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मैंने सोचा कि मैं कुछ देर तक और बिस्तर में पड़ी पड़ी थोड़ा सा और सोती रहूंगी लेकिन मुझे काफी ठंड लग थी और मुझे मुझे एहसास हुआ कि जिस कंबल को को ओढ़ कर मैं सोने गई थी वह कंबल मेरे ऊपर नहीं था... न जाने क्यों पिछले कुछ दिनों की तरह बिल्कुल नंगी हो रखी थी... मेरी दोनों टांगे दोनों तरफ काफी शायरियां हुई थी और ऐसा लग रहा था किसी ने तो मेरे दोनों हाथ दोनों तरफ फैला रखे हैं... मेरे पूरे बदन में न जाने क्यों एक मीठे मीठे दर्द का एहसास हो रहा था... और मानो यह दर्द खासकर मेरी योनि और गुदा थोड़ा ज्यादा था...
ऐसा तो तभी महसूस होता है कि जब... तो क्या पिछली रात को किसी ने मेरे साथ संभोग किया था?... नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता... क्योंकि इस घर में तो सिर्फ मैं और मेरी मा ही रहते हैं... और पिछली रात को तो हमारे घर कोई भी नहीं आया था... हम दोनों अकेले ही थे... तो फिर ऐसा कैसे हो सकता है?
लेकिन ऐसा ही हुआ था... और पिछले कई रातों से यह सिलसिला मानो लगातार चल रहा था… मैं हर रोज सुबह इसी हालत में उठती और मुझे ऐसा महसूस होता था कि मानो मेरे अंदर किसी ने एक अजीब सी नई ऊर्जा भर दी है... मैंने अपनी योनि पर हाथ फेरा, आ-आ-ह... मीठी मीठी दर्द के साथ यह हल्की हल्की गुदगुदी और यह गीला गीला चिपचिपा एहसास अच्छा लग रहा है|
मैं एकदम चौंक कर उठ कर बैठ गई| मुझे अच्छी तरह याद है कि पिछली रात को मैं अपना नाइट ड्रेस पहनकर सोई थी... यह अलग बात है कि सोते वक्त मैं ब्रा और पेंटी नहीं पहनती और अपने बालों को मैं खुला छोड़ देती हूं... लेकिन मैं नंगी नहीं सोती... लेकिन पिछले कुछ दिनों से मैं देख रही हूं; कि सुबह जब भी मेरी नींद होती है... मैं खुद को इस हालत में पाती हूं....
किस बात का शुक्र है कि पिछली रात मैं रम के दो-चार पेग पी कर सोई थी... शायद इसलिए बदन की गर्मी बरकरार थी, नहीं तो दिसंबर की सर्दी में शायद मैं अब तक बर्फ की तरह पूरी जम चुकी होती|
मैंने देखा कि मेरा नाइट ड्रेस जमीन पर पड़ा हुआ है, मानो किसी ने जानबूझकर वहां उसे फेंक दिया हो| मैंने जल्दी से उठ कर अपनी नाइट ड्रेस उठाकर पहन ली... और तभी मेरी मां हाथ में दूध का गिलास और एक प्लेट में दो तीन बिस्कुट लेकर मेरे कमरे में दाखिल हुई... अच्छा हुआ एल्बम था मैंने अभी नाइट ड्रेस पहन ली थी, नहीं तो अगर मेरी मां ने मुझे नंगी हालत में देख लिया होता तो क्या होता?
अब तक मुझे उठ जाना चाहिए था घर के कामों में मेरी मां का हाथ बंटाना चाहिए था…
मैंने मुस्कुरा कर अपने मां के हाथों से दूध का गिलास और बिस्कुट का प्लेट लिया और उन्हें पर आपके पास रखि टेबल पर रख कर अपनी मां का माथा चूम कर मैंने कहा, “गुड मॉर्निंग, मम्मी”
मम्मी ने भी मुझे चूमा और फिर वह बोली, “आजकल तुम कुछ ज्यादा ही पीने लगी हो शीला... तुम्हारे जैसी जवान लड़की को इतना भी नहीं पीना चाहिए... मैं जानती हूं कि तुम बड़ी हो गई हो, पर फिर भी मैं तुम्हारी मां हूं...”
मैंने मम्मी की बात को बीच में ही रोक कर कहा, “लेकिन मम्मी यह तो दिसंबर का महीना है और ऊपर से क्रिसमस और न्यू ईयर का मौसम...”
