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Thanks broShaandar jabardast Romantic Update
Shanya ne panga shuru kar diya ab dekhte hai is hasin musibat ko kaise sambhalte hai
Ab bakchodi shuru ho gayi hai dinner me
Next update posted
Thanks broShaandar jabardast Romantic Update
Shanya ne panga shuru kar diya ab dekhte hai is hasin musibat ko kaise sambhalte hai
Ab bakchodi shuru ho gayi hai dinner me
Bahut hi shaandar update diya hai TheBlackBlood bhai....
Nice and lovely update....
Nice update....
Nice update....
Ekdum mast update
Thanks allBahut hi mazedar update
Problem isi liye hai kyoki abhi abhi wo is field me utra hai. Wo starting se aisi soch wala nahi tha is liye baar baar uske man me naitikta wale khayaal aa jate hain...baaki dekhiye aage kya hai.विराट साहब प्रिंस ऑफ चार्मिंग है इस मे कोई शक नही है लेकिन डिबाॅचरी ऑफ किंग होंगे , इस पर संदेह है ।
काॅलेज तो काॅलेज घर की कमसिन हसीनाएं विराट साहब पर बिछी बिछी जा रही हैं पर विराट साहब के साथ प्रॉब्लम यह है कि वह नैतिकता पर अधिक ध्यान रख रहे है । इस नैतिकता के साथ व्यभिचारित रिलेशनशिप कभी भी नही बन सकता ।
Bilkul...problem ko face to karna hi hoga use. Well abhi sadhna ka matter end nahi hua hai, so let's seeपहले बात करते है साधना की ।
साधना से बातें न होने पाए इसलिए उसका मोबाइल नंबर ब्लॉक करना , उससे बातें करने से भागने की कोशिश करना उनका डर और कमजोर पक्ष जाहिर करता है । हर चीज का , हर मुसीबत का सामना करना चाहिए चाहे आप गलत हों या सही । साधना से मुंह चुराना कभी भी समस्या का हल नही हो सकता ।
Exactly...फिर बात करते है शनाया की ।
विराट साहब को घर मे अवैध संबंध बनाने से परहेज भी नही है और डर भी नही है पर बाहर की लड़की जो खुबसूरत हो , उन पर फिदा हो , उनके साथ शारीरिक संबंध भी स्थापित करना चाहती हो ; से बहुत ज्यादा प्रॉब्लम और भय है ।
और ऐसी लड़कियों की संख्या कम भी नही है ।
यह एक और कमजोर पक्ष दिखा रहा है विराट साहब का ।
Aap usko apne jaisa nahi samajh sakte. Bike me chipak ke ya boobs chipka ke baithna uske liye normal baat thi kyoki wo yahi samajhta raha hai ki wo dono abhi bachchiyan hain aur unhen duniyadari ki samajh nahi hai. Warna kya koi Ghar ki bahan is tarah apne bhai se baithne ka sochti...agar wo mature hoti??अब बात करते है विधि और दिव्या की ।
इन दोनो लड़कियों को भी विराट साहब ने अंडर इंस्टिमेंट कर रखा है । तेज और तर्रार लड़कियाँ हैं यह दोनो । बाइक पर इन दोनो के साथ जाते हुए भी समझ नही आया तब क्या ही कहना !
Kuch bhiअब बारी है साक्षी महोदया की ।
बिल्कुल ही अंगूर खट्टे हैं । साक्षी ऑलरेडी रिलेशनशिप मे है पर विराट साहब को समझ नही आ रहा है । वह ऑलरेडी इन्सेस्ट फाॅरविडेन फ्रूट का स्वाद चख चुकी है । देखना यह है कि विराट साहब को पता कब चलता है !
शायद साक्षी के इस करतूत का जबाव विराट सर को भी उसी अंदाज मे देना पड़े !
Thanks bade bhaiya..सभी अपडेट बेहद ही शानदार थे । सिर्फ एक ही कसर बाकी है कि विराट साहब डर के साये से बाहर निकले ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट शुभम भाई ।
Nice update....
Update ~ 25
मॉम ─ अच्छा ठीक है प्रभू। अभी आप शांति से डिनर कीजिए।
उसके बाद सब शांति से डिनर करने लगे लेकिन अपुन को यकीन था कि साक्षी दी के मन की शान्ति उड़ गईली थी। उन्हें पक्का यकीन हो गया होगा कि डैड के प्रॉमिस करने के बाद अपुन उन्हें ही टार्गेट करेगा। वैसे ये सच भी था लेकिन पूरी तरह नहीं।
अब आगे....
डिनर के बाद अपुन अपने रूम में आ गया। डैड और अपुन के बीच अभी थोड़ी देर पहले जिस तरह की बातें हुईं थी उससे अपुन का कॉन्फिडेंस कुछ ज्यादा ही बढ़ गया फील हो रेला था। अपुन का मन करने लग गयला था कि अभी साक्षी दी के पास जाए और उनको अपनी बाहों में भर ले पर लौड़ा ये सोचना भले ही आसान था लेकिन करना बहुत मुश्किल। वैसे भी वो अपुन से बात करने की तो बात दूर अपुन की तरफ देख भी नहीं रेली थीं। अपुन सोचने लगा कि इस बारे ने अब कुछ तो करना ही पड़ेगा बेटीचोद।
अपुन ने दरवाजा ऐसे ही बंद किया और फिर आ कर बेड पर लेट गया। कुछ देर तो अपुन डैड वाली बातें ही सोचता रहा लेकिन फिर अचानक से अपुन को शनाया का खयाल आ गया लौड़ा।
वो लौड़ी भी साली अलग ही बवासीर पाले हुए थी। अपुन को उसके बारे में शक तो था लेकिन असलियत इस तरह की होगी इसकी उम्मीद नहीं थी अपुन को। अपुन सोचने लगा कि क्या सच में वो अपुन से ऐसा ही चाहती है? क्या सच में वो गलत इरादे से ऐसा नहीं करना चाहती है?
बेटीचोद, साधना ने जो झटका दिया था उसके चलते अपुन को अब हर बाहरी लड़की से ऐसी ही शंका होने लग गईली थी और यही वजह भी थी कि अपुन ने शनाया के साथ इतना अच्छा मौका होने के बाद भी कुछ करने का नहीं सोचा था।
खैर अपुन ने सोचा कि क्यों बेकार में उसके बारे में सोच कर अपना भेजा खराब करे इस लिए मोबाइल निकाल कर नेट ऑन किया। नेट ऑन होते ही लौड़ा मैसेजेस की बरसात होने लग गई।
अमित और अनुष्का के तो थे ही लेकिन शनाया के भी थे। अपुन ने अमित को इग्नोर किया और सबसे पहले अनुष्का के मैसेज को ओपन किया। उसने लिख के भेजा था कि उसने साक्षी दी को सब कुछ बता दिया है और साक्षी दी ने उसकी हेल्प करने को भी कहा है। बोले तो साक्षी दी ने उससे प्रॉमिस तक किएला है कि वो उसके हसबैंड की जॉब हमारी कम्पनी में लगवा देगी। अनुष्का ने लास्ट में अपुन को थैंक्स भी लिख कर भेजा था।
अपुन ने सोचा चलो इस लौड़ी का काम तो हो गया। अब अपुन भी अपने बारे में थोड़ा सोचे। इस लिए उसको मैसेज लिखना शुरू किया।
अपुन (मैसेज) ─ थैंक्स से काम नहीं चलेगा दी। आपने प्रॉमिस किया था कि जीजा जी की जॉब लगने के बाद आप अपुन को मनचाही ट्रीट देंगी।
ये मैसेज भेजने के बाद अपुन ने शनाया का मैसेज ओपन किया। जाने क्यों उसका मैसेज ओपन करते ही अपुन की धड़कनें तेज हो गईं लौड़ा?
शनाया (पहला मैसेज) ─ सॉरी विराट, शायद तुम्हें मेरी बातें अच्छी नहीं लगीं।
शनाया (दूसरा मैसेज) ─ प्लीज ट्रस्ट मी, मुझे तुमसे उसके अलावा लाइफ में कभी कुछ नहीं चाहिए।
शनाया (तीसरा मैसेज) ─ प्लीज मुझे गलत मत समझो, मेरा दिल तुम्हें बहुत पसंद करता है इस लिए ये मेरे दिल की ही इच्छा है कि वो तुम्हें पूरी तरह अंदर तक फील करे।
शनाया (चौथा मैसेज) ─ मुझे पता है कि मेरी ये इच्छा जायज नहीं है और एक लड़की होने के नाते मुझे ऐसा सोचना भी नहीं चाहिए लेकिन अपने दिल के हाथों मजबूर हूं विराट। अकेले में यही सोचा करती हूं कि कितनी गलत चाहत पाले बैठी हूं मैं। एक ऐसे लड़के को अपना सब कुछ सौंप देना चाहती हूं जो कभी मेरा हो ही नहीं सकता। विराट, हर रोज अकेले में यही सब सोचती हूं लेकिन इसके बावजूद दिल यही चाहता है कि भले ही तुम हमेशा के लिए मेरे न बनो लेकिन मैं इसी से खुश हो जाऊंगी कि तुमने मेरे लिए अपनी एक रात सौगात में दे दी है।
शनाया (पांचवां मैसेज) ─ प्लीज विराट, मान जाओ न। तुम्हें हमारी दोस्ती की कसम। तुम जैसे चाहोगे, जहां चाहोगे वहां मैं चलूंगी। बस एक बार मुझे अंदर तक फील कर लेने दो तुम्हें। प्लीज कुछ तो रिप्लाई दो, कुछ तो बोलो। क्या मेरी इन बातों से नाराज हो गए हो?
शनाया के लंबे चौड़े मैसेजेस पढ़ के अपुन का दिमाग हैंग सा हो गयला था बेटीचोद। अपुन को समझ नहीं आ रेला था कि क्या करे? बोले तो अपुन समझ नहीं पा रेला था कि ऐसा वो सच में दिल से चाहती है या ये सब उसके किसी प्लान का हिस्सा है? साफ शब्दों में बोले तो ये, कि कहीं वो अपुन को फांसने के लिए ही तो इतना जोर नहीं लगा रेली है? लौड़ा कुछ भी हो सकता है।
अपुन काफी देर तक सोचता रहा इस बारे में। फिर अपुन ने सोचा कि किसी लफड़े के डर से अपुन भला कब तक इस तरह हर लड़की से भागता रहेगा? बोले तो ये जरूरी थोड़े है कि हर लड़की साधना जैसी सोच वाली होगी? हो सकता है कि शनाया ये सब सच में ही चाहती हो और उसके मन में अपुन को फांसने का कोई इरादा भी न हो। वैसे भी जब तक अपुन आगे बढ़ेगा नहीं तब तक अपुन को पता भी कैसे चलेगा कि शनाया ऐसा बिना किसी गलत इरादे के चाह रेली है या सच में ही वो ये सब अपने दिल के हाथों मजबूर हो के करना चाहती है?
एकाएक अपुन को खयाल आया कि अपुन को इतना डरना नहीं चाहिए क्योंकि अपुन के डैड अपुन के लिए कुछ भी कर सकते हैं। इस खयाल ने अपुन के अंदर का सारा डर पल में दूर कर दिया लौड़ा। बस, इसके बाद अपुन ने उसे मैसेज लिखना शुरू किया।
अपुन (पहला मैसेज) ─ सॉरी यार, सबके साथ डिनर कर रेला था इस लिए तेरा मैसेज नहीं देखा।
अपुन (दूसरा मैसेज) ─ और ये तू क्या क्या लिख के भेजी है अपुन को? क्या सच में पागल हो गई है तू?
बेटीचोद, एक मिनट के अंदर ही उसका मैसेज आ गया। हालांकि अपुन को लग भी रेला था कि कहीं वो अपुन के रिप्लाई का ही वेट न कर रेली हो।
शनाया (मैसेज) ─ मैं तो होश में हूं विराट लेकिन मेरा दिल शायद सच में तुम्हारे लिए पागल हो गया है। प्लीज अपनी इस पागल दोस्त की सिर्फ इतनी सी विश पूरी कर दो न।
अपुन को एकाएक खयाल आया कि अपुन को उससे मैसेज में ये सब बातें नहीं करनी चाहिए। साधना ने अपने मोबाइल में अपन दोनों की सारी चैटिंग सम्हाल के रखी थी। इस खयाल के आते ही अपुन एकदम से सम्हल गया लौड़ा और उसे मैसेज में सिर्फ इतना ही लिख कर भेजा कि कल कॉलेज में बात करेंगे इस बारे में। जवाब में उसने ओके लिखा और किस वाली इमोजी के साथ गुड नाइट लिख कर भेजा अपुन को।
अपुन ने एक गहरी सांस ली और मोबाइल में कोई अच्छी सी मूवी सर्च करने लगा लेकिन तभी वॉट्सएप मैसेज का एक और नोटिफिकेशन स्क्रीन पर उभरा। अपुन ने देखा कि मैसेज अपुन की जुड़वा बहन विधी का था। अपुन ने झट से उसे ओपन किया और देखा।
विधी ─ ही, सो गया क्या भाई?
अपुन ─ नहीं।
विधी ─ ओह! तो क्या कर रहा है?
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ अपनी जान को याद कर रेला है अपुन।
विधी ─ अच्छा, सच में?
अपुन ─ अपनी जान से झूठ क्यों बोलेगा अपुन?
विधी ─ हां मुझे पता है भाई। वैसे मुझे भी अपनी जान की बहुत याद आ रही है। क्या मैं अपनी जान के पास आ जाऊं?
विधी का ये मैसेज पढ़ते ही अपुन के अंदर हलचल शुरू हो गई लौड़ा। मन में बड़े रंगीन खयाल उभरने लग गए। दिल तेज तेज धड़कते हुए जैसे बोलने लगा कि हां उससे कह दे कि आ जाए वो।
अपुन (मैसेज) ─ अपनी जान के पास आने के लिए परमीशन नहीं ली जाती मेरी जान।
विधी ─ ऐसे न बोल वरना सच में भाग कर तेरे पास आ जाऊंगी।
अपुन ─ तो आ जा न। अपुन अपनी जान को बाहों में लेने के लिए तड़प रेला है।
विधी ─ हां, मैं भी।
अपुन ─ तो फिर आ जा न। देर क्यों कर रेली है?
विधी ─ वो मुझे डर लग रहा है कि कहीं नीचे से दी लोग न आ जाएं या मॉम न आ जाएं और....और दिव्या भी तो है तेरे सामने वाले रूम में।
अपुन ─ दिव्या की टेंशन न ले। वो तो अपन लोग के जैसे ही है। रही बात दी लोग की या मॉम की तो अपुन को नहीं लगता कि उनमें से कोई अब ऊपर आएंगी।
विधी ─ और अगर आ गईं तो?
अपुन ─ आ भी जाएंगी तो क्या हो जाएगा यार? अपन लोग कौन सा कोई गैर हैं। भाई बहन हैं और भाई बहन अगर एक रूम में एक ही बेड पर सो जाएंगे तो किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं होने वाली।
विधी ─ हां ये तो तू सही कह रहा है भाई पर पता नहीं क्यों मुझे डर सा लग रहा है।
अपुन ─ फिर तो तेरे डरने का एक ही मतलब हो सकता है। बोले तो शायद तू अपनी जान से ही डर रेली है।
विधी ─ नहीं भाई। तुझसे क्यों डरूंगी मैं?
अपुन ─ तो फिर कुछ मत सोच और झट से आ जा अपुन के पास।
विधी ─ ठीक है, लेकिन तेरे पास आने के बाद मेरा जैसा मन करेगा वैसे ही सोऊंगी, सोच ले।
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ हां ठीक है। अपुन वैसे भी अपनी जान को किसी बात के लिए न नहीं कहेगा।
विधी ─ फिर ठीक है। रुक, आ रही हूं।
अपुन समझ गया कि अब वो कुछ ही पलों में अपुन के रूम में आ जाएगी। उसके आने का सोच कर ही अपुन की धड़कनें तेज हो गईं बेटीचोद। मन में तरह तरह के खयाल आने लग गए। अभी अपुन ये सोच ही रेला था कि तभी अपुन के रूम का दरवाजा आहिस्ता से खुला और उसी आहिस्ता से अपुन की जान यानि विधी अंदर दाखिल हुई।
अंदर आने के बाद उसने दरवाजे को आहिस्ता से लेकिन कुंडी लगा कर बंद किया और फिर पलट कर अपुन को मुस्कुराते हुए देखने लगी।
उसने इस वक्त ऊपर एक छोटी सी टी शर्ट और नीचे छोटा सा ही निक्कर पहन रखा था जिसमें उसकी जांघों से ले कर नीचे पैरों तक पूरा खुला हुआ था। गोरी चिकनी जांघें और टांगें देखते ही अपुन के अंदर की हलचल में इजाफा हो गया। उधर वो कुछ पलों तक वैसे ही खड़ी अपुन को मुस्कुराते हुए देखती रही। फिर सहसा वो थोड़ा शरमाई और धीमे कदमों से बेड की तरफ आने लगी।
जैसे जैसे वो अपुन के करीब आती जा रेली थी वैसे वैसे अपुन की सांसें मानों थमती जा रेली थीं। छोटी सी टी शर्ट में उसके बूब्स की गोलाईयां साफ नजर आ रेली थीं। यहां तक कि जब वो अपुन के एकदम पास ही आ गई तो अपुन को टी शर्ट के ऊपर से ही उसके बूब्स के निपल्स भी दिखने लग गए। जाहिर है उसने इस वक्त टी शर्ट के अंदर ब्रा नहीं पहना था। बेटीचोद अपुन की तो सांसें ही अटक गईं।
विधी ─ ऐसे मत घूर न।
उसकी आवाज सुनते ही अपुन हड़बड़ा सा गया और बेड पर थोड़ा साइड में खिसक गया ताकि इस तरफ उसके लेटने के लिए जगह बन जाए। अपुन के खिसकते ही वो हौले से बेड के किनारे पर बैठ गई।
अपुन ─ तो अपुन की जान आ गई अपनी जान के पास?
विधी (हल्के से शर्मा कर) ─ हां, मेरा तो बहुत देर से मन कर रहा था तेरे पास आने का।
अपुन ─ तो चली आना था तुझे।
विधी ─ वो...मैं इस लिए नहीं आ रही थी कि कहीं तू मेरे साथ बदमाशी न करने लगे, हां नहीं तो।
ये कहने के साथ ही विधी शरारत से मुस्कुराई भी और थोड़ा शरमा भी गई। इधर अपुन भी उसकी इस बात पर मुस्कुरा उठा और साथ ही ये सोचने लगा कि लौड़ी जाने क्या क्या सोचती रहती है।
अपुन ─ तू गलत समझ रेली है। अपुन बदमाशी नहीं बल्कि अपनी जान को प्यार किया करता है।
विधी ─ अच्छा, कितना झूठ बोलता है। सब समझती हूं। बुद्धू नहीं हूं मैं, हां नहीं तो।
अपुन ─ चल अपुन झूठा ही सही लेकिन तू बता, क्या तुझे अपुन की बदमाशी से प्रॉब्लम है?
विधी ये सुन कर शर्माने लगी। उसके गुलाबी होठों पर उभरी मुस्कान और भी गहरी हो गई। जब उसे अपुन से नजरें मिलाने में झिझक सी होने लग गई तो वो बिना कुछ कहे लेकिन मुस्कुराते हुए अपुन के बगल से बेड पर लेट गई।
अपुन ─ क्या हुआ? बता न क्या तुझे अपुन की बदमाशी से प्रॉब्लम है?
विधी (शर्माते हुए) ─ हां नहीं है प्रॉब्लम। चल अब खुश हो जा। गंदा कहीं का, हां नहीं तो।
कहने के साथ ही वो मुस्कुराते हुए एकदम से खिसक कर पास आई और अपुन से चिपक गई। उसके बिना ब्रा वाले बूब्स साइड से अपुन के बाजू में चुभ गए जिसके चलते पलक झपकते ही अपुन के समूचे जिस्म में झुरझुरी दौड़ गई लौड़ा।
अपुन ─ अच्छा, अपुन को गंदा बोल रेली है और तू खुद क्या है?
विधी शर्मा कर अपुन से और भी ज्यादा छुपक गई और फिर अपुन के सीने पर अपनी एक उंगली हल्के से घुमाते हुए बोली।
विधी ─ हां तू गंदा ही है और मैं तो सबसे अच्छी हूं, हां नहीं तो।
अपुन उसकी इस बात पर हल्के से हंस पड़ा तो वो भी हंस पड़ी। फिर अपुन से छुपके हुए ही उसने अपना चेहरा थोड़ा ऊपर किया और बोली।
विधी ─ एक बात बता, अगर दिव्या भी इस वक्त यहां आ गई तब हम क्या करेंगे?
अपुन ─ वही जो अभी कर रेले हैं। बोले तो जैसे तू अपुन के साथ चिपक के लेटी हुई है वैसे ही वो भी दूसरी तरफ से अपुन से चिपक के लेट जाएगी।
विधी ने ये सुन कर हल्के से अपुन को मारा और फिर मुस्कुराते हुए बोली।
अपुन ─ कुछ भी बोलता है। क्या तुझे शर्म नहीं आएगी उसे भी इस तरह चिपका लेने से?
अपुन ─ इसमें शर्म आने जैसी क्या बात है? क्या इस वक्त तुझे शर्म आ रेली है अपुन से इस तरह चिपके हुए लेटने पर?
विधी ─ नहीं तो।
अपुन ─ तो फिर ऐसा क्यों कहा तूने?
विधी ─ वो...वो मैंने तो ऐसे ही कह दिया था। मतलब कि हम भाई बहन तो है लेकिन गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड भी तो हैं न?
अपुन ─ हां तो?
विधी ─ तो क्या? मतलब क्या तुझे इसमें कुछ भी ऐसा वैसा नहीं लगता? वैसे तो मुझे नासमझ कहता है जबकि तू खुद ही नासमझ और बुद्धू है, हां नहीं तो।
अपुन समझ रेला था कि उसके ये सब कहने का मतलब क्या था। वो खुल कर बोलने में शायद झिझक रेली थी या शर्मा रेली थी। इधर उसके इस तरह चिपके होने से अपुन के अंदर जबरदस्त हलचल मच गईली थी। अपुन का मन अब उतावला सा होने लग गयला था।
अपुन ─ अच्छा ये सब छोड़। अपुन को अपनी जान के होठ चूमना है।
अपुन की ये बात सुनते ही वो बुरी तरह शर्मा गई और अपना चेहरा अपुन के सीने में छुपाने लगी। फिर उसी पोजिशन में बोली।
विधी ─ देखा, बदमाशी करने पर उतर आया न तू?
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ यार इसमें बदमाशी करने वाली तो कोई बात ही नहीं है। अपुन तो अपनी जान के मीठे मीठे होठों को चूमने की बात कर रेला है। अच्छा सच सच बता, क्या तेरा मन नहीं कर रहा ऐसा करने को?
विधी ने शर्माते हुए थोड़ा सा चेहरा ऊपर किया और फिर बोली।
विधी ─ हां नहीं कर रहा। अब बोल, हां नहीं तो।
अपुन ─ अपुन बोलेगा नहीं, बल्कि करेगा।
अपुन की बात सुनते ही विधी एकदम से चौंकी और हैरानी से अभी देखने ही लगी थी कि अपुन थोड़ा सा उसकी तरफ घूमा और एक हाथ से उसका चेहरा थाम कर अपने होठ उसके गुलाब की पंखुड़ियों पर रख दिए। अपुन ने साफ महसूस किया कि ऐसा करते ही विधी का समूचा जिस्म कांप गयला था। हालांकि उसने कोई विरोध नहीं किया बल्कि वो उसी पोजिशन में लेटी रही।
अपुन ने पहले तो दो तीन बार उसके नाजुक और रसीले होठों को चूमा और फिर उन्हें मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया। अपुन के ऐसा करते ही विधी का जिस्म मानो गनगना उठा। मदहोशी और बेचैनी में उसने झट से अपुन का चेहरा थाम लिया और खुद भी धीरे धीरे अपुन के होठ चूसने की कोशिश करने लगी। दो तीन मिनट में ही अपन दोनों की सासें फूलने लगीं और गर्मी फील होने लग गई।
अपन दोनों की ही पोजिशन थोड़ा अजीब थी जिससे लेटे लेटे स्मूच करने में प्रॉब्लम होने लग गईली थी। अपुन उसके होठों को छोड़ अलग हुआ और उसे सीधा लिटा कर खुद उसके ऊपर आ गया।
विधी शायद इतने में ही मदहोश हो गईली थी जिसके चलते उसकी आँखें बंद थीं। उसके होठों पर उसके आस पास अपन दोनों का ही थूक लग गयला था जिससे चेहरा अजीब सा दिखने लगा था।
अपुन ─ आँखें खोल न मेरी जान।
अपुन की आवाज सुनते ही विधी के जिस्म में झुरझुरी सी हुई लेकिन उसने आँखें नहीं खोली बल्कि शर्म से मुस्कुरा कर बोली।
विधी ─ न..नहीं।
अपुन ─ क्यों?
