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Thanks brothernice update

Thanks brothernice update

शक तो मुझे भी यही है की मुफासा के माॅ बाप को मकोटा ने ही मार दिया होगा, और इल्ज़ाम क्लाट पर डाल दिया#165
राज भाई ने स्वयं ही लिख दिया - मकोटा ने लुफासा का लम्बा चौड़ा काट दिया है। उसकी बातों से लगता है कि वो एक नम्बरी धूर्त है। अब तो शक़ होता है कि कलाट का लुफासा के मम्मी पापा की मृत्यु में कोई योगदान है। इसी मकोटे ने ही मारा होगा उनको। गोंजाला को व्योम ने कूट दिया था। सुयश और टीम को नहीं पता है, लेकिन व्योम तो इस समय महाबली है। उसका रोल क्या होगा, फिलहाल समझ में नहीं आ रहा है।
सारा खेल ही क्लिटो वाले मोती का है भाई ।यार अब तो जैगन का भी बाप निकल आया - कुवान! और वब तो जैगन ख़ुद भी होश में आ गया है। इससे मकोटा के गिरोह को बहुत बल मिलेगा। वैसे लुफासा का मानवों के बारे में चिंता जताना कुछ जमा नहीं। वो खुद ही मानवों की ऐसी तैसी करने में लगा हुआ है। ये क्लिटोरिस के मोती के कारण बड़ा उत्पात मचने वाला है!
क्लिटोरियस(वैसे भी दुनिया के अधिकतर झगड़े क्लिटोरिस के मोती के चक्कर में ही होते हैं! हा हा हा हा!)

#166
ये वाला तो कुछ कुछ Jack the Giant Slayer फ़िल्म जैसा हो गया!
“कैप्टेन अंकल समुद्र की लहरों के लिये चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण ही जिम्मेदार माना जाता है” -- क्या बात है भाई! सच में - कोई अगर ये कहानी पढ़ ले, तो उसको इतना कुछ पता चल जाएगा कि क्या कहें!
ऐलेक्स, क्रिस्टी की नोक झोंक इस कहानी मे हल्कापन लाती है भाई । जानलेवा अभी आगे आयेगा।“हां तुम्हारी आँखें बिल्कुल जलपरी के जैसी हैं, जी चाहता है कि इसमें डूब जाऊं।” -- “और तुम्हारा चेहरा इस चंद्रमा से भी ज्यादा खूबसूरत है।” -- इसको कहते हैं मौके पर छक्का मारना! वेल डन ऐलेक्स!! हा हा हा हा!
ये वाला द्वार कम से कम जानलेवा नहीं था!
झटका और वो भी गर्दन में, फिर तो वेगा निकल लेता हमेशा के लिए#167
भारतीय परंपरा में कौवों को बहुत बुद्धिमान प्राणी माना जाता है। इसलिए उस बुद्धिमान कौवे की बात विश्वसनीय है।
वो तो कहो ईल ने वेगा को बिजली का झटका नहीं मारा - यही तो दुर्गति हो जाती।
ये युद्ध तो केवल एक अभ्यास था भाई , पता नहीं आगे ओर क्या-2 झेलना पड सकता है।यह ज़रूर ही वीनस और वेगा के लिए सुपरहीरो की तरह पहला युद्ध था, लेकिन यह युद्ध पृथ्वी के जीवों के संग था। और उन जीवों के संग, जिनमें बुद्धि-कौशल बेहद कम होता है -- ऑक्टोपस को छोड़ कर। ऐसे में भविष्य के युद्ध के लिए इन दोनों को शायद और भी शक्तियों की आवश्यकता होगी।

#168
अरे वाह! इसमें तो आपने वो फिल्मों में टाइमबम को डिफ्यूज करने जैसा टेंशन दे दिया! बाल बाल बचे!
चलो अगर आप को ऐसा लगता है तो एक आध को वापस ले आयेंगे।अब तक सुप्रीम के इतने सारे लोगों की मृत्यु हो चुकी है कि सच में अब मन नहीं होता कि इनमें से कोई भी मरे! तौफ़ीक़ भी नहीं। अवश्य ही उसने न जाने क्या क्या कर डाला - लेकिन कम से कम अभी वो सही राह पर है।
वैसे ऐसा लगता है कि हर द्वार पर इस दल के हर व्यक्ति को योगदान करना होगा। अगर कोई असफ़ल हुआ, तो पूरा दल असफ़ल हो जाएगा।

sayad, ya sayad nahi bhi“चलो माना तुम्हारा अधिकार स्वयं पर...पर देखता हूं कि जब कोई मुझे तुम से अलग करने आयेगा, तो उसका सामना कैसे करोगी?” -- लगता है नक्षत्रा को Rene और Orena की आमद का पता चल गया है।
इंडिया जा रहे हैं सभी! ये बताओ, इस घने smog में किसी को कुछ दिखेगा भी?
बिना यार, सब बेकार#169
रोजर और मेलाइट की जोड़ी बन गई है भाई!
