। घंटा कोई अच्छाई है उसमें - पहले बार-बार बार-बार उंगली करना, फिर बोलने वाले सर्प की बात मानना (ओल्ड टेस्टामेंट और कृष्ण लीला की कहानियों से भी कुछ नहीं सीखा इसने)! लेकिन विषधर के बचने से क्या प्रभाव होगा? देखने वाली बात रहेगी।
सपोला ओवर स्मार्ट था, ओर अपना ऐलेक्स महा चू... तो यह तो होना ही था, बाकी आपको क्या लगता है, उस बोतल में क्या हो सकता है????:?: जिसे वो विषधर ले गया है।
118:
क्रिस्टी की हिम्मत और हौसले, तेजी और बुद्धिमत्ता की दाद देनी ही पड़ेगी। सच में - यही सब तो मनुष्य के हथियार हैं। इन्ही के बल बूते पर उसने इस आधुनिक संसार की रचना करी है।

वाह भाई! 👏
इंसान की असली ताकत उसकी बुद्धिमानी और शारीरिक कुशलता ही है भाई , वरना तिलिस्मा को सामरा राज्य या सीनोर राज्य वाले ना तोड़ लेते।😊
119:
यार ये बात समझ में नहीं आई कि इतना खतरा होने पर भी राजकुमारी त्रिकाली महादेवी की पूजा करने क्यों निकले?
वो वहां की राजकुमारी है भाई साहब। हो सकता है कि आज तक कोई ऐसा काम हुआ ही ना हो इस से पहले:hmm2:

व्योम की हिम्मत और उसके बलिष्ठ शरीर की मसल्स देख त्रिकाली व्योम पर मोहित हो गई।” -- हो सकता है, होना भी चाहिए -- लेकिन जिस समय आपने यह लिखा, उस समय असंभव है। जब गाँ* फटती है, तो किसी पर मोहित होने वाला विचार सबसे अंत में आता है। इस समय त्रिकाली को व्योम की मदद करने का विचार आना चाहिए था। इसलिए थोड़ा अटपटा लगा यहाँ।

दूध और गां... कभी भी फट सकते है भाई 😁
अब ये बात तो त्रिकाली जाने, मुझे नहीं पता:hide2:
हाँ - गोंजालो की पराजय के बाद वो व्योम पर मोहित होती, तो सब समझ में आता।

तुम भी देवी के सामने हाथ जोड़ लो।” त्रिकाली ने व्योम से कहा- “देवी सबकी इच्छाएं पूरी करती हैं।” -- चल गया तीर, लग गया निशाना! हा हा हा हा हा!!! 😂😂

त्रिकाली ने बिना बताये व्योम भाई से बियाह कर लिया है, और महादेवी उसकी साक्षी भी बन गई हैं। धोखेबाज़ त्रिकाली!! हा हा हा! 😂😂👏
आपको कैसे पता कि उनका विवाह हो गया?:what1:
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सुयश को भी पाने बुद्धि कौशल को आजमाने का मौका मिला।

121:
आपने रूपकुण्ड झील के बारे में लिखा - मैंने वहाँ दो बार ट्रेक किया है (करीब बीस साल पहले)। क़रीब साढ़े सोलह हज़ार फ़ीट ऊँचाई पर है यह और त्रिशूल और नंदा-घुंटी पीक्स के बीच है। बहुत बड़ी नहीं है - कोई 38-40 मीटर ही होगा इसका डायमीटर। गोल नहीं है, अंडाकार है। लेकिन एक छोटी झील के लिए इसकी गहराई में बहुत अंतर रहता है - शायद 3 से 50 मीटर तक! ट्रेकिंग करते समय बेदनी बुग्याल (बहुत ही सुन्दर जगह… यहाँ पर ब्रह्म कमल मिलते हैं), भगवाबासा, कालु विनायक स्टॉप्स आते हैं। कालु विनायक में भगवन गणेश की काले रंग की मूर्ति है। इसलिए उसका नाम यह है।

