आप की इस कहानी ने मुझे अपने कोर्स की एक उपन्यास की याद दिला दी जब मैं बारहवीं में पढ़ता था ।
राजेन्द्र यादव जी की बहुत ही बेहतरीन उपन्यास " सारा आकाश " ।
इस उपन्यास का प्रमुख नायक " समर " कूंठित व्यक्तित्व वाले युवाओं का प्रतिनिधित्व करता है । वह एम ए करके प्रोफेसर बनना चाहता था परंतु बारहवीं में ही उसकी इच्छा के विरुद्ध उसका विवाह कर दिया जाता है । उसके सुनहले सपने टूट जाते हैं । पत्नी प्रभा के साथ वैसा ही व्यवहार करता है जैसा आप के इस स्टोरी का नायक कर रहा है ।
बहुत ही मर्म स्पर्शी रचना थी राजेंद्र यादव जी की यह ।
इस उपन्यास के बारे में राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर के शब्दों में - उपन्यासकार ने निम्न मध्यवर्ग की एक ऐसी वेदना का इतिहास लिखा है , जिसे हममें से अधिक लोगों ने भोगा है ।
इस अपडेट के साथ आप ने एक बार फिर से अपने लेखन कला का लोहा मनवा लिया । नायक की कूंठा बिल्कुल वास्तविक लगी । और यह प्रायः हर मध्यवर्गीय परिवार की सोच है । पहले शादियां मां बाप के द्वारा फिक्स होती थी । अरेंज मैरिज का जमाना था । लड़के और लड़कियों की शादी बिना देखे हुआ करती थी ।
शुरुआत में दिक्कतें तो आती ही थी पर बाद में एडजस्टमेंट हो ही जाया करता था ।
इस स्टोरी का नायक जैसा कि अमूमन होता है सुंदरता का पुजारी है । कुरूपता उसे बिल्कुल भी नहीं पसंद है । और इसी वजह से उसने अपनी पत्नी को कभी अपना पत्नी माना ही नहीं ।
लेकिन काश ! एक बार हम उस लड़की के जगह पर खुद को रखकर देखें ।
काश ! एक बार उस लड़की के जगह अपनी बेटी या बहन को मानकर चलें ।
काश ! उस लड़की की मनोदशा को समझने की कोशिश करें ।
फिर तो कोई समस्या ही नहीं होती ।
बहुत ही खूबसूरत कहानी है शुभम भाई । और अपडेट भी हमेशा की तरह आप का खुबसूरत ही रहता है ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
जगमग जगमग अपडेट ।