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Incest हुस्न की परियाँ

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सुमन

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यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। यहां लिखे गए किसी भी चीज/व्यक्ति का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है। अगर किसी की भी जिंदगी का संबंध कहानी से मिलता है तो यह केवल संयोग ही हो सकता है।​
-----सुमन​
 

सुमन

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INDEX

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[In Muzaffarpur]

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सुमन

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~~Introduction~~
Rohan ek anath hai jisko Neha ke mata pita ne god liya tha. Kuch salo pahle unki car accident me maut ho gayi thi. ab wah Ab wah apni bahno ke sath Muzaffarpur district me rahta hai. Abhi abhi usne 12th ki exam diye hai. Iske paas ek nilam ki pendent hai. jisme se isko kuchh memory milti hai, jo pendent ke pichhle maliko ki thi.

abhi Rohan mumbai ki or nikal chuka hai.

Rohan ki height 6'2" hai. sath hi sath uske paas 11" lamba aur 5" hathiyar hai.


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Ruhi bhi rohan ki tarah anath thi. usko bhi Neha ke mata pita ne adopt kiya tha. Ruhi bachpan se hi Rohan aur Neha ki dekhbhal karti aayi thi. Ruhi ko hacking bahut pasand hai. lekin iska istemal bahut hi kam karti hai. Rohan, Ruhi ko harek baat batata hai. Yah Rohan se bahut pyar karti hai.

Ruhi ki Height 5'8" hai. Ruhi ka figure 36C-24-36 hai. lekin wah apni sharir ko hamesha chhupa ke rakhti hai.
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Neha Rohan ki bahan hai. isi ke mata pita ne Rohan aur Ruhi ko adopt kiya tha. yah bahut hi natkhat hai. Rohan aur Ruhi, isse bahut pyar karte hai.

Neha ki height 5'7" hai. iski figure 32-26-32 hai.
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Naina Neha ki judwa bahan hai. un dono ke bich me koi antar nahi nikal sakta. Naina bachpan se hi Neha se bichad gyi thi. woh Muzaffarpur me Neha se mili. tab jakar usko apni asli zindgi ke bare me pata chala.
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teeno Ruhi ki bahut achhi saheliya hai. Lekin baad me pata chalta hai ki Sanjay (kumud ka bhai) in sabhi ke sath rape karta hai aur inka istemal Ruhi aur uski bahno ko phasane keliye karna chahta hai. jis karan Naina ne inhe Rohan ka gulam bana diya.

Meena 👇
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Kumud 👇
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Priti 👇
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Teeno Neha ki saheliya hai. Neha ek private school me padhti hai. Lekin baad me pata chalta hai ki Sanjay (kumud ka bhai) in sabhi ke sath rape karta hai aur inka istemal Ruhi aur uski bahno ko phasane keliye karna chahta hai. jis karan Naina ne inhe Rohan ka gulam bana diya.

Riya 👇
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Nitu 👇
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Kajal 👇

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Arohi kajal ki bhabhi lagti hai. wah apne pati se bahut pareshan thi. lekin jab Rohan ne use apni pati ki kartute dikhai to use apne pati se nafrat hone lagi. aur ant me usne talak de diya. ye bhi kajal ki tarah Rohan ki gulam hai.

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****
Yeh Rohan ki asli maa hai. Kisi karanwas Rohan unse bichhad gaya hai. Inke bare me aage jakar pata chalegi.
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~~Villain~~​
Kumud ka bhai aur Rohan ka dost. yah kumud ke sath sath meena, priti, riya, kajal aur nitu ko apne jaal me fasa kar chudai karta hai sath hi sath inko aur logo se bhi chudwata hai. yah kaam wo kajal ke bhai ke sath mil kar karta hai. abhi uske baare me Rohan ko pata chal jane ke karan ghar se bhag jata hai.
Iska lund 6"lamba aur 3"mota hai.
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सुमन

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001: नीलम की पेंडेंट

ग्रीन पार्क हाई स्कूल, मुजफ्फरपुर, बिहार

रोहन आज क्लास में सो रहा था। तभी उसका हाथ टेबल के किनारे से निकली एक नुकीली स्टील की परत से जाकर लग गया। जिससे उसकी हाथो से खून की एक फव्वारा निकला। खून का फव्वारा सीधा उसकी गर्दन में लटके माणिक के पेंडेंट पर जा लगी।

खून के लगते ही पेंडेंट एकाएक चमकने लगा। रोहन इस सब से अनजान अपनी नींद में खोया हुआ था। तभी उसके सर में बहुत लोगो की जिंदगी चलने लगी। उसके सर में बहुत ही तेज दर्द होने लगता है। पहले तो उसे लगा की वह कोई सपना देख रहा है। लेकिन जब उसका सर तेज दर्द करने लगा तब उसे पता चल गया की वह जो भी देख रहा है वह सब सच है।

~आह्ह्ह्ह~

रोहन एकाएक अपनी सर पकड़कर चीखने लगता है। जिससे टीचर का ध्यान उसकी तरफ चला जाता है। रोहन को इतने दर्द में देख कर क्लास में अभी पढ़ा रही मिस पूर्वी ने रोहन के बगल में बैठे लड़के को बोला, “संजय तुम रोहन को क्लिनिक में ले जाओ।”

संजय क्लास में सबसे आवारा टाइप लड़का था। उसकी बाल हमेशा रंग बिरंगे रहते थे। वहा हमेशा क्लास में किसी न किसी को तंग करता रहता था। लेकिन उसके पढ़ने में भी बहुत ही तेज होने के कारण उसे कोई टीचर डांटते नही थे।

उसके उलट रोहन बहुत मेहनती था। लेकिन उसको बहुत ही कम मार्क्स आते थे। सभी टीचर उससे थोड़ा नाराज रहते थे। खासकर क्लास टीचर। उसकी मार्क्स के कारण क्लास का औसत मार्क्स भी कम हो जाता था। रोहन क्लास में सबसे अंतिम में आता था। परिवार की स्थिति खराब रहने से उसे बहुत मेहनत करना पड़ता था। रात को काम करके जब घर लौटता तो उसके शरीर में जान नही बचती थी की वह पढ़ सके।

