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Fantasy ♥माया♥ (Maya)

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Hayaan

●Naam to Suna Hi Hoga●
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♥माया♥

अनुक्रमणिका

Bahut Hi Khoobsoorat Titel Hai....
Story ka Cover bhi Bahut Sundar hai..
Dekhte hai kaisi Hai Maya ki Maya...
 

naag.champa

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:congrats: for new story ...
bahut hi erotic narration tha..:superb:
aap ise adultery me bhi daal sakti ho ager aage adultery ki sambahwna ho to ...

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! कृपया इस कहानी के साथ रहिए, आप लोगों के दिए गए कमेंट और सजेशन मेरे लिए बहुमूल्य हैं|
मैंने इस कहानी में एक अलग ही ट्विस्ट रखा है... मुझे आशा है कि आप लोगों को पसंद आएगी|
 

naag.champa

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:congrats:for new story:flowers:

बहुत-बहुत धन्यवाद राहुल,

मैं उम्मीद करती हूं कि... यह कहानी आपको जरूर पसंद आएगी... कृपया इस कहानी के साथ बने रहिए, आप लोगों के दिए गए कमेंट और सजेशन मेरे लिए बहुमूल्य हैं|:)
 

naag.champa

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bahut badiya story hai champa ji :good:
keep going ...waiting for next episode ...

डॉक्टर साहब आपका बहुत-बहुत धन्यवाद,:love2:

अगला अपडेट जल्द ही पोस्ट करूंगी, उम्मीद है आपको पसंद आएगी| यह कहानी बिल्कुल नई तरह की है- :writing: दूसरी कहानियों से बिल्कुल अलग- इसलिए मुझे उम्मीद है आपको जरूर पसंद आएगी| अगर यह कहानी आपको पसंद आई तो मैं चाहूंगी कि आप इसमें कहानी को अपने दोस्तों को भी रिकमेंड करें:yes1:
 

naag.champa

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Awesome update
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! Ironman,:love2::)

अगला अपडेट जल्द ही पोस्ट करूंगी, उम्मीद है आपको पसंद आएगी |:) यह कहानी बिल्कुल नई तरह की है- दूसरी कहानियों से बिल्कुल अलग- इसलिए मुझे उम्मीद है आपको जरूर पसंद आएगी| अगर यह कहानी आपको पसंद आई तो मैं चाहूंगी कि आप इसमें कहानी को अपने दोस्तों को भी रिकमेंड करें :writing:
 

naag.champa

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Congratulation For New thread...

Thank you Very Much to given Us Wonderful Story....
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! Hayaan :love2:

अगला अपडेट जल्द ही पोस्ट करूंगी, आप जैसे पाठक ही मेरी प्रेरणा है| कृपया इस कहानी के साथ बने रहिए... मैं अगला अपडेट जल्द ही पोस्ट करने वाली हूं:writing::writing::writing:
 

Chutiyadr

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डॉक्टर साहब आपका बहुत-बहुत धन्यवाद,:love2:

अगला अपडेट जल्द ही पोस्ट करूंगी, उम्मीद है आपको पसंद आएगी| यह कहानी बिल्कुल नई तरह की है- :writing: दूसरी कहानियों से बिल्कुल अलग- इसलिए मुझे उम्मीद है आपको जरूर पसंद आएगी| अगर यह कहानी आपको पसंद आई तो मैं चाहूंगी कि आप इसमें कहानी को अपने दोस्तों को भी रिकमेंड करें:yes1:
Bilkul recommend karunga ....:)
Waiting for next...
 

naag.champa

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Story toh aachi hai plot kafi solid lag raha hai lekin mujhe lagta hai meine ish story ke 4-5 Update pehle bhi padhe hain...
Any how nice start.
Eagerly waiting for your next update.
मेरी कहानी को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद|:angel1::writing::)

इस कहानी को मैंने हमारे पुराने Forum Xossip मैं पोस्ट किया था :writing: , हो सकता है कि आपने यह कहानी वही पढ़ी हो... :love2: मैं चाहूंगी कि आप इस कहानी को पूरा पढ़ें और मुझे आशा है कि कहानियां जरूर पसंद आएगी क्योंकि यह कहानी दूसरी कहानियों से बिल्कुल अलग है:yes1:
 

naag.champa

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अध्याय २

मेरे घर पहुंचते-पहुंचते बारिश रुक चुकी थी लेकिन मैं तो पूरी तरह भीग गई थी, इसलिए जैसा मैने सोचा था वैसा ही हुआ| घर के दरवाज़े की चौखट पर छाया मौसी खड़ी- खड़ी मेरा रास्ता देख रही थी| बारिश की वजह से बिजली भी गुल थी इसलिए छाया मौसी ने हर कमरे में यहां तक कि गुसलखाने में भी मोमबत्ती जला कर रखी थी|

घर पहुँचते ही उन्होने मुझे डांटा| पर मैने उनकी बातों का बुरा नही माना क्योंकि मैं जानती हूँ, यह सब उनका प्यार है मेरे लिए| इसलिए मैं सिर्फ़ सिर झुकाए, उनकी फटकार सुनती रही|

फिर मैने कहा, “मौसी, वैधजी ने दवाइयाँ दी हैं...”

