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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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#103.

चैपटर-14

हिमलोक:
(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 10:25, ट्रांस अंटार्कटिक पर्वत अंटार्कटिका)

विल्मर इस समय बहुत परेशान था। कल से जेम्स कुछ पता नहीं चल रहा था। इस वजह से वह काफ़ी घबराया हुआ था।

“इस कमरे में कहीं भी कोई दरवाजा नहीं है, फिर जेम्स अचानक से कमरे से कहां चला गया? कहीं सच में ही तो देवी शलाका उसे नहीं पकड़ ले गयी?" विल्मर के दिमाग में अजीब-अजीब से ख्याल आ रहे थे।

अभी विल्मर यह सब सोच ही रहा था कि तभी उसे हवा में एक द्वार बनता दिखाई दिया जो कि इस बात का घोतक था कि शलाका आ रही है।

हवा के द्वार से शलाका ने कमरे में प्रवेश किया। इस समय उसने बहुत ही मॉर्डन सी काले रंग की त्वचा से सटी (skin-tight) पोशाक पहन रखी थी। इस पोशाक में अगर कोई उसे देखता तो मान ही नहीं सकता था कि यह कोई देवी है। हर समय की तरह त्रिशूल अब भी शलाका के हाथ में था।

शलाका ने एक नजर कमरे में बैठे विल्मर पर मारी और बोल उठी- “जेम्स कहां है?“

“म ...मुझे नहीं पता ....।" विल्मर ने डरते हुए कहा- “जेम्स कल से कहीं गायब है। मुझे लगा उसे आप कहीं ले गयी है?"

शलाका की आँखें सोचने वाली मुद्रा में सिकुड गयी। उसने एक नजर पूरे कमरे पर मारी।
अब उसकी नजरें दरवाजे वाले स्टीकर पर जाकर चिपक गयी।

“इसका मतलब जेम्स ने गुप्त द्वार का प्रयोग किया है।" शलाका मन ही मन बड़बड़ायी।

“आपने कुछ कहा क्या?" विल्मर ने शलाका को बड़बड़ाते देखकर पूछा।

“नहीं... मैंने कुछ नहीं कहा और मैं जेम्स को लेकर कहीं नहीं गयी?, वो स्वयं ही गुप्त द्वार का प्रयोग करके यहां से बाहर गया है।" शलाका ने विल्मर की ओर देखते हुए कहा- “मैं उसको लाने जा रही हूँ, तब तक तुम इसी कमरे में रहो और ध्यान रहे, यहां के किसी सामान से छेड़-छाड़ करने की कोशिश मत करना, वरना तुम भी गायब हो जाओगे।" विल्मर ने हां में सिर हिलाया।

शलाका अब चलकर उस स्टीकर वाले दरवाजे के पास पहुंची और स्टीकर पर मौजूद लाल बटन को दबा दिया। बटन हरे रंग का हो गया। विल्मर आँखें फाड़े उस दृश्य को देख रहा था।

शलाका उस गुप्त द्वार में प्रवेश कर गयी। कुछ आगे चलने पर उसे चारो ओर दरवाजे ही दरवाजे नजर आये। यह देख शलाका की नजर सभी दरवाज़ों पर फिरने लगी।

कुछ देर देखने के बाद उसकी नजर एक दरवाजे पर टिक गयी। शलाका धीरे से आगे बढ़ी और उस द्वार में प्रवेश कर गयी।


वह रास्ता एक बर्फ़ की गुफा में निकला था। शलाका उस गुफा से बाहर निकली। उसे अपने अगल-बगल चारो तरफ बर्फ़ के पहाड़ दिखाई दे रहे थे।

यह स्थान देखकर शलाका की पुरानी याद ताजा हो गयी। जब वो 5000 वर्ष पहले यहां वेदालय में पढ़ती थी।

शलाका के चेहरे पर एक भीनी सी मुस्कान बिखर गयी। शलाका ने अपने आसपास देखा, पर उसे जीवन के कोई भी लक्षण वहां दिखाई नहीं दिये।

“यहां इतना सन्नाटा क्यों है, 5000 वर्ष पहले तो यह जगह पूरी तरह से जीवन से परिपूर्ण थी। इतने वर्ष में तो इस जगह को और विकसित हो जाना चाहिये था, पर यह तो बिल्कुल वीरान दिखाई दे रही है। ऐसी वीरान जगह पर तो जेम्स को ढूंढ पाना मुश्किल होगा।.....मुझे रुद्राक्ष और शिवन्या की मदद लेनी होगी, वह हिमलोक के बारे में सबकुछ जानते हैं। उन्हें अवश्य पता होगा कि जेम्स कहां है?"

यह सोचकर शलाका ने अपने त्रिशूल को हवा में उछाला। हवा में उछालते ही त्रिशूल कहीं गायब हो गया। अब शलाका ने अपने दोनों हाथ की मुट्ठियां बंद कर, दोनो हाथ के अंगूठे को अपने मस्तिष्क के दोनो तरफ लगाया और अपने मन में ‘रुद्राक्ष और शिवन्या’ दोहराना शुरू कर दिया।

हवा में मानिसक तरंगे फैलना शुरू हो गयी।

कुछ ही देर में शलाका को 4 रेंडियर एक स्लेज गाड़ी को खींचते उधर आते दिखाई दिये।

स्लेज आकर शलाका के पास रूक गयी। शलाका के स्लेज में बैठते ही रेंडियर उसे लेकर एक अंजान दिशा की ओर चल दिये। रास्ते भर शलाका हिमालय में हुए अनेकों बदलाव को देखती जा रही थी।

लगभग 15 मिनट के बाद रेंडियर बर्फ़ से ढकी एक गुफा के पास पाहुंच गये। रेंडियर एक क्षण को रुके और फ़िर गुफा में प्रवेश कर गये। अब रेंडियर गुफा में दौड़ रहे थे।

गुफा में बीच-बीच में ऊपर की ओर सुराख बने थे, जहां से थोड़ी-थोड़ी बर्फ़ गिर कर गुफा में आ रही थी।

कुछ देर के बाद शलाका को गुफा के आगे एक विशालकाय गड्ढ़ा दिखाई दिया, जिसके चारो ओर, नीचे की तरफ जाता हुआ एक 10 फिट चौड़ा रास्ता बना था। गड्डे की गहराई का अंत नहीं दिख रहा था।

रेंडियर उसी रास्ते पर दौड़ते हुए नीचे की ओर जाने लगे।

वह रास्ता इतना खतरनाक था कि शायद कोई मानव उसे देखकर उसमें जाने की सोचता भी नहीं, पर शलाका तो कई बार इस रास्ते से आ-जा चुकी थी। इसिलये वह आराम से स्लेज में बैठी हुई थी।

गड्डे में थोड़ा नीचे जाने के बाद अब उजाला नजर आने लगा था, पर यह उजाला कहां से आ रहा था, यह नहीं पता चल रहा था।
लगभग 500 मीटर का सफर उस गड्डे में तय करने के बाद अब रेंडियर रुक गये।

शलाका को वहां दीवार में एक द्वार दिखाई दिया। शलाका ने उस द्वार को खोला और अब उसके सामने था- “हिमलोक”।

वही हिमलोक जिसकी रचना वेदालय के समय में महागुरु नीलाभ ने की थी। वही हिमलोक जिस पर रुद्राक्ष और शिवन्या को शासन करने के लिये चुना गया था।

शलाका के सामने एक बर्फ़ से ढकी हुई दुनियां थी, जहां पर चारो ओर बर्फ़ की विशालकाय देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित थी।

तभी शलाका को सामने खड़े रुद्राक्ष और शिवन्या दिखाई दिये। शलाका खुश होकर बारी-बारी दोनों के गले लग गयी।

“पूरे 5000 वर्ष बीत गये हैं तुमसे मिले।" शिवन्या ने शलाका को निहारते हुए कहा- “मुझे तो लगा था कि शायद अब तुम जीवित भी नहीं हो।"

“शायद अब तक जीवित नहीं बचती, पर किसी के इंतजार ने इतने वर्ष तक मुझे जीवित रखा।....अरे हां मैं दरअसल किसी दूसरे काम से यहां आयी हूँ.... मुझे एक जेम्स नाम के मनुष्य की तलाश है, जो गलती से हिमालय पर आ पहुंचा है।" शलाका ने बात को बदलते हुए कहा।

“एक विदेशी मनुष्य हमने पकड़ा तो है, जो कि हमारी सीमा में घूम रहा था। हो सकता है कि वही जेम्स हो?" रुद्राक्ष ने कहा।

“उसने नीले रंग की टी शर्ट और काली जींस पहनी हुई है।" शलाका ने जेम्स का हुलिया दोनों को बताया।

“हां फ़िर तो वही है ... जेम्स हमारे ही पास है .... हमें लगा कि वह गुरुत्व शक्ति चुराने आया है, इसिलये हमने उसे कैदखाने में डाल दिया।" शिवन्या ने कहा।

“गुरुत्व शक्ति!" शलाका ने आश्चर्य से कहा- “क्या कल गुरुत्व शक्ति प्रकट होने वाली है?"

“हां...तुम तो जानती हो कि गुरुत्व शक्ति हर साल एक विशेष नक्षत्र में सूर्योदय की पहली किरण के साथ बर्फ़ से निकलती है, जिसकी हम पूजा भी करते हैं और सूर्यास्त की आखरी किरण के साथ वापस बर्फ़ में समा जाती है।" शिवन्या ने शलाका को याद दिलाते हुए कहा।

“हां-हां .... मुझे सब याद है ... मैं कुछ भी नहीं भूली....ना गुरुत्व शक्ति और ना ही आर्यन को ................।" शलाका ने एक गहरी साँस भरते हुए कहा।

“चलो फ़िर हमारे महल चलो ... इतने दिन बाद आयी हो तो एक दिन तो रहना ही पड़ेगा हमारे साथ .... और वैसे भी कल तुम पूजा में भी भाग ले सकती हो।" रुद्राक्ष ने शलाका पर जोर डालते हुए कहा।
यह सुन शलाका थोड़ा सोच में पड़ गयी।

उसे सोच में पड़े देख शिवन्या भी बोल उठी- “अरे चलो ना यार... तुम्हारा जेम्स तो वैसे भी मिल गया है, अब तुम्हें परेशानी ही क्या है?"