संजय रोहन को सहारे देकर स्कूल के क्लिनिक में ले जाया है। वही रोहन अभी भी अपने होश में नहीं था। अभी वह अपने साथ हुए घटना से बहुत ही शॉक्ड हो गया था। उसने लगभग तीस से चालीस आदमियों की जिंदगी इन चंद लम्हों में देख ली होगी। सभी की जिंदगी में दो चीजे कॉमन थी। पहला सभी उसकी तरह माणिक की पेंडेंट पहनते थे। जो अभी उसके गले में लटकी हुई थी। और दूसरी सभी बहुत ही शक्तिशाली थे। सभी अपने अपने क्षेत्र में बहुत आगे तक निकल चुके थे। कोई डॉक्टर था तो कोई रसोइया। कोई दवा बनाने में माहिर था तो कोई वास्तुशास्त्र में माहिर।

करीब दो मिनिट में संजय रोहन को लेकर क्लिनिक पहुंचा। वहा पर एक बहुत ही जवान नर्स थी। उसका नाम कविता था। दिखने में बहुत ही सेक्सी थी। लेकिन उसके चेहरे पर बहुत सारी फुंसियों के दाग लगे हुए थे। जिसके कारण उसकी अभी तक शादी नही हो पाई थी।

चलो इसकी कहानी बाद में बताते है। अभी चलते है क्लिनिक में जहा पर संजय रोहन को लेकर पहुंचा था। संजय कविता से बोला, “सिस्टर, इसको देखो इसका सिर कैसे इतना तेज दर्द कर रहा है।”

कविता संजय को अच्छे से पहचानती थी। वह उसको बोली, “अच्छा इसे यह पर रख कर तुम अपने क्लास में जा सकते हो। मैं इसका देख भाल कर लूंगी।”

कविता के कहने से संजय रोहन को वही पर रख कर वहा से चला जाता है। कविता रोहन से पूछती है की उसे क्या हुआ है। लेकिन रोहन कोई जवाब नही देता वह अपनी दुनिया में खोया हुआ था। वह अभी अभी अपने दिमाग में आई जानकारी को छांट रहा था। इसीलिए उसने कविता पर ध्यान नहीं दिया। अब उसका सर दर्द भी कम हो गया है।

रोहन जानकारियों को छांटते हुए सोच रहा था, “अरे वाह बहुत अच्छी चीज हाथ लगी है। मैने सोचा नहीं था की इतनी छोटी सी चीज इतना बड़ा रहस्य छुपाए हुए है।”

तभी उसकी देखा की उसके दिमाग में एक मंत्र है। उसने देखा था की उसके पहले जितने भी लोगो ने माणिक के पेंडेंट को पहना था सभी उसका जाप करते थे। “वाह ताकतवर बनने की विद्या! अब मुझे कमजोर रहना नही पड़ेगा।”

वह मंत्र उसके दिमाग में अच्छे तरीके से बैठ गई थी। ऐसा लग रहा था की अभी उसने जो भी कुछ देखा है उसको वह कभी भूल भी नही सकता था।

जब कविता देखी की रोहन उसका जवाब नही दे रहा तो उसने रोहन के सर पर हाथ रखा। रोहन अपने सर पर किसी का हाथ महसूस करके अपनी ध्यान से बाहर आया। जैसे ही उसने अपनी नजर ऊपर की ओर उठाई उसे कविता की पहाड़ जैसी छतिया दिखाई दी। उसको देख रोहन की सांसे तेज हो गई। उसकी पैंट में भी हलचल होने लगी। कविता दिखने में बहुत ही सेक्सी थी। अगर उसके चेहरे को छोड़ दिया जाए तो वह बूढ़ों का भी लंड खड़ा करवा सकती थी।
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रोहन की बढ़ती सांसों को महसूस करके कविता रोहन को देखती है। जब वह रोहन की नजर का पीछा करती है तो वह सब कुछ समझ जाति है। अपने मन में ही बोलती है “आजकल के बच्चे भी न।”

कविता को न जाने क्यों मजाक सूझा, वह रोहन से पूछ बैठी, “कैसा है।”

रोहन बिना सोचे समझे जवाब देता है, “बहुत ही बढ़िया। मैने आजतक इतने बड़े मम्मे नही देखे।” रोहन अभी भी कविता के मम्मे को ही घूर रहा था। उसने सच ही बोला था। कविता के मम्मे E कप साइज से कम नहीं होंगे।

कविता भी अभी एक कुंवारी लड़की थी। उसको रोहन की यूं तारीफ करना बहुत अच्छा लगा। वैसे भी उसकी तारीफ कोई करता नही था। वह रोहन के सर पर टपली मरते हुए बोली, “चल अब होश में आजा।”

कविता के तपली से रोहन अपने होश में आ जाता है, तब उससे कविता पूछती है, “क्या हुआ है तुझे। वो संजय बोला की तेरा सिर दर्द कर रहा है।”

रोहन हस्ते हुए जवाब दिया, “कविता दी, अब मेरा सिर दर्द ठीक हो गया है। बस हाथ थोड़ा कट गया है। इस पर पट्टी लगा दो।”

रोहन अपना हाथ दिखाते हुए कविता को बताता है। कविता उसको पट्टी लगा देती है। अब रोहन बिलकुल ठीक था। वह क्लिनिक से बाहर जाते हुए बोलता है, “वैसे कविता दी, आपके मम्मे बहुत सुंदर है।” इतना बोल वहा वहा से हस्ते हुए बाहर चला जाता है।

इधर कविता उसके मजाक को सुनकर शर्मा जाती है। फिर अपने आप में हंसकर अपना काम करने लगती है।

इधर रोहन क्लास में जैसे ही जाने वाला होता है। वहा से मिस पूर्वी बाहर आती हुई दिखाई देती है। वह रोहन को देख कर बोलती है, “चलो मेरे साथ आओ मेरी ऑफिस में।”

रोहन अब कुछ कर नही सकता था। पूरे स्कूल में मिस पूर्वी अपने कड़े स्वभाव के लिए प्रसिद्ध थी। वह किसी को भी नही बखस्ती थी। रोहन भी उनसे डरता था। इसीलिए वह बिना किसी सवाल के उनके पीछे पीछे चल देता है। दोनो ऑफिस में पहुंच जाते है।

पूर्वी: अब तुम कैसे हो?

