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Erotica हरामी साहूकार

Rajat1855

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''ओो आह ह उम्म्म्मम अहह ऑशएसस्सस्स...भाई...... अहह ....ऐसे ही...... उम्म्म्मममम.... ज़ोर से ...चोदो ...अपनी लाडली बहन को.......अहह.....भाई.....मैं तो आई रे.....मैं तो आआईय.....''

इतना कहते हुए निशि की चूत ने ढेर सारा रज बाहर की तरफ उडेल दिया...

नंदू तो अभी कुछ देर पहले ही झड़ा था इसलिए उसका लंड अभी डोर तक जाने वाला था..

उसने अपना रसीले पानी से लिसड़ा लंड बाहर निकाला और एक बार फिर से अपनी प्यारी माँ की चूत में डालकर उन्हे चोदने लगा...

ये सब नज़ारा दूर नंगी होकर लेटी हुई पिंकी बड़े आराम से देख रही थी...
और मन में सोच रही थी की घर में अगर एक ऐसा चोदने वाला जवान मर्द हो तो कोई बाहर मुँह क्यो मारे भला..
वो सोच रही थी की काश जैसे निशि के पास एक भाई है वैसा उसके पास भी होता तो वो भी घर पर जी भरके मज़े लेती...
पर एक बात तो उसने सोच ही ली थी की अब अपने पहले प्यार यानी नंदू को वो छोड़ने वाली नही है

इसी बीच नंदू के लंड को अपनी चूत में लेकर मज़े लेती हुई गोरी की किलकरियां एक बार फिर से पूरे घर में गूंजने लगी....
वो एक खेली खाई औरत थी जिसे लंड को अंदर लेने का अच्छा ख़ासा अनुभव था...
वो जानती थी की ऐसे मौके पर कब अपनी चूत की मांसपेशिया दबानी है ताकि लॅंड को अंदर बाहर होने में और उसे लेने मे ज़्यादा मज़ा आए...
और वही इस वक़्त हो रहा था..



पर हर चूत मराई की एक रस्म होती है,
जो झड़ने के बाद ही पूरी होती है...
गोरी के साथ भी यही हुआ...
उसकी चूत भी जब झड़ी तो अंदर का ज्वालामुखी एक जबरदस्त झोंके के साथ बाहर निकला...
और नंदू के लोड़े को तर बतर करता हुआ उसकी जाँघो से बाहर बहने लगा..

पर नंदू का जेनरेटर अभी भी चालू था....
उसका तो ये हाल हो रहा था की अभी भी 8-10 चूतें और भी चोद मारे....
पर अब सामने से भी तो रिप्लाइ आना ज़रूरी था..

और वो आया भी....
तीनो एकसाथ खड़ी होकर उसके इर्द गिर्द आकर उसके लंड को चूसने लगी



अब एक साथ 3-3 नर्म होंठ जब लंड पर लग जाए तो उसका झड़ना तो बनता ही है...

नंदू के साथ भी यही हुआ....
इतने सारे होंठों की गर्मी उस से सहन नहीं हुई और उसके लंबे लंड से एक के बाद एक पिचकारियां निकल कर उसकी माँ , बहन और प्रेमिका के चेहरे पर गिरने लगी....
उसने ज़रा भी भेदभाव नही किया..
हर किसी को 3-3 पिचकारियां दी उनके चेहरे पर ताकि किसी को शिकायत का मौका ना मिले...



और फिर नंदू वहीं अपने बेड पर पस्त होकर गिर पड़ा...
निशि और पिंकी अपने चुलबुलेपन पर उतर आई और पूरी शाम उन दोनो ने किसी को भी कपड़े नही पहनने दिए और अलग-2 तरह की शरारत भरी गेम्स भी खेलती रही और चुदाई भी करवाती रही..

नंदू की तो लाइफ जैसे सेट हो गयी थी आज के बाद...

और यही हाल निशि और पिंकी का भी था....
लाला ने उनकी लाइफ में जो रंग भरे थे उन रंगो की सही पहचान अब नंदू उन्हे करवा रहा था..

गोरी भी अपने बेटे और लाला से मिल रहे मज़े को अब अच्छे से एंजाय करना चाहती थी..

और रही बात लाला की तो उसके हाथ की पाँचो उंगलिया घी में और रामलाल कड़ाई में था.

ऐसा घी जो उसके गाँव में हर जगह फैला हुआ था...

पिंकी और निशि के रूप में ...
गोरी और सीमा के रूप में ....
नाज़िया और शबाना के रूप में ...
और भी बीच-2 में कुछ नयी फसल उगती रहती थी जिसे काटने का काम वो और रामलाल करते ही रहते थे..
और ये काम तो उम्र भर चलने ही वाला था.

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समाप्त
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Great Erotica
 
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