parkas
Well-Known Member
- 32,000
- 68,810
- 303
Besabari se intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....Agla Update aaj shaam tak![]()
Besabari se intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....Agla Update aaj shaam tak![]()
Thanks brotherNice update....

Avasya mitraBesabari se intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....

Bahut hee badhiya update#165.
अंधेरे का देवता: (16.01.02, बुधवार, 13:50, मकोटा महल, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)
लुफासा जब मेलाइट, रोजर और सुर्वया का परिचय पूछ रहा था, तभी मकोटा ने लुफासा को सिग्नल भेजकर अपने महल में बुलवा लिया था।
पर आज पूरा 1 दिन बीत जाने के बाद भी मकोटा, लुफासा से मिला नहीं था। लुफासा इंतजार करते-करते पूरी तरह से परेशान हो गया था, पर मकोटा से वह कुछ कह भी नहीं सकता था।
एक तो मकोटा महल में उन काले भेड़ियों के अलावा कोई था भी तो नहीं, तो लुफासा आखिर पूछता भी तो किससे? कि मकोटा को मिलने में और कितना समय लगेगा? बहरहाल लुफासा के पास और इंतजार करने के अलावा कुछ नहीं था।
आखिरकार एक लंबे इंतजार के बाद, उस कमरे का एक दरवाजा खुला और उसमें से मकोटा चलकर आता दिखाई दिया।
मकोटा को देख लुफासा ने राहत की साँस ली और झुककर मकोटा को अभिवादन किया।
“कल से तुम्हें बुलाने के बाद अचानक से पिरामिड में काम कुछ बढ़ गया था, इसलिये मिलने में कुछ ज्यादा ही समय लग गया। उम्मीद है तुम्हें कोई परेशानी नहीं हुई होगी?” मकोटा ने लुफासा को देखते हुए कहा।
लुफासा का मन किया कि इस मकोटा की गंजी खोपड़ी पर कोई डंडा फेंक कर मार दे, पर उसने अपनी भावनाओं पर काबू करते हुए ‘ना ’ में अपना सिर हिला दिया।
मकोटा लुफासा के सामने पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए बोला- “देखो लुफासा, तुम अराका का भविष्य हो। मैं चाहता हूं कि तुम अराका ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण पृथ्वी पर राज करो, बस इसी लिये मैं दिन-रात मेहनत कर रहा हूं। मेरी मेहनत को देखते हुए तुम्हारा भी हक बनता है कि तुम भी पूरे दिल से मेरा साथ दो।....और अब वैसे भी मेरे सपने को पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता....मेरा मतलब है कि तुम्हें राजा बनने से।..... देखो लुफासा, मैंने पिछले कुछ दिनों में तुम्हें कई कार्य सौंपे, पर तुम इतनी शक्तियां होने के बाद भी, किसी भी कार्य में सफल नहीं हो पाये।
“जब मैंने ध्यान से सोचा तो मुझे लगा कि ये तुम्हारी शक्तियों का दोष नहीं है, सिर्फ तुम्हारी मानसिक स्थिति का दोष है। तुम अपने स्वयं के निर्णय लेने में भी बहुत असमंजस में दिखते हो। और ऐसा इसलिये है कि तुम्हें मैं ज्यादा कुछ नहीं बताता। पर आज मैंने तुम्हें सबकुछ बताने का निर्णय लिया है। जिससे आगे भविष्य में तुम अपने अच्छे-बुरे को पहचान सको। ये पहचान सको कि तुम्हारे साथ कौन खड़ा है? और तुम्हारे विरुद्ध कौन है?”
मकोटा के शब्द सुनकर लुफासा और सतर्क हो गया। वह समझ गया कि मकोटा उसके आस-पास कोई और जाल बुनना चाह रहा है।
“तुम मेरे साथ पिरामिड चलो, मैं आज तुम्हें सारा सच बताना चाहता हूं।” यह कहकर मकोटा कुर्सी से उठकर खड़ा हो गया।
मकोटा को उठकर जाते देख लुफासा भी मकोटा के पीछे-पीछे चल दिया।
लुफासा जान गया था कि कुछ भी हो पर आज मकोटा के कई रहस्यों से पर्दा उठने वाला था।
कुछ ही देर में भेड़ियों के रथ पर बैठकर मकोटा और लुफासा सीनोर राज्य में स्थित, उन 4 पिरामिडों के पास पहुंच गये।
मकोटा ने अपना रथ पिरामिड नंबर 4 के पास रोका, यह देख लुफासा हैरान हो गया क्यों कि आज तक उसने किसी को भी पिरामिड नंबर 4 में जाते हुए नहीं देखा था? मकोटा, लुफासा को लेकर पिरामिड नंबर 4 में प्रवेश कर गया।
पिरामिड नंबर 4 के बीच में 2 ताबूत रखे थे। मकोटा लुफासा को लेकर उन्हीं ताबूतों के पास पहुंच गया।
उन ताबूतों का ऊपरी हिस्सा पारदर्शी शीशे का बना था। लुफासा आश्चर्य से उन ताबूतों को देखने लगा।
“तुम्हें पता है लुफासा कि इन ताबूतों में कौन है?” मकोटा ने लुफासा से पूछा।
लुफासा ने अपना सिर ना के अंदाज में हिला दिया।
“इन ताबूतों में ‘मुफासा और कागोशी’ की लाश हैं।” मकोटा ने कहा।
मकोटा के शब्द सुनते ही लुफासा पर बिजली सी गिर गई।
“आपका मतलब है कि इन ताबूतों में मेरे माता-पिता की लाशें हैं?” लुफासा ने शीशे के पास अपना चेहरा लाकर, अंदर झांकते हुए कहा।
“हां ये तुम्हारे माता-पिता की ही लाश हैं, जिन्हें आज से 22 वर्ष पहले सामरा राज्य के राजा कलाट ने मार दिया था।” मकोटा के शब्द रहस्य से भरे थे।
“कलाट ने?” लुफासा कलाट का नाम सुन आश्चर्य से भर उठा।
“चलो मैं तुम्हें शुरु से सुनाता हूं।” लग रहा था कि आज मकोटा सारे रहस्य खोलने के मूड में था-
“तुम्हें पता है कि सामरा और सीनोर के लोगों की औसत आयु 800 वर्ष होती है, पर दोनों ही राज्यों के नियम के अनुसार जिस व्यक्ति को राजा बनाया जाता है, उसे 600 वर्षों तक अपने राज्य पर शासन करना होता है, इस दौरान वह पुत्र या पुत्री उत्पन्न नहीं कर सकता। तो आज से 625 वर्ष पहले भी, इसी प्रकार से सीनोर का राजा मुफासा को और सामरा का राजा कलाट को बनाया गया। तुम तो जानते ही हो कि सामरा और सीनोर की दुश्मनी हजारों वर्षों से चली आ रही थी। इस दुश्मनी की वजह से दोनों ही अपनी शक्तियों को बढ़ाना चाहते थे।
“पर इस कहानी में नया मोड़ तब आया, जब सन् 1908 में मध्य साइबेरिया के जंगलों में एक बहुत बड़ा उल्का पिंड गिरा। मुफासा उस उल्का पिंड की जांच के लिये साइबेरिया जा पहुंचा। वहां पहुंचकर मुफासा को पता चला कि वह कोई उल्का पिंड नहीं, बल्कि बुद्ध ग्रह की एक यान रुपी प्रयोगशाला थी। जिसमें बुद्ध ग्रह के जीव, हरे कीड़े थे, जो कि पृथ्वी पर एक प्रयोग करने आ रहे थे, परंतु पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करते समय, किसी प्रकार उनका यान दुर्घटनाग्रस्त हो गया और वह साइबेरिया के जंगलों में जा गिरे।
“उन बुद्ध ग्रह के हरे कीड़ों ने मनुष्यों से तो अपना यान छिपा लिया, परंतु मुफासा से नहीं छिपा पाये। मुफासा को जब हरे कीड़ों के आने का उद्देश्य पता चला, तो वह उनकी मदद को तैयार हो गया, पर बदले में वह उनके देवता जैगन से मिलना चाहता था। हरे कीड़े सहर्ष ही इस बात पर तैयार हो गये। जैगन से मिलने के बाद यह तय हुआ कि मुफासा पृथ्वी पर हरे कीड़ों की शक्तियों के विस्तार के लिये पिरामिड बनवायेगा और बदले में जैगन उन्हें वैज्ञानिक शक्तियां देकर शक्तिशाली बनायेगा। अब शुरु हुआ धरती पर पिरामिडों का निर्माण। बुद्ध गह की मदद से धरती पर कुल 8 पिरामिडों का निर्माण हुआ, जिसमें 4 पिरामिड सीनोर राज्य में, 2 पिरामिड मैक्सिको में और 2 पिरामिड मिस्र में बनवाये गये।
“ सारा कार्य बहुत गुपचुप तरीके से किया गया। दरअसल हरे कीड़े मनुष्यों के शरीर की ऊर्जा खींचकर, अपना आकार बढ़ाना चाहते थे, जिससे वह हर प्रकार के वातावरण में जिंदा रह सकें। इस कार्य की
शुरुआत के लिये जब जैगन पृथ्वी पर आया, तब तुम और वीनस 2-3 साल के थे। मुफासा का राजा होने का कार्यकाल अब खत्म हो चुका था। मुफासा ने जैगन से काला मोती प्राप्त करने के लिये मदद मांगी, तभी पता नहीं कैसे धरा, मयूर और कलाट ने हमारे इस पिरामिड पर हमला कर दिया।
"जहां एक ओर धरा ने अपनी धरा शक्ति से जैगन को पृथ्वी से बांध दिया, वहीं दूसरी ओर अराका द्वीप के नियमों के विपरीत जाने की वजह से कलाट ने तुम्हारे पिता और माता को मार दिया। सभी के यहां से जाने के बाद, मैंने तुम्हारे माता और पिता के शरीर पर एक रसायन का लेप लगाकर इस ताबूत में रख दिया। मुझे पता था कि जब जैगन जागेगा, तो अपने गुरु ‘कुवान’ की मदद से तुम्हारे माता-पिता को फिर से जिंदा कर देगा क्यों कि जैगन की अंधेरी शक्तियां भी कुवान की ही देन थीं। पर जब 15 वर्षों के बाद भी जैगन नहीं जागा, तो हमने जैगन के सेवक गोंजालो के कहने से, स्वयं अदृश्य शक्तियों के स्वामी कुवान की साधना करनी शुरु कर दी।
“ कुवान के आशीर्वाद से हमें भेड़ियों की फौज और मेरा सेवक वुल्फा मिला। अब हम कुवान के आदेशानुसार काला मोती को प्राप्त करने के लिये, दूसरे पिरामिड से तिलिस्मा के अंदर तक एक सुरंग बना रहे हैं, जिससे हम बिना तिलिस्मा में प्रवेश किये ही काला मोती को प्राप्त कर लें और तुम्हारे माता-पिता को जिन्दा करके कलाट से बदला ले सकें।” यह कहकर मकोटा कुछ देर के लिये रुक गया और ध्यान से लुफासा के चेहरे को देखने लगा।
लुफासा मकोटा की बातें सुनकर बहुत तेजी से कुछ सोच रहा था, यह देख मकोटा फिर से बोल उठा-
“अगर तुम्हें सबकुछ समझ आ गया हो और अगर तुम मेरी बात से सहमत हो तो मुझे बताओ, तब मैं इसके आगे की बात बताऊं?”