“वह तो मैं जानती हूं बेटी, ... और फिलहाल तुम्हारी छुट्टियां भी चल रही है पर इसका मतलब यह नहीं कि तुम एक रात को दारू की आधी बोतल ही खत्म कर दो…”
यह कहकर मेरी मां ने रम के बोतल की तरफ उंगली करके इशारा किया... बोतल को देखकर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई... मैं जानती हूं कि मैं दो-चार पैग रम पीती हूं... लेकिन जिंदगी में कभी मैंने एक वक्त पर इतना नहीं पिया...
“जाओ बेटी, जल्दी से अब ब्रश कर लो और मुंह तो करके दूध और बिस्कुट खत्म करने के बाद जाकर नहा लो...”
***
मैं नहा कर आई उसके बाद मेरी मम्मी मेरे बालों को कंघी करने लगी... उन्होंने कहा, “ना जाने तुम रात भर क्या करती रहती हो, मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं पूरी एक हफ्ते बाद तुम्हारे बालों में कंघी कर रही हूं, बाप रे बाप तुम्हारे बाल कितने उलझे हुए हैं...”
मैंने अपनी मां की बातों को सुनकर भी अनसुना कर दिया|
उस वक्त मेरे दिमाग में काफी उधेड़बुन चल रही थी| मैं मन ही मन यह सोच रही थी कि क्या मैं नशे में ही यह सब कल्पना कर रही थी या फिर वास्तव में मुझे बिन बताए चुपके चुपके कोई मेरी जवानी का स्वाद चख रहा था...
तब तक मेरी मम्मी ने मेरे बालों में कंघी कर दिए थे उनकी कलाई में मेरा एक काला वाला हेयर बैंड था| उन्होंने मेरे बालों को इकट्ठा करके एक पूरी टीम में बांधने जा ही रही थी कि मैंने कहा " रहने दो मम्मी मैं अपने बालों को खुला ही रखूंगी"
मम्मी ने मुस्कुरा कर कहा जैसी तुम्हारी मर्जी
मैं जानबूझकर अपने बालों को खुला रखना चाहती थी| क्योंकि मैं जानती हूं कि खुदे वालों ने मैं और खूबसूरत दिखती हूं और मन ही मन मैंने यह ठान लिया कि आज मुझे पता लगाना ही होगा हर रात मेरे साथ क्या होता है... लेकिन इतना तो तय है यह जो भी हो रहा है वह सब आलौकिक है|
***
आज का दिन बहुत धीरे-धीरे गुजरा, घड़ी की सुईयां मानो अपनी जगह से रेंग ही नहीं रही थी...
खैर रात हुई और करीब 10:30 के आसपास मेरी मम्मी सोने चली गई| मैं अपने कमरे में जाकर दीवार पर टंगे बड़े से आईने के सामने खड़ी होकर के पहले तो अपने आप को अच्छी तरह निहारा... उसके बाद मैंने अपनी जींस की पेंट, टी शर्ट ब्रा पेंटी उतार कर आईने के सामने अपनी कमर पर हाथ हो रखकर अपनी दोनों टांगों को फैला कर खड़ी हो गई...
मेरे लंबे बाल खुले हुए थे, मेरा फिगर बहुत ही आकर्षणीय लग रहा था... मेरी पूरी तरह से विकसित और सुडोल 34 सीसी आकार के स्तन और उनके बीच की गहरी दरार, जो पुरुषों को आकर्षित करने में विफल नहीं होते- मेरी भरपूर जवानी उबलते हुए रस को मानो छलकने के लिए बेताब हो रहा था...
मैंने पाया कि मैं अपने आप को थोड़ा उत्तेजित महसूस कर रही हूँ। मेरे निप्पल बहुत कड़क और उभरे हुए हैं… मैं खूबसूरत हूँ… मैं एकपूरी तरह से खिलाती हुई युवती हूँ... मैंने अपने स्तनों को थिरकने के लिए अपने बदन को हल्का सा झटका सदिया और फिर अपने ही प्रतिबिम्ब को देखकर मैं शर्मा कर मुस्कुराने लगी…
फिर मैंने अपने आप को संभाला और आंखें मूंदकर मन ही में छोटी सी प्रार्थना की “हे अनजान शक्ति… मैं नंगी हूं, मैंने अपना गुरुर लाज शर्म अपने कपड़ों की तरह जमीन पर फेंक दिया है मैं चाहती हूं कि आज मैं सब कुछ जान सकूं...”