छाया मौसी अभी भी बहुत गर्म थी मेरे उपर, वह बोलीं, “वह वैध सिर्फ़ दवाइयाँ ही देता रहेगा और जब भी तू उसके पास जाती है, वह तेरे सिर पर हाथ फेरेगा और तेरी चोटी को अपनी दो उंगिलयों और अंगूठे से मल मल कर तेरे से बातें करेगा...”, मौसी को यह अच्छा नही लगता था की वैधजी जैसे प्रौढ़ व्यक्ति मेरे बालों को छुएँ...

“पर मौसी आज तो मैं जूड़ा बना कर गई थी…”, मैं मूह दबाकर हंस दी|

छाया मौसी को यह कैसे बताऊं कि आज भी वैधजी ने मेरे सर पर खूब हाथ फेरा और उन्होंने मेरा जुड़ा खूब दबा दबा कर देखा| पहले की तरह आज भी उनकी निगाहें मेरी छाती पर ही टिकी थी… जब वैध जी ऐसा करते थे तब न जाने क्यों मुझे अच्छा भी लगता था और एक अजीब तरह की गुदगुदी होती थी मेरे बदन में... खास कर पेट के निचले हिस्से में... जब लोग बाग राह चलते मुझे घूरते हैं न जाने क्यों मुझे थोड़ा थोड़ा अजीब सा लगता है पर अच्छा भी लगता है क्योंकि निगाहें मुझ पर पड़ रही है... आख़िर वे मुझ पर ध्यान भी दे रहे हैं...

छाया मौसी मेरे ऐसे जवाब की उम्मीद नही कर रही थी, इसलिए वह जैसे भौंचक्की सी रह गई, फिर थोड़ा संभाल कर वह बोली, “ठीक है- ठीक है- अब जा करके नहा ले, अपने बदन से बारिश के पानी को धो डाल| इस तरह से बारिश में भी कराना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता अगर तू भी बीमार पड़ गई तो क्या होगा, मैं तेरे लिए नए कपड़े निकाल कर रखती हूं… माँठाकुराइन आती ही होंगी… अब शायद उनकी दी हुई दवाई और दुआयों से मेरे इस जोड़ों के दर्द का कुछ इलाज हो सके|”

मैंने सोचा रात काफ़ी हो चुकी है और उपर से इतनी भारी बारिश और कड़कती हुई बिजली; ऐसे में माँठाकुराइन कैसे आएंगी? आखिरकार यह औरत है कौन? मैंने तो पहले कभी इनको नही देखा था, बस छाया मौसी इनके बारे में खूब बातें किया करती थी… क्यों छाया मौसी इतना मानती हैं इस औरत को? आखिर क्या है इस औरत का रहस्य?

मैं ऐसा सोच ही रही थी कि छाया मौसी ने कहा, “अब खड़ी खड़ी सोच क्या रही है, लड़की? जा जाकर नहा ले...”, फिर उन्होने बड़े प्यार से मेरे से कहा, “तेरे बाल सूख जाने के बाद मैं तेरे बालों में कंघी कर दूंगी|”

मेरे कपड़ों में जगह-जगह कीचड़ लग गए थे इसलिए मैं दूसरे कमरे में चली गई और वहां मैंने अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गई| कमरे में खुंटें से तौलिया लटक रहा था उसे उठाकर मैं सीधे कमरे से लगे गुसलखाने में घुस गई|

आह! मौसम अच्छा है| आज मैं साबुन घिस घिस कर नहाउंगी| यही सोचते हुए मैं गुसलखाने में घुसी और अपने बालों को खोलकर वहां रखी जलती हुई मोमबत्ती की रोशनी में बाल्टी में भारी पानी को माग्गे में भर कर अपने बदन पर पानी डालने लगी…