विधी ─ म...मुझे बहुत शर्म आ रही है।
अपुन ─ एक बार अपनी जान को देख तो सही।
विधी ने आँखें खोलने की कोशिश की लेकिन शायद शर्म की वजह से उसकी हिम्मत नहीं हो रेली थी। अतः बोली।
विधी ─ नहीं भाई, मुझे शर्म आ रही है।
अपुन को बड़ी हैरानी हुई उसकी ये हालत देख कर। समझ ही न आया कि ऐसा कैसे हो सकता है? ऐसा भी नहीं था कि अपन दोनों ये पहली बार कर रेले थे। फिर आज उसके इतना ज्यादा शर्माने का क्या कारण हो सकता था? जब अपुन को कुछ न सूझा तो अपुन ने सोचा क्यों बेकार में भेजा फ्राई करे। अभी जो करने का मन मचल रेला है वहीं करना चाहिए बेटीचोद।
अपुन झुका और एक बार फिर से उसके होठों को मुंह में भर लिया। विधी का जिस्म इस बार कुछ ज्यादा ही थरथरा उठा। इस बार अपुन के जिस्म का थोड़ा सा भार उसके ऊपर भी पड़ गया जिसके चलते उसके बूब्स अपुन के सीने में थोड़ा धंस गए। नीचे तरफ अपुन का खड़ा लन्ड विधी के निचले हिस्से से थोड़ा उठा हुआ था।
अपुन मजे से उसके होठ चूस रेला था। कुछ पलों तक तो विधी बुत सी लेटी रही लेकिन जल्दी ही उसने भी हरकत करनी शुरू कर दी। जिस तरह अपुन उसके होठों को चूसने की कोशिश कर रेला था वैसे ही वो भी कर रेली थी। उसके दोनों हाथ अपुन के सिर और गर्दन के पिछले साइड घूम रेले थे।
अपुन के अंदर हर गुजरते पल के साथ मजे की तरंगें बढ़ती जा रेली थीं। बोले तो हवस का नशा बढ़ता जा रेला था और जोश भी। उसी जोश के चलते अपुन अब उसके होठों को और भी जोर जोर से चूसने लग गयला था। नीचे लेटी विधी कभी अपुन के होठों को चूसने की कोशिश करती तो कभी कसमसा कर सिर्फ अपुन के सिर को भींचने लगती।
सांस फूल जाने की वजह से अपुन ने उसके होठों को छोड़ा और उसके चेहरे को चूमने लगा। विधी मचलते हुए अपना चेहरा इधर उधर करने लगी।
अपुन (मदहोशी में) ─ ओह! मेरी जान, तेरे होठ सच में बहुत मीठे हैं। मन करता है सारी रात इन्हें चूसता ही रहे अपुन।
विधी ─ मु...मुझे कुछ हो...र रहा है भाई।
अपुन ─ क्या हो रेला है मेरी जान को, हां?
विधी ─ प..पता नहीं भाई। अजीब सा लग रहा है।
अपुन जानता था कि इतना सब होने के चलते उसके अंदर के हार्मोंस चरम पर पहुंच रेले थे जिसके चलते उसके अंदर अजीब सी हलचल हो रेली होगी।
अपुन ─ और क्या मेरी जान को इससे अच्छा भी लग रेला है?
विधी ─ ह..हां भाई। प्लीज फिर से कर न।
अपुन ─ क्या करे अपुन?
विधी ─ म...मेरे लि..लिप्स को चू..चूम न।
अपुन ─ और क्या करे अपुन?
विधी ─ मुझे न...नहीं पता। तेरा जो मन करे...कर।
अपुन उसकी बातें सुन कर और भी ज्यादा जोश में आ गया। अपुन की भोली भाली और मासूम बहन सेक्स वाली फीलिंग्स में डूब गईली थी।
अपुन ने झट से उसके कांपते होठों को मुंह में भर लिया। अपुन के ऐसा करते ही विधी का जिस्म थरथराया और साथ ही इस बार उसने अपुन का चेहरा थाम कर थोड़ा तेजी से अपुन के होठों को चूसने की कोशिश करने लगी। इस बार मजे की तरंग कुछ ज्यादा ही अपुन के जिस्म में उठी बेटीचोद।
अगले ही पल अपुन पूरे जोश के साथ उसके होठों को चूसने लगा और अपना एक हाथ एकदम से नीचे ला कर उसके राइट बूब को पकड़ लिया। उफ्फ बिना ब्रा का बूब जैसे ही अपुन के हाथ में आया तो अपुन को अदभुत एहसास हुआ और उधर विधी का समूचा जिस्म बुरी तरह कांप गया और इतना ही नहीं वो मचल भी गई लौड़ी।
अपुन ─ ओह! मेरी जान तेरा ये बूब कितना सॉफ्ट है। बोले तो अपुन को बहुत अच्छा फील हो रेला है इसे पकड़ के।
विधी ये सुन कर मचल उठी और अपुन के उस हाथ पर अपना हाथ रख कर जैसे बड़ी मुश्किल से बोली।
विधी ─ भ...भाई मत कर न।
अपुन ─ करने दे न मेरी जान। अपुन का बहुत मन कर रेला है कि अपुन अपनी जान को हर तरह से प्यार करे।
विधी ─ क..क्या मतलब है तेरा?
अपुन ─ मतलब तो अभी अपुन को भी नहीं पता यार लेकिन इतना पता है कि अपुन का मन तुझे बहुत ज्यादा प्यार करने का कर रेला है। क्या तेरा मन नहीं कर रहा कि तू अपुन को भी बहुत ज्यादा प्यार करे?
विधी ─ म..मैं कर तो रही हूं भाई। तू बता और कैसे करूं?
अपुन ─ तुझसे जैसे बने तू करती जा और हां अपुन जो भी करे उसे करने दे।
विधी ─ प..पर भाई ये ग..गलत है न?
अपुन ─ प्यार करना कभी गलत नहीं होता मेरी जान। दूसरी बात ये कि जो करने से अपन लोग को अच्छा फील आए और जिससे खुशी मिले वो ही करना चाहिए।
विधी ─ अ..और किसी को पता चल गया तो? कोई ग..गड़बड़ हो गई तो?
अपुन ─ कुछ नहीं होगा। तुझे अपुन पर भरोसा है न?
विधी ─ हां, खुद से भी ज्यादा भरोसा है तुझ पर।
अपुन ─ तो फिर बस, ये समझ कि अपुन अपनी जान के साथ कुछ भी गड़बड़ नहीं होने देगा।
विधी ─ तू सच कह रहा है न?
अपुन ─ हां, तेरी कसम। तू जानती है कि अपुन अपनी जान की कसम कभी नहीं तोड़ सकता।
विधी के चेहरे पर संतुष्टि के भाव उभरे। बड़ी ही मोहब्बत भरी नजर से देखा उसने अपुन को। उसकी आंखों में अभी भी मदहोशी थी और चेहरे पर शर्म के भाव। अपुन ने झुक कर प्यार से पहले उसके माथे को चूमा और फिर उसके होठों को चूमने चूसने लगा।
एक बार फिर से समूचे जिस्म में मजे की लहरें दौड़ने लगीं। एक बार फिर से विधी की हालत खराब होने लगी। इधर अपुन का हाथ जो पहले से ही उसके राइट बूब पर था उसने बूब को पकड़ा और हौले से दबाया तो अपुन को मजे का एक अलग ही आभास हुआ। उधर विधी अपना बूब दबाए जाने से एकदम से मचल उठी। इस बार उसने अपुन के उस हाथ पर अपन हाथ नहीं रखा बल्कि अपुन के सिर के बालों को पकड़ कर मानो नोचने लगी।
अपुन कुछ देर तक उसके होठों को चूमता चूसता रहा उसके बाद उसके गालों को चूमते हुए उसके गले पर आया। अपुन एक हाथ से अभी भी उसका बूब दबाए जा रेला था। उधर जैसे ही होठ आजाद हुए विधी की सिसकियां उभरने लगीं।
अपुन को बेतहाशा मजा आ रेला था। उसके गले को चूमते चाटते अपुन थोड़ा और नीचे आया जहां पर उसकी डीप गले वाली टी शर्ट से उसकी छातियों का हिस्सा दिख रेला था।
दूध की तरह गोरे चिकने उस हिस्से को अपुन जीभ से चाटने लगा तो विधी और भी ज्यादा मचलने लगी।
विधी ─ शश्श्श्श ये...ये क्या कर रहा है भाई? बहुत गुदगुदी हो रही है मुझे।
अपुन ─ और क्या मजा नहीं आ रेला है तुझे?
विधी ─ ह...हां भाई, मजा भी आ रहा है।
अपुन फिर से झुक कर जीभ से उसकी छातियों के उभार वाले हिस्से से बस थोड़ा ही ऊपर चाटने लगा। सहसा अपुन की नजर उस जगह पड़ी जहां पर अपुन एक हाथ से उसका राइट बूब दबा रेला था। जब अपुन उसका दूध दबाता तो उसके बूब के किनारे फैल से जाते जिससे टी शर्ट के खुले हिस्से तक वो उभार पहुंच जाता।
अपुन थोड़ा सा नीचे खिसका और अच्छे से घुटने के बल बैठ कर लेकिन झुक कर इस बार दोनों हाथों से उसके दोनों बूब्स पकड़ लिए। अपुन के ऐसा करते ही विधी मचल उठी और साथ ही उसकी सिसकी निकल गई। इधर अपुन ने जैसे ही एक साथ दोनों बूब्स को दबाया तो उसके ऊपरी हिस्से यानी किनारे उभर कर टी शर्ट के बाहर दिखें लगे। अपुन ने झट से चेहरा ले जा कर उस उभरे हिस्से को चूम लिया और फिर जीभ निकाल कर उसके दरार पर नीचे से ऊपर घुमाया तो विधी और भी ज्यादा मचल उठी।
विधी ─ शश्श्श्श भ..भाई। मत कर न। गुदगुदी हो रही है।
अपुन ─ तेरे ये बूब्स बहुत अच्छे हैं मेरी जान। जब दबाने में इतना अच्छा फील हो रेला है तो इन्हें पीने में कितना अच्छा लगेगा।
विधी (बुरी तरह शर्मा कर) ─ धत, ये क्या कह रहा है भाई? ऐसे मत बोल न।
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ विधी, मेरी जान। अपुन को अपनी जान के दुधू पीने हैं। प्लीज पिला दे न।
अपुन की बात सुन कर इस बार मानो विधी का शर्म से बुरा हाल हो गया। उसने बेड पर आँखें बंद किए अपने चेहरे को दोनों हथेलियों से छुपा लिया, फिर बोली।
विधी ─ नहीं न भाई। प्लीज ऐसे मत बोल, मुझे बहुत शर्म आ रही है।
अपुन ─ अरे! तू तो अपुन की जान है। तुझसे क्या शर्माना? अच्छा सुन न, अपुन तेरी इस टी शर्ट को ऊपर कर रेला है।
विधी ने झटके से अपने चेहरे पर से हथेलियां हटाईं और आँखें खोल कर अपुन को देखा। उसके चेहरे पर शर्म तो थी ही लेकिन अब घबराहट के भाव भी उभर आएले थे।
विधी ─ ये...ये क्या कह रहा है तू? प्लीज ऐसा मत कर न। ये गलत है न?
अपुन ─ तू कहेगी तो कुछ भी नहीं करेगा अपुन लेकिन क्या तू चाहती है कि तेरी जान किसी चीज के लिए मायूस और निराश हो जाए?
विधी ─ नहीं, मैं ऐसा कभी नहीं चाहूंगी भाई पर समझने की कोशिश कर। मुझे बहुत शर्म आ रही है।
अपुन ─ तू बस अपनी आँखें बंद कर ले और चुपचाप लेट जा। प्लीज मेरी जान, अपुन का बहुत मन कर रेला है तेरे गोरे गोरे खूबसूरत बूब्स देखने का और उन्हें चूमने का। प्लीज करने दे न।
विधी शर्म से लाल पड़े अपने चेहरे से अपुन को देखती रही। उसके चेहरे पर बहुत ज्यादा उलझन और कशमकश के भाव उभरे थे। शायद वो समझ नहीं पा रेली थी कि क्या करे और क्या न करे? एक तरफ वो अपुन को निराश भी नहीं करना चाहती थी तो दूसरी तरफ मारे शर्म के उससे ये हो भी नहीं रेला था। फिर जैसे उसने कोई निर्णय लिया।
विधी ─ तुझे पता है मैं तुझसे बहुत प्यार करती हूं इस लिए तुझे किसी बात के लिए इंकार नहीं करना चाहती।
अपुन ─ अपुन भी तुझे बहुत प्यार करता है मेरी जान। तभी तो अपन दोनों एक दूसरे के इतना करीब हैं। बाकी तू टेंशन न ले और भरोसा रख। अपुन ऐसा कुछ भी नहीं करेगा जिससे अपन दोनों के साथ कोई गड़बड़ हो जाए।
विधी ─ ठीक है। कर ले जो तेरा मन कर रहा है।
कहने के साथ ही विधी वापस लेट गई। इधर अपुन भी खुश हो गया लौड़ा। हालांकि अपुन की धड़कनें बहुत तेज चल रेली थीं और ये डर भी सता रेला था कि कहीं कोई आ न जाए लेकिन मन में विधी के बूब्स देखने और उन्हें चूमने चूसने की इतनी ज्यादा लालसा थी कि अपुन कुछ भी करने को जैसे तैयार हो गयला था।
विधी का चेहरा शर्म से सुर्ख पड़ा हुआ था। उसकी सांसें तेज तेज चल रेली थीं जिससे उसके बूब्स ऊपर नीचे हो रेले थे। अपुन की नजरें उन्हीं पर टिकी थीं लौड़ा। विधी जब ज्यादा देर तक अपुन से नजरें न मिलाए रह सकी तो उसने अपनी आँखें बंद कर ली।
अपुन जानता था कि वो जितना शर्मा रेली है उतना ही अंदर से घबरा भी रेली है। उसकी टी शर्ट का निचला हिस्सा थोड़ा ऊपर उठ गयला था जिससे उसका गोरा चिकना और सपाट पेट साफ दिख रेला था। पेट के बीच में उसकी खूबसूरत छोटी सी नाभी चमक रेली थी। अपुन का मन मचल उठा तो अपुन झट से झुका और उसके पेट को हौले से चूम लिया। अपुन के ऐसा करते ही विधी का समूचा जिस्म थरथरा उठा और उसके मुख से हल्की सी सिसकी निकल गई।
अपुन ने उसके पूरे पेट में जगह जगह चूमा और फिर उसकी नाभि के चारों तरफ जीभ घुमाने लगा जिससे विधी बुरी तरह मचलने लगी।
विधी ─ शश्श्श्श भाई।
अपुन ─ क्या हुआ मेरी जान को?
विधी ─ तू ऐसे कर रहा है तो बहुत ज्यादा गुदगुदी हो रही है।
अपुन ─ और क्या अच्छा नहीं लग रेला है?
विधी ─ हम्म्म अच्छा भी लग रहा है।
अपुन मुस्कुराते हुए फिर से झुका और इस बार सीधा उसकी नाभि में जीभ को नुकीला कर के डाल दिया जिससे विधी एकदम से चिहुंक ही उठी। उसने झट से अपने दोनों हाथ अपुन के सिर पर रख दिए।
विधी ─ शश्श्श्श।
अपुन उसकी नाभि में जीभ को लपलपाते हुए कभी घुसेड़ता तो कभी बाहर से चारों तरफ घुमाता। उधर विधी मजे के तरंग में डूब कर अपुन के बालों को नोचने लगी और साथ ही सिसकियां लेने लगी।
कुछ देर तक अपुन ने यही किया उसके बाद अपुन ने अपना एक हाथ बढ़ा कर उसकी टी शर्ट के निचले हिस्से को पकड़ा और आहिस्ता से ऊपर करना शुरू किया। उफ्फ उसका गोरा चिकना नाजुक बदन अपुन की आंखों के सामने उजागर होने लग गया लौड़ा।
अपुन सोच भी नहीं सकता था कि विधी कपड़ों के अंदर इतनी गोरी और चिकनी होगी। उधर विधी को भी आभास हो गया कि अपुन उसकी टी शर्ट को ऊपर करने लगा है जिससे उसने अपने हाथों को अपुन के सिर से हटा कर झट से अपने सीने पर रख लिया। जैसे जाहिर कर रही हो कि प्लीज मुझे नंगा न करो लेकिन अपुन उसकी इस मंशा को इग्नोर किया और उसकी टी शर्ट को उठाता ही चला गया।
कुछ ही पलों में अपुन को उसके बूब्स के निचले हिस्से दिखने लगे। अपुन की सांसें मानों थमने लगीं लौड़ा। सचमुच उसने अंदर ब्रा नहीं पहन रखी थी। धाड़ धाड़ बजती अपनी धड़कनों के साथ अपुन ने उसकी टी शर्ट को थोड़ा और ऊपर तक सरकाया तो इस बार उसके आधे से ज्यादा बूब्स दिखने लगे। इसके आगे विधी ने अपने हाथों को रखा हुआ था इस लिए टी शर्ट को अपुन ऊपर नहीं कर सकता था।
अपुन ─ अपना हाथ हटा न मेरी जान।
विधी ─ नहीं न भाई। प्लीज, बहुत शर्म आ रही है मुझे।
अपुन ने झुक कर उसके दोनों हाथों को बारी बारी से चूमा और फिर प्यार से उन्हें पकड़ कर उसके बूब्स के बाकी हिस्से से हटाया। उसने हल्का विरोध किया लेकिन आखिर उसने हटा ही लिया। जैसे ही उसका हाथ हटा अपुन ने फिर से उसकी टी शर्ट को ऊपर सरकाना शुरू कर दिया।
उफ्फ! अगले ही पल उसके बूब्स के बादामी रंग के निपल्स दिखने लगे। उन्हें देखते ही अपुन का गला सूख गया लौड़ा। उधर विधी को इतनी ज्यादा शर्म आई कि उसने झट से अपना चेहरा अपनी दोनों हथेलियों से छुपा लिया। उसकी ऊपर नीचे होती छातियां इस बात का सबूत थीं कि उसकी धड़कनें कितनी ज्यादा बढ़ गईली थीं।
अपुन ─ उफ्फ! तू सच में बहुत खूबसूरत है मेरी जान। तेरे ये गोरे गोरे और गोल गोल बूब्स दुनिया की सबसे सुंदर चीजों में से एक हैं।
विधी ─ प..प्लीज कुछ मत बोल भाई।
सच तो ये था बेटीचोद कि विधी के इतने सुंदर बूब्स देख के अपुन होश खोने लग गयला था। उधर उसके बूब्स जैसे अपुन को आमंत्रित कर रेले थे कि आओ और जल्दी से हमें मुंह में भर चूसना शुरू कर दो।
अपुन ने भी उनका इन्विटेशन एक्सेप्ट करने में देरी नहीं की लौड़ा। अगले ही पल अपुन ने उसकी टी शर्ट को थोड़ा और ऊपर सरकाया और फिर उसके बूब्स को दोनों हाथों में थामने के लिए हाथ बढ़ाया। अभी अपुन के दोनों हाथ उसके बूब्स के करीब ही पहुंचे थे कि तभी किसी ने रूम का दरवाजा हल्के से थपथपाया।
दरवाजे पर हुई इस थपथपाहट को सुनते ही अपुन बुरी तरह चौंक गया। उधर विधी ने भी शायद सुन लिया था इस लिए वो भी बुरी तरह उछल पड़ी। बुरी तरह घबरा कर वो एक झटके से उठ बैठी और फिर जल्दी जल्दी अपनी टी शर्ट को नीचे सरका अपने नंगे बूब्स को छुपाने लगी।
इधर अपुन के होश उड़ गएले थे और गांड़ अलग से फट गईली थी। मन में एक ही सवाल उभरा कि बेटीचोद कौन हो सकता है बाहर?
To be continued....
Shaandar Mast Kamuk Hot Update
Update ~ 25
मॉम ─ अच्छा ठीक है प्रभू। अभी आप शांति से डिनर कीजिए।
उसके बाद सब शांति से डिनर करने लगे लेकिन अपुन को यकीन था कि साक्षी दी के मन की शान्ति उड़ गईली थी। उन्हें पक्का यकीन हो गया होगा कि डैड के प्रॉमिस करने के बाद अपुन उन्हें ही टार्गेट करेगा। वैसे ये सच भी था लेकिन पूरी तरह नहीं।
अब आगे....
डिनर के बाद अपुन अपने रूम में आ गया। डैड और अपुन के बीच अभी थोड़ी देर पहले जिस तरह की बातें हुईं थी उससे अपुन का कॉन्फिडेंस कुछ ज्यादा ही बढ़ गया फील हो रेला था। अपुन का मन करने लग गयला था कि अभी साक्षी दी के पास जाए और उनको अपनी बाहों में भर ले पर लौड़ा ये सोचना भले ही आसान था लेकिन करना बहुत मुश्किल। वैसे भी वो अपुन से बात करने की तो बात दूर अपुन की तरफ देख भी नहीं रेली थीं। अपुन सोचने लगा कि इस बारे ने अब कुछ तो करना ही पड़ेगा बेटीचोद।
अपुन ने दरवाजा ऐसे ही बंद किया और फिर आ कर बेड पर लेट गया। कुछ देर तो अपुन डैड वाली बातें ही सोचता रहा लेकिन फिर अचानक से अपुन को शनाया का खयाल आ गया लौड़ा।
वो लौड़ी भी साली अलग ही बवासीर पाले हुए थी। अपुन को उसके बारे में शक तो था लेकिन असलियत इस तरह की होगी इसकी उम्मीद नहीं थी अपुन को। अपुन सोचने लगा कि क्या सच में वो अपुन से ऐसा ही चाहती है? क्या सच में वो गलत इरादे से ऐसा नहीं करना चाहती है?
बेटीचोद, साधना ने जो झटका दिया था उसके चलते अपुन को अब हर बाहरी लड़की से ऐसी ही शंका होने लग गईली थी और यही वजह भी थी कि अपुन ने शनाया के साथ इतना अच्छा मौका होने के बाद भी कुछ करने का नहीं सोचा था।
खैर अपुन ने सोचा कि क्यों बेकार में उसके बारे में सोच कर अपना भेजा खराब करे इस लिए मोबाइल निकाल कर नेट ऑन किया। नेट ऑन होते ही लौड़ा मैसेजेस की बरसात होने लग गई।
अमित और अनुष्का के तो थे ही लेकिन शनाया के भी थे। अपुन ने अमित को इग्नोर किया और सबसे पहले अनुष्का के मैसेज को ओपन किया। उसने लिख के भेजा था कि उसने साक्षी दी को सब कुछ बता दिया है और साक्षी दी ने उसकी हेल्प करने को भी कहा है। बोले तो साक्षी दी ने उससे प्रॉमिस तक किएला है कि वो उसके हसबैंड की जॉब हमारी कम्पनी में लगवा देगी। अनुष्का ने लास्ट में अपुन को थैंक्स भी लिख कर भेजा था।
अपुन ने सोचा चलो इस लौड़ी का काम तो हो गया। अब अपुन भी अपने बारे में थोड़ा सोचे। इस लिए उसको मैसेज लिखना शुरू किया।
अपुन (मैसेज) ─ थैंक्स से काम नहीं चलेगा दी। आपने प्रॉमिस किया था कि जीजा जी की जॉब लगने के बाद आप अपुन को मनचाही ट्रीट देंगी।
ये मैसेज भेजने के बाद अपुन ने शनाया का मैसेज ओपन किया। जाने क्यों उसका मैसेज ओपन करते ही अपुन की धड़कनें तेज हो गईं लौड़ा?
शनाया (पहला मैसेज) ─ सॉरी विराट, शायद तुम्हें मेरी बातें अच्छी नहीं लगीं।
शनाया (दूसरा मैसेज) ─ प्लीज ट्रस्ट मी, मुझे तुमसे उसके अलावा लाइफ में कभी कुछ नहीं चाहिए।
शनाया (तीसरा मैसेज) ─ प्लीज मुझे गलत मत समझो, मेरा दिल तुम्हें बहुत पसंद करता है इस लिए ये मेरे दिल की ही इच्छा है कि वो तुम्हें पूरी तरह अंदर तक फील करे।
शनाया (चौथा मैसेज) ─ मुझे पता है कि मेरी ये इच्छा जायज नहीं है और एक लड़की होने के नाते मुझे ऐसा सोचना भी नहीं चाहिए लेकिन अपने दिल के हाथों मजबूर हूं विराट। अकेले में यही सोचा करती हूं कि कितनी गलत चाहत पाले बैठी हूं मैं। एक ऐसे लड़के को अपना सब कुछ सौंप देना चाहती हूं जो कभी मेरा हो ही नहीं सकता। विराट, हर रोज अकेले में यही सब सोचती हूं लेकिन इसके बावजूद दिल यही चाहता है कि भले ही तुम हमेशा के लिए मेरे न बनो लेकिन मैं इसी से खुश हो जाऊंगी कि तुमने मेरे लिए अपनी एक रात सौगात में दे दी है।
शनाया (पांचवां मैसेज) ─ प्लीज विराट, मान जाओ न। तुम्हें हमारी दोस्ती की कसम। तुम जैसे चाहोगे, जहां चाहोगे वहां मैं चलूंगी। बस एक बार मुझे अंदर तक फील कर लेने दो तुम्हें। प्लीज कुछ तो रिप्लाई दो, कुछ तो बोलो। क्या मेरी इन बातों से नाराज हो गए हो?
शनाया के लंबे चौड़े मैसेजेस पढ़ के अपुन का दिमाग हैंग सा हो गयला था बेटीचोद। अपुन को समझ नहीं आ रेला था कि क्या करे? बोले तो अपुन समझ नहीं पा रेला था कि ऐसा वो सच में दिल से चाहती है या ये सब उसके किसी प्लान का हिस्सा है? साफ शब्दों में बोले तो ये, कि कहीं वो अपुन को फांसने के लिए ही तो इतना जोर नहीं लगा रेली है? लौड़ा कुछ भी हो सकता है।
अपुन काफी देर तक सोचता रहा इस बारे में। फिर अपुन ने सोचा कि किसी लफड़े के डर से अपुन भला कब तक इस तरह हर लड़की से भागता रहेगा? बोले तो ये जरूरी थोड़े है कि हर लड़की साधना जैसी सोच वाली होगी? हो सकता है कि शनाया ये सब सच में ही चाहती हो और उसके मन में अपुन को फांसने का कोई इरादा भी न हो। वैसे भी जब तक अपुन आगे बढ़ेगा नहीं तब तक अपुन को पता भी कैसे चलेगा कि शनाया ऐसा बिना किसी गलत इरादे के चाह रेली है या सच में ही वो ये सब अपने दिल के हाथों मजबूर हो के करना चाहती है?
एकाएक अपुन को खयाल आया कि अपुन को इतना डरना नहीं चाहिए क्योंकि अपुन के डैड अपुन के लिए कुछ भी कर सकते हैं। इस खयाल ने अपुन के अंदर का सारा डर पल में दूर कर दिया लौड़ा। बस, इसके बाद अपुन ने उसे मैसेज लिखना शुरू किया।
अपुन (पहला मैसेज) ─ सॉरी यार, सबके साथ डिनर कर रेला था इस लिए तेरा मैसेज नहीं देखा।
अपुन (दूसरा मैसेज) ─ और ये तू क्या क्या लिख के भेजी है अपुन को? क्या सच में पागल हो गई है तू?
