• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

dil_he_dil_main

Royal 🤴
476
1,042
123
#172.

चैपटर-12
ग्रीष्म ऋतु-2:
(तिलिस्मा 4.2)

सुयश सहित सभी लोग 41 नंबर पर खड़े थे। 50 नंबर पर यूरेनस ग्रह चक्कर लगा रहा था।

41 से 50 के बीच बहुत ही गर्म सा कोई द्रव भरा हुआ नजर आ रहा था, जिसमें 41 वाली साइड एक नाव खड़ी थी।

“यह तो कोई आसान सा कार्य लग रहा है, क्यों कि हमें उस पार जाने के लिये पानी में एक बोट भी दी गई है।” ऐलेक्स ने कहा।

“तिलिस्मा में कोई कार्य आसान नहीं है।” क्रिस्टी ने उस बोट को देखते हुए कहा- “जरुर कैश्वर ने इस कार्य में भी कोई ना कोई पेंच डाल रखा होगा?”

तभी उस द्रव से धुंए की एक लकीर उठी और उसने हवा में एक नयी कविता लिख दी-
“जिसमें रहती उसी को खाए,
फिर भी नाव को पार लगाये।”

“अब इस पहेली का क्या मतलब हुआ?” जेनिथ ने अपना सिर पकड़ते हुए कहा।

कुछ देर तक सभी इस पहेली का मतलब समझने की कोशिश करते रहे, परंतु जब काफी देर तक किसी को कुछ समझ में नहीं आया, तो तौफीक बोल उठा- “मुझे नहीं लगता कि हमें अभी इतना दिमाग लगाने की जरुरत है कैप्टेन....अगर हमारे सामने एक नाव खड़ी है, जो इस गर्म द्रव से बचाकर हमें उस पार पहुंचा सकती है, तो पहले हमें उसमें बैठकर उस पार पहुंचने की कोशिश करनी चाहिये, अगर हमें कोई परेशानी आती है, तब हमको इतना सोचना चाहिये, बिना पानी में उतरे, हम कुछ खास सोच नहीं पायेंगे, क्यों कि हमें पता ही नहीं है कि हमें सोचना क्या है?”

तौफीक की बात सभी को सही लगी, इसलिये सभी उतर कर नाव में बैठ गये।

नाव के दोनों ओर बैठने की लिये सीट लगीं थीं। सभी उन सीटों पर बैठ गये।

नाव में एक 2 फुट का धातु का पैन (किचन में कार्य में लाया जाने वाला एक बर्तन) रखा था, जिसे तौफीक ने चप्पू समझ हाथ में उठा लिया, पर जब तौफीक ने पैन को उस द्रव में डालकर नाव को चलाने की कोशिश की, तो वह पैन उस नाव को हिला भी नहीं पाया।

“कैप्टेन यह तो बहुत ही गाढ़ा द्रव है, हम इस अकेले पैन से इस नाव को नहीं चला सकते।” तौफीक ने सुयश को देखते हुए कहा- “ऊपर से यह गर्म बहुत दिख रहा है, ऐसे में हम इसमें हाथ भी नहीं डाल सकते, तो फिर हम इस नाव को चलायेंगे कैसे?”

“तुमने कहा तो था तौफीक कि नाव में बैठने के बाद ही हमें असली समस्या का पता चलेगा, लो अब पता चल गयी असली समस्या। असली समस्या इस नाव को चलाने की है।” सुयश ने कहा- “अब हमें एक बार फिर ध्यान से इस नाव को उस पहेली से मैच कराना होगा, तभी इस समस्या से हमें छुटकारा मिलेगा।”

“कैप्टेन अंकल, बाहर जो द्रव दिखाई दे रहा है, मैं बहुत देर से उसे पहचानने की कोशिश कर रही हूं, अब मुझे उसकी गंध से पता चल गया कि वह द्रव असल में मोम है।”