रोहन: मैं अब ठीक हू। पता नही क्यों मेरा सिर दर्द करने लगा था।

पूर्वी: ठीक है कोई बात नही। मैं तुम्हे इसलिए यहा बुलाई हू। क्योंकि अब मैट्रिक की फाइनल परीक्षा को केवल दो महीने रह गए है। इसीलिए तुम्हे अच्छे से तैयारी करनी पड़ेगी।

रोहन: जी मिस।

पूर्वी: जी कहने से काम नही चलेगा। आज से तुम्हे परीक्षा की तैयारी शुरू करनी पड़ेगी। कल से रोज तुम रोज पढ़ाई करने के लिए क्लास खत्म होने के बाद मेरी फ्लैट पर आया करोगे। मैं तुमको एक घंटे अलग से ट्यूशन पढ़ाऊंगी।

रोहन यह सुनकर भौचक्का रह गया। स्कूल में न जाने कितने लड़के मिस पूर्वी के घर जाने केलिए मरते होंगे। लेकिन उसको यह मौका बिना मांगे मिल रहा था। वह मन ही मन बहुत खुश हो रहा था। लेकिन उसको शाम में बाजार भी जाना होता है।
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रोहन: मिस मैं शाम को नही आ सकता। आपको तो पता ही है। मैं सुबह आ जाऊंगा।

पूर्वी: अच्छा ठीक है अभी क्लास में जाओ। कल सुबह पांच बजे मेरे फ्लैट पे आ जाना।

रोहन पूर्वी के केविन से बाहर निकल कर सीधे क्लास में चला जाता है। उसका क्लास X(d) था। जिसमे लगभग सभी वैसे बच्चे थे जिनके नंबर अच्छे नही आते थे और खेल कूद में माहिर थे या जिन्होंने नई इंट्री ली हुई थी। खैर रोहन से संजय के अलावा कोई बात नही करता था। और संजय आज क्लास बंक कर चुका था।

रोहन अपनी किताब खोलकर बैठ जाता है। उसकी नजर तो किताब को घूर रही थी पर वह अभी अपनी दिमाग में आई जानकारियों को अलग कर रहा था। उसमे उसने बहुत सारी कलाओं के बारे में देखा था। वह अपनी जरूरत के आधार पर इन सभी यादों को अलग अलग तरीके से बाटने लगा।

कुछ ही देर में स्कूल से छुट्टी हो गई। वह घर की ओर जाने लगा। आज उसका मूड पहले से मुकाबले काफी अच्छा था। घर पहुंचकर उसने देखा की आज वह अपनी बहन से पहले घर पहुंच गया है।

वह जल्दी से शाम की तैयारी करने लगा। रोहन रोज अपनी बहन रूही के साथ बैरिया बाजार जाता था। शाम को बाजार में बहुत से लोग घूमने आते थे। रोहन और रूही, फूड और स्पाइसी फूड्स बेचते थे। उन्होंने बाजार में एक छोटी सी दुकान किराए पर लिया था।

इस दुकान से उनका तीन लोगो का परिवार अपना गुजारा कर लेते थे। उनके साथ उनकी छोटी बहन नेहा रहती थी। दरअसल तीनों सगे भाई बहन नही थे। रोहन और रूही एक ही अनाथाश्रम में पले बढ़े थे।

वही नेहा के जन्म के वक्त उसकी मां को कॉम्प्लिकेशन हो गए थे। और वह दूसरा बच्चा कंसीव नही कर सकती थी। उस वक्त उन्होंने एक बच्चा गोद लेने के लिए अनाथालय गए थे। जब वे वहा पहुंचे तो उन्होंने रोहन को चुना था। लेकिन रोहन रूही को छोड़ कर जाना नही चाहता था। इसीलिए उन्होंने दोनो को गोद ले लिया था।

तीन साल पहले ही दोनो पति पत्नी का कर एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। और उनका छोटा सा कारोबार खत्म हो गया था। तब से ही रोहन और रूही घर की जिम्मेदारी संभालने लगे थे। रोज वे स्कूल के बाद सीधा घर आकर मार्केट चले जाते थे। वही नेहा अपनी एक दोस्त के घर पढ़ने चली जाती थी। जब वे मार्केट से लौटते तो नेहा को भी वे साथ ले आते।

रोहन और रूही का घर संभालने के बाद वे लोग अपना एडमिशन ग्रीन पार्क स्कूल में करवा लिया था। जो एक शरकरी स्कूल था। वही नेहा अपनी पुरानी डीएवी स्कूल में पढ़ती थी। दोनो का काम अधिक बढ़ गया था। काम की वजह से रोहन और रूही अच्छे से पढ़ाई नही कर पाते थे। दोनो के मार्क्स काम आने लगे थे।

नेहा को उन दोनो ने कोई कमी नहीं होने दी थी। खैर रोहन अभी सामान सही कर ही रहा था की रूही भी अपनी सहेलियों के साथ घर लौट आई। वह आकर रोहन की मदद करने लगी। दोनो सामान लादकर बाजार की ओर चले गए।

वे दोनो एक दुकान के सामने जाकर रुके। वहा बड़े बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था “स्पाइसी बाइट्स”। यह उनका ही दुकान था। जब वे बाजार में आए तो करीब आधा घंटा टाइम बचा हुआ था अभी बगल के यूनिवर्सिटी की छुट्टी होने में।

वे दोनो मिलकर तैयारी करने लगे। सबसे पहले उन्हें समोसे के लिए आलू तैयार करना था। रूही जब मसाला मिलने वाली थी, तभी रोहन ने उसे रोक दिया।

अभी अभी रोहन के दिमाग में मसाला मिलने का एक तरीका याद आया था। जिससे समोसा और स्वादिष्ट हो जाता। उसने उसी तरीके से थोड़े से आलू में मसाला मिलाया। और फिर रूही को चखने केलिए दिया।

रूही जब उसका स्वाद टेस्ट की, तो उसे और दिनों से बहुत अच्छा लगा।

रूही: भाई। मसाला तो बहुत अच्छे से बना है। क्या क्या मिलाया तूने।

रोहन: दी, पता नही कैसे मेरे दिमाग में यह आइडिया आया जिससे हम और अच्छा समोसा बना सकते है।

रूही: अच्छा! (कुछ सोचते हुए) और इसमें क्या क्या मिलाया।

रोहन: बस जो रोज मिलते थे। लेकिन बस मैने मिलने के टाइम को बदल दिया। जो हम पहले मिलते थे उसे मैंने बाद में मिलाया।

रूही: अच्छा मेरे को भी बताओ तो।

रोहन: अच्छा इधर आ।

रोहन रूही को मसाले को मिलने के क्रम को बताने लगा। कुछ ही देर में दोनो ने मिलकर समोसे का आलू तैयार कर लिया था। उसके बाद दोनो ने टमाटर की चटनी बना ली।