यह कहने के बाद मैंने रम की बोतल की सील तोड़ी और पहले से टेबल पर रखी हुई कांच की दो गिलास होंगे थोड़ा-थोड़ा रम डाला और फिर दोनों गिलासों को मैंने एक प्लेट से ढक दिया|
उसके बाद एक डबल ब्रेस्टेड नाइटी पहन कर मैंने लैपटॉप पर खोजना शुरू किया... मेरी खोज का टॉपिक था Incubus... काम-दानव
मुझे नहीं मालूम कि मैंने ऐसी प्रार्थना की होगी और किसने मुझे इस तरह से दो गिलासों में रम डालने में प्रेरित किया... मैं बस इंटरनेट में अपनी खोजबीन में ही डूब गई... मुझे यह तो नहीं मालूम कि कितना वक्त गुजर गया होगा लेकिन अचानक मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं उस कमरे में अकेली नहीं थी मेरे साथ और भी कोई था... मुझे ऐसा लगा कि मैंने अपनी आंखों के कोनों में परछाई दिखी.. चौक कर उस तरफ देखा लेकिन मुझे कुछ दिखा नहीं... उसके बाद मेरी नजर टेबल पर रखे हुए गिलासों पर पड़ी... और जो मैंने देखा वह देखकर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई... मैंने दोनों गिलासों को ढक कर रखा था... लेकिन न जाने किसने गिलासों के ऊपर से प्लेट हटा दिया था... और उनमें से एक गिलास बिल्कुल खाली थी…
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अब तो मुझे पक्का यकीन हो गया था कि मैं कमरे में अकेली नहीं थी और मुझे लग रहा था कोई मुझे बड़े गौर से देख रहा है... लेकिन मैं उसे देख नहीं पा रही थी|
इतने मुझे लगा कि शायद कोई मुझे गहरी कर्कश आवाज में बोल रहा है, “तूने मुझे बुलाया था, ले मैं आ गया... गिलास में जो तूने शराब डाल रखी है, उसका स्वाद खराब हो रहा है और झांस भी खत्म हो रही है... फिर देर किस बात की है? तूने अपना बदन क्यों ढक कर रखा है? उतार दे अपना कपड़ा और नंगी हो जा...”
मुझे पूरा यकीन था कि यह मेरा वहम नहीं है बल्कि हकीकत में... कोई मुझसे कुछ कह रहा है... इसलिए जैसा कहा गया था, मैंने वैसा ही किया मैंने अपनी नाइटी उतार के फेंक दी… और हक्की बक्की खड़ी रही|
मेरे मन में दोबारा फिर से वही गहरी और कर्कश आवाज गूंजी, “ऐसे चुपचाप खड़ी मत रह कच्ची, मैंने कहा ना- गिलास में जो तूने शराब डाल रखी है, उसका स्वाद खराब हो रहा है और झांस भी खत्म हो रही है... बस एक ही सांस में उसका पूरा का पूरा पी जा... और और फिर दोनों गिलासों को दोबारा भर दे... और फिर जब तक मैं ना कहूं तेरा पीना रुकना नहीं चाहिए”
मैंने पहले कभी इस तरह शराब नहीं पी थी, इसलिए खांसने लगी.... मेरा सिर चकराने लगा, मेरे कान गरम हो गए। मुझे काफी दर भी लग रहा तह, क्योंकि मुझे अब यकीन है कि मेरे कमरेजो है वह कोई मानव नहीं है ... मेरा उसके साथ एक टेलीपैथी संपर्क हो गया था और यह धीरे-धीरे स्थिर और स्पष्ट गहरा होता जा रहा था...
"तुम कौन हो?" मैंने पीते- पीते पुछा|
“तुझे अच्छी तरह से पता है कि मैं कौन हूं... लेकिन फिर भी मैं बताता हूं मैं काम दानव हूं और मुझे तेरी जवानी और खूबसूरती है भाग गई है... तुझ जैसी मादाएं मुझे कम ही मिलती है....”
न जाने क्यों मुझे लगने लगा कि उसने मेरी शराब की भेंट और स्वैच्छिक देह दान का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है| न जाने क्यों मुझे इस बात का यकीन हो गया था कि वह जानता है कि आज मैं डरने वाली नहीं हूं... पिछले कई रातो तक उसने मुझे बेहोशी की हालत में भोगा था- लेकिन आज उसे यकीन था कि वह जो भी मेरे साथ करेगा; मैं मना नहीं करूंगी...
