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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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Rashika

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# 11.
चैपटर-4 31 दिसम्बर 2001, सोमवार, 20:00;

“दोस्तों ! आज एक खुशियों भरी रात है।“ सुयश ने माइक संभाल कर बोलना शुरू किया-

“अब से ठीक 4 घंटे के बाद हमारे लिए एक नए वर्ष की शुरुआत होगी। हमारा “सुप्रीम” भी एक नए वर्ष में कदम रख रहा है। आज हम धरती से हजारों किलोमीटर दूर, अनंत सागर में हैं। लेकिन मैंने अपने इस शिप पर किसी चीज की कमी नहीं होने दी है। मैं यह चाहता हूं, कि आज की रात, आप अपनी जिंदगी में एक नया अध्याय शुरू करें और आज की तारीख को अपने अनमोल जिंदगी का एक इतिहास बना दें। एक ऐसा इतिहास, जिस के पन्ने आप जब भी पलटें, तो आपको गर्व हो, आज के दिन पर और इस यादगार लम्हे पर। कल एक नई सुबह, एक नई ‘सुप्रीम’ हमारा इंतजार कर रही है। ‘सो लेट्स इंजॉय दिस नाइट‘।“

इतना कहकर सुयश स्टेज से उतर गया। सभी इस रंगारंग कार्यक्रम का आनंद ले रहे थे। तभी स्टेज पर, प्रोफेसर अलबर्ट डिसूजा चढ़ गए। उनके साथ सुयश भी था। स्टेज पर पहुंचकर, सुयश ने अलबर्ट को माइक की ओर आने का इशारा किया। अलबर्ट ने धीरे से माइक संभाल लिया। पुनः अब सभी का ध्यान स्टेज की ओर केंद्रित हो गया।

“दोस्तों ! कृपया ध्यान दें।“ अलबर्ट ने बोलना शुरू किया- “मेरा नाम अलबर्ट डिसूजा है। मैं एक अमेरिकन साइंटिस्ट हूं। मेरा सारा जीवन सिर्फ अविष्कार और खोज करने में ही चला गया। यहां तक कि मैं अपनी बीवी मारिया को आज तक कोई यादगार खुशी नहीं दे सका।“ सभी व्यक्ति बहुत ध्यान से अलबर्ट की बा त सुन रहे थे।

“मुझे इस बात का बहुत दुख है, कि मैं उसके लिए आज तक कुछ न कर सका। पर दोस्तों आज की रात को मैं भी, अपने जीवन में यादगार बनाना चाहता हूं। दरअसल बात यह है, कि आज हमारी 40वीं मैरिज एनिवर्सरी है। और मैं चाहता हूं कि इस खुशी के मौके पर, आप लोग भी हमारी खुशी में शामिल होइये। इसलिए आज की रात सभी को मेरी तरफ से शैम्पेन फ्री में बांटा जाएगा। तो दोस्तों मेरी इस यादगार एनिवर्सरी में सभी लोग मेरे साथ मिलकर खुशियां बांटेंगे।“

इतना कहकर अलबर्ट चुप हो गया। तभी एक व्यक्ति ने हाथ में शैंपेन की बोतल लाकर अलबर्ट को दे दिया। अलबर्ट ने उसे तेजी से ऊपर-नीचे हिलाया और फिर एक झटके से उसका कार्क खोल दिया और हवा में बोतल को उठा कर कहा –

“मेरी खूबसूरत और जीवन भर साथ देने वाली बीवी मारिया के नाम।“ चारों तरफ से तालियां बजने लगीं। मारिया की भी आंखों में आंसू आ गए। लेकिन यह आंसू खुशी के थे। अलबर्ट उसके बाद धीरे से स्टेज से उतरकर, मारिया के पास आकर खड़ा हो गया और मारिया का हाथ, अपने हाथ में इस तरह ले लिया, मानों अब वह उसे पूरी जिंदगी ना छोड़ने वाला हो।

तभी धीरे-धीरे सभी लोग आकर उन्हें कां ग्रेचुलेट करने लगे। इस भीड़ में माइकल, मारथा और शैफाली भी थे।

“इधर सभी लोग न्यू ईयर सेलिब्रेट कर रहे हैं, तो क्यों ना थोड़ी देर के लिए कहीं और चलें। आइये शिप के कंट्रोल रूम में चलें। जरा यहां भी तो देखें, यहां का चालक दल न्यू ईयर के बारे में क्या सोच रहा है?“

