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Shukriya bhaiCongratulations for 250 page's
Shukriya bhaiCongratulations for 250 page's
Shukriya bhai, dushman bahut shaatir hai. Rahi baat vibhor aur ajeet ki to jald hi unka show bhi dekhne ko milegaबहुत बढ़िया अनुच्छेद। अंत तक इस मोहरा भी चल बसी लेकिन जाने से पहले सारे राज खोल दी है यह नोकरानी । लेकिन इस नोकरानी वो वसीयत छुड़ाने वाला कोई बात लगता है की नहीं बताई। बैभव के शत्रु इसी सोच मे होंगे की चलो सब राज उगलने वाला मर गया है लेकिन उनको पता नहीं है की बैभव को कुछ चीज़ के बारे मे पता चल गया। कुसुम मे उसकी जान बसता है तो अभी देखना यह है की अभी वो दोनों लंगूर का क्या हाल होता है। अगले अनुच्छेद के प्रतीक्षा मे रहेंगे।
Lagta hai aapne SANJU ( V. R. ) Bhaiya ka reviews fir se copy karke chipka diya Sanju bhai....well unse to better hi ho jo silent hainतो ये शीला नाम की नौकरानी थी वैभव ने शीला को उसके और विभोर के बीच जो खेल चल रहा था उसके बारे में उसे बता दिया उसके गुस्से और उसके बारे में सब कुछ पता होने के डर के मारे उसने सब कुछ बता दिया उसने जो बताया कुसुम के बारे में वो ऐसा तो कोई बड़ा गुनाह नही था कुसुम एक पढ़ी लिखी लड़की होकर भी किसी नौकरानी के बहकावे में आ गई ! एक महिला यदि दूसरी महिला के साथ सेक्सुअल आनन्द उठाती है तो ये बुरा तो नहीं है
कुसुम ने ऐसा काम किया जिसके लिए सिर्फ उसकी निंदा ही की जा सकती है। अपनी खास सहेलियों को सेक्स के दलदल में धकेल दिया और अपने भाई को दवा देकर नामर्द बनाने कोशिश की। और यह सब इसलिए कि उसकी इज्जत घर में और समाज में बनी रहे। वह इज्जत किस काम की जिसकी वजह से उसके अपनी जान से भी ज्यादा चाहने वाले भाई की मृत्यु हो जाए और सहेलियों की आबरू चली जाए !
जो ये खेल खेल रह है वह वैभव से दो कदम आगे है उसने शीला को भी मार दिया
Shukriya bhaisahi..........
Aaj post ho jaayegaIntzaar Rahega mere bhaiya
Shukriya bhai, kahani to har haalat me aage badhegi hi bhai fir chaahe jaise bhi badheBohot khoob Subham bhaiya cha gaye.
Aakhir nokrani ne Sab ugal hi diya. Isi wajah se bechari kusum ki watt lagi padi thi.
Par vaibhav se itni laprvahi ki ummeed Nahi thi.
Haath aaye saboot ko gawa diya.
Kisne mara use kuch to saboot , ya clue milna chahiye Nahi to story aage kaise badhegi.
Kya vaibhav apni badi bhabhi ko kuch batayega.??
Kya wo kusum ka mann halka karega? Dekhte hai subham bhai ka agla sansani khej Update.
Sabra ka fal meetha hota hai bhai, aur waise bhi hoga to wahi jo unki niyati me hogaAb ke Episode me subham Bhai jagtaap ke dono ladko ki gaand todni chahiye vaibhav ko chahe kuch bhi ho jaye.
