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Adultery हवेली

Golu

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#14

चांदनी ने अलमारी खोली और एक पिस्तौल निचे गिर गयी. मैंने उसे उठा कर देखा विलायती पिस्तौल थी .

मैं- पहले कभी देखा इसे

चांदनी- नहीं , मैंने तो अलमारी यूँ ही खोली थी .

मैंने पिस्तौल को चेक दिया, आठ में से सात गोलिया थी,एक गोली गायब थी .

मैं- ठाकुरों को कैसे मारा गया था

चांदनी- गला दबा कर.

इसका मतलब साफ़ था की ये हथियार वो नहीं था बल्कि इसका होना न होना अब बराबर ही था. कामिनी के कपडे सलीकेदार थे पर उनसे अमीरी नहीं झलकती थी क्या हवेली की एकलौती लड़की पर पैसे खर्च नहीं किये जाते थे .

“कितना सुन्दर है न ये देखो अर्जुन ” चांदनी ने एक डिब्बा खोल लिया था जिसमे मोतियों के हार थे.

मैं- तुम चाहो तो रख सकती हो तुम्हारा ही हक़ है इनपर .

चांदनी- नहीं ,

उसने डिब्बा वापिस से रखा और अलमारी बंद कर दी. जब वो अलमारी बंद कर रही थी तो थोडा सा झुकी वो और मेरी नजर उसकी गोल गांड पर पड़ी. जवानी में कदम रखे ताजा हुस्न का अपना ही जलवा होता है , ऊपर से कसी हुई तंग सलवार में उसके नितम्बो की गोलाई कोई भी देखता तो दाद जरुर देता.

“कुलदीप का कमरा खोलो ” मैंने कहा

चांदनी- अर्जुन, मेरे पास बस इसी कमरे की चाबी है .

ये अजीब बात थी

“बाकि चाबिया कहाँ है फिर ” मैने पूछा

चांदनी- जबसे देखा है हवेली के जायदातर कमरों पर ताला ही देखा है . वैसे भी पिताजी के बाद शायद ही यहाँ पर कोई आया हो. पर मैं कोशिश करुँगी कुछ मिलता है तो बताउंगी

हम लोग सबसे ऊपर की मंजिल पर गए , जहाँ पर एक कमरे का दरवाजा खुला था . ये कमरा थोडा अलग सा था ,इसकी बनावट बेहद शानदार थी लकड़ी की नक्काशी का इतना शानदार काम नहीं हो सकता था वक्त की धुल बेशक अपने पाँव जमाये हुए थी पर फिर भी तारीफ उस कारीगर की जिसने यहाँ अपने कला के जोहर बिखेरे होंगे. ऐसा शानदार पलंग जिसके पायो में सोना लगा था . पर मेरी नजर उस खिड़की पर थी जिस से बाहर का मेन गेट दीखता था .

“जय सिंह कभी हवेली की बात करता है क्या तुमसे ” मैंने कहा

चांदनी- भैया नफरत करते है हवेली से वो मानते है की पिताजी को ये हवेली ही खा गयी.

मै समझता था पिता को खोने का दुःख मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोला- ये हवेली अगर मुझे मेरे राज बताएगी तो तुम्हे तुम्हारे पिता का राज भी बताएगी. पर तुम्हे उसके लिए प्रयास करना होगा चांदनी

वो- क्या करना होगा.

मैं- ठाकुर साहब के पास इतनी जायदाद थी , जो काफी हद तक बिक गयी थी . पर फिर भी ठाकुरों ये वर्तमान पीढ़ी यानी की तुम लोग किसी राजा महाराजा जैसा जीवन जी रहे हो पैसा , कहाँ से आता है ये पैसा.

चांदनी- हमारे कुछ होटल है शहर में और शराब की फैक्ट्री आदि है . ब्याज पर भी पैसा दिया जाता है . पिताजी के जाने के बाद जय भैया ने व्यापर को अपने दम पर बहुत आगे कर दिया है .

मैं- हवेली के दो मुख्य नौकर थे भूषण और चंदा, भूषण को हाल ही में मार दिया गया . चंदा ने हवेली छोड़ दी थी . मुझे लगता है की भूषण को मारने वाला नहीं चाहता होगा की वो कुछ भी बताये

चांदनी- पर क्यों , इतने साल बाद ही यो जबकि भूषण सबसे कमजोर शिकार था .

मैं- इतने साल से कोई आया भी तो नहीं हवेली, कोई तो है जो नहीं चाहता की ये हवेली आबाद हो , इसमें हलचल हो . कोई तो है जो इस मनहूसियत को चाहता है .

चांदनी- पर कौन

मैं- मालूम कर लूँगा.

हम दोनों ने काफी वक्त बिताया वहां पर इतना तो तय था की बरसों से कोई आया गया नहीं था वहां पर . चांदनी के जाने के बाद मैं सीधा भूषण की झोपडी में पहुंचा पर शायद मुझसे पहले कोई और भी आकर चला गया था सामान इधर -उधर पड़ा था , कोई तो था ये शक मेरा और पुख्ता हो गया था . कोई तो था जो नजर रखे हुए था . खैर,मेरा पैर एक डिबिया पर पड़ा तो मैंने उसे उठाया उसमे एक पुराणी तस्वीर थी जिसे गौर से देखने पर मैंने पाया की ये तो कामिनी की तस्वीर है ,

“भूषण का कामिनी से क्या लेना देना ” मैंने खुद से सवाल किया और उस तस्वीर को अपनी जेब में रख लिया. इस हवेली से मेरा क्या नाता है ये सोचते सोचते सर में दर्द हो गया . मैंने दूकान से राशन का सामान ख़रीदा और चंदा के घर पहुँच गया .

“इसकी क्या जरुरत थी ” उसने कहा

मैं- इतना तो फर्ज है मेरा

मैंने झोला दिया उसे, जब वो झोला पकड रही थी तो उसका आंचल सरक गया मेरी नजर उसकी छात्तियो पर पड़ी. चंदा को भी भान था पर उसने आंचल की परवाह नहीं की बल्कि पूरा समय लेकर मुझे दीदार करवाया उसके हुस्न के जलवे का . वो चाय बनाने लगी मैं पीछे की तरफ हाथ मुह धोने लगा. मैंने देखा की डोरी पर चंदा की कच्छी सूख रही थी जो चूत वाली जगह से फटी हुई थी . मैंने इधर उधर देखा और उसे हल्का सा सहलाया , कसम से गर्मी के मौसम में मैंने अपने बदन को कांपते हुए महसूस किया.

मैं- ठाकुर की जमीने देखना चाहता हूँ मैं.