“यार रोजर!“ असलम जो कि रोजर का हमउम्र होने के कारण उसे नाम से संबोधित करता था, रोजर से मुखातिब होकर बोला - “आज न्यू ईयर की रात है। 12 बजे के बाद से न्यू ईयर शुरू हो जाएगा। बाहर हॉल में तो सभी सेलिब्रेट कर रहे हैं। पर हम क्या ऐसे सूखे-सूखे ही नया साल मनाएंगे।“

“क्या मतलब है तुम्हारा ?“ रोजर ने समझ कर भी, ना समझने वाले भाव से कहा। “अरे अगर आप आर्डर दें, तो थोड़ा गला हम लोग भी तर कर लें।“ असलम ने रोजर को मनाते हुए कहा।

“तुम्हारा मतलब है, कि ड्यूटी टाइम पर ड्रिंक।“ रोजर ने धीरे से अपने कानों को हाथ लगाते हुए कहा-

“ना बाबा ना। अगर कैप्टन को यह पता चल गया कि, हम लोगों ने ड्यूटी टाइम पर ड्रिंक किया था, तो वह हंगामा खड़ा कर देगा। और वैसे भी तुम्हें मालूम है कि वह नियम और कानून का कितना पक्का है। भाई मुझे तो यह रिस्क लेना मंजूर नहीं है।“ उनकी बातें सुन चालक दल के अन्य सदस्य भी उस ओर आ गए और उनकी बातें सुनने लगे।

“अरे यार! मैं थोड़े से की तो बात कर रहा हूं। कौन सा हमें पूरी बोतल पीनी है। एक-दो पैग से कैप्टेन को क्या पता चलेगा ?“ असलम ने रोजर को उकसाते हुए कहा- “और वैसे भी कैप्टन तो इस समय हॉल में है। उसकी निगाहें तो अपराधी को खोज रही हैं। वह भला इस समय यहां क्या करने आएगा ?“

असलम के शब्द सुनकर रोजर सोच में पड़ गया। असलम रोजर को सोचते देख, उसके मन की दशा भांपकर, एक चोट और की।

“अब मान भी जाओ यार। वैसे अगर तुम कहो, तो थोड़ी देर के लिए, कंट्रोल रूम का दरवाजा अंदर से बंद कर देते हैं। अगर कोई आएगा भी, तो पहले दरवाजे पर नॉक करेगा। इतने में तो हम बोतलें छिपा लेंगे।“

इतना कहकर असलम फिर चुप हो गया और रोजर का चेहरा देखने लगा। तभी बाकी के चालक दल के लोग, जो अब तक उनकी बातें सुन रहे थे वह भी रोजर को मनाने में लग गए।

“अब मान भी जाइए रोजर सर, असलम सर बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। एक दो पैग में कोई नहीं जान पाएगा।“

“अच्छा ठीक है, अगर तुम सभी लोग इतना कह रहे हो, तो ठीक है पर कोई भी आदमी दो पैग से ज्यादा नहीं पियेगा।“ रोजर ने लगभग हथियार डालते हुए जवाब दिया।

“हुर्रेऽऽऽऽऽ!“ सभी के मुंह से समवेत स्वर निकला।

“श्श्श्श्श्श्!“ पर तुरंत ही असलम ने मुंह पर हाथ रखकर सबको चुप रहने का इशारा किया। फिर क्या था । आनन-फानन ड्रिंक की व्यवस्था हुई, और कंट्रोल रूम के दरवाजे को अंदर से लॉक कर लिया गया। ये जाम वर्ष 2002 के नाम। चियर्स .....।“ रोजर ने असलम के जाम से जाम टकराया और जोर का जयकारा लगाते हुए चियर्स किया।

“चलिए यहां भी नए साल की पार्टी आखिरकार हो ही गई। आइए अब वापस हॉल में चलते हैं। देखें तो वहां की पार्टी किस तरह परवान चढ़ रही है।“

हॉल में बहुत ही धूमधाम से पार्टी का आयोजन चल रहा था। सभी लोग अपने- अपने दोस्तों के साथ सेलिब्रेट कर रहे थे। वक्त भी “सुप्रीम” की मानिंद मंथर गति से चल रहा था।