बिल्कुल ठीक।“...मुझे समुद्र की लहरों पर एक धुंधली सी विशाल आकृति दिख रही है...क्या...क्या यह कोई राक्षस है या फिर कोई बड़ा सा अंतरिक्ष यान?” सुर्वया को भी intergalactic लड़ाकों की भनक लग गई है लगता है।
सही कहा आप ने, ओर जब कोई सुधार करना चाहे तो उसे एक मोका तो मिलना ही चाहिए ।#170
जैसा कि मैंने ऊपर लिखा था - तौफ़ीक़ न केवल उपयोगी है बल्कि सुधार के मार्ग पर भी है! अर्जुन को भी पिछाड़ दिया उसने - केवल बाहुबल से उसने सौ फुट दूर एक छोटी सी मछली की आँख को बींध दिया! वाह! और अब जेनिथ ने नाच नाच कर इस मुसीबत पर पल बना दिया।
मस्तिष्क के बारे में एक बेहद मूर्खतापूर्ण भ्रम यह है कि हम उसका सिर्फ 10% ही इस्तेमाल करते हैं! यह बात वैज्ञानिक रूप से पूरी तरह गलत है। दरअसल, हम अपने दिमाग का पूरा 100% इस्तेमाल करते हैं - हाँ, लेकिन एक साथ नहीं, और न ही एक काम के लिए! हाँ - Cerebral Cortex का लगभग 30% हिस्सा दृष्टि के लिए इस्तेमाल होता है। करीब 8% स्पर्श और 3% श्रवण के लिए! वैसे कुछ नए रिसर्च के मुताबिक दिमाग का लगभग 40-50% दृष्टि के लिए इस्तेमाल होता है।
बात सही है - “दिखाता” तो दिमाग ही है। इसीलिए अक्सर लोगों को बादलों या चकत्तों में आदमी का चेहरा दिख जाता है।

समझ सकता हूॅ भाई, निजी जिंदगी सर्वाधिक जरूरी है।बड़े दिनों बाद वापस आया - लेकिन नई जगह में सेटल होने में समय लगता है। इसलिए समय कम मिलता है।
कुछ तो यहाॅ का माहोल , अच्छे लेखकों कि कमी, ओर अगर कोई बढिया लिखे भी तो उसको स्पोर्ट का ना मिलना। ऊपर से साइट का स्लो हो जाना, ये भी एक पहलू है।वैसे एक बात है - अब यह फ़ोरम बेहद उबाऊ हो गया है। न कोई ढंग का कंटेंट है और न ही पुराने मित्र! इसलिए अब इधर आने का मन कम ही होता है।

बोहोत-बोहोत आभार भाई । मै तो ये कहानी कभी का बंद कर चुका होता, अगर आपका, ओर संजू भाई का साथ ना मिला होता तोजब तक ये कहानी चल रही है, तब तक अपना इधर आना रुकेगा नहीं। लेकिन आपका मनोबल बढ़ाते रहेंगे हम!
Research to karni hi padti hai dost, varna aap sab ko ek acchi kahani kaise milegiWonderful update brother, tilism ka har dwar khud mein ek paheli hai jise sochne ke liye kaphi mehnat lagta hai, wahi mehnat aapki story mein dikh raha hai. Kaise aapne apni story mein Science, history and mythology topic ko add kiya hai wo atulniye hai.![]()
![]()
, let's see abhi aage inhe aur kya milta hai pseudo India mein.

Bilkul bhai, Nakshtra ki help ki vajah se hi Jenith ne wo kaarnama aasani se kar paayi. Thank you very much for your wonderful review and support bhaiekdam romanch se bhara update likha hai ..shefali aur taufik ki guno se ek padaw paar kar liya sabne ..
christy ne bhi teesra padaw paar kar liya apne dancing mooves se jisme nakshatra ne bhi saath diya ..

Mujhe bhi ye shak ho raha hai, aur iska saboot ke taur pe ek hint jaldi hi milne wali haiGazab ki update he Raj_sharma Bhai,
Ke-Ishwar ko in sabki pratibha ke baare me pata he..........
Tabhi vo in sabki kabiliyat ke anusar in sabhi dwaro ka nirman kar rha he......
Lekin ek dwar aisa bhi jarur aayega jaha par in sabki fategi jarur
Keep rocking Bro

Thanks brother, sath bane rahiyeShaandar update

Bhut hi badhiya update Bhai#170.
चैपटर-11
ग्रीष्म ऋतु-1: (तिलिस्मा 4.2)
तिलिस्मा ने इस बार सभी को अपने द्वारा बनाये भारत के किसी स्थान पर भेज दिया।
वहां एक बहुत विशालकाय क्षेत्र था। चारो ओर हरियाली फैली थी, पेड़-पौधों पर रंग-बिरंगे फूल लगे थे, जो कि अपनी खुशबू से पूरा क्षेत्र महका रहे थे।
आसमान में पंछी अपनी मधुर आवाज बिखेर रहे थे। कुल मिलाकर बहुत ही खुशनुमा वातावरण था।
“मुझे तो लगा था कि हमारा सामना यहां ग्रीष्म ऋतु से होगा और हमें यहां चिलचिलाती हुई गर्मी मिलेगी, पर यहां का मौसम तो बहुत ही खुशनुमा है।” जेनिथ ने कहा- “ऐसा लगता है कि जैसे यहां कोई परेशानी
है ही नहीं?”
“कैश्वर ने हमें यहां मौज-मस्ती के लिये नहीं भेजा होगा...अभी देखना, कुछ ही देर में कैश्वर का कार्य शुरु हो जायेगा।” ऐलेक्स ने नाक सिकोड़ते हुए कहा।
“चलो जब तक कोई परेशानी शुरु नहीं होती, तब तक इस क्षेत्र को अच्छी तरह से देख लेते हैं।” सुयश ने कहा- “पता नहीं बाद में समय मिले की नहीं?”