“मोम????” मोम शब्द सुनते ही अचानक से सुयश को झटका लगा, अब वह कुछ सोच में पड़ गया।

कुछ देर सोचते रहने के बाद सुयश नाव की सीट से खड़ा हुआ और ध्यान से उस नाव का अगला हिस्सा देखने लगा। नाव का अगला हिस्सा देखने के बाद सुयश ने तौफीक के हाथ से वह पैन ले लिया और उसे देखने लगा।

पैन को देखने के बाद अब सुयश के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और वह बोला- “मिल गया इस पहेली का हल।”

सुयश की बात सुन सभी सुयश की ओर देखने लगे।

“इस पहेली की पहली पंक्ति हैं कि ‘जिसमें रहती उसी को खाए’ यानि की मोमबत्ती का धागा.....मोमबत्ती का धागा, जिसमें रहता है, उसी को खाता है, पहेली की दूसरी पंक्ति है “फिर भी नाव को पार लगाये’ यानि
की हम इस नाव को मोमबत्ती से चला सकते हैं।” सुयश ने कहा।

“मोमबत्ती से?” क्रिस्टी आश्चर्य से सुयश का चेहरा देखने लगी- “मोमबत्ती से नाव कैसे चलेगी कैप्टेन?”

“चलेगी।....लगता है कि तुमने अपने बचपन में ‘पॉप-पॉप बोट’ नहीं चलाई है क्रिस्टी।” सुयश ने मुस्कुराते हुए कहा - “पॉप-पॉप बोट को हम मोमबत्ती के द्वारा भाप बनाकर चलाते थे।....रुको मैं तुम्हें यह करके दिखाता हूं।”

“मैं आपकी बात समझ गया कैप्टेन।” तौफीक ने सुयश को देखते हुए कहा- “मैंने बचपन में यह बोट चलाई है, पर आप यह बताइये कि हमारे पास ना तो यहां मोमबत्ती में लगाने वाला कोई धागा है और ना ही आग.... फिर हम मोमबत्ती बनायेंगे कैसे?”

“बताने की जगह मैं करके दिखाता हूं।” यह कहकर सुयश ने पैन को उस द्रव में डालकर उसे मोम से भर लिया।

मोम अभी गीला था, यह देखकर सुयश ने अपनी जेब से वह डोरी निकाल ली, जो खोपड़ी की माला में बंधी थी, उस डोरी को अभी तक सुयश ने फेंका नहीं था।

सुयश ने उस डोरी को उस पैन के एक किनारे पर द्रव में डाल दिया। कुछ ही देर में मोम सूख गया। अब वह पैन एक मोमबत्ती का रुप धारण कर चुका था।

सुयश ने अपने बैग से अब 2 पत्थरों को निकाला और उन्हें रगड़ कर उनसे आग बना ली। सुयश ने इस आग से मोमबत्ती रुपी पैन को जला लिया और उसे नाव के अगले भाग में रख दिया।

कुछ ही देर में नाव के पीछे मौजूद पाइप से ‘फट्-फट्’ की आवाज निकलने लगी और नाव सभी को लेकर दूसरी दिशा की ओर चल दी।

दूसरी दिशा से कुछ पहले ही सुयश ने पैन को नाव से हटा दिया, जिससे नाव उन सभी को दूसरी ओर पहुंचा कर बंद हो गई। सभी उतरकर 50 नंबर पर खड़े हो गये।

“वाह! यह कार्य तो कैप्टेन के रहते आसान बन गया।” क्रिस्टी ने सुयश की तारीफ करते हुए कहा- “पर ये बताइये कैप्टेन, कि आपने यह पत्थर कब अपने बैग में रख लिये। क्यों कि जब अलबर्ट सर ने हमें आग से बचाया था, उस समय तो हमारे पास कुछ जलाने के लिये था ही नहीं। तभी अलबर्ट सर ने अपने चश्में से आग जलाई थी।”

