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Adultery ☆ प्यार का सबूत ☆ (Completed)

What should be Vaibhav's role in this story..???

  • His role should be the same as before...

    Votes: 19 9.9%
  • Must be of a responsible and humble nature...

    Votes: 22 11.5%
  • One should be as strong as Dada Thakur...

    Votes: 75 39.1%
  • One who gives importance to love over lust...

    Votes: 44 22.9%
  • A person who has fear in everyone's heart...

    Votes: 32 16.7%

  • Total voters
    192

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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ekta kapoor ne sab ko sikha diya hai ............last main suspense chhod dene ka ....: 😍

once again excellent update ....:happy:
Shukriya bhai,,,,:hug:
Ekta kapoor ki maa ki *****. Wo yaha ke writers ko sikhane aayegi to uski ***** maar li jayegi,,,,:declare:

Bhai aisa bol ke dil tod diye yaha ke writers ka,,,,:verysad:
 

DARK WOLFKING

Supreme
15,570
32,015
259
Vajah ke bare me bhabhi ne vaibhav ko bataya to tha ki wo is laayak nahi hai,,,,:slap:
Bhabhi shayad Sharma rahi hai khul kar batane se,,,,:lol:

Shahukaaro ke ghar me bhi jhande gaade hain Vaibhav ne,,,,:hint:

Launde ke maze hain na,,,,:lol:

Do Dil mil rahe hain magar chupke chupke,
Sabko ho rahi hai, haan sabko ho rahi hai khabar chupke chupke,,,,:loveeyed2: :D
layak nahi hai ye thos wajah nahi lagti ...aisi kya kami hai yaa kya galat karte hai wo log jiske liye wo layak nahi hai aisa samajhte hai dono ..
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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पहला भाग
तो कहानी के नायक का नाम वैभव है जो गांव के मुखिया अर्थात अपने पापा द्वारा गांव से निकाल दिया गया और उसका हुक्का पानी बन्द कर दिया गया। वैभव को जमीन का कुछ टुकड़ा जीवन बसर करने के लिए दिया गया है जिसमे उसने गेंहू की फसल लगाई है और इस वक्त उसी की कटाई कर रहा है।
वैसे कहानी की शुरुआत सही मौसम में की है आपने फागुन के मौसम में और इसी मौसम में गेंहू की फसल की कटाई भी शुरू होती है। वैसे सर जी गेंहू तो हम भी काट रहे हैं। मजदूर मिले नहीं हैं कटाई के लिए तो क्या आप वैभव को भेज सकते हैं ताकि हमारी कुछ मदद हो जाये।😆😆😆😆😁😁😁
Sabse pahle to Mahi Maurya madam swagat hai aapka,,,,:celebconf:
Gaav dehaat ka aadmi hu, is liye gaav dehaat ki kahani pasand hai mujhe. Vaibhav ne majburi me khet me hal chalaya hai jabki main bahut pahle apne kheto par ye kaam kar chuka hu. Halaaki kiya thoda bahut hi hai is liye itna to pata hai ki kya kaise hota hai,,,, :D
Vaibhav to kahani ka ek kaalpnik paatra hai is liye use bulaane ki kya zarurat hai. Mujhe bulaaiye main aapke sath kheto ki kataai karwa duga,,,,:smarty:
गांव से हुक्का पानी बन्द करने का भी कारण है अपनी शादी से वैभव का भाग जाना। जिससे मुखिया जी का अपमान हुआ और इसी क्रोध में उन्होंने वैभव को गांव निकाला दे दिया। वैसे मुखिया जी को एक बार वैभव के दिल का हाल भी सुनना चाहिए था। वैभव जंगल में रहने लगा। भूखा प्यासा किसी तरह अपना जीवन यापन करने लगा।
Kahani to abhi shuru hui hai madam. Aage padhiye aur apne vichaaro se mujhe bhi avgat karaate,,,,:hug:
एक दिन उसकी भाभी मिलने आई वैभव से जिसे वैभव की मां ने भेजा था, लेकिन वैभव ने उनका अपमान किया और अपने माँ बाप को मरा हुआ कहा। यहां पर वैभव गलत है। कम से कम मां बाप के बारे में अपशब्द नहीं कहने चाहिए थे।
बहुत ही जबरदस्त शुरुआत की है आपने कहानी की मौसम के अनुसार।
Pahle ke samay me thakuro ka yahi ravaiya dekhne ko milta tha. Khoon ki garmi aur ghamand,,,,:dazed:
Vaibhav is a sanskaarless maanus,,,,:lol:
 