सुयश की बात सभी को सही लगी, इसलिये सभी आगे बढ़कर वह क्षेत्र देखने लगे।
परंतु कुछ आगे जाते ही सभी को जमीन पर एक विशालकाय खेल के जैसी कोई संरचना दिखाई दी।
“लो जी, कैश्वर से हमारी खुशी देखी नहीं गई, इसलिये भेज दिया किसी आफत को हमसे लड़ने के लिये।” ऐलेक्स ने फिर कैश्वर पर कटाक्ष करते हुए कहा- “और दूर से ही मुझे यह कोई बहुत बड़ी परेशानी दिख
रही है, क्यों कि यह लगभग 1 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है।”
“मुझे तो यह कोई बड़ा सा बोर्ड गेम लग रहा है?” तौफीक ने कहा।
धीरे-धीरे चलते हुए सभी उसके पास पहुंच गये, पर वह पूरा सेटअप इतना बड़ा था कि पास से पूरा दिख ही नहीं रहा था।
“कैप्टेन हमें उस बड़ी सी चट्टान से यह खेल पूरा नजर आ जायेगा” क्रिस्टी ने पास की ही एक चट्टान की ओर इशारा करते हुए कहा।
क्रिस्टी की बात सही थी, इसलिये सभी उस ऊंची सी चट्टान की ओर बढ़ गये। चट्टान पर चढ़ने के बाद सभी ने उस पूरे खेल पर नजर डाली।
“कैप्टेन अंकल, यह तो साँप-सीढ़ी की तरह का कोई विशाल गेम है, जिस पर नम्बर्स लिखे हैं, मगर इस पर साँप-सीढ़ी की जगह कुछ संरचनाएं और चीजें बनी हैं।” शैफाली ने कहा।
“मगर यह पूरी आकृति गोलाकार है और इस के बहुत से नम्बरों पर हमारी आकाशगंगा के नक्षत्र घूम रहे हैं, यह संरचना बिल्कुल जलेबी की भांति है और इसके मध्य में आकाशगंगा के समान एक सूर्य चमक रहा है और यह पूरी संरचना उस सूर्य का चक्कर लगा रही है।” ऐलेक्स ने कहा- “यह तो बहुत विचित्र और खतरनाक द्वार लग रहा है।”
“कैप्टेन, एकाएक आपको इस चट्टान पर कुछ गर्मी बढ़ती हुई महसूस नहीं हो रही क्या?” क्रिस्टी ने अपने माथे पर बह आये पसीने को पोंछते हुए कहा।
“मुझे भी कुछ गर्मी बढ़ती हुई सी लग रही है।” तौफीक ने भी अपनी जैकेट उतारते हुए कहा।
“कैश्वर ने तो कहा था कि हमें तिलिस्मा में कुछ भी अहसास नहीं होगा। फिर यह गर्मी कैसे बढ़ रही है?” ऐलेक्स ने कहा।
“कैश्वर ने कहा था कि हमें भूख, प्यास नहीं लगेगी, गर्मी, सर्दी तो महसूस हो ही सकती है, पर यह देखो कि इतनी गर्मी के बाद भी हमें प्यास नहीं लग रही है।” तौफीक ने कहा।
कुछ ही देर में गर्मी और बढ़ गई, अब सबके लिये जैकेट को पहने रख पाना मुश्किल हो गया था, इसलिये बाकी सभी ने अपनी जैकेट उतार लीं।
“कैप्टेन कहीं इस गर्मी के बढ़ने के पीछे इस गेम का हाथ तो नहीं?” ऐलेक्स ने कहा- “क्यों कि इस गेम में भी आकाशगंगा और सूर्य ही बना है और वैसे भी हम इस समय मानचित्र के अनुसार विश्व के एक गर्म हिस्से में हैं।”
“ऐलेक्स तुम्हीं सबसे ज्यादा दूर तक साफ देख सकते हो। तुम ही एक बार चेक करके बताओ कि तुम्हें इस गेम में क्या अलग नजर आ रहा है?....मेरा मतलब कि इस गेम में हमें करना क्या है?” जेनिथ ने ऐलेक्स को देखते हुए कहा।
जेनिथ की बात सुन ऐलेक्स ध्यान से उस पूरे गेम को देखने लगा।
कुछ देर तक उस पूरे गेम का अध्ययन करने के बाद ऐलेक्स ने कहा- “कैप्टेन इस पूरे गेम में सभी ग्रह हमारी आकाशगंगा की ही भांति सूर्य का चक्कर लगा रहे हैं, परंतु इस समय इस गेम में, पृथ्वी अपनी अक्ष के परितः नहीं घूम रही है, जिसकी वजह से उसका एक भाग, लगातार सूर्य की परिक्रमा करते हुए सूर्य के सामने है। मुझे लग रहा है कि तभी हमारे आसपास गर्मी बढ़ती जा रही है। यानि अब पृथ्वी के एक भाग में हमेशा दिन रहेगा और दूसरे भाग में हमेशा रात होगी। दिन वाला भाग निरंतर गर्म होता जायेगा और रात वाला भाग निरंतर ठंडा। और हम इस समय पृथ्वी के गर्म वाले भाग में हैं।”
“यानि कि हमें जल्दी से जल्दी इस समस्या का समाधान करना होगा, नहीं तो गर्मी इतनी बढ़ जायेगी कि हम लोग उसे बर्दास्त नहीं कर पायेंगे।” क्रिस्टी ने कहा- “इसका साफ मतलब निकलता है कि इस
बार हमारा कार्य पृथ्वी को उसके अक्ष के परितः गति देना है।”
“बिल्कुल सही।” ऐलेक्स ने कहा - “तभी यह गोलाकार जलेबी जैसी संरचना सिर्फ पृथ्वी तक ही बनी है।”
“कैप्टेन तो फिर तुरंत चलते हैं इस गेम की ओर...अब हमें ज्यादा देर करना सही नहीं होगा।” जेनिथ ने चट्टान से उतरते हुए कहा।
जेनिथ की बात सुन सभी तेजी से चट्टान से उतरने लगे। कुछ ही देर में सभी उस विचित्र गेम के शुरुआती स्थान पर पहुंच गये।
पूरा गेम 10 बाई 10 फुट के वर्गाकार पत्थरों से बना था। नम्बर 1 की जगह स्टार्ट लिखा हुआ था और 10 नंबर पर आकाशगंगा की ‘कुईपर बेल्ट’ बनी थी।
(कुईपर बेल्ट हमारे आकाशगंगा का वह आखिरी छोर है, जहां तक हमारे सूर्य का गुरुत्वाकर्षण काम करता है। इस क्षेत्र में क्षुद्र ग्रह और स्टेरायड आते हैं)
“पर इस गेम में पासे तो हैं ही नहीं, फिर हमें चलना कैसे है?” क्रिस्टी ने कहा- “क्या मैं एक कदम आगे बढ़कर देखूं कैप्टेन?”
