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Fantasy सुप्रीम

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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To lo bhaiya, SANJU ( V. R. ) bhaiya ki 13 baar daant khane ke baad maine agla update post kar hi diya,:approve: Unhone pm kar ke dhamkaya mujhe, jaldi update dene ko:cold:
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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# 36 .
5 जनवरी 2002, शनिवार 13:00; "अटलांटिक महासागर"
उधर व्योम अब क्रूज पर खड़ा था।

“मिस्टर व्योम, यहां से बारामूडा त्रिकोण का रहस्यमई क्षेत्र शुरू हो जाता है। हम लोग इसके आगे नहीं जा सकते। वैसे सुप्रीम इसी जगह से गलत दिशा में मुड़ा था। नॉर्थ ईस्ट दिशा में 80 मील दूर से, उनका आखिरी मैसेज हमें रिसीव हुआ था।“
ऑफिसर ने कहा- “क्या आपको कोई आदमी, अपने साथ जाने के लिए चाहिए?“

“जी नहीं ! मैं इसके आगे का सफर अकेला ही तय करना चाहता हूं और वैसे भी यह सफर इतना आसान नहीं है। ये मौत का सफर है इसलिए मैं किसी और की जिंदगी का रिस्क उठाने को तैयार नहीं हूं। आप मुझे अकेले ही जाने दीजिए। वैसे भी मेरी पूरी जिंदगी एडवेंचर से खेलने में ही निकली है तो फिर डरना कैसा ? मौत से एक टक्कर और सही।“

व्योम के शब्दों में गजब का जज्बा नजर आ रहा था। कहकर व्योम धीरे से हेलीकॉप्टर की ओर बढ़ गया।

कुछ ही देर में वह हेलीकॉप्टर सहित आसमान में था। क्रूज पर खड़ा वह ऑफिसर, तब तक उस हेलीकॉप्टर को देखता रहा, जब तक कि वह उसकी नजरों से ओझल ना हो गया। फिर ऑफिसर ने अपने होठों ही होठों में उस वीर सपूत के मिशन के लिए भगवान से प्रार्थना की।

व्योम के दिमाग में बहुत सारे प्रश्न घूम रहे थे। वह ‘सुप्रीम’ के लिए चिंतित भी था। लेकिन इस समय वह बहुत सतर्कता के साथ, दोनों तरफ देखते हुए हेलीकॉप्टर चला रहा था।

कभी-कभी उसकी नजर स्पीडो मीटर पर और फ्यूल इंडिकेटर पर भी पड़ रही थी । दोनों ही फुल का इंडिकेशन दर्शा रहे थे। व्योम की नजरें लगातार उस अंतहीन समुद्र की ओर, आशा भरी नजरों से देख रही थी।

धीरे-धीरे समय बीतता जा रहा था। पर सुप्रीम का कहीं कोई अवशेष व्योम को नहीं मिल रहा था।

आसमान पर सूर्य बहुत तेजी से चमक रहा था। उसकी किरणें समुद्र की लहरों पर पड़कर एक अजीब सी चमक उत्पन्न कर रही थी। लेकिन व्योम को इस बात की खुशी थी कि अभी तक विद्युत चुंबकीय तरंगों का प्रकोप उसके हेलीकॉप्टर पर नहीं हुआ था। वह सोच रहा था कि अगर ऐसे ही सब कुछ सही रहा तो जल्द ही वह सुप्रीम को ढूंढ निकालेगा।

व्योम अपने ही विचारों में खोया था कि तभी उसे पानी में छोटी-छोटी भंवर बनती दिखाई देने लगीं। वह छोटी-छोटी भंवर अपने आप पानी में बन-बिगड़ रहीं थीं।

“अजीब सा क्षेत्र है यह। ये भंवर अपने आप कैसे बन-बिगड़ रहीं हैं? लगता है रहस्यमयी क्षेत्र शुरू हो चुका है। अब मुझे बहुत ध्यान से हेलीकॉप्टर ड्राइव करना पड़ेगा। कभी भी मैं विद्युत चुंबकीय तरंगों का शिकार बन सकता हूं।“ व्योम अपने मन ही मन में बुदबुदा रहा था।

“बाप रे!......यह मैं कौन से क्षेत्र में आ गया। यहां तो पानी के अंदर नुकीली चट्टाने निकली हुई हैं। लगता है जैसे पानी के अंदर कोई पर्वत श्रृंखला डूबी हुई हो और ये इतनी सारी शार्क यहां क्या कर रहीं हैं? कहीं....ऐसा तो नहीं कि सुप्रीम यहां डूब गया हो ?“ व्योम के दिमाग में ऊट-पटांग ख्याल आने लगे।

“नहीं -नहीं ! इतनी सारी पहाड़ियों के बीच सुप्रीम यहां नहीं पहुंच सकता और वैसे भी अगर सुप्रीम यहां डूबा होता तो उसके कुछ अवशेष तो यहां पर होते....और फिर सुप्रीम डूब कैसे सकता है? यहां ना तो किसी प्रकार तूफान के लक्षण दिखाई दे रहे हैं और ना ही कोई ऐसी मुसीबत, जिससे ‘सुप्रीम’ डूबे।“

व्योम ने हेलीकॉप्टर को आगे बढ़ा लिया। थोड़ा आगे बढ़ने पर उसे एक बड़ा अजीब सा नजारा दिखाई दिया, जिसे देखकर वह हैरान रह गया।

“यह समुद्र में अजीब-अजीब से फव्वारे कैसे निकल रहे हैं? और वह भी एक-दो नहीं बल्कि 15-16.... ..मैंने तो आज तक ऐसे फव्वारों के बारे में सुना तक नहीं जो समुद्र की लहरों से इतना ऊपर उठते हों।....... थोड़ा नीचे जाकर देखना चाहिए कि आखिर इन फव्वारों का रहस्य क्या है?“ कहते हुए व्योम ने हेलीकॉप्टर को थोड़ा और नीचे कर लिया।

“यह क्या ? ये फव्वारे तो चल फिर रहे हैं।.....ओ माई गॉड! ....... ये तो व्हेल मछलियां है। जिनके सिर से गर्म पानी के फव्वारे जैसे चल रहे हैं।.....इतनी सारी व्हेल...एक साथ। ......हे भगवान, यह तो बहुत खतरनाक क्षेत्र है। मुझे नहीं लगता कि यहां आज तक कोई पहुंचा होगा ?“ व्योम की आंखें आश्चर्य से फटी जा रही थीं-

“इतनी सारी व्हेल तो एक साथ बड़े से बड़ा क्रूज जहाज भी डुबो सकती हैं। तभी आज तक क्षेत्र से कोई बचकर नहीं निकल पाया। मुझे लगता है कि मैं गलत दिशा में आ गया। सुप्रीम इस तरफ नहीं आया होगा।“

व्योम ने हेलीकॉप्टर को अब दूसरी दिशा में मोड़ लिया। लेकिन अभी भी व्हेल वाले दृश्य को याद कर वह सिहर उठा। व्योम को अब दूसरी दिशा में चलते हुए काफी देर हो गई थी। लेकिन अभी तक उसे कुछ भी नजर नहीं आया था।

“दूर-दूर तक अंतहीन समुद्र...... आखिर कब तक मैं भटकता रहूंगा। ..... कहीं भी “सुप्रीम” का कोई अवशेष तक दिखाई नहीं दिया।.. ......ये क्या ?.....ये तो कोई द्वीप सा लग रहा है?...... पास चलकर देखना चाहिए शायद कोई सुराग ही मिल जाए। ......काफी हरा-भरा द्वीप है...... लेकिन इस द्वीप की आकृति कितनी विचित्र है। बिल्कुल त्रिकोण के जैसी।.....इसके बीच यह मानव आकृति वाली पहाड़ी कितनी अजीब है?......ऐसा लग रहा है जैसे सिर पर क्राऊन पहने कोई ग्रीक योद्वा बैठा हुआ है? यह द्वीप काफी रहस्यमयी लग रहा है.. ... पहले मुझे इस द्वीप से दूर रहकर ही इसका निरी क्षण करना चाहिए. ....... इस द्वीप के आस-पास धुंध भी काफी नजर आ रही है... इस द्वीप पर उतरने से पहले मुझे इस द्वीप को पीछे की साइड से भी देख लेना चाहिए“

यह सोच व्योम ने द्वीप से दूर रहकर ही अपना हेलीकॉप्टर द्वीप के पीछे की साइड मोड़ लिया। वह इस बात का भी ख्याल रख रहा था कि वह द्वीप से थोड़ा दूर रहे। व्योम को हेलीकॉप्टर उड़ाते हुए 5 मिनट बीत गये, पर वह द्वीप के पीछे की ओर नहीं पहुंच पाया।

“यह मैं द्वीप के पीछे की तरफ क्यों नहीं जा पा रहा ? मेरा हेलीकॉप्टर तो चल रहा है, पर मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे कि मैं एक ही जगह पर खड़ा हूं?“ व्योम ने खिड़की से नीचे द्वीप के किनारे की ओर झांका-

“ये समुद्र का पानी द्वीप से दूर क्यों हट रहा है?........ ओ माई गॉड...... यह द्वीप तो ..... यह द्वीप तो पानी में घूम रहा है..... ऐसा कैसे सम्भव है? तभी मैं द्वीप के पीछे की साइड नहीं जा पा रहा था .....क्यों कि मेरे हेलीकॉप्टर के साथ-साथ उसी स्पीड से यह द्वीप भी घूम रहा था.... ..मुझे पहले इस द्वीप से दूर हट जाना चाहिए..... फिर सोचता हूं कि क्या करुं?“

व्योम ने अपने हेलीकॉप्टर को द्वीप से थोड़ा और दूर कर लिया। व्योम का दिमाग बहुत तेजी से चलने लगा। कुछ देर सोचने के बाद व्योम ने अपने हेलीकॉप्टर को ‘ऑटोपायलेट‘ के हवाले किया और खुद एक पॉवरफुल दूरबीन निकालकर द्वीप की ओर देखने लगा। सबसे पहले उसकी नजर द्वीप के रहस्यमयी शेप पर गयी-

“इस द्वीप का शेप एक पर्फेक्ट त्रिकोण के शेप में है, इसका मतलब यह कोई नेचुरल द्वीप नहीं है..... पर इतना बड़ा द्वीप ‘मानव द्वारा निर्मित‘ कैसे हो सकता है?“ अब उसकी नजर द्वीप पर खड़ी उस मानव आकृति वाली पहाड़ी की ओर गयी-

“इस पूरे द्वीप पर सबसे विचित्र यह पहाड़ी ही है.....यह पहाड़ी बिल्कुल किसी ग्रीक गॉड की तरह प्रतीत हो रही है......कहीं..... कहीं यह ‘पोसाइडन‘ की मूर्ति तो नहीं ?“

यह ख्याल आते ही व्योम ने अपनी दूरबीन को और एडजस्ट किया। अब वह रहस्यमय पहाड़ी बिल्कुल साफ दिखने लगी थी-

“अब मैं श्योर हूं ये पोसाइडन की ही मूर्ति है......ग्रीक माइथालोजी के हिसाब से पोसाइडन समुद्र के देवता हैं...... तो क्या ?...... तो क्या मैं... .. इस समय अटलांटिस की धरती को देख रहा हूं? देवताओं की वह धरती जिसका जिक्र महाग्रंथों में किया गया है? तभी यह द्वीप इतना रहस्यमयी महसूस हो रहा है।“

व्योम की आंखें आश्चर्य से सिकुड़ गयीं। अभी वह यह सब सोच ही रहा था कि तभी उसे द्वीप के ऊपर कोई चीज हवा में उड़ती हुई दिखाई दी। उस चीज की स्पीड काफी तेज थी। व्योम ने दूरबीन को उस दिशा में किया-

“अरे यह क्या ? .... ये तो कोई झोपड़ी है जो हवा में उड़ रही है?.... ये सब क्या हो रहा है?....कहीं मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा ?.... नहीं......नहीं ये सब सपना नहीं है..... ये झोपड़ी तो पोसाईडन की मूर्ति की ओर जा रही है।“

मूर्ति के चेहरे के पास पहुंचकर वह झोपड़ी गायब हो गयी- “कहां गयी. ... कहां गयी वह झोपड़ी ?.....अभी तो वह मूर्ति के चेहरे के पास ही थी।“

व्योम ने अपनी दूरबीन को इधर-उघर घुमाया पर उसे वह झोपड़ी कहीं भी दिखा ई नहीं दी। अब व्योम की नजरें पुनः द्वीप की ओर गयीं। तभी उसे द्वीप के तीनो ओर से कोई वाइब्रेशन जैसी तरंगे निकलती हुई दिखाई दीं। तरंगे पानी में और आसमान में बहुत तेजी से फैल गयी –

“अरे बाप रे....खतरा ऽऽऽऽ!“ पानी पर चलने वाली वह तेज तरंगें पानी को काटती हुई एक सेकेण्ड में ही बहुत दूर निकल गयीं। तभी हवा में फैली तरंगों ने व्योम के हेली कॉप्टर को भी अपनी निशाना बना लिया।

“शायद ये ही ‘विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, मुझे तुरंत अपना हेलीकॉप्टर नीचे उतारना पड़ेगा।“ व्योम मन ही मन बड़बड़ाया।

तभी हेलीकॉप्टर का मैकेनिज्म फेल हो गया। व्योम खतरा भांपते ही तेजी से हेलीकॉप्टर को डाउन करने लगा। पर तब तक हेलीकॉप्टर के इंजन ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया और वह किसी परकटे पक्षी के समान आसमान में डोलने लगा। व्योम पूरी ताकत से हेलीकॉप्टर का बैलेंस बनाने की कोशिश करने लगा। 2 मिनट की असंभव कोशिश के बाद आखिरकार व्योम, हेलीकॉप्टर को सीधे समुद्र पर उतारने में सफल रहा। हेलीकॉप्टर के सारे यंत्र खराब हो चुके थे।

“थैंक गॉड! दुर्घटना होते-होते बच गई।“ व्योम ने एक गहरी सांस ली और फिर उस रहस्यमयी द्वीप को देखा, जो धुंध के बीच घिरा एक अजीब सी फीलिंग दे रहा था।

अचानक व्योम के जबड़े कस गये। अब वो फैसला ले चुका था और वह फैसला था द्वीप का रहस्य ढूंढने का। यह सोच व्योम ने हेलीकॉप्टर में लगा एक बटन दबा दिया। जिससे ड्राइविंग सीट के चारो तरफ बना काँच का केबिन और हेलीकॉप्टर के नीचे का स्टैंड हेलीकॉप्टर में ही कहीं समा गया।

अब वह हेलीकॉप्टर बिल्कुल एक आधुनिक मोटर बोट की तरह नजर आने लगा। व्योम ने धीरे से हेलीकॉप्टर में लगे बोट के इंजन को खींचा।

एक धड़धड़ाहट के साथ बोट का इंजन स्टार्ट हो गया और वह बोट धीरे-धीरे द्वीप की ओर बढ़ने लगी। व्योम ने एक नजर द्वीप पर मारी और हेलीकॉप्टर रुपी बोट में रखे, एक बॉक्स को खोलकर, उसमें रखे कुछ जरुरी सामान को निकालने लगा। कुछ ही देर में जरुरत के सभी सामान को व्योम ने एक छोटे से बैग में रख, उस बैग को अपनी कमर पर लगी बेल्ट के साथ बांध लिया।

