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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

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चैपटर-11 स्मृति रहस्य:

(14 जनवरी 2002, सोमवार, 10:40, मायावन, अराका द्वीप)


विषाका ऐलेक्स को बेवकूफ बनाकर वहां से भाग गया था।

ऐलेक्स उस अंधेरे कमरे में पिछले 5 दिन से भूखा-प्यासा पड़ा था।

ऐलेक्स की हालत अब बहुत ज्यादा खराब हो गयी थी। वह उठकर ठीक से बैठने की भी हालत में नहीं बचा था, ऊपर से यह अंधेरा उसे और पागल बना रहा था।

ऐलेक्स को अब अपनी मृत्यु साफ नजर आ रही थी। वह अपने आप को इस नकारात्मकता से बचाने के लिये ज्यादा से ज्यादा समय क्रिस्टी के साथ बिताए अपने पलों को याद कर रहा था।

तभी ऐलेक्स को उस अंधेरे कमरे में किसी सरसराहट का अहसास हुआ। इस अहसास ने ऐलेक्स की दम तोड़ती साँसों को एक नयी उम्मीद की किरण दी।

ऐलेक्स अब थोड़ा चैतन्य नजर आने लगा। वह और ज्यादा ध्यान से उस आवाज को सुनने की कोशिश करने लगा।

तभी ऐलेक्स को अपने शरीर पर किसी के स्पर्श का अहसास हुआ, उसे लगा कि कोई उसके मुंह में कुछ डालने की कोशिश कर रहा है।

अगले ही पल ऐलेक्स को अपने मुंह में एक कड़वी दवाई सा अनुभव हुआ, जिसे अपने गले से उतारने के बाद ऐलेक्स अब कुछ बेहतर महसूस करने लगा था।

पर उसे समझ नहीं आ रहा था कि किसने उसे वह द्रव्य पिलाया? और वह द्रव्य क्या चीज थी?

द्रव्य पीने के कुछ देर के अंदर ही ऐलेक्स को अपने अंदर एक विचित्र शक्ति का अहसास होने लगा।

तभी उस कमरे में एकदम से तेज उजाला फैल गया।

इस तेज उजाले से एक पल के लिये ऐलेक्स की आँख बंद हो गई, पर जैसे ही उसने दोबारा से आँख खोली, वह भयभीत होकर कमरे के दूसरे किनारे पर पहुंच गया, क्यों कि उसके ठीक बगल में मेडूसा खड़ी थी।

ऐलेक्स ने यह देख डरकर अपनी आँखें बंद कर ली।

“घबराओ नहीं ऐलेक्स, मैं तुम्हारी दुश्मन नहीं हूं और तुम अपनी आँखें खोल सकते हो, तुम्हें मेरी आँखों में देखने पर कुछ नहीं होगा।” ऐलेक्स को मेडूसा की आवाज सुनाई दी।

ऐलेक्स मेडूसा के ऐसे शब्दों को सुन थोड़ा सा नार्मल हुआ और उसने डरते-डरते अपनी आँखें खोल दीं।

ऐलेक्स के ठीक सामने मेडूसा खड़ी उसे देख रही थी, पर ऐलेक्स को उसकी आँखों में देखने पर कुछ नहीं हुआ।

“तुम....तुम मेडूसा हो ना?” ऐलेक्स ने घबराए स्वर में पूछा।

“नहीं...मैं मेडूसा नहीं हूं, मेडूसा हजारों साल पहले ही मर चुकी है, मैं मेडूसा की बहन स्थेनो हूं। हम तीनों बहनों की शक्लें ऐथेना के श्राप से एक जैसी हो गयी थीं।” स्थेनो ने कहा।

“क्या तुम्हारी आँखों में भी देखने पर लोग पत्थर के हो जाते हैं?” ऐलेक्स ने पूछा।

“हां...हम तीनों बहनों को एक साथ ही ये श्राप मिला था, पर तुम परेशान मत हो, तुम पर अब ये शक्ति काम नहीं करेगी।” स्थेनो ने शांत शब्दों में कहा।

“क्यों...मुझ पर ये शक्ति क्यों काम नहीं करेगी?...मैं तो एक साधारण मानव हूं।” ऐलेक्स ने उत्सुकता से पूछा।