बेटीचोद, एक मिनट के अंदर ही उसका मैसेज आ गया। हालांकि अपुन को लग भी रेला था कि कहीं वो अपुन के रिप्लाई का ही वेट न कर रेली हो।
शनाया (मैसेज) ─ मैं तो होश में हूं विराट लेकिन मेरा दिल शायद सच में तुम्हारे लिए पागल हो गया है। प्लीज अपनी इस पागल दोस्त की सिर्फ इतनी सी विश पूरी कर दो न।
अपुन को एकाएक खयाल आया कि अपुन को उससे मैसेज में ये सब बातें नहीं करनी चाहिए। साधना ने अपने मोबाइल में अपन दोनों की सारी चैटिंग सम्हाल के रखी थी। इस खयाल के आते ही अपुन एकदम से सम्हल गया लौड़ा और उसे मैसेज में सिर्फ इतना ही लिख कर भेजा कि कल कॉलेज में बात करेंगे इस बारे में। जवाब में उसने ओके लिखा और किस वाली इमोजी के साथ गुड नाइट लिख कर भेजा अपुन को।
अपुन ने एक गहरी सांस ली और मोबाइल में कोई अच्छी सी मूवी सर्च करने लगा लेकिन तभी वॉट्सएप मैसेज का एक और नोटिफिकेशन स्क्रीन पर उभरा। अपुन ने देखा कि मैसेज अपुन की जुड़वा बहन विधी का था। अपुन ने झट से उसे ओपन किया और देखा।
विधी ─ ही, सो गया क्या भाई?
अपुन ─ नहीं।
विधी ─ ओह! तो क्या कर रहा है?
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ अपनी जान को याद कर रेला है अपुन।
विधी ─ अच्छा, सच में?
अपुन ─ अपनी जान से झूठ क्यों बोलेगा अपुन?
विधी ─ हां मुझे पता है भाई। वैसे मुझे भी अपनी जान की बहुत याद आ रही है। क्या मैं अपनी जान के पास आ जाऊं?
विधी का ये मैसेज पढ़ते ही अपुन के अंदर हलचल शुरू हो गई लौड़ा। मन में बड़े रंगीन खयाल उभरने लग गए। दिल तेज तेज धड़कते हुए जैसे बोलने लगा कि हां उससे कह दे कि आ जाए वो।
अपुन (मैसेज) ─ अपनी जान के पास आने के लिए परमीशन नहीं ली जाती मेरी जान।
विधी ─ ऐसे न बोल वरना सच में भाग कर तेरे पास आ जाऊंगी।
अपुन ─ तो आ जा न। अपुन अपनी जान को बाहों में लेने के लिए तड़प रेला है।
विधी ─ हां, मैं भी।
अपुन ─ तो फिर आ जा न। देर क्यों कर रेली है?
विधी ─ वो मुझे डर लग रहा है कि कहीं नीचे से दी लोग न आ जाएं या मॉम न आ जाएं और....और दिव्या भी तो है तेरे सामने वाले रूम में।
अपुन ─ दिव्या की टेंशन न ले। वो तो अपन लोग के जैसे ही है। रही बात दी लोग की या मॉम की तो अपुन को नहीं लगता कि उनमें से कोई अब ऊपर आएंगी।
विधी ─ और अगर आ गईं तो?
अपुन ─ आ भी जाएंगी तो क्या हो जाएगा यार? अपन लोग कौन सा कोई गैर हैं। भाई बहन हैं और भाई बहन अगर एक रूम में एक ही बेड पर सो जाएंगे तो किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं होने वाली।
विधी ─ हां ये तो तू सही कह रहा है भाई पर पता नहीं क्यों मुझे डर सा लग रहा है।
अपुन ─ फिर तो तेरे डरने का एक ही मतलब हो सकता है। बोले तो शायद तू अपनी जान से ही डर रेली है।
विधी ─ नहीं भाई। तुझसे क्यों डरूंगी मैं?
अपुन ─ तो फिर कुछ मत सोच और झट से आ जा अपुन के पास।
विधी ─ ठीक है, लेकिन तेरे पास आने के बाद मेरा जैसा मन करेगा वैसे ही सोऊंगी, सोच ले।
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ हां ठीक है। अपुन वैसे भी अपनी जान को किसी बात के लिए न नहीं कहेगा।
विधी ─ फिर ठीक है। रुक, आ रही हूं।
अपुन समझ गया कि अब वो कुछ ही पलों में अपुन के रूम में आ जाएगी। उसके आने का सोच कर ही अपुन की धड़कनें तेज हो गईं बेटीचोद। मन में तरह तरह के खयाल आने लग गए। अभी अपुन ये सोच ही रेला था कि तभी अपुन के रूम का दरवाजा आहिस्ता से खुला और उसी आहिस्ता से अपुन की जान यानि विधी अंदर दाखिल हुई।
अंदर आने के बाद उसने दरवाजे को आहिस्ता से लेकिन कुंडी लगा कर बंद किया और फिर पलट कर अपुन को मुस्कुराते हुए देखने लगी।
उसने इस वक्त ऊपर एक छोटी सी टी शर्ट और नीचे छोटा सा ही निक्कर पहन रखा था जिसमें उसकी जांघों से ले कर नीचे पैरों तक पूरा खुला हुआ था। गोरी चिकनी जांघें और टांगें देखते ही अपुन के अंदर की हलचल में इजाफा हो गया। उधर वो कुछ पलों तक वैसे ही खड़ी अपुन को मुस्कुराते हुए देखती रही। फिर सहसा वो थोड़ा शरमाई और धीमे कदमों से बेड की तरफ आने लगी।
जैसे जैसे वो अपुन के करीब आती जा रेली थी वैसे वैसे अपुन की सांसें मानों थमती जा रेली थीं। छोटी सी टी शर्ट में उसके बूब्स की गोलाईयां साफ नजर आ रेली थीं। यहां तक कि जब वो अपुन के एकदम पास ही आ गई तो अपुन को टी शर्ट के ऊपर से ही उसके बूब्स के निपल्स भी दिखने लग गए। जाहिर है उसने इस वक्त टी शर्ट के अंदर ब्रा नहीं पहना था। बेटीचोद अपुन की तो सांसें ही अटक गईं।
विधी ─ ऐसे मत घूर न।
उसकी आवाज सुनते ही अपुन हड़बड़ा सा गया और बेड पर थोड़ा साइड में खिसक गया ताकि इस तरफ उसके लेटने के लिए जगह बन जाए। अपुन के खिसकते ही वो हौले से बेड के किनारे पर बैठ गई।
अपुन ─ तो अपुन की जान आ गई अपनी जान के पास?
विधी (हल्के से शर्मा कर) ─ हां, मेरा तो बहुत देर से मन कर रहा था तेरे पास आने का।
अपुन ─ तो चली आना था तुझे।
विधी ─ वो...मैं इस लिए नहीं आ रही थी कि कहीं तू मेरे साथ बदमाशी न करने लगे, हां नहीं तो।
ये कहने के साथ ही विधी शरारत से मुस्कुराई भी और थोड़ा शरमा भी गई। इधर अपुन भी उसकी इस बात पर मुस्कुरा उठा और साथ ही ये सोचने लगा कि लौड़ी जाने क्या क्या सोचती रहती है।
अपुन ─ तू गलत समझ रेली है। अपुन बदमाशी नहीं बल्कि अपनी जान को प्यार किया करता है।
विधी ─ अच्छा, कितना झूठ बोलता है। सब समझती हूं। बुद्धू नहीं हूं मैं, हां नहीं तो।
अपुन ─ चल अपुन झूठा ही सही लेकिन तू बता, क्या तुझे अपुन की बदमाशी से प्रॉब्लम है?
विधी ये सुन कर शर्माने लगी। उसके गुलाबी होठों पर उभरी मुस्कान और भी गहरी हो गई। जब उसे अपुन से नजरें मिलाने में झिझक सी होने लग गई तो वो बिना कुछ कहे लेकिन मुस्कुराते हुए अपुन के बगल से बेड पर लेट गई।
अपुन ─ क्या हुआ? बता न क्या तुझे अपुन की बदमाशी से प्रॉब्लम है?
विधी (शर्माते हुए) ─ हां नहीं है प्रॉब्लम। चल अब खुश हो जा। गंदा कहीं का, हां नहीं तो।
कहने के साथ ही वो मुस्कुराते हुए एकदम से खिसक कर पास आई और अपुन से चिपक गई। उसके बिना ब्रा वाले बूब्स साइड से अपुन के बाजू में चुभ गए जिसके चलते पलक झपकते ही अपुन के समूचे जिस्म में झुरझुरी दौड़ गई लौड़ा।
अपुन ─ अच्छा, अपुन को गंदा बोल रेली है और तू खुद क्या है?
विधी शर्मा कर अपुन से और भी ज्यादा छुपक गई और फिर अपुन के सीने पर अपनी एक उंगली हल्के से घुमाते हुए बोली।
विधी ─ हां तू गंदा ही है और मैं तो सबसे अच्छी हूं, हां नहीं तो।
अपुन उसकी इस बात पर हल्के से हंस पड़ा तो वो भी हंस पड़ी। फिर अपुन से छुपके हुए ही उसने अपना चेहरा थोड़ा ऊपर किया और बोली।
विधी ─ एक बात बता, अगर दिव्या भी इस वक्त यहां आ गई तब हम क्या करेंगे?
अपुन ─ वही जो अभी कर रेले हैं। बोले तो जैसे तू अपुन के साथ चिपक के लेटी हुई है वैसे ही वो भी दूसरी तरफ से अपुन से चिपक के लेट जाएगी।
विधी ने ये सुन कर हल्के से अपुन को मारा और फिर मुस्कुराते हुए बोली।
अपुन ─ कुछ भी बोलता है। क्या तुझे शर्म नहीं आएगी उसे भी इस तरह चिपका लेने से?
अपुन ─ इसमें शर्म आने जैसी क्या बात है? क्या इस वक्त तुझे शर्म आ रेली है अपुन से इस तरह चिपके हुए लेटने पर?
विधी ─ नहीं तो।
अपुन ─ तो फिर ऐसा क्यों कहा तूने?
विधी ─ वो...वो मैंने तो ऐसे ही कह दिया था। मतलब कि हम भाई बहन तो है लेकिन गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड भी तो हैं न?
अपुन ─ हां तो?
विधी ─ तो क्या? मतलब क्या तुझे इसमें कुछ भी ऐसा वैसा नहीं लगता? वैसे तो मुझे नासमझ कहता है जबकि तू खुद ही नासमझ और बुद्धू है, हां नहीं तो।
अपुन समझ रेला था कि उसके ये सब कहने का मतलब क्या था। वो खुल कर बोलने में शायद झिझक रेली थी या शर्मा रेली थी। इधर उसके इस तरह चिपके होने से अपुन के अंदर जबरदस्त हलचल मच गईली थी। अपुन का मन अब उतावला सा होने लग गयला था।
अपुन ─ अच्छा ये सब छोड़। अपुन को अपनी जान के होठ चूमना है।
अपुन की ये बात सुनते ही वो बुरी तरह शर्मा गई और अपना चेहरा अपुन के सीने में छुपाने लगी। फिर उसी पोजिशन में बोली।
विधी ─ देखा, बदमाशी करने पर उतर आया न तू?
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ यार इसमें बदमाशी करने वाली तो कोई बात ही नहीं है। अपुन तो अपनी जान के मीठे मीठे होठों को चूमने की बात कर रेला है। अच्छा सच सच बता, क्या तेरा मन नहीं कर रहा ऐसा करने को?
विधी ने शर्माते हुए थोड़ा सा चेहरा ऊपर किया और फिर बोली।
विधी ─ हां नहीं कर रहा। अब बोल, हां नहीं तो।
अपुन ─ अपुन बोलेगा नहीं, बल्कि करेगा।
अपुन की बात सुनते ही विधी एकदम से चौंकी और हैरानी से अभी देखने ही लगी थी कि अपुन थोड़ा सा उसकी तरफ घूमा और एक हाथ से उसका चेहरा थाम कर अपने होठ उसके गुलाब की पंखुड़ियों पर रख दिए। अपुन ने साफ महसूस किया कि ऐसा करते ही विधी का समूचा जिस्म कांप गयला था। हालांकि उसने कोई विरोध नहीं किया बल्कि वो उसी पोजिशन में लेटी रही।
अपुन ने पहले तो दो तीन बार उसके नाजुक और रसीले होठों को चूमा और फिर उन्हें मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया। अपुन के ऐसा करते ही विधी का जिस्म मानो गनगना उठा। मदहोशी और बेचैनी में उसने झट से अपुन का चेहरा थाम लिया और खुद भी धीरे धीरे अपुन के होठ चूसने की कोशिश करने लगी। दो तीन मिनट में ही अपन दोनों की सासें फूलने लगीं और गर्मी फील होने लग गई।
अपन दोनों की ही पोजिशन थोड़ा अजीब थी जिससे लेटे लेटे स्मूच करने में प्रॉब्लम होने लग गईली थी। अपुन उसके होठों को छोड़ अलग हुआ और उसे सीधा लिटा कर खुद उसके ऊपर आ गया।
विधी शायद इतने में ही मदहोश हो गईली थी जिसके चलते उसकी आँखें बंद थीं। उसके होठों पर उसके आस पास अपन दोनों का ही थूक लग गयला था जिससे चेहरा अजीब सा दिखने लगा था।
अपुन ─ आँखें खोल न मेरी जान।
अपुन की आवाज सुनते ही विधी के जिस्म में झुरझुरी सी हुई लेकिन उसने आँखें नहीं खोली बल्कि शर्म से मुस्कुरा कर बोली।
विधी ─ न..नहीं।
अपुन ─ क्यों?
विधी ─ म...मुझे बहुत शर्म आ रही है।
अपुन ─ एक बार अपनी जान को देख तो सही।
विधी ने आँखें खोलने की कोशिश की लेकिन शायद शर्म की वजह से उसकी हिम्मत नहीं हो रेली थी। अतः बोली।
विधी ─ नहीं भाई, मुझे शर्म आ रही है।
अपुन को बड़ी हैरानी हुई उसकी ये हालत देख कर। समझ ही न आया कि ऐसा कैसे हो सकता है? ऐसा भी नहीं था कि अपन दोनों ये पहली बार कर रेले थे। फिर आज उसके इतना ज्यादा शर्माने का क्या कारण हो सकता था? जब अपुन को कुछ न सूझा तो अपुन ने सोचा क्यों बेकार में भेजा फ्राई करे। अभी जो करने का मन मचल रेला है वहीं करना चाहिए बेटीचोद।
अपुन झुका और एक बार फिर से उसके होठों को मुंह में भर लिया। विधी का जिस्म इस बार कुछ ज्यादा ही थरथरा उठा। इस बार अपुन के जिस्म का थोड़ा सा भार उसके ऊपर भी पड़ गया जिसके चलते उसके बूब्स अपुन के सीने में थोड़ा धंस गए। नीचे तरफ अपुन का खड़ा लन्ड विधी के निचले हिस्से से थोड़ा उठा हुआ था।
अपुन मजे से उसके होठ चूस रेला था। कुछ पलों तक तो विधी बुत सी लेटी रही लेकिन जल्दी ही उसने भी हरकत करनी शुरू कर दी। जिस तरह अपुन उसके होठों को चूसने की कोशिश कर रेला था वैसे ही वो भी कर रेली थी। उसके दोनों हाथ अपुन के सिर और गर्दन के पिछले साइड घूम रेले थे।
अपुन के अंदर हर गुजरते पल के साथ मजे की तरंगें बढ़ती जा रेली थीं। बोले तो हवस का नशा बढ़ता जा रेला था और जोश भी। उसी जोश के चलते अपुन अब उसके होठों को और भी जोर जोर से चूसने लग गयला था। नीचे लेटी विधी कभी अपुन के होठों को चूसने की कोशिश करती तो कभी कसमसा कर सिर्फ अपुन के सिर को भींचने लगती।
सांस फूल जाने की वजह से अपुन ने उसके होठों को छोड़ा और उसके चेहरे को चूमने लगा। विधी मचलते हुए अपना चेहरा इधर उधर करने लगी।
अपुन (मदहोशी में) ─ ओह! मेरी जान, तेरे होठ सच में बहुत मीठे हैं। मन करता है सारी रात इन्हें चूसता ही रहे अपुन।
विधी ─ मु...मुझे कुछ हो...र रहा है भाई।
अपुन ─ क्या हो रेला है मेरी जान को, हां?
विधी ─ प..पता नहीं भाई। अजीब सा लग रहा है।
अपुन जानता था कि इतना सब होने के चलते उसके अंदर के हार्मोंस चरम पर पहुंच रेले थे जिसके चलते उसके अंदर अजीब सी हलचल हो रेली होगी।
अपुन ─ और क्या मेरी जान को इससे अच्छा भी लग रेला है?
विधी ─ ह..हां भाई। प्लीज फिर से कर न।
अपुन ─ क्या करे अपुन?
विधी ─ म...मेरे लि..लिप्स को चू..चूम न।
अपुन ─ और क्या करे अपुन?
विधी ─ मुझे न...नहीं पता। तेरा जो मन करे...कर।
अपुन उसकी बातें सुन कर और भी ज्यादा जोश में आ गया। अपुन की भोली भाली और मासूम बहन सेक्स वाली फीलिंग्स में डूब गईली थी।
अपुन ने झट से उसके कांपते होठों को मुंह में भर लिया। अपुन के ऐसा करते ही विधी का जिस्म थरथराया और साथ ही इस बार उसने अपुन का चेहरा थाम कर थोड़ा तेजी से अपुन के होठों को चूसने की कोशिश करने लगी। इस बार मजे की तरंग कुछ ज्यादा ही अपुन के जिस्म में उठी बेटीचोद।
अगले ही पल अपुन पूरे जोश के साथ उसके होठों को चूसने लगा और अपना एक हाथ एकदम से नीचे ला कर उसके राइट बूब को पकड़ लिया। उफ्फ बिना ब्रा का बूब जैसे ही अपुन के हाथ में आया तो अपुन को अदभुत एहसास हुआ और उधर विधी का समूचा जिस्म बुरी तरह कांप गया और इतना ही नहीं वो मचल भी गई लौड़ी।
अपुन ─ ओह! मेरी जान तेरा ये बूब कितना सॉफ्ट है। बोले तो अपुन को बहुत अच्छा फील हो रेला है इसे पकड़ के।
विधी ये सुन कर मचल उठी और अपुन के उस हाथ पर अपना हाथ रख कर जैसे बड़ी मुश्किल से बोली।
विधी ─ भ...भाई मत कर न।
अपुन ─ करने दे न मेरी जान। अपुन का बहुत मन कर रेला है कि अपुन अपनी जान को हर तरह से प्यार करे।
विधी ─ क..क्या मतलब है तेरा?
अपुन ─ मतलब तो अभी अपुन को भी नहीं पता यार लेकिन इतना पता है कि अपुन का मन तुझे बहुत ज्यादा प्यार करने का कर रेला है। क्या तेरा मन नहीं कर रहा कि तू अपुन को भी बहुत ज्यादा प्यार करे?
विधी ─ म..मैं कर तो रही हूं भाई। तू बता और कैसे करूं?
अपुन ─ तुझसे जैसे बने तू करती जा और हां अपुन जो भी करे उसे करने दे।
विधी ─ प..पर भाई ये ग..गलत है न?
अपुन ─ प्यार करना कभी गलत नहीं होता मेरी जान। दूसरी बात ये कि जो करने से अपन लोग को अच्छा फील आए और जिससे खुशी मिले वो ही करना चाहिए।
विधी ─ अ..और किसी को पता चल गया तो? कोई ग..गड़बड़ हो गई तो?
अपुन ─ कुछ नहीं होगा। तुझे अपुन पर भरोसा है न?
विधी ─ हां, खुद से भी ज्यादा भरोसा है तुझ पर।
अपुन ─ तो फिर बस, ये समझ कि अपुन अपनी जान के साथ कुछ भी गड़बड़ नहीं होने देगा।
विधी ─ तू सच कह रहा है न?
अपुन ─ हां, तेरी कसम। तू जानती है कि अपुन अपनी जान की कसम कभी नहीं तोड़ सकता।
विधी के चेहरे पर संतुष्टि के भाव उभरे। बड़ी ही मोहब्बत भरी नजर से देखा उसने अपुन को। उसकी आंखों में अभी भी मदहोशी थी और चेहरे पर शर्म के भाव। अपुन ने झुक कर प्यार से पहले उसके माथे को चूमा और फिर उसके होठों को चूमने चूसने लगा।
एक बार फिर से समूचे जिस्म में मजे की लहरें दौड़ने लगीं। एक बार फिर से विधी की हालत खराब होने लगी। इधर अपुन का हाथ जो पहले से ही उसके राइट बूब पर था उसने बूब को पकड़ा और हौले से दबाया तो अपुन को मजे का एक अलग ही आभास हुआ। उधर विधी अपना बूब दबाए जाने से एकदम से मचल उठी। इस बार उसने अपुन के उस हाथ पर अपन हाथ नहीं रखा बल्कि अपुन के सिर के बालों को पकड़ कर मानो नोचने लगी।
अपुन कुछ देर तक उसके होठों को चूमता चूसता रहा उसके बाद उसके गालों को चूमते हुए उसके गले पर आया। अपुन एक हाथ से अभी भी उसका बूब दबाए जा रेला था। उधर जैसे ही होठ आजाद हुए विधी की सिसकियां उभरने लगीं।
अपुन को बेतहाशा मजा आ रेला था। उसके गले को चूमते चाटते अपुन थोड़ा और नीचे आया जहां पर उसकी डीप गले वाली टी शर्ट से उसकी छातियों का हिस्सा दिख रेला था।
दूध की तरह गोरे चिकने उस हिस्से को अपुन जीभ से चाटने लगा तो विधी और भी ज्यादा मचलने लगी।
विधी ─ शश्श्श्श ये...ये क्या कर रहा है भाई? बहुत गुदगुदी हो रही है मुझे।
अपुन ─ और क्या मजा नहीं आ रेला है तुझे?
विधी ─ ह...हां भाई, मजा भी आ रहा है।
अपुन फिर से झुक कर जीभ से उसकी छातियों के उभार वाले हिस्से से बस थोड़ा ही ऊपर चाटने लगा। सहसा अपुन की नजर उस जगह पड़ी जहां पर अपुन एक हाथ से उसका राइट बूब दबा रेला था। जब अपुन उसका दूध दबाता तो उसके बूब के किनारे फैल से जाते जिससे टी शर्ट के खुले हिस्से तक वो उभार पहुंच जाता।
अपुन थोड़ा सा नीचे खिसका और अच्छे से घुटने के बल बैठ कर लेकिन झुक कर इस बार दोनों हाथों से उसके दोनों बूब्स पकड़ लिए। अपुन के ऐसा करते ही विधी मचल उठी और साथ ही उसकी सिसकी निकल गई। इधर अपुन ने जैसे ही एक साथ दोनों बूब्स को दबाया तो उसके ऊपरी हिस्से यानी किनारे उभर कर टी शर्ट के बाहर दिखें लगे। अपुन ने झट से चेहरा ले जा कर उस उभरे हिस्से को चूम लिया और फिर जीभ निकाल कर उसके दरार पर नीचे से ऊपर घुमाया तो विधी और भी ज्यादा मचल उठी।
विधी ─ शश्श्श्श भ..भाई। मत कर न। गुदगुदी हो रही है।
अपुन ─ तेरे ये बूब्स बहुत अच्छे हैं मेरी जान। जब दबाने में इतना अच्छा फील हो रेला है तो इन्हें पीने में कितना अच्छा लगेगा।
विधी (बुरी तरह शर्मा कर) ─ धत, ये क्या कह रहा है भाई? ऐसे मत बोल न।
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ विधी, मेरी जान। अपुन को अपनी जान के दुधू पीने हैं। प्लीज पिला दे न।
अपुन की बात सुन कर इस बार मानो विधी का शर्म से बुरा हाल हो गया। उसने बेड पर आँखें बंद किए अपने चेहरे को दोनों हथेलियों से छुपा लिया, फिर बोली।
विधी ─ नहीं न भाई। प्लीज ऐसे मत बोल, मुझे बहुत शर्म आ रही है।
अपुन ─ अरे! तू तो अपुन की जान है। तुझसे क्या शर्माना? अच्छा सुन न, अपुन तेरी इस टी शर्ट को ऊपर कर रेला है।
विधी ने झटके से अपने चेहरे पर से हथेलियां हटाईं और आँखें खोल कर अपुन को देखा। उसके चेहरे पर शर्म तो थी ही लेकिन अब घबराहट के भाव भी उभर आएले थे।
विधी ─ ये...ये क्या कह रहा है तू? प्लीज ऐसा मत कर न। ये गलत है न?
अपुन ─ तू कहेगी तो कुछ भी नहीं करेगा अपुन लेकिन क्या तू चाहती है कि तेरी जान किसी चीज के लिए मायूस और निराश हो जाए?