अब उसकी नजर निरंतर पास आ रहे उस द्वीप की ओर थी। तभी दूर एक सुनहरी सी रोशनी ने व्योम का ध्यान अपनी ओर खींचा। वह सुनहरी रोशनी शनैः-शनैः तेज होती जा रही थी। व्योम उस रोशनी को देखने में इतना व्यस्त हो गया कि उसे पीछे से आ रहा एक भयानक खतरा दिखाई ही नहीं दिया। व्योम को अचानक से लगा कि उसकी बोट के पीछे कुछ है। जैसे ही वह पीछे पलटा उसे अपने पीछे समुद्र की लहरें लगभग 50 फुट ऊपर तक उठी हुई दिखाई दीं।

“ओ माइ गॉड!...... यह समुद्र की लहरें इतना ऊंचे कैसे उठ गई, ये तो मेरी बोट पर गिरने वाली है।“ व्योम ने घड़ी के सेकेण्डवें हिस्से में अपनी बोट से पानी में जम्प लगा दी।

तभी उसकी बोट के पीछे उठी लहर, बहुत तेजी से उसकी बोट पर आकर गिरी। एक बहुत तेज आवाज के साथ व्योम की बोट पूरी तरह टूटकर बिखर गयी। व्योम अब पूरा का पूरा समुद्र के अंदर था। एक सेकेण्ड के लिए उसकी आंख समुद्र में खुल गई और उसने समुद्र के अंदर जो दृश्य देखा, वह उसकी तो क्या ? उसके सात पुस्तों को हैरान करने के लिए काफी थी।

और इसी के साथ व्योम पर बेहोशी छाती चली गई। व्योम ने बेहोश होने के पहले अपने पास बहुत तेज सुनहरी रोशनी को देखा और इतना महसूस किया कि वह दो हाथों में है, जो कि उसे लेकर तेजी से द्वीप की ओर बढ़ रहे थे।




जारी रहेगा________✍️
बढ़िया अपडेट भाई, जबरदस्त

तो व्योम भी उस शै की गिरफ्त में आ चुका है, फिलहाल जैसा व्योम ने देखा उससे तो ये प्रतीत हो रहा है कि वो द्वीप ही खुद में एक बड़ी बोट है, जो इस क्षेत्र पर राज करती है, और सारी घटनाएं इस के कारण होती है, काहे वो चुंबकीय शक्ति हो या द्वीप के आस पास ढूंढ और लहरें।

ऐसा लगता है कि जैसे कोई बड़ी प्रयोगशाला है वो, और इस पूरे क्षेत्र में २ शक्तियां काम कर रही है, एक वो जो वाले और नुकीली पहाड़ियों के रूप में दिखी, प्राकृतिक। और दूसरी इस द्वीप द्वारा रचित, कृत्रिम।

एक अनुमान मैं ये भी लगा रहा हूं कि ये द्वीप कहीं द्वितीय विश्वयुद्ध के समय हिटलर की सेना द्वारा बनवाया तो नहीं है। क्योंकि हिटलर इस इस क्षेत्र का इस्तेमाल बहुत किया था विशुद्ध के समय, और मित्र सेना के लिए ये एक बहुत बड़ा सिरदर्द हो गया था।


बाकी तो लेखक इक्षा है कि वो क्या दिखाना चाहते हैं। पर फिलहाल तो एक बार क्लियर है कि ये के मानव निर्मित द्वीप है।
 

Luckyloda

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5 जनवरी 2002, शनिवार 13:00; "अटलांटिक महासागर"
उधर व्योम अब क्रूज पर खड़ा था।

“मिस्टर व्योम, यहां से बारामूडा त्रिकोण का रहस्यमई क्षेत्र शुरू हो जाता है। हम लोग इसके आगे नहीं जा सकते। वैसे सुप्रीम इसी जगह से गलत दिशा में मुड़ा था। नॉर्थ ईस्ट दिशा में 80 मील दूर से, उनका आखिरी मैसेज हमें रिसीव हुआ था।“
ऑफिसर ने कहा- “क्या आपको कोई आदमी, अपने साथ जाने के लिए चाहिए?“

“जी नहीं ! मैं इसके आगे का सफर अकेला ही तय करना चाहता हूं और वैसे भी यह सफर इतना आसान नहीं है। ये मौत का सफर है इसलिए मैं किसी और की जिंदगी का रिस्क उठाने को तैयार नहीं हूं। आप मुझे अकेले ही जाने दीजिए। वैसे भी मेरी पूरी जिंदगी एडवेंचर से खेलने में ही निकली है तो फिर डरना कैसा ? मौत से एक टक्कर और सही।“

व्योम के शब्दों में गजब का जज्बा नजर आ रहा था। कहकर व्योम धीरे से हेलीकॉप्टर की ओर बढ़ गया।

कुछ ही देर में वह हेलीकॉप्टर सहित आसमान में था। क्रूज पर खड़ा वह ऑफिसर, तब तक उस हेलीकॉप्टर को देखता रहा, जब तक कि वह उसकी नजरों से ओझल ना हो गया। फिर ऑफिसर ने अपने होठों ही होठों में उस वीर सपूत के मिशन के लिए भगवान से प्रार्थना की।

व्योम के दिमाग में बहुत सारे प्रश्न घूम रहे थे। वह ‘सुप्रीम’ के लिए चिंतित भी था। लेकिन इस समय वह बहुत सतर्कता के साथ, दोनों तरफ देखते हुए हेलीकॉप्टर चला रहा था।

कभी-कभी उसकी नजर स्पीडो मीटर पर और फ्यूल इंडिकेटर पर भी पड़ रही थी । दोनों ही फुल का इंडिकेशन दर्शा रहे थे। व्योम की नजरें लगातार उस अंतहीन समुद्र की ओर, आशा भरी नजरों से देख रही थी।

धीरे-धीरे समय बीतता जा रहा था। पर सुप्रीम का कहीं कोई अवशेष व्योम को नहीं मिल रहा था।

आसमान पर सूर्य बहुत तेजी से चमक रहा था। उसकी किरणें समुद्र की लहरों पर पड़कर एक अजीब सी चमक उत्पन्न कर रही थी। लेकिन व्योम को इस बात की खुशी थी कि अभी तक विद्युत चुंबकीय तरंगों का प्रकोप उसके हेलीकॉप्टर पर नहीं हुआ था। वह सोच रहा था कि अगर ऐसे ही सब कुछ सही रहा तो जल्द ही वह सुप्रीम को ढूंढ निकालेगा।

व्योम अपने ही विचारों में खोया था कि तभी उसे पानी में छोटी-छोटी भंवर बनती दिखाई देने लगीं। वह छोटी-छोटी भंवर अपने आप पानी में बन-बिगड़ रहीं थीं।

“अजीब सा क्षेत्र है यह। ये भंवर अपने आप कैसे बन-बिगड़ रहीं हैं? लगता है रहस्यमयी क्षेत्र शुरू हो चुका है। अब मुझे बहुत ध्यान से हेलीकॉप्टर ड्राइव करना पड़ेगा। कभी भी मैं विद्युत चुंबकीय तरंगों का शिकार बन सकता हूं।“ व्योम अपने मन ही मन में बुदबुदा रहा था।

“बाप रे!......यह मैं कौन से क्षेत्र में आ गया। यहां तो पानी के अंदर नुकीली चट्टाने निकली हुई हैं। लगता है जैसे पानी के अंदर कोई पर्वत श्रृंखला डूबी हुई हो और ये इतनी सारी शार्क यहां क्या कर रहीं हैं? कहीं....ऐसा तो नहीं कि सुप्रीम यहां डूब गया हो ?“ व्योम के दिमाग में ऊट-पटांग ख्याल आने लगे।

“नहीं -नहीं ! इतनी सारी पहाड़ियों के बीच सुप्रीम यहां नहीं पहुंच सकता और वैसे भी अगर सुप्रीम यहां डूबा होता तो उसके कुछ अवशेष तो यहां पर होते....और फिर सुप्रीम डूब कैसे सकता है? यहां ना तो किसी प्रकार तूफान के लक्षण दिखाई दे रहे हैं और ना ही कोई ऐसी मुसीबत, जिससे ‘सुप्रीम’ डूबे।“

व्योम ने हेलीकॉप्टर को आगे बढ़ा लिया। थोड़ा आगे बढ़ने पर उसे एक बड़ा अजीब सा नजारा दिखाई दिया, जिसे देखकर वह हैरान रह गया।

“यह समुद्र में अजीब-अजीब से फव्वारे कैसे निकल रहे हैं? और वह भी एक-दो नहीं बल्कि 15-16.... ..मैंने तो आज तक ऐसे फव्वारों के बारे में सुना तक नहीं जो समुद्र की लहरों से इतना ऊपर उठते हों।....... थोड़ा नीचे जाकर देखना चाहिए कि आखिर इन फव्वारों का रहस्य क्या है?“ कहते हुए व्योम ने हेलीकॉप्टर को थोड़ा और नीचे कर लिया।

“यह क्या ? ये फव्वारे तो चल फिर रहे हैं।.....ओ माई गॉड! ....... ये तो व्हेल मछलियां है। जिनके सिर से गर्म पानी के फव्वारे जैसे चल रहे हैं।.....इतनी सारी व्हेल...एक साथ। ......हे भगवान, यह तो बहुत खतरनाक क्षेत्र है। मुझे नहीं लगता कि यहां आज तक कोई पहुंचा होगा ?“ व्योम की आंखें आश्चर्य से फटी जा रही थीं-

“इतनी सारी व्हेल तो एक साथ बड़े से बड़ा क्रूज जहाज भी डुबो सकती हैं। तभी आज तक क्षेत्र से कोई बचकर नहीं निकल पाया। मुझे लगता है कि मैं गलत दिशा में आ गया। सुप्रीम इस तरफ नहीं आया होगा।“

व्योम ने हेलीकॉप्टर को अब दूसरी दिशा में मोड़ लिया। लेकिन अभी भी व्हेल वाले दृश्य को याद कर वह सिहर उठा। व्योम को अब दूसरी दिशा में चलते हुए काफी देर हो गई थी। लेकिन अभी तक उसे कुछ भी नजर नहीं आया था।

“दूर-दूर तक अंतहीन समुद्र...... आखिर कब तक मैं भटकता रहूंगा। ..... कहीं भी “सुप्रीम” का कोई अवशेष तक दिखाई नहीं दिया।.. ......ये क्या ?.....ये तो कोई द्वीप सा लग रहा है?...... पास चलकर देखना चाहिए शायद कोई सुराग ही मिल जाए। ......काफी हरा-भरा द्वीप है...... लेकिन इस द्वीप की आकृति कितनी विचित्र है। बिल्कुल त्रिकोण के जैसी।.....इसके बीच यह मानव आकृति वाली पहाड़ी कितनी अजीब है?......ऐसा लग रहा है जैसे सिर पर क्राऊन पहने कोई ग्रीक योद्वा बैठा हुआ है? यह द्वीप काफी रहस्यमयी लग रहा है.. ... पहले मुझे इस द्वीप से दूर रहकर ही इसका निरी क्षण करना चाहिए. ....... इस द्वीप के आस-पास धुंध भी काफी नजर आ रही है... इस द्वीप पर उतरने से पहले मुझे इस द्वीप को पीछे की साइड से भी देख लेना चाहिए“

यह सोच व्योम ने द्वीप से दूर रहकर ही अपना हेलीकॉप्टर द्वीप के पीछे की साइड मोड़ लिया। वह इस बात का भी ख्याल रख रहा था कि वह द्वीप से थोड़ा दूर रहे। व्योम को हेलीकॉप्टर उड़ाते हुए 5 मिनट बीत गये, पर वह द्वीप के पीछे की ओर नहीं पहुंच पाया।

“यह मैं द्वीप के पीछे की तरफ क्यों नहीं जा पा रहा ? मेरा हेलीकॉप्टर तो चल रहा है, पर मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे कि मैं एक ही जगह पर खड़ा हूं?“ व्योम ने खिड़की से नीचे द्वीप के किनारे की ओर झांका-

“ये समुद्र का पानी द्वीप से दूर क्यों हट रहा है?........ ओ माई गॉड...... यह द्वीप तो ..... यह द्वीप तो पानी में घूम रहा है..... ऐसा कैसे सम्भव है? तभी मैं द्वीप के पीछे की साइड नहीं जा पा रहा था .....क्यों कि मेरे हेलीकॉप्टर के साथ-साथ उसी स्पीड से यह द्वीप भी घूम रहा था.... ..मुझे पहले इस द्वीप से दूर हट जाना चाहिए..... फिर सोचता हूं कि क्या करुं?“

व्योम ने अपने हेलीकॉप्टर को द्वीप से थोड़ा और दूर कर लिया। व्योम का दिमाग बहुत तेजी से चलने लगा। कुछ देर सोचने के बाद व्योम ने अपने हेलीकॉप्टर को ‘ऑटोपायलेट‘ के हवाले किया और खुद एक पॉवरफुल दूरबीन निकालकर द्वीप की ओर देखने लगा। सबसे पहले उसकी नजर द्वीप के रहस्यमयी शेप पर गयी-

“इस द्वीप का शेप एक पर्फेक्ट त्रिकोण के शेप में है, इसका मतलब यह कोई नेचुरल द्वीप नहीं है..... पर इतना बड़ा द्वीप ‘मानव द्वारा निर्मित‘ कैसे हो सकता है?“ अब उसकी नजर द्वीप पर खड़ी उस मानव आकृति वाली पहाड़ी की ओर गयी-

“इस पूरे द्वीप पर सबसे विचित्र यह पहाड़ी ही है.....यह पहाड़ी बिल्कुल किसी ग्रीक गॉड की तरह प्रतीत हो रही है......कहीं..... कहीं यह ‘पोसाइडन‘ की मूर्ति तो नहीं ?“

यह ख्याल आते ही व्योम ने अपनी दूरबीन को और एडजस्ट किया। अब वह रहस्यमय पहाड़ी बिल्कुल साफ दिखने लगी थी-

“अब मैं श्योर हूं ये पोसाइडन की ही मूर्ति है......ग्रीक माइथालोजी के हिसाब से पोसाइडन समुद्र के देवता हैं...... तो क्या ?...... तो क्या मैं... .. इस समय अटलांटिस की धरती को देख रहा हूं? देवताओं की वह धरती जिसका जिक्र महाग्रंथों में किया गया है? तभी यह द्वीप इतना रहस्यमयी महसूस हो रहा है।“

व्योम की आंखें आश्चर्य से सिकुड़ गयीं। अभी वह यह सब सोच ही रहा था कि तभी उसे द्वीप के ऊपर कोई चीज हवा में उड़ती हुई दिखाई दी। उस चीज की स्पीड काफी तेज थी। व्योम ने दूरबीन को उस दिशा में किया-

“अरे यह क्या ? .... ये तो कोई झोपड़ी है जो हवा में उड़ रही है?.... ये सब क्या हो रहा है?....कहीं मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा ?.... नहीं......नहीं ये सब सपना नहीं है..... ये झोपड़ी तो पोसाईडन की मूर्ति की ओर जा रही है।“

मूर्ति के चेहरे के पास पहुंचकर वह झोपड़ी गायब हो गयी- “कहां गयी. ... कहां गयी वह झोपड़ी ?.....अभी तो वह मूर्ति के चेहरे के पास ही थी।“