इस समय रात के 11:30 बज रहे थे। 10 मिनट के बाद जेनिथ का डांस शुरू हो गया। हॉल की लाइट अब धीमी कर दी गई थी। जेनिथ अपनी सहेली लॉरेन के साथ स्टेज पर प्रकट हुई। स्वर लहरियां बज उठीं। धीमी गति से डांस शुरू हो गया। इस समय हॉल के हर कोने में लाउडस्पी कर लगे होने के कारण पूरे हॉल में मध्यम संगीत गूंज रहा था।

सभी की आंखें, जैसे इस यादगार लम्हे को कैमरे की मानिंद शूट कर रहीं थीं। सभी की निगाहें अपने-अपने लक्ष्य पर थीं। जैसे डांस करती हुई, जेनिथ की निगाहें रह-रह कर तौफीक की ओर जा रहीं थीं।

उसने सोच रखा था कि जैसे ही 12:00 बजे लाइट ऑफ होगी। उसे भागकर तौफीक के पास पहुंचना है। जेनिथ, तौफीक के साथ ही न्यू ईयर सेलिब्रेट करना चाहती थी। तौफीक की भी निगाहें स्टेज पर ही थीं। लॉरेन की निगाहें, अपने बॉयफ्रेंड पर थीं। सुयश पूरे हॉल में नजरें दौड़ा कर, अपराधी को ढूंढने की कोशिश कर रहा था। ऐलेक्स की नजरें क्रिस्टी पर और क्रिस्टी की नजरें लॉरेन पर थीं। लारा अपने सिक्योरिटी के इंतजाम को चेक करने में व्यस्त था। ब्रैंडन की नजर सिर्फ और सिर्फ जॉनी पर थी। अलबर्ट डिसूजा, मारिया के साथ व्यस्त थे। उनसे कुछ दूरी पर खड़े माइकल, मारथा व शैफाली भी अपने आप में व्यस्त थे।

उधर जॉनी ने जैक को पहले ही बता दिया था, कि लाइट ऑफ होते ही वह जेनिथ की ओर जाएगा और उसे किस करके दिखाएगा। जॉनी का यह सोचना था कि 1 मिनट के अंधेरे में वह जेनिथ को किस करके वापस आ जा एगा। इसलिए वह स्टेज के पास खड़ा था और उसकी निगाहें लगातार जेनिथ की ओर थीं।

जैक, जॉनी का यह कारनामा देखना चाहता था, इसलिए उसने अपनी जेब में अंधेरे में देख सकने वाला चश्मा डाल डाल रखा था। उसकी निगाहें, जॉनी पर व एक हाथ अपनी जेब में था। फिलहाल हर आदमी का लक्ष्य निश्चित था। पार्टी जोरों से चल रही थी। घड़ी की सुईयां भी टिक-टिक करती हुई अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहीं थीं।

और आखिरकार वह समय भी आ गया। जब घड़ी की तीनों सुइयां एकाकार होने के लिए मचल उठीं। “15....14.... 13....12.....11....“ उल्टी गिनती शुरू हो चुकी थी- “5.....4.....3.....2............1“ जैसे ही तीनों सुइयों ने एक-दूसरे को अपने आलिंगन में लिया। तुरंत पूरे हॉल की लाइट ऑफ हो गयी।

हर तरफ शोर शराबे का माहौल था। जॉनी लाइट के ऑफ होते ही स्टेज की ओर भागा। लेकिन उसे यह नहीं पता था, कि जेनिथ लाइट के ऑफ होते ही तौफीक की तरफ जा चुकी है। अंधेरा होते देख, जैक ने तुरंत आंखों पर चश्मा लगा लिया। चश्मा लगाते ही उसे जेनिथ स्टेज से गायब दिखी।

उधर जॉनी भाग कर, लॉरेन को जेनिथ समझ, उसके पास पहुंच गया। यह देख के जैक के मुंह से एक ही शब्द निकला-

“अब तू मरा जॉनी ।“

इस भारी शोर-शराबे के बीच, एक शख्स ऐसा भी था, जिसे इस अंधेरे से कोई फर्क नहीं पड़ना था, और वह थी केवल शैफाली। सुयश की निगाहें, अपनी रेडियम युक्त घड़ी की सुईयों पर थी। 10 सेकेंड्स के बाद उसके चेहरे पर बेचैनी साफ झलकने लगी। ना जाने क्यों उसे ऐसा लगने लगा कि 30 सेकेंड्स के लिए, लाइट ऑफ की छूट देकर उसने गलती कर दी।