विधी ─ नहीं, मैं ऐसा कभी नहीं चाहूंगी भाई पर समझने की कोशिश कर। मुझे बहुत शर्म आ रही है।
अपुन ─ तू बस अपनी आँखें बंद कर ले और चुपचाप लेट जा। प्लीज मेरी जान, अपुन का बहुत मन कर रेला है तेरे गोरे गोरे खूबसूरत बूब्स देखने का और उन्हें चूमने का। प्लीज करने दे न।
विधी शर्म से लाल पड़े अपने चेहरे से अपुन को देखती रही। उसके चेहरे पर बहुत ज्यादा उलझन और कशमकश के भाव उभरे थे। शायद वो समझ नहीं पा रेली थी कि क्या करे और क्या न करे? एक तरफ वो अपुन को निराश भी नहीं करना चाहती थी तो दूसरी तरफ मारे शर्म के उससे ये हो भी नहीं रेला था। फिर जैसे उसने कोई निर्णय लिया।
विधी ─ तुझे पता है मैं तुझसे बहुत प्यार करती हूं इस लिए तुझे किसी बात के लिए इंकार नहीं करना चाहती।
अपुन ─ अपुन भी तुझे बहुत प्यार करता है मेरी जान। तभी तो अपन दोनों एक दूसरे के इतना करीब हैं। बाकी तू टेंशन न ले और भरोसा रख। अपुन ऐसा कुछ भी नहीं करेगा जिससे अपन दोनों के साथ कोई गड़बड़ हो जाए।
विधी ─ ठीक है। कर ले जो तेरा मन कर रहा है।
कहने के साथ ही विधी वापस लेट गई। इधर अपुन भी खुश हो गया लौड़ा। हालांकि अपुन की धड़कनें बहुत तेज चल रेली थीं और ये डर भी सता रेला था कि कहीं कोई आ न जाए लेकिन मन में विधी के बूब्स देखने और उन्हें चूमने चूसने की इतनी ज्यादा लालसा थी कि अपुन कुछ भी करने को जैसे तैयार हो गयला था।
विधी का चेहरा शर्म से सुर्ख पड़ा हुआ था। उसकी सांसें तेज तेज चल रेली थीं जिससे उसके बूब्स ऊपर नीचे हो रेले थे। अपुन की नजरें उन्हीं पर टिकी थीं लौड़ा। विधी जब ज्यादा देर तक अपुन से नजरें न मिलाए रह सकी तो उसने अपनी आँखें बंद कर ली।
अपुन जानता था कि वो जितना शर्मा रेली है उतना ही अंदर से घबरा भी रेली है। उसकी टी शर्ट का निचला हिस्सा थोड़ा ऊपर उठ गयला था जिससे उसका गोरा चिकना और सपाट पेट साफ दिख रेला था। पेट के बीच में उसकी खूबसूरत छोटी सी नाभी चमक रेली थी। अपुन का मन मचल उठा तो अपुन झट से झुका और उसके पेट को हौले से चूम लिया। अपुन के ऐसा करते ही विधी का समूचा जिस्म थरथरा उठा और उसके मुख से हल्की सी सिसकी निकल गई।
अपुन ने उसके पूरे पेट में जगह जगह चूमा और फिर उसकी नाभि के चारों तरफ जीभ घुमाने लगा जिससे विधी बुरी तरह मचलने लगी।
विधी ─ शश्श्श्श भाई।
अपुन ─ क्या हुआ मेरी जान को?
विधी ─ तू ऐसे कर रहा है तो बहुत ज्यादा गुदगुदी हो रही है।
अपुन ─ और क्या अच्छा नहीं लग रेला है?
विधी ─ हम्म्म अच्छा भी लग रहा है।
अपुन मुस्कुराते हुए फिर से झुका और इस बार सीधा उसकी नाभि में जीभ को नुकीला कर के डाल दिया जिससे विधी एकदम से चिहुंक ही उठी। उसने झट से अपने दोनों हाथ अपुन के सिर पर रख दिए।
विधी ─ शश्श्श्श।
अपुन उसकी नाभि में जीभ को लपलपाते हुए कभी घुसेड़ता तो कभी बाहर से चारों तरफ घुमाता। उधर विधी मजे के तरंग में डूब कर अपुन के बालों को नोचने लगी और साथ ही सिसकियां लेने लगी।
कुछ देर तक अपुन ने यही किया उसके बाद अपुन ने अपना एक हाथ बढ़ा कर उसकी टी शर्ट के निचले हिस्से को पकड़ा और आहिस्ता से ऊपर करना शुरू किया। उफ्फ उसका गोरा चिकना नाजुक बदन अपुन की आंखों के सामने उजागर होने लग गया लौड़ा।
अपुन सोच भी नहीं सकता था कि विधी कपड़ों के अंदर इतनी गोरी और चिकनी होगी। उधर विधी को भी आभास हो गया कि अपुन उसकी टी शर्ट को ऊपर करने लगा है जिससे उसने अपने हाथों को अपुन के सिर से हटा कर झट से अपने सीने पर रख लिया। जैसे जाहिर कर रही हो कि प्लीज मुझे नंगा न करो लेकिन अपुन उसकी इस मंशा को इग्नोर किया और उसकी टी शर्ट को उठाता ही चला गया।
कुछ ही पलों में अपुन को उसके बूब्स के निचले हिस्से दिखने लगे। अपुन की सांसें मानों थमने लगीं लौड़ा। सचमुच उसने अंदर ब्रा नहीं पहन रखी थी। धाड़ धाड़ बजती अपनी धड़कनों के साथ अपुन ने उसकी टी शर्ट को थोड़ा और ऊपर तक सरकाया तो इस बार उसके आधे से ज्यादा बूब्स दिखने लगे। इसके आगे विधी ने अपने हाथों को रखा हुआ था इस लिए टी शर्ट को अपुन ऊपर नहीं कर सकता था।
अपुन ─ अपना हाथ हटा न मेरी जान।
विधी ─ नहीं न भाई। प्लीज, बहुत शर्म आ रही है मुझे।
अपुन ने झुक कर उसके दोनों हाथों को बारी बारी से चूमा और फिर प्यार से उन्हें पकड़ कर उसके बूब्स के बाकी हिस्से से हटाया। उसने हल्का विरोध किया लेकिन आखिर उसने हटा ही लिया। जैसे ही उसका हाथ हटा अपुन ने फिर से उसकी टी शर्ट को ऊपर सरकाना शुरू कर दिया।
उफ्फ! अगले ही पल उसके बूब्स के बादामी रंग के निपल्स दिखने लगे। उन्हें देखते ही अपुन का गला सूख गया लौड़ा। उधर विधी को इतनी ज्यादा शर्म आई कि उसने झट से अपना चेहरा अपनी दोनों हथेलियों से छुपा लिया। उसकी ऊपर नीचे होती छातियां इस बात का सबूत थीं कि उसकी धड़कनें कितनी ज्यादा बढ़ गईली थीं।
अपुन ─ उफ्फ! तू सच में बहुत खूबसूरत है मेरी जान। तेरे ये गोरे गोरे और गोल गोल बूब्स दुनिया की सबसे सुंदर चीजों में से एक हैं।
विधी ─ प..प्लीज कुछ मत बोल भाई।
सच तो ये था बेटीचोद कि विधी के इतने सुंदर बूब्स देख के अपुन होश खोने लग गयला था। उधर उसके बूब्स जैसे अपुन को आमंत्रित कर रेले थे कि आओ और जल्दी से हमें मुंह में भर चूसना शुरू कर दो।
अपुन ने भी उनका इन्विटेशन एक्सेप्ट करने में देरी नहीं की लौड़ा। अगले ही पल अपुन ने उसकी टी शर्ट को थोड़ा और ऊपर सरकाया और फिर उसके बूब्स को दोनों हाथों में थामने के लिए हाथ बढ़ाया। अभी अपुन के दोनों हाथ उसके बूब्स के करीब ही पहुंचे थे कि तभी किसी ने रूम का दरवाजा हल्के से थपथपाया।
दरवाजे पर हुई इस थपथपाहट को सुनते ही अपुन बुरी तरह चौंक गया। उधर विधी ने भी शायद सुन लिया था इस लिए वो भी बुरी तरह उछल पड़ी। बुरी तरह घबरा कर वो एक झटके से उठ बैठी और फिर जल्दी जल्दी अपनी टी शर्ट को नीचे सरका अपने नंगे बूब्स को छुपाने लगी।
इधर अपुन के होश उड़ गएले थे और गांड़ अलग से फट गईली थी। मन में एक ही सवाल उभरा कि बेटीचोद कौन हो सकता है बाहर?
To be continued....
Bahut hi badhiya update diya hai TheBlackBlood bhai....
Update ~ 25
मॉम ─ अच्छा ठीक है प्रभू। अभी आप शांति से डिनर कीजिए।
उसके बाद सब शांति से डिनर करने लगे लेकिन अपुन को यकीन था कि साक्षी दी के मन की शान्ति उड़ गईली थी। उन्हें पक्का यकीन हो गया होगा कि डैड के प्रॉमिस करने के बाद अपुन उन्हें ही टार्गेट करेगा। वैसे ये सच भी था लेकिन पूरी तरह नहीं।
अब आगे....
डिनर के बाद अपुन अपने रूम में आ गया। डैड और अपुन के बीच अभी थोड़ी देर पहले जिस तरह की बातें हुईं थी उससे अपुन का कॉन्फिडेंस कुछ ज्यादा ही बढ़ गया फील हो रेला था। अपुन का मन करने लग गयला था कि अभी साक्षी दी के पास जाए और उनको अपनी बाहों में भर ले पर लौड़ा ये सोचना भले ही आसान था लेकिन करना बहुत मुश्किल। वैसे भी वो अपुन से बात करने की तो बात दूर अपुन की तरफ देख भी नहीं रेली थीं। अपुन सोचने लगा कि इस बारे ने अब कुछ तो करना ही पड़ेगा बेटीचोद।
अपुन ने दरवाजा ऐसे ही बंद किया और फिर आ कर बेड पर लेट गया। कुछ देर तो अपुन डैड वाली बातें ही सोचता रहा लेकिन फिर अचानक से अपुन को शनाया का खयाल आ गया लौड़ा।
वो लौड़ी भी साली अलग ही बवासीर पाले हुए थी। अपुन को उसके बारे में शक तो था लेकिन असलियत इस तरह की होगी इसकी उम्मीद नहीं थी अपुन को। अपुन सोचने लगा कि क्या सच में वो अपुन से ऐसा ही चाहती है? क्या सच में वो गलत इरादे से ऐसा नहीं करना चाहती है?
बेटीचोद, साधना ने जो झटका दिया था उसके चलते अपुन को अब हर बाहरी लड़की से ऐसी ही शंका होने लग गईली थी और यही वजह भी थी कि अपुन ने शनाया के साथ इतना अच्छा मौका होने के बाद भी कुछ करने का नहीं सोचा था।
खैर अपुन ने सोचा कि क्यों बेकार में उसके बारे में सोच कर अपना भेजा खराब करे इस लिए मोबाइल निकाल कर नेट ऑन किया। नेट ऑन होते ही लौड़ा मैसेजेस की बरसात होने लग गई।
अमित और अनुष्का के तो थे ही लेकिन शनाया के भी थे। अपुन ने अमित को इग्नोर किया और सबसे पहले अनुष्का के मैसेज को ओपन किया। उसने लिख के भेजा था कि उसने साक्षी दी को सब कुछ बता दिया है और साक्षी दी ने उसकी हेल्प करने को भी कहा है। बोले तो साक्षी दी ने उससे प्रॉमिस तक किएला है कि वो उसके हसबैंड की जॉब हमारी कम्पनी में लगवा देगी। अनुष्का ने लास्ट में अपुन को थैंक्स भी लिख कर भेजा था।
अपुन ने सोचा चलो इस लौड़ी का काम तो हो गया। अब अपुन भी अपने बारे में थोड़ा सोचे। इस लिए उसको मैसेज लिखना शुरू किया।
अपुन (मैसेज) ─ थैंक्स से काम नहीं चलेगा दी। आपने प्रॉमिस किया था कि जीजा जी की जॉब लगने के बाद आप अपुन को मनचाही ट्रीट देंगी।
ये मैसेज भेजने के बाद अपुन ने शनाया का मैसेज ओपन किया। जाने क्यों उसका मैसेज ओपन करते ही अपुन की धड़कनें तेज हो गईं लौड़ा?
शनाया (पहला मैसेज) ─ सॉरी विराट, शायद तुम्हें मेरी बातें अच्छी नहीं लगीं।
शनाया (दूसरा मैसेज) ─ प्लीज ट्रस्ट मी, मुझे तुमसे उसके अलावा लाइफ में कभी कुछ नहीं चाहिए।
शनाया (तीसरा मैसेज) ─ प्लीज मुझे गलत मत समझो, मेरा दिल तुम्हें बहुत पसंद करता है इस लिए ये मेरे दिल की ही इच्छा है कि वो तुम्हें पूरी तरह अंदर तक फील करे।
शनाया (चौथा मैसेज) ─ मुझे पता है कि मेरी ये इच्छा जायज नहीं है और एक लड़की होने के नाते मुझे ऐसा सोचना भी नहीं चाहिए लेकिन अपने दिल के हाथों मजबूर हूं विराट। अकेले में यही सोचा करती हूं कि कितनी गलत चाहत पाले बैठी हूं मैं। एक ऐसे लड़के को अपना सब कुछ सौंप देना चाहती हूं जो कभी मेरा हो ही नहीं सकता। विराट, हर रोज अकेले में यही सब सोचती हूं लेकिन इसके बावजूद दिल यही चाहता है कि भले ही तुम हमेशा के लिए मेरे न बनो लेकिन मैं इसी से खुश हो जाऊंगी कि तुमने मेरे लिए अपनी एक रात सौगात में दे दी है।
शनाया (पांचवां मैसेज) ─ प्लीज विराट, मान जाओ न। तुम्हें हमारी दोस्ती की कसम। तुम जैसे चाहोगे, जहां चाहोगे वहां मैं चलूंगी। बस एक बार मुझे अंदर तक फील कर लेने दो तुम्हें। प्लीज कुछ तो रिप्लाई दो, कुछ तो बोलो। क्या मेरी इन बातों से नाराज हो गए हो?
शनाया के लंबे चौड़े मैसेजेस पढ़ के अपुन का दिमाग हैंग सा हो गयला था बेटीचोद। अपुन को समझ नहीं आ रेला था कि क्या करे? बोले तो अपुन समझ नहीं पा रेला था कि ऐसा वो सच में दिल से चाहती है या ये सब उसके किसी प्लान का हिस्सा है? साफ शब्दों में बोले तो ये, कि कहीं वो अपुन को फांसने के लिए ही तो इतना जोर नहीं लगा रेली है? लौड़ा कुछ भी हो सकता है।
अपुन काफी देर तक सोचता रहा इस बारे में। फिर अपुन ने सोचा कि किसी लफड़े के डर से अपुन भला कब तक इस तरह हर लड़की से भागता रहेगा? बोले तो ये जरूरी थोड़े है कि हर लड़की साधना जैसी सोच वाली होगी? हो सकता है कि शनाया ये सब सच में ही चाहती हो और उसके मन में अपुन को फांसने का कोई इरादा भी न हो। वैसे भी जब तक अपुन आगे बढ़ेगा नहीं तब तक अपुन को पता भी कैसे चलेगा कि शनाया ऐसा बिना किसी गलत इरादे के चाह रेली है या सच में ही वो ये सब अपने दिल के हाथों मजबूर हो के करना चाहती है?
एकाएक अपुन को खयाल आया कि अपुन को इतना डरना नहीं चाहिए क्योंकि अपुन के डैड अपुन के लिए कुछ भी कर सकते हैं। इस खयाल ने अपुन के अंदर का सारा डर पल में दूर कर दिया लौड़ा। बस, इसके बाद अपुन ने उसे मैसेज लिखना शुरू किया।
अपुन (पहला मैसेज) ─ सॉरी यार, सबके साथ डिनर कर रेला था इस लिए तेरा मैसेज नहीं देखा।
अपुन (दूसरा मैसेज) ─ और ये तू क्या क्या लिख के भेजी है अपुन को? क्या सच में पागल हो गई है तू?
बेटीचोद, एक मिनट के अंदर ही उसका मैसेज आ गया। हालांकि अपुन को लग भी रेला था कि कहीं वो अपुन के रिप्लाई का ही वेट न कर रेली हो।
शनाया (मैसेज) ─ मैं तो होश में हूं विराट लेकिन मेरा दिल शायद सच में तुम्हारे लिए पागल हो गया है। प्लीज अपनी इस पागल दोस्त की सिर्फ इतनी सी विश पूरी कर दो न।
अपुन को एकाएक खयाल आया कि अपुन को उससे मैसेज में ये सब बातें नहीं करनी चाहिए। साधना ने अपने मोबाइल में अपन दोनों की सारी चैटिंग सम्हाल के रखी थी। इस खयाल के आते ही अपुन एकदम से सम्हल गया लौड़ा और उसे मैसेज में सिर्फ इतना ही लिख कर भेजा कि कल कॉलेज में बात करेंगे इस बारे में। जवाब में उसने ओके लिखा और किस वाली इमोजी के साथ गुड नाइट लिख कर भेजा अपुन को।
अपुन ने एक गहरी सांस ली और मोबाइल में कोई अच्छी सी मूवी सर्च करने लगा लेकिन तभी वॉट्सएप मैसेज का एक और नोटिफिकेशन स्क्रीन पर उभरा। अपुन ने देखा कि मैसेज अपुन की जुड़वा बहन विधी का था। अपुन ने झट से उसे ओपन किया और देखा।
विधी ─ ही, सो गया क्या भाई?
अपुन ─ नहीं।
विधी ─ ओह! तो क्या कर रहा है?
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ अपनी जान को याद कर रेला है अपुन।
विधी ─ अच्छा, सच में?
अपुन ─ अपनी जान से झूठ क्यों बोलेगा अपुन?
विधी ─ हां मुझे पता है भाई। वैसे मुझे भी अपनी जान की बहुत याद आ रही है। क्या मैं अपनी जान के पास आ जाऊं?
विधी का ये मैसेज पढ़ते ही अपुन के अंदर हलचल शुरू हो गई लौड़ा। मन में बड़े रंगीन खयाल उभरने लग गए। दिल तेज तेज धड़कते हुए जैसे बोलने लगा कि हां उससे कह दे कि आ जाए वो।
अपुन (मैसेज) ─ अपनी जान के पास आने के लिए परमीशन नहीं ली जाती मेरी जान।
विधी ─ ऐसे न बोल वरना सच में भाग कर तेरे पास आ जाऊंगी।
अपुन ─ तो आ जा न। अपुन अपनी जान को बाहों में लेने के लिए तड़प रेला है।
विधी ─ हां, मैं भी।
अपुन ─ तो फिर आ जा न। देर क्यों कर रेली है?
विधी ─ वो मुझे डर लग रहा है कि कहीं नीचे से दी लोग न आ जाएं या मॉम न आ जाएं और....और दिव्या भी तो है तेरे सामने वाले रूम में।
अपुन ─ दिव्या की टेंशन न ले। वो तो अपन लोग के जैसे ही है। रही बात दी लोग की या मॉम की तो अपुन को नहीं लगता कि उनमें से कोई अब ऊपर आएंगी।
विधी ─ और अगर आ गईं तो?
अपुन ─ आ भी जाएंगी तो क्या हो जाएगा यार? अपन लोग कौन सा कोई गैर हैं। भाई बहन हैं और भाई बहन अगर एक रूम में एक ही बेड पर सो जाएंगे तो किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं होने वाली।
विधी ─ हां ये तो तू सही कह रहा है भाई पर पता नहीं क्यों मुझे डर सा लग रहा है।
अपुन ─ फिर तो तेरे डरने का एक ही मतलब हो सकता है। बोले तो शायद तू अपनी जान से ही डर रेली है।
विधी ─ नहीं भाई। तुझसे क्यों डरूंगी मैं?
अपुन ─ तो फिर कुछ मत सोच और झट से आ जा अपुन के पास।
विधी ─ ठीक है, लेकिन तेरे पास आने के बाद मेरा जैसा मन करेगा वैसे ही सोऊंगी, सोच ले।
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ हां ठीक है। अपुन वैसे भी अपनी जान को किसी बात के लिए न नहीं कहेगा।
विधी ─ फिर ठीक है। रुक, आ रही हूं।
अपुन समझ गया कि अब वो कुछ ही पलों में अपुन के रूम में आ जाएगी। उसके आने का सोच कर ही अपुन की धड़कनें तेज हो गईं बेटीचोद। मन में तरह तरह के खयाल आने लग गए। अभी अपुन ये सोच ही रेला था कि तभी अपुन के रूम का दरवाजा आहिस्ता से खुला और उसी आहिस्ता से अपुन की जान यानि विधी अंदर दाखिल हुई।
अंदर आने के बाद उसने दरवाजे को आहिस्ता से लेकिन कुंडी लगा कर बंद किया और फिर पलट कर अपुन को मुस्कुराते हुए देखने लगी।
उसने इस वक्त ऊपर एक छोटी सी टी शर्ट और नीचे छोटा सा ही निक्कर पहन रखा था जिसमें उसकी जांघों से ले कर नीचे पैरों तक पूरा खुला हुआ था। गोरी चिकनी जांघें और टांगें देखते ही अपुन के अंदर की हलचल में इजाफा हो गया। उधर वो कुछ पलों तक वैसे ही खड़ी अपुन को मुस्कुराते हुए देखती रही। फिर सहसा वो थोड़ा शरमाई और धीमे कदमों से बेड की तरफ आने लगी।
जैसे जैसे वो अपुन के करीब आती जा रेली थी वैसे वैसे अपुन की सांसें मानों थमती जा रेली थीं। छोटी सी टी शर्ट में उसके बूब्स की गोलाईयां साफ नजर आ रेली थीं। यहां तक कि जब वो अपुन के एकदम पास ही आ गई तो अपुन को टी शर्ट के ऊपर से ही उसके बूब्स के निपल्स भी दिखने लग गए। जाहिर है उसने इस वक्त टी शर्ट के अंदर ब्रा नहीं पहना था। बेटीचोद अपुन की तो सांसें ही अटक गईं।
विधी ─ ऐसे मत घूर न।
उसकी आवाज सुनते ही अपुन हड़बड़ा सा गया और बेड पर थोड़ा साइड में खिसक गया ताकि इस तरफ उसके लेटने के लिए जगह बन जाए। अपुन के खिसकते ही वो हौले से बेड के किनारे पर बैठ गई।
अपुन ─ तो अपुन की जान आ गई अपनी जान के पास?
विधी (हल्के से शर्मा कर) ─ हां, मेरा तो बहुत देर से मन कर रहा था तेरे पास आने का।
अपुन ─ तो चली आना था तुझे।
विधी ─ वो...मैं इस लिए नहीं आ रही थी कि कहीं तू मेरे साथ बदमाशी न करने लगे, हां नहीं तो।
ये कहने के साथ ही विधी शरारत से मुस्कुराई भी और थोड़ा शरमा भी गई। इधर अपुन भी उसकी इस बात पर मुस्कुरा उठा और साथ ही ये सोचने लगा कि लौड़ी जाने क्या क्या सोचती रहती है।
अपुन ─ तू गलत समझ रेली है। अपुन बदमाशी नहीं बल्कि अपनी जान को प्यार किया करता है।
विधी ─ अच्छा, कितना झूठ बोलता है। सब समझती हूं। बुद्धू नहीं हूं मैं, हां नहीं तो।
अपुन ─ चल अपुन झूठा ही सही लेकिन तू बता, क्या तुझे अपुन की बदमाशी से प्रॉब्लम है?
विधी ये सुन कर शर्माने लगी। उसके गुलाबी होठों पर उभरी मुस्कान और भी गहरी हो गई। जब उसे अपुन से नजरें मिलाने में झिझक सी होने लग गई तो वो बिना कुछ कहे लेकिन मुस्कुराते हुए अपुन के बगल से बेड पर लेट गई।
अपुन ─ क्या हुआ? बता न क्या तुझे अपुन की बदमाशी से प्रॉब्लम है?
विधी (शर्माते हुए) ─ हां नहीं है प्रॉब्लम। चल अब खुश हो जा। गंदा कहीं का, हां नहीं तो।
कहने के साथ ही वो मुस्कुराते हुए एकदम से खिसक कर पास आई और अपुन से चिपक गई। उसके बिना ब्रा वाले बूब्स साइड से अपुन के बाजू में चुभ गए जिसके चलते पलक झपकते ही अपुन के समूचे जिस्म में झुरझुरी दौड़ गई लौड़ा।
अपुन ─ अच्छा, अपुन को गंदा बोल रेली है और तू खुद क्या है?
विधी शर्मा कर अपुन से और भी ज्यादा छुपक गई और फिर अपुन के सीने पर अपनी एक उंगली हल्के से घुमाते हुए बोली।
विधी ─ हां तू गंदा ही है और मैं तो सबसे अच्छी हूं, हां नहीं तो।
अपुन उसकी इस बात पर हल्के से हंस पड़ा तो वो भी हंस पड़ी। फिर अपुन से छुपके हुए ही उसने अपना चेहरा थोड़ा ऊपर किया और बोली।
विधी ─ एक बात बता, अगर दिव्या भी इस वक्त यहां आ गई तब हम क्या करेंगे?
अपुन ─ वही जो अभी कर रेले हैं। बोले तो जैसे तू अपुन के साथ चिपक के लेटी हुई है वैसे ही वो भी दूसरी तरफ से अपुन से चिपक के लेट जाएगी।
विधी ने ये सुन कर हल्के से अपुन को मारा और फिर मुस्कुराते हुए बोली।
अपुन ─ कुछ भी बोलता है। क्या तुझे शर्म नहीं आएगी उसे भी इस तरह चिपका लेने से?
अपुन ─ इसमें शर्म आने जैसी क्या बात है? क्या इस वक्त तुझे शर्म आ रेली है अपुन से इस तरह चिपके हुए लेटने पर?
विधी ─ नहीं तो।
अपुन ─ तो फिर ऐसा क्यों कहा तूने?
विधी ─ वो...वो मैंने तो ऐसे ही कह दिया था। मतलब कि हम भाई बहन तो है लेकिन गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड भी तो हैं न?
अपुन ─ हां तो?
विधी ─ तो क्या? मतलब क्या तुझे इसमें कुछ भी ऐसा वैसा नहीं लगता? वैसे तो मुझे नासमझ कहता है जबकि तू खुद ही नासमझ और बुद्धू है, हां नहीं तो।
अपुन समझ रेला था कि उसके ये सब कहने का मतलब क्या था। वो खुल कर बोलने में शायद झिझक रेली थी या शर्मा रेली थी। इधर उसके इस तरह चिपके होने से अपुन के अंदर जबरदस्त हलचल मच गईली थी। अपुन का मन अब उतावला सा होने लग गयला था।
अपुन ─ अच्छा ये सब छोड़। अपुन को अपनी जान के होठ चूमना है।
अपुन की ये बात सुनते ही वो बुरी तरह शर्मा गई और अपना चेहरा अपुन के सीने में छुपाने लगी। फिर उसी पोजिशन में बोली।
विधी ─ देखा, बदमाशी करने पर उतर आया न तू?
