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Campaigning Is Also Allowed Right Now ,but read the rules given in entry thread Before Starting.
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Wo to kabse aage hi hai, ju apna sochoIsmein bhi ju aage nikal gaye![]()
Kaam to karna hi hai yaarBas apne work me busy hone wale hain
Ready horaha thaa
Fir koi nahi jeetegaJeetega to wahi jisko ju jitwaoge![]()
Rahne do guru, ab ju nahi bata sakte wo samajh sakta hai apunFir koi nahi jeetega![]()
Take care bhaiप्रणाम भाई,
क्षमा चाहता हूँ की इतने दिन गायब रहा!
माँ के स्वास्थ्य और अपना नया घर लेने के चक्कर में ऐसा फँसा की आप सभी को यहाँ अपना हाल-चाल बताना ही भूल गया!
अपना घर लेने के लिए मैं पूरी दिल्ली भटका, सुबह नाश्ता कर के निकलता था और शाम को लौटता था| जो घर पसंद आता वो मेरे बजट से बाहर होता था और जो घर बजट में आता था वो कॉलोनी अच्छी नहीं थी! अंततः दिल्ली के बाहर ही निकलना पड़ा और भटकते-भटकते फरीदाबाद पहुँचा| यहाँ भी जो घर पसंद था वो बजट से बाहर था, भाव-ताव कर के उसे अपने बजट में ले कर आया तो माँ के स्वास्थ्य की मुसीबत सर पर आ पड़ी!
माँ के बाएँ पॉँव, जिसमें घुटने के नीचे इन्फेक्शन था उसमें अचानक दर्द शुरू हुआ| फिर पता चला की उसमें कीड़े (maggots) हो गए हैं! अब माँ हॉस्पिटल जाने को तैयार नहीं थीं तो घर पर एक मेल नर्स को बुलाया जिसने उस जख्म की सफाई कर के उसके कीड़े खत्म किये| जब वो सफाई करता तो माँ को बहुत पीड़ा होती| खैर, लगभग एक हफ्ता सब ठीक चल रहा, मेल नर्स रोज़ आता और हर बार 1500/- लेता| जब पाँव में थोड़ा सुधार आने लगा तो उसने कहा की वो 3-4 दिन बाद आएगा| बस इतना सुनना था की माँ ने उसे दुबारा आने के लिए ही मना कर दिया तथा मुझे ही जख्म की सफाई करने को कहा| मैंने माँ को समझाना चाहा मगर वो नहीं मानी इसलिए हारकर मैं ही उनके जख्म की सफाई और ड्रेसिंग पाउडर लगाने लगा परन्तु इसका कोई असर न हुआ| पॉँव से बहुत बदबू आने लगी और पस बहने लगी!
नतीजन... फिर वही हुआ... 10 दिन बाद फिर से कीड़े पैदा हो गए!
फिर से उस मेल नर्स को बुलाया और उसने फिर से दर्द दे कर सफाई करनी शुरू की| कुछ दिन बाद उसने बताया की माँ के घुटने के ठीक नीचे पानी अर्थत पस भरी हुई है जो जख्म के जरिये बाहर निकल कर बदबू पैदा कर रही है और जख्म को सूखने नहीं देती| उसने माँ को ठीक से खाने-पीने को कहा और एंटीबायोटिक गोली देने को कह| उस समय तक माँ ने ठीक से खाना-पीना बंद कर दिया था| मुश्किल से १ रोटी खाती थीं इसलिए भूख बढ़ाने की दवाई आदि भी दी परन्तु उसका कुछ ख़ास फर्क नहीं पड़ा|
25 अक्टूबर से माँ ने दिन में एक समय खाना शुरू कर दिया वो भी ठीक से नहीं खाती थीं| मैंने और स्तुति ने माँ को बहुत समझाया परन्तु उन्होंने हमें ही डाँटना शुरू कर दिया| धीरे-धीरे उनका मानसिक संतुलन भी गड़बड़ाने लगा और रात के समय उन्होंने मुझसे अजीब तरह से बात करना शुरू कर दिया| उन्हें उनके बचपन के दिन याद आते और वो रात भर जागती रहतीं तथा दिन में वो सारा समय सोती रहतीं| चूँकि माँ 24 घंटे बैठी रहती थीं इसलिए उनको दाएँ पॉँव में bed sore हो गया!