“बस उसी घटना के बाद से मुझे समझ आ गया था कि आग की जरुरत हमें कहीं भी पड़ सकती है, इसलिये मैंने रास्ते में एक जगह से यह 2 पत्थर उठा लिये थे।” सुयश ने कहा।

“पर कैप्टेन, नाव तो लकड़ी की थी, फिर आपके आग लगाने से वह जली क्यों नहीं?” जेनिथ ने पूछा।

“पूरी नाव लकड़ी की थी, पर नाव का आगे का ऊपरी हिस्सा टिन से बना था, पर वह टिन का रंग लकड़ी की भांति था, मैंने सबसे पहले यही तो चेक किया था और उस टिन के हिस्से से 2 पतली धातु की पाइप नाव के पिछले हिस्से की ओर जा रही थी। बस इसी को देख मैं पहेली का मतलब समझ गया था।” सुयश ने कहा।

“पर एक बात कमाल की है कैप्टेन।” ऐलेक्स ने कहा- “आपने जो खोपड़ी की माला का धागा अभी तक बचा कर रखा था, कोई सोच भी नहीं सकता था कि वह तिलिस्मा में कहीं हमारे काम भी आ सकता है।”

“मैंने जबसे यह सुना था कि तिलिस्मा में कोई चमत्कारी शक्ति काम नहीं करेगी, तभी से हर छोटी से छोटी चीज को अपने बैग में जमा करना शुरु कर दिया था। क्यों कि मुझे पता है कि हर छोटी से छोटी चीज कभी तो काम आती है।” सुयश ने सभी को देखते हुए जवाब दिया।

“आप इतनी छोटी से छोटी चीज पर ध्यान कैसे दे लेते हैं कैप्टेन?” तौफीक ने सुयश से सवाल किया।

“सुयश, शायद इतनी छोटी से छोटी चीज पर कभी ध्यान नहीं देता, पर आर्यन ने तो अपनी जिंदगी के 10 बहुमूल्य वर्ष, वेदालय में यही सब तो किया था, माना कि अभी यादें थोड़ी धुंधली हैं, पर हैं तो मेरे ही दिमाग
में।” सुयश ने अतीत काल में एक डुबकी लगाते हुए जवाब दिया।

सभी अब 51 नंबर पर जाकर खड़े हो गये। 60 नंबर पर शनि ग्रह नाचता दिखाई दे रहा था।

51 से 60 के बीच में लावा फैला हुआ दिखाई दे रहा था। वहां पर पास में 2 लंबे से धातु के पतले खंभे रखे थे, जिनके ऊपर के सिरे पर लगभग, 4 फुट की ऊंचाई पर एक छोटा सा बेस बना था।

देखने पर वह खंभे किसी सर्कस के जोकर वाले खंभे दिख रहे थे, जो कि जोकर अपने पैर में बांधकर चलने के लिये प्रयोग में लाते हैं।

“यह खंभे तो स्टिल्ट वॉकिंग के लिये प्रयोग किये जाते हैं” जेनिथ ने कहा- “आज के समय में बहुत से देशों में स्टिल्ट वॉकिंग की प्रतियोगिताएं कराई जाती हैं।”

एक बार फिर सभी को हवा में लावे से लिखी 2 पंक्तियां दिखाई दीं।
“आगे चलो तो मंजिल भागे,
उल्टा चलो आ जाओ आगे।”

“लगता है कि इस बार इन खंभों के माध्यम से हमें उस पार जाना होगा।” ऐलेक्स ने कहा- “अब ये कार्य हममें से कौन आसानी से कर सकता है?”

ऐलेक्स की बात सुनते ही सभी की निगाहें स्वतः ही क्रिस्टी की ओर चलीं गईं क्यों कि ऐसे कार्य में तो वही सिद्धहस्त थी।

सभी को अपनी ओर देखते पाकर क्रिस्टी ने उन खंभों को उठाकर उनके वजन का अंदाजा लगाया और एक खंभे को लावे में डालकर देखा। पता नहीं वह खंभा किस धातु का बना था? कि लावे में डालने पर भी उस खंभे का कुछ नहीं हुआ?