“पहले मुझे ये बताये कि ये सारी बातें सनूरा को क्यों नहीं पता ? जबकि वह तो पिछले 600 वर्षों से सीनोर राज्य की सेनापति है।” लुफासा ने अपना शक प्रकट करते हुए कहा।
“मुफासा का साइबेरिया जाना और जैगन से मिलकर पिरामिड बनवाना बहुत ही गुप्त रखा गया था, इस बात का पता तो तुम्हारी माँ कागोशी को भी नहीं था, फिर सनूरा को कैसे होता? और अब रही बात कलाट के तुम्हारे माता-पिता को मारने की बात, तो उस समय सनूरा किसी कार्य से अराका द्वीप से बाहर गई थी? उसके आने के बाद हमने कलाट की बात उसे इसलिये नहीं बताई कि यह बात सुनकर कहीं तैश में आकर सामरा राज्य पर हमला ना बोल दे और उस समय तक सामरा राज्य की शक्तियां हमसे ज्यादा थीं, इसलिये मैं बस समय आने का इंतजार कर रहा था, जिससे उचित समय पर मैं ये सारी बातें तुम्हें स्वयं बता सकूं।” मकोटा ने कहा।
“अब मुझे ये बताइये कि कलाट ने मेरी माँ को क्यों मारा, उसने किसी का क्या बिगाड़ा था?” लुफासा ने क्रोध में आते हुए कहा।
“कलाट ने जब तलवार से तुम्हारे पिता पर हमला किया, उस समय तुम्हारी माँ बीच में आ गई, जिससे वह भी मारी गई।” मकोटा ने कहा।
“जैगन के इस प्रयोग से तो पूरी इंसानियत खतरे में पड़ रही थी, आप लोगों ने जैगन की बात मानने ये पहले ये क्यों नहीं सोचा?” लुफासा ने कहा।
“मनुष्य पहले भी अटलांटियन के आगे कुछ नहीं थे, इसलिये अटलांटियन को कभी भी मनुष्यों की चिंता नहीं रही।....ऐसा मैं नहीं ...तुम्हारे पिता का कहना था। मैं तो बस उनकी आज्ञा का पालन कर रहा था।” मकोटा ने उदास होते हुए कहा।
“ठीक है, अब आप मुझसे क्या चाहते हैं?” लुफासा ने कहा।
“चलो मैं पहले तुम्हें बाकी के पिरामिड दिखाता हूं, फिर कहीं बैठकर बात करेंगे।” यह कहकर मकोटा तीसरे पिरामिड की ओर बढ़ गया।
तीसरे पिरामिड में एक विशाल भेड़िया मानव की मूर्ति लगी थी, जिसके पीछे की ओर एक काँच की लिफ्ट लगी थी। मकोटा उसी लिफ्ट में बैठा कर, लुफासा को जमीन के नीचे की ओर ले गया।
यहां चारो ओर लगभग 20 काँच के कैप्सूल दिखाई दे रहे थे, जिसमें बहुत से विचित्र जीव योद्धा खड़े दिखाई दे रहे थे, परंतु वह सभी निष्क्रिय थे।
“ये सभी योद्धा अलग-अलग जीवों से मिलाकर बनाये गये हैं, जिसे बाद में कुवान अपनी शक्तियों से जीवित करेंगे। यह सभी योद्धा हमें सामरा राज्य से युद्ध में जीत दिलायेंगे।” यह कहकर मकोटा लुफासा को वहां से भी लेकर दूसरे पिरामिड की ओर चल दिया।
यह पिरामिड पिछले 2 पिरामिडों से बड़ा था। दूसरे पिरामिड के एक कमरे में कुछ हरे कीड़े जमीन में सुरंग खोद रहे थे।
एक कमरे में गोंजालो जख्मी हालत में लेटा था, और हरे कीड़े उसका इलाज कर रहे थे।
“यह गोंजालो कैसे जख्मी हो गया, इसके पास तो बहुत सी शक्तियां थीं।” लुफासा ने मकोटा से पूछा।
“आजकल समय ही खराब है...मैंने तुम्हें जिस देवी शलाका से मिलाया था, वह भी झूठी निकली और मेरी कई शक्तियां लेकर भाग गई। उधर गोंजालो जब सामरा राज्य मे छिपकर खबर लाने गया था, तो किसी अज्ञात इंसान ने गोंजालो पर महाशक्ति से हमला कर दिया, बहुत मुश्किल से गोंजालो बचकर वापस आ पाया है।”
मकोटा ने कहा- “मुझे तो यही समझ नहीं आ रहा कि एक इंसान के पास महाशक्ति आयी कैसे?.... उधर गोंजालो का ऊर्जा द्वार, तिलिस्मा के ऊर्जा द्वार से टकरा गया, जिससे तिलिस्मा का कोई जीव भी भाग निकला, पर हम जैसे ही उस द्वार से घुसने चले, वह द्वार पुनः बंद हो गया।”
“तिलिस्मा का ऊर्जा द्वार?” लुफासा ने हैरान होते हुए कहा।
“हां, हमें भी नहीं मालूम था कि पिरमिड के पीछे तिलिस्मा का कोई छिपा ऊर्जा द्वार है, नहीं तो हम पहले ही उस द्वार से छिपकर तिलिस्मा में प्रवेश कर जाते, पर अब तो वह भी बंद हो गया। अब तो सुरंग ही एक
मात्र रास्ता है, अगर वहां भी कोई अड़चन नहीं आयी तो?” मकोटा ने कहा- “बस एक ही चीज हमारे साथ अच्छी हुई है.....ना जाने कैसे धरा शक्ति ने काम करना बंद कर दिया जिससे जैगन होश में आ गया है....
अब अगर तुम और सनूरा भी दिल से हमारा साथ देना शुरु कर दो, तो फिर हम जल्दी ही तुम्हारे माता-पिता को भी जिंदा कर लेंगे और फिर जीत हमारी ही होगी।”
“मैं तो पहले भी आपका साथ दे रहा था, फिर भी मैं आपके हर कार्य को करने के लिये अब अपनी जी-जान लगा दूंगा। आप बस आदेश करें मांत्रिक” लुफासा ने कहा और मकोटा के सामने अपने घुटने टेक कर सिर झुका दिया।
मकोटा ने रहस्य बताने के बहाने लुफासा को अपनी ओर करना चाहा था, लुफासा इस बात को अच्छी तरह से समझ रहा था, पर फिर भी अपने माता-पिता के नाम पर, वह भी मकोटा का साथ देने को मजबूर था।
लुफासा का यह रुप देख मक्कार मकोटा मुस्कुरा दिया....आखिर उसकी चाल कामया ब हो ही गई।
जारी रहेगा_____![]()
Oh toh kahani ka villan Makotahai! Poore aarka
dweep par raaj karne ke liye usne Jaigan
ka sahara liya.
Aakrutiko Shalaka
banakar usne Lufasa
aur Sanura
ko bhi behka diya.
Supremeke Bermuda Triangle mei aane ke baad jo bhi musibate aayi woh kahina kahi usi ke wajah se hai.
Supreme par se sabhi laasho ke gayab hone ka raaz toh woh keedehi thay.
Lekin Lufasaaur Sanura
ne Aakruti aur Makota ki baate sunn hi li. Shayad ab ab woh sahi raasta chune.
Iss Aarka / Atlantis ke chakkar mei hum Supreme par hue sab se pehle khoon ki baat toh bhool hi gaye Aur kyo Aslam ne jahaaz ko Bermuda Triangle ki taraf moda! Aur Woh Vega ki kahani bhi wahi chhut gayi.
Lekin aaj ke iss update mei kaafi sawaalo ke jawaab mil hi gaye.
उचित समय आने पर, अवश्य ही
चौदह वर्ष पूर्व कलिका - जो दिल्ली के एक मैग्जीन की संपादक थी - ने यक्षलोक के प्रहरी युवान के कठिन सवालों का जो जवाब दिया वह बिल्कुल महाभारत के एक प्रसंग ( युधिष्ठिर और यक्ष संवाद ) की तरह था ।
क्या ही कठिन सवाल थे और क्या ही अद्भुत जवाब थे ! यह सब कैसे कर लेते है आप शर्मा जी ! पहले तो दिमाग मे कठिन सवाल लाना और फिर उस सवाल का जवाब ढूंढना , यह कैसे कर लेते है आप !
यह वाकई मे अद्भुत था । इस अपडेट के लिए आप की जितनी तारीफ की जाए कम है ।
शायद सम्राट शिप से चौदह साल पहले जो शिप बरमूडा ट्राइंगल मे डुब गया था , उस शिप मे ही कलिका की बेटी सफर कर रही होगी । वह लड़की आकृति हो सकती है । वह आकृति जो शलाका का क्लोन धारण कर रखी है ।
दूसरी तरफ सामरा प्रदेश मे व्योम साहब पर कुदरत बहुत ही अधिक मेहरबान हो रखा है । वगैर मांगे छप्पर फाड़ कर कृपा बरसा रहा है । पहले अमृत की प्राप्ति हुई और अब राजकुमारी त्रिकाली का दिल उनपर धड़क गया है ।
मंदिर मे जिस तरह दोनो ने एक दूसरे को रक्षा सूत्र पहनाया , उससे लगता है यह रक्षा सूत्र नही विवाह सूत्र की प्रक्रिया थी ।
इन दो घटनाक्रम के बाद तीसरी तरफ कैस्पर का दिल भी मैग्ना पर मचल उठा है और खास यह है कि यह धड़कन हजारों वर्ष बाद हुआ है । लेकिन सवाल यह है कि मैग्ना है कहां !
कहीं शैफाली ही मैग्ना तो नही ! शैफाली कहीं मैग्ना का पुनर्जन्म तो नही !
कुकुरमुत्ता को छाते की तरह इस्तेमाल करते हुए सुयश साहब और उनकी टीम का तेजाबी बारिश से खुद को रक्षा करना एक और खुबसूरत अपडेट था । पांच लोग बचे हुए हैं और एलेक्स को मिला दिया जाए तो छ लोग । तौफिक साहब की जान जाते जाते बची , लेकिन लगता नही है यह साहब अधिक दिन तक जीवित रह पायेंगे ।
कुछ मिलाकर पांच प्राणी ही सम्राट शिप के जीवित बचेंगे , बशर्ते राइटर साहब ने कुछ खुराफाती न सोच रखा हो ।
ये मिश्रित पांडव जीवित रहने चाहिए पंडित जी !
सभी अपडेट बेहद खुबसूरत थे ।
रोमांच से भरपूर ।
एक अलग तरह की कहानी , एक अद्भुत कहानी ।
और आउटस्टैंडिंग राइटिंग ।
Radhe Radhe guruji,, break pe chala gya tha uske baad is id ka password issue ho gya tha so sign in nahi tha itne time se ab wapas aaya hu to dubara se updates ki demand rakhunga...waise stock to abhi full hai kuch time ke liye so read karta hu
Shandaar update and nice story
शानदार अपडेट राज भाई
अद्भुत अंक भाई
(मैं अपने विचार कहानी को पढ़ते हुए लिखता हूँ - इसलिए शायद अजीब से लगें मेरे कमैंट्स)
#147
बड़ी ही सुन्दर कहानी लिखी है आपने बाल हनुका की!
पवन-पुत्र का आशीर्वाद, जिसने माया की शादी के दिन ही गणेश भगवान का दिया हुआ श्राप समाप्त कर दिया।
संकट मोचन इसीलिए कहते हैं हनुमान भगवान को।
#148
वैसे तो आपने हमारी सुविधा के लिए तिलिस्मा का ब्योरा सामने रख दिया, लेकिन रोमांच और प्रत्याशा की दृष्टि से यह बता देना थोड़ा जल्दी हो गया।
वैसे आपकी लेखनी ऐसी है कि यह दोनों बातें बनी रहेंगी - यह हमको पता है।
इस बीच जैंगो और तमराज इत्यादि की बात नहीं उठी। जो कि थोड़ा अखर रही है। ख़ैर…
द्रव्य नहीं - द्रव। पहले भी बता चुका हूँ! हा हा हा!