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ यार इसमें बदमाशी करने वाली तो कोई बात ही नहीं है। अपुन तो अपनी जान के मीठे मीठे होठों को चूमने की बात कर रेला है। अच्छा सच सच बता, क्या तेरा मन नहीं कर रहा ऐसा करने को?
विधी ने शर्माते हुए थोड़ा सा चेहरा ऊपर किया और फिर बोली।
विधी ─ हां नहीं कर रहा। अब बोल, हां नहीं तो।
अपुन ─ अपुन बोलेगा नहीं, बल्कि करेगा।
अपुन की बात सुनते ही विधी एकदम से चौंकी और हैरानी से अभी देखने ही लगी थी कि अपुन थोड़ा सा उसकी तरफ घूमा और एक हाथ से उसका चेहरा थाम कर अपने होठ उसके गुलाब की पंखुड़ियों पर रख दिए। अपुन ने साफ महसूस किया कि ऐसा करते ही विधी का समूचा जिस्म कांप गयला था। हालांकि उसने कोई विरोध नहीं किया बल्कि वो उसी पोजिशन में लेटी रही।
अपुन ने पहले तो दो तीन बार उसके नाजुक और रसीले होठों को चूमा और फिर उन्हें मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया। अपुन के ऐसा करते ही विधी का जिस्म मानो गनगना उठा। मदहोशी और बेचैनी में उसने झट से अपुन का चेहरा थाम लिया और खुद भी धीरे धीरे अपुन के होठ चूसने की कोशिश करने लगी। दो तीन मिनट में ही अपन दोनों की सासें फूलने लगीं और गर्मी फील होने लग गई।
अपन दोनों की ही पोजिशन थोड़ा अजीब थी जिससे लेटे लेटे स्मूच करने में प्रॉब्लम होने लग गईली थी। अपुन उसके होठों को छोड़ अलग हुआ और उसे सीधा लिटा कर खुद उसके ऊपर आ गया।
विधी शायद इतने में ही मदहोश हो गईली थी जिसके चलते उसकी आँखें बंद थीं। उसके होठों पर उसके आस पास अपन दोनों का ही थूक लग गयला था जिससे चेहरा अजीब सा दिखने लगा था।
अपुन ─ आँखें खोल न मेरी जान।
अपुन की आवाज सुनते ही विधी के जिस्म में झुरझुरी सी हुई लेकिन उसने आँखें नहीं खोली बल्कि शर्म से मुस्कुरा कर बोली।
विधी ─ न..नहीं।
अपुन ─ क्यों?
विधी ─ म...मुझे बहुत शर्म आ रही है।
अपुन ─ एक बार अपनी जान को देख तो सही।
विधी ने आँखें खोलने की कोशिश की लेकिन शायद शर्म की वजह से उसकी हिम्मत नहीं हो रेली थी। अतः बोली।
विधी ─ नहीं भाई, मुझे शर्म आ रही है।
अपुन को बड़ी हैरानी हुई उसकी ये हालत देख कर। समझ ही न आया कि ऐसा कैसे हो सकता है? ऐसा भी नहीं था कि अपन दोनों ये पहली बार कर रेले थे। फिर आज उसके इतना ज्यादा शर्माने का क्या कारण हो सकता था? जब अपुन को कुछ न सूझा तो अपुन ने सोचा क्यों बेकार में भेजा फ्राई करे। अभी जो करने का मन मचल रेला है वहीं करना चाहिए बेटीचोद।
अपुन झुका और एक बार फिर से उसके होठों को मुंह में भर लिया। विधी का जिस्म इस बार कुछ ज्यादा ही थरथरा उठा। इस बार अपुन के जिस्म का थोड़ा सा भार उसके ऊपर भी पड़ गया जिसके चलते उसके बूब्स अपुन के सीने में थोड़ा धंस गए। नीचे तरफ अपुन का खड़ा लन्ड विधी के निचले हिस्से से थोड़ा उठा हुआ था।
अपुन मजे से उसके होठ चूस रेला था। कुछ पलों तक तो विधी बुत सी लेटी रही लेकिन जल्दी ही उसने भी हरकत करनी शुरू कर दी। जिस तरह अपुन उसके होठों को चूसने की कोशिश कर रेला था वैसे ही वो भी कर रेली थी। उसके दोनों हाथ अपुन के सिर और गर्दन के पिछले साइड घूम रेले थे।
अपुन के अंदर हर गुजरते पल के साथ मजे की तरंगें बढ़ती जा रेली थीं। बोले तो हवस का नशा बढ़ता जा रेला था और जोश भी। उसी जोश के चलते अपुन अब उसके होठों को और भी जोर जोर से चूसने लग गयला था। नीचे लेटी विधी कभी अपुन के होठों को चूसने की कोशिश करती तो कभी कसमसा कर सिर्फ अपुन के सिर को भींचने लगती।
सांस फूल जाने की वजह से अपुन ने उसके होठों को छोड़ा और उसके चेहरे को चूमने लगा। विधी मचलते हुए अपना चेहरा इधर उधर करने लगी।
अपुन (मदहोशी में) ─ ओह! मेरी जान, तेरे होठ सच में बहुत मीठे हैं। मन करता है सारी रात इन्हें चूसता ही रहे अपुन।
विधी ─ मु...मुझे कुछ हो...र रहा है भाई।
अपुन ─ क्या हो रेला है मेरी जान को, हां?
विधी ─ प..पता नहीं भाई। अजीब सा लग रहा है।
अपुन जानता था कि इतना सब होने के चलते उसके अंदर के हार्मोंस चरम पर पहुंच रेले थे जिसके चलते उसके अंदर अजीब सी हलचल हो रेली होगी।
अपुन ─ और क्या मेरी जान को इससे अच्छा भी लग रेला है?
विधी ─ ह..हां भाई। प्लीज फिर से कर न।
अपुन ─ क्या करे अपुन?
विधी ─ म...मेरे लि..लिप्स को चू..चूम न।
अपुन ─ और क्या करे अपुन?
विधी ─ मुझे न...नहीं पता। तेरा जो मन करे...कर।
अपुन उसकी बातें सुन कर और भी ज्यादा जोश में आ गया। अपुन की भोली भाली और मासूम बहन सेक्स वाली फीलिंग्स में डूब गईली थी।
अपुन ने झट से उसके कांपते होठों को मुंह में भर लिया। अपुन के ऐसा करते ही विधी का जिस्म थरथराया और साथ ही इस बार उसने अपुन का चेहरा थाम कर थोड़ा तेजी से अपुन के होठों को चूसने की कोशिश करने लगी। इस बार मजे की तरंग कुछ ज्यादा ही अपुन के जिस्म में उठी बेटीचोद।
अगले ही पल अपुन पूरे जोश के साथ उसके होठों को चूसने लगा और अपना एक हाथ एकदम से नीचे ला कर उसके राइट बूब को पकड़ लिया। उफ्फ बिना ब्रा का बूब जैसे ही अपुन के हाथ में आया तो अपुन को अदभुत एहसास हुआ और उधर विधी का समूचा जिस्म बुरी तरह कांप गया और इतना ही नहीं वो मचल भी गई लौड़ी।
अपुन ─ ओह! मेरी जान तेरा ये बूब कितना सॉफ्ट है। बोले तो अपुन को बहुत अच्छा फील हो रेला है इसे पकड़ के।
विधी ये सुन कर मचल उठी और अपुन के उस हाथ पर अपना हाथ रख कर जैसे बड़ी मुश्किल से बोली।
विधी ─ भ...भाई मत कर न।
अपुन ─ करने दे न मेरी जान। अपुन का बहुत मन कर रेला है कि अपुन अपनी जान को हर तरह से प्यार करे।
विधी ─ क..क्या मतलब है तेरा?
अपुन ─ मतलब तो अभी अपुन को भी नहीं पता यार लेकिन इतना पता है कि अपुन का मन तुझे बहुत ज्यादा प्यार करने का कर रेला है। क्या तेरा मन नहीं कर रहा कि तू अपुन को भी बहुत ज्यादा प्यार करे?
विधी ─ म..मैं कर तो रही हूं भाई। तू बता और कैसे करूं?
अपुन ─ तुझसे जैसे बने तू करती जा और हां अपुन जो भी करे उसे करने दे।
विधी ─ प..पर भाई ये ग..गलत है न?
अपुन ─ प्यार करना कभी गलत नहीं होता मेरी जान। दूसरी बात ये कि जो करने से अपन लोग को अच्छा फील आए और जिससे खुशी मिले वो ही करना चाहिए।
विधी ─ अ..और किसी को पता चल गया तो? कोई ग..गड़बड़ हो गई तो?
अपुन ─ कुछ नहीं होगा। तुझे अपुन पर भरोसा है न?
विधी ─ हां, खुद से भी ज्यादा भरोसा है तुझ पर।
अपुन ─ तो फिर बस, ये समझ कि अपुन अपनी जान के साथ कुछ भी गड़बड़ नहीं होने देगा।
विधी ─ तू सच कह रहा है न?
अपुन ─ हां, तेरी कसम। तू जानती है कि अपुन अपनी जान की कसम कभी नहीं तोड़ सकता।
विधी के चेहरे पर संतुष्टि के भाव उभरे। बड़ी ही मोहब्बत भरी नजर से देखा उसने अपुन को। उसकी आंखों में अभी भी मदहोशी थी और चेहरे पर शर्म के भाव। अपुन ने झुक कर प्यार से पहले उसके माथे को चूमा और फिर उसके होठों को चूमने चूसने लगा।
एक बार फिर से समूचे जिस्म में मजे की लहरें दौड़ने लगीं। एक बार फिर से विधी की हालत खराब होने लगी। इधर अपुन का हाथ जो पहले से ही उसके राइट बूब पर था उसने बूब को पकड़ा और हौले से दबाया तो अपुन को मजे का एक अलग ही आभास हुआ। उधर विधी अपना बूब दबाए जाने से एकदम से मचल उठी। इस बार उसने अपुन के उस हाथ पर अपन हाथ नहीं रखा बल्कि अपुन के सिर के बालों को पकड़ कर मानो नोचने लगी।
अपुन कुछ देर तक उसके होठों को चूमता चूसता रहा उसके बाद उसके गालों को चूमते हुए उसके गले पर आया। अपुन एक हाथ से अभी भी उसका बूब दबाए जा रेला था। उधर जैसे ही होठ आजाद हुए विधी की सिसकियां उभरने लगीं।
अपुन को बेतहाशा मजा आ रेला था। उसके गले को चूमते चाटते अपुन थोड़ा और नीचे आया जहां पर उसकी डीप गले वाली टी शर्ट से उसकी छातियों का हिस्सा दिख रेला था।
दूध की तरह गोरे चिकने उस हिस्से को अपुन जीभ से चाटने लगा तो विधी और भी ज्यादा मचलने लगी।
विधी ─ शश्श्श्श ये...ये क्या कर रहा है भाई? बहुत गुदगुदी हो रही है मुझे।
अपुन ─ और क्या मजा नहीं आ रेला है तुझे?
विधी ─ ह...हां भाई, मजा भी आ रहा है।
अपुन फिर से झुक कर जीभ से उसकी छातियों के उभार वाले हिस्से से बस थोड़ा ही ऊपर चाटने लगा। सहसा अपुन की नजर उस जगह पड़ी जहां पर अपुन एक हाथ से उसका राइट बूब दबा रेला था। जब अपुन उसका दूध दबाता तो उसके बूब के किनारे फैल से जाते जिससे टी शर्ट के खुले हिस्से तक वो उभार पहुंच जाता।
अपुन थोड़ा सा नीचे खिसका और अच्छे से घुटने के बल बैठ कर लेकिन झुक कर इस बार दोनों हाथों से उसके दोनों बूब्स पकड़ लिए। अपुन के ऐसा करते ही विधी मचल उठी और साथ ही उसकी सिसकी निकल गई। इधर अपुन ने जैसे ही एक साथ दोनों बूब्स को दबाया तो उसके ऊपरी हिस्से यानी किनारे उभर कर टी शर्ट के बाहर दिखें लगे। अपुन ने झट से चेहरा ले जा कर उस उभरे हिस्से को चूम लिया और फिर जीभ निकाल कर उसके दरार पर नीचे से ऊपर घुमाया तो विधी और भी ज्यादा मचल उठी।
विधी ─ शश्श्श्श भ..भाई। मत कर न। गुदगुदी हो रही है।
अपुन ─ तेरे ये बूब्स बहुत अच्छे हैं मेरी जान। जब दबाने में इतना अच्छा फील हो रेला है तो इन्हें पीने में कितना अच्छा लगेगा।
विधी (बुरी तरह शर्मा कर) ─ धत, ये क्या कह रहा है भाई? ऐसे मत बोल न।
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ विधी, मेरी जान। अपुन को अपनी जान के दुधू पीने हैं। प्लीज पिला दे न।
अपुन की बात सुन कर इस बार मानो विधी का शर्म से बुरा हाल हो गया। उसने बेड पर आँखें बंद किए अपने चेहरे को दोनों हथेलियों से छुपा लिया, फिर बोली।
विधी ─ नहीं न भाई। प्लीज ऐसे मत बोल, मुझे बहुत शर्म आ रही है।
अपुन ─ अरे! तू तो अपुन की जान है। तुझसे क्या शर्माना? अच्छा सुन न, अपुन तेरी इस टी शर्ट को ऊपर कर रेला है।
विधी ने झटके से अपने चेहरे पर से हथेलियां हटाईं और आँखें खोल कर अपुन को देखा। उसके चेहरे पर शर्म तो थी ही लेकिन अब घबराहट के भाव भी उभर आएले थे।
विधी ─ ये...ये क्या कह रहा है तू? प्लीज ऐसा मत कर न। ये गलत है न?
अपुन ─ तू कहेगी तो कुछ भी नहीं करेगा अपुन लेकिन क्या तू चाहती है कि तेरी जान किसी चीज के लिए मायूस और निराश हो जाए?
विधी ─ नहीं, मैं ऐसा कभी नहीं चाहूंगी भाई पर समझने की कोशिश कर। मुझे बहुत शर्म आ रही है।
अपुन ─ तू बस अपनी आँखें बंद कर ले और चुपचाप लेट जा। प्लीज मेरी जान, अपुन का बहुत मन कर रेला है तेरे गोरे गोरे खूबसूरत बूब्स देखने का और उन्हें चूमने का। प्लीज करने दे न।
विधी शर्म से लाल पड़े अपने चेहरे से अपुन को देखती रही। उसके चेहरे पर बहुत ज्यादा उलझन और कशमकश के भाव उभरे थे। शायद वो समझ नहीं पा रेली थी कि क्या करे और क्या न करे? एक तरफ वो अपुन को निराश भी नहीं करना चाहती थी तो दूसरी तरफ मारे शर्म के उससे ये हो भी नहीं रेला था। फिर जैसे उसने कोई निर्णय लिया।
विधी ─ तुझे पता है मैं तुझसे बहुत प्यार करती हूं इस लिए तुझे किसी बात के लिए इंकार नहीं करना चाहती।
अपुन ─ अपुन भी तुझे बहुत प्यार करता है मेरी जान। तभी तो अपन दोनों एक दूसरे के इतना करीब हैं। बाकी तू टेंशन न ले और भरोसा रख। अपुन ऐसा कुछ भी नहीं करेगा जिससे अपन दोनों के साथ कोई गड़बड़ हो जाए।
विधी ─ ठीक है। कर ले जो तेरा मन कर रहा है।
कहने के साथ ही विधी वापस लेट गई। इधर अपुन भी खुश हो गया लौड़ा। हालांकि अपुन की धड़कनें बहुत तेज चल रेली थीं और ये डर भी सता रेला था कि कहीं कोई आ न जाए लेकिन मन में विधी के बूब्स देखने और उन्हें चूमने चूसने की इतनी ज्यादा लालसा थी कि अपुन कुछ भी करने को जैसे तैयार हो गयला था।
विधी का चेहरा शर्म से सुर्ख पड़ा हुआ था। उसकी सांसें तेज तेज चल रेली थीं जिससे उसके बूब्स ऊपर नीचे हो रेले थे। अपुन की नजरें उन्हीं पर टिकी थीं लौड़ा। विधी जब ज्यादा देर तक अपुन से नजरें न मिलाए रह सकी तो उसने अपनी आँखें बंद कर ली।
अपुन जानता था कि वो जितना शर्मा रेली है उतना ही अंदर से घबरा भी रेली है। उसकी टी शर्ट का निचला हिस्सा थोड़ा ऊपर उठ गयला था जिससे उसका गोरा चिकना और सपाट पेट साफ दिख रेला था। पेट के बीच में उसकी खूबसूरत छोटी सी नाभी चमक रेली थी। अपुन का मन मचल उठा तो अपुन झट से झुका और उसके पेट को हौले से चूम लिया। अपुन के ऐसा करते ही विधी का समूचा जिस्म थरथरा उठा और उसके मुख से हल्की सी सिसकी निकल गई।
अपुन ने उसके पूरे पेट में जगह जगह चूमा और फिर उसकी नाभि के चारों तरफ जीभ घुमाने लगा जिससे विधी बुरी तरह मचलने लगी।
विधी ─ शश्श्श्श भाई।
अपुन ─ क्या हुआ मेरी जान को?
विधी ─ तू ऐसे कर रहा है तो बहुत ज्यादा गुदगुदी हो रही है।
अपुन ─ और क्या अच्छा नहीं लग रेला है?
विधी ─ हम्म्म अच्छा भी लग रहा है।
अपुन मुस्कुराते हुए फिर से झुका और इस बार सीधा उसकी नाभि में जीभ को नुकीला कर के डाल दिया जिससे विधी एकदम से चिहुंक ही उठी। उसने झट से अपने दोनों हाथ अपुन के सिर पर रख दिए।
विधी ─ शश्श्श्श।
अपुन उसकी नाभि में जीभ को लपलपाते हुए कभी घुसेड़ता तो कभी बाहर से चारों तरफ घुमाता। उधर विधी मजे के तरंग में डूब कर अपुन के बालों को नोचने लगी और साथ ही सिसकियां लेने लगी।
कुछ देर तक अपुन ने यही किया उसके बाद अपुन ने अपना एक हाथ बढ़ा कर उसकी टी शर्ट के निचले हिस्से को पकड़ा और आहिस्ता से ऊपर करना शुरू किया। उफ्फ उसका गोरा चिकना नाजुक बदन अपुन की आंखों के सामने उजागर होने लग गया लौड़ा।
अपुन सोच भी नहीं सकता था कि विधी कपड़ों के अंदर इतनी गोरी और चिकनी होगी। उधर विधी को भी आभास हो गया कि अपुन उसकी टी शर्ट को ऊपर करने लगा है जिससे उसने अपने हाथों को अपुन के सिर से हटा कर झट से अपने सीने पर रख लिया। जैसे जाहिर कर रही हो कि प्लीज मुझे नंगा न करो लेकिन अपुन उसकी इस मंशा को इग्नोर किया और उसकी टी शर्ट को उठाता ही चला गया।
कुछ ही पलों में अपुन को उसके बूब्स के निचले हिस्से दिखने लगे। अपुन की सांसें मानों थमने लगीं लौड़ा। सचमुच उसने अंदर ब्रा नहीं पहन रखी थी। धाड़ धाड़ बजती अपनी धड़कनों के साथ अपुन ने उसकी टी शर्ट को थोड़ा और ऊपर तक सरकाया तो इस बार उसके आधे से ज्यादा बूब्स दिखने लगे। इसके आगे विधी ने अपने हाथों को रखा हुआ था इस लिए टी शर्ट को अपुन ऊपर नहीं कर सकता था।
अपुन ─ अपना हाथ हटा न मेरी जान।
विधी ─ नहीं न भाई। प्लीज, बहुत शर्म आ रही है मुझे।
अपुन ने झुक कर उसके दोनों हाथों को बारी बारी से चूमा और फिर प्यार से उन्हें पकड़ कर उसके बूब्स के बाकी हिस्से से हटाया। उसने हल्का विरोध किया लेकिन आखिर उसने हटा ही लिया। जैसे ही उसका हाथ हटा अपुन ने फिर से उसकी टी शर्ट को ऊपर सरकाना शुरू कर दिया।
उफ्फ! अगले ही पल उसके बूब्स के बादामी रंग के निपल्स दिखने लगे। उन्हें देखते ही अपुन का गला सूख गया लौड़ा। उधर विधी को इतनी ज्यादा शर्म आई कि उसने झट से अपना चेहरा अपनी दोनों हथेलियों से छुपा लिया। उसकी ऊपर नीचे होती छातियां इस बात का सबूत थीं कि उसकी धड़कनें कितनी ज्यादा बढ़ गईली थीं।
अपुन ─ उफ्फ! तू सच में बहुत खूबसूरत है मेरी जान। तेरे ये गोरे गोरे और गोल गोल बूब्स दुनिया की सबसे सुंदर चीजों में से एक हैं।
विधी ─ प..प्लीज कुछ मत बोल भाई।
सच तो ये था बेटीचोद कि विधी के इतने सुंदर बूब्स देख के अपुन होश खोने लग गयला था। उधर उसके बूब्स जैसे अपुन को आमंत्रित कर रेले थे कि आओ और जल्दी से हमें मुंह में भर चूसना शुरू कर दो।
अपुन ने भी उनका इन्विटेशन एक्सेप्ट करने में देरी नहीं की लौड़ा। अगले ही पल अपुन ने उसकी टी शर्ट को थोड़ा और ऊपर सरकाया और फिर उसके बूब्स को दोनों हाथों में थामने के लिए हाथ बढ़ाया। अभी अपुन के दोनों हाथ उसके बूब्स के करीब ही पहुंचे थे कि तभी किसी ने रूम का दरवाजा हल्के से थपथपाया।
दरवाजे पर हुई इस थपथपाहट को सुनते ही अपुन बुरी तरह चौंक गया। उधर विधी ने भी शायद सुन लिया था इस लिए वो भी बुरी तरह उछल पड़ी। बुरी तरह घबरा कर वो एक झटके से उठ बैठी और फिर जल्दी जल्दी अपनी टी शर्ट को नीचे सरका अपने नंगे बूब्स को छुपाने लगी।
इधर अपुन के होश उड़ गएले थे और गांड़ अलग से फट गईली थी। मन में एक ही सवाल उभरा कि बेटीचोद कौन हो सकता है बाहर?
To be continued....
Bahut hi badhiya or sundar update Bhai
Update ~ 25
मॉम ─ अच्छा ठीक है प्रभू। अभी आप शांति से डिनर कीजिए।
उसके बाद सब शांति से डिनर करने लगे लेकिन अपुन को यकीन था कि साक्षी दी के मन की शान्ति उड़ गईली थी। उन्हें पक्का यकीन हो गया होगा कि डैड के प्रॉमिस करने के बाद अपुन उन्हें ही टार्गेट करेगा। वैसे ये सच भी था लेकिन पूरी तरह नहीं।
अब आगे....
डिनर के बाद अपुन अपने रूम में आ गया। डैड और अपुन के बीच अभी थोड़ी देर पहले जिस तरह की बातें हुईं थी उससे अपुन का कॉन्फिडेंस कुछ ज्यादा ही बढ़ गया फील हो रेला था। अपुन का मन करने लग गयला था कि अभी साक्षी दी के पास जाए और उनको अपनी बाहों में भर ले पर लौड़ा ये सोचना भले ही आसान था लेकिन करना बहुत मुश्किल। वैसे भी वो अपुन से बात करने की तो बात दूर अपुन की तरफ देख भी नहीं रेली थीं। अपुन सोचने लगा कि इस बारे ने अब कुछ तो करना ही पड़ेगा बेटीचोद।
अपुन ने दरवाजा ऐसे ही बंद किया और फिर आ कर बेड पर लेट गया। कुछ देर तो अपुन डैड वाली बातें ही सोचता रहा लेकिन फिर अचानक से अपुन को शनाया का खयाल आ गया लौड़ा।
वो लौड़ी भी साली अलग ही बवासीर पाले हुए थी। अपुन को उसके बारे में शक तो था लेकिन असलियत इस तरह की होगी इसकी उम्मीद नहीं थी अपुन को। अपुन सोचने लगा कि क्या सच में वो अपुन से ऐसा ही चाहती है? क्या सच में वो गलत इरादे से ऐसा नहीं करना चाहती है?
बेटीचोद, साधना ने जो झटका दिया था उसके चलते अपुन को अब हर बाहरी लड़की से ऐसी ही शंका होने लग गईली थी और यही वजह भी थी कि अपुन ने शनाया के साथ इतना अच्छा मौका होने के बाद भी कुछ करने का नहीं सोचा था।
खैर अपुन ने सोचा कि क्यों बेकार में उसके बारे में सोच कर अपना भेजा खराब करे इस लिए मोबाइल निकाल कर नेट ऑन किया। नेट ऑन होते ही लौड़ा मैसेजेस की बरसात होने लग गई।
अमित और अनुष्का के तो थे ही लेकिन शनाया के भी थे। अपुन ने अमित को इग्नोर किया और सबसे पहले अनुष्का के मैसेज को ओपन किया। उसने लिख के भेजा था कि उसने साक्षी दी को सब कुछ बता दिया है और साक्षी दी ने उसकी हेल्प करने को भी कहा है। बोले तो साक्षी दी ने उससे प्रॉमिस तक किएला है कि वो उसके हसबैंड की जॉब हमारी कम्पनी में लगवा देगी। अनुष्का ने लास्ट में अपुन को थैंक्स भी लिख कर भेजा था।
अपुन ने सोचा चलो इस लौड़ी का काम तो हो गया। अब अपुन भी अपने बारे में थोड़ा सोचे। इस लिए उसको मैसेज लिखना शुरू किया।
अपुन (मैसेज) ─ थैंक्स से काम नहीं चलेगा दी। आपने प्रॉमिस किया था कि जीजा जी की जॉब लगने के बाद आप अपुन को मनचाही ट्रीट देंगी।
ये मैसेज भेजने के बाद अपुन ने शनाया का मैसेज ओपन किया। जाने क्यों उसका मैसेज ओपन करते ही अपुन की धड़कनें तेज हो गईं लौड़ा?