इसी बीच आधा घंटा बीत चुका था। आज का पहला ग्राहक भी आ गया था। ये लोग कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे थे। रूही ग्राहक को देखकर अंदर चली गई। वह किचन संभालती थी। वही रोहन बाहर का देखता था।

लड़का: चलो रोहन बाबू! आज क्या बनाया है। खुशबू बड़ी अच्छी आ रही है।

रोहन: और भैया समोसा ही बना हुआ है।

लड़का: अच्छा चल भाई दो ला दे।

रोहन: (दुकान के सामने रखे कुर्शियो की ओर इशारा करते हुए) भैया एक मिनट बैठो अभी लाया।

रोहन इतना कहकर अंदर चला गया। वहा उसने प्लेट में दो समोसे रखे जिसको अभी अभी रूही छान कर रखी थी। उसने उसे लाकर लड़के को दे दिया। लड़का समोसा खाते हुए बोला।

लड़का: अरे रोहन भाई आज तो समोसा कुछ अलग लग रहा है कौन सा जादू डाले हो तुम।

रोहन: भैया हमने कोई जादू नही किया बस रोज जैसा ही बनाया है।

लड़का जल्द ही समोसे खत्म कर लेता है।

लड़का: चल बता कितने रुपए हुए!

रोहन: बारह रुपए भैया।

लड़का बीस का नोट निकाल कर देता है। और रोहन उसे छुट्टे देकर विदा कर देता है। उसके जाने के बाद दूसरी ग्राहक और तीसरी ग्राहक भी आए। सभी आज समोसे के स्वाद की तारीफ भी किए जा रहे थे। धीरे धीरे शाम हो गई। आज का पूरा सामान खत्म हो गया था। बाजार भी खत्म होने को था।

रोहन: दी, कल क्या बनाना है।

रूही: भाई, अब हम रोज कोई दो चीजे ही बनाएंगे। कल हमलोग फ्रेंच फ्राई और समोसा बनाएंगे।

रोहन: अच्छा दी तो तुम ये सब साफ करो मैं तब तक बाजार से सामान खरीद कर लाता हूं।

रूही: ठीक है! अच्छे से जाना।

रोहन वहा से चला गया। वह सीधा बाजार पहुंचा। उसने आलू, आटा, मसाले, तेल और भी बाकी कई सारी चीजे खरीदी। तभी उसे एक नुस्खा याद आया। जिसको पीने के बाद लोग अपने आप को तरोताजा महसूस करते है। उसने उसकी पूरी चीज खरीद ली।

रोहन जल्द ही लौट आया। तबतक रूही भी पूरे कमरे को साफ कर चुकी थी। उन्होंने जो दुकान रेंट पर लिया था उसमे एक दो कमरे और एक बाथरूम था। एक कमरे को दोनो ने किचन बना दिया था और दूसरे कमरे में वे स्टोर रूम के रूप में यूज करते थे। बाहर थोड़ा सा जगह था जिसमे दोनो ने कुछ कुर्सी और टेबल रख दिए थे। वही उन्होंने छाव केलिए आगे प्लास्टिक तंग दी थी।

जब सब कुछ सही हो गया तो रोहन और रूही बारी बारी से नहा कर तैयार हो गए। उन्होंने अपनी बैटरी रिक्सा से घर वापस आ गए। नेहा ने पहले ही बोल दिया था की वह आज अपने फ्रेंड के घर पर नही जायेगी। वह सीधा घर को जायेगी।

रोहन रिक्सा चला रहा था वही रूही पीछे बैठी हुई थी।

रूही: भाई आज कितनी कमाई हुई है।

रोहन: दी कुल मिलाकर आज की कमाई तेईस हजार की हुई है। आज कमाल का समोसा बना था।

रूही: अठारह हजार मूलधन निकल कर हमारे पास पांच हजार बचे।

रोहन: हा दी। और मैंने फिर कल केलिए बीस हजार की सामान खरीद ली है। मुझे लगता है कल भी अधिक बिक्री होगी।

रूही: हा। भाई तुमने समोसे की आलू बनाने वाला नुक्सा कहा से सीखा।

रोहन जो रूही से कुछ नही छुपाता वह सीधे सीधे आज सुबह हुई बात के बारे में बता देता है।

रोहन: दी आज सुबह मैं क्लास में सोया हुआ था, तो मेरा हाथ बेंच के नुकीले किल में लगकर कर गया था। उसके बाद मेरा खून वो नीलम वाली पेंडेंट पर गिरा जिसके बाद पता नही क्या हुआ, एकाएक सिर में तेज दर्द होने लगा। और मेरे दिमाग में फिल्म चलने लगा। तुम सोच नही सकती मैं कितना डर गया था।

रूही: क्या हुआ था।

रोहन: दी, मेरे सर में मूवी चल रही थी। जैसे दस लोगो की जिंदगी को मैंने पांच मिनट में ही फास्ट फॉरवर्ड में देख लिया हो। उसके बाद मेरा सर ठीक हो गया।

रूही: क्या बकवास कर रहे हो?

रोहन: दी मैं सच कह रहा हु। पहले मुझे भी लगा की ये सब बकवास है। लेकिन मैंने बाद में महसूस किया की जो भी चीज मैने देखा है वो सब सही है। जैसे मैंने अभी समोसे वाले मसाले तैयार किए थे। यह मैने एक कुक की जिंदगी से सीखी। वह बहुत ही मशहूर था।

रूही: और क्या क्या सीखा?

रूही अब रोहन की ओर दिलचस्पी से देख रही थी। उसे भी जानना था की उसके भाई ने क्या क्या हासिल किया है।

रोहन: दीदी बहुत कुछ लेकिन सब अभी सही से याद नही है। जब मैं सब कुछ ठीक कर लूंगा तब आपको बताऊंगा। मैने बस अभी एक कुक की जिंदगी को ही अच्छे से सहेजा है। और थोड़ा बहुत एक वैध की जिंदगी संजोई है।

रूही: अच्छा और क्या क्या देखा।

रोहन: दी कुक एक बहुत ही अमीर परिवार से था। पहले तो उसकी जिंदगी आसन थी। लेकिन पत्नी के धोखा देने से वह सड़क पर आ गया। एक दिन उसकी एक्सीडेंट हो गई और फिर इस नीलम की पेंडेंट की मदद से बच गया। उसके बाद उसने खाना बनाना शुरू किया। और एक मशहूर कुक बना। वह अकबर के शासन काल में उसका रसोइया भी था। लेकिन वह बहुत ही बेकार इंसान था।

रूही: ऐसा क्यों?