ये केश्वर वो AI है, जो sentient हो गया है। हा हा हा हा!
इसकी तो मईया करनी ही पड़ेगी।
जैसे AI प्रदत्त data से सीखता है, वैसे ही केश्वर ने सुयश और उसके दल बल की काबिलियत का सही आँकलन कर लिया है।
मतलब अब उनको हर बार कुछ न कुछ नया करना पड़ेगा - क्योंकि केश्वर के पास उनके हर दाँव का काट होगा।
भौतिकी से सम्बंधित प्रश्न : समय को उसके सातवें भाग के बराबर गति सीमित करने के लिए हमको प्रकाश के 98.97 प्रतिशत गति पर चलना पड़ता है।
ये इस टापू पर कैसे संभव हो रहा है?
जो मैं जानता हूँ, उसके हिसाब से नीलकमल की यह पहेली Josephus problem के समान है।
#149
लेकिन इस पहेली को उस तरीके से नहीं तोड़ा गया।
कोई बात नहीं - हर बार हमारी सोच सही हो, यह आवश्यक नहीं।
हम्म्म… तो उस पानी जैसे द्रव में सभी को अपने worst nightmares या guilts दिखाई देते हैं।
ये केश्वर तो बेहद बदमाश है - bad AI!
भ्रम का काट विश्वास होता है -- क्या बात है! वाह! साधु!
“गलत कहा, मैं कमाल का नहीं, क्रिस्टी का हूं।” ऐलेक्स ने मासूमियत से जवाब दिया। ---- हा हा हा हा हा!
#150
एंड्रोवर्स या एंड्रोमेडा?
फिर से गलत बात -- फिर से कई और पात्र जोड़े जा रहे हैं कहानी में। बड़ी मुश्किल से तो कुछ नाम याद थे, अब ये और!
ऐसे में कोई ढंग का रिव्यू लिखे भी तो कैसे?
ख़ैर -- ये ओरस अपना नक्षत्रा ही है। काम की यही बात है।
“उस हरे ग्रह पर किस प्रकार के खतरे हैं” -- चिंता न करो एलान्का भाई। इस हरे या नीले ग्रह पर चूतियों का ही खतरा है।
लगता है Rene और Orena नाम की दो और “लड़ाकी” हिरोइनें आने वाली हैं।
##
मुझे लग रहा है कि ये बाणकेतु विद्युम्ना से छल कर रहा है।
न भी कर रहा हो, लेकिन केवल रूप सौंदर्य से रीझ कर किसी से विवाह निवेदन करना मूर्खता का काम है।
विद्युम्ना जैसी बुद्धिमती योगिनी से ऐसी आशा नहीं थी। आशा है कि कहानी में अनावश्यक मरोड़ें न आयें।
निजी जीवन में अनेकों परिवर्तनों के कारण हम कहानी से कोई डेढ़ महीने पीछे चल रहे हैं। लेकिन कभी न कभी संग हो लेंगे।
अपना ख़्याल रखें। मिलते हैं जल्दी ही।![]()
फिर से एक अप्रतिम रोमांचक और अद्भुत अविस्मरणीय मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अब स्टॅचू ऑफ लिबर्टी की मुर्ती पर तिलिस्मा का नया खेल शुरु हो गया
खैर देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Outstanding update and awesome story and excellent writing
Nice update.....
Hamesha ki tarah lajawab update
यह वाला द्वार अधिक कठिन था।
लेकिन पूरे दल की सूझ बूझ से इसके पार जाया जा सका।
सुयश कप्तान तो दो कौड़ी का था, लेकिन भूतपूर्व आर्यन के अवतार के रूप में उसके अंदर वही प्रतिभा है।
वैसे एक बात पर गौर दें तो हम यह देखते हैं कि शेफ़ाली को अगर छोड़ दें, तो बाकी सुप्रीम के बचे हुए यात्रियों में जो ये सभी बच गए हैं, उनके व्यवहार में बहुत परिवर्तन आ गए हैं।
शेफ़ाली स्वयं भी अब देख सकती है।
अब इनमें से किसी का भी वापस भू-लोक में जा कर सामान्य जीवन जीना असंभव है।
मतलब यह कि भविष्य में जब तिलिस्मा टूट जाएगा और वार ऑफ़ द वर्ल्ड्स भी जीत लिया जाएगा, तब इनका क्या हश्र होगा!
क्या करेंगे ये लोग? यहीं इस द्वीप पर रहेंगे? मानव लोक इनके रहने योग्य तो नहीं रह गया है।
हाँ हाँ - बहुत बहुत आगे का सोच रहा हूँ, लेकिन यह प्रश्न दिमाग में आए बग़ैर नहीं रह रहा है।
हमेशा की ही तरह - बेहद उम्दा लेखन। भौतिकी और रसायन के कई सिद्धांतों का प्रयोग हुआ इस अपडेट में!
न केवल मनोरंजन, बल्कि ज्ञानवर्धन का भी उत्तम साधन है यह लेख!
अति उत्तम![]()
![]()
![]()
Maza aa gya bhai
Waiting for NeXT update
शांदार अपडेट❤❤
Mujhe nahi lagta hai ki Lufasha ke mata pita ki hatya Kalat ne ki hogi, khair yadi Makota ne jaise kaha hai wo sach bhi hai toh Kalat ka koi dosh nazar nahi aa raha hai isme, khair wonderful update brother.
Bahut hi gazab ki update he Raj_sharma Bhai,
Makota ne jo jhuthi kahaniya lufasa ko sunayi he lufasa samajh to gaya he
Lekin is ummeed me ki uske mata pita dobara jivit ho jayenge vo makota ka sath dene ko raji ho gaya he.........
Keep posting Bro
Shaandar update
nice update
Let's review starts
So ye wala 165 update bahut sare Raaz se Parda Gira Chuka hain .
Mujhe Nahi pata Thaa ki Lufasa ke Father makota nahi hai , hamesha se yahi laga ki makota hi lufasa aur venus ka father hain.
ye Jasoosi karne wala gonjala ko To vyom bhaiya ne dhoya thaa ,vyom bhaiya wala chapter kaha chale gaya unke darshan bahut samay se nahi huwe , aakhir Ye Senore walo ne Agar yudh chalu kiya to vyom bhaiya nirnayak hoge , aakhir panch shool hain unke pass .
Mujhe makota ki adhee baat Jhute lagte hain, ye lufasa ko facts todh marood kar parose raha ,kagoshi aur mufasa ko mujhe nahi lagta ki claat ne unki hatya kari , mujhe to makota be hi power greed ke liye unko marne ki shajish rachi.
Main baat ye hain ki Tilism me Ghusne ki Koshish chal rahee , ab agar Tilism me ye ghusne me kamyab huwe to suyash and company inse kese niptege he log to magical power holder hain waha do log hi hain Jinke pass Power hain Suyash aur shaffali waha wese bhi unki powers kaam nahi aana wali .
Jaigan Bhi Jaag gaya yani makota ke log aur power full hogaye , agar me galt nahi hu to yudh tilism me hi hone wala hain, kyuki sabko chahiye kya clito ka black diamond aur Tilism me hain , To bina tilism me aaye makota and company ko wo moti milega kese issilye tilism me makota aayega
dusra reason agar maan lo tilism me sheffali pehle hi wo black diamond hasil karlegi tab wo bahut powerful hogi , to makota ki kya okaat rahegi idhar fight ki, issilye tilism ke end tak shaffali and company pahuche tak makota ye log tilism me aayege waha sheffali ko isne bhi ladna hoga .
Bas ye dekhnaa hoga Tilism me sheffali aur suyash company ki help ke liye kaha se madad aayege kya vega yugaka varuni kautubh dhanusha ye log kese tilism me aayege
Dusra sheffali ko wo kala moti milna kyu Jaruri hain ye bhi samjh aaraha ye Jaigan aur inke logo se bidhna koi bacho ka khel nahi issilye kala moti sheffali ko chahiye rahega
Makota ki sena To Taiyaar hain
Green insects
Wo gonjala
Wolf sena
Azeeb Tarah ke senik Jo lufasa ko piramid ke niche
Samara ke side
Agar pehle dhara ye log inke sath rahe iska MATLAB
Inke sath wale dhanusha , vikarm , varuni , ye sab inke side hain
Vyom bhi inke side hona chahiye kyuki samara me trikali rahe aise isthti me high possibilities ki samara side se wo lade
Bas ye samjh nahi araha kis Tarah hanuka aur ye Rakhsah vidhumna kis Tarah picture me aayege
Forena ghar ke andorse kiss side ka paksha lege .
Sath hi statue of liberty Tilism pura complete hogaya ,
Suyash ke Copperfield ke knowledge me bacha liya .
Invisible mashal thee but bach gaya mil gaya mashal .
Brown se green karna thaa statue ko
Isme bhi kaam complete hogaya .
Overall shandaar update
Waiting for more.
nice update. makota ne lufasa ko jhooth bataya aur sanura ko apne saath milane ko kaha jisse wo kalat ko maar sake ,
lufasa uski chal to samajh gaya hai par wo sach me makota ka saath dega ya apni koi neeti banayega dekhte hai ..shayad apne maa baap ke asli hatyare ka pata lagane ki soche .
Dynamic update and outstanding story
Bhut hi badhiya update Bhai
Makota ne jhuti kahaniyo se lufasa ko apne jhal me phasa liya hai lekin lufasa majburi me makota ka sath de raha hai
Nice update....
Besabari se intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....
Bahut hee badhiya update

Shandaar update and lovely story#166.
चैपटर-9
सपनों का संसार: (तिलिस्मा 3.3)
सुयश के साथ सभी अगले द्वार में प्रवेश कर गये।
तिलिस्मा के इस द्वार में प्रवेश करते ही सभी को लगभग 100 फुट ऊंची एक किताब दिखाई दी। जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में ‘सपनों का संसार’ लिखा था।
उस किताब में एक दरवाजा भी लगा था। दरवाजे के अंदर कुछ सीढ़ियां बनीं थीं, जो कि ऊपर की ओर जा रहीं थीं। सभी उस दरवाजे में प्रवेश कर गये और सीढ़ियां चढ़कर ऊपर की ओर चल दिये।
लगभग 50 सीढ़ियां चढ़ने के बाद सभी को फिर से एक दरवाजा दिखाई दिया। सभी उस दरवाजे से अंदर प्रवेश कर गये।
अब वह सभी एक ऊंचे से प्लेटफार्म पर खड़े थे और ऊपर आसमान की ओर ऐसे सैकड़ों प्लेटफार्म दिखाई दे रहे थे।
हर प्लेटफार्म के चारो ओर कुछ सीढ़ियां और 2 दरवाजे बने थे। सारे प्लेटफार्म हवा में झूल रहे थे।
“यह सब क्या है? और हमें जाना कहां है?” ऐलेक्स ने सुयश को देखते हुए कहा।
“पता नहीं, पर मुझे लगता है कि हमें अपने सामने मौजूद दूसरे दरवाजे में घुसने पर ही पता चलेगा कि हमें जाना कहां है?” सुयश ने कहा।
यह सुनकर क्रिस्टी अपने सामने मौजूद दरवाजे में प्रवेश कर गई, अब क्रिस्टी उनसे काफी ऊंचाई पर बने दूसरे प्लेटफार्म पर दिखाई दी।
“कैप्टेन आप लोग भी ऊपर आ जाइये, मुझे लगता है कि हमें इन प्लेटफार्म के द्वारा ही ऊपर की ओर जाना है।” क्रिस्टी ने तेज आवाज में कहा।
क्रिस्टी की आवाज सुन सभी उस दरवाजे में प्रवेश कर गये।
इसी प्रकार कई बार अलग-अलग दरवाजों में प्रवेश करने के बाद, आखिरकार उनका दरवाजा एक बादल के ऊपर जाकर खुला।
जैसे ही सभी बादल के ऊपर खड़े हुए, वह दरवाजा और प्लेटफार्म दोनों ही गायब हो गये।
अब सभी ने अपने चारो ओर नजर डाली। इस समय वह सभी जिस बादल पर खड़े थे, वह लगभग 200 वर्ग फुट का था और बिल्कुल सफेद था।
उस बादल से 100 मीटर की दूरी पर एक बड़ा सा गोला सूर्य के समान चमक रहा था, उसकी रोशनी से ही पूरा क्षेत्र प्रकाशमान था।
“क्या वह कृत्रिम सूर्य है?” जेनिथ ने उस सूर्य के समान गोले की ओर देखते हुए कहा।
“लगता है कैश्वर ने यह द्वार कुछ अलग तरीके से बनाया है।” सुयश ने कहा- “वह सामने का गोला कृत्रिम सूर्य है, जो सूर्य के समान ही रोशनी दे रहा है। हम इस समय बादलों के ऊपर खड़े हैं। पर इन दोनों के अलावा यहां पर कुछ नजर नहीं आ रहा। ना तो बाहर निकलने का कोई दरवाजा दिख रहा है और ना ही यह समझ में आ रहा है कि यहां पर करना क्या है?”