चंदा- जिधर तुम्हारी नजर जाये उसी तरफ देख लो सब जमीने उनकी थी किसी ज़माने में

मैं- जानता हूँ ठाकुर साहब ने काफी जमीने बेच दी थी पर थोड़ी बहुत कुछ तो बची ही होंगी न.

चंदा- जो बचा था वो ठाकुर के भतीजे ने हथिया लिया था ठाकुर को परवाह भी नहीं थी , वैसे भी हादसे के बाद वो कर ही क्या लेता उसका होना न होना बराबर ही है . कुछ एकड़ बंजर भूमि बची है चाहो तो देख कर तसल्ली कर सकते हो .


चंदा ने मुझे बताया उस जमीनों के बारे में चाय पीकर मैं उस तरफ चल दिया . करीब आधे घंटे बाद मैं उस जगह पहुंचा तो पाया की वो जमीनों का टुकड़ा देख रेख के आभाव में बर्बाद हो चूका था , पम्प हाउस था , कुवे में पानी था पर जैसा मैंने कहा किसीको परवाह ही नहीं रही होगी. कमरे पर एक पुराने ज़माने का ताला लगा था जंग खाया हुआ . मैंने इधर उधर देखा और जेब से चाबी निकाल कर उस ताले में डाली जैसे ही चाबी को घुमाया........................
इस बार लग रहा है ताले में चाभी घूम चुकी है
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#१५

“खट ” की आवाज से ताला खुल गया , मैं इतना हैरान हुआ की साला ये हो क्या रहा है मुझे अमानत के रूप में इस बियाबान पंप हाउस के ताले की चाबी दी गयी थी .किस्मत गधे के लंड से लिखा जाना क्या होता है मैंने तब समझा था . धुल की वजह से खांसते हुए मैंने कमरे का दरवाजा खोला और अन्दर दाखिल हुआ. अन्दर का नजारा देख कर मुझे समझ नहीं आया की माजरा क्या है, कमरे में एक प्लास्टिक की पल्ली बिछी हुई थी, मिटटी जमा होने के बाद भी मैंने समझ लिया था की खून बिखरा था उस पर .

गाढ़ा खून जो न जाने कब बिखरा था पर आज भी निशान छोड़े हुए था , दीवारों पर भी कुछ उंगलियों के निशान थे खून से सने पर हैरानी की बात ये थी की दरवाजे या उसके आसपास खून का एक भी कतरा नहीं था .उस पल्ली के सिवाय और ज्यादा कुछ था नहीं , एक कोने में घास का गट्ठर था जो नाम मात्र का ही रह गया था . कमरे में अजीब सी बदबू थी शायद सीलन की वजह पर ये कमरा इतना महत्वपूर्ण कैसे था की इसकी चाबी मुझे दी गयी . और चाबी देने वालो को क्या वो उद्देश्य मालूम था की मुझे चाबी क्यों दी गयी .

पैरो को इधर उधर पटक रहा था की मेरे पैर में घास के तिनको के बीच कुछ अटका, मैंने उठा कर देखा एक गुलाबी रंग की ब्रा थी . ब्रा, मैं गारंटी से कह सकता था की ये ब्रा हवेली की ही किसी औरत की रही होगी. क्योंकि आमतौर पर गाँवो की औरते ब्रा का इस्तेमाल नहीं करती दूसरी बात ये बहुत महंगी रही होगी क्योंकि इस पर अंग्रेजी का मार्का था.ब्रा से मैं चुचियो के साइज का अनुमान लगाने लगा की वो कितनी बड़ी रही होंगी.

मैंने कमरे में और गहराई से निरिक्षण चालु किया मुझे एक किताब मिली जिसके पीले पड़ गए पन्ने जर्जर अवस्था में थे, कुछ पन्ने सलामत थे उन्हें देख कर समझा की वो चुदाई की किताब थी और मुझे यकीन था की वो किताब कुलदीप ठाकुर की थी क्योंकि किताब अंग्रेजी में थी , कुलदीप जरुर विलायत से ये लाया होगा. तीनो ठाकुरों का एक साथ मर जाना सामान्य तो बिलकुल नहीं था पर मारे जाने की वजह एक रही होगी. हवेली में कुछ तो ऐसा चल रहा था जो समझ से परे था. रुपाली और कामिनी दो महत्वपूर्ण कडिया गायब थी .



मैंने कमरे के दरवाजे को खुला ही छोड़ दिया , जानबूझ कर खेल के छिपे हुए खिलाडी को संदेसा देने के लिए की मेरी भी नजर है उस पर. कुलदीप बहुत चोदु टाइप का इन्सान था ये चंदा ने मुझे बताया था , और जिस तरह से उसने बात घुमाई थी मैं जानता था की चंदा को भी पेला था उसने. हो सकता था की कुलदीप घुमने के बहाने यही पर आता हो और गाँव की औरतो को चोदता हो. ज़िन्दगी ने अजीब झमेले को मेरे गले में डाल दिया था .

चंदा के पास वापिस जाने का मन नही था तो मैं अपने गान वापिस लौट आया , घर पर न लखन था न निर्मला . मैंने गेट खोला और अन्दर आ गया. मरते हुए बापू ने बस एक शब्द कहा था हवेली, मतलब बापू हवेली से जुड़ा था पर कैसे. जितना उसका रुतबा था उस हिसाब से ये तो हो नहीं सकता था की वो ठाकुर के लिए काम करता हो. कहीं वो ठाकुर के किसी धंधे में साथी तो नहीं था , वो मुझे क्यों लेकर आया.एक अनाथ को अपने घर में क्यों रखेगा जब तक की उस नन्ही जान से लगाव न हो. मात्र दया तो कारण नहीं हो सकता था .



बापू वो कड़ी था जो मेरे और हवेली के बीच था , मैंने बापू के अतीत को तलाशने की सोची. मैंने फिर से बापू के सामान की तलाशी ली , एक बहुत पुरानी डायरी में मुझे एक फ़ोन नम्बर मिला. डायरी लगभग सत्रह साल पुराणी थी . सत्रह साल पहले भला कितने लोगो के घर पर फ़ोन होंगे. दूसरी बात इस घर में तो क्या पुरे गाँव में किसी के पास भी फ़ोन नहीं था . मैंने वो नम्बर याद कर लिया. पूरी डायरी में बस एक फ़ोन नम्बर जिसे इतनी हिफाजत से संभल कर रखा गया था . कोई तो खास रहा होगा.

मैं एक एसटीडी बूथ पर गया वो नम्बर मिलाया, पर वो मिला नहीं दूसरी बात कोशिश की , तीसरी बार घंटी चली गयी . घंटी जाती रही , जाती रही और जब लगा की कोई नहीं उठाएगा ठीक उसी समय फोन उठा लिया गया .

“हेल्लो ” जो आवाज मेरे कानो में गूंजी दिल तक उतर गयी .