“ठीक है चलती हूँ....।" कुछ सोचकर शलाका ने मस्कुराते हुए कहा- “अच्छा ये बता कि बाकी के लोग कैसे हैं?"

“बाकी सब तो ठीक हैं, परंतु धरा और मयूर थोड़े से परेशान हैं।" शिवन्या ने कहा- “दरअसल कुछ समय पहले उसकी धरा शक्ति का एक कण चोरी हो गया है, जिसे वो ढूंढ नहीं पा रहे हैं।"

ऐसा कैसे हो सकता है?“ शलाका ने आश्चर्य से पूछा- “पृथ्वी पर अगर कहीं भी वह धरा शक्ति का कण प्रयोग में लाया जाये तो वह धरा और मयूर को पता चल जायेगा, फ़िर वो उसे प्राप्त कर सकते हैं।"

“धरा शक्ति का प्रयोग अभी अमेरिका के एक शहर वाशिंगटन में कल ही 2 बार किया गया, जिससे उन्हें यह तो पता चल गया कि वह शक्ति इस समय अमेरिका में है, धरा और मयूर अमेरिका पहुंच भी चुके हैं। अब बस उन्हें इंतजार है उस शक्ति के अगली बार प्रयोग होने का। जैसे ही इस बार किसी ने उसका प्रयोग किया, वह पकड़ा जायेगा। .... पर छोड़ ना यार उनकी बातों को....वो दोनों आसानी से उस शक्ति को प्राप्त कर लेंगे। चल हम लोग चलते हैं, कल के उत्सव की तैयारियां करते हैं।"

शिवन्या यह कहकर शलाका को खींचकर महल की ओर चल दी।


चक्रवात
(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 14:00, मायावन, अराका द्वीप)

रात में शैफाली और जेनिथ की वजह से सभी देर से सोये थे, इसिलये सभी के उठने में काफ़ी देर हो गया था।

चूंकि उस पार्क वाली जगह पर एक खूबसूरत सा तालाब भी था, जिसमें साफ पानी भरा था। इसिलये सभी ने उस जगह पर आधा दिन ज़्यादा रहने का विचार किया।

बारी-बारी सभी लेडीज और जेंट्स ने वहां पर खूब नहाया और अपने कपडों को साफ किया।
इतने दिनो बाद नहा कर सभी को बहुत ताज़ा महसूस हो रहा था।

अब सभी फ़िर से आगे की ओर बढ़ गये।

जेनिथ का दिमाग बुरी तरह से तौफीक पर खराब था। इसिलये वह तौफीक से ज़्यादा बात नहीं कर रही थी। तौफीक ने जेनिथ के इस बदलाव को महसूस कर लिया था, पर उसे इसका कारण नहीं पता चला।

अब केवल 8 लोग ही बचे थे, पर जोड़े पूरी तरह से टूट गये थे। क्रिस्टी से एलेक्स अलग हो गया था और जैक से जॉनी। जेनिथ और तौफीक का रिस्ता भी अब नहीं बचा था, इसिलये सभी अब थोड़ा कम बात कर रहे थे।

“अरे दोस्त दूसरों से बातें मत करो, पर मुझे तो इस तरह से बोर ना करो।" नक्षत्रा ने जेनिथ के मन में कहा- “कुछ तो बोलो?"

“हम तो सुबह से ढलकर, शाम हो गये,
इस कमबख्त इश्क से बदनाम हो गये।"

जेनिथ ने शायराना अंदाज में, नक्षत्रा को किवता सुनाई।

“वाह-वाह दोस्त क्या बात कही है?” नक्षत्रा ने कहा- “आप बहुत तेजी से उबर रहे हो अपने दुख से। ... बहुत खूब.... शानदार।"

“बहुत-बहुत धन्यवाद!" जेनिथ ने मन में कहा- “अब तुम भी कुछ सुनाओ नक्षत्रा?"

“पृथ्वी पर आकर हम भी इंसान हो गये,
तुझमें सिमटकर 2 रूह एक जान हो गये।"

जेनिथ ने भी जेनिथ के लिये एक किवता मार दी।

“बहुत ही खूबसूरत नक्षत्रा... मान गये तुम्हें.... तुम भी बहुत तेजी से सीख रहे हो पृथ्वी की भाषा।" जेनिथ ने खुश होते हुए नक्षत्रा से कहा।

भले ही तौफीक का राज जेनिथ को पता चल गया था, मगर नक्षत्रा की बातो ने जेनिथ को अब बिल्कुल संभाल लिया था। जेनिथ को जिंदगी का यह नया अंदाज बहुत पसंद आ रहा था।

तभी चलते हुए उनके रास्ते में एक फूलों की घाटी आ गई। बहुत ही खूबसूरत फूलों के पौधे चारो ओर लगे थे। चारो ओर खुशबू बिखरी हुई थी।

सभी को ये घाटी बहुत अच्छी लग रही थी। ब्रेंडन ने आगे चलते हुए एक गुलाबी रंग के फूल को तोड़कर अपने हाथो में ले लिया। उस फूल की खुशबू भी बहुत अच्छी थी।

तभी कहीं से एक भौंरा उड़ता हुआ आया और ब्रेंडन के आसपास मंडराने लगा। उसके पंखों की तेज़ ‘भन्न-भन्न’ की आवाज बहुत अजीब सी लग रही थी।

यह देख ब्रेंडन ने अपनी जगह बदल कर उस भौंरे से बचने की कोशिश की, पर भौंरा भी ब्रेंडन के पीछे-पीछे दूसरी जगह पर पहुंच गया।

ब्रेंडन ने फ़िर जगह बदल ली, पर शायद वह भौंरा भी जिद्दी था, वह ब्रेंडन के पीछे ही पड़ गया। ब्रेंडन जिधर जा रहा था, भौंरा उधर आ जा रहा था।

“ब्रेंडन अंकल शायद वह भौंरा आपके नहीं बल्कि आपके हाथ में मौजूद फूल के पीछे पड़ा है।" शैफाली ने ब्रेंडन से कहा- “आप उस फूल को फेंक दिजिये।"

ब्रेंडन को शैफाली का लॉजिक सही लगा, इसिलये उसने अपने हाथ में पकड़े गुलाबी फूल को वहीं जमीन पर फेंक दिया।

पर फूल का गुलाबी रंग और महक अभी भी ब्रेंडन के हाथों पर लगी थी। इसिलये भौंरा फूल को फेंकने के बाद भी ब्रेंडन के पीछे लगा रहा।

अब ब्रेंडन को उस भौंरे की आवाज थोड़ा इरिटेटिग लगने लगी। वह बार-बार भौंरे को अपने हाथ से भगाने की कोशिश कर रहा था।

पर उस भौंरे ने भी शायद ब्रेंडन को परेशान करने की कसम खा रखी थी, वह अभी भी ब्रेंडन के पीछे लगा था।

इस बार ब्रेंडन ने भौंरे को भगाने की कोशिश नहीं की और उसे थोड़ा और अपने पास आने दिया। जैसे ही वह भौंरा इस बार ब्रेंडन के पास आया, ब्रेंडन ने निशाना साधकर अपने हाथ का वार उस भौंरे के ऊपर कर दिया।

इस बार निशाना बिल्कुल ठीक था। ब्रेंडन का हाथ तेजी से भौंरे को लगा और वह वहीं एक धूल वाली जगह पर घायल होकर गिर गया।

भौंरे के भनभनाने की आवाज अब और तेज हो गयी थी। अब वह जमीन पर गिरकर जोर से तड़पते हुए धूल में लोट रहा था।

भौंरे के जमीन में तड़पने की वजह से जमीन पर कुछ गोल-गोल सी लकीरें बनने लगी।

अब थोड़ी-थोड़ी सी धूल भी जमीन से उठने लगी। कुछ ही देर में भौंरे वाली जगह पर छोटा सा धूल का गुबार बन गया। सभी की नजर उस भौंरे की ओर थी। सभी को भौंरे को देखकर किसी नये खतरे का अहसास हो गया था।

धीरे-धीरे भौंरे का छटपटाना बंद हो गया, पर आश्चर्यजनक तरीके से धूल का गुबार अभी भी कम नहीं हुआ था।

“ये धूल का गुबार क्यों कम नहीं हो रहा?" क्रिस्टी ने कहा- “क्या यह भौंरा भी किसी प्रकार के चमत्कार का हिस्सा है?"




जारी रहेगा_______✍️
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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romanchak update. jaigan ke liye gurutv shakti chahiye jo lufasa ko lane ke liye bhej diya hai makota ne ..lufasa ko samajh aa gaya hai ki makota jhooth bol raha hai ..
shalaka aur james ko pata chal gaya ki gurutv shakti kya hai aur kaise paida huyi ..ab saare achche log prachin mandir me gurutv shakti ko dekh rahe hai par kya lufasa waha pahuchkar wo hasil kar payega ..

ek aur saathi gayab ho gaya suyash ki team se .
Bilkul bhai, Suyash ki team or chhoti ho gai :sigh:
Lufasa apni icchadhaari shakti ka priyog karke waha jayega bhi, aur use pata hai ki gurutva shakti ka kon use karega, par kya lufasa gurutva shakti laa payega? Ye dekhne wali baat jogi:approve:WWaha per shivnya aur rudraksh bhi hai, jo ki sadharan manusya to bilkul bhi nahi, :roll3: Thank you very much for your valuable review and support bhai :thanks:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
Thanks brother :thanks: Sath bane rahiye, agla update bhayankar dhamakedar hoga:thumbup:
 

Ajju Landwalia

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#104.

