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Incest ♡ एक नया संसार ♡ (Completed)

आप सबको ये कहानी कैसी लग रही है.????

  • लाजवाब है,,,

    Votes: 185 90.7%
  • ठीक ठाक है,,,

    Votes: 11 5.4%
  • बेकार,,,

    Votes: 8 3.9%

  • Total voters
    204
  • Poll closed .

Heartnot4u

Member
102
193
58
Lajwab kahani h Shubham bhaii..:adore:..
Update was Superrrb....:hspin
Ritu to jitna expect kia tha usse jyada brave nikli.B-)B-)..
Ajay's nd pratima's deeds were extremely poor.:argue:....
Ab dkhna h kse chun chun k bdla lia jata h..:horseride:
Waiting for next. ..:hump:
 
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Raj

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BAHUT HI SHAANDAAR AUR INTERESTING UPDATE BHAI
 

Zas23

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Nice update
 
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Blade axel

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Superbb update bro .. .
 
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Jitu kumar

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Awesome story shubham bhai,
behad hi shandaar, lajawab aur amazing story hai bhai,
maine aaj hi aapki ye story dekhi hai,
story ka plot bahot hi shandaar hai bhai,
aapke likhane ka style bilkul sharatchandra ki tarah hai,
abhi maine 3 updates hi padhe hai,
aur yaha tak aisa lag raha hai jaise viraj ke papa ke maut me bhi bade papa ka hi hath hai,
aur unhone inki saari jayadad hadap liya hai,
aur viraj ki maa aur bahan par julm bhi kar rahe hai,
ye sun kar viraj ka khoon bahot hi khaul raha hai lekin uski maa ne use rok diya hai,
ab dekhte hai ki aakhir viraj ke man me kya plan chal raha hai,
ab aage padhane ke baad review deta hoon bhai
 

Jitu kumar

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"डैड मुझे इसके आगे की पढ़ाई मुम्बई से करना है।"नीलम ने बड़ी मासूमियत से कहा था__"मेरी सब दोस्त भी वहीं जा रही हैं।"
"अरे बेटा।" अजय सिंह चौंका था__"मगर यहाॅ क्या परेशानी है भला? यहाॅ भी तो पास के शहर में बहुत अच्छा काॅलेज है?"

"यहाॅ के काॅलेजों में कितनी अच्छी शिक्षा मिलती है ये तो आप भी अच्छी तरह जानते हैं डैड।" नीलम ने कहा__"मुझे अपनी डाक्टरी की बेहतर पढ़ाई के लिए बेहतर शिक्षा की आवश्यकता है।"
"अच्छी बात है बेटी।" अजय सिंह ने कहा__"लेकिन मुम्बई से अच्छा तो तुम्हारे लिए दिल्ली रहेगा। क्योकि दिल्ली में तुम्हारी बड़ी बुआ भी है। तुम अपनी सौम्या बुआ के साथ रह कर वहाॅ बेहतर पढ़ाई कर सकती हो।"

"नहीं डैड।" नीलम ने बुरा सा मुह बनाया__"मैं मुम्बई में अपनी मौसी के यहाॅ रह कर पढ़ाई करूॅगी। आप तो जानते हैं कि मौसी की बड़ी बेटी अंजली दीदी आजकल मुम्बई में ही एक बड़े हास्पिटल में एज अ डाक्टर काम करती हैं। उनके पास रहूॅगी तो उनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा।"

"ये सही कह रही है डैड।" रितु ने कहा__"अंजली दीदी के पास रह कर इसे अपनी पढ़ाई के लिए काफी कुछ जानने समझने को भी मिल जाएगा। आप इसे बड़ी मौसी के पास ही जाने दीजिए।"

"ठीक है बेटी।" अजय सिंह ने कहा__"तुम्हारी भी यही राय है तो नीलम अब मुम्बई ही जाएगी।"
"ओह थैंक्यू सो मच डैड एण्ड।" नीलम ने खुश हो कर अजय सिंह से कहने के बाद रितू की तरफ पलट कर कहा__"एण्ड थैंक्स यू टू दीदी।"