“हेल्लो, बोलो भी ”दूसरी तरफ से फिर आवाज आई .

मैं- चांदनी ठकुराइन

“बोल रही हु, कहिये ” उसने कहा

मैं बस फ़ोन रखने को ही था की उधर से आई आवाज ने मुझे रोक लिया

“अर्जुन ये तुम हो न ” उसका ये कहना सीधा दिल में ही तो उतर गया था .

“अर्जुन तुम ही हो न ” उसने फिर कहा

मैं- और कौन होगा मेरे सिवाय

वो- तुमको किसने दिया नम्बर मेरा और कहाँ से बोल रहे हो तुम

मैं- ढूंढने वाले खुदा को तलाश लेते है ये तो मेरी जान का नम्बर है

वो- अच्छा जी . ये भी न सोचा की फ़ोन जय भैया भी उठा सकते थे

मैं- मैं क्या डरता हूँ उससे

वो- मैंने कब कहा

मैं- याद आ रही थी तुम्हारी

वो- भैया आ गये रखती हूँ .

तुरंत ही फ़ोन कट गया . पर मेरे लिए बहुत सवाल खड़े हो गए थे चांदनी के घर का फोन नम्बर बापू की डायरी में सम्भाल कर रखा गया था . बात साफ़ थी बापू का ताल्लुक जरुर था वहां से पर कैसे वो अब मैं मालूम करके ही रहूँगा.
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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चांदनी ने अलमारी खोली और एक पिस्तौल निचे गिर गयी. मैंने उसे उठा कर देखा विलायती पिस्तौल थी .

मैं- पहले कभी देखा इसे

चांदनी- नहीं , मैंने तो अलमारी यूँ ही खोली थी .

मैंने पिस्तौल को चेक दिया, आठ में से सात गोलिया थी,एक गोली गायब थी .

मैं- ठाकुरों को कैसे मारा गया था

चांदनी- गला दबा कर.

इसका मतलब साफ़ था की ये हथियार वो नहीं था बल्कि इसका होना न होना अब बराबर ही था. कामिनी के कपडे सलीकेदार थे पर उनसे अमीरी नहीं झलकती थी क्या हवेली की एकलौती लड़की पर पैसे खर्च नहीं किये जाते थे .

“कितना सुन्दर है न ये देखो अर्जुन ” चांदनी ने एक डिब्बा खोल लिया था जिसमे मोतियों के हार थे.

मैं- तुम चाहो तो रख सकती हो तुम्हारा ही हक़ है इनपर .

चांदनी- नहीं ,

उसने डिब्बा वापिस से रखा और अलमारी बंद कर दी. जब वो अलमारी बंद कर रही थी तो थोडा सा झुकी वो और मेरी नजर उसकी गोल गांड पर पड़ी. जवानी में कदम रखे ताजा हुस्न का अपना ही जलवा होता है , ऊपर से कसी हुई तंग सलवार में उसके नितम्बो की गोलाई कोई भी देखता तो दाद जरुर देता.

“कुलदीप का कमरा खोलो ” मैंने कहा

चांदनी- अर्जुन, मेरे पास बस इसी कमरे की चाबी है .

ये अजीब बात थी

“बाकि चाबिया कहाँ है फिर ” मैने पूछा

चांदनी- जबसे देखा है हवेली के जायदातर कमरों पर ताला ही देखा है . वैसे भी पिताजी के बाद शायद ही यहाँ पर कोई आया हो. पर मैं कोशिश करुँगी कुछ मिलता है तो बताउंगी

हम लोग सबसे ऊपर की मंजिल पर गए , जहाँ पर एक कमरे का दरवाजा खुला था . ये कमरा थोडा अलग सा था ,इसकी बनावट बेहद शानदार थी लकड़ी की नक्काशी का इतना शानदार काम नहीं हो सकता था वक्त की धुल बेशक अपने पाँव जमाये हुए थी पर फिर भी तारीफ उस कारीगर की जिसने यहाँ अपने कला के जोहर बिखेरे होंगे. ऐसा शानदार पलंग जिसके पायो में सोना लगा था . पर मेरी नजर उस खिड़की पर थी जिस से बाहर का मेन गेट दीखता था .

“जय सिंह कभी हवेली की बात करता है क्या तुमसे ” मैंने कहा

चांदनी- भैया नफरत करते है हवेली से वो मानते है की पिताजी को ये हवेली ही खा गयी.

मै समझता था पिता को खोने का दुःख मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोला- ये हवेली अगर मुझे मेरे राज बताएगी तो तुम्हे तुम्हारे पिता का राज भी बताएगी. पर तुम्हे उसके लिए प्रयास करना होगा चांदनी

वो- क्या करना होगा.

मैं- ठाकुर साहब के पास इतनी जायदाद थी , जो काफी हद तक बिक गयी थी . पर फिर भी ठाकुरों ये वर्तमान पीढ़ी यानी की तुम लोग किसी राजा महाराजा जैसा जीवन जी रहे हो पैसा , कहाँ से आता है ये पैसा.

चांदनी- हमारे कुछ होटल है शहर में और शराब की फैक्ट्री आदि है . ब्याज पर भी पैसा दिया जाता है . पिताजी के जाने के बाद जय भैया ने व्यापर को अपने दम पर बहुत आगे कर दिया है .

मैं- हवेली के दो मुख्य नौकर थे भूषण और चंदा, भूषण को हाल ही में मार दिया गया . चंदा ने हवेली छोड़ दी थी . मुझे लगता है की भूषण को मारने वाला नहीं चाहता होगा की वो कुछ भी बताये

चांदनी- पर क्यों , इतने साल बाद ही यो जबकि भूषण सबसे कमजोर शिकार था .

मैं- इतने साल से कोई आया भी तो नहीं हवेली, कोई तो है जो नहीं चाहता की ये हवेली आबाद हो , इसमें हलचल हो . कोई तो है जो इस मनहूसियत को चाहता है .

चांदनी- पर कौन

मैं- मालूम कर लूँगा.

हम दोनों ने काफी वक्त बिताया वहां पर इतना तो तय था की बरसों से कोई आया गया नहीं था वहां पर . चांदनी के जाने के बाद मैं सीधा भूषण की झोपडी में पहुंचा पर शायद मुझसे पहले कोई और भी आकर चला गया था सामान इधर -उधर पड़ा था , कोई तो था ये शक मेरा और पुख्ता हो गया था . कोई तो था जो नजर रखे हुए था . खैर,मेरा पैर एक डिबिया पर पड़ा तो मैंने उसे उठाया उसमे एक पुराणी तस्वीर थी जिसे गौर से देखने पर मैंने पाया की ये तो कामिनी की तस्वीर है ,

“भूषण का कामिनी से क्या लेना देना ” मैंने खुद से सवाल किया और उस तस्वीर को अपनी जेब में रख लिया. इस हवेली से मेरा क्या नाता है ये सोचते सोचते सर में दर्द हो गया . मैंने दूकान से राशन का सामान ख़रीदा और चंदा के घर पहुँच गया .