क्रिस्टी की बात सुनकर, तौफीक ने धूल के गुबार को थोड़ी देर तक देखा और अपना पैर जमीन पर तेजी से पटका।

तौफीक के पैर पटकने से धूल के कुछ और कण जमीन से उठकर हवा में रुक गये।

“इन कणो पर गुरुत्वाकर्षण का नियम क्यों नहीं काम कर रहा?" अल्बर्ट ने उन धूलकणो को देखते हुए कहा।

यह देख सुयश ने जमीन पर बैठकर एक जोर की फूंक उन धूलकणो पर मारी। सुयश के ऐसा करते ही सारे धूलकण भौंरे के जमीन पर बनाये गोल सी रेखाओ के ऊपर हवा में गोल-गोल तैरने लगे।

भौंरे का शरीर भी उस हवा में गोल-गोल नाचने लगा। यह देखकर सुयश, तौफीक सहित सभी लोग पीछे हट गये।

धूल के कणो से बना वह गुबार अब हवा में ऊपर उठने लगा। उसकी गति और आकार भी अब लगातार बढ़ते जा रहे थे।

धीरे-धीरे हवा का वह गोल दायरा एक चक्रवात में परिवर्तित हो गया। अब सभी फूलों के पौधे उसकी ओर खिंचने लगे।

तभी ब्रेंडन की निगाहें अपने फ़ेंके उस फूल की ओर गयी, जिससे यह पूरा घटनाक्रम शुरू हुआ था। इतनी तेज हवा के होने के बाद भी वह फूल अपनी जगह पर पड़ा था।

चक्रवात अब और विकराल होता जा रहा था।

ब्रेंडन ने कुछ सोचने के बाद झुककर उस फूल को जमीन से उठा लिया। ब्रेंडन का अंदाजा था कि फूल को उठाने से यह पूरा घटनाक्रम बंद हो जायेगा, पर हुआ उसका बिल्कुल उलट।

ब्रेंडन के फूल उठाते ही वह चक्रवात तेजी से ब्रेंडन की ओर झपटा और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, ब्रेंडन का शरीर चक्रवात के घेरे में फंस गया था।

किसी के पास ब्रेंडन को बचाने का ना तो वक्त था और ना ही तरीका।

चक्रवात ने अब बहुत विशाल रूप धारण कर लिया था। इसी के साथ चक्रवात हवा में उठा और ब्रेंडन सहित आसमान में उड़कर गायब हो गया।

सभी हक्के-बक्के से वहां खड़े चक्रवात को जाते देखते रह गये।

“ये क्या था प्रोफ़ेसर?" सुयश ने अल्बर्ट से पूछा- “ऐसी किसी चीज के बारे में क्या आपने कहीं सुन रखा है?"

“नहीं कैप्टन....ऐसी किसी चीज का जवाब विज्ञान के पास तो नहीं मिलेगा।"

अल्बर्ट ने आह भरते हुए कहा- “एक छोटे से फूल और भौंरे से इतनी बड़ी परेशानी का पैदा हो जाना तो किसी भी दिमाग में नहीं आ सकता था।"

“आख़िर हमने अपने एक और साथी को खो दिया।" तौफीक ने दुख भरे स्वर में कहा।

“नक्षत्रा।" जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा- “क्या तुम बता सकते हो कि ये चीज क्या थी?“

“ये चीज एक मायाजाल थी।" नक्षत्रा ने कहा।

“ये मायाजाल क्या होता है?" जेनिथ ने फ़िर से पूछा- “और हां, कृपया आसान भाषा में समझाना। मुझे विज्ञान की ज़्यादा जानकारी नहीं है।"

“हमारे आसपास 2 ब्रह्मांड हैं, एक वह जो हमें आसमान में दिखाई देता है और एक वह जो हमारे आसपास के वातावरण में मौजूद है।" नक्षत्रा ने कहा- “हम पहले ब्रह्मांड के बारे में तो अब बहुत कुछ जानने लगे हैं, परंतु हम अपने आसपास मौजूद ब्रह्मांड के बारे में कुछ नहीं जानते और हमारे आसपास मौजूद ब्रह्मांड ही हमारे जीवन का आधार है।

इसिलये मैं तुम्हें आसपास के ब्रह्मांड के बारे में बताता हूँ। दरअसल हमारे ब्रह्मांड में मौजूद हर चीज कण से मिलकर बनी है और विज्ञान जानने वाले लोगो को पता है कि हर कण इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बना है। जिसमें इलेक्ट्रॉन नकारात्मक और प्रोटॉन सकारात्मक होता है और यह दोनों ही कण नाभिक में बैठे न्यूट्रॉन के चक्कर लगाते हैं। यानी की साधारण भाषा में समझे तो वह छोटा सा कण भी अंदर से खोखला है और न्यूट्रॉन के गुरुत्वीय बल के कारण उसके चक्कर लगा रहा है। अब अगर तुम बाहर के ब्रह्मांड को देखो तो वो भी तो ऐसा ही है।

चन्द्रमा पृथ्वी के चक्कर लगा रहा है। पृथ्वी सूर्य के चारो ओर चक्कर लगा रही है। हमारी यह छोटी सी आकाशगंगा किसी दूसरी आकाशगंगा के चक्कर लगा रही है। ठीक उसी प्रकार अगर हम न्यूट्रॉन को करोड़ो गुना छोटा करे, तो उसमें भी एक ब्रह्मांड दिखाई देगा और उस ब्रह्मांड का सबसे छोटा कण है, जिसे हम ब्रह्मकण, हिग्स बोसन या आन्य नामों से जानते हैं।

इसी ब्रह्मकण ने हर जीव, हर तत्व को उत्पन्न किया है और सभी में अपने जीवन जीने के लिये विभिन्न प्रकार की क्षमताएं भी दी हैं। जैसे बाहरी दुनियां का ब्रह्मांड आपस में टकराकर एक नये ब्रह्मांड को जन्म देता है, ठीक उसी प्रकार कण का ब्रह्मांड भी आपस में टकराकर कुछ नये ‘इल्यूजन’ को जन्म देता है। हम इस ‘इल्यूजन’ को ही मायाजाल कहते हैं। इस मायाजाल पर हमारे भोतिक नियमों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और ऐसा ही एक मायाजाल तुम्हें थोड़ी देर पहले दिखाई दिया है।"

इतना कहकर नक्षत्रा चुप हो गया। उसने जेनिथ की भावनाओं को महसूस किया तो पता चला कि उसकी बातें जेनिथ को केवल 12 प्रतिशत ही समझ में आई हैं। यह देख वह हंस दिया।

“तुम परेशान मत हो जेनिथ, मैं धीरे-धीरे तुम्हें पूरी विज्ञान की जानकारी दे दूँगा।" नक्षत्रा ने शांत जेनिथ को देख कहा।

जेनिथ ने धीरे से अपना सिर हिलाया और सभी के साथ आगे की ओर चल दी।


गुरुत्व शक्ति

(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 16:00, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

लुफासा और सनूरा इस समय मकोटा महल में मकोटा के पास बैठे हुए थे।

“मैंने आज तुम्हें कुछ जरुरी काम करने के लिये बुलाया है लुफासा।" मकोटा ने लुफासा की ओर देखते हुए कहा।

“जी बताइये मान्त्रिक।"
लुफासा ने गहरी निगाहों से मकोटा की ओर देखते हुए कहा।

“दरअसल हमें अराका पर राज करने के लिये जैगन की शक्तियों की आवश्यकता है, पर इसके लिये पहले हमें जैगन को एक शक्ति प्राप्त करके देना होगा।" मकोटा ने कहा।

“कैसी शक्ति?" लुफासा ने मकोटा से पूछा।

“गुरुत्व शक्ति!" मकोटा ने कहा।

“गुरुत्व शक्ति? ... ये शक्ति क्या करती है मान्त्रिक?" लुफासा के शब्दो में व्यग्रता झलक रही थी।

“हर ग्रह के अंदर एक गुरुत्वाकर्षण शक्ति होती है, जिसकी वजह से उस ग्रह पर मौजूद सभी निर्जीव और सजीव चीज उस ग्रह की धरती से जुड़े रहते हैं। यह गुरुत्व शक्ति जिसके पास रहेगी, उस पर उस ग्रह के गुरुत्वाकर्षण का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति विज्ञान के नियमो को तोड़कर एक अजेय शक्ति में परिवर्त्तित हो जायेगा।" मकोटा ने कहा।

“पर ऐसी शक्ति धरती पर मिलेगी कहां?" सनूरा ने बीच में बोलते हुए कहा।

मकोटा ने इस बार सनूरा की ओर देखा और फ़िर बोला- “यहां से पूर्व दिशा की ओर एक विशालकाय पर्वत है, जिसका नाम हिमालय है। हर वर्ष हिमालय में वह शक्ति 1 दिन के लिये प्रकट होती है और वह विशेष दिन कल ही है। इसलिये तुम्हें आज ही हिमालय के लिये निकलना होगा।"

“पर मान्त्रिक... ऐसी विचित्र शक्ति मुझे ऐसे ही तो मिल नहीं जायेगी। उसकी सुरक्षा में भी कुछ ना कुछ तो जरूर होगा।" लुफासा ने कहा- “क्या आप मुझे उसकी सुरक्षा के बारे में कुछ बता सकते हैं?"

“उसकी सुरक्षा वहां के बर्फ़ में रहने वाले कुछ साधारण इंसान ही करते हैं, इसलिये उसको लाने में तुम्हें ज़्यादा परेशानी नहीं होगी।" मकोटा ने लुफासा को समझाया।

“फ़िर ठीक है, मैं आज ही गुरुत्व शक्ति को लाने के लिये चला जाऊंगा। पर मान्त्रिक क्या मैं जान सकता हूँ की जैगन यह शक्ति लेकर क्या करने वाला है?"