रोहन: अपने बीबी से धोखा खाने बाद वह किसी भी औरत या लड़की पर भरोसा नही करता था। न जाने उसके बाद उसने कितने लड़कियों और औरतों की जिंदगी उसने बरबाद की थी।

रूही: ओह!

रोहन: और एक बात बताऊं?

रूही: क्या?

रोहन: वह बहुत ही बड़ा कामिना था। वह लड़कियों की चुदाई तो करता ही था पर उसके बाद उनको मार भी डालता था।

रूही: आह! सच में कमिना था। अच्छा और तुमको कुछ हुआ क्या? कुछ बदलाव? कुछ हानि?

रोहन: नही दी।

रूही: चलो तब सही है!

रोहन: दी एक बात बतानी थी। कल से सुबह जग जाना। हमलोग दौड़ने जायेंगे।

रूही: अच्छा आखिर ओ क्यों?

रोहन: दी, उस रसोइए ने एक मेडिसिनल खाना तैयार किया था। जिसको कोई एक्सरसाइज करने के बाद लेने से शरीर मजबूत होता है।

रूही: ओह तो ठीक है। कल से नेहा को भी ले चलेंगे।

रोहन: हां।

रोहन और रूही ऐसे ही बात करते हुए चले जा रहे थे। उनका घर एक पुरानी बस्ती में था। वहा पर केवल एक बेडरूम, एक किचन और एक बाथरूम था। और एक छोटा सा हॉल भी था।

उन्होंने देखा की उनके घर में कोई लाइट नही जल रही है।


Word count: 3075
---The End---
 
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achinsaha

I 🖤 🖤Darkness 🖤🖤
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रोहन: भाई हीरो है अपना!

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रूही: रोहन की बहन।
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नेहा: रोहन की बहन

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मीना: रूही की सहेली।

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कुमुद: रूही की सहेली
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प्रीति: रूही की सहेली
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रिया: नेहा की सहेली
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नीतू: नेहा की सहेली
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काजल: नेहा की सहेली
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कविता: एक नर्स।

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पूर्वी: टीचर।

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Nice intro 😍
 

achinsaha

I 🖤 🖤Darkness 🖤🖤
1,226
2,271
143
Ni
001: नीलम की पेंडेंट

ग्रीन पार्क हाई स्कूल, मुजफ्फरपुर, बिहार

रोहन आज क्लास में सो रहा था। तभी उसका हाथ टेबल के किनारे से निकली एक नुकीली स्टील की परत से जाकर लग गया। जिससे उसकी हाथो से खून की एक फव्वारा निकला। खून का फव्वारा सीधा उसकी गर्दन में लटके माणिक के पेंडेंट पर जा लगी।

खून के लगते ही पेंडेंट एकाएक चमकने लगा। रोहन इस सब से अनजान अपनी नींद में खोया हुआ था। तभी उसके सर में बहुत लोगो की जिंदगी चलने लगी। उसके सर में बहुत ही तेज दर्द होने लगता है। पहले तो उसे लगा की वह कोई सपना देख रहा है। लेकिन जब उसका सर तेज दर्द करने लगा तब उसे पता चल गया की वह जो भी देख रहा है वह सब सच है।

~आह्ह्ह्ह~

रोहन एकाएक अपनी सर पकड़कर चीखने लगता है। जिससे टीचर का ध्यान उसकी तरफ चला जाता है। रोहन को इतने दर्द में देख कर क्लास में अभी पढ़ा रही मिस पूर्वी ने रोहन के बगल में बैठे लड़के को बोला, “संजय तुम रोहन को क्लिनिक में ले जाओ।”

संजय क्लास में सबसे आवारा टाइप लड़का था। उसकी बाल हमेशा रंग बिरंगे रहते थे। वहा हमेशा क्लास में किसी न किसी को तंग करता रहता था। लेकिन उसके पढ़ने में भी बहुत ही तेज होने के कारण उसे कोई टीचर डांटते नही थे।

उसके उलट रोहन बहुत मेहनती था। लेकिन उसको बहुत ही कम मार्क्स आते थे। सभी टीचर उससे थोड़ा नाराज रहते थे। खासकर क्लास टीचर। उसकी मार्क्स के कारण क्लास का औसत मार्क्स भी कम हो जाता था। रोहन क्लास में सबसे अंतिम में आता था। परिवार की स्थिति खराब रहने से उसे बहुत मेहनत करना पड़ता था। रात को काम करके जब घर लौटता तो उसके शरीर में जान नही बचती थी की वह पढ़ सके।

संजय रोहन को सहारे देकर स्कूल के क्लिनिक में ले जाया है। वही रोहन अभी भी अपने होश में नहीं था। अभी वह अपने साथ हुए घटना से बहुत ही शॉक्ड हो गया था। उसने लगभग तीस से चालीस आदमियों की जिंदगी इन चंद लम्हों में देख ली होगी। सभी की जिंदगी में दो चीजे कॉमन थी। पहला सभी उसकी तरह माणिक की पेंडेंट पहनते थे। जो अभी उसके गले में लटकी हुई थी। और दूसरी सभी बहुत ही शक्तिशाली थे। सभी अपने अपने क्षेत्र में बहुत आगे तक निकल चुके थे। कोई डॉक्टर था तो कोई रसोइया। कोई दवा बनाने में माहिर था तो कोई वास्तुशास्त्र में माहिर।

करीब दो मिनिट में संजय रोहन को लेकर क्लिनिक पहुंचा। वहा पर एक बहुत ही जवान नर्स थी। उसका नाम कविता था। दिखने में बहुत ही सेक्सी थी। लेकिन उसके चेहरे पर बहुत सारी फुंसियों के दाग लगे हुए थे। जिसके कारण उसकी अभी तक शादी नही हो पाई थी।

चलो इसकी कहानी बाद में बताते है। अभी चलते है क्लिनिक में जहा पर संजय रोहन को लेकर पहुंचा था। संजय कविता से बोला, “सिस्टर, इसको देखो इसका सिर कैसे इतना तेज दर्द कर रहा है।”

कविता संजय को अच्छे से पहचानती थी। वह उसको बोली, “अच्छा इसे यह पर रख कर तुम अपने क्लास में जा सकते हो। मैं इसका देख भाल कर लूंगी।”