“इसकी क्या जरुरत थी ” उसने कहा

मैं- इतना तो फर्ज है मेरा

मैंने झोला दिया उसे, जब वो झोला पकड रही थी तो उसका आंचल सरक गया मेरी नजर उसकी छात्तियो पर पड़ी. चंदा को भी भान था पर उसने आंचल की परवाह नहीं की बल्कि पूरा समय लेकर मुझे दीदार करवाया उसके हुस्न के जलवे का . वो चाय बनाने लगी मैं पीछे की तरफ हाथ मुह धोने लगा. मैंने देखा की डोरी पर चंदा की कच्छी सूख रही थी जो चूत वाली जगह से फटी हुई थी . मैंने इधर उधर देखा और उसे हल्का सा सहलाया , कसम से गर्मी के मौसम में मैंने अपने बदन को कांपते हुए महसूस किया.

मैं- ठाकुर की जमीने देखना चाहता हूँ मैं.

चंदा- जिधर तुम्हारी नजर जाये उसी तरफ देख लो सब जमीने उनकी थी किसी ज़माने में

मैं- जानता हूँ ठाकुर साहब ने काफी जमीने बेच दी थी पर थोड़ी बहुत कुछ तो बची ही होंगी न.

चंदा- जो बचा था वो ठाकुर के भतीजे ने हथिया लिया था ठाकुर को परवाह भी नहीं थी , वैसे भी हादसे के बाद वो कर ही क्या लेता उसका होना न होना बराबर ही है . कुछ एकड़ बंजर भूमि बची है चाहो तो देख कर तसल्ली कर सकते हो .


चंदा ने मुझे बताया उस जमीनों के बारे में चाय पीकर मैं उस तरफ चल दिया . करीब आधे घंटे बाद मैं उस जगह पहुंचा तो पाया की वो जमीनों का टुकड़ा देख रेख के आभाव में बर्बाद हो चूका था , पम्प हाउस था , कुवे में पानी था पर जैसा मैंने कहा किसीको परवाह ही नहीं रही होगी. कमरे पर एक पुराने ज़माने का ताला लगा था जंग खाया हुआ . मैंने इधर उधर देखा और जेब से चाबी निकाल कर उस ताले में डाली जैसे ही चाबी को घुमाया........................
bohot hi umda update foji bhai, to kya wo taala mil gaya jiki chabi liye ghoom raha tha arjun, or haweli ja kar bhi shookha hi aagaya?
chanda ko pel sakta hai waise. per bhai haweli hi naam kyu rakha because same name se pahle hi story hai is ko haweli-1 kar do ya purani haweli kar do.
awesome update with great writing style.
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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#१५

“खट ” की आवाज से ताला खुल गया , मैं इतना हैरान हुआ की साला ये हो क्या रहा है मुझे अमानत के रूप में इस बियाबान पंप हाउस के ताले की चाबी दी गयी थी .किस्मत गधे के लंड से लिखा जाना क्या होता है मैंने तब समझा था . धुल की वजह से खांसते हुए मैंने कमरे का दरवाजा खोला और अन्दर दाखिल हुआ. अन्दर का नजारा देख कर मुझे समझ नहीं आया की माजरा क्या है, कमरे में एक प्लास्टिक की पल्ली बिछी हुई थी, मिटटी जमा होने के बाद भी मैंने समझ लिया था की खून बिखरा था उस पर .

गाढ़ा खून जो न जाने कब बिखरा था पर आज भी निशान छोड़े हुए था , दीवारों पर भी कुछ उंगलियों के निशान थे खून से सने पर हैरानी की बात ये थी की दरवाजे या उसके आसपास खून का एक भी कतरा नहीं था .उस पल्ली के सिवाय और ज्यादा कुछ था नहीं , एक कोने में घास का गट्ठर था जो नाम मात्र का ही रह गया था . कमरे में अजीब सी बदबू थी शायद सीलन की वजह पर ये कमरा इतना महत्वपूर्ण कैसे था की इसकी चाबी मुझे दी गयी . और चाबी देने वालो को क्या वो उद्देश्य मालूम था की मुझे चाबी क्यों दी गयी .

पैरो को इधर उधर पटक रहा था की मेरे पैर में घास के तिनको के बीच कुछ अटका, मैंने उठा कर देखा एक गुलाबी रंग की ब्रा थी . ब्रा, मैं गारंटी से कह सकता था की ये ब्रा हवेली की ही किसी औरत की रही होगी. क्योंकि आमतौर पर गाँवो की औरते ब्रा का इस्तेमाल नहीं करती दूसरी बात ये बहुत महंगी रही होगी क्योंकि इस पर अंग्रेजी का मार्का था.ब्रा से मैं चुचियो के साइज का अनुमान लगाने लगा की वो कितनी बड़ी रही होंगी.

मैंने कमरे में और गहराई से निरिक्षण चालु किया मुझे एक किताब मिली जिसके पीले पड़ गए पन्ने जर्जर अवस्था में थे, कुछ पन्ने सलामत थे उन्हें देख कर समझा की वो चुदाई की किताब थी और मुझे यकीन था की वो किताब कुलदीप ठाकुर की थी क्योंकि किताब अंग्रेजी में थी , कुलदीप जरुर विलायत से ये लाया होगा. तीनो ठाकुरों का एक साथ मर जाना सामान्य तो बिलकुल नहीं था पर मारे जाने की वजह एक रही होगी. हवेली में कुछ तो ऐसा चल रहा था जो समझ से परे था. रुपाली और कामिनी दो महत्वपूर्ण कडिया गायब थी .



मैंने कमरे के दरवाजे को खुला ही छोड़ दिया , जानबूझ कर खेल के छिपे हुए खिलाडी को संदेसा देने के लिए की मेरी भी नजर है उस पर. कुलदीप बहुत चोदु टाइप का इन्सान था ये चंदा ने मुझे बताया था , और जिस तरह से उसने बात घुमाई थी मैं जानता था की चंदा को भी पेला था उसने. हो सकता था की कुलदीप घुमने के बहाने यही पर आता हो और गाँव की औरतो को चोदता हो. ज़िन्दगी ने अजीब झमेले को मेरे गले में डाल दिया था .