तभी पूरे हॉल में एक फॅायर की आवाज गूंजी- “धां यऽऽऽऽऽऽ।“ और इसी के साथ, एक चीख की आवाज सुनाई दी।

सुयश सहित सभी सिक्योरिटी के आदमी तुरंत हरकत में आ गए। हर तरफ से अब तेज शोर सुनाई दे रहा था। एका एक पूरे हॉल में सनसनी का माहौल हो गया।

“लाइट-जलाओ! लाइट-जलाओ!“ कई जगह से आवाजें उभरीं । तभी लाइट आ गई। सुयश भागकर स्टेज पर पहुंच गया। वहां पहुंचकर वह हक्का-बक्का रह गया ।

क्यों कि स्टेज पर लॉरेन की लाश पड़ी थी। उसके माथे के बीच में गोली लगी थी। लाश का चेहरा गोली लगने के कारण विकृत हो गया था। जॉनी, स्टेज पर, लॉरेन की लाश के बगल में खड़ा, थर-थर कांप रहा था। उसकी नजरें कभी लॉरेन की लाश पर, तो कभी उसे घूरते सुयश पर पड़ रही थी। सुयश ने अपनी सिक्योरिटी के द्वारा हॉल के सभी दरवाजे बंद करवादिए। अब हॉल में पिन ड्रॅाप साइलेंट था। उधर जेनिथ जो अभी तक रास्ते में थी, भागकर तौफीक के पास पहुंच गयी।

“सभी लोग कृपया ध्यान दें।“ सुयश ने माइक संभालते हुए सभी को संबोधित करते हुए कहा-

“देखिए जैसा की आप सभी देख रहे हैं, कि यहां पर एक मर्डर हो गया है। इसलिए मैं सभी से अनुरोध करता हूं, कि कृपया थोड़ा सा हमें सहयोग दें। जिसने भी हत्या की है, वह अभी यहीं पर होगा। इसलिए जो जहां पर है। कृपया वहीं पर खड़ा रहे।“

यह कहकर सुयश ने सभी सिक्योरिटी के आदमियों को अपने पास बुला कर, सभी की तलाशी लेने की बात की। सबसे पहले तलाशी जॉनी की ली जाती है। जॉनी का चेहरा डर के कारण बिल्कुल सफेद पड़ चुका था। उसकी तलाशी में कोई हथियार बरामद नहीं हुआ।




जारी रहेगा..........
Abhi tak 11 update tak hi pahuchi ju ne bhut update de diye i m too slow btw nice story
 

KEKIUS MAXIMUS

Supreme
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#117.

कालसर्प विषाका:
(3 दिन पहले........09 जनवरी 2002, बुधवार, 16:10, मायावन)

जंगल में पक्षियों का कलरव गूंज रहा था। ठण्डी-ठण्डी हवाओं के झोंको से ऐलेक्स की आँख खुल गयी।

ऐलेक्स ने धीरे से उठकर चारो ओर नजर मारी। उसके आसपास कोई भी नहीं था।

तभी उसे याद आया कि किसी इंसान ने हाथों से निकलते हरे रंग के धुंए को सूंघकर वह बेहोश हो गया था।

“कौन था वह आदमी ? उसने मुझे क्यों बेहोश किया...और...और कैप्टेन सहित सारे लोग मुझे बिना साथ लिये क्यों चले गये?”

परंतु थोड़ी देर तक सोचने के बाद भी जब ऐलेक्स को अपने सवालों का जवाब नहीं मिला, तो वह अपने कपड़ों को झाड़कर, अंदाज से ही जंगल में एक ओर बढ़ गया।

अकेले होने की वजह से ऐलेक्स को अब थोड़ा डर लग रहा था। उसके पास ना तो खाने-पीने की कोई चीज थी और ना ही अपने बचाव के लिये कोई हथियार। अब तो बस जंगल का सहारा ही बचा था।

ऐलेक्स अभी कुछ आगे ही बढ़ा था कि तभी उसे एक पेड़ के पास कोई लड़की का साया दिखाई दिया।
ऐलेक्स यह देख तुरंत एक पेड़ की ओट में छिप गया।