अब क्रिस्टी ने दूसरा खंभा भी लावे में डाल दिया और उछलकर एक खंभे पर अपना बांया पैर रख लिया, क्रिस्टी ने दूसरे खंभे को भी अपने हाथों से नहीं छोड़ा था।

एक खंभे पर अपने शरीर का बैंलेस बनाने के बाद क्रिस्टी ने अपना दाहिना पैर दूसरे खंभे पर रख दिया।

अब क्रिस्टी के दोनों पैर 2 खंभों पर थे और वह पूरी तरह से उन दोनों खंभों के सहारे खड़ी थी।
क्रिस्टी ने अब अपना बांया पैर धीरे से हवा में उठा कर उस खंभे को आगे बढ़ाया।

एक बार अच्छी तरह से बैंलेस बन जाने के बाद अब क्रिस्टी ने अपना दाहिना पैर हवा में उठाकर दाहिनी ओर वाले खंभे को भी आगे बढ़ाया। इस प्रकार क्रिस्टी किसी सर्कस के अभ्यस्त जोकर की तरह आगे बढ़ने लगी।

तभी क्रिस्टी को वह दोनों खंभे धीरे-धीरे गर्म होते हुए महसूस हुए, पर मंजिल अब ज्यादा दूर नहीं थी इसलिये क्रिस्टी लगातार आगे बढ़ती रही।

अब क्रिस्टी की दूरी 60 नंबर से मात्र 15 फुट ही बची थी, क्रिस्टी ने फिर से अपने पैर को आगे बढ़ाया, क्रिस्टी के आगे बढ़ने के बाद अब उस दूरी को घट जाना चाहिये था, पर आश्चर्यजनक तरीके से वह दूरी घटी ही नहीं।

यह देख क्रिस्टी आश्चर्य से भर उठी। उसने फिर से अपना पैर आगे बढ़ाया, पर क्रिस्टी को एक बार फिर दूरी उतनी ही दिखाई दी।

“कैप्टेन, कुछ गड़बड़ है, मैं बार-बार आगे बढ़ रही हूं, पर मैं जितना आगे बढ़ती हूं, मेरे सामने की दूरी उतनी ही मुझसे दूर जा रही है।” क्रिस्टी ने घबरा कर कहा- “इधर मेरे हाथ में मौजूद खंभे भी लावे की वजह से लगातार गर्म होते जा रहे हैं, अगर यही कुछ देर तक चलता रहा तो मैं इस कार्य को पूरा नहीं कर पाऊंगी।”

“मुझे पहले ही पता था कि कुछ ना कुछ गड़बड़ तो होगी ही।” सुयश ने चिल्लाकर कहा- “हमें उन कविता की पंक्तियों को ही ध्यान से समझना होगा, उन्हीं पंक्तियों में ही इस पहेली का राज छिपा होगा?”

“कैप्टेन इन कविता की पंक्तियों के हिसाब से तो मुझे इन खंभो के साथ उल्टा चलना होगा, पर उल्टा चलकर इन खंभों पर बैंलेस बनाना कैसे संभव है?” क्रिस्टी ने कहा।

“तुम कर सकती हो क्रिस्टी ” ऐलेक्स ने चीखकर क्रिस्टी का हौसला बढ़ाया- “तुम हममें से सबसे अलग हो इसी लिये तिलिस्मा ने तुम्हें चुना है, मुझे पता है कि तुम यह कर सकती हो। अब अपने डर को छोड़ो और जल्दी कोशिश करो, नहीं तो यह लावा तुम्हारे खंभे के द्वारा तुम्हारा हाथ जलाना शुरु कर देगा, फिर यह कार्य बिल्कुल असंभव हो जायेगा।”