चंदा के पास वापिस जाने का मन नही था तो मैं अपने गान वापिस लौट आया , घर पर न लखन था न निर्मला . मैंने गेट खोला और अन्दर आ गया. मरते हुए बापू ने बस एक शब्द कहा था हवेली, मतलब बापू हवेली से जुड़ा था पर कैसे. जितना उसका रुतबा था उस हिसाब से ये तो हो नहीं सकता था की वो ठाकुर के लिए काम करता हो. कहीं वो ठाकुर के किसी धंधे में साथी तो नहीं था , वो मुझे क्यों लेकर आया.एक अनाथ को अपने घर में क्यों रखेगा जब तक की उस नन्ही जान से लगाव न हो. मात्र दया तो कारण नहीं हो सकता था .



बापू वो कड़ी था जो मेरे और हवेली के बीच था , मैंने बापू के अतीत को तलाशने की सोची. मैंने फिर से बापू के सामान की तलाशी ली , एक बहुत पुरानी डायरी में मुझे एक फ़ोन नम्बर मिला. डायरी लगभग सत्रह साल पुराणी थी . सत्रह साल पहले भला कितने लोगो के घर पर फ़ोन होंगे. दूसरी बात इस घर में तो क्या पुरे गाँव में किसी के पास भी फ़ोन नहीं था . मैंने वो नम्बर याद कर लिया. पूरी डायरी में बस एक फ़ोन नम्बर जिसे इतनी हिफाजत से संभल कर रखा गया था . कोई तो खास रहा होगा.

मैं एक एसटीडी बूथ पर गया वो नम्बर मिलाया, पर वो मिला नहीं दूसरी बात कोशिश की , तीसरी बार घंटी चली गयी . घंटी जाती रही , जाती रही और जब लगा की कोई नहीं उठाएगा ठीक उसी समय फोन उठा लिया गया .

“हेल्लो ” जो आवाज मेरे कानो में गूंजी दिल तक उतर गयी .

“हेल्लो, बोलो भी ”दूसरी तरफ से फिर आवाज आई .

मैं- चांदनी ठकुराइन

“बोल रही हु, कहिये ” उसने कहा

मैं बस फ़ोन रखने को ही था की उधर से आई आवाज ने मुझे रोक लिया

“अर्जुन ये तुम हो न ” उसका ये कहना सीधा दिल में ही तो उतर गया था .

“अर्जुन तुम ही हो न ” उसने फिर कहा

मैं- और कौन होगा मेरे सिवाय

वो- तुमको किसने दिया नम्बर मेरा और कहाँ से बोल रहे हो तुम

मैं- ढूंढने वाले खुदा को तलाश लेते है ये तो मेरी जान का नम्बर है

वो- अच्छा जी . ये भी न सोचा की फ़ोन जय भैया भी उठा सकते थे

मैं- मैं क्या डरता हूँ उससे

वो- मैंने कब कहा

मैं- याद आ रही थी तुम्हारी

वो- भैया आ गये रखती हूँ .


तुरंत ही फ़ोन कट गया . पर मेरे लिए बहुत सवाल खड़े हो गए थे चांदनी के घर का फोन नम्बर बापू की डायरी में सम्भाल कर रखा गया था . बात साफ़ थी बापू का ताल्लुक जरुर था वहां से पर कैसे वो अब मैं मालूम करके ही रहूँगा.
अर्जुन, सरपंच और कामिनी का लड़का।

अब कामिनी ठाकुर की लड़की है या नही वो बाद में पता चलेगा।
 

parkas

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“खट ” की आवाज से ताला खुल गया , मैं इतना हैरान हुआ की साला ये हो क्या रहा है मुझे अमानत के रूप में इस बियाबान पंप हाउस के ताले की चाबी दी गयी थी .किस्मत गधे के लंड से लिखा जाना क्या होता है मैंने तब समझा था . धुल की वजह से खांसते हुए मैंने कमरे का दरवाजा खोला और अन्दर दाखिल हुआ. अन्दर का नजारा देख कर मुझे समझ नहीं आया की माजरा क्या है, कमरे में एक प्लास्टिक की पल्ली बिछी हुई थी, मिटटी जमा होने के बाद भी मैंने समझ लिया था की खून बिखरा था उस पर .

गाढ़ा खून जो न जाने कब बिखरा था पर आज भी निशान छोड़े हुए था , दीवारों पर भी कुछ उंगलियों के निशान थे खून से सने पर हैरानी की बात ये थी की दरवाजे या उसके आसपास खून का एक भी कतरा नहीं था .उस पल्ली के सिवाय और ज्यादा कुछ था नहीं , एक कोने में घास का गट्ठर था जो नाम मात्र का ही रह गया था . कमरे में अजीब सी बदबू थी शायद सीलन की वजह पर ये कमरा इतना महत्वपूर्ण कैसे था की इसकी चाबी मुझे दी गयी . और चाबी देने वालो को क्या वो उद्देश्य मालूम था की मुझे चाबी क्यों दी गयी .

पैरो को इधर उधर पटक रहा था की मेरे पैर में घास के तिनको के बीच कुछ अटका, मैंने उठा कर देखा एक गुलाबी रंग की ब्रा थी . ब्रा, मैं गारंटी से कह सकता था की ये ब्रा हवेली की ही किसी औरत की रही होगी. क्योंकि आमतौर पर गाँवो की औरते ब्रा का इस्तेमाल नहीं करती दूसरी बात ये बहुत महंगी रही होगी क्योंकि इस पर अंग्रेजी का मार्का था.ब्रा से मैं चुचियो के साइज का अनुमान लगाने लगा की वो कितनी बड़ी रही होंगी.

मैंने कमरे में और गहराई से निरिक्षण चालु किया मुझे एक किताब मिली जिसके पीले पड़ गए पन्ने जर्जर अवस्था में थे, कुछ पन्ने सलामत थे उन्हें देख कर समझा की वो चुदाई की किताब थी और मुझे यकीन था की वो किताब कुलदीप ठाकुर की थी क्योंकि किताब अंग्रेजी में थी , कुलदीप जरुर विलायत से ये लाया होगा. तीनो ठाकुरों का एक साथ मर जाना सामान्य तो बिलकुल नहीं था पर मारे जाने की वजह एक रही होगी. हवेली में कुछ तो ऐसा चल रहा था जो समझ से परे था. रुपाली और कामिनी दो महत्वपूर्ण कडिया गायब थी .



मैंने कमरे के दरवाजे को खुला ही छोड़ दिया , जानबूझ कर खेल के छिपे हुए खिलाडी को संदेसा देने के लिए की मेरी भी नजर है उस पर. कुलदीप बहुत चोदु टाइप का इन्सान था ये चंदा ने मुझे बताया था , और जिस तरह से उसने बात घुमाई थी मैं जानता था की चंदा को भी पेला था उसने. हो सकता था की कुलदीप घुमने के बहाने यही पर आता हो और गाँव की औरतो को चोदता हो. ज़िन्दगी ने अजीब झमेले को मेरे गले में डाल दिया था .