"तुमने मुझे ही क्यों पकड़ा?" मैंने जानना चाहती थी|
“मैंने तुझे आज से करीब 10- 15 दिन पहले देखा था, तू शायद अपने किसी रिश्तेदार के यहां गई हुई थी|
सूरज ढलने वाला था, को तू अपने बालों को खोल कर शायद किसी से बात कर रही थी... बात करते करते हैं तो काफी दूर निकल आई... तब तक सूरज डूब चुका था| इतने में मैंने गौर किया कि तूने इधर-उधर देखा फिर आस पास की झाड़ियों के पास जाकर तूने अपनी है पेंट उतारी और उसके बाद अपनी कच्छी और फिर वहां बैठकर मूतने लगी... तेरे मूत की बू ने मुझे खींचा और तेरे जाने के बाद मैंने तेरी मूत चाट कर चखा... और तब से मैं तेरे पीछे हो लिया... उस दिन से लेकर कल रात तक, मैं ही तुझे बेहोश करके भोगता रहा... लेकिन आज मैं जानता हूं कि तू सब कुछ जानना चाहती है|”
यह सुनकर मैंने एक गहरी सी सांस ली, शराब का नशा चढ़ रहा था... मैंने सामने की तरफ सर झुका कर थोड़ा सुस्ताने लगी... लेकिन मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे बालों में उंगलियों को डाल कर उन्हें सहला रहा था… फिर जैसे उसने धीरे से मेरे कंधे की मालिश की ... वह चाहता था कि मैं बिलकुल तनावमुक्त हो जाऊं और वह जो कुछ भी मेरे साथ करने वाला है मैं उसका भरपूर आनंद लूं ... मैंने इस बार अपना सिर पीछे झुकाया, उसने धीरे से बालों को नीचे की तरफ और खींचा और मेरे मांसल कूल्हों को को कामुक तरीके से छूने लगा। मुझे पता था कि वह भी इस चीज़ का लुफ्त उठा रहा है और मैं भी…
"मुझे आशा है कि तुझे मेरा साथ अच्छा लग रहा है ," काम दानव ने कहा।
मुझे एहसास हो रहा था कि वह मेरे मन और शरीर में प्रवेश करने की अनुमति चाह रहा था ... मैं कहाँ मना करनेवाली थी?
कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा उसके बाद मुझे लगा कि अब एक एक ड्रिंक, लेने का वक्त हो गया है क्योंकि मैंने देखा कि दूसरा गिलास भी खाली हो चुका था... और हां कमरे की रोशनी भी थोड़ी मंद करने की जरूरत थी…
कमरे का माहौल थोड़ा रोमांटिक होना चाहिए। मैं उठी और स्विच बोर्ड के पास चली गई; और मुझे लगा कि वह भी मेरे पीछे आ गया है जैसे कि वह मेरी कमर को सहला रहा है और उसने धीरे से अपना सिर मेरे कंधे पर रख रहा है।
उसका जैसे कोई वज़न ही नहीं है... मुझे सिर्फ उसका स्पर्श महसूस हो रांझा था। मैं झुक कर एक एक करके दोनों गिलासों में रम डालने लगी उसने अपने शरीर के निचले हिस्से को मेरे नितंबों से सटा दिया... उसका जैसे कोई वज़न ही नहीं है ... मुझे सिर्फ उसका स्पर्श महसूस हो रांझा था। मैं झुक कर एक एक करके दोनों गिलासों में रम डालने लगी उसने अपने शरीर के निचले हिस्से को मेरे नितंबों से सटा दिया... मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। जैसे ही मैं सीधे खड़ी हुई , मैंने महसूस किया कि उसका हाथ मेरे स्तनों को धीरे से दबा- दबा उन्हें सहला रहा है|
फिर धीरे-धीरे वह मुझे दीवार पर लटके हुए आईने के सामने ले गया। वह चाहता था कि मैं अपने आप को फिर से नंगी देखूँ लेकिन इस बार उसकी आँखों से।
हमारा टेलिपाथिक संचार मजबूत हो गया है, इसलिए जब मैंने अपना खुद का नग्न प्रतिबिंब देखा तो मुझे एहसास हुआ कि मैं सुंदर हूँ मेरा फिगर सेक्स अपील से भरा था, मैं नंगी थी और एक कामुकता की आग मेरे अंदर धीरे- धीरे भराकने लगी। मुझे इस हालत में देखने के बाद किसी का भी शायद यह कर्तव्य है कि वह मुझे यौन स्वन्त्वना दे।
हालांकि मैं उसे देख नहीं पा रही लेकिन मुझे मालूम था कि वह मेरे पीछे ही खड़ा हुआ है... और हां उसने मुझे अपनी बाहों में भर रखा है... धीरे-धीरे वह मुझे चूमने लगा, अपने हाथों से मेरे पूरे बदन को सहलाने लगा और उसके बाद मेरे बालों को हटाकर वह मेरे गर्दन के पिछले हिस्से को चाटने लगा...