“जैगन का एक महाशक्तिशाली योद्धा एक बार एक युद्ध में धरा शक्ति से टकराते हुए जमीन पर गिर गया। जैगन लाख कोशिशों के बाद भी उसे जमीन से उठा नहीं पा रहा, तभी उसे गुरुत्व शक्ति के बारे में पता चला। दरअसल गुरुत्व शक्ति, धरा शक्ति की काट है और उसके द्वारा उस योद्धा को जगाया जा सकता है। इसिलये जैगन ने यह महान कार्य करने के लिये हमें चुना है।" मकोटा ने कहा।

मकोटा की बात सुनकर लुफासा एक पल में ही समझ गया कि मकोटा सरासर झूठ बोल रहा है, क्यों कि उसने पहले ही जैगन को पिरामिड में बेहोश हालत में देख लिया था।

लुफासा जान गया कि गुरुत्व शक्ति का उपयोग जैगन के महायोद्धा को जगाने के लिये नहीं, बल्कि स्वयं जैगन को जगाने के लिये होना था।

लेकिन इस समय लुफासा के पास और कोई चारा नहीं था, इसलिये वह गुरुत्व शक्ति लाने को तैयार हो गया।

तभी मकोटा ने लुफासा को एक दिशा यंत्र देते हुए कहा- “यह एक दिशा यंत्र है, ये तुम्हें गुरुत्व शक्ति के स्थान तक रास्ता दिखायेगा।"

मकोटा ने कुछ देर तक जब लुफासा और सनूरा को और कोई प्रश्न ना पूछते हुए देखा तो उन्हे वहां से जाने का इशारा कर दिया।

मकोटा का इशारा पाकर लुफासा और सनूरा वहां से चल दिये।

प्राचीन शिव मंदिर

(11 जनवरी 2002, शुक्रवार, 05:30, हिमलोक, हिमालय पर्वत)

अगले दिन शलाका नहा-धोकर ताजा हो गयी थी।

शिवन्या ने शलाका के लिये भारतीय परिधान भेज दिये थे। भारतीय वस्त्र और फूलों के श्रृंगार में शलाका बहुत खूबसूरत नजर आ रही थी।

थोड़ी देर में शिवन्या शलाका को लेने के लिये आ गयी। दोनों बाहर निकले तो शलाका ने देखा कि जेम्स भी भारतीय परिवेश में तैयार होकर बाहर रुद्राक्ष के साथ खड़ा था।

बाहर लगभग 20 लोग और थे, उसमें से कुछ ब्राह्मण और कुछ फूलों की टोकरियां उठाये सेवक और सेविकाएं थी।

ब्राह्मणो के हाथों में पूजा का सामान था।

सभी ने सफेद रंग के वस्त्र पहन रखे थे। एक विशालकाय स्लेज भी बाहर खड़ा था।

शिवन्या और शलाका को बाहर निकलते देख सभी उस बड़े स्लेज पर खड़े हो गये। इस बड़े स्लेज को 6 बर्फ़ पर चलने वाले घोड़े खींच रहे थे।

रुद्राक्ष, शिवन्या और शलाका रेंडियर वाले छोटे स्लेज पर बैठ गये। जेम्स भी उसी स्लेज पर सवार हो गया।

दोनों ही स्लेज बर्फ़ के रास्ते पर चल दिये।

जेम्स को यह सब कुछ बहुत अलग और अच्छा लग रहा था। उसे तो सबकुछ एक सपने की तरह महसूस हो रहा था।

“क्या मैं कुछ चीज आपसे पूछ सकता हूँ?" जेम्स ने शलाका की ओर देखते हुए पूछा।

“हां-हां पूछो जेम्स।" शलाका ने अनुमित देते हुए कहा।

“यह गुरुत्व शक्ति है क्या? मेरा मतलब है कि इस शक्ति का जन्म कैसे हुआ?" जेम्स ने उत्सुकता दिखाते हुए पूछा।

लेकिन इससे पहले कि शलाका इस बात का कोई जवाब देती, शिवन्या बीच में ही बोल पड़ी-

“हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगीरथ ने अपने पूर्वजो को मुक्ति दिलाने के लिये देवी गंगा का आव्हान किया, तो सबसे बड़ी समस्या यह थी कि गंगा के वेग को पृथ्वी नहीं संभाल पाती, जिसकी वजह से गंगा पाताल में चली जाती।

भगीरथ ने अपनी यह समस्या महा..देव को कही। महा..देव गंगा के वेग को अपनी जटाओं में रोकने के लिये तैयार हो गये, पर महा..देव जानते थे कि गंगा के वेग को संभालना इतना भी आसान ना था। इसके लिये महा..देव ने पहले गंगा से उनका एक बूंद अंश मांगा और उस अंश को चन्द्रमा के तेज से गुरुत्व शक्ति में परिवर्त्तित कर गुरुत्वाकर्षण से मुक्त कर दिया। देवी गंगा की वह प्रथम बूंद का अंश ही गुरुत्व शक्ति है, जो आज भी हिमालय के गर्भ में बसे शि..व मंदिर में रखी है। यह बूंद जिस पर गिरेगी, उसमें किसी भी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण से मुक्त होने की शक्तियां आ जायेंगी।"

“अगर यह बूंद किसी पर गिरे तो क्या यह समाप्त हो जायेगी?" जिज्ञासु जेम्स ने फ़िर से सवाल किया।

“अगर यह बूंद किसी योग्य व्यक्ति पर गिरती है, तो उस व्यक्ति में शक्तियां आने के बाद एक नयी बूंद इस डिबिया में आ जायेगी, पर अगर गलती से भी यह बूंद किसी अयोग्य व्यक्ति पर गिरी तो यह बूंद सदा-सदा के लिये नष्ट हो जायेगी।"

“तो क्या आज तक यह बूंद किसी पर गिरी है?" जेम्स ने पूछा।

“हां....ये बूंद महाशक्तिशाली हनुका पर गिरी है।" शिवन्या ने कहा- “हनुका वही हैं जो कल आपको पकड़ कर लाये थे।"

जेम्स शिवन्या की बातें सुनकर चमत्कृत हो गया। तभी वह सभी लोग एक छोटे से पहाड़ पर पहुंच गये।

पहाड़ के ऊपर काफ़ी समतल क्षेत्र भी था।

सभी लोग वहां रथ से उतरकर जमीन के पास खड़े हो गये थे। इस समय चारो ओर उजाला फैल गया था, पर सूर्य की अभी पहली किरण नहीं आयी थी।

ब्राह्मणो ने तब तक वहां पर पूजा की तैयारियां शुरू कर दी। उन्होंने एक खाली स्थान पर रोली, अक्षत और फूलों से 2 स्वास्तिक व ओऽम की आकृति बना दी।

चारो ओर बर्फ़ की सफेद चादर बिछी हुई थी। बहुत ही मनोरम और शुद्ध वातावरण था। सूर्यदेव के आने के पहले अरुण ने चारो ओर अपनी दिव्य छटा बिखेर दी थी।

आख़िरकार वह मंगलमयी बेला आ गयी। सूर्यदेव की पहली रश्मि अपनी दिव्य ज्योति लिये हुए उस पवित्र वातावरण में प्रविष्ट हुई।

सूर्य की पहली किरण देख ब्राह्मणो ने शंख, घंटे, डमरू और मृदंग की ध्वनि करनी शुरू कर दी।

जैसे ही सूर्य की पहली किरण ने बर्फ़ पर बनी उस ओऽम की आकृति को छुआ, एक गड़गड़ाहट के साथ जमीन के अंदर से एक विशालकाय सोने का शि.व-मंदिर प्रकट होना शुरू हो गया।

चारो ओर से सभी ने शि.व तांडव …पढ़ना शुरू कर दिया। श्रद्धावश शलाका और जेम्स के हाथ भी जुड़ गये।

इतने शुद्ध वातावरण में इस प्रकार की ध्वनि सभी को वशीभूत कर रही थी। कुछ ही देर में महादेव का वह पवित्र मंदिर बर्फ़ से पूरा बाहर आ गया।

तब तक शि..व तांडव…. के 17 श्लोक भी पूरे हो गये। शलाका, शिवन्या और रुद्राक्ष को लेकर मंदिर में प्रवेश कर गयी।

मंदिर के बीच में एक गोलाकार पीठम् के बीच महा..देव का एक शि.वलिंग विराजमान था। शि.व.लं.ग के ऊपर नागराज वासुकि का फन एक छत्र की तरह से महा.देव पर छाया हुआ था। उसके ऊपर एक छेद की हुई सोने की एक मटकी में जल की धारा निरंतर ज्योतिर्लिंग पर गिर रही थी।

उस सोने की मटकी के ऊपर ढक्कन की तरह से एक सोने की डिबिया रखी हुई थी, जिसमें उपस्थित थी गुरुत्व शक्ति।



जारी
रहेगा_______✍️

Bahut hi gazab ki update he Raj_sharma Bhai,

Baithe Baithe Kabhi Atlantis, Kabhi Himalaya ghuma rahe ho..........

Gurutv shakti ko paane ke liye ab yudh hone wala he............

Keep rocking Bro
 

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#104.

