हेलो दोस्तों ..... मैं Akki333 आपके लिए एक छोटी सी कहानी लेकर आया हूँ |
( मैं पहले ही बता देता हूँ , इसमें न कोई suspense , thriller इत्यादि कुछ नहीं है , ये एक साधारण सी कहानी है | )
यह कहानी है ---- आकाश और हिमांशी की , जो कि हरियाणा के रोहतक जिले के रहने वाले है ,
जिनकी 3 साल पहले लव मैरिज हुई थी |
एक दिन की बात है , आकाश सुबह ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था | आज उसकी जरूरी मिटिंग थी , आकाश को अपनी फाईल नहीं मिल रही थी |
आकाश (थोड़ा ऊंचे स्वर में) - अरे हिमांशी यहाँ बाहर मेज पर मैंने फाईल रखी थी , कहाँ हैं वो ?
हिमांशी जो की किचन में किचन में खाना बना रही थी | थोड़ा गुस्से से बोलती है |
हिमांशी - अरे वही होगी कहीं , ध्यान से नहीं देख सकते , अब फाईल को आसमान तो निगल नहीं गया ?
आकाश - अरे नहीं है यहाँ | अब जरा जल्दी ढूढो उसे जरुरी फाईल है यार वो |
हिमांशी - अरे तो मैं क्या कोई रोबोट हूँ , मेरे कोई दस हाथ नहीं लगे हैं , कभी खाना बनाओ, कभी कपड़े प्रेस करो | कभी ये , कभी वो |
यह सुनकर अकाश को भी गुस्सा आ जाता है |
आकाश - अरे तो मैंने ऐसा क्या कहा कि तुम इतना चिल्ला रही हो | मैंने सिर्फ इतना ही तो कहा कि फाईल ढूंढने में मदद करदो , इसमें कौन सा पहाड़ टूट गया |
इसी तरह दोनों के बीच तू-तू मै-मै होती है और आकाश अपना हाथ उठाने वाला होता है , लेकिन रुक जाता हैं |
हिमांशी (रोते हुए) - हां मारो मुझे रुक क्यों गए , मारो मुझे |
आकाश - देखो मेरा दिमाग खराब मत करो मुझे ऑफिस भी जाना है|
आकाश बिना नाश्ता किए ऑफिस निकल जाता है गुस्से में और पीछे हिमांशी भी अपने मां बाप को फोन लगा देती हैं |
हिमांशी (अपनी मां से) - मां मुझे यहाँ नहीं रहना , मुझे यहां से ले चलो|
हिमांशी की माँ (चिंतित स्वर में) - अरे बेटा लेकिन हुआ क्या है , कुछ तो बताओ |
हिमांशी - माँ मेरा आकाश के साथ झगड़ा हुआ है और उसने मेरे पर हाथ भी उठाया |
हिमांशी की माँ - क्या ? दामाद जी ने तुझ पर हाथ उठाया ?
हिमांशी - हां माँ |
हिमांशी की माँ - बेटी तू अपना सामान पैक कर और आजा यहाँ |
हिमांशी के पिताजी जो अपनी पत्नी के पास बैठे उनकी बात सुन रहे थे , वह उससे फोन ले फोन ले लेते हैं और हिमांशी से बात करते हैं |
हिमांशी के पापा - क्या हुआ बेटा हिमांशी ?
हिमांशी - पापा आकाश ने मुझ पर हाथ उठाया |
हिमांशी के पापा - तुम्हें मारा ?
हिमांशी - नहीं लेकिन हाथ उठाया |
हिमांशी के पापा - मारा तो नहीं ना |
हिमांशी - नहीं लेकिन शाम को तो मार सकता है |
हिमांशी के पापा - अच्छा एक बात बताओ वह गुस्से में था ?
हिमांशी - हां पापा |
हिमांशी के पापा - तो तुम तो शांत थी ना , उस वक्त गुस्से में नहीं थी ना ?
हिमांशी - नहीं मैं भी गुस्से में थी |
हिमांशी के पापा - तो अब तुम क्या चाहती हो हिमांशी ?
हिमांशी - मुझे इसके साथ नहीं रहना |
हिमांशी के पापा - अच्छा आ जाओ , दुबारा जाओगी तो नहीं ?
हिमांशी - नहीं |
हिमांशी के पापा - अच्छा आ जाओ , हम तुम्हारा तलाक करवा देंगे और तुम्हारी दूसरी शादी करवा देंगे |
हिमांशी (चकित होकर) - क्या ?
हिमांशी के पापा - हाँ , अगर तुम्हे यकीन है कि तुम्हारी शादी होने पर नए रिश्ते में झगड़े नहीं होंगे तो आ जाओ , लेकिन अगर यकीन नहीं है , तो वहीं रहो और जब वह शाम को आए तो उससे शांति से बात करके झगड़ा सुलझाओ |
जैसे कि मैं और तुम्हारी मम्मी भी करते हैं |
अरे झगड़ा तो भाई-बहन के बीच भी होता है , पति पत्नी के बीच होता है , किसके बीच झगड़ा नहीं होता , बचपन में तुम्हारी मां भी तो थप्पड़ लगा दिया करती थी तो तुम घर छोड़कर चली गई थी चली गई थी ???
हिमांशी को अपनी गलती का एहसास हो गया था | और वह बाद में बात करने का बोल कर फोन रख देती है | हिमांशी के पापा भी समझ गए थे कि उन्होंने अपना काम कर दिया हैं |
आकाश शाम को 5:00 बजे ऑफिस से आता है | दरअसल आज उसकी मिटिंग भी कैंसिल हो गई थी , तो फाईल की जरूरत ही नहीं पडीं |
हिमांशी (हल्के स्वर से) - आ गए आप |
आकाश (धीमे से) - हां |
हिमांशी - आकाश मुझे सुबह के लिए माफ कर दो |
आकाश - हिमांशी तुम मुझे माफ कर दो , मुझे सुबह ऐसे बात नहीं करनी चाहिए थी | मुझे समझना चाहिए कि तुम दिन भर घर के काम में व्यस्त रहती हो |
हिमांशी - नहीं गलती तो मेरी है मुझे इस तरह गुस्सा नहीं होना चाहिए था | मुझे भी समझना चाहिए था कि आप ऑफिस में पूरा दिन काम करके थक जाते हैं |
आकाश - अब मैं तुम्हें तुम्हें आगे से शिकायत का मौका नहीं दूंगा |
हिमांशी - आप कहां शिकायत का मौका देते हो , हर बार गलती मेरी होती है |
आकाश (मज़ाक में) - हां अच्छा तो अब तुमको पता तो चला कि गलती हर बार तुम्हारी होती है |
हिमांशी (हंसते हुए) - पहले मार खाओगे या खाना |
दोनों इस बात पर खिलखिला कर हंसने लगते हैं |
दोनों के बीच जो मनमुटाव आए थे वह अब दूर हो गए थे | और जीवन की गाड़ी फिर से सही पटरी पर दौड़ने लगी थी |
लड़ाई झगड़े तो होते ही रहते हैं जहां प्यार होता है वहां झगड़ा भी होता है लेकिन इन झगडों को कभी ज्यादा गंभीरता से नहीं लेना चाहिए | प्यार और झगड़ा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं| अगर दो बर्तन इकट्ठा हैं तो बजेंगे ही | यही बात हिमांशी के पापा ने भी उसको समझाई और अपनी बेटी हिमांशी का घर टूटने से बचा लिया |
The End...