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शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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दूसरा भाग
लगता है वैभव का चरित्र भी ठीक नहीं है, शायद इसकी भी भनक मुखिया जी को लग गई होगी इसलिए उन्होंने ऐसा कदम उठाया होगा।🤔🤔 बहरहाल यहां पर फिर वैभव ने बिल्कुल भी सही नहीं किया। एक मददगार के पीठ पीछे उसकी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाना किसी भी दृष्टि में न्यायोचित नहीं है। इससे ये प्रतीत होता है कि वैभव का चरित्रिक पतन हो चुका है।😑😑
Bataya na Vaibhav is a sanskaarless maanus,,,,:dazed:
Usne apne jeewan me sirf yahi kaam kiya hai lekin ab wo is kaam ke alawa bhi bahut kuch karega,,,,:approve:
सरोज के साथ घर के पीछे की गई रासलीला को सरोज की जवान बेटी अनुराधा ने शायद देख लिया है तभी तो वो वैभव से इस बारे में पूछती है, लेकिन वैभव मुकर जाता है। वैभव की गंदी नजर अब अनुराधा पर भी है।🙄🙄
मुरारी ने वैभव की हर संभव मदद की और उसका खेत भी जोत दिया। वैभव ने भी मेहनत कर ढेले से घांस निकाल दिया।
Anuradha Vaibhav ke jaal me nahi fasne wali. Wo aisi waisi ladki nahi hai,,,,:D
यहां पर एक बात और समझ नहीं आई कि गेहूं की फसल अगर समय से बोई जाए तो उसकी कम से कम 4 बार सिचाई की जाती है और अगर साठा गेहूं बोते हैं तो उसकी सिंचाई कम से कम दो बार होती है। और जहां वैभव रहता है इस समय वहां बोरिंग की भी सुविधा नहीं है तो गेहूं की फसल हो कैसे गई। ये सोचने वाली बात है।🤔🤔🤔
Aapka sochna bilkul jaayaz hai nahi madam, kintu fikra mat kijiye aage chal kar zarur pata chalega ki vaibhav ne kaise gehu ki fasal ko ugaya tha aur kaise uski sichaai ki thi,,,,:approve:
वैसे आपकी कहानी शुरुआत में अन्य कहानियों से थोड़ा हटकर है। हंसिया दराती, फावड़ा, हल बैल, जोताई। ढेला। एकदम देहात से जुड़ी हुई कहानी है और आपने वर्तनी शुद्ध साहित्यिक हिंदी का प्रयोग किया है। और कहानी की लिपि भी देवनागिरी है। जो तारीफ की हकदार है।🙏🙏
बहुत ही बढ़िया कहानी है सर जी।।

Bahut bahut shukriya aapka,,,,:hug:
Devnagri me hi kahani likhne ki shuruaat ki thi. Apni maatra bhasha me kahani likhne aur padhne ka alag hi aanand hai. Koshish kar raha hu ki saahittik hindi me truti na ho lekin aap bhi jaanti hain ki hindi bhasha itni bhi saral nahi hai. Is liye trutiya hona to anivaarya hi hai. Khair Shukriya aapki is khubsurat sameeksha ke liye,,,,:hug:
 

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FIr suspence
Bina suspense ke kahani ka kya maza bhai?? Kahani me agar kisi tarah ki rochakta aur utsukta hi na ho to use padhne me kisi ko kya aanand aayega? Khair Shukriya,,,,:hug:
 