"कौन कहाॅ जा रहा है डैड?" बाहर से ड्राइंग रूम में आते हुए शिवा ने कहा।
"तुम्हारी नीलम दीदी मुम्बई जा रही है अपनी बड़ी मौसी पूनम के पास।" अजय सिंह ने कहा__"ये वहीं रह कर अपनी डाक्टरी की पढ़ाई करेगी।"

"क क्या..???" शिवा उछल पड़ा__"नीलम दीदी मुम्बई जाएंगी? नहीं डैड आप इन्हें मुम्बई कैसे भेज सकते हैं? जबकि आप जानते हैं कि हमारा सबसे बड़ा दुश्मन विराज मुम्बई में ही है।"

"अरे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता बेटे।" अजय सिंह ने कहा__"और उससे डरने की भी कोई जरूरत नहीं है। और वैसे भी उसे क्या पता चलेगा कि नीलम कहाॅ है? वो तो किसी होटल या ढाबे में कप प्लेट धो रहा होगा। उसे इस काम से फुर्सत ही कहाॅ मिलेगी कि वो नीलम को खोजेगा?"

"हा हा हा आप सच कहते हैं डैड।" शिवा ठहाका लगा कर जोरों से हॅसते हुए कहा__"वो यकीनन किसी होटल या ढाबे में कप प्लेट ही धो रहा होगा।"
"ख़ैर छोंड़ो।" अजय सिंह ने नीलम की तरफ देख कर कहा__"तो तुम्हें कब जाना है मुम्बई?"

"मैं तो कल ही जाने का सोच रही हूॅ डैड।" नीलम ने कहा__"मैंने सारी तैयारी भी कर ली है।"
"चलो ठीक है।" अजय सिंह ने कहा__"मैं तुम्हारे लिए ट्रेन की टिकट का बोल देता हूॅ।"

"जी डैड।" नीलम ने कहा और ऊपर अपने कमरे की तरफ पलट कर चली गई।
"तू भी कुछ करेगा कि ऐसे ही आवारागर्दी करता इधर उधर घूमता रहेगा?" सहसा किचेन से आती हुई प्रतिमा ने कहा__"सीख कुछ इनसे। ऐसे कब तक चलेगा?"

"इतना ज्यादा पढ़ लिख कर क्या करना है माॅम?" शिवा ने बेशर्मी से खीसें निपोरते हुए कहा__"डैड की दौलत काफी है मेरे उज्वल भविष्य के लिए। मैंने सही कहा न डैड?" अंतिम वाक्य उसने अजय सिंह की तरफ देखते हुए कहा था।

"बात तो तुम्हारी ठीक है शहज़ादे।" अजय सिंह पहले मुस्कुराया फिर थोड़ा गंभीर हो कर बोला__"लेकिन जीवन में उच्च शिक्षा का होना भी बहुत जरूरी होता है। माना कि मैने तुम्हारे लिए बहुत सारी दौलत बना कर जोड़ दी है लेकिन ये दौलत कब तक तुम्हारे लिए बची रहेगी? दौलत कभी किसी के पास टिकी नहीं रहती। उसको बनाए रखने के लिए काम करके उसे कमाना भी जरूरी है। आज जितना हम उसे खर्च करते हैं उससे कहीं ज्यादा उसे प्राप्त करना भी जरूरी है।"

"ओह डैड आप तो बेकार का लेक्चर देने लगे मुझे।" शिवा ने बुरा सा मुह बनाते हुए कहा__"इतना तो मुझे भी पता है कि दौलत को पाने के लिए काम करना भी जरूरी है और अच्छे काम के लिए अच्छी शिक्षा का होना जरूरी है। तो डैड, मैं पढ़ तो रहा हूॅ न?"