क्रिस्टी की बात सुनकर, तौफीक ने धूल के गुबार को थोड़ी देर तक देखा और अपना पैर जमीन पर तेजी से पटका।

तौफीक के पैर पटकने से धूल के कुछ और कण जमीन से उठकर हवा में रुक गये।

“इन कणो पर गुरुत्वाकर्षण का नियम क्यों नहीं काम कर रहा?" अल्बर्ट ने उन धूलकणो को देखते हुए कहा।

यह देख सुयश ने जमीन पर बैठकर एक जोर की फूंक उन धूलकणो पर मारी। सुयश के ऐसा करते ही सारे धूलकण भौंरे के जमीन पर बनाये गोल सी रेखाओ के ऊपर हवा में गोल-गोल तैरने लगे।

भौंरे का शरीर भी उस हवा में गोल-गोल नाचने लगा। यह देखकर सुयश, तौफीक सहित सभी लोग पीछे हट गये।

धूल के कणो से बना वह गुबार अब हवा में ऊपर उठने लगा। उसकी गति और आकार भी अब लगातार बढ़ते जा रहे थे।

धीरे-धीरे हवा का वह गोल दायरा एक चक्रवात में परिवर्तित हो गया। अब सभी फूलों के पौधे उसकी ओर खिंचने लगे।

तभी ब्रेंडन की निगाहें अपने फ़ेंके उस फूल की ओर गयी, जिससे यह पूरा घटनाक्रम शुरू हुआ था। इतनी तेज हवा के होने के बाद भी वह फूल अपनी जगह पर पड़ा था।

चक्रवात अब और विकराल होता जा रहा था।

ब्रेंडन ने कुछ सोचने के बाद झुककर उस फूल को जमीन से उठा लिया। ब्रेंडन का अंदाजा था कि फूल को उठाने से यह पूरा घटनाक्रम बंद हो जायेगा, पर हुआ उसका बिल्कुल उलट।

ब्रेंडन के फूल उठाते ही वह चक्रवात तेजी से ब्रेंडन की ओर झपटा और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, ब्रेंडन का शरीर चक्रवात के घेरे में फंस गया था।

किसी के पास ब्रेंडन को बचाने का ना तो वक्त था और ना ही तरीका।

चक्रवात ने अब बहुत विशाल रूप धारण कर लिया था। इसी के साथ चक्रवात हवा में उठा और ब्रेंडन सहित आसमान में उड़कर गायब हो गया।

सभी हक्के-बक्के से वहां खड़े चक्रवात को जाते देखते रह गये।

“ये क्या था प्रोफ़ेसर?" सुयश ने अल्बर्ट से पूछा- “ऐसी किसी चीज के बारे में क्या आपने कहीं सुन रखा है?"

“नहीं कैप्टन....ऐसी किसी चीज का जवाब विज्ञान के पास तो नहीं मिलेगा।"

अल्बर्ट ने आह भरते हुए कहा- “एक छोटे से फूल और भौंरे से इतनी बड़ी परेशानी का पैदा हो जाना तो किसी भी दिमाग में नहीं आ सकता था।"

“आख़िर हमने अपने एक और साथी को खो दिया।" तौफीक ने दुख भरे स्वर में कहा।

“नक्षत्रा।" जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा- “क्या तुम बता सकते हो कि ये चीज क्या थी?“

“ये चीज एक मायाजाल थी।" नक्षत्रा ने कहा।

“ये मायाजाल क्या होता है?" जेनिथ ने फ़िर से पूछा- “और हां, कृपया आसान भाषा में समझाना। मुझे विज्ञान की ज़्यादा जानकारी नहीं है।"

“हमारे आसपास 2 ब्रह्मांड हैं, एक वह जो हमें आसमान में दिखाई देता है और एक वह जो हमारे आसपास के वातावरण में मौजूद है।" नक्षत्रा ने कहा- “हम पहले ब्रह्मांड के बारे में तो अब बहुत कुछ जानने लगे हैं, परंतु हम अपने आसपास मौजूद ब्रह्मांड के बारे में कुछ नहीं जानते और हमारे आसपास मौजूद ब्रह्मांड ही हमारे जीवन का आधार है।

इसिलये मैं तुम्हें आसपास के ब्रह्मांड के बारे में बताता हूँ। दरअसल हमारे ब्रह्मांड में मौजूद हर चीज कण से मिलकर बनी है और विज्ञान जानने वाले लोगो को पता है कि हर कण इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बना है। जिसमें इलेक्ट्रॉन नकारात्मक और प्रोटॉन सकारात्मक होता है और यह दोनों ही कण नाभिक में बैठे न्यूट्रॉन के चक्कर लगाते हैं। यानी की साधारण भाषा में समझे तो वह छोटा सा कण भी अंदर से खोखला है और न्यूट्रॉन के गुरुत्वीय बल के कारण उसके चक्कर लगा रहा है। अब अगर तुम बाहर के ब्रह्मांड को देखो तो वो भी तो ऐसा ही है।

चन्द्रमा पृथ्वी के चक्कर लगा रहा है। पृथ्वी सूर्य के चारो ओर चक्कर लगा रही है। हमारी यह छोटी सी आकाशगंगा किसी दूसरी आकाशगंगा के चक्कर लगा रही है। ठीक उसी प्रकार अगर हम न्यूट्रॉन को करोड़ो गुना छोटा करे, तो उसमें भी एक ब्रह्मांड दिखाई देगा और उस ब्रह्मांड का सबसे छोटा कण है, जिसे हम ब्रह्मकण, हिग्स बोसन या आन्य नामों से जानते हैं।

इसी ब्रह्मकण ने हर जीव, हर तत्व को उत्पन्न किया है और सभी में अपने जीवन जीने के लिये विभिन्न प्रकार की क्षमताएं भी दी हैं। जैसे बाहरी दुनियां का ब्रह्मांड आपस में टकराकर एक नये ब्रह्मांड को जन्म देता है, ठीक उसी प्रकार कण का ब्रह्मांड भी आपस में टकराकर कुछ नये ‘इल्यूजन’ को जन्म देता है। हम इस ‘इल्यूजन’ को ही मायाजाल कहते हैं। इस मायाजाल पर हमारे भोतिक नियमों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और ऐसा ही एक मायाजाल तुम्हें थोड़ी देर पहले दिखाई दिया है।"

इतना कहकर नक्षत्रा चुप हो गया। उसने जेनिथ की भावनाओं को महसूस किया तो पता चला कि उसकी बातें जेनिथ को केवल 12 प्रतिशत ही समझ में आई हैं। यह देख वह हंस दिया।

“तुम परेशान मत हो जेनिथ, मैं धीरे-धीरे तुम्हें पूरी विज्ञान की जानकारी दे दूँगा।" नक्षत्रा ने शांत जेनिथ को देख कहा।

जेनिथ ने धीरे से अपना सिर हिलाया और सभी के साथ आगे की ओर चल दी।


गुरुत्व शक्ति

(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 16:00, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

लुफासा और सनूरा इस समय मकोटा महल में मकोटा के पास बैठे हुए थे।

“मैंने आज तुम्हें कुछ जरुरी काम करने के लिये बुलाया है लुफासा।" मकोटा ने लुफासा की ओर देखते हुए कहा।

“जी बताइये मान्त्रिक।"
लुफासा ने गहरी निगाहों से मकोटा की ओर देखते हुए कहा।

“दरअसल हमें अराका पर राज करने के लिये जैगन की शक्तियों की आवश्यकता है, पर इसके लिये पहले हमें जैगन को एक शक्ति प्राप्त करके देना होगा।" मकोटा ने कहा।

“कैसी शक्ति?" लुफासा ने मकोटा से पूछा।

“गुरुत्व शक्ति!" मकोटा ने कहा।

“गुरुत्व शक्ति? ... ये शक्ति क्या करती है मान्त्रिक?" लुफासा के शब्दो में व्यग्रता झलक रही थी।

“हर ग्रह के अंदर एक गुरुत्वाकर्षण शक्ति होती है, जिसकी वजह से उस ग्रह पर मौजूद सभी निर्जीव और सजीव चीज उस ग्रह की धरती से जुड़े रहते हैं। यह गुरुत्व शक्ति जिसके पास रहेगी, उस पर उस ग्रह के गुरुत्वाकर्षण का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति विज्ञान के नियमो को तोड़कर एक अजेय शक्ति में परिवर्त्तित हो जायेगा।" मकोटा ने कहा।

“पर ऐसी शक्ति धरती पर मिलेगी कहां?" सनूरा ने बीच में बोलते हुए कहा।

मकोटा ने इस बार सनूरा की ओर देखा और फ़िर बोला- “यहां से पूर्व दिशा की ओर एक विशालकाय पर्वत है, जिसका नाम हिमालय है। हर वर्ष हिमालय में वह शक्ति 1 दिन के लिये प्रकट होती है और वह विशेष दिन कल ही है। इसलिये तुम्हें आज ही हिमालय के लिये निकलना होगा।"

“पर मान्त्रिक... ऐसी विचित्र शक्ति मुझे ऐसे ही तो मिल नहीं जायेगी। उसकी सुरक्षा में भी कुछ ना कुछ तो जरूर होगा।" लुफासा ने कहा- “क्या आप मुझे उसकी सुरक्षा के बारे में कुछ बता सकते हैं?"

“उसकी सुरक्षा वहां के बर्फ़ में रहने वाले कुछ साधारण इंसान ही करते हैं, इसलिये उसको लाने में तुम्हें ज़्यादा परेशानी नहीं होगी।" मकोटा ने लुफासा को समझाया।

“फ़िर ठीक है, मैं आज ही गुरुत्व शक्ति को लाने के लिये चला जाऊंगा। पर मान्त्रिक क्या मैं जान सकता हूँ की जैगन यह शक्ति लेकर क्या करने वाला है?"