“नहीं थोड़ी देर रुक जाओ क्रिस्टी, मुझे लगता है कि कुछ ही देर में हमें पता चल जायेगा कि आगे कैसे बढ़ना है?” सुयश ने क्रिस्टी को रोकते हुए कहा।
तभी इनके सामने हवा में एक नीले रंग का धुंआ दिखाई दिया, उस धुंए ने हवा में अब कुछ लिखना शुरु कर दिया था।
कुछ ही देर में इन सभी के सामने हवा में, धुंए से एक पहेली लिखी नजर आने लगी।
इस पहेली पर लिखा था-
“एक लक्ष्य है, तीन हैं भाले,
अपनी किस्मत आजमाले।”
“यह क्या लिखा है हवा में?” सुयश ने ध्यान से उसे पढ़ते हुए कहा- “ना तो यहां पर भाले हैं और ना ही कोई लक्ष्य। फिर इन पंक्तियों का क्या मतलब है?”
सुयश का इतना कहना था कि तभी हवा में 3 भाले प्रकट हो गये।
“वाह! अगर निशाना लगाना है तो यह प्रतियोगिता तौफीक के लिये बहुत आसान हो जायेगी।” क्रिस्टी ने कहा।
“अरे पर पहले लक्ष्य को तो दिखने दो, फिर निशाने के बारे में सोचेंगे।” सुयश ने कहा।
“लक्ष्य हमारे सामने है कैप्टेन अंकल।” शैफाली ने कहा।
“कहां है लक्ष्य, मुझे तो नहीं दिखाई दे रहा।” तौफीक ने शैफाली की ओर देखते हुए पूछा।
“हम इस समय 1 नम्बर पर खड़े हैं तौफीक अंकल और वह लक्ष्य 10 नम्बर पर एक 2 इंच की मछली के रुप में है, जो एक लकड़ी के मध्य फंसी है और अपने अक्ष के परितः हवा मे गोल-गोल नाच रही है। पर मुझे लगता है कि वह अदृश्य है और सिर्फ मुझे ही दिख रही है।” शैफाली ने सामने की ओर देखते हुए कहा।
“वह मुझे भी दिख रही है, पर मैं इस जैसे 100 भाले से भी उसका निशाना नहीं लगा सकता।” ऐलेक्स ने मछली की ओर देखते हुए कहा।
“अब क्या करें कैप्टेन?” जेनिथ ने डरते हुए सुयश से पूछा- “जिसे वह मछली दिख रही है, वह निशाना लगा नहीं सकता और जो निशाना लगा सकता है, उसे वह मछली दिखाई नहीं दे रही है।”
“इसीलिये कहा था कि निशाने का नाम सुनते ही खुश होने की जरुरत नहीं है, वह कैश्वर है, हमें हमेशा अगली चुनौती, पिछली चुनौती से ज्यादा खतरनाक देगा।” सुयश ने कहा- “चलो कोई बात नहीं, मुझे अभी भी तौफीक की क्षमता पर पूरा भरोसा है, वह 3 बार में सही निशाना जरुर लगा लेगा, बस शैफाली या ऐलेक्स को तौफीक को गाइड करना होगा।”
“मेरे हिसाब से तौफीक अंकल को गाइड करने का काम मुझे करने दीजिये कैप्टेन अंकल, मुझे दिशा, हवा और बीच की दूरी का ज्यादा अच्छा ज्ञान है।” शैफाली ने स्वयं को मोटीवेट करते हुए सबके सामने प्रस्तुत किया, पर अगर वह ऐसा ना भी करती, तब भी सुयश ने यह काम शैफाली से ही करवाना था।
तौफीक ने अब पहला भाला हवा से उठा लिया। तौफीक ने पहले भाले के वजन का जायजा लिया और फिर उसे 2-3 बार अपने हाथों में ही चला कर देख लिया, अब वह शैफाली की ओर देखने लगा।
शैफाली ने तौफीक को अपनी ओर देख बोलना शुरु कर दिया- “तौफीक अंकल, मैं आपको सिर्फ 4 चीजों के बारे में बताती हूं। नंबर 1, आपसे मछली की दूरी शत-प्रतिशत 100 फुट है, नंबर 2, मछली इस
वर्गाकार पत्थर के बीच में है। नंबर 3, मछली की ऊंचाई जमीन से 5 फुट और 6 इंच है। नंबर 4, हवा का बहाव हमारे दाहिने से बांयी ओर लगभग 8 किलोमीटर प्रति घंटा है। अब आप अपनी तैयारी करिये और जैसे ही मैं 3 तक गिनती गिनूं, आप भाला चला दीजियेगा।”
तौफीक ने अपना सिर हिलाकर अपनी स्वीकृति दे दी। अब तौफीक ने भाला अपनी कंधे की ऊंचाई पर लाकर अपनी तैयारी पूरी कर ली।