चंदा के पास वापिस जाने का मन नही था तो मैं अपने गान वापिस लौट आया , घर पर न लखन था न निर्मला . मैंने गेट खोला और अन्दर आ गया. मरते हुए बापू ने बस एक शब्द कहा था हवेली, मतलब बापू हवेली से जुड़ा था पर कैसे. जितना उसका रुतबा था उस हिसाब से ये तो हो नहीं सकता था की वो ठाकुर के लिए काम करता हो. कहीं वो ठाकुर के किसी धंधे में साथी तो नहीं था , वो मुझे क्यों लेकर आया.एक अनाथ को अपने घर में क्यों रखेगा जब तक की उस नन्ही जान से लगाव न हो. मात्र दया तो कारण नहीं हो सकता था .



बापू वो कड़ी था जो मेरे और हवेली के बीच था , मैंने बापू के अतीत को तलाशने की सोची. मैंने फिर से बापू के सामान की तलाशी ली , एक बहुत पुरानी डायरी में मुझे एक फ़ोन नम्बर मिला. डायरी लगभग सत्रह साल पुराणी थी . सत्रह साल पहले भला कितने लोगो के घर पर फ़ोन होंगे. दूसरी बात इस घर में तो क्या पुरे गाँव में किसी के पास भी फ़ोन नहीं था . मैंने वो नम्बर याद कर लिया. पूरी डायरी में बस एक फ़ोन नम्बर जिसे इतनी हिफाजत से संभल कर रखा गया था . कोई तो खास रहा होगा.

मैं एक एसटीडी बूथ पर गया वो नम्बर मिलाया, पर वो मिला नहीं दूसरी बात कोशिश की , तीसरी बार घंटी चली गयी . घंटी जाती रही , जाती रही और जब लगा की कोई नहीं उठाएगा ठीक उसी समय फोन उठा लिया गया .

“हेल्लो ” जो आवाज मेरे कानो में गूंजी दिल तक उतर गयी .

“हेल्लो, बोलो भी ”दूसरी तरफ से फिर आवाज आई .

मैं- चांदनी ठकुराइन

“बोल रही हु, कहिये ” उसने कहा

मैं बस फ़ोन रखने को ही था की उधर से आई आवाज ने मुझे रोक लिया

“अर्जुन ये तुम हो न ” उसका ये कहना सीधा दिल में ही तो उतर गया था .

“अर्जुन तुम ही हो न ” उसने फिर कहा

मैं- और कौन होगा मेरे सिवाय

वो- तुमको किसने दिया नम्बर मेरा और कहाँ से बोल रहे हो तुम

मैं- ढूंढने वाले खुदा को तलाश लेते है ये तो मेरी जान का नम्बर है

वो- अच्छा जी . ये भी न सोचा की फ़ोन जय भैया भी उठा सकते थे

मैं- मैं क्या डरता हूँ उससे

वो- मैंने कब कहा

मैं- याद आ रही थी तुम्हारी

वो- भैया आ गये रखती हूँ .


तुरंत ही फ़ोन कट गया . पर मेरे लिए बहुत सवाल खड़े हो गए थे चांदनी के घर का फोन नम्बर बापू की डायरी में सम्भाल कर रखा गया था . बात साफ़ थी बापू का ताल्लुक जरुर था वहां से पर कैसे वो अब मैं मालूम करके ही रहूँगा.
Bahut hi shaandar update diya hai HalfbludPrince bhai....
Nice and beautiful update....
 

ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
Divine
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HalfbludPrince मुसाफिर आज क्या हो रहा है 😍 😇 🙄 🔥 😍 पूरी खुराक वो भी रहस्य पर रहस्य नए किरदारों का आगाज उपर से चाबी भी तो खेत के कमरे की.. हवेली फोन 📱 नंबर फोन भी तो जय ठाकुर का ये तो बहुत बहुत ही रहस्य गहराया जा रहा है 😍 😇 🙄 🔥

सचमुच बहुत ही उम्दा अपडेट है 😍 🤔 💰 💫 😇

कुछ विषय वास्तु शैली युक्त सभी जगह आप की कहानी मे पाए जाते हैं.. सेक्स की किताब अंग अंतरंग वस्त्र खेत मे खून वासना का खेला... बहुत ही रोमांचक मुकाबले और पाठकों के सब्र की परीक्षा... 😍

तू सी ग्रेट हो 😍...
अगले घटनाक्रम के इंतजार में 😊 💕 💖 💕
 

rangeen londa

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#१५

“खट ” की आवाज से ताला खुल गया , मैं इतना हैरान हुआ की साला ये हो क्या रहा है मुझे अमानत के रूप में इस बियाबान पंप हाउस के ताले की चाबी दी गयी थी .किस्मत गधे के लंड से लिखा जाना क्या होता है मैंने तब समझा था . धुल की वजह से खांसते हुए मैंने कमरे का दरवाजा खोला और अन्दर दाखिल हुआ. अन्दर का नजारा देख कर मुझे समझ नहीं आया की माजरा क्या है, कमरे में एक प्लास्टिक की पल्ली बिछी हुई थी, मिटटी जमा होने के बाद भी मैंने समझ लिया था की खून बिखरा था उस पर .

गाढ़ा खून जो न जाने कब बिखरा था पर आज भी निशान छोड़े हुए था , दीवारों पर भी कुछ उंगलियों के निशान थे खून से सने पर हैरानी की बात ये थी की दरवाजे या उसके आसपास खून का एक भी कतरा नहीं था .उस पल्ली के सिवाय और ज्यादा कुछ था नहीं , एक कोने में घास का गट्ठर था जो नाम मात्र का ही रह गया था . कमरे में अजीब सी बदबू थी शायद सीलन की वजह पर ये कमरा इतना महत्वपूर्ण कैसे था की इसकी चाबी मुझे दी गयी . और चाबी देने वालो को क्या वो उद्देश्य मालूम था की मुझे चाबी क्यों दी गयी .

पैरो को इधर उधर पटक रहा था की मेरे पैर में घास के तिनको के बीच कुछ अटका, मैंने उठा कर देखा एक गुलाबी रंग की ब्रा थी . ब्रा, मैं गारंटी से कह सकता था की ये ब्रा हवेली की ही किसी औरत की रही होगी. क्योंकि आमतौर पर गाँवो की औरते ब्रा का इस्तेमाल नहीं करती दूसरी बात ये बहुत महंगी रही होगी क्योंकि इस पर अंग्रेजी का मार्का था.ब्रा से मैं चुचियो के साइज का अनुमान लगाने लगा की वो कितनी बड़ी रही होंगी.