"जिस तरह की तुम पढ़ाई कर रहे हो न।" प्रतिमा ने तीखे लहजे में कहा__"उसका पता है मुझे।"
"ओह माॅम अब आप भी डैड की तरह लेक्चर मत देने लग जाना।" शिवा ने कहा।

"ये लेक्चर तुम्हारे भले के लिए ही दिया जा रहा है बेटे।" अजय सिंह ने कहा__"इस पर ग़ौर करो और अमल भी करो।"
"जी डैड कर तो रहा हूॅ न?" शिवा ने कहा और सोफे से उठ कर अपने कमरे की तरफ चला गया। किन्तु वह ये न देख सका कि उसके पैन्ट की बाॅई पाॅकेट से उसकी कौन सी चीज़ गिर कर सोफे पर रह गई थी।

अजय सिंह और प्रतिमा की नज़रें एक साथ उस चीज़ पर पड़ीं। और उस चीज़ को पहचानते ही दोनो अपनी अपनी जगह बैठे उछल पड़े। प्रतिमा ने अपना हाॅथ आगे बढ़ा कर उस चीज को उठा लिया। वो कण्डोम का पैकिट था। पैकिट खुला हुआ था मतलब उसमे मौजूद कण्डोमों में से कुछ का इस्तेमाल हो चुका था। प्रतिमा ने अपने पति अजय सिंह की तरफ अजीब भाव से देखा।

"ये है आपके शहजादे की पढ़ाई।" प्रतिमा के लहजे में कठोरता थी बोली__"और ये सब सिर्फ आपके लाड प्यार का नतीजा है।"
"इस उमर में ये नेचुरल बात है प्रतिमा।" अजय सिंह ने कहा__"क्या तुम भूल गई कि हम दोनों ने खुद शादी के पहले इसका कितना इस्तेमाल किया था?"

"हाॅ मगर तब आप नौकरी पेशा थे।" प्रतिमा के चेहरे पर कुछ पल के लिए शर्म की लाली छाई थी किन्तु उसने शीघ्र ही खुद को नाॅर्मल करते हुए कहा था__"लेकिन शिवा अभी पढ़ रहा है। अगर इसी तरह चलता रहा तो वो क्या कर पाएगा भविश्य में?"

"तुम बेवजह छोटी सी बात को इतना तूल दे रही हो यार।" अजय सिंह ने कहा__"मुझे तुमसे ज्यादा चिंता है उसके भविश्य की, अगर नहीं होती तो ये सब नहीं करता। और अब इस बारे में कोई बात नही होगी समझी न?"

प्रतिमा कुछ न बोली। इसके साथ ही ड्राइंग रूम में सन्नाटा छा गया। कुछ देर की ख़ामोशी के बाद अजय सिंह ने कहा__"अब यूॅ मुह न फुलाओ मेरी जान, आज रात तुम्हें खुश कर दूॅगा चिन्ता मत करो।"

"क्या सच में?" प्रतिमा के चेहरे पर खुशी छलक पड़ी__"लेकिन दो राउण्ड से पहले नहीं सोने दूॅगी मैं आपको ये सोच लेना।"
"ठीक है मेरी जान।" अजय सिंह मुस्कुराया__"एक एक राउण्ड तुम्हारे आगे पीछे से अच्छे से लूॅगा।"

"अच्छा जी?" प्रतिमा मुस्कुराई__"आप तो जब देखो मेरे पिछवाड़े के पीछे ही पड़े रहते हो।"
"औरत को पीछे से रगड़ रगड़ कर ही ठोंकने में हम मर्दों को मज़ा आता है डियर।" अजय सिंह ने कहा__"और तुम्हारे पिछवाड़े की तो बात ही अलग है यार।"

"और किसके किसके पिछवाड़े की बात अलग है?" प्रतिमा ने अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कुराते हुए कहा__"ज़रा ये भी तो बताइए।"
"तुम अच्छी तरह जानती हो मेरी जान।" अजय सिंह के चेहरे पर अजीब से भाव थे__"फिर क्यों पूॅछ रही हो?"