“जैगन का एक महाशक्तिशाली योद्धा एक बार एक युद्ध में धरा शक्ति से टकराते हुए जमीन पर गिर गया। जैगन लाख कोशिशों के बाद भी उसे जमीन से उठा नहीं पा रहा, तभी उसे गुरुत्व शक्ति के बारे में पता चला। दरअसल गुरुत्व शक्ति, धरा शक्ति की काट है और उसके द्वारा उस योद्धा को जगाया जा सकता है। इसिलये जैगन ने यह महान कार्य करने के लिये हमें चुना है।" मकोटा ने कहा।

मकोटा की बात सुनकर लुफासा एक पल में ही समझ गया कि मकोटा सरासर झूठ बोल रहा है, क्यों कि उसने पहले ही जैगन को पिरामिड में बेहोश हालत में देख लिया था।

लुफासा जान गया कि गुरुत्व शक्ति का उपयोग जैगन के महायोद्धा को जगाने के लिये नहीं, बल्कि स्वयं जैगन को जगाने के लिये होना था।

लेकिन इस समय लुफासा के पास और कोई चारा नहीं था, इसलिये वह गुरुत्व शक्ति लाने को तैयार हो गया।

तभी मकोटा ने लुफासा को एक दिशा यंत्र देते हुए कहा- “यह एक दिशा यंत्र है, ये तुम्हें गुरुत्व शक्ति के स्थान तक रास्ता दिखायेगा।"

मकोटा ने कुछ देर तक जब लुफासा और सनूरा को और कोई प्रश्न ना पूछते हुए देखा तो उन्हे वहां से जाने का इशारा कर दिया।

मकोटा का इशारा पाकर लुफासा और सनूरा वहां से चल दिये।

प्राचीन शिव मंदिर

(11 जनवरी 2002, शुक्रवार, 05:30, हिमलोक, हिमालय पर्वत)

अगले दिन शलाका नहा-धोकर ताजा हो गयी थी।

शिवन्या ने शलाका के लिये भारतीय परिधान भेज दिये थे। भारतीय वस्त्र और फूलों के श्रृंगार में शलाका बहुत खूबसूरत नजर आ रही थी।

थोड़ी देर में शिवन्या शलाका को लेने के लिये आ गयी। दोनों बाहर निकले तो शलाका ने देखा कि जेम्स भी भारतीय परिवेश में तैयार होकर बाहर रुद्राक्ष के साथ खड़ा था।

बाहर लगभग 20 लोग और थे, उसमें से कुछ ब्राह्मण और कुछ फूलों की टोकरियां उठाये सेवक और सेविकाएं थी।

ब्राह्मणो के हाथों में पूजा का सामान था।

सभी ने सफेद रंग के वस्त्र पहन रखे थे। एक विशालकाय स्लेज भी बाहर खड़ा था।

शिवन्या और शलाका को बाहर निकलते देख सभी उस बड़े स्लेज पर खड़े हो गये। इस बड़े स्लेज को 6 बर्फ़ पर चलने वाले घोड़े खींच रहे थे।

रुद्राक्ष, शिवन्या और शलाका रेंडियर वाले छोटे स्लेज पर बैठ गये। जेम्स भी उसी स्लेज पर सवार हो गया।

दोनों ही स्लेज बर्फ़ के रास्ते पर चल दिये।

जेम्स को यह सब कुछ बहुत अलग और अच्छा लग रहा था। उसे तो सबकुछ एक सपने की तरह महसूस हो रहा था।

“क्या मैं कुछ चीज आपसे पूछ सकता हूँ?" जेम्स ने शलाका की ओर देखते हुए पूछा।

“हां-हां पूछो जेम्स।" शलाका ने अनुमित देते हुए कहा।

“यह गुरुत्व शक्ति है क्या? मेरा मतलब है कि इस शक्ति का जन्म कैसे हुआ?" जेम्स ने उत्सुकता दिखाते हुए पूछा।

लेकिन इससे पहले कि शलाका इस बात का कोई जवाब देती, शिवन्या बीच में ही बोल पड़ी-

“हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगीरथ ने अपने पूर्वजो को मुक्ति दिलाने के लिये देवी गंगा का आव्हान किया, तो सबसे बड़ी समस्या यह थी कि गंगा के वेग को पृथ्वी नहीं संभाल पाती, जिसकी वजह से गंगा पाताल में चली जाती।

भगीरथ ने अपनी यह समस्या महा..देव को कही। महा..देव गंगा के वेग को अपनी जटाओं में रोकने के लिये तैयार हो गये, पर महा..देव जानते थे कि गंगा के वेग को संभालना इतना भी आसान ना था। इसके लिये महा..देव ने पहले गंगा से उनका एक बूंद अंश मांगा और उस अंश को चन्द्रमा के तेज से गुरुत्व शक्ति में परिवर्त्तित कर गुरुत्वाकर्षण से मुक्त कर दिया। देवी गंगा की वह प्रथम बूंद का अंश ही गुरुत्व शक्ति है, जो आज भी हिमालय के गर्भ में बसे शि..व मंदिर में रखी है। यह बूंद जिस पर गिरेगी, उसमें किसी भी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण से मुक्त होने की शक्तियां आ जायेंगी।"

“अगर यह बूंद किसी पर गिरे तो क्या यह समाप्त हो जायेगी?" जिज्ञासु जेम्स ने फ़िर से सवाल किया।

“अगर यह बूंद किसी योग्य व्यक्ति पर गिरती है, तो उस व्यक्ति में शक्तियां आने के बाद एक नयी बूंद इस डिबिया में आ जायेगी, पर अगर गलती से भी यह बूंद किसी अयोग्य व्यक्ति पर गिरी तो यह बूंद सदा-सदा के लिये नष्ट हो जायेगी।"

“तो क्या आज तक यह बूंद किसी पर गिरी है?" जेम्स ने पूछा।

“हां....ये बूंद महाशक्तिशाली हनुका पर गिरी है।" शिवन्या ने कहा- “हनुका वही हैं जो कल आपको पकड़ कर लाये थे।"

जेम्स शिवन्या की बातें सुनकर चमत्कृत हो गया। तभी वह सभी लोग एक छोटे से पहाड़ पर पहुंच गये।

पहाड़ के ऊपर काफ़ी समतल क्षेत्र भी था।

सभी लोग वहां रथ से उतरकर जमीन के पास खड़े हो गये थे। इस समय चारो ओर उजाला फैल गया था, पर सूर्य की अभी पहली किरण नहीं आयी थी।

ब्राह्मणो ने तब तक वहां पर पूजा की तैयारियां शुरू कर दी। उन्होंने एक खाली स्थान पर रोली, अक्षत और फूलों से 2 स्वास्तिक व ओऽम की आकृति बना दी।

चारो ओर बर्फ़ की सफेद चादर बिछी हुई थी। बहुत ही मनोरम और शुद्ध वातावरण था। सूर्यदेव के आने के पहले अरुण ने चारो ओर अपनी दिव्य छटा बिखेर दी थी।

आख़िरकार वह मंगलमयी बेला आ गयी। सूर्यदेव की पहली रश्मि अपनी दिव्य ज्योति लिये हुए उस पवित्र वातावरण में प्रविष्ट हुई।

सूर्य की पहली किरण देख ब्राह्मणो ने शंख, घंटे, डमरू और मृदंग की ध्वनि करनी शुरू कर दी।

जैसे ही सूर्य की पहली किरण ने बर्फ़ पर बनी उस ओऽम की आकृति को छुआ, एक गड़गड़ाहट के साथ जमीन के अंदर से एक विशालकाय सोने का शि.व-मंदिर प्रकट होना शुरू हो गया।

चारो ओर से सभी ने शि.व तांडव …पढ़ना शुरू कर दिया। श्रद्धावश शलाका और जेम्स के हाथ भी जुड़ गये।

इतने शुद्ध वातावरण में इस प्रकार की ध्वनि सभी को वशीभूत कर रही थी। कुछ ही देर में महादेव का वह पवित्र मंदिर बर्फ़ से पूरा बाहर आ गया।

तब तक शि..व तांडव…. के 17 श्लोक भी पूरे हो गये। शलाका, शिवन्या और रुद्राक्ष को लेकर मंदिर में प्रवेश कर गयी।

मंदिर के बीच में एक गोलाकार पीठम् के बीच महा..देव का एक शि.वलिंग विराजमान था। शि.व.लं.ग के ऊपर नागराज वासुकि का फन एक छत्र की तरह से महा.देव पर छाया हुआ था। उसके ऊपर एक छेद की हुई सोने की एक मटकी में जल की धारा निरंतर ज्योतिर्लिंग पर गिर रही थी।

उस सोने की मटकी के ऊपर ढक्कन की तरह से एक सोने की डिबिया रखी हुई थी, जिसमें उपस्थित थी गुरुत्व शक्ति।



जारी
रहेगा_______✍️
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
क्या लुफासा मकोटा के लिये गुरुत्व शक्ती चुरा पायेगा
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Bahut hi gazab ki update he Raj_sharma Bhai,

Baithe Baithe Kabhi Atlantis, Kabhi Himalaya ghuma rahe ho..........

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Keep rocking Bro
Kab ja paao Pata nahi bhai, wase bhi abhi yudh chal raha hai :D To socha story me hi ghuma du:hehe:
Khair, agley update me ladaai bhi hogi, aur kuch tagda dekhne ko milega, aur is chappter ka bhi ant kar denge:declare:
Thank you very much for your valuable review and support :thanx:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
क्या लुफासा मकोटा के लिये गुरुत्व शक्ती चुरा पायेगा
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Bilkul chura sakta hai, per dekhne wali baat ye hogi ki kya wo churq payega:?: Thank you very much for your wonderful review and support bhai :thanx:
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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#104.