व्योम ने अपनी दूरबीन को इधर-उघर घुमाया पर उसे वह झोपड़ी कहीं भी दिखा ई नहीं दी। अब व्योम की नजरें पुनः द्वीप की ओर गयीं। तभी उसे द्वीप के तीनो ओर से कोई वाइब्रेशन जैसी तरंगे निकलती हुई दिखाई दीं। तरंगे पानी में और आसमान में बहुत तेजी से फैल गयी –

“अरे बाप रे....खतरा ऽऽऽऽ!“ पानी पर चलने वाली वह तेज तरंगें पानी को काटती हुई एक सेकेण्ड में ही बहुत दूर निकल गयीं। तभी हवा में फैली तरंगों ने व्योम के हेली कॉप्टर को भी अपनी निशाना बना लिया।

“शायद ये ही ‘विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, मुझे तुरंत अपना हेलीकॉप्टर नीचे उतारना पड़ेगा।“ व्योम मन ही मन बड़बड़ाया।

तभी हेलीकॉप्टर का मैकेनिज्म फेल हो गया। व्योम खतरा भांपते ही तेजी से हेलीकॉप्टर को डाउन करने लगा। पर तब तक हेलीकॉप्टर के इंजन ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया और वह किसी परकटे पक्षी के समान आसमान में डोलने लगा। व्योम पूरी ताकत से हेलीकॉप्टर का बैलेंस बनाने की कोशिश करने लगा। 2 मिनट की असंभव कोशिश के बाद आखिरकार व्योम, हेलीकॉप्टर को सीधे समुद्र पर उतारने में सफल रहा। हेलीकॉप्टर के सारे यंत्र खराब हो चुके थे।

“थैंक गॉड! दुर्घटना होते-होते बच गई।“ व्योम ने एक गहरी सांस ली और फिर उस रहस्यमयी द्वीप को देखा, जो धुंध के बीच घिरा एक अजीब सी फीलिंग दे रहा था।

अचानक व्योम के जबड़े कस गये। अब वो फैसला ले चुका था और वह फैसला था द्वीप का रहस्य ढूंढने का। यह सोच व्योम ने हेलीकॉप्टर में लगा एक बटन दबा दिया। जिससे ड्राइविंग सीट के चारो तरफ बना काँच का केबिन और हेलीकॉप्टर के नीचे का स्टैंड हेलीकॉप्टर में ही कहीं समा गया।

अब वह हेलीकॉप्टर बिल्कुल एक आधुनिक मोटर बोट की तरह नजर आने लगा। व्योम ने धीरे से हेलीकॉप्टर में लगे बोट के इंजन को खींचा।

एक धड़धड़ाहट के साथ बोट का इंजन स्टार्ट हो गया और वह बोट धीरे-धीरे द्वीप की ओर बढ़ने लगी। व्योम ने एक नजर द्वीप पर मारी और हेलीकॉप्टर रुपी बोट में रखे, एक बॉक्स को खोलकर, उसमें रखे कुछ जरुरी सामान को निकालने लगा। कुछ ही देर में जरुरत के सभी सामान को व्योम ने एक छोटे से बैग में रख, उस बैग को अपनी कमर पर लगी बेल्ट के साथ बांध लिया।

अब उसकी नजर निरंतर पास आ रहे उस द्वीप की ओर थी। तभी दूर एक सुनहरी सी रोशनी ने व्योम का ध्यान अपनी ओर खींचा। वह सुनहरी रोशनी शनैः-शनैः तेज होती जा रही थी। व्योम उस रोशनी को देखने में इतना व्यस्त हो गया कि उसे पीछे से आ रहा एक भयानक खतरा दिखाई ही नहीं दिया। व्योम को अचानक से लगा कि उसकी बोट के पीछे कुछ है। जैसे ही वह पीछे पलटा उसे अपने पीछे समुद्र की लहरें लगभग 50 फुट ऊपर तक उठी हुई दिखाई दीं।

“ओ माइ गॉड!...... यह समुद्र की लहरें इतना ऊंचे कैसे उठ गई, ये तो मेरी बोट पर गिरने वाली है।“ व्योम ने घड़ी के सेकेण्डवें हिस्से में अपनी बोट से पानी में जम्प लगा दी।

तभी उसकी बोट के पीछे उठी लहर, बहुत तेजी से उसकी बोट पर आकर गिरी। एक बहुत तेज आवाज के साथ व्योम की बोट पूरी तरह टूटकर बिखर गयी। व्योम अब पूरा का पूरा समुद्र के अंदर था। एक सेकेण्ड के लिए उसकी आंख समुद्र में खुल गई और उसने समुद्र के अंदर जो दृश्य देखा, वह उसकी तो क्या ? उसके सात पुस्तों को हैरान करने के लिए काफी थी।

और इसी के साथ व्योम पर बेहोशी छाती चली गई। व्योम ने बेहोश होने के पहले अपने पास बहुत तेज सुनहरी रोशनी को देखा और इतना महसूस किया कि वह दो हाथों में है, जो कि उसे लेकर तेजी से द्वीप की ओर बढ़ रहे थे।




जारी रहेगा________✍️
Akhir व्योम का सामना deep से हो ही गया.....


बहुत ही सुंदर अपडेट
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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बढ़िया अपडेट भाई, जबरदस्त

तो व्योम भी उस शै की गिरफ्त में आ चुका है, फिलहाल जैसा व्योम ने देखा उससे तो ये प्रतीत हो रहा है कि वो द्वीप ही खुद में एक बड़ी बोट है, जो इस क्षेत्र पर राज करती है, और सारी घटनाएं इस के कारण होती है, काहे वो चुंबकीय शक्ति हो या द्वीप के आस पास ढूंढ और लहरें।

ऐसा लगता है कि जैसे कोई बड़ी प्रयोगशाला है वो, और इस पूरे क्षेत्र में २ शक्तियां काम कर रही है, एक वो जो वाले और नुकीली पहाड़ियों के रूप में दिखी, प्राकृतिक। और दूसरी इस द्वीप द्वारा रचित, कृत्रिम।

एक अनुमान मैं ये भी लगा रहा हूं कि ये द्वीप कहीं द्वितीय विश्वयुद्ध के समय हिटलर की सेना द्वारा बनवाया तो नहीं है। क्योंकि हिटलर इस इस क्षेत्र का इस्तेमाल बहुत किया था विशुद्ध के समय, और मित्र सेना के लिए ये एक बहुत बड़ा सिरदर्द हो गया था।


बाकी तो लेखक इक्षा है कि वो क्या दिखाना चाहते हैं। पर फिलहाल तो एक बार क्लियर है कि ये के मानव निर्मित द्वीप है।
Bilkul bhai ye nirman kiya hua to hai, per kiska? Ye bohot gahri baat hai, doosra ye dweep natural bhi hai sath sath, doosri baat ye atlantis bhi nahi hai, kitntu uska ek hissa kah sakte ho :shhhh: Bas is se jyada nahi bata sakta varna gadbad ho jayegi😅 baat Hitler se kahi badi hai bhai👍 vigyan aur parkriti ka anutha sangam hai ye island 🏝
Thank you very much for your wonderful review and support Riky007 bhaiya :thanx:
 

Raj_sharma

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Akhir व्योम का सामना deep से हो ही गया.....


बहुत ही सुंदर अपडेट
Yess:approve:द्वीप से तो नही पर डीप से जरूर हो गया😅 शायद मरा नही है वो:shhhh:
Thanks for your valuable review and support bhai :thanx:
 

parkas

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# 36 .
5 जनवरी 2002, शनिवार 13:00; "अटलांटिक महासागर"
उधर व्योम अब क्रूज पर खड़ा था।

“मिस्टर व्योम, यहां से बारामूडा त्रिकोण का रहस्यमई क्षेत्र शुरू हो जाता है। हम लोग इसके आगे नहीं जा सकते। वैसे सुप्रीम इसी जगह से गलत दिशा में मुड़ा था। नॉर्थ ईस्ट दिशा में 80 मील दूर से, उनका आखिरी मैसेज हमें रिसीव हुआ था।“
ऑफिसर ने कहा- “क्या आपको कोई आदमी, अपने साथ जाने के लिए चाहिए?“

“जी नहीं ! मैं इसके आगे का सफर अकेला ही तय करना चाहता हूं और वैसे भी यह सफर इतना आसान नहीं है। ये मौत का सफर है इसलिए मैं किसी और की जिंदगी का रिस्क उठाने को तैयार नहीं हूं। आप मुझे अकेले ही जाने दीजिए। वैसे भी मेरी पूरी जिंदगी एडवेंचर से खेलने में ही निकली है तो फिर डरना कैसा ? मौत से एक टक्कर और सही।“

व्योम के शब्दों में गजब का जज्बा नजर आ रहा था। कहकर व्योम धीरे से हेलीकॉप्टर की ओर बढ़ गया।

कुछ ही देर में वह हेलीकॉप्टर सहित आसमान में था। क्रूज पर खड़ा वह ऑफिसर, तब तक उस हेलीकॉप्टर को देखता रहा, जब तक कि वह उसकी नजरों से ओझल ना हो गया। फिर ऑफिसर ने अपने होठों ही होठों में उस वीर सपूत के मिशन के लिए भगवान से प्रार्थना की।

व्योम के दिमाग में बहुत सारे प्रश्न घूम रहे थे। वह ‘सुप्रीम’ के लिए चिंतित भी था। लेकिन इस समय वह बहुत सतर्कता के साथ, दोनों तरफ देखते हुए हेलीकॉप्टर चला रहा था।

कभी-कभी उसकी नजर स्पीडो मीटर पर और फ्यूल इंडिकेटर पर भी पड़ रही थी । दोनों ही फुल का इंडिकेशन दर्शा रहे थे। व्योम की नजरें लगातार उस अंतहीन समुद्र की ओर, आशा भरी नजरों से देख रही थी।

धीरे-धीरे समय बीतता जा रहा था। पर सुप्रीम का कहीं कोई अवशेष व्योम को नहीं मिल रहा था।

आसमान पर सूर्य बहुत तेजी से चमक रहा था। उसकी किरणें समुद्र की लहरों पर पड़कर एक अजीब सी चमक उत्पन्न कर रही थी। लेकिन व्योम को इस बात की खुशी थी कि अभी तक विद्युत चुंबकीय तरंगों का प्रकोप उसके हेलीकॉप्टर पर नहीं हुआ था। वह सोच रहा था कि अगर ऐसे ही सब कुछ सही रहा तो जल्द ही वह सुप्रीम को ढूंढ निकालेगा।

व्योम अपने ही विचारों में खोया था कि तभी उसे पानी में छोटी-छोटी भंवर बनती दिखाई देने लगीं। वह छोटी-छोटी भंवर अपने आप पानी में बन-बिगड़ रहीं थीं।

“अजीब सा क्षेत्र है यह। ये भंवर अपने आप कैसे बन-बिगड़ रहीं हैं? लगता है रहस्यमयी क्षेत्र शुरू हो चुका है। अब मुझे बहुत ध्यान से हेलीकॉप्टर ड्राइव करना पड़ेगा। कभी भी मैं विद्युत चुंबकीय तरंगों का शिकार बन सकता हूं।“ व्योम अपने मन ही मन में बुदबुदा रहा था।

“बाप रे!......यह मैं कौन से क्षेत्र में आ गया। यहां तो पानी के अंदर नुकीली चट्टाने निकली हुई हैं। लगता है जैसे पानी के अंदर कोई पर्वत श्रृंखला डूबी हुई हो और ये इतनी सारी शार्क यहां क्या कर रहीं हैं? कहीं....ऐसा तो नहीं कि सुप्रीम यहां डूब गया हो ?“ व्योम के दिमाग में ऊट-पटांग ख्याल आने लगे।

“नहीं -नहीं ! इतनी सारी पहाड़ियों के बीच सुप्रीम यहां नहीं पहुंच सकता और वैसे भी अगर सुप्रीम यहां डूबा होता तो उसके कुछ अवशेष तो यहां पर होते....और फिर सुप्रीम डूब कैसे सकता है? यहां ना तो किसी प्रकार तूफान के लक्षण दिखाई दे रहे हैं और ना ही कोई ऐसी मुसीबत, जिससे ‘सुप्रीम’ डूबे।“

व्योम ने हेलीकॉप्टर को आगे बढ़ा लिया। थोड़ा आगे बढ़ने पर उसे एक बड़ा अजीब सा नजारा दिखाई दिया, जिसे देखकर वह हैरान रह गया।

“यह समुद्र में अजीब-अजीब से फव्वारे कैसे निकल रहे हैं? और वह भी एक-दो नहीं बल्कि 15-16.... ..मैंने तो आज तक ऐसे फव्वारों के बारे में सुना तक नहीं जो समुद्र की लहरों से इतना ऊपर उठते हों।....... थोड़ा नीचे जाकर देखना चाहिए कि आखिर इन फव्वारों का रहस्य क्या है?“ कहते हुए व्योम ने हेलीकॉप्टर को थोड़ा और नीचे कर लिया।

“यह क्या ? ये फव्वारे तो चल फिर रहे हैं।.....ओ माई गॉड! ....... ये तो व्हेल मछलियां है। जिनके सिर से गर्म पानी के फव्वारे जैसे चल रहे हैं।.....इतनी सारी व्हेल...एक साथ। ......हे भगवान, यह तो बहुत खतरनाक क्षेत्र है। मुझे नहीं लगता कि यहां आज तक कोई पहुंचा होगा ?“ व्योम की आंखें आश्चर्य से फटी जा रही थीं-

“इतनी सारी व्हेल तो एक साथ बड़े से बड़ा क्रूज जहाज भी डुबो सकती हैं। तभी आज तक क्षेत्र से कोई बचकर नहीं निकल पाया। मुझे लगता है कि मैं गलत दिशा में आ गया। सुप्रीम इस तरफ नहीं आया होगा।“

व्योम ने हेलीकॉप्टर को अब दूसरी दिशा में मोड़ लिया। लेकिन अभी भी व्हेल वाले दृश्य को याद कर वह सिहर उठा। व्योम को अब दूसरी दिशा में चलते हुए काफी देर हो गई थी। लेकिन अभी तक उसे कुछ भी नजर नहीं आया था।

“दूर-दूर तक अंतहीन समुद्र...... आखिर कब तक मैं भटकता रहूंगा। ..... कहीं भी “सुप्रीम” का कोई अवशेष तक दिखाई नहीं दिया।.. ......ये क्या ?.....ये तो कोई द्वीप सा लग रहा है?...... पास चलकर देखना चाहिए शायद कोई सुराग ही मिल जाए। ......काफी हरा-भरा द्वीप है...... लेकिन इस द्वीप की आकृति कितनी विचित्र है। बिल्कुल त्रिकोण के जैसी।.....इसके बीच यह मानव आकृति वाली पहाड़ी कितनी अजीब है?......ऐसा लग रहा है जैसे सिर पर क्राऊन पहने कोई ग्रीक योद्वा बैठा हुआ है? यह द्वीप काफी रहस्यमयी लग रहा है.. ... पहले मुझे इस द्वीप से दूर रहकर ही इसका निरी क्षण करना चाहिए. ....... इस द्वीप के आस-पास धुंध भी काफी नजर आ रही है... इस द्वीप पर उतरने से पहले मुझे इस द्वीप को पीछे की साइड से भी देख लेना चाहिए“

