हम इंतजार कर रहे हैं लघू कथा 2 का..लघु कथा 1:
उस दिन बुधवार था। सुबह के समय ही सुजाता के पती शहर में गये थे । वो काम के कारण कुछ दिन शहर ही रहने वाले थे। इसलिये अब वो घर मे अपने बूढ़े सास ससुर के साथ अकेली ही थी। सुजाता को कोई फिकर नही थी कियूंकि उसके सास ससुर बहुत सीधे साधे थे। सुजाता का स्वभाव भी काफी अच्छा था इसलिए उसके सास ससुर भी अच्छा महसूस करते थे। उसने अकेले ही राइस, दाल और आलू की सब्जी बनाई थी। उसके ससुरजी भी बहुत बीमार रहते थे। उनके शरीर को हमेशा दर्द होता रहता था। इसलिए सुजाता ने उनके लिए थोड़ा सुप भी बनाया था। 8 बजते ही सब किचन में टेबल पर खाना खाने लगे। सुजाता ने खाना बनाने के पहले ही साड़ी बदल कर ब्लैक कलर की मैक्सी पहन ली थी। उसके शादी को 2 साल हो चुके थे इसलिए ही तो उसे आदत ले चलते अपने ससुरजी के सामने मैक्सी में रहने में सहजता महसूस होती थी। सुजाता में देखा कि उसके ससुर के हाथ खाना खाते समय काँप रहे थे। उसे उनकी चिंता लगी रहती थी। उनका खाना जल्दी खत्म हो गया कियूंकि उनको बुढ़ापे के कारण से अब बहुत ही कम भूख लगती थी। सुजाता ने तुरंत उनको एक बाउल में सुप पीने को दिया। वो भी उन्होंने किसी न किसी तरह बहुत धीरे धीरे पी लिया। थोड़ी देर बाद सुजाता ने उसका और सास का खाना खाकर होते ही सब बर्तन धो डालें। फिर सब हॉल में टीव्ही देखने लगे। सुजाता को अपनी सास के साथ बातें करने में मजा आता था। लगभग 9 बजे उसने सबके लिए हॉल में जमीन पर ही बिस्तर बना दिया। फिर टीव्ही चालू रखते हुए ही सब सोने लगें। सुजाता के साथ साथ उसके सास ससुर को देर रात तक टीव्ही देखने का बहुत शौक था। सुजाता हमेशा अपने ससुरजी को उसके और सास के बीच में ही सोने को कहती थी ताकि फिर वो दोनों उनके ऊपर नजर रख सके। आज भी कोई अलग बात नहीं थी। टीव्ही पर रोज की सीरियल लगी हुई थी। सुजाता अपनी सास के साथ लगभग 11 बजे तक टीव्ही देखती रहती थी। सुजाता के ससुर भी थोड़ी दी टीव्ही देख रहे थे। पर जैसे जैसे समय बीतता गया उनको बेचैनी महसूस होने लगी। वो अब बेचैनी से बिस्तर में बार बार करवटें बदलने लगे। सुजाता को यह दिखतें ही उसने उनको अपनी तरफ पलटकर उनको अपने करीब ले लिया और फिर उनकी पीठ पर वो हाथ से थपथपाने लगी। ससुर थोड़े शांत हो गए। फिर भी सुजाता छोटे बच्चे की तरह उनके पीठ पर हाथ फेरती रही। उसकी सास टीव्ही देखने मे मग्न थी पर सुजाता अपने ससुर का ख्याल रखने पर ध्यान दे रही थी। अब उनकी हलचल बहुत बढ़ गयी तो सास बागी चिंतित हो गयी। पर सुजाता ने उसे कहा,
"कोई बात नही सासु माँ। उनको अब दूध पिलाऊँगी। "
"ठीक है बहु।"
सुजाता ने हँसते हुए अपने मैक्सी के बटन खोल दिये और फिर वो अपने ससुर को किसी बच्चे की तरह अपना दूध पिलाने लगी। उसके ससुर की हलचल अब काफी कम हो गयी । सुजाता ने दो उंगलियों में उसका स्तन उनके मुँह में अच्छी तरह से पकड़कर रखा था। इससे उनको दूध पीने में आसानी हो रही थी। उसके सास ने यह देखा और राहत की सास ली।