ऐलेक्स ने धीरे से किसी चोर की तरह पेड़ की ओट से झांककर उस साये को देखा।

वह साया अब उजाले में आ गया था। उस साये पर नजर पड़ते ही ऐलेक्स के होश उड़ गये।

“बाप रे....यह तो मेडूसा है। ग्रीक कहानियों की पात्र, जिसकी आँख में देखते ही इंसान पत्थर का बन जाता है....यह...यह इस जंगल में क्या कर रही है...मुझे तो लगता था कि ग्रीक कहानियों के सभी पात्र झूठे थे...पर ...पर इसे देखने के बाद ....देखने से याद आया मुझे इसकी आँखों में नहीं देखना है, नहीं तो मैं भी पत्थर का बन जाऊंगा।”

ऐलेक्स मन ही मन बड़बड़ाते पूरी तरह से भयभीत हो गया। जब थोड़ी देर तक कुछ नहीं घटा, तो ऐलेक्स ने धीरे से अपनी आँखें खोलकर चारो ओर देखा।

मेडूसा का कहीं भी पता नहीं था। यह देख ऐलेक्स ने राहत की साँस ली।

“लगता है कहीं चली गयी?....पर मैंने तो कहानियों में सुना था कि मेडूसा को पर्सियस ने मार दिया था, फिर ये जिंदा कैसे है?... क्या ये भी किसी मायाजाल का हिस्सा है?.... पर ये उस पेड़ के पास क्या कर रही
थी?”

ऐलेक्स के दिमाग में अजीब-अजीब से ख्याल आ रहे थे।

थोड़ी देर तक ऐलेक्स अपनी जगह पर खड़ा रहा, फिर कुछ सोच वह उस पेड़ की ओर बढ़ा, जिसके पास से उसने मेडूसा को निकलते हुए देखा था।

उस पेड़ के पास पहुंचकर ऐलेक्स ने घूरकर देखा, उसे उस पेड़ में बड़ा सा कोटर दिखाई दिया।

ऐलेक्स ने उस कोटर में झांककर देखा, पर अंदर अंधेरा होने की वजह से उसे कुछ दिखाई नहीं दिया।

कुछ सोच ऐलेक्स धीरे से उस कोटर में दाखिल हो गया। वह कोटर अंदर से काफी बड़ा था, ऐलेक्स उसमें खड़ा भी हो सकता था।

ऐलेक्स धीरे-धीरे टटोलकर आगे की ओर बढ़ने लगा।

कुछ आगे जाने पर उसे काफी दूर एक हल्की सी नीले रंग की रोशनी दिखाई दी। ऐलेक्स उस रोशनी की दिशा में आगे बढ़ने लगा।

एक छोटे से पेड़ में इतनी बड़ी सुरंग के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। थोड़ा आगे बढ़ने पर रास्ता ऊपर की ओर से संकरा होने लगा, यह देख ऐलेक्स अब झुककर चलने लगा।

उस संकरे रास्ते में भी पर्याप्त ऑक्सीजन थी, इसलिये ऐलेक्स को साँस लेने में किसी प्रकार की कोई भी तकलीफ नहीं हो रही थी।

बैठकर चलते-चलते ऐलेक्स, कुछ ही देर में उस रोशनी के स्थान पर पहुंच गया।

वहां पर जमीन में एक 4 फुट व्यास का गड्ढा था, रोशनी उसी गड्ढे से आ रही थी।

ऐलेक्स ने रोशनी के स्रोत का पता लगाने के लिये उस गड्ढे में झांककर देखा। गड्ढे में झांकते ही ऐलेक्स का पैर फिसल गया और वह 20 फुट गहरे उस गड्ढे में गिर पड़ा।

गड्ढे में गिरने के बाद भी ऐलेक्स को चोट नहीं लगी, क्यों कि उसका शरीर किसी गुलगुली चीज पर गिरा था।

वह एक बड़ा सा तहखाना था। तहखाना रोशनी से भरा था,शइसलिये ऐलेक्स को देखने में जरा भी मुश्किल नहीं हुई कि वह किस चीज पर गिरा है? पर उस चीज पर नजर पड़ते ही ऐलेक्स की धड़कन बिल्कुल रुक सी गयी, वह एक तीन सिर वाला विशालकाय काला सर्प था, जो कि उस तहखाने में सो रहा था।

ऐलेक्स हड़बड़ा कर उस सर्प से दूर हो गया। भला यही था ऐलेक्स के गिरने के बावजूद भी, वह सर्प नींद से नहीं जागा था।