“क्यों कि मैंने तुम्हें ‘वशीन्द्रिय शक्ति’ का घोल पिलाया है। इस शक्ति को पीने वाला अपनी सभी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर लेता है और वह अपनी इद्रियों को अपने मनचाहे तरीके से प्रयोग में ला सकता है।” स्थेनो ने कहा।

“मैं तुम्हारी कोई बात समझ नहीं पा रहा हूं। यह कैसा घोल था और इससे मेरे शरीर में क्या बदलाव आये हैं?” ऐलेक्स किसी घोल का नाम सुनकर डर गया, उसे लगा कि कहीं वह भी स्थेनो की तरह से ना बन जाये।

“साधारण मनुष्यों के हिसाब से हमारे शरीर में 5 इंद्रियां होती हैं- आँख, कान, नाक, जीभ और त्वचा। साधारण मनुष्य अपनी सभी इंद्रियों का 5 प्रतिशत ही प्रयोग में ला पाते हैं, परंतु मेरे पिलाये घोल से अब तुम
अपनी इंद्रियों को 90 प्रतिशत तक प्रयोग में ला सकते हो। मतलब अब अगर हम तुम्हारे नाक की बात करें तो तुम अपनी नाक के द्वारा, अब किसी भी वातावरण में आसानी से साँस ले सकते हो, फिर चाहे वह पानी हो, विष हो या फिर किसी भी प्रकार की गैस।

“यहां तक तुम बिना साँस लिये भी वर्षों तक जीवित रह सकते हो। अब अगर तुम्हारी त्वचा की बात करें तो त्वचा के माध्यम से कठोर से कठोर अस्त्र का प्रहार भी आसानी से झेल सकते हो। इसी प्रकार तुम्हारी बाकी की इंद्रियां भी देवताओं की तरह तुम्हारी अलग-अलग प्रकार से रक्षा कर सकती हैं।”

“तुम्हारा मतलब कि मैं अब सुपर हीरो बन गया हूं।” ऐलेक्स ने हंसकर कहा।

“तुम कुछ ऐसा ही समझ सकते हो।” स्थेनो ने भी मुस्कुराकर कहा।

“अच्छा अब ये बताओ कि तुम मेरा नाम कैसे जानती हो? और तुमने मुझे यह घोल क्यों पिलाया?” ऐलेक्स ने पूछा।

“जब ‘सुप्रीम’ इस क्षेत्र में आया, मैं तब से ही तुम सभी पर नजर रखे हुए थी। शैफाली को बार-बार आने वाले सपने मैंने ही दिखाए थे। मैंने ही सुप्रीम में सो रही शैफाली के पास अटलांटिस का सोने का सिक्का रखा था।

"शैफाली को बार-बार सुनाई देने वाली आवाजें भी मेरी ही थीं ।शैफाली ने तुम्हें अपना भाई कहा था, इसलिये ही मैं तुम्हें बचाने यहां तक आ गयी और मैंने तुम्हें वह घोल इसलिये पिलाया है क्यों कि तुम अभी कुछ विशेष कार्य से नागलोक जाने वाले हो।” स्थेनो ने कहा।

“नागलोक!...यह क्या है? और तुम मुझे वहां क्यों भेजना चाहती हो ? मुझे जरा सब कुछ साफ-साफ बताओ ...तुम्हारी बातें सुनकर मेरी बुद्धि चकरा रही है।” ऐलेक्स ने सिर पकड़ते हुए कहा।

“तो सुनो...मैं शुरु से सुनाती हूं.... आज से हजारों साल पहले समुद्र में एक विशाल हाइड्रा ड्रैगन का राज था। जिसका नाम फोर्किस था। फोर्किस समुद्र का सबसे विशाल और महाबली जीव था। उसी समय में आकाश में राज करने वाली एक ड्रैगन कन्या सीटो का विवाह फोर्किस के साथ हो गया। फोर्किस और सीटो ने बहुत से वंश की शुरुआत की। उन्हीं में से हम तीन गार्गन बहनें भी थीं। आज से हजारों वर्ष पहले हम तीनों बहनें इस पृथ्वी की सबसे सुंदर स्त्रियां हुआ करती थीं। हमारी सुंदरता से बहुत सी देवियां भी जलती थीं।