तभी शैफाली की नजर आसमान की ओर गई। आसमान पर नजर पड़ते ही शैफाली आश्चर्य से भर उठी।
“कैप्टेन अंकल, जरा ऊपर आसमान की ओर देखिये, वहां पर बहुत कुछ विचित्र सा है?” शैफाली ने सुयश को आसमान की ओर इशारा करते हुए कहा। शैफाली की बात सुन सभी ने आसमान की ओर देखा।
अब सभी अपना सिर उठाये विस्मय से ऊपर की ओर देख रहे थे।
“यह आसमान में क्या चीजें बनी हैं?” ऐलेक्स ने बड़बड़ाते हुए कहा।
“मुझे लग रहा है कि हमारे सिर के ऊपर आसमान नहीं बल्कि जमीन है, आसमान पर तो हम लोग खड़े हैं, यानि कि यहां पर सब कुछ उल्टा-पुल्टा है।” क्रिस्टी ने कहा।
“सब लोग जरा ध्यान लगाकर देखो कि वहां ऊपर क्या-क्या चीजें है?” सुयश ने सभी से कहा।
“कैप्टेन मुझे वहां एक खेत दिखाई दे रहा है, जिस में एक किसान बीज बो रहा है।” तौफीक ने कहा।
“मुझे उस खेत के बाहर 5 मूर्तियां दिखाई दे रहीं हैं, शायद वह किसी देवी-देवता की मूर्तियां हैं, उन मूर्तियों पर कुछ लिखा भी है, पर यह भाषा मैं पढ़ना नहीं जानती।” जेनिथ ने कहा।
“वह मूर्तियां सूर्य, चंद्र, इंद्र, पवन और पृथ्वी की हैं।” सुयश ने मूर्तियों की ओर देखते हुए कहा- “और उस पर हिंदी भाषा में लिखा है।” यह कहकर सुयश ने सभी को उन देवी देवताओं के बारे में बता दिया।
“कैप्टेन खेत से कुछ दूरी पर एक बड़ा सा तालाब बना है, जिससे समुद्र जैसी लहरें उठ रहीं हैं।” ऐलेक्स ने कहा- और उसके सामने एक बड़ा सा कमरा बना है, जिस पर एक तीर ऊपर की ओर मुंह किये हुए लगा है। उस तीर के सामने एक बड़ी सी पवनचक्की जमीन पर गिरी पड़ी है।”
“यह तो कोई बहुत अजीब सी पहेली लग रही है....क्यों कि ना तो हम सूर्य के पास जा सकते हैं और ना ही ऊपर जमीन की ओर.....और इन बादलों में कुछ है नहीं?...फिर इस पहेली को हल कैसे करें?” क्रिस्टी ने कहा।
सभी बहुत देर तक सोचते रहे, परंतु किसी को कुछ समझ नहीं आया कि करना क्या है? तभी जेनिथ की निगाह सूर्य की ओर गई।
“कैप्टेन सूर्य अपना रंग बदल रहा है...अब वह सुनहरे से सफेद होता जा रहा है।” जेनिथ ने कहा।
जेनिथ की बात सुन सभी सूर्य की ओर देखने लगे। जेनिथ सही कह रही थी, सूर्य सच में एक किनारे से सफेद हो रहा था।
“मुझे लग रहा है कि सूर्य धीरे-धीरे चंद्रमा में परिवर्तित हो रहा है।” शैफाली ने कहा- “यानि दिन के समय यही सूर्य बन जाता है और रात को यही चंद्रमा बन जाता है।”
“मुझे लगता है कि हमें थोड़ी देर और इंतजार करना चाहिये, हो सकता है कि रात होने पर चंद्रमा हमें कोई मार्ग दिखाए?” तौफीक ने कहा।
तौफीक की बात सुन सभी आराम से वहीं सफेद बादल पर बैठ गये।
धीरे-धीरे सूर्य पूरी तरह से चंद्रमा में परिवर्तित हो गया, अब सभी ध्यान से चंद्रमा को देखने लगे।
“कैप्टेन चंद्रमा में एक द्वार बना है, मुझे लगता है कि हमें उसी द्वार से बाहर जाना है।” जेनिथ ने कहा।
“चलो एक परेशानी तो दूर हुई, कम से कम ये तो पता चला कि हमें जाना कहां है?” सुयश ने खुशी भरे शब्दों में कहा- “अब हमें बस चंद्रमा तक जाने का रास्ता ढूंढना है। क्यों कि इन बादलों से चंद्रमा के बीच सिर्फ हवा ही है।”
“मुझे लगता है कि हमें यहां से कूद कर जमीन तक जाना होगा, चंद्रमा का रास्ता अवश्य ही नीचे से होगा।” ऐलेक्स ने कहा।
“अरे बुद्धू, हम खुद ही नीचे हैं, कूदने से ऊपर कैसे चले जायेंगे?” क्रिस्टी ने ऐलेक्स से हंस कर कहा।
“तो फिर अगर कोई चीज इन बादलों से गिरे तो वह कहां जायेगी? हमसे भी नीचे....या फिर ऊपर जमीन की ओर?” ऐलेक्स की अभी भी समझ में नहीं आ रहा था।
“रुको अभी चेक कर लेते हैं।” यह कहकर क्रिस्टी ने अपनी जेब में रखा एक फल निकाला और उसे कुछ दूरी पर फेंक दिया।
वह फल नीचे जाने की जगह तेजी से ऊपर जमीन की ओर चला गया।
“अब समझे, जमीन और उसका गुरुत्वाकर्षण ऊपर की ओर ही है, हम लोग सिर्फ ऊंचाई पर खड़े हैं और हमें उल्टा दिख रहा है बस। ....और अगर तुमने यहां से कूदने की कोशिश की तो तुम्हारी हड्डियां भी टूट जायेंगी या फिर तुम मर भी सकते है, क्यों कि हमारी ऊंचाई बहुत ज्यादा है।” क्रिस्टी ने ऐलेक्स को समझाते हुए कहा।
सुयश ने कहा- “मुझे तो लगता है कि अवश्य ही अब इन बादलों में कुछ ना कुछ छिपा है...खाली हाथ तो हम लोग इस द्वार को पार नहीं कर पायेंगे।”
सुयश की बात सुन सभी उस सफेद बादल में हाथ डालकर, टटोल कर कुछ ढूंढने की कोशिश करने लगे।
तभी शैफाली का हाथ बादल में मौजूद किसी चीज से टकराया। शैफाली ने उस चीज को खींचकर निकाल लिया। वह एक 3 फुट का वर्गाकार शीशा था।
“पहले मेरे दिमाग में यह बात क्यों नहीं आयी।” सुयश ने शीशे को देख अपने सिर पर हाथ मारते हुए कहा- “और ढूंढो...हो सकता है कि कुछ और भी यहां पर हो ?”
तभी जेनिथ ने खुशी से कहा- “कैप्टेन, मुझे यह छड़ी मिली है।” सुयश ने जेनिथ के हाथ में थमी छड़ी को देखा। वह एक साधारण लकड़ी की छड़ी लग रही थी।
सभी फिर से बादलों से कुछ और पाने की चाह में उन बादलों का मंथन करने लगे। पर काफी देर ढूंढने के बाद भी बादलों से कुछ और ना मिला।
“यहां तो सिर्फ एक शीशा और छड़ी थी, इन दोनों के द्वारा भला हम चंद्रमा तक कैसे पहुंच सकते हैं?” क्रिस्टी ने कहा।
“इन दोनों के द्वारा हम चंद्रमा तक नहीं पहुंच सकते, पर इनका कुछ ना कुछ तो उपयोग है।” यह कहकर सुयश ने शीशे को चंद्रमा की रोशनी की ओर कर दिया, पर उसमें चंद्रमा की परछाईं दिखने के सिवा कुछ नहीं हुआ।
धीरे-धीरे कई घंटे और बीत गये। अब चंद्रमा फिर से सूर्य में परिवर्तित होने लगा।
सूर्य की पहली किरण सुयश के माथे से आकर टकराई, तभी सुयश के दिमाग में एक विचार कौंधा।
अब सुयश ने शैफाली से शीशा लेकर सूर्य की दिशा में कर दिया।
सूर्य की किरणें शीशे से टकरा कर परावर्तित होने लगीं। अब सुयश ने जमीन की ओर ध्यान से देखा।
खेत में बैठा किसान बीज बोने के बाद, बार-बार ऊपर बादलों की ओर देख रहा था। कभी-कभी वह अपने माथे पर आये पसीने को, अपने कंधे पर रखे कपड़े से पोंछ रहा था।
अब सुयश की निगाह इंद्र की मूर्ति पर पड़ी। इंद्र की मूर्ति देखने के बाद सुयश के चेहरे पर मुस्कान बिखर गई।
सुयश की मुस्कान देखकर सभी समझ गये कि सुयश को अवश्य कोई ना कोई उपाय मिल गया है?