क्रिस्टी की बात सुनकर, तौफीक ने धूल के गुबार को थोड़ी देर तक देखा और अपना पैर जमीन पर तेजी से पटका।

तौफीक के पैर पटकने से धूल के कुछ और कण जमीन से उठकर हवा में रुक गये।

“इन कणो पर गुरुत्वाकर्षण का नियम क्यों नहीं काम कर रहा?" अल्बर्ट ने उन धूलकणो को देखते हुए कहा।

यह देख सुयश ने जमीन पर बैठकर एक जोर की फूंक उन धूलकणो पर मारी। सुयश के ऐसा करते ही सारे धूलकण भौंरे के जमीन पर बनाये गोल सी रेखाओ के ऊपर हवा में गोल-गोल तैरने लगे।

भौंरे का शरीर भी उस हवा में गोल-गोल नाचने लगा। यह देखकर सुयश, तौफीक सहित सभी लोग पीछे हट गये।

धूल के कणो से बना वह गुबार अब हवा में ऊपर उठने लगा। उसकी गति और आकार भी अब लगातार बढ़ते जा रहे थे।

धीरे-धीरे हवा का वह गोल दायरा एक चक्रवात में परिवर्तित हो गया। अब सभी फूलों के पौधे उसकी ओर खिंचने लगे।

तभी ब्रेंडन की निगाहें अपने फ़ेंके उस फूल की ओर गयी, जिससे यह पूरा घटनाक्रम शुरू हुआ था। इतनी तेज हवा के होने के बाद भी वह फूल अपनी जगह पर पड़ा था।

चक्रवात अब और विकराल होता जा रहा था।

ब्रेंडन ने कुछ सोचने के बाद झुककर उस फूल को जमीन से उठा लिया। ब्रेंडन का अंदाजा था कि फूल को उठाने से यह पूरा घटनाक्रम बंद हो जायेगा, पर हुआ उसका बिल्कुल उलट।

ब्रेंडन के फूल उठाते ही वह चक्रवात तेजी से ब्रेंडन की ओर झपटा और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, ब्रेंडन का शरीर चक्रवात के घेरे में फंस गया था।

किसी के पास ब्रेंडन को बचाने का ना तो वक्त था और ना ही तरीका।

चक्रवात ने अब बहुत विशाल रूप धारण कर लिया था। इसी के साथ चक्रवात हवा में उठा और ब्रेंडन सहित आसमान में उड़कर गायब हो गया।

सभी हक्के-बक्के से वहां खड़े चक्रवात को जाते देखते रह गये।

“ये क्या था प्रोफ़ेसर?" सुयश ने अल्बर्ट से पूछा- “ऐसी किसी चीज के बारे में क्या आपने कहीं सुन रखा है?"

“नहीं कैप्टन....ऐसी किसी चीज का जवाब विज्ञान के पास तो नहीं मिलेगा।"

अल्बर्ट ने आह भरते हुए कहा- “एक छोटे से फूल और भौंरे से इतनी बड़ी परेशानी का पैदा हो जाना तो किसी भी दिमाग में नहीं आ सकता था।"

“आख़िर हमने अपने एक और साथी को खो दिया।" तौफीक ने दुख भरे स्वर में कहा।

“नक्षत्रा।" जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा- “क्या तुम बता सकते हो कि ये चीज क्या थी?“

“ये चीज एक मायाजाल थी।" नक्षत्रा ने कहा।

“ये मायाजाल क्या होता है?" जेनिथ ने फ़िर से पूछा- “और हां, कृपया आसान भाषा में समझाना। मुझे विज्ञान की ज़्यादा जानकारी नहीं है।"

“हमारे आसपास 2 ब्रह्मांड हैं, एक वह जो हमें आसमान में दिखाई देता है और एक वह जो हमारे आसपास के वातावरण में मौजूद है।" नक्षत्रा ने कहा- “हम पहले ब्रह्मांड के बारे में तो अब बहुत कुछ जानने लगे हैं, परंतु हम अपने आसपास मौजूद ब्रह्मांड के बारे में कुछ नहीं जानते और हमारे आसपास मौजूद ब्रह्मांड ही हमारे जीवन का आधार है।

इसिलये मैं तुम्हें आसपास के ब्रह्मांड के बारे में बताता हूँ। दरअसल हमारे ब्रह्मांड में मौजूद हर चीज कण से मिलकर बनी है और विज्ञान जानने वाले लोगो को पता है कि हर कण इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से मिलकर बना है। जिसमें इलेक्ट्रॉन नकारात्मक और प्रोटॉन सकारात्मक होता है और यह दोनों ही कण नाभिक में बैठे न्यूट्रॉन के चक्कर लगाते हैं। यानी की साधारण भाषा में समझे तो वह छोटा सा कण भी अंदर से खोखला है और न्यूट्रॉन के गुरुत्वीय बल के कारण उसके चक्कर लगा रहा है। अब अगर तुम बाहर के ब्रह्मांड को देखो तो वो भी तो ऐसा ही है।

चन्द्रमा पृथ्वी के चक्कर लगा रहा है। पृथ्वी सूर्य के चारो ओर चक्कर लगा रही है। हमारी यह छोटी सी आकाशगंगा किसी दूसरी आकाशगंगा के चक्कर लगा रही है। ठीक उसी प्रकार अगर हम न्यूट्रॉन को करोड़ो गुना छोटा करे, तो उसमें भी एक ब्रह्मांड दिखाई देगा और उस ब्रह्मांड का सबसे छोटा कण है, जिसे हम ब्रह्मकण, हिग्स बोसन या आन्य नामों से जानते हैं।

इसी ब्रह्मकण ने हर जीव, हर तत्व को उत्पन्न किया है और सभी में अपने जीवन जीने के लिये विभिन्न प्रकार की क्षमताएं भी दी हैं। जैसे बाहरी दुनियां का ब्रह्मांड आपस में टकराकर एक नये ब्रह्मांड को जन्म देता है, ठीक उसी प्रकार कण का ब्रह्मांड भी आपस में टकराकर कुछ नये ‘इल्यूजन’ को जन्म देता है। हम इस ‘इल्यूजन’ को ही मायाजाल कहते हैं। इस मायाजाल पर हमारे भोतिक नियमों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और ऐसा ही एक मायाजाल तुम्हें थोड़ी देर पहले दिखाई दिया है।"

इतना कहकर नक्षत्रा चुप हो गया। उसने जेनिथ की भावनाओं को महसूस किया तो पता चला कि उसकी बातें जेनिथ को केवल 12 प्रतिशत ही समझ में आई हैं। यह देख वह हंस दिया।

“तुम परेशान मत हो जेनिथ, मैं धीरे-धीरे तुम्हें पूरी विज्ञान की जानकारी दे दूँगा।" नक्षत्रा ने शांत जेनिथ को देख कहा।

जेनिथ ने धीरे से अपना सिर हिलाया और सभी के साथ आगे की ओर चल दी।


गुरुत्व शक्ति

(10 जनवरी 2002, गुरुवार, 16:00, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

लुफासा और सनूरा इस समय मकोटा महल में मकोटा के पास बैठे हुए थे।

“मैंने आज तुम्हें कुछ जरुरी काम करने के लिये बुलाया है लुफासा।" मकोटा ने लुफासा की ओर देखते हुए कहा।

“जी बताइये मान्त्रिक।"
लुफासा ने गहरी निगाहों से मकोटा की ओर देखते हुए कहा।

“दरअसल हमें अराका पर राज करने के लिये जैगन की शक्तियों की आवश्यकता है, पर इसके लिये पहले हमें जैगन को एक शक्ति प्राप्त करके देना होगा।" मकोटा ने कहा।

“कैसी शक्ति?" लुफासा ने मकोटा से पूछा।

“गुरुत्व शक्ति!" मकोटा ने कहा।

“गुरुत्व शक्ति? ... ये शक्ति क्या करती है मान्त्रिक?" लुफासा के शब्दो में व्यग्रता झलक रही थी।

“हर ग्रह के अंदर एक गुरुत्वाकर्षण शक्ति होती है, जिसकी वजह से उस ग्रह पर मौजूद सभी निर्जीव और सजीव चीज उस ग्रह की धरती से जुड़े रहते हैं। यह गुरुत्व शक्ति जिसके पास रहेगी, उस पर उस ग्रह के गुरुत्वाकर्षण का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति विज्ञान के नियमो को तोड़कर एक अजेय शक्ति में परिवर्त्तित हो जायेगा।" मकोटा ने कहा।

“पर ऐसी शक्ति धरती पर मिलेगी कहां?" सनूरा ने बीच में बोलते हुए कहा।

मकोटा ने इस बार सनूरा की ओर देखा और फ़िर बोला- “यहां से पूर्व दिशा की ओर एक विशालकाय पर्वत है, जिसका नाम हिमालय है। हर वर्ष हिमालय में वह शक्ति 1 दिन के लिये प्रकट होती है और वह विशेष दिन कल ही है। इसलिये तुम्हें आज ही हिमालय के लिये निकलना होगा।"

“पर मान्त्रिक... ऐसी विचित्र शक्ति मुझे ऐसे ही तो मिल नहीं जायेगी। उसकी सुरक्षा में भी कुछ ना कुछ तो जरूर होगा।" लुफासा ने कहा- “क्या आप मुझे उसकी सुरक्षा के बारे में कुछ बता सकते हैं?"

“उसकी सुरक्षा वहां के बर्फ़ में रहने वाले कुछ साधारण इंसान ही करते हैं, इसलिये उसको लाने में तुम्हें ज़्यादा परेशानी नहीं होगी।" मकोटा ने लुफासा को समझाया।

“फ़िर ठीक है, मैं आज ही गुरुत्व शक्ति को लाने के लिये चला जाऊंगा। पर मान्त्रिक क्या मैं जान सकता हूँ की जैगन यह शक्ति लेकर क्या करने वाला है?"