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अध्याय 13 के पढ़ने के बाद मुझे क्यूँ लग रहा है बैभव खुद जिम्मेदारी लेने से भाग न चाहता है क्यूँ की जब भी कोई उससे दादा ठाकुर के बाद ठाकुरों का उत्तर दाइत्य लेने के लिए समझाने या फिर बात करने के लिए मुद्दा उठाते हैं वो अपना दंड और गाँव से बहिसकृत करने का मुद्दा छेड़ देता है या फिर कोई उसकी मदद करने क्यूँ आगे नहीं आया इसका रोना रोता है,हालांकि वो कुछ समय बाद उसके बारे में सोचता है,मगर अपना स्वतंत्र बने रहने का इच्छा उसको अपने ज़िम्मेदारी उठाने से रोक रहा है,उसके दो मुखी विचार धारा उसको एक जगह लाके खड़ा कर रहा है जिससे वो अपने ज़िम्मेदारी से भाग ना चाह कर भी भाग ना सकता,एक तरफ वो अपने पुराने छोटे ठाकुर के रंग में रंग ना चाहता है जिसके लिए वो अपने पुराने साथी जिनके साथ उसके शारीरिक संबंध बने या फिर जिसको अपने नीचे लेने के फिराक में था उनके और नजर गड़ा रहा है मगर दूसरी छोर पर मृत मुरारी के घर और जाता है मुरारी की पत्नी और बेटी के हालचाल पूछने के लिए जिससे उसके जिम्मेदारी दर्शाता है क्यूँ की उसके खराब समय में मुरारी और उसके परिवार ही था जो बैभव का मदद कर रहे थे,जब भी उसका अनुराधा के साथ नजरे मिलती है तब वो ग्लानि भाव में भर जाता है इसका मतलब उसके अंदर ये भाबना है की वो अपने स्वतंत्रता समझकर जो कार्य करता है वो कभी शत प्रतिशत सही नहीं होता और उसका यह सोच उसके अंदर जो दबी हुई रहती है वो अनुराधा को देखते समय ही ऊपर आ ही जाता है जिसे वो चाह कर भी झुटला ना सकता ।
Insaan shuru se hi jis cheez me Ruchi rakhta raha ho aur jise jin jin cheezo me aanand milta raha ho uske liye wo hamesha yahi chahega ki use wahi sab milta rahe aur iske liye use koi na roke. Ye ek maansikta ya aadat ban jaati hai insaan ki ya fir ye kahe ki wo us cheez ka aadi ho jata hai ek lat ki tarah. Vaibhav ko apne hi ghar walo se problem hai aur aisa kyo hai iske bare me wo kabhi gahraai se sochna hi nahi chaahta. Balki yahi chaahta hai ki jaise wo ab tak maze lete huye rah raha tha waise hi aage bhi rahe magar waqt to hamesha ek jaisa nahi rahta na? :D

Anuradha ke saamne jane par wo bahut kuch sochne lagta hai kyo ki abhi wo use haasil nahi hai aur ladki ko haasil karne ke liye to har awaara ladka khud ko achha hi bana kar pesh karta hai. Ab ye to waqt batayega ki uske andar aaj ke mahaul me chal raha dwand use kya seekh deta hai aur kya banata hai,,,,:dazed:
 
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तो वैभव को गांव से तड़ीपार करना उसके पिता की एक चाल थी जिससे वो उन गुमनाम षड़यंत्रकारी का पता लगा सके । जो कि शायद साहूकारों की नई फसलों में से ही ।

मगर कैसा षड्यंत्र ? और ठाकुर साहब के आदमियों ने ये सब सुना कहां ?
किसी न किसी से तो सुना होगा , ऐसा तो नहीं था न कि किसी उड़ती चिड़िया ने आकर षड़यंत्र के बारे में बताया और फिर उड़ कर गायब हो गया ।
उन्होंने किसी के मुख से ही सुना होगा तो ठाकुर साहब को अपने रसूख का इस्तेमाल करके इसका पता लगवाना चाहिए था । लेकिन इसके लिए वैभव को गांव से तड़ीपार करने की क्या जरूरत थी ? ये उनका बचपना डिसिजन था ।