क्रिस्टी ने ऐलेक्स के शब्दों को सुना और धीरे-धीरे अपना बैलेंस बनाकर मुड़ गयी।

अब क्रिस्टी की नजरें ऐलेक्स से मिलीं और क्रिस्टी के चेहरे पर एक विश्वास की झलक दिखने लगी।

क्रिस्टी ने धीरे-धीरे अपना एक कदम पीछे की ओर बढ़ाया, क्रिस्टी का यह प्रयास सफल रहा, अब क्रिस्टी की दूरी मात्र 10 फुट ही पीछे की ओर बची थी।

पर अब खंभे इतने ज्यादा गर्म हो गये थे कि क्रिस्टी का उसे पकड़े रह पाना असंभव हो गया। अतः क्रिस्टी ने उन खंभों को अपने हाथ से छोड़ दिया।

अब क्रिस्टी बिना किसी सपोर्ट के उन खंभों पर खड़ी थी। क्रिस्टी ने ऐलेक्स को देख नजरें मिलायीं और मुस्कुरा कर अपना शरीर पीछे की ओर गिरा दिया।

यह देख ऐलेक्स के मुंह से चीख निकल गई- “क्रिस्टी ऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ!”

क्रिस्टी का शरीर अनियंत्रित हो कर पीछे की ओर गिरने लगा, पर....पर क्रिस्टी का शरीर लावे में नहीं बल्कि 60 नंबर पर जाकर गिरा क्यों कि क्रिस्टी की दूरी भी 10 फुट बची थी और जमीन से क्रिस्टी की ऊंचाई 11 फुट थी।

क्रिस्टी उठकर खड़ी हो गई और मुस्कुराकर ऐलेक्स की ओर देखने लगी। तभी लावे के ऊपर पुल बन गया और ऐलेक्स भागकर आकर क्रिस्टी से लिपट गया।

“यह तुमने क्या किया था पागल?” ऐलेक्स ने क्रिस्टी को गले से लगाते हुए कहा - “अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो?”

“अरे कैसे हो जाता, मैंने पीछे की दूरी को भांप लिया था और जानबूझकर यह किया था।” क्रिस्टी ने कहा।

“चलो भाई, इन लोगों का मिलन तो चलता रहेगा, हम लोग 61 नंबर पर चलते हैं।” जेनिथ ने दोनों को देख मुस्कुरा कर कहा।

जेनिथ की बात सुनकर दोनों अलग हो गये, पर ऐलेक्स और क्रिस्टी की निगाहें अभी भी एक दूसरे की ओर ही थीं, और उन निगाहों में प्यार का अहसास भी था और दूसरे के प्रति चिंता भी।

कुछ देर बाद सभी 61 नंबर पर खड़े थे। 70 नंबर पर बृहस्पति ग्रह मौजूद था।

61 से 70 नंबर के बीच पूरे रास्ते में 12 इंच लंबे, नुकीले काँटे निकले थे और 61 नंबर के पास पतली लकड़ियों से निर्मित एक सप्तकोण टंगा था।

तभी हवा में फिर एक पहेली लिखी हुई उभरी-
“सात को अठ्ठारह में बांटें,
खत्म करें रास्ते के काँटे।”

“यह किन 7 को 18 में बांटने की बात कर रहा है?” जेनिथ ने दिमाग लगाते हुए कहा- “हम लोग भी नक्षत्रा को मिलाकर 7 ही हैं, कहीं यह हमें बांटने की बात तो नहीं कर रहा?”

“नहीं जेनिथ दीदी, वहां देखिये वह सप्तकोण भी 7 लकड़ी की एक बराबर तीलियों से बना है, मुझे लग रहा है कि कैश्वर इन्हीं तीलियों से कुछ करने को कह रहा है।” शैफाली ने जेनिथ को सप्तकोण दिखाते हुए कहा।

“अगर सप्तकोण की बात हो रही है, तो इसको बांटने के लिये तो इसे तोड़ना होगा।” ऐलेक्स ने कहा।

ऐलेक्स की बात सुन सुयश ने सप्तकोण को उतार लिया, पर जैसे ही सुयश ने सप्तकोण को उतारा, उसकी एक-एक तीलियां जमीन पर बिखर कर अलग हो गईं।

अब शैफाली ध्यान से उन तीलियों को देखने लगी। काफी देर तक देखते रहने के बाद शैफाली ने एक गहरी साँस भरी और जमीन से उठकर खड़ी हो गई।

“क्या हुआ शैफाली?” सुयश ने शैफाली को उठते देख पूछ लिया- “कुछ समझ में आया क्या?”