“जैगन का एक महाशक्तिशाली योद्धा एक बार एक युद्ध में धरा शक्ति से टकराते हुए जमीन पर गिर गया। जैगन लाख कोशिशों के बाद भी उसे जमीन से उठा नहीं पा रहा, तभी उसे गुरुत्व शक्ति के बारे में पता चला। दरअसल गुरुत्व शक्ति, धरा शक्ति की काट है और उसके द्वारा उस योद्धा को जगाया जा सकता है। इसिलये जैगन ने यह महान कार्य करने के लिये हमें चुना है।" मकोटा ने कहा।

मकोटा की बात सुनकर लुफासा एक पल में ही समझ गया कि मकोटा सरासर झूठ बोल रहा है, क्यों कि उसने पहले ही जैगन को पिरामिड में बेहोश हालत में देख लिया था।

लुफासा जान गया कि गुरुत्व शक्ति का उपयोग जैगन के महायोद्धा को जगाने के लिये नहीं, बल्कि स्वयं जैगन को जगाने के लिये होना था।

लेकिन इस समय लुफासा के पास और कोई चारा नहीं था, इसलिये वह गुरुत्व शक्ति लाने को तैयार हो गया।

तभी मकोटा ने लुफासा को एक दिशा यंत्र देते हुए कहा- “यह एक दिशा यंत्र है, ये तुम्हें गुरुत्व शक्ति के स्थान तक रास्ता दिखायेगा।"

मकोटा ने कुछ देर तक जब लुफासा और सनूरा को और कोई प्रश्न ना पूछते हुए देखा तो उन्हे वहां से जाने का इशारा कर दिया।

मकोटा का इशारा पाकर लुफासा और सनूरा वहां से चल दिये।

प्राचीन शिव मंदिर

(11 जनवरी 2002, शुक्रवार, 05:30, हिमलोक, हिमालय पर्वत)

अगले दिन शलाका नहा-धोकर ताजा हो गयी थी।

शिवन्या ने शलाका के लिये भारतीय परिधान भेज दिये थे। भारतीय वस्त्र और फूलों के श्रृंगार में शलाका बहुत खूबसूरत नजर आ रही थी।

थोड़ी देर में शिवन्या शलाका को लेने के लिये आ गयी। दोनों बाहर निकले तो शलाका ने देखा कि जेम्स भी भारतीय परिवेश में तैयार होकर बाहर रुद्राक्ष के साथ खड़ा था।

बाहर लगभग 20 लोग और थे, उसमें से कुछ ब्राह्मण और कुछ फूलों की टोकरियां उठाये सेवक और सेविकाएं थी।

ब्राह्मणो के हाथों में पूजा का सामान था।

सभी ने सफेद रंग के वस्त्र पहन रखे थे। एक विशालकाय स्लेज भी बाहर खड़ा था।

शिवन्या और शलाका को बाहर निकलते देख सभी उस बड़े स्लेज पर खड़े हो गये। इस बड़े स्लेज को 6 बर्फ़ पर चलने वाले घोड़े खींच रहे थे।

रुद्राक्ष, शिवन्या और शलाका रेंडियर वाले छोटे स्लेज पर बैठ गये। जेम्स भी उसी स्लेज पर सवार हो गया।

दोनों ही स्लेज बर्फ़ के रास्ते पर चल दिये।

जेम्स को यह सब कुछ बहुत अलग और अच्छा लग रहा था। उसे तो सबकुछ एक सपने की तरह महसूस हो रहा था।

“क्या मैं कुछ चीज आपसे पूछ सकता हूँ?" जेम्स ने शलाका की ओर देखते हुए पूछा।

“हां-हां पूछो जेम्स।" शलाका ने अनुमित देते हुए कहा।

“यह गुरुत्व शक्ति है क्या? मेरा मतलब है कि इस शक्ति का जन्म कैसे हुआ?" जेम्स ने उत्सुकता दिखाते हुए पूछा।

लेकिन इससे पहले कि शलाका इस बात का कोई जवाब देती, शिवन्या बीच में ही बोल पड़ी-

“हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगीरथ ने अपने पूर्वजो को मुक्ति दिलाने के लिये देवी गंगा का आव्हान किया, तो सबसे बड़ी समस्या यह थी कि गंगा के वेग को पृथ्वी नहीं संभाल पाती, जिसकी वजह से गंगा पाताल में चली जाती।

भगीरथ ने अपनी यह समस्या महा..देव को कही। महा..देव गंगा के वेग को अपनी जटाओं में रोकने के लिये तैयार हो गये, पर महा..देव जानते थे कि गंगा के वेग को संभालना इतना भी आसान ना था। इसके लिये महा..देव ने पहले गंगा से उनका एक बूंद अंश मांगा और उस अंश को चन्द्रमा के तेज से गुरुत्व शक्ति में परिवर्त्तित कर गुरुत्वाकर्षण से मुक्त कर दिया। देवी गंगा की वह प्रथम बूंद का अंश ही गुरुत्व शक्ति है, जो आज भी हिमालय के गर्भ में बसे शि..व मंदिर में रखी है। यह बूंद जिस पर गिरेगी, उसमें किसी भी ग्रह के गुरुत्वाकर्षण से मुक्त होने की शक्तियां आ जायेंगी।"

“अगर यह बूंद किसी पर गिरे तो क्या यह समाप्त हो जायेगी?" जिज्ञासु जेम्स ने फ़िर से सवाल किया।

“अगर यह बूंद किसी योग्य व्यक्ति पर गिरती है, तो उस व्यक्ति में शक्तियां आने के बाद एक नयी बूंद इस डिबिया में आ जायेगी, पर अगर गलती से भी यह बूंद किसी अयोग्य व्यक्ति पर गिरी तो यह बूंद सदा-सदा के लिये नष्ट हो जायेगी।"

“तो क्या आज तक यह बूंद किसी पर गिरी है?" जेम्स ने पूछा।

“हां....ये बूंद महाशक्तिशाली हनुका पर गिरी है।" शिवन्या ने कहा- “हनुका वही हैं जो कल आपको पकड़ कर लाये थे।"

जेम्स शिवन्या की बातें सुनकर चमत्कृत हो गया। तभी वह सभी लोग एक छोटे से पहाड़ पर पहुंच गये।

पहाड़ के ऊपर काफ़ी समतल क्षेत्र भी था।

सभी लोग वहां रथ से उतरकर जमीन के पास खड़े हो गये थे। इस समय चारो ओर उजाला फैल गया था, पर सूर्य की अभी पहली किरण नहीं आयी थी।

ब्राह्मणो ने तब तक वहां पर पूजा की तैयारियां शुरू कर दी। उन्होंने एक खाली स्थान पर रोली, अक्षत और फूलों से 2 स्वास्तिक व ओऽम की आकृति बना दी।

चारो ओर बर्फ़ की सफेद चादर बिछी हुई थी। बहुत ही मनोरम और शुद्ध वातावरण था। सूर्यदेव के आने के पहले अरुण ने चारो ओर अपनी दिव्य छटा बिखेर दी थी।

आख़िरकार वह मंगलमयी बेला आ गयी। सूर्यदेव की पहली रश्मि अपनी दिव्य ज्योति लिये हुए उस पवित्र वातावरण में प्रविष्ट हुई।

सूर्य की पहली किरण देख ब्राह्मणो ने शंख, घंटे, डमरू और मृदंग की ध्वनि करनी शुरू कर दी।

जैसे ही सूर्य की पहली किरण ने बर्फ़ पर बनी उस ओऽम की आकृति को छुआ, एक गड़गड़ाहट के साथ जमीन के अंदर से एक विशालकाय सोने का शि.व-मंदिर प्रकट होना शुरू हो गया।

चारो ओर से सभी ने शि.व तांडव …पढ़ना शुरू कर दिया। श्रद्धावश शलाका और जेम्स के हाथ भी जुड़ गये।

इतने शुद्ध वातावरण में इस प्रकार की ध्वनि सभी को वशीभूत कर रही थी। कुछ ही देर में महादेव का वह पवित्र मंदिर बर्फ़ से पूरा बाहर आ गया।

तब तक शि..व तांडव…. के 17 श्लोक भी पूरे हो गये। शलाका, शिवन्या और रुद्राक्ष को लेकर मंदिर में प्रवेश कर गयी।

मंदिर के बीच में एक गोलाकार पीठम् के बीच महा..देव का एक शि.वलिंग विराजमान था। शि.व.लं.ग के ऊपर नागराज वासुकि का फन एक छत्र की तरह से महा.देव पर छाया हुआ था। उसके ऊपर एक छेद की हुई सोने की एक मटकी में जल की धारा निरंतर ज्योतिर्लिंग पर गिर रही थी।

उस सोने की मटकी के ऊपर ढक्कन की तरह से एक सोने की डिबिया रखी हुई थी, जिसमें उपस्थित थी गुरुत्व शक्ति।



जारी
रहेगा_______✍️
Amazing update brother.

Mujhe aisa kyun lag raha hai jaise Jaigan pahle kisi se ladai mein hara hua hai???

Lufasa ko Makota ne ye kya bol diya ki *gravity power* ki suraksha aam insaan karte hain??? Mujhe aisa lagta hai yadi Makota gaya hota toh wo bhi apne maksad mein kamyab nahi ho pata kyunki pahle Shivanya, Hanuka aur Rudra jaise yoddha uski suraksha kar rahe the aur ab Salaka bhi shamil ho gayi hai khair dekhte hain aapne kya soch rakha hai????

Brendon bhi chala gaya ya phir uska zinda hone ka koi chance hai kyunki wo mar chuka hai ye abhi clear nahi hua hai halanki Suyash aur Albert ne kaha ki unka ek aur sathi chala gaya.
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Amazing update brother.

Mujhe aisa kyun lag raha hai jaise Jaigan pahle kisi se ladai mein hara hua hai???
aisa hua hoga, varna wo nirjeev sa kyu pada hua hai :shhhh: per apun ko abhi kuch maloom nahi hai:dazed:
Lufasa ko Makota ne ye kya bol diya ki *gravity power* ki suraksha aam insaan karte hain??? Mujhe aisa lagta hai yadi Makota gaya hota toh wo bhi apne maksad mein kamyab nahi ho pata kyunki pahle Shivanya, Hanuka aur Rudra jaise yoddha uski suraksha kar rahe the aur ab Salaka bhi shamil ho gayi hai khair dekhte hain aapne kya soch rakha hai????
Makota ko apni shaktiyo per kuch jyada hi ghamand hai, is liye wo insaano ko bas aise hi samajhta hai:approve: Wo keval shalaka se darta hai bas, rahi baat Vaha, shivanya aur Rudraksh bhi hai, jinke pas bhi shaktiya hai, jo bhi vedalay me padha hai, wo samanya kaise ho sakta hai:D
Brendon bhi chala gaya ya phir uska zinda hone ka koi chance hai kyunki wo mar chuka hai ye abhi clear nahi hua hai halanki Suyash aur Albert ne kaha ki unka ek aur sathi chala gaya.
:verysad:Batao, bechara Brendon bhi chala gaya, rahi baat uske jinda hone ki to, kah nahi sakte, gaya to bruno bhi tha, or alex bhi:dazed:
Thank you very much for your wonderful review and support bhai :thanks:
 
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