फिर मुझे ऐसा लगने लगा कि शायद मुझे भूख लग रही है... भूख तो मुझे लग रही थी लेकिन यह थी- जवानी की भूख- ... सेक्स की भूख लेकिन मैं यह भांप गई... खाना खाने की भूख मुझे नहीं उस काम दानव को लगी है|
उसने मेरे मन और शरीर अपने वश में कर लिया थादिया है, अगर मैं खाऊंगी तो पेट उसका भरेगा|
फ्रिज में कुछ चिकन विंग्स और चिकन लेग्स हैं ... उन्हें गर्म करने की आवश्यकता है ... इसलिए मैंने रसोई में जाकर उन्हें गर्म करने के लिए माइक्रोवेव में रखा, रसोई खिड़की का किवाड़ थोड़ा सा खुला हुआ था। ठंडी हवा से मुझे कपकपी छूट रही थी और मेरा नशा उतरने लगा था ... , इसलिए उसने खुद को मेरे चारों ओर लपेट लिया ... मुझे एक गर्म और महंगे कंबल जैसेबालों वाला स्पर्श महसूस हुआ और अब मुझे सर्दी नहीं लग रही थी...
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बीप! बीप! बीप! माइक्रोवेव के अंदर का खाना गर्म हो गया। मैं एक प्लेट में चिकन के पंखों के 4 टुकड़े और दो मांसल पैर के टुकड़ों के साथ अपने कमरे में गई। मैं आमतौर पर इतना नहीं खाती, लेकिन मैंने जैसा पहले भी कहा है कि काम दानव ने मेरे अस्तित्व अपने वश में कर रखा था .... इसलिए मुझे उसका पेट भरने के लिए खाना था... और हाँ, फ़िलहाल मुझे हाथ से ही ठूस- ठूस कर खाना है, काम दानव खाना कहते वक़्त छुरी- कांटे का इस्तेमाल नहीं करते...
अपने कमरे में जाकर में आईने के सामने उकडू होकर बैठ गई... खाना खाते खाते मुझे रम भी पीना है यह कामदनब की इच्छा है और मैं उसके टेलीपैथी संदेश का पालन करने के लिए यू तो मैं मजबूर थी - पर इसमें जो भी कर रही थी वह मजबूरी में नहीं| मुझे तो मजा आ रहा था|
मैंने दर्पण में अपना प्रतिबिंब देखा और मुझे लगा जैसे मैं एक नई लड़की देख रही हूं। मैं नंगी हूँ, मेरे बाल खुले औरत व्यस्त हो रखें हैं - कामदानाब खाना गर्म करते समय मेरे बालों के साथ खेल रहा था।
मेरे मुंह से लार निकलने लगी, वह भूखा है, जब मैं खाऊंगी तो उसका पेट भरेगा। इसलिए मैंने अपने मुंह में मांस का एक बड़ा टुकड़ा भरा। वह मेरे पीछे बैठ गया और मेरी जांघों, हाथों और बगल को सहलाया। मैंने उसे अनदेखा करने का नाटक किया, और मांस के टुकड़े को चबाने लगी|
अब मुझे थोड़ी सी और शराब पीनी थी, इसलिए मैंने रम का एक घूंट पी लिया। मुझे लगा कि कामदनब मेरे सामने तैर रहा है और अपने दोनों हाथों से मेर चेहरा थम कर मेरे होंठों को चाटा फिर उसने मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया। फिर उसने मेरा मुँह खुवा के अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। उसकी जीभ गर्म और नम थी ... मेरे लिए एक बिजली की लहर दौड़ गई... मेरे मुंह के अंदर की लार, मांस के चबाय हुए टुकड़े और रम का मिलाजुला स्वाद उसे बहुत अच्छा लगा होगा, वह चाहता थी कि मैं उसकी मस्ती का आनंद उठाऊं ... मुझे और थोड़ी शराब पीनी होगी ... मैंने एक और बड़ा सा घूंट पिया।
वह मुझे चूमने चाटने और मेरे पूरे बदन पर हाथ फिर फिर कर भरी जवानी का मजा लेने में मग्न हो रखा था, मुझे भी नशा हो रहा था .. और कामला की आग धीरे-धीरे बढ़ रही थी।
उसके बाद काम दानव ने मेरी योनि पर धीरे से हाथ फेरा और अपनी दोनों उंगलियों से उसने मेरी योनि को हल्का हल्का दबाकर देखा... शायद वो किसी बात का अंदाजा लगाना चाहता था... हां मैं जानती हूं वह यह जानना चाहता था कि मैं उसके साथ संभोग करने के लिए तैयार हूं| वह देखना चाहता था कि मेरी योनि धीरे-धीरे गीली होने लगी है कि नहीं- काम दानव को संभोग करने के लिए लड़कियों की गर्व गीली और चिपचिपी, यानी के संभोग के लिए बिल्कुल तैयार योनि की जरूरत थी। मैं नहीं जानती कि इससे पहले जितनी बार उसने मेरे साथ संभोग किया था- उसे मेरी योनि किस हालत में मिली होगी...