"बताने में हर्ज़ ही क्या है?" प्रतिमा हॅसी__"बता ही दीजिए।"
"तुम्हारे बाद अगर किसी और के पिछवाड़े में अलग बात है तो वो है हमारी बड़ी बेटी रितू। हाय क्या पिछवाड़ा है ज़ालिम का बिलकुल तुम्हारी तरह ही है उसका पिछवाड़ा।"

"अपनी ही बेटी पर नीयत बुरी है आपकी?" प्रतिमा ने कहने के साथ ही मैक्सी के ऊपर से अपने एक हाॅथ से अपनी चूॅत को बुरी तरह मसला फिर बोली__"मगर ये जान लीजिए कि रितू का पिछवाड़ा इतनी आसानी से मिलने वाला नही है आपको।"

"यही तो रोना है यार।" अजय सिंह आह सी भरते हुए बोला__"तुमको मेरी ख्वाहिश का पता है फिर भी अब तक कुछ नहीं किया।"
"चिंता मत कीजिए।" प्रतिमा ने कहा__"आपके लिए एक नई चूॅत और एक नए पिछवाड़े का इंतजाम कर दिया है मैंने।"

"क् क्या सच में..???"अजय सिंह खुशी से झूम उठा__"ओह डियर आखिर तुमने कर ही दिया। मगर, ये तो बताओ किसकी चूत और पिछवाड़े का इंतजाम किया है तुमने?"
"अभी थोड़ी कसर बाॅकी है जनाब।" प्रतिमा ने कहा__"मगर मुझे यकीन है कि एक दो दिन में काम हो जाएगा आपका।"

"काश! गौरी को हासिल कर पाता मैं।" अजय सिंह बोला__"उस पर तो मेरी तब से नज़र थी जब वह ब्याह कर इस घर में आई थी। एक झलक उसके जिस्म की देखी थी मैंने। एक दम दूध सा गोरा रंग था उसका और बनावट ऐसी कि उसके सामने कुदरत की हर कृति फीकी पड़ जाए।"

"कम से कम मेरे सामने उसकी खूबसूरती का बखान मत किया कीजिए आप।" प्रतिमा ने तीखे भाव से कहा__"आपको कितनी बार ये कहा है मैने। फिर भी आप उस हरामजादी की तारीफ करके मेरा खून जलाने से बाज नहीं आते हैं।"

"क्या करूॅ मेरी जान?" अजय सिंह कह उठा__"तुम्हारे बाद मुझे अगर किसी से प्यार हुआ है तो वो थी गौरी। मैं चाहता तो कब का उसकी खूबसूरती का रसपान कर लेता किन्तु मैने ऐसा नही किया। मैं उसे प्यार से हासिल करना चाहता था। तभी तो मैंने ये सब किया, उसको इतने दुख दिए और उसके लिए सारे रास्ते बंद कर दिए। मगर फिर भी कुछ हासिल नहीं हुआ और अब होगा भी कि नहीं क्या कहा जा सकता है?"

"आपने तो उन लोगों की खोज में अपने आदमी लगाए थे न?" प्रतिमा ने कहा__"उन लोगों ने क्या रिपोर्ट दी उनके बारे में?"
"मेरे आदमी खाली हाॅथ वापस आ गए थे।" अजय सिंह के चेहरे पर कठोरता के भाव उजागर हुए__"वो हरामी की औलाद विराज बड़ा ही चतुर व चालाक निकला। उसने अपनी माॅ और बहन को किसी दूसरे शहर के रूट से उन्हें मुम्बई ले जाने में कामयाब हो गया था।"

"शायद उसे अंदेशा था कि आप उन्हें पकड़ने के लिए अपने आदमियों को भेजेंगे।" प्रतिमा ने सोचपूर्ण भाव से कहा।
"हाॅ यही बात रही होगी।" अजय सिंह बोला__"वर्ना वो ऐसा काम क्यों करता? मगर कब तक मुझसे छिपा कर रखेगा वो अपनी माॅ और बहन को? मैं चैन से बैठा नहीं हूॅ प्रतिमा, बल्कि आज भी मेरे आदमी उनकी खोज में मुम्बई की खाक़ छान रहे हैं।"

"ये आपने अच्छा किया है।" प्रतिमा ने सहसा आवेशयुक्त स्वर में कहा था__"जब आपके आदमी उन सबको पकड़ कर यहा लाएंगे तो मैं अपने हाॅथों से उस कुत्ते को गोली मारूंगी जिसने उस दिन मेरे बेटे का वो हाल किया था।"

"तुम्हारी ये इच्छा जरूर पूरी होगी डियर।" अजय सिंह ने भभकते लहजे में कहा__"और अब मैं भी गौरी को बीच चौराहे पर रगड़ रगड़ कर ठोंकूॅगा। अब बात प्यार की नहीं रह गई बल्कि अब प्रतिशोध की है। मेरे उस प्रण की है जो मैंने वर्षों पहले लिया था।"