“कुछ समझ में आया तुम लोगों को?” सुयश ने सभी से पूछा। सभी ने ना में सिर हिला दिया।
यह देख सुयश ने बोलना शुरु कर दिया- “मुझे भी अभी सबकुछ तो समझ में नहीं आया है, पर उस किसान को देखकर यह साफ पता चल रहा है कि उसे बीज बोने के बाद बारिश का इंतजार है और वह बारिश हमें करानी पड़ेगी।”
“यह कैसे संभव है कैप्टेन? हम भला बारिश कैसे करा सकते हैं?” तौफीक ने सुयश का मुंह देखते हुए आश्चर्य से पूछा।
“संभव है....मगर पहले मुझे ये बताओ कि धरती पर बारिश होती कैसे है?” सुयश ने उल्टा तौफीक से ही सवाल कर दिया।
“समुद्र का पानी, सूर्य की गर्मी से वाष्पीकृत होकर, बादलों का रुप ले लेता है और बादल जब आपस में टकराते हैं या फिर उनमें पानी की मात्रा ज्यादा हो जाती है, तो वह बूंदों के रुप में धरती की प्यास बुझाते हैं।” तौफीक ने कहा।
“अब जरा जमीन की ओर देखो। सूर्य की रोशनी उस तालाब के ऊपर नहीं पड़ रही है, इसीलिये किसान के खेत पर बारिश नहीं हो रही है।” सुयश ने तालाब की ओर इशारा करते हुए कहा।
“पर हम सूर्य की रोशनी को तालाब की ओर कैसे मोड़ पायेंगे?” क्रिस्टी के चेहरे पर उलझन के भाव नजर आये।
“इस शीशे की मदद से।” सुयश ने कहा- “इसकी मदद से हम सूर्य के प्रकाश को परावर्तित कर उस तालाब पर डाल सकते हैं।”
“पर यह प्रक्रिया तो बहुत लंबी चलती है। क्या हमें शीशा इतनी देर तक पकड़े रखना पड़ेगा?” ऐलेक्स ने पूछा।
“पता नहीं कितना समय लगेगा, पर इसके सिवा दूसरा कोई रास्ता भी नहीं है?” यह कहकर सुयश ने शीशे को इस प्रकार पकड़ लिया, कि अब सूर्य की रोशनी उससे परावर्तित होकर तालाब पर जाकर पड़ने लगी।
लगभग 2 घंटे की अपार सफलता के बाद, तालाब का पानी वाष्पीकृत होकर बादलों का रुप लेने लगा।
यह देख सभी में नयी ऊर्जा का संचार हो गया। अब सभी बारी-बारी शीशे को पकड़ रहे थे।
अब उनके सफेद बादल का रंग धीरे-धीरे काला होने लगा।
लगभग आधे दिन के बाद उनके बादलों का रंग पूर्ण काला हो गया। अब उस बादल के बीच बिजली भी कड़क रही थी, पर आश्चर्यजनक तरीके से वह बिजली इनमें से किसी को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा रही थी।
बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली की चमक देख किसान खुशी से नाचने लगा।
पर बादलों को बरसाना कैसे था? यह किसी को नहीं पता था?
सुयश की निगाह अब जेनिथ के हाथ में पकड़ी छड़ी की ओर गई। सुयश ने वह छड़ी जेनिथ के हाथ से ले ली।
सुयश ने बादल पर जैसे ही वह छड़ी मारी, बादल से जोर की आवाज करती बिजली निकली और जमीन पर स्थित उस घर के ऊपर बने तीर में समा गई।
सुयश ने 2-3 बार ऐसे ही किया। अब बादल से तेज मूसलाधार बारिश शुरु हो गई और धरा की प्यास बुझाने, पृथ्वी की ओर जाने लगी।
बहुत ही विचित्र नजारा था। बादलों से निकली हर बूंद ऊपर की ओर जा रही थी।
तभी सूर्य के सतरंगी प्रकाश से आसमान में एक बड़ा इंद्रधनुष बन गया। सभी को पता था कि यह सब कुछ असली नहीं है, फिर भी वह सभी मंत्रमुग्ध से प्रकृति के इस सुंदर दृश्य को निहार रहे थे।
बूंदों ने अब किसान के खेत पर बरसना शुरु कर दिया। बूंदों के पड़ते ही अचानक किसान का बोया हुआ बीज अंकुरित हो गया।
कुछ ही देर में वह अंकुरित बीज एक लता का रुप ले उस बादल की ओर बढ़ने लगा।
सभी आश्चर्य से उस पृथ्वी के पौधे को बढ़ता हुआ देख रहे थे। 10 मिनट में ही उस लता धारी वृक्ष ने, बादलों से पृथ्वी तक एक विचित्र पुल का निर्माण कर दिया।
तभी वह शीशा और छड़ी गायब हो गये।
“यही है वह रास्ता, जिससे होकर हमें पृथ्वी तक पहुंचना है।” सुयश ने धीरे से पेड़ की लताओं को पकड़ा और सरककर नीचे जाने लगा।
सुयश को ऐसा करते देख, सभी उसी प्रकार से सुयश के पीछे आसमान से उतरने लगे। कुछ ही देर बाद सभी जमीन पर थे।
“अब जाकर कुछ बेहतर महसूस हुआ।” ऐलेक्स ने लंबी साँस छोड़ते हुए कहा- “ऊपर से उल्टा देखते-देखते दिमाग चकरा गया था।
सुयश ने अब खेत के चारो ओर देखा। सभी के बादलों से उतरते ही वह पेड़ और किसान दोनों ही गायब हो गये थे।
सुयश सभी को लेकर खेत से बाहर आ गया। बाहर अब 2 ही मूर्तियां दिख रहीं थीं।
“कैप्टेन, यह 3 मूर्तियां कहां गायब हो गईं?” क्रिस्टी ने कहा।
“जिन मूर्तिंयों का कार्य खत्म हो गया, वह मूर्तियां स्वतः गायब हो गयीं। जैसे सूर्य की मूर्ति का कार्य सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करने तक था। इंद्र की मूर्ति का कार्य बिजली और बारिश तक ही सीमित था और पृथ्वी की मूर्ति का कार्य पेड़ को बड़ा होने तक था।” सुयश ने सभी को समझाते हुए कहा।
“इसका मतलब अब चंद्र और पवन का काम बचा है।” जेनिथ ने कहा।
“बिल्कुल ठीक कहा जेनिथ...और इन्हीं 2 मूर्तियों के कार्य के द्वारा ही हम तिलिस्मा के इस द्वार को पार कर पायेंगे।” सुयश ने जेनिथ को देखते हुए कहा- ‘चलो सबसे पहले उस जमीन पर पड़ी पवनचक्की को
देखते हैं। जरुर उसी से हमें चंद्रमा तक जाने का रास्ता मिलेगा।”
सभी को सुयश की बात सही लगी, इसलिये वह तालाब के किनारे स्थित उस मैदान तक जा पहुंचे, जहां पर जमीन पर वह पवनचक्की पड़ी थी।
पवनचक्की का आकार काफी बड़ा था। उस पवनचक्की के बीच में एक गोल प्लेटफार्म बना था। उस प्लेटफार्म पर चढ़ने के लिये सीढियां बनीं थीं।
सभी सीढ़ियां चढ़कर उस प्लेटफार्म के ऊपर आ गये। प्लेटफार्म के ऊपर एक बड़ा सा लीवर लगा था।
प्लेटफार्म का ऊपरी हिस्सा जालीदार था, जो कि एक मजबूत धातु से बना लग रहा था। उस जालीदार हिस्से के नीचे नीले रंग का कोई द्रव भरा हुआ था।
“वह द्रव किस प्रकार का हो सकता है?” तौफीक ने कहा - “वह ऐसी जगह पर रखा है जो कि पूरी तरह से बंद है इसलिये हम सिर्फ उसे देख ही सकते हैं।”
“मैं उस द्रव को सूंघ भी सकता हूं।” ऐलेक्स ने अपनी नाक पर जोर देते हुए कहा- “वह किसी प्रकार का ‘कास्टिक’ है, जिससे साबुन बनाया जाता है।”
“साबुन???” जेनिथ ने आश्चर्य से कहा- “साबुन का यहां क्या काम हो सकता है?”
“कोई भी काम हो...पर अब यह तो श्योर हो गया है कि यही पवनचक्की हमें चंद्रमा तक पहुंचायेगी क्यों कि एक तो यह बिल्कुल सूर्य के नीचे है और दूसरा अभी पवनदेव का काम बचा हुआ है....अब बस ये देखना है कि इस पवनचक्की को शुरु कैसे करना है?” सुयश ने कहा- “चलो चलकर उस कमरे को भी देख लें, हो सकता है कि पवनचक्की का नियंत्रण उसी कमरे में ही हो?”
सभी पवनचक्की के पास बने, उस कमरे के अंदर आ गये। कमरे में एक बहुत बड़ी सी मशीन रखी थी, जिसमें कुछ लाल रंग की लाइट जल रहीं थीं।
सुयश ने ध्यान से पूरी मशीन को देखा और फिर बोल उठा- “पवनचक्की इस मशीन से ही चलेगी। इस कमरे की छत पर जो तीर लगा है, असल में वह तड़ित-चालक (लाइटनिंग अरेस्टर) है, जिसका प्रयोग नये भवनों के निर्माण में किया जाता है।
"तड़ित चालक भवनों के ऊपर गिरने वाली आसमानी बिजली को, जमीन के अंदर भेज कर भवनों की सुरक्षा करता है। पर इस कमरे पर लगे, तड़ित-चालक पर जब बिजली गिरी तो उसने सारी बिजली को इस मशीन में सुरक्षित कर लिया था। अब उसी बिजली के द्वारा पवन-चक्की को हम चला सकते हैं और वह पवनचक्की हमें किसी ना किसी प्रकार से चंद्रमा पर भेज देगी।”
“इसका मतलब इसे शुरु करने के बाद हमें पवनचक्की पर मौजद उस प्लेटफार्म पर जाकर खड़े होना होगा और वहां मौजूद लीवर को दबाते ही, पवनचक्की हमें चंद्रमा पर भेज देगी।” क्रिस्टी ने कहा।
“बिल्कुल ठीक कहा क्रिस्टी...जरुर ऐसा ही होगा।” जेनिथ ने भी क्रिस्टी की हां में हां मिलाते हुए कहा।
“तो फिर देर किस बात की, चलिये मशीन को शुरु करके एक बार देख तो लें।” ऐलेक्स ने कहा।
सुयश ने सिर हिलाया और मशीन से कुछ दूरी पर लगे, एक ऑन बटन को दबा दिया, पर ऑन बटन के दबाने के बाद भी मशीन शुरु नहीं हुई।
अब सुयश फिर ध्यान से उस मशीन के मैकेनिज्म को समझने की कोशिश करने लगा।
“यह मशीन ऐसे स्टार्ट नहीं होगी।” नक्षत्रा ने जेनिथ को समझाते हुए कहा- “इस मशीन का कोई भी कनेक्शन ऑन बटन के साथ नहीं है, इसका मतलब मशीन के ऑन बटन को स्टार्ट करने के लिये कोई और तरीका है....जेनिथ जरा एक बार कमरे में पूरा घूमो...मैं देखना चाहता हूं कि यहां और क्या-क्या है?”
नक्षत्रा के ऐसा कहने पर जेनिथ कमरे में चारो ओर घूमने लगी।
तभी एक छोटी सी मशीन को देख नक्षत्रा ने जेनिथ को रुकने का इशारा किया- “यह मशीन टरबाइन की तरह लग रही है, और यही छोटी मशीन, एक तार के माध्यम से ऑन बटन के साथ जुड़ी है...तुम एक काम करो सुयश को यह सारी चीजें बता दो, मैं जानता हूं कि वह समझ जायेगा कि उसे आगे क्या करना है?”
जेनिथ ने नक्षत्रा की सारी बातें सुयश को समझा दीं।
“ओ.के. टरबाइन को चलाने के लिये हमें किसी सोर्स की जरुरत होती है, फिर चाहे वह हवा हो या फिर पानी.....पानी....बिल्कुल सही, ये टरबाइन तालाब की लहरों से स्टार्ट किया जा सकता है और देखो इसका तार भी बहुत लंबा है।”
सुयश अब तौफीक और ऐलेक्स की मदद से उस भारी टरबाइन को लेकर तालाब के किनारे आ गया।
तालाब के किनारे टरबाइन को रखने का एक प्लेटफार्म भी बना था, पर इस समय तालाब का पानी बिल्कुल शांत था।
यह देख सुयश का चेहरा मुर्झा सा गया।
“क्या हुआ कैप्टेन? आप उदास क्यों हो गये?” ऐलेक्स ने कहा- “आपने तो कहा था कि तालाब के पानी से यह टरबाइन चलायी जा सकती है?”