मैंने कमरे में और गहराई से निरिक्षण चालु किया मुझे एक किताब मिली जिसके पीले पड़ गए पन्ने जर्जर अवस्था में थे, कुछ पन्ने सलामत थे उन्हें देख कर समझा की वो चुदाई की किताब थी और मुझे यकीन था की वो किताब कुलदीप ठाकुर की थी क्योंकि किताब अंग्रेजी में थी , कुलदीप जरुर विलायत से ये लाया होगा. तीनो ठाकुरों का एक साथ मर जाना सामान्य तो बिलकुल नहीं था पर मारे जाने की वजह एक रही होगी. हवेली में कुछ तो ऐसा चल रहा था जो समझ से परे था. रुपाली और कामिनी दो महत्वपूर्ण कडिया गायब थी .



मैंने कमरे के दरवाजे को खुला ही छोड़ दिया , जानबूझ कर खेल के छिपे हुए खिलाडी को संदेसा देने के लिए की मेरी भी नजर है उस पर. कुलदीप बहुत चोदु टाइप का इन्सान था ये चंदा ने मुझे बताया था , और जिस तरह से उसने बात घुमाई थी मैं जानता था की चंदा को भी पेला था उसने. हो सकता था की कुलदीप घुमने के बहाने यही पर आता हो और गाँव की औरतो को चोदता हो. ज़िन्दगी ने अजीब झमेले को मेरे गले में डाल दिया था .

चंदा के पास वापिस जाने का मन नही था तो मैं अपने गान वापिस लौट आया , घर पर न लखन था न निर्मला . मैंने गेट खोला और अन्दर आ गया. मरते हुए बापू ने बस एक शब्द कहा था हवेली, मतलब बापू हवेली से जुड़ा था पर कैसे. जितना उसका रुतबा था उस हिसाब से ये तो हो नहीं सकता था की वो ठाकुर के लिए काम करता हो. कहीं वो ठाकुर के किसी धंधे में साथी तो नहीं था , वो मुझे क्यों लेकर आया.एक अनाथ को अपने घर में क्यों रखेगा जब तक की उस नन्ही जान से लगाव न हो. मात्र दया तो कारण नहीं हो सकता था .



बापू वो कड़ी था जो मेरे और हवेली के बीच था , मैंने बापू के अतीत को तलाशने की सोची. मैंने फिर से बापू के सामान की तलाशी ली , एक बहुत पुरानी डायरी में मुझे एक फ़ोन नम्बर मिला. डायरी लगभग सत्रह साल पुराणी थी . सत्रह साल पहले भला कितने लोगो के घर पर फ़ोन होंगे. दूसरी बात इस घर में तो क्या पुरे गाँव में किसी के पास भी फ़ोन नहीं था . मैंने वो नम्बर याद कर लिया. पूरी डायरी में बस एक फ़ोन नम्बर जिसे इतनी हिफाजत से संभल कर रखा गया था . कोई तो खास रहा होगा.

मैं एक एसटीडी बूथ पर गया वो नम्बर मिलाया, पर वो मिला नहीं दूसरी बात कोशिश की , तीसरी बार घंटी चली गयी . घंटी जाती रही , जाती रही और जब लगा की कोई नहीं उठाएगा ठीक उसी समय फोन उठा लिया गया .

“हेल्लो ” जो आवाज मेरे कानो में गूंजी दिल तक उतर गयी .

“हेल्लो, बोलो भी ”दूसरी तरफ से फिर आवाज आई .

मैं- चांदनी ठकुराइन

“बोल रही हु, कहिये ” उसने कहा

मैं बस फ़ोन रखने को ही था की उधर से आई आवाज ने मुझे रोक लिया

“अर्जुन ये तुम हो न ” उसका ये कहना सीधा दिल में ही तो उतर गया था .

“अर्जुन तुम ही हो न ” उसने फिर कहा

मैं- और कौन होगा मेरे सिवाय

वो- तुमको किसने दिया नम्बर मेरा और कहाँ से बोल रहे हो तुम

मैं- ढूंढने वाले खुदा को तलाश लेते है ये तो मेरी जान का नम्बर है

वो- अच्छा जी . ये भी न सोचा की फ़ोन जय भैया भी उठा सकते थे

मैं- मैं क्या डरता हूँ उससे

वो- मैंने कब कहा

मैं- याद आ रही थी तुम्हारी

वो- भैया आ गये रखती हूँ .


तुरंत ही फ़ोन कट गया . पर मेरे लिए बहुत सवाल खड़े हो गए थे चांदनी के घर का फोन नम्बर बापू की डायरी में सम्भाल कर रखा गया था . बात साफ़ थी बापू का ताल्लुक जरुर था वहां से पर कैसे वो अब मैं मालूम करके ही रहूँगा.
jese government me kam karne walo ke liye rule he panchname ke time unhe le jate he



and jab rape case ya posko ho tab unhe andar garments dikhate he

like your all story hero ko milti he to sirf bra and panty

:ban2::ban2::ban2:

aur jurm ke saboot

yani mast ram wali kitabe

:allclear::allclear::allclear:

ab to hero ko adat ho gayee he to ab sirf dekhkar size ka bhi andaja laga leta he

:budhabudhi::budhabudhi::budhabudhi:
khwaab chodan naya ward............:angel3::angel3::accident::accident::accident::accident:just kidding
 

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
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#14

चांदनी ने अलमारी खोली और एक पिस्तौल निचे गिर गयी. मैंने उसे उठा कर देखा विलायती पिस्तौल थी .

मैं- पहले कभी देखा इसे

चांदनी- नहीं , मैंने तो अलमारी यूँ ही खोली थी .

मैंने पिस्तौल को चेक दिया, आठ में से सात गोलिया थी,एक गोली गायब थी .

मैं- ठाकुरों को कैसे मारा गया था

चांदनी- गला दबा कर.

इसका मतलब साफ़ था की ये हथियार वो नहीं था बल्कि इसका होना न होना अब बराबर ही था. कामिनी के कपडे सलीकेदार थे पर उनसे अमीरी नहीं झलकती थी क्या हवेली की एकलौती लड़की पर पैसे खर्च नहीं किये जाते थे .

“कितना सुन्दर है न ये देखो अर्जुन ” चांदनी ने एक डिब्बा खोल लिया था जिसमे मोतियों के हार थे.

मैं- तुम चाहो तो रख सकती हो तुम्हारा ही हक़ है इनपर .

चांदनी- नहीं ,

उसने डिब्बा वापिस से रखा और अलमारी बंद कर दी. जब वो अलमारी बंद कर रही थी तो थोडा सा झुकी वो और मेरी नजर उसकी गोल गांड पर पड़ी. जवानी में कदम रखे ताजा हुस्न का अपना ही जलवा होता है , ऊपर से कसी हुई तंग सलवार में उसके नितम्बो की गोलाई कोई भी देखता तो दाद जरुर देता.