कविता के कहने से संजय रोहन को वही पर रख कर वहा से चला जाता है। कविता रोहन से पूछती है की उसे क्या हुआ है। लेकिन रोहन कोई जवाब नही देता वह अपनी दुनिया में खोया हुआ था। वह अभी अभी अपने दिमाग में आई जानकारी को छांट रहा था। इसीलिए उसने कविता पर ध्यान नहीं दिया। अब उसका सर दर्द भी कम हो गया है।

रोहन जानकारियों को छांटते हुए सोच रहा था, “अरे वाह बहुत अच्छी चीज हाथ लगी है। मैने सोचा नहीं था की इतनी छोटी सी चीज इतना बड़ा रहस्य छुपाए हुए है।”

तभी उसकी देखा की उसके दिमाग में एक मंत्र है। उसने देखा था की उसके पहले जितने भी लोगो ने माणिक के पेंडेंट को पहना था सभी उसका जाप करते थे। “वाह ताकतवर बनने की विद्या! अब मुझे कमजोर रहना नही पड़ेगा।”

वह मंत्र उसके दिमाग में अच्छे तरीके से बैठ गई थी। ऐसा लग रहा था की अभी उसने जो भी कुछ देखा है उसको वह कभी भूल भी नही सकता था।

जब कविता देखी की रोहन उसका जवाब नही दे रहा तो उसने रोहन के सर पर हाथ रखा। रोहन अपने सर पर किसी का हाथ महसूस करके अपनी ध्यान से बाहर आया। जैसे ही उसने अपनी नजर ऊपर की ओर उठाई उसे कविता की पहाड़ जैसी छतिया दिखाई दी। उसको देख रोहन की सांसे तेज हो गई। उसकी पैंट में भी हलचल होने लगी। कविता दिखने में बहुत ही सेक्सी थी। अगर उसके चेहरे को छोड़ दिया जाए तो वह बूढ़ों का भी लंड खड़ा करवा सकती थी।
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रोहन की बढ़ती सांसों को महसूस करके कविता रोहन को देखती है। जब वह रोहन की नजर का पीछा करती है तो वह सब कुछ समझ जाति है। अपने मन में ही बोलती है “आजकल के बच्चे भी न।”

कविता को न जाने क्यों मजाक सूझा, वह रोहन से पूछ बैठी, “कैसा है।”

रोहन बिना सोचे समझे जवाब देता है, “बहुत ही बढ़िया। मैने आजतक इतने बड़े मम्मे नही देखे।” रोहन अभी भी कविता के मम्मे को ही घूर रहा था। उसने सच ही बोला था। कविता के मम्मे E कप साइज से कम नहीं होंगे।

कविता भी अभी एक कुंवारी लड़की थी। उसको रोहन की यूं तारीफ करना बहुत अच्छा लगा। वैसे भी उसकी तारीफ कोई करता नही था। वह रोहन के सर पर टपली मरते हुए बोली, “चल अब होश में आजा।”

कविता के तपली से रोहन अपने होश में आ जाता है, तब उससे कविता पूछती है, “क्या हुआ है तुझे। वो संजय बोला की तेरा सिर दर्द कर रहा है।”

रोहन हस्ते हुए जवाब दिया, “कविता दी, अब मेरा सिर दर्द ठीक हो गया है। बस हाथ थोड़ा कट गया है। इस पर पट्टी लगा दो।”

रोहन अपना हाथ दिखाते हुए कविता को बताता है। कविता उसको पट्टी लगा देती है। अब रोहन बिलकुल ठीक था। वह क्लिनिक से बाहर जाते हुए बोलता है, “वैसे कविता दी, आपके मम्मे बहुत सुंदर है।” इतना बोल वहा वहा से हस्ते हुए बाहर चला जाता है।

इधर कविता उसके मजाक को सुनकर शर्मा जाती है। फिर अपने आप में हंसकर अपना काम करने लगती है।

इधर रोहन क्लास में जैसे ही जाने वाला होता है। वहा से मिस पूर्वी बाहर आती हुई दिखाई देती है। वह रोहन को देख कर बोलती है, “चलो मेरे साथ आओ मेरी ऑफिस में।”

रोहन अब कुछ कर नही सकता था। पूरे स्कूल में मिस पूर्वी अपने कड़े स्वभाव के लिए प्रसिद्ध थी। वह किसी को भी नही बखस्ती थी। रोहन भी उनसे डरता था। इसीलिए वह बिना किसी सवाल के उनके पीछे पीछे चल देता है। दोनो ऑफिस में पहुंच जाते है।

पूर्वी: अब तुम कैसे हो?

रोहन: मैं अब ठीक हू। पता नही क्यों मेरा सिर दर्द करने लगा था।

पूर्वी: ठीक है कोई बात नही। मैं तुम्हे इसलिए यहा बुलाई हू। क्योंकि अब मैट्रिक की फाइनल परीक्षा को केवल दो महीने रह गए है। इसीलिए तुम्हे अच्छे से तैयारी करनी पड़ेगी।

रोहन: जी मिस।

पूर्वी: जी कहने से काम नही चलेगा। आज से तुम्हे परीक्षा की तैयारी शुरू करनी पड़ेगी। कल से रोज तुम रोज पढ़ाई करने के लिए क्लास खत्म होने के बाद मेरी फ्लैट पर आया करोगे। मैं तुमको एक घंटे अलग से ट्यूशन पढ़ाऊंगी।

रोहन यह सुनकर भौचक्का रह गया। स्कूल में न जाने कितने लड़के मिस पूर्वी के घर जाने केलिए मरते होंगे। लेकिन उसको यह मौका बिना मांगे मिल रहा था। वह मन ही मन बहुत खुश हो रहा था। लेकिन उसको शाम में बाजार भी जाना होता है।
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रोहन: मिस मैं शाम को नही आ सकता। आपको तो पता ही है। मैं सुबह आ जाऊंगा।

पूर्वी: अच्छा ठीक है अभी क्लास में जाओ। कल सुबह पांच बजे मेरे फ्लैट पे आ जाना।

रोहन पूर्वी के केविन से बाहर निकल कर सीधे क्लास में चला जाता है। उसका क्लास X(d) था। जिसमे लगभग सभी वैसे बच्चे थे जिनके नंबर अच्छे नही आते थे और खेल कूद में माहिर थे या जिन्होंने नई इंट्री ली हुई थी। खैर रोहन से संजय के अलावा कोई बात नही करता था। और संजय आज क्लास बंक कर चुका था।