जिन नर कंकालों का आपने ज़िक्र किया है, उनके दो समय काल बताए जाते हैं। नौवीं (राजजात यात्रा उसी समय शुरू हुई थी, इसलिए यह इंडिकेशन होता है ये लोग धार्मिक यात्रा पर आए हुए थे) और उन्नीसवीं शताब्दी (इनका डीएनए टेस्ट बताता है कि ये लोग ईस्टर्न मेडिटेरेनियन से रहे होंगे)। यह एक बेहद महत्वपूर्ण झील है, जिसका समुचित संरक्षण होना चाहिए। लेकिन ढीली ढाली सरकारों और लम्पट ट्रेकर्स, टूरिस्ट्स, और धर्म-यात्रियों के चलते, झील को बहुत नुक़सान हो रहा है। झील क्या, हर चीज़ को। बीस साल पहले जब गया था वहाँ, तो बेदनी बुग्याल में ढेरों ब्रह्म कमल मिलते थे, लेकिन तीन साल पहले एक मित्र वहाँ गए, उनको एक नहीं दिखा।
आप हमें बोलते रहते हो, आप तो खुद बहुत षहुंचे हुए निकले:bow::bow: काफी कुछ सीखने को मिलेगा हमें आपसे:approve:
कलिका --- अनंत किरदारों की फ़ेहरिस्त में एक और!!

कलिका का द्वार चुनाव और तर्क बहुत बढ़िया लगा। मेरा भी यही तर्क था।
मेरे हिसाब से उस स्त्री को “पति के सर और भाई के धड़” वाले व्यक्ति का चुनाव करना चाहिए। व्यक्ति की पहचान उसकी चेतना, स्मृतियों, और व्यक्तित्व से बनती है, जो उसके मस्तिष्क में निहित होती हैं। पति के सर वाला व्यक्ति उस स्त्री का वैवाहिक साथी है, जिसके साथ उसका भावनात्मक और सामाजिक बंधन है। विवाह में संतान आवश्यक हैं, लेकिन कहानी में स्त्री के संतानों के बारे में कोई उल्लेख नहीं है। इसलिए यह कह नहीं सकते कि उसकी कोई संतान है या नहीं। अतः, यह भी मान सकते हैं कि स्त्री और उसके पति की संतान हो चुकी हों और उन्होंने अपना ऋण उतार दिया है।
सत्य वचन भाई, उस समय इससे बेहतर और कोई जवाब हो भी नहीं सकता था।:roll:

122:
कलिका के तर्क वितर्क के लिए, “अहो,” “अहो,”! देवि, तुम धन्य हो!
मैं भी महर्षि व्यास को चुनता, क्योंकि गुरु ही “प्रकाश” का अर्थ समझाते हैं… प्रकाश (ज्ञान) और अन्धकार (जड़ता) के भेद को बताते हैं।
सत्य वचन भाई 🙏🏼
Raj_sharma राज भाई - यह कहानी न केवल मनोरंजन ही करती है, बल्कि नीति, दर्शन, और संस्कृति से परिचय भी कराती है। सच में - फ़ोरम तो क्या, बाहर बड़े बड़े नामचीन लेखकों की लिखी कहानियों/उपन्यासों में से भी कोई भी इसके निकट नहीं फ़टकती दिखती। यह एक कालजयी रचना है भाई!

अति उत्तम! वाह! वाह! 👏👍♥️
भाई साहब ये तो आपका स्नेह है🙏🏼🙏🏼🙏🏼:thank_you:
आपने इसके लिए न जाने कितना शोध किया होगा! और फिर उनको अपनी कल्पना के तार से पिरोया! अत्यंत कठिन कार्य है।
रचना को निःशुल्क हमारे संग साझा कर रहे हैं, हमको आपका धन्यवाद करना चाहिए! 🙏
आप साथ बनाए रखें, हम जग जीत लेंगे।:hug:
आपके इस शानदार रिव्यू के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद भाई जी 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
वैसे, इस बार भी मैंने फिर से फ़ूफागिरी (जबरदस्ती का ज्ञान बघारू) दिखा दी। 😂😂😂😂
फूफागिरी करने वाला भी तो कोई हो:D
हर कोई तो कर भी नही सकता :shhhh:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma bhai update waiting :waiting:
Kal din me dedu, chalega kya? Update to redy hai, per abhi thoda thak gaya, forum pe hi busy tha, is liye mood nahi hai, baaki apne readers ke liye main kuch bhi kar sakta hu, sab bolenge to 2 update bhi de sakta hu ek raat me :approve:
 
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