तौफीक की नजरें अब बस शैफाली के बताये हुए आंकड़ों के हिसाब से हवा में केन्द्रित हो गई। अब तौफीक को बस शैफाली की गिनती का इंतजार था।
उधर शैफाली ध्यान से मछली के गोल घूमने की गति का अंदाजा लगा रही थी।
लगभग 5 मिनट तक शैफाली ने ध्यान से उस मछली को देखा और फिर अपनी गिनती शुरु कर दी- “3.....2......1” शैफाली के एक बोलते ही तौफीक ने अपने हाथ में पकड़ा भाला चला दिया।
भाला सनसनाता हुआ सीधा मछली के सिर में जा घुसा। 2 और निशाने की जरुरत ही नहीं पड़ी।
निशाना सही जगह लगते देख शैफाली और ऐलेक्स खुशी से चीख उठे।
उनके चीखने के अंदाज से ही सभी जान गये कि निशाना सही लगा है।
तभी वह पत्थर, जिस पर सब खड़े थे, अपने आप फिसलता हुआ उन्हें 11 नंबर पर लेकर पहुंच गया और पीछे के सभी नंबर अब गायब दिखने लगे।
अभी सब ठीक से खुशी भी नहीं मना पाये थे कि अब उनके सामने एक और समस्या खड़ी थी।
अब 20 नंबर पर प्लूटो ग्रह नाचता दिखाई दे रहा था और उसके बगल एक गोल सी चकरी लगी थी।
11 से 20 नंबर के बीच के क्षेत्र में जमी हुई झील के जैसा पानी दिखाई दे रहा था। 11 नंबर के अंत में 9 धातु के टुकड़ों पर एक पहेली फिर लिखी हुई नजर आ रही थी।
“डालो पानी में पानी,
बन जाओ जल की रानी।”
“अब इस पहेली का क्या मतलब हुआ?” क्रिस्टी ने कहा- “भला पानी में पानी कैसे डालना है? और मुझे तो साफ दिख रहा है कि उस पार लगी चकरी को घुमाने पर आगे का द्वार खुल जायेगा।.....कैप्टेन अगर
आप कहें तो मैं इस पानी में उतर कर इसे पार करने की कोशिश करूं क्या? हो सकता है कि इसे ऐसे ही पार करना हो?”
“रुक जाओ क्रिस्टी।” सुयश ने क्रिस्टी को रोकते हुए कहा- “यह पानी बर्फ सा ठंडा दिख रहा है, पहले इसमें मैं उतरकर देखता हूं।”
यह कहकर सुयश ने पानी में उतरने के लिये अपने पाँव लटकाये, पर उसे पानी में बहुत तेज करंट का झटका लगा।
“यह पानी तो करंट मार रहा है, पानी में उतर कर इसे पार नहीं किया जा सकता। कुछ और ही सोचना होगा?” सुयश ने अपने पैर ऊपर करते हुए कहा।
सुयश की बात सुन क्रिस्टी ने ऊपर से ही पानी को छुआ, पर उसे करंट का अहसास नहीं हुआ।
“कैप्टेन, यह पानी मुझे करंट नहीं मार रहा।” क्रिस्टी ने आश्चर्य से सुयश की ओर देखते हुए कहा।
“अब मुझे समझ में आया, इस पहेली की दूसरी पंक्ति यही कहती है कि इसमें कोई लड़की ही उतर सकती है।” शैफाली ने सभी को समझाते हुए कहा।
“तो कैप्टेन, क्या अब मैं पानी में उतरने की कोशिश कर सकती हूं?” क्रिस्टी ने रिक्वेस्ट वाले लहजे में सुयश से कहा।
सुयश ने अब सिर हिलाकर क्रिस्टी को अनुमति दे दी।
“सुयश की आज्ञा मिलते ही क्रिस्टी पानी में उतर गई, पर जैसे ही वह तैरने चली, पानी उसे नीचे की ओर खींचने लगा। यह देख क्रिस्टी घबरा कर ऊपर आ गई।
“कैप्टेन, यह पानी मुझे नीचे की ओर खींच रहा है, ऐसे में तैरकर इसे पार नहीं किया जा सकता।” क्रिस्टी ने कहा और बैठकर वहां लिखे शब्दों को ध्यान से देखने लगी।
अब सभी अपना दिमाग तेजी से चला रहे थे।
“कैप्टेन इस कविता में 9 ही शब्द हैं और यह सारे शब्द अलग-अलग धातु के टुकड़ों पर लिखे हैं, ऐसा क्यों है? यह सारे शब्द किसी एक ही टुकड़े पर भी तो लिखे जा सकते थे, फिर कैश्वर ने ऐसा क्यों किया?”