“कैप्टेन अंकल, मैं आपसे एक प्रश्न पूछती हूं, जो कि मैं अपने स्कूल में अपने सभी दोस्तो से पूछा करती थी।” शैफाली ने सुयश की बात का जवाब दिये बिना उल्टा एक सवाल ही कर दिया।

पर सुयश शैफाली के तर्कों से अच्छी तरह से परिचित था, इसलिये उसने मुस्कुराकर अपना सिर हां के अंदाज में हिला दिया।

सुयश को हां करते देख शैफाली ने बोलना शुरु कर दिया- “कैप्टेन, एक छत पर 30 कबूतर बैठे हैं। आपको उन सभी को 7 बार में उड़ाना है, शर्त यह है कि आपको हर बार विषम संख्या में ही कबूतर को उड़ाना होगा, तो क्या आप बता सकते है कि किस बार में कितने कबूतर आप उड़ायेंगे?”

शैफाली के प्रश्न को सुनकर सभी लोग कबूतर उड़ाने में लग गये, उधर शैफाली अपनी पहेली को सुलझाने लगी।

अजीब सा माहौल था, तिलिस्म के अंदर भी शैफाली ने सबको काम पकड़ा दिया था। लगभग 10 मिनट के बाद शैफाली की आँखें, किसी कारण से चमक उठीं।

उधर सभी अभी तक कबूतर उड़ाने में ही लगे थे।

“आप लोगों से नहीं हो पा रहा होगा, चलिये मैं आपको अपनी पहेली का उत्तर बताती हूं।” शैफाली के यह कहते ही, सभी कबूतर उड़ाना छोड़ शैफाली की ओर देखने लगे।

“कैप्टेन अंकल दरअसल मैंने आपसे जो प्रश्न किया था, उसका कोई उत्तर नहीं है।” शैफाली ने मुस्कुराते हुए कहा - “असल में गणित में 7 विषम अंको के जोड़ का उत्तर कभी ‘सम’ हो ही नहीं सकता, जबकि 30 एक सम संख्या है।”

यह सुनकर ऐलेक्स ने शैफाली के कान पकड़ लिये- “शैतान लड़की ! जब इसका उत्तर था ही नहीं, तो तुमने हम लोगों से यह प्रश्न ही क्यों पूछा? हम लोग बेवकूफों की तरह से तबसे इसका उत्तर ढूंढ रहे हैं।”

“अरे मैं यही तो आप लोगों को समझाना चाह रही थी कि 7 लकड़ियों को कभी भी तोड़कर 18 में नहीं बांट सकते?” शैफाली ने ऐलेक्स के हाथों से अपना कान छुड़ाते हुए कहा।

“तो क्या कैश्वर भी हमें बेवकूफ बना रहा था?” तौफीक ने मुस्कुराते हुए शैफाली से पूछा।

“नहीं...वह हमें बेवकूफ नहीं बना रहा था, बस इस पहेली का उत्तर जरा अलग ढंग से देने के लिये कह रहा था।”

यह कहकर शैफाली ने उन 7 लकड़ियों से रोमन अंको में 18 लिख दिया। (रोमन अंक- XVIII)
इसी के साथ वहां बने काँटें जमीन में समा गये और सभी चलते हुए 70 नंबर को पार कर 71 पर आ गये।


