पहले जब हम लोग बच्चे थे तो गर्मी में पुरा परिवार छत पर सोया करता था ! सायं काल से ही छत को धोया या पानी छिडक कर ठंडा किया जाता था। पूरा परिवार अपना अपना बिस्तर लगाता था और बेफिक्र होकर सो जाता था।उसी जमाने मे ममता कुलकर्णी जैसी अनुपम सुंदरी से एक गलती हुई ! वैसे तो वो गलती सर्वविदित है फिर भी उल्लेख करना जरूरी है।
छत पे सोया था बहनोई,मैं तन्नै समझ कर सो गयी
मुझकों राणाजी माफ करना, गलती म्हारे से हो गयी।
वैसे उनसे गलती हुई ये बाकी जमाने को कभी पता चल ही नही सकता था ! पर वे खुद ऊतारू थी सभी को अपनी गलती के बारे मे बताने के लिये तो क्या किया जा सकता था ! पर उन्होने खुद बताया और गा गाकर बताया इसलिये आपको भी पता चला और मुझे भी पता चला।
देखिये हम सभी इंसान है ! इसानो से गलतियाँ हो ही जाती है ! गलतियाँ भी दो तरह की होती हैं ! पहली जानबूझ कर की गई गलतियाँ , दूसरी अनजाने मे हो गई गलतियाँ ! जहाँ तक मै समझ सका हूँ ममता कुलकर्णी ने जो गलती की थी वो दूसरे टाईप की थी ! इस गलती का कोई गवाह हो ऐसी भी कोई जानकारी उपलब्ध नही है ,बहनोई तो बताने से रहे ! इसलिये वे चुप रह कर भी काम चला सकती थी ! पर उन्होने ऐसा नही किया ! उन्होने अपने राणाजी के साथ पूरी दुनिया को बताया अपनी गलती के बारे मे ! और ताज्जुब यह कि गा गा कर बताया ! बताया उन्ही ने ! क्यो बताया इस बाबत हम हैरान होने के अलावा और कुछ करने की स्थिति मे नही हैं ! पर उनकी इस साफगोई को उनके व्यक्तित्व की महानता , सरलता मे ही शुमार किया जाना चाहिये !
अब इस चर्चित घटनाक्रम से कई सवाल खडे हुये ! पहला तो यही कि ममता कुलकर्णी को कब पता चला कि उनसे गलती हो गई है ! मेरे ख्याल ये ये तो फौरन पता चल जाने जैसा मामला था ! राम जाने कैसे हुआ ये ! हो सकता है बहनोई भी राणाजी जैसी ही कद काठी के हों ! चलो ममता से चूक हुई पर बहनोई को को शर्तिया पता चलना ही चाहिये था इस बाबत ! खैर ! बहनोई पता चलने पर आपत्ति करते तो बेवकूफो मे ही गिनती होती उनकी ! कुल मिलाकर ये तय है कि बहनोई समझदार थे और जो कुछ हुआ उसमे उनकी कोई गलती हरगिज नही थी !
वैसे भी बहनोई का राणाजी की जगह पर कब्जा अनायास या संयोगवश तो हुआ नही होगा ! पर इतिहास गवाह है कि बहनोई जी उस जगह थे जहाँ उन्हे नही होना चाहिये था ! और ये बात यह मानने के लिये काफी है कि बहनोई समझदार थे और जरूरत से ज्यादा समझदार थे !
अगला सवाल ये भी है कि खुद राणाजी कहाँ थे ! जाहिर है छत पर तो नही ही रहे होगें ! उनका छत पर ना रहना ही उनके नशेड़ी होने की तस्दीक करता है ! ममता कुलकर्णी जैसी सुंदर सुशील बीबी के होते हुये उनकी छत से गैरहाजरी की जिम्मेदारी दारू, शराब गांजा या अफीम के सर डाली जा सकती है ! और यदि नशा नहीं तो राणा जी के शातिर साढ़ू का ही किया धरा हो सकता है ये ! क्या पता उन्होंने ही राणाजी को किसी काम मे उलझा कर छत तक ना पहुँचने दिया हो !
यह बात भी सोचने जैसी है कि उस रात ममता छत पर अकेली क्यों थी ,हमारे जमाने में तो पूरा कुनबा सामूहिक रूप से सोता था छत पर ! ये बात अलग है कि बहनें अलग सोती थी और बहनोई अलग सोते थे ! ममता अकेली ही थी उस रात ,दुकेली होती तो यह अनहोनी टल सकती थी ! और ममता के इस तरह नाच गाकर माफ़ी माँगने की नौबत भी ना आती !
इतिहास इस बाबत चुप है कि इस सच्चाई को जानकर राणाजी ने क्या कहा ! क्या किया ! अपनी सच बोलती बीबी को माफ करने लायक बडा दिल उनके पास था भी या नहीं ! भोली भाली ममता कुलकर्णी के साथ क्या हुआ ! इस सांस्कृतिक कृत्य मे दामाद की सहभागिता को लेकर सास की क्या प्रतिक्रिया रही ! ममता की बहन पर क्या बीती ! बहनोई साहब का क्या और कितना आदर सत्कार किया गया ! मैं गलती से भी ऐसा कुछ कर दूं, तो मेरे पहलवान टाईप साले, साले हुडदंग मचा देगें

और सबसे बडी बात ,इस अनहोनी बाबत खाप पंचायत का क्या फैसला रहा !
खैर जो हुआ होगा सो हुआ होगा ! पर एक बात तो तय है , पानी छिडकी छत पर पूरे खानदान के एक साथ सोने का जो सदियो पुराना रिवाज था वो फौरन खत्म हुआ ! और इस खात्मे के लिये ममता कुलकर्णी की वो ऐतिहासिक गलती ही जिम्मेदार है !
छत पे सोया था बहनोई, मैं तन्नै समझ के सो गयी
मुझको राणा जी माफ करना, गलती म्हारे से हो गयी।


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SANJU ( V. R. ) avsji Adirshi Riky007 Raj_sharma Werewolf Mahi Maurya