ऐलेक्स ने तुरंत अपने बचने के लिये तहखाने में चारो ओर नजरें डाली, तहखाने में एक भी दरवाजा नहीं था।

ऐलेक्स यह देख और भी डर गया।

“हे भगवान...यह मैं कहां फंस गया? इस तहखाने में तो निकलने का एक मात्र वहीं रास्ता है, जिससे मैं यहां नीचे गिरा था, पर वह तो 20 फुट की ऊंचाई पर है...और इस तहखाने में कोई भी ऐसी चीज नहीं है? जिस पर खड़ा हो कर मैं उतनी ऊंचाई तक पहुंच सकूं....और ऊपर से यह काला साँप?....अगर यह उठ गया तो मुझे मरने से कोई भी नहीं बचा सकता। हे ईश्वर बचाले इस मुसीबत से।”

ऐलेक्स काफी देर तक डरा-डरा तहखाने के दूसरे किनारे पर बैठा रहा। पर जब काफी देर हो गया तो ऐलेक्स का डर थोड़ा सा कम हुआ।

अब उसने पूरे तहखाने पर नजर मारना शुरु कर दिया। पूरा तहखाना दो भागों में बंटा था।

तहखाने के बीचो बीच एक लाल रंग की रेखा खिंची हुई थी। उस रेखा के एक ओर वह सर्प सो रहा था और दूसरी ओर कुछ सामान रखा था।

ऐलेक्स अब उस समान के पास पहुंचकर उन्हें देखने लगा।

वहां मौजूद सामान में एक बीन थी, एक काँच की बोतल थी, जिसमें सुनहरे रंग का धुंआ भरा था। बीच-बीच में उस धुंए में लाइट स्पार्क हो रही थी।

बोतल को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे बोतल में बादल कैद हैं और उन बादलों में बीच-बीच में बिजली सी चमक रही है।

बोतल के पास एक काँच का पारदर्शी घड़ा रखा था, जिसका मुंह छोटा था और उस काँच के घड़े में एक कंचे के आकार की, नीले रंग की हीरे सी चमचमाती एक मणि रखी थी।

उसी मणि का प्रकाश तहखाने में चारो ओर बिखरा हुआ था।

“क्या मुझे यहां रखे इन सामान को छूना चाहिये?” ऐलेक्स के दिमाग की घंटी बज रही थी- “कहीं ऐसा ना हो कि किसी सामान को छूते ही यह तीन सिर वाला साँप जाग जाये?.. ...नहीं...नहीं मुझे यहां रखी किसी
चीज को भी नहीं छूना।”

ऐलेक्स यह सोच चुपचाप बैठ गया, पर जब 2 घंटे बीत गये तो ऐलेक्स फिर से खड़ा हुआ और उस काँच के मटके में हाथ डालकर उस मणि को निकाल लिया।

ऐलेक्स ने मणि को उलट-पलट कर देखा और फिर से वापस उसी घड़े में रख दिया।

अब ऐलेक्स ने उस काँच की बोतल को उठा कर देखा। उस बोतल के ऊपर एक कार्क का ढक्कन लगा था।

ऐलेक्स ने ढक्कन को खोलने की बहुत कोशिश की, पर वह ढक्कन ऐलेक्स से ना खुला।

आखिरकार ऐलेक्स ने बोतल को रख अब बीन उठा ली। ऐलेक्स उस बीन को कुछ देर तक देखता रहा और फिर उसने बीन को बजाना शुरु कर दिया।

ऐलेक्स के द्वारा बीन के बजाते ही वह तीन मुंह वाला सर्प जाग गया।

यह देख ऐलेक्स ने डरकर बीन को एक ओर फेंक दिया और वापस डरता हुआ तहखाने के दूसरे किनारे पर बैठकर उस साँप को देखने लगा।

जागते ही उस साँप ने एक जोर की फुंफकार मारी और अपने तीनों सिर से ऐलेक्स को घूरकर देखने लगा।

ऐलेक्स उसे साँप को अपनी ओर देखते पाकर और भी ज्यादा डर गया।

तभी उस साँप का बीच वाला सिर बोल उठा- “तुम कौन हो मानव? क्या तुमने ही मुझे इस नींद से जगाया है?”