शनाया (पहला मैसेज) ─ सॉरी विराट, शायद तुम्हें मेरी बातें अच्छी नहीं लगीं।
शनाया (दूसरा मैसेज) ─ प्लीज ट्रस्ट मी, मुझे तुमसे उसके अलावा लाइफ में कभी कुछ नहीं चाहिए।
शनाया (तीसरा मैसेज) ─ प्लीज मुझे गलत मत समझो, मेरा दिल तुम्हें बहुत पसंद करता है इस लिए ये मेरे दिल की ही इच्छा है कि वो तुम्हें पूरी तरह अंदर तक फील करे।
शनाया (चौथा मैसेज) ─ मुझे पता है कि मेरी ये इच्छा जायज नहीं है और एक लड़की होने के नाते मुझे ऐसा सोचना भी नहीं चाहिए लेकिन अपने दिल के हाथों मजबूर हूं विराट। अकेले में यही सोचा करती हूं कि कितनी गलत चाहत पाले बैठी हूं मैं। एक ऐसे लड़के को अपना सब कुछ सौंप देना चाहती हूं जो कभी मेरा हो ही नहीं सकता। विराट, हर रोज अकेले में यही सब सोचती हूं लेकिन इसके बावजूद दिल यही चाहता है कि भले ही तुम हमेशा के लिए मेरे न बनो लेकिन मैं इसी से खुश हो जाऊंगी कि तुमने मेरे लिए अपनी एक रात सौगात में दे दी है।
शनाया (पांचवां मैसेज) ─ प्लीज विराट, मान जाओ न। तुम्हें हमारी दोस्ती की कसम। तुम जैसे चाहोगे, जहां चाहोगे वहां मैं चलूंगी। बस एक बार मुझे अंदर तक फील कर लेने दो तुम्हें। प्लीज कुछ तो रिप्लाई दो, कुछ तो बोलो। क्या मेरी इन बातों से नाराज हो गए हो?
शनाया के लंबे चौड़े मैसेजेस पढ़ के अपुन का दिमाग हैंग सा हो गयला था बेटीचोद। अपुन को समझ नहीं आ रेला था कि क्या करे? बोले तो अपुन समझ नहीं पा रेला था कि ऐसा वो सच में दिल से चाहती है या ये सब उसके किसी प्लान का हिस्सा है? साफ शब्दों में बोले तो ये, कि कहीं वो अपुन को फांसने के लिए ही तो इतना जोर नहीं लगा रेली है? लौड़ा कुछ भी हो सकता है।
अपुन काफी देर तक सोचता रहा इस बारे में। फिर अपुन ने सोचा कि किसी लफड़े के डर से अपुन भला कब तक इस तरह हर लड़की से भागता रहेगा? बोले तो ये जरूरी थोड़े है कि हर लड़की साधना जैसी सोच वाली होगी? हो सकता है कि शनाया ये सब सच में ही चाहती हो और उसके मन में अपुन को फांसने का कोई इरादा भी न हो। वैसे भी जब तक अपुन आगे बढ़ेगा नहीं तब तक अपुन को पता भी कैसे चलेगा कि शनाया ऐसा बिना किसी गलत इरादे के चाह रेली है या सच में ही वो ये सब अपने दिल के हाथों मजबूर हो के करना चाहती है?
एकाएक अपुन को खयाल आया कि अपुन को इतना डरना नहीं चाहिए क्योंकि अपुन के डैड अपुन के लिए कुछ भी कर सकते हैं। इस खयाल ने अपुन के अंदर का सारा डर पल में दूर कर दिया लौड़ा। बस, इसके बाद अपुन ने उसे मैसेज लिखना शुरू किया।
अपुन (पहला मैसेज) ─ सॉरी यार, सबके साथ डिनर कर रेला था इस लिए तेरा मैसेज नहीं देखा।
अपुन (दूसरा मैसेज) ─ और ये तू क्या क्या लिख के भेजी है अपुन को? क्या सच में पागल हो गई है तू?
बेटीचोद, एक मिनट के अंदर ही उसका मैसेज आ गया। हालांकि अपुन को लग भी रेला था कि कहीं वो अपुन के रिप्लाई का ही वेट न कर रेली हो।
शनाया (मैसेज) ─ मैं तो होश में हूं विराट लेकिन मेरा दिल शायद सच में तुम्हारे लिए पागल हो गया है। प्लीज अपनी इस पागल दोस्त की सिर्फ इतनी सी विश पूरी कर दो न।
अपुन को एकाएक खयाल आया कि अपुन को उससे मैसेज में ये सब बातें नहीं करनी चाहिए। साधना ने अपने मोबाइल में अपन दोनों की सारी चैटिंग सम्हाल के रखी थी। इस खयाल के आते ही अपुन एकदम से सम्हल गया लौड़ा और उसे मैसेज में सिर्फ इतना ही लिख कर भेजा कि कल कॉलेज में बात करेंगे इस बारे में। जवाब में उसने ओके लिखा और किस वाली इमोजी के साथ गुड नाइट लिख कर भेजा अपुन को।
अपुन ने एक गहरी सांस ली और मोबाइल में कोई अच्छी सी मूवी सर्च करने लगा लेकिन तभी वॉट्सएप मैसेज का एक और नोटिफिकेशन स्क्रीन पर उभरा। अपुन ने देखा कि मैसेज अपुन की जुड़वा बहन विधी का था। अपुन ने झट से उसे ओपन किया और देखा।
विधी ─ ही, सो गया क्या भाई?
अपुन ─ नहीं।
विधी ─ ओह! तो क्या कर रहा है?
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ अपनी जान को याद कर रेला है अपुन।
विधी ─ अच्छा, सच में?
अपुन ─ अपनी जान से झूठ क्यों बोलेगा अपुन?
विधी ─ हां मुझे पता है भाई। वैसे मुझे भी अपनी जान की बहुत याद आ रही है। क्या मैं अपनी जान के पास आ जाऊं?
विधी का ये मैसेज पढ़ते ही अपुन के अंदर हलचल शुरू हो गई लौड़ा। मन में बड़े रंगीन खयाल उभरने लग गए। दिल तेज तेज धड़कते हुए जैसे बोलने लगा कि हां उससे कह दे कि आ जाए वो।
अपुन (मैसेज) ─ अपनी जान के पास आने के लिए परमीशन नहीं ली जाती मेरी जान।
विधी ─ ऐसे न बोल वरना सच में भाग कर तेरे पास आ जाऊंगी।
अपुन ─ तो आ जा न। अपुन अपनी जान को बाहों में लेने के लिए तड़प रेला है।
विधी ─ हां, मैं भी।
अपुन ─ तो फिर आ जा न। देर क्यों कर रेली है?
विधी ─ वो मुझे डर लग रहा है कि कहीं नीचे से दी लोग न आ जाएं या मॉम न आ जाएं और....और दिव्या भी तो है तेरे सामने वाले रूम में।
अपुन ─ दिव्या की टेंशन न ले। वो तो अपन लोग के जैसे ही है। रही बात दी लोग की या मॉम की तो अपुन को नहीं लगता कि उनमें से कोई अब ऊपर आएंगी।
विधी ─ और अगर आ गईं तो?
अपुन ─ आ भी जाएंगी तो क्या हो जाएगा यार? अपन लोग कौन सा कोई गैर हैं। भाई बहन हैं और भाई बहन अगर एक रूम में एक ही बेड पर सो जाएंगे तो किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं होने वाली।
विधी ─ हां ये तो तू सही कह रहा है भाई पर पता नहीं क्यों मुझे डर सा लग रहा है।
अपुन ─ फिर तो तेरे डरने का एक ही मतलब हो सकता है। बोले तो शायद तू अपनी जान से ही डर रेली है।
विधी ─ नहीं भाई। तुझसे क्यों डरूंगी मैं?
अपुन ─ तो फिर कुछ मत सोच और झट से आ जा अपुन के पास।
विधी ─ ठीक है, लेकिन तेरे पास आने के बाद मेरा जैसा मन करेगा वैसे ही सोऊंगी, सोच ले।
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ हां ठीक है। अपुन वैसे भी अपनी जान को किसी बात के लिए न नहीं कहेगा।
विधी ─ फिर ठीक है। रुक, आ रही हूं।
अपुन समझ गया कि अब वो कुछ ही पलों में अपुन के रूम में आ जाएगी। उसके आने का सोच कर ही अपुन की धड़कनें तेज हो गईं बेटीचोद। मन में तरह तरह के खयाल आने लग गए। अभी अपुन ये सोच ही रेला था कि तभी अपुन के रूम का दरवाजा आहिस्ता से खुला और उसी आहिस्ता से अपुन की जान यानि विधी अंदर दाखिल हुई।
अंदर आने के बाद उसने दरवाजे को आहिस्ता से लेकिन कुंडी लगा कर बंद किया और फिर पलट कर अपुन को मुस्कुराते हुए देखने लगी।
उसने इस वक्त ऊपर एक छोटी सी टी शर्ट और नीचे छोटा सा ही निक्कर पहन रखा था जिसमें उसकी जांघों से ले कर नीचे पैरों तक पूरा खुला हुआ था। गोरी चिकनी जांघें और टांगें देखते ही अपुन के अंदर की हलचल में इजाफा हो गया। उधर वो कुछ पलों तक वैसे ही खड़ी अपुन को मुस्कुराते हुए देखती रही। फिर सहसा वो थोड़ा शरमाई और धीमे कदमों से बेड की तरफ आने लगी।
जैसे जैसे वो अपुन के करीब आती जा रेली थी वैसे वैसे अपुन की सांसें मानों थमती जा रेली थीं। छोटी सी टी शर्ट में उसके बूब्स की गोलाईयां साफ नजर आ रेली थीं। यहां तक कि जब वो अपुन के एकदम पास ही आ गई तो अपुन को टी शर्ट के ऊपर से ही उसके बूब्स के निपल्स भी दिखने लग गए। जाहिर है उसने इस वक्त टी शर्ट के अंदर ब्रा नहीं पहना था। बेटीचोद अपुन की तो सांसें ही अटक गईं।
विधी ─ ऐसे मत घूर न।
उसकी आवाज सुनते ही अपुन हड़बड़ा सा गया और बेड पर थोड़ा साइड में खिसक गया ताकि इस तरफ उसके लेटने के लिए जगह बन जाए। अपुन के खिसकते ही वो हौले से बेड के किनारे पर बैठ गई।
अपुन ─ तो अपुन की जान आ गई अपनी जान के पास?
विधी (हल्के से शर्मा कर) ─ हां, मेरा तो बहुत देर से मन कर रहा था तेरे पास आने का।
अपुन ─ तो चली आना था तुझे।
विधी ─ वो...मैं इस लिए नहीं आ रही थी कि कहीं तू मेरे साथ बदमाशी न करने लगे, हां नहीं तो।
ये कहने के साथ ही विधी शरारत से मुस्कुराई भी और थोड़ा शरमा भी गई। इधर अपुन भी उसकी इस बात पर मुस्कुरा उठा और साथ ही ये सोचने लगा कि लौड़ी जाने क्या क्या सोचती रहती है।
अपुन ─ तू गलत समझ रेली है। अपुन बदमाशी नहीं बल्कि अपनी जान को प्यार किया करता है।
विधी ─ अच्छा, कितना झूठ बोलता है। सब समझती हूं। बुद्धू नहीं हूं मैं, हां नहीं तो।
अपुन ─ चल अपुन झूठा ही सही लेकिन तू बता, क्या तुझे अपुन की बदमाशी से प्रॉब्लम है?
विधी ये सुन कर शर्माने लगी। उसके गुलाबी होठों पर उभरी मुस्कान और भी गहरी हो गई। जब उसे अपुन से नजरें मिलाने में झिझक सी होने लग गई तो वो बिना कुछ कहे लेकिन मुस्कुराते हुए अपुन के बगल से बेड पर लेट गई।
अपुन ─ क्या हुआ? बता न क्या तुझे अपुन की बदमाशी से प्रॉब्लम है?
विधी (शर्माते हुए) ─ हां नहीं है प्रॉब्लम। चल अब खुश हो जा। गंदा कहीं का, हां नहीं तो।
कहने के साथ ही वो मुस्कुराते हुए एकदम से खिसक कर पास आई और अपुन से चिपक गई। उसके बिना ब्रा वाले बूब्स साइड से अपुन के बाजू में चुभ गए जिसके चलते पलक झपकते ही अपुन के समूचे जिस्म में झुरझुरी दौड़ गई लौड़ा।
अपुन ─ अच्छा, अपुन को गंदा बोल रेली है और तू खुद क्या है?
विधी शर्मा कर अपुन से और भी ज्यादा छुपक गई और फिर अपुन के सीने पर अपनी एक उंगली हल्के से घुमाते हुए बोली।
विधी ─ हां तू गंदा ही है और मैं तो सबसे अच्छी हूं, हां नहीं तो।
अपुन उसकी इस बात पर हल्के से हंस पड़ा तो वो भी हंस पड़ी। फिर अपुन से छुपके हुए ही उसने अपना चेहरा थोड़ा ऊपर किया और बोली।
विधी ─ एक बात बता, अगर दिव्या भी इस वक्त यहां आ गई तब हम क्या करेंगे?
अपुन ─ वही जो अभी कर रेले हैं। बोले तो जैसे तू अपुन के साथ चिपक के लेटी हुई है वैसे ही वो भी दूसरी तरफ से अपुन से चिपक के लेट जाएगी।
विधी ने ये सुन कर हल्के से अपुन को मारा और फिर मुस्कुराते हुए बोली।
अपुन ─ कुछ भी बोलता है। क्या तुझे शर्म नहीं आएगी उसे भी इस तरह चिपका लेने से?
अपुन ─ इसमें शर्म आने जैसी क्या बात है? क्या इस वक्त तुझे शर्म आ रेली है अपुन से इस तरह चिपके हुए लेटने पर?
विधी ─ नहीं तो।
अपुन ─ तो फिर ऐसा क्यों कहा तूने?
विधी ─ वो...वो मैंने तो ऐसे ही कह दिया था। मतलब कि हम भाई बहन तो है लेकिन गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड भी तो हैं न?
अपुन ─ हां तो?
विधी ─ तो क्या? मतलब क्या तुझे इसमें कुछ भी ऐसा वैसा नहीं लगता? वैसे तो मुझे नासमझ कहता है जबकि तू खुद ही नासमझ और बुद्धू है, हां नहीं तो।
अपुन समझ रेला था कि उसके ये सब कहने का मतलब क्या था। वो खुल कर बोलने में शायद झिझक रेली थी या शर्मा रेली थी। इधर उसके इस तरह चिपके होने से अपुन के अंदर जबरदस्त हलचल मच गईली थी। अपुन का मन अब उतावला सा होने लग गयला था।
अपुन ─ अच्छा ये सब छोड़। अपुन को अपनी जान के होठ चूमना है।
अपुन की ये बात सुनते ही वो बुरी तरह शर्मा गई और अपना चेहरा अपुन के सीने में छुपाने लगी। फिर उसी पोजिशन में बोली।
विधी ─ देखा, बदमाशी करने पर उतर आया न तू?
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ यार इसमें बदमाशी करने वाली तो कोई बात ही नहीं है। अपुन तो अपनी जान के मीठे मीठे होठों को चूमने की बात कर रेला है। अच्छा सच सच बता, क्या तेरा मन नहीं कर रहा ऐसा करने को?
विधी ने शर्माते हुए थोड़ा सा चेहरा ऊपर किया और फिर बोली।
विधी ─ हां नहीं कर रहा। अब बोल, हां नहीं तो।
अपुन ─ अपुन बोलेगा नहीं, बल्कि करेगा।
अपुन की बात सुनते ही विधी एकदम से चौंकी और हैरानी से अभी देखने ही लगी थी कि अपुन थोड़ा सा उसकी तरफ घूमा और एक हाथ से उसका चेहरा थाम कर अपने होठ उसके गुलाब की पंखुड़ियों पर रख दिए। अपुन ने साफ महसूस किया कि ऐसा करते ही विधी का समूचा जिस्म कांप गयला था। हालांकि उसने कोई विरोध नहीं किया बल्कि वो उसी पोजिशन में लेटी रही।
अपुन ने पहले तो दो तीन बार उसके नाजुक और रसीले होठों को चूमा और फिर उन्हें मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया। अपुन के ऐसा करते ही विधी का जिस्म मानो गनगना उठा। मदहोशी और बेचैनी में उसने झट से अपुन का चेहरा थाम लिया और खुद भी धीरे धीरे अपुन के होठ चूसने की कोशिश करने लगी। दो तीन मिनट में ही अपन दोनों की सासें फूलने लगीं और गर्मी फील होने लग गई।
अपन दोनों की ही पोजिशन थोड़ा अजीब थी जिससे लेटे लेटे स्मूच करने में प्रॉब्लम होने लग गईली थी। अपुन उसके होठों को छोड़ अलग हुआ और उसे सीधा लिटा कर खुद उसके ऊपर आ गया।
विधी शायद इतने में ही मदहोश हो गईली थी जिसके चलते उसकी आँखें बंद थीं। उसके होठों पर उसके आस पास अपन दोनों का ही थूक लग गयला था जिससे चेहरा अजीब सा दिखने लगा था।
अपुन ─ आँखें खोल न मेरी जान।
अपुन की आवाज सुनते ही विधी के जिस्म में झुरझुरी सी हुई लेकिन उसने आँखें नहीं खोली बल्कि शर्म से मुस्कुरा कर बोली।
विधी ─ न..नहीं।
अपुन ─ क्यों?
विधी ─ म...मुझे बहुत शर्म आ रही है।
अपुन ─ एक बार अपनी जान को देख तो सही।
विधी ने आँखें खोलने की कोशिश की लेकिन शायद शर्म की वजह से उसकी हिम्मत नहीं हो रेली थी। अतः बोली।
विधी ─ नहीं भाई, मुझे शर्म आ रही है।
अपुन को बड़ी हैरानी हुई उसकी ये हालत देख कर। समझ ही न आया कि ऐसा कैसे हो सकता है? ऐसा भी नहीं था कि अपन दोनों ये पहली बार कर रेले थे। फिर आज उसके इतना ज्यादा शर्माने का क्या कारण हो सकता था? जब अपुन को कुछ न सूझा तो अपुन ने सोचा क्यों बेकार में भेजा फ्राई करे। अभी जो करने का मन मचल रेला है वहीं करना चाहिए बेटीचोद।
अपुन झुका और एक बार फिर से उसके होठों को मुंह में भर लिया। विधी का जिस्म इस बार कुछ ज्यादा ही थरथरा उठा। इस बार अपुन के जिस्म का थोड़ा सा भार उसके ऊपर भी पड़ गया जिसके चलते उसके बूब्स अपुन के सीने में थोड़ा धंस गए। नीचे तरफ अपुन का खड़ा लन्ड विधी के निचले हिस्से से थोड़ा उठा हुआ था।
अपुन मजे से उसके होठ चूस रेला था। कुछ पलों तक तो विधी बुत सी लेटी रही लेकिन जल्दी ही उसने भी हरकत करनी शुरू कर दी। जिस तरह अपुन उसके होठों को चूसने की कोशिश कर रेला था वैसे ही वो भी कर रेली थी। उसके दोनों हाथ अपुन के सिर और गर्दन के पिछले साइड घूम रेले थे।
अपुन के अंदर हर गुजरते पल के साथ मजे की तरंगें बढ़ती जा रेली थीं। बोले तो हवस का नशा बढ़ता जा रेला था और जोश भी। उसी जोश के चलते अपुन अब उसके होठों को और भी जोर जोर से चूसने लग गयला था। नीचे लेटी विधी कभी अपुन के होठों को चूसने की कोशिश करती तो कभी कसमसा कर सिर्फ अपुन के सिर को भींचने लगती।
सांस फूल जाने की वजह से अपुन ने उसके होठों को छोड़ा और उसके चेहरे को चूमने लगा। विधी मचलते हुए अपना चेहरा इधर उधर करने लगी।
अपुन (मदहोशी में) ─ ओह! मेरी जान, तेरे होठ सच में बहुत मीठे हैं। मन करता है सारी रात इन्हें चूसता ही रहे अपुन।
विधी ─ मु...मुझे कुछ हो...र रहा है भाई।
अपुन ─ क्या हो रेला है मेरी जान को, हां?
विधी ─ प..पता नहीं भाई। अजीब सा लग रहा है।
अपुन जानता था कि इतना सब होने के चलते उसके अंदर के हार्मोंस चरम पर पहुंच रेले थे जिसके चलते उसके अंदर अजीब सी हलचल हो रेली होगी।
अपुन ─ और क्या मेरी जान को इससे अच्छा भी लग रेला है?
विधी ─ ह..हां भाई। प्लीज फिर से कर न।
अपुन ─ क्या करे अपुन?
विधी ─ म...मेरे लि..लिप्स को चू..चूम न।
अपुन ─ और क्या करे अपुन?
विधी ─ मुझे न...नहीं पता। तेरा जो मन करे...कर।
अपुन उसकी बातें सुन कर और भी ज्यादा जोश में आ गया। अपुन की भोली भाली और मासूम बहन सेक्स वाली फीलिंग्स में डूब गईली थी।
अपुन ने झट से उसके कांपते होठों को मुंह में भर लिया। अपुन के ऐसा करते ही विधी का जिस्म थरथराया और साथ ही इस बार उसने अपुन का चेहरा थाम कर थोड़ा तेजी से अपुन के होठों को चूसने की कोशिश करने लगी। इस बार मजे की तरंग कुछ ज्यादा ही अपुन के जिस्म में उठी बेटीचोद।
अगले ही पल अपुन पूरे जोश के साथ उसके होठों को चूसने लगा और अपना एक हाथ एकदम से नीचे ला कर उसके राइट बूब को पकड़ लिया। उफ्फ बिना ब्रा का बूब जैसे ही अपुन के हाथ में आया तो अपुन को अदभुत एहसास हुआ और उधर विधी का समूचा जिस्म बुरी तरह कांप गया और इतना ही नहीं वो मचल भी गई लौड़ी।
अपुन ─ ओह! मेरी जान तेरा ये बूब कितना सॉफ्ट है। बोले तो अपुन को बहुत अच्छा फील हो रेला है इसे पकड़ के।
विधी ये सुन कर मचल उठी और अपुन के उस हाथ पर अपना हाथ रख कर जैसे बड़ी मुश्किल से बोली।
विधी ─ भ...भाई मत कर न।
अपुन ─ करने दे न मेरी जान। अपुन का बहुत मन कर रेला है कि अपुन अपनी जान को हर तरह से प्यार करे।
विधी ─ क..क्या मतलब है तेरा?
अपुन ─ मतलब तो अभी अपुन को भी नहीं पता यार लेकिन इतना पता है कि अपुन का मन तुझे बहुत ज्यादा प्यार करने का कर रेला है। क्या तेरा मन नहीं कर रहा कि तू अपुन को भी बहुत ज्यादा प्यार करे?
विधी ─ म..मैं कर तो रही हूं भाई। तू बता और कैसे करूं?
अपुन ─ तुझसे जैसे बने तू करती जा और हां अपुन जो भी करे उसे करने दे।
विधी ─ प..पर भाई ये ग..गलत है न?
अपुन ─ प्यार करना कभी गलत नहीं होता मेरी जान। दूसरी बात ये कि जो करने से अपन लोग को अच्छा फील आए और जिससे खुशी मिले वो ही करना चाहिए।
विधी ─ अ..और किसी को पता चल गया तो? कोई ग..गड़बड़ हो गई तो?
अपुन ─ कुछ नहीं होगा। तुझे अपुन पर भरोसा है न?
विधी ─ हां, खुद से भी ज्यादा भरोसा है तुझ पर।
अपुन ─ तो फिर बस, ये समझ कि अपुन अपनी जान के साथ कुछ भी गड़बड़ नहीं होने देगा।
विधी ─ तू सच कह रहा है न?
अपुन ─ हां, तेरी कसम। तू जानती है कि अपुन अपनी जान की कसम कभी नहीं तोड़ सकता।
विधी के चेहरे पर संतुष्टि के भाव उभरे। बड़ी ही मोहब्बत भरी नजर से देखा उसने अपुन को। उसकी आंखों में अभी भी मदहोशी थी और चेहरे पर शर्म के भाव। अपुन ने झुक कर प्यार से पहले उसके माथे को चूमा और फिर उसके होठों को चूमने चूसने लगा।
एक बार फिर से समूचे जिस्म में मजे की लहरें दौड़ने लगीं। एक बार फिर से विधी की हालत खराब होने लगी। इधर अपुन का हाथ जो पहले से ही उसके राइट बूब पर था उसने बूब को पकड़ा और हौले से दबाया तो अपुन को मजे का एक अलग ही आभास हुआ। उधर विधी अपना बूब दबाए जाने से एकदम से मचल उठी। इस बार उसने अपुन के उस हाथ पर अपन हाथ नहीं रखा बल्कि अपुन के सिर के बालों को पकड़ कर मानो नोचने लगी।
अपुन कुछ देर तक उसके होठों को चूमता चूसता रहा उसके बाद उसके गालों को चूमते हुए उसके गले पर आया। अपुन एक हाथ से अभी भी उसका बूब दबाए जा रेला था। उधर जैसे ही होठ आजाद हुए विधी की सिसकियां उभरने लगीं।
अपुन को बेतहाशा मजा आ रेला था। उसके गले को चूमते चाटते अपुन थोड़ा और नीचे आया जहां पर उसकी डीप गले वाली टी शर्ट से उसकी छातियों का हिस्सा दिख रेला था।
दूध की तरह गोरे चिकने उस हिस्से को अपुन जीभ से चाटने लगा तो विधी और भी ज्यादा मचलने लगी।
विधी ─ शश्श्श्श ये...ये क्या कर रहा है भाई? बहुत गुदगुदी हो रही है मुझे।
अपुन ─ और क्या मजा नहीं आ रेला है तुझे?