और वो ठाकुर साहब ही थे जिसके चलते पुलिस मुरारी के कत्ल का इन्वेस्टिगेशन करने नहीं आई । ये काम वैभव को बचाने और अपने इज्जत को नीलाम होने से बचाने के लिए किया था ।
पर ये भी उनका गलत फैसला था । सही समय पर पुलिस इन्वेस्टिगेशन करती तो बहुत कुछ पता लग सकता था । कम से कम कतल की टाइमिंग और हथियार के बारे में तो पता चल ही जाता । अब तो वो भी संभव नहीं है क्योंकि डेड बॉडी को तो जला दिया गया है ।
Kabhi kabhi achhe khaase samajhdaar insaan se bhi aise moorkhtapoorn faisle aur kaam ho jate hain. Dada thakur ke aadmiyo ko thakur khaandaan ke khilaaf aisi kuch baato ka pata chala. Zaahir hai dada thakur ne pahle iska pata bhi karwaya hoga, ye alag baat hai ki unhone vaibhav ko is bare me khul kar kuch nahi bataya. Uske baad unhone chare ke roop me apne hi bete ka istemaal kiya aur jis maksad se kiya usme wo kamyab nahi huye. Yaani shadyantrakari unse bhi zyada hoshiyaar ya chalaak tha. Dada thakur ko to ummid hi nahi ki virodhi itna shaatir niklega. Udhar Murari ki hatya hone par unhone police ko uske ghar nahi jane diya, halaaki Gupt roop se uski hatya ka pata karne ke liye zarur kaha. Katl ka wakt to laash ki gardan par bane ghaav se hi chal gaya tha vaibhav ko. Usne khud dekha tha ki ghaav se halka halka khoon ris raha hai. Matlab katl bhor time par hua tha. Gardan par kis hathiyar se waar kiya gaya tha iske bare me bhi wo kam se kam andaza to laga hi sakta tha. Khair ab ye to Vaibhav ko hi pata karna hai ki Murari ka kaatil kaun hai aur kyo usne Murari ki hatya ki. Waise is hatya ki jaanch police ka daroga bhi dada thakur ke kahne par Gupt roop se kar hi raha hoga. Dekhte hain kya pata chalta hai,,,,:dazed:
वैभव हवेली आ गया है और इस बार उसे यहां के माहौल बदले बदले से नजर आ रहे हैं । खास तौर पर उसके अपने बड़े भाई और चचेरे भाइयों के । अपनी भाभी से पहले की ही भांति दुरी बनाये हुए है क्योंकि उसकी नजर उनके प्रति खराब है ।
वैभव के बड़े भाई की कद्र तो उसके पिता ही नहीं बल्कि उसकी बीवी भी नहीं करती है । इसका मतलब क्या समझें ? कहीं वैभव की जीवन संगिनी उसकी भाभी ही तो नहीं बनने वाली हैं ?
Sahi kaha aapne, sab kuch use badla hi nazar aa raha hai aur usne iske liye kusum ko jasusi par bhi laga rakha hai,,,, :D

Ragini bhabhi ke lakshan mane theek nahi lag rahe bhaiya ji,,,,:lol1:
वैसे वैभव और उसके फादर के बीच जो बातें हुई थी वो बहुत ही शानदार लगा।
एक बात और.... वैभव अपनी जवानी का सही इस्तेमाल कर रहा है । मुंशी जी की बहु भी उसके मीना बाजार की सदस्यता है । लगे रहो मुन्नाभाई.... वैभव भाई ! जब लड़कियां प्यार से पट रही हैं तो कोई हर्ज नहीं है । बस , जबरदस्ती मत करना ।

बेहतरीन अपडेट शुभम भाई ।
आउटस्टैंडिंग अपडेट ।
मुझे पता ही नही चला कि इसके तीन अपडेट्स आ चुके हैं ।
Vaibhav aur uske pita ji ke beech ka waartalaap aage bhi joshpoorn dekhne ko milega bhaiya ji,,,,:approve:
Is Vaibhav ke charitra ke chalte kahi meri masumiyat ka bantadhaar na ho jaye,,,,:innocent:
 
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