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Adultery हवेली

parkas

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#11

सुबह मैंने गाड़ी ठीक करवाई और वापिस से घर आ गया पर इस बार मैं अकेला नही था मेरे साथ सवालों का बोझ भी आया था . मैंने निर्मला को समझाया की आगे से जमीनों का काम उसे ही देखना होगा मैं थोड़े दिन व्यस्त रहूँगा . मैंने लखन को भी चोकिदारी छोड़ने को कहा. निर्मला को खेतो पर छोड़ कर मैं आया और सारे घर की तलाशी ली पर सरपंच साहब कोई भी ऐसा सुराग नहीं छोड़ गए थे जो मेरे काम आ सके. और सबसे बड़ी उलझन वो चाबी जो मेरी जेब में पड़ी थी . मैंने गाडी शहर की तरह घुमाई और सीधा कचहरी पहुँच गया जहाँ पर एक और आश्चय मेरा इंतज़ार कर रहा था .



कचहरी में मुझे मालूम हुआ की रमेश चंद नाम का कोई भी वकील था ही नहीं. तो फिर वो कौन था जो चाबी देकर गया था . उसे हर हाल में तलाश करना ही होगा. वापिस आते समय मैंने थोड़ी जलेबिया खरीदी और अन्दर घुस गया . मैं नहा ही रहा था की निर्मला आ गयी . उसने लकडिया कोने में रखी और नलके पर आकर हाथ पाँव धोने लगी. जब वो झुकी तो उसकी गदराई छतिया देख कर मेरे कच्छे में हलचल सी मचने लगी. उसने अपनी साडी ऊपर की उफ्फ्फ उसकी गोरी पिंडलिया जिस पर एक भी बाल नही था कसम से मैंने सीने में तूफ़ान मचलते हुए महसूस किया .

“जलेबिया लाया हूँ तुम्हारे लिए ” मैने कहा

वो मुस्कुराई और चारपाई पर रखे लिफाफे को खोल कर जलेबी खाने लगी . मैंने भी तब तक तौलिया बाँध लिया

“तुम भी चख लो , जलेबियो का स्वाद तब तक ही जंचता है जब तक की वो गर्म हो . ” निर्मला ने अपने होंठो पर लगी चाशनी उंगलियों पर लपेटी और जलेबी मेरी तरफ की, कसम से उसकी अदा पर पिघल ही तो गया था मैं. जलेबी पकड़ने के बहाने मैंने चाशनी से सनी उसकी उंगलियों को छुआ और जलेबी के टुकड़े को अपने होंठो में दबा लिया. मैं उसके इतने पास आ गया था की उसकी भारी छातिया मेरे सीने में दबने लगी थी . पर वो पीछे न सरकी . मैंने अपनी ऊँगली उसके चाशनी से लिपटे लाल होंठो पर रखी और उसके होंठो को सहलाने लगा.



“सीई ” निर्मला के होंठो से एक आह निकली . तौलिये में फद्फ्दाता मेरा लंड निर्मला की चूत पर दस्तक देने लगा था निर्मला का अकड़ता बदन कांप रहा था मेरे छूने से उसके होंठ लरज रहे थे , उसके हाथ में जो लिफाफा था मैंने उसमे पड़ी जलेबियो को मसला और चाशनी को उसके होंठो पर लगा दिया. उसकी आँखे बंद होती गयी और अगले ही पल मैंने अपने होंठ उसके दहकते होंठो से मिला दिए. जीवन का पहला चुम्बन , मैंने उसकी कमर में हाथ डाल कर उसे अपने आप से जोड़ लिया और बेतहाशा चूमता चला गया उसे. होंठो से जो होंठ मिले , निर्मला ने अपने होंठ खोले और अपनी जीभ मेरे मुह में डाल दी. हाय, एक आग सी ही तो लग गयी तन में . मेरे हाथ उसकी पीठ से होते हुए उसके नितम्बो पर आ गए. पर इस से पहले की मैं उसकी गांड का जायजा ले पाता ,बाहर से आई आवाज ने हम दोनों को होश में ला दिया.

कोई गाँव वाला फरियाद लेकर आया था

मैं- बाबा अब हम सरपंच नहीं रहे , तुम्हे अजित सिंह के घर जाना चाहिए वो ही समाधान करेंगे तुम्हारा.

बाबा- बरसो से इसी चौखट ने हमारी फरियादे सुनी है बेटा,

मैं गाँव वालो की भावनाए समझता था मैंने कहा की उसकी मदद होगी. बाकि फिर लखन था तो निर्मला और मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पाए. अगर मैं सरपचं जी का बेटा नहीं था तो फिर क्या वजूद था मेरा और उस हवेली से क्या लेना देना था मेरा. इस घर में मैंने कभी शौर्य सिंह का नाम भी नहीं सुना था , और जब अब उससे मिलने की जरुरत थी वो बिस्तर पर कोमा में पड़ा था . अगली सुबह मैं फिर से निकल गया पर इस बार मैंने गाड़ी नहीं ली साथ . दोपहर को मैं एक बार फिर हवेली के सामने खड़ा था पर आज थोड़ी आसानी थी क्योंकि भूषण की झोपडी पर ताला लगा था मतलब वो यहाँ नहीं था .