यह सोच व्योम ने द्वीप से दूर रहकर ही अपना हेलीकॉप्टर द्वीप के पीछे की साइड मोड़ लिया। वह इस बात का भी ख्याल रख रहा था कि वह द्वीप से थोड़ा दूर रहे। व्योम को हेलीकॉप्टर उड़ाते हुए 5 मिनट बीत गये, पर वह द्वीप के पीछे की ओर नहीं पहुंच पाया।

“यह मैं द्वीप के पीछे की तरफ क्यों नहीं जा पा रहा ? मेरा हेलीकॉप्टर तो चल रहा है, पर मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे कि मैं एक ही जगह पर खड़ा हूं?“ व्योम ने खिड़की से नीचे द्वीप के किनारे की ओर झांका-

“ये समुद्र का पानी द्वीप से दूर क्यों हट रहा है?........ ओ माई गॉड...... यह द्वीप तो ..... यह द्वीप तो पानी में घूम रहा है..... ऐसा कैसे सम्भव है? तभी मैं द्वीप के पीछे की साइड नहीं जा पा रहा था .....क्यों कि मेरे हेलीकॉप्टर के साथ-साथ उसी स्पीड से यह द्वीप भी घूम रहा था.... ..मुझे पहले इस द्वीप से दूर हट जाना चाहिए..... फिर सोचता हूं कि क्या करुं?“

व्योम ने अपने हेलीकॉप्टर को द्वीप से थोड़ा और दूर कर लिया। व्योम का दिमाग बहुत तेजी से चलने लगा। कुछ देर सोचने के बाद व्योम ने अपने हेलीकॉप्टर को ‘ऑटोपायलेट‘ के हवाले किया और खुद एक पॉवरफुल दूरबीन निकालकर द्वीप की ओर देखने लगा। सबसे पहले उसकी नजर द्वीप के रहस्यमयी शेप पर गयी-

“इस द्वीप का शेप एक पर्फेक्ट त्रिकोण के शेप में है, इसका मतलब यह कोई नेचुरल द्वीप नहीं है..... पर इतना बड़ा द्वीप ‘मानव द्वारा निर्मित‘ कैसे हो सकता है?“ अब उसकी नजर द्वीप पर खड़ी उस मानव आकृति वाली पहाड़ी की ओर गयी-

“इस पूरे द्वीप पर सबसे विचित्र यह पहाड़ी ही है.....यह पहाड़ी बिल्कुल किसी ग्रीक गॉड की तरह प्रतीत हो रही है......कहीं..... कहीं यह ‘पोसाइडन‘ की मूर्ति तो नहीं ?“

यह ख्याल आते ही व्योम ने अपनी दूरबीन को और एडजस्ट किया। अब वह रहस्यमय पहाड़ी बिल्कुल साफ दिखने लगी थी-

“अब मैं श्योर हूं ये पोसाइडन की ही मूर्ति है......ग्रीक माइथालोजी के हिसाब से पोसाइडन समुद्र के देवता हैं...... तो क्या ?...... तो क्या मैं... .. इस समय अटलांटिस की धरती को देख रहा हूं? देवताओं की वह धरती जिसका जिक्र महाग्रंथों में किया गया है? तभी यह द्वीप इतना रहस्यमयी महसूस हो रहा है।“

व्योम की आंखें आश्चर्य से सिकुड़ गयीं। अभी वह यह सब सोच ही रहा था कि तभी उसे द्वीप के ऊपर कोई चीज हवा में उड़ती हुई दिखाई दी। उस चीज की स्पीड काफी तेज थी। व्योम ने दूरबीन को उस दिशा में किया-

“अरे यह क्या ? .... ये तो कोई झोपड़ी है जो हवा में उड़ रही है?.... ये सब क्या हो रहा है?....कहीं मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा ?.... नहीं......नहीं ये सब सपना नहीं है..... ये झोपड़ी तो पोसाईडन की मूर्ति की ओर जा रही है।“

मूर्ति के चेहरे के पास पहुंचकर वह झोपड़ी गायब हो गयी- “कहां गयी. ... कहां गयी वह झोपड़ी ?.....अभी तो वह मूर्ति के चेहरे के पास ही थी।“

व्योम ने अपनी दूरबीन को इधर-उघर घुमाया पर उसे वह झोपड़ी कहीं भी दिखा ई नहीं दी। अब व्योम की नजरें पुनः द्वीप की ओर गयीं। तभी उसे द्वीप के तीनो ओर से कोई वाइब्रेशन जैसी तरंगे निकलती हुई दिखाई दीं। तरंगे पानी में और आसमान में बहुत तेजी से फैल गयी –

“अरे बाप रे....खतरा ऽऽऽऽ!“ पानी पर चलने वाली वह तेज तरंगें पानी को काटती हुई एक सेकेण्ड में ही बहुत दूर निकल गयीं। तभी हवा में फैली तरंगों ने व्योम के हेली कॉप्टर को भी अपनी निशाना बना लिया।

“शायद ये ही ‘विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, मुझे तुरंत अपना हेलीकॉप्टर नीचे उतारना पड़ेगा।“ व्योम मन ही मन बड़बड़ाया।

तभी हेलीकॉप्टर का मैकेनिज्म फेल हो गया। व्योम खतरा भांपते ही तेजी से हेलीकॉप्टर को डाउन करने लगा। पर तब तक हेलीकॉप्टर के इंजन ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया और वह किसी परकटे पक्षी के समान आसमान में डोलने लगा। व्योम पूरी ताकत से हेलीकॉप्टर का बैलेंस बनाने की कोशिश करने लगा। 2 मिनट की असंभव कोशिश के बाद आखिरकार व्योम, हेलीकॉप्टर को सीधे समुद्र पर उतारने में सफल रहा। हेलीकॉप्टर के सारे यंत्र खराब हो चुके थे।

“थैंक गॉड! दुर्घटना होते-होते बच गई।“ व्योम ने एक गहरी सांस ली और फिर उस रहस्यमयी द्वीप को देखा, जो धुंध के बीच घिरा एक अजीब सी फीलिंग दे रहा था।

अचानक व्योम के जबड़े कस गये। अब वो फैसला ले चुका था और वह फैसला था द्वीप का रहस्य ढूंढने का। यह सोच व्योम ने हेलीकॉप्टर में लगा एक बटन दबा दिया। जिससे ड्राइविंग सीट के चारो तरफ बना काँच का केबिन और हेलीकॉप्टर के नीचे का स्टैंड हेलीकॉप्टर में ही कहीं समा गया।

अब वह हेलीकॉप्टर बिल्कुल एक आधुनिक मोटर बोट की तरह नजर आने लगा। व्योम ने धीरे से हेलीकॉप्टर में लगे बोट के इंजन को खींचा।

एक धड़धड़ाहट के साथ बोट का इंजन स्टार्ट हो गया और वह बोट धीरे-धीरे द्वीप की ओर बढ़ने लगी। व्योम ने एक नजर द्वीप पर मारी और हेलीकॉप्टर रुपी बोट में रखे, एक बॉक्स को खोलकर, उसमें रखे कुछ जरुरी सामान को निकालने लगा। कुछ ही देर में जरुरत के सभी सामान को व्योम ने एक छोटे से बैग में रख, उस बैग को अपनी कमर पर लगी बेल्ट के साथ बांध लिया।

अब उसकी नजर निरंतर पास आ रहे उस द्वीप की ओर थी। तभी दूर एक सुनहरी सी रोशनी ने व्योम का ध्यान अपनी ओर खींचा। वह सुनहरी रोशनी शनैः-शनैः तेज होती जा रही थी। व्योम उस रोशनी को देखने में इतना व्यस्त हो गया कि उसे पीछे से आ रहा एक भयानक खतरा दिखाई ही नहीं दिया। व्योम को अचानक से लगा कि उसकी बोट के पीछे कुछ है। जैसे ही वह पीछे पलटा उसे अपने पीछे समुद्र की लहरें लगभग 50 फुट ऊपर तक उठी हुई दिखाई दीं।

“ओ माइ गॉड!...... यह समुद्र की लहरें इतना ऊंचे कैसे उठ गई, ये तो मेरी बोट पर गिरने वाली है।“ व्योम ने घड़ी के सेकेण्डवें हिस्से में अपनी बोट से पानी में जम्प लगा दी।

तभी उसकी बोट के पीछे उठी लहर, बहुत तेजी से उसकी बोट पर आकर गिरी। एक बहुत तेज आवाज के साथ व्योम की बोट पूरी तरह टूटकर बिखर गयी। व्योम अब पूरा का पूरा समुद्र के अंदर था। एक सेकेण्ड के लिए उसकी आंख समुद्र में खुल गई और उसने समुद्र के अंदर जो दृश्य देखा, वह उसकी तो क्या ? उसके सात पुस्तों को हैरान करने के लिए काफी थी।

और इसी के साथ व्योम पर बेहोशी छाती चली गई। व्योम ने बेहोश होने के पहले अपने पास बहुत तेज सुनहरी रोशनी को देखा और इतना महसूस किया कि वह दो हाथों में है, जो कि उसे लेकर तेजी से द्वीप की ओर बढ़ रहे थे।




जारी रहेगा________✍️
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
 

Ajju Landwalia

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# 36 .
5 जनवरी 2002, शनिवार 13:00; "अटलांटिक महासागर"
उधर व्योम अब क्रूज पर खड़ा था।

“मिस्टर व्योम, यहां से बारामूडा त्रिकोण का रहस्यमई क्षेत्र शुरू हो जाता है। हम लोग इसके आगे नहीं जा सकते। वैसे सुप्रीम इसी जगह से गलत दिशा में मुड़ा था। नॉर्थ ईस्ट दिशा में 80 मील दूर से, उनका आखिरी मैसेज हमें रिसीव हुआ था।“
ऑफिसर ने कहा- “क्या आपको कोई आदमी, अपने साथ जाने के लिए चाहिए?“

“जी नहीं ! मैं इसके आगे का सफर अकेला ही तय करना चाहता हूं और वैसे भी यह सफर इतना आसान नहीं है। ये मौत का सफर है इसलिए मैं किसी और की जिंदगी का रिस्क उठाने को तैयार नहीं हूं। आप मुझे अकेले ही जाने दीजिए। वैसे भी मेरी पूरी जिंदगी एडवेंचर से खेलने में ही निकली है तो फिर डरना कैसा ? मौत से एक टक्कर और सही।“

व्योम के शब्दों में गजब का जज्बा नजर आ रहा था। कहकर व्योम धीरे से हेलीकॉप्टर की ओर बढ़ गया।

कुछ ही देर में वह हेलीकॉप्टर सहित आसमान में था। क्रूज पर खड़ा वह ऑफिसर, तब तक उस हेलीकॉप्टर को देखता रहा, जब तक कि वह उसकी नजरों से ओझल ना हो गया। फिर ऑफिसर ने अपने होठों ही होठों में उस वीर सपूत के मिशन के लिए भगवान से प्रार्थना की।

व्योम के दिमाग में बहुत सारे प्रश्न घूम रहे थे। वह ‘सुप्रीम’ के लिए चिंतित भी था। लेकिन इस समय वह बहुत सतर्कता के साथ, दोनों तरफ देखते हुए हेलीकॉप्टर चला रहा था।

कभी-कभी उसकी नजर स्पीडो मीटर पर और फ्यूल इंडिकेटर पर भी पड़ रही थी । दोनों ही फुल का इंडिकेशन दर्शा रहे थे। व्योम की नजरें लगातार उस अंतहीन समुद्र की ओर, आशा भरी नजरों से देख रही थी।

धीरे-धीरे समय बीतता जा रहा था। पर सुप्रीम का कहीं कोई अवशेष व्योम को नहीं मिल रहा था।

आसमान पर सूर्य बहुत तेजी से चमक रहा था। उसकी किरणें समुद्र की लहरों पर पड़कर एक अजीब सी चमक उत्पन्न कर रही थी। लेकिन व्योम को इस बात की खुशी थी कि अभी तक विद्युत चुंबकीय तरंगों का प्रकोप उसके हेलीकॉप्टर पर नहीं हुआ था। वह सोच रहा था कि अगर ऐसे ही सब कुछ सही रहा तो जल्द ही वह सुप्रीम को ढूंढ निकालेगा।

व्योम अपने ही विचारों में खोया था कि तभी उसे पानी में छोटी-छोटी भंवर बनती दिखाई देने लगीं। वह छोटी-छोटी भंवर अपने आप पानी में बन-बिगड़ रहीं थीं।

“अजीब सा क्षेत्र है यह। ये भंवर अपने आप कैसे बन-बिगड़ रहीं हैं? लगता है रहस्यमयी क्षेत्र शुरू हो चुका है। अब मुझे बहुत ध्यान से हेलीकॉप्टर ड्राइव करना पड़ेगा। कभी भी मैं विद्युत चुंबकीय तरंगों का शिकार बन सकता हूं।“ व्योम अपने मन ही मन में बुदबुदा रहा था।

“बाप रे!......यह मैं कौन से क्षेत्र में आ गया। यहां तो पानी के अंदर नुकीली चट्टाने निकली हुई हैं। लगता है जैसे पानी के अंदर कोई पर्वत श्रृंखला डूबी हुई हो और ये इतनी सारी शार्क यहां क्या कर रहीं हैं? कहीं....ऐसा तो नहीं कि सुप्रीम यहां डूब गया हो ?“ व्योम के दिमाग में ऊट-पटांग ख्याल आने लगे।

“नहीं -नहीं ! इतनी सारी पहाड़ियों के बीच सुप्रीम यहां नहीं पहुंच सकता और वैसे भी अगर सुप्रीम यहां डूबा होता तो उसके कुछ अवशेष तो यहां पर होते....और फिर सुप्रीम डूब कैसे सकता है? यहां ना तो किसी प्रकार तूफान के लक्षण दिखाई दे रहे हैं और ना ही कोई ऐसी मुसीबत, जिससे ‘सुप्रीम’ डूबे।“

व्योम ने हेलीकॉप्टर को आगे बढ़ा लिया। थोड़ा आगे बढ़ने पर उसे एक बड़ा अजीब सा नजारा दिखाई दिया, जिसे देखकर वह हैरान रह गया।

“यह समुद्र में अजीब-अजीब से फव्वारे कैसे निकल रहे हैं? और वह भी एक-दो नहीं बल्कि 15-16.... ..मैंने तो आज तक ऐसे फव्वारों के बारे में सुना तक नहीं जो समुद्र की लहरों से इतना ऊपर उठते हों।....... थोड़ा नीचे जाकर देखना चाहिए कि आखिर इन फव्वारों का रहस्य क्या है?“ कहते हुए व्योम ने हेलीकॉप्टर को थोड़ा और नीचे कर लिया।

“यह क्या ? ये फव्वारे तो चल फिर रहे हैं।.....ओ माई गॉड! ....... ये तो व्हेल मछलियां है। जिनके सिर से गर्म पानी के फव्वारे जैसे चल रहे हैं।.....इतनी सारी व्हेल...एक साथ। ......हे भगवान, यह तो बहुत खतरनाक क्षेत्र है। मुझे नहीं लगता कि यहां आज तक कोई पहुंचा होगा ?“ व्योम की आंखें आश्चर्य से फटी जा रही थीं-

“इतनी सारी व्हेल तो एक साथ बड़े से बड़ा क्रूज जहाज भी डुबो सकती हैं। तभी आज तक क्षेत्र से कोई बचकर नहीं निकल पाया। मुझे लगता है कि मैं गलत दिशा में आ गया। सुप्रीम इस तरफ नहीं आया होगा।“

