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Shukriya bhai,,,,good writing
Shukriya bhai,,,,good writing
Shukriya bhai,,,,,Bahot badhiya update bhai
Shukriya bhai,,,,good one
Shukriya bhai,,,,शानदार अपडेट है
सत्रहवाँ भाग
रजनी के साथ रंगीन रंगरेलियां मनाने के बाद वैभव को किसी काले साये के साथ हाथापाई करनी पड़ी। दोनो बहुत ही कुशलता से लड़े, लेकिन दो और काले साये आकर जब वैभव पर हमला किये तो पहले काले साये ने वैभव को बचाते हुए उन दोनों काले साये से भिड़ गया जो वैभव के लिए सोचनीय था।
अब ये एक नया रहस्य सामने आया कि ये काले साये कौन हैं और वैभव को मारने क्यों आए हैं और उस पहले काले साये ने वैभव की जान क्यों बचाई। वैभव भी यही सोच सोच कर परेशान हुए पड़ा है।
दिमाग मे इतनी उथल पुथल होने के बाद भी वैभव औरतों कर मामले में बहुत ही चटोरा है। मुंशी की मेहरारू प्रभा को देखते ही लार टपकाने लगा और उसके उभारों पर हांथ भी फेर दिया, लेकिन रात में सोने के बाद ये चीख किसकी थी। जिसने वैभव की निंद्रा में विघ्न डाला है।।
बहुत ही मस्त सर जी
अठारहवाँ भाग।
रात में देखे गए अजीब से सपने के कारण वैभव चीख के उठ गया। मुंशी जी ने उसे समझाया भी कि उसके पापा गलत नहीं हैं, लेकिन वैभव सिंघ ने उनकी बात नहीं मानी। वैभव को ये बात हजम नहीं हो रही थी कि साहूकार बिना मतलब ठाकुरों से संबंध जोड़ेंगे।
इसका पता लगाने के लिए उसने साहूकार की बड़ी बेटी रूपा का सहारा लेना चाहिए जिसे वैभव ने चार महीने में अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में फंसकर उसी की मर्जी से उसी के घर मे उसी के बिस्तर पर ठोका था। वैसे बहुत दिलेरी का काम किया वैभव सिंह ने। दुश्मन की छोरी को दुश्मन के घर में घुसकर अपना शिकार बनाया। वैसे रूपा भी चरित्रिक दृष्टिकोण से सही नहीं कही जा सकती क्योंकि वैभव के बारे में जानते हुए भी उसने अपना जिस्म वैभव को सौंप दिया।
मस्त मस्त सर जी।
Shukriya dr sahab is khubsurat sameeksha ke liye,,,,,Bahut badiya ....
Shukriya bhai,,,,awesome update bro
kamdev99008 bhaiya ji ki tarah aapke idhar bhi haal hain kya,,,,bhai likha to bhut kuch tha yar lgta hai network ki vjh se aya nhi
Sahi kaha bhaiya ji ne,,,,Shahar me log har kaam ko shortcut me karna chahte hain.... Even entertainment bhi... Shadi, Parties aur festivals bhi business meetings ki tarah manate hain
Gaon me abhi bhi holi-dipawali kam se kam 3 din ke tyohar hain... Aur kam se kam 1 saptah pahle se inki taiyariyan hoti hain
Aise hi shadi bhi gaon me lagatar 1 week ke karyakramo ka package hai... Sirf us pariwar ka hi nahi lagbhag sare gaon ka
Hamari sanskriti... Ek din nahi rojana kisi na kisi bahane khushiyan manane ko encourage karti hai... Isiliye hamare desh ko tyoharon ka desh kaha jata hai... Rojana din ya tithi ke anusar koi na koi vrat-upwas-snan ya parv jarur hota hai
Nation of Celebration