बबलू जाट दी तो कुछ 68 दिन हुआ है कल के दिन फिल्म दोइस बार मैंने एक जोर से ढकार भरी, अब ऐसा लग रहा था कि काम दानव की भूख पूरी तरह से शांत हो गई थी, लेकिन पता नहीं क्यों कि हमारे बीच का ट्रेलेपथिक संपर्क अचानक टूट गया| मैं नशा महसूस कर रही थी, लेकिन मुझे ऐसा बिलकुल नहीं लग रहा था की मैंने पूरा डेढ़ किलो मांस खा लिया है.... कल मम्मी को बताना पड़ेगा की मन ख़राब हो गया था इसलिए मैं ने उसे फेंक दिया। मैंने महसूस किया कि मेरे पैरों के बीच का हिस्सा ठंडा और गीला था। मैंने अपनी उंगली अपनी योनि पर फेरी; और मैंने महसूस किया कि मेरे अंदर से में कामुक स्त्रैण रस बहने लगा है... मेरे अंदर काम भावना जागने लगी।
भरपेट खाना खाने के बाद काम दानव तृप्त हो गया था... शायद इसलिए हमारे बीच का मानसिक टेलीपैथिक संपर्क कुछ देर के लिए टूट गया था... फिर जल्दी मुझे ऐसा लगा की हम दोनों के बीच का मानसिक संपर्क फिर से स्थापित हो गया है|
हम दोनों समझ गए कि मेरा मन और मेरा बदन संभोग के लिए अब पूरी तरह तैयार है|
करनी चाहिए, कामदनब ने मुझे हवा में उठाया और धीरे से मुझे बिस्तर पर लिटा दिया। मैंने अपने नग्न शरीर को शीशे में हवा में तैरते हुए देखा था और एक बालों वाले नर मानव के हलके रूप को देखा था। मेरे लेटने के बाद, कामदानाब ने मेरे पैर फैला दिए, मुझे लगा जैसे मैं त्रिभुवन के सामने नंगी थी, काम दानाव झुक गया और मेरे यौनांग को अपनी जीभ से चाटने और चूसने लगा और मेरी जाँघों पर हाथ फेरने मेरे अंदर काम वासना की आग भड़कने लगी|
मैं हांफने लगी और मानो काम दानाव को एहसास हो गया है कि अब वक़्त आ गया है... उसने अपनी जीभ मेरी योनि में घुसा दी। यह लंबा, मोटा और गीला था। मुझे ऐसा लगता है जैसे किसी ने मेरी योनि में किसी ने अपना लिंग दाल दिया है ... यही तो मैं चाहती थी...
काम दानाव ने एक कुशल काम दायक की तरह अपनी जीभ मेरी योनि में डालकर उसे अंदर- बहार कर कर के मैथुन करना शुरू किया, वह समय-समय पर मेरी योनि के अंदर अपनी जीभ ट्विस्ट रहा था, मानो वह मेरी यौवन सुधा अपनी जीभ से चाटके चूस के पीने की कोशिश कर रहा हो| मुझे पहले कभी ऐसा आनंद नहीं मिला था, इसलिए मैं एक तीव्र आवेग में बहती चली गई... मेरी माँ उस समय गहरी नींद में सो रही थी, काम दानाव ने इस चीज़ का इंतज़ाम कर दिया था...