“मेडूसा हम तीनों बहनों में सबसे बड़ी थी। एक समय हमें विवाह करने पर अमरत्व की प्राप्ति हो रही थी, पर मेडूसा ने अमरत्व का त्याग कर, आजीवन कौमार्य धारण करने का व्रत लिया और कौमार्य की देवी एथेना की भक्ति में अपना पूरा जीवन बिताने का निर्णय लिया। आज से 19132 वर्ष पहले एथेना के मंदिर में पोसाईडन की निगाह मेरी बहन मेडूसा पर पड़ी, जिससे आसक्त होकर पोसाईडन ने बलस्वरुप, मेरी बहन मेडूसा के साथ, एथेना के मंदिर में बलात्कार किया।

“जब एथेना को पता चला, तो उसने पोसाईडन को कुछ कहने की जगह मेडूसा सहित मुझे और यूरेल को भी श्राप देकर नागकन्याओं में बदल दिया। उसी के श्राप स्वरुप हम तीनों की आँखों में ऐसी शक्ति आ गई कि हम जिसे भी देखतीं, वह पत्थर में परिवर्तित हो जाता। हम सिर्फ नागजाति के लोगों को ही पत्थर में परिवर्तित नहीं कर सकती हैं। मेडूसा इस श्राप से इतनी प्रभावित हुई कि वह सभी लोगों से दूर एक पर्वत पर स्थित जंगल में जाकर रहने लगी।

“उसने पूरी दुनिया का त्याग किया। पर एथेना को इतने से ही संतुष्टि नहीं मिली, उसने बाद में पर्सियस को भेजकर मेडूसा का सिर काटकर, उसे मरवा भी दिया। जिस समय मेडूसा का सिर कटा, वह गर्भवती थी। मेडूसा के सिर कटने के बाद जब उसका खून समुद्र में जाकर मिला तो उसके 2 पुत्र उत्पन्न हुए, जो कि पंखों वाला घोड़ा पेगासस और एक तलवार सहित उत्पन्न हुआ योद्धा क्राइसोर था। जब मेडूसा की मृत्यु का समाचार हमें मिला, तो हमारा भाई ‘लैडन’ बहुत गुस्सा हुआ।

“लैडन एक 100 सिर वाला विशाल सर्प था, जिसे देवी हेरा के उद्यान में सोने के सेब वाले पेड़ की रक्षा के लिये रखा गया था। लैडन का बीच वाला सिर सोने का था और इसी सिर में अमरत्व छिपा था, यानि लैडन के बीच वाले सिर को काटे बिना उसे मारा नहीं जा सकता था। लैडन ने गुस्सा कर पोसाईडन से बदला लेने का प्लान बनाया। उसने कहा कि जिस प्रकार पोसाईडन ने मेरी बहन के साथ किया, वैसा ही मैं उसकी पत्नि के साथ करुंगा।

“यह सोच लैडन ने पोसाईडन की पत्नि के बारे में पता किया। कुछ दिनों में लैडन को पोसाईडन की पत्नि क्लीटो के बारे में पता चला। लैडन ने अटलांटिस द्वीप पर जाकर एक सुंदर नौजवान का भेष बनाया और क्लीटो को आकर्षित करने की कोशिश करने लगा। इसी कोशिश में उसे पता चला कि क्लीटो स्वयं पोसाईडन से खुश नहीं है। लैडन ने क्लीटो को अपनी असलियत बता दी। क्लीटो ने लैडन को अपने महल में छिपा कर रख लिया।

“कुछ दिन बाद दोनों के सम्बन्धों से एक पुत्री का जन्म हुआ। जिसके 3 सिर थे। लैडन को पता था कि अगर पोसाईडन को पता चला तो वह उसकी पुत्री को मार देगा, इसलिये लैडन अपनी पुत्री को लेकर, अटलांटिस से भागकर यूरेल के पास आ गया। लैडन ने यूरेल को अपनी पुत्री को पालने की जिम्मेदारी सौंपी।