“जब हम ऊपर बादलों पर थे, तो तालाब का पानी किसी समुद्र की लहर की भांति काम कर रहा था, पर अभी यह बिल्कुल शांत है और टरबाइन को चलाने के लिये हमें लहरों की जरुरत पड़ेगी।” सुयश ने कहा।
“कैप्टेन अंकल, आप परेशान मत होइये, मैं जानती हूं कि तालाब का पानी अभी शांत क्यों है?” शैफाली ने कहा।
शैफाली के शब्द सुन सुयश आश्चर्य से शैफाली की ओर देखने लगा।
“कैप्टेन अंकल समुद्र की लहरों के लिये चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण ही जिम्मेदार माना जाता है और आप देख रहे हैं कि अभी दिन है और आसमान में सूर्य निकला हुआ है। मुझे लगता है कि जैसे ही शाम होगी और आसमान में चंद्रमा निकलेगा, तालाब का पानी फिर से लहरों में परिवर्तित हो जायेगा और वैसे भी हम दिन में आसमान में जाकर करेंगे भी तो क्या? यहां से निकलने का द्वार तो चंद्रमा में मौजूद है। इसलिये आप बस थोड़ा सा इंतजार कर लीजिये बस...।” शैफाली ने कहा।
शैफाली के शब्दों से एक पल में सुयश सब कुछ समझ गया।
“अच्छा तो इसी के साथ पवन और चंद्रमा की मूर्तियों का कार्य भी पूर्ण हो जायेगा।” सुयश ने खुश होते हुए कहा।
सभी अब चुपचाप वहीं बैठकर चंद्रमा के आने का इंतजार करने लगे।
जैसे ही सूर्य पूरी तरह से सफेद हुआ, शैफाली के कहे अनुसार तालाब का पानी लहरों में परिवर्तित होकर हिलोरें मारने लगा।
तालाब की लहरें अब टरबाइन पर गिरने लगीं, जिससे टरबाइन के अंदर मौजूद ब्लेड ने घूमना शुरु कर दिया।
सुयश टरबाइन पर पानी गिरता देख, भागकर कमरे में पहुंचा और उस मशीन का ऑन बटन दबा दिया।
एक घरघराहट के साथ मशीन ऑन हो गई। यह देख सुयश सभी को साथ लेकर पवनचक्की के ऊपर मौजूद जालीदार प्लेटफार्म पर पहुंच गया।
सुयश ने एक बार सभी को देखा और फिर वहां मौजूद उस लीवर को नीचे की ओर कर दिया।
एक गड़गड़ाहट के साथ विशालकाय पवनचक्की घूमना शुरु हो गई।
जहां सभी एक ओर इक्साइटेड भी थे, वहीं पर सावधान भी थे।
पवनचक्की ने जैसे ही गति पकड़ी, प्लेटफार्म के नीचे मौजूद नीले रंग का कास्टिक तेजी से जाली के ऊपर की ओर आया और जाली पर एक
विशालकाय बुलबुला बन गया।
सभी उस बुलबुले के अंदर बंद हो गये और इसी के साथ वह बुलबुला पवनचक्की की तेज हवाओं से ऊपर आसमान की ओर जाने लगा।
ऐलेक्स को छोड़ सभी को एकाएक शैफाली का बुलबुला और ज्वालामुखी वाला सीन याद आ गया।
“अब समझ में आया कि वहां नीचे कास्टिक क्यों रखा था।” सुयश ने मुस्कुराते हुए कहा।
“अपने ऐलेक्स की नाक तो बिल्कुल कुत्ते जैसी हो गई।” क्रिस्टी ने ऐलेक्स का मजाक उड़ाते हुए कहा।
“और तुम्हारी आँखें भी तो....।” कहते-कहते ऐलेक्स रुक गया।
“हां-हां बोलो-बोलो मेरी आँखें भी तो....किसी जानवर से मिलती ही होंगी।” क्रिस्टी ने मुंह बनाते हुए कहा।
“हां तुम्हारी आँखें बिल्कुल जलपरी के जैसी हैं, जी चाहता है कि इसमें डूब जाऊं।” अचानक से ऐलेक्स ने सुर ही बदल दिया।
क्रिस्टी को ऐलेक्स से इस तरह के जवाब की उम्मीद नहीं थी, इसलिये वह शर्मा सी गई।
“और तुम्हारा चेहरा इस चंद्रमा से भी ज्यादा खूबसूरत है।” ऐलेक्स क्रिस्टी को शर्माते देख किसी शायर की तरह क्रिस्टी की तारीफ करने लगा।
“चांद पर थोड़ा गुरूर हम भी कर लें,
पर मेरी नजरें पहले महबूब से तो हटें..!!
सभी क्रिस्टी और ऐलेक्स की इन मीठी बातों का आनन्द उठा रहे थे।
उधर वह बुलबुला धीरे-धीरे हवा में तैरता हुआ चंद्रमा तक जा पहुंचा।
सभी के चंद्रमा पर उतरते ही वह बुलबुला हवा में फट गया।
बुलबुले के फटते ही सभी चंद्रमा पर उतर गये और चंद्रमा के द्वार में प्रवेश कर गये।
जारी रहेगा_____![]()
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....#166.
चैपटर-9
सपनों का संसार: (तिलिस्मा 3.3)
सुयश के साथ सभी अगले द्वार में प्रवेश कर गये।
तिलिस्मा के इस द्वार में प्रवेश करते ही सभी को लगभग 100 फुट ऊंची एक किताब दिखाई दी। जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में ‘सपनों का संसार’ लिखा था।
उस किताब में एक दरवाजा भी लगा था। दरवाजे के अंदर कुछ सीढ़ियां बनीं थीं, जो कि ऊपर की ओर जा रहीं थीं। सभी उस दरवाजे में प्रवेश कर गये और सीढ़ियां चढ़कर ऊपर की ओर चल दिये।
लगभग 50 सीढ़ियां चढ़ने के बाद सभी को फिर से एक दरवाजा दिखाई दिया। सभी उस दरवाजे से अंदर प्रवेश कर गये।
अब वह सभी एक ऊंचे से प्लेटफार्म पर खड़े थे और ऊपर आसमान की ओर ऐसे सैकड़ों प्लेटफार्म दिखाई दे रहे थे।
हर प्लेटफार्म के चारो ओर कुछ सीढ़ियां और 2 दरवाजे बने थे। सारे प्लेटफार्म हवा में झूल रहे थे।
“यह सब क्या है? और हमें जाना कहां है?” ऐलेक्स ने सुयश को देखते हुए कहा।
“पता नहीं, पर मुझे लगता है कि हमें अपने सामने मौजूद दूसरे दरवाजे में घुसने पर ही पता चलेगा कि हमें जाना कहां है?” सुयश ने कहा।
यह सुनकर क्रिस्टी अपने सामने मौजूद दरवाजे में प्रवेश कर गई, अब क्रिस्टी उनसे काफी ऊंचाई पर बने दूसरे प्लेटफार्म पर दिखाई दी।
“कैप्टेन आप लोग भी ऊपर आ जाइये, मुझे लगता है कि हमें इन प्लेटफार्म के द्वारा ही ऊपर की ओर जाना है।” क्रिस्टी ने तेज आवाज में कहा।
क्रिस्टी की आवाज सुन सभी उस दरवाजे में प्रवेश कर गये।
इसी प्रकार कई बार अलग-अलग दरवाजों में प्रवेश करने के बाद, आखिरकार उनका दरवाजा एक बादल के ऊपर जाकर खुला।
जैसे ही सभी बादल के ऊपर खड़े हुए, वह दरवाजा और प्लेटफार्म दोनों ही गायब हो गये।
अब सभी ने अपने चारो ओर नजर डाली। इस समय वह सभी जिस बादल पर खड़े थे, वह लगभग 200 वर्ग फुट का था और बिल्कुल सफेद था।
उस बादल से 100 मीटर की दूरी पर एक बड़ा सा गोला सूर्य के समान चमक रहा था, उसकी रोशनी से ही पूरा क्षेत्र प्रकाशमान था।
“क्या वह कृत्रिम सूर्य है?” जेनिथ ने उस सूर्य के समान गोले की ओर देखते हुए कहा।
“लगता है कैश्वर ने यह द्वार कुछ अलग तरीके से बनाया है।” सुयश ने कहा- “वह सामने का गोला कृत्रिम सूर्य है, जो सूर्य के समान ही रोशनी दे रहा है। हम इस समय बादलों के ऊपर खड़े हैं। पर इन दोनों के अलावा यहां पर कुछ नजर नहीं आ रहा। ना तो बाहर निकलने का कोई दरवाजा दिख रहा है और ना ही यह समझ में आ रहा है कि यहां पर करना क्या है?”