जारी रहेगा_____✍️
Cristy wakai me kaafi hosiyar nikli bhai, kis himmat se sambhala, and agar baat kare shefaali ki to uska to kahna hi kya? Uske dimaak ka loha to hum shuru se maante hi aaye hain :bow::bow: khair ye padaav bhi paar ho gaya, and jaisa ki dikh hi raha hai ki har baar ka padaav aur muskil hota ja raha hai. Awesome update and superb amazing writing bhai 👌🏻👌🏻👌🏻
 

dil_he_dil_main

Royal 🤴
476
1,042
123
रिव्यू की शुरुआत किया जाए

तीन सीढ़ियों को पार कर लिया गया, जिनमें हर एक की परिस्थिति बिल्कुल अलग थी। मेरा पसंदीदा तो नाव वाला सेटअप रहा, जिसमें बचपन की यादें ताज़ा हो गईं। मैंने भी बचपन में ऐसी नावें चलाई हैं घर में पड़े स्टील के बड़े टब में।

वैसे मुझे लगा था कि कंकाल की खोपड़ी को पूरी तरह निचोड़कर सब इस्तेमाल कर लिया गया होगा, लेकिन यह एक सरप्राइज़ था कि धागा अभी बचा हुआ था।
आग वाला सेटअप अच्छा था। आग वाला नहीं, बल्कि मुझे यह पानी वाले खेल जैसा लगा बिल्कुल Takeshi Castle की तरह, जहाँ ऐसे करतब दिखाकर चैलेंज पार करना होता है।

अब आगे क्रिस्टी को निपटाने का कोई प्लान है क्या?
क्योंकि मुझे कुछ-कुछ याद है कि चित्या के तिलिस्म में भी क्रिस्टी को निपटा दिया गया था। यहाँ भी कुछ वैसा ही लगा।

कहीं ऐसा तो नहीं कि यह आगे के लिए एक हिंट था कि क्रिस्टी को किसी मिलती-जुलती स्थिति में उड़ा दिया जाए?
मुझे क्या लगता है जू (लेखक) रीडर्स का काटना चाहता है।

पहले बार-बार क्रिस्टी को बचवाकर रीडर्स को विश्वास दिलाएगा कि “कुछ नहीं होने वाला, ये बच ही जाएगी”,
और फिर अचानक ऐसी स्थिति लाएगा जहाँ सच में क्रिस्टी को खत्म कर दिया जाए।

तब रीडर इंतज़ार करता रहेगा “पहले भी तो बच गई थी, अब भी बच जाएगी” और तभी झटका लगे।वैसे एलेक्स और क्रिस्टी का प्यार दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। मैं सोच रहा था कि लव स्टोरी में शलाका–आर्यन या व्योम–त्रिकाली जैसा कुछ देखने को मिलेगा ,लेकिन यहाँ इनकी कहानी बिल्कुल अलग ट्रैक पर चल रही है।

वैसे व्योम से याद आया हिमालय साइड और विदुम्ना वाला प्लॉट कहाँ है?तिलिस्म शुरू होने के बाद से उस चीज़ को स्क्रीन टाइम ही नहीं मिला।

अब जो रोमन नंबर वाला खेल था, वो काफ़ी मज़ेदार लगा।
साथ ही मैथ्स वाला पहला खेल भी बढ़िया था। मैं खुद सोचने लगा भाई, 30 कबूतरों को सम संख्या में सात बार उड़ाना ये तो काफ़ी मुश्किल था।लेकिन यहाँ कोई फॉर्मूला काम नहीं आया,यहाँ आया एक अलग लॉजिक, जिसमें रोमन नंबर की एंट्री थी।

वैसे यह दूसरी बार रोमन नंबर वाला खेल था,इससे पहले स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी में आया था।अब अगली बार अगर रोमन वाला खेल आया, तो मैं उसे डिकोड कर लूंगा।

ओवरऑल अपडेट अच्छा था।
Raj_sharma
Ye update ka review ju chat gpt se likhta hai kya bhai ?
 
Top