“यूरेल ने सबसे पहले उस बच्ची को स्वयं से बचाने के लिये, उसकी तीनों सिर की आँखों में नागवंश का द्रव्य डाल दिया, जिससे कि वह हम बहनों की आँखों में देखने पर पत्थर की ना बने। यूरेल जानती थी कि पोसाईडन से बचाकर उस पुत्री को पालना मुश्किल है, इसलिये उसने उस बच्ची को देवी माया को सौंप दिया। माया के पास पोसाईडन से बचने के अलावा बहुत सी चमत्कारिक शक्तियां थीं।

“माया ने उस बच्ची का नाम मैग्ना रखा और अपनी माया शक्ति से उस बच्ची के 2 सिर गायब कर दिये। मैग्ना में आधे सर्प और आधे ड्रैगन के गुण थे। माया ने मैग्ना को अपने पास रखकर 20 वर्षों तक अद्भुत भवनों और नगरों के निर्माण की कला सिखाई। परंतु माया ने कभी भी मैग्ना को उसके बीते हुए कल के बारे में नहीं बताया। माया के पास मैग्ना की ही तरह, किसी दूसरे का एक छोटा बालक और था, जिसका नाम कैस्पर था। मैग्ना और कैस्पर माया की छत्र छाया में बड़े होने लगे।

“जब दोनों बड़े हो गए, तो उन्होंने समुद्र के ऊपर एक सुंदर माया महल का निर्माण किया, जिससे प्रभावित होकर पोसाईडन ने उन्हें अपना महल बनाने का प्रस्ताव दिया। जब मैग्ना और कैस्पर ने माया से इसकी आज्ञा मांगी तो माया ने उनसे कहा कि वह कुछ भी बना सकते हैं, पर वहां छिपा कर कुछ ऐसी चीजें
अवश्य रखें, जिससे कि कभी भी उस स्थान का नियंत्रण उन दोनों के हाथों में आ सके। जब मैग्ना और कैस्पर पोसाईडन के पास पहुंचे, उसी समय पोसाईडन के सेवक नोफोआ द्वारा, पोसाईडन को क्लीटो के लैडन से सम्बन्ध का पता चल गया।

“उसने गुस्सा कर देवताओं को लैडन को मारने का आदेश दिया, जिसके फलस्वरुप शक्ति के देवता ‘हरक्यूलिस’ने लैडन को मारकर उसका सोने का सिर एक द्वीप पर फेंक दिया और कैस्पर व मैग्ना से एक कृत्रिम द्वीप का निर्माण करा कर क्लीटो को उसमें मौजूद एक तिलिस्म में कैद कर कर दिया। तुम जिस जंगल में खड़े हो, इसे मायावन कहते हैं और इसका निर्माण मैग्ना ने ही देवता पोसाईडन के आदेशानुसार, अपनी माँ की सिखाई गयी, कला द्वारा निर्मित किया था।

“मैग्ना ने वृक्ष शक्ति और जीव शक्ति से इस मायावन का निर्माण किया और कैस्पर ने विज्ञान का प्रयोग करते हुए, अपने समान एक शक्तिशाली रोबोट का निर्माण किया। उस रोबोट ने क्लीटो के आसपास के क्षेत्र में तिलिस्मा नामक एक अत्यंत विकसित मायाजाल का निर्माण किया। यह मायाजाल, मायावन में प्रवेश करने वाले हर इंसान की शक्तियों को देखकर द्वार का स्वयं निर्माण करता है। इसे हरा पाना किसी के भी वश में नहीं है।

"क्यों कि तिलिस्मा में किसी भी प्रकार की दैवीय शक्तियां काम नहीं करती हैं। उधर जब मैग्ना को यह पता चला कि क्लीटो ही उसकी माँ है और वह तिलिस्मा में कैद है, तो उसने पोसाईडन के विरुद्ध कार्य करने शुरु कर दिये। पर मैग्ना को पता था कि वह पोसाईडन से नहीं लड़ सकती।

"मैग्ना को पता चला कि नागलोक में रखे पंचशूल से पोसाईडन को हराया जा सकता है इसलिये वह बिना कैस्पर को बताये नागलोक से पंचशूल लाने के लिये चल दी। मैग्ना ने नागलोक से पंचशूल प्राप्त तो कर लिया, पर उसे उठाते ही उसका पूरा शरीर पंचशूल की ऊर्जा से झुलस गया।