रोहन अपनी किताब खोलकर बैठ जाता है। उसकी नजर तो किताब को घूर रही थी पर वह अभी अपनी दिमाग में आई जानकारियों को अलग कर रहा था। उसमे उसने बहुत सारी कलाओं के बारे में देखा था। वह अपनी जरूरत के आधार पर इन सभी यादों को अलग अलग तरीके से बाटने लगा।

कुछ ही देर में स्कूल से छुट्टी हो गई। वह घर की ओर जाने लगा। आज उसका मूड पहले से मुकाबले काफी अच्छा था। घर पहुंचकर उसने देखा की आज वह अपनी बहन से पहले घर पहुंच गया है।

वह जल्दी से शाम की तैयारी करने लगा। रोहन रोज अपनी बहन रूही के साथ बैरिया बाजार जाता था। शाम को बाजार में बहुत से लोग घूमने आते थे। रोहन और रूही, फूड और स्पाइसी फूड्स बेचते थे। उन्होंने बाजार में एक छोटी सी दुकान किराए पर लिया था।

इस दुकान से उनका तीन लोगो का परिवार अपना गुजारा कर लेते थे। उनके साथ उनकी छोटी बहन नेहा रहती थी। दरअसल तीनों सगे भाई बहन नही थे। रोहन और रूही एक ही अनाथाश्रम में पले बढ़े थे।

वही नेहा के जन्म के वक्त उसकी मां को कॉम्प्लिकेशन हो गए थे। और वह दूसरा बच्चा कंसीव नही कर सकती थी। उस वक्त उन्होंने एक बच्चा गोद लेने के लिए अनाथालय गए थे। जब वे वहा पहुंचे तो उन्होंने रोहन को चुना था। लेकिन रोहन रूही को छोड़ कर जाना नही चाहता था। इसीलिए उन्होंने दोनो को गोद ले लिया था।

तीन साल पहले ही दोनो पति पत्नी का कर एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। और उनका छोटा सा कारोबार खत्म हो गया था। तब से ही रोहन और रूही घर की जिम्मेदारी संभालने लगे थे। रोज वे स्कूल के बाद सीधा घर आकर मार्केट चले जाते थे। वही नेहा अपनी एक दोस्त के घर पढ़ने चली जाती थी। जब वे मार्केट से लौटते तो नेहा को भी वे साथ ले आते।

रोहन और रूही का घर संभालने के बाद वे लोग अपना एडमिशन ग्रीन पार्क स्कूल में करवा लिया था। जो एक शरकरी स्कूल था। वही नेहा अपनी पुरानी डीएवी स्कूल में पढ़ती थी। दोनो का काम अधिक बढ़ गया था। काम की वजह से रोहन और रूही अच्छे से पढ़ाई नही कर पाते थे। दोनो के मार्क्स काम आने लगे थे।

नेहा को उन दोनो ने कोई कमी नहीं होने दी थी। खैर रोहन अभी सामान सही कर ही रहा था की रूही भी अपनी सहेलियों के साथ घर लौट आई। वह आकर रोहन की मदद करने लगी। दोनो सामान लादकर बाजार की ओर चले गए।

वे दोनो एक दुकान के सामने जाकर रुके। वहा बड़े बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था “स्पाइसी बाइट्स”। यह उनका ही दुकान था। जब वे बाजार में आए तो करीब आधा घंटा टाइम बचा हुआ था अभी बगल के यूनिवर्सिटी की छुट्टी होने में।

वे दोनो मिलकर तैयारी करने लगे। सबसे पहले उन्हें समोसे के लिए आलू तैयार करना था। रूही जब मसाला मिलने वाली थी, तभी रोहन ने उसे रोक दिया।

अभी अभी रोहन के दिमाग में मसाला मिलने का एक तरीका याद आया था। जिससे समोसा और स्वादिष्ट हो जाता। उसने उसी तरीके से थोड़े से आलू में मसाला मिलाया। और फिर रूही को चखने केलिए दिया।

रूही जब उसका स्वाद टेस्ट की, तो उसे और दिनों से बहुत अच्छा लगा।

रूही: भाई। मसाला तो बहुत अच्छे से बना है। क्या क्या मिलाया तूने।

रोहन: दी, पता नही कैसे मेरे दिमाग में यह आइडिया आया जिससे हम और अच्छा समोसा बना सकते है।

रूही: अच्छा! (कुछ सोचते हुए) और इसमें क्या क्या मिलाया।

रोहन: बस जो रोज मिलते थे। लेकिन बस मैने मिलने के टाइम को बदल दिया। जो हम पहले मिलते थे उसे मैंने बाद में मिलाया।

रूही: अच्छा मेरे को भी बताओ तो।

रोहन: अच्छा इधर आ।

रोहन रूही को मसाले को मिलने के क्रम को बताने लगा। कुछ ही देर में दोनो ने मिलकर समोसे का आलू तैयार कर लिया था। उसके बाद दोनो ने टमाटर की चटनी बना ली।

इसी बीच आधा घंटा बीत चुका था। आज का पहला ग्राहक भी आ गया था। ये लोग कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे थे। रूही ग्राहक को देखकर अंदर चली गई। वह किचन संभालती थी। वही रोहन बाहर का देखता था।

लड़का: चलो रोहन बाबू! आज क्या बनाया है। खुशबू बड़ी अच्छी आ रही है।

रोहन: और भैया समोसा ही बना हुआ है।

लड़का: अच्छा चल भाई दो ला दे।

रोहन: (दुकान के सामने रखे कुर्शियो की ओर इशारा करते हुए) भैया एक मिनट बैठो अभी लाया।

रोहन इतना कहकर अंदर चला गया। वहा उसने प्लेट में दो समोसे रखे जिसको अभी अभी रूही छान कर रखी थी। उसने उसे लाकर लड़के को दे दिया। लड़का समोसा खाते हुए बोला।

लड़का: अरे रोहन भाई आज तो समोसा कुछ अलग लग रहा है कौन सा जादू डाले हो तुम।

रोहन: भैया हमने कोई जादू नही किया बस रोज जैसा ही बनाया है।

लड़का जल्द ही समोसे खत्म कर लेता है।

लड़का: चल बता कितने रुपए हुए!