यह सुनते ही शैफाली के होंठों पर मुस्कान आ गई- “मिल गया मुझे कविता की पहली पंक्ति का अर्थ।”
यह कहकर शैफाली ने सभी शब्दों में से ‘पानी ’ शब्द वाले दोनों धातु के टुकड़े उठा लिये और उसे उठा कर बर्फीले पानी में फेंक दिया।
शैफाली के ऐसा करते ही उन धातु के टुकड़ों में नीचे की ओर 2 हैण्डिल निकल आये और वह तेजी से 11 से 20 नंबर के बीच पानी में तैरने लगे।
“अच्छा तो पानी वाले शब्द को पानी में डालना था।” जेनिथ ने मुस्कुराते हुए कहा।
यह देख एक बार फिर क्रिस्टी पानी में उतर गई और साँस रोककर उन धातु के टुकड़ों के नीचे लगे हैण्डिल को दोनों हाथों से पकड़ लिया।
अब क्रिस्टी का पूरा शरीर पानी के अंदर था, पर धातु के टुकड़े 10 सेकेण्ड में ही क्रिस्टी को लेकर 20 नंबर के पास पहुंच गये।
क्रिस्टी धातु के टुकड़ों को छोड़ अब 20 नंबर पर पहुंच गई। 20 नंबर पर पहुंचते ही क्रिस्टी ने वहां लगी चकरी को क्लाक वाइज घुमा दिया।
चकरी के घुमाते ही 11 से 20 नंबर के बीच एक पुल बन गया और सभी उस पुल से हो कर 21 नंबर पर पहुंच गये।
अब उन्हें 30 नंबर पर ‘नेपच्यून’ ग्रह नाचता हुआ दिख रहा था, जिसके पास एक बंदर की मूर्ति लगी दिखाई दी। उस बंदर के हाथ में एक केला था और उसकी पूंछ किसी असली बंदर के समान हवा में लहरा रही थी।
21 से 30 नंबर तक के बीच में जमीन धधक रही थी और उस जमीन से आग की तेज लपटें उठ रहीं थीं।
उन आग की लपटों के ऊपर हवा में 3 रस्सियां कुछ-कुछ दूरी पर लटक रहीं थीं। यह रस्सियां ऊपर कहां से बंधी थीं, यह दिखाई नहीं दे रहा था।
तभी आग की लपटों से कुछ चिंगारियां निकलकर हवा में कुछ लिखने लगीं।
थोड़ी ही देर में सभी को हवा में लिखी एक और कविता नजर आने लगी, जिस पर लिखा था-
“झूलकर बन जाओ बंदर,
पार करो फिर अग्नि समुंदर।”
“ये लो फिर से एक और कविता।” ऐलेक्स ने कविता को पढ़ते हुए कहा।
“हां, पर ये इस कविता का सार बहुत ही आसान है।” क्रिस्टी ने कहा- “साफ पता चल रहा है कि हमें इन रस्सियों पर झूलते हुए इस आग के समुंदर को पार करना है।”
“कविता को समझना तो आसान है, पर हर किसी के लिये इस आग के समुंदर को पार करना इतना आसान नहीं है।” सुयश ने आग के ऊपर बंधी रस्सी की ओर देखते हुए कहा।
“मैं इसके द्वारा उस पार आसानी से जा सकता हूं।” ऐलेक्स ने सुयश की ओर देखते हुए कहा- “पर मुझे नहीं लगता कि किसी एक इंसान के पार करने से यह समस्या खत्म होगी।”
“क्यों अभी मैंने भी तो बर्फ की नदी पार की थी, उसके बाद तो सबके लिये पुल बन ही गया था।” क्रिस्टी ने ऐलेक्स से कहा- “जरुर यहां पर भी ऐसा ही होगा। वैसे भी कैश्वर को पता है कि सभी लोग झूलकर इसे
पार नहीं कर सकते, इसलिये वह ऐसा तिलिस्म बनाएगा ही नहीं।”
“तो फिर ठीक है, मैं पहले उस पार जाता हूं, फिर उधर जाकर देखता हूं कि बाकी लोगों के उधर जाने की क्या व्यवस्था है।” ऐलेक्स ने कहा।
“जाओ मेरे बंदर, ये कार्य सिर्फ तुम्हारे लिये ही बना है। जाकर अपना कार्य पूर्ण करो।” यह कहकर क्रिस्टी ने किसी देवी की भांति अपना एक हाथ उठाकर ऐलेक्स को आशीर्वाद देते हुए कहा।
ऐलेक्स ने यह सुन क्रिस्टी को घूरकर देखा और फिर मुस्कुरा कर 21 नंबर के पत्थर के किनारे पर आ गया।
ऐलेक्स ने एक बार रस्सी की ओर ध्यान से देखकर उसकी दूरी का जायजा लिया और फिर पहली रस्सी की ओर छलांग लगा दी।
पहली रस्सी आसानी से ऐलेक्स के हाथ में आ गई। अब ऐलेक्स ने अपने शरीर को हवा मे थोड़ा झुलाया और एक हाथ से दूसरी रस्सी पकड़ ली।
पर दूसरी रस्सी को पकड़ते ही वह रस्सी पूरी के पूरी आग में गिर गई। भला हो कि अभी ऐलेक्स ने पहली रस्सी को छोड़ा नहीं था। इसलिये ऐलेक्स का शरीर लड़खड़ाया, पर उसने स्वयं को संभाल लिया।
ऐलेक्स को फिसलता देख क्रिस्टी के मुंह से चीख निकल गई, पर ऐलेक्स को सुरक्षित देख उसने राहत की साँस ली।
“ऐलेक्स क्या तुम अब तीसरी रस्सी तक पहुंच पाओगे?” सुयश ने चिल्ला कर ऐलेक्स से पूछा।