तभी शैफाली की नजर आसमान की ओर गई। आसमान पर नजर पड़ते ही शैफाली आश्चर्य से भर उठी।
“कैप्टेन अंकल, जरा ऊपर आसमान की ओर देखिये, वहां पर बहुत कुछ विचित्र सा है?” शैफाली ने सुयश को आसमान की ओर इशारा करते हुए कहा। शैफाली की बात सुन सभी ने आसमान की ओर देखा।
अब सभी अपना सिर उठाये विस्मय से ऊपर की ओर देख रहे थे।
“यह आसमान में क्या चीजें बनी हैं?” ऐलेक्स ने बड़बड़ाते हुए कहा।
“मुझे लग रहा है कि हमारे सिर के ऊपर आसमान नहीं बल्कि जमीन है, आसमान पर तो हम लोग खड़े हैं, यानि कि यहां पर सब कुछ उल्टा-पुल्टा है।” क्रिस्टी ने कहा।
“सब लोग जरा ध्यान लगाकर देखो कि वहां ऊपर क्या-क्या चीजें है?” सुयश ने सभी से कहा।
“कैप्टेन मुझे वहां एक खेत दिखाई दे रहा है, जिस में एक किसान बीज बो रहा है।” तौफीक ने कहा।
“मुझे उस खेत के बाहर 5 मूर्तियां दिखाई दे रहीं हैं, शायद वह किसी देवी-देवता की मूर्तियां हैं, उन मूर्तियों पर कुछ लिखा भी है, पर यह भाषा मैं पढ़ना नहीं जानती।” जेनिथ ने कहा।
“वह मूर्तियां सूर्य, चंद्र, इंद्र, पवन और पृथ्वी की हैं।” सुयश ने मूर्तियों की ओर देखते हुए कहा- “और उस पर हिंदी भाषा में लिखा है।” यह कहकर सुयश ने सभी को उन देवी देवताओं के बारे में बता दिया।
“कैप्टेन खेत से कुछ दूरी पर एक बड़ा सा तालाब बना है, जिससे समुद्र जैसी लहरें उठ रहीं हैं।” ऐलेक्स ने कहा- और उसके सामने एक बड़ा सा कमरा बना है, जिस पर एक तीर ऊपर की ओर मुंह किये हुए लगा है। उस तीर के सामने एक बड़ी सी पवनचक्की जमीन पर गिरी पड़ी है।”
“यह तो कोई बहुत अजीब सी पहेली लग रही है....क्यों कि ना तो हम सूर्य के पास जा सकते हैं और ना ही ऊपर जमीन की ओर.....और इन बादलों में कुछ है नहीं?...फिर इस पहेली को हल कैसे करें?” क्रिस्टी ने कहा।
सभी बहुत देर तक सोचते रहे, परंतु किसी को कुछ समझ नहीं आया कि करना क्या है? तभी जेनिथ की निगाह सूर्य की ओर गई।
“कैप्टेन सूर्य अपना रंग बदल रहा है...अब वह सुनहरे से सफेद होता जा रहा है।” जेनिथ ने कहा।
जेनिथ की बात सुन सभी सूर्य की ओर देखने लगे। जेनिथ सही कह रही थी, सूर्य सच में एक किनारे से सफेद हो रहा था।
“मुझे लग रहा है कि सूर्य धीरे-धीरे चंद्रमा में परिवर्तित हो रहा है।” शैफाली ने कहा- “यानि दिन के समय यही सूर्य बन जाता है और रात को यही चंद्रमा बन जाता है।”
“मुझे लगता है कि हमें थोड़ी देर और इंतजार करना चाहिये, हो सकता है कि रात होने पर चंद्रमा हमें कोई मार्ग दिखाए?” तौफीक ने कहा।
तौफीक की बात सुन सभी आराम से वहीं सफेद बादल पर बैठ गये।
धीरे-धीरे सूर्य पूरी तरह से चंद्रमा में परिवर्तित हो गया, अब सभी ध्यान से चंद्रमा को देखने लगे।
“कैप्टेन चंद्रमा में एक द्वार बना है, मुझे लगता है कि हमें उसी द्वार से बाहर जाना है।” जेनिथ ने कहा।
“चलो एक परेशानी तो दूर हुई, कम से कम ये तो पता चला कि हमें जाना कहां है?” सुयश ने खुशी भरे शब्दों में कहा- “अब हमें बस चंद्रमा तक जाने का रास्ता ढूंढना है। क्यों कि इन बादलों से चंद्रमा के बीच सिर्फ हवा ही है।”
“मुझे लगता है कि हमें यहां से कूद कर जमीन तक जाना होगा, चंद्रमा का रास्ता अवश्य ही नीचे से होगा।” ऐलेक्स ने कहा।
“अरे बुद्धू, हम खुद ही नीचे हैं, कूदने से ऊपर कैसे चले जायेंगे?” क्रिस्टी ने ऐलेक्स से हंस कर कहा।
“तो फिर अगर कोई चीज इन बादलों से गिरे तो वह कहां जायेगी? हमसे भी नीचे....या फिर ऊपर जमीन की ओर?” ऐलेक्स की अभी भी समझ में नहीं आ रहा था।
“रुको अभी चेक कर लेते हैं।” यह कहकर क्रिस्टी ने अपनी जेब में रखा एक फल निकाला और उसे कुछ दूरी पर फेंक दिया।
वह फल नीचे जाने की जगह तेजी से ऊपर जमीन की ओर चला गया।
“अब समझे, जमीन और उसका गुरुत्वाकर्षण ऊपर की ओर ही है, हम लोग सिर्फ ऊंचाई पर खड़े हैं और हमें उल्टा दिख रहा है बस। ....और अगर तुमने यहां से कूदने की कोशिश की तो तुम्हारी हड्डियां भी टूट जायेंगी या फिर तुम मर भी सकते है, क्यों कि हमारी ऊंचाई बहुत ज्यादा है।” क्रिस्टी ने ऐलेक्स को समझाते हुए कहा।
सुयश ने कहा- “मुझे तो लगता है कि अवश्य ही अब इन बादलों में कुछ ना कुछ छिपा है...खाली हाथ तो हम लोग इस द्वार को पार नहीं कर पायेंगे।”
सुयश की बात सुन सभी उस सफेद बादल में हाथ डालकर, टटोल कर कुछ ढूंढने की कोशिश करने लगे।
तभी शैफाली का हाथ बादल में मौजूद किसी चीज से टकराया। शैफाली ने उस चीज को खींचकर निकाल लिया। वह एक 3 फुट का वर्गाकार शीशा था।
“पहले मेरे दिमाग में यह बात क्यों नहीं आयी।” सुयश ने शीशे को देख अपने सिर पर हाथ मारते हुए कहा- “और ढूंढो...हो सकता है कि कुछ और भी यहां पर हो ?”
तभी जेनिथ ने खुशी से कहा- “कैप्टेन, मुझे यह छड़ी मिली है।” सुयश ने जेनिथ के हाथ में थमी छड़ी को देखा। वह एक साधारण लकड़ी की छड़ी लग रही थी।
सभी फिर से बादलों से कुछ और पाने की चाह में उन बादलों का मंथन करने लगे। पर काफी देर ढूंढने के बाद भी बादलों से कुछ और ना मिला।
“यहां तो सिर्फ एक शीशा और छड़ी थी, इन दोनों के द्वारा भला हम चंद्रमा तक कैसे पहुंच सकते हैं?” क्रिस्टी ने कहा।
“इन दोनों के द्वारा हम चंद्रमा तक नहीं पहुंच सकते, पर इनका कुछ ना कुछ तो उपयोग है।” यह कहकर सुयश ने शीशे को चंद्रमा की रोशनी की ओर कर दिया, पर उसमें चंद्रमा की परछाईं दिखने के सिवा कुछ नहीं हुआ।
धीरे-धीरे कई घंटे और बीत गये। अब चंद्रमा फिर से सूर्य में परिवर्तित होने लगा।
सूर्य की पहली किरण सुयश के माथे से आकर टकराई, तभी सुयश के दिमाग में एक विचार कौंधा।
अब सुयश ने शैफाली से शीशा लेकर सूर्य की दिशा में कर दिया।
सूर्य की किरणें शीशे से टकरा कर परावर्तित होने लगीं। अब सुयश ने जमीन की ओर ध्यान से देखा।
खेत में बैठा किसान बीज बोने के बाद, बार-बार ऊपर बादलों की ओर देख रहा था। कभी-कभी वह अपने माथे पर आये पसीने को, अपने कंधे पर रखे कपड़े से पोंछ रहा था।
अब सुयश की निगाह इंद्र की मूर्ति पर पड़ी। इंद्र की मूर्ति देखने के बाद सुयश के चेहरे पर मुस्कान बिखर गई।
सुयश की मुस्कान देखकर सभी समझ गये कि सुयश को अवश्य कोई ना कोई उपाय मिल गया है?
“कुछ समझ में आया तुम लोगों को?” सुयश ने सभी से पूछा। सभी ने ना में सिर हिला दिया।
यह देख सुयश ने बोलना शुरु कर दिया- “मुझे भी अभी सबकुछ तो समझ में नहीं आया है, पर उस किसान को देखकर यह साफ पता चल रहा है कि उसे बीज बोने के बाद बारिश का इंतजार है और वह बारिश हमें करानी पड़ेगी।”
“यह कैसे संभव है कैप्टेन? हम भला बारिश कैसे करा सकते हैं?” तौफीक ने सुयश का मुंह देखते हुए आश्चर्य से पूछा।
“संभव है....मगर पहले मुझे ये बताओ कि धरती पर बारिश होती कैसे है?” सुयश ने उल्टा तौफीक से ही सवाल कर दिया।
“समुद्र का पानी, सूर्य की गर्मी से वाष्पीकृत होकर, बादलों का रुप ले लेता है और बादल जब आपस में टकराते हैं या फिर उनमें पानी की मात्रा ज्यादा हो जाती है, तो वह बूंदों के रुप में धरती की प्यास बुझाते हैं।” तौफीक ने कहा।
“अब जरा जमीन की ओर देखो। सूर्य की रोशनी उस तालाब के ऊपर नहीं पड़ रही है, इसीलिये किसान के खेत पर बारिश नहीं हो रही है।” सुयश ने तालाब की ओर इशारा करते हुए कहा।
“पर हम सूर्य की रोशनी को तालाब की ओर कैसे मोड़ पायेंगे?” क्रिस्टी के चेहरे पर उलझन के भाव नजर आये।
“इस शीशे की मदद से।” सुयश ने कहा- “इसकी मदद से हम सूर्य के प्रकाश को परावर्तित कर उस तालाब पर डाल सकते हैं।”
“पर यह प्रक्रिया तो बहुत लंबी चलती है। क्या हमें शीशा इतनी देर तक पकड़े रखना पड़ेगा?” ऐलेक्स ने पूछा।
“पता नहीं कितना समय लगेगा, पर इसके सिवा दूसरा कोई रास्ता भी नहीं है?” यह कहकर सुयश ने शीशे को इस प्रकार पकड़ लिया, कि अब सूर्य की रोशनी उससे परावर्तित होकर तालाब पर जाकर पड़ने लगी।
लगभग 2 घंटे की अपार सफलता के बाद, तालाब का पानी वाष्पीकृत होकर बादलों का रुप लेने लगा।
यह देख सभी में नयी ऊर्जा का संचार हो गया। अब सभी बारी-बारी शीशे को पकड़ रहे थे।
अब उनके सफेद बादल का रंग धीरे-धीरे काला होने लगा।
लगभग आधे दिन के बाद उनके बादलों का रंग पूर्ण काला हो गया। अब उस बादल के बीच बिजली भी कड़क रही थी, पर आश्चर्यजनक तरीके से वह बिजली इनमें से किसी को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचा रही थी।
बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली की चमक देख किसान खुशी से नाचने लगा।
पर बादलों को बरसाना कैसे था? यह किसी को नहीं पता था?
सुयश की निगाह अब जेनिथ के हाथ में पकड़ी छड़ी की ओर गई। सुयश ने वह छड़ी जेनिथ के हाथ से ले ली।
सुयश ने बादल पर जैसे ही वह छड़ी मारी, बादल से जोर की आवाज करती बिजली निकली और जमीन पर स्थित उस घर के ऊपर बने तीर में समा गई।
सुयश ने 2-3 बार ऐसे ही किया। अब बादल से तेज मूसलाधार बारिश शुरु हो गई और धरा की प्यास बुझाने, पृथ्वी की ओर जाने लगी।
बहुत ही विचित्र नजारा था। बादलों से निकली हर बूंद ऊपर की ओर जा रही थी।
तभी सूर्य के सतरंगी प्रकाश से आसमान में एक बड़ा इंद्रधनुष बन गया। सभी को पता था कि यह सब कुछ असली नहीं है, फिर भी वह सभी मंत्रमुग्ध से प्रकृति के इस सुंदर दृश्य को निहार रहे थे।
बूंदों ने अब किसान के खेत पर बरसना शुरु कर दिया। बूंदों के पड़ते ही अचानक किसान का बोया हुआ बीज अंकुरित हो गया।
कुछ ही देर में वह अंकुरित बीज एक लता का रुप ले उस बादल की ओर बढ़ने लगा।
सभी आश्चर्य से उस पृथ्वी के पौधे को बढ़ता हुआ देख रहे थे। 10 मिनट में ही उस लता धारी वृक्ष ने, बादलों से पृथ्वी तक एक विचित्र पुल का निर्माण कर दिया।
तभी वह शीशा और छड़ी गायब हो गये।
“यही है वह रास्ता, जिससे होकर हमें पृथ्वी तक पहुंचना है।” सुयश ने धीरे से पेड़ की लताओं को पकड़ा और सरककर नीचे जाने लगा।
सुयश को ऐसा करते देख, सभी उसी प्रकार से सुयश के पीछे आसमान से उतरने लगे। कुछ ही देर बाद सभी जमीन पर थे।
“अब जाकर कुछ बेहतर महसूस हुआ।” ऐलेक्स ने लंबी साँस छोड़ते हुए कहा- “ऊपर से उल्टा देखते-देखते दिमाग चकरा गया था।
सुयश ने अब खेत के चारो ओर देखा। सभी के बादलों से उतरते ही वह पेड़ और किसान दोनों ही गायब हो गये थे।
सुयश सभी को लेकर खेत से बाहर आ गया। बाहर अब 2 ही मूर्तियां दिख रहीं थीं।
“कैप्टेन, यह 3 मूर्तियां कहां गायब हो गईं?” क्रिस्टी ने कहा।
“जिन मूर्तिंयों का कार्य खत्म हो गया, वह मूर्तियां स्वतः गायब हो गयीं। जैसे सूर्य की मूर्ति का कार्य सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करने तक था। इंद्र की मूर्ति का कार्य बिजली और बारिश तक ही सीमित था और पृथ्वी की मूर्ति का कार्य पेड़ को बड़ा होने तक था।” सुयश ने सभी को समझाते हुए कहा।
“इसका मतलब अब चंद्र और पवन का काम बचा है।” जेनिथ ने कहा।
“बिल्कुल ठीक कहा जेनिथ...और इन्हीं 2 मूर्तियों के कार्य के द्वारा ही हम तिलिस्मा के इस द्वार को पार कर पायेंगे।” सुयश ने जेनिथ को देखते हुए कहा- ‘चलो सबसे पहले उस जमीन पर पड़ी पवनचक्की को
देखते हैं। जरुर उसी से हमें चंद्रमा तक जाने का रास्ता मिलेगा।”
सभी को सुयश की बात सही लगी, इसलिये वह तालाब के किनारे स्थित उस मैदान तक जा पहुंचे, जहां पर जमीन पर वह पवनचक्की पड़ी थी।
पवनचक्की का आकार काफी बड़ा था। उस पवनचक्की के बीच में एक गोल प्लेटफार्म बना था। उस प्लेटफार्म पर चढ़ने के लिये सीढियां बनीं थीं।
सभी सीढ़ियां चढ़कर उस प्लेटफार्म के ऊपर आ गये। प्लेटफार्म के ऊपर एक बड़ा सा लीवर लगा था।
प्लेटफार्म का ऊपरी हिस्सा जालीदार था, जो कि एक मजबूत धातु से बना लग रहा था। उस जालीदार हिस्से के नीचे नीले रंग का कोई द्रव भरा हुआ था।
“वह द्रव किस प्रकार का हो सकता है?” तौफीक ने कहा - “वह ऐसी जगह पर रखा है जो कि पूरी तरह से बंद है इसलिये हम सिर्फ उसे देख ही सकते हैं।”
“मैं उस द्रव को सूंघ भी सकता हूं।” ऐलेक्स ने अपनी नाक पर जोर देते हुए कहा- “वह किसी प्रकार का ‘कास्टिक’ है, जिससे साबुन बनाया जाता है।”
“साबुन???” जेनिथ ने आश्चर्य से कहा- “साबुन का यहां क्या काम हो सकता है?”