"उनको पूरा दूध पिला दो बहु। खाना भी बहुत कम खाया है उन्होंने।"
"हा माँ जी। "
सास फिरसे टीव्ही देखने लगीं । सुजाता का पूरा ध्यान अब ससुर को स्तनपान करने में लगा हुआ था। उनके सब दाँत गिर गए थे इसलिए स्तन को काटने का खतरा नही था। 10 मिनिट बाद जब सुजाता का एक स्तन खाली हो गया तब उसके ससुर रुक गए। पर सुजाता ने पलक झपकते ही उनको अपना दूसरा स्तन पीने को दे दिया। वो उनको पूरा दूध पिलाये बगैर थोड़ी छोड़ने वाली थी। उसके ससुर चुपचाप दूध पीने लगे। वो उनको बहुत देर तक पिला रही थी। जब उनका दूध पीकर हो गया तब उन्हें अच्छी नींद आ रही थी। सुजाता ने मैक्सी के बटन लगा लिए और उनको अपनी बाहों में लेकर सो गई।
Abhi baaris ka mausam hai to koi eshi short story bano,लघु कथा 1:
उस दिन बुधवार था। सुबह के समय ही सुजाता के पती शहर में गये थे । वो काम के कारण कुछ दिन शहर ही रहने वाले थे। इसलिये अब वो घर मे अपने बूढ़े सास ससुर के साथ अकेली ही थी। सुजाता को कोई फिकर नही थी कियूंकि उसके सास ससुर बहुत सीधे साधे थे। सुजाता का स्वभाव भी काफी अच्छा था इसलिए उसके सास ससुर भी अच्छा महसूस करते थे। उसने अकेले ही राइस, दाल और आलू की सब्जी बनाई थी। उसके ससुरजी भी बहुत बीमार रहते थे। उनके शरीर को हमेशा दर्द होता रहता था। इसलिए सुजाता ने उनके लिए थोड़ा सुप भी बनाया था। 8 बजते ही सब किचन में टेबल पर खाना खाने लगे। सुजाता ने खाना बनाने के पहले ही साड़ी बदल कर ब्लैक कलर की मैक्सी पहन ली थी। उसके शादी को 2 साल हो चुके थे इसलिए ही तो उसे आदत ले चलते अपने ससुरजी के सामने मैक्सी में रहने में सहजता महसूस होती थी। सुजाता में देखा कि उसके ससुर के हाथ खाना खाते समय काँप रहे थे। उसे उनकी चिंता लगी रहती थी। उनका खाना जल्दी खत्म हो गया कियूंकि उनको बुढ़ापे के कारण से अब बहुत ही कम भूख लगती थी। सुजाता ने तुरंत उनको एक बाउल में सुप पीने को दिया। वो भी उन्होंने किसी न किसी तरह बहुत धीरे धीरे पी लिया। थोड़ी देर बाद सुजाता ने उसका और सास का खाना खाकर होते ही सब बर्तन धो डालें। फिर सब हॉल में टीव्ही देखने लगे। सुजाता को अपनी सास के साथ बातें करने में मजा आता था। लगभग 9 बजे उसने सबके लिए हॉल में जमीन पर ही बिस्तर बना दिया। फिर टीव्ही चालू रखते हुए ही सब सोने लगें। सुजाता के साथ साथ उसके सास ससुर को देर रात तक टीव्ही देखने का बहुत शौक था। सुजाता हमेशा अपने ससुरजी को उसके और सास के बीच में ही सोने को कहती थी ताकि फिर वो दोनों उनके ऊपर नजर रख सके। आज भी कोई अलग बात नहीं थी। टीव्ही पर रोज की सीरियल लगी हुई थी। सुजाता अपनी सास के साथ लगभग 11 बजे तक टीव्ही देखती रहती थी। सुजाता के ससुर भी थोड़ी दी टीव्ही