“तीसरी रस्सी की दूरी थोड़ी ज्यादा है, पर मुझे लगता है कि मैं उस तक पहुंच जाऊंगा।” ऐलेक्स ने विश्वास से कहा।
लेकिन इससे पहले कि ऐलेक्स तीसरी रस्सी पर कूद पाता, कि तभी नीचे से आयी एक आग की लपट ने तीसरी रस्सी का जला दिया।
यह देख अब सभी के चेहरे पर चिंता की लकीरें आ गईं, क्यों कि अब यह टास्क ऐलेक्स के लिये भी मुश्किल बन गया था।
पर फिर भी ऐलेक्स ने हार नहीं मानी, उसने एक बार फिर अपने शरीर को हवा में जोर जोर से हिलाना शुरु कर दिया। कुछ ही देर में ऐलेक्स के हवा में झूलने की गति काफी तेज हो गई।
अब ऐलेक्स धीरे-धीरे सरक कर रस्सी के बिल्कुल आखिरी किनारे पर आ गया, उसे पता था कि वह जितना नीचे से रस्सी को पकड़ेगा, उतना ही दूर तक जायेगा। अब ऐलेक्स की नजरें सिर्फ और सिर्फ 30 नंबर के पत्थर पर थी।
आखिरकार ऐलेक्स ने रस्सी छोड़ दी। अब उसका शरीर हवा में उड़ता हुआ तेजी से 30 नंबर के पत्थर की ओर चल दिया।
ऐलेक्स को छलांग लगाते देख सभी की साँसें रुक सी गयीं। आखिरकार ऐलेक्स का पैर 30 नंबर पत्थर के आखिरी छोर पर पहुंच ही गया। यह देख सभी खुश हो गये।
पर ऐलेक्स के शरीर का पूरा बैलेंस अभी बना नहीं था। इसी के साथ ऐलेक्स का शरीर हवा में लहराकर आग की ओर झुकने लगा।
यह देख क्रिस्टी के मुंह से चीख निकल गई।
ऐलेक्स समझ गया कि अब उसका बैलेंस बन नहीं पायेगा, तभी ऐलेक्स के हाथ में उस बंदर की मूर्ति की पूंछ आ गई, जो कि हवा में लहरा रही थी।
ऐलेक्स ने घबरा कर उस बंदर की पूंछ पकड़ ली। बंदर की मूर्ति की पूंछ काफी मजबूत थी, जिसने आखिरकार ऐलेक्स को बचा ही लिया।
“देखा, मैंने कहा था ना कि तुम बंदरों के परिवार से हो, और अब इस बंदर ने तुम्हें बचा कर यह साबित भी कर दिया।” क्रिस्टी ने तेज से चिल्लाकर ऐलेक्स से कहा।
ऐलेक्स ने इस समय क्रिस्टी की बात पर ध्यान नहीं दिया, वह तो अब जल्दी-जल्दी वहां कोई ऐसा यंत्र ढूंढने लगा, जिससे उस आग के समुंदर पर पुल बनाया जा सके।
पर काफी ढूंढने के बाद भी ऐलेक्स को वहां ऐसा कुछ नजर नहीं आया। अब ऐलेक्स उस बंदर की मूर्ति को ध्यान से देखने लगा, जो कि अपने हाथ में एक केला लिए बैठा था।
“ये लो कर लो बात, इधर मैं परेशान हो रहा हूं और ये भाई साहब केला लिये, जीभ निकालकर मुझे चिढ़ा रहे हैं।” यह कहकर ऐलेक्स ने बंदर के मूर्ति के सिर पर एक धीरे से चपत लगा दी।
ऐलेक्स के ऐसा करते ही बंदर ने अपनी जीभ अंदर कर ली और केला खाने लगा, जैसे ही बंदर का केला खत्म हुआ, वह बंदर कहीं गायब हो गया, पर अब उस आग के समुंदर पर एक पुल बन चुका था। यह देख ऐलेक्स खुश हो गया।
सभी उस पुल से होते हुए 30 नंबर को पार कर 31 नंबर पर पहुंच गये। अब उन्हें आगे की स्टेज दिखाई देने लगी थी।
40 नंबर पर एक पुच्छल तारा हवा में गोल-गोल नाच रहा था। 31 से 40 नंबर तक के बीच जमीन में एक पीले रंग का द्रव भरा था, जिसमें जगह-जगह पर बुलबुले उठ रहे थे।
उस पूरे रास्ते के बीच 8 बड़े आकार के लट्टू हवा में नाच रहे थे। सभी लट्टू क्लाक वाइज नाच रहे थे।
तभी सुनहरी रोशनी से फिर कविता की कुछ पंक्तियां हवा में उभरी-
“नाच सको तो नाच लो,
अपनी प्रतिभा जांच लो।”
इन पंक्तियों को पढ़ जेनिथ के चेहरे पर मुस्कान आ गयी- “इस कैश्वर ने सभी की प्रतिभा के साथ पूरा न्याय किया है, जैसे कि अब देख कर ही पता चल रहा है कि यह द्वार मेरे लिये ही बनाया गया है।” जेनिथ के शब्दों में सच्चाई झलक रही थी।
“पर जेनिथ तुम्हें उस पार जाने से पहले 2 चीजों का बहुत ज्यादा ध्यान रखना है।” सुयश ने जेनिथ को समझाते हुए कहा- “पहला यह कि लट्टू के नीचे का वह द्रव तेजाब है, तो अगर तुम गिरी तो मुझे नहीं लगता कि नक्षत्रा इतनी जल्दी तुम्हें सही कर पायेगा। दूसरी बात हर लट्टू क्लाक वाइज नाच रहा है। ऐसी स्थिति में तुम्हें एक लट्टू से दूसरे पर कूदना बहुत मुश्किल होगा। हां अगर एक क्लाक वाइज और दूसरा एंटी क्लाक वाइज नाचता तो तुम्हें बैलेंस करने में परेशानी नहीं आती। पर यहां पर ऐसा नहीं है, इसलिये तुम्हें लट्टू बदलते समय अपने बैलेंस का बहुत ध्यान रखना होगा।”