साँप को बोलता देख ऐलेक्स की घबराहट थोड़ी सी कम हो गयी।

“म...म....मैं तो उस बीन को देख रहा था...वह तो मुझसे गलती से बज गयी...मेरा तुमको उठाने का कोई इरादा नहीं था।” ऐलेक्स ने घबराते हुए कहा।

“घबराओ नहीं मानव...मैं तुमको कोई हानि नहीं पहुंचाऊंगा।” साँप बोला- “तुमने तो मुझे जगा कर मेरी मदद ही की है।”

“मदद!....कैसी मदद।” ऐलेक्स उस सर्प के शब्द को सुनकर अब थोड़ा बेहतर दिखने लगा।

“मेरा नाम विषाका है, मुझे एक विषकन्या ने हजारों सालों से इस स्थान पर कैद करके रखा है, उस विषकन्या ने मेरी सारी शक्तियों को उस बोतल में बंद कर दिया है और मेरी मणि भी छीनकर उस घड़े में रखी है।

मैं एक अच्छा नाग हूं, मैंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया।” विषाका ने कहा- “हे मनुष्य क्या तुम मेरी मणि को उस घड़े से निकालकर मुझे दे सकते हो ?”

“तुम स्वयं क्यों नहीं ले लेते उस मणि को ?” ऐलेक्स ने शंकित स्वर
में कहा- “अब तो तुम जाग गये हो।”

“मैं अपनी मणि और शक्तियों के बिना इस लाल रेखा को नहीं पार कर सकता।” विषाका ने कहा- “इसी लिये मैं तुमसे उसे देने को कह रहा हूं। मुझे पता है तुम अच्छे इंसान हो, तुम मुझे मणि और वह बोतल अवश्य दोगे।”

“थैंक गॉड कि यह सर्प तहखाने के इस तरफ नहीं आ सकता।” ऐलेक्स ने मन में ही ईश्वर को धन्यवाद किया- “पर पता नहीं यह सर्प सही बोल रहा है या फिर झूठ बोल रहा है?...कहीं ऐसा ना हो कि मैं जैसे ही
इसे यह दोनों वस्तुएं दूं, यह मुझे ही मार दे।”

ऐलेक्स को सोचता देख विषाका ने फिर आग्रह किया- “ज्यादा मत सोचो मानव, मैं कभी झूठ नहीं बोलता, इससे पहले कि वह विषकन्या वापस लौटे, मुझे वह दोनों चीजें दे दो। मैं यहां से आजाद होते ही तुम्हें भी यहां से निकाल दूंगा। अगर वह विषकन्या वापस आयी तो वह तुम्हें पत्थर का बना देगी, फिर तुम कभी भी यहां से निकल नहीं पाओगे।”

ऐलेक्स को वह सर्प सही बोलता दिख रहा था, पर फिर भी जाने क्यों उसकी हिम्मत नहीं हो पा रही थी, उस सर्प को दोनों वस्तुएं देने की। ऐलेक्स के लिये यह स्थिति असमंजस से भरी थी।

विषाका बार-बार ऐलेक्स से निवेदन कर रहा था, मगर विषाका समझ गया था कि ऐलेक्स इतनी आसानी से उसे वह दोनों वस्तुंए नहीं देगा।

अचानक विषाका जमीन पर गिरकर तड़पने लगा। ऐलेक्स यह देख कर डर गया।

“ऐ अच्छे मनुष्य, मेरी मणि मेरे पास ना होने से मेरा दम घुटने लगा है।” विषाका ने तड़पते हुए कहा- “अगर तुमने मुझे मणि नहीं दी तो मैं कुछ ही मिनटों में अपने प्राण त्याग दूंगा। अगर तुम्हें सोचने के लिये और समय चाहिये तो तुम सोचो, पर कम से कम मणि मुझे देकर मेरी जान तो बचालो। वैसे भी मैं बिना बोतल की शक्तियों के इस लाल रेखा को पार नहीं कर सकता और अगर मैं मर गया तो तुम्हारी यहां से निकलने की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो जायेगी।”

विषाका की इस बात ने ऐलेक्स पर असर किया। उससे विषाका का यूं तड़पना देखा नहीं गया।

कुछ सोच ऐलेक्स ने काँच के घड़े से मणि को निकाला और विषाका की ओर उछाल दिया।

मणि को अपनी ओर आते देख अचानक विषाका तड़पना छोड़ मणि की ओर झपटा।

विषाका ने मणि को हवा में ही अपने बीच वाले मुंह से पकड़ लिया। अब विषाका सही नजर आने लगा।