व्योम ने हेलीकॉप्टर को अब दूसरी दिशा में मोड़ लिया। लेकिन अभी भी व्हेल वाले दृश्य को याद कर वह सिहर उठा। व्योम को अब दूसरी दिशा में चलते हुए काफी देर हो गई थी। लेकिन अभी तक उसे कुछ भी नजर नहीं आया था।

“दूर-दूर तक अंतहीन समुद्र...... आखिर कब तक मैं भटकता रहूंगा। ..... कहीं भी “सुप्रीम” का कोई अवशेष तक दिखाई नहीं दिया।.. ......ये क्या ?.....ये तो कोई द्वीप सा लग रहा है?...... पास चलकर देखना चाहिए शायद कोई सुराग ही मिल जाए। ......काफी हरा-भरा द्वीप है...... लेकिन इस द्वीप की आकृति कितनी विचित्र है। बिल्कुल त्रिकोण के जैसी।.....इसके बीच यह मानव आकृति वाली पहाड़ी कितनी अजीब है?......ऐसा लग रहा है जैसे सिर पर क्राऊन पहने कोई ग्रीक योद्वा बैठा हुआ है? यह द्वीप काफी रहस्यमयी लग रहा है.. ... पहले मुझे इस द्वीप से दूर रहकर ही इसका निरी क्षण करना चाहिए. ....... इस द्वीप के आस-पास धुंध भी काफी नजर आ रही है... इस द्वीप पर उतरने से पहले मुझे इस द्वीप को पीछे की साइड से भी देख लेना चाहिए“

यह सोच व्योम ने द्वीप से दूर रहकर ही अपना हेलीकॉप्टर द्वीप के पीछे की साइड मोड़ लिया। वह इस बात का भी ख्याल रख रहा था कि वह द्वीप से थोड़ा दूर रहे। व्योम को हेलीकॉप्टर उड़ाते हुए 5 मिनट बीत गये, पर वह द्वीप के पीछे की ओर नहीं पहुंच पाया।

“यह मैं द्वीप के पीछे की तरफ क्यों नहीं जा पा रहा ? मेरा हेलीकॉप्टर तो चल रहा है, पर मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे कि मैं एक ही जगह पर खड़ा हूं?“ व्योम ने खिड़की से नीचे द्वीप के किनारे की ओर झांका-

“ये समुद्र का पानी द्वीप से दूर क्यों हट रहा है?........ ओ माई गॉड...... यह द्वीप तो ..... यह द्वीप तो पानी में घूम रहा है..... ऐसा कैसे सम्भव है? तभी मैं द्वीप के पीछे की साइड नहीं जा पा रहा था .....क्यों कि मेरे हेलीकॉप्टर के साथ-साथ उसी स्पीड से यह द्वीप भी घूम रहा था.... ..मुझे पहले इस द्वीप से दूर हट जाना चाहिए..... फिर सोचता हूं कि क्या करुं?“

व्योम ने अपने हेलीकॉप्टर को द्वीप से थोड़ा और दूर कर लिया। व्योम का दिमाग बहुत तेजी से चलने लगा। कुछ देर सोचने के बाद व्योम ने अपने हेलीकॉप्टर को ‘ऑटोपायलेट‘ के हवाले किया और खुद एक पॉवरफुल दूरबीन निकालकर द्वीप की ओर देखने लगा। सबसे पहले उसकी नजर द्वीप के रहस्यमयी शेप पर गयी-

“इस द्वीप का शेप एक पर्फेक्ट त्रिकोण के शेप में है, इसका मतलब यह कोई नेचुरल द्वीप नहीं है..... पर इतना बड़ा द्वीप ‘मानव द्वारा निर्मित‘ कैसे हो सकता है?“ अब उसकी नजर द्वीप पर खड़ी उस मानव आकृति वाली पहाड़ी की ओर गयी-

“इस पूरे द्वीप पर सबसे विचित्र यह पहाड़ी ही है.....यह पहाड़ी बिल्कुल किसी ग्रीक गॉड की तरह प्रतीत हो रही है......कहीं..... कहीं यह ‘पोसाइडन‘ की मूर्ति तो नहीं ?“

यह ख्याल आते ही व्योम ने अपनी दूरबीन को और एडजस्ट किया। अब वह रहस्यमय पहाड़ी बिल्कुल साफ दिखने लगी थी-

“अब मैं श्योर हूं ये पोसाइडन की ही मूर्ति है......ग्रीक माइथालोजी के हिसाब से पोसाइडन समुद्र के देवता हैं...... तो क्या ?...... तो क्या मैं... .. इस समय अटलांटिस की धरती को देख रहा हूं? देवताओं की वह धरती जिसका जिक्र महाग्रंथों में किया गया है? तभी यह द्वीप इतना रहस्यमयी महसूस हो रहा है।“

व्योम की आंखें आश्चर्य से सिकुड़ गयीं। अभी वह यह सब सोच ही रहा था कि तभी उसे द्वीप के ऊपर कोई चीज हवा में उड़ती हुई दिखाई दी। उस चीज की स्पीड काफी तेज थी। व्योम ने दूरबीन को उस दिशा में किया-

“अरे यह क्या ? .... ये तो कोई झोपड़ी है जो हवा में उड़ रही है?.... ये सब क्या हो रहा है?....कहीं मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा ?.... नहीं......नहीं ये सब सपना नहीं है..... ये झोपड़ी तो पोसाईडन की मूर्ति की ओर जा रही है।“

मूर्ति के चेहरे के पास पहुंचकर वह झोपड़ी गायब हो गयी- “कहां गयी. ... कहां गयी वह झोपड़ी ?.....अभी तो वह मूर्ति के चेहरे के पास ही थी।“

व्योम ने अपनी दूरबीन को इधर-उघर घुमाया पर उसे वह झोपड़ी कहीं भी दिखा ई नहीं दी। अब व्योम की नजरें पुनः द्वीप की ओर गयीं। तभी उसे द्वीप के तीनो ओर से कोई वाइब्रेशन जैसी तरंगे निकलती हुई दिखाई दीं। तरंगे पानी में और आसमान में बहुत तेजी से फैल गयी –

“अरे बाप रे....खतरा ऽऽऽऽ!“ पानी पर चलने वाली वह तेज तरंगें पानी को काटती हुई एक सेकेण्ड में ही बहुत दूर निकल गयीं। तभी हवा में फैली तरंगों ने व्योम के हेली कॉप्टर को भी अपनी निशाना बना लिया।

“शायद ये ही ‘विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, मुझे तुरंत अपना हेलीकॉप्टर नीचे उतारना पड़ेगा।“ व्योम मन ही मन बड़बड़ाया।

तभी हेलीकॉप्टर का मैकेनिज्म फेल हो गया। व्योम खतरा भांपते ही तेजी से हेलीकॉप्टर को डाउन करने लगा। पर तब तक हेलीकॉप्टर के इंजन ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया और वह किसी परकटे पक्षी के समान आसमान में डोलने लगा। व्योम पूरी ताकत से हेलीकॉप्टर का बैलेंस बनाने की कोशिश करने लगा। 2 मिनट की असंभव कोशिश के बाद आखिरकार व्योम, हेलीकॉप्टर को सीधे समुद्र पर उतारने में सफल रहा। हेलीकॉप्टर के सारे यंत्र खराब हो चुके थे।

“थैंक गॉड! दुर्घटना होते-होते बच गई।“ व्योम ने एक गहरी सांस ली और फिर उस रहस्यमयी द्वीप को देखा, जो धुंध के बीच घिरा एक अजीब सी फीलिंग दे रहा था।

अचानक व्योम के जबड़े कस गये। अब वो फैसला ले चुका था और वह फैसला था द्वीप का रहस्य ढूंढने का। यह सोच व्योम ने हेलीकॉप्टर में लगा एक बटन दबा दिया। जिससे ड्राइविंग सीट के चारो तरफ बना काँच का केबिन और हेलीकॉप्टर के नीचे का स्टैंड हेलीकॉप्टर में ही कहीं समा गया।

अब वह हेलीकॉप्टर बिल्कुल एक आधुनिक मोटर बोट की तरह नजर आने लगा। व्योम ने धीरे से हेलीकॉप्टर में लगे बोट के इंजन को खींचा।

एक धड़धड़ाहट के साथ बोट का इंजन स्टार्ट हो गया और वह बोट धीरे-धीरे द्वीप की ओर बढ़ने लगी। व्योम ने एक नजर द्वीप पर मारी और हेलीकॉप्टर रुपी बोट में रखे, एक बॉक्स को खोलकर, उसमें रखे कुछ जरुरी सामान को निकालने लगा। कुछ ही देर में जरुरत के सभी सामान को व्योम ने एक छोटे से बैग में रख, उस बैग को अपनी कमर पर लगी बेल्ट के साथ बांध लिया।

अब उसकी नजर निरंतर पास आ रहे उस द्वीप की ओर थी। तभी दूर एक सुनहरी सी रोशनी ने व्योम का ध्यान अपनी ओर खींचा। वह सुनहरी रोशनी शनैः-शनैः तेज होती जा रही थी। व्योम उस रोशनी को देखने में इतना व्यस्त हो गया कि उसे पीछे से आ रहा एक भयानक खतरा दिखाई ही नहीं दिया। व्योम को अचानक से लगा कि उसकी बोट के पीछे कुछ है। जैसे ही वह पीछे पलटा उसे अपने पीछे समुद्र की लहरें लगभग 50 फुट ऊपर तक उठी हुई दिखाई दीं।

“ओ माइ गॉड!...... यह समुद्र की लहरें इतना ऊंचे कैसे उठ गई, ये तो मेरी बोट पर गिरने वाली है।“ व्योम ने घड़ी के सेकेण्डवें हिस्से में अपनी बोट से पानी में जम्प लगा दी।

तभी उसकी बोट के पीछे उठी लहर, बहुत तेजी से उसकी बोट पर आकर गिरी। एक बहुत तेज आवाज के साथ व्योम की बोट पूरी तरह टूटकर बिखर गयी। व्योम अब पूरा का पूरा समुद्र के अंदर था। एक सेकेण्ड के लिए उसकी आंख समुद्र में खुल गई और उसने समुद्र के अंदर जो दृश्य देखा, वह उसकी तो क्या ? उसके सात पुस्तों को हैरान करने के लिए काफी थी।

और इसी के साथ व्योम पर बेहोशी छाती चली गई। व्योम ने बेहोश होने के पहले अपने पास बहुत तेज सुनहरी रोशनी को देखा और इतना महसूस किया कि वह दो हाथों में है, जो कि उसे लेकर तेजी से द्वीप की ओर बढ़ रहे थे।




जारी रहेगा________✍️

Badi hi dhamakedar update he Raj_sharma Bhai,

Vyom ne badi hi jaeeb ajeeb se cheeje Bermuda triangle ke samunder me dekhi...........

Shayad hi kisi ne aise ajoobe dekhe honge..............

Aakhirkar vahi hua jiska dar tha................. Ye Atlantis ki hi khoi huyi civilization he.............

Itna bada island vo bhi tairta hua..............

Vyom badi hi bahaduri ke sath in musibato se bacha, lekin aakhir kar vo is mysterious island ka shikar ho gaya........

Agli update ka besabri se intezar rahega Bhai
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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# 36 .
5 जनवरी 2002, शनिवार 13:00; "अटलांटिक महासागर"
उधर व्योम अब क्रूज पर खड़ा था।

“मिस्टर व्योम, यहां से बारामूडा त्रिकोण का रहस्यमई क्षेत्र शुरू हो जाता है। हम लोग इसके आगे नहीं जा सकते। वैसे सुप्रीम इसी जगह से गलत दिशा में मुड़ा था। नॉर्थ ईस्ट दिशा में 80 मील दूर से, उनका आखिरी मैसेज हमें रिसीव हुआ था।“
ऑफिसर ने कहा- “क्या आपको कोई आदमी, अपने साथ जाने के लिए चाहिए?“

“जी नहीं ! मैं इसके आगे का सफर अकेला ही तय करना चाहता हूं और वैसे भी यह सफर इतना आसान नहीं है। ये मौत का सफर है इसलिए मैं किसी और की जिंदगी का रिस्क उठाने को तैयार नहीं हूं। आप मुझे अकेले ही जाने दीजिए। वैसे भी मेरी पूरी जिंदगी एडवेंचर से खेलने में ही निकली है तो फिर डरना कैसा ? मौत से एक टक्कर और सही।“

व्योम के शब्दों में गजब का जज्बा नजर आ रहा था। कहकर व्योम धीरे से हेलीकॉप्टर की ओर बढ़ गया।

कुछ ही देर में वह हेलीकॉप्टर सहित आसमान में था। क्रूज पर खड़ा वह ऑफिसर, तब तक उस हेलीकॉप्टर को देखता रहा, जब तक कि वह उसकी नजरों से ओझल ना हो गया। फिर ऑफिसर ने अपने होठों ही होठों में उस वीर सपूत के मिशन के लिए भगवान से प्रार्थना की।

व्योम के दिमाग में बहुत सारे प्रश्न घूम रहे थे। वह ‘सुप्रीम’ के लिए चिंतित भी था। लेकिन इस समय वह बहुत सतर्कता के साथ, दोनों तरफ देखते हुए हेलीकॉप्टर चला रहा था।

कभी-कभी उसकी नजर स्पीडो मीटर पर और फ्यूल इंडिकेटर पर भी पड़ रही थी । दोनों ही फुल का इंडिकेशन दर्शा रहे थे। व्योम की नजरें लगातार उस अंतहीन समुद्र की ओर, आशा भरी नजरों से देख रही थी।

धीरे-धीरे समय बीतता जा रहा था। पर सुप्रीम का कहीं कोई अवशेष व्योम को नहीं मिल रहा था।

आसमान पर सूर्य बहुत तेजी से चमक रहा था। उसकी किरणें समुद्र की लहरों पर पड़कर एक अजीब सी चमक उत्पन्न कर रही थी। लेकिन व्योम को इस बात की खुशी थी कि अभी तक विद्युत चुंबकीय तरंगों का प्रकोप उसके हेलीकॉप्टर पर नहीं हुआ था। वह सोच रहा था कि अगर ऐसे ही सब कुछ सही रहा तो जल्द ही वह सुप्रीम को ढूंढ निकालेगा।

व्योम अपने ही विचारों में खोया था कि तभी उसे पानी में छोटी-छोटी भंवर बनती दिखाई देने लगीं। वह छोटी-छोटी भंवर अपने आप पानी में बन-बिगड़ रहीं थीं।

“अजीब सा क्षेत्र है यह। ये भंवर अपने आप कैसे बन-बिगड़ रहीं हैं? लगता है रहस्यमयी क्षेत्र शुरू हो चुका है। अब मुझे बहुत ध्यान से हेलीकॉप्टर ड्राइव करना पड़ेगा। कभी भी मैं विद्युत चुंबकीय तरंगों का शिकार बन सकता हूं।“ व्योम अपने मन ही मन में बुदबुदा रहा था।

“बाप रे!......यह मैं कौन से क्षेत्र में आ गया। यहां तो पानी के अंदर नुकीली चट्टाने निकली हुई हैं। लगता है जैसे पानी के अंदर कोई पर्वत श्रृंखला डूबी हुई हो और ये इतनी सारी शार्क यहां क्या कर रहीं हैं? कहीं....ऐसा तो नहीं कि सुप्रीम यहां डूब गया हो ?“ व्योम के दिमाग में ऊट-पटांग ख्याल आने लगे।