"किस प्रण की बात कर रहे हैं डैड?" रितू ऊपर से सीढ़िया उतरते हुए पूछी।
"कुछ नहीं बेटी बस ऐसे ही बात कर रहे थे हम लोग।" प्रतिमा ने जल्दी से बात को टालने की गरज से कहा। जबकि अजय सिंह अपनी बड़ी बेटी को एकटक देखे जा रहा था।

रितू नहा धो कर तथा एक दम फ्रेस होकर आई थी। इस वक्त उसके गोरे किन्तु मादकता से भरे जिस्म पर एक दम टाइट फिटिंग वाले कपड़े थे। जिसमें उसकी भरपूर जवानी साफ उभरी हुई नजर आ रही थी। अजय सिंह मंत्रमुग्ध सा उसे देखे जा रहा था। उसकी आखों में हवस और वासना के कीड़े गिजबिजाने लगे थे। अपने पति को अपनी ही बेटी की तरफ यूं हवस भरी नज़रों से देखते देख प्रतिमा ने तुरंत ही उसे खुद की हालत को सम्हाल लेने की गरज से कहा__"आपको आज पिता जी और माता जी से मिलने जाना था न?"

अजय सिंह प्रतिमा के इस वाक्य को सुन कर चौंका तथा तुरंत ही वास्तविक माहौल में लौटते हुए कहा__"हाॅ जाना तो है। क्या तुम साथ नहीं चलोगी?"
"नहीं आप हो आइए।" प्रतिमा ने कहा__"पिछली बार गई थी उनसे मिलने आपके साथ। उनसे मिलने का कोई फायदा तो है नहीं। न वो कुछ बोलते हैं और न ही हिलते डुलते हैं फिर क्या फायदा उनसे मिलने का?"

"डैड क्या कुछ संभावना है कि कब तक दादा दादी ठीक होंगे?" रितू ने पूछा।
"बेटा डाॅ. की तरफ से यही कहना है कि कुछ कहा नहीं जा सकता इस बारे में।" अजय सिंह बोला__"याददास्त का मामला होता ही ऐसा है।"

"डैड आपके दोस्त कमिश्नर अंकल तो अब तक पता नहीं लगा पाए कि दादा दादी की कार को किसने और क्यों टक्कर मारी थी?" रितू ने सहसा तीखे भाव से कहा__"आज दो साल हो गए इस बात को और पुलिस के हाॅथ कोई छोटा सा सुराग तक नहीं लगा। बड़ा गुस्सा आता है मुझे अपने देश की इस निकम्मी पुलिस पर। आज अगर मैं होती पुलिस डिपार्टमेन्ट में तो इस केस को कब का क्लियर करके मुजरिमों को जेल की सलाखों के पीछे पहुॅचा दिया होता। लेकिन कोई बात नहीं डैड...जल्द ही इस निकम्मी पुलिस के बीच मुझ जैसी एक तेज़ तर्रार पुलिस आफिसर इन्ट्री करेगी। फिर मैं खुद इस केस पर काम करूॅगी, और केस को पूरा साल्व करूॅगी।"

रितू की ये बातें सुनकर अजय सिंह और प्रतिमा को साॅप सा सूॅघ गया। चेहरे पर घबराहट के भाव गर्दिश करते नज़र आने लगे थे। किन्तु जल्द ही उन दोनों ने खुद को सम्हाला।

"मतलब मेरे लाख मना करने और समझाने पर भी तुमने पुलिस फोर्स ज्वाइन करने का अपना इरादा नहीं बदला?" अजय सिंह ने नाराज़गी भरे स्वर में कहा__"तुम जानती हो बेटी कि मुझे तुम्हारा पुलिस फोर्स ज्वाइन करने का फैसला बिलकुल भी पसंद नहीं है। तुम्हें कोई ज़रूरत नहीं थी कोई नौकरी करने की, भला क्या कमी की है हमने तुम्हें कुछ देने में?"