“मैग्ना एक महाशक्ति थी, इसलिये वह तुरंत नहीं मरी। उसने मरने से पहले लैडन का सोने का सिर और पंचशूल को मायावन में कहीं छिपा दिया। मैग्ना को पता था कि वह मरने के बाद दूसरा जन्म लेगी, पर दूसरे जन्म में उसे कुछ याद नहीं रहता, इसलिये मैग्ना ने मुझे बुलाकर मायावन के कुछ गुप्त रहस्यों को बताया और अपनी स्मृतियों को एक छोटी सी बोतल में कैद कर मुझे सौंप दिया। इसके बाद मैग्ना ने अपने प्राण त्याग दिये।

“मुझे मैग्ना के जन्म लेने के बाद उसे धीरे-धीरे सबकुछ याद दिलाना था और जब वह 1...4 वर्ष की पूर्ण हो जाती, तो उसकी पूर्ण स्मृतियां उस बोतल से निकालकर उसे सौंप देनी थी। अब मैग्ना को दूसरा जीवन तभी मिलता, जब मैं उसके मृत शरीर को शुद्ध रुप से पंचतत्व के हवाले कर देती। मायावन में खड़ी होकर मैं अभी मैग्ना के शरीर को विधिपूर्वक पंचतत्व के हवाले करने का सोच ही रही थी कि तभी विषाका ने मुझ पर आक्रमण कर दिया। विषाका पंचशूल की रक्षा करने वाले दूसरे सर्प कराका का भाई था, जो कि पंचशूल की रक्षा में मैग्ना के हाथों बुरी तरह पराजित होकर अपना एक सिर भी खो बैठा था।

“उसी के फलस्वरुप विषाका मैग्ना का पता लगा कर यहां तक आया था। मेरा विषाका से बहुत देर तक युद्ध हुआ, परंतु विषाका मैग्ना का शरीर लेकर यहां से भाग गया। भागते समय विषाका की मणि यहां छूट गई। मुझे पता था कि नाग को अपनी मणि सबसे ज्यादा प्यारी होती है, इसलिये विषाका उसे लेने जरुर आयेगा। कुछ दिन बाद विषाका लौटा। मैंने उसे जादुई बीन से सुलाकर इस स्थान पर कैद कर दिया।

"विषाका की मणि और मैग्ना की स्मृतियों वाली बोतल, इसी स्थान पर रखी रही। मैंने इस स्थान पर एक तिलिस्मी रेखा खींचकर विषाका के कमरे के एक भाग में बंद कर दिया। बाद में मैंने विषाका से मैग्ना के मृत शरीर के बारे में जानने की बहुत कोशिश की, पर उसने मुझे कुछ नहीं बताया। अब मैं हर वर्ष एक बार यहां आती और बीन को उल्टा बजाकर विषाका को जगाकर उससे मैग्ना के मृत शरीर के बारे में पूछती और उसके ना बताने की स्थिति में उसे फिर से सुलाकर यहां से चली जाती।

"इस प्रकार हजारों वर्ष बीत गये, पर विधिवत अंत्येष्ठि ना होने के कारण मैग्ना का दोबारा जन्म ही नहीं हुआ। फिर अचानक 14 वर्ष पहले किसी ने मैग्ना का शरीर शायद विधिवत पंचतत्व के हवाले कर दिया और फिर मैग्ना ने दोबारा से शैफाली के रुप में जन्म लिया।*

"मैग्ना की आँख में नागवंश का द्रव्य डालने की वजह से शैफाली इस जन्म में बचपन से अंधी थी। परंतु जब वह मायावन में पहुंची, तो मैंने नयनतारा पेड़ के, फल के माध्यम से उसकी आँख पर बनी झिल्ली को हटा दिया, जिससे शैफाली को सबकुछ दिखाई देने लगा। ऐमू की तस्वीर का शैफाली की आँखों में बन जाना भी नागशक्ति का एक नमूना था।