“हे मनुष्य, मैं तुम्हारा नाम जानना चाहता हूं।” विषाका ने ऐलेक्स को देखते हुए कहा।

“मेरा नाम ऐलेक्स है।” ऐलेक्स ने जवाब दिया।

यह सुन विषाका जोर से फुफकारा और लाल रेखा को पारकर ऐलेक्स के पास आ गया।

विषाका को लाल रेखा पार करते देख, ऐलेक्स को एक मिनट में ही अपनी भूल का अहसास हो गया।

“तुम्हें पता है कि मैंने तुम्हारा नाम क्यों पूछा ?” विषाका ने अपने तीनों फन को हवा में लहराते हुए कहा- “ताकि मैं पूरे नागलोक को तुम्हारी मूर्खता की कहानी सुना सकूं। मैं उन्हें बताऊंगा कि एक मूर्ख मनुष्य मुझे मिला था, जिसने एक विषधर के नाटक पर विश्वास करके उसकी चमत्कारी मणि वापस कर दी। हाऽऽऽऽ हाऽऽऽऽ हाऽऽऽऽ अरे मूर्ख उस बोतल में तो मेरी शक्तियां हैं ही नहीं। मेरी सारी शक्तियां तो इस मणि में थीं।....अब बताओ तुम्हारा क्या किया जाये?”

विषाका की बात सुनकर ऐलेक्स आशा के विपरीत गुस्सा होते हुए बोला-

“अगर तुम मेरी अच्छाई को मूर्खता का नाम दे रहे हो, तो तुम से बड़ा धोखेबाज तो आज तक मैंने इंसानों में भी नहीं देखा। मुझे गर्व है कि मैं इंसान हूं...तुम मुझे मारना चाहते हो तो मार दो, पर ये याद रखना कि तुम जब भी कभी जिंदगी में मेरे बारे में सोचोगे, तुम्हें बहुत बेचैनी महसूस होगी।”

ऐलेक्स के ऐसे शब्दों को सुन विषाका एक पल को हिल गया, उसे डरे-डरे ऐलेक्स से ऐसी वीरता की उम्मीद नहीं थी।

कुछ सोच विषाका पलटा और उसने अपने दांए फन से वहां रखी बोतल को उठा लिया।

बोतल उठाकर विषाका वापस ऐलेक्स की ओर घूमा- “कुछ भी हो मुझे तुम्हारा यह रुप बहुत अच्छा लगा, इसलिये मैं तुम्हें जीवनदान देता हूं, वैसे भी मेरे जाने के बाद या तो तुम भूख-प्यास से मर जाओगे या फिर विषकन्या तुम्हें मार देगी, तो फिर मैं तुम्हें मारकर इस पाप को अपने सिर क्यों लूं।”

इतना कहकर विषाका अपनी पूंछ पर खड़ा हो कर छत पर लगे उस
छेद से बाहर निकल गया।

विषाका के बाहर निकलते ही तहखाने में पूरी तरह से अंधकार छा गया। अब ऐलेक्स के पास उस तहखाने से बाहर निकलने का कोई उपाय नहीं बचा था।


जारी रहेगा______✍️
nice update..ye vishaka saap to bada harami nikla ,,alex ne madad ki par uska koi faayda nahi hua ,bechare ko marta hua chhodkar chala gaya vishaka..
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Abhi tak 11 update tak hi pahuchi ju ne bhut update de diye i m too slow btw nice story
Koi baat nahi rashika ji, aap aaram se padho, koi jaldi nahi hai, bas beech beech me reply karti rahiye, :D is se hume bhi pata rahega ki aap sath ho, aur story wakai me achhi hai, aap aage padhiye👍
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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nice update..ye vishaka saap to bada harami nikla ,,alex ne madad ki par uska koi faayda nahi hua ,bechare ko marta hua chhodkar chala gaya vishaka..
Bilkul, waisa hi kiya usne, ehsaan faramosh nikla wo sapola :sigh:Anyway , Thanks for your valuable review and support bhai, sath bane rahiye, aage bohot kuch hai :thanks:
 

Raj_sharma

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Story matter krti hai jarrori nahi ki sirf sex hi ho movies series' main kon sa sex hi hota hai abhi panchyat dekhi usme to nhi tha pr story' mast hai aur ye sab temporary hai
Bilkul, waise bhi try kar raha hu, sayad jald hi apni ek novel chapp sakti hai. :shhhh:
 

Raj_sharma

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