मैंने हवेली का पीछे से जायजा लेने का सोचा , उस तरफ काफी ऊँचे पेड़ थे, मैं एक पेड़ पर चढ़ा और दिवार के अन्दर कूद गया. एक अजीब सा सन्नाटा ,बरसो से ये जगह खाली थी किसी ने संभाला नहीं था तो काफी झाडिया, घास उग आई थी . रास्ता बनाते हुए उस बड़े बरगद के पास से होते हुए मैं हवेली के पीछे वाले हिस्से में पहुँच चूका था . मेरा दिल जोरो से धडक रहा था यहाँ की हवा में कुछ तो अजीब था , सांसो पर दबाव सा पड़ रहा था . पसीने भरे हाथो से मैंने पिछले दरवाजे को धक्का दिया पर वो नहीं खुला . शीशम की लकड़ी का बना वो दरवाजा वक्त की मार सहते हुए भी वफदारी से खड़ा था . मैं अन्दर घुसने का कोई और जुगाड़ देखने लगा. मैंने देखा की रसोई की खिड़की का शीशा टुटा हुआ है मैंने उसमे हाथ दिया और चिटकनी खोल दी. पल्ले को सरकाया और अन्दर दाखिल हो गया. हर कहीं धुल मिटटी भरी हुई थी मैंने अपने साफे को मुह पर बाँधा और रसोई के खुले दरवाजे से होते हुए अन्दर की तरफ पहुँच गया.

काले संगमरमर का वो फर्श जिस पर बेशक मिटटी धुल ने अपना कब्ज़ा कर लिया था पर आज भी शान बाकी थी उसकी , सामने दीवारों पर बंदूके टंगी थी जो जालो से ढकी थी , छत पर विदेशी फानूस, , दीवारों पर आदमकद तस्वीरे जिन्हें मैं नहीं जानता था . ऐशो-आराम तो खूब रहा होगा हवेली में . उस बड़े से आँगन में कुछ नहीं था कोने में दो कमरे बने थे बस. ऊपर जाती सीढियों पर चढ़ कर मैं पहली मंजिल पर आया. यहाँ पर एक लाइन में कुल चार कमरे बने थे जिनमें से तीन पर ताले लगे थे. मैंने जेब से चाबी निकाली और बरी बारी से कोशिश की पर चाबी ने धोखा दिया.

फिर मैं उस कमरे की तरफ बढ़ा जिस पर केवल कुण्डी लगी थी .मैंने उस कमरे को खोला और जैसे ही अन्दर गया.........................

Nice and beautiful update....
 
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अपडेट 10
मैं- नही जानता अभी तो नहीं जानता पर हवेली को जानना चाहता हूँ .
ये क्या था
जिसकी ख़ूबसूरती के किस्से हवाए भी बताती थी
:bow:
की पत्नी रुपाली ठकुराइन उनकी मौत के बाद विदेश में बस गयी
क्या यार रूपाली को बीच में ले आए अब तो लगता है हवेली पढ़नी पड़ेगी, कितना अच्छा होता अगर आप प्यासे जिस्मों के रिश्ते जैसे पुरानी कहानी की तरफ ले चलते हवेली तो उसमे भी थी खैर बढ़िया अपडेट था

अपडेट 11
दूसरा scene बड़ा हो सकता था लेकिन जबरदस्ती सस्पेंस के चक्कर में छोटा रह गया

तारीफ कर नही पाऊंगा क्योंकि बचकाना लगेगा, इतना सादगी भरा अपडेट कोई नही लिखता है इस वेबसाइट में, रही बात अपडेट की तो वक्त के साथ साथ लोग अपनी आदतों में भी सुधार लाते है तो कोशिश कीजिए अपडेट बड़ा करने की पहले भी 2 scene का अपडेट आज भी 2 scene

इंतजार रहेगा अगले अपडेट की
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Jawani ki aag par kaabu rakhna mushkil hota hai hero ke andar jalti aag aakhir bhadak hi gayi or aaj nahi to kal tan badan ko jhulsa dengi khair ab aate hai kahani par Arjun ko abhi tak andhere me rakha gaya tha lekin kyu kya sarpanch ko dar tha ki wo use akela chodkar chala jaayega ya baat kuch or thi.

Antim shabd Haweli the pitaji ke ho na ho waha kuch to aisa milega jisse hume madad milegi or wah chaabhi ab kya kahu ho sakta hai wah kisi sanduk ki ho kuch bhi kaha nahi ja sakta.

Kahani rochak banti ja rahi hai lekin adhura sa lag raha hai update read karte waqt kya kami hai.. dekhte hai aage kya hota hai...
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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Shandaar Update foji Bhai ,
Nirmala to ek Hijhatke me taiyaar ho gai. Or apna hiro haweli me khojbeen karne pahuch gaya, eb dekhne wali baat hai ki kamre me use apni ya apni premika ki tasveer mili ki nahi🥰🥰,
Kuch To hai jis se parda hai,
Awesome update with Great writing skills 👌🏻👌🏻💥💥💥💯💯💯🔥🔥🔥💢💢💢💢
ना जाने क्या समेटे हुई है हवेलि की खामोशी
 
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