देख रहे थे। पर जैसे जैसे समय बीतता गया उनको बेचैनी महसूस होने लगी। वो अब बेचैनी से बिस्तर में बार बार करवटें बदलने लगे। सुजाता को यह दिखतें ही उसने उनको अपनी तरफ पलटकर उनको अपने करीब ले लिया और फिर उनकी पीठ पर वो हाथ से थपथपाने लगी। ससुर थोड़े शांत हो गए। फिर भी सुजाता छोटे बच्चे की तरह उनके पीठ पर हाथ फेरती रही। उसकी सास टीव्ही देखने मे मग्न थी पर सुजाता अपने ससुर का ख्याल रखने पर ध्यान दे रही थी। अब उनकी हलचल बहुत बढ़ गयी तो सास बागी चिंतित हो गयी। पर सुजाता ने उसे कहा,
"कोई बात नही सासु माँ। उनको अब दूध पिलाऊँगी। "
"ठीक है बहु।"
सुजाता ने हँसते हुए अपने मैक्सी के बटन खोल दिये और फिर वो अपने ससुर को किसी बच्चे की तरह अपना दूध पिलाने लगी। उसके ससुर की हलचल अब काफी कम हो गयी । सुजाता ने दो उंगलियों में उसका स्तन उनके मुँह में अच्छी तरह से पकड़कर रखा था। इससे उनको दूध पीने में आसानी हो रही थी। उसके सास ने यह देखा और राहत की सास ली।
"उनको पूरा दूध पिला दो बहु। खाना भी बहुत कम खाया है उन्होंने।"
"हा माँ जी। "
सास फिरसे टीव्ही देखने लगीं । सुजाता का पूरा ध्यान अब ससुर को स्तनपान करने में लगा हुआ था। उनके सब दाँत गिर गए थे इसलिए स्तन को काटने का खतरा नही था। 10 मिनिट बाद जब सुजाता का एक स्तन खाली हो गया तब उसके ससुर रुक गए। पर सुजाता ने पलक झपकते ही उनको अपना दूसरा स्तन पीने को दे दिया। वो उनको पूरा दूध पिलाये बगैर थोड़ी छोड़ने वाली थी। उसके ससुर चुपचाप दूध पीने लगे। वो उनको बहुत देर तक पिला रही थी। जब उनका दूध पीकर हो गया तब उन्हें अच्छी नींद आ रही थी। सुजाता ने मैक्सी के बटन लगा लिए और उनको अपनी बाहों में लेकर सो गई।
आपने जो सुझाव दिया वह बहुत अच्छा है। लेखक से अनुरोध है कि अगला भाग इसी तरह लिखेंAbhi baaris ka mausam hai to koi eshi short story bano,
Koi sahar ho,jiske ameer area me ek couple ho uska 5 6 mahine ka beta ho,beta doodh kam pita ho,jise maa ko takleef hoti ho,ek din pati ke office jate hi budha bhikhari roj ki tarah bheekh magne aaye aur vo mummy usko kuchh khana ya paise de,wo roj aata hai is liye wo us ke upar daya aati ho,
Fir ek din pati ke office jane ke 1 ghante bad jordar baris suru ho jaye aur baris raat tak chalne se pure sahar me pani bhar jata hai ,pati office me fas jaye aur raat wahi gujare,aur is taraf bhikhari uske ghar ke pas baris ki vjah se ruk jaye, dopahar me pani badhne lagta hai aur budha ghutne bhar pani me khada ho ,khidki se mummy usko dekh leti hai aur use ghar me bulaye
Uske aage ki kahani aap apne hisaab se likh ke usko raat bhar doodh pilaye
Dhanyvaad.
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