विधी ─ ह...हां भाई, मजा भी आ रहा है।
अपुन फिर से झुक कर जीभ से उसकी छातियों के उभार वाले हिस्से से बस थोड़ा ही ऊपर चाटने लगा। सहसा अपुन की नजर उस जगह पड़ी जहां पर अपुन एक हाथ से उसका राइट बूब दबा रेला था। जब अपुन उसका दूध दबाता तो उसके बूब के किनारे फैल से जाते जिससे टी शर्ट के खुले हिस्से तक वो उभार पहुंच जाता।
अपुन थोड़ा सा नीचे खिसका और अच्छे से घुटने के बल बैठ कर लेकिन झुक कर इस बार दोनों हाथों से उसके दोनों बूब्स पकड़ लिए। अपुन के ऐसा करते ही विधी मचल उठी और साथ ही उसकी सिसकी निकल गई। इधर अपुन ने जैसे ही एक साथ दोनों बूब्स को दबाया तो उसके ऊपरी हिस्से यानी किनारे उभर कर टी शर्ट के बाहर दिखें लगे। अपुन ने झट से चेहरा ले जा कर उस उभरे हिस्से को चूम लिया और फिर जीभ निकाल कर उसके दरार पर नीचे से ऊपर घुमाया तो विधी और भी ज्यादा मचल उठी।
विधी ─ शश्श्श्श भ..भाई। मत कर न। गुदगुदी हो रही है।
अपुन ─ तेरे ये बूब्स बहुत अच्छे हैं मेरी जान। जब दबाने में इतना अच्छा फील हो रेला है तो इन्हें पीने में कितना अच्छा लगेगा।
विधी (बुरी तरह शर्मा कर) ─ धत, ये क्या कह रहा है भाई? ऐसे मत बोल न।
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ विधी, मेरी जान। अपुन को अपनी जान के दुधू पीने हैं। प्लीज पिला दे न।
अपुन की बात सुन कर इस बार मानो विधी का शर्म से बुरा हाल हो गया। उसने बेड पर आँखें बंद किए अपने चेहरे को दोनों हथेलियों से छुपा लिया, फिर बोली।
विधी ─ नहीं न भाई। प्लीज ऐसे मत बोल, मुझे बहुत शर्म आ रही है।
अपुन ─ अरे! तू तो अपुन की जान है। तुझसे क्या शर्माना? अच्छा सुन न, अपुन तेरी इस टी शर्ट को ऊपर कर रेला है।
विधी ने झटके से अपने चेहरे पर से हथेलियां हटाईं और आँखें खोल कर अपुन को देखा। उसके चेहरे पर शर्म तो थी ही लेकिन अब घबराहट के भाव भी उभर आएले थे।
विधी ─ ये...ये क्या कह रहा है तू? प्लीज ऐसा मत कर न। ये गलत है न?
अपुन ─ तू कहेगी तो कुछ भी नहीं करेगा अपुन लेकिन क्या तू चाहती है कि तेरी जान किसी चीज के लिए मायूस और निराश हो जाए?
विधी ─ नहीं, मैं ऐसा कभी नहीं चाहूंगी भाई पर समझने की कोशिश कर। मुझे बहुत शर्म आ रही है।
अपुन ─ तू बस अपनी आँखें बंद कर ले और चुपचाप लेट जा। प्लीज मेरी जान, अपुन का बहुत मन कर रेला है तेरे गोरे गोरे खूबसूरत बूब्स देखने का और उन्हें चूमने का। प्लीज करने दे न।
विधी शर्म से लाल पड़े अपने चेहरे से अपुन को देखती रही। उसके चेहरे पर बहुत ज्यादा उलझन और कशमकश के भाव उभरे थे। शायद वो समझ नहीं पा रेली थी कि क्या करे और क्या न करे? एक तरफ वो अपुन को निराश भी नहीं करना चाहती थी तो दूसरी तरफ मारे शर्म के उससे ये हो भी नहीं रेला था। फिर जैसे उसने कोई निर्णय लिया।
विधी ─ तुझे पता है मैं तुझसे बहुत प्यार करती हूं इस लिए तुझे किसी बात के लिए इंकार नहीं करना चाहती।
अपुन ─ अपुन भी तुझे बहुत प्यार करता है मेरी जान। तभी तो अपन दोनों एक दूसरे के इतना करीब हैं। बाकी तू टेंशन न ले और भरोसा रख। अपुन ऐसा कुछ भी नहीं करेगा जिससे अपन दोनों के साथ कोई गड़बड़ हो जाए।
विधी ─ ठीक है। कर ले जो तेरा मन कर रहा है।
कहने के साथ ही विधी वापस लेट गई। इधर अपुन भी खुश हो गया लौड़ा। हालांकि अपुन की धड़कनें बहुत तेज चल रेली थीं और ये डर भी सता रेला था कि कहीं कोई आ न जाए लेकिन मन में विधी के बूब्स देखने और उन्हें चूमने चूसने की इतनी ज्यादा लालसा थी कि अपुन कुछ भी करने को जैसे तैयार हो गयला था।
विधी का चेहरा शर्म से सुर्ख पड़ा हुआ था। उसकी सांसें तेज तेज चल रेली थीं जिससे उसके बूब्स ऊपर नीचे हो रेले थे। अपुन की नजरें उन्हीं पर टिकी थीं लौड़ा। विधी जब ज्यादा देर तक अपुन से नजरें न मिलाए रह सकी तो उसने अपनी आँखें बंद कर ली।
अपुन जानता था कि वो जितना शर्मा रेली है उतना ही अंदर से घबरा भी रेली है। उसकी टी शर्ट का निचला हिस्सा थोड़ा ऊपर उठ गयला था जिससे उसका गोरा चिकना और सपाट पेट साफ दिख रेला था। पेट के बीच में उसकी खूबसूरत छोटी सी नाभी चमक रेली थी। अपुन का मन मचल उठा तो अपुन झट से झुका और उसके पेट को हौले से चूम लिया। अपुन के ऐसा करते ही विधी का समूचा जिस्म थरथरा उठा और उसके मुख से हल्की सी सिसकी निकल गई।
अपुन ने उसके पूरे पेट में जगह जगह चूमा और फिर उसकी नाभि के चारों तरफ जीभ घुमाने लगा जिससे विधी बुरी तरह मचलने लगी।
विधी ─ शश्श्श्श भाई।
अपुन ─ क्या हुआ मेरी जान को?
विधी ─ तू ऐसे कर रहा है तो बहुत ज्यादा गुदगुदी हो रही है।
अपुन ─ और क्या अच्छा नहीं लग रेला है?
विधी ─ हम्म्म अच्छा भी लग रहा है।
अपुन मुस्कुराते हुए फिर से झुका और इस बार सीधा उसकी नाभि में जीभ को नुकीला कर के डाल दिया जिससे विधी एकदम से चिहुंक ही उठी। उसने झट से अपने दोनों हाथ अपुन के सिर पर रख दिए।
विधी ─ शश्श्श्श।
अपुन उसकी नाभि में जीभ को लपलपाते हुए कभी घुसेड़ता तो कभी बाहर से चारों तरफ घुमाता। उधर विधी मजे के तरंग में डूब कर अपुन के बालों को नोचने लगी और साथ ही सिसकियां लेने लगी।
कुछ देर तक अपुन ने यही किया उसके बाद अपुन ने अपना एक हाथ बढ़ा कर उसकी टी शर्ट के निचले हिस्से को पकड़ा और आहिस्ता से ऊपर करना शुरू किया। उफ्फ उसका गोरा चिकना नाजुक बदन अपुन की आंखों के सामने उजागर होने लग गया लौड़ा।
अपुन सोच भी नहीं सकता था कि विधी कपड़ों के अंदर इतनी गोरी और चिकनी होगी। उधर विधी को भी आभास हो गया कि अपुन उसकी टी शर्ट को ऊपर करने लगा है जिससे उसने अपने हाथों को अपुन के सिर से हटा कर झट से अपने सीने पर रख लिया। जैसे जाहिर कर रही हो कि प्लीज मुझे नंगा न करो लेकिन अपुन उसकी इस मंशा को इग्नोर किया और उसकी टी शर्ट को उठाता ही चला गया।
कुछ ही पलों में अपुन को उसके बूब्स के निचले हिस्से दिखने लगे। अपुन की सांसें मानों थमने लगीं लौड़ा। सचमुच उसने अंदर ब्रा नहीं पहन रखी थी। धाड़ धाड़ बजती अपनी धड़कनों के साथ अपुन ने उसकी टी शर्ट को थोड़ा और ऊपर तक सरकाया तो इस बार उसके आधे से ज्यादा बूब्स दिखने लगे। इसके आगे विधी ने अपने हाथों को रखा हुआ था इस लिए टी शर्ट को अपुन ऊपर नहीं कर सकता था।
अपुन ─ अपना हाथ हटा न मेरी जान।
विधी ─ नहीं न भाई। प्लीज, बहुत शर्म आ रही है मुझे।
अपुन ने झुक कर उसके दोनों हाथों को बारी बारी से चूमा और फिर प्यार से उन्हें पकड़ कर उसके बूब्स के बाकी हिस्से से हटाया। उसने हल्का विरोध किया लेकिन आखिर उसने हटा ही लिया। जैसे ही उसका हाथ हटा अपुन ने फिर से उसकी टी शर्ट को ऊपर सरकाना शुरू कर दिया।
उफ्फ! अगले ही पल उसके बूब्स के बादामी रंग के निपल्स दिखने लगे। उन्हें देखते ही अपुन का गला सूख गया लौड़ा। उधर विधी को इतनी ज्यादा शर्म आई कि उसने झट से अपना चेहरा अपनी दोनों हथेलियों से छुपा लिया। उसकी ऊपर नीचे होती छातियां इस बात का सबूत थीं कि उसकी धड़कनें कितनी ज्यादा बढ़ गईली थीं।
अपुन ─ उफ्फ! तू सच में बहुत खूबसूरत है मेरी जान। तेरे ये गोरे गोरे और गोल गोल बूब्स दुनिया की सबसे सुंदर चीजों में से एक हैं।
विधी ─ प..प्लीज कुछ मत बोल भाई।
सच तो ये था बेटीचोद कि विधी के इतने सुंदर बूब्स देख के अपुन होश खोने लग गयला था। उधर उसके बूब्स जैसे अपुन को आमंत्रित कर रेले थे कि आओ और जल्दी से हमें मुंह में भर चूसना शुरू कर दो।
अपुन ने भी उनका इन्विटेशन एक्सेप्ट करने में देरी नहीं की लौड़ा। अगले ही पल अपुन ने उसकी टी शर्ट को थोड़ा और ऊपर सरकाया और फिर उसके बूब्स को दोनों हाथों में थामने के लिए हाथ बढ़ाया। अभी अपुन के दोनों हाथ उसके बूब्स के करीब ही पहुंचे थे कि तभी किसी ने रूम का दरवाजा हल्के से थपथपाया।
दरवाजे पर हुई इस थपथपाहट को सुनते ही अपुन बुरी तरह चौंक गया। उधर विधी ने भी शायद सुन लिया था इस लिए वो भी बुरी तरह उछल पड़ी। बुरी तरह घबरा कर वो एक झटके से उठ बैठी और फिर जल्दी जल्दी अपनी टी शर्ट को नीचे सरका अपने नंगे बूब्स को छुपाने लगी।
इधर अपुन के होश उड़ गएले थे और गांड़ अलग से फट गईली थी। मन में एक ही सवाल उभरा कि बेटीचोद कौन हो सकता है बाहर?
To be continued....
Nice update....
Update ~ 25
मॉम ─ अच्छा ठीक है प्रभू। अभी आप शांति से डिनर कीजिए।
उसके बाद सब शांति से डिनर करने लगे लेकिन अपुन को यकीन था कि साक्षी दी के मन की शान्ति उड़ गईली थी। उन्हें पक्का यकीन हो गया होगा कि डैड के प्रॉमिस करने के बाद अपुन उन्हें ही टार्गेट करेगा। वैसे ये सच भी था लेकिन पूरी तरह नहीं।
अब आगे....
डिनर के बाद अपुन अपने रूम में आ गया। डैड और अपुन के बीच अभी थोड़ी देर पहले जिस तरह की बातें हुईं थी उससे अपुन का कॉन्फिडेंस कुछ ज्यादा ही बढ़ गया फील हो रेला था। अपुन का मन करने लग गयला था कि अभी साक्षी दी के पास जाए और उनको अपनी बाहों में भर ले पर लौड़ा ये सोचना भले ही आसान था लेकिन करना बहुत मुश्किल। वैसे भी वो अपुन से बात करने की तो बात दूर अपुन की तरफ देख भी नहीं रेली थीं। अपुन सोचने लगा कि इस बारे ने अब कुछ तो करना ही पड़ेगा बेटीचोद।
अपुन ने दरवाजा ऐसे ही बंद किया और फिर आ कर बेड पर लेट गया। कुछ देर तो अपुन डैड वाली बातें ही सोचता रहा लेकिन फिर अचानक से अपुन को शनाया का खयाल आ गया लौड़ा।
वो लौड़ी भी साली अलग ही बवासीर पाले हुए थी। अपुन को उसके बारे में शक तो था लेकिन असलियत इस तरह की होगी इसकी उम्मीद नहीं थी अपुन को। अपुन सोचने लगा कि क्या सच में वो अपुन से ऐसा ही चाहती है? क्या सच में वो गलत इरादे से ऐसा नहीं करना चाहती है?
बेटीचोद, साधना ने जो झटका दिया था उसके चलते अपुन को अब हर बाहरी लड़की से ऐसी ही शंका होने लग गईली थी और यही वजह भी थी कि अपुन ने शनाया के साथ इतना अच्छा मौका होने के बाद भी कुछ करने का नहीं सोचा था।
खैर अपुन ने सोचा कि क्यों बेकार में उसके बारे में सोच कर अपना भेजा खराब करे इस लिए मोबाइल निकाल कर नेट ऑन किया। नेट ऑन होते ही लौड़ा मैसेजेस की बरसात होने लग गई।
अमित और अनुष्का के तो थे ही लेकिन शनाया के भी थे। अपुन ने अमित को इग्नोर किया और सबसे पहले अनुष्का के मैसेज को ओपन किया। उसने लिख के भेजा था कि उसने साक्षी दी को सब कुछ बता दिया है और साक्षी दी ने उसकी हेल्प करने को भी कहा है। बोले तो साक्षी दी ने उससे प्रॉमिस तक किएला है कि वो उसके हसबैंड की जॉब हमारी कम्पनी में लगवा देगी। अनुष्का ने लास्ट में अपुन को थैंक्स भी लिख कर भेजा था।
अपुन ने सोचा चलो इस लौड़ी का काम तो हो गया। अब अपुन भी अपने बारे में थोड़ा सोचे। इस लिए उसको मैसेज लिखना शुरू किया।
अपुन (मैसेज) ─ थैंक्स से काम नहीं चलेगा दी। आपने प्रॉमिस किया था कि जीजा जी की जॉब लगने के बाद आप अपुन को मनचाही ट्रीट देंगी।
ये मैसेज भेजने के बाद अपुन ने शनाया का मैसेज ओपन किया। जाने क्यों उसका मैसेज ओपन करते ही अपुन की धड़कनें तेज हो गईं लौड़ा?
शनाया (पहला मैसेज) ─ सॉरी विराट, शायद तुम्हें मेरी बातें अच्छी नहीं लगीं।
शनाया (दूसरा मैसेज) ─ प्लीज ट्रस्ट मी, मुझे तुमसे उसके अलावा लाइफ में कभी कुछ नहीं चाहिए।
शनाया (तीसरा मैसेज) ─ प्लीज मुझे गलत मत समझो, मेरा दिल तुम्हें बहुत पसंद करता है इस लिए ये मेरे दिल की ही इच्छा है कि वो तुम्हें पूरी तरह अंदर तक फील करे।
शनाया (चौथा मैसेज) ─ मुझे पता है कि मेरी ये इच्छा जायज नहीं है और एक लड़की होने के नाते मुझे ऐसा सोचना भी नहीं चाहिए लेकिन अपने दिल के हाथों मजबूर हूं विराट। अकेले में यही सोचा करती हूं कि कितनी गलत चाहत पाले बैठी हूं मैं। एक ऐसे लड़के को अपना सब कुछ सौंप देना चाहती हूं जो कभी मेरा हो ही नहीं सकता। विराट, हर रोज अकेले में यही सब सोचती हूं लेकिन इसके बावजूद दिल यही चाहता है कि भले ही तुम हमेशा के लिए मेरे न बनो लेकिन मैं इसी से खुश हो जाऊंगी कि तुमने मेरे लिए अपनी एक रात सौगात में दे दी है।
शनाया (पांचवां मैसेज) ─ प्लीज विराट, मान जाओ न। तुम्हें हमारी दोस्ती की कसम। तुम जैसे चाहोगे, जहां चाहोगे वहां मैं चलूंगी। बस एक बार मुझे अंदर तक फील कर लेने दो तुम्हें। प्लीज कुछ तो रिप्लाई दो, कुछ तो बोलो। क्या मेरी इन बातों से नाराज हो गए हो?
शनाया के लंबे चौड़े मैसेजेस पढ़ के अपुन का दिमाग हैंग सा हो गयला था बेटीचोद। अपुन को समझ नहीं आ रेला था कि क्या करे? बोले तो अपुन समझ नहीं पा रेला था कि ऐसा वो सच में दिल से चाहती है या ये सब उसके किसी प्लान का हिस्सा है? साफ शब्दों में बोले तो ये, कि कहीं वो अपुन को फांसने के लिए ही तो इतना जोर नहीं लगा रेली है? लौड़ा कुछ भी हो सकता है।
अपुन काफी देर तक सोचता रहा इस बारे में। फिर अपुन ने सोचा कि किसी लफड़े के डर से अपुन भला कब तक इस तरह हर लड़की से भागता रहेगा? बोले तो ये जरूरी थोड़े है कि हर लड़की साधना जैसी सोच वाली होगी? हो सकता है कि शनाया ये सब सच में ही चाहती हो और उसके मन में अपुन को फांसने का कोई इरादा भी न हो। वैसे भी जब तक अपुन आगे बढ़ेगा नहीं तब तक अपुन को पता भी कैसे चलेगा कि शनाया ऐसा बिना किसी गलत इरादे के चाह रेली है या सच में ही वो ये सब अपने दिल के हाथों मजबूर हो के करना चाहती है?
एकाएक अपुन को खयाल आया कि अपुन को इतना डरना नहीं चाहिए क्योंकि अपुन के डैड अपुन के लिए कुछ भी कर सकते हैं। इस खयाल ने अपुन के अंदर का सारा डर पल में दूर कर दिया लौड़ा। बस, इसके बाद अपुन ने उसे मैसेज लिखना शुरू किया।
अपुन (पहला मैसेज) ─ सॉरी यार, सबके साथ डिनर कर रेला था इस लिए तेरा मैसेज नहीं देखा।
अपुन (दूसरा मैसेज) ─ और ये तू क्या क्या लिख के भेजी है अपुन को? क्या सच में पागल हो गई है तू?
बेटीचोद, एक मिनट के अंदर ही उसका मैसेज आ गया। हालांकि अपुन को लग भी रेला था कि कहीं वो अपुन के रिप्लाई का ही वेट न कर रेली हो।
शनाया (मैसेज) ─ मैं तो होश में हूं विराट लेकिन मेरा दिल शायद सच में तुम्हारे लिए पागल हो गया है। प्लीज अपनी इस पागल दोस्त की सिर्फ इतनी सी विश पूरी कर दो न।
अपुन को एकाएक खयाल आया कि अपुन को उससे मैसेज में ये सब बातें नहीं करनी चाहिए। साधना ने अपने मोबाइल में अपन दोनों की सारी चैटिंग सम्हाल के रखी थी। इस खयाल के आते ही अपुन एकदम से सम्हल गया लौड़ा और उसे मैसेज में सिर्फ इतना ही लिख कर भेजा कि कल कॉलेज में बात करेंगे इस बारे में। जवाब में उसने ओके लिखा और किस वाली इमोजी के साथ गुड नाइट लिख कर भेजा अपुन को।
अपुन ने एक गहरी सांस ली और मोबाइल में कोई अच्छी सी मूवी सर्च करने लगा लेकिन तभी वॉट्सएप मैसेज का एक और नोटिफिकेशन स्क्रीन पर उभरा। अपुन ने देखा कि मैसेज अपुन की जुड़वा बहन विधी का था। अपुन ने झट से उसे ओपन किया और देखा।
विधी ─ ही, सो गया क्या भाई?
अपुन ─ नहीं।
विधी ─ ओह! तो क्या कर रहा है?
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ अपनी जान को याद कर रेला है अपुन।
विधी ─ अच्छा, सच में?
अपुन ─ अपनी जान से झूठ क्यों बोलेगा अपुन?
विधी ─ हां मुझे पता है भाई। वैसे मुझे भी अपनी जान की बहुत याद आ रही है। क्या मैं अपनी जान के पास आ जाऊं?
विधी का ये मैसेज पढ़ते ही अपुन के अंदर हलचल शुरू हो गई लौड़ा। मन में बड़े रंगीन खयाल उभरने लग गए। दिल तेज तेज धड़कते हुए जैसे बोलने लगा कि हां उससे कह दे कि आ जाए वो।
अपुन (मैसेज) ─ अपनी जान के पास आने के लिए परमीशन नहीं ली जाती मेरी जान।
विधी ─ ऐसे न बोल वरना सच में भाग कर तेरे पास आ जाऊंगी।
अपुन ─ तो आ जा न। अपुन अपनी जान को बाहों में लेने के लिए तड़प रेला है।
विधी ─ हां, मैं भी।
अपुन ─ तो फिर आ जा न। देर क्यों कर रेली है?
विधी ─ वो मुझे डर लग रहा है कि कहीं नीचे से दी लोग न आ जाएं या मॉम न आ जाएं और....और दिव्या भी तो है तेरे सामने वाले रूम में।
अपुन ─ दिव्या की टेंशन न ले। वो तो अपन लोग के जैसे ही है। रही बात दी लोग की या मॉम की तो अपुन को नहीं लगता कि उनमें से कोई अब ऊपर आएंगी।
विधी ─ और अगर आ गईं तो?
अपुन ─ आ भी जाएंगी तो क्या हो जाएगा यार? अपन लोग कौन सा कोई गैर हैं। भाई बहन हैं और भाई बहन अगर एक रूम में एक ही बेड पर सो जाएंगे तो किसी को कोई प्रॉब्लम नहीं होने वाली।
विधी ─ हां ये तो तू सही कह रहा है भाई पर पता नहीं क्यों मुझे डर सा लग रहा है।
अपुन ─ फिर तो तेरे डरने का एक ही मतलब हो सकता है। बोले तो शायद तू अपनी जान से ही डर रेली है।
विधी ─ नहीं भाई। तुझसे क्यों डरूंगी मैं?
अपुन ─ तो फिर कुछ मत सोच और झट से आ जा अपुन के पास।
विधी ─ ठीक है, लेकिन तेरे पास आने के बाद मेरा जैसा मन करेगा वैसे ही सोऊंगी, सोच ले।
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ हां ठीक है। अपुन वैसे भी अपनी जान को किसी बात के लिए न नहीं कहेगा।
विधी ─ फिर ठीक है। रुक, आ रही हूं।
अपुन समझ गया कि अब वो कुछ ही पलों में अपुन के रूम में आ जाएगी। उसके आने का सोच कर ही अपुन की धड़कनें तेज हो गईं बेटीचोद। मन में तरह तरह के खयाल आने लग गए। अभी अपुन ये सोच ही रेला था कि तभी अपुन के रूम का दरवाजा आहिस्ता से खुला और उसी आहिस्ता से अपुन की जान यानि विधी अंदर दाखिल हुई।
अंदर आने के बाद उसने दरवाजे को आहिस्ता से लेकिन कुंडी लगा कर बंद किया और फिर पलट कर अपुन को मुस्कुराते हुए देखने लगी।
उसने इस वक्त ऊपर एक छोटी सी टी शर्ट और नीचे छोटा सा ही निक्कर पहन रखा था जिसमें उसकी जांघों से ले कर नीचे पैरों तक पूरा खुला हुआ था। गोरी चिकनी जांघें और टांगें देखते ही अपुन के अंदर की हलचल में इजाफा हो गया। उधर वो कुछ पलों तक वैसे ही खड़ी अपुन को मुस्कुराते हुए देखती रही। फिर सहसा वो थोड़ा शरमाई और धीमे कदमों से बेड की तरफ आने लगी।
जैसे जैसे वो अपुन के करीब आती जा रेली थी वैसे वैसे अपुन की सांसें मानों थमती जा रेली थीं। छोटी सी टी शर्ट में उसके बूब्स की गोलाईयां साफ नजर आ रेली थीं। यहां तक कि जब वो अपुन के एकदम पास ही आ गई तो अपुन को टी शर्ट के ऊपर से ही उसके बूब्स के निपल्स भी दिखने लग गए। जाहिर है उसने इस वक्त टी शर्ट के अंदर ब्रा नहीं पहना था। बेटीचोद अपुन की तो सांसें ही अटक गईं।
विधी ─ ऐसे मत घूर न।
उसकी आवाज सुनते ही अपुन हड़बड़ा सा गया और बेड पर थोड़ा साइड में खिसक गया ताकि इस तरफ उसके लेटने के लिए जगह बन जाए। अपुन के खिसकते ही वो हौले से बेड के किनारे पर बैठ गई।
अपुन ─ तो अपुन की जान आ गई अपनी जान के पास?
विधी (हल्के से शर्मा कर) ─ हां, मेरा तो बहुत देर से मन कर रहा था तेरे पास आने का।
अपुन ─ तो चली आना था तुझे।
विधी ─ वो...मैं इस लिए नहीं आ रही थी कि कहीं तू मेरे साथ बदमाशी न करने लगे, हां नहीं तो।
ये कहने के साथ ही विधी शरारत से मुस्कुराई भी और थोड़ा शरमा भी गई। इधर अपुन भी उसकी इस बात पर मुस्कुरा उठा और साथ ही ये सोचने लगा कि लौड़ी जाने क्या क्या सोचती रहती है।
अपुन ─ तू गलत समझ रेली है। अपुन बदमाशी नहीं बल्कि अपनी जान को प्यार किया करता है।
विधी ─ अच्छा, कितना झूठ बोलता है। सब समझती हूं। बुद्धू नहीं हूं मैं, हां नहीं तो।
अपुन ─ चल अपुन झूठा ही सही लेकिन तू बता, क्या तुझे अपुन की बदमाशी से प्रॉब्लम है?