Sab waqt ki baate hain dost...कुसुम जोकि अभी तक एक बेहद ही मासूम और कोमल सी लड़की के रूप में कहानी में दिखी थी, इस एक प्रकरण ने उसके किरदार को धूमिल सा कर दिया है। वैसे तो इस रहस्योद्घाटन की प्रतीक्षा बहुत समय से थी कि कुसुम किस कारणवश ये सब कर रही है, परंतु सत्य इस प्रकार का होगा इसकी अपेक्षा नही थी। कुसुम ने जो भी फैसले लिए वो निश्चित ही बेहद ही गलत थे और किसी भी हालत में उन्हें सही नही ठहराया जा सकता।
Jald hi pata chalega un dono ke bare me. Abhi sirf pahle wali lead tooti hai, sambhav hai koi aur lead mil jaye...पिछले अध्याय में शम्भू ने उस नौकरानी शीला को पकड़ लिया था और उसी के आगे इस अध्याय में वैभव, शम्भू के साथ उसे अपने ठिकाने पर ले आया। देखा जाए तो शीला ही एकमात्र ऐसी कड़ी बाकी थी वैभव के पास जिसके जरिए वो उन नकाबपोशों के बारे में कुछ जान सकता था। खैर, कुसुम और उसके साथ हुई सभी घटनाएं स्पष्ट रूप से सामने आ चुकी हैं और अब इस बात में कोई संदेह बाकी नही रह गया है की विभोर और अजीत किसी भी प्रकार से जीवित रहने योग्य नहीं हैं। कुसुम की जिन दोनो सहेलियों का ज़िक्र हुआ, मेरे खयाल में ये दोनो वही हैं जो होली के दिन वैभव के कमरे में उसे रंग लगाने गई थी। उस वक्त भी दोनो के चरित्र को लेकर मन में निश्चित ही संदेह उत्पन्न हुआ था और अब इसपर मोहर भी लग गई है।
Agree Zabardast point hai in baato me....हालांकि, यदि इस अध्याय को पढ़ने के बाद उन दोनो लड़कियों, (एक का नाम शायद मीरा था, दूसरी का याद नही), के बारे में विस्तार से विचार किया जाए तो पहली नज़र में तो इनपर दया ही आती है। यही लगता है कि कुसुम ने अपनी इज़्ज़त और मान – सम्मान बचाने हेतु उन दोनो को विभोर और अजीत के सामने, एक तरह से परोस दिया। परंतु, क्या यही पूर्ण सत्य है? उन दोनो लड़कियों पर भी संदेह के बादल मंडरा रहें हैं, इसके भी कुछ पहलू हो सकते हैं।
1.) कुसुम और उसकी दोनो सहेलियों को शीला ने लेस्बियन सेक्स का आनंद लेते पकड़ा था। जो आयु फिलहाल कुसुम को है, इस आयु में निश्चित ही यौन अनुभूतियों को प्राप्त करने की इच्छा प्रबल होती है परंतु फिर भी कुसुम क्या इतनी अधिक ग्रसित हो गई इन इच्छाओं से कि उसे ना दरवाज़ा बंद करने का ध्यान रहा और ना ही ये भय रहा कि वो अपने ही घर में ये सब कर रही है और कभी भी पकड़ी जा सकती है। यहां पर उन दोनो लड़कियों पर संदेह आरंभ होता है।
2.) संभव है कि वो दोनो स्वयं भी इस षड्यंत्र में शामिल हों? शीला भी शायद इन दोनो की असलियत के बारे में ना जानती हो या शायद उसने पूर्ण सत्य वैभव को बताया ही ना हो? सर्वप्रथम, वो दोनो लड़कियां निश्चित ही कुसुम से बहुत अलग हैं, स्वभाव में भी और शायद चरित्र में भी। हालंकि, अभी तक दोनो ज्यादा समय तक नजर नही आई हैं कहानी में परंतु एक झलक भी कभी कभी पर्याप्त होती है। यहां भी दो पहलू हो सकते हैं, पहला वो दोनो शुरू से ही उन नकाबपोशों के संग जुडी हुई थी और कुसुम के संग संभोग सुख और शीला का उन्हे पकड़ना,सब कुछ पूर्वनिर्धारित था।
दूसरा, वो दोनो सारे षड्यंत्र से अंजान थी। दोनो लड़कियां यौन सुख को प्राप्त करने के लिए व्याकुल थी, ये संभावना तो लगभग निश्चित ही है। तो संभव है कि जब विभोर और अजीत का प्रस्ताव या कहीं कि धमकी उन्हे कुसुम द्वारा मिली, तो दोनो तैयार हो गई। क्योंकि वो दोनो ये सब कुछ केवल मजबूरी में कर रही होंगी, वो भी अब तक, संभव नहीं लगता। और ये भी संभव है कि वो दोनो ही अब विभोर और अजीत के साथ मिल गई हों और वैभव के साथ हुई होली वाली घटना भी कहीं न कहीं किसी चाल का भाग हो। और, हां बिलकुल हल्की सी संभावना इस बात की भी है को वो दोनों सत्य में मजबूर हों और वैभव के साथ हुई होली वाली घटना, उनकी उस सोच का नतीजा हो जिसमें उन्हें वैभव ही वो मसीहा नजर आया हो जो दोनो को विभोर और अजीत के चुंगल से छुड़ा सके। अब देखना ये है कि क्या वैभव उन दोनो से मिलेगा? यदि हां, तो क्या उनसे कुछ नई जानकारी प्राप्त होगी या नहीं...