“कुलदीप का कमरा खोलो ” मैंने कहा

चांदनी- अर्जुन, मेरे पास बस इसी कमरे की चाबी है .

ये अजीब बात थी

“बाकि चाबिया कहाँ है फिर ” मैने पूछा

चांदनी- जबसे देखा है हवेली के जायदातर कमरों पर ताला ही देखा है . वैसे भी पिताजी के बाद शायद ही यहाँ पर कोई आया हो. पर मैं कोशिश करुँगी कुछ मिलता है तो बताउंगी

हम लोग सबसे ऊपर की मंजिल पर गए , जहाँ पर एक कमरे का दरवाजा खुला था . ये कमरा थोडा अलग सा था ,इसकी बनावट बेहद शानदार थी लकड़ी की नक्काशी का इतना शानदार काम नहीं हो सकता था वक्त की धुल बेशक अपने पाँव जमाये हुए थी पर फिर भी तारीफ उस कारीगर की जिसने यहाँ अपने कला के जोहर बिखेरे होंगे. ऐसा शानदार पलंग जिसके पायो में सोना लगा था . पर मेरी नजर उस खिड़की पर थी जिस से बाहर का मेन गेट दीखता था .

“जय सिंह कभी हवेली की बात करता है क्या तुमसे ” मैंने कहा

चांदनी- भैया नफरत करते है हवेली से वो मानते है की पिताजी को ये हवेली ही खा गयी.

मै समझता था पिता को खोने का दुःख मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोला- ये हवेली अगर मुझे मेरे राज बताएगी तो तुम्हे तुम्हारे पिता का राज भी बताएगी. पर तुम्हे उसके लिए प्रयास करना होगा चांदनी

वो- क्या करना होगा.

मैं- ठाकुर साहब के पास इतनी जायदाद थी , जो काफी हद तक बिक गयी थी . पर फिर भी ठाकुरों ये वर्तमान पीढ़ी यानी की तुम लोग किसी राजा महाराजा जैसा जीवन जी रहे हो पैसा , कहाँ से आता है ये पैसा.

चांदनी- हमारे कुछ होटल है शहर में और शराब की फैक्ट्री आदि है . ब्याज पर भी पैसा दिया जाता है . पिताजी के जाने के बाद जय भैया ने व्यापर को अपने दम पर बहुत आगे कर दिया है .

मैं- हवेली के दो मुख्य नौकर थे भूषण और चंदा, भूषण को हाल ही में मार दिया गया . चंदा ने हवेली छोड़ दी थी . मुझे लगता है की भूषण को मारने वाला नहीं चाहता होगा की वो कुछ भी बताये

चांदनी- पर क्यों , इतने साल बाद ही यो जबकि भूषण सबसे कमजोर शिकार था .

मैं- इतने साल से कोई आया भी तो नहीं हवेली, कोई तो है जो नहीं चाहता की ये हवेली आबाद हो , इसमें हलचल हो . कोई तो है जो इस मनहूसियत को चाहता है .

चांदनी- पर कौन

मैं- मालूम कर लूँगा.

हम दोनों ने काफी वक्त बिताया वहां पर इतना तो तय था की बरसों से कोई आया गया नहीं था वहां पर . चांदनी के जाने के बाद मैं सीधा भूषण की झोपडी में पहुंचा पर शायद मुझसे पहले कोई और भी आकर चला गया था सामान इधर -उधर पड़ा था , कोई तो था ये शक मेरा और पुख्ता हो गया था . कोई तो था जो नजर रखे हुए था . खैर,मेरा पैर एक डिबिया पर पड़ा तो मैंने उसे उठाया उसमे एक पुराणी तस्वीर थी जिसे गौर से देखने पर मैंने पाया की ये तो कामिनी की तस्वीर है ,

“भूषण का कामिनी से क्या लेना देना ” मैंने खुद से सवाल किया और उस तस्वीर को अपनी जेब में रख लिया. इस हवेली से मेरा क्या नाता है ये सोचते सोचते सर में दर्द हो गया . मैंने दूकान से राशन का सामान ख़रीदा और चंदा के घर पहुँच गया .

“इसकी क्या जरुरत थी ” उसने कहा

मैं- इतना तो फर्ज है मेरा

मैंने झोला दिया उसे, जब वो झोला पकड रही थी तो उसका आंचल सरक गया मेरी नजर उसकी छात्तियो पर पड़ी. चंदा को भी भान था पर उसने आंचल की परवाह नहीं की बल्कि पूरा समय लेकर मुझे दीदार करवाया उसके हुस्न के जलवे का . वो चाय बनाने लगी मैं पीछे की तरफ हाथ मुह धोने लगा. मैंने देखा की डोरी पर चंदा की कच्छी सूख रही थी जो चूत वाली जगह से फटी हुई थी . मैंने इधर उधर देखा और उसे हल्का सा सहलाया , कसम से गर्मी के मौसम में मैंने अपने बदन को कांपते हुए महसूस किया.

मैं- ठाकुर की जमीने देखना चाहता हूँ मैं.

चंदा- जिधर तुम्हारी नजर जाये उसी तरफ देख लो सब जमीने उनकी थी किसी ज़माने में

मैं- जानता हूँ ठाकुर साहब ने काफी जमीने बेच दी थी पर थोड़ी बहुत कुछ तो बची ही होंगी न.

चंदा- जो बचा था वो ठाकुर के भतीजे ने हथिया लिया था ठाकुर को परवाह भी नहीं थी , वैसे भी हादसे के बाद वो कर ही क्या लेता उसका होना न होना बराबर ही है . कुछ एकड़ बंजर भूमि बची है चाहो तो देख कर तसल्ली कर सकते हो .


चंदा ने मुझे बताया उस जमीनों के बारे में चाय पीकर मैं उस तरफ चल दिया . करीब आधे घंटे बाद मैं उस जगह पहुंचा तो पाया की वो जमीनों का टुकड़ा देख रेख के आभाव में बर्बाद हो चूका था , पम्प हाउस था , कुवे में पानी था पर जैसा मैंने कहा किसीको परवाह ही नहीं रही होगी. कमरे पर एक पुराने ज़माने का ताला लगा था जंग खाया हुआ . मैंने इधर उधर देखा और जेब से चाबी निकाल कर उस ताले में डाली जैसे ही चाबी को घुमाया........................
Pistol mili Kamini ke room me ,jisme ek round kam he, room me ek motiyo ka haar he khali ,aur bhushan Jo mara gaya he uske zopde me Kamini ki photo :hmm2:
Gajab scene ban raha he idhar . Gajab
 
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