हमारे गुसलखाने में दो दरवाजे थे उनमें से एक बाहर की तरफ खुलता था| बाहर के दरवाजे में दो तीन छेद थे, न जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि बाहर से कोई मुझे देख रहा है... लेकिन मैंने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया और मैं वैसे ही नंगी नहाती रही... अपने बदन पर साबुन घिस घिस कर…

छाया मौसी इतनी तकलीफ होने के बावजूद रसोई में घुसकर मछलियों के पकौड़े तल रही थी| सुबह जब मैं बाजार गई थी तो उन्होंने मुझसे इन मछलियों को लाने के लिए कहा था| जब घर लौटी थी तब मैंने देखा कि पड़ोस के मोहल्ले का लड़का आया हुआ है| उसने मौसी को एक थैला दिया जिसमें शायद कांच की कुछ बोतलें थी, मैंने पूछा भी था की “मौसी इस थैले में क्या है?”

लेकिन मौसी ने मुझे जवाब नहीं दिया वह बोली, “कुछ नहीं, माँठाकुराइन के लिए पीने के लिए...”, इतना कहकर उन्होंने मुझे घर के बाकी कामों में लगा दिया| आखिरकार शाम को तो मुझे उनकी दवाइयां लाने के लिए वैध जी के यहाँ जाना ही था... और आज घर में हमारी मेहमान- माँठाकुराइन आने वाली थीं|

***

नहाने के बाद मैं अपने कमरे में जा कर आईने के सामने वैसे ही बिल्कुल नंगी खड़ी होकर अपने आप को और अपनी जवानी को निहारती हुई अपने बालों को तौलिए से पोछ रही थी… मुझे इस तरह से आईने के सामने खड़ी होकर अपने आप को निहारना अच्छा लगता है, कमरे का दरवाजा बंद था; पर बाहर से आते हुई आवाज से मुझे पता चला कि घर में कोई आया है और यह एक औरत ही है|

मेरा अंदाजा सही था कि औरत कोई और नहीं, माँठाकुराइन ही है|

मैंने अपने बाल खुले ही रख छोड़े| छाया मौसी ने कहा था कि वह मेरे बालों में कंघी कर देगी और वैसे भी मुझे माँठाकुराइन जैसी गणमान्य महिला को प्रणाम भी करना था... बिल्कुल गाँव के तौर तरीकों जैसे...

जैसे तैसे मैंने मौसी के निकाले हुए कपड़े पहने| अजीब सी बात है मौसी ने मेरे लिए सिर्फ एक साड़ी, पेटिकोट और एक ब्लाउज ही निकाल कर रखा था और उन्होंने मेरे लिए अंतर्वास नहीं निकले थे, शायद भूल गई होंगी| यह ब्लाउज मेरे लिए थोड़ी ओछी पड़ती थी और इसके हत्ते भी नहीं थे और इस ब्लाउज को पहनने से मेरे विकसित स्तनों का विपाटन काफी हद तक ज़ाहिर होता था…

मैं यह सब सोच रही थी कि बाहर से दूसरे कमरे से छाया मौसी ने मेरे को पुकारा, “अरी ओ माया? कहां रह गई जल्दी से बाहर आ लड़की...”

मैंने जैसे-तैसे जल्दी-जल्दी कपड़े पहने और बाहर वाले कमरे में चली गई जहां छाया मौसी और माँठाकुराइन पलंग पर पालती बैठी हुई बातें कर रहीं थी|

माँठाकुराइन की उम्र शायद 55 साल से ऊपर की थी| वह मौसी से उम्र में शायद दस बारह साल बढ़ी होंगी; लेकिन उनके बदन में एक अजीब सा कसाव था उनके बाल कच्चे-पक्के और करीब करीब कमर के नीचे तक लंबे थे और अभी भी काफी घने थे| उन्होंने अपने बालों को खुला छोड़ रखा था| अजीब सी बात है कि इतनी बारिश के बावजूद भी न जाने क्यों वह बिल्कुल भी भीगी नहीं | उनके बदन पर कोई ब्लाउज नहीं था, उन्होंने सिर्फ एक साड़ी पहन रखी थी साड़ी का रंग काला था और उस पर लाल रंग का चौड़ा बॉर्डर था| पलंग के पास जमीन पर एक बड़ा सा थैला रखा हुआ था जो माँठाकुराइन शायद अपने साथ लाई थी|

मौसी के सिखाए तौर-तरीकों के अनुसार मैं जमीन पर घुटनों के बल बैठ गई और अपना माथा जमीन पर टेक कर अपने खुले बालों को सामने की तरफ फैला दिया ताकि माँठाकुराइन मेरे बालों पर पैर रखकर मुझे आशीर्वाद दे सके|

क्रमश:

 
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