"अब जब सबकुछ सही होने वाला था, उसी समय तुम्हारी गलती से विषाका आजाद हो गया और मैग्ना की स्मृतियों के साथ अपनी मणि भी ले भागा। अब अगर शैफाली को मैग्ना की स्मृतियां वापस नहीं की गईं, तो वह तिलिस्मा को पार नहीं कर पायेगी और तिलिस्मा में ही मारी जायेगी। इसलिये यह वशीन्द्रिय शक्ति का घोल माया ने मेरे हाथों तुम्हारे लिये भिजवाया था। चूंकि मैं स्वयं एक सर्पिनी हूं, इसलिये मैं नागलोक पर हमला नहीं कर सकती। माया चाहती हैं कि तुम नागलोक जाओ और वहां से समय रहते मैग्ना की स्मृतियां लेकर वापस आ जाओ।"

“पहले तो मैं अपने द्वारा अंजाने में हुई गलती के लिये क्षमा चाहता हूं। अब मैं अपनी गलती सुधारने के लिये नागलोक जाने को तो तैयार हूं, परंतु ना तो मुझे नागलोक के बारे में कुछ पता है? और ना ही मुझे ये पता
है कि विषाका ने मैग्ना की स्मृतियां कहां छिपा कर रखीं हैं?” ऐलेक्स ने उलझे-उलझे स्वर में कहा।

“वो सब तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हें सबकुछ बता दूंगी। विषाका ने मैग्ना की स्मृतियां नागलोक से कुछ दूर बने एक स्थान ‘त्रिआयाम’ में छिपा कर रखा है। त्रिआयाम वह जगह है जहां नागलोक की सभी शक्तियां, तीन दरवाजों के अंदर छिपा कर रखी गयीं हैं। पहले द्वार पर तुम्हारा सामना एक नाग से, दूसरे द्वार में एक राक्षस से और तीसरे द्वार में एक दैवीय शक्ति से होगा। इन तीनों को हराने के बाद, तुम्हें मैग्ना की स्मृतियां मिल जायेंगी।” स्थेनो ने कहा।

“पर....पर इन शक्तियों को मैं हराऊंगा कैसे? यह तो सब की सब बहुत चमत्कारी शक्तियां लग रहीं हैं।” ऐलेक्स की आँखों में चिंता के भाव उभरे।

“मैंने जो शक्तियां अभी तुम्हारे शरीर में डाली हैं, वह हरक्यूलिस की शक्तियों से भी श्रेष्ठ हैं, अब बस तुम्हें उनका सही तरह से प्रयोग करना सीखना होगा। उस शक्ति के प्रयोग से तुम आसानी से मैग्ना की स्मृतियां वापस ला सकते हो।....तो क्या अब तुम तैयार हो नागलोक जाने के लिये?” स्थेनो ने कहा।

ऐलेक्स ने सिर हिलाकर अपनी स्वीकृति दी। अब उसके चेहरे पर एक गजब का विश्वास दिख रहा था।

उसकी सहमति देख स्थेनो ने ऐलेक्स के हाथ पर 2 छोटे फल रख दिये।

“इनमें से एक फल खाते ही तुम अपने आपको त्रिआयाम के सामने पाओगे...और जब तुम अपना कार्य समाप्त कर लो, तो दूसरा फल खा लेना। यह दूसरा फल तुम्हें वापस यहीं ले आयेगा। अब इसके आगे
सबकुछ तुम्हारे हाथ में है।” यह कहकर स्थेनो चुप हो गई।

ऐलेक्स ने उन दोनों फलों में से, एक फल को अपनी जेब के हवाले कर दिया और दूसरे फल को उसने अपने मुंह में डाल लिया।

अब ऐलेक्स को अपना शरीर कणों में बिखरता हुआ सा महसूस होने लगा, परंतु वह तैयार था उस कालजयी यात्रा के लिये जिसके बारे में उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।


जारी रहेगा_______✍️
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
 

Raj_sharma

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Gazab ki update he Raj_sharma Bhai,

Shaifali hi magna he...............

Is update me kaafi sare rahasayo se parda uth gaya he........

Ab dekhna yah he ki Alex kis tarah se apni shaktiyo ka prayog kar, magna ki memory wapis lata he..........

Keep rocking Bro
Aage aane wala update ye bhi bata dega bhai , ki kis Tarah alex wo shakti wapas laata hai :shhhh: aur waha ek do chit-parichit logo se bhet bhi hogi aap sab ki:D
Thank you very much for your valuable review and superb support bhai :hug:
 

Raj_sharma

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