विधी ये सुन कर शर्माने लगी। उसके गुलाबी होठों पर उभरी मुस्कान और भी गहरी हो गई। जब उसे अपुन से नजरें मिलाने में झिझक सी होने लग गई तो वो बिना कुछ कहे लेकिन मुस्कुराते हुए अपुन के बगल से बेड पर लेट गई।
अपुन ─ क्या हुआ? बता न क्या तुझे अपुन की बदमाशी से प्रॉब्लम है?
विधी (शर्माते हुए) ─ हां नहीं है प्रॉब्लम। चल अब खुश हो जा। गंदा कहीं का, हां नहीं तो।
कहने के साथ ही वो मुस्कुराते हुए एकदम से खिसक कर पास आई और अपुन से चिपक गई। उसके बिना ब्रा वाले बूब्स साइड से अपुन के बाजू में चुभ गए जिसके चलते पलक झपकते ही अपुन के समूचे जिस्म में झुरझुरी दौड़ गई लौड़ा।
अपुन ─ अच्छा, अपुन को गंदा बोल रेली है और तू खुद क्या है?
विधी शर्मा कर अपुन से और भी ज्यादा छुपक गई और फिर अपुन के सीने पर अपनी एक उंगली हल्के से घुमाते हुए बोली।
विधी ─ हां तू गंदा ही है और मैं तो सबसे अच्छी हूं, हां नहीं तो।
अपुन उसकी इस बात पर हल्के से हंस पड़ा तो वो भी हंस पड़ी। फिर अपुन से छुपके हुए ही उसने अपना चेहरा थोड़ा ऊपर किया और बोली।
विधी ─ एक बात बता, अगर दिव्या भी इस वक्त यहां आ गई तब हम क्या करेंगे?
अपुन ─ वही जो अभी कर रेले हैं। बोले तो जैसे तू अपुन के साथ चिपक के लेटी हुई है वैसे ही वो भी दूसरी तरफ से अपुन से चिपक के लेट जाएगी।
विधी ने ये सुन कर हल्के से अपुन को मारा और फिर मुस्कुराते हुए बोली।
अपुन ─ कुछ भी बोलता है। क्या तुझे शर्म नहीं आएगी उसे भी इस तरह चिपका लेने से?
अपुन ─ इसमें शर्म आने जैसी क्या बात है? क्या इस वक्त तुझे शर्म आ रेली है अपुन से इस तरह चिपके हुए लेटने पर?
विधी ─ नहीं तो।
अपुन ─ तो फिर ऐसा क्यों कहा तूने?
विधी ─ वो...वो मैंने तो ऐसे ही कह दिया था। मतलब कि हम भाई बहन तो है लेकिन गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड भी तो हैं न?
अपुन ─ हां तो?
विधी ─ तो क्या? मतलब क्या तुझे इसमें कुछ भी ऐसा वैसा नहीं लगता? वैसे तो मुझे नासमझ कहता है जबकि तू खुद ही नासमझ और बुद्धू है, हां नहीं तो।
अपुन समझ रेला था कि उसके ये सब कहने का मतलब क्या था। वो खुल कर बोलने में शायद झिझक रेली थी या शर्मा रेली थी। इधर उसके इस तरह चिपके होने से अपुन के अंदर जबरदस्त हलचल मच गईली थी। अपुन का मन अब उतावला सा होने लग गयला था।
अपुन ─ अच्छा ये सब छोड़। अपुन को अपनी जान के होठ चूमना है।
अपुन की ये बात सुनते ही वो बुरी तरह शर्मा गई और अपना चेहरा अपुन के सीने में छुपाने लगी। फिर उसी पोजिशन में बोली।
विधी ─ देखा, बदमाशी करने पर उतर आया न तू?
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ यार इसमें बदमाशी करने वाली तो कोई बात ही नहीं है। अपुन तो अपनी जान के मीठे मीठे होठों को चूमने की बात कर रेला है। अच्छा सच सच बता, क्या तेरा मन नहीं कर रहा ऐसा करने को?
विधी ने शर्माते हुए थोड़ा सा चेहरा ऊपर किया और फिर बोली।
विधी ─ हां नहीं कर रहा। अब बोल, हां नहीं तो।
अपुन ─ अपुन बोलेगा नहीं, बल्कि करेगा।
अपुन की बात सुनते ही विधी एकदम से चौंकी और हैरानी से अभी देखने ही लगी थी कि अपुन थोड़ा सा उसकी तरफ घूमा और एक हाथ से उसका चेहरा थाम कर अपने होठ उसके गुलाब की पंखुड़ियों पर रख दिए। अपुन ने साफ महसूस किया कि ऐसा करते ही विधी का समूचा जिस्म कांप गयला था। हालांकि उसने कोई विरोध नहीं किया बल्कि वो उसी पोजिशन में लेटी रही।
अपुन ने पहले तो दो तीन बार उसके नाजुक और रसीले होठों को चूमा और फिर उन्हें मुंह में भर कर चूसना शुरू कर दिया। अपुन के ऐसा करते ही विधी का जिस्म मानो गनगना उठा। मदहोशी और बेचैनी में उसने झट से अपुन का चेहरा थाम लिया और खुद भी धीरे धीरे अपुन के होठ चूसने की कोशिश करने लगी। दो तीन मिनट में ही अपन दोनों की सासें फूलने लगीं और गर्मी फील होने लग गई।
अपन दोनों की ही पोजिशन थोड़ा अजीब थी जिससे लेटे लेटे स्मूच करने में प्रॉब्लम होने लग गईली थी। अपुन उसके होठों को छोड़ अलग हुआ और उसे सीधा लिटा कर खुद उसके ऊपर आ गया।
विधी शायद इतने में ही मदहोश हो गईली थी जिसके चलते उसकी आँखें बंद थीं। उसके होठों पर उसके आस पास अपन दोनों का ही थूक लग गयला था जिससे चेहरा अजीब सा दिखने लगा था।
अपुन ─ आँखें खोल न मेरी जान।
अपुन की आवाज सुनते ही विधी के जिस्म में झुरझुरी सी हुई लेकिन उसने आँखें नहीं खोली बल्कि शर्म से मुस्कुरा कर बोली।
विधी ─ न..नहीं।
अपुन ─ क्यों?
विधी ─ म...मुझे बहुत शर्म आ रही है।
अपुन ─ एक बार अपनी जान को देख तो सही।
विधी ने आँखें खोलने की कोशिश की लेकिन शायद शर्म की वजह से उसकी हिम्मत नहीं हो रेली थी। अतः बोली।
विधी ─ नहीं भाई, मुझे शर्म आ रही है।
अपुन को बड़ी हैरानी हुई उसकी ये हालत देख कर। समझ ही न आया कि ऐसा कैसे हो सकता है? ऐसा भी नहीं था कि अपन दोनों ये पहली बार कर रेले थे। फिर आज उसके इतना ज्यादा शर्माने का क्या कारण हो सकता था? जब अपुन को कुछ न सूझा तो अपुन ने सोचा क्यों बेकार में भेजा फ्राई करे। अभी जो करने का मन मचल रेला है वहीं करना चाहिए बेटीचोद।
अपुन झुका और एक बार फिर से उसके होठों को मुंह में भर लिया। विधी का जिस्म इस बार कुछ ज्यादा ही थरथरा उठा। इस बार अपुन के जिस्म का थोड़ा सा भार उसके ऊपर भी पड़ गया जिसके चलते उसके बूब्स अपुन के सीने में थोड़ा धंस गए। नीचे तरफ अपुन का खड़ा लन्ड विधी के निचले हिस्से से थोड़ा उठा हुआ था।
अपुन मजे से उसके होठ चूस रेला था। कुछ पलों तक तो विधी बुत सी लेटी रही लेकिन जल्दी ही उसने भी हरकत करनी शुरू कर दी। जिस तरह अपुन उसके होठों को चूसने की कोशिश कर रेला था वैसे ही वो भी कर रेली थी। उसके दोनों हाथ अपुन के सिर और गर्दन के पिछले साइड घूम रेले थे।
अपुन के अंदर हर गुजरते पल के साथ मजे की तरंगें बढ़ती जा रेली थीं। बोले तो हवस का नशा बढ़ता जा रेला था और जोश भी। उसी जोश के चलते अपुन अब उसके होठों को और भी जोर जोर से चूसने लग गयला था। नीचे लेटी विधी कभी अपुन के होठों को चूसने की कोशिश करती तो कभी कसमसा कर सिर्फ अपुन के सिर को भींचने लगती।
सांस फूल जाने की वजह से अपुन ने उसके होठों को छोड़ा और उसके चेहरे को चूमने लगा। विधी मचलते हुए अपना चेहरा इधर उधर करने लगी।
अपुन (मदहोशी में) ─ ओह! मेरी जान, तेरे होठ सच में बहुत मीठे हैं। मन करता है सारी रात इन्हें चूसता ही रहे अपुन।
विधी ─ मु...मुझे कुछ हो...र रहा है भाई।
अपुन ─ क्या हो रेला है मेरी जान को, हां?
विधी ─ प..पता नहीं भाई। अजीब सा लग रहा है।
अपुन जानता था कि इतना सब होने के चलते उसके अंदर के हार्मोंस चरम पर पहुंच रेले थे जिसके चलते उसके अंदर अजीब सी हलचल हो रेली होगी।
अपुन ─ और क्या मेरी जान को इससे अच्छा भी लग रेला है?
विधी ─ ह..हां भाई। प्लीज फिर से कर न।
अपुन ─ क्या करे अपुन?
विधी ─ म...मेरे लि..लिप्स को चू..चूम न।
अपुन ─ और क्या करे अपुन?
विधी ─ मुझे न...नहीं पता। तेरा जो मन करे...कर।
अपुन उसकी बातें सुन कर और भी ज्यादा जोश में आ गया। अपुन की भोली भाली और मासूम बहन सेक्स वाली फीलिंग्स में डूब गईली थी।
अपुन ने झट से उसके कांपते होठों को मुंह में भर लिया। अपुन के ऐसा करते ही विधी का जिस्म थरथराया और साथ ही इस बार उसने अपुन का चेहरा थाम कर थोड़ा तेजी से अपुन के होठों को चूसने की कोशिश करने लगी। इस बार मजे की तरंग कुछ ज्यादा ही अपुन के जिस्म में उठी बेटीचोद।
अगले ही पल अपुन पूरे जोश के साथ उसके होठों को चूसने लगा और अपना एक हाथ एकदम से नीचे ला कर उसके राइट बूब को पकड़ लिया। उफ्फ बिना ब्रा का बूब जैसे ही अपुन के हाथ में आया तो अपुन को अदभुत एहसास हुआ और उधर विधी का समूचा जिस्म बुरी तरह कांप गया और इतना ही नहीं वो मचल भी गई लौड़ी।
अपुन ─ ओह! मेरी जान तेरा ये बूब कितना सॉफ्ट है। बोले तो अपुन को बहुत अच्छा फील हो रेला है इसे पकड़ के।
विधी ये सुन कर मचल उठी और अपुन के उस हाथ पर अपना हाथ रख कर जैसे बड़ी मुश्किल से बोली।
विधी ─ भ...भाई मत कर न।
अपुन ─ करने दे न मेरी जान। अपुन का बहुत मन कर रेला है कि अपुन अपनी जान को हर तरह से प्यार करे।
विधी ─ क..क्या मतलब है तेरा?
अपुन ─ मतलब तो अभी अपुन को भी नहीं पता यार लेकिन इतना पता है कि अपुन का मन तुझे बहुत ज्यादा प्यार करने का कर रेला है। क्या तेरा मन नहीं कर रहा कि तू अपुन को भी बहुत ज्यादा प्यार करे?
विधी ─ म..मैं कर तो रही हूं भाई। तू बता और कैसे करूं?
अपुन ─ तुझसे जैसे बने तू करती जा और हां अपुन जो भी करे उसे करने दे।
विधी ─ प..पर भाई ये ग..गलत है न?
अपुन ─ प्यार करना कभी गलत नहीं होता मेरी जान। दूसरी बात ये कि जो करने से अपन लोग को अच्छा फील आए और जिससे खुशी मिले वो ही करना चाहिए।
विधी ─ अ..और किसी को पता चल गया तो? कोई ग..गड़बड़ हो गई तो?
अपुन ─ कुछ नहीं होगा। तुझे अपुन पर भरोसा है न?
विधी ─ हां, खुद से भी ज्यादा भरोसा है तुझ पर।
अपुन ─ तो फिर बस, ये समझ कि अपुन अपनी जान के साथ कुछ भी गड़बड़ नहीं होने देगा।
विधी ─ तू सच कह रहा है न?
अपुन ─ हां, तेरी कसम। तू जानती है कि अपुन अपनी जान की कसम कभी नहीं तोड़ सकता।
विधी के चेहरे पर संतुष्टि के भाव उभरे। बड़ी ही मोहब्बत भरी नजर से देखा उसने अपुन को। उसकी आंखों में अभी भी मदहोशी थी और चेहरे पर शर्म के भाव। अपुन ने झुक कर प्यार से पहले उसके माथे को चूमा और फिर उसके होठों को चूमने चूसने लगा।
एक बार फिर से समूचे जिस्म में मजे की लहरें दौड़ने लगीं। एक बार फिर से विधी की हालत खराब होने लगी। इधर अपुन का हाथ जो पहले से ही उसके राइट बूब पर था उसने बूब को पकड़ा और हौले से दबाया तो अपुन को मजे का एक अलग ही आभास हुआ। उधर विधी अपना बूब दबाए जाने से एकदम से मचल उठी। इस बार उसने अपुन के उस हाथ पर अपन हाथ नहीं रखा बल्कि अपुन के सिर के बालों को पकड़ कर मानो नोचने लगी।
अपुन कुछ देर तक उसके होठों को चूमता चूसता रहा उसके बाद उसके गालों को चूमते हुए उसके गले पर आया। अपुन एक हाथ से अभी भी उसका बूब दबाए जा रेला था। उधर जैसे ही होठ आजाद हुए विधी की सिसकियां उभरने लगीं।
अपुन को बेतहाशा मजा आ रेला था। उसके गले को चूमते चाटते अपुन थोड़ा और नीचे आया जहां पर उसकी डीप गले वाली टी शर्ट से उसकी छातियों का हिस्सा दिख रेला था।
दूध की तरह गोरे चिकने उस हिस्से को अपुन जीभ से चाटने लगा तो विधी और भी ज्यादा मचलने लगी।
विधी ─ शश्श्श्श ये...ये क्या कर रहा है भाई? बहुत गुदगुदी हो रही है मुझे।
अपुन ─ और क्या मजा नहीं आ रेला है तुझे?
विधी ─ ह...हां भाई, मजा भी आ रहा है।
अपुन फिर से झुक कर जीभ से उसकी छातियों के उभार वाले हिस्से से बस थोड़ा ही ऊपर चाटने लगा। सहसा अपुन की नजर उस जगह पड़ी जहां पर अपुन एक हाथ से उसका राइट बूब दबा रेला था। जब अपुन उसका दूध दबाता तो उसके बूब के किनारे फैल से जाते जिससे टी शर्ट के खुले हिस्से तक वो उभार पहुंच जाता।
अपुन थोड़ा सा नीचे खिसका और अच्छे से घुटने के बल बैठ कर लेकिन झुक कर इस बार दोनों हाथों से उसके दोनों बूब्स पकड़ लिए। अपुन के ऐसा करते ही विधी मचल उठी और साथ ही उसकी सिसकी निकल गई। इधर अपुन ने जैसे ही एक साथ दोनों बूब्स को दबाया तो उसके ऊपरी हिस्से यानी किनारे उभर कर टी शर्ट के बाहर दिखें लगे। अपुन ने झट से चेहरा ले जा कर उस उभरे हिस्से को चूम लिया और फिर जीभ निकाल कर उसके दरार पर नीचे से ऊपर घुमाया तो विधी और भी ज्यादा मचल उठी।
विधी ─ शश्श्श्श भ..भाई। मत कर न। गुदगुदी हो रही है।
अपुन ─ तेरे ये बूब्स बहुत अच्छे हैं मेरी जान। जब दबाने में इतना अच्छा फील हो रेला है तो इन्हें पीने में कितना अच्छा लगेगा।
विधी (बुरी तरह शर्मा कर) ─ धत, ये क्या कह रहा है भाई? ऐसे मत बोल न।
अपुन (मुस्कुरा कर) ─ विधी, मेरी जान। अपुन को अपनी जान के दुधू पीने हैं। प्लीज पिला दे न।
अपुन की बात सुन कर इस बार मानो विधी का शर्म से बुरा हाल हो गया। उसने बेड पर आँखें बंद किए अपने चेहरे को दोनों हथेलियों से छुपा लिया, फिर बोली।
विधी ─ नहीं न भाई। प्लीज ऐसे मत बोल, मुझे बहुत शर्म आ रही है।
अपुन ─ अरे! तू तो अपुन की जान है। तुझसे क्या शर्माना? अच्छा सुन न, अपुन तेरी इस टी शर्ट को ऊपर कर रेला है।
विधी ने झटके से अपने चेहरे पर से हथेलियां हटाईं और आँखें खोल कर अपुन को देखा। उसके चेहरे पर शर्म तो थी ही लेकिन अब घबराहट के भाव भी उभर आएले थे।
विधी ─ ये...ये क्या कह रहा है तू? प्लीज ऐसा मत कर न। ये गलत है न?
अपुन ─ तू कहेगी तो कुछ भी नहीं करेगा अपुन लेकिन क्या तू चाहती है कि तेरी जान किसी चीज के लिए मायूस और निराश हो जाए?
विधी ─ नहीं, मैं ऐसा कभी नहीं चाहूंगी भाई पर समझने की कोशिश कर। मुझे बहुत शर्म आ रही है।
अपुन ─ तू बस अपनी आँखें बंद कर ले और चुपचाप लेट जा। प्लीज मेरी जान, अपुन का बहुत मन कर रेला है तेरे गोरे गोरे खूबसूरत बूब्स देखने का और उन्हें चूमने का। प्लीज करने दे न।
विधी शर्म से लाल पड़े अपने चेहरे से अपुन को देखती रही। उसके चेहरे पर बहुत ज्यादा उलझन और कशमकश के भाव उभरे थे। शायद वो समझ नहीं पा रेली थी कि क्या करे और क्या न करे? एक तरफ वो अपुन को निराश भी नहीं करना चाहती थी तो दूसरी तरफ मारे शर्म के उससे ये हो भी नहीं रेला था। फिर जैसे उसने कोई निर्णय लिया।
विधी ─ तुझे पता है मैं तुझसे बहुत प्यार करती हूं इस लिए तुझे किसी बात के लिए इंकार नहीं करना चाहती।
अपुन ─ अपुन भी तुझे बहुत प्यार करता है मेरी जान। तभी तो अपन दोनों एक दूसरे के इतना करीब हैं। बाकी तू टेंशन न ले और भरोसा रख। अपुन ऐसा कुछ भी नहीं करेगा जिससे अपन दोनों के साथ कोई गड़बड़ हो जाए।
विधी ─ ठीक है। कर ले जो तेरा मन कर रहा है।
कहने के साथ ही विधी वापस लेट गई। इधर अपुन भी खुश हो गया लौड़ा। हालांकि अपुन की धड़कनें बहुत तेज चल रेली थीं और ये डर भी सता रेला था कि कहीं कोई आ न जाए लेकिन मन में विधी के बूब्स देखने और उन्हें चूमने चूसने की इतनी ज्यादा लालसा थी कि अपुन कुछ भी करने को जैसे तैयार हो गयला था।
विधी का चेहरा शर्म से सुर्ख पड़ा हुआ था। उसकी सांसें तेज तेज चल रेली थीं जिससे उसके बूब्स ऊपर नीचे हो रेले थे। अपुन की नजरें उन्हीं पर टिकी थीं लौड़ा। विधी जब ज्यादा देर तक अपुन से नजरें न मिलाए रह सकी तो उसने अपनी आँखें बंद कर ली।
अपुन जानता था कि वो जितना शर्मा रेली है उतना ही अंदर से घबरा भी रेली है। उसकी टी शर्ट का निचला हिस्सा थोड़ा ऊपर उठ गयला था जिससे उसका गोरा चिकना और सपाट पेट साफ दिख रेला था। पेट के बीच में उसकी खूबसूरत छोटी सी नाभी चमक रेली थी। अपुन का मन मचल उठा तो अपुन झट से झुका और उसके पेट को हौले से चूम लिया। अपुन के ऐसा करते ही विधी का समूचा जिस्म थरथरा उठा और उसके मुख से हल्की सी सिसकी निकल गई।
अपुन ने उसके पूरे पेट में जगह जगह चूमा और फिर उसकी नाभि के चारों तरफ जीभ घुमाने लगा जिससे विधी बुरी तरह मचलने लगी।
विधी ─ शश्श्श्श भाई।
अपुन ─ क्या हुआ मेरी जान को?
विधी ─ तू ऐसे कर रहा है तो बहुत ज्यादा गुदगुदी हो रही है।
अपुन ─ और क्या अच्छा नहीं लग रेला है?
विधी ─ हम्म्म अच्छा भी लग रहा है।
अपुन मुस्कुराते हुए फिर से झुका और इस बार सीधा उसकी नाभि में जीभ को नुकीला कर के डाल दिया जिससे विधी एकदम से चिहुंक ही उठी। उसने झट से अपने दोनों हाथ अपुन के सिर पर रख दिए।
विधी ─ शश्श्श्श।
अपुन उसकी नाभि में जीभ को लपलपाते हुए कभी घुसेड़ता तो कभी बाहर से चारों तरफ घुमाता। उधर विधी मजे के तरंग में डूब कर अपुन के बालों को नोचने लगी और साथ ही सिसकियां लेने लगी।
कुछ देर तक अपुन ने यही किया उसके बाद अपुन ने अपना एक हाथ बढ़ा कर उसकी टी शर्ट के निचले हिस्से को पकड़ा और आहिस्ता से ऊपर करना शुरू किया। उफ्फ उसका गोरा चिकना नाजुक बदन अपुन की आंखों के सामने उजागर होने लग गया लौड़ा।
अपुन सोच भी नहीं सकता था कि विधी कपड़ों के अंदर इतनी गोरी और चिकनी होगी। उधर विधी को भी आभास हो गया कि अपुन उसकी टी शर्ट को ऊपर करने लगा है जिससे उसने अपने हाथों को अपुन के सिर से हटा कर झट से अपने सीने पर रख लिया। जैसे जाहिर कर रही हो कि प्लीज मुझे नंगा न करो लेकिन अपुन उसकी इस मंशा को इग्नोर किया और उसकी टी शर्ट को उठाता ही चला गया।
कुछ ही पलों में अपुन को उसके बूब्स के निचले हिस्से दिखने लगे। अपुन की सांसें मानों थमने लगीं लौड़ा। सचमुच उसने अंदर ब्रा नहीं पहन रखी थी। धाड़ धाड़ बजती अपनी धड़कनों के साथ अपुन ने उसकी टी शर्ट को थोड़ा और ऊपर तक सरकाया तो इस बार उसके आधे से ज्यादा बूब्स दिखने लगे। इसके आगे विधी ने अपने हाथों को रखा हुआ था इस लिए टी शर्ट को अपुन ऊपर नहीं कर सकता था।
अपुन ─ अपना हाथ हटा न मेरी जान।
विधी ─ नहीं न भाई। प्लीज, बहुत शर्म आ रही है मुझे।
अपुन ने झुक कर उसके दोनों हाथों को बारी बारी से चूमा और फिर प्यार से उन्हें पकड़ कर उसके बूब्स के बाकी हिस्से से हटाया। उसने हल्का विरोध किया लेकिन आखिर उसने हटा ही लिया। जैसे ही उसका हाथ हटा अपुन ने फिर से उसकी टी शर्ट को ऊपर सरकाना शुरू कर दिया।
उफ्फ! अगले ही पल उसके बूब्स के बादामी रंग के निपल्स दिखने लगे। उन्हें देखते ही अपुन का गला सूख गया लौड़ा। उधर विधी को इतनी ज्यादा शर्म आई कि उसने झट से अपना चेहरा अपनी दोनों हथेलियों से छुपा लिया। उसकी ऊपर नीचे होती छातियां इस बात का सबूत थीं कि उसकी धड़कनें कितनी ज्यादा बढ़ गईली थीं।
अपुन ─ उफ्फ! तू सच में बहुत खूबसूरत है मेरी जान। तेरे ये गोरे गोरे और गोल गोल बूब्स दुनिया की सबसे सुंदर चीजों में से एक हैं।
विधी ─ प..प्लीज कुछ मत बोल भाई।
सच तो ये था बेटीचोद कि विधी के इतने सुंदर बूब्स देख के अपुन होश खोने लग गयला था। उधर उसके बूब्स जैसे अपुन को आमंत्रित कर रेले थे कि आओ और जल्दी से हमें मुंह में भर चूसना शुरू कर दो।
अपुन ने भी उनका इन्विटेशन एक्सेप्ट करने में देरी नहीं की लौड़ा। अगले ही पल अपुन ने उसकी टी शर्ट को थोड़ा और ऊपर सरकाया और फिर उसके बूब्स को दोनों हाथों में थामने के लिए हाथ बढ़ाया। अभी अपुन के दोनों हाथ उसके बूब्स के करीब ही पहुंचे थे कि तभी किसी ने रूम का दरवाजा हल्के से थपथपाया।
दरवाजे पर हुई इस थपथपाहट को सुनते ही अपुन बुरी तरह चौंक गया। उधर विधी ने भी शायद सुन लिया था इस लिए वो भी बुरी तरह उछल पड़ी। बुरी तरह घबरा कर वो एक झटके से उठ बैठी और फिर जल्दी जल्दी अपनी टी शर्ट को नीचे सरका अपने नंगे बूब्स को छुपाने लगी।
इधर अपुन के होश उड़ गएले थे और गांड़ अलग से फट गईली थी। मन में एक ही सवाल उभरा कि बेटीचोद कौन हो सकता है बाहर?
To be continued....