"ये नौकरी मैं किसी चीज़ के अभाव में नहीं कर रही हूॅ डैड।" रितू ने शान्त भाव से कहा__"आप जानते हैं कि पुलिस आफिसर बनना मेरा एक ख्वाब था। पुलिस आफिसर बन कर मैं उन लोगों का वजूद मिटाना चाहती हूं जो इस देश और समाज के लिए अभिशाप हैं।"

"तुम ये भूल रही हो बेटी कि तुम एक लड़की हो, एक औरत ज़ात जिसे खुद कदम कदम पर किसी मर्द के द्वारा मजबूत सुरक्षा की आवश्यकता होती है।" प्रतिमा ने समझाने वाले भाव से कहा__"और पुलिस फोर्स तो ऐसी है कि इसमें रोज़ एक से बढ़ कर एक खतरनाक अपराधियों का सामना करना पड़ता है जिसका मुकाबला करना तुम्हारे लिए बेहद मुश्किल है।"

"आप मुझे एक आम लड़की समझकर कमजोर समझती हैं माॅम जबकि रितू सिंह बघेल कोई आम लड़की नहीं है।" रितू के चेहरे पर कठोरता थी__"बल्कि मैं मिस्टर अजय सिंह बघेल की शेरनी बेटी हूॅ। और मुझसे टकराने में किसी अपराधी को हजार बार सोचना पड़ेगा। आप जानती हैं न माॅम कि मैंने मासल आर्ट्स में ब्लैक बैल्ट हासिल किया है। क्योंकि मुझे पता है कि एक आम लड़की पुलिस में किसी अपराधी का सामना नहीं कर सकती। इसी लिए मैंने किसी भी तरह के अपराधियों से डॅटकर कर मुकाबला करने के लिए मासल आर्ट्स की ट्रेनिंग ली थी।"

अजय सिंह और प्रतिमा दोनों जानते थे कि रितू अपने कदम अब वापस नहीं करेगी। इस लिए चुप रह गए किन्तु अंदर से ये सोच सोच कर घबरा भी रहे थे कि अगर रितू ने पुलिस आफिसर के रूप में अपने दादा दादी के एक्सीडेंट वाला केस अपने हाॅथ में लिया तो क्या होगा?????"


दोस्तो आपके सामने अपडेट हाज़िर है....आपकी प्रतिक्रिया का इन्तज़ार रहेगा,,,,,,
Awesome update bhai,
behad hi shandaar, lajawab aur amazing story hai bhai,
mai soch raha hoon ki itne dino se maine ye story pahale kyo nhi dekhi,
bhai aapke likhane ka style lajawab hai,
story to abhi excitement se bhari pari hai,
Nilam bhi apni padhayi poori karne mumbai hi ja rahi hai,
vahi ghar me ajay apni hi beti par gandi najar jamaye baitha hai,
bhai ab aage padhne ke liye intajar nhi ho raha hai isliye chhota sa review de raha hoon,
ab aage padhane ke baad review deta hoon
 

TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
79,808
117,465
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दोस्तो, आप सभी को एडवान्स में होली की ढेर सारी शुभकामनाएॅ।

मैने आपको बताया था कि होली में मुझे घर जाना है, इस लिए कल मैं यहाॅ से घर के लिए निकल जाऊॅगा। होली के बाद जब वापस लौटूॅगा तब कहानी को आगे बढ़ाऊॅगा। मैं समझ सकता हूॅ कि आप लोग मेरी इस बात से अपसेट होंगे लेकिन दोस्तो आप समझने की कोशिश भी कीजिए कि इंसान नौकरी के लिए घर से सालों बाहर रहता है और जब ऐसे त्यौहार पर किसी तरह छुट्टी मिल जाए तो दिल को कितनी खुशी मिलती है।

घर में अपने परिवार के सभी सदस्यों की बहुत याद आती है। इंसान पेट चलाने के लिए तथा घर परिवार की सुख सुविधाओं के लिए जाने कहाॅ कहाॅ मारा फिरता है? ख़ैर, ये तो सबके साथ होता है।

दोस्तो, होली के बाद ही अपडेट दे सकूॅगा। नाराज़ मत होइयेगा...
 
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