2 नवम्बर को हालत खराब होने लगे! माँ का शुगर 52 हो गया और उनकी पूरी बॉडी अकड़ गई! वो ठीक से बोल नहीं पा रहीं थीं और उनकी ये हालत देख कर स्तुति और मेरी हालत खराब हो गई! बड़ी मुश्किल से एक डॉक्टर को घर बुलाया जिसने हमें तुरंत सफदरजंग जाने को कहा| तब हम दिल्ली में ही रहते थे इसलिए मैं माँ को ले कर सफ़दरजंग पहुँचा, वहाँ शुगर चेक हुई तो पता चला की शुगर 15 हो गई! फटाफट माँ को ग्लूकोस चढ़ाया गया तब जा कर माँ stable हुईं| पूरी रात माँ को स्ट्रेचर पर ले कर एक जगह से दूसरी जगह भटका और अंत में मुझे कहा गया की माँ को admit करेंगे परन्तु एक bed पर दो पेशेंट होंगें! अब मेरी माँ से पहले ही लेटना दूभर था ऊपर से किसी और स्त्री के साथ लेटना उनके लिए नामुमकिन था! मैंने अलग से bed माँगा पंरतु bed था ही नहीं इसलिए मैं माँ को सुबह 6 बजे घर ले कर आ गया!
उसी दिन दोपहर को फिर से माँ की शुगर डाउन हो गई इसलिए मैं उनको ले कर हौली फॅमिली हॉस्पिटल ले कर गया जहाँ उनका उपचार शुरू हुआ| माँ को सबसे पहले ग्लूकोस दे कर स्टेबल किया गया और फिर उन्हें सीधा ICU में under Nephrology एडमिट किया गया| 3 दिन उन्हें ICU में रखा गया और फिर वहाँ से उन्हें semi ICU में एडमिट किया गया! इस पूरे दिन मुझे बस 1 घंटे उनके साथ रहने की इज्जाजत थी! शाम को मैं स्प्ताल से घर लौटता और स्तुति को स्कूल भेज कर मैंहॉस्पिटल निकलता, फिर स्तुति को स्कूल से लेकर वापस हॉस्पिटल पहुँचता|
Semi ICU में कुछ दिन रहने के बाद डॉक्टर ने बताया की माँ के FEMUR bone में फ्रैक्चर है और उन्हें सर्जरी करवानी पड़ेगी| दरअसल घर में माँ बैठे-बैठे सोती थीं तो 2-3 बार वो आगे झुकने के कारन गिरी थीं परन्तु उस समय उनको कोई दर्द नहीं हुआ था! खैर, सर्जरी हो नहीं सकती थी क्योंकि bed sore वाली इन्फेक्शन और बाएं पाँव में जो इन्फेक्शन थी उसकेफैलने का खतरा था इसलिए जब तक वो ठीक नहीं होते तबतक हमें घर भेजने की छुट्टी दे दी गई! 13 नवम्बर को मैं माँ को ले कर सीधा अपने नए घर यानी फरीदाबाद ले कर आया जहाँ अभी रेनोवेशन का काम चल रहा था! 19 नवम्बर को हमें फिर से हॉस्पिटल बुलाया गया था मगर जैसा की आप जानते हैं माँ ने जाने से साफ़ मना कर दिया क्योंकि हॉस्पिटल जाने के पूरे रस्ते झटके लगने से माँ को बहुत दर्द होता है!
तो फिलहाल हम अपने नए घर में ही रह रहे हैं वो भी बिना पूजा करे! माँ के स्वास्थ्य में पहले से सुधार है परन्तु लेटने के बाद उनके बाएं कूल्हे पर बहुत दर्द होता है! लगभग पूरी रात वो दर्द से छटपटाती रहती हैं!
तो ये थी मेरी अभी तक की दास्ताँ भाई! आपसे बस यही विनती है की अपनी प्रार्थना में मेरी माँ का नाम लेते रहें, आप सबकी दुआओं का असर है की अबतक माँ का स्वास्थ्य थोड़ा सुधर रहा है!![]()
Fir koi nahi jeetega![]()
Muze ab sahi me lag raha he ke Raj aur kuchh logo ke andar ek gajab ka darr baitha heRahne do guru, ab ju nahi bata sakte wo samajh sakta hai apunkiska naam le sakte ho

Office ka kaam yaar, bc din me ye tharak dimag se bahar hi rakha karoKis kaam ki baat kar raha hai![]()