कुछ ही देर में मैं बिल्कुल फट पड़ी... मुझे ऑर्गास्म हो गया... ऐसा ऑर्गास्म मुझे जिंदगी में पहले कभी नहीं हुआ था... मुझे बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन थोड़ी थोड़ी निराशा भी हो रही थी कि जो भी हुआ बहुत जल्दी हो गया फिर मैंने सोचा... इस में कोई परेशानी नहीं है हम लड़कियां तो बार-बार संभोग कर सकती है और कहते हैं कि लड़कियों को मल्टीपल ऑर्गास्म बह होता है खैर अभी तो पूरी रात बाकी है|
मैं अभी भी हांफ- हांफ कर सुस्ताने की कोशिश कर रही थी| काम दानव ने अपनी जीभ मेरी योनि से निकाल ली और मुझे ऐसा लग रहा था कि वह मेरी जांघों पर बैठकर मुझे इस तरह से हांफता हुआ देखकर अपने ही किये का आनंद उठा रहा है|
मुझे पता था कि इस बार वह अपने लिंग को मेरी योनि में डालेगा और मैथुन करेगा और उसे लग रहा था कि इस बार मुझे थोड़ी और उत्तेजना की ज़रूरत है। उसने मुझे अपनी बाहों में भर कर, मेरे होंठ, मुँह और गाल को कुत्ते की तरह चाटने लगा, हालाँकि मैं उसके दुलार का जवाब देना चाहती थी, लेकिन मानो मेरे शरीर में है जरा सा भी दम नहीं था मैं सिर्फ निढाल होकर पड़ी हुई थी मेले के लेटेस्ट सिर्फ अपना सर इधर उधर इधर उधर करती रही...
लेकिन मुझे लगा कि कामदानाब ने अपनी योजना बदल दी है... और ऐसा ही हुआ...
उसने मुझे मेरे बालों से पकड़कर एक भी जान गुड़िया की तरह उठा कर घुटनों के बल बैठा दिया और फिर उसने मुझे उल्टा करके बिस्तर पर लिटा दिया| मेरे घुटने मेरे बदन के नीचे मुड़े हुए थे... मेरे कूल्हे ऊपर हो रखे थे| पीछे से काम दानव को मेरा मलद्वार और योनि साफ दिख रही थी|
मैंने इतनी ब्लू फिल्में जो देख रखी थी इसलिए मुझे पता चल गया कि वह मेरे साथ क्या करने वाला है| नीचे पड़े नाइटी के बेल्ट से उसने मेरे दोनों हाथ मेरे पीठ के पीछे बांध दिए|
जाने क्यों मेरे मुंह से निकल गया , "नहीं ..."
"हाँ ...", उसने कहा
फिर जो हुआ वह अपरिहार्य था ... उसका भूखा और कठोर लिंग मेरे मलद्वार में घुस गया... इससे पहले मुझे ऐसा दर्द कभी महसूस नहीं हुआ था ... आज तक किसी भी आदमी ने कभी भी मेरी गुदा का उल्लंघन नहीं किया था, इससे पहले मैंने अपने बॉयफ्रेंड के साथ कई बार सेक्स किया था लेकिन हमारे बीच जो भी हुआ था वह प्राकृतिक था यानी के मेरे बॉयफ्रेंड का लिंग सिर्फ मेरी योनि में ही घुसा था... लेकिन मलद्वार? मैं दर्द से चीख उठी!
लेकिन काम दानव को जरा सी भी भी दया नहीं आ ईऔर समय बर्बाद किए बिना वह मेरे साथ मैथुन करने में तल्लीन हो गया।
मेरी हर सांस की हर दर्द से भरी आहा और आंखों से टपकते आंसू काम दानव को मजे दे रहे थे…
उस वक्त दर्द से जूज़ते हुए और कहराते हुए मैं यही सोच रही थी क्या मैंने काम दानव को बुला करके कोई गलती तो नहीं की?
लेकिन नहीं, दर्द बर्दाश्त करने के कुछ पल बाद ही मुझे सब कुछ जैसे ठीक-ठाक लगने लगा के बाद, सब कुछ ठीक लग रहा था ... मेरा दर्द और बलात्कार होने का एहसास जैसे गायब हो गया था ... यह एक नया अनुभव था ... मुझे अच्छा लगने लगा और मैं काम दानव के मैथुन के धक्कों का मजा लेने लगी....