जेनिथ ने ध्यान से सुयश की बातें सुनीं और धीरे से उछलकर पहले लट्टू पर आ गई।
अगर यह कार्य जमीन पर करना होता, तो जेनिथ के लिये बिल्कुल मुश्किल नहीं होती क्यों कि नीलकमल पर जेनिथ ने इससे ज्यादा गति का सामना किया था, पर अभी यहां स्थिति अलग थी, यहां पर तेजाब का डर भी शामिल था।
तेजाब को देखकर जेनिथ में थोड़ा सा डर आ गया था।
यह देखकर नक्षत्रा बोल उठा- “परेशान मत हो जेनिथ, अगर तुमने अपने भय को काबू में रखा, तो तुम आसानी से यह क्षेत्र पार कर सकोगी।”
“पर नक्षत्रा, वह तेजाब मुझे डरा रहा है, पता नहीं क्यों तेजाब को देखकर मुझे यह महसूस हो रहा है कि मैं इसमें गिर जाऊंगी।” जेनिथ ने डरते हुए कहा।
“अच्छा ये बताओ जेनिथ कि अगर तुम्हें यह तेजाब नहीं दिखाई दे रहा होता, तो क्या तुम इसे आसानी से पार कर सकती थी?” नक्षत्रा ने जेनिथ से पूछा।
“100 प्रतिशत मैं इसे आसानी से पार कर लेती।” जेनिथ ने पूर्ण विश्वास से कहा।
“तो फिर ठीक है, एक बार अपनी आँखें बंद करो और फिर खोलो।” नक्षत्रा के शब्द रहस्य से भरे थे।
जेनिथ को कुछ समझ में तो नहीं आया, पर उसने वैसा ही किया, जैसा कि नक्षत्रा ने कहा था।
आँखें खोलते ही जेनिथ आश्चर्य से भर गई, अब उसे लट्टू के नीचे तेजाब नहीं बल्कि हरी-हरी नर्म घास दिखाई दे रही थी।
“ज्यादा खुश हो कर घास पर अपना पैर मत रख देना जेनिथ, यह बस मैंने तुम्हारा डर कम करने के लिये किया है, यह घास सिर्फ तुम्हारे आँखों का भ्रम है, नीचे अभी भी तेजाब ही है, पर मैंने अपनी शक्ति से तुम्हारे दिमाग में भ्रम उत्पन्न कर दिया है।” नक्षत्रा ने कहा।
“पर तुम यह किस प्रकार कर सकते हो नक्षत्रा?” जेनिथ ने नक्षत्रा से पूछा।
“लोग समझते हैं कि वह अपनी आँखों के द्वारा देखते हैं, पर यह गलत है। हमारी आँखों से निकली किरणे, जब किसी चीज से टकराकर हमारी आँखों में वापस आती हैं, तो वह इन्हें तरंगों के रुप में मस्तिष्क तक भेजती हैं और मस्तिष्क इन तरंगों को डीकोड कर समझ जाता है कि उस इंसान ने क्या देखा। तो इसका मतलब कोई भी चीज हमें आँखें नहीं बल्कि दिमाग दिखाता है। बस मैंने इसी थ्योरी पर काम कर एक नयी शक्ति का विकास कर लिया। अब मैं जब चाहूं तुम्हें तुम्हारी मनचाही वस्तु दिखा सकता हूं, पर यह ध्यान रखना कि वह असल में होगी नही, बस वह तुम्हें दिखेगी।” नक्षत्रा ने कहा।
हर बार की तरह इस बार भी विज्ञान की बातें जेनिथ की खोपड़ी के ऊपर से चलीं गईं, पर उसने सिर हिला दिया।
“एक बात और बता दो नक्षत्रा कि तुम इस शक्ति का प्रयोग तिलिस्मा में कैसे कर पा रहे हो, यहां तो बाहर की शक्ति काम नहीं करती।” जेनिथ ने एक सवाल और पूछ लिया।
“यह शक्ति कहां है जेनिथ, यह तो मात्र भ्रम है।” नक्षत्रा ने कहा- “अब तुम ज्यादा सवाल मत करो और इस द्वार को पार करो, देखो सभी आश्चर्य से तुम्हें इतनी देर से लट्टू पर नाचते देख रहे हैं। अब जरा इन लोगों
को भी अपनी प्रतिभा दिखा दो।”
जेनिथ ने एक नजर किनारे पर खड़े लोगों पर मारी और फिर आराम से इस तरह सभी लट्टू को पार करती चली गई, जैसे वह अपने गार्डन में खड़ी हो।
“वाह! क्या बात है? जेनिथ को तो इस द्वार में कोई भी परेशानी नहीं हुई?” तौफीक ने जेनिथ की तारीफ करते हुए कहा।
उधर जेनिथ जैसे ही दूसरी ओर पहुंची, तेजाब के ऊपर हवा में एक पुल बन गया, जिससे होकर सभी दूसरी ओर आ गये।
अब सभी जाकर 41 नंबर पर खड़े हो गये।
जारी रहेगा_____![]()
Lekin kab tak? Ye dekhne wali baat hogi?Bhut hi badhiya update Bhai
Keshwar ne sabhi ki Pratibha ko dyan me rakhte huye sabhi dvar ka nirmaan kiya hai
Jise sabhi ne milkar pass kar liya