“नहीं -नहीं ! इतनी सारी पहाड़ियों के बीच सुप्रीम यहां नहीं पहुंच सकता और वैसे भी अगर सुप्रीम यहां डूबा होता तो उसके कुछ अवशेष तो यहां पर होते....और फिर सुप्रीम डूब कैसे सकता है? यहां ना तो किसी प्रकार तूफान के लक्षण दिखाई दे रहे हैं और ना ही कोई ऐसी मुसीबत, जिससे ‘सुप्रीम’ डूबे।“

व्योम ने हेलीकॉप्टर को आगे बढ़ा लिया। थोड़ा आगे बढ़ने पर उसे एक बड़ा अजीब सा नजारा दिखाई दिया, जिसे देखकर वह हैरान रह गया।

“यह समुद्र में अजीब-अजीब से फव्वारे कैसे निकल रहे हैं? और वह भी एक-दो नहीं बल्कि 15-16.... ..मैंने तो आज तक ऐसे फव्वारों के बारे में सुना तक नहीं जो समुद्र की लहरों से इतना ऊपर उठते हों।....... थोड़ा नीचे जाकर देखना चाहिए कि आखिर इन फव्वारों का रहस्य क्या है?“ कहते हुए व्योम ने हेलीकॉप्टर को थोड़ा और नीचे कर लिया।

“यह क्या ? ये फव्वारे तो चल फिर रहे हैं।.....ओ माई गॉड! ....... ये तो व्हेल मछलियां है। जिनके सिर से गर्म पानी के फव्वारे जैसे चल रहे हैं।.....इतनी सारी व्हेल...एक साथ। ......हे भगवान, यह तो बहुत खतरनाक क्षेत्र है। मुझे नहीं लगता कि यहां आज तक कोई पहुंचा होगा ?“ व्योम की आंखें आश्चर्य से फटी जा रही थीं-

“इतनी सारी व्हेल तो एक साथ बड़े से बड़ा क्रूज जहाज भी डुबो सकती हैं। तभी आज तक क्षेत्र से कोई बचकर नहीं निकल पाया। मुझे लगता है कि मैं गलत दिशा में आ गया। सुप्रीम इस तरफ नहीं आया होगा।“

व्योम ने हेलीकॉप्टर को अब दूसरी दिशा में मोड़ लिया। लेकिन अभी भी व्हेल वाले दृश्य को याद कर वह सिहर उठा। व्योम को अब दूसरी दिशा में चलते हुए काफी देर हो गई थी। लेकिन अभी तक उसे कुछ भी नजर नहीं आया था।

“दूर-दूर तक अंतहीन समुद्र...... आखिर कब तक मैं भटकता रहूंगा। ..... कहीं भी “सुप्रीम” का कोई अवशेष तक दिखाई नहीं दिया।.. ......ये क्या ?.....ये तो कोई द्वीप सा लग रहा है?...... पास चलकर देखना चाहिए शायद कोई सुराग ही मिल जाए। ......काफी हरा-भरा द्वीप है...... लेकिन इस द्वीप की आकृति कितनी विचित्र है। बिल्कुल त्रिकोण के जैसी।.....इसके बीच यह मानव आकृति वाली पहाड़ी कितनी अजीब है?......ऐसा लग रहा है जैसे सिर पर क्राऊन पहने कोई ग्रीक योद्वा बैठा हुआ है? यह द्वीप काफी रहस्यमयी लग रहा है.. ... पहले मुझे इस द्वीप से दूर रहकर ही इसका निरी क्षण करना चाहिए. ....... इस द्वीप के आस-पास धुंध भी काफी नजर आ रही है... इस द्वीप पर उतरने से पहले मुझे इस द्वीप को पीछे की साइड से भी देख लेना चाहिए“

यह सोच व्योम ने द्वीप से दूर रहकर ही अपना हेलीकॉप्टर द्वीप के पीछे की साइड मोड़ लिया। वह इस बात का भी ख्याल रख रहा था कि वह द्वीप से थोड़ा दूर रहे। व्योम को हेलीकॉप्टर उड़ाते हुए 5 मिनट बीत गये, पर वह द्वीप के पीछे की ओर नहीं पहुंच पाया।

“यह मैं द्वीप के पीछे की तरफ क्यों नहीं जा पा रहा ? मेरा हेलीकॉप्टर तो चल रहा है, पर मुझे ऐसा क्यों लग रहा है जैसे कि मैं एक ही जगह पर खड़ा हूं?“ व्योम ने खिड़की से नीचे द्वीप के किनारे की ओर झांका-

“ये समुद्र का पानी द्वीप से दूर क्यों हट रहा है?........ ओ माई गॉड...... यह द्वीप तो ..... यह द्वीप तो पानी में घूम रहा है..... ऐसा कैसे सम्भव है? तभी मैं द्वीप के पीछे की साइड नहीं जा पा रहा था .....क्यों कि मेरे हेलीकॉप्टर के साथ-साथ उसी स्पीड से यह द्वीप भी घूम रहा था.... ..मुझे पहले इस द्वीप से दूर हट जाना चाहिए..... फिर सोचता हूं कि क्या करुं?“

व्योम ने अपने हेलीकॉप्टर को द्वीप से थोड़ा और दूर कर लिया। व्योम का दिमाग बहुत तेजी से चलने लगा। कुछ देर सोचने के बाद व्योम ने अपने हेलीकॉप्टर को ‘ऑटोपायलेट‘ के हवाले किया और खुद एक पॉवरफुल दूरबीन निकालकर द्वीप की ओर देखने लगा। सबसे पहले उसकी नजर द्वीप के रहस्यमयी शेप पर गयी-

“इस द्वीप का शेप एक पर्फेक्ट त्रिकोण के शेप में है, इसका मतलब यह कोई नेचुरल द्वीप नहीं है..... पर इतना बड़ा द्वीप ‘मानव द्वारा निर्मित‘ कैसे हो सकता है?“ अब उसकी नजर द्वीप पर खड़ी उस मानव आकृति वाली पहाड़ी की ओर गयी-

“इस पूरे द्वीप पर सबसे विचित्र यह पहाड़ी ही है.....यह पहाड़ी बिल्कुल किसी ग्रीक गॉड की तरह प्रतीत हो रही है......कहीं..... कहीं यह ‘पोसाइडन‘ की मूर्ति तो नहीं ?“

यह ख्याल आते ही व्योम ने अपनी दूरबीन को और एडजस्ट किया। अब वह रहस्यमय पहाड़ी बिल्कुल साफ दिखने लगी थी-

“अब मैं श्योर हूं ये पोसाइडन की ही मूर्ति है......ग्रीक माइथालोजी के हिसाब से पोसाइडन समुद्र के देवता हैं...... तो क्या ?...... तो क्या मैं... .. इस समय अटलांटिस की धरती को देख रहा हूं? देवताओं की वह धरती जिसका जिक्र महाग्रंथों में किया गया है? तभी यह द्वीप इतना रहस्यमयी महसूस हो रहा है।“

व्योम की आंखें आश्चर्य से सिकुड़ गयीं। अभी वह यह सब सोच ही रहा था कि तभी उसे द्वीप के ऊपर कोई चीज हवा में उड़ती हुई दिखाई दी। उस चीज की स्पीड काफी तेज थी। व्योम ने दूरबीन को उस दिशा में किया-

“अरे यह क्या ? .... ये तो कोई झोपड़ी है जो हवा में उड़ रही है?.... ये सब क्या हो रहा है?....कहीं मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा ?.... नहीं......नहीं ये सब सपना नहीं है..... ये झोपड़ी तो पोसाईडन की मूर्ति की ओर जा रही है।“

मूर्ति के चेहरे के पास पहुंचकर वह झोपड़ी गायब हो गयी- “कहां गयी. ... कहां गयी वह झोपड़ी ?.....अभी तो वह मूर्ति के चेहरे के पास ही थी।“

व्योम ने अपनी दूरबीन को इधर-उघर घुमाया पर उसे वह झोपड़ी कहीं भी दिखा ई नहीं दी। अब व्योम की नजरें पुनः द्वीप की ओर गयीं। तभी उसे द्वीप के तीनो ओर से कोई वाइब्रेशन जैसी तरंगे निकलती हुई दिखाई दीं। तरंगे पानी में और आसमान में बहुत तेजी से फैल गयी –

“अरे बाप रे....खतरा ऽऽऽऽ!“ पानी पर चलने वाली वह तेज तरंगें पानी को काटती हुई एक सेकेण्ड में ही बहुत दूर निकल गयीं। तभी हवा में फैली तरंगों ने व्योम के हेली कॉप्टर को भी अपनी निशाना बना लिया।

“शायद ये ही ‘विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं, मुझे तुरंत अपना हेलीकॉप्टर नीचे उतारना पड़ेगा।“ व्योम मन ही मन बड़बड़ाया।

तभी हेलीकॉप्टर का मैकेनिज्म फेल हो गया। व्योम खतरा भांपते ही तेजी से हेलीकॉप्टर को डाउन करने लगा। पर तब तक हेलीकॉप्टर के इंजन ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया और वह किसी परकटे पक्षी के समान आसमान में डोलने लगा। व्योम पूरी ताकत से हेलीकॉप्टर का बैलेंस बनाने की कोशिश करने लगा। 2 मिनट की असंभव कोशिश के बाद आखिरकार व्योम, हेलीकॉप्टर को सीधे समुद्र पर उतारने में सफल रहा। हेलीकॉप्टर के सारे यंत्र खराब हो चुके थे।

“थैंक गॉड! दुर्घटना होते-होते बच गई।“ व्योम ने एक गहरी सांस ली और फिर उस रहस्यमयी द्वीप को देखा, जो धुंध के बीच घिरा एक अजीब सी फीलिंग दे रहा था।

अचानक व्योम के जबड़े कस गये। अब वो फैसला ले चुका था और वह फैसला था द्वीप का रहस्य ढूंढने का। यह सोच व्योम ने हेलीकॉप्टर में लगा एक बटन दबा दिया। जिससे ड्राइविंग सीट के चारो तरफ बना काँच का केबिन और हेलीकॉप्टर के नीचे का स्टैंड हेलीकॉप्टर में ही कहीं समा गया।

अब वह हेलीकॉप्टर बिल्कुल एक आधुनिक मोटर बोट की तरह नजर आने लगा। व्योम ने धीरे से हेलीकॉप्टर में लगे बोट के इंजन को खींचा।

एक धड़धड़ाहट के साथ बोट का इंजन स्टार्ट हो गया और वह बोट धीरे-धीरे द्वीप की ओर बढ़ने लगी। व्योम ने एक नजर द्वीप पर मारी और हेलीकॉप्टर रुपी बोट में रखे, एक बॉक्स को खोलकर, उसमें रखे कुछ जरुरी सामान को निकालने लगा। कुछ ही देर में जरुरत के सभी सामान को व्योम ने एक छोटे से बैग में रख, उस बैग को अपनी कमर पर लगी बेल्ट के साथ बांध लिया।

अब उसकी नजर निरंतर पास आ रहे उस द्वीप की ओर थी। तभी दूर एक सुनहरी सी रोशनी ने व्योम का ध्यान अपनी ओर खींचा। वह सुनहरी रोशनी शनैः-शनैः तेज होती जा रही थी। व्योम उस रोशनी को देखने में इतना व्यस्त हो गया कि उसे पीछे से आ रहा एक भयानक खतरा दिखाई ही नहीं दिया। व्योम को अचानक से लगा कि उसकी बोट के पीछे कुछ है। जैसे ही वह पीछे पलटा उसे अपने पीछे समुद्र की लहरें लगभग 50 फुट ऊपर तक उठी हुई दिखाई दीं।

“ओ माइ गॉड!...... यह समुद्र की लहरें इतना ऊंचे कैसे उठ गई, ये तो मेरी बोट पर गिरने वाली है।“ व्योम ने घड़ी के सेकेण्डवें हिस्से में अपनी बोट से पानी में जम्प लगा दी।

तभी उसकी बोट के पीछे उठी लहर, बहुत तेजी से उसकी बोट पर आकर गिरी। एक बहुत तेज आवाज के साथ व्योम की बोट पूरी तरह टूटकर बिखर गयी। व्योम अब पूरा का पूरा समुद्र के अंदर था। एक सेकेण्ड के लिए उसकी आंख समुद्र में खुल गई और उसने समुद्र के अंदर जो दृश्य देखा, वह उसकी तो क्या ? उसके सात पुस्तों को हैरान करने के लिए काफी थी।

और इसी के साथ व्योम पर बेहोशी छाती चली गई। व्योम ने बेहोश होने के पहले अपने पास बहुत तेज सुनहरी रोशनी को देखा और इतना महसूस किया कि वह दो हाथों में है, जो कि उसे लेकर तेजी से द्वीप की ओर बढ़ रहे थे।




जारी रहेगा________✍️
जहाज पर तो द्वीप का सिर्फ चर्चा हो रहा था अब व्योम के साथ हमने ट्रेलर तो देखा
बस पूरी पिक्चर देखने की बेकरारी है

व्योम तो पहुंच गया और शायद लारा भी
बाकी सब कब तक छुपे रहेंगे
जल्दी ही द्वीप पर ही आना पड़ेगा
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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# 28 .