“कोई भी काम हो...पर अब यह तो श्योर हो गया है कि यही पवनचक्की हमें चंद्रमा तक पहुंचायेगी क्यों कि एक तो यह बिल्कुल सूर्य के नीचे है और दूसरा अभी पवनदेव का काम बचा हुआ है....अब बस ये देखना है कि इस पवनचक्की को शुरु कैसे करना है?” सुयश ने कहा- “चलो चलकर उस कमरे को भी देख लें, हो सकता है कि पवनचक्की का नियंत्रण उसी कमरे में ही हो?”
सभी पवनचक्की के पास बने, उस कमरे के अंदर आ गये। कमरे में एक बहुत बड़ी सी मशीन रखी थी, जिसमें कुछ लाल रंग की लाइट जल रहीं थीं।
सुयश ने ध्यान से पूरी मशीन को देखा और फिर बोल उठा- “पवनचक्की इस मशीन से ही चलेगी। इस कमरे की छत पर जो तीर लगा है, असल में वह तड़ित-चालक (लाइटनिंग अरेस्टर) है, जिसका प्रयोग नये भवनों के निर्माण में किया जाता है।
"तड़ित चालक भवनों के ऊपर गिरने वाली आसमानी बिजली को, जमीन के अंदर भेज कर भवनों की सुरक्षा करता है। पर इस कमरे पर लगे, तड़ित-चालक पर जब बिजली गिरी तो उसने सारी बिजली को इस मशीन में सुरक्षित कर लिया था। अब उसी बिजली के द्वारा पवन-चक्की को हम चला सकते हैं और वह पवनचक्की हमें किसी ना किसी प्रकार से चंद्रमा पर भेज देगी।”
“इसका मतलब इसे शुरु करने के बाद हमें पवनचक्की पर मौजद उस प्लेटफार्म पर जाकर खड़े होना होगा और वहां मौजूद लीवर को दबाते ही, पवनचक्की हमें चंद्रमा पर भेज देगी।” क्रिस्टी ने कहा।
“बिल्कुल ठीक कहा क्रिस्टी...जरुर ऐसा ही होगा।” जेनिथ ने भी क्रिस्टी की हां में हां मिलाते हुए कहा।
“तो फिर देर किस बात की, चलिये मशीन को शुरु करके एक बार देख तो लें।” ऐलेक्स ने कहा।
सुयश ने सिर हिलाया और मशीन से कुछ दूरी पर लगे, एक ऑन बटन को दबा दिया, पर ऑन बटन के दबाने के बाद भी मशीन शुरु नहीं हुई।
अब सुयश फिर ध्यान से उस मशीन के मैकेनिज्म को समझने की कोशिश करने लगा।
“यह मशीन ऐसे स्टार्ट नहीं होगी।” नक्षत्रा ने जेनिथ को समझाते हुए कहा- “इस मशीन का कोई भी कनेक्शन ऑन बटन के साथ नहीं है, इसका मतलब मशीन के ऑन बटन को स्टार्ट करने के लिये कोई और तरीका है....जेनिथ जरा एक बार कमरे में पूरा घूमो...मैं देखना चाहता हूं कि यहां और क्या-क्या है?”
नक्षत्रा के ऐसा कहने पर जेनिथ कमरे में चारो ओर घूमने लगी।
तभी एक छोटी सी मशीन को देख नक्षत्रा ने जेनिथ को रुकने का इशारा किया- “यह मशीन टरबाइन की तरह लग रही है, और यही छोटी मशीन, एक तार के माध्यम से ऑन बटन के साथ जुड़ी है...तुम एक काम करो सुयश को यह सारी चीजें बता दो, मैं जानता हूं कि वह समझ जायेगा कि उसे आगे क्या करना है?”
जेनिथ ने नक्षत्रा की सारी बातें सुयश को समझा दीं।
“ओ.के. टरबाइन को चलाने के लिये हमें किसी सोर्स की जरुरत होती है, फिर चाहे वह हवा हो या फिर पानी.....पानी....बिल्कुल सही, ये टरबाइन तालाब की लहरों से स्टार्ट किया जा सकता है और देखो इसका तार भी बहुत लंबा है।”
सुयश अब तौफीक और ऐलेक्स की मदद से उस भारी टरबाइन को लेकर तालाब के किनारे आ गया।
तालाब के किनारे टरबाइन को रखने का एक प्लेटफार्म भी बना था, पर इस समय तालाब का पानी बिल्कुल शांत था।
यह देख सुयश का चेहरा मुर्झा सा गया।
“क्या हुआ कैप्टेन? आप उदास क्यों हो गये?” ऐलेक्स ने कहा- “आपने तो कहा था कि तालाब के पानी से यह टरबाइन चलायी जा सकती है?”
“जब हम ऊपर बादलों पर थे, तो तालाब का पानी किसी समुद्र की लहर की भांति काम कर रहा था, पर अभी यह बिल्कुल शांत है और टरबाइन को चलाने के लिये हमें लहरों की जरुरत पड़ेगी।” सुयश ने कहा।
“कैप्टेन अंकल, आप परेशान मत होइये, मैं जानती हूं कि तालाब का पानी अभी शांत क्यों है?” शैफाली ने कहा।
शैफाली के शब्द सुन सुयश आश्चर्य से शैफाली की ओर देखने लगा।
“कैप्टेन अंकल समुद्र की लहरों के लिये चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण ही जिम्मेदार माना जाता है और आप देख रहे हैं कि अभी दिन है और आसमान में सूर्य निकला हुआ है। मुझे लगता है कि जैसे ही शाम होगी और आसमान में चंद्रमा निकलेगा, तालाब का पानी फिर से लहरों में परिवर्तित हो जायेगा और वैसे भी हम दिन में आसमान में जाकर करेंगे भी तो क्या? यहां से निकलने का द्वार तो चंद्रमा में मौजूद है। इसलिये आप बस थोड़ा सा इंतजार कर लीजिये बस...।” शैफाली ने कहा।
शैफाली के शब्दों से एक पल में सुयश सब कुछ समझ गया।
“अच्छा तो इसी के साथ पवन और चंद्रमा की मूर्तियों का कार्य भी पूर्ण हो जायेगा।” सुयश ने खुश होते हुए कहा।
सभी अब चुपचाप वहीं बैठकर चंद्रमा के आने का इंतजार करने लगे।
जैसे ही सूर्य पूरी तरह से सफेद हुआ, शैफाली के कहे अनुसार तालाब का पानी लहरों में परिवर्तित होकर हिलोरें मारने लगा।
तालाब की लहरें अब टरबाइन पर गिरने लगीं, जिससे टरबाइन के अंदर मौजूद ब्लेड ने घूमना शुरु कर दिया।
सुयश टरबाइन पर पानी गिरता देख, भागकर कमरे में पहुंचा और उस मशीन का ऑन बटन दबा दिया।
एक घरघराहट के साथ मशीन ऑन हो गई। यह देख सुयश सभी को साथ लेकर पवनचक्की के ऊपर मौजूद जालीदार प्लेटफार्म पर पहुंच गया।
सुयश ने एक बार सभी को देखा और फिर वहां मौजूद उस लीवर को नीचे की ओर कर दिया।
एक गड़गड़ाहट के साथ विशालकाय पवनचक्की घूमना शुरु हो गई।
जहां सभी एक ओर इक्साइटेड भी थे, वहीं पर सावधान भी थे।
पवनचक्की ने जैसे ही गति पकड़ी, प्लेटफार्म के नीचे मौजूद नीले रंग का कास्टिक तेजी से जाली के ऊपर की ओर आया और जाली पर एक
विशालकाय बुलबुला बन गया।
सभी उस बुलबुले के अंदर बंद हो गये और इसी के साथ वह बुलबुला पवनचक्की की तेज हवाओं से ऊपर आसमान की ओर जाने लगा।
ऐलेक्स को छोड़ सभी को एकाएक शैफाली का बुलबुला और ज्वालामुखी वाला सीन याद आ गया।
“अब समझ में आया कि वहां नीचे कास्टिक क्यों रखा था।” सुयश ने मुस्कुराते हुए कहा।
“अपने ऐलेक्स की नाक तो बिल्कुल कुत्ते जैसी हो गई।” क्रिस्टी ने ऐलेक्स का मजाक उड़ाते हुए कहा।
“और तुम्हारी आँखें भी तो....।” कहते-कहते ऐलेक्स रुक गया।
“हां-हां बोलो-बोलो मेरी आँखें भी तो....किसी जानवर से मिलती ही होंगी।” क्रिस्टी ने मुंह बनाते हुए कहा।
“हां तुम्हारी आँखें बिल्कुल जलपरी के जैसी हैं, जी चाहता है कि इसमें डूब जाऊं।” अचानक से ऐलेक्स ने सुर ही बदल दिया।
क्रिस्टी को ऐलेक्स से इस तरह के जवाब की उम्मीद नहीं थी, इसलिये वह शर्मा सी गई।
“और तुम्हारा चेहरा इस चंद्रमा से भी ज्यादा खूबसूरत है।” ऐलेक्स क्रिस्टी को शर्माते देख किसी शायर की तरह क्रिस्टी की तारीफ करने लगा।
“चांद पर थोड़ा गुरूर हम भी कर लें,
पर मेरी नजरें पहले महबूब से तो हटें..!!
सभी क्रिस्टी और ऐलेक्स की इन मीठी बातों का आनन्द उठा रहे थे।
उधर वह बुलबुला धीरे-धीरे हवा में तैरता हुआ चंद्रमा तक जा पहुंचा।
सभी के चंद्रमा पर उतरते ही वह बुलबुला हवा में फट गया।
बुलबुले के फटते ही सभी चंद्रमा पर उतर गये और चंद्रमा के द्वार में प्रवेश कर गये।
जारी रहेगा_____![]()