रोहन: बारह रुपए भैया।

लड़का बीस का नोट निकाल कर देता है। और रोहन उसे छुट्टे देकर विदा कर देता है। उसके जाने के बाद दूसरी ग्राहक और तीसरी ग्राहक भी आए। सभी आज समोसे के स्वाद की तारीफ भी किए जा रहे थे। धीरे धीरे शाम हो गई। आज का पूरा सामान खत्म हो गया था। बाजार भी खत्म होने को था।

रोहन: दी, कल क्या बनाना है।

रूही: भाई, अब हम रोज कोई दो चीजे ही बनाएंगे। कल हमलोग फ्रेंच फ्राई और समोसा बनाएंगे।

रोहन: अच्छा दी तो तुम ये सब साफ करो मैं तब तक बाजार से सामान खरीद कर लाता हूं।

रूही: ठीक है! अच्छे से जाना।

रोहन वहा से चला गया। वह सीधा बाजार पहुंचा। उसने आलू, आटा, मसाले, तेल और भी बाकी कई सारी चीजे खरीदी। तभी उसे एक नुस्खा याद आया। जिसको पीने के बाद लोग अपने आप को तरोताजा महसूस करते है। उसने उसकी पूरी चीज खरीद ली।

रोहन जल्द ही लौट आया। तबतक रूही भी पूरे कमरे को साफ कर चुकी थी। उन्होंने जो दुकान रेंट पर लिया था उसमे एक दो कमरे और एक बाथरूम था। एक कमरे को दोनो ने किचन बना दिया था और दूसरे कमरे में वे स्टोर रूम के रूप में यूज करते थे। बाहर थोड़ा सा जगह था जिसमे दोनो ने कुछ कुर्सी और टेबल रख दिए थे। वही उन्होंने छाव केलिए आगे प्लास्टिक तंग दी थी।

जब सब कुछ सही हो गया तो रोहन और रूही बारी बारी से नहा कर तैयार हो गए। उन्होंने अपनी बैटरी रिक्सा से घर वापस आ गए। नेहा ने पहले ही बोल दिया था की वह आज अपने फ्रेंड के घर पर नही जायेगी। वह सीधा घर को जायेगी।

रोहन रिक्सा चला रहा था वही रूही पीछे बैठी हुई थी।

रूही: भाई आज कितनी कमाई हुई है।

रोहन: दी कुल मिलाकर आज की कमाई तेईस हजार की हुई है। आज कमाल का समोसा बना था।

रूही: अठारह हजार मूलधन निकल कर हमारे पास पांच हजार बचे।

रोहन: हा दी। और मैंने फिर कल केलिए बीस हजार की सामान खरीद ली है। मुझे लगता है कल भी अधिक बिक्री होगी।

रूही: हा। भाई तुमने समोसे की आलू बनाने वाला नुक्सा कहा से सीखा।

रोहन जो रूही से कुछ नही छुपाता वह सीधे सीधे आज सुबह हुई बात के बारे में बता देता है।

रोहन: दी आज सुबह मैं क्लास में सोया हुआ था, तो मेरा हाथ बेंच के नुकीले किल में लगकर कर गया था। उसके बाद मेरा खून वो नीलम वाली पेंडेंट पर गिरा जिसके बाद पता नही क्या हुआ, एकाएक सिर में तेज दर्द होने लगा। और मेरे दिमाग में फिल्म चलने लगा। तुम सोच नही सकती मैं कितना डर गया था।

रूही: क्या हुआ था।

रोहन: दी, मेरे सर में मूवी चल रही थी। जैसे दस लोगो की जिंदगी को मैंने पांच मिनट में ही फास्ट फॉरवर्ड में देख लिया हो। उसके बाद मेरा सर ठीक हो गया।

रूही: क्या बकवास कर रहे हो?

रोहन: दी मैं सच कह रहा हु। पहले मुझे भी लगा की ये सब बकवास है। लेकिन मैंने बाद में महसूस किया की जो भी चीज मैने देखा है वो सब सही है। जैसे मैंने अभी समोसे वाले मसाले तैयार किए थे। यह मैने एक कुक की जिंदगी से सीखी। वह बहुत ही मशहूर था।

रूही: और क्या क्या सीखा?

रूही अब रोहन की ओर दिलचस्पी से देख रही थी। उसे भी जानना था की उसके भाई ने क्या क्या हासिल किया है।

रोहन: दीदी बहुत कुछ लेकिन सब अभी सही से याद नही है। जब मैं सब कुछ ठीक कर लूंगा तब आपको बताऊंगा। मैने बस अभी एक कुक की जिंदगी को ही अच्छे से सहेजा है। और थोड़ा बहुत एक वैध की जिंदगी संजोई है।

रूही: अच्छा और क्या क्या देखा।

रोहन: दी कुक एक बहुत ही अमीर परिवार से था। पहले तो उसकी जिंदगी आसन थी। लेकिन पत्नी के धोखा देने से वह सड़क पर आ गया। एक दिन उसकी एक्सीडेंट हो गई और फिर इस नीलम की पेंडेंट की मदद से बच गया। उसके बाद उसने खाना बनाना शुरू किया। और एक मशहूर कुक बना। वह अकबर के शासन काल में उसका रसोइया भी था। लेकिन वह बहुत ही बेकार इंसान था।

रूही: ऐसा क्यों?

रोहन: अपने बीबी से धोखा खाने बाद वह किसी भी औरत या लड़की पर भरोसा नही करता था। न जाने उसके बाद उसने कितने लड़कियों और औरतों की जिंदगी उसने बरबाद की थी।

रूही: ओह!

रोहन: और एक बात बताऊं?

रूही: क्या?

रोहन: वह बहुत ही बड़ा कामिना था। वह लड़कियों की चुदाई तो करता ही था पर उसके बाद उनको मार भी डालता था।

रूही: आह! सच में कमिना था। अच्छा और तुमको कुछ हुआ क्या? कुछ बदलाव? कुछ हानि?

रोहन: नही दी।

रूही: चलो तब सही है!

रोहन: दी एक बात बतानी थी। कल से सुबह जग जाना। हमलोग दौड़ने जायेंगे।

रूही: अच्छा आखिर ओ क्यों?

रोहन: दी, उस रसोइए ने एक मेडिसिनल खाना तैयार किया था। जिसको कोई एक्सरसाइज करने के बाद लेने से शरीर मजबूत होता है।

रूही: ओह तो ठीक है। कल से नेहा को भी ले चलेंगे।

रोहन: हां।

रोहन और रूही ऐसे ही बात करते हुए चले जा रहे थे। उनका घर एक पुरानी बस्ती में था। वहा पर केवल एक बेडरूम, एक किचन और एक बाथरूम था। और एक छोटा सा हॉल भी था।

उन्होंने देखा की उनके घर में कोई लाइट नही जल रही है।


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---The End---
Nice beginning😍
 
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