काम दानव ने अपना लिंग मेरी गुदा से बाहर निकाल लिया और मेरे बंधे हुए हाथों को खोल दिया और दोबारा मेरे बाल पकड़कर मुझे उठाया कर उसने इस बार मुझे पीठ के बल बिस्तर पर लिटा दिया| मैं ठीक से सांस के लिए हांफ रही थी, मुझे ऐसा लग रहा था कि मानो अब तक मुझे किसी ने पानी में डुबोकर रख दिया हो... लेकिन काम दानव शायद बेताब हो रहा था, मुझे लगा कि मानो उसने कहा सुबह होने में अब ज्यादा समय नहीं है इसलिए अपनी टांगों को जितना फैला सकती है उतना फैलाते लड़की... मेरी मर्दानगी को तेरी चुत का स्वाद चखना है…”
मुझसे जैसा कहा गया था मैंने वैसा ही किया... काम दानव ने बिना समय गवाएं अपना लिंग मेरेयौनांग में घुसा दिया... उसका लिंग उसकी जीव की तुलना में कुछ ज्यादा ही कठोर, मजबूत, बड़ा पर अधिक सुखदायक था... इससे पहले कि मैं थोड़ा संभल पाती, काम दानव जोरदार तरीके से मेरे साथ मैथुन करने लगा... मुझे दर्द हो रहा था लेकिन ऐसे दर्द का मजा ही कुछ और है... जिसके साथ बीतती है वही जनता है...
यह सिलसिला चलता रहा चलता रहा चलता रहा... आखिरकार मेरे अंदर आनंद उमंग और भोग-विलास का जैसे एक विस्फोट सा हुआ... एक और जबदस्त ओर्गास्म... लेकिन काम दानव रुका नहीं उसने अपना काम जारी रखा... मैं बिस्तर पर पड़ी पड़ी छटपटाते रही, लेकिन वो रुका नहीं, इस बार उसके भारी-भरकम शरीर का वज़न भी महसूस कर रही थी|
ऐसे करीब सात आठ बार मेरी नैया डूबने के बाद काम दानव ने अपना लिंग मेरी योनि से बाहर निकाला... .. तब तक मैं फूट-फूटकर रो रही थी... पर यह रोना.. खुशी के आंसुओं का रोना था... मुझे जिंदगी में पहले कभी ऐसा एहसास नहीं हुआ था...
धीरे धीरे मेरी सुरूर ढलने लगा... पर काम दानव से मेरा मानसिक संपर्क तभी भी जुड़ा हुआ था... मैं मस्ती की एक अलग ही दुनिया में उड़ रही थी... तब मुझे लगा कि काम दानव मुख से बोल रहा है, “इस बार तुझे भोगने के बाद, मुझे बहुत ही अच्छा लगा... क्या तू चलेगी हमेशा मेरे साथ मेरी दुनिया में?”
यह सुनते ही मैं डर के मारे कांप उठी... मुझे मेरी मां की याद आई... दानव की दुनिया आत्माओं की दुनिया होती है... इसका मतलब क्या मुझे मरना पड़ेगा? हे ईश्वर…
ईश्वर का नाम लेते ही मुझे ऐसा लगा काम दानव के साथ मेरा मानसिक संपर्क अचानक टूट गया... और मैं बेहोश हो गई|
अगली सुबह जब मेरी नींद खुली या फिर मैं यूँ कहूं मेरी बेहोशी टूटी... तो मैंने महसूस किया कि मैं हमेशा की तरह बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी... लेकिन आज उठने में देर हो गई थी, और मेरी मां ने आकर मेरे बदन को कंबल से ढक दिया था|
माँ ने कहा, "लड़की, इस बार लगता है कि शादी कर लेनी चाहिए ... हर रात तुम इसी तरह नागि लेटी रहती हो और शराब पीती रहती हो..."
मैनें अपनी नाइटी अपने बदन पर चढ़ाते हुए अपनी मां से खिसियाते हुए कहा, “मां मुझे शादी करने की इतनी जल्दी नहीं है... और इस तरह से लेटे रहना... वह तो बस यूं ही... अभी तो मुझे आगे चलकर नौकरी भी करनी है और अपने पैरों पर भी खड़ा होना है....”
और मैंने मन ही मन सोचा फिलहाल मुझे काम दानव के साथ कुछ दिनों तक मजेभी तो लेने हैं...
लेकिन मैंने यह बात अपनी मां को नहीं बताई
*** समाप्त ***