Kusum jis situation me thi usme use kuch samajh hi nahi aaya tha. Uske baad jab ek baar usse apni dono saheliyo ko gart me dubane ki galti ho gayi to fir aage ke liye uski aur bhi zyada majboori ban gayi....ya to wo pahle hi aisa na karti aur khud hi vaibhav ko sab kuch bata deti ya fir koi dusra raasta nikaal leti. Well abhi to is bare me kusum ke vichaar baaki hain...dekhiye wo kya kahti hai aage chal kar...इधर बात को जाए कुसुम की तो चाहे वो अपनी दोनो सहेलियों को अपने भाइयों के पास भेजना हो या फिर वैभव को वो धीमा जहर देना हो, कुसुम के सच ने सचमुच काफी निराश किया है। उसकी दोनो सहेलियों का पूर्ण सत्य कुछ भी हो परंतु का शीला/विभोर–अजीत के इस प्रस्ताव/धमकी पर मान जाना ही अनुचित था। क्योंकि, कुसुम को नजर में तो उसकी सहेलियां बिलकुल उसी की तरह पाक थी (हो सकता है सत्य में हों भी), परंतु फिर भी उसने उन दोनो को इस गर्त में घसीटना अनुचित नही समझा? इस से भी बड़ी बात कि जिस भाई से वो जान से भी ज़्यादा प्यार करने का दावा करती है उसी को एक तरह से धीमा जहर खिला रही थी वो।
हां, कुसुम अभी अल्हड़ है, नादान है और ऊपर से अपने भाइयों के ही द्वारा की गई ज्यादती से शायद उसके मस्तिष्क पर भी गहरा प्रभाव पड़ा होगा, परंतु इन दोनो बातों को तार्किक दृष्टि से ना तो वो, और ना ही कोई और सही ठहरा पाएगा। हां वैभव वाले मामले में मैं फिर भी उसकी हालत समझ सकता हूं। वैभव जब हवेली लौटा था, तब तक तो शायद कुसुम का हृदय और मस्तिष्क पूरी तरह से हिल चुका होगा, क्योंकि उसके भाई, उसी के समक्ष, प्रत्यक्ष रूप से वो भी उसीके कमरे में हवस का घटिया खेल खेल रहे थे। उसकी व्यथा और भाव बेशक बहुत ही द्रवित कर देने वाले हैं। शायद वैभव को वापस हवेली में आया देख कर वो थोड़ी स्वार्थी भी हो गई होगी, और शायद उसे लगा हो कि यदि वैभव को उसकी और उसकी सहेलियों की हरकत का पता चला तो उसका एकमात्र सहारा भी उससे घृणा करने लगेगा, वो उसकी नज़रों में भी गिर जायेगी, और शायद इन्हीं भावनाओं में बहकर उसने...
खैर, कुसुम ने जो भी किया वो तार्किक और व्यवहारिक दृष्टि से बेशक गलत है पर यदि उस बेचारी के मनोभावों और हृदय को समझा जाए, तो इसमें कोई संदेह नहीं कि उस बेचारी पर निश्चित ही बहुत बुरा असर पड़ा है इस पूरे घटनाक्रम का। इधर वैभव अभी इस सारे खेल में थोड़ा कच्चा है, एक बार फिर ये बात साबित हो गई। शीला पर से ध्यान हटाने का खामियाजा भुगतना पड़ा उसे, और अब शीला के रूप में को अंतिम सुराग था, उससे भी वैभव हाथ धो बैठा। वो नकाबपोश जिसे दादा ठाकुर ने वैभव पर नजर रखने को कहा है वो भी वहीं पर मौजूद था, मेरी समझ में वो भुवन ही है। पर जिस नकाबपोश ने शम्भू और दादा ठाकुर के आदमी से भिड़ंत की, वो खुद भी हाथ से निकल गया, अर्थात अब वैभव के दोनों हाथ बिल्कुल खाली हैं। ना कोई सबूत, ना कोई कड़ी...
Kuch bhi ho sakta hai...खैर, अब शीला के पति को भी इस घटना की खबर की जाने वाली है। क्या शीला की मौत का इल्ज़ाम वैभव पर भी आ सकता है? क्योंकि उसका पति तो यही कहेगा कि वैभव अपने आदमी के साथ बेहद जल्दी और गुस्से में शीला का पता पूछ रहा था। देखना रोचक रहेगा कि आगे क्या होगा इस मामले में...
Bahut bahut dhanyawad death king bhai itni shandaar jandaar sameeksha ke liye. Aisi sameeksha padh kar mujhe usse kahi zyada aanand aata hai jitna aap logo ko kahani padhne me bhi na aata hogaबेहद ही खूबसूरत भाग था शुभम भाई। रोमांच पूरी तरह से कहानी में बना ही हुआ है, और एक – एक कर वैभव के हाथ से सभी कड़ियां रेत की भांति फिसलती जा रही हैं। अर्थात, भविष्य में रोमांच अपनी चरम सीमा पर पहुंचने वाला है और निश्चित ही तब कहानी में चार चांद लग जाएंगे।
अगली कड़ी की प्रतीक्षा में...
Shukriya bhaiSuper update