“हो सकता है कि आप ठीक कह रहे हों पर लॉरेन को मारने की वजह तो आपके पास भी थी।“ सुयश की आवाज में शंका के भाव थे।

“मेरे पास!“ जैक ने कांपते शब्दों से कहा।

“जी हां ! आपके पास।“ सुयश ने अपने शब्दों पर जोर देते हुए कहा- “क्यों कि जब आप उस दिन जबरदस्ती जेनिथ के रूम में घुसे थे, तो लॉरेन ने ही फोन पर हमें खबर दी थी। यानि उसी के कारण आप के मंसूबों पर पानी फिर गया था। तो फिर कहीं ऐसा तो नहीं कि उसी गुस्से में आपने उसे मार दिया हो।“

“मैं ...... मैंने लॉरेन को नहीं मारा और फिर रुमाल पर ‘जे‘ अक्षर का मिलना यह तो साबित नहीं करता कि यह मेरा ही है। इस शिप पर और भी ‘जे‘ अक्षर वाले लोग हैं, आप उनसे क्यों नहीं पूछते?“ जैक के शब्दों में लड़खड़ाहट साफ नजर आ रही थी।

“आप सही कह रहे हैं और भी ‘जे‘ अक्षर वाले हैं।“ यह कहकर इस बार सुयश जॉनी की ओर घूमा ।

“हाँ तो मिस्टर जॉनी। कहीं ये रुमाल आपका तो नहीं है, क्यों कि लॉरेन से आपकी भी वही दुश्मनी थी जो जैक की थी और वैसे भी लाइट ऑन होने पर, लाश के सबसे पास में आप ही थे। आपने उस समय इसका कारण शर्त बताया था। पर अब तो मुझे यह लग रहा है कि आप उस समय झूठ बोल रहे थे और लॉरेन को आप ही ने मारा है।“ सुयश अपने शक की सुई जॉनी पर डालते हुए बोला। जॉनी सभी की आशा के विपरीत जवाब में हंस पड़ा-

“मुझे आपसे यह उम्मीद नहीं थी कैप्टेन। आप तो काफी समझदार लगते हैं। आपको तो पता होना चाहिए कि 0.22 एम.एम. की गोली यदि किसी को इतनी नजदीक से मारी जाए तो उसके चेहरे को पहचानना मुश्किल हो जाता और फिर अगर मैं लॉरेन को मारता तो क्या आप मुझे इतना बेवकूफ समझते हैं कि मैं स्टेज पर खड़ा रहता और सबसे बड़ी बात तो यह है कि अब यह बात तो साफ हो चुकी है कि लॉरेन को उसके बॉयफ्रेंड ने मारा। और अगर मैं लॉरेन का बॉयफ्रेंड होता, तो वह उस दिन, जिस दिन हम उसके कमरे में घुसे थे, बीच-बचाव करती, ना कि आपको फोन करके बुलाती। वैसे एक विशेष बात मैं आपको यह भी बता दूं कि यदि मुझे रिवाल्वर चलाना आता होता तो मैं निशानेबाजी प्रतियोगिता में भाग अवश्य लेता।“

“सबसे पहले आप यह बताइए कि क्या वास्तव में आपको रिवाल्वर चलाना नहीं आता ?“ सुयश ने शंकित स्वर में जॉनी को घूरते हुए पूछा।

“जी नहीं !“ जॉनी ने जवाब दिया।

“तो फिर आपको गोली के व्यास के बारे में इतनी अच्छी जानकारी कैसे है? और आपने यह कैसे जान लिया कि लॉरेन को 0.22 एम.एम. की ही गोली मारी गई थी।“ सुयश ने पुनः जॉनी पर एक नये सवाल का गोला दागा।

“मैंने उस दिन लॉरेन की लाश के पास से बरामद रिवाल्वर को देखा था। वह अमेरिकन मेड ‘कोल्ट‘ कंपनी की रिवाल्वर थी, जिसमें 0.22 एम.एम. की गोलियां ही पड़ती हैं। और रही बात रिवाल्वर और उसमें पड़ने वाली गोली की जानकारी की, तो वो मुझे जैक की रिवाल्वर में रुचि होने के कारण पता है। मैं हमेशा इसी के साथ रहता हूं। इसलिए मुझे भी फायर आर्म्स की अच्छी जानकारी हो गई है।“

सुयश को जब समझ में ना आया कि वह जॉनी से अगला सवाल क्या करे तो फिर वह अगले ‘जे‘ की तरफ घूम गया। और इस बार वह ‘जे‘ थी जेनिथ।

“हां तो मिस जेनिथ, आपका इस रूमाल के बारे में क्या ख्याल है? क्या यह आपका है? क्यों कि कत्ल होने के पहले आप स्टेज पर थीं, परंतु लाइट आने के बाद आप भी स्टेज से गायब थीं। कहीं ऐसा तो नहीं कि आप ही ने अंधेरे का फायदा उठा कर लॉरेन को मार दिया हो।“ सुयश ने जेनिथ को देखते हुए कहा।

“क्या.......? क्या बात कर रहे हैं आप?“ जेनिथ का चेहरा एका एक जैसे दहकने लगा हो-
“मैं भला लॉरेन को क्यों मारूंगी ? वही तो एकमात्र मेरी सबसे प्रिय सहेली थी। मेरी भला उस से क्या दुश्मनी हो सकती है? और अगर मुझे उसे मारना होता तो मैं तो उसे सबसे आसानी से कहीं भी मार सकती थी। फिर भला इतना नाटक करके मैं उसे सबके सामने स्टेज पर क्यों मारती ? और वैसे भी मैं रिवाल्वर चलाना नहीं जानती। मुझे तो इसी बात का अफसोस है कि अगर उसे जान का खतरा था तो उसने मुझसे क्यों नहीं बताया ? उसने सारी बातें मुझसे क्यों छिपाये रखीं ? ............फिलहाल सॉरी कैप्टन, यह रुमाल मेरा नहीं है।“

“हूं........कह तो आप भी सही रही हैं।“ कहकर सुयश ने पुनः आसपास नजर दौड़ाई। पर अब वहां पर खड़े लोगों में से किसी का नाम ‘जे‘ से नहीं था।

कुछ क्षणों के लिए वहां पर एक निस्तब्ध सन्नाटा सा छा गया। इस समय सुबह का 7:00 बज रहा था। सूर्यदेव अपने इंद्रधनुषी रथ को लेकर आसमान में धीरे-धीरे आ रहे थे। समुद्र का पूर्व दिशा का पानी बिल्कुल सुनहरा सा प्रतीत हो रहा था। सारी रात इसी बहसबाजी में खत्म हो चुकी थी। लेकिन शायद बहस अभी खत्म नहीं हुई थी, क्यों कि असलम अब ध्यान से कैप्टन के हाथ में पकड़े रुमाल पर बनी उस ‘जे‘ आकृति को देख रहा था।

“क्या मैं यह रुमाल दोबारा देख सकता हूं कैप्टेन?“ असलम ने सुयश से रुमाल मांगते हुए कहा।

“हाँ....हाँ...... क्यों नहीं ?“ यह कहकर सुयश ने धीरे से रुमाल असलम की ओर बढ़ा दिया। असलम उलट-पुलट कर उस रुमाल को देख रहा था और सुयश उसे आशा भरी नजरों से देख रहा था कि शायद उसे कोई और क्लू मिल जाए।

असलम उस आकृति को ध्यान से देखने के बाद गहरी सांस लेकर बोला-
“कैप्टन आप दावे के साथ यह कैसे कह सकते हैं कि इस रूमाल पर कढ़ी हुई यह आकृति अंग्रेजी वर्णमाला का ‘जे‘ ही है?“

असलम की बात सुनकर सभी सकते में आ गए। अब पुनः सबकी निगा हें रुमाल पर कढ़ी उस आकृति पर थी।

“क्या कहने का मतलब है आपका ? क्या यह आकृति अंग्रेजी का ‘जे‘ नहीं बल्कि कुछ और है?“ सुयश ने असलम की ओर देखते हुए पूछा।

“कैप्टेन क्या आप उर्दू जानते हैं?“ असलम ने सुयश से सवाल के बदले सवाल करते हुए पूछा। “

नहीं !“ सुयश ने नकारात्मक अंदाज में अपना सिर हिलाते हुए जवाब दिया।

“कैप्टन, उर्दू का ‘लाम‘ अक्षर बिल्कुल इसी तरह होता है।“

“लाम! यह लाम का क्या मतलब होता है?“ सुयश ने रुमाल को पुनः ध्यान से देखते हुए पूछा।


“लाम का मतलब होता है कि जिस व्यक्ति का यह रुमाल है, उसका नाम अंग्रेजी के ‘एल‘ अक्षर से स्टार्ट हो सकता है।“ असलम ने कहा।

अब एक नया अक्षर लोगों के सामने निकल कर आ गया था।

“मिस्टर तौफीक! आप भी मुस्लिम हैं, और उर्दू जरूर जानते होंगे। जरा देखकर बताइये कि क्या असलम सही कह रहा है?“ सुयश तौफीक से मुखातिब हो बोल उठा।

“जी हाँ, मिस्टर असलम बिल्कुल ठीक कह रहे हैं।“ तौफीक ने पहली बार रुमाल को ध्यान से देखते हुए कहा।

“हाँ तो मिस्टर लोथार!“ सुयश ने एक बार फिर रुमाल को हवा में लहरा या- “क्या यह रुमाल आपका है? क्यों कि आपका भी नाम ‘एल‘ अक्षर से शुरू होता है, और आपका भी निशाना परफेक्ट है।“

“जी नहीं , यह रुमाल मेरा नहीं है।“ लोथार ने शांत और स्पष्ट शब्दों में जवाब दिया- “और ना ही मुझे उर्दू आती है। यहां तक कि मैं तो लॉरेन से शिप से पहले कभी मिला भी नहीं था।

“आपका क्या ख्याल है मिस्टर लारा ?“ सुयश ने लारा की ओर रुमाल लहराते हुए कहा-
“क्या यह ‘लाम‘ ही हो सकता है?“

“यह सब आप मुझसे क्यों पूछ रहे हैं......सर।“ लारा ने घबराए स्वर में कहा- “कहीं आप मुझ पर तो शक नहीं कर रहे हैं?“

“क्यों आपका नाम भी तो ‘एल‘ से शुरू होता है और फिर लॉरेन की लाश तो आप ही की कस्टडी में रखी थी। हो सकता है कि आपने जानबूझकर स्टोर रुम में ताला ना लगाया हो और लाश आपने ही गायब की हो।“ सुयश के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थिरक उठी।

“मैं.....मैं......भला लाश क्यों ले जाऊंगा ?“ लारा अब पूरी तरह नर्वस हो चुका था-
“अगर मुझे लाश ले जानी होती तो मैं स्टोर रूम में ताला लगा कर भी लाश ले जा सकता था।“

“जरूर ले जा सकते थे, पर तब ताला ना टूटने की स्थिति में सभी का सीधा शक आप पर चला जाता।“ सुयश ने कहा।

“ठीक है मैं आपकी यह बात मानता हूं। लेकिन जिस समय कातिल लॉरेन की लाश को लेकर भाग रहा था। उस समय तो मैं आपके साथ उसका पीछा कर रहा था।“ लारा बोला !

इस बार लारा का तर्क बिल्कुल सही था और सुयश के पास इसका कोई जवाब नहीं था।

“कहीं ऐसा तो नहीं कहा कैप्टेन कि यह रुमाल लॉरेन का ही रहा हो और लाश लेकर भागते समय उसकी जेब से गिर गया हो।“ अलबर्ट ने एक बार फिर अपना सुझाव दिया। सुयश को अलबर्ट की बात जंच गई।

“आप ध्यान से देखिए इस रुमाल को मिस जेनिथ, कहीं ऐसा तो नहीं कि यह रुमाल लॉरेन का ही रहा हो।“ सुयश ने जेनिथ की तरफ रुमाल को बढ़ाते हुए कहा।

“जी नहीं ! मैंने ऐसा रुमाल कभी भी लॉरेन के पास नहीं देखा।“ जेनिथ ने ध्यान से रुमाल को देखते हुए कहा-
“हां यह बात अलग है कि वह सफेद धागे से अक्सर कपड़ों पर कढ़ाई किया करती थी।“

“अब आप सिर्फ इतना बता दीजिए मिस जेनिथ कि क्या लॉरेन को उर्दू आती थी ?“ सुयश ने जेनिथ से एक और सवाल कर दिया।

लेकिन इससे पहले कि जेनिथ कोई और जवाब दे पाती, क्रिस्टी बीच में बोल उठी-

“आती थी। लॉरेन को उर्दू सहित कई और भाषाएं भी आती थीं। नई-नई भाषाएं सीखना तो उसका शौक था।

“लेकिन यह रुमाल लॉरेन का नहीं हो सकता।“ जेनिथ ने रुमाल को गहरी नजरों से देखते हुए कहा- “और ना ही यह रुमाल मेरा हो सकता है।“

“तुम इतने दावे के साथ यह बात कैसे कह सकती हो ?“ सुयश ने जेनिथ की आँखों में देखते हुए पूछा।

“क्यों कि यह रुमाल लेडीज नहीं जेन्ट्स है।“ जेनिथ ने कहा।

जेनिथ की बात सुनकर सभी आश्चर्य से पुनः उस रूमाल को देखने लगे।

“जेनिथ बिल्कुल सही कह रही है।“ तौफीक ने जेनिथ की तरफदारी करते हुए कहा- “क्यों कि इस रुमाल का आकार काफी बड़ा है। जबकि लेडीज हमेशा छोटा रुमाल इस्तेमाल करती हैं।“

“तो अब ये भी फाइनल नहीं हो सकता, कि इस रुमाल पर ‘जे‘ लिखा है या फिर ‘लाम‘।“ सुयश ने कहा।

“एक मिनट रुकिए सर!“ इतना कहकर असलम ने पुनः उस रुमाल को सुयश के हाथों से ले लिया, और दोबारा उसे ध्यान से देखते हुए बोला- “अब यह बात तो मैं पक्के तौर पर कर सकता हूं, कि यह ‘जे‘ नहीं ‘लाम‘ ही है।“

“वो कैसे?“ लारा पूछ बैठा ।

“क्यों कि यह आकृति रुमाल के दाहिने कोने पर, ऊपरी साइड में बनी है।“ असलम ने कहा।

“क्या मतलब हुआ इसका ?“ सुयश ने प्रश्नवाचक शब्दों में पूछा।

“यदि यह अक्षर इंग्लिश में होता तो उसे रुमाल के बाएं कोने पर होना चाहिए था। क्यों कि इंग्लिश बाएं से दाएं लिखी जाती है। जबकि उर्दू दाएं से बाएं। अगर यह अक्षर किसी के नाम का पहला अक्षर है तो यह उर्दू में ही है और ‘लाम‘ ही है।“

असलम के तर्क काफी सटीक लग रहे थे।

“ऐसा जरूरी तो नहीं ।“ अलबर्ट ने असलम की बात को काटते हुए कहा- “क्यों कि कुछ लोग अपने रुमाल पर, नीचे दाहिनी साइड में अक्षरों की कढ़ाई करते हैं।“

“आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं प्रोफेसर।“ असलम ने अलबर्ट के शब्दों का जवाब देते हुए कहा- “कि कुछ लोगों के रुमाल पर नीचे की दाहिनी साइड में अक्षरों की कढ़ाई रहती है। लेकिन किसी भी रुमाल पर इंगिलश का अक्षर ऊपर की साइड में दाहिनी ओर आपको नहीं मिलेगा। ऐसा सिर्फ उसी दशा में संभव है, जबकि अक्षर उर्दू का कढ़ा हो।“

अब सभी असलम के तर्क से सहमत दिख रहे थे। कुल मिलाकर रुमाल से कोई विशेष निष्कर्ष नहीं निकाला जा सका, सिवाय कुछ जटिल तर्को के।

अब सुयश सहित सभी वापस स्टोर रुम में आ गये।





जारी रहेगा......…✍️
Bhai Mind-blowing episode hai ye bhai
Sirf or sirf paheli per paheli read karne ko mil rhe hai isme samj me nahi aa raha hai ki kiski theory shai ho gi or kiski galt
Super update Raj_sharma bhai
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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# 29 .
चैपटर-9 3 जनवरी 2002, गुरुवार, 07:45;

सुयश की निगाहें पुनः स्टोर रूम में इधर-उधर फिरने लगी। वह मन ही मन कुछ तेजी से सोचता भी जा रहा था। एका एक सुयश तौफीक की ओर घूमा और बोल उठा-
“मिस्टर तौफीक, मैं आपसे एक बात पूछना चाहता हूं।“ तौफीक सुयश की ओर देखने लगा।

“आप तो आर्मी में मेजर हैं। आपकी प्रशिक्षण अवधि के दौरान, आपको बहुत सारी चीजें सिखाई गईं होगी। आप यह बताइए कि अगर कुत्ते को अपराधी की गंध सुंघाई जाती है, तो वह हमेशा उसी दिशा में क्यों भागता है? जिधर अपराधी गया है। उधर क्यों नहीं जाता ? जिधर से वह अपराधी आया था।“ यह प्रश्न सुनकर, सभी के चेहरे पर सुयश के प्रति तारीफ के भाव आ गए। क्यों कि इस पॉइंट के बारे में शायद कभी किसी ने नहीं सोचा था।

“क्यों कि जो चालाक अपराधी यह जान जाता है कि उसका पीछा जासूसी कुत्ते द्वारा कराया जा सकता है, वह आगे भागते हुए तो उस कुत्ते से बचने का इंतजाम करता है, परंतु वह जिस दिशा से आया था, मैं दावा कर सकता हूं कि उसने उस तरफ ऐसा इंतजाम नहीं किया होगा।“

सुयश ने ‘दावा ‘ शब्द पर जोर देते हुए, तेजी से अपने सीधे हाथ का मुक्का बना कर, अपने बाएं हाथ के पंजे पर जोर से मारते हुए कहा।

“देखिये कैप्टन! पहली बात तो यह है कि अधिकांशत: कुत्ते को अपराधी की कोई वस्तु, जैसे रुमाल, कपड़ा या कोई अन्य सामान सुंघाया जाता है, जिससे वह अपराधी के भागने की दिशा में जाता है। अगर कभी कुत्ते को वह जगह सुंघाई जाए तो उम्मीद है कि कुत्ता उस तरफ भी जा सकता है, जिधर से अपराधी आया था। लेकिन पुलिस वालों को हमेशा अपराधी पकड़ना होता है, इसलिए वह कुत्ते को उसी दिशा में जाने का इशारा करते हैं, जिस दिशा में अपराधी गया है।
वैसे एक बात और भी होती है, जिसकी वजह से कुत्ते को उस साइड नहीं ले जाया जाता, जिधर से वह अपराधी आया था, और वह वजह यह है कि अपराधी के शरीर की खुशबू, जिस तरफ वह गया है, उधर बढ़ती जाती है। जबकि जिधर से वह आया था, उसकी खुशबू वातावरण में मिलकर गायब होती जाती है। इसलिए भी कुत्ता उसी दिशा में जाता है, जिधर अपराधी गया है।“

इतना कहकर तौफीक चुप हो गया। कुछ सोचकर सुयश ने ब्रूनो को फिर वही जगह सुंघाई, जहां पर लॉरेन की लाश रखी थी और फिर ब्रूनो को ‘बैक‘ का इशारा किया।

इशारा मिलते ही ब्रूनो बहुत तेजी से स्टोर रूम के अगले गेट से निकलकर, गैलरी के एक कोने की ओर दौड़ पड़ा। एक बार फिर सब ब्रूनो के पीछे थे। सुयश की तरकीब काम कर गई थी। ब्रूनो को कातिल की गंध पुनः मिल गयी थी। कुछ आगे जा कर ब्रूनो एक क्षण के लिए रुक गया। ऐसा लगा मानो वह गंध यहां आकर काफी कम हो गई हो।

कुछ क्षणों के बाद ब्रूनो ने अपनी नाक उठाकर जोर-जोर से सूंघा और पुनः धीरे-धीरे एक दिशा की ओर आगे बढ़ना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे चलता हुआ ब्रूनो एक दरवाजे के पास पहुंचकर रुक गया। कुछ देर सूंघने के पश्चात, वह उस दरवाजे पर खरोंच मारने लगा।

उस दरवाजे पर गणित के बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था- ‘एस-25‘ उस दरवाजे पर ब्रूनो के खरोंच मारते ही जेनिथ का गला सूखने लगा क्यों कि यह रुम उसी का था। ब्रूनो के उस रूम के दरवाजे को खरोंचने का साफ मतलब था, कि अपराधी लॉरेन की लाश के पास, इसी कमरे से निकल कर गया था।

सुयश चूँकि एक बार जेनिथ के रुम में आ चुका था। इसलिए वह तुरंत जेनिथ की ओर घूमता हुआ बोला- “ब्रूनो आपके रूम के दरवाजे पर अपने पंजे क्यों मार रहा है?“

“म....मुझे......क्या पता ?“ जेनिथ एका एक घबराए स्वर में बोली-
“मैं तो स्टोर रूम में आज से पहले कभी गई ही नहीं थी।“

“आप अपने रूम का दरवाजा खोलिए। अभी सच्चाई का पता चल जाएगा।“ ब्रैंडन ने जेनिथ को देखते हुए कहा।

“पर चाबी तो इस समय मेरे पास नहीं है।“ जेनिथ ने कहा।

“चाबी किसके पास है?“ सुयश ने जेनिथ से पूछा।

“मेरे सहयोगी कलाकार डारथी के रूम में।“

“चाबी वहां क्या कर रही है?“ सुयश ने शंकित स्वर में पूछा।

“वो मैं इस रुम में हमेशा ही लॉरेन के साथ रहती थी। लेकिन लॉरेन की मौत के बाद, जाने क्यों मुझे अकेलेपन से बहुत डर लगने लगा। इसलिए मैं अपना कुछ जरूरत का सामान लेकर, बगल वाले रूम में अपने दूसरे सहयोगी कलाकार डारथी के साथ जा कर रहने लगी थी।“ जेनिथ ने शांत भाव से जवाब दिया। सुयश को जाने क्यों जेनिथ सच बोलती हुई दिखी।

“जाइए जाकर पहले इस रूम की चाबी लेकर आइये।“ सुयश ने धीमे शब्दों में जेनिथ को आदेश देते हुए कहा।

जेनिथ तुरंत रुम नम्बर ‘एस-24‘ के दरवाजे पर पहुंच गयी। उसने एक पल के लिए कुछ सोचा और फिर डोर बेल पर उंगली रख दी। थोड़ी ही देर में रुम का दरवाजा खुल गया। दरवाजा खोलने वाली डारथी ही थी। उसकी आंखें देखकर लग रहा था कि अभी सोई ही हुई थी।

बाहर इतनी भीड़ देखकर वह आश्चर्य से भर उठी। लेकिन जेनिथ ने उसे कुछ समझाया और फिर उसके साथ रुम के अंदर चली गयी। बाकी के सभी लोग कुछ दूरी पर खड़े थे। इसलिए उन्हें दोनो की बातें सुनाई नहीं दी।

धीरे-धीरे समय बीतने लगा, पर जब काफी देर तक जेनिथ उस रुम से नहीं निकली, तो सुयश ने धीरे से लारा को इशारा किया। लेकिन इससे पहले कि लारा डारथी के रूम में जाकर, देरी का कारण पता लगा पाता, उसे जेनिथ बाहर निकलती हुई दिखाई दी। जेनिथ का उतरा हुआ चेहरा बता रहा था कि कहीं कोई प्रॉब्लम है?

“क्या हुआ मिस जेनिथ? चाबी कहां है?“ सुयश ने जेनिथ के उतरे हुए चेहरे को देखकर पूछा।

“पता नहीं कैप्टेन! चाबी तो मैंने अपने पर्स में ही रखी थी, पर अब वह वहां पर नहीं है। शायद किसी ने उसे गायब कर दिया है?“ जेनिथ ने डरते-डरते मायूस शब्द में सुयश से कहा।

“मुझे कुछ ऐसा ही शक था।“ सुयश ने शंकित नजरों से जेनिथ को देखते हुए कहा। इसके बाद सुयश लारा की तरफ पलट कर बोला-
“मिस्टर लारा, आप जाइये और रिसेप्शन से जेनिथ के रुम की दूसरी चाबी लेकर आइये।“ लारा , सुयश का आदेश मान तुरंत दूसरी चाबी लाने के लिए चला गया।

“मिस जेनिथ! क्या आपकी फ्रेंड डारथी को भी नहीं पता कि चाबी कहां है? या फिर कोई आपकी गैर हाजरी में आपसे मिलने आया हो।“ ब्रैंडन ने कहा।

“जी नहीं , मैंने यह सारी बातें उससे पूछ ली हैं। रूम में हम लोगों की उपस्थिति में कोई नहीं आया।“ जेनिथ के शब्दों में अभी भी चिंता के भाव थे।

“तो फिर आपके रूम से चाबी कौन निकाल कर ले गया ? सुयश ने कहा।

“मुझे नहीं पता। मैं इस समय स्वयं बहुत उलझन में हूं।“ जेनिथ ने जवाब दिया।

तब तक लारा दूसरी चाबी लेकर आ गया। असलम ने लारा से चाबी लेकर ‘की होल‘ में फंसाई और एक झटके से कमरे का लॉक खोल दिया। असलम ने दरवाजे को धीरे से धक्का दिया।

दरवाजा निःशब्द खुलता चला गया। जेनिथ सहित सभी के दिल इतनी तेजी से धड़क रहे थे। मानों दरवाजा खुलते ही उन पर मौत टूट पड़ेगी। अंदर कमरे में बिल्कुल अंधकार था।
जेनिथ धीरे से मरे-मरे कदमों से अंदर दाखिल हो गई। अंधकार इतना गहरा था कि हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था। जेनिथ के हाथ धीरे से दरवाजे के बांयी साइड वाली दीवार की ओर गया। कुछ देर टटोलने के बाद कुछ बटन उसके हाथ में आ गए। जेनिथ ने एक झटके से खट्-खट् की आवाज के साथ, सारे बटन ऑन कर दिए।

पूरा कमरा दूधिया प्रकाश से नहा उठा। लेकिन उसके बाद जो नजारा सामने आया, उसे देखकर सभी आश्चर्य में पड़ गए। जेनिथ के कमरे का सामान, पूरे कमरे में इस तरह बिखरा हुआ था । मानो किसी ने उसके कमरे की तलाशी ली हो।

“यह सब क्या है? सुयश ने भी कमरे में प्रवेश करते हुए कहा। “पता नहीं? जेनिथ का स्वर उलझा-उलझा सा था- “मैं स्वयं नहीं समझ पा रही हूं कि ये सब क्या है?“

“ऐसा लगता है, जैसे किसी ने तुम्हारे कमरे की तलाशी ली हो।“ असलम ने भी कमरे में प्रवेश करते हुए कहा।

“आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं।“ जेनिथ ने कमरे पर नजर मारते हुए जवाब दिया।

“क्या आप जब कमरे से निकली थीं? तब भी सारा सामान यूं ही बिखरा पड़ा था।“ ब्रैंडन ने पूछा।

“जी नहीं। अगर मेरे रूम से निकलते समय, ये सब बिखरा पड़ा होता, तो कम से कम रूम में प्रवेश करते समय मुझे तो आश्चर्य नहीं होता।“

जेनिथ के शब्दों में अब थोड़ा रोष भी नजर आ रहा था। अब सुयश की निगाहें तेजी से कमरे में बिखरे हुए सामान पर फिरने लगी।

“इसका साफ मतलब निकलता है कि हम लोग सही सोच रहे थे।“ सुयश ने पूरे कमरे पर नजर दौड़ाने के बाद लारा की ओर घूमते हुए कहा-
“लॉरेन का बॉयफ्रेंड ही उसका कातिल है। पहले वह जेनिथ के कमरे में आया। शायद उसे कुछ ऐसे सबूत की तलाश थी, जो उसे फंसवा सकते थे। जब वह सबूत उसे यहां नहीं मिले तो वह उसे ढूंढने लॉरेन की लाश के पास पहुंच गया होगा।“

“हम अब बिल्कुल सही सोच रहे हैं कैप्टन।“ असलम ने भी कमरे पर एक गहरी निगाह मारते हुए कहा-

“लेकिन इससे दो बातें तो बिल्कुल साफ हो जाती हैं। पहली यह कि उसे पता था कि जेनिथ अपने रूम में नहीं है। क्यों कि इस तलाशी को देखते हुए यह साफ लग रहा है कि उसने अपना काम बड़ी तसल्ली से किया है। और दूसरा उसे यह भी पता था कि जेनिथ डारथी के रुम में है और इस कमरे की चाबी जेनिथ के पर्स में है। और यह सब वही कर सकता है जो जेनिथ को ठीक से जानता हो या फिर उसकी एक्टिविटी लगातार देख रहा हो।“

“बिल्कुल ठीक।“ सुयश ने असलम की तारीफ करते हुए कहा।

“कैप्टेन! मैं भी आपको एक बात ध्यान दिलाना चाहता हूं।“ ब्रैंडन ने कहा- “वह यह कि इस समय यहां जितने लोग खड़े हैं, अपराधी इसमें से नहीं है।“

“इस बात के कहने का आपके पास क्या लॉजिक है?“ अलबर्ट ने कहा।

“मेरे कहने का यह मतलब है कि यदि अपराधी इसमें से कोई होता तो ब्रूनो उसकी खुशबू सूंघकर उसे पहचान जाता और वहीं पकड़ लेता। जबकि ब्रूनो खुशबू सूंघकर बाहर की ओर भागा था।“ ब्रैंडन ने अपना तर्क देते हुए कहा।

“मैं तुम्हारी इस बात से सहमत नहीं हूं असलम।“ सुयश ने असलम की बात काटते हुए कहा- “क्यों कि अपराधी बहुत चालाक है। यह भी हो सकता है कि उसने भागते समय, कुत्ते को डॉज देने वाले स्प्रे का सहारा लिया हो। जिसके कारण उसके शरीर की खुशबू छिप गई हो। इसी कारण इन लोगों के बीच खड़े होने के बावजूद भी ब्रूनो कातिल को ना पहचान पा रहा हो।“

सुयश का तर्क इतना वजनदार था कि असलम उसकी बात काट नहीं पाया। उसके बाद सभी ने एक बार फिर कमरे का बारीकी से निरीक्षण किया। पर इन्हें सबूत के नाम पर कमरे से एक तिनका भी ना मिला।

अब सभी लोग धीरे-धीरे कमरे से बाहर निकलने लगे। तभी कैप्टन की नजर सोफे के पास गिरे पड़े सिगरेट के एक टोटे पर गई। सुयश ने वहां रखे टिश्यू पेपर के रोल में से एक टिश्यू निकाल लिया और झुककर उस टिश्यू से सिगरेट का वह टुकड़ा उठा लिया। सिगरेट के बचे हुए टुकड़े पर लिखा ‘ट्रेंच‘ नाम दूर से ही नजर आ रहा था।

“मिस्टर लोथार!“ सुयश ने सिगरेट के टुकड़े को लोथार के चेहरे के सामने करते हुए कहा- “आप किस ब्रांड की सिगरेट पीते हैं?“

“जी... मैं....।“ लोथार ने अचकचाते हुए पूछा।

“जी हाँ..... आप ही।“ सुयश ने हामी भरते हुए कहा।

“ट्रेंच!“ लोथार ने सुयश के हाथ में थमे सिगरेट के टुकड़े को देखते हुए जवाब दिया।

“अभी-अभी मुझे कमरे से यह ट्रेंच नाम की सिगरेट का टुकड़ा पड़ा हुआ मिला है। कहीं जेनिथ के रुम में आप तो नहीं आए थे?“ सुयश ने लोथार को घूरते हुए पूछा।

“जी नहीं। रूम में मैं नहीं आया था और वैसे भी मैं आपको एक बात बता दूं कि ट्रेंच न्यूयॉर्क की फेमस सिगरेट में से एक है। इस शिप पर सफर करने वाले लोगों में से सैकड़ों लोग इस सिगरेट को पीते होंगे, फिर आप ये बात मुझसे ही क्यों पूछ रहे हैं?“ लोथार ने थोड़ा नाराज होते हुए जवाब दिया।






जारी रहेगा.........✍️
WOW ab Lother aaya list me jane kya hoga aakhir kaun ho sakta hai katil or kya dund raha hai wo
